उस के हिस्से की जूठन: भाग 2

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क्या बताए कुमुद को कि उस ने किन्हीं कमजोर पलों में प्रवीन के साथ होटल में एक रात किसी अन्य युवती के साथ गुजारी थी और वहीं से…कुमुद के साथ विश्वासघात किया, उस के प्यार के भरोसे को तोड़ दिया. किस मुंह से बीते पलों की दास्तां कुमुद से कहे. कुमुद मर जाएगी. मर तो अब भी रही है, फिर शायद उस की शक्ल भी न देखे.

डाक्टर ने कुमुद को भी सख्त हिदायत दी है कि बिना दस्ताने पहने निखिल का कोई काम न करे. उस के बलगम, थूक, पसीना या खून की बूंदें उसे या बच्चों को न छुएं. बिस्तर, कपड़े सब अलग रखें.

निखिल का टायलेट भी अलग है. कुमुद निखिल के कपड़े सब से अलग धोती है. बिस्तर भी अलग है, यानी अपना सबकुछ और इतना करीब निखिल आज अछूतों की तरह दूर है. जैसे कुमुद का मन तड़पता है वैसे ही निखिल भी कुमुद की ओर देख कर आंखें भर लाता है.

नियति ने उन्हें नदी के दो किनारों की तरह अलग कर दिया है. दोनों एकदूसरे को देख सकते हैं पर छू नहीं सकते. दोनों के बिस्तर अलगअलग हुए भी एक साल हो गया.

कुमुद क्या किसी ने भी नहीं सोचा था कि हंसतेखेलते घर में मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ेगा. कुछ समय से निखिल के पैरों पर सूजन आ रही थी, आंखों में पीलापन नजर आ रहा था. तबीयत भी गिरीगिरी रहती थी. कुमुद की जिद पर ही निखिल डाक्टर के यहां गया था. पीलिया का अंदेशा था. डाक्टर ने टैस्ट क्या कराए भूचाल आ गया. अब खोज हुई कि हैपिटाइटिस ‘सी’ का वायरस आया कहां से? डाक्टर का कहना था कि संक्रमित खून से या यूज्ड सीरिंज से वायरस ब्लड में आ जाता है.

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पता चला कि विवाह से पहले निखिल का एक्सीडेंट हुआ था और खून चढ़ाना पड़ा था. शायद यह वायरस वहीं से आया, लेकिन यह सुन कर निखिल के बड़े भैया भड़क उठे थे, ‘‘ऐसा कैसे हो सकता है? खून रेडक्रास सोसाइटी से मैं खुद लाया था.’’

लेकिन उन की बात को एक सिरे से खारिज कर दिया गया और सब ने मान लिया कि खून से ही वायरस शरीर में आया.

सब ने मान लिया पर कुमुद का मन नहीं माना कि 20 साल तक वायरस ने अपना प्रभाव क्यों नहीं दिखाया.

‘‘वायरस आ तो गया पर निष्क्रिय पड़ा रहा,’’ डाक्टर का कहना था.

‘‘ठीक कहते हैं डाक्टर आप. तभी वायरस ने मुझे नहीं छुआ.’’

‘‘यह आप का सौभाग्य है कुमुदजी, वरना यह बीमारी पति से पत्नी और पत्नी से बच्चों में फैलती ही है.’’

कुमुद को लगा डाक्टर ठीक कह रहा है. सब इस जानलेवा बीमारी से बचे हैं, यही क्या कम है, लेकिन 10 साल पहले निखिल ने अपना खून बड़े भैया के बेटे हार्दिक को दिया था जो 3 साल पहले ही विदेश गया है और उस के विदेश जाने से पहले सारे टैस्ट हुए थे, वायरस वहां भी नहीं था.

न चाहते हुए भी कुमुद जब भी खाली होती, विचार आ कर घेर लेते हैं. नए सिरे से विश्लेषण करने लगती है. आज अचानक उस के चिंतन को नई दिशा मिली. यदि पति पत्नी को यौन संबंधों द्वारा वायरस दे सकता है तो वह भी किसी से यौन संबंध बना कर ला सकता है. क्या निखिल भी किसी अन्य से…

दिमाग घूम गया कुमुद का. एकएक बात उस के सामने नाच उठी. बड़े भैया का विश्वासपूर्वक यह कहना कि खून संक्रमित नहीं था, उन के बेटे व उन सब के टैस्ट नेगेटिव आने, यानी वायरस ब्लड से नहीं आया. यह अभी कुछ दिन पहले ही आया है. निखिल पर उसे अपने से भी ज्यादा विश्वास था और उस ने उसी से विश्वासघात किया.

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कुमुद ने फौरन डाक्टर को फोन मिलाया, ‘‘डाक्टर, आप ने यह कह कर मेरा टैस्ट कराया था कि हैपिटाइटिस ‘सी’ मुझे भी हो सकता है और आप 80 प्रतिशत अपने विचार से सहमत थे. अब उसी 80 प्रतिशत का वास्ता दे कर आप से पूछती हूं कि यदि एक पति अपनी पत्नी को यह वायरस दे सकता है तो स्वयं भी अन्य महिला से यौन संबंध बना कर यह बीमारी ला सकता है.’’

‘‘हां, ऐसा संभव है कुमुदजी और इसीलिए 20 प्रतिशत मैं ने छोड़ दिए थे.’’

कुमुद ने फोन रख दिया. वह कटे पेड़ सी गिर पड़ी. निखिल, तुम ने इतना बड़ा छल क्यों किया? मैं किसी की जूठन को अपने भाल पर सजाए रही. एक पल में ही उस के विचार बदल गए. निखिल के प्रति सहानुभूति और प्यार घृणा और उपेक्षा में बदल गए.

मन हुआ निखिल को इसी हाल में छोड़ कर भाग जाए. अपने कर्मों की सजा आप पाए. जिए या मरे, वह क्यों तिलतिल कर जले? जीवन का सारा खेल भावनाओं का खेल है. भावनाएं ही खत्म हो जाएं तो जीवन मरुस्थल बन जाता है. अपना यह मरुस्थली जीवन किसे दिखाए कुमुद. एक चिंगारी सी जली और बुझ गई. निखिल उसे पुकार रहा था, पर कुमुद कहां सुन पा रही थी. वह तो दोनों हाथ खुल कर लुटी, निखिल ने भी और भावनाओं ने भी.

निखिल के इतने करीब हो कर भी कभी उस ने अपना मन नहीं खोला. एक बार भी अपनी करनी पर पश्चात्ताप नहीं हुआ. आखिर निखिल ने कैसे समझ लिया कि कुमुद हमेशा मूर्ख बनी रहेगी, केवल उसी के लिए लुटती रहेगी? आखिर कब तक? जवाब देना होगा निखिल को. क्यों किया उस ने ऐसा? क्या कमी देखी कुमुद में? क्या कुमुद अब निखिल का साथ छोड़ कर अपने लिए कोई और निखिल तलाश ले? निखिल तो अब उस के किसी काम का रहा नहीं.

घिन हो आई कुमुद को यह सोच कर कि एक झूठे आदमी को अपना समझ अपने हिस्से की जूठन समेटती आई. उस की तपस्या को ग्रहण लग गया. निखिल को आज उस के सवाल का जवाब देना ही होगा.

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‘‘तुम ने ऐसा क्यों किया, निखिल? मैं सब जान चुकी हूं.’’

और निखिल असहाय सा कुमुद को देखने लगा. उस के पास कहने को कुछ भी नहीं बचा था.

धारावाहिक कहानी: नीड़ का निर्माण फिर से

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फिर भी मनोहर की आदतों में कोई बदलाव नहीं आया था. मानसी ने लाख समझाया, बेटी की कसम दी, प्यार, मनुहार किसी का भी उस पर कोई असर नहीं हो रहा था.

