ललन सिंह को लोकसभा चुनाव में चुनौती देना बाहुबली विधायक अनंत सिंह यानी ‘छोटे सरकार’ को महंगा पड़ गया है. उन के पीछे पूरा सरकारी कुनबा पड़ गया है, जिस से उन की मुश्किलों का कोई अंत होता नहीं दिख रहा है.
साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के समय से ही नीतीश कुमार और अनंत सिंह के बीच ठनी हुई है. मोकामा से जब जनता दल (यूनाइटेड) ने अनंत सिंह को टिकट नहीं दिया तो उन्होंने 2 सितंबर, 2015 को जद (यू) से नाता तोड़ कर निर्दलीय चुनावी अखाड़े में कूद कर जद (यू) के उम्मीदवार नीरज कुमार को पटकनी दी थी. अनंत सिंह ने साल 2005 और साल 2010 का विधानसभा चुनाव जद (यू) के टिकट पर ही लड़ा और जीता था.
‘सरकार’ से पंगा लेना ‘छोटे सरकार’ को अब काफी महंगा पड़ने वाला है. उन के बाढ़ के लदमां के पुश्तैनी घर पर 16 अगस्त की सुबह 4 बजे पुलिस ने छापा मारा था. पुलिस को सूचना मिली थी कि विधायक और उन के समर्थक घर में छिपा कर रखे गए गैरकानूनी हथियारों को हटाने वाले हैं.
अनंत सिंह के घर की घेराबंदी कर छापामारी की गई. उन के घर से एक एके-47 रायफल, 2 हैंड ग्रैनेड और 26 कारतूस (7.62 एमएम) बरामद किए गए थे. एके-47 को प्लास्टिक के साथ कार्बन से पैक कर के रखा गया था.
कार्बन से पैक करने का मतलब है कि गाड़ी की जांच के दौरान एके-47 रायफल पुलिस और मैटल डिटैक्टर की पकड़ में नहीं आए.
घर के खपरैल वाले कमरे में संदूक के पीछे बड़ी ही चालाकी के साथ उसे छिपा कर रखा गया था. बरामद हैंड ग्रैनेड ऐक्सप्लोसिव-36 का है. एके-47 रायफल असैंबल की हुई?है.
पुलिस का मानना है कि जबलपुर और्डिनैंस फैक्टरी से एके-47 के पार्ट्स चोरी हुए थे. चोरों ने उसे मुंगेर में असैंबल किया था. छापामारी के बाद बाढ़ थाने में विधायक समेत कई अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया था.
अनंत सिंह और उन के गुरगों पर आर्म्स ऐक्ट, यूएपीए (अनलौफुल ऐक्टिविटीज प्रिवैंशन ऐक्ट) और विस्फोटक पदार्थ ऐक्ट की धाराएं लगाई गई हैं.
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यूएपीए साल 1967 में बना था. इस ऐक्ट की धारा 13 का आरोपित आरोपपत्र के 180 दिनों तक नजरबंद और 30 दिनों तक पुलिस की हिरासत में रखा जा सकता है. प्रतिबंधित हथियारों को रखने, इस्तेमाल करने और एक जगह से दूसरी जगह ले जाने वाले के खिलाफ इस ऐक्ट का इस्तेमाल किया जाता है.
इसी साल जुलाई माह में इस ऐक्ट की कई धाराओं में संशोधन किया गया है, जिस के तहत किसी को आतंकवादी भी करार दिया जा सकता है.
अनंत सिंह का कहना है कि उन्हें बेवजह परेशान करने की नीयत से यह छापेमारी की गई है. जिस घर में छापा मारा गया है, वहां कोई नहीं रहता है. पुलिस ने उन्हें फंसाने के लिए उन के घर में एके-47 रायफल रख दी है. सरकार के इशारे पर उन के पुश्तैनी घर को तोड़ा जा रहा है. बिना किसी कुर्की और वारंट के घर को खोदा जा रहा है.
गौरतलब है कि कुख्यात भोला सिंह और उस के भाई मुकेश सिंह की हत्या की साजिश रचने के मामले की एक आडियो क्लिप पुलिस के हाथ लगी थी. उस में अनंत सिंह बड़े और कुछ छोटे हथियारों के बारे में बात कर रहे थे. आडियो को सुनने के बाद से ही पुलिस हथियारों की खोज में लगी हुई थी.
आडियो क्लिप में इस बात का भी जिक्र है कि एके-47 रायफल भोला सिंह और उस के भाई की हत्या के लिए मंगाई गई थी.
