भोजपुरी फिल्म में सपना दिखाएंगी हुस्न और अदाकारी के जलवे

बिहार, यूपी के साथसाथ नेपाल के सिनेमाघरों में भोजपुरी सिनेमा का क्रेज आज भी कम नहीं. यों भी ठेठ देशी अंदाज में देशी ठुमके लगाती भोजपुरी फिल्मों की नायिका जब रुपहले परदे पर आइटम सौंग करती हैं तो दर्शक खुद भी ठुमके लगाने से खुद को रोक नहीं पाते.

कुल्हङ में चाय पीने जैसा आनंद देती हैं भोजपुरी फिल्में…

वैसे, भोजपुरी सिनेमा को ले कर अकसर यह कहा जाता है कि इस की ज्यादातर फिल्में वल्गर होती हैं और फिल्मों में डबल मीनिंग यानी द्विअर्थी संवाद बोल कर दर्शकों का सस्ता मनोरंजन किया जाता है, जबकि हकीकत तो यही है कि इन सब के बावजूद भोजपुरी फिल्म कुल्हङ में चाय पीने जैसा आनंद देती है और शायद तभी इस की लगभग फिल्में बौक्स औफिस पर खूब पैसा बनाती हैं.

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जम कर नाचने वाली हैं सपना गिल…

खबर है कि अपनी शोख अदाओं से दर्शकों को दीवाना बनाने वाली हौट गर्ल सपना गिल फिल्म ‘बंसी बिरजू’ में दर्शकों का दिल लूटने आ रही हैं. निर्माणाधीन फिल्म ‘बंसी बिरजू’ में बतौर नायिका वे अपनी अदा और हुस्न का ऐसा जलवा दर्शकों को दिखाएंगी कि दर्शक दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाएंगे. इस फिल्म के कई गानों में वे जम कर नाचने वाली हैं.

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वर्ल्डवाइड चैनल व जितेन्द्र गुलाटी प्रस्तुत फिल्म ‘बंसी बिरजू’ में नायक प्रवेशलाल यादव और आदित्य ओझा हैं. इस फिल्म की नायिका सपना गिल और चांदनी सिंह हैं. निर्देशक हैं अजय झा.

फेस्टिव सीजन में ट्राय करें सिद्धार्थ मल्होत्रा के ये लुक्स

फिल्म “स्टूडेंट औफ द ईयर” से अपने एक्टिंग करियर की शुरूआत करने वाले सिद्धार्थ मल्होत्रा इन दिनों कामयाबी के शिखर पर हैं. उनकी चार्मिंग पर्सनैलिटी ने उनके फैंस की नींदे उड़ाई हुई हैं और खास तौर पर उनकी पर्सनैलिटी लड़कियों के बीच काफी पौपुलर है. उनकी इस डैशिंग पर्सनैलिटी का एक खास कारण है उनका ट्रैंडी फैशन. सिद्धार्थ लेटेस्ट ट्रेंड से हमेशा अप्डेटिड रहते हैं और सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज फैंस के साथ शेयर करते रहते हैं तो आइए हम आपको दिखाते हैं सिद्धार्थ मल्होत्रा के कुछ ऐसे लुक्स जिसे आपको अपनी रूटीन में जरूर ट्राय करना चाहिए.

फेस्टिव लुक…

 

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Festive vibes ✨ #Navratri Stylist- @nikitajaisinghani Photography- @rohit_bhatkar

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जैसा कि आप सब जानते हैं कि त्योहारों का सिलसिला शुरू हो गया है और अब एक के बाद एक त्योहार मनाने की बारी आ गई है. इसी के चलते सिद्धार्थ मल्होत्रा ने अपना एक फेस्टिव लुक हम सब के साथ शेयर किया है जिसमें उन्होने ग्रीन कलर के इंडो वेस्टर्न के साथ व्हाइट कलर की पयजामी पहन रखी है. उनके इंडो वेस्टर्न पर लगा ब्रोच इस लुक पर चार चांद लगा रहा है. इस लुक को आप गरबा नाइट या किसी भी फैमिली फंक्शन में ट्राय कर सकते हैं.

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कैसुअल पार्टी लुक…

 

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Good vibes rolling! #MarjaavaanTrailerLaunch

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कई बार हमें समझ नहीं आता कि छोटी-मोटी पार्टीज या कैसुअल पार्टीज में हमें कैसे पहड़े पहनने चाहिए जिससे की हम बाकियों से अलग और कूल दिख सकें तो उन पार्टीज के लिए आप सिद्धार्थ मल्होत्रा का ये लुक ट्राय कर सकते हैं जिसमें उन्होनें व्हाइट कलर की राउंड नैक टी-शर्ट के ऊपर प्रिंटेड शर्ट और साथ ही वहाइट कलर का ट्राउसर पहना हुआ है. इस लुक के साथ सिद्धार्थ ने व्हाइट कलर के ही शूज पहने हुए हैं जो कि काफी कूल नजर आ रहे हैं.

