शर्मिंदगी भाग 1 : जब उस औरत ने मुझे शर्मिंदा कर दिया

मै जब तक अफसर रहा, हमेशा ऐश के ही बारे में ही सोचता रहा. मेरा विश्वास, मेरा ईमान, मेरा धर्म और मेरी इंसानियत सब ऐशपरस्ती में डूबी रही. लेकिन एक घटना ने मुझे ऐसा शर्मिंदा किया कि जब भी वह घटना याद आती है, मैं सिहर उठता हूं. हुआ यह था कि मैं उस दिन पत्नी के बारबार कहने पर उस के साथ बाजार तक चला गया था. मैं ने जैसे ही कार शौपिंग सेंटर के बाहर रोकी, मेरी कार के पास एक औरत आ कर खड़ी हो गई. मैं जैसे ही कार से उतरा, वह मेरी ओर लपकी. मेरे देखते ही देखते एकदम से झुक कर उस ने मेरे दोनों पैर पकड़ लिए.

‘‘अरे…अरे… कौन हो तुम, यह क्या कर रही हो. पीछे हटो.’’ मैं ने पीछे हटते हुए कहा.

‘‘क्या बात है बहन?’’ मेरी पत्नी ने पास जा कर उस औरत के कंधे पर हाथ रख कर पूछा.

औरत ने एक बार मेरी पत्नी की ओर देखा, उस के बाद दोनों हाथ जोड़ कर वह याचक दृष्टि से मेरी ओर देखने लगी. मुझे लगा, यह कोई मांगने वाली है. इस तरह के बाजारों में मांगने वाले घूमते भी रहते हैं. लेकिन यह औरत उन से एकदम अलग लग रही थी. उस ने साफसुथरी साड़ी बड़े सलीके से पहन रखी थी. उस ने आंखों तक घूंघट भी कर रखा था. देखने में भी ऐसी खूबसूरत थी कि किसी भी मर्द का दिल आ जाए.

अगर वह याचक दृष्टि के बजाए मुझे प्यार भरी दृष्टि से देख रही होती तो मैं बिना सोचसमझे उस पर मर मिटता. उस का चेहरा काफी आकर्षक था. रंग भी गोरा था. लेकिन पत्नी के साथ होने की वजह से चाह कर भी मैं उस की ओर ज्यादा देर तक नहीं देख सका था.

‘‘लो ये रख लो.’’ पत्नी की इस बात पर मैं चौंका. वह 5 रुपए का नोट उस औरत की ओर बढ़ाते हुए कह रही थीं, ‘‘इसे रख लो और हमें जाने दो.’’

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औरत बिना रुपए लिए पीछे हट गई.  पत्नी ने कई बार कहा तो उस ने हाथ जोड़ कर इनकार में सिर हिला दिया और याचक दृष्टि से मुझे इस तरह ताकती रही, जैसे कह रही हो कि मेरी हालत पर दया करो. मुझे लगा कि शायद वह भीख मांगने का नया तरीका है. शायद वह 5 रुपए से ज्यादा चाहती है.

इसलिए मैं ने उसे दुत्कारने वाले अंदाज में कहा, ‘‘हट सामने से, तुम जैसे लोगों को एक पैसा नहीं देना चाहिए. यह नहीं कि जो मिल रहा है, उसे ले कर हट जाएं.’’

‘‘अरे, आप तो नाराज हो गए.’’ मेरी पत्नी ने मेरा हाथ थाम कर कहा, ‘‘ऐसा नहीं कहते. गरीबों की हाय लेना अच्छी बात नहीं है.’’

इस के बाद उस ने औरत से कहा, ‘‘बहन, ये लो 5 रुपए और हमें जाने दो.’’

औरत हमारे सामने से हट तो गई, लेकिन मैं ने देखा, उस की आंखों में आंसू आ गए थे. उस ने रुपए नहीं लिए थे. हम दोनों आगे बढ़ गए. पत्नी ने शौपिंग सेंटर में दाखिल होते हुए कहा, ‘‘मेरा ख्याल है कि वह भीख मांगने वाली नहीं है. आप अफसर हैं, हो सकता है आप से कोई काम कराना चाहती हो?’’

‘‘मेरे माथे पर कहां लिखा है कि मैं अफसर हूं.’’ मैं ने खीझते हुए कहा.

‘‘आप इतने गुमनाम भी नहीं हैं. यह भी संभव है कि उस ने आप को आप के औफिस में देखा हो.’’ पत्नी ने कहा.

‘‘देखा होगा भई,’’ मैं ने उकताते हुए कहा, ‘‘अब तुम उसे छोड़ो और अपना काम करो.’’

थोड़ी देर बाद हम जैसे ही शौपिंग सेंटर से बाहर आए, वह फिर हमारे सामने पहले की ही तरह हाथ जोड़ कर खड़ी हो गई. उस की आंखों से आंसू बह रहे थे और होंठ इस तरह कांप रहे थे, जैसे वह कुछ कहना चाहती हो. लेकिन भावनाओं में बह कर उस की जुबान से शब्द न निकल रहे हों.

उसे हैरानी से देखते हुए मैं ने दस का नोट निकाल कर उस की ओर बढ़ाया तो उस ने लेने से मना कर दिया. मैं ने कहा, ‘‘जब पैसे नहीं लेने तो यह नाटक क्यों कर रही हो?’’

‘‘इस तरह बात न करें.’’ पत्नी ने मेरे चेहरे को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा.

‘‘बहन अगर ये कम है तो मैं और दे देती हूं, लेकिन तुम रोना बंद कर दो.’’

इतना कह कर मेरी पत्नी ने जैसे ही पर्स खोला, उस ने हाथ के इशारे से मना कर दिया. वह जिस तरह रो रही थी, उसे देख कर मेरी पत्नी काफी दुखी हो गई थीं. मुझे लगा, हम कुछ देर और यहां रुके रहे तो मेरी पत्नी भी रो देंगी.

हमारे पास से गुजरने वाले लोग रुकरुक कर दृश्य को देख रहे थे, जिस से मुझे उलझन सी हो रही थी. नाराज हो कर मैं ने थोड़ा तेज स्वर में कहा, ‘‘तुम क्या चाहती हो, यह मेरी समझ में नहीं आ रहा है. न तुम पैसे ले रही हो और न यह बता रही हो कि तुम्हें चाहिए क्या?’’

इतना कह कर मैं ने पत्नी का हाथ थामा और तेजी से अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गया. मेरे साथ चलते हुए पत्नी ने कहा, ‘‘पता नहीं बेचारी क्या चाहती है? कोई तो बात होगी, जो वह इस तरह रो रही है. लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि पूछने पर कुछ नहीं बता भी नहीं रही है.’’

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‘‘छोड़ो, अब उस की बातें खत्म करो.’’ मैं ने झल्लाते हुए कहा.

हालांकि मैं खुद उसी औरत के बारे में सोच रहा था, लेकिन मेरे सोचने का नजरिया कुछ और था. वह काफी सुंदर थी. रोते हुए वह और भी सुंदर लग रही थी. साड़ी में उस का शरीर काफी आकर्षक लग रहा था. अगर वह रोने के बजाए ढंग से बात करती तो मैं उसे औफिस आने को जरूर कहता. पैसे न लेने से मैं समझ गया था कि वह भीख मांगने वाली नहीं थी. वह किसी दूसरे ही मकसद से आई थी.

