यह कैसी मां: भाग 1

माया को देखते ही बाबा ने रोना शुरू कर दिया था और मां चिल्लाना शुरू हो गई थीं. मां बोलीं, ‘‘बाप ने बुला लिया और बेटी दौड़ी चली आई. अरे, हम मियांबीवी के बीच में पड़ने का हक किसी को भी नहीं है. आज हम झगड़ रहे हैं तो कल प्यार भी करेंगे. 55 साल हम ने साथ गुजारे हैं. मैं अपने बीच में किसी को भी नहीं आने दूंगी.’’

‘‘मैं इस के साथ नहीं रहूंगा. तुम मुझे अपने साथ ले चलो,’’ कहते हुए बाबा बच्चों की तरह फूटफूट कर रो पड़े.

‘‘मैं तुम को छोड़ने वाली नहीं हूं. तुम जहां भी जाओगे मैं भी साथ चलूंगी,’’ मां बोलीं.

‘‘तुम दोनों आपस का झगड़ा बंद करो और मुझे बताओ क्या बात है?’’

‘‘यह मुझे नोचती है. नोचनोच कर पूछती है कि नीना के साथ मेरे क्या संबंध थे? जब मैं बताता हूं तो विश्वास नहीं करती और नोचना शुरू कर देती है.’’

‘‘अच्छाअच्छा, दिखाओ तो कहां नोचा है? झूठ बोलते हो. नोचती हूं तो कहीं तो निशान होंगे.’’

‘‘बाबा, दिखाओ तो कहां नोचा है?’’

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बाबा फिर रोने लगे. बोले, ‘‘तेरी मां पागल हो गई है. इसे डाक्टर के पास ले जाओ,’’ इतना कहते हुए उन्होंने अपना पाजामा उतारना शुरू किया.

मां तुरंत बोलीं, ‘‘अरे, पाजामा क्यों उतार रहे हो. अब बेटी के सामने भी नंगे हो जाओगे. तुम्हें तो नंगे होने की आदत है.’’

बाबा ने पाजामा नीचे कर के दिखाया. उन की जांघों और नितंबों पर कई जगह नील पड़े हुए थे. कई दाग तो जख्म में बदलने लगे थे. वह बोले, ‘‘देख, तेरी मां मुझे यहां नोचती है ताकि मैं किसी को दिखा भी न पाऊं. पीछे मुड़ कर दवा भी न लगा सकूं.’’

‘‘हांहां, मैं नोचूंगी. जितना कष्ट तुम ने मुझे दिया है उतना ही कष्ट मैं भी दूंगी,’’ इतना कहते हुए मां उठीं और एक बार जोर से बाबा की जांघ पर फिर चूंटी काट दी. बाबा दर्द से तिलमिला उठे और माया के पैरों पर गिर कर बोले, ‘‘बेटी, मुझे इस नरक से निकाल ले. मेरा अंत भी नहीं आता है. मुझे कोई दवा दे दे ताकि मैं हमेशा के लिए सो जाऊं.’’

‘‘अरे, ऐसे कैसे मरोगे. तड़पतड़प कर मरोगे. तुम्हारे शरीर में कीड़े पड़ेंगे,’’ मां चीखीं.

24 घंटे पहले ही माया का फोन बजा था.

सुबह के 9 बज चुके थे, पर माया अभी तक सो रही थी. उस के सोने का समय सुबह 4 बजे से शुरू होता और फिर 9-10 बजे तक सोती रहती.

माया के पति मोहन मर्चेंट नेवी में थे इसलिए अधिकतर समय उसे अकेले ही बिताना पड़ता था. अकेले उसे बहुत डर लगता था इसलिए सो नहीं पाती थी. सारी रात उस का टेलीविजन चलता था. उसे लगता था कि बाहर वालों को ऐसा लगना चाहिए कि इस घर में तो रात को भी रौनक रहती है.

सुबह 4 बजे जब दूध की लारी बाहर सड़क पर आ जाती और लोगों की चहलपहल शुरू हो जाती तो वह टेलीविजन बंद कर के नींद के आगोश में चली जाती थी. काम वाली बाई भी 11 बजे के बाद ही आ कर घंटी बजाती थी.

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उस ने फोन की घंटी सुनी तो भी वह उठने के मूड में नहीं थी, उसे लगा था कि यह आधी रात को कौन उसे जगा रहा है. पर एक बार कट कर फिर घंटी बजनी शुरू हुई तो बजती ही चली गई.

अब उस ने फोन उठाया तो उधर से बाबा की आवाज सुनाई दी, ‘‘हैलो, मन्नू, तेरी मां मुझे मारती है,’’ कह कर उन के रोने की आवाज आनी शुरू हो गई. माया एकदम परेशान हो उठी.

उस के पिता उसे प्यार से मन्नू ही बुलाते थे. 80 साल के पिता फोन पर उसे बता रहे थे कि 70 साल की मां उन्हें मारती है. यह कैसे संभव हो सकता है.

‘‘आप रो क्यों रहे हो? मां कहां हैं? उन्हें फोन दो.’’

‘‘मैं बाहर से बोल रहा हूं. घर में उस के सामने मैं उस की शिकायत नहीं कर सकता,’’ इतना कह कर वह फिर रोने लगे थे.

