इस दिवाली ट्राय करें कार्तिक के ये स्टाइलिश कुर्ते और लूट लें महफिल

बौलीवुड के चौकलेटी बौय कहे जाने वाले एक्टर कार्तिक आर्यन लड़कियों के बीच काफी फेमस हैं. कार्तिक आर्यन बेहद अच्छे एक्टर होने के साथ-साथ एक बेहतरीन मौडल भी रह चुके हैं. जैसा कि आप सब जानते हैं कि फेस्टिव सीजन नजदीक ही है और इन दिनों हमें ये तय करने में काफी मुश्किल आती है कि हमें किस तरह के आउटफिट पहनने चाहिए जिससे हम अपने आस पास वालों को इम्प्रेस कर सकें. फेस्टिव सीजन में देखा गया है कि कार्तिक के ट्रेडिशनल लुक्स काफी चर्चा में हैं तो हम आपको दिखाएंगे कार्तिक के कुछ ऐसे चुनिंदा लुक्स जिसे आप फेस्टिव सीजन में ट्राय करने से खुद को रोक नहीं पाएंगे.

कार्तिक आर्यन का ट्रेंडी इंडो वेस्टर्न…

इस लुक में कार्तिक आर्यन ने पिंक कलर का इंडो वेस्टर्न पहना हुआ है और इस डंडो वेस्टर्न का प्रिंट इतना ट्रेंडी है कि कोई भी इसे ट्राय कर सकता है. इस ट्रेंडी लुक के साथ कार्तिक ने लाइट ब्राउन कलर की धोती पहनी हुई है. इस फेस्टिव सीजन कार्तिक आर्यन के इस लुक को आप जरूर ट्राय करें.

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कुर्ता पयजामा लुक…

इस लुक में कार्तिक ने यैल्लो कलर का ट्रेंडी कुर्ता और साथ ही व्हाइट कलर की पयजामी पहनी हुई है. इस लुक में कार्तिक काफी डैशिंग दिखाई दे रहे हैं तो अगर आप भी चाहते हैं कार्तिक की तरह डैशिंग दिखना और करना चाहते हैं अपने लुक्स से आस पास वालों को इम्प्रेस तो ये लुक आपके लिए परफेक्ट रहेगा.

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फ्लावर प्रिंट लुक…

इस फ्लावर प्रिंट लुक में कार्तिक ने पीच कलर के कुर्ते के साथ व्हाइट कलर की पयजामी पहनी हुई है. इस आउटफिट के साथ कार्तिक का फ्लावर प्रिंट बेस कोट गजब ढ़ा रहा है. इस फेस्टिव सीजन कार्तिक का ये लुक ट्राय कर आप किसी को भी इम्प्रेस कर सकते हैं.

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इंडियन लुक…

इस इंडियन लुक में कार्तिक के कुर्ते पयजामे का को क्या ही कहना. इस लुक में कार्तिक नें ग्रीन कलर का प्रिंटेड कुर्ता और साथ ही व्हाइट कलर की पयजामी पहनी हुई है. इस लुक के साथ कार्तिक ने कुर्ते ते ऊपर दुपट्टा पहना हुआ है जो इस लुक पर चार चांद लगा रहे है. कार्तिक के इस लुक को आप फेस्तिव सीजन में किसी भी दिन ट्राय कर सकते हैं.

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दुल्हन बनीं सपना चौधरी, फोटोज से उड़ाए फैंस के होश

हरियाणा की क्वीन सपना चौधरी आज कल सोशल मीडिया पर छाई हुई हैं. सपना अपनी ग्लैमरस और हौट फोटोज शेयर कर सोशल मीडिया पर गदर मचा रही हैं. सिंपल और सूट सलवार में दिखने वालीं सपना अब काफी ग्लैमरस हो गई हैं. अब हाल ही में सपना ने अपनी कुछ नई तस्वीरें शेयर की हैं जिसमें वे एक दुल्हन बनीं नजर आ रही हैं.

इंस्टाग्राम अकाउंट से किया ब्राइडल लुक शेयर…

जी हां हाल ही में सपने चौधरी ने अपना एक ब्राइडल लुक शेयर किया है जिसमें वे बेहद सुदर लग रही हैं. बीते दिन सपना ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से अपना एक ब्राइडल फोटोशूट शेयर किया है. अपने डांस से सबका दिल जीतने वाली सपने चौधरी इन दिनों अपने फोटोशूट से भी सबके होश उडा रही हैं.

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फैंस दे रहे हैं जमकर प्यार…

सपना चौधरी का चाहे डांस वीडियो हो या फिर उनकी फोटोज, सपना के फैंस उनकी हर अदा पर अपनी जान छिडकते हैं. सपना अपने इस ब्राइडल लुक में इतनी सुंदर दिखाई दे रही हैं कि वे किसी को भी अपने प्यार में डाल सकती हैं. सपना के फैंस उनकी हर फोटो पर जमकर प्यार बरसाते हैं और लाइक्स और कमेंट्स में तो जैसे उनके पास शब्द ही कम पड जाते हैं सपना की तारीफ के लिए. और हो भी क्यों ना आखिर सपना चौधरी है ही तारीफ के काबिल.

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ब्राइडल लुक शेयर कर कैप्शन में लिखा…

अपना ब्राइडल लुक शेयर करते हुए सपने ने कैप्शन में लिखा कि,- “क़ेसे कह दूं की थक गयी हूं मैं” ना ज़ाने किसका होसला हूं मैं….”. कुछ दिनों पहले हमें सपना चौधरी का ग्लैमरस अवतार भी देखने को मिला था जिसमें वे ट्रांसपेरेंट टौप और शौर्ट्स पहने दिखाई दी थीं. इस लुक में तो सपना ने जैसे लोगों के दिलों में हलचल ही पैदा कर दी थी.

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ब्राइडल लुक के साथ ये लुक भी किया शेयर…

ब्राइडल लुक के साथ सपना चौधरी ने अपना एक बोल्ड लुक भी फैंस के साथ शेयर किया जिसमें उन्होनें लाइट पिंक कलर की मिडी पहनी हुई है. इस लुक में सपना की अदाएं देख कोई भी अपने होश खो सकता है.

बता दें, सपना को पौपुलैरिटी बिग बौस शो में आने के बाद से मिली है. सपना भले ही ये शो नहीं जीत पाईं लेकिन इस शो के बाद से उनकी पौपुलैरिटी काफी बढ़ गई थी. बिग बौस से निकलते ही सपना एक के बाद एक कामयाबी की सीढियां चढ़ती गईं.