आडियो क्लिप पुलिस के हाथ लगने के बाद ही अनंत सिंह और उन के गुरगे सतर्क हो गए थे और हथियारों को छिपा कर रख दिया था. आडियो की आवाज से अनंत सिंह की आवाज का मिलान करने के लिए पुलिस उन की आवाज भी रैकौर्ड करा चुकी है.
17 अगस्त को पुलिस ने अनंत सिंह की गिरफ्तारी के लिए कोर्ट में अर्जी दी. उन पर यूएपीए की धारा-13, विस्फोटक ऐक्ट 3/4, आर्म्स ऐक्ट की धारा-25 (1-ए), 25 (1-एए), 25 (1-बी), 26/35 के अलावा आईपीसी की धारा 414, 120 बी के तहत बाढ़ थाने में केस दर्ज किया गया है.
बाढ़ थाने के थानेदार संजीत कुमार के बयान पर केस दर्ज किया गया है. केस का आईओ एएसपी लिपि सिंह को बनाया गया है. पुलिस ने अनंत सिंह के पुश्तैनी गांव के मकान के केयरटेकर सुनील राम को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
अनंत सिंह पर पहले से ही बिहार और झारखंड के अलगअलग थानों में 53 आपराधिक मामले दर्ज हैं. इन में हत्या, हत्या की कोशिश, हत्या के लिए अपहरण, गैरकानूनी तरीके से हथियार और विस्फोटक सामान रखने के मामले शामिल हैं.
साल 2015 में जब नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिल कर सरकार बनाई थी तो उस समय भी अनंत सिंह को सरकारी आफत का सामना करना पड़ा था. उस समय उन्हें जेल की सलाखों के पीछे भेजना राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की बहुत बड़ी सियासी चाल थी. अनंत सिंह को गिरफ्तार करा कर लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार से कई सालों पुराना बदला भी साध लिया था.
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साल 2005 में सत्ता में आने के बाद नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के करीबी बाहुबली नेता शहाबुद्दीन को जेल में ठूंस दिया था. शहाबुद्दीन आज तक जेल से बाहर नहीं निकल सके हैं.
17 जून, 2015 को बाढ़ में 4 लड़कों के अपहरण और उन में से एक पवन यादव उर्फ पुटुस यादव की हत्या के मामले में अनंत सिंह 24 जून को जेल में ठूंस दिए गए थे. उस समय भी उन के घर की छापेमारी में इंसास रायफल की 6 मैगजीन, खून से सने कपड़े, बुलेटप्रूफ जैकेट वगैरह सामान बरामद किया गया था.
साल 2004 में जब एसटीएफ ने अनंत सिंह के गांव लदमां में छापा मारा था तो इन के गुरगों ने गोलीबारी शुरू कर दी थी, जिस में एसटीएफ के एक जवान की मौत हो गई थी. उस समय भी पुलिस ने अनंत सिंह के घर से ढेर सारे हथियार, कारतूस और गोलाबारूद बरामद किया था.
गौरतलब है कि अनंत सिंह के पनपने में नीतीश कुमार का बहुत बड़ा हाथ रहा है. वे नीतीश कुमार के लिए भीड़ और वोट जुटाने का काम करते थे और चुनाव में हर तरह से मदद करते थे. पर अब मामला उलट गया है.
पर याद रहे कि भूमिहार जाति से ताल्लुक रखने वाले अनंत सिंह की अपनी जाति और अपने चुनाव क्षेत्र मोकामा में रौबिनहुड जैसी इमेज है. नीतीश कुमार को अगामी चुनावी में भूमिहार वोट का नुकसान हो सकता है.
गौरतलब है कि राज्य में भूमिहारों के 2.9 फीसदी वोट हैं. जमीन के मामले में मजबूत और दबंग भूमिहार जाति के बीच नीतीश कुमार को ले कर काफी नाराजगी है.
‘मगहिया डौन’ और मोकामा
पटना शहर से 90 किलोमीटर दूर बसी मोकामा नगरपालिका पटना जिले में ही आती है. 57 साल के बाहुबली नेता अनंत सिंह 3 बार मोकामा के विधायक रह चुके हैं. साल 2005 में पहली बार उन्होंने जद (यू) के टिकट से मोकामा विधानसभा सीट से चुनाव जीता था. साल 2010 में हुए विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की थी. उस के बाद साल 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने जद (यू) से नाता तोड़ कर निर्दलीय चुनाव लड़ा था और जद (यू) के उम्मीदवार नीरज कुमार को हराया था.
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मर्सडीज बैंज कार और बग्घी के शौकीन अनंत सिंह ‘मगहिया डौन’ के नाम से भी जाने जाते हैं. उन का दावा है कि वे अपने क्षेत्र में 10,000 से ज्यादा गरीब लड़कियों की शादी करा चुके हैं.