साथ ही, प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता बनाने के साथसाथ विधानसभा चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. विधानसभा चुनाव में टिकट बंटवारे में इन दोनों नेताओं का रोल अहम होगा.

कन्हैया को क्लीनचिट

दिल्ली. फरवरी, 2016 में दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ एक कार्यक्रम हुआ था जिस में जेएनयू छात्र संघ के तब के अध्यक्ष और आज के नेता कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया गया था.

अब दिल्ली की आम आदमी सरकार ने कन्हैया कुमार और 9 दूसरे लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की दिल्ली पुलिस को इजाजत नहीं दी है. सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा है कि पुलिस ने जो सुबूत पेश किया है, उस के मुताबिक कन्हैया कुमार और दूसरों पर देशद्रोह का मामला नहीं बनता.

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अगर मुकदमा चलता तो भी पुलिस गुनाह साबित नहीं कर पाती, पर अदालतों में हाजिरी के समय कन्हैया कुमार के साथ मारपीट का मौका भाजपाई वकीलों को जरूर मिल जाता.

माया का पुराना राग

लखनऊ. उत्तर प्रदेश में साल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं जिस की मायावती ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है. वे अपनी बहुजन समाज पार्टी को मजबूत बनाने के लिए एक बार फिर सोशल इंजीनियरिंग का सहारा ले रही हैं, इसीलिए उन्होंने 5 सितंबर को मुसलिम मुनकाद अली, दलित बीआर अंबेडकर और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरएस कुशवाहा को स्टेट कोऔर्डिनेटर बनाया है.

इस बारे में पार्टी के एक बड़े नेता ने बताया, ‘हम गैरयादव और गैरलोध ओबीसी वोटर को पार्टी में वापस लाने का प्रयास करेंगे. हम ने महसूस किया कि भले ही हम ने लोकसभा चुनाव सपा के साथ लड़ा लेकिन ओबीसी और दलितों का एक समूह हम से दूर हो गया है.’ मायावती अब पूरी तरह फुस पटाखा हो चुकी हैं.

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