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Bigg Boss 13: शो से बाहर होते ही कोएना ने सुनाई सलमान को खरी-खोटी

टेलीविजन इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा टी.आर.पी गेन करने वाला कलर्स टी.वी का रीएलिटी शो बिग बौस का सीजन 13 इन दिनों काफी सुर्खियों में है. दरअसल ऐसा हर बार देखने को मिलता है कि बिग बौस के घर में लड़ाई झगडे और एंटरटेनमेंट का तड़का लगता ही रहता है लेकिन इस बार सीजन की शुरूआत से ही घरवालों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहां. बिग बौस सीजन 13 की शुरूआत से ही घरवालों ने अपने असली रूप दिखाने शुरू कर दिए थे.

कोएना मित्रा को है सलमान से शिकायत…

हाल ही में बिग बौस के घर से दो सदस्य बाहर निकल हए थे जिनके नाम हैं दलजीत कौर और कौएना मित्रा. लेकिन खबरों की मानें तो कंटेस्टेंट कोएना मित्रा को सलमान खान ने कुछ शिकायतें रह गई हैं जिसे वे शो से बाहर आ कर सबको बता रही हैं. कोएना ने बताया कि सलमाल खान शुरू से ही उनके खिलाफ रहे हैं और वीकेंड के वार में उन्हें कुछ बोलने का मौका नहीं दिया जाता था.

 

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Sofia Maria Hayat Message For #bigboss13 & Unfair Eviction Of #koenamitra

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मुझे नहीं मिला बोलने का मौका- कोएना मित्रा

एक एंटरव्यू के दौरान कोएना ने इस बात का विस्तार से खुलासा करते हुए कहा कि,- “पहले वीकेंड के वार में मुझे लगा कि सलमान मुझसे दूरी बनाकर रखना चाहते थे. जब सिद्धार्थ डे ने मेरे खिलाफ बातें करना शुरु की और झूठ बोला तो मैं लगातार अपना प्वाइंट रखने की कोशिश करती रही लेकिन सलमान ने मुझे मेरी बात रखने का मौका नहीं दिया. उनके मेरे खिलाफ ऐसे बिहेवियर से मैं काफी दुखी हुई थी, मुझे लगा कि वो एकतरफा व्यवहार कर रहे हैं.”

सलमान ने की शेहनाज को बचाने की कोशिश…

कोएना मित्रा ने इसी बारे में आगे बात करते हुए बताया कि,- दूसरे वीकेंड में जब शेहनाज ने मेरी नकल उतारी तो सलमान ने उसे ये कहकर बचाने की कोशिश की कि लोगों को ये सब पसंद आ रहा है, लेकिन जब मैं शो से बाहर आई तब मुझे पता लगा कि सच्चाई आखिर है क्या. लोगों को ये सब बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है. हर कोई शेहनाज को खरी-खोटी सुना रहा है और पूछ रहा है कि वो सेलेब कैसे हुई जब उसने कुछ काम नहीं किया है. शेहनाज को बिग बौस 13 से पहले कोई भी नहीं जानता था. जब मैं घर से बाहर आई तो मुझे पता चला कि लोग सलमान खान के बारे में यही कह रहे हैं कि वे बार बार शेहनाज की साइड ले कर उसे बचा रहे हैं.

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I request you all please support #koenamitra #bigboss13 #bollywood #mumbai #actress #model

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क्या होगा भाईजान का रिएक्शन…

बता दें, दलजीत कौर और कोएना मित्रा एक साथ बिग बौस के घर से बारह हुए थे लेकिन जहां एक तरफ कोएना मित्रा नें सलमान खान के खिलाफ इतना कुछ कह दिया है वहीं दूसरी तरफ दलजीत कौर ने अब तक कोई सफाई नहीं दी है. अब देखने वाली बात ये होगी कि कोएना के इस बयान पर भाईजान कैसे रिएक्ट करेंगे.

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महारानी बनीं भोजपुरी क्वीन आम्रपाली दुबे, फोटोज देखकर फैन्स ने किए ये कमेंट्स

भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वो अपनी कई तस्वीरें और वीडियोज शेयर करती हैं. इन दिनों आम्रपाली महारानी बनी हुई हैं. दरअसल, आम्रपाली इन दिनों अपनी अप्कमिंग फिल्म राजमहल की शूटिंग कर रही हैं. फिल्म में आम्रपाली महारानी का किरदार निभा रही हैं और अपने इसी करेक्टर के लुक की फोटोज वो शेयर करती रहती हैं. आम्रपाली इस लुक में काफी खूबसूरत लग रही हैं. अब तक अपने महारानी वाले लुक से आम्रपाली ने 3 फोटोज शेयर की हैं. फैन्स को आम्रपाली का ये लुक बहुत पसंद आ रहा है. देखें फोटोज:

‘मेरे मरद’ गाने पर बनाया टिक टौक वीडियो हुआ वायरल…

 

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Rajmahal 😍❤️ #introduction #bathing #song

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आम्रपाली टिक टौक ऐप पर कई वीडियोज बनाती रहती हैं. उनके वीडियोज सोशल मीडिया पर खूब वायरल होता हैं. कुछ दिनों पहले उन्होंने ‘मेरे मरद’ गाने पर ऐसा वीडियो बनाया कि वो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ. वीडियो में आम्रपाली के एक्सप्रेशन कमाल के हैं.

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बता दें कि ये गाना आम्रपाली की अप्कमिंग फिल्म ‘शेर सिंह’ का है. इस फिल्म में आम्रपाली के साथ भोजपुरी स्टार पवन सिंह हैं.

 

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Rajmahal 😍🙈🔥

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कुछ दिनों पहले ही फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ था जिसे काफी अच्छा रिस्पौन्स मिला है. फिल्म जबरदस्त एक्शन से भरपूर है. अभी तक फिल्म के 2 गाने ‘मेरे मरद’ और ‘बाबू बाबू’ रिलीज हो गए है. ट्रेलर के साथ-साथ फिल्म के गानों को भी जबरदस्त रिस्पौन्स मिल रहा है.

इसके साथ ही आम्रपाली और निरहुआ की फिल्म ‘निरहुआ द लीडर’ भी आने वाली है. इस फिल्म में आम्रपाली और निरहुआ लीड रोल में हैं. बता दें कि आम्रपाली और निरहुआ एक साथ जिस भी फिल्म में साथ आते हैं, उसमें धमाल मचा देते हैं. दोनों की ऑनस्क्रीन जोड़ी के फैन्स दीवाने हैं. इसके साथ ही दोनों बहुत अच्छे दोस्त भी हैं.