‘‘क्यों मारती हैं मां?’’

‘‘कहती हैं कि नीना राव से मेरा इश्क था.’’

‘‘कौन नीना राव, बाबा?’’

‘‘वही हीरोइन जिस को मैं ने प्रमोट किया था.’’

‘‘पर इस बात को तो 40 साल हो गए होंगे.’’

‘‘हां, 40 से भी ज्यादा.’’

‘‘आज मां को वह सब कैसे याद आ रहा है?’’

‘‘मैं नहीं जानता. मुझे लगता है कि वह पागल हो गई है. मैं घर नहीं जाऊंगा. वह मुझे नोचती है. नोचनोच कर खून निकाल देती है,’’ बाबा ने कहा और फिर रोने लगे.

‘‘आप अभी तो घर जाओ. मैं मां से बात करूंगी.’’

‘‘नहीं, उस से कुछ मत पूछना, वह मुझे और मारेगी.’’

‘‘अच्छा, नहीं पूछती. आप घर जाओ, नहीं तो वह परेशान हो जाएंगी.’’

‘‘अच्छा, जाता हूं पर तू आ कर मुझे ले जा. मैं इस के साथ नहीं रह सकता.’’

‘‘जल्दी ही आऊंगी, आप अभी तो घर जाओ.’’

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बाबा ने फोन रख दिया था. माया ने भी फोन रखा और अपनी शून्य हुई चेतना को वापस ला कर सोचना शुरू किया. पहला विचार यही आया कि मां को पागल बनाने वाली यह नीना राव कौन थी और वह 40 साल पहले वाले जमाने में पहुंच गई.

तब वह 12 साल की रही होगी और 7वीं कक्षा में पढ़ती होगी. तब उस के बाबा एक प्रसिद्ध फिल्मी पत्रिका के संपादक थे.

बाबा और मां का उठनाबैठना लगातार फिल्मी हस्तियों के साथ ही होता था. दोनों लगातार सोशल लाइफ में ही व्यस्त रहते थे. अपने बच्चों के लिए भी उन के पास समय नहीं था. उन की दादी- मां ही उन्हें पाल रही थीं. रात भर पार्टियों में पीने के बाद दोनों जब घर लौटते तो आधी रात हो चुकी होती थी. सुबह जब माया और राजा स्कूल जाते तब वे दोनों गहरी नींद में होते थे. जब माया और राजा स्कूल से घर लौटते तो बाबा अपने काम से और मां किटी और ताश पार्टी के लिए निकल चुकी होतीं.

स्कूल में भी सब को पता था कि उस के पिता फिल्मी लोगों के साथ ही घूमते हैं इसलिए जब भी कोई अफवाह किसी हीरोहीरोइन के बारे में उड़ती तो उस की सहेलियां उसे घेर लेती थीं और पूछतीं, ‘क्या सच में राजेंद्र कुमार तलाक दे कर मीना कुमारी से शादी कर रहा है?’ दूसरी पूछती, ‘क्या देवआनंद अभी भी सुरैया के घर के चक्कर लगाता है?’ तीसरी पूछती, ‘सच बता, क्या तू ने नूतन को देखा है? सुना है देखने में वह उतनी सुंदर नहीं है जितनी परदे पर दिखती है?’

ऐसे अनेक प्रश्नों का उत्तर माया के पास नहीं होता था, क्योंकि उस की दादीमां बच्चों को फिल्मी दुनिया की खबरों से दूर ही रखती थीं. पर एक बार ऐसा जरूर हुआ जब मां उसे अपने साथ ले गई थीं. कार किनारे खड़ी कर के उन्होंने कहा था, ‘देखो, उस घर में जाओ. बाबा वहां हैं. तुम थोड़ी देर वहां बैठना और सुनना नीना और बाबा क्या बातें कर रहे हैं और कैसे बैठे हैं.’

वह पहला अवसर था जब वह किसी हीरोइन के घर जा रही थी. उस ने अपनी फ्राक को ठीक किया था, बालों को संवारा था और कमरे के अंदर चली गई थी. उस ने बस इतना सुना था कि कोई नई हीरोइन है और अगले ही महीने एक प्रसिद्ध हीरो के साथ एक फिल्म में आने वाली है.

नमस्ते कह कर वह बैठ गई थी. बाबा ने पूछा था, ‘कैसे आई हो? मां कहां हैं?’

उस ने उत्तर दिया था, ‘मां बाजार गई हैं. अभी थोड़ी देर में आ जाएंगी.’

बाबा ने बैठने का इशारा किया था और फिर नीना से बातें करने में व्यस्त हो गए थे. माया के कान खड़े थे. मां ने कहा था कि सब बातें ध्यान से सुनना और फिर उसे यह भी देखना था कि बाबा और नीना कैसे बैठे हुए हैं. उस ने ध्यान से देखा था कि नीना ने बहुत सुंदर स्कर्ट ब्लाउज पहना हुआ था और वह आराम से सोफे पर बैठी थी. उस के हाथ में एक सिगरेट थी जिसे वह थोड़ीथोड़ी देर में पी रही थी. बाबा पास ही एक कुरसी पर बैठे थे और दोनों लगातार फिल्म पब्लिसिटी की ही बात कर रहे थे.