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ट्रेंडी लुक…

 

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#KoiKahaniShuruTohKar

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आज कल हर कोई लेटेस्ट ट्रेंड की भागदौड़ में लगा हुआ है और इसी के साथ सिद्धार्थ मल्होत्रा का एक ट्रेंडी लुक सामने आया है जिसमें वे काफी डैशिंग नजर आ रहे हैं. इस ट्रेंडी लुक में सिद्धार्थ ने ब्लैक कलर की प्लेन टी-शर्ट के ऊपर ग्रीन कलर की जैकेट और साथ ही आर्मी कलर का ट्राउसर पहना हुआ है. आप ये लुक अपने कौलेज और इंस्टीट्यूट में ट्राय कर अपने क्रश को इम्प्रेस कर सकते हैं.

जेंटलमैन लुक…

 

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#AGentleman in delhi , releasing this Friday 25th Aug !

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कई लडकियों को फंकी लुक से ज्यादा जेंटलमैन लुक वाले लड़के पसंद आते हैं तो अगर आपको लगता है कि आप अपने जेंटलमैन लुक से अपनी क्रश को इम्प्रेस करने में कामयाब हो सकते हैं तो जरूर ट्राय करें सिद्धार्थ का ये लुक. इस लुक में ब्लैक कलर की प्लेन टी-शर्ट के ऊपर ग्रे कलर का ब्लेजर और साथ ही ग्रे कलर का ट्राउसर पहना हुआ है. इस लुक को आप सेमी-फोर्मल लुक भी कह सकते हैं.

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खुद का कत्ल, खुद ही कातिल: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- खुद का कत्ल, खुद ही कातिल: भाग 1

भोपाल में जब उस के घर पुलिस गई तो वह नदारद मिला. इस से सारी दाल काली नजर आने लगी. राजेश की आत्महत्या का राज अब कोई खोल सकता था तो वह निहाल था, बशर्ते वह जिंदा हो. पुलिस को एक आशंका यह थी कि कहीं मृतक निहाल ही न हो.

इसी दौरान एक महत्त्वपूर्ण सुराग पुलिस के हाथ यह लगा कि राजेश जिंदा है और अपने नजदीकी दोस्तों को फोन कर पैसे उधार मांग रहा है. इस से मामले में सस्पेंस और बढ़ने लगा. राजेश के एक साथी नामी बदमाश ने पुलिस को बताया था कि राजेश ने उस से फोन पर 60 हजार रुपए मांगे थे. इस से यह बात तो साफ हुई कि लाश उस राजेश परमार की नहीं थी जिस ने खुदकुशी की थी या फिर जिस की हत्या हुई थी.

काररवाई आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने निहाल के मोबाइल की पड़ताल की तो उस की लोकेशन गुजरात के अहमदाबाद की मिली. निहाल को दबोचने के लिए इतना काफी था. पुलिस ने गुजरात जा कर उसे पकड़ा तो उसने कोई हीलाहवाली न कर हकीकत बता दी. जिसे सुन पुलिस वाले हैरान रह गए कि राजेश कितना शातिर दिमाग अपराधी है.

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क्राइम सीरियल देख बनाई योजना

कहानी अब शीशे की तरह साफ थी कि राजेश ने क्राइम सीरियल देख कर योजना बना ली थी कि वह भी अपनी कदकाठी के किसी आदमी को ढूंढ कर उस की हत्या को आत्महत्या का रूप दे देगा.  इस बाबत उसने निहाल से बात की तो पहले तो निहाल साथ देने से मुकर गया लेकिन जैसे ही राजेश ने उसे एक लाख रुपए देने का लालच दिया तो वह तैयार हो गया.

ऐसा आदमी कहां मिल सकता है जिस की कद काठी राजेश जैसी हो और जिसे जल्द से जल्द आसानी से मारा जा सके. इस सवाल का जवाब ढूंढने के लिए इन दोनों को जहमत नहीं उठानी पड़ी. उन्होंने कहा कि ऐसा आदमी सिर्फ एक ही जगह मिल सकता है और वह है शराब का ठेका.

लिहाजा दोनों 28 जून को भोपाल के शराब ठेकों की खाक छानने निकल पड़े. कुछ ठेके घूमने के बाद आखिरकार उन्हें शिकार मिल ही गया. गोविंदपुरा के प्रभात पेट्रोल पंप की कलारी पर उन्हें ठीक वैसा ही आदमी शराब पीते दिख गया जैसा उन्हें चाहिए था.

शराब के अड्डे की एक खूबी यह होती है कि वहां किसी से जानपहचान करने के लिए किसी औपचारिकता की जरूरत नहीं पड़ती. बस पास बैठ कर गला तर करना भर काफी होता है. राजेश और निहाल दोनों उस शख्स के पास जा कर शराब पीने लगे और देखते ही देखते शख्स से उन की गहरी दोस्ती हो गई, जिसे कुछ देर पहले तक वे जानते भी नहीं थे. तीनों ऐसे मिले जैसे फिल्मों में कुंभ के मेले में बिछड़े भाई मिलते हैं.

बातों ही बातों में पता चला कि उस शख्स का नाम राजू रैकवार है. बातों ही बातों में राजेश ने उसे क्रेशर पर नौकरी लगवाने का झांसा दिया तो वह झट तैयार हो गया जिस की वजह नशे में होने के साथ तगड़ी पगार का लालच भी था. शिकार ने दाना चुग लिया तो इन दोनों ने फौरन उसे हलाल करने का प्लान बना डाला. राजू उन के साथ नौकरी की बात करने साथ चल पड़ा.