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आम्रपाली-निरहुआ की ये फोटो हुई थी वायरल…

 

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Kisi din banungi main Raja ki Rani ♥️ #nirahuatheleader #songshoot

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आम्रपाली और निरहुआ की दोस्ती के बारे में सभी को पता है. दोनों साथ में कई फोटोज शेयर करते रहते हैं. कुछ दिनों पहले आम्रपाली ने निरहुआ के साथ एक फोटो शेयर की थी जो सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई थी. इस तस्वीर में दोनों ने गले में माला पहनी हुई है.

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ICC ने हटाया वो नियम, जिसने इंग्लैंड को बनाया था पहली बार क्रिकेट का विश्व कप

उस दिन लगा कि अब फाइनल मुकाबला क्या देखना जब भारत लड़ाई में है ही नहीं. लेकिन विश्व कप का फाइनल इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच ऐसा हुआ जो सदियों तक याद रखा जाएगा. 2019 में इंग्लैंड ने पहली बार खिताब जीता और न्यूजीलैंड ने दिखा दिया कि आखिरकार टूर्नामेंट में क्यों उस टीम को फेवरेट बताया जा रहा था. हालांकि न्यूजीलैंड खिताब जीतते रह गया और इसमें विलन बना था आईसीसी का वो नियम जो अब इतिहास बन गया.

विश्व कप का फाइनल मुकाबला लौर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला गया था. इस मुकाबले का नतीजा बाउंड्री काउंट के आधार पर निकला था, लेकिन आईसीसी ने अब इस नियम को हटा लिया है. आईसीसी के सुपर ओवर में बाउंड्री नियम की वजह से इंग्लैंड पहली बार खिताब जीतने में कामयाब तो हो गया लेकिन वहीं शानदार प्रदर्शन करने वाली न्यूजीलैंड की टीम खिताब से चूक गई थी. आईसीसी ने कहा कि ग्रुप स्टेज में अगर सुपर ओवर टाई रहता है तो इसके बाद मुकाबला टाई रहेगा.

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वहीं सेमीफाइनल और फाइनल में अगर सुपर ओवर होता है तो ऐसे में जो भी टीम ज्यादा रन बनाती है वो विजेता घोषित होगी. सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले में सुपर ओवर तब तक जारी रहेगा जब तक एक टीम दूसरी टीम से ज्यादा रन नहीं बना लेती. उदाहरण के तौर पर, अगर ग्रुप स्टेज में दो टीमें 50 ओवर में एक ही स्कोर बनाती हैं तो ऐसे में मैच के नतीजे के लिए सुपर ओवर होगा. लेकिन अगर सुपर ओवर में भी स्कोर बराबर रहता है तो ऐसे में मैच का नतीजा टाई होगा और दोनों टीमों को बराबर अंक मिलेंगे. लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल में ऐसा नहीं होगा.

14 जुलाई को ऐतिहासिक लौर्डस मैदान पर खेले गए फाइनल मैच में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को सुपर ओवर में हरा दिया था. इस रोमांचक खिताबी मुकाबले में न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 241 रन बनाए और इंग्लैंड को वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए 242 रनों की जरूरत थी, लेकिन मेजबानी टीम भी 50 ओवर में 241 रन ही बना सका और मैच टाई हो गया.

इस टाई मैच का नतीजा निकालने के लिए सुपर ओवर कराया गया था. इंग्लैंड ने एक ओवर में 15 रन बनाए और बाद में न्यूज़ीलैंड भी15 रन ही बना पाया. इसलिए मैच यहां भी टाई हो गया. यहां तक भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तो मैच में किस टीम की ओर से बाउंड्री ज्यादा (बाउंड्री काउंट) लगी उसके आधार पर मैच का नतीजा निकला.

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इंग्लैंड ने अपनी पारी में कुल 26 बाउंड्री लगाई और न्यूजीलैंड ने कुल 17. इस आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया, लेकिन आईसीसी ने अब बाउंड्री काउंट नियम को रद्द कर दिया है.

सोमवार को हुई आईसीसी की बोर्ड की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि आईसीसी क्रिकेट समिति, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईसी) की समिति की सिफारिश के बाद यह सहमति बनी कि सुपर ओवर का उपयोग आईसीसी के मैचों में जारी रहेगा. इसे तब तक किया जाएगा जब तक टूर्नामेंट का परिणाम स्पष्ट तरीके से नहीं निकल जाए.

बयान में कहा गया कि इस मामले में क्रिकेट समिति और सीईसी दोनों सहमत थे कि खेल को रोमांचक और आकर्षक बनाने के लिए एकदिवसीय और टी-20 वर्ल्ड कप के सभी मैचों में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. ग्रुप स्टेज पर अगर सुपर ओवर के बाद भी मैच टाई रहता है तो उसे टाई माना जाएगा लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल में सुपर ओवर तब तक कराया जाएगा जब तक एक टीम ज्यादा रन नहीं बना लेती.

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‘‘खुद को ग्लोबली स्थापित करना है’’- नीतू चंद्रा

मां और मातृभाषा के सम्मान के साथ बिहार की अस्मिता की लड़ाई लड़ती आ रहीं अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने अपने कैरियर में अब तक कई पड़ाव पार किए हैं. प्रशिक्षित कत्थक डांसर और मार्शल आर्ट में ब्लैक बैल्ट विनर नीतू चंद्रा ने हिंदी व दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय करने के अलावा अपने भाई नितिन चंद्रा के साथ भोजपुरी व मैथिली भाषा की फिल्में बनाई भी हैं.

2 वर्षों से वे जहां म्यूजिक वीडियो भी कर रही हैं वहीं वे अमेरिकन और कोरियन टीवी पर भी कार्यरत हैं. इन दिनों वे पायल देव द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘इश्क’ के म्यूजिक वीडियो को ले कर चर्चा में हैं जिस में वे सैंसुअस अवतार में नजर आ रही हैं. इतना ही नहीं, खेल के प्रति उन के समर्पण भाव के चलते उन्हें प्रोकबड्डी लीग में पटना पाइरैट्स का ब्रैंड एंबैसडर बनाया गया है.

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आप क्लासिकल डांसर हैं. यह अभिनय में किस तरह से मदद करता है?

ग्रेसफुलनैस में, मैं हमेशा क्लासिक डांस करती रहती हूं, इसलिए बैलेंस बना रहता है. मैं बहुत फेमिन और ग्रेसफुल हूं.