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जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कमलेश तिवारी हत्याकांड खुलासे से खुश नहीं परिवार

लखनऊ में हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या के बाद शुरुआती जांच में पुलिस ने मामले को निजी दुश्मनी से जोड़ा था. उस समय कमलेश तिवारी की मां कुसुमा देवी ने भी सीतापुर के भाजपा नेता शिवकुमार गुप्ता पर इस हत्या की साजिश रचने का आरोप लगाया था. लेकिन अचानक हत्या वाली जगह पर गुजरात के सूरत की धरती मिठाई शौप की आधा किलो काजू बरफी की 650 रुपए की रसीद और उस दुकान का कैरी बैग मिलने के बाद जांच का रुख बदल गया.

जिस रसीद को पुलिस अपनी जांच का आधार बना कर आगे बढ़ी, वह 16 अक्तूबर, 2019 की थी. 16 अक्तूबर को सूरत से चल कर 17 अक्तूबर की रात में आरोपी लखनऊ कैसे पहुंचे, यह पुलिस को पक्के तौर पर नहीं पता है. सूरत से लखनऊ आने वाली रेलगाड़ी उस दिन लेट थी.

यही नहीं, खुद कमलेश तिवारी ने इस हत्याकांड से कुछ दिन पहले अपने एक बयान में कहा था कि योगी सरकार उन की सिक्योरिटी हटा कर उन के ऊपर हमला करने वालों को मदद देने का काम कर रही है. मरने वाले कमलेश तिवारी और उन की मां कुसुमा देवी के बयान के बाद भी प्रदेश पुलिस ने बयान की दिशा में जांच को एक कदम आगे बढ़ाने लायक नहीं सम झा.

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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कमलेश तिवारी की हत्या के पहले भले ही उन की सिक्योरिटी में कटौती की हो, पर हत्या के बाद उन के परिवार को 15 लाख रुपए नकद और सीतापुर में एक मकान देने के साथ उन के परिवार को ऐसी सिक्योरिटी दी कि खुद परिवार के लोग खुल कर बोल नहीं पा रहे हैं.

लखनऊ के जिला प्रशासन ने कमलेश तिवारी की मां, पत्नी और बेटों को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलवाने का काम किया.

मुख्यमंत्री से मिलने के बाद भी मां कुसुमा देवी संतुष्ट नहीं थीं. उन का कहना था कि उन्हें सरकार की मदद नहीं चाहिए. पत्नी किरन ने 15 लाख रुपए का चैक अफसरों से लिया जरूर है, पर वे इस राहत से खुश नहीं थीं. यही नहीं, किरन तिवारी ने अपने पति कमलेश तिवारी द्वारा बनाई गई हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष पद को खुद संभाल लिया.

किरन तिवारी ने कहा कि हिंदू समाज को जगाने का जो काम उन के पति ने शुरू किया था, अब वे खुद उस को आगे बढ़ाने का काम करेंगी.

उत्तर प्रदेश पुलिस ने 48 घंटे के अंदर कमलेश तिवारी हत्याकांड को सुल झाने का दावा भले ही किया हो, पर खुद कमलेश तिवारी का परिवार इस खुलासे से रजामंद नजर नहीं आ रहा है.

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ऐसे बढ़ी परेशानी

हिंदू समाज पार्टी के अध्यक्ष कमलेश तिवारी की हत्या को उत्तर प्रदेश की सरकार भले ही धार्मिक कट्टरपन से जोड़ कर देख रही हो, लेकिन कमलेश तिवारी का परिवार इस खुलासे से खुश नहीं है. ऐसे में यह सवाल बारबार उठ रहा है कि परिवार के सीधे आरोप लगाने के बाद भी पुलिस जांच के लिए आरोपी नेता से पूछताछ करने को भी तैयार नहीं है, जबकि वह नेता भाजपा से जुड़ा हुआ बताया जाता है.

असल में इस की एक बड़ी वजह हिंदू राजनीति में कमलेश तिवारी का बढ़ता कद मानी जा रही है.

50 साल के कमलेश तिवारी खुद की पहचान हिंदूवादी नेता के तौर पर बनाए रखना चाहते थे. इस वजह से दिसंबर, 2015 में उन्होंने मुसलिम पैगंबर हजरत मोहम्मद को निशाने पर लिया था.

दिसंबर, 2015 में कमलेश तिवारी ने ऐलान किया था कि वे हजरत मोहम्मद पर एक फिल्म बनाएंगे, जिस में उन के चरित्र को उजागर किया जाएगा. तब कमलेश तिवारी ने हजरत मोहम्मद के बारे में कई और एतराज जताने वाली बातें कही थीं.

इस के बाद पूरी दुनिया के मुसलिमों ने कमलेश तिवारी का तीखा विरोध किया था. सहारनपुर के रहने वाले मुसलिम मौलाना मुफ्ती नवीम काजमी और इमाम मौलाना अनवारूल हक द्वारा कमलेश तिवारी का सिर काट कर लाने वाले को डेढ़ करोड़ रुपए और हीरों का इनाम देने का वादा किया गया था. इस बात का वीडियो भी पूरे सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

मुसलिम समाज का जिस तरह कमलेश तिवारी को ले कर बड़े लैवल पर विरोध शुरू हुआ तो उसी की प्रतिक्रिया में हिंदुओं में उन का समर्थन शुरू हो गया. कमलेश तिवारी को पता था कि उन की कही बातों की कड़ी प्रतिक्रिया होगी, जिस के चलते उन की कट्टर हिंदूवादी नेता की इमेज बन सकेगी. वे अपनी इस योजना में कामयाब हो गए थे.