‘‘अब आप क्या सोचने लगे?’’ पत्नी ने थोड़ी ऊंची आवाज में पूछा.

‘‘कुछ नहीं, सोचना क्या है? शाम को औफिस की जो मीटिंग होने वाली है, उसी के बारे में सोच रहा था.’’ मैं ने धीमे से कहा.

‘‘कार चलाते हुए ज्यादा कुछ न सोचा करें, क्योंकि सोचते समय कुछ नजर नहीं आता.’’ पत्नी ने यह बात इस तरह कही, जैसे मैं कोई बच्चा हूं और वह मुझे समझा रही हो.

अगले दिन सबेरे मैं औफिस जाने के लिए  घर से निकला तो यह देख कर हैरान रह गया कि वही औरत कोठी के गेट से सटी खड़ी थी. उस के साथ एक लड़का भी था. गेट से निकल कर जैसे ही मैं कार की ओर बढ़ा, औरत मेरे सामने आ कर खड़ी हो गई. कल की तरह उस समय भी उस ने दोनों हाथ जोड़ रखे थे और याचनाभरी नजरों से मेरी ओर ताक रही थी.

उस समय मेरे साथ पत्नी नहीं थी, इसलिए मैं ने औरत को गौर से देखा. सचमुच वह बहुत सुंदर थी. मैं कुछ कहता, उस के पहले ही उस ने झुक कर मेरे पैर पकड़ लिए.

‘‘क्या बात है भई, तुम बताती क्यों नहीं?’’ मैं ने उसे बांहों से पकड़ कर खड़ा करने की कोशिश करते हुए कहा. उस की बांहें बहुत कोमल थीं. मुझे सिहरन सी हुई. मैं ने कहा, ‘‘मैं औफिस जा रहा हूं, जो कुछ भी कहना है, जल्दी कहो.’’

‘‘साहब, हम कई दिनों से आप के औफिस के चक्कर लगा रहे हैं.’’ औरत के बजाए उस के साथ खड़े लड़के ने कहा, ‘‘लेकिन आप का चपरासी…’’

‘‘बात क्या है, बताओ. चपरासी की छोड़ो.’’ मैं ने लड़के की बात काटते हुए कहा. लेकिन मेरी नजरें औरत के चेहरे पर ही जमी थीं.

‘‘इन के पति…’’ लड़के ने कहा, ‘‘जो रिश्ते में मेरे मामा लगते हैं.’’

‘‘तुम रिश्ते की बात छोड़ो, काम की बात करो.’’ मैं ने डांटने वाले अंदाज में कहा.

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‘‘जी, इन के पति यानी मेरे मामा को पुलिस ने बिना किसी अपराध के पकड़ लिया है. उन्हीं को छुड़ाने के लिए यह कई दिनों से आप के पास आ रही हैं.’’ लड़के ने जल्दी से कहा, ‘‘आप इन के पति को छुड़वा दीजिए साहब, इन का और कोई नहीं है. मेरा मामा बहुत ही सीधासादा आदमी है. आज तक उस ने कोई गलत काम नहीं किया. जहां हंगामा हुआ था, वहां वह शरबत का ठेला लगाता था. हंगामा करने वाले तो भाग गए, पुलिस मेरे मामा को पकड़ ले गई. अब वे मामा को छोड़ने के लिए 5 हजार रुपए मांग रहे हैं. हमारे पास इतने रुपए नहीं हैं.’’

‘‘लेकिन इस में मैं क्या कर सकता हूं? पुलिस का मामला है, जो कुछ करना होगा, वही करेगी.’’

‘‘आप बहुत कुछ कर सकते हैं साहब.’’ लड़के ने गिड़गिड़ाते हुए कहा.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

Valentine’s से पहले GOA बीच पर यूं रोमांस करते दिखे नेहा कक्कड़ और आदित्य, देखें Video

बौलीवुड की बेहद पौपुलर एक्ट्रेस और सिंगिंग सेन्सेशन नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) इन दिनों फिर से एक बार सुर्खियो में बनी हुईं हैं. पिछले कुछ दिनों से नेहा कक्कड़ और आदित्य नारायण (Aditya Narayan) के रिश्ते की खबरों ने फेंस को काफी एक्साइटिड किया हुआ था और हाल ही में आए नेहा और आदित्य का गाने गोवा बीच (Goa Beach) ने तो इंटरनेट पर हलचल ही मचा दी है. 10 फरवरी को रिलीज हुए इस गाने को नेहा कक्कड़ ने और उनके भाई टोनी कक्कड़ (Tony Kakkar) ने गाया है और गाने की वीडियो में नेहा और आदित्य बीच पर जमकर रोमांस (Romance) करते नजर आ रहे हैं.

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नेहा कक्कड़ के पापा ने सभी अफवाहों पर लगाई रोक…

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हाल ही में नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) और आदित्य नारायण (Aditya Narayan) की शादी की अफवाहें काफी तेजी से मीडियो में वायरल हुई थीं जिसके चलते नेहा के पापा ने इस सब अफवाहों पर रोक लगा दी है. ऐसी खबरों के बीच नेहा और आदित्य का यह पहला गाना इंटरनेट पर काफी ट्रेंड (Trend) हो रहा है और साथ ही फैंस इस गाने को काफी प्यार भी दे रहे हैं.

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फेमस सिंगर उदित नारायण ने कहा कुछ ऐसा…

कुछ दिनों पहले सोनी टीवी (Sony TV) के बेहद पौपुलर सिंगिग रिएलिटी शो इंडियन आइडल सीजन 11 (Indian Idol 11) के सेट पर फेमस सिंगर उदित नारायण (Udit Narayan) अपनी पत्नी दीपा नारायण (Deepa Narayan) के साथ पहुंचे थे और इस दौरान उन्होनें कुछ ऐसा खुलासा किया था जिसके बाद से नेहा और आदित्य की जोड़ी और ज्यादा चर्चित हो गई थी. उन्होनें इस शो में पहुंचकर अपनी दिल की इच्छा बताते हुए कहा कि आदित्य और नेहा को एक साथ देखकर उन्हें काफी अच्छा लगता है और वे चाहते है कि नेहा कक्कड़ उनके घर की बहू बन जाए.

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आखिर क्या होगा नेहा कक्कड़ का फैसला…

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अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर नेहा कक्कड़ और आदित्य नारायण का ये रिलेशन किस मुकाम तक पहुंचेगा. क्या उदित नारायण का नेहा कक्कड़ को अपने घर की बहू बनाने की दिली इच्छा पूरी हो पाएगी. कुछ समय पहले ही नेहा कक्कड़ का उनके बौयफ्रेंड हिमांश कोहली (Himansh Kohli) से ब्रेक-अप हुआ था जिसके बाद से वे काफी उदास रहने लगी थीं.

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पर अब ऐसा लग रहा है कि नेहा हिमांश के साथ अपने रिश्ते को लेकर मूव-औन कर चुकी हैं और आदित्य के साथ अपने नए रिश्ते को लेकर काफी सोच विचार कर रही हैं.