इन दिनों आप पाल देव के सिंगल गाने ‘इश्क’ को ले कर चर्चा में हैं. जब आप ने यह गीत सुना तो सब से पहले आप के दिमाग में क्या बात आई?

मुझे लगा कि इस गाने में मेरे कई लुक होंगे. मुझे बहुत अलग तरह का डांस करने का मौका मिलेगा. मैं एक प्रशिक्षित डांसर हूं, इसलिए मैं ने सोचा कि यदि मैं इस गाने को क्लासिकल आधार बना कर डांस करूं तो अच्छा होगा. इस से किरदार के साथ न्याय होगा. ‘इश्क’ मेरे लिए एक बहुत ही खास गीत है क्योंकि यह मेरे व्यक्तित्व का एक अलग पक्ष सामने लाता है. एक ऐसा पक्ष जिसे पहले किसी ने नहीं देखा है. इस का म्यूजिक बहुत जोशीला है और एक बार जब आप इसे सुन लेते हैं तो आप इसे पूरे दिन गुनगुनाते रहते हैं.

आप को यह गाना क्यों पसंद आया?

क्योंकि यह गाना मुझ से बहुत कुछ कहता है. यह गीत और धुन से परे है. इस में वह जिंग है जो मुझे उठने और उस पल को दोबारा प्राप्त करने के लिए विवश करता है. पायल की आवाज ने गीत में एक्सफैक्टर जोड़ा है. पायल की आवाज के साथ मुझे लगा कि मैं खुद गा रही हूं.

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आप बेहतरीन क्लासिकल डांसर हैं. आप ने कभी नहीं सोचा कि क्लासिकल डांस पर कोई कार्यक्रम किया जाए?

मैं ने क्लासिकल डांस के कार्यक्रम किए हैं. मैं ने दक्षिण की फिल्मों में क्लासिकल डांस किया है. मैं ने तेलुगू फिल्म ‘गोदावरी’ में क्लासिकल डांस किया था. इस के अलावा एक तमिल फिल्म में मैं ने दोहरी भूमिका निभाई जिस में एक भूमिका में मैं ने क्लासिकल डांस किया है. जब भी मुझे मौका मिला, मैं ने क्लासिकल डांस जरूर किया.

8 वर्ष से आप ने हिंदी फिल्मों से दूरी क्यों बना रखी है?

मैं अच्छे काम को प्राथमिकता देती हूं. मैं ने दक्षिण भारत में 2-2 वर्ष के अंतराल से फिल्में की हैं. जबकि हिंदी में मैं थिएटर करती रही हूं, जो ज्यादा जरूरी है. खराब काम करने से अच्छा है कि अच्छा काम करो.

दूसरी बात 7 साल पहले मेरे पापा को कैंसर हुआ था, तो कुछ समय हम ने उन की देखभाल की, फिर उन का देहांत हो गया. उस के बाद मेरी मम्मी भी बीमार पड़ गई थीं. तब मैं ने कहा कि काम तो होता रहेगा. मैं ने ज्यादा ध्यान घर पर दिया. भाई के साथ प्रोडक्शन हाउस शुरू किया. मेरा भाई नितिन चंद्रा बेहतरीन निर्देशक है. उस ने दिबाकर बनर्जी, तनूजा चंद्रा के साथ काम किया है. उस के बाद उस ने हिंदी फिल्म की, भोजपुरी फिल्म निर्देशित की.

मैं उस के साथ आ गई. मैं ने थिएटर किया, फिल्म बनाती रही. यह सब करने में समय तो लगता ही है. फिर मैं अमेरिका जाने लगी, तो लोगों को लगा कि मैं ब्राजीलियन हूं या इटैलियन हूं. मुझे लगा कि ग्लोबल ऐक्टर वाली इमेज बन सकती है, तो मैं ने सोचा कि ग्लोबल इमेज को पुख्ता करने के लिए हर भाषा में मौजूद बेहतरीन कंटैंट वाली फिल्में करूंगी.

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‘देशवा’ को रिलीज हुए 7 साल हो गए. इस में आप ने जो मुद्दे उठाए थे, वे अभी भी वैसे ही हैं या उन में कुछ बदलाव आया?

बदलाव हुआ है. बिहार की कहानी पर फिल्में बनने लगी हैं, जैसे ‘सुपर थर्टी’ या ‘जबरिया जोड़ी’ बनी हैं.

आप तायक्वांडो में ब्लैक बैल्ट धारी हैं, तो अब इस से आप को क्या फायदा मिलता है?

आत्मविश्वास बना रहता है. आज मेरे अंदर जो आत्मविश्वास है, वह इसी के चलते है. मेरे बुरे समय में या जब मैं बहुत निराश हुई तो मुझे हमेशा स्पोर्ट्स का साथ रहा. स्पोर्ट्स से आप में नेवर गिविंग अप एटीट्यूड रहता है. अनुशासन रहता है. कठिन मेहनत करने का जज्बा बना रहता है. स्पोर्ट्स एटीट्यूड से ही मैं आगे बढ़ पाई हूं.

अब आप को अमेरिका और भारत में क्या फर्क समझ में आ रहा है, जिस की वजह से हम पीछे रह जाते हैं?

हम पीछे नहीं हो जाते हैं. हमारे देश की आबादी बहुत ज्यादा है. मैनेजमैंट की कुछ कमियां हैं. हम लोगों की बहुत सारी चीजों को वे अपना चुके हैं. अलग अलग क्षेत्रों में हमारी भाषाओं में, हमारे इतिहास, हमारे कल्चर व आर्ट्स में सारे लोग लुक अप टू करते हैं. स्थिति यह है कि कहीं वे हम से पीछे हैं, तो कहीं हम उन से पीछे हैं.

नया क्या कर रही हैं?

हाल ही में हौलीवुड की एक कौमेडी फिल्म ‘द वर्स्ट डे’ की शूटिंग पूरी की है. वैब सीरीज कर रही हूं. एक ऐक्शन प्रधान कोरियन फिल्म ‘नरने’ कर रही हूं. हिंदी में स्पोर्ट्स पर फिल्म कर रही हूं. इस फिल्म में बताया गया है कि जो खिलाड़ी ओलिंपिक खेल सकता था, वह सुविधाओं के अभाव में खेल नहीं पाया. लोगों ने उस का साथ नहीं दिया. सरकार ने भी साथ नहीं दिया. भोजपुरी और मैथिली में भी फिल्में कर रही हूं. एक कोरियन टीवी सीरीज कर रही हूं.