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उस समय की अखिलेश सरकार ने कमलेश तिवारी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून  (रासुका) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जेल में कमलेश तिवारी को इस बात का मलाल हो रहा था कि हिंदू महासभा के लोग उन की मदद को नहीं आए.

अब तक कमलेश तिवारी सोशल मीडिया पर कट्टरवादी हिंदू का चेहरा बन कर उभर चुके थे. सोशल मीडिया पर उन के चाहने वाले बढ़ चुके थे.

जेल से बाहर आने के बाद अखिलेश सरकार ने 12-13 सिपाहियों का एक सिक्योरिटी दस्ता कमलेश तिवारी की हिफाजत में लगा दिया था. ऐसे में अब कमलेश तिवारी बड़े हिंदूवादी नेता के रूप में उभरने लगे थे. उन का कद बढ़ने से हिंदू महासभा में उन को ले कर मतभेद शुरू हो गए थे. तब कमलेश तिवारी ने खुद की एक पार्टी हिंदू समाज बना कर प्रदेश में हिंदू राजनीति को धार देनी शुरू की थी.

बढ़ता गया विरोध

जैसेजैसे हिंदू राजनीति में कमलेश तिवारी का कद बढ़ रहा था, हिंदूवादी लोग ही उन का विरोध करने लगे थे.

कमलेश तिवारी ने अपने कैरियर की शुरुआत हिंदू महासभा से की थी. वे इस के प्रदेश अध्यक्ष भी बने थे. कमलेश तिवारी ने हिंदू महासभा प्रदेश कार्यालय के इलाके खुर्शीदबाग का नाम बदल कर ‘वीर सावरकर नगर’ रखा था.

वे नाथूराम गोडसे को अपना आदर्श मानते थे. उन के घर पर नाथूराम गोडसे की तसवीर लगी थी. उन की सीतापुर के अपने गांव में नाथूराम गोडसे के नाम पर मंदिर बनाने की योजना थी. हिंदूवादी लोगों ने ही इस का विरोध शुरू कर दिया था.

कमलेश तिवारी मूल रूप से सीतापुर जिले के संदना थाना क्षेत्र के पारा गांव के रहने वाले थे. साल 2014 में उन्होंने अपने गांव में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाने का काम शुरू किया, तो वहां पर उन का विरोध तेज हो गया. ऐसे में वे मंदिर की नींव नहीं रख पाए.

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कमलेश तिवारी पारा गांव छोड़ कर परिवार के साथ महमूदाबाद रहने चले गए थे. उन के पिता देवी प्रसाद

उर्फ रामशरण महमूदाबाद कसबे के रामजानकी मंदिर में पुजारी थे. कमलेश यहीं पारा गांव में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाना चाहते थे. 30 जनवरी, 2015 को उन को मंदिर की नींव रखनी थी.

महमूदाबाद में कमलेश तिवारी के पिता रामशरण, मां कुसुमा देवी, भाई सोनू और बड़ा बेटा सत्यम तिवारी रहते हैं.

कमलेश तिवारी हिंदू महासभा के जिस प्रदेश कार्यालय से संगठन का काम देखते थे, वहीं वे खुद भी सपरिवार रहने लगे. कमलेश के बढ़ते कद को कम करने के लिए उन को हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाया भी गया था.

इस के बाद कमलेश तिवारी अपनी ‘हिंदू समाज पार्टी’ के प्रचारप्रसार में लग गए थे. अपनी कट्टर छवि को निखारने के लिए वे ज्यादा समय भगवा कपड़े ही पहनने लगे थे.

वहीं दूसरी ओर सोशल मीडिया पर धार्मिक कट्टरपन के अपने बयानों से वे चर्चा में आने लगे थे, जिस से उन की अपनी इमेज बनने लगी थी. हिंदू समाज पार्टी को तमाम लोग धन और बल से मदद भी करने लगे थे. उत्तर प्रदेश के बाहर कई प्रदेशों में हिंदू समाज पार्टी का संगठन बनने लगा था. कई प्रदेशों में रहने वाले लोग भी पार्टी के साथ काम करने को तैयार होने लगे थे.

हिंदू समाज पार्टी को सब से ज्यादा समर्थन गुजरात से मिला था. वहां पर कमलेश तिवारी ने पार्टी संगठन का गठन कर जैमिन बापू को प्रदेश अध्यक्ष भी बना दिया था.

भगवा राजनीति का भय

उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ प्रदेश में हिंदुत्व का चेहरा बन कर उभरे थे. एक तरफ जहां पूरा प्रदेश हिंदू राजनीति को ले कर योगी आदित्यनाथ के पीछे खड़ा था, वहीं कमलेश तिवारी उन की खिलाफत करते रहते थे. ये लोग हिंदू राजनीति के नाम पर केवल सत्ता हासिल करना चाहते थे.