राजेश और निहाल राजू को किसी कीमती सामान की तरह संभाल कर रातीबड़ स्थित घर ले आए. रास्ते में उन्होंने बाइक में एक हजार रुपए का पेट्रोल डलवाया और शराब भी और खरीद ली, जिस से राजू ज्यादा हाथ पांव न मार पाए.

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सब कुछ योजना के मुताबिक हो रहा था. राजू की मौत में राजेश को अपनी जिंदगी और निहाल को एक लाख रुपए के रंगबिरंगे नोट दिख रहे थे. अपने अंजाम से बेखबर राजू को भी अच्छी पगार वाली नौकरी दिख रही थी.

दोनों ने घर पर राजू को छक कर शराब पिलाई. राजू भी अपनी मौत से बेपरवाह मुफ्त की दारू के लालच में आ गया. जब वह पी कर लुढ़क गया तो दोनों ने गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद राजेश ने सुसाइड नोट लिखा और फिल्मी स्टाइल में राजू को जला दिया. जलाने के लिए 10 लीटर से ज्यादा पैट्रोल का इस्तेमाल किया गया था. राजू को वे दोनों बेहोशी की हालत में पैट्रोल स्नान करवा चुके थे.

इस तरह राजू रैकवार, राजेश परमार बन कर मर गया. वारदात को अंजाम देने के बाद दोनों अपनेअपने रास्ते हो लिए. राजेश ने अपना मोबाइल फोन घर पर ही छोड़ दिया था जिस से पुलिस शक न करे. बातचीत करने के लिए निहाल ने उसे अपनी एक पुरानी सिम दे दी थी, खुद निहाल भी बतौर अहतियात अहमदाबाद चला गया.

धरी रह गई सारी होशियारी

अब पुलिस के पास करने को यही रह गया था कि वह राजेश को गिरफ्तार कर ले. पूछताछ में निहाल ने बताया कि वह इटारसी होते हुए दक्षिण भारत भागा है. राजेश को पकड़ने के लिए पुलिस ने निहाल को ही मोहरा बनाया. निहाल ने राजेश को फोन किया तो पता चला कि वह इधर से उधर भाग रहा है.

इस पर पुलिस के निर्देश पर निहाल ने उस से कहा कि वह चेन्नई रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां उस का एक दोस्त रिसीव कर लेगा. राजेश की चालाकी धरी रह गई. उसे इल्म तक नहीं हुआ था कि निहाल पुलिस के हत्थे चढ़ चुका है और अब उस की बारी है. अब तक वह नागपुर, बंगलुरु, चैलपट्टनम और वेल्लौर सहित चैन्नई तक भागता रहा था.

7 जुलाई को सुनील भदौरिया और एएसपी कर्मवीर सिंह चैन्नई पहुंच गए. कहीं राजेश उन्हें पहचान न ले इसलिए उन्होंने साउथ इंडियन गेटअप धारण कर लिया था. जब राजेश चैन्नई रेलवे स्टेशन पर पहुंचा तो कर्मवीर सिंह उस से निहाल का दोस्त बन कर मिले. जैसे ही वह उन की कार में बैठा चैन्नई क्राइम ब्रांच के कर्मचारियों की सहायता से राजेश को गिरफ्तार कर लिया गया.

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इस तरह राजेश की कहानी बड़े दिलचस्प से तरीके से खत्म हुई जिस से उसे कोई खास फर्क नहीं पड़ना क्योंकि आजीवन सजा तो वह अंकित की हत्या के आरोप में भुगत रहा था अब उस पर एक कत्ल का इलजाम और लग गया था. निहाल भी उस के साथ जेल में है और तय है दोनों अपनी साजिशी स्कीम की चूक पर झींक रहे होंगे जो जल्दबाजी में उन्होंने की थी.

राजू रैकवार के बारे में भी तुरंत पता चल गया कि उस की गुमशुदगी की रिपोर्ट उस की पत्नी ने गोविंदपुरा थाने में लिखाई थी. राजू 26 जून, 2019 को अपनी पत्नी से मंदिर जाने की बात कह कर निकला था लेकिन सीधे मौत के मुंह में पहुंच गया था. गोविंदपुरा के जनता क्वार्टर्स में रहने वाले राजू के घर अब मातम पसरा है उस के पिता भैयालाल रैकवार को बेटे द्वारा हत्या किए जाने की बात पर यकीन नहीं हो पा रहा है.

राजू के घरवालों ने उन चप्पलों की पहचान की जो वह घटना वाले दिन पहन कर घर से निकला था. ये चप्पलें राजेश के घर के बाहर मिलीं लेकिन राजेश ने दूसरी बड़ी गलती राजू को गला दबा कर मारने की की थी, जिस के चलते उस पर शक गहराया और फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद यकीन में बदल गया.

अगर वह राजू को सीधे जला कर मारता और राजू की चप्पलें भी गायब कर देता तो शायद यह मौत राजेश परमार की ही मानी जाती, जो अंजू को दूर कहीं ले जा कर शादी कर लेता और सच का किसी को पता भी नहीं चलता. लेकिन यह बात बेवजह नहीं कही जाती कि अपराधी कितना भी शातिर और चालाक क्यों न हो, अपने पीछे कोई सुराग या सबूत छोड़ ही जाता है.

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कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

बापू की 150वीं वर्षगांठ में खूब किए गए आयोजन, लेकिन क्या गांधी के सपनों का भारत बन पाया?

”नमस्कार मैं भारत कुमार. हां कभी मुझे सोने की चिड़िया कहा जाता था पर अब नहीं रहा. पहले मुझे गांधी, नेहरू, पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान शक्सियतों से पहचान मिलती थी लेकिन कमबख्त अब मुझे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे गोडसे से भी पहचान मिल गई है. 2 अक्टूबर को हिंदुस्तान की आजादी के नायक महात्मा गांधी का 150वां जन्मदिन बनाया गया है. इसी दिन सोशल मीडिया के रणबांकुरे गांधी के हत्यारे को अमर कर रहे थे.

इतना ही नहीं टौप ट्रेडिंग में गोडसे अमर रहे था. उस दिन मैं समझ गया कि अब मेरी पहचान बदल गई है. अब मेरी पहचान गोडसे अमर रहे से हो रही है जोकि कभी नहीं होना चाहिए था. मुझे अंग्रेजों की हुकूमत से आजाद करने वाले नायक के हत्यारे से जाना जाए ऐसा नहीं होना चाहिए. आज मैं व्यथित हूं लेकिन कुछ कर नहीं सकता. बस इंतजार है और भरोसा है कि एक दिन ये सब कुछ जरूर बदलेगा…”

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गांधी जयंती के दिन देश भर में  बड़े-बड़े आयोजन किए गए. करोड़ों रूपये की आहूति दे दी गई वो भी ऐसे दौर में जब देश आर्थिक मंदी से जूझ रहा है. हालांकि सरकार इस बात को सिरे से नकारती आई है कि इस देश में किसी भी प्रकार की मंदी है लेकिन ग्रोथ रेट तो यही दर्शाता है. कांग्रेस और बीजेपी दोनों महात्मा गांधी के नाम का इस्तेमाल कर राजनीति चमकाने की कोशिश में जुटे हुए हैं.

2 अक्टूबर के दिन दो दोनों में जुबानी जंग भी छिड़ गई. कोई पदयात्रा निकाल रहा है तो कोई मंचों से भाषणबाजी कर रहा है लेकिन कोई भी बापू के सपनों का भारत नहीं बना रहा है. गांधी जी के भारत में हिंदू-मुसलमानों की बात नहीं होती थी. गांधी के भारत में मौब लिंचिंग शब्द नहीं होता था. लेकिन अब सब हो रहा है. भले ही भारी-भरकम आयोजन कर के गांधी जी की 150वीं वर्षगांठ बनाने की कवायद की जा रही हो लेकिन ये तब तक सार्थक नहीं होगी जब तक गांधी के सपनों का भारत नहीं बनेगा.

पीएम मोदी ने स्मारक टिकटों और 40 ग्राम शुद्ध चांदी के सिक्के को महात्मा गांधी को समर्पित किया. इस टिकट और सिक्के को 15वीं गांधी जयंती पर बापू को समर्पित किया गया है. इस दौरान पीएम मोदी ने भारत को खुले में शौच मुक्त बनाने में योगदान देने वाले स्वच्छाग्रहियों को सम्मानित किया गया.पीएम मोदी ने कहा कि बापू की जयंती का उत्सव तो पूरी दुनिया मना रही है.

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कुछ दिन पहले संयुक्त राष्ट्र ने डाक टिकट जारी कर इस विशेष अवसर को यादगार बनाया और आज यहां भी डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया है. मैं आज बापू की धरती से, उनकी प्रेरणा स्थली, संकल्प स्थली से पूरे विश्व को बधाई देता हूं, शुभकामनाएं देता हूं. यहां आने से पहले मैं साबरमती आश्रम गया था. अपने जीवन काल में मुझे वहां अनेक बार जाने का अवसर मिला है. हर बार मुझे वहां पूज्य बापू के सानिध्य का ऐहसास हुआ लेकिन आज मुझे वहां एक नई ऊर्जा भी मिली.

अब हम यहां पर कुछ बात कर लेते हैं अर्थव्यवस्था की जिसका कोई जिक्र नहीं हो रहा है…

साल 2019-20 की पहली तिमाही के आंकड़े जारी किये गए हैं. जिनके अनुसार आर्थिक विकास दर 5 फीसदी रह गई है. बीते वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही के दौरान विकास दर 8 प्रतिशत थी. वहीं पिछले वित्तीय साल की आखिरी तिमाही में ये विकास दर 5.8 प्रतिशत थी. अर्थशास्त्री विवेक कौल के अनुसार यह पिछली 25 तिमाहियों में सबसे धीमा तिमाही विकास रहा और ये मोदी सरकार के दौर के दौरान की सबसे कम वृद्धि है.

विशेषज्ञ कहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था में तरक्की की रफ्तार धीमी हो रही है. ऐसा पिछले तीन साल से हो रहा है.उनका कहना है कि उद्योगों के बहुत से सेक्टर में विकास की दर कई साल में सबसे निचले स्तर तक पहुंच गई है. देश मंदी की तरफ़ बढ़ रहा है. लेकिन सरकार को इससे कोई फर्क है ही नहीं. तभी तो सरकार ने हाउडी मोदी कार्यक्रम में आंख बंद कर खूब पैचे खर्च किए.

नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार के अनुसार जून में ख़त्म होने वाली साल की पहली तिमाही में विकास दर में गिरावट से ये मतलब नहीं निकलना चाहिए कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी का शिकार हो गयी है. वो कहते हैं, “भारत में धीमी गति से विकास के कई कारण हैं जिनमे दुनिया की सभी अर्थव्यवस्था में आयी सुस्ती एक बड़ा कारण है.” वो सरकार के हिस्सा हैं तो ऐसी बातें तो करेंगे ही. लेकिन सच छिपता नहीं है. आज हर सेक्टर में सुस्ती देखी जा रही है.

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पश्चिमी देशों में इसे हल्की मंदी करार देते हैं. साल-दर-साल आधार पर आर्थिक विकास में पूर्ण गिरावट हो तो इसे गंभीर मंदी कहा जा सकता है. इससे भी बड़ी मंदी होती है डिप्रेशन, यानी सालों तक नकारात्मक विकास. अमरीकी अर्थव्यवस्था में 1930 के दशक में सबसे बड़ा संकट आया था जिसे आज डिप्रेशन के रूप में याद किया जाता है. डिप्रेशन में महंगाई, बेरोज़गारी और ग़रीबी अपने चरम सीमा पर होती है.

साल 2008-09 में वैश्विक मंदी आयी थी. उस समय भारत की अर्थव्यवस्था 3.1 प्रतिशत के दर से बढ़ी थी जो उसके पहले के सालों की तुलना में कम थी लेकिन विवेक कॉल के अनुसार भारत उस समय भी मंदी का शिकार नहीं हुआ था.

मेरे पति को पिछले कुछ समय से कमर से ले कर गरदन तक दर्द रहता है, सही इलाज बताएं?

सवाल-

मेरे पति को पिछले कुछ समय से कमर से ले कर गरदन तक दर्द रहता है. सही इलाज बताएं?

जवाब-

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आज के समय में पीठ और गरदन में दर्द होना बहुत ही सामान्य सी समस्या हो गई है. अगर आप का पीठ दर्द बहुत गंभीर है और आराम करने के बाद भी कम नहीं हो रहा है, यह फैल कर एक या दोनों पैरों में पहुंच चुका है, खासतौर पर अगर यह दर्द घुटनों से नीचे पहुंच जाए, कमजोरी लाए, एक या दोनों पैरों को सुन्न कर दे या उन में अजीब सी सिहरन हो, अचानक आप का वजन भी कम होने लगे, तो आप डाक्टर को फौरन दिखाएं. डाक्टर आप के दर्द का इलाज शुरू करने से पहले एमआरआई स्कैन करा सकता है.

खेसारी लाल यादव की ‘‘भाग खेसारी भाग’’ का फर्स्ट लुक लौंच

‘जे पी स्टार पिक्चर्स’ के बैनर तले बन रही निर्माता उमाशंकर प्रसाद और निर्देशक प्रेमांशु सिंह द्वारा निर्देशित खेसारी लाल यादव और स्मृति सिन्हा की भोजपुरी फिल्म  ‘भाग खेसारी भाग’ का फर्स्ट लुक बाजार में आते ही चर्चा का केंद्र बन गया है. जबकि फिल्म के पोस्टर खेसारी लाल यादव का चेहरा नहीं दिखाया गया है, बल्कि वह भागते हुए नजर आ रहे हैं. यह फर्स्ट  लुक ‘‘याशी फिल्म्स म्यूजिक’’ कंपनी द्वारा लौंच किया गया है.

उमाशंकर प्रसाद कर रहे हैं बदलाव की कोशिश…

बहुत पुरानी कहावत है कि बदलाव कोई नया आदमी ही करता है. तो अब अपनी पहली फिल्म ‘‘भाग खेसारी भाग’’ के साथ ही निर्माता उमाशंकर प्रसाद भोजपुरी सिनेमा में बहुत बड़ा बदलाव लाने का प्रयास कर रहे हैं. यह बात फिल्म के पहले पोस्टर से ही नजर आ रही है. इस फिल्म में एक साथ खेसारी लाल यादव, स्मृति सिन्हा और निर्देशक प्रेमांशु सिंह की सुपरहिट रही तिकड़ी एक बार फिर इतिहास रचने वाली है.

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खेसारी लाल के साथ स्मृति सिन्हा भी आएंगी नजर…

खेसारी लाल और स्मृति की सुपर हिट जोड़ी फिर से बहुत दिनों बाद इस फिल्म से रिपीट हो रही है. फिल्म ‘‘भाग खेसारी भाग’’ के एसोसिएट प्रोड्यूसर आयुश राज गुप्ता, लेखक मनोज कुशवाहा, संगीतकार ओम झा, कैमरामैन सरफराज खान, नृत्य निर्देषक राम देवन, रिक्की गुप्ता, मारधाड़ हीरालाल यादव, कला शेरा का है.

मुख्य भूमिका में खेसारीलाल यादव, स्मृति सिन्हा, अमित शुक्ला, अयाज खान, संजय वर्मा,अर्जुन यादव, राहुल शाहू, प्रीतम कुमार, अविनाश मधुकर, अमित सिंह, सत्य प्रकाश सिंह आदि हैं.

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वर्कआउट के दौरान इस एक्ट्रेस ने पार की हौटनेस की सारी हदें, वीडियो वायरल

शर्लिन चोपड़ा भारतीय टेलीविजन की अब तक की सबसे हौट अभिनेत्रियों में से एक हैं. अभिनेत्री को उनके बोल्ड और बदमाश रवैये के लिए जाना जाता है, जो निश्चित रूप से उन्हें शहर के सबसे वांछित व्यक्तित्वों में से एक बनाता है. उनके दृष्टिकोण और उनके व्यक्तित्व के अलावा, शर्लिन के बारे में एक और बात है जो उसे इतना वांछनीय बनाती है और वह है उसका शरीर!

हौट फोटोज से भरपूर है शर्लिन का इंस्टाग्राम…

शर्लिन का इंस्टाग्राम उनके निर्दोष शरीर को इतनी सहजता से भर रहा है कि वह हर किसी को आश्चर्य में छोड़ देता है. खैर, इस तरह का शरीर रातोंरात हासिल नहीं किया जाता है.

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वर्कआउट वीडियो…

शर्लिन ने इसे मेहनत व पसीना बहाकर पाया है. इसका सबूत उनका वर्कआउट वीडियो है, जो कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. अपने फिटनेस मंत्र के बारे में बात करते हुए, अभिनेत्री कुछ और करने से पहले जिम में ‘पसीना बहाने’ में विश्वास करती है.

 

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शर्लिन ने अपने वर्कआउट का खुलासा करते हुए कहती हैं- ‘‘मैं भारी वजन उठाती हूं क्योंकि मैं अपनी मांसपेशियों का निर्माण करना पसंद करती हूं ताकि मांसपेशियों को देखा जा सके.”

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जहां तक अभिनय का सवाल है तो शर्लिन एक नए रैप एल्बम पर काम कर रही हैं. उनका पिछला एलबम ‘कटार’ को जबरदस्त सफलता मिली थी. शर्लिन बहुत जल्द अपनी वेब सीरीज भी लौन्च करने वाली हैं.

चावल घोटाले की पकती खिचड़ी

अब तक रामदास एग्रो इंडस्ट्री के पुरुषोत्तम जैन, प्रीति राइस मिल के पंकज कुमार, मौडर्न राइस मिल के राजेश लाल और पावापुरी राइस मिल के दिनेश गुप्ता की तकरीबन 8 करोड़ की जायदाद जब्त की जा चुकी है.

बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम हर साल चावल मिलों को चावल निकालने के लिए सरकारी धान देता है. निगम द्वारा दिए गए कुल धान से निकलने वाले चावल का 67 फीसदी चावल निगम को लौटाना होता है. आरोपी मिल मालिकों ने निगम को चावल नहीं लौटाया और खुले बाजार में उसे बेच दिया.

बिहार में चावल मिल मालिकों की धांधली पर रोक लगाने में सरकार नाकाम रही है. पिछले 5 सालों से चावल मिल मालिकों के पास बिहार राज्य खाद्य निगम के 1,200 करोड़ रुपए बकाया हैं. राज्य में 1,300 चावल मिलें ऐसी हैं, जिन्होंने धान ले कर सरकार को चावल नहीं लौटाया, इस के बाद भी धान कुटाई के लिए उन मिलों को दोबारा धान दिया जा रहा है.

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गौरतलब है कि पटना की 64 चावल मिलों पर 55.61, नालंदा की 84 मिलों पर 55.34, सीतामढ़ी की 52 मिलों पर 55.83, मुजफ्फरपुर की 33 मिलों पर 66.51, भोजपुर की 90 मिलों पर 72.05, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण की 153 मिलों पर 63, बक्सर की 152 मिलों पर 101, औरंगाबाद की 207 मिलों पर 62.15, कैमूर की 357 मिलों पर 220, रोहतास की 191 मिलों पर 111, गया की 49 मिलों पर 40, वैशाली की 25 मिलों पर 23.66, दरभंगा की 34 मिलों पर 39.83, शिवहर की 8 मिलों पर 17.78, नवादा की 23 मिलों पर 20.48 करोड़ रुपए की रकम बकाया है.

इस के अलावा सिवान, अरवल, शेखपुरा, मधुबनी, सारण, समस्तीपुर, लखीसराय,  गोपालगंज वगैरह जिलों की सैकड़ों छोटीमोटी चावल मिलों पर तकरीबन 90 करोड़ रुपए बकाया हैं.

चावल घोटाले का यह खेल पिछले 8 सालों से चल रहा था. साल 2011-12 में राज्य खाद्य निगम ने 17 लाख, 6 हजार टन धान किसानों से खरीदा था. सारा धान चावल मिलों को दे दिया गया था. चावल मिलों से 14 लाख, 47 हजार टन चावल सरकार को मिलना था, पर उन्होंने केवल 8 लाख, 56 हजार टन चावल ही लौटाया है. बाकी चावल चावल मिलों ने आज तक नहीं लौटाया. उस चावल की कीमत 1,200 करोड़ रुपए है.

बिहार महालेखाकार ने पिछले साल की अपनी रिपोर्ट में कहा था कि धान को ले कर मिलरों ने सरकार को 434 करोड़ रुपए का चूना लगाया है. इस के बाद भी राइस मिल मालिकों पर कानूनी नकेल कसने में सरकार पता नहीं क्यों सुस्त रही?

बिहार राज्य खाद्य निगम के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, केवल 50 हजार रुपए की गारंटी रकम पर ही 3 से 6 करोड़ रुपए के धान चावल मिलों को सौंप दिए जाते रहे.

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चावल मिलों को धान देने के बारे में नियम यह है कि भारतीय खाद्य निगम मिलों से एग्रीमैंट करता है, जिस के तहत मिलर पहले निगम को 67 फीसदी चावल देते हैं, जिस के बदले में उन्हें रसीद मिलती है. उस रसीद को दिखाने के बाद ही निगम द्वारा मिलों को 100 फीसदी धान दिया जाता है. इस मामले में हेराफेरी के बाद भी राइस मिलों को सरकारी धान कुटाई के लिए मिलता रहा और वे घोटाले का खेल साल दर साल खेलते रहे

चावल घोटाले के मामले में 1,300 बड़े बकायादार मिल मालिकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है. गौरतलब है कि पिछले 5 सालों से चावल मिलों के मालिक 1,342 करोड़ रुपए बकाया देने में टालमटोल करते रहे हैं.

मेरी उम्र 40 साल है. मैं पिछले 5 साल से माइग्रेन के दर्द से परेशान हूं. इलाज बताएं?

सवाल-

मेरी उम्र 40 साल है. मैं पिछले 5 साल से माइग्रेन के दर्द से परेशान हूं. इलाज बताएं?

जवाब-

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माइग्रेन साधारण सिरदर्द नहीं होते?हैं. साउंड हौट पैक्ट व हीटिंग पैड्स तनावग्रस्त मांसपेशियों को आराम दे सकते हैं. गरम पानी से नहाने या शौवर लेने का असर भी ऐसा ही हो सकता?है. कैफिनेटेड बेवरेज का सेवन करें. कम मात्रा में अकेला कैफिन शुरुआती दौर में माइग्रेन के दर्द से राहत दे सकता है या पैरासिटामोल और एस्प्रिन दर्द कम करने के असर को बढ़ा सकती हैं.

खुद का कत्ल, खुद ही कातिल: भाग 1

बीती 15 जून को हत्या के आरोप में सजा काट रहे राजेश को अदालत ने 15 दिन के पैरोल पर छोड़ा था. हरिनगर भोपाल के तेजी से विकसित होते रातीबड़ और नीलबड़ इलाकों का एक मोहल्ला है जिस में कच्चेपक्के मकानों की भरमार है.

ऐसे ही एक मकान में राजेश अपनी बूढ़ी मां के साथ रहता था. पैरोल पर छूटे राजेश ने सबसे पहले अपने पसंदीदा काम किए जिन में पहला था शराब पीना और दूसरा था अपनी प्रेमिका अंजू (बदला नाम) के साथ घंटों बिस्तर में पड़े रह कर शारीरिक सुख भोगना.

ये दोनों ही चीजें चूंकि जेल में नहीं मिलती थीं इसलिए वह 15 दिन तक जी भर कर मौजमस्ती कर जिंदगी जी लेना चाहता था क्योंकि पैरोल खत्म होते ही उसे वापस जेल जाना पड़ता जहां की नर्क सी बदतर जिंदगी किसी मुजरिम को रास नहीं आती और आजादी उन के लिए एक ख्वाब भर बन कर रह जाती है.

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अंजू हालांकि तनमनधन से उस के लिए समर्पित थी लेकिन वह यह भी समझ रही थी कि इस के बाद शायद ही कभी राजेश को पैरोल मिले क्योंकि इस सहूलियत का फायदा वह 3 बार ले चुका था. पहली बार तब जब उसे 13 सितंबर, 2017 को सजा होने के बाद अंतरिम जमानत मिली थी. दूसरी दफा तब जब 17 मई, 2018 को उस के पिता की मौत हुई थी और तीसरी बार अब जो 29 जून को खत्म होने वाली थी.

आदतन अपराधी राजेश परमार ने 29 जुलाई, 2014 को सरेआम अंकित जवादे नाम के युवक की हत्या की थी. एक तरह से यह 2 छोटे स्तर के गिरोहों की गैंगवार थी जिसे योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था. कमला नगर इलाके में रहने वाला अंकित भी राजेश की तरह गुंडा था और अपराध किया करता था. इन दोनों में किसी बात को ले कर दुश्मनी हुई तो दोनों एकदूसरे के खून के प्यासे हो गए.

हत्या वाले दिन राजेश ने अपने 3 साथियों भरत मेवाड़ा, राहुल श्रीवास्तव और दिलीप विश्वकर्मा उर्फ कुटरू के साथ मिल कर शिवाजी नगर इलाके में अंकित की हत्या एक पार्क के पास की थी. पहले इन चारों ने अंकित को देसी कट्टे से गोली मारी थी फिर लोहे की रौड से उस पर प्रहार किए. अंकित की मौत की तसल्ली होने के बाद चारों फरार हो गए थे लेकिन बाद में एकएक कर पकड़े भी गए थे.

राजेश ने 10 महीने फरारी काटी और जब उसे लगने लगा कि अब वह पकड़ा नहीं जाएगा तो बेफिक्री से भोपाल में घूमनेफिरने लगा लेकिन पुलिस के एक मुखबिर ने उस के शिवाजी नगर में दिखने की खबर दी तो एमपी नगर थाने के तत्कालीन टीआई ब्रजेश भार्गव ने उसे 29 मई, 2015 को गिरफ्तार कर लिया.

मुकदमा चला तो अदालत ने राजेश को मुख्य आरोपी मानते  उम्रकैद और राहुल और भरत को सह भियुक्त मानते हुए 10-10 साल की सजा सुनाई. दिलीप उर्फ कुटरू को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था. इस तरह 13 सितंबर, 2017 को राजेश आजीवन कारावास की सजा काटने भोपाल की सेंट्रल जेल भेज दिया गया.

3 बार पैरोल मिलने के बाद उसे बाहर की हवा रास आने लगी थी, लेकिन मजबूरी यह थी कि वह भाग नहीं सकता था क्योंकि पैरोल के अपने सख्त नियम होते हैं और दूसरे इस बात का अहसास उसे हो चुका था कि कहीं भी भाग जाए, आज नहीं तो कल पकड़ा जरूर जाएगा. अंकित की हत्या के बाद भी आखिरकार वह ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रह पाया था.

बहरहाल उस ने 25 जून तक का वक्त तो जैसेतैसे काट लिया लेकिन इस के बाद 29 जून का खौफ उस के सर चढ़ कर बोलने लगा था. मंजू भी इशारों में उसे समझा चुकी थी कि आखिर वह कब तक उस का इंतजार करेगी क्योंकि घर वाले शादी के लिए दबाव बना रहे हैं.

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काफी सोचनेसमझने के बाद उस ने अपने आप को मना लिया कि अब जेल की जिंदगी ही उस की नियति है. इसलिए 15 दिन की मौजमस्ती ही काफी है हालांकि इस दौरान उस ने इस तरफ भी खूब सोचाविचारा कि कोई तो ऐसा रास्ता होगा जो हमेशा के लिए कैद से आजाद करा सके.

फिर जल्द ही उसे वह रास्ता मिल भी गया. एक दिन वह मंजू की बगल में पड़ेपड़े एक चैनल पर क्राइम सीरियल देख रहा था, तभी अचानक वह खुशी से भर उठा. सीरियल में दिखाया जा रहा था कि एक अपराधी ने अपनी ही कद काठी के एक आदमी की हत्या कर वारदात को आत्महत्या की शक्ल दे दी और बाहर आजाद घूमता रहा.

मैं ऐसा क्यों नहीं कर सकता, यह बात राजेश ने सोची तो उसे अपनी ख्वाहिशें पूरी करने और जेल की सजा से भी बचने का रास्ता दिखाई देने लगा, जो मुश्किल जरूर था लेकिन असंभव नहीं. लेकिन इस बाबत उस के पास एक दिन का ही वक्त था. मन ही मन उसने कुछ तय किया और मंजू को बाहों में समटेते हुए बोला, ‘‘अब मैं कभी जेल नहीं जाऊंगा.’’

फिर 29 जून की शाम रातीबड़ थाने में एक 34 वर्षीय शख्स द्वारा आत्महत्या करने की खबर पहुंची तो थानाप्रभारी सुनील भदौरिया घटनास्थल की तरफ दौड़ पड़े. पूछताछ में उन्हें पता चला कि उस मकान में राजेश परमार नाम का युवक रहता है जो हत्या के आरोप में सजा काट रहा था और हालफिलहाल पैरोल पर था.

राजेश की लाश फर्श पर पड़ी थी और पूरी तरह जली हुई थी. पुलिस वालों ने घर की तलाशी ली तो जल्द ही उन्हें एक सुसाइड नोट भी मिला, जिस में राजेश ने जिंदगी से परेशान हो कर खुदकुशी करने की बात लिखी थी.

पहली नजर में ही यह बात स्पष्ट हो गई थी कि राजेश परमार नाम का सजायाफ्ता मुजरिम जेल की जिंदगी से आजिज आ गया था और घबरा कर आत्महत्या कर बैठा. शुरुआती पड़ताल और पूछताछ के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी गई. दूसरे दिन ही राजेश का अंतिम संस्कार भी हो गया.

एकबारगी ऐसा लगा कि राजेश परमार नाम के हत्यारे की कहानी खत्म हो गई लेकिन जिसे लोग और पुलिस वाले अंत मान कर चल रहे थे वह दरअसल में एक नई कहानी की शुरुआत और एक ऐसे कत्ल की दास्तां थी जिस में किसी आदमी ने खुद का ही कत्ल कर डाला हो.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हुआ शक

चौथे दिन जब पुलिस वालों को राजेश के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मिली तो वे भौचक्क रह गए क्योंकि रिपोर्ट में उस की मौत जलने से नहीं बल्कि दम घुटने से हुई बताई गई थी. यह बात किसी भी एंगल से पुलिस वालों को हजम नहीं हो रही थी क्योंकि लाश राजेश की ही थी और सुसाइड नोट उस की आत्महत्या की पुष्टि कर रहा था लेकिन शक तो बना हुआ था क्योंकि लाश की पहचान उस की कद काठी की बिना पर हुई थी उस का चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था.

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अगर यह सच है तो कैसे मुमकिन है इस पुलिस सच की तलाश में निकली तो हर कदम पर एक हैरानी उन का पीछा करती नजर आई. एक टेढ़ा सवाल तो शुरु से ही मुंह बाए खड़ा था कि शुरुआत कहां से की जाए. सीएसपी उमेश तिवारी और एएसपी अखिल पटेल ने राजेश  के मोबाइल को टटोला तो पता चला कि 27 और 28 जून के दरम्यान उस ने अंजू के अलावा एक और नंबर पर बारबार बात की थी.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कहानी सौजन्य – मनोहर कहानियां

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