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बांग्लादेशी घुसपैठियों पर सियासी जंग

साल 1985 के बाद से ही बिहार विधानसभा के हर चुनाव में भाजपा बंगलादेशी घुसपैठियों का मामला उठाती रही है. इस के बूते भाजपा को सीमांचल इलाके में कामयाबी भी मिली है.

एनआरसी यानी नैशनल रजिस्टर औफ सिटीजन लिस्ट जारी होने के बाद भाजपाई अब बिहार में भी इसे लागू करने की आवाज बुलंद करने लगे हैं, जबकि उन का सहयोगी दल जनता दल (यूनाइटेड) एनआरसी के विरोध में  झंडा उठाए हुए है.

भाजपा नेताओं का दावा है कि बिहार के सीमांचल इलाकों में मुसलिम आबादी तेजी से बढ़ी है और इस की अहम वजह बंगलादेशी घुसपैठिए ही हैं. कटिहार और पूर्णिया में 40 फीसदी और किशनगंज में 50 फीसदी तक मुसलिम आबादी हो गई है.

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जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, 1971 में अररिया में मुसलिम आबादी 36.52 फीसदी थी, जो साल 2011 में बढ़ कर 42.94 फीसदी हो गई. 1971 में कटिहार में 36.58 मुसलिम थे, जो साल 2011 में बढ़ कर 44.46 फीसदी हो गए. 1971 में पूर्णिया में 31.93 फीसदी ही मुसलिम आबादी थी जो साल 2011 में 38.46 फीसदी तक जा पहुंची.

इस तरह से 40 सालों के दौरान अररिया में 6.4 फीसदी, कटिहार में 7.88 फीसदी और पूर्णिया में 6.53 फीसदी की दर से मुसलिम आबादी बढ़ी है.

साल 1991 में हुई जनगणना में देश में 82.77 फीसदी हिंदू और 11.02 फीसदी मुसलिम थे. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, 79.97 फीसदी हिंदू और 14.22 फीसदी मुसलिम हो गए. इस दौरान मुसलिम आबादी 3.02 फीसदी बढ़ गई और उसी अनुपात में हिंदू आबादी घट गई.

1 सितंबर, 2019 को असम में एनआरसी लिस्ट जारी की गई. 3 करोड़, 11 लाख, 21 हजार, 4 लोगों को लिस्ट में शामिल किया गया. 19 लाख, 6 हजार, 657 लोगों को लिस्ट में जगह नहीं मिली. भाजपा नेता और मंत्री हिमंत बिस्वा ने लिस्ट को आधाअधूरा करार दिया है.

बिहार जद (यू) ने भी सरकार के इस कदम की आलोचना की है. इतना ही नहीं, बिहार में इसे लागू करने का पुरजोर विरोध कर रही है.

भाजपा के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने सब से पहले बिहार में एनआरसी की मांग उठाते हुए कहा कि बिहार के सीमांचल इलाकों में आबादी का बैलेंस बिगड़ा है. इन इलाकों में बड़ी तादाद में बंगलादेशी जमीन, रोजगार और कारोबार पर कब्जा जमा चुके हैं.

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भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं कि बिहार में एनआरसी की जरूरत है. राज्य से घुसपैठियों को बाहर करना जरूरी है. पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज, अररिया जैसे सीमांचल इलाकों में बड़े पैमाने पर घुसपैठिए हैं. सुप्रीम कोर्ट की हिदायत पर एनआरसी बनाई गई थी. वहीं दूसरी ओर जद (यू) ने भाजपा की एनआरसी की मांग को खारिज करते हुए कहा है कि असल में तैयार की गई एनआरसी पर खुद वहां की भाजपा सरकार ने नाराजगी जताई है.

जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी कहते हैं कि असम में एनआरसी पूरी तरह से दुरुस्त और सही नहीं है. विदेश मंत्रालय भी साफ कर चुका है कि एनआरसी लिस्ट से बाहर रहने वालों को बाहर नहीं निकाला जाएगा.

बिहार के तकरीबन 35 विधानसभा क्षेत्रों में  20 लाख बंगलादेशी हैं. पश्चिम बंगाल के 52 विधानसभा क्षेत्रों में 80 लाख से ज्यादा बंगलादेशी हैं. सरकारें इन घुसपैठियों पर रहमोकरम बरसाती रही हैं, क्योंकि वे सियासी दलों के एकदम पक्के वोटर जो बने हुए हैं.

भाजपा नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि कई राजनीतिक दल एनआरसी को वोट बैंक के तौर पर देखते हैं, लेकिन भाजपा इसे घुसपैठ और आतंकवाद के रूप में देखती है.

गौरतलब है कि असम संधि के तहत कहा गया है कि साल 1966 से 1971 के बीच बंगलादेश से आए लोगों को भारत के नागरिक के तौर पर रजिस्टर किया गया है. साल 1971 के बाद सीमा पार कर भारत आए लोगों को भारत में रहना गैरकानूनी करार दिया गया है. संधि के तहत ऐसे लोगों को उन के मूल देश वापस भेजा जाना है.

बंगलादेशी घुसपैठिए पूर्वोत्तर भारत यानी असम, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, बिहार और  झारखंड में भारी पैमाने पर भरे हुए हैं. इतना ही नहीं. दिल्ली में भी बंगलादेशी घुसपैठियों ने अपनी जबरदस्त पैठ बना ली है. गैरकानूनी तरीके से घुस कर बंगलादेशी घुसपैठिए भारत की नागरिकता भी ले रहे हैं.

असम में मंगलदोई संसदीय क्षेत्र में हुए उपचुनाव में महज 2 साल के दरमियान 70,000 मुसलिम वोटरों के बढ़ने के बाद देश में पहली बार बंगलादेशी घुसपैठियों का मामला उजागर हुआ था.

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एक अनुमान के तहत, भारत में बंगलादेशी घुसपैठियों की तादाद तकरीबन 3 करोड़ है. घुसपैठियों की वजह से सीमा से सटे इलाके मुसलिम बहुल हो गए हैं.

संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बंगलादेश की पिछली जनगणना में तकरीबन एक करोड़ बंगलादेशी गायब पाए गए हैं. इस से भारत में बंगलादेशी घुसपैठियों के मामले को मजबूती मिली है.

घुसपैठियों के बहाने भाजपा को हिंदुत्व कार्ड खेलने की छूट मिलती है. बंगलादेशी मान कर लोग किसी भी बंगाली मुसलिम को आसानी से विदेशी कह सकते हैं.