बस, दोचार दिन ठीक रहता फिर जस का तस. मानसी लगभग टूट चुकी थी. ऐसे ही उदास क्षणों में मोबाइल की घंटी बजी. ‘हां, कौन?’ मानसी पूछ बैठी. ‘मैं राज बोल रहा हूं. होटल अशोक के कमरा नं. 201 में ठहरा हूं. क्या तुम किसी समय मुझ से मिलने आ सकती हो,’ उस के स्वर में निराशा का भाव था. राज आया है यह जान कर वह भावविह्वल हो गई. उसे लगा इस बेगाने माहौल में कोई एक अपना हमदर्द तो है. वह उस से मिलने के लिए तड़प उठी.

आफिस न जा कर मानसी होटल पहुंची. दरवाजे पर दस्तक दी तो आवाज आई, ‘अंदर आ जाओ.’ राज की आवाज पल भर को उसे भावविभोर कर गई. वह 5 साल पहले की दुनिया में चली गई. वह भूल गई कि वह एक शादीशुदा है.  मानसी की अप्रत्याशित मौजूदगी ने राज को खुशियों से भर दिया. ‘मानसी, तुम?’ ‘हां, मैं,’ मानसी निर्विकार भाव से बोली, ‘कुछ जख्म ऐसे होते हैं जो वक्त के साथ भी नहीं भरते.’ ‘मानसी, मैं तुम्हारा गुनाहगार हूं.’ ‘पर क्या तुम मुझे वह वक्त लौटा सकते हो जिस में हम दोनों ने सुनहरे कल का सपना देखा था?’ राज खामोश था.

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मानसी कहती रही, ‘किसी औरत के लिए पहला प्यार भुला पाना कितना मुश्किल होता है, शायद तुम सोच भी नहीं सकते हो. वह भी तुम्हारा अचानक चले जाना…कितनी पीड़ा हुई मुझे…क्या तुम्हें इस का रंचमात्र भी गिला है?’ ‘मानसी, परिस्थिति ही ऐसी आ गई कि मुझे एकाएक चेन्नई नौकरी ज्वाइन करने जाना पड़ा. फिर भी मैं ने अपनी बहन कविता से कह दिया था कि वह तुम्हें मेरे बारे में सबकुछ बता दे.’ थोड़ी देर बाद राज ने सन्नाटा तोड़ा, ‘मानसी, एक बात कहूं. क्या हम फिर से नई जिंदगी नहीं शुरू कर सकते?’ राज के इस अप्रत्याशित फैसले ने मानसी को झकझोर कर रख दिया. वह खामोश बैठी अपने अतीत को खंगालने लगी तो उसे लगा कि उस के ससुराल वाले क्षुद्र मानसिकता के हैं. सास आएदिन छोटीछोटी बातों के लिए उसे जलील करती रहती हैं, वहीं ससुर को उन की गुलामी से ही फुर्सत नहीं. कौन पति होगा जो बीवी की कमाई खाते हुए लज्जा का अनुभव न करता हो.

‘क्या सोचने लगीं,’ राज ने तंद्रा तोड़ी. ‘मैं सोच कर बताऊंगी,’ मानसी उठ कर जाने लगी तो राज बोला, ‘मैं तुम्हारा इंतजार करूंगा.’ आज मानसी का आफिस में मन नहीं लग रहा था. ऐसे में उस की अंतरंग सहेली अचला ने उस का मन टटोला तो उस के सब्र का बांध टूट गया. उस ने राज से मुलाकात व उस के प्रस्ताव की बातें अचला को बता दीं. ‘तेरा प्यार तो मिल जाएगा पर तेरी 3 साल की बेटी का क्या होगा? क्या वह अपने पिता को भुला पाएगी? क्या राज को सहज अपना पिता मान लेगी?’ इस सवाल को सुन कर मानसी सोच में पड़ गई.  ‘आज तुम भावावेश में फैसला ले रही हो. कल राज कहे कि चांदनी नाजायज औलाद है तब. तब तो तुम न उधर की रहोगी न इधर की,’ अचला समझाते हुए बोली.

‘मैं एक गैरजिम्मेदार आदमी के साथ पिसती रहूं. आफिस से घर आती हूं तो घर में घुसने की इच्छा नहीं होती. घर काट खाने को दौड़ता है,’ मानसी रोंआसी हो गई. ‘तू राज के साथ खुश रहेगी,’ अचला बोली. ‘बिलकुल, अगर उसे मेरी जरूरत न होती तो क्यों लौट कर आता. उस ने तो अब तक शादी भी नहीं की,’ मानसी का चेहरा चमक उठा. ‘मनोहर के साथ भी तो तुम ने प्रेम विवाह किया था.’ ‘प्रेम विवाह नहीं समझौता. मैं ने उस से समझौता किया था,’ मानसी रूखे मन से बोली. ‘मनोहर क्या जाने, वह तो यही समझता होगा कि तुम ने उसे चाहा है. बहरहाल, मेरी राय है कि तुम्हें उसे सही रास्ते पर लाने का प्रयास करना चाहिए. वह तुम्हारा पति है.’

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‘मैं ने उसे सुधारने का हरसंभव प्रयास किया. चांदनी की कसम तक दिलाई.’ ‘हताशा या निराशा के भाव जब इनसान के भीतर घर कर जाते हैं तो सहज नहीं निकलते. तू उसे कठोर शब्द मत बोला कर. उस की संगति पर ध्यान दे. हो सकता है कि गलत लोगों के साथ रह कर वह और भी बुरा हो गया हो.’ ‘आज तू मेरे घर चल, वहीं चल कर इत्मीनान से बातें करेंगे.’

इतना बोल कर अचला अपने काम में जुट गई. अचला के घर आ कर मानसी ने देर से आने की सूचना मनोहर को दे दी. ‘राज के बारे में और तू क्या जानती है?’ अचला ने चाय का कप बढ़ाते हुए पूछा. ‘ज्यादा कुछ नहीं,’ मानसी कप पकड़ते हुए बोली. ‘सिर्फ प्रेमी न, यह भी तो हो सकता है कि वह तेरे साथ प्यार का नाटक कर रहा हो. इतने साल बाद वह भी यह जानते हुए कि तू शादीशुदा है, क्यों लौट कर आया? क्या वह नहीं जानता कि सबकुछ इतना आसान नहीं. कोई विवाहिता शायद ही अपना घर उजाड़े?’ अचला बोली, ‘जिस्म की सड़न रोकने के लिए पहले डाक्टर दवा देता है और जब हार जाता है तभी आपरेशन करता है. मेरा कहा मान, अभी कुछ नहीं बिगड़ा है.

अपने पति, बच्चों की सोच. शादी की है अग्नि के सात फेरे लिए हैं,’ अचला का संस्कारी मन बोला. मानसी की त्योरियां चढ़ गईं, ‘क्या निभाने की सारी जिम्मेदारी मेरी है, उस की नहीं. क्या नहीं किया मैं ने. नौकरी की, बच्चे संभाले और वह निठल्लों की तरह शराब पी कर घर में पड़ा रहता है. एक गैरजिम्मेदार आदमी के साथ मैं सिर्फ इसलिए बंधी रहूं कि हमारा साथ सात जन्मों के लिए है,’ मानसी का गला भर आया. ‘मैं तो सिर्फ तुम्हें दुनियादारी बता रही थी,’ अचला ने बात संभाली.

‘मैं ने मनोहर को तलाक देने का मन बना लिया है,’ मानसी के स्वर में दृढ़ता थी. ‘इस बारे में तुम अपने मांबाप की राय और ले लो. हो सकता है वे कोई बीच का रास्ता सुझाएं,’ अचला ने कह कर बात खत्म की.  मानसी के मातापिता उस के फैसले से दुखी थे.

