ड्रग्स चख भी मत लेना: भाग 1

साल 1971  में देवानंद अभिनीत और निर्देशित फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ सुपर हिट इसलिए भी हुई थी कि उस में युवाओं के लिए एक सार्थक संदेश था कि ड्रग्स के नशे में फंस कर जिंदगी का सुनहरा वक्त बरबाद मत करो. फिल्म में देवानंद की नशेड़ी बहन जसबीर का रोल जीनत अमान ने इतनी शिद्दत से निभाया था कि लोग उन के अभिनय के कायल हो गए थे. फिल्म का गाना ‘दम मारो दम मिट जाए गम…’ आज के नशेडि़यों का भी पसंदीदा गाना है.

फिल्म में जसप्रीत एक मध्यवर्गीय युवती है जो मांबाप के अलगाव के चलते डिप्रैशन में आ कर हिप्पियों की संगत में फंस कर नेपाल चली जाती है. सालों बाद उस का भाई प्रशांत उसे ढूंढ़ता हुआ काठमांडू पहुंचता है और नशेडि़यों के चंगुल से छुड़ाने के लिए तरहतरह के उपाय करता है.

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लगभग 50 साल बाद भी यह फिल्म प्रासंगिक बनी हुई है, जिस के गवाह हैं ड्रग्स की गिरफ्त में तेजी से आते युवा, जिन्हें सुधारने और नसीहत देने की जरूरत महसूस होने लगी है. 5 दशकों में देश बहुत बदला है लेकिन युवाओं में बढ़ती ड्रग्स की समस्या ज्यों की त्यों है. दरअसल, ड्रग्स का कारोबार बेहद गिरोहबद्ध तरीके से होता है.

एक नई जसप्रीत – शिवानी

मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की गिनती पिछड़े जिलों में भले ही होती हो लेकिन ड्रग्स के मामले में यह महानगरों से उन्नीस नहीं. 19 वर्षीया छात्रा शिवानी शर्मा शिवपुरी के नवाब साहब रोड की निवासी थी. उस की कहानी ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की जसप्रीत से काफी मिलतीजुलती है. शिवानी के पिता की मौत 3 महीने पहले ही हुई थी. उस की मां सालों पहले घर छोड़ कर चली गई थीं. अपने चाचाचाची के साथ रह रही शिवानी नशेडि़यों के चंगुल में जो फंसी तो फिर जिंदा इस चक्रव्यूह से बाहर नहीं आ पाई.

शिवानी की लाश शहर की कृष्णपुरम कालोनी के एक चबूतरे पर 6 जुलाई को मिली थी. पुलिस की तफ्तीश में आशंका जताई गई कि उस की हत्या की गई होगी लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि शिवानी की मौत स्मैक की ओवरडोज से हुई थी. पुलिस की कहानी से इतर शिवानी की चाची की मानें तो वह कुछ दिनों से स्मैक का नशा करने लगी थी, जिस की शिकायत उन्होंने पुलिस में भी की थी लेकिन पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की.

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हादसे के 2 दिन पहले ही जूली, रूबी और चिक्की नाम की 3 युवतियों सहित 2 लड़के उसे अपने साथ ले गए थे. फिर शिवानी वापस नहीं आई. शिवानी की बुजुर्ग दादी रोते हुए बताती हैं कि वह अपने हाथ में नशे का इंजैक्शन लगाने लगी थी.

हल्ला मचने पर पुलिस हरकत में आई, तो यह खुलासा हुआ कि पूरी शिवपुरी में ड्रग माफिया सक्रिय है, जिस में पुलिस वालों की मिलीभगत है. आधा दर्जन पुलिसकर्मी भी इस माफिया से मिले हुए थे जिन्हें सस्पैंड कर दिया गया. हद तो उस वक्त हो गई जब शिवपुरी पुलिस का ही एक कांस्टेबल आशीष शर्मा का वीडियो वायरल हुआ जिस में वह नशे का इंजैक्शन लेता हुआ दिखाई दे रहा है.

इसी दौरान शिवपुरी के ही कुछ समाजसेवियों ने नशे के आदी एक नाबालिग बच्चे को पकड़ा था जिस ने बताया था कि स्मैक का इंजैक्शन 250 रुपए में मिलता है और इसे लगाने के लिए वह मैडिकल स्टोर से सीरिंज खरीदता था.

शिवपुरी का यह मामला एक बानगीभर है. दुनियाभर में ड्रग्स का कारोबार बहुत तेजी से फलफूल रहा है और ड्रग माफिया के निशाने पर अधिकतर युवा ही हैं.

हर तीसरी हिंदी फिल्म में दिखाया जाता है कि विलेन ड्रग्स का कारोबार करता है जिस की खेप समुद्री या हवाई रास्ते से आती है और ऐसे आती है कि पुलिस और कस्टम वालों को हवा भी नहीं लगती, यदि लगती भी है तो वे अंजान बने रह कर इस कारोबार को फलनेफूलने देते हैं, एवज में उन्हें तगड़ा नजराना जो मिलता है.

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यत्रतत्र सर्वत्र

कैसे युवा ड्रग्स के जाल में फंसते हैं और उन का अंजाम क्या होता है, इस के पहले यह जान लेना निहायत जरूरी है कि इन दिनों दुनियाभर में ड्रग्स का कारोबार बेहद सुनियोजित और संगठित तरीके से हो रहा है. आएदिन देशभर में ड्रग्स के कारोबारी पकड़े जाते हैं. लेकिन यह भी सच है कि पकड़ी हमेशा छोटीमोटी मछलियां जाती हैं, मगरमच्छों तक तो पुलिस कभी पहुंच ही नहीं पाती. यानी पत्ते तोड़े जाते हैं लेकिन इस नशीले व्यापार की जड़ें और गहरी होती जा रही हैं.

शुरुआत देश के उत्तरी इलाके जम्मूकश्मीर से करें जहां हाल ही में धारा 370 हटाई गई है लेकिन, वहां आतंकवाद से भी बड़ी समस्या ड्रग्स की है. बीती 1 अगस्त को यह उजागर हुआ था कि कश्मीर में ड्रग्स धड़ल्ले से पिज्जाबर्गर की तरह मिलता है और आंकड़े बताते हैं कि बीते 5 सालों में ड्रग्स की लत के शिकार युवाओं की तादाद 10 गुना तक बढ़ी है.

जन्नत कहे जाने वाले कश्मीर के श्री महाराज हरिसिंह अस्पताल (एसएमएचएस) के डाक्टरों के अनुसार ड्रग्स के नशे के आदी एक 15 वर्षीय लड़के ने सनसनीखेज खुलासा किया है कि कश्मीर में ड्रग्स खुलेआम मिलती है. 8वीं जमात में पढ़ने वाले अहमद (बदला नाम) के मुताबिक कश्मीर में हेरोइन की कीमत 1,800 रुपए प्रतिग्राम है.