आम लोगों को सरकार ने छूट दे दी है कि वे सड़क पर न्याय कर सकें. आज बंगलादेशी होने के नाम पर हिंदी व बंगाली बोलने वाले मुसलिम गुलाम बन गए हैं. वे न जमीन खरीद सकते हैं, न मकान बना सकते हैं. दलित और पिछड़ों के साथ भी यही सुलूक हो रहा है, चिंता न करें.

यह है एनआरसी

एनआरसी का मतलब है नैशनल रजिस्टर औफ सिटीजन. असम भारत का एकलौता राज्य है, जिस के पास एनआरसी है. यह साल1951 में बना था. इस के तहत 27 मार्च, 1971 को बंगलादेश बनने से पहले जो लोग असम में रह रहे थे, उन्हें ही भारतीय नागरिक की मंजूरी दी गई.

साल 1979 में अखिल असम छात्र संघ ने असम में गैरकानूनी रूप से रह रहे घुसपैठियों के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था. 6 साल तक चले आंदोलन के बाद 15 अगस्त, 1985 को हुए असम सम झौते के बाद शांत हुआ था.

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दिसंबर, 2013 में नागरिकों की पहचान का काम शुरू हुआ और उस के बाद 2015 में नागरिकों से आवेदन मांगे गए. 31 दिसंबर, 2018 को असम सरकार ने एनआरसी की पहली लिस्ट जारी की थी.

इस देश में रहना है तो कुंडली तो रखनी ही होगी.

नेताओं के दावे हवा-हवाई, दीपावली के पहले ही गला घोंटू हवाओं ने दी दस्तक

कुछ दिनों पहले की ही बात थी कि पौल्यूशन कम को लेकर नेताओं के भाषण चल रहे थे. मीडिया के सामने पहले दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल आए और उन्होंने कहा कि दिल्ली का प्रदूषण पहले से 25 फीसदी तक घट गया है. इसके आगे उन्होंने अपने प्रयास भी गिनवा दिए जोकि प्रयास कम प्रचार ज्यादा समझ आ रहा था.

इसके बाद केंद्र सरकार में कैबिनट मंत्री प्रकाश जावेडकर आए और उन्होंने भी अपना भाषण दे दिया. दोनों ने भाषण दे दिया और प्रदूषण कम भी गया. कुछ ही दिनों बाद दिल्ली एनसीआर में जब लोग अपने घरों से बाहर निकले तो धुंध दिखी. लोगों ने कयास लगाए कि इस बार ठंड कुछ पहले ही आ गई और कुहास आने लगा लेकिन जब वो बाहर निकले तो सांस लेने में भी परेशानी होने लगी. ये ठंड का कुहास नहीं बल्कि वायुमंडल में भरा प्रदूषण है.

इस बार मौसम ने करवट समय से पहले ही ले ली. अमूमन ठंड का आगाज दीपावली बाद देखने को मिलता है लेकिन इस बार दशहरे के बाद से ही ठंड महसूस होने लगी है. इसके साथ ही वायु प्रदूषण भी लगातार बढ़ रहा है. पिछले सप्ताह के मुकाबले रविवार को प्रदूषण के स्तर में दो गुना बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह से शहर रेड जोन में आ गया है.

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वायु गुणवत्ता सूचकांक एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 315 पर पहुंच गया है. ऐसे में लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है. पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में पराली जलना शुरू हो गई है. इससे यहां के लोगों को परेशानी हो रही है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 2016 में प्रदूषण के कारण पांच वर्ष से कम आयु के एक लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु हुई. इनमें भारत के 60,987, नाइजीरिया के 47,674, पाकिस्तान के 21,136 और कांगो के 12,890 बच्चे सम्मिलित हैं. रिपोर्ट के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण 2016 में पांच से 14 साल के 4,360 बच्चों की मत्यु हुई. निम्न और मध्यम आय वाले देशों में पांच साल से कम उम्र के 98 प्रतिशत बच्चों पर वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ा, जबकि उच्च आय वाले देशों में 52 प्रतिशत बच्चे प्रभावित हुए.

वायु प्रदूषण के कारण विश्व में प्रतिवर्ष लगभग 70 लाख लोगों की अकाल मृत्यु होती है. संयुक्त राष्ट्र संघ (यूएन) के अनुसार भारत में बढ़ता वायु प्रदूषण वर्षा को प्रभावित कर सकता है. इसके कारण लंबे समय तक मानसून कम हो सकता है. द एनर्जी एंड रिसोर्सेस इंस्टीट्यूट द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार शीतकाल में 36 प्रतिशत प्रदूषण दिल्ली में ही उत्पन्न होता है. 34 प्रतिशत प्रदूषण दिल्ली से सटे एनसीआर से आता है. शेष 30 प्रतिशत प्रदूषण एनसीआर और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं से यहां आता है.

रिपोर्ट में प्रदूषण के कारणों पर विस्तृत जानकारी दी गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदूषण के लिए वाहनों का योगदान लगभग 28 प्रतिशत है. इसमें भी भारी वाहन सबसे अधिक 9 प्रतिशत प्रदूषण उत्पन्न करते हैं. इसके पश्चात दो पहिया वाहनों का नंबर आता है, जो 7 प्रतिशत प्रदूषण फैलाते हैं. तीन पहिया वाहनों से 5 प्रतिशत प्रदूषण फैलता है. चार पहिया वाहन और बसें 3-3 प्रतिशत प्रदूषण उत्पन्न करती हैं. अन्य वाहन एक प्रतिशत प्रदूषण फैलाते हैं.

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दशहरे के अगले ही दिन से प्रदूषण के स्तर में बढ़ोतरी होनी शुरू हो गई थी. हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस बार प्रदूषण स्तर में कमी पाई गई. लेकिन, रविवार को हालात बुरे हो गए. वातावरण में हल्की धुंध के साथ धूल के कण भी नजर आए. अब धीरे-धीरे ठंड बढ़ने लगी है। इसकी वजह से हवा की दिशा में बदलाव हुआ है.

रविवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 315 वैरी पुअर दर्ज किया गया। इसके साथ ही प्रदूषण विभाग द्वारा लगाई गई मशीनों के जरिए पता लगा है कि नोएडा के सेक्टर-62 में 337, सेक्टर-1 में 321, सेक्टर-116 में 314 व सेक्टर-125 में प्रदूषण का स्तर 275 है, जो बहुत खतरनाक है. पूरा शहर रेड जोन में आ गया है. राजधानी दिल्ली के कई इलाकों का आंकड़ा भी बेहद चिंताजनक आया है.