तो क्या विकास की राजनीति के आगे फीकी पड़ गई शाहीन बाग की राजनीति

लुटियंस दिल्ली की आवाम ने इस बार भी अरविंद केजरीवाल की दिल खोलकर वोट दिए. विरोधी पार्टियों के खेमों में मातम पसरा हुआ है. भाजपा लगातार हिंदी बेल्टों में चुनाव हारती जा रही है. फिलहाल दिल्ली के चुनावों में दो पार्टियों के बीच ही टक्कर देखने को मिली. भाजपा और आप. भाजपा के पास न तो चेहरा और न ही काम. वहीं इसके उलट आप नेता सीएम केजरीवाल के पास खुद का उनका चेहरा था और पांच साल में दिल्ली में किया गया विकास. इसमें कोई दोराय नहीं कि दिल्ली में सरकारी स्कूलों की हालत बेहतर हुई है. दिल्ली में 24 घंटे बिजली आई और 200 यूनिट तक फ्री बिजली. इसके साथ ही साथ एक ईमानदार छवि.

लगभग 21 दिनों तक चले आक्रामक प्रचार के बावजूद दिल्ली में भाजपा की नैया डूब गई. भाजपा ने ध्रुवीकरण की आक्रामक पिच तैयार कर रखी थी, इसके बावजदू पार्टी को सफलता नहीं मिली. शाहीनबाग में प्रदर्शन से मानों भाजपा को मुंहमागी मुराद जैसा कुछ हाथ लग गया था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सहित अन्य छोटे से लेकर बड़े नेता हर रैली और सभाओं में शाहीनबाग का मुद्दा उछालते रहे. सभाओं में ये नेता जनता के बीच सवाल उछालते रहे कि आप शाहीनबाग के साथ हैं या खिलाफ?

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इसके अलावा शरजील इमाम के असम वाले बयान, जेएनयू, जामिया हिंसा को भी भाजपा ने मुद्दा बनाकर बहुसंख्यक मतदाताओं को साधने की कोशिश की. छोटे से केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली के लिए भाजपा ने जितनी ताकत झोंक दी, उतनी बड़े-बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने मेहनत नहीं की थी. लगभग 4500 सभाओं का आयोजन किया गया. भाजपा ने गली-गली मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, सांसद-विधायकों की फौज दौड़ा दी. कोई मुहल्ला नहीं बचा, जहां बड़े नेताओं ने नुक्कड़ सभाएं नहीं कीं. भाजपा ने अपने पक्ष में जबरदस्त माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन आम आदमी पार्टी की मुफ्त बिजली-पानी देने की योजना पर पार नहीं पा सकी.

दिल्ली भाजपा के एक बड़े नेता ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “केंद्रीय नेतृत्व ने जबरदस्त उत्साह के साथ काम किया. सिर्फ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने केवल 11 दिनों में 53 सभाएं की, दूसरी तरफ भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 63 सभाएं की. केंद्रीय नेतृत्व ने महज 21 दिन में चुनाव को टक्कर का बना दिया. लेकिन पूरे पांच साल तक दिल्ली भाजपा सोती रही, जिसकी वजह से हम हार गए.”

भाजपा के नेता मानते हैं कि केजरीवाल ने जिस तरह से दो सौ यूनिट बिजली, महीने में 20 हजार लीटर पानी मुफ्त कर दिया, उससे आम जन और गरीब परिवारों की जेब पर भार कम हुआ है. लाभ पाने वाला गरीब तबका चुनाव में साइलेंट वोटर बना नजर आया.

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बिजली कंपनियों के आंकड़ों की बात करें, तो एक अगस्त को योजना की घोषणा होने के बाद दिल्ली में कुल 52 लाख 27 हजार 857 घरेलू बिजली कनेक्शन में से 14,64,270 परिवारों का बिजली बिल शून्य आया. लाभ पाने वालों ने झाड़ू पर बटन दबाया. दूसरी तरफ, भाजपा का यह भी मानना है कि शाहीनबाग से हुए ध्रुवीकरण का फायदा आप सरकार को हुआ. नागरिकता संशोधन कानून आने के बाद से मुस्लिमों की बड़ी आबादी के मन में डर बैठ गया है. मुसलमानों ने उस पार्टी को जमकर वोट दिया जो भाजपा को हराने में सक्षम थी.

कांग्रेस दिल्ली चुनाव में कहीं नजर नहीं आई, ऐसे में मुसलमानों का अधिकतर वोट आम आदमी पार्टी को गया. यहां तक कि चांदनी चौक, सीलमपुर, ओखला आदि सीटों पर मुस्लिमों का वोट कांग्रेस को न जाकर आम आदमी पार्टी को गया. आम आदमी पार्टी ने महिलाओं पर भी फोकस किया, और इसके जवाब में भाजपा ने कुछ नहीं किया. केजरीवाल सरकार ने बसों में 30 अक्टूबर को भैयादूज के दिन से मुफ्त सफर की महिलाओं को सौगात दी. एक आंकड़े के मुताबिक, प्रतिदिन करीब 13 से 14 लाख महिलाएं दिल्ली में बसों में सफर करती हैं.

स्कूलों की वजह से दिल्ली का एक बड़ा तबका प्रभावित हुआ है. दिल्ली सरकार ने सबसे ज्यादा लाभ निजी स्कूलों की फीस पर अंकुश लगाकर मध्यमवर्गीय जनता को दिया. गौरतलब है कि अधिकांश स्कूल कांग्रेस और भाजपा नेताओं के हैं. ऐसे में केजरीवाल ने फीस पर नकेल कस दी. इसका लाभ मध्यमवर्गीय परिवारों को हुआ है और चुनाव में जिसका सीधा फायदा आप को हुआ.

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भाजपा नेता मानते हैं कि अनाधिकृत कॉलनियों का मुद्दा काम नहीं आया. उलटे ‘जहां झुग्गी, वहां मकान’ का मुद्दा पार्टी के लिए सिरदर्द बन गया. इस योजना को लेकर झुग्गियों में खूब अफवाह फैलाया गया. भाजपा का एक बड़ा वर्ग का यह भी मानना है कि भाजपा का हद से ज्यादा आक्रामक चुनाव प्रचार फायदा देने की जगह नुकसान कर गया. केजरीवाल खुद भाजपा की भारी-भरकम बिग्रेड का बार-बार हवाला देते हुए खुद को अकेला बताते रहे. ऐसे में जनता की केजरीवाल के प्रति सहानुभूति उमड़ी और भाजपा को नुकसान हुआ.

भाजपा को ये समझना पड़ेगा कि सिर्फ राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव नहीं जीते जा सकते. चुनाव के लिए आपके पास काम का भी लंबा चिट्ठा सामने होना चाहिए. भाजपा के हाथ से लगातार बड़े राज्य छूटते गए हैं. बात करें तो मध्य प्रदेश, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र और अब दिल्ली में भाजपा को करारी हार मिली है. कहीं न कहीं जनता को समझ आ गया है कि केंद्र और  राज्य की राजनीति में फर्क क्या होता है. इसी दिल्ली के लोगों ने पीएम मोदी को सात की सात सीटें लोकसभा में दी थी लेकिन वहीं विधानसभा चुनावों में जीत का सेहरा आप को पहनाया.

