किसान भोले भाले होते हैं, अशिक्षित होते हैं, दूसरी तरफ सरकार का राजस्व अमला किस तरह कुंभकरणी निद्रा में सोया हुआ है इसका खुलासा भी इस एक प्रकरण से हो जाता है. दरअसल, हुआ यह है कि छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले की पुलिस ने विगत सात साल से फर्जी ऋण पुस्तिका बना बैंकों से केसीसी लोन दिलाने का कारोबार कर रहे गिरोह का भंडाफोड़ किया है.
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किसान अंकिता आई सामने!
मामले का खुलासा करते हुए पुलिस ने एक-दो नहीं बल्कि सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके पास से भारी संख्या में फर्जी ऋण पुस्तिका, कई बैंकों के सील, तहसीलदार और पटवारी के फर्जी सील समेत कई सामान जब्त किया गया है.कौफ्रेंस कर पिथौरा नगर निरीक्षक कमला पुसाम और अनुविभागीय अधिकारी पुलिस पुपलेश पात्रे ने जानकारी दी कि कुछ दिनों पहले ठगी की शिकार अंकिता यादव ने लिखित शिकायत दर्ज कराई थी कि पिथौराके रहवासी उत्तम मजूमदार ने वर्ष 2018 के अप्रैल माह में कृषि भूमि का पट्टा बनाने के एवज में उससे 20 हजार लिया था. लेकिन अभी तक पट्टा बनाकर नहीं दिया, पैसे मांगने पर देने से इंकार कर रहा है .
जिला पुलिस अधीक्षक के निर्देश के बाद शिकायत शिकायत की जांच को गंभीरता से लेते हुए टीम गठित कर मामले की जांच की गई तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये, तब जाकर इस किसानों के ठगी मामले का खुलासा हुआ.
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पटवारी की सील, दस्तावेज भी फर्जी
पुलिस के अनुसार जांच में पाया गया कि आरोपी उत्तम मजूमदार अपने अन्य साथियों ग्रीसम बिसी निवासी रामपुर, संजय राव काटे, गलय कमार यादव साकिनान झलप, सुभाष चक्रधारी निवासी बेलडीह, दीनबंध पटेल निवासी आण्ड, घासीराम प्रजापति निवासी पिथौरा ने मिलकर ग्रामीणों को बैंक से ऋण दिलाने, जमीन संबंधी खसरा, नक्शा प्राप्त कर लोन संबंधी दस्तावेजों में फर्जी राजस्वत निरीक्षक और बैंकों का सील तैयार कर फर्जी तरीके से फर्जीवाड़ा किया है . विगत सात साल से ये सातों आरोपी मिलकर इस फर्जीवाड़ा को अंजाम देते रहे थे.
पुलिस ने इनके पास से किसान किताब, बैंक पास बुक, रबड़ सील, यही नही रबड़ सील बनाने की मशीन समेत कई फर्जी दस्तावेज जब्त किया है. सभी आरोपियों को धारा 420, 467, 468, 471.120-B के तहत गिरफ्तार जेल भेज दिया गया है. मामले के अन्य फरार आरोपियों की तलाश पुलिस सरजमीं से कर रही है.
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इस गंभीर ठगी के प्रकरण में यह तथ्य भी उभर कर सामने आया है कि लंबे समय से चल रहे इस फर्जीवाड़े की खबर आखिर पुलिस एवं राजस्व विभाग को क्यों नहीं हो पाई जाने कितने किसानों को फर्जी ऋण पुस्तिका बना कर दी गई जाने कितने लोगों को फर्जी लोन दिलाया गया और सरकार कुंभकरणी निंद्रा में सोती रही। निसंदेह इस संपूर्ण मामले में बिना मिलीभगत के ऐसा गड़बड़झाला नहीं हो सकता इसलिए अब आवश्यकता है संपूर्ण मामले की गंभीरता से जांच की ताकि मामले का पूरी तरह खुलासा हो सके.
फिर बड़ी मछलियां बच गई
संपूर्ण प्रकरण में अभी तक के खुलासे में यही जान पड़ता है कि पुलिस ने छोटी मछलियों पर तो हाथ डाला मगर इस गंभीर मसले में जुड़े बड़ी मछलियों तक पुलिस नहीं पहुंच पाई.
ग्राम मेमरडीही की प्रार्थिया अंकिता यादव की शिकायत के आधार पर गिरफ्तार करने पहुंची टी आई कमला व उनकी टीम ने घर मे दबिश दे कर जाँच की तो घर से तहसीलदार, पटवारी, राजस्व अधिकारियो समेत नगर के प्रमुख बैंको की सील, मोहर व अन्य कागजाद बरामद किया गया, कड़ाई से पूछताछ करने के बाद आरोपी द्वारा अन्य व्यक्तियों के भी शामिल होने की बात कबूली है. जिसमे एक शिक्षाकर्मी दीनबंधु पटेल तहसील आफिस की भृत्य घासीराम प्रजापति, ग्रीसम बीसी निवासी रामपुर संजय राव काटे, मलय कुमार यादव साकिन झलप सुभास चक्रधारी बेलडिहि शामिल है सभी को गिरफ्तार कर लिया गया है.
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पुलिस की द्वारा बताया गया है की सरगना मास्टरमाइंड उत्तम मजूमदार है यह अपराधी किस्म का है और कई बार पहले भी ऐसे प्रकरणों में जेल दाखिल हो चुका है.वहीं यह गैंग महासमुंद जिला में 2012 से सक्रिय है आस पास के गांवो मे जाकर लोन व पट्टा बनवाने के नाम पर ठगी करता है, राजस्व विभाग मे पदस्थ आरोपी कर्मचारी, उत्तम को पट्टा बनवाने आये गाँव के भोले भाले ग्रामीणों का पता लगा कर सुचना देता था, जिसके बाद उत्तम व उसकी टीम ज़मीन का पट्टा तैयार कर अधिकारिओ का सील मोहर लगा कर बैंको से लोन दिलवाने का कार्य करते थे. ये आरोपी फर्जी ऋण पुस्तिका बनाकर विभिन्न बैंकों से के.सी.सी लोन दिलाने का फर्जी कारोबार विगत सात वर्षों से चला रहे थे.