फेस्टिवल से लेकर कौलेज तक ट्राय करें रित्विक के ये 4 लुक्स

छोटे पर्दे के मशहूर एक्टर्स में से एक रित्विक धनजानी अपने लुक्स को लेकर लड़कियों में काफी पौपुलर रहते हैं. रित्विक अब तक कई सीरियल्स में काम कर लोगों के काफी चहेते बन चुके हैं. रित्विक एक एक्टर होने के साथ साथ बहरतीन होस्ट भी रह चुके हैं जिन्होनें अपनी होस्टिंग से सबको खूब हसाया है. रित्विक ने ये है आशिकी जैसे कई पौपुलर शो होस्ट कर कामयाबी के शिखर पर चढे हैं. आप हम आपको दिखाएंगे रित्विक धनजानी के कुछ ऐसे लुक्स जिसे देख आप खुद समझ जाएंगे कि वे लड़कियों में इतने पौपुलर कैसे हैं.

फेस्टिव लुक…

 

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🖤♠️♣️‼️ . . . . . . Styled : @saachivj Outfit : @bharat_reshma

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फेल्टिवल्स के सीजन में काफी लोगों को ये समझ नहीं आता कि उन्हें किस तरह के आउटफित पहनने चाहिए तो रित्विक धनजानी आपके लिए लेककर आए हैं ऐसा फेस्टिव लुक जिसे ट्राय कर आप किसी को भी इम्प्रेस कर सकते हैं. इस लुक में रित्विक ने ब्लैक कलर का कुर्ता पयजामा पहना हुआ है और ब्लैक कलर के कुर्ते के ऊपर उन्होनें ब्लैक वेलवेट जैकेट पहनी हुई है. इस फेस्टिव सीजन जरूर ट्राय करें रित्विक धनजानी का ये लुक.

कैसुअल लुक…

 

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“शेर-स्नान” 🐅🍂

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आजकल हर कोई कैसुअल कपड़े पहनना ज्यादा पसंद करता है और इसका कारण है कि लोग कैसुअल लुक में अपने आप को काफी कम्फरटेबर फील करते हैं. इस कैसुअल लुक में रित्विक ने कोक कलर का ट्राउसर और साथ ही हाफ स्लीव्स प्रिंटेड शर्ट पहनी हुई है जो काफी कूल लग रही है. आप रित्विक का ये कैसुअल लुक अपनी डेली रूटीन में ट्राय कर सकते हैं.

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ट्रेंडी लुक…

 

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If you are happy and you know it clap your hands!! . . . 👔 @saachivj

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इस लुक में रित्विक धनजानी ने व्हाइट कलर की प्लेन राउंड नैक टी शर्ट के ऊपर यैल्लो कलर का ब्लेजर और सेम कलर का ही ट्राउसर पहना हुआ है. व्हाइट शर्ट से मैच करते हुए रित्विक ने शूज भी व्हाइट कलर के ही पहने हैं जो काफी अच्छे लग रहे हैं. आप भी रित्विक जैसा ये लुक किसी भी कैसुअल पार्टीज में ट्राय कर सकते हैं.

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रित्विक धनजानी का डेनिम लुक…

डेनिम एक ऐसा ट्रेंड है जिसने लोगों के मन में बहुत अच्छी जगह बनाई हुई है और लंबे समय से डेनिम का फैशन ट्रेंड में है. इस लुक में रित्विक ने फ्लावर प्रिंट शर्ट के ऊपर डेनिम शर्ट पहनी हुई है. साथ ही उन्होनें इस डेनिम लुक के साथ लाईट ब्लू कलर की जींस पहन रखी है. इस लुक के साथ रित्विक के व्हाइट शूज काफी सूट कर रहे हैं. आप भी रित्विक जैसा डेनिम लुक अपने कौलेज या कहीं भी ट्राय कर सकते हैं.

बता दें, रित्विक धनजानी ने पवित्र रिश्ता, प्यार की ये एक कहानी, बंदिनी जैसे कई डेली सोप्स में अपनी अहम भूमिका निभाई है और साथ ही वे नच बलिए सीजन 6 के विनर भी रह चुके हैं जिसमें उनकी पार्टनर का नाम आशा नेगी था.

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महाराष्ट्र चुनाव में कितनी हावी है वंशवाद की राजनीति, बीजेपी भी नहीं है अछूती

हम यहां बात करेंगे महाराष्ट्र की  सियासत में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे दो युवा नेताओं की. जिनको राजनीति उनके वंश से मिली हैं. पहले हैं शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के पुत्र आदित्य ठाकरे और दूसरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख और कद्दावर नेता शरद पवार के पोते रोहित पवार. दोनों का ये पहला चुनाव है.

महाराष्ट्र की सियासत में हमेशा से ही शिवसेना का दबदबा रहा है. शिवसेना राज्य की सत्ताधारी पार्टियों में से एक रही है और इसके संस्थापक बाल ठाकरे राज्य की राजनीति में हमेशा ही एक कद्दावर शख्सियत रहे हैं उनके देहान्त के बाद पार्टी की  बागडोर उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने संभाली. राज्य में अभी बीजेपी और शिवसेना की गठबंधन सरकार है. इन दोनों का गठबंधन भी ऐसा है कि दोनों एक दूसरे को भर-भर कोसते भी हैं और चुनाव के समय दोनों पार्टियों के नेता मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करके गठबंधन का ऐलान भी करते हैं. खैर ये एक अलग मसला है. अभी हम बात करेंगे वंशवाद की राजनीति पर.

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शिवसेना ने एक बार साल 1995 में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री का पद हासिल किया. इसके साथ ही साल 2014 से वह केंद्र और राज्य में बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार का हिस्सा भी रही है. लेकिन खुद को रिमोट कंट्रोल बताने वाले इसके संस्थापक बाल ठाकरे ने चुनावी मैदान में कभी अपना हाथ नहीं आजमाया. न तो वे और न ही उनके बेटे उद्धव कभी चुनाव लड़े. 2012 के बाद से शिवसेना की कमान उद्धव के हाथों में ही है.

उद्धव के चचेरे भाई राज ठाकरे ने भी कभी चुनावी अखाड़े में आजमाइश नहीं की. बाला साहेब ठाकरे से प्रेरित राज ठाकरे ने शिवसेना से अलग महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) के नाम से पार्टी भी बनाई और 2014 में चुनाव लड़ने का मन भी बनाया और सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा तक की लेकिन बाद में वो इससे पीछे हट गए.

लेकिन इस चुनाव में ठाकरे परिवार ने ऐतिहासिक फ़ैसला लेते हुए तीसरी पीढ़ी के ठाकरे यानी आदित्य ठाकरे को मुंबई की वर्ली विधानसभा सीट से उतारा है. यानी चुनाव के मैदान में उतरने वाले वे अब पहले ठाकरे बन गए हैं.

जब 1995 में पहली बार शिवसेना सरकार बनी तब बाला साहेब ठाकरे अक्सर तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी से भिड़ते हुए देखे गए थे.” बाद में जोशी की जगह नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन राणे को उनके विद्रोह के लिए ज़्यादा ख्याति मिली जब उन्होंने 2005 में शिवसेना को मुश्किलों में पहुंचा दिया था. इसकी सबसे बड़ी वजह यह निकल कर आई कि राज्य का मुख्यमंत्री पूरी तरह से पार्टी प्रमुख के नियंत्रण में नहीं रह सकता है. लिहाजा आदित्य की चुनाव मैदान में एंट्री शिवसेना की अब तक ‘रिमोट कंट्रोल’ से सरकार चलाने की राजनीति का अंत माना जा सकता है.

दूसरी ओर पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी के रोहित पवार भी करजात-जमखेद से चुनावी मैदान में उतरे हैं. ठाकरे के उलट पवार ने कभी ऐसा नहीं माना कि चुनाव में उनकी दिलचस्पी नहीं है. दशकों तक महाराष्ट्र की राजनीतिक क्षितिज पर शरद पवार के वर्चस्व के बाद उनकी बेटी सुप्रिया सुले लोकसभा चुनाव जीत कर संसद पहुंची. इसके अलावा उनके भतीजे और राज्य में विपक्ष के नेता अजीत पवार उप-मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं.

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2019 के विधानसभा चुनाव में पवार परिवार अपनी नई पीढ़ी के साथ उतरा है. अजीत पवार के बेटे पार्थ इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में हाथ आजमा चुके हैं. हालांकि पहली बार में उन्हें नाकामी मिली. अब शरद पवार के दूसरे पोते रोहित लॉन्च के लिए तैयार हैं.

वंशवाद का हमेशा विरोध करने वाली बीजेपी इस बात का दावा करती है कि उसकी पार्टी में वंशवाद नहीं है. वंशवाद के ही मुद्दे पर वो कांग्रेस पर खुला प्रहार भी करती आई है लेकिन महाराष्ट्र में की कहानी कांग्रेस से उलट नहीं है.

यहां उन्होंने ऐसे 25 उम्मीदावर मैदान में उतारे हैं जिनका राजनीतिक परिवारों से ताल्लुक है. बीजेपी की सूची में कई बड़े नाम हैं. जैसे कि दिवंगत नेता गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे पराली से मैदान में हैं. फडणवीस सरकार में मुंडे बाल एवं महिला कल्याण मंत्री रही हैं. उनकी बहन प्रीतम बीड से सांसद हैं.

राजनीतिक विवाद तब भड़का जब बीजेपी ने अपने कद्दावर नेता एकनाथ खड़से को टिकट नहीं दिया, उन्हें भ्रष्टाचार के आरोपों में मंत्रिमंडल से हटाया गया था. इसके बाद खड़से ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बीजेपी पर गुस्सा भी उतारा था. उन्होंने कहा था कि आज बीजेपी के कारण उन्होंने शिवसेना से बुराई ली थी. बीजेपी ने उनकी बेटी रोहिणी को टिकट दिया है. खड़से की बहू रक्षा पहले ही सांसद हैं. आकाश फुंडकर दिवंगत बीजेपी नेता पांडुरंग फुंडकर के बेटे हैं और बुलढाणा के खामगांव से चुनावी मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. बीजेपी के वरिष्ठ नेता एनएस फरांडे की बहू देवयानी फरांडे नासिक से चुनाव लड़ रही हैं.

एनसीपी के पूर्व नेता और मंत्री रह चुके गणेश नाइक अपने बेटे संदीप नाइक के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. अब संदीप नवी मुंबई से बीजेपी के प्रत्याशी बनाए गए हैं. पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे बीजेपी के राज्यसभा सांसद हैं. लेकिन उनके बेटे जो अब तक कांग्रेस के विधायक थे बीजेपी ने उन्हें नामांकन भरने से ठीक एक दिन पहले पार्टी में शामिल करते हुए चुनाव में उतार दिया.

मधुकर पिचड़ और उनके बेटे वैभव दशकों तक शरद पवार के वफादार थे लेकिन अब वैभव बीजेपी की टिकट पर अकोला से मैदान में हैं. राणा जगजीत सिंह का तो शरद पवार के परिवार से संबंध है. वे एनसीपी के विधायक थे और उनके पिता पद्मसिंह एनसीपी के सांसद. लेकिन दोनों बीजेपी में शामिल हो गए और राणा जगजीत सिंह बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

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एक और कद्दावर राजनीतिक परिवार अहमदनगर से विखे परिवार है जिसने बीजेपी जॉइन की है. राधाकृष्ण विखे पाटील 2019 के लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले तक विधानसभा में कांग्रेस के विपक्ष के नेता थे लेकिन उसके बाद उनके बेटे डॉ. सुजय विखे पाटील बीजेपी की टिकट पर लोकसभा चुनाव जीत गए, अब पिता राधाकृष्ण भी बीजेपी की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं.

कांग्रेस और एनसीपी में वंशवाद का बोलबाला

कांग्रेस और एनसीपी में कुछ ही परिवारों का प्रभुत्व रहा है और ये ही परिवार इन पार्टियों को चला रहे हैं. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिवंगत नेता विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख लातूर से विधायक हैं और दोबारा यहीं से चुनावी मैदान में हैं. उनके साथ उनके छोटे भाई धीरज भी लातूर ग्रामीण से चुनावी अखाड़े में हैं. विश्वजीत कदम दिवंगत कांग्रेस नेता पतंगराव कदम के बेटे हैं. वे अपने पिता की सीट कड़ेगांव-पालुस से ही मैदान में उतरे हैं.

अभी ऐसे कई और नाम है जो ऐसी लिस्ट में हैं. बीजेपी कांग्रेस पर हमेशा से ही वंशवाद का आरोप लगाती रही है लेकिन इन आरोपो से पहले पार्टी को खुद से भी कमी को हटाना चाहिए. ऐसा सिर्फ महाराष्ट्र में नहीं हो रहा बल्कि देश के अन्य कई राज्यों में पार्टी पर वंशवाद हावी है.

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