Bigg Boss 13: Siddharth ने बताई Rashami से झगड़े की असली वजह, देखें Video

बिग बौस सीजम 13 (Bigg Boss 13) के लिए ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि बाकी सीजनों के मुकाबले सीजन 13 काफी दिलचस्प और हंगामों भरा रहा है. इस सीजन का इतना सफल होने के पीछे कई कारण हैं पर उन सब में से एक सबसे बड़ा कारण ये भी है कि इस बार कंटेस्टेंट्स की पर्सनल लाइफ के बारे में भी दर्शकों को जानने को मिला है और दर्शकों ने भी अपने फेवरेट कंटेस्टेंट्स को सोशल मीडिया (Social Media) के जरिए सपोर्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

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आखिर क्या था सिद्धार्थ-रश्मि का सच…

पिछले एपिसोड में हमने जाने माने न्यूज एंकर रजत शर्मा (Rajat Sharma) को बिग बौस के घर के अंदर आते देखा और साथ ही रजत शर्मा ने रश्मि देसाई (Rashami Desai), असीम रियाज (Asim Riaz), पारस छाबड़ा (Paras Chhabra) और सिद्धार्थ शुक्ला (Siddharth Shukla) पर कई आरोप लगाए जिसके चलते उन सबको सभी के सामने सच्चाई बतानी पड़ी. हालांकि इन आरोपों का सिलसिला अभी खत्म नहीं हुआ है और आज के एपिसोड में शहनाज गिल (Shehnaz Gill) समेत बाकी कंटेस्टेंट पर भी कई आरोप लगने बाकी हैं. बात की जाए सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई के रिश्ते की तो जब से बिग बौस सीजन 13 की शुरूआत हुई है तब से ही दर्शक इस बात को जानने के लिए उत्सुक हैं कि आखिर सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई की गहरी दोस्ती दुश्मनी में कैसे बदल गई.

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सिद्धार्थ ने खोली रश्मि की पोल…

न्यूज एंकर रजत शर्मा (Rajat Sharma) ने रश्मि (Rashami) से सवाल करते वक्त उनके अरहान खान (Arhaan Khan) के साथ रिश्ते के बारे में पूछा और साथ ही सिद्धार्थ के बारे में भी पूछा. जब सिद्धार्थ से रश्मि के बारे में पूछा गया तब सिद्धार्थ ने उनके झगड़े की असल वजह बताते हुए कहा कि, “मैं रश्मि देसाई को काफी पसंद करता था और वे मुझे बहुत अच्छी लगती थीं पर उनके सीरियल दिल से दिल तक (Dil Se Dil Tak) के दौरान उन्होनें मेरे खिलाफ कई शिकायतें लिखीं जो कि सारी की सारी झूठी थीं. तब से उनकी और मेरी लड़ाई शुरू हुई थी.”

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हर महीने बदलते रहते हैं रिलेशनशिप्स…

रजत शर्मा ने एक और बात सिद्धार्थ से रश्मि को लेकर पूछी जिसका जवाब सुन रश्मि समेत बाकी सब हैरान रह गए. रजत शर्मा ने जब सिद्धार्थ से ये पूछा कि अब आपका रश्मि के साथ रिलेशनशिप स्टेटस क्या है तो इसके जवाब में सिद्धार्थ ने कहा कि “रश्मि के रिलेशनशिप्स हर महीने बदलते रहते हैं.”

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अब देखने वाली बात ये होगी कि रजत शर्मा द्वारा लगाए जाने वाले इन आरोपों से घर का माहौल किस तरह से बदल जाएगा.

मां बाप की शादी की गवाह बनी बेटी

25 अक्तूबर 2017 को धौलपुर के आर्यसमाज मंदिर में एक शादी हो रही थी. इस शादी में हैरान करने वाली बात यह थी कि वहां न लड़की के घर वाले मौजूद थे और न ही लड़के के घर वाले. इस से भी ज्यादा हैरान करने वाली बात यह थी कि जिस लड़के और लड़की की शादी हो रही थी, उन की ढाई साल की एक बेटी जरूर इस शादी में मौजूद थी.

इस शादी में लड़की के घर वालों की भूमिका बाल कल्याण समिति धौलपुर के अध्यक्ष अदा कर रहे थे तो इसी संस्था के अन्य सदस्य लड़के के घर वालों तथा बाराती की भूमिका अदा कर रहे थे. इस के अलावा कुछ अन्य संस्थाओं के कार्यकर्ता भी वहां मौजूद थे.

दरअसल, इस के पीछे जो वजह थी, वह बड़ी दिलचस्प है. राजस्थान के भरतपुर का रहने वाला 19 साल का सचिन धौलपुर के कोलारी के रहने वाले अपने एक परिचित के यहां आताजाता था. उसी के पड़ोस में अनु अपने मांबाप के साथ रहती थी. लगातार आनेजाने में सचिन और अनु के बीच बातचीत होने लगी.

ऐसे परवान चढ़ा दोनों का प्यार

15 साल की अनु को सचिन से बातें करने में मजा आता था. चूंकि दोनों हमउम्र थे, इसलिए फोन पर भी उन की बातचीत हो जाती थी. इस का नतीजा यह निकला कि उन में प्यार हो गया. मौका निकाल कर दोनों एकांत में भी मिलने लगे.

जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी अनु सचिन पर फिदा थी. उस ने तय कर लिया था कि वह सचिन से ही शादी करेगी. ऐसा ही कुछ सचिन भी सोच रहा था. जबकि ऐसा होना आसान नहीं था. इस के बावजूद उन्होंने हिम्मत कर के अपनेअपने घर वालों से शादी की बात चलाई.

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सचिन ने जब अपने घर वालों से कहा कि वह धौलपुर की रहने वाली अनु से शादी करना चाहता है तो उस के पिता ने उसे डांटते हुए कहा, ‘‘कमाताधमाता कौड़ी नहीं है और चला है शादी करने. अभी तेरी उम्र ही क्या है, जो शादी के लिए जल्दी मचाए है. पहले पढ़लिख कर कमाने की सोच, उस के बाद शादी करना.’’

सचिन अभी इतना बड़ा नहीं हुआ था कि पिता से बहस करता, इसलिए चुप रह गया.

दूसरी ओर अनु ने अपने घर वालों से सचिन के बारे में बता कर उस से शादी करने की बात कही तो घर के सभी लोग दंग रह गए. क्योंकि अभी उस की उम्र भी शादी लायक नहीं थी. उन्हें चिंता भी हुई कि कहीं नादान लड़की ने कोई ऐसावैसा कदम उठा लिया तो उन की बड़ी बदनामी होगी. उन्होंने अनु को डांटाफटकारा भी और समझाया भी. यही नहीं, उस पर घर से बाहर जाने पर पाबंदी भी लगा दी गई.

घर वालों की यह पाबंदी परेशान करने वाली थी, इसलिए अनु ने सारी बात प्रेमी सचिन को बता दी. उस ने कहा कि उस के घर वाले किसी भी कीमत पर उस की शादी उस से नहीं करेंगे. जबकि अनु तय कर चुकी थी कि उस की राह में चाहे जितनी भी अड़चनें आएं, वह उन से डरे बिना सचिन से ही शादी करेगी.

घर वालों के मना करने के बाद कोई और उपाय न देख सचिन और अनु ने घर से भागने का फैसला कर लिया. लेकिन इस के लिए पैसों की जरूरत थी. सचिन ने इधरउधर से कुछ पैसों का इंतजाम किया और घर से भागने का मौका ढूंढने लगा.