यानी ‘उड़ता पंजाब’ की तर्ज पर अब कश्मीर भी उड़ने लगा है. एसएमएचएस के ड्रग डी-एडिक्शन सैंटर के रजिस्ट्रार डाक्टर सलीम यूसुफ के अनुसार तो कश्मीर में 10 साल के बच्चे भी ड्रग्स की लत के शिकार हैं. कश्मीर में 12 फीसदी महिलाएं भी ड्रग्स का नशा करती हैं. इस का जिम्मेदार सलीम साइको सोशल स्ट्रैस को ठहराते हैं. लेकिन उन की नजर में बढ़ती बेरोजगारी भी दूसरी वजह है. इस साल 1 अप्रैल से ले कर 1 जून तक कई नशेड़ी एसएमएचएस में इलाज के लिए भरती हुए थे.

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साल 2019 में पुलिस ने एक छापे में जम्मू से 41 किलो अफगानी हेरोइन जब्त की थी. जिस की अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कीमत लगभग 250 करोड़ रुपए है. ड्रग्स की यह तस्करी पाकिस्तान के बौर्डर से होती है. हालात कितने भयावह हैं, इस का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2008 से मई 2018 तक जम्मूकश्मीर के 4 नशामुक्ति केंद्रों में 21,871 मरीज इलाज के लिए भरती हुए थे.

ड्रग्स के कारोबार और खपत के लिए कुख्यात पंजाब और हरियाणा के बाद राजधानी दिल्ली के हालात तो और भी चिंताजनक हैं. 31 जुलाई को राज्यसभा में कांग्रेसी सांसद सुब्बारामी रेडी ने ड्रग्स का मुद्दा उठाते बताया था कि दिल्ली में तकरीबन 25 हजार स्कूली बच्चे ड्रग्स की लत के शिकार हो गए हैं और पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है. बात सच है कि दिल्ली में झुग्गीझोंपडि़यों से ले कर पौश इलाकों तक के युवा ड्रग्स का नशा करते हैं. इन पौश इलाकों में रोजाना रेव पार्टियां होती हैं.

बीती 15 जुलाई को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक हाईप्रोफाइल ड्रग सप्लायर करण टिवोती से लाखों रुपए की ड्रग्स बरामद की थी. करण दिल्ली और एनसीआर की हाईप्रोफाइल पार्टियों को ड्रग्स सप्लाई करता था.

इन्हीं दिनों में पश्चिम बंगाल, गुजरात, और महाराष्ट्र सहित मध्य प्रदेश में भी ड्रग रैकेट्स का भंडाफोड़ हुआ था, जिन में एक सप्ताह में ही तकरीबन 2,000 करोड़ रुपए कीमत की ड्रग्स बरामद हुई थी.

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हर एक की अलग कहानी

तेजी से ड्रग्स के शिकार होते युवाओं की कहानियां भी अलगअलग हैं. एक अंदाजे के मुताबिक अकेले भोपाल में 2 लाख से भी ज्यादा युवा ड्रग ऐडिक्ट हैं. इन में से अधिकतर कालेज के छात्रछात्राएं हैं. उन में से कुछ को भरोसे में ले कर बात की गई तो उन्होंने बताया-

कहानी (एक)

23 वर्षीय स्नेहा (बदला नाम) गुना से भोपाल पढ़ने आई है और भोपाल के त्रिलंगा इलाके में बतौर पीजी रहती है. स्नेहा के पिता सरकारी अधिकारी हैं और हर महीने उसे लगभग 10 हजार रुपए महीने भेजते हैं. जिन में से 5 हजार रुपए मकान के किराए और खानेपीने में खर्च होते हैं.

इंजीनियरिंग के तीसरे साल में पढ़ रही स्नेहा ने ड्रग्स के बारे में सुना जरूर था लेकिन कभी इन्हें देखा नहीं था, फिर सेवन का तो सवाल ही नहीं उठता था. स्नेहा की दोस्ती अपने ही अपार्टमैंट में रहने वाली मुग्धा (बदला नाम) से हुई तो जल्द ही दोनों में गहरी छनने लगी. मुग्धा कभीकभार ड्रग्स लेती थी और यह बात उस ने स्नेहा से छिपाई नहीं थी.

एक शाम स्नेहा मुग्धा के कहने पर गुलमोहर इलाके स्थित एक हुक्का लाउंज में चली गई. वहां का नजारा उसे अजीब लगा. वहां रंगबिरंगी लाइटों के साथ धीमा लेकिन उत्तेजित संगीत बज रहा था. लगभग 30-40 युवा अपनेआप में मशगूल कश खींच रहे थे, इन में 15 लड़कियां थीं. वहां कोई खास शोरशराबा या होहल्ला नहीं था. कई युवा ग्रुप बना कर बैठे थे.

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स्नेहा को यह देख थोड़ी हैरानी हुर्ह कि लड़केलड़कियां हुक्के के कश के अलावा कोई पाउडर भी चख और सूंघ रहे थे और नशे में सैक्सी हरकतें भी कर रहे थे. उसे असहज होते देख मुग्धा ने बताया कि यही तो हम यूथ की जरूरत है जहां कोई बंदिश नहीं, बस मौजमस्ती है. और यही इस उम्र का तकाजा है. बाद में तो शादी कर नौकरी और गृहस्थी के झंझट में बंध जाना है. फिर ये दिन ख्वाब बन कर रह जाएंगे.

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

Winter Parties में ट्राय करें आयुष्मान खुराना के भाई के ये लुक्स

फिल्म दंगल से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले एक्टर अपारशक्ति खुराना काफी तेजी से अपनी कामयाबी की साढ़ियां चढ़ते नजर आ रहे हैं. अपारशक्ति खुराना बौलीवुड इंडस्ट्री के औल राउंडर कहे जाने वाले एक्टर आयुष्मान खुराना के छोटे भाई हैं. अपारशक्ति लड़कियों के बीच काफी पौपुलर हैं और तो और उनके लुक्स युवाओं में बेहद चर्चित होते नजर आ रहे हैं. तो हम आपके लिए ले कर आए हैं अपारशक्ति खुराना के लुछ ऐसे लुक्स जिसे ट्राय कर आप किसी भी लड़की को आसानी से इम्प्रेस कर सकते हैं.

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ट्रेंडी लौंग कोट…

अपारशक्ति खुराना ने अपने इस लुक में व्हाइट कलर का लौंग कोट कैरी किया हुई है जो कि बेहद अच्छा लग रहा है. आप सब तो जानते ही हैं कि लौंग कोट वैसे ही आजकल काफी ट्रेंड में है. अपारशक्ति नें इस लौंग कोट को ट्राउसर के साथ पहना हुआ है और इसके साथ ही उन्होनें ब्लैक कलर का व्हाइट डौटिड स्कार्फ पहना हुआ है.

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डिजाइनर ट्राउसर…

 

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Styled and Clicked by @jaysamuelstudio in @sshomme #KudiyeNiPromotions

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इस लुक में अपारशक्ति खुराना नें व्हाइट कलर की शर्ट के साथ लेटेस्ट डिजाइनर ट्राइलर पहना हुआ है जो काफी कूल नजर आ रहा है. अपारशक्ति इस लुक में काफी डैशिंग लग रहे हैं तो अगर आप भी चाहते हैं अपारशक्ति जैसा डैशिंग दिखना तो जरूर ट्राय करें डिजाइनर ट्राउसर.

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सिंपल लुक…

 

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My open chest stance for #CricketDiaries on @viuindia Styled by @jaysamuelstudio in @hpsuits 📷 @sachingurav @bharatpawarphotography

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अपारशक्ति खुराना ने अपने सिंपल लुक में ब्लैक कलर की टी शर्ट के साथ ब्लैक कलर का ही ट्राउसर पहना हुआ है. इस लुक के साथ अपारशक्ति नें ब्लू कलर का ब्लेडर कैरी किया हुआ है जो काफी सुंदर लग रहा है. अपारशक्ति के इस लुक को आप किसी भी कैसुअल पार्टीज में ट्राय कर सकते हैं.

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पार्टी वियर लुक…

 

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@alexandermcqueen for #GQStyleAwards @gqindia Styled by @jaysamuelstudio

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इस पार्टी वियर लुक में अपारशक्ति खुराना नें ब्लैक कलर का कुर्ता पयजामा कैरी किया हुआ है. इस कुर्ते पटजामे का साथ अपारशक्ति का प्रिंटेड ब्लेजर कहर ढ़ा रहे है या ये कह लो कि ये प्रिंटेड ब्लेजर अपारशक्ति खुराना की पर्सनैलिटी को और ज्यादा निखार रहा है. आपको भी अपारशक्ति खुराना का ये लुक जरूर ट्राय करना चाहिए.

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कामयाब: भाग 1

हमेशा जिंदादिल और खुशमिजाज रमा को अंदर आ कर चुपचाप बैठे देख चित्रा से रहा नहीं गया, पूछ बैठी, ‘‘क्या बात है, रमा…?’’

‘‘अभिनव की वजह से परेशान हूं.’’

‘‘क्या हुआ है अभिनव को?’’

‘‘वह डिपे्रशन का शिकार होता जा रहा है.’’

‘‘पर क्यों और कैसे?’’

‘‘उसे किसी ने बता दिया है कि अगले 2 वर्ष उस के लिए अच्छे नहीं रहेंगे.’’

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‘‘भला कोई भी पंडित या ज्योतिषी यह सब इतने विश्वास से कैसे कह सकता है. सब बेकार की बातें हैं, मन का भ्रम है.’’

‘‘यही तो मैं उस से कहती हूं पर वह मानता ही नहीं. कहता है, अगर यह सब सच नहीं होता तो आर्थिक मंदी अभी ही क्यों आती… कहां तो वह सोच रहा था कि कुछ महीने बाद दूसरी कंपनी ज्वाइन कर लेगा, अनुभव के आधार पर अच्छी पोस्ट और पैकेज मिल जाएगा पर अब दूसरी कंपनी ज्वाइन करना तो दूर, इसी कंपनी में सिर पर तलवार लटकी रहती है कि कहीं छटनी न हो जाए.’’

‘‘यह तो जीवन की अस्थायी अवस्था है जिस से कभी न कभी सब को गुजरना पड़ता है, फिर इस में इतनी हताशा और निराशा क्यों? हताश और निराश व्यक्ति कभी सफल नहीं हो सकता. जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाने के लिए सोच भी सकारात्मक होनी चाहिए.’’

‘‘मैं और अभिजीत तो उसे समझासमझा कर हार गए,’’ रमा बोली, ‘‘तेरे पास एक आस ले कर आई हूं, तुझे मानता भी बहुत है…हो सकता है तेरी बात मान कर शायद मन में पाली गं्रथि को निकाल बाहर फेंके.’’

‘‘तू चिंता मत कर,’’ चित्रा बोली, ‘‘सब ठीक हो जाएगा… मैं सोचती हूं कि कैसे क्या कर सकती हूं.’’

घर आने पर रमा द्वारा कही बातें चित्रा ने विकास को बताईं तो वह बोले, ‘‘आजकल के बच्चे जराजरा सी बात को दिल से लगा बैठते हैं. इस में दोष बच्चों का भी नहीं है, दरअसल आजकल मीडिया या पत्रपत्रिकाएं भी इन अंधविश्वासों को बढ़ाने में पीछे नहीं हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो विभिन्न चैनलों पर गुरुमंत्र, आप के तारे, तेज तारे, ग्रहनक्षत्र जैसे कार्यक्रम प्रसारित न होते तथा पत्रपत्रिकाओं के कालम ज्योतिषीय घटनाओं तथा उन का विभिन्न राशियों पर प्रभाव से भरे नहीं रहते.’’

विकास तो अपनी बात कह कर अपने काम में लग गए पर चित्रा का किसी काम में मन नहीं लग रहा था. बारबार रमा की बातें उस के दिलोदिमाग में घूम रही थीं. वह सोच नहीं पा रही थी कि अपनी अभिन्न सखी की समस्या का समाधान कैसे करे. बच्चों के दिमाग में एक बात घुस जाती है तो उसे निकालना इतना आसान नहीं होता.

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उन की मित्रता आज की नहीं 25 वर्ष पुरानी थी. चित्रा को वह दिन याद आया जब वह इस कालोनी में लिए अपने नए घर में आई थी. एक अच्छे पड़ोसी की तरह रमा ने चायनाश्ते से ले कर खाने तक का इंतजाम कर के उस का काम आसान कर दिया था. उस के मना करने पर बोली, ‘दीदी, अब तो हमें सदा साथसाथ रहना है. यह बात अक्षरश: सही है कि एक अच्छा पड़ोसी सब रिश्तों से बढ़ कर है. मैं तो बस इस नए रिश्ते को एक आकार देने की कोशिश कर रही हूं.’

और सच, रमा के व्यवहार के कारण कुछ ही समय में उस से चित्रा की गहरी आत्मीयता कायम हो गई. उस के बच्चे शिवम और सुहासिनी तो रमा के आगेपीछे घूमते रहते थे और वह भी उन की हर इच्छा पूरी करती. यहां तक कि उस के स्कूल से लौट कर आने तक वह उन्हें अपने पास ही रखती.

रमा के कारण वह बच्चों की तरफ से निश्ंिचत हो गई थी वरना इस घर में शिफ्ट करने से पहले उसे यही लगता था कि कहीं इस नई जगह में उस की नौकरी की वजह से बच्चों को परेशानी न हो.

विवाह के 11 वर्ष बाद जब रमा गर्भवती हुई तो उस की खुशी की सीमा न रही. सब से पहले यह खुशखबरी चित्रा को देते हुए उस की आंखों में आंसू आ गए. बोली, ‘दीदी, न जाने कितने प्रयत्नों के बाद मेरे जीवन में यह खुशनुमा पल आया है. हर तरह का इलाज करा लिया, डाक्टर भी कुछ समझ नहीं पा रहे थे क्योंकि हर जांच सामान्य ही निकलती… हम निराश हो गए थे. मेरी सास तो इन पर दूसरे विवाह के लिए जोर डालने लगी थीं पर इन्होंने किसी की बात नहीं मानी. इन का कहना था कि अगर बच्चे का सुख जीवन में लिखा है तो हो जाएगा, नहीं तो हम दोनों ऐसे ही ठीक हैं. वह जो नाराज हो कर गईं, तो दोबारा लौट कर नहीं आईं.’

आंख के आंसू पोंछ कर वह दोबारा बोली, ‘दीदी, आप विश्वास नहीं करेंगी, कहने को तो यह पढ़ेलिखे लोगों की कालोनी है पर मैं इन सब के लिए अशुभ हो चली थी. किसी के घर बच्चा होता या कोई शुभ काम होता तो मुझे बुलाते ही नहीं थे. एक आप ही हैं जिन्होंने अपने बच्चों के साथ मुझे समय गुजारने दिया. मैं कृतज्ञ हूं आप की. शायद शिवम और सुहासिनी के कारण ही मुझे यह तोहफा मिलने जा रहा है. अगर वे दोनों मेरी जिंदगी में नहीं आते तो शायद मैं इस खुशी से वंचित ही रहती.’

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उस के बाद तो रमा का सारा समय अपने बच्चे के बारे में सोचने में ही बीतता. अगर कुछ ऐसावैसा महसूस होता तो वह चित्रा से शेयर करती और डाक्टर की हर सलाह मानती.

धीरेधीरे वह समय भी आ गया जब रमा को लेबर पेन शुरू हुआ तो अभिजीत ने उस का ही दरवाजा खटखटाया था. यहां तक कि पूरे समय साथ रहने के कारण नर्स ने भी सब से पहले अभिनव को चित्रा की ही गोदी में डाला था. वह भी जबतब अभिनव को यह कहते हुए उस की गोद में डाल जाती, ‘दीदी, मुझ से यह संभाला ही नहीं जाता, जब देखो तब रोता रहता है, कहीं इस के पेट में तो दर्द नहीं हो रहा है या बहुत शैतान हो गया है. अब आप ही संभालिए. या तो यह दूध ही नहीं पीता है, थोड़ाबहुत पीता है तो वह भी उलट देता है, अब क्या करूं?’

हर समस्या का समाधान पा कर रमा संतुष्ट हो जाती. शिवम और सुहासिनी को तो मानो कोई खिलौना मिल गया, स्कूल से आ कर जब तक वे उस से मिल नहीं लेते तब तक खाना ही नहीं खाते थे. वह भी उन्हें देखते ही ऐसे उछलता मानो उन का ही इंतजार कर रहा हो. कभी वे अपने हाथों से उसे दूध पिलाते तो कभी उसे प्रैम में बिठा कर पार्क में घुमाने ले जाते. रमा भी शिवम और सुहासिनी के हाथों उसे सौंप कर निश्ंिचत हो जाती.

धीरेधीरे रमा का बेटा चित्रा से इतना हिलमिल गया कि अगर रमा उसे किसी बात पर डांटती तो मौसीमौसी कहते हुए उस के पास आ कर मां की ढेरों शिकायत कर डालता और वह भी उस की मासूमियत पर निहाल हो जाती. उस का यह प्यार और विश्वास अभी तक कायम था. शायद यही कारण था कि अपनी हर छोटीबड़ी खुशी वह उस के साथ शेयर करना नहीं भूलता था.

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पर पिछले कुछ महीनों से वह उस में आए परिवर्तन को नोटिस तो कर रही थी पर यह सोच कर ध्यान नहीं दिया कि शायद काम की वजह से वह उस से मिलने नहीं आ पाता होगा. वैसे भी एक निश्चित उम्र के बाद बच्चे अपनी ही दुनिया में रम जाते हैं तथा अपनी समस्याओं के हल स्वयं ही खोजने लगते हैं, इस में कुछ गलत भी नहीं है पर रमा की बातें सुन कर आश्चर्यचकित रह गई. इतने जहीन और मेरीटोरियस स्टूडेंट के दिलोदिमाग में यह फितूर कहां से समा गया?

बेटी सुहासिनी की डिलीवरी के कारण 1 महीने घर से बाहर रहने के चलते ऐसा पहली बार हुआ था कि वह रमा और अभिनव से इतने लंबे समय तक मिल नहीं पाई थी. एक दिन अभिनव से बात करने के इरादे से उस के घर गई पर जो अभिनव उसे देखते ही बातों का पिटारा खोल कर बैठ जाता था, उसे देख कर नमस्ते कर अंदर चला गया, उस के मन की बात मन में ही रह गई.

वह अभिनव में आए इस परिवर्तन को देख कर दंग रह गई. चेहरे पर बेतरतीब बढ़े बालों ने उसे अलग ही लुक दे दिया था. पुराना अभिनव जहां आशाओं से ओतप्रोत जिंदादिल युवक था वहीं यह एक हताश, निराश युवक लग रहा था जिस के लिए जिंदगी बोझ बन चली थी.

समझ में नहीं आ रहा था कि हमेशा हंसता, खिलखिलाता रहने वाला तथा दूसरों को अपनी बातों से हंसाते रहने वाला लड़का अचानक इतना चुप कैसे हो गया. औरों से बात न करे तो ठीक पर उस से, जिसे वह मौसी कह कर न सिर्फ बुलाता था बल्कि मान भी देता था, से भी मुंह चुराना उस के मन में चलती उथलपुथल का अंदेशा तो दे ही गया था. पर वह भी क्या करती. उस की चुप्पी ने उसे विवश कर दिया था. रमा को दिलासा दे कर दुखी मन से वह लौट आई.

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जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

Bigg Boss 13: घर से बाहर होते ही इस कंटेस्टेट ने किया दिल दहलाने वाला खुलासा

बिग बौस सीजन 13 की शुरूआत से ही दर्शकों को लड़ाई झगड़े देखने को मिले और इसका सबसे बड़ा कारण था कि इस सीजन का फिनाले सिर्फ 4 ही हफ्तों में आने वाला है. फिनाले के चलते हर कंटेस्टेंट इसी उम्मीद में लगे हैं कि उन्हें हर हाल में सबको पीछे छोड़ फिनाले तक पहुंचना है. हाल ही में हुए वीकेंड के वौर में दिवाली के मौके पर सलमान खान के किसी को भी घर से बेघर नहीं किया था. पर इतना तय था कि इस हफते कोई ना कोई तो घर से बेघर होगा ही.

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सिद्धार्थ डे हुए घर से बेघर…

घर से बेघर होने के लिए 3 सदस्य आखिर तक नोमिनेटिड रहे जिसमें से माहिरा शर्मा, आरती सिंह और सिद्धार्थ डे का नाम शामिल था. मिड वीक एविक्शन में कौन घर से बेघर होगा ये सवाल इन तीनों के साथ साथ सभी के दिलों में था. उसके बाग बिग बौस नें तीनों कंटेस्टेंट को अंदर बुलाया और बताया कि बजर बजने पर जिसके नाम के आगे सेफ नहीं लिखा होगा वो घर से बेघर हो जाएगा. बिग बौस की इस प्रक्रिया में सिद्धार्थ डे के सबसे कम वोट्स मिलने के चलते घर से बेघर कर दिया गया.

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आरती सिंह और शहनाज गिल का खुलासा…

बिग बौस के घर से बाहर आ कर सिद्धार्थ डे नें टास्क के दौरान आरती सिंह और शहनाज गिल द्वारा की गई करतूत का खुलासा किया. दरअसल नोमिनेशन टास्क के चलते जब आरती सिंह और शहनाज गिल को पारस छाबड़ा और सिद्धार्थ डे का हाख छुड़वाना था तो दोनों नें मिर्ची पाउडर और ब्लीच पाउडर का इस्तमाल काफी ज्यादा मात्रा में किया जिस वजह से सिद्धार्थ डे की गरदन जल गई.

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सिद्धार्थ डे ने कहा…

एक इंटरव्यू के दौरान सिद्धार्थ डे ने बताया कि, “मैं अभी ठीक हूं और इसका इलाज कराऊंगा. अगर ये सब सेलिब्रिटीज़ ही अपनी इस तरह की वायलेंट साइड दिखा रहे हैं तो यूथ में यह गलत संदेश जा रहा है. पहले टास्क में उन्होंने मुझ पर कीचड़ और मिर्ची डाली लेकिन जब मेरी बारी आई तो मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं उस तरह का इंसान नहीं हूं।”

बता दें, सिद्धार्थ डे नें अपनी गरदन के जले हुए निशान की फोटो भी सोशल मीडियो पर शेयर की जिसे देख सिद्धार्थ डे के फैंस को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा. बिग बौस में जो सबसे खास बात जो अब दर्शकों को देखने को मिलेगी वो ये होगी की इस बार की वाइल्डकार्ड एंट्रीज घर के अंगर कैसा हंगामा मचाने वाली हैं.

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टीवी की इस एक्ट्रेस ने दिखाया अपना हौट अवतार, बिकिनी में शेयर की फोटोज

टीवी एक्ट्रेस काम्या पंजाबी इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. काम्या पिछले कुछ दिनों से अपनी कई हौट फोटोज शेयर कर रही हैं, लेकिन हाल ही में उन्होंने जो अपनी ऐसी हौट बिकिनी फोटो शेयर की है कि फैन्स भी हैरान हो गए हैं. दरअसल, काम्या ने अपनी बिकिनी फोटो शेयर की है जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. फैन्स को काम्या का ये हौट अंदाज काफी पसंद आ रहा है. फोटो में काम्या ने ब्लैक एंड व्हाइट कलर की बिकिनी पहनी हुई है.

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बिजनेसमैन शलभ डांग को कर रही हैं डेट…

 

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I m sexy n i know it 😈

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वैसे बता दें कि इन दिनों काम्या अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी काफी सुर्खियों में हैं. काम्या बिजनेसमैन शलभ डांग को डेट कर रही हैं. काम्या शलभ के साथ फोटोज भी शेयर करती रहती हैं. अभी हाल ही में काम्या ने शलभ का बर्थडे भी बड़े ही शानदार तरीके से मनाया जिसकी तस्वीरें उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर की थीं. इसके साथ ही काम्या ने शलभ के लिए केक भी काफी मजेदार लिया था.

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काम्या ने रखा था करवा चौथ…

 

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Its is indeed a very Happy Diwali ❤️ @shalabhdang

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काम्या ने शलभ के लिए करवा चौथ का व्रत भी रखा था. काम्या ने करवाचौथ की फोटोज भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी. काम्या ने कुछ दिनों पहले ही शलभ को लेकर कहा था, ‘मेरी और शलभ की फरवरी से बात शुरू हुई थी. शलभ ने मिलने के किछ दिन बाद ही मुझे प्रपोज कर दिया था. मैं अगले साल शादी करूंगी.’

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बंटी नेगी से की थी शादी…

बता दें कि काम्या ने इससे पहले बंटी नेगी से शादी की थी, लेकिन शादी के 10 साल बाद दोनों का तलाक हो गया था. दोनों की बेटी है ‘आरा’ जो सौम्या के साथ ही रहती है. वहीं काम्या के बौयफ्रेंड शलभ का भी 10 साल का बेटा है. काम्या की प्रोफेशनल लाइफ की बात करें तो वो इन दिनों सीरियल ‘शक्ति अस्तित्व के एहसास की’ में नजर आ रही हैं. शो में उनके किरदार को काफी पसंद किया जा रहा है.

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राफेल नडाल को पसंद था फुटबौल, पिता की एक डांट ने बना दिया ‘द किंग औफ क्ले’

इस स्पेनिश दिग्गज ने सभी ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं और दुनियाभर में उसके प्रशंसक हैं. हालांकि, बेहद कम ही लोग यह जानते हैं कि नडाल एक बेहतरीन फुटबौल खिलाड़ी भी थे और एक समय ऐसा आया था जब उन्हें इन दोनों खेलों में से किसी एक को चुनने के मुश्किल फैसले से भी गुजरना पड़ा था.

सबसे अधिक ग्रैंड स्लैम जीतने के मामले में नडाल केवल स्विट्जरलैंड के रोजर फेडरर (20) से पीछे हैं. 19 बार के ग्रैंड स्लैम विजेता नडाल ने सभी ग्रैंड स्लैम खिताब जीते हैं और इसमें सबसे अधिक फ्रेंच ओपन (12) हैं. उन्होंने इस साल भी दो ग्रैंड स्लैम जीते और उनके मौजूदा फॉर्म को देखते हुए ऐसा प्रतीत हो रहा है कि वह जल्द ही स्विस दिग्गज की बराबरी कर लेंगे या उनसे आगे भी निकल जाएंगे.

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नडाल के लिए हालांकि, चैम्पियन बनने का सफर रोमांचक से भरा रहा. 3 जून 1986 को स्पेन के मालोर्का में बिजनेसमैन सिबेस्टियन नडाल के घर जन्मे राफेल को खेल के लिए जुनून विरासत में मिला. नडाल के पिताजी भले ही एक सफल व्यापारी हों, लेकिन उनके दोनों चाचा अपने-अपने खेल के दिग्गज हैं.

टोनी नडाल एक सफल टेनिस कोच हैं जबकि मिगुएल एंजल नडाल एफसी बार्सिलोना और स्पेन की राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के लिए कई मैच खेल चुके हैं. टोनी ने नडाल को तीन वर्ष की उम्र में ही टेनिस से रुबरू कराया. हलांकि, बचपन से राफेल की रुचि टेनिस और फुटबॉल दोनों खेलों में थी.

12 वर्ष की उम्र में नडाल ने अपने उम्र वर्ग के स्पेनिश और यूरोपीयन टेनिस खिताब जीते. इस समय वह फुटबॉल को भी काफी समय दे रहे थे और इससे उनके पिता चिंतित हो गए. पिता को डर था कि खेल के कारण बेटे की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव न पड़े और फिर उन्होंने नडाल से सबसे बड़ा फैसला लेने के लिए कहा.

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पिता ने नडाल से कहा कि वह टेनिस या फुटबॉल में से किसी एक को चुनें. नडाल ने टेनिस को चुना और वहीं से उनके दमदार करियर की शुरुआत हो गई. एक रोचक तथ्य यह भी है कि नडाल प्राकृतिक रूप से दाएं हाथ का उपयोग करते हैं, लेकिन टोनी के कहने पर उन्होंने बाएं हाथ से टेनिस खेलने का निर्णय लिया.

नडाल को अपने पिता के रक्षात्मक रवैये का सामना एक बार फिर करना पड़ा. स्पेनिश टेनिस फेडरेशन ने बेहद कम उम्र में नडाल की प्रतिभा को भांप लिया और 14 वर्ष की उम्र में उन्हें बार्सिलोना आकर ट्रेनिंग जारी रखने का आमंत्रण दिया. पिता को एक बार फिर लगा कि इससे उनके बेटे की पढ़ाई पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और नडाल को अपने घर पर ही रहकर ट्रेनिंग करनी पड़ी, लेकिन इससे उनकी ट्रेनिंग पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ा क्योंकि पिता एक सफल व्यापारी थे और वह खेल से जुड़े अपने बेटे का सारा खर्चा उठाने में कामयाब रहे.

इस बीच उन्होंने एक मैच में दिग्गज खिलाड़ी पैट कैश को मात देकर यह साबित कर दिया कि क्यों फेडरेशन उन्हें बार्सिलेना बुलाने के लिए तत्पर थी. 15 वर्ष का होते ही वह प्रोफेशनल खिलाड़ी भी बन गए और चार साल बाद वर्ष 2005 में उनके जीवन में गर्व का पल तब आया जब उन्होंने महज 19 वर्ष की उम्र में अपने करियर का पहला ग्रैंड स्लैम खिताब फ्रेंच ओपन जीता. वह मैट्स विल्नडर के बाद पहले ऐसे खिलाड़ी बने जिन्होंने पहले प्रयास में ही इस खिताब को अपने नाम किया.

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इसके बाद, कोई भी खिलाड़ी नडाल को क्ले कोर्ट का बादशाह बनने से नहीं रोक पाया और अब तक वह कुल 12 फ्रेंच ओपन खिताब जीत चुके हैं. उन्होंने करियर में एक आस्ट्रेलियन ओपन, दो विंबलडन और चार अमेरिकी ओपन खिताब भी जीते हैं जो उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की श्रेणी में बहुत ऊपर खड़ा करता है. फुटबॉल के लिए हालांकि, उनका प्यार अभी भी कम नहीं हुआ है. वह स्पेनिश क्लब रियल मेड्रिड और आरसीडी मालोर्का को समर्थन देते हैं.

Bigg Boss के घर में होगी ‘कांटा लगा’ फेम इस हौट एक्ट्रेस की एंट्री, आने से पहले से किया ये ऐलान

बिग बौस सीजन 13 की शुरूआत से ही दर्शकों को लड़ाई झगड़े देखने को मिले और इसका सबसे बड़ा कारण था कि इस सीजन का फिनाले सिर्फ 4 ही हफ्तों में आने वाला है. फिनाले के चलते हर कंटेस्टेंट इसी उम्मीद में लगे हैं कि उन्हें हर हाल में सबको पीछे छोड़ फिनाले तक पहुंचना है. ये बात तो हम सब जानते हैं कि बिग बौस का ऐसा कोई एपिसोड नहीं जाता जब घर में हंगामें देखने को ना मिलें, लेकिन इस बार के ट्विस्ट्स एंड टर्नस् नें घरवालों और दर्शकों को हिला कर रख दिया है.

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घरवालों की क्लास लगाने को तैय्यार है एक और वाइल्डकार्ड एंट्री…

जहां एक तरफ हिंदुस्तानी भाऊ (विकास पाठक) और भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव की वाइल्डकार्ड एंट्री नें दर्शकों को काफी खुश कर दिया था तो वहीं एक और वाइल्डकार्ड एंटी घरवालों की क्लास लगाने को तैय्यार है और इस वाइल्डकार्ड एंटी का नाम है शेफाली जरीवाला. जी हां, सौंग ‘कांटा लगा’ के रीमिक्स वर्जन से चर्चाओं में आई शेफाली जरीवाला की पौपुलैरिटी इस गाने से काफी बढ़ गई थी.

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घर से बेघर होने का खतरा…

इस समय बिग बौस में रह रहे घरवालों के सर के ऊपर हर पल ये खतरा बना हुआ है कि कोई भी सदस्य किसी भी समय घर से बाहर हो सकता है. बिग बौस शो के मेकर्स इस सीजन को दिन ब दिन इन्ट्रस्टिंग बनाने में लगे हुए हैं. जहां एक तरफ घर में रह रहे सदस्यों के मन में बेघर होने का डर बना हुआ है वहीं दूसरी तरफ एक के बाद एक हो रही वाइल्डकार्ड एंट्रीज से शो की औडियंस काफी खुश हेती नजर आ रही है.

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शेफाली जरीवाला नें कही ये बात…

कलर्स टीवी के लेटेस्ट प्रोमो से इस बात की जानकारी दर्शकों तक पहुंची है कि इस शो में शेफाली जरीवाला बहुत जल्द ही सबसे रू-ब-रू होने जा रही हैं और उस प्रोमो में शेफाली नें जा बात कही है उसे देख लगता है कि उनके आते ही सभी घरवालों की क्लास लगने वाली है. शेफाली जरीवाला प्रोमो में सबसे कहती दिखाई दे रही हैं कि, ‘क्लीयरिली दो अलग-अलग ग्रुप बने हुए है. ये सारी डायनेमिक्स 1 हफ्ते में चेंज होने वाली है.’

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सिद्धार्थ डे हुए घर से बेघर…

बता दें, सबसे खास बात जो दर्शकों को देखने को मिली कि अचानक बिग बौस के घर में रात को हुए इविक्शन में कंटेस्टेंट सिद्धार्थ डे को घर से बेघर कर दिया गया. अब देखने वाली बात ये होगी कि कौन इस शो में बना रहेगा और वाइल्डकार्ड एंट्रीज घर के अंदर कैसे सबकी क्लास लगाएंगे.

धार्मिक झांसों जैसा सरकारी नौकरियों का लौलीपौप

देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी और हर तरह की मारामारी कम होने के बजाय बढ़ रही है तो इस की एक बड़ी वजह चालाक पंडेपुजारी भी हैं जो लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए कहते रहते हैं कि आज नहीं तो कल काम तो होगा. ऊपर वाले के यहां देर है अंधेर नहीं. एक दिन वह सब की सुनता है और मनचाहा फल देता है.

हैरानपरेशान लोग इन चालाकों की बातों और  झांसे में आ कर फिर से  झूठी उम्मीद लिए दोगुने जोश से पूजापाठ, भजनकीर्तन, आरती और तंत्रमंत्र तक शुरू कर देते हैं. काम हो न हो, बिगड़ी बात बने न बने, लेकिन इन की उम्मीद जिंदा रहती है.

सरकार चली धर्म की राह

14 जून, 2019 को मध्य प्रदेश के अखबारों में मोटेमोटे अक्षरों में एक खबर छपी थी कि हाईकोर्ट के एक अहम फैसले के बाद राज्य में 15 लाख उम्मीदवारों को नौकरी मिलने का रास्ता खुल गया है, क्योंकि अदालत ने पीएससी के इम्तिहान में उम्र का मसला सुल झा लिया है. इस खबर में यह भी बताया गया था कि किन महकमों में कितने पदों पर जल्द ही कितनी भरतियां होंगी.

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इस खबर को पढ़ कर राज्य के नौजवानों में वही जोश आ गया जो हनुमान, शंकर और राम की पूजा करने के बाद आता है कि आखिरकार ऊपर वाले ने हमारी सुन ली. इस बात पर इन नौजवानों ने गौर नहीं किया कि पदों की तादाद 3,000 भी नहीं है.

3 जुलाई, 2019 को यह खबर छपी थी कि अब सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था लागू हो गई है. इस के तहत सामान्य श्रेणी के गरीब उम्मीदवारों को भी कुछ शर्तों के साथ ही सही नौकरियां मिलेंगी. इस खबर पर फिर बेरोजगार नौजवानों ने मंदिरों में जा कर प्रसाद चढ़ाया कि हे ऊपर वाले, तू बड़ा दयालु है जो हमारी गुहार सुन ली.

इस के बाद एक खबर यह भी आई कि सरकार ने इस बाबत मंजूरी दे दी है कि जल्द ही राज्य में स्पोर्ट्स अफसर के पद भरे जाएंगे. इस पद पर उन खिलाडि़यों को नौकरी का मौका मिलेगा जो खेलों में नैशनल या इंटरनैशनल लैवल पर अपना हुनर दिखा चुके हैं.

दूसरे खेलों में जलवा दिखा चुके खिलाडि़यों को भी आस बंधी कि अब उन की सुन ली गई है और ऊपर वाले ने चाहा तो वे भी जल्द ही सरकारी नौकरी पा कर अच्छीखासी तनख्वाह ले रहे होंगे.

इस के पहले यह खबर भी बेरोजगारों को उम्मीद बंधा गई थी कि अब सरकार जल्द ही हजारों पद भरने जा रही है जिन में पुलिस महकमे में कांस्टेबल, ड्राइवर समेत दूसरे कई छोटेमोटे पदों पर भरतियां की जाएंगी, इसलिए लोगों को नाउम्मीद होने की जरूरत नहीं है. जल्द ही उन्हें नौकरियां मिलेंगी, बस थोड़ा इंतजार करें, अभी सरकारी कागजी खानापूरी चल रही है.

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इसी तरह 23 जुलाई, 2019 को ओबीसी तबकों को 27 फीसदी आरक्षण के बिल को विधानसभा द्वारा मंजूरी दे दी गई. इस से खुश हो रहे पिछड़े तबके के नौजवानों ने यह नहीं सोचा कि जब सरकार के पास नौकरियां ही नहीं हैं तो ऐसे आरक्षण से क्या फायदा.

साफ दिख रहा है कि सरकार भी धर्म की राह चल रही है कि लोगों को उम्मीद बंधाते रहो, जिस से वे बगावत न करें और उम्मीद पर जीते रहें. इस खेल में सरकार पंडेपुजारियों की तरह पेश आ रही है जिस के पास देने को कुछ नहीं है, लेकिन उम्मीद बंधाने के लिए खबरों का खजाना है.

हकीकत है उलट

अकेले मध्य प्रदेश में ही नहीं, बल्कि पूरे देश के हालात उलट हैं. तमाम राज्यों की सरकारें भी तरहतरह की लुभावनी बातों का लौलीपौप नौजवानों को दिखाती रहती हैं कि बस, कुछ ही दिनों में नौकरी मिलने वाली है.

बात मध्य प्रदेश की करें तो यह जान कर हैरत होती है कि सरकार औसतन हर साल 500 नौकरियां भी नहीं दे पा रही है, जबकि हर साल 5,000 मुलाजिम रिटायर हो रहे हैं.

सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी महकमे के एक अफसर की मानें तो साल 2014 में अलगअलग महकमों में कुल 4 लाख, 45 हजार, 849 रैगूलर पद थे, लेकिन साल 2017 तक आतेआते तकरीबन डेढ़ लाख मुलाजिम रिटायर हो गए और सरकार ने नई भरतियां न के बराबर कीं, शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने अपने कार्यकाल में रिटायरमैंट की उम्र 60 साल से बढ़ा कर 62 साल कर दी थी. इस से भी नौकरियां घटी हैं.

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यह है वजह

सरकार खबरों और प्रचार के जरीए पंडेपुजारियों की तरह सरकारी नौकरियों का लौलीपौप इसलिए दिखा रही है कि उस की नाकामी और खर्च बचाने की मंशा ढकी रहे.

जैसे पंडेपुजारी कहते हैं कि मंदिरों में जा कर ऊपर वाले के दर्शन करो, प्रसाद और पैसा चढ़ाओ तो मनोकामना पूरी होगी, वैसे ही सरकार कह रही है कि पढ़ते रहो, स्कूलकालेज जाओ, एक दिन जरूर नौकरी मिलेगी. लेकिन वह एक दिन कब आएगा, ऐसा वह भी पंडेपुजारियों की तरह नहीं बताती.

जैसे ऊपर वाला पूजापाठ का फल देता है, वैसे ही इम्तिहान का फल भी मिलेगा. तुम लोग बस लगे रहो यानी ‘कर्म करो और फल की चिंता मत करो’ वाले उसूल पर चलो, क्योंकि ‘गीता’ में गलत कुछ भी नहीं लिखा है.

इधर पूजापाठ के लिए मंदिर हैं तो दूसरी तरफ पढ़ाईलिखाई के लिए स्कूल व कालेज और कोचिंग इंस्टीट्यूट हैं. इन दोनों में ही भारीभरकम दक्षिणा चढ़ाने पर फल मिलेगा, फिर इस दौरान भले ही जेब खाली हो जाए, मांबाप के जेवर बिक जाएं, जमापूंजी खत्म हो जाए, इस की चिंता मत करो, क्योंकि ऊपर वाले ने जिस दिन सुन ली उस दिन सारी गरीबी दूर हो जाएगी और पाप धुल जाएंगे.

मंदिरों में ब्राह्मण तुम्हारी बात ऊपर वाले तक पहुंचाते हैं तो स्कूलकालेजों में यही काम शिक्षक करते हैं. जरूरत सच्चे मन से पढ़ने और पूजा करने की है, बाकी सरकार तो आएदिन खबरों के जरीए बताती ही रहती है कि वह नौकरियों के बाबत वैसे ही पदों की बात कर रही है, जैसे पंडेपुजारी टैंट लगा कर अनुष्ठान, भागवत कथा, यज्ञहवन वगैरह किया करते हैं.

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नौकरी से ताल्लुक रखती खबरों और इश्तिहारों से होता यह है कि आज नहीं तो कल नौकरी मिलने की आस में बेरोजगार ऊपर वाले की माला जपते रहते हैं. पर कल किसी ने नहीं देखा, यह बात खुद धर्म के दुकानदार कहते रहते हैं, जिस से कोई उन का गरीबान न पकड़े. सरकार को फायदा यह होता है कि इश्तिहारों और खबरों की अफीम को चाट कर लोग मदहोश पड़े रहते हैं और उन नौकरियों का इंतजार करते रहते हैं जो सालोंसाल नहीं मिलतीं.

इस दौरान जो नौजवान नौकरी की उम्र पार कर चुके होते हैं, वे चायपकौड़े की दुकान खोल कर या छोटेमोटे काम कर तकदीर को कोस कर भड़ास

निकाल लेते हैं, लेकिन न तो वे पंडों का कुछ बिगाड़ पाते हैं और न ही सरकार का.

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दिखना चाहते हैं सबसे अलग, तो जरूर ट्राय करें ‘Rugged’ जींस

युवाओं में हर लेटेस्ट ट्रेंड फौलो करने की चाह हमेशा से ही रही है फिर चाहे वे ट्रेंड कैसा भी हो. आजकल लड़के लड़कियां दोनों को लेटेस्ट डिजाइनर जींस पहनना बेहद अच्छा लगता है और जींस का एक ट्रेंड जो काफी समय से चलता आ रहा है वो है ‘rugged’ जींस पहनने का ट्रेंड. इस प्रकार की जींस या तो घुटनों से या फिर जांघों से फटि या फिर उधड़ी होती है. दिखने वे ऐसी जींस काफी स्टाइलिश लगती है और टीनेजर्स को काफी प्रभावित करती हैं.

ज्यादातर लड़के ‘rugged’ जींस कौलेज या कैसुअल वीयर्स में पहनना पसंद करते हैं. आम लड़कों से ले कर बौलीवुड एक्टर्स तक में ऐसी जींस का खूब चलन देखने को मिला है. तो अगर आपनें अभी तक ‘rugged’ जींस पहनना शुरू नहीं किया है तो हम आपके लिए ले कर आए हैं ऐसे ‘rugged’ जींस के डिजाइन्स जिन्हें बौलीवुड एक्टर्स ने बेहद शौंक से पहना है.

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अक्षय कुमार…

52 साल की उम्र में भी अक्षय कुमार नें अपने आप को इस कदर फिट रखा हुआ है कि उनके लुक्स से कोई भी उनकी उम्र का अंदाजा नहीं लगा लकता. अक्षय नें ब्लू कलर की ‘rugged’ जींस ब्लैक कैसुअल टी शर्ट के साथ पहनी हुई है जो कि काफी ट्रेंडी लग रही है.

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सलमान खान…

बौलीवुड के भाइजान यानी सलमान खान का फैशन के मामने में कोई मुकाबला नहीं है और शायद इसी वजह से लाखों लड़कियां उनकी दिवानी हैं. सलमान की ‘rugged’ जींस इतनी इम्प्रेसिव है कि इसे ट्राय कर आप किसी भी लड़की को इम्प्रेस कर सकते हैं.

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कार्तिक आर्यन…

बौलीवुड के चौकलेटी बौय और हर लड़की के क्रश कार्तिक आर्यन हर लेटेस्ट ट्रेंड को फौलो करते दिखाई देते हैं तो वे ‘rugged’ जींस का फैशन कैसे छोड़ सकते हैं. इस फोटो में कार्तिक नें ब्लैक प्लेन टी शर्ट के ऊपर यैल्लो कलर की जैकेट और साथ ही ब्लैक कलर की ‘rugged’ जींस पहनी हुई है.

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शाहिद कपूर…

हैंडसम हंक शाहिद कपूर के लुक्स बेहद पौपुलर हैं और इसी बीच उनकी ‘rugged’ जींस पहने एक फोटो सामने आई है जिसे उन्होनें व्हाइट राउंड नैक टी शर्ट और कार्गो जैकेट के साथ पहनी हुई है. इस लुक में शाहिद बेहद डैशिंग नजर आ रहे हैं.

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