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कमलेश तिवारी राम मंदिर पर भाजपा की राजनीति से खुश नहीं थे. इस के बाद उन्होंने अयोध्या को अपनी राजनीति का केंद्र बना कर आगे बढ़ना शुरू किया. राम मंदिर पर वे भारतीय जनता पार्टी के कट्टर आलोचक बन गए. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में वे अयोध्या से लोकसभा का चुनाव भी लड़े थे. इस चुनाव में उन को करारी हार का सामना करना पड़ा था.

हिंदू समाज पार्टी की मीटिंग में ‘2022 में एचएसपी की सरकार’ के नारे लगने लगे थे. हिंदू समाज पार्टी को गति देने के लिए कमलेश तिवारी ने देश के आर्थिक हालात, पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार, पश्चिम बंगाल में हिंदुओं की हत्या, नए मोटर कानून में बढ़े जुर्माने का विरोध, जीएसटी जैसे मुद्दों पर भाजपा की आलोचना करनी शुरू कर दी थी. इन मुद्दों को ले कर वे प्रदेश की राजधानी लखनऊ में धरनाप्रदर्शन भी देने लगे थे.

कमलेश तिवारी अपनी पार्टी का एक बड़ा राष्ट्रीय अधिवेशन कराने की योजना में थे. इस बहाने वे अपनी पार्टी की ताकत का प्रदर्शन करना चाहते थे.

हिंदू राजनीति में कमलेश तिवारी का बढ़ता कद भाजपा सरकार को चुभने लगा था. योगी सरकार ने कमलेश तिवारी की सिक्योरिटी में कटौती कर उन के कद को छोटा करने का काम किया. अब 13 सिपाहियों के सिक्योरिटी दस्ते की जगह केवल 2 सिपाही ही रखे गए. वे सिपाही भी मनमुताबिक सिक्योरिटी करते थे. वारदात वाले दिन भी सिक्योरिटी वाले उन के पास नहीं थे.

कमलेश तिवारी के लगातार कहने के बावजूद भी उन की सिक्योरिटी मजबूत नहीं की गई थी. इस पर कमलेश तिवारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर खुला आरोप भी लगाया था कि वे चाहते हैं कि मैं मार दिया जाऊं. इस के बाद भी कमलेश तिवारी की बात नहीं सुनी गई.

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कमलेश तिवारी की हत्या के बाद गुजरात एटीएस ने बताया कि वहां पहले भी कमलेश तिवारी पर हमले की बात आतंकवाद फैलाने वालों ने कबूल की थी.

सवाल उठता है कि जब गुजरात एटीएस और उत्तर प्रदेश की इंटैलिजैंस को यह जानकारी थी, तो कमलेश तिवारी को सिक्योरिटी क्यों नहीं दी गई.

मां की नाराजगी

उत्तर प्रदेश सरकार कमलेश तिवारी की जिस बात को पहले नहीं मान रही थी, हत्या के बाद उसी बात को कबूल कर उन की मां कुसुमा देवी की बात मान कर उन के आरोप की जांच तक नहीं करना चाहती है.

पुलिस ने पहले कमलेश तिवारी की बात नहीं मानी. इस के बाद उन की हत्या हो गई. अब कमलेश तिवारी की मां कुसुमा देवी की बात नहीं मान रही है जिस से उन की हत्या का खुलासा शक के घेरे में है. इस से पुलिस के काम करने के तरीके पर सवाल उठते हैं.

पुलिस मानती है कि कमलेश तिवारी की हत्या 34 साल के अशफाक शेख और 27 साल के मोईनुद्दीन पठान ने उन का धार्मिक कट्टरपन से भरा भाषण सुन कर की है. पुलिस ने इस की कड़ी से कड़ी मिला दी है. हत्या के 48 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश और गुजरात पुलिस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और नेपाल सीमा तक जांच कर ली, पर लखनऊ से 90 किलोमीटर दूर सीतापुर की तरफ जाने की तकलीफ नहीं उठाई.

पूरे मामले को देख कर ऐसा लगता है कि जैसे पुलिस ने पहले कमलेश तिवारी हत्याकांड में अपनी कहानी बना ली. इस के बाद एकएक कर वह उस के किरदार फिट करती गई.

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पुलिस एक तरफ यह कहती है कि हत्यारों ने बड़ी योजना बना कर काम किया, वहीं दूसरी तरफ उस के पास इस बात का कोई ठोस जवाब नहीं है कि ऐसे मास्टरमाइंड हत्यारे वारदात वाली जगह पर सूरत की मिठाई शौप की रसीद और बैग सुबूत के तौर पर छोड़ने की गलती कैसे कर गए?

वहीं दूसरी तरफ पुलिस कहती है कि हत्यारे बेहद शातिर थे. साथ ही, वह यह भी कहती है कि अपने ही वार से हत्यारे घायल हो गए थे. उन के हाथों में चोट लग गई थी.

पुलिस कहती है कि वारदात में पूरी साजिश पहले से तैयार थी, वहीं पुलिस यह भी कहती है कि हत्यारों के पास पैसे खत्म हो गए थे. इस की वजह से वे पकड़ में आ गए.