दूसरी ओर अनु के घर वालों को लगा कि उन की बेटी बहक गई है, वह कोई गलत कदम उठा सकती है. हालांकि उस समय उस की उम्र महज 15 साल थी, इस के बावजूद उन्होंने उस की शादी करने का फैसला कर लिया. इस से पहले कि वह कोई ऐसा कदम उठाए, जिस से उन की बदनामी हो, उन्होंने उस के लिए लड़का देखना शुरू कर दिया.

यह बात अनु ने सचिन को बताई. सचिन अपनी मोहब्बत को किसी भी सूरत में खोना नहीं चाहता था, इसलिए योजना बना कर एक दिन अनु के साथ भाग गया. अनु को घर से गायब देख कर घर वाले समझ गए कि उसे सचिन भगा ले गया है. अनु के पिता अपने शुभचिंतकों के साथ थाने पहुंचे और सचिन के खिलाफ अपहरण और पोक्सो एक्ट के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी.

मामला नाबालिग लड़की के अपहरण का था, इसलिए पुलिस ने तुरंत काररवाई शुरू कर दी. धौलपुर के कोलारी का रहने वाला सचिन का जो परिचित था, उस से पूछताछ की गई. उसे साथ ले कर पुलिस भरतपुर स्थित सचिन के घर गई, लेकिन वह वहां नहीं मिला.

पुलिस ने उस के घर वालों से भी पूछताछ की, पर उन्हें सचिन और अनु के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. सचिन की जहांजहां रिश्तेदारी थी, पुलिस ने वहांवहां जा कर जानकारी हासिल की. सभी ने यही बताया कि सचिन उन के यहां नहीं आया है.

सचिन का फोन नंबर भी स्विच्ड औफ था. पुलिस के पास अब ऐसा कोई जरिया नहीं था, जिस से उस के पास तक पहुंच पाती. इधरउधर हाथपैर मारने के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिली तो वह धौलपुर लौट आई.

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पुलिस को महीनों बाद भी न मिला दोनों का सुराग

अनु के गायब होने से उस के मातापिता बहुत परेशान थे. उन्हें चिंता सता रही थी कि उन की बेटी पता नहीं कहां और किस हाल में है. पुलिस में रिपोर्ट वे करा ही चुके थे. जब पुलिस उसे नहीं ढूंढ सकी तो उन के पास ऐसा कोई जरिया नहीं था कि वे उसे तलाश पाते. महीना भर बीत जाने के बाद भी जब अनु के बारे में कहीं से कोई खबर नहीं मिली तो वे शांत हो कर बैठ गए.

पुलिस को भी लगने लगा कि सचिन और अनु किसी दूसरे शहर में जा कर रह रहे हैं. पुलिस ने राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सभी थानों में दोनों का हुलिया भेज कर यह जानना चाहा कि कहीं उस हुलिए से मिलतीजुलती डैडबौडी तो नहीं मिली है.

सचिन उत्तर प्रदेश के इटावा का मूल निवासी था और उस के ज्यादातर रिश्तेदार उत्तर प्रदेश में ही रहते थे. इसलिए वहां के थानों को भी सूचना भेजी गई थी. इस से भी पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली.

समय बीतता रहा और पुलिस की जांच अपनी गति से चलती रही. थानाप्रभारी ने हिम्मत नहीं हारी. वह अपने स्रोतों से दोनों प्रेमियों के बारे में पता करते रहे. एक दिन उन्हें मुखबिर से जानकारी मिली कि सचिन अनु के साथ इटावा में रह रहा है.

यह उन के लिए अच्छी खबर थी. अपने अधिकारियों को सूचित करने के बाद वह पुलिस टीम के साथ मुखबिर द्वारा बताए गए इटावा वाले पते पर पहुंच गए. मुखबिर की खबर सही निकली. सचिन और अनु वहां मिल गए. लेकिन उस समय अनु 7 महीने की गर्भवती थी. पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया और उन्हें धौलपुर ले आई.

पुलिस ने दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां अनु ने अपने प्रेमी सचिन के पक्ष में बयान दिया.  अनु के मातापिता को बेटी के मिलने पर खुशी हुई थी. वे उसे लेने के लिए कोर्ट पहुंचे. बेटी के गर्भवती होने की बात जान कर भी उन्होंने अनु से घर चलने को कहा. पर अनु ने कहा कि वह मांबाप के घर नहीं जाएगी. वह सचिन के साथ ही रहेगी.

चूंकि सचिन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज थी, इसलिए न्यायालय ने उसे जेल भेजने के आदेश दे दिए थे. घर वालों के काफी समझाने के बाद भी जब अनु नहीं मानी तो कोर्ट ने उसे बालिका गृह भेज दिया. अनु 7 महीने की गर्भवती थी, इसलिए बालिका गृह में उस का ठीक से ध्यान रखा गया. समयसमय पर उस की डाक्टरी जांच भी कराई जाती रही. वहीं पर उस ने बेटी को जन्म दिया. बेटी के जन्म के बाद भी अनु की सोच नहीं बदली, वह प्रेमी के साथ रहने की रट लगाए रही.

सचिन जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आ गया था. उसे जब पता चला कि अनु ने बेटी को जन्म दिया है और वह अभी भी बालिका गृह में है तो उसे बड़ी खुशी हुई. वह उसे अपने साथ रखना चाहता था. इस बारे में उस ने वकील से सलाह ली तो उस ने कहा कि जब तक उस की उम्र 18 साल नहीं हो जाएगी, तब तक शादी कानूनन मान्य नहीं होगी. अनु ने तय कर लिया था कि जब तक वह बालिग नहीं हो जाएगी, वह बालिका गृह में ही रहेगी.

अनु अपनी बेटी के साथ वहीं पर दिन बिताती रही. उस के घर वालों ने उस से मिल कर उसे लाख समझाने की कोशिश की, पर वह अपनी जिद से टस से मस नहीं हुई. उस ने साफ कह दिया कि वह सचिन को हरगिज नहीं छोड़ सकती.

बाल कल्याण समिति, धौलपुर के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार को जब अनु और सचिन के प्रेम की जानकारी हुई तो वह इन दोनों से मिले. इन से बात करने के बाद उन्होंने तय कर लिया कि वह इन की शादी कराएंगे, ताकि इन की बेटी को भी मांबाप दोनों का प्यार मिल सके. वह भी अनु के बालिग होने का इंतजार करने लगे.

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16 अक्तूबर, 2017 को अनु की उम्र जब 18 साल हो गई तो उसे आशा बंधी कि लंबे समय से प्रेमी से जुदा रहने के बाद अब वह उस के साथ रह सकेगी. अब तक उस की बेटी करीब ढाई साल की हो चुकी थी. उसे भी पिता का प्यार मिलेगा.

सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने कराया दोनों का विवाह

अनु के बालिग होने पर धौलपुर की बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष बिजेंद्र सिंह परमार ने उन के विवाह की तैयारियां शुरू कर दीं. इस बारे में उन्होंने भरतपुर की बाल कल्याण समिति और सामाजिक संस्था प्रयत्न के पदाधिकारियों से बात की. वे भी इस काम में सहयोग करने को तैयार हो गए.

अनु धौलपुर की थी और बिजेंद्र सिंह परमार भी वहीं के थे, इसलिए उन्होंने तय किया कि वह इस शादी में लड़की वालों का किरदार निभाएंगे. जबकि सचिन भरतपुर का था, इसलिए बाल कल्याण समिति, भरतपुर के पदाधिकारियों ने वरपक्ष की जिम्मेदारियां निभाने का वादा किया.

हैरान करने वाली इस शादी का आयोजन धौलपुर के आर्यसमाज मंदिर में किया गया. इस मौके पर विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारियों के अलावा पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे. तमाम लोगों की मौजूदगी में सचिन और अनु की शादी संपन्न हुई. शादी में उन की ढाई साल की बेटी भी मौजूद थी.

सामाजिक संस्था प्रयत्न के एडवोकेसी औफिसर राकेश तिवाड़ी ने बताया कि उन का मकसद था कि ढाई साल के बच्चे को उस के मातापिता का प्यार मिले और अनु को भी समाज में अधिकार मिल सके.

सचिन और अनु दोनों वयस्क हैं. वे अपनी मरजी से जीवन बिताने का अधिकार रखते हैं. यह शादी सामाजिक दृष्टि से भी उचित है. अब वे अपना जीवन खुशी से बिता सकते हैं. खास बात यह रही कि इस शादी में वर और कन्या के घर का कोई भी मौजूद नहीं था.

वहां मौजूद सभी लोगों ने वरवधू को आशीर्वाद दिया. शादी के बाद सचिन अनु को अपने घर ले गया. सचिन के घर वालों ने अनु को अपनी बहू के रूप में स्वीकार कर लिया. अनु भी अपनी ससुराल पहुंच कर खुश है.

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छत्तीसगढ़ : सुपर सीएम भूपेश चले अमेरिका!

छत्तीसगढ़ के सुपर सीएम बन चुके भूपेश बघेल अपनी प्रथम विदेश यात्रा पर “अमेरिका” के लिए निकल पड़े हैं. भूपेश बघेल 11 फरवरी  अर्थात आज से अमेरिका के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान  मुख्यमंत्री सैनफ्रांसिस्को, बोस्टन और न्यूयौर्क में कुछ  कार्यक्रमों में शामिल होंगे. 15 से 16 फरवरी को हार्वर्ड में आयोजित ‘इंडिया कॉन्फ्रेंस’ के विशेष चर्चा में शिरकत करेंगे , जहां ‘लोकतांत्रिक भारत में जाति और राजनीति’ विषय पर व्याख्यान भी देंगे.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अमेरिका यात्रा इन दिनों छत्तीसगढ़ में चर्चा में है जहां सरकार यह बता रही है कि यह यात्रा अमेरिका के उद्योगपतियों को निवेश के लिए मील का पत्थर बनेगी  वहीं भाजपा नेताओं सहित  पहले  के सुपर  मुख्यमंत्री  रहे अजीत जोगी ने गहरे तंज किए हैं.अजीत जोगी ने यात्रा के एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ छत्तीसगढ़ में पेंड्रा जिला के उद्घाटन मौके पर तंज का बाण चलाते हुए कहा – भूपेश बघेल अमेरिका जा रहे हैं,आज पेंड्रा जिला का उद्घाटन है उनसे आग्रह है कि “पेंड्रा जिला” को भी अमेरिका जैसा बना दें! अजीत जोगी आजकल भूपेश बघेल पर संकेतिक हमले कर रहे हैं. उनके इस तंज में छिपा हुआ है कि मुख्यमंत्री जी अमेरिका तो जा रहे हैं पेंड्रा और छत्तीसगढ़ क्या अमेरिका जैसा बन पाएगा!

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और यह सभी जानते हैं कि छत्तीसगढ़ ना कभी लंदन बन सकता है, अमेरिका या जापान अथवा चीन मगर राजनेता देशों का दौरा करके चाहते हैं हमारा राज्य भी विकसित हो जाए. यह कैसे होगा कब होगा यह जनता को सोचना होगा.अजीत जोगी के मेहमान स्वरूप उपस्थिति और तंज के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शालीनता से कहा कि पेंड्रा जिला को “अमेरिका” बनाने के लिए सभी का सहयोग चाहिए. जाहिर है मुख्यमंत्री ने सच को स्वीकार किया और यह संकेत दिया कि सत्ता के साथ-साथ विपक्ष के ताल पर ही छत्तीसगढ़ का “विकास” हो सकता है.

दरियादिल  मुख्यमंत्री भूपेश!

आपको बताते चलें कि छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बने भूपेश बघेल को लगभग सवा साल  हो गए हैं और यह आपकी पहली विदेश यात्रा है. जब इस अमेरिका यात्रा का समाचार सुर्खियों में आया तो विधानसभा अध्यक्ष डॉक्टर चरणदास महंत ने  बिना झिझक मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि वह भी अमेरिका चलना चाहेंगे. मुख्यमंत्री ने दरियादिली दिखाते हुए अपने साथ अपने अग्रज राजनेता और वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष डॉ चरणदास को भी ले लिया है.इस तरह छत्तीसगढ़ के 2 बड़े राजनीतिज्ञ अमेरिका के राजकीय दौरे पर निकल पड़े हैं . ऐसे में याद आता है डॉ रमन सिंह के विदेश भ्रमण के अनेक दौरे, जो उन्होंने मुख्यमंत्री मंत्री रहते हुए किए थे और जनता ने इन दोनों का इस्तकबाल किया था.

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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  10 दिवसीय अमेरिका प्रवास पर हार्वर्ड में आयोजित ‘इंडिया कॉन्फ्रेंस’ में शामिल होने के साथ ही उद्योग से जुड़े विभिन्न प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें छत्तीसगढ़ में निवेश के लिए आकर्षित करेंगे, मुख्यमंत्री अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ियों से भी मुलाक़ात करेंगे. इसके अलावा बोस्टन के गवर्नर और नोबल विजेता अभिजीत बनर्जी से मुलाक़ात का भी कार्यक्रम है.

भूपेश बघेल का ‘दिल’

बता दें ‘इंडिया कॉन्फ्रेंस’ मूल रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में भारत पर ध्यान केंद्रित करने वाले सबसे बड़े छात्र-सम्मेलन में से एक है. यह हार्वर्ड बिजनेस स्कूल और हार्वर्ड केनेडी स्कूल में हार्वर्ड विश्वविद्यालय के स्नातक छात्रों द्वारा आयोजित किया जाता है. इनकी 17वीं वर्षगांठ पर 15 और 16 फरवरी को भूपेश बघेल व डाक्टर  चरणदास महंत  कार्यक्रम में शामिल होंगे. यहां उल्लेखनीय है कि जब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  अमेरिका जाने ही वाले थे जब पत्रकारों ने उन्हें घेरा और अमेरिका यात्रा पर बातचीत की तब भूपेश बघेल ने कहा वे भले ही 10 दिनों के लिए अमेरिका जा रहे हैं मगर उनका “दिल” तो छत्तीसगढ़ में ही रहेगा.

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Bigg Boss 13: Rajat Sharma के सामने हुई Siddharth-Rashami की बोलती बंद, जानें क्यों उड़े होश

बिग बौस (Bigg Boss) सीजन 13 का फिनाले (Finale) जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे शो के मेकर्स हर दिन को काफी दिलचस्प बनाते दिखाई दे रहे हैं और साथ ही बिग बौस शो के फैंस अपने फेवरेट कंटेस्टेंट को जितवाने के लिए काफी मेहनत कर रहे हैं. बीते सोमवार के वार में सलमान खान (Salman Khan) ने सभी कंटेस्टेंटस् के साथ खूब मस्ती की और साथ ही सलमान ने सभी को एक टास्क भी दिया जिसमें सभी को एक एक करके घरवालों के पापों की पोट्ली भरनी थी और साथ ही कारण भी देना था. इस टास्क के दौरान रश्मि देसाई (Rashami Desai) के पास सबसे ज्यादा रश्मि देसाई की पोट्ली भरती दिखाई दी.

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रजत ने किया सलमान को कटघरे में खड़ा…

बीते एपिसोड में जाने माने न्यूज़ एंकर रजत शर्मा (Rajat Sharma) ने भी बिग बौस के स्टेज पर एंट्री मारी और साथ ही उन्होनें सलमान को कटघरे में खड़ा कर उनसे सवाल पूछने का मौका हाथ से ना जाने दिया. रजत शर्मा के सवालों का सिलसिला आज भी बरकरार रहने वाला है क्योंकि आज के एपिसोड में न्यूज़ एंकर रजत शर्मा बिग बौस के घर के अंदर जाएंगे और साथ ही सभी कंटेस्टेंटस् पर जमकर आरोप लगाएंगे.

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सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई की खुलेगी पोल…

बिग बौस के मेकर्स ने आज के एपिसोड का एक प्रोमो रिलीज किया है जिसमें रजत शर्मा सिद्धार्थ शुक्ला (Siddharth Shukla), रश्मि देसाई (Rashami Desai) समेत सभी घरवालों से तीखे और कड़वे सवाल पूछ उनकी जमकर क्लास लगाने वाले हैं. प्रोमो के मुताबिक रजत शर्मा सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई से उनके रिश्ते से जुड़ी सच्चाई बताने को कहेंगे और साथ ही वे सिद्धार्थ पर ये आरोप लगाएंगे कि वे किसी की बात नहीं सुनते हैं बल्कि सिर्फ अपनी बात ही मनवाते हैं.

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कौन हाने वाला है घर से बेघर…

ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि शो के आखिरी हफ्ते में रजत शर्मा की बिग बौस के घर में अदालत कौनसा नया हंगामा लाने वाली है. साथ ही आपको बता दें कि बीते वीकेंड के वार में सलमान ने किसी को बी घर से बेघर नहीं किया है बल्कि सभी नोमिनेटिड कंटेस्टंटस् को ये चेतावनी देकर गए हैं कि वे किसी भी समय घर से बेघर हो सकते हैं.

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इस समय घर से बेघर होने के लिए 3 सद्स्य नोमिनेटिड हैं जिसमें से शहनाज गिल (Shehnaz Gill), आरती सिंह (Aarti Singh) और माहिरा शर्मा (Mahira Sharma) का नाम शामिल है.

नींदड़ जमीन समाधि सत्याग्रह हक के लिए जमीन में गडे़ किसान

पूरे देश में 6 साल पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, इस के बावजूद राजस्थान की राजधानी जयपुर में तरक्की के लिए काम करने वाला जयपुर विकास प्राधिकरण किसानों को नए कानून के तहत मुआवजा देने को तैयार नहीं है.

इसी को ले कर राजधानी जयपुर के बिलकुल पास सीकर रोड पर गांव नींदड़ में नींदड़ आवास योजना के तहत जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा ली गई 1,350 बीघा जमीन पर किसान जमीन समाधि सत्याग्रह करने पर मजबूर हो गए हैं.

गांव नींदड़ में जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा बिना किसानों से बातचीत किए व सूचना दिए अचानक ही जमीन पर कब्जा कर के काम शुरू कर दिया गया. इस के खिलाफ किसान गुस्से में हैं और जमीन समाधि सत्याग्रह चला रहे हैं.

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तकरीबन 2 साल पहले भी सैकड़ों किसान जमीन को ले कर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं. किसानों का कहना है कि उन को नए जमीन अधिग्रहण कानून के मुताबिक मुआवजा नहीं मिला है.

जयपुर विकास प्राधिकरण की इस तानाशाही के खिलाफ गांव नींदड़ के किसानों ने डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत की अगुआई में ‘नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति’ के कहने पर जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया.

इस आंदोलन की अगुआई कर रहे डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि जयपुर विकास प्राधिकरण अपने अडि़यल रवैए पर उतरते हुए 1 जनवरी, 2020 को इस जमीन पर अपना कब्जा लेने के लिए आदेश जारी कर चुका है.

किसानों का कहना है कि नया जमीन अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, इस के बावजूद सरकार उन को पुराने कानून के मुताबिक मुआवजा देने का गलत काम कर रही है, जिस को किसान स्वीकार नहीं करेंगे.

इसी सिलसिले में नींदड़ आवासीय योजना में किसानों का हाल जानने की कोशिश की गई और यहां पर किसानों की अगुआई कर रहे जमीन समाधि सत्याग्रह में शामिल राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की गई. पेश हैं, उसी के खास अंश:

यहां के हालात कैसे हैं? जयपुर विकास प्राधिकरण के क्या हालात हैं? आप की डिमांड क्या है?

देखिए, यह आंदोलन लगातार पिछले 10 सालों से चल रहा है. जिस दिन जयपुर विकास प्राधिकरण ने नोटिफिकेशन डाला, तब से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वे लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार के मुख्यमंत्री के पास हम ने अपना पक्ष रखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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जयपुर विकास प्राधिकरण यहां पर आवासीय कालोनी बसाना चाहता है और यहां पर पहले से ही 18 कालोनियां बसी हुई हैं. उन को उजाड़ कर और नए लोगों को बसाने की यह प्रक्रिया है, जिस का हम लोग पूरी तरीके से विरोध कर रहे हैं. यहां के मूल निवासियों को उजाड़ेंगे, नए लोगों को बसाएंगे, यह कहां का इंसाफ है?

जयपुर विकास प्राधिकरण किसान परिवारों की 3,500 करोड़ की जमीन हड़पना चाहता है, जबकि किसान नए कानून के हिसाब से मुआवजा चाहते हैं.

इस से कितने परिवार प्रभावित हुए हैं?

यह 1,350 बीघा जमीन का मामला है. यहां पर हजारों की आबादी है. इस के अलावा किसानों की अपनी खेती की जमीन है और सब से बड़ी बात है कि देश में नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है. पुराने कानून के तहत हम जमीन नहीं देना चाहते हैं.

क्या यहां के स्थानीय विधायक नरपत सिंह राजवी से कोई बात हुई है?

वे पिछले 10 साल से यहां लगातार विधायक हैं. उन को इस बारे में सबकुछ पता है और उन्होंने कितना सहयोग किया है या नहीं, यह किसान भी जानते हैं, और वे खुद भी जानते हैं, पर हमारा तो उन से भी और सरकार से भी निवेदन है कि किसानों की लोकतांत्रिक मांग को देखते हुए और वर्तमान में जो कानून इस देश में लागू है, उस के मुताबिक मुआवजा दिलवाएं, जिस से किसानों के साथ नाइंसाफी न हो.

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राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री से कोई बातचीत हुई या उन की तरफ से कोई मैसेज आया?

मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं, वे किसानों के दर्द को समझते हैं और किसानों के प्रति उन्होंने इस देश में बहुत काम किया है. नई सरकार बनने के बाद 5 जनवरी, 2019 को हम ने इस मामले को ले कर उन को ज्ञापन दिया था. हमारे पिछले आंदोलन में भी उन का समर्थन मिला था, तो मुझे पूरा विश्वास है कि वे किसानों की जायज मांग को समझेंगे.

जल्द ही सामने आएगी लव-कुश की सच्चाई, त्रिशा देगी कार्तिक-नायरा को ऐसा हिंट

स्टार प्लस (Star Plus) के पौपुलर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehelata Hai) में जब से लव-कुश (Luv-Kush) की रीएंट्री हुई है तब से शो ने एक अलग ही ट्रैक पकड़ लिया है जो कि दर्शकों को खूब पसंद भी आ रहा है. जैसा कि पहले हमने आपको बताया था कि लव-कुश की जबसे रीएंट्री हुई है तब से ही कार्तिक-नायरा (Kartik-Naira) की मुश्किलें बढ़ गईं हैं और इसका कारण ये है कि लव-कुश जब से बोर्डिंग स्कूल से लौटे हैं तक से ही वे काफी बिगड़ गए हैं और उन्हें हर वो बुरी आदत की लत लग चुकी है जो कि नहीं लगनी चाहिए थी.

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नायरा-कार्तिक ने बचाई त्रिशा की जान…

पिछले एपिसोड्स में हमने देखा कि लव-कुश (Luv-Kush) ने अपने दोस्तों के साथ मिलकर त्रिशा (Trisha) को मोलेस्ट किया जिसकी वजह से त्रिशा ने सुसाइड करने की भी कोशिश की. त्रिशा बच तो गई पर वह कोमा में चली गई थी जिससे की लव-कुश ने राहत की सांस ली थी और सोचा था कि वे अब बच गए. कार्तिक-नायरा (Kartik-Naira) ने मिलकर त्रिशा की खूब देखभाल की और उसकी जान बचाई. लव-कुश ने हर वो मुमकिन कोशिश की जिससे कि वे अपनी इस हरकत पर पर्दा डाल सकें.

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जल्द खुलेगी लव-कुश की पोल…

 

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खबरों के अनुसार अप्कमिंग एपिसोड्स में दर्शकों को देखने को मिलने वाला है कि लव-कुश अब ज्यादा दिनों तक कार्तिक-नायरा से नहीं बच पाएंगे और उनकी ये पोल जल्द ही खुल जाएगी. दरअसल इशारों इशारों में त्रिशा कार्तिक नायरा को ये हिंट दे देगी कि उसके साथ से जो भी कुछ हुआ उसके पीछे लव-कुश का ही हाथ था. त्रिशा इशारे में ही बताएगी कि उसके गुनहगार का नाम एल से शुरु होता है.

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नायरा-कार्तिक और दादी के बीच तकरार…

जैसा कि हम सब जानते हैं कि कार्तिक (Mohsin Khan) नायरा (Shivangi Joshi) और दादी (Swati Chitnis) के बीच तकरार होना अब आम बात हो गई है तो इसी के चलते एक बार फिर कार्तिक नायरा दादी से भिड़े जिसकी वजह थी त्रिशा के गोयनका परिवार में ले कर आना. दरअसल दादी का ये मानना है कि त्रिशा का गोयनका हाउस में आना उनकी इज्जत के लिए अच्छा नहीं होगा और समाज में उनकी नाक कट जाएगी.

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क्या होगा कार्तिक-नायरा का रिएक्शन…

इसी के चलते दर्शकों को ये देखने को मिला की कार्तिक नायरा ने दादी की बात ना मानते हुए त्रिशा के अपने घर में जगह दी. अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर कब लव-कुश का ये सच सबके सामने आएगा और जब आएगा तो इस पर कार्तिक नायरा का क्या रिएक्शन होने वाला है.

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मर्दों की विरासत को नया नजरिया देती गांव की बिटिया

लेखक- देवांशु तिवारी

हाथ में तलवार, आंखें तिरछी और तेज आवाज में क्या कोई आप के दिल को छू सकता है? कई लोग कहेंगे कि दिल को छूने का तो नहीं पता, पर दिल में छेद जरूर कर सकती है ऐसी शख्सीयत, लेकिन आप को इतना सोचने की जरूरत नहीं है, क्योंकि शीलू यह सबकुछ करती है और लोग उस को इस अंदाज में देख कर दंग रह जाते हैं.

उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले में एक छोटे से इलाके गुरुबक्शगंज की रहने वाली शीलू सिंह राजपूत एक आल्हा गायिका हैं.

याद रहे कि आल्हा गीत पुराने समय में राजामहाराजाओं के लड़ाई पर जाने से पहले गाया जाता था. इस गीत को केवल मर्द ही गाते थे.

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पर, शीलू तो एक लड़की है, फिर भला वह क्यों गाने लगी वीर रस से भरा मर्दों का यह आल्हा? यही एक सवाल कभी समाज ने उस से पूछा था, जब छोटी सी उम्र में शीलू ने अपने हाथ में पहली बार तलवार थामी थी और आल्हा गाना शुरू किया था.

शीलू रायबरेली जिले के जिस हिस्से से आती है, वह बेहद पिछड़ा हुआ इलाका है. यहां ज्यादातर लड़कियों के हाथों में जिस उम्र में किताबें होनी चाहिए, वे चूल्हे में पड़ी लकडि़यों को जलाने वाली फुंकनी और गोलगोल रोटी बनाने वाला बेलन लिए हुए नजर आ जाएंगी. इन देहाती हालात के बीच शीलू ने अपनी अलग राह खुद चुनी है और इस में सब से बड़ी बात यह रही कि उस के पिता भगवानदीन ने उस का हर कदम पर साथ दिया.

आल्हा गायक लल्लू बाजपेयी का आल्हा सुन कर शीलू बड़ी हुई और आज एक जानीपहचानी आल्हा गायिका बन चुकी है. उस के इस हुनर को आज केवल उस के गांव वाले ही नहीं, बल्कि कई राष्ट्रीय व राजकीय मंच भी सराह चुके हैं. पहले गांव के जो लोग उस को ऐसा करते देख आंखें टेढ़ी कर लिया करते थे, आज वही अपनी लड़कियों को शीलू का आल्हा दिखाने लाते हैं.

शीलू ने आल्हा गायन के साथसाथ हाल ही में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की है. लेकिन जब भी वह आल्हा गाने मंच पर आती है, तो उस की मासूमियत कहीं ऐसे छिप जाती है मानो दोपहर का चमचमाता सूरज अचानक बदली में कहीं गुम हो जाता है.

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चेहरे पर वही तेज, हाथों में धारदार तलवार और तिरछी आंखें. चारों ओर बैठे लोग उसे इस अंदाज में देख कर दंग रह जाते हैं.

लोग कहते हैं कि शीलू जब अपने हाथों में तलवार नचाते हुए आल्हा गाती है, तो मंच पर एक अजीब सा कंपन महसूस होता है और शरीर में अपनेआप रोमांच हो जाता है. उस का आल्हा दिल को ऐसे छू लेता है कि अगले दिन तक वह आवाज कानों में गूंजती रहती है.

शीलू का यह हुनर उस के परिवार को अब हर लमहा गर्व का अहसास कराता है और सीना ठोंक के चुनौती देता है समाज की हर उस रूढि़वादी सोच को, जो औरतों को हमेशा चारदीवारी के अंदर रहने को मजबूर करती है.

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