लेखिका- रेनू खटोर

इस बात को लगभग 1 साल हो गया लेकिन आज भी एक सपना सा ही लगता है. अमेरिका के एक बड़े विश्वविद्यालय, यूनिवर्सिटी औफ ह्यूस्टन के बोर्ड के सामने मैं इंटरव्यू के लिए जा रही थी. यह कोई साधारण पद नहीं था और न ही यह कोई साधारण इंटरव्यू था. लगभग 120 से ज्यादा व्यक्ति अपने अनुभव और योग्यताओं का लेखाजोखा प्रस्तुत कर चुके थे और अब केवल 4 अभ्यर्थी मैदान में चांसलर का यह पद प्राप्त करने के लिए रह गए थे.

मुझे इस बात का पूरा आभास था कि अब तक न तो किसी भी अमेरिकन रिसर्च यूनिवर्सिटी में किसी भारतीय का चयन चांसलर की तरह हुआ है और न ही टैक्सास जैसे विशाल प्रदेश ने किसी स्त्री को चांसलर की तरह कभी देखा है. इंटरव्यू में कई प्रश्न पूछे जाएंगे. हो सकता है वे पूछें कि आप में ऐसी कौन सी योग्यता है जिस के कारण यह पद आप को मिलना चाहिए या पूछें कि आप की सफलताएं आप को इस मोड़ तक कैसे लाईं?

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इस तरह की चिंताओं से अपना ध्यान हटाने के लिए मैं ने जहाज की खिड़की से बाहर अपनी दृष्टि डाली तो सफेद बादल गुब्बारों की तरह नीचे दिख रहे थे. अचानक उन के बीच एक इंद्रधनुष उभर आया. विस्मय और विनोद से मेरा हृदय भर उठा...अपनी आंखें ऊपर उठा कर तो आकाश में बहुत इंद्रधनुष देखे थे लेकिन आंखें झुका कर नीचे इंद्रधनुष देखने का यह पहला अनुभव था. मैं ने अपने पर्स में कैमरे को टटोला और जब आंख उठाई तो एक नहीं 2 इंद्रधनुष अपने पूरे रंगों में विराजमान थे और मेरे प्लेन के साथ दौड़ते से लग रहे थे.

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