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‘बेटी, तलाक के बाद औरत की स्थिति क्या होती है, तुम जानती हो,’ मां बोलीं. ‘मम्मी, इस वक्त मेरी जो मनोस्थिति है, उस के बाद भी आप ऐसा बोल रही हैं,’ मानसी दुखी होते हुए बोली. ‘क्या स्थिति है, जरा मैं भी तो सुनूं,’ मानसी की सास तैश में आ गईं. वहीं बैठे मनोहर के पिता ने इशारों से पत्नी को चुप रहने के लिए कहा. ‘तलाक से तुम्हें क्या हासिल हो जाएगा,’ मानसी के पापा बोले. ‘सुकून, शांति…’ दोनों शब्दों पर जोर देते हुए मानसी बोली. ‘अब आप ही समझाइए भाई साहब,’ मानसी के पापा उस के ससुर से हताश स्वर में बोले. ‘मैं ने तो बहुत कोशिश की.

पर जब अपना ही सिक्का खोटा हो तो कोई क्या कर सकता है,’ उन्होंने एक गहरी सांस ली. मनोहर वहीं बैठा सारी बातें सुन रहा था. ‘मनोहर तुम क्या चाहते हो? मानसी के साथ रहना या फिर हमेशा के लिए अलगाव?’ मानसी के पापा वहीं पास बैठे मनोहर की तरफ मुखातिब हो कर बोले. क्षणांश वह किंकर्तव्यविमूढ़ बना रहा फिर अचानक बच्चों की तरह फूटफूट कर रोने लगा. उस की दशा पर सब का मन द्रवित हो गया.

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अब फैंस को हरियाणवी सिखाएगी सपना चौधरी, वायरल हुआ वीडियो

हरियाणा की मशहूर डांसर सपना चौधरी लाखो दिलों की जान बन चुकी हैं. सपना चौधरी ने अब तक कई स्टेज शो किए है और हर स्टेज शो में वे अपने डांस से फैंस का दिल जीतने में कामयाब रही हैं. सपना का हर वीडियो इंटरनेट पर बड़ी ही तेज़ी से वायरल होता है फिर चाहे वे उनका डांस वीडियो हो या फिर उनके द्वारा कही गई कोई बात हो.

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सपना की हरियाणवी डिक्शनेरी…

इन दिनों सपना चौधरी अपने हरियाणवी भाषा को ले कर फैंस को काफी ग्यान देती दिखाई दे रही हैं. दरअसल, कुछ समय पहले सपना ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से एक वीडियो शेयर की थी जिसमें वे अपने फैंस को कुच हरियाणवी शब्द सिखा रही थीं और इस वीडियो को उन्होनें “हरियाणवी डिक्शनेरी। Week 1” का नाम दिया था. इस वीडियो के कैप्शन में उन्होनें लिखा कि, “राम राम इंडिया हरियाणवी लोगों की आवाज़ को, हमारा ऐंडी ढंग को, अब दुनिया दुनिया में गूँजवाँना है। प्रस्तुत है हरियाणवी डिक्शनेरी। पेहला शब्द: धब्बन”

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इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की वीडियो…

इस कैप्शन से साफ पता चल रहा है कि उनका अपनी हरियाणवी भाषा से काफी लगाव है और वे चाहती हैं कि पूरे भारत में लोग हरियाणवी भाषा का सम्मान करें. इसी के चलते सपना नें अपनी दूसरी वीडियो इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की है जिसके कैप्शन में उन्होनें लिखा कि, “हरियाणवी डिक्शनेरी। Week 2 राम राम इंडिया। एक शब्द, कयी प्रयोग! आप कैसे बावली बूच का इस्तेमाल करते हो बताओ.”

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हरियाणवी इतने भी बावले नहीं होते…

इन वीडियोज से सपना चौधरी के फैंस को नए नए शब्द सीखने का मौका तो जरूर मिलेगा, जैसे कि सपना ने अपने पहले वीडियो में शब्द ‘धब्बन’ का मतलब सिखाया. उन्होनें बताया कि, धब्बन का मतलब दोस्त होता है. इसी बीच उनके साथ मौजूद एक शख्स नें कहा कि इसकी परिभाषा भी बताओ, जिसपर सपना चौधरी ने जवाब दिया कि यह उदाहरण भी समझ जाएंगे,  हरियाणवी इतने भी बावले नहीं होते. सपना चौधरी की डिक्शनेरी वीडियो उनके फैंस उनकी हर वीडियो की तरह काफी पसंद कर रहे हैं.

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Bigg Boss 13: टीवी की ‘नागिन’ के सामने पोल डांस करने पर मजबूर हुए सिद्धार्थ शुक्ला और पारस छाबड़ा

बिग बौस सीजन 13 की शुरूआत से ही दर्शकों को लड़ाई झगड़े देखने को मिले लेकिन इन्हीं लड़ाई झगड़ों के बीच बिग बौस समय समय पर घरवालों और औडियंस के एंटरटेनमेंट का भी खास ध्यान रखते हैं. बिग बौस के घर में इसी एंटरटेनमेंट के लिए बीते एपिसोड में टेलिविजन इंडस्ट्री की बहतरीन और हौट एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना नें ग्रैंड एंट्री ली. घरवालों को एक टास्क दिया गया जिसमें उन सब को करिश्मा तन्ना को कुछ भी कर के इम्प्रेस करना था.

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लड़कों ने की काफी कोशिशें…

दरअसल, एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना ने बिग बौस के घर में एक क्वीन के रूप में एंट्री ली थी और इसी दौरान सभी कंटेस्टेंटस को क्वीन करिश्मा को हर हाल में इम्प्रेस करना था. इसके चलते लड़कों ने काफी कोशिशें की करिश्मा तन्ना को इम्प्रेस के लिए. घर में आते ही करिश्मा नें सबसे पहले लड़कों को ही और्डर दिया कि वे उन्हें कुछ भी करके इम्प्रेस करें.

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पोल डांस करते नजर आए सिद्धार्थ शुक्ला और पारस छाबड़ा…

इसी दौरान कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला और पारस छाबड़ा नें क्वीन बनीं करिश्मा तन्ना का दिल जीतने के लिए पोल डांस किया. सिद्धार्थ और पारस के पोल डांस की वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल होती दिखाई दे रही है. इन दोनों कंटेस्टेंटस के पोल डांस नें सबको काफी हद तक एंटरटेन किया.

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रातों रात सिद्धार्थ डे हुए घर से बेघर…

उन सब के बाद करिश्मा तन्ना रश्मि देसाई को मसाज करनें का हुक्म देती हैं. और तो और इसी के चलते सिद्धार्थ शुक्ला और असीम रियाज के बीच पुश अप का भी कौम्पिटिशन होता नजर आया. सबसे खास बात जो बीते एपिसोड की रही वो ये थी कि अचानक बिग बौस के घर में रात को हुए एविक्शन में कंटेस्टेंट सिद्धार्थ डे को घर से बेघर कर दिया गया.

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अगर आपको भी है नए हेयरस्टाइल्स रखने का क्रेज तो जरूर फौलो करें ये ट्रेंडी लुक्स

अक्सर युवकों को ट्रेंडी हेयरस्टाइल्स बनाने का बेहद शौंक होता है. ज्यादातर लोग किसी ना किसी बौलीवुड एक्टर्स को कौपी कर उनकी तहर हेयरस्टाइल्स बनवाते रहते हैं. तो अगर आपको भी है नए नए हेयरस्टाइल्स रखने का क्रेज को हम आपके लिए ले कर आए हैं ऐसे फैशनेबर हेयरस्टाइल्स जिसे ट्राय कर आप किसी को भी इम्प्रेस कर सकते हैं.