पुलिस के खुलासे में ऐसे कई छेद हैं जिन के जवाब नहीं मिल रहे हैं. पुलिस के खुलासे से जनता को भले ही राहत मिली हो, पर कमलेश तिवारी की मां कुसुमा देवी खुद खुश नहीं हैं. वे इंसाफ न मिलने की दशा में खुद तलवार उठाने तक की बात कह रही हैं.

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देखते ही देखते टेस्ट टीम की जान बनते जा रहे हैं मयंक अग्रवाल, डौन ब्रैडमैन को भी पीछे छोड़ा

क्रिकेट के सभी प्रारूपों में टेस्ट क्रिकेट एक ऐसा प्रारूप है जिसमें खिलाड़ी की असली क्षमता का पता चलता है. एकदिवसीय और टी-20 फॉर्मेट में तो खिलाड़ियों पर दवाब रहता है जल्दबाजी में रन बनाने की लेकिन टेस्ट में एक बल्लेबाज को रन भी बनाना होता है और विकेट भी बचाना होता है. टेस्ट में भारतीय टीम नंबर वन पोजीशन पर है. उसका कारण है कि इस टीम के पास कुछ ऐसे खिलाड़ी निखर के आए हैं जो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

भारत के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के खिलाफ दोहरा शतक जड़ा. ये उनका दूसरा दोहरा शतक है. इसके साथ उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन से भी आगे निकल गए. मयंक ने होल्कर स्टेडियम में बांग्लादेश के साथ जारी पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन छक्के के साथ अपने करियर का दूसरा दोहरा शतक पूरा किया. मयंक ने 12वीं पारी तक जाते-जाते दो दोहरे शतक लगा लिए हैं जबकि ब्रैडमैन ने दो दोहरो शतकों के लिए 13 पारियों का इंतजार किया था.

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रिकॉर्डों को अलग कर देखा जाए तो मयंक अग्रवाल इस वक्त टीम इंडिया के लिए तुरुप का इक्का बन चुके हैं. हम ये इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि उन्होंने दोहरा शतक जड़ा है बल्कि ये बल्लेबाज हर दिन अपने खेल में सुधार कर रहा है. सहवाग के बाद टीम के पास कोई ऐसा ओपनर नहीं था जोकि लगातार रन बनाएं और विकेट भी न गंवाए. इस वक्त रोहित शर्मा और मयंक अग्रवाल जैसे दो दमदार खिलाड़ी टीम को बेहतरीन शुरूआत दे रहे हैं.

मयंक अग्रवाल ने अब तक आठ टेस्ट की 12 पारियों में 858 रन बनाए हैं. उनका बैटिंग एवरेज 71.50 का है. वहीं अगर स्ट्राइक रेट की बात करें तो 56.48 का है. मयंक ने तीन शतक, दो दोहरे शतक और तीन अर्धशतक जड़े हैं.

मयंक अग्रवाल की तकनीक, टेम्प्रामेंट और टाइमिंग लाजवाब है. हर मैच में मयंक के निखरते प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि वो भी रोहित की तरह भारतीय टीम में एक दमदार ओपनर के तौर पर अपनी जगह पक्की करने के लिए अग्रसर हैं. आंकड़ों में अगर रोहित और मयंक की पिछली पांच पारियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो आप चौंक सकते हैं। बतौर ओपनर रोहित ने पिछली पांच पारियों में 107 की शानदार औसत से 535 रन बनाए जिसमें तीन शतक भी शामिल है और इसमें एक दोहरा शतक भी हिटमैन के बल्ले से निकला.

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वहीं भारतीय टीम के दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल पिछली पांच पारियों में 116.06 के शानदार औसत से 583 रन बनाए हैं. जिसमें मयंक ने तीन शतक औक दो दोहरे शतक लगातक अपनी ताकत दिखाई. सिर्फ इतना ही नहीं मयंक 2019 में 740 रन अपने खाते में जोड़कर भारत के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाकर विराट कोहली को पछाड़कर पहले नंबर पर आ चुके हैं.

मयंक न सिर्फ खुद को टीम में स्थापित कर चुके हैं बल्कि टीम इंडिया के लिए उनका योगदान अब जीत की शक्ल लेना शुरू कर चुका है. उनकी फॉर्म उनके शानदार आंकड़ों से साफ जाहिर है. कप्तान का विश्वास मयंक पर अडिग है तो फैंस के दिल में भी मयंक हीरो के किरदार में फिट हो रहे हैं.

दोहरे शतक के बाद मयंक अग्रवाल ने जो कहा वो दिल छू लेने वाली बात है. मयंक ने कहा कि असफलता के डर को पीछे छोड़ने से उनकी रन बनाने की भूख बढ़ गई. मयंक की पारी के दम पर टीम इंडिया खेल के दूसरे दिन बेहद मजबूत स्थिति में पहुंच गई.  मयंक अग्रवाल ने कहा कि ऐसा भी वक्त रहा है जब मैं रन नहीं बनाए हैं. इसलिए जब भी मैं क्रीज पर जम जाता हूं तो मेरी कोशिश रहती है कि मैं बड़ी पारी खेलूं. मानसिकता की बात करें तो असफलता के डर को पीछे छोड़ने से मुझे काफी फायदा हुआ. इसके बाद मेरी रनों की भूख काफी बढ़ी है.

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सोशल मीडिया सेंसेशन रानू मंडल को मिला नया लुक, फोटोज हुईं वायरल

कुछ माह पहले मशहूर संगीतकार हिमेश रेशमिया के निर्देशन में ‘तेरे मेरी कहानी‘ गीत गाकर रानू मंडल रातों-रात सोशल मीडिया सेंसेशन बन गयीं थीं. उसके बाद से रानू मंडल हर दिन किसी ना किसी वजह से सूर्खियों में रहती हैं. अब वह अपने नए लुक को लेकर सूर्खियों में हैं. रानू मंडल को यह नया लुक कानपुर की ब्यूटी एक्सपर्ट एंड मेकअप आर्टिस्ट संध्या ने अपने ‘संध्या मेकओवर सलोन’ की तीसरी शाखा का कानपुर में कल्याणपुर स्थित इंदिरा नगर में उद्घाटन के अवसर पर मिला.

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रानू मंडल नए अवतार में आईं नजर…

अब रानू मंडल एक नए अवतार में नजर आ रही हैं. ब्यूटी एक्सपर्ट एंड मेकअप आर्टिस्ट संध्या ने अपने प्रोफेशनल जिंदगी की शुरुआत 2013 में नई दिल्ली के द्वारका स्थित वीएलसीसी इंस्टीट्यूट से कौस्मोटौलीजी में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद एक ब्यूटी एक्सपर्ट एंड मेकअप आर्टिस्ट के तौर पर की थी. उन्होंने कई समाचार चैनलों के एंकरों, ‘स्टार प्लस’ के कुछ सीरियलों और बौलीवुड फिल्म ‘‘आयाम’’ के लिए बतौर मेक-अप आर्टिस्ट भी काम किया.

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कानपुर शहर तीसरी शाखा…

उसके बाद उन्होंने 26 जनवरी 2018 को नई दिल्ली में अपने पहले मेक-अप स्टूडियो ‘संध्याज मेकओवर की शुरुआत की. पूरी शिद्दत से काम करते हुए संध्या ने अपने सलोन की दूसरी शाखा 27 अप्रैल 2018 को श्रीनगर में खोली. अब 15 नबंबर, 2019 को उन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में अपने सलोन की तीसरी शाखा खोली है.

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अपनी इस नई उपलब्धि पर संध्या ने कहा…

संध्या ने अपनी तीसरी शाखा के उद्घाटन के लिए सोशल मीडिया सनसनी रानू मंडल को बुलाया और उनका पूरा मेकओवर कर एक नया लुक प्रदान किया. अपनी इस नई उपलब्धि पर संध्या ने कहा- ‘‘मैं बेहद खुश और उत्साहित हूं कि मेहनत के साथ धैर्य दिखाने के बाद मैं अपने सपनों को साकार करने में सफल रही. मैं अपने सलोन के लिए कार्यरत टीम के तमाम लोगों के सहयोग की वजह से ही इस कदर कामयाब हो पाई. रानू मंडल न सिर्फ एक खूबसूरत गायक हैं, बल्कि वह एक अच्छी इंसान भी हैं. उनके सहयोग के लिए मैं उनकी आभारी हूं.’’

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रानू मंडल के साथ किया रैम्प…

संध्या ने रानू मंडल के मेकओवर के अलावा मिस यूपी आशी बग्गा, विद्या (मौडल), उज्ज्वल (मौडल) का भी मेकओवर किया. इसके बाद संध्या मेकओवर सलोन के सामने सभी मौडल्स ने रानू मंडल के साथ रैम्प वौक भी किया.

नए लुक में आने के बाद रानू मंडल ने कहा…

नए लुक में आने के बाद रानू मंडल ने कहा- ‘‘मुझे खुद यकीन नहीं हो रहा है कि यह मैं ही हूं. संध्या ने तो पूरी तरह से मेरे लुक को बदल कर रख दिया. अब मैं पहले से कहीं अधिक खूबसूरत नजर आ रही हूं. इससे मेरा आत्मविश्वास पहले से काफी बढ़ गया है. मैं संध्या का तहे-दिल से शुक्रिया अदा करना चाहती हूं और कानपुर में संध्या मेकओवर सलोन की नई शाखा खुलने पर मैं उन्हें अपनी तरफ से शुभकामनाएं देती हूं.‘‘

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आमिर खान की बेटी ने करवाया अब तक का सबसे बोल्ड फोटोशूट, देखें फोटोज

बौलीवुड इंडस्ट्री के सबसे फाइनेंस्ट एक्टर्स में से एक आमिर खान आज किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. आमिर खान को साल 2003 में पदमा श्री और साल 2010 में पदमा भूषण अवार्डस से नवाजा गया था और इतना ही नहीं बल्कि उन्होनें अपने फिल्मी करियर में कई अवार्डस हासिर किए हैं जैसे कि फिल्मफेयर अवार्ड, नैशनल अवार्ड, आदी.

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इरा खान की फैन फौलोविंग…

अगर बात की जाए आमिर खान की बेटी इरा खान की तो वे अक्सर अपने पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ को लेकर सुर्खियों में रहती हैं. इरा सोशल मीडियो पर काफी एक्टिव रहती हैं और आए दिन अपनी बोल्ड और हौट फोटोज से अपने फैंस को चौंकाती दिखाई देती हैं. भले ही अभी इरा नें बौलीवुड इंडस्ट्री में कदम ना रखा हो लेकिन उन्होनें अपने लुक्स से ही अपनी कमाल की फैन फौलोविंग बनाई हुई है.

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इरा खान का बोल्ड और हौट फोटोशूट…

हाल ही में इरा खान का एक फोटोशूट काफी तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होनें काफी लोगों को हैरान कर दिया है. उनका इस फोटोशूट में बोल्ड और हौट अंदाज वाकई काबिल-ए-तारीफ है. फैंस को उनका ये लुक काफी पसंद आ रहा है और इन फोटोज पर उनके फैंस जमकर प्यार बरसा रहे हैं. इन फोटोज में इरा बिल्कुल एक नागिन की तरह लग रही हैं.

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जंगल में जाकर करवाया फोटोशूट…

इरा नें यह फोटोशूट एक जंगल में जाकर करवाया है. इरा नें यह फोटोज अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट से शेयर की है और उनके फैंस उनकी इन फोटोज पर जमकर लाइक्स और कमेंट्स की बरसात करने में लगे हुए हैं. इंस्टाग्राम फोलोविंग की बात की जाए तो इरा के इंस्टाग्राम कर 1 लाख 28 हजार फैंस हैं और ये सब सिर्फ उनकी खूबसूरती का कमाल है.

बता दें, इरा की प्रोफेशनल लाइफ की बार करें तो उन्होनें यह तय कर लिया है कि वे निर्देशन के क्षेत्र में ही करियर बनाएंगी.

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गहरी पैठ

महाराष्ट्र, हरियाणा की विधानसभाओं और 51 विधानसभा सीटों के चुनावों के नतीजों से भारतीय जनता पार्टी के सुनहरे रंग की परत तो उतर गई है. भाजपा पहले भी हारी थी पर फिर बालाकोट के कारण और मायावती के पैतरों के कारण लोकसभा चुनावों में भारी बहुमत से जीत गई. जीतने के बाद उस का गरूर बढ़ गया और उस ने किसानों, कामगारों, छोटे व्यापारियों की फिक्र ही छोड़ दी. आजकल ये काम वे पिछड़े लोग कर रहे हैं जो पहले शूद्रों की गिनती में आते थे, पर भाजपा ने जिन्हें भगवा चोले पहना दिए और कहा कि भजन गाओ और फाके करो.

इन लोगों ने जबरदस्त विद्रोह कर दिया. हरियाणा में जाटों, अहीरों, गुर्जरों ने और महाराष्ट्र में मराठों ने भाजपा को पूरा नहीं तो थोड़ा सबक सिखा ही दिया. दलित और मुसलिम वोट बंटते नहीं तो मामला कुछ और होता. दलित ऊंचे सवर्णों से ज्यादा उन पिछड़ों से खार खाए बैठे हैं जिन्हें वे रोज अपने इर्दगिर्द देखते हैं. उन्हें पता ही नहीं रहता कि असली गुनाहगार वह जातिवाद है जो पुराणों की देन है, न कि उन के महल्ले या गांव के थोड़े खातेपीते लोग, जिन्हें वे दबंग समझते हैं.

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हरियाणा में दुष्यंत चौटाला ने 10 सीटें पाईं और भारतीय जनता पार्टी से उपमुख्यमंत्री पद झटक लिया. कांग्रेस ताकती रह गई पर उसे अब उम्मीद है कि दूसरे राज्यों में जहां जाटों, पिछड़ों की पार्टियां नहीं हैं वहां उसे फायदा पहुंचेगा. भाजपा को यह समझना चाहिए पर वह समझेगी नहीं कि किसी भी देश को आगे बढ़ने के लिए ज्यादा सामान पैदा करना होता है. अमीरी कठोर मेहनत से आती है चाहे वह खेतों में हो या कारखानों में. मंदिरों में तो पैसा और समय बरबाद होता है.

भाजपा को तो राम मंदिर, पटेल की मूर्ति, चारधाम की देखभाल, अयोध्या की दीवाली की पड़ी रहती है. इन सब में पौबारह होती है तो इन का रखरखाव करने वाले भगवाधारियों की. वे पिछड़े जो काम कर रहे हैं, खूनपसीना बहा रहे हैं, वे व्यापारी जो रातदिन दुकानें खोले बैठे हैं, दफ्तरों में काम कर रहे वे लोग जो कंप्यूटरों पर आंखें खराब कर रहे हैं, वे औरतें जो बच्चों को पढ़ा रही हैं ताकि वे अपना कल सुधार सकें, को इन पूजापाठों से क्या फायदा होगा?

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भाजपा ने किसानों की परेशानियों को समझा ही नहीं. भाजपा तो सोनिया गांधी के जमीन अधिग्रहण कानून को खत्म करना चाहती है जिस से किसानों की जमीनें उन की अपनी पक्की मिल्कीयत बनी थीं. भाजपा ने जीएसटी लागू कर के उन लाखों पिछड़े वर्गों के दुकानदारों का काम बंद कर दिया जो छोटा काम करने लगे थे. नोटबंदी के बाद छोटे लोगों के पास पैसा बचