पौलिटिकल राउंडअप: कुमारी शैलजा को कमान

साथ ही, प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाने के साथसाथ विधानसभा चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में इन दोनों नेताओं का रोल अहम होगा.

कन्हैया को क्लीनचिट

दिल्ली. फरवरी, 2016 में दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम हुआ था जिस में जेएनयू छात्र संघ के तब के अध्यक्ष और आज के नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

अब दिल्ली की आम आदमी सरकार ने कन्हैया कुमार और 9 दूसरे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की दिल्ली पुलिस को इजाजत नहीं दी है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि पुलिस ने जो सुबूत पेश किया है, उस के मुताबिक कन्हैया कुमार और दूसरों पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता.

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अगर मुकदमा चलता तो भी पुलिस गुनाह साबित नहीं कर पाती, पर अदालतों में हाजिरी के समय कन्हैया कुमार के साथ मारपीट का मौका भाजपाई वकीलों को जरूर मिल जाता.

माया का पुराना राग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जिस की मायावती ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. वे अपनी बहुजन समाज पार्टी को मजबूत बनाने के लिए एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग का सहारा ले रही हैं, इसीलिए उन्होंने 5 सितंबर को मुसलिम मुनकाद अली, दलित बीआर अंबेडकर और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरएस कुशवाहा को स्टेट कोऔर्डिनेटर बनाया है.

इस बारे में पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया, ‘हम गैरयादव और गैरलोध ओबीसी वोटर को पार्टी में वापस लाने का प्रयास करेंगे. हम ने महसूस किया कि भले ही हम ने लोकसभा चुनाव सपा के साथ लड़ा लेकिन ओबीसी और दलितों का एक समूह हम से दूर हो गया है.’ मायावती अब पूरी तरह फुस पटाखा हो चुकी हैं.

लोकतंत्र है तो दिखाए सरकार

श्रीनगर. जब से जम्मूकश्मीर का बंटवारा हुआ है और वहां से आर्टिकल 370 को हटाया गया है, तब से केंद्र सरकार ने हालात के सामान्य होने का दावा किया है, लेकिन 9 सितंबर, 2019 को जम्मूकश्मीर पौलिटिकल मूवमैंट (जेकेपीएम) के प्रमुख शाहिद खान ने भारत सरकार से कहा कि अगर देश में लोकतंत्र है तो वह दुनिया को दिखना भी तो चाहिए.

शाहिद खान ने केंद्र सरकार को लपेटते हुए कहा कि कश्मीर को समाधान का हिस्सा होना चाहिए, समस्या का नहीं, लेकिन पता नहीं क्यों, दुनिया कश्मीर को समस्या की तरह देखती है. वे मानते हैं कि घाटी के नौजवान एनर्जी और विचारों से भरे हुए हैं, लेकिन दुनिया उन्हें अलग नजरिए से देख रही है. पूरा कश्मीर आज कर्फ्यू की गिरफ्त में है. जो लोग प्लौट खरीदने के ख्वाब देख रहे थे वही नजर नहीं आ रहे.

उर्मिला का विलाप

मुंबई. कभी फिल्मकार रामगोपाल वर्मा की चहेती हीरोइन रही उर्मिला मातोंडकर ने इन लोकसभा चुनाव से पहले बड़े जोरशोर के साथ कांग्रेस में ऐंट्री मारी थी और मुंबई उत्तर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, पर उन्हें भाजपा नेता गोपाल शेट्टी से करारी शिकस्त मिली थी.

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अब उर्मिला मातोंडकर का कांग्रेस से मोह भंग हो गया है और उन्होंने इस पार्टी से कन्नी काट ली है. 10 सितंबर को कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए उन्होंने कहा कि मुंबई कांग्रेस बड़े लक्ष्यों पर ध्यान देने की जगह उन का इस्तेमाल कर राजनीति कर रही है.

आंध्र में सियासी बवाल

हैदराबाद. पिछले लोकसभा चुनाव में सभी बड़े विपक्षी दलों को एकसाथ लाने की कोशिश करने वाले चंद्रबाबू नायडू अब अपने प्रदेश में मुसीबत में हैं.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके चंद्रबाबू नायडू 11 सितंबर को पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के साथ गुंटूर जिले में सरकार के खिलाफ रैली करने वाले थे, जिस की उन्हें इजाजत नहीं मिली तो उन्होंने भूख हड़ताल करने का फैसला किया. इस के बाद मौजूदा वाईएसआरसीपी सरकार द्वारा उन्हें और उन के बेटे नर लोकेश को उन के घर में ही नजरबंद कर दिया गया.

इस के बाद नरसरावपेटा, सत्तेनापल्ले पलनाडू और गुराजला में धारा 144 लागू कर दी गई. बाद में पुलिस ने टीडीपी के कई और नेताओं को भी नजरबंद कर दिया.

सुशील ने बताया अपना ‘कैप्टन’

पटना. बिहार में जैसेजैसे विधानसभा चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसेवैसे वहां सियासी उठापटक तेज हो गई है. वहां यह खबर भी सियासी गलियारों में तैर रही है कि प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री भाजपा से होगा, जिस से जनता दल (यूनाइटेड) वालों की भौंहें तन गई हैं.

लेकिन विवाद ज्यादा न बढ़े, इसी के मद्देनजर भाजपाई और राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के ‘कैप्टन’ हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव तक वे ही ‘कैप्टन’ बने रहेंगे. भाजपा की राजनीति में जो कहा जाता है, वह किया नहीं जाता.

संभाजी भिड़े का एकादशी राग

पुणे. जब से इसरो का चंद्रयान 2 अभियान सुर्खियों में छाया है तब से लोगों ने इस के पूरी तरह कामयाब न होने पर तरहतरह की बातें बनाई हैं. इन्हीं में से एक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व कार्यकर्ता संभाजी भिड़े ने अपना अलग ही राग छेड़ा कि अमेरिका को चंद्रमा पर अंतरिक्ष यान भेजने में तब कामयाबी मिली जब उस ने इस के लिए एकादशी की तिथि चुनी.

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9 सितंबर को शोलापुर में संभाजी भिड़े ने कहा, ‘अमेरिका ने 38 बार चांद पर अंतरिक्ष यान भेजने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा. इस के बाद कुछ अमेरिकी वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया कि क्यों न अमेरिकी कालगणना की जगह भारतीय कालगणना का इस्तेमाल किया जाए. अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस सुझाव पर अमल किया और 39वीं बार एकादशी के दिन अंतरिक्ष यान भेजा और वे कामयाब रहे.’ हमारे वैज्ञानिक भी पाखंडों से परे नहीं सोचते तो संभाजी भिड़े का क्या कहना.

कमल हासन का हमला

चेन्नई. भाजपा नेता और गृह मंत्री अमित शाह ने 14 सितंबर ‘हिंदी दिवस’ पर ‘एक राष्ट्र, एक भाषा’ की पैरवी की थी. यह बात अभिनेता से नेता बने कमल हासन को नागवार गुजरी और उन्होंने एक वीडियो जारी कर अमित शाह पर हमला करते हुए कहा कि भारत 1950 में ‘अनेकता में एकता’ के वादे के साथ गणतंत्र बना था और अब कोई ‘शाह, सुलतान या सम्राट’ इस से इनकार नहीं कर सकता है.

अपने वीडियो में कमल हासन ने कहा कि इस बार एक बार फिर भाषा के लिए आंदोलन होगा और यह जल्लीकट्टू आंदोलन से भी बड़ा होगा.

ममता की चिंता

कोलकाता. भारत में भाजपा के राज से हलकान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 15 सितंबर को कहा कि देश ‘घोर आपातकाल’ से गुजर रहा है. उन्होंने लोगों से संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों व स्वतंत्रता की रक्षा करने की अपील की.

पिछले लोकसभा चुनाव प्रचार में भाजपा से लोहा लेने वाली तृणमूल की प्रमुख ममता बनर्जी अपने दम पर केंद्र सरकार की तानाशाही के खिलाफ जम कर लगी हैं.

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एक शाम थाने के नाम

मजाक-

एक लंबी सांस लेने के बाद प्रभु दयाल अपने घर की ओर जा रहा था कि उस ने देखा कि लालबत्ती के पास कुछ लोग जमा हो रहे हैं.

माजरा क्या है, यह जानने के लिए जब वह उन लोगों के पास पहुंचा तो पता चला कि जेब काटने के दौरान मिले माल के बंटवारे को ले कर 2 जेबकतरे आपस में झगड़ रहे थे.

तभी गश्त पर निकले 2 पुलिस वाले मोटरसाइकिल पर वहां आ धमके. होशियार लोग तो वहां से खिसक गए, लेकिन प्रभु दयाल पुलिस वालों के हत्थे चढ़ गया.

एक पुलिस वाला प्रभु दयाल की कलाई जोर से पकड़ कर बोला, ‘‘चल, थाने चल. चौकचौराहे पर झगड़ाफसाद करता है, दंगा करता है…’’

घबराया हुआ प्रभु दयाल घिघियाते हुए बोला, ‘‘अरे भाई साहब, मैं शरीफ आदमी हूं. मैं ने कुछ नहीं किया है. मुझे क्यों पकड़ रहे हैं? दंगा करने वाले बदमाश तो भाग गए.’’

दूसरा पुलिस वाला थोड़ा अकड़ कर बोला, ‘‘थाने चल, वहीं तुझे सब बताएंगे.’’

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चौकचौराहे पर पुलिस के डंडे खाने के बजाय प्रभु दयाल ने थाने चलने में ही भलाई समझी.

थाने में प्रभु दयाल को जिस सबइंस्पैक्टर के सामने पेश किया गया, वह पहले से ही थाने लाए गए कुछ लोगों से निबटने में लगा था.

सबइंस्पैक्टर एक नौजवान को डांट रहा था, ‘‘देखो, तुम ने सरकारी जमीन को घेर कर रेहड़ी लगा रखी है. तुम्हारी अच्छी आमदनी होती है, तो फिर बीट कांस्टेबल से झगड़ा क्यों करते हो?

‘‘आपसी तालमेल से सब ठीकठाक चलता रहेगा. बीट कांस्टेबल जो कहता है मान लो, अकेले सब हजम करना तो ठीक नहीं है.’’

वह नौजवान घिघियाता हुआ बोला, ‘‘साहबजी, कोई नौकरी न मिलने पर ही यह काम शुरू किया था.

‘‘देखने से ही ऐसा लगता है कि हमें खूब कमाई हो रही है, पर हकीकत में ऐसा नहीं है. पुलिस वाले हर महीने पैसे बढ़ा कर लेना चाहते हैं. बताइए, उन को हम कैसे खुश रखें? आप मालिक हैं, हमें इंसाफ दीजिए.’’

सबइंस्पैक्टर पानी के साथ दवा की गोली गटकते हुए बोला, ‘‘हम फुजूल में किसी को तंग नहीं करना चाहते. तुम थोड़े कहे को ही ज्यादा समझो. बीट अफसर को खुश रखो. अब भाग लो यहां से. आगे से कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए. पानी में रह कर मगर से बैर न पालो.’’

अब अगला नंबर एक एसटीडी बूथ चलाने वाले का था. सबइंस्पैक्टर उस आदमी से बोला, ‘‘लालाजी, तय रेट से ज्यादा पैसा वसूल रहे हो. बहुत बड़ा जुर्म है यह. जेल में चक्की पीसनी पड़ेगी. तुम्हारे खिलाफ जो शिकायतें आई हैं, उन का निबटारा कर लो, नहीं तो तुम्हारे साथ बुरा हो सकता है. समझ गए न?’’

अब अगला नंबर प्रभु दयाल का था. सबइंस्पैक्टर प्रभु दयाल को घूरते हुए बोला, ‘‘आंखों पर चश्मा, जेब में पैन. तुम तो काफी पढ़ेलिखे लगते हो, फिर भी चौकचौराहे पर दंगा क्यों कर रहे थे? सबकुछ खुद ही बता दो. मेरा गुस्सा बहुत बुरा है. तुम मुझे गुस्सा मत दिलाना, नहीं तो बड़ी मार खाओगे.’’

प्रभु दयाल बोला, ‘‘गुस्सा आप की सेहत के लिए अच्छा नहीं है साहब. हाई ब्लड प्रैशर के मरीज को तो गुस्से से हमेशा दूर ही रहना चाहिए.’’

सबइंस्पैक्टर हैरान हो कर बोला, ‘‘तुम्हें कैसे पता है कि मैं हाई ब्लड प्रैशर का मरीज हूं? यह तो कमाल है.’’

प्रभु दयाल बोला, ‘‘साहबजी, यह तो छोटी सी बात है. मुझे तो यह भी मालूम है कि कुछ देर पहले आप कोर्ट में पेश होने वाले बदमाशों की फाइल की लिखापढ़ी में लगे थे. मैं ठीक कह रहा हूं न?’’

सबइंस्पैक्टर को लगा जैसे उस के सामने एक ऐसा आदमी खड़ा है, जो दीवारों के आरपार देख सकता है.

लोहा गरम देख प्रभु दयाल ने एक और चोट की, ‘‘साहबजी, मुझे तो यह भी पता?है कि आज आप ने चावल और रोटी के साथ कौन सी सब्जी खाई है. आज आप ने लंच में कद्दू की सब्जी खाई है. ठीक कहा न?’’

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सबइंस्पैक्टर को ऐसा लग रहा था, जैसे उस की कुरसी के नीचे से जमीन खिसक रही है. ऐसे सच्चे भविष्य बताने वाले से तो उस का जिंदगी में कभी सामना ही नहीं हुआ था.

सबइंस्पैक्टर प्रभु दयाल के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया और बोला, ‘‘आप तो सबकुछ जानते हैं. मैं और मेरे बीवीबच्चों के बारे में भी कुछ बताइए. मैं खुशकिस्मत हूं कि आप जैसे बड़े लोगों के दर्शन हो गए.

‘‘यहां पास ही में मेरा फ्लैट है. क्या आप मेरे घर चल कर कुछ चायनाश्ता करेंगे? इसी बहाने ही सही, आप के साथ मिलनेबैठने का मौका मिल जाएगा.’’

प्रभु दयाल बोला, ‘‘फिर किसी दिन सही. आज बस इतना ही.’’

सबइंस्पैक्टर जैसे ही प्रभु दयाल के पैर छूने को आगे बढ़ा, प्रभु दयाल दूर हटते हुए बोला, ‘‘अजी साहब, ऐसा गजब मत कीजिए. अभी तो मैं अपने घर लौटना चाहूंगा, फिर किसी दिन फुरसत से आऊंगा.’’

सबइंस्पैक्टर गरजा, ‘‘मुबारक सिंह, भाई साहब को थाने की जीप में घर छोड़ कर आओ.

‘‘और हां, रास्ते में भोलू हलवाई की दुकान से साहब के बच्चों के लिए 5 किलो देशी घी के गुलाब जामुन दिलवा देना.’’

उधर महल्ले वाले प्रभु दयाल को थाने की जीप से उतरते व पुलिस द्वारा अदब से सलाम मारते देख हैरान थे. कुछ नौजवान भी वहां खड़े थे. उन में से एक ने कान में फुसफुसा कर कहा, ‘‘हमें तो पहले से ही शक था कि अपने में मस्त रहने वाला हमारा यह पड़ोसी प्रभु दयाल बड़ी ऊंची चीज है. थाने की जीप में आया है.’’

इधर, सारी बातें जानने के बाद प्रभु दयाल की बीवी हैरान हो कर पूछ रही थी, ‘‘शेर के मुंह में जाने के बाद भी आप सहीसलामत वापस कैसे आ गए? और साथ में देशी घी के गुलाब जामुन भी ले आए. कैसे हुआ यह चमत्कार? आप को तो ज्योतिष के बारे में कुछ भी नहीं आता, फिर वहां आप भविष्य बताने वाले कैसे बन गए?’’

प्रभु दयाल थोड़ा मुसकरा कर बोला, ‘‘अगर ज्योतिष के द्वारा कुछ बताया जा सकता, तो वाजपेयीजी समय से पहले चुनाव करा कर गद्दी नहीं खोते. ओसामा बिन लादेन कहां छिपा है, यह कब का पता लग गया होता. ज्योतिष के नाम पर जो बातें मैं ने सबइंस्पैक्टर को बताई थीं, वे तो कोई भी बता सकता था…’’

प्रभु दयाल ने राज खोला, ‘‘मैं ने देखा था कि पानी मंगा कर सबइंस्पैक्टर ने एनवास-10 की गोली गटकी थी. इस का मतलब यही था कि वह हाई ब्लड प्रैशर का मरीज है.

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‘‘लिखते हुए शायद रिफिल लीक कर गई थी, जिस से उस की उंगली में स्याही लगी थी. इस से साफ जाहिर था कि उस ने थोड़ी देर पहले लिखाई का काम किया है.

‘‘उस की मूंछों में कद्दू की सब्जी का एक छोटा टुकड़ा फंसा हुआ था यानी दोपहर को उस ने कद्दू की सब्जी खाई थी.

‘‘मैं बेकुसूर था और बेमतलब ही फंसाया जा रहा था, सो बचने के लिए ही सबइंस्पैक्टर के सामने मैं ने कुछ बातें हवा में उछाल दी थीं. मेरे बुरे समय पर हाजिरजवाब होने की नीति काम कर गई थी.

‘‘मैं ने उन से एक बार भी नहीं कहा कि मैं कोई पहुंचा हुआ पीरपंडित या भविष्य बताने वाला हूं. अब वह अपनी समझ से खुद ही यह मानने लगा था कि मैं कोई बहुत बड़ा ज्योतिषी हूं, तो उस हालत में मैं क्या कर सकता था? अंधविश्वासी लोग अकसर अपने जाल में खुद ही फंस जाते हैं.’’

प्रभु दयाल की बीवी बोली, ‘‘आप ने तो कहीं भी कोई गलतबयानी नहीं की. दूसरों की मेहनत की कमाई और हक पर हिस्सापत्ती चाहने वाले ऐसे लोगों को तो सेर का कोई सवा सेर मिलते ही रहना चाहिए.’’

फिर पत्नी अपने बड़े बेटे को बुला कर बोली, ‘‘बेटा, गुलाब जामुन की यह हांड़ी गरीबों में दे आ. कहीं इस धौंसपट्टी की कमाई को खाने से हमारे बच्चों पर भी बुरा असर न पड़ जाए.’’

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कातिल

लेखक- भीमराव रामटेके ‘अनीश’

‘‘कुछ नहीं सर, वह कल वाला फिटनैस सर्टिफिकेट देने का हिसाब देना था. ये जीनियस स्कूल की 10 बसों के 5 लाख रुपए हैं. 50,000 के हिसाब से, 60,000 के लिए वे नहीं माने. कह रहे थे कि साहब का बच्चा पढ़ता है हमारे स्कूल में, तो इतनी छूट तो मिलनी ही चाहिए, तो मैं ने भी ले लिए,’’ कहते हुए मुकेश ने एक बड़ा सा लिफाफा अपने बैग से निकाल कर सुनील के हाथ में दे दिया.

‘‘यार, फिर तुम एजेंट किस काम के हो… जब पहले ही बात हो गई थी तो पूरे ही लेने थे न… चलो, ठीक है.

‘‘अच्छा, आज मैं 3 बजे निकल जाऊंगा. मेरे बेटे का बर्थडे है… तो कल मुलाकात होगी,’’ सुनील लिफाफा सूटकेस में रखते हुए बोला और अपने काम में लग गया.

3 बजे सुनील अपनी कार से घर के लिए चल दिया. जैसे ही उस ने हाईवे पर मोड़ काटा, तो थोड़ी ही दूरी पर उसे जीनियस स्कूल की बस नजर आई.

‘अरे… 18 नंबर… यह तो चंकी की बस है…’ सुनील सोच ही रहा था कि बस को रुकवा कर उसे अपने साथ ले जाए कि अचानक बस लहराती हुई दूसरी तरफ उछली और सामने से आने वाले ट्रक से उस की जोरदार टक्कर हो गई. बच्चों की चीखों से आसमान जैसे गूंज उठा.

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सुनील का कलेजा कांप उठा. वह गाड़ी को ब्रेक लगा कर रुका और जल्दी से बस के अंदर घुसा.

अंदर का सीन देख कर सुनील के होश उड़ गए. बुरी तरह से जख्मी बच्चों की चीखें उस के कलेजे पर हथौड़े की तरह लग रही थीं. जैसे उस से कह रही हों कि तुम्हीं ने हमें मारा है. उस की नजरें तलाशती हुई जैसे ही चंकी पर पड़ीं, उस के तो मानो हाथपैर ठंडे पड़ गए.

चंकी के सिर और हाथों से खून बह रहा था. उस की सारी यूनीफौर्म खून से लथपथ हो चुकी थी और वह सिर पकड़ कर तड़पता हुआ जोरजोर से ‘मम्मीमम्मी’ चिल्ला रहा था.

सुनील ने तुरंत अपनी शर्ट उतार कर उस के सिर पर बांधी और उसे गोद में ले कर कार की तरफ दौड़ लगा दी. उसे कार में बिठा कर पास के ही अस्पताल की ओर तेजी कार से बढ़ा दी.

अस्पताल पहुंचते ही चंकी को स्ट्रैचर पर लिटा कर इमर्जैंसी में ले जाया गया.

सुनील ने कांपते होंठों से डाक्टर को हादसे की जानकारी दी… तुरंत ही इलाज शुरू हो गया.

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सुनील जरूरी कार्यवाही पूरी कर के बैठा ही था कि 2 एंबुलैंस आ कर रुकीं और उन में से ड्राइवर, कंडक्टर और कुछ बच्चों को निकाल कर स्टै्रचर पर लिटा कर अस्पताल के मुलाजिम उन्हें अंदर ले आए.अस्पताल में अफरातफरी का माहौल हो गया. नर्स ने बताया कि 8 बच्चों सहित ड्राइवर की मौत हो गई है. यह सुन कर सुनील पसीने से तरबतर

हो गया.‘तेरी रुपयों की हवस ने ही इन्हें मारा है… अगर तू उन खराब बसों को फिटनैस सर्टिफिकेट नहीं देता तो यह हादसा नहीं होता… तू ने ही अपने बेटे को जख्मी कर मौत के हवाले कर दिया है. तू ही कातिल है इन सब मासूम बच्चों का…’सुनील की पैसे की हवस जैसे पिघल कर उस की आंखों से बह रही थी.

भूखे बच्चों की मां के आंसू बताते हैं कि बिहार में बहार नहीं सिर्फ हाहाकार है!

सितंबर का महीना वास्तव में भर-भर के सितम लेकर आया. खासकर के बिहार वासियों के लिए. पहले तो बारिश हुई नहीं और जब हुई तो ऐसी हुई कि बिहार की राजधानी पटना का 90 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो गया. कौन मंत्री, कौन संत्री, कौन ब्यूरोक्रेट कोई नहीं बच पाया.

जिस वक्त बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी आधे पानी में डूबकर घर से बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रहे थे उसको देखकर लग गया कि सरकार भी आधी डूब गई. हालांकि वो ठहरे सियासतदान. उनके लिए आनन-फानन व्यवस्थाएं की गई. जल्द से जल्द उनको पानी से बाहर सुरक्षित स्थान ले जाया गया. अब यहां थोड़ा जिक्र कर लेते हैं सुशासन बाबू की.

जी हां बिहार के सीएम नीतीश कुमार जिनको जनता ने सुशासन बाबू का खिताब दिया हुआ है. लालू के कुशासन से त्रस्त जनता से नीतीश कुमार को प्रदेश की कमान सौंप दी. नीतीश कुमार ने जनता के भरोसे को टूटने भी नहीं दिया. उसी का नतीजा है नीतीश कुमार लगातार तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं. सुशासन बाबू के प्रदेश में कानून व्यवस्था तो सुधरी लेकिन नहीं सुधरा तो बिहार का इंफ्रास्ट्रक्चर. उसी का परिणाम है कि सरकार के नंबर दो सुशील मोदी को पानी में डूबकर घर से बाहर निकलना पड़ा.

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जरा अब बात कर लेते हैं कि आखिरकार बार-बार ऐसा क्यों होता है. क्यों राजधानी पटना का ये हाल बना हुआ है. सुशासन बाबू ग्रह-नक्षत्रों को क्यों दोष दे रहे हैं. क्यों नहीं सुशासन कुमार इस बात से ताल्लुक रखते कि उनसे गलती हुई. जब तक एक इंसान ये स्वीकार नहीं करेगा कि उससे गलती हुई, तब तक वो उसको कैसे सुधारेगा. आज भी पटना की आधी आबादी को साफ पानी मुहैया नहीं हो पा रहा है.

लोग पानी के लिए तसर रहे हैं. बच्चों को दूध नहीं मिल रहा. घरों का सामान सड़ रहा है लेकिन माननीय मुख्यमंत्री जी पहले तो हवाई दौरा किया. उसके बाद 19 लग्जरी गाड़ियों का काफिला लेकर बाढ़ के हालात देखने निकले. सीएम के काफिले को देखकर लगा नहीं कि सीएम साहब वाकई पीड़ितों का दर्द बांटने आए हैं. जो तस्वीरें हमने देखी उसमें तो ऐसा लगा कि मानों सीएम साहब शक्ति प्रदर्शन कर रहे हों.

फिलहाल बारिश थम गई है. सोमवार को कभी-कभी सिर्फ बूंदाबांदी ही हुई. कुछ ऊंचे इलाकों से पानी हटा भी है. मगर अभी भी निचले इलाकों राजेंद्र नगर, कदमकुआं, पटना सिटी, कंकड़बाग और इंद्रपुरी-शिवपुरी में लाखों की आबादी जलजमाव में फंसी है. लेकिन बुधवार को फिर से मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिया. यानी फिर मूसलाधार बारिश का अनुमान लगाया जा रहा है.

सरकार, प्रशासन की भूमिका और “राहत तथा बचाव” कार्यों की है तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इसे नेचर (प्रकृति) से उत्पन्न आपदा मान चुके हैं, प्रशासन की विफलता इस बात से भी स्पष्ट हो जाती है कि राज्य के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और बिहार कोकिला कही जाने वालीं पद्मश्री गायिका शारदा सिन्हा जैसी बड़ी हस्तियों को तीन दिन बाद पानी से निकाला जा सका. ऐसे में आम आदमी की बात ही करना बेमानी सा लगता है. क्योंकि लाखों की आबादी जो अपने घरों में फंसी है, उसके लिए एनडीआरएफ़ की महज़ 33 नौकाएं ही काम कर रहे हैं.

यहां पर बड़ा सवाल ये है कि आखिरकार महज चार या पांच दिन की बारिश में ही पूरा पटना कैसे जल मग्न हो गया. लोग इसकी तुलना 1967 में आई प्रलयंकारी बाढ़ से करने लगे हैं. हालांकि वो बाढ़ नदियों के बढ़े जलस्तर और बांधों के टूटने के कारण आई थी. लेकिन इस बार तो ना कहीं बांध टूटे, ना कहीं नदी के उफ़ान से बाढ़ आया. 72 घंटों के दौरान करीब 300 मिमी की बारिश हुई. और इतने में ही पूरा पटना शहर डूब गया. ऐसा भी नहीं कि पटना में पहले कभी इतनी बारिश नहीं हुई, मुहल्लों में जलभराव नहीं हुआ, पर पटना के रहने वाले कह रहे हैं कि उनके जीवनकाल में ऐसे हालात कभी नहीं पैदा हुए.

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सिलसिलेवार तरीके से हम बताते हैं कि आखिरकार ऐसा हुआ कैसे. पटना में जलप्रलय का पहला कारण तो ये कि शहर की ड्रेनेज व्यवस्था पूरी तरह फेल हो गई है. इसके ज़िम्मेदार पटना नगर निगम और बुडको दोनों है. दोनों में कोई समन्वय ही नहीं है. पटना को स्मार्ट सिटी का रूप दिया जा रहा है जिसकी वजह से जगह-जगह पर सड़कें खुदी हुई पड़ी हैं. खुदी हुई मिट्टी और कूड़ा करकट के अंबार ने ड्रेनेज को ब्लौक कर दिया है. पाइपों में मिट्टी भर गई है और कई जगह तो वो डूब ही गए हैं.

दूसरा कारण ये कि जिन नदियों में बारिश का पानी छोड़ा जाता है वे पहले से खतरे के निशान से ऊपर बह रही थीं. पानी का प्रेशर इतना बढ़ गया था कि सारे ड्रेनेज पहले से बंद कर दिए गए था. इसलिए पानी कहीं जा नहीं सका. पटना से सटे दीघा में गंगा नदी अपने 44 साल के जलस्तर के रिकार्ड को पार कर 50.79 मीटर पर आ गया है जो अभी तक के रिकौर्ड स्तर से महज़ 1.07 मीटर ही कम है. इसका प्रमुख कारण है सहयोगी नदियों पुनपुन, सोन और गंडक का जलस्तर, जो ख़तरे के निशान को पार कर चुका है.

तीसरा कारण है राहत बचाव कार्यों के नाकाफी इंतजाम. सीएम नीतीश कुमार बिहार में पिछले 15 सालों से सरकार चला रहे हैं वो इस बात को बोलकर नहीं बच सकते कि ये हथिनी नक्षत्र की वजह से हो रहा है. आपको ये मानना पड़ेगा कि पहले से कोई तैयारी नहीं थी. पूरा सिस्टम सूखे से निपटने की योजना बनाने में लगा था. कल्पना की जा सकती है कि जब इतनी बड़ी आबादी पानी में घिरी है, तब केवल 33 बोट ही राहत और बचाव कार्य में लगे हैं.

राहत और बचाव कार्यों में सुस्ती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के एक बड़े इलाके राजीव नगर, इंद्रपुरी, शिवपुरी, पाटलिपुत्र कौलोनी जहां करीब एक लाख की आबादी फंसी है वहां तीसरे दिन एक बोट उपलब्ध कराई जा सकी. बीबीसी की एक रिपोर्ट में पता चलता है कि प्रशासन की तरफ से जो राहत और क्विक रिस्पांस टीम के नंबर जारी किए गए हैं, उनपर फोन नहीं लग रहा. अगर कहीं लग भी रहा है तो कोई रिस्पांड नहीं कर रहा.

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चौथा और सबसे अहम कारण है कि सरकारी सिस्टम इस बारिश का आकलन करने में पूरी तरह विफल रहा. पहले तो सब सूखे के इंतजार में आंख मूंद कर सोए रहे. और जब बारिश शुरू हुई तो उसकी भयावहता का अंदाजा नहीं लगा सके. बारिश छूटने का इंतजार होता रहा.

पांचवा कारण वही है जो मुख्यमंत्री ने कहा है. इस हालात लेकर बोली गई उनकी बात से ऐसा लगता है जैसे सरकार ने अपने हाथ खड़े कर दिए हो. पटना को स्मार्ट सिटी बनाने का ख्वाब देख रही सरकार 300 मिलीमीटर वर्षापात से जमा पानी भी निकाल पाने में अक्षम है.

बिहार में एक बात तो है. शासन और प्रशासन में एक समानता देखी जा रही है. दोनों के मुंह से एक ही बयान सामने आ रहा है कि ये प्राकृतिक आपदा है ये पहले से बताकर नहीं आती. ये बात सबको पता है कि प्राकृतिक आपदा पर किसी का जोर नहीं है लेकिन अगर महज बारिश के बाद जलभराव से ये नौबत आ जाए कि 40 से 50 लोगों की मौत हो जाए तो आपको जवाब देना पड़ेगा. अगर आपकी बात मान भी ली जाए तो क्या फानी तूफान आने के बाद भी हम हाथ पर हाथ रखे बैठे रहते और इंतजार करते कि आपदा का. फिर लाशें गिनते फिर उनकी कीमतें लगा देते.

चक्रवाती तूफान फानी से निपटने के भारत के प्रयासों की संयुक्त राष्ट्र ने सराहना की थी. संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि भारतीय मौसम विभाग की सटीक और अचूक भविष्यावाणी से फानी से कम से कम नुकसान हुआ. दुनिया भर की प्राकृतिक आपदाओं पर निगाह रखने वाली संयुक्त राष्ट्र की ‘डिजास्टर रिडक्शन’ एजेंसी यूएन औफिस फौर डिजास्टर रिडक्शन (UNISDR) ने कहा कि भारत के मौसम विभाग ने लगभग अचूक सटीकता के साथ फानी चक्रवात के बारे में जानकारी दी, इसका नतीजा ये हुआ कि सरकारी विभागों को लोगों को फानी के प्रभाव में आने वाले इलाके से निकालने के लिए पूरा वक्त मिला. इसके तहत 10 लाख से ज्यादा लोगों को आपदा राहत केंद्रों में ले जाया गया.

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रानू मंडल को क्यों दिया मौका, हिमेश रेशमिया ने किया ये खुलासा

सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद स्टार बनीं रानू मंडल को आज-कल बौलीवुड से काफी गाने के औफर मिल रहे हैं. सोशल मीडिया पर रानू का वीडियो वायरल होने के बाद हिमेश रेशमिया ने उन्हें मौका दिया अपनी फिल्म में गाना गाने का. हिमेश का ऐसा करने के बाद से उनकी खूब तारीफ हुई. इसके बाद हिमेश के इस कदम को सबने खूब सराहा था.

रानू मंडल का गाना बना ग्लोबल नंबर वन…

हाल ही में हिमेश रेशमिया ने खुलासा किया कि उन्होंने रानू को ये मौका क्यों दिया. हिमेश ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा, मैं फिल्म तेरी मेरी कहानी के लिए एक फीमेल वौयस ढूंढ रहा था. जब मैंने रानू की आवाज सुनी तो मुझे उनकी आवाज में एक कनेक्ट लगा. मैंने उन्हें अगले दिन बुला लिया. उन्होंने गाना गाया और मैंने इंस्टाग्राम पर कुछ पोस्ट किए. मैंने और कुछ भी नहीं किया और फिर वो इतिहास बन गया. वो गाना फिर ग्लोबल नंबर वन बन गया.

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इंस्टाग्राम पोस्ट से किया एक और खुलासा…

बता दें, कि हाल ही में हिमेश ने रानू मंडल के साथ एक वीडियो इंस्टाग्राम पर शेयर किया था. इस वीडियो में रानू मंडल गा रही थीं और उनके साथ उदित नारायण ने भी अपनी आवाज दी है. वीडियो को इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए हिमेश ने लिखा, ‘मुझे मेरे क्रिएटिव स्वाभाव ने बोला है कि ‘अपनी आने वाली फिल्म हैप्पी हार्डी एंड हीर के अगले क्लासिकल रोमांटिक सोन्ग “कह रही हैं नज़दीकियां” के लिए, मुझे सबसे टैलेंटेड और लेजेंडरी सिंगर को लेना चाहिए, फीचरिंग उदित नारायण, रानू मंडल, हिमेश रेशमिया और पायल देव, म्यूजिक इंडस्ट्री का ये खास दिन लता मंगेश्कर जी के जन्मदिन पर’.

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आपको बता दें कि सफलता की सीढ़ियां चढ़ रहीं रानू मंडल ने हिमेश रेशमिया के गाने ‘तेरी मेरी कहानी’ से बौलीवुड में अपना डेब्यू किया था. जिसके बाद उन्होंने हिमेश के साथ कई गाने रिकौर्ड किए थे. अब रानू मंडल का ये नया गाना भी हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘हैप्पी हार्डी और हीर’ का ही है.

पैसो का चक्कर, किन्नर की हत्या, किन्नर के हाथ!

पैसों का लेनदेन हत्या का सबब प्रारंभ से रहा है कहावत भी है कि जर जोरू और जमीन के कारण ही सारे अपराध घटित होते हैं. छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला में दो किन्नरों में पैसे की लेनदेन को लेकर मामला इतना आगे बढ़ गया एक ने अपने दूसरे साथी किन्नर को चाकू से गोद गोद कर मार डाला.

बच्चा तस्करी के आरोप में पूर्व मे गिरफ्तार किन्नर (थर्ड जेंडर) छाया उर्फ सोनू की हत्या  की गुत्थी  छत्तीसगढ़ की दुर्ग  पुलिस ने 24 घंटे में ही सुलझा ली. आरोपी कागज किन्नर, उर्फ शंकर बुद्धे, पिता गंगा राम बुद्धे, उम्र 30 ने अपना जुर्म कबूल करते हुए स्वीकार किया कि  उसने पैसों के लेन देन के कारण अपनी साथी किन्नर छाया को मौत के घाट उतार दिया था.

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छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला के पुलिस कप्तान विवेक शुक्ला (आई पी एस) ने  हमारे संवाददाता को बताया कि आरोपी और मृतक छाया एक ही मोहल्ले में रहते थे. घटना वाले दिन आरोपी ने छाया को घर पर रात का खाना खाने के लिए बुलाया. पहले तो दोनों ने खूब  शराब पी, इसके बाद ब्लेड और चाकू से वार कर उसने छाया की हत्या कर दी.

किन्नर काजल के अनुसार  छाया ने दो साल पहले करीब 70 हजार रुपए उससे उधार लिए थे. वह मांगने पर भी बहुत  दिनों से वह पैसे नहीं दे रही थी. इसी बात को लेकर विवाद हुआ और उसने तैश में आकर  छाया  की हत्या कर दी.रविवार 29 सितम्बर की सुबह किन्नर छाया की लाश राजीव नगर के तालाब के निकट  झाडिय़ों के पास बारदाने  मे लिपटी मिली थी.

शराब पिलाया और मार डाला

इस जघन्य हत्याकांड पर पुलिस की तत्परता से हालांकि पर्दा जल्दी उठ गया. मगर जो घटनाक्रम घटित हुआ है वह कई मायने में चौंकाने वाला है. घटना के दिन छाया को काजल ने अपने आवास पर बुलाया और खूब खाने पीने आवा भगत की व्यवस्था की, उसका आशय यह था कि या तो छाया उसके उधार लिए सतर  हजार रुपये बोलो लौटा दें,  खा पीकर प्रसन्न हो जाए या फिर वह इतना शराब पिला देगी की छाया होश में ना रहे और वह अपना बदला ले ले.

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खूब आवभगत के बाद भी जब छाया ने काजल को रुपए देने से मना कर दिया तो काजल ने छाया की हत्या को दे अंजाम दिया.

जांच अधिकारी सुरेश ध्रुव ने बताया के हत्या गला रेत कर की गई थी. पेट में आधा दर्जन वार करने के निशान भी पुलिस को मिले थे. सबसे  बड़ी  बात मृतक किन्नर के हाथ भी बंधे हुए थे.पुलिस को शक था कि आरोपी ने पहले किन्नर के हाथ बांधे उसके बाद हत्या को अंजाम दिया .हत्या के बाद लाश पहले कपड़े में लपेटा गया और बारदाने  में डालकर फेंक दिया गया.

मृतक पर था बच्चा चोरी का गंभीर आरोप

नगर निरीक्षक एवं इस प्रकरण के जांच अधिकारी सुरेश ध्रुव ने बताया पहले पुलिस इस हत्या को किन्नरों के दो गुटों के बीच रंजिश मान कर जांच करती रही . पुलिस ने 2 किन्नर समेत 4 संदेहियों को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ भी की थी . यहां महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि गया नगर निवासी किन्नर छाया बच्चा तस्करी के आरोप में पखवाड़े भर जेल में रहने के बाद 12 दिन पहले जमानत पर रिहा हुई थी.

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मृतक किन्नर छाया उर्फ सोनू पर डेढ़ साल के बच्चे की तस्करी का आरोप है. कोतवाली पुलिस ने उसके खिलाफ बच्चा तस्करी का प्रकरण दर्ज किया था. फर्जी गोद नामा की आड़ में बच्चा तस्करी के खुलासे के बाद छाया को पुलिस ने 1 सितंबर को गया नगर के झंडा चौक से उसके किराए के घर से गिरफ्तार किया था। उसके पास से डेढ़ साल का बच्चा मिला था. किन्नर ने बच्चे को उसकी मां मोना सागर के हमेशा नशे की हालत मे रहने के कारण, रायगढ़, छत्तीसगढ़ से उठा लाने की पुलिस में स्वीकारोक्ति की थी.

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

खेसारी लाल ने अपनी फिल्म ‘बागी’ की कमाई बाढ़ पीड़ितों में की दान

ऐसे में तमाम लोग बिहार के बाढ़ पीड़ितों के मदद के लिए आगे आ रहें हैं. इनमें एक नाम और जुड़ गया है, यह नाम है भोजपुरी के सुपरस्टार गायक और अभिनेता खेसारी लाल का. इन्होने पटना के बाढ़ पीड़ितों के लिए 9 गाड़ी राहत सामग्री और पांच हजार लीटर दूध व और 20 हजार लीटर साफ़ पानी अपने खेसारी फाउंडेशन के जरिये वितरण के लिए भेजी है. इनके द्वारा बाढ़ पीड़ितों के लिए मुहैया कराये गए राहत सामग्री के वितरण की जिम्मेदारी गीतकार पवन पाण्डेय नें 500 बच्चों के साथ संभाली है.

खेसारी लाल ने पटना बाढ़ पीड़ितों के मदद के लिए इस मसले पर अपने फेसबुक पेज पर 16 मिनट 36 सेकेण्ड लाइव आकर लोगों से पटना बाढ़ पीड़ितों के मदद के लिए आगे आने की अपील की है. उन्होंने अपने लाइव में कहा की जिस तरह भोजपुरी बेल्ट की 30 करोड़ की जनता ने उन्हें इस मुकाम पर पहुंचाया है. ऐसे में उनकी भी जिम्मेदारी बनती है की वह अपने प्रसंसको के मुसीबत में काम आयें.

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उन्होंने अपने फेसबुक लाइव में कहा की “जिस तरह भोजपुरी अभिनेता अपनी फिल्मों के प्रमोशन के लिए फेसबुक पर औनलाइन आकर लोगों से फिल्मों को देखने की अपील करते हैं, उसी तरह से सभी लोग बाढ़ में फंसे लोगों के लिए लाइव आकर खुद द्वारा किये जा रहें मदद की बात सामने रखें. साथ ही लोगों से भी मदद के लिए आगे आने की अपील करें.”

उन्होंने अपने लाइव मे कहा की “मै गरीबी से आया हूं. इस लिए मैं लोगों की मदद करता हूं. मुझे लोगों का दर्द पता है. मेरा फेसबुक पर लाइव आने का उद्देश्य सिर्फ यह है लोग भी देख कर मदद के लिए आगे आएं.”

पटना बाढ़ पीड़ितों के मदद में आगे आये खेसारी ने अपने फेसबुक लाइव में बताया की उन्होंने भैंस चरा कर और लिट्टी बेंच कर अपना बचपन गुजारा है. उन्होंने कहा की आज अभिनय के जिस मुकाम पर वह हैं वहां  पहुंचाने में बिहार की जनता का बड़ा योगदान रहा है. उन्होंने भोजपुरी के सभी अभिनेताओं से भी अपील किया की अपने फैन्स के जरिये बाढ़ पीड़ितों को मदद पहुचाएं.

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फेसबुक लाइव लिंक-

बागी फिल्म ट्रेलर लिंक-

इस तारीख को रिलीज होगी बिहार क्रिकेट टीम में हावी राजनीति पर बेस्ड फिल्म ‘किरकेट’

येन मूवीज ए स्‍क्‍वायर प्रोडक्‍शंस, धर्मराज फिल्‍म्स और जे के एम फिल्‍म्स बैनर के तले बनी इस फिल्म में 1983 में पहली बार की क्रिकेट विश्वकप विजेता टीम का हिस्सा रहें पूर्व क्रिकेटर और पूर्व सांसद कीर्ति आजाद प्रमुख भूमिका में हैं. फिल्‍म के निर्देशक  योगेंद्र सिंह हैं, जबकि इसके निर्माता आर के जलान, सोनू झा और विशाल तिवारी  हैं.

फिल्म के सह निर्माता यूसुफ शेख है. भोजपुरी फिल्मों के मसहूर विलेन देव सिंह भी फिल्म में दमदार अभिनय करते हुए नजर आ रहें है. वह अपनी पहली बौलीवुड फिल्म को लेकर खासा खुश नजर आ रहें हैं. उन्होंने बताया की फिल्म का नाम किरकेट है न की क्रिकेट. जो बिहार क्रिकेट टीम में हावी राजनीति को लेकर बनाई गई है.

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देव सिंह ने बताया की इस फिल्म का एक डायलौग ’11 बिहारी इकट्ठा होते हैं वहां क्रिकेट टीम नहीं, राजनीतिक टीम बन जाती है’ बिहार क्रिकेट के हालात को दर्शाता है. फिल्म में कीर्ति आजाद और देव सिंह के आलावा सोनम छाबड़ा, विशाल और प्रीतम नें इस फिल्म में भी निगेटिव किरदार निभाया है. उन्हें इस फिल्म में अपने किरदार को लेकर काफी मेहनत करनी पड़ी है. देव सिंह फिल्म में विकेट कीपर बल्लेबाज के रूप में नजर आ रहें हैं. जब की देव सिंह रियल लाइफ में बौलर रहें हैं, और क्रिकेट उनका पसंदीदा खेल भी है.

लेकिन इस फिल्म में अपने किरदार से इतर उन्होंने कभी भी  विकेट कीपिंग नहीं की है. लेकिन फिल्म में अपने किरदार को लेकर उन्होंने विकेट कीपिंग के लिए खूब पसीना बहाया है. देव सिंह का मानना है की यह फिल्म बिहार क्रिकेट के साथ दूसरे राज्यों के खिलाडियों के उनके खोये सम्मान को वापस दिलाने में मददगार साबित होगी. अभिनेत्री सोनम छाबडा इस फिल्म में एक पत्रकार के रूप में नजर आ रहीं है.
फिल्म में कीर्ति आज़ाद खिलाडियों के हक़ के लिए लड़ते हुए दिखाई देंगी. पहले क्रिकेट और बाद में राजनीति के बाद अब वह फिल्म अभिनेता के रूप में दर्शकों पर अपनी छाप छोड़ने जा रहीं हैं.

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फिलहाल किरकेट फिल्म के रिलीजिंग की डेट फ़ाइनल हो चुकी है जो कि 18 अक्टूबर है. जिसमें दर्शक खेल के राजनीतिकरण को बहुत नजदीक से महसूस कर पाएंगे की किस तरह से बिहार क्रिकेट संघ का बंटवारा और उसके रणजी टीम की मान्‍यता रद्द करने की कहानी रची गई थी. इस फिल्म में बिहार के होनहार खिलाडियों को कई दशक बाद भी राष्ट्रीय क्रिकेट टीम में मौका न दिए जाने जैसे गंभीर मुद्दे को भी उठाया गया है.

फिल्म का ट्रेलर लिंक-

पारिवारिक संबंधों के तानेबाने में बुनी भोजपुरी फिल्म ‘विवाह’ का ट्रेलर लौंच

भोजपुरी सिनेमा इन दिनों बड़े बदलाव के दौर में है. हाल के दिनों में जितनीं भी फिल्में बनी हैं वह बेहद साफ-सुथरी रहीं हैं. इस कड़ी में एक और फिल्म जुड़ गई है जिसका नाम है विवाह. जो पूरी तरह से पारिवारिक संबंधों के तानेबाने में बुनी गई है. इस फिल्म का  ट्रेलर 1 अक्बटूर की सुबह लांच किया गया. फिल्म के ट्रेलर लांच होने के कुछ देर बाद ही करीब पचास हजार व्यूअर हो गए.

इस फिल्म में सुपर स्टार प्रदीप पाण्डेय चिंटू, संचिता बनर्जी, काजल राघवनी, आकांक्षा अवस्‍थी, अवधेश मिश्रा, संजय महानंद, ऋतु सिंह, किरण यादव मुख्‍य भूमिका में हैं. साथ ही फिल्म में पाखी हेगड़े भी गेस्ट के रूप में नजर आयेंगी. विवाह भोजपुरी में बनी पारिवारिक फिल्मों में अब तक की सबसे अच्छी फिल्मों में गिनी जा सकती है इस फिल्म में फैमली ड्रामा, प्यार, रोमांस, एक्शन, कामेडी, इमोशंस का जबरदस्त तड़का देखने को मिलेगा.

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विवाह फिल्म के ट्रेलर में प्रदीप पाण्डेय चिंटू की शादी दूसरी लड़की (संचिता बनर्जी ) से होते हुए दिखाया गया है. जब की फिल्म में रोमांस का सीन काजल राघवनी के साथ है. ट्रेलर को देख कर भोजपुरी बेल्ट के दर्शकों में उत्साह देखते बन रहा है. क्यों की फिल्म का ट्रेलर ही दर्शकों को फिल्म के रिलीज होने तक फिल्म देखने के लिए बेसब्र करने वाला है.

इस फिल्म में भोजपुरी फिल्मों के निगेटिव अभिनेता अवधेश मिश्रा को बेहद सरल और सुलझे हुए पाजिटिव रोल में देखने को मिलेगा. विवाह फिल्म के ट्रेलर लांच होने के साथ ही इसके रिलीज होने की तैयारियां शुरू कर दी गई है जिस की तिथि की घोषणा जल्द ही की जाएगी.

यह फिल्म महिलाओं को भी खूब पसंद आएगी. क्यों की फिल्म में विवाह के दौरान नोक-झोक, चुहलबाजी, छेड़-छाड़ और विवाह से जुड़े लोकगीतों का भी जबरदस्त तड़का लगाया गया है. भोजपुरी में काफी अरसे बाद ऐसी फिल्म आ रही है जिसमें दो परिवारों के बीच उपजी गलतफहमियों और उससे उपजे हालात के बीच पिसते अभिनेता प्रदीप पाण्डेय चिंटू व संचिता बनर्जी बीच प्‍यारी सी लव स्‍टोरी को दिखाया गया है.

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फिल्म के निर्देशक मंजुल ठाकुर है जिनको इस फिल्म से बड़ी उम्मीदें है. उनका कहना है की इस फिल्म की कहानी को देखते हुए इसके लोकेशन, बैकग्राउंड और तकनीकी पक्षपर काफी मेहनत की गई है जो जल्द ही दर्शकों के समक्ष होगी।

यशी फिल्म और अभय सिन्हा की प्रस्तुति और वर्लडवाइड फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले बनी इस फिल्म के निर्माता प्रदीप सिंह, निशांत उज्जवल और प्रतिक सिंह हैं. फिल्‍म का संगीत दिया है छोटे बाबा और मधुकर आनंद ने. जबकि एक्‍शन श्री श्रेष्‍ठ, डीओपी सिद्धार्थ सिंह का है.

इस फिल्म के गीतकार राजेश मिश्रा, सुमित सिंह चंद्रवंशी, संतोष पुरी व अरविंद तिवारी हैं. फिल्म कहानी लिखी है प्रदीप सिंह ने और पटकथा अरविंद तिवारी  नीरज – रणधीर की है.

फिल्म का ट्रेलर लिंक- 

55 की उम्र में भी कम नहीं हुआ गोविंदा का स्टाइल, आप भी कर सकते हैं फौलो

गोविंदा का स्टाइल इतना इम्प्रेसिव है कि लोग उन्हें फौलो करे बिना रह ही नहीं पाते फिर चाहे वे 15-20 साल के बच्चे हों या 40-50 साल के पुरूष. गोविंदा हर लेटेस्ट ट्रेंड को फौलो करते हैं तो आज हम आपको बताएंगे गोविंदा के कुछ ऐसे लुकस जिसे देख कर आपका मन खुद उन्हें फौलो करने को कर जाएगा.

फ्यूजन लुक…

 

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In Kolkata for #Ganpatipuja 🙂 #Ganeshchaturthi #kolkata #ganpatibappamoriyaa

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इस फ्यूजन लुक में गोविंदा ने ग्रीन कलर की शर्ट के ऊपर मैरून कलर का बेस कोट और साथ ही ब्लैक कलर का ट्राउसर पहना हुआ है. इस लुक की सबसे खास चीज़ है उनका यैल्लो कलर का मफ्लर जो उन्होनें इस आउटफिट के साथ कैरी किया हुआ है. आप भी गोविंदा ये फ्यूजन लुक अपने फैमिली फंक्शनस में ट्राय कर सकते हैं.

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हीरो नम्बर 1 लुक…

 

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Off to #London ✈️

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इस लुक में गोविंदा रेड कलर के कुर्ते के ऊपर रेड कलर का ही इंडो वेस्टर्न पहने दिखाई दे रहे है. इस लुक के साथ उन्होनें ब्लैक कलर का ट्राउयर और फोर्मल शूज पहन रखे हैं. इस लुक के साथ गोविंदा के फेस पर ब्लैक शेड्स काफी सूट कर रहे हैं. आप भी गोविंदा के इस लुक को किसी भी फंक्शन में ट्राय कर सबको इम्प्रेस कर सकते हैं.

मेन इन व्हाइट…

 

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New Month New Weeks New Plans! 📸: @shivamduaphotography Styling by Me😉

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इस वहाइट लुक में गोविंदा काफी कूल नजर आ रहे हैं. इस लुक में गोविंदा ने व्हाइट कलर की शर्ट के ऊपर व्हाइट कलर की जैकेट और व्हाइट कलर का ही ट्राउसर पहना हुआ है. कलरफुल कपड़े पहनने के अंदाज से मशहूर गोविंदा वहाइट सिंपल कपड़ों में भी कहर बरसा रहे हैं. इस लुक में गोविंदा ने शूज भी व्हाइट कलर के ही पहने हुए हैं. आप भी गोविंदा जैसा व्हाइट लुक अपने कौलेज और इंस्टीट्यूट में ट्राय कर सकते हैं.

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कैसुअल लुक…

 

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📸 : @shivamduaphotography

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इस कैसुअल लुक में गोविंदा ने ब्लैक कलर की स्वेट शर्ट और ब्लू कलर की जींस पहनी हुई है. इस लुक में गोविंदा किसी कौलेज गोइंग स्टूडेंट से कम नहीं लग रहे. ऊपर से उन्होनें इस लुक में ब्लू कलर के शेड्स पहन रखे हैं जो काफी फंकी लग रहे हैं. आप भी गोविंदा का ये कैसुअल लुक अपनी डेली रूटीन में ट्राय कर सकते हैं.

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