अनिल कपूर का न्यू लुक

अनिल कपूर ने अपने हेयरस्टाइल को काफी ट्रेंडी बना दिया है. अनिल कपूर ने अपने बालों को दोनों साइड से बिलकुल छोटा कर दिया है, जबकि शेष बालों को एक नया लुक दिया है. यह शेप भी युवाओं में काफी प्रचलित हो रहा है.

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स्पाइक्स कट

युवाओं में स्पाइक कट का फैशन हाइट पर है. इस से बालों के साथ चेहरे का लुक भी पूरी तरह से चेंज हो जाता है, जिस से युवा ग्लैमरस और बिंदास दिखने लगते हैं.

अंडरकट

जैसे कि इस के नाम से पता चलता है कि इस हेयरकट में आगे से बड़े और लैफ्ट ऐंड राइट दोनों साइड से न के बराबर बाल रखना ही अंडरकट है. इस हेयरकट को युवक ही पसंद नहीं करते बल्कि युवतियां भी इस कट वाले युवकों को स्टाइलिश मानती हैं.

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गजनी कट

आमिर खान का गजनी हेयरकट लोगों में ऐसा छाया कि इतने सालों बाद आज भी वह युवाओं में काफी लोकप्रिय है. जिम जाने वाले अधिकांश युवा बहुत छोटे बाल रखते हैं.

स्ट्रेट हेयरकट

ऐसा नहीं है कि सिल्की हेयर के लिए युवतियां ही मशहूर हैं, युवकों के बाल भी सिल्की होते हैं. ऐसे में वे अपने बालों को शोल्डर लैंथ स्टेट हेयरकट देते हैं. इस में वे बालों को खुला रखने के साथसाथ पोनीटेल भी बांधते हैं. यह भी फैशन में है.

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कर्ली हेयर

जिन युवकों के बाल कर्ली हैं वे अकसर इस हेयरस्टाइल को फौलो करते हैं. वैसे बालों को कर्ली कराया भी जा सकता है, लेकिन युवक ऐसा कम ही करते हैं. ऐसे बालों वाले युवा कर्ली मोप टौप स्टाइल में कटिंग करवाते हैं

हेयर टैटू

हेयर टैटूइंग वैसे तो चलन में बहुत है लेकिन इन दिनों अस्थायी स्टिकर काफी पसंद किए जा रहे हैं. बालों के लिए यह नुकसानदायक भी नहीं होता, क्योंकि इसे पानी लगा कर चिपकाया जाता है. इसे हटाना भी बहुत आसान है. यह स्टाइल बहुत लोकप्रिय हो रहा है.

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क्या बैंक में रखा पैसा डूब सकता है!

जगदीश (बदला नाम) व्यवसायी हैं और आजकल काफी परेशान रह रहे हैं. बैंक अधिकारियों से ले कर रिश्तेदारों व परिचितों तक से पूछते रहते हैं कि बैंक में जमा पैसा कितना सुरक्षित है?

दरअसल, कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर उन्होंने एक पोस्ट देखा था जिस में दावा किया गया था कि अगर आप ने बैंक में अधिक रकम जमा कराया हुआ है, तो उसे निकाल लें क्योंकि देश में बैंक की हालत अच्छी नहीं है और कई बैंक दिवालिया हो सकते हैं. ऐसे में आप का पैसा डूब सकता है.

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दूसरा एक पोस्ट था, जो यह दावा करता नजर आ रहा था कि बैंक में आप के भले ही लाखों रूपए जमा हैं, लेकिन यदि वह बैंक दिवालिया हो गया अथवा डूब गया तो आप को सिर्फ 1 लाख रूपए ही मिलेंगे.

तो फिर सचाई क्या है

यह अकेले जगदीश की चिंता नहीं, कई लोगों की है. सोशल मीडिया में आए इस तरह की खबर पर हालांकि आरबीआई ने सफाई दी और आगे आ कर खबरों को मनगढंत बताया.

मगर हद तो तब हो गई जब ओडिशा के एक सरकारी मुलाजिम ने सरकारी बैंकों में पैसा रखने के लिए आगाह किया है.

ओडिशा सरकार में प्रधान सचिव एकेके मीणा ने दरअसल कई विभागों को पत्र लिखा था. मुंबई के पीएमसी बैंक घोटाले व कुछ वित्तीय संस्थानों की खस्ता होती वित्तीय हालात के बाद मीणा के इस खत को ले कर सनसनी भी फैल गई, जिस में उन्होंने कहा था कि अगर कोई विभाग किसी बैंक में पैसा जमा करता है तो यह उस की खुद की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी.

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आरबीआई ने जताया कड़ा ऐतराज

मीणा के इस पत्र पर आरबीआई ने कङा ऐतराज जताया और एक अधिकारी ने बयान जारी करते हुए कहा,”आप को यह जानना चाहिए कि किसी जिम्मेदार पद पर बैठा व्यक्ति अगर इस तरह की बात करता है तो आम जनता में भय का माहौल पैदा हो सकता है. इस का असर बैंकों को वित्तीय लेनदेन पर भी उठाना पङ सकता है.”

आननफानन में तब मीणा को भी सफाई देने के लिए आगे आना पङा. मीणा ने कहा,”राज्य सरकार प्रदेश में किसी भी बैंक की वित्तीय सेहत पर कोई विचार नहीं रखती.”

मीणा के पत्र पर हालांकि खूब बवाल भी मचा था पर उस वक्त उन्होंने कुछ अखबारों की खबरों की ओर भी ध्यान दिलाया था, जिन में बैंकों की वित्तीय सेहत खस्ता होने के बारे में बताया गया था.

वायरल सच क्या है

यह सही है कि बैंक अगर किसी मुसीबत में है अथवा किसी वित्तीय परेशानी में, तो वह आप के जमा किए गए रुपयों का इस्तेमाल कर सकता है.

लेकिन सच यह भी है कि अभी तक ऐसी कोई नौबत नहीं आई है कि बैंक जमाकर्ता को पैसा वापस न कर पाया हो.

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आमतौर पर जब भी किसी बैंक की वित्तीय सेहत बिगङने लगती है तो आरबीआई यानी भारतीय रिजर्व बैंक कई समाधान कर उसे संभाल लेता है.

जानिए आरबीआई के नियमों को

आप का पैसा बैंक में कितना सुरक्षित है, इस बात की पुष्टि आरबीआई के आधिकारिक वेबसाइट पर भी किया गया है. आप चाहें तो rbi.org.in पर लौगऔन कर वेबसाइट पर दिए गए नियम को देख सकते हैं.

इसलिए कह सकते हैं कि घर की तिजोरी से अधिक बैंक में जमा आप का पैसा अधिक सुरक्षित है.

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किसानों के साथ ऐसे हो रही ठगी!

किसान भोले भाले होते हैं, अशिक्षित होते हैं, दूसरी तरफ सरकार का राजस्व अमला किस तरह कुंभकरणी निद्रा में सोया हुआ है इसका खुलासा भी इस एक प्रकरण से हो जाता है. दरअसल, हुआ यह है कि छत्तीसगढ़ के  महासमुंद जिले की पुलिस ने विगत  सात साल से फर्जी ऋण पुस्तिका बना बैंकों से केसीसी लोन दिलाने का कारोबार कर रहे गिरोह का भंडाफोड़ किया है.

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किसान अंकिता आई सामने!

मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने  एक-दो नहीं बल्कि सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से भारी संख्या में फर्जी ऋण पुस्तिका, कई बैंकों के सील, तहसीलदार और पटवारी के फर्जी सील समेत कई सामान जब्त किया गया  है.कौफ्रेंस कर पिथौरा नगर निरीक्षक कमला पुसाम और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पुपलेश पात्रे ने जानकारी दी कि  कुछ  दिनों पहले  ठगी की  शिकार अंकिता यादव ने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि पिथौराके  रहवासी उत्तम मजूमदार ने वर्ष  2018 के अप्रैल माह में कृषि भूमि  का पट्टा बनाने के एवज में  उससे 20 हजार लिया था. लेकिन अभी तक पट्टा बनाकर नहीं दिया, पैसे मांगने पर देने से इंकार कर रहा है .

जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद शिकायत शिकायत की जांच को गंभीरता से लेते हुए टीम गठित कर मामले की जांच की गई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये, तब जाकर इस किसानों के  ठगी मामले का  खुलासा हुआ.

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पटवारी की सील, दस्तावेज भी फर्जी

पुलिस के अनुसार जांच में पाया गया कि आरोपी उत्तम मजूमदार अपने अन्य साथियों ग्रीसम बिसी निवासी रामपुर, संजय राव काटे, गलय कमार यादव साकिनान झलप, सुभाष चक्रधारी निवासी बेलडीह, दीनबंध पटेल निवासी आण्ड, घासीराम प्रजापति निवासी पिथौरा ने मिलकर  ग्रामीणों को बैंक से ऋण दिलाने, जमीन संबंधी खसरा, नक्शा प्राप्त कर लोन संबंधी दस्तावेजों में फर्जी राजस्वत निरीक्षक और बैंकों का सील तैयार कर फर्जी तरीके से फर्जीवाड़ा किया है . विगत  सात साल से ये सातों आरोपी मिलकर इस फर्जीवाड़ा को अंजाम देते रहे थे.

पुलिस ने इनके पास से किसान किताब, बैंक पास बुक, रबड़ सील,  यही नही रबड़ सील बनाने की मशीन समेत कई फर्जी दस्तावेज जब्त किया है. सभी आरोपियों को धारा 420, 467, 468, 471.120-B के तहत गिरफ्तार जेल भेज दिया गया  है. मामले के  अन्य फरार आरोपियों की तलाश  पुलिस  सरजमीं से कर रही है.

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इस गंभीर ठगी के प्रकरण में यह तथ्य भी उभर कर सामने आया है कि लंबे समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े की खबर आखिर पुलिस एवं राजस्व विभाग को क्यों नहीं हो पाई जाने कितने किसानों को फर्जी ऋण पुस्तिका बना कर दी गई जाने कितने लोगों को फर्जी लोन दिलाया गया और सरकार कुंभकरणी निंद्रा में सोती रही। निसंदेह इस संपूर्ण मामले में बिना मिलीभगत के ऐसा गड़बड़झाला नहीं हो सकता इसलिए अब आवश्यकता है संपूर्ण मामले की गंभीरता से जांच की ताकि मामले का पूरी तरह खुलासा हो सके.

फिर बड़ी  मछलियां बच गई

संपूर्ण प्रकरण में अभी तक के खुलासे में यही जान पड़ता है कि पुलिस ने छोटी मछलियों पर तो हाथ डाला मगर इस गंभीर मसले में जुड़े बड़ी मछलियों  तक पुलिस नहीं पहुंच पाई.

ग्राम मेमरडीही की  प्रार्थिया अंकिता यादव की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार करने पहुंची टी आई कमला  व उनकी टीम ने घर मे दबिश दे कर जाँच की तो घर से तहसीलदार, पटवारी, राजस्व अधिकारियो समेत नगर के प्रमुख बैंको की सील, मोहर व अन्य कागजाद बरामद किया गया, कड़ाई से पूछताछ करने के बाद आरोपी द्वारा अन्य व्यक्तियों के भी शामिल होने की बात कबूली है. जिसमे एक शिक्षाकर्मी दीनबंधु पटेल तहसील आफिस की भृत्य घासीराम प्रजापति, ग्रीसम बीसी निवासी रामपुर संजय राव काटे, मलय कुमार यादव साकिन झलप सुभास चक्रधारी बेलडिहि शामिल है सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है.

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पुलिस की द्वारा बताया गया है की सरगना  मास्टरमाइंड उत्तम मजूमदार है यह अपराधी किस्म का है और कई बार पहले भी ऐसे प्रकरणों में जेल दाखिल हो चुका है.वहीं यह गैंग महासमुंद जिला में 2012 से सक्रिय है  आस पास के गांवो मे जाकर लोन व पट्टा बनवाने के नाम पर ठगी करता है, राजस्व विभाग मे पदस्थ आरोपी कर्मचारी,  उत्तम  को पट्टा बनवाने आये गाँव के भोले भाले ग्रामीणों का पता लगा कर सुचना देता था, जिसके बाद उत्तम व उसकी टीम ज़मीन का पट्टा तैयार कर अधिकारिओ का सील मोहर लगा कर बैंको से लोन दिलवाने का कार्य करते थे. ये आरोपी फर्जी ऋण पुस्तिका बनाकर विभिन्न बैंकों से के.सी.सी लोन दिलाने का फर्जी कारोबार विगत सात वर्षों से चला रहे थे.

उस के हिस्से की जूठन: भाग 1

इस विषय पर अब उस ने सोचना बंद कर दिया है. सोचसोच कर बहुत दिमाग खराब कर लिया पर आज तक कोई हल नहीं निकाल पाई. उस ने लाख कोशिश की कि मुट्ठी से कुछ भी न फिसलने दे, पर कहां रोक पाई. जितना रोकने की कोशिश करती सबकुछ उतनी तेजी से फिसलता जाता. असहाय हो देखने के अलावा उस के पास कोई चारा नहीं है और इसीलिए उस ने सबकुछ नियति पर छोड़ दिया है.

दुख उसे अब उतना आहत नहीं करता, आंसू नहीं निकलते. आंखें सूख गई हैं. पिछले डेढ़ साल में जाने कितने वादे उस ने खुद से किए, निखिल से किए. खूब फड़फड़ाई. पैसा था हाथ में, खूब उड़ाती रही. एक डाक्टर से दूसरे डाक्टर तक, एक शहर से दूसरे शहर तक भागती रही. इस उम्मीद में कि निखिल को बूटी मिल जाएगी और वह पहले की तरह ठीक हो कर अपना काम संभाल लेगा.

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सबकुछ निखिल ने अपनी मेहनत से ही तो अर्जित किया है. यदि वही कुछ आज निखिल पर खर्च हो रहा है तो उसे चिंता नहीं करनी चाहिए. उस ने बच्चों की तरफ देखना बंद कर दिया है. पढ़ रहे हैं. पढ़ते रहें, बस. वह सब संभाल लेगी. रिश्तेदार निखिल को देख कर और सहानुभूति के चंद कतरे उस के हाथ में थमा कर जा चुके हैं.

देखतेदेखते कुमुद टूट रही है. जिस बीमारी की कोई बूटी ही न बनी हो उसी को खोज रही है. घंटों लैपटाप पर, वेबसाइटों पर इलाज और डाक्टर ढूंढ़ती रहती. जैसे ही कुछ मिलता ई-मेल कर देती या फोन पर संपर्क करती. कुछ आश्वासनों के झुनझुने थमा देते, कुछ गोलमोल उत्तर देते. आश्वासनों के झुनझुनों को सच समझ वह उन तक दौड़ जाती. निखिल को आश्वस्त करने के बहाने शायद खुद को आश्वस्त करती. दवाइयां, इंजेक्शन, टैस्ट नए सिरे से शुरू हो जाते.

