इस के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के जेल में बंद होने की वजह से पार्टी बिखरने के कगार पर है और लालू प्रसाद यादव के दोनों लाड़ले उन की सियासी विरासत को संभालने में फिलहाल तो नाकाम साबित हो रहे हैं.

कभी बिहार की राजनीति की धुरी रहे लालू प्रसाद यादव जानते हैं कि साल 2020 में होने वाला बिहार विधानसभा चुनाव उन के लिए आरपार की लड़ाई साबित होगा. इस के लिए वे अपनी पार्टी को नई सजधज के साथ उतारने की कवायद में जुट गए हैं, पर उन की सब से बड़ी लाचारी है कि वे रांची जेल में बंद हैं. इतना ही नहीं, चारा घोटाला

में कुसूरवार ठहराए जाने की वजह से वे साल 2024 तक चुनाव नहीं लड़ सकते हैं.

लालू प्रसाद यादव की गैरमौजूदगी में उन के लाड़ले बेटे तेजस्वी यादव की अगुआई में लोकसभा 2019 का चुनाव लड़ा गया और वे पूरी तरह से नाकाम रहे.

इस लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. लालू प्रसाद यादव की बेटी मीसा भारती भी पाटलिपुत्र से चुनाव हार गईं.

साल 1997 में राष्ट्रीय जनता दल के बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि लोकसभा चुनाव में इस पार्टी की मौजूदगी जीरो है.

साल 1997 में नई पार्टी राजद बनाने के बाद लालू प्रसाद यादव ने पूरे दमखम के साथ 1998 का लोकसभा चुनाव लड़ा था, जिस में पार्टी को 17 सीटें हासिल हुई थीं. उस के बाद से लोकसभा में राजद की लगातार दमदार मौजूदगी री है. फिलहाल तो लालू प्रसाद यादव के लिए राहत की बात यह है कि 243 सीट वाली बिहार विधानसभा में उन की पार्टी राजद के 81 विधायक हैं और राजद ही विधानसभा में सब से बड़ी पार्टी है. जद (यू) के 71, भाजपा के 53 और कांग्रेस के 27 विधायक हैं.

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