डाक्टर हैपिटाइटिस ‘ए’ और ‘बी’ में दी जाने वाली दवाइयां और इंजेक्शन ही ‘सी’ के लिए रिपीट करते. जब तक दवाइयां चलतीं वायरस का बढ़ना रुक जाता और जहां दवाइयां हटीं, वायरस तेजी से बढ़ने लगता. दवाइयों के साइड इफैक्ट होते. कभी शरीर पानी भरने से फूल जाता, कभी उलटियां लग जातीं, कभी खूब तेज बुखार चढ़ता, शरीर में खुजली हो जाती, दिल की धड़कनें बढ़ जातीं, सांस उखड़ने लगती और कुमुद डाक्टर तक दौड़ जाती.

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पिछले डेढ़ साल से कुमुद जीना भूल गई, स्वयं को भूल गई. उसे याद है केवल निखिल और उस की बीमारी. लाख रुपए महीना दवाइयों और टैस्टों पर खर्च कर जब साल भर बाद उस ने खुद को टटोला तो बैंक बैलेंस आधे से अधिक खाली हो चुका था. कुमुद ने तो लिवर ट्रांसप्लांट का भी मन बनाया. डाक्टर से सलाह ली. खर्चे की सुन कर पांव तले जमीन निकल गई. इस के बाद भी मरीज के बचने के 20 प्रतिशत चांसेज. यदि बच गया तो बाद की दवाइयों का खर्चा. पहले लिवर की व्यवस्था करनी है.

सिर थाम कर बैठ गई कुमुद. पापा से धड़कते दिल से जिक्र किया तो सुन कर वह भी सोच में पड़ गए. फिर समझाने लगे, ‘‘बेटा, इतना खर्च करने के बाद भी कुछ हासिल नहीं हो पाया तो तू और बच्चे किस ठौर बैठेंगे. आज की ही नहीं कल की भी सोच.’’

‘‘पर पापा, निखिल ऐसे भी मौत और जिंदगी के बीच झूल रहे हैं. कितनी यातना सह रहे हैं. मैं क्या करूं?’’ रो दी कुमुद.

‘‘धैर्य रख बेटी. जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं और कोई रास्ता नहीं सूझता तब ईश्वर के भरोसे नहीं बैठ जाना चाहिए बल्कि तलाश जारी रखनी चाहिए. तू तानी के बारे में सोच. उस का एम.बी.ए. का प्रथम वर्ष है और मनु का इंटर. बेटी इन के जीवन के सपने मत तोड़. मैं ने यहां एक डाक्टर से बात की है. ऐसे मरीज 8-10 साल भी खींच जाते हैं. तब तक बच्चे किसी लायक हो जाएंगे.’’

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सुनने और सोचने के अलावा कुमुद के पास कुछ भी नहीं बचा था. निखिल जहां जरा से संभलते कि शोरूम चले जाते हैं. नौकर और मैनेजर के सहारे कैसे काम चले? न तानी को फुर्सत है और न मनु को कि शोरूम की तरफ झांक आएं. स्वयं कुमुद एक पैर पर नाच रही है. आय कम होती जा रही है. इलाज शुरू करने से पहले ही डाक्टर ने सारी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यदि आप 15-20 लाख खर्च करने की शक्ति रखते हैं तभी इलाज शुरू करें.

असहाय निखिल सब देख रहे हैं और कोशिश भी कर रहे हैं कि कुमुद की मुश्किलें आसान हो सकें. पर मुश्किलें आसान कहां हो पा रही हैं. वह स्वयं जानते हैं कि लिवर कैंसर एक दिन साथ ले कर ही जाएगा. बस, वह भी वक्त को धक्का दे रहे हैं. उन्हें भी चिंता है कि उन के बाद परिवार का क्या होगा? अकेले कुमुद क्याक्या संभालेगी?

इस बार निखिल ने मन बना लिया है कि मनु बोर्ड की परीक्षाएं दे ले, फिर शो- रूम संभाले. उन के इस निश्चय पर कुमुद अभी चुप है. वह निर्णय नहीं कर पा रही कि क्या करना चाहिए.

अभी पिछले दिनों निखिल को नर्सिंग होम में भरती करना पड़ा. खून की उल्टियां रुक ही नहीं रही थीं. डाक्टर ने एंडोस्कोपी की और लिवर के सिस्ट बांधे, तब कहीं ब्लीडिंग रुक पाई. 50 हजार पहले जमा कराने पड़े. कुमुद ने देखा, अब तो पास- बुक में महज इतने ही रुपए बचे हैं कि महीने भर का घर खर्च चल सके. अभी तो दवाइयों के लिए पैसे चाहिए. निखिल को बिना बताए सर्राफा बाजार जा कर अपने कुछ जेवर बेच आई. निखिल पूछते रहे कि तुम खर्च कैसे चला रही हो, पैसे कहां से आए, पर कुमुद ने कुछ नहीं बताया.

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‘‘जब तक चला सकती हूं चलाने दो. मेरी हिम्मत मत तोड़ो, निखिल.’’

‘‘देख रहा हूं तुम्हें. अब सारे निर्णय आप लेने लगी हो.’’

‘‘तुम्हें टेंस कर के और बीमार नहीं करना चाहती.’’

‘‘लेकिन मेरे अलावा भी तो कुछ सोचो.’’

‘‘नहीं, इस समय पहली सोच तुम हो, निखिल.’’

‘‘तुम आत्महत्या कर रही हो, कुमुद.’’

‘‘ऐसा ही सही, निखिल. यदि मेरी आत्महत्या से तुम्हें जीवन मिलता है तो मुझे स्वीकार है,’’ कह कर कुमुद ने आंखें पोंछ लीं.

निखिल ने चाहा कुमुद को खींच कर छाती से लगा ले, लेकिन आगे बढ़ते हाथ रुक गए. पिछले एक साल से वह कुमुद को छूने को भी तरस गया है. डाक्टर ने उसे मना किया है. उस के शरीर पर पिछले एक सप्ताह से दवाई के रिएक्शन के कारण फुंसियां निकल आई हैं. वह चाह कर भी कुमुद को नहीं छू सकता.

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जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

धारावाहिक कहानी: नीड़ का निर्माण फिर से

मानसी का मन बेहद उदास था. एक तो छुट्टी दूसरे चांदनी का ननिहाल चले जाना और अब चांदनी के बिना अकेलापन उसे काट खाने को दौड़ रहा था. मानसी का मन कई तरह की दुश्चिंताओं से भर जाता. सयानी होती बेटी वह भी बिन बाप की. कहीं कुछ ऊंचनीच हो गया तो. चांदनी की गैरमौजूदगी उस की बेचैनी बढ़ा देती. कल ही तो गई थी चांदनी. तब से अब तक मानसी ने 10 बार फोन कर के उस का हाल लिया होगा. चांदनी क्या कर रही है? अकेले कहीं मत निकलना. समय पर खापी लेना. रात देर तक टीवी मत देखना. फोन पर नसीहत सुनतेसुनते मानसी की मां आजिज आ जाती.

‘‘सुनो मानसी, तुम्हें इतना ही डर है तो ले जाओ अपनी बेटी को. हम क्या गैर हैं?’’ मानसी को अपराधबोध होता. मां के ही घर तो गई है. बिलावजह तिल का ताड़ बना रही है. तभी उस की नजर सुबह के अखबार पर पड़ी. भारत में तलाक की बढ़ती संख्या चिंताजनक…एक जज की इस टिप्पणी ने उस की उदासी और बढ़ा दी. सचमुच घर एक स्त्री से बनता है. एक स्त्री बड़े जतन से एकएक तिनका जोड़ कर नीड़ का निर्माण करती है. ऐसे में नियति उसे जब तहसनहस करती है तो कितनी अधिक पीड़ा पहुंचती है, इस का सहज अनुमान लगा पाना बहुत मुश्किल होता है. आज वह भी तो उसी स्थिति से गुजर रही है. तलाक अपनेआप में भूचाल से कम नहीं होता. वह एक पूरी व्यवस्था को नष्ट कर देता है पर क्या नई व्यवस्था बना पाना इतना आसान होता है. नहीं…जज की टिप्पणी निश्चय ही प्रासंगिक थी.

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पर मानसी भी क्या करती. उस के पास कोई दूसरा रास्ता न था. पति घर का स्तंभ होता है और जब वह अपनी जिम्मेदारी से विमुख हो जाए तो अकेली औरत के लिए घर जोड़े रखना सहज नहीं होता. मानसी उस दुखद अतीत से जुड़ गई जिसे वह 10 साल पहले पीछे छोड़ आई थी. उस का अतीत उस के सामने साकार होने लगा और वह विचारसागर में डूब गई. उस की सहकर्मी अचला ने उस दिन पहली बार मानसी की आंखों में गम का सागर लहराते देखा. हमेशा खिला रहने वाला मानसी का चेहरा मुरझाया हुआ था. कभी सास तो कभी पति को ले कर हजार झंझावातों के बीच अचला ने उसे कभी हारते हुए नहीं देखा था. पर आज वह कुछ अलग लगी. ‘मानसी, सब ठीक तो है न?’ लंच के वक्त उस की सहेली अचला ने उसे कुरेदा. मानसी की सूनी आंखें शून्य में टिकी रहीं. फिर आंसुओं से लबरेज हो गईं.

‘मनोहर की नशे की लत बढ़ती ही जा रही है. कल रात उस ने मेरी कलाई मोड़ी…’ इतना बतातेबताते मानसी का कंठ रुंध गया. ‘गाल पर यह नीला निशान कैसा…’ अचला को कुतूहल हुआ. ‘उसी की देन है. जैकेट उतार कर मेरे चेहरे पर दे मारी. जिप से लग गई.’ इतना जालिम है मानसी का पति मनोहर, यह अचला ने सपने में भी नहीं सोचा था.  मानसी ने मनोहर से प्रेम विवाह किया था. दोनों का घर आसपास था इसलिए अकसर उन दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना था. एक रोज मनोहर मानसी के घर आया तो मानसी की मां पूछ बैठीं, ‘कौन सी क्लास में पढ़ते हो?’ ‘बी.ए. फाइनल,’ मनोहर ने जवाब दिया था. ‘आगे क्या इरादा है?’ ‘ठेकेदारी करूंगा.’ मनोहर के इस जवाब पर मानसी हंस दी थी. ‘हंस क्यों रही हो? मुझे ढेरों पैसे कमाने हैं,’ मनोहर सहजता से बोला. उधर मनोहर ने सचमुच ठेकेदारी का काम शुरू कर दिया था. इधर मानसी भी एक स्कूल में पढ़ाने लगी.

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24 साल की मानसी के लिए अनेक रिश्ते देखने के बाद भी जब कोई लायक लड़का न मिला तो उस के पिता कुछ निराश हो गए. मानसी की जिंदगी में उसी दौरान एक लड़का राज आया. राज भी उसी के साथ स्कूल में पढ़ाता था. दोनों में अंतरंगता बढ़ी लेकिन एक रोज राज बिना बताए चेन्नई नौकरी करने चला गया. उस का यों अचानक चले जाना मानसी के लिए गहरा आघात था. उस ने स्कूल छोड़ दिया. मां ने वजह पूछी तो टाल गई. अब वह सोतेजागते राज के खयालों में डूबी रहती.

करवटें बदलते अनायास आंखें छलछला आतीं. ऐसे ही उदासी भरे माहौल में एक दिन मनोहर का उस के घर आना हुआ. डूबते हुए को तिनके का सहारा. मानसी उस से दिल लगा बैठी. यद्यपि दोनों के व्यक्तित्व में जमीनआसमान का अंतर था पर किसी ने खूब कहा है कि खूबसूरत स्त्री के पास दिल होता है दिमाग नहीं, तभी तो प्यार में धोखा खाती है. मनोहर से मानसी को तत्काल राहत तो मिली पर दीर्घकालीन नहीं.

मांबाप ने प्रतिरोध किया. हड़बड़ी में शादी का फैसला लेना उन्हें तनिक भी अच्छा न लगा. पर इकलौती बेटी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा. मानसी की सास भी इस विवाह से नाखुश थीं इसलिए थोड़े ही दिनों बाद उन्होंने रंग दिखाने शुरू कर दिए. मानसी का जीना मुश्किल हो गया. वह अपना गुस्सा मनोहर पर उतारती. एक रोज तंग आ कर मानसी ने अलग रहने की ठानी. मनोहर पहले तो तैयार न हुआ पर मानसी के लिए अलग घर ले कर रहने लगा.

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यहीं मानसी ने एक बच्ची चांदनी को जन्म दिया. बच्ची का साल पूरा होतेहोते मनोहर को अपने काम में घाटा शुरू हो गया. हालात यहां तक पहुंच गए कि मकान का किराया तक देने के पैसे न थे. हार कर उन्हें अपने मांबाप के पास आना पड़ा. मानसी ने दोबारा नौकरी शुरू कर दी. मनोहर ने लगातार घाटे के चलते काम को बिलकुल बंद कर दिया. अब वह ज्यादातर घर पर ही रहता. ठेकेदारी के दौरान पीने की लत के चलते मनोहर ने मानसी के सारे गहने बेच डाले.

यहां तक कि अपने हाथ की अंगूठी भी शराब के हवाले कर दी. एक दिन मानसी की नजर उस की उंगलियों पर गई तो वह आपे से बाहर हो गई, ‘तुम ने शादी की सौगात भी बेच डाली. मम्मी ने कितने अरमान से तुम्हें दी थीं.’ मनोहर ने बहाने बनाने की कोशिश की पर मानसी के आगे उस की एक न चली. इसी बात को ले कर दोनों में झगड़ा होने लगा. तभी मानसी की सास की आवाज आई, ‘शोर क्यों हो रहा है?’ ‘आप के घर में चोर घुस आया है.’

वह जीने से चढ़ कर ऊपर आईं. ‘कहां है चोर?’ उन्होंने चारों तरफ नजरें दौड़ाईं. मानसी ने मनोहर की ओर इशारा किया, ‘पूछिए इन से… अंगूठी कहां गई.’ सास समझ गईं. वह कुछ नहीं बोलीं. उलटे मानसी को ही भलाबुरा कहने लगीं कि अपने से छोटे घर की लड़की लाने का यही नतीजा होता है. मानसी को यह बात लग गई. वह रोंआसी हो गई. आफिस जाने को देर हो रही थी इसलिए जल्दीजल्दी तैयार हो कर इस माहौल से वह निकल जाना चाहती थी.

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शाम को मानसी घर आई तो जी भारी था. आते ही बिस्तर पर निढाल पड़ गई. अपने भविष्य और अतीत के बारे में सोचने लगी. क्या सोचा था क्या हो गया. ससुर कभीकभार मानसी का पक्ष ले लेते थे पर सास तो जैसे उस के पीछे पड़ गई थीं. एक दिन मनोहर कुछ ज्यादा ही पी कर आया था. गुस्से में पिता ने उसे थप्पड़ मार दिया. ‘कुछ भी कर लीजिए आप, मैं  पीना  नहीं  छोड़ूंगा. मुझे अपनी जिंदगी की कोई परवा नहीं. आप से पहले मैं मरूंगा. फिर नाचना मानसी को ले कर इस घर में अकेले.’

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

रिवाजों की दलदल: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- रिवाजों की दलदल: भाग 1

दादी ने कदाचित अपने मन को संभाल लिया था. बोलीं, ‘कायस्थ घराने में एक मद्रासी लड़की तो आजकल चलता है लेकिन अच्छी तरह सुन लो, कुंडली मिलवाए बिना हम ब्याह नहीं होने देंगे.’

रजनी ने धीरे से कहा, ‘अम्मांजी, अब कुंडली कौन मिलवाता है. जो होना होता है वह तो हो कर ही रहता है.’

‘चुप रहो, बहू. हमारा इकलौता पोता है. हम जरा भी लापरवाही नहीं बरतेंगे,’ फिर सुभग से बोलीं, ‘तू इस की मां से कुंडली मांग लेना.’

‘दादी, जैसे आप को अपना पोता प्यारा है, उन्हें भी तो अपनी बेटी उतनी ही प्यारी होगी. अगर मेरी कुंडली खराब हुई और उन्होंने मना कर दिया तो.’

‘कर दें मना, तुझे किस बात की कमी है?’

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‘लेकिन दादी…’

उसे बीच में ही टोक कर दादी बोलीं, ‘अब कोई लेकिनवेकिन नहीं. चल, अब खाना खा ले.’

सुभग का मन उखड़ गया था. धीरे से बोला, ‘अभी भूख नहीं है, दादी.’

रजनी जानती थी कि सुभग ने अपने बड़ों से कभी बहस नहीं की. उस की उदासी रजनी को दुखी कर गई थी. एकांत में बोलीं, ‘क्यों डर रहा है. सब ठीक हो जाएगा. तुम दोनों की कुंडली जरूर मिल जाएगी.’

‘और यदि नहीं मिली तो क्या करेंगे आप लोग?’ उस ने सीधा प्रश्न ठोक दिया था.

‘इतना निराशावादी क्यों हो गया है. दादी का मन रह जाने दे, बाकी सब ठीक होगा,’ फिर धीरे से बोलीं, ‘श्री मुझे भी पसंद है.’

गाड़ी धीरेधीरे हिचकोले खा रही थी. शायद कोई स्टेशन आ गया था. गाड़ी तो समय पर अपनी मंजिल तक पहुंच ही जाती है पर इनसान कई बार बीच राह में ही गुम हो जाता है. आखिर ये रिवाजों के दलदल कब तक पनपते रहेंगे?

वह फिर अतीत की उस खाई में उतरने लगीं जिस से बाहर निकलने की कोई राह ही नहीं बची थी.

दादी के हठ पर वह श्री की कुंडली ले आया था लेकिन उस ने रजनी से कह दिया था, ‘मम्मा, मैं यह सब मानूंगा नहीं. अगर श्री से शादी नहीं तो कभी भी शादी नहीं करूंगा.’

फिर सब बदलता ही चला गया. श्री की कुंडली में मंगली दोष था और भी अनेक दोष पंडित ने बता दिए. दादी ने साफ कह दिया, ‘बस, फैसला हो गया. यह शादी नहीं होगी, एक तो लड़की मंगली है दूसरे, कुंडली में कोई गुण भी नहीं मिल रहे हैं.’

‘मैं यह सब नहीं मानता हूं,’ सुभग ने कहा.

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‘मानना पड़ेगा,’ दादी ने जोर दिया.

‘हमारे पोते पर शादी के बाद कोई भी मुसीबत आए यह नहीं हो सकता है.’

‘आप को क्या लगता है दादी, उस से शादी न कर के मैं अमर हो जाऊंगा.’

‘कैसे बहस कर रहा है उस मामूली सी लड़की के लिए. कितनी सुंदर लड़कियों के रिश्ते हैं तेरे लिए.’

‘दादी, सुंदरता समाप्त हो सकती है पर अच्छा स्वभाव सदा बना रहता है.’

सुभग का तर्क एकदम ठीक था पर उस की दादी का हठ सर्वोपरि था. सुभग के हठ को परास्त करने के लिए उन्होंने आमरण अनशन पर जाने की धमकी दे दी.

दिन भर दोनों अपनी जिद पर अड़े रहे. दादी बिना अन्नजल के शाम तक बेहाल होने लगीं. वह मधुमेह की रोगी थीं. पापा ने घबरा कर सुभग के सामने दोनों हाथ जोड़ दिए, ‘बेटा, तुम्हें तो बहुत अच्छी लड़की फिर भी मिल ही जाएगी पर मुझे मेरी मां नहीं मिलेगी.’

सुभग ने पापा की जुड़ी हथेली पर माथा टिका दिया.

‘पापा, दादी मुझे भी प्यारी हैं. यदि इस समस्या का हल किसी एक को छोड़ना ही है तो मैं श्री को छोड़ता हूं.’

पापा ने उसे गले से लगा लिया. जब उस ने सिर उठाया तो उस का चेहरा आंसुआें में डूबा हुआ था.

पापा से अलग हो कर उस ने कहा, ‘पापा, एक वादा मैं भी चाहता हूं. अब आप लोग कहीं भी मेरे विवाह की बात नहीं चलाएंगे. अगर श्री नहीं तो और कोई भी नहीं?’

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पापा व्यथित से उसे देखते रह गए. बेटे से कुछ कह पाने की स्थिति में तो वह भी नहीं थे. जब दादी कुछ स्वस्थ हुईं तो पापा ने कहा, ‘मां, उसे संभालने का अवसर दीजिए. कुछ मत कहिए अभी.’

1 माह बाद दादी ने फिर कहना आरम्भ कर दिया तो सुभग ने कहा, ‘दादी, जब तक मैं नई पोस्ट और नई जगह ठीक से सैटल नहीं होता, प्लीज और कुछ मत कहिए.’

बहुत शीघ्र अपने पद व प्रतिष्ठा से वह शायद ऊब गया और नौकरी छोड़ कर दुबई चला गया. शायद विवाह से पीछा छुड़ाने की यह राह चुनी थी उस ने.

इसी तरह टालते हुए 3 वर्ष और बीत गए थे. सुभग दुबई में अकेले रहता था. फोन भी कम करता था. वहां की तेज रफ्तार जिंदगी में पता नहीं ऐसा क्या हुआ, एक दिन उस के आफिस वालों ने फोन से दुर्घटना में उस की मृत्यु का समाचार दिया.

जाने कब रजनी की आंख लग गई थी. कुछ शोर से आंख खुली तो पता चला दिल्ली का स्टेशन आने वाला है.

उन्होंने झट से चादर तहाई, बैग व पर्स संभाला और बीच की सीट गिरा कर बैठ गईं. श्री भी परिवार सहित सामान समेट कर स्टेशन आने की प्रतीक्षा कर रही थी. उन की आंखों में पछतावे के छोटेछोटे तिनके चुभ रहे थे. दादी का सदमे से अस्वस्थ हो जाना और उन का वह पछतावा कि अगर उसे इतना ही जीना था तो मैं ने क्यों उस का दिल तोड़ा?

दादी का वह करुण विलाप उन की अंतिम सांस तक सब के दिल दहलाता रहा था. काश, कभीकभी इस से आगे कुछ होता ही नहीं, सब शून्य में खो जाता है.

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स्टेशन आ गया था. जातेजाते श्री ने उन का बैग थाम लिया था. स्टेशन पर उतर कर बैग उन्हें थमाया. उन की हथेली दबा कर धीरे से कहा, ‘‘धीरज रखिए, आंटी. मुझे मालूम है कि आप अकेली रह गई हैं,’’ उस ने अपना फोन नंबर व पते का कार्ड दिया और बोली, ‘‘मैं पटेल नगर में रहती हूं. जबजब अपने भाई के यहां दिल्ली आएं हमें फोन करिए. एक बार तो आ कर मिल ही सकती हूं.’’

रजनी ने भरी आंखों से उसे देखा. लगा, श्री के रूप में सुभग उस के सामने खड़ा है और कह रहा है, ‘मैं कहीं नहीं गया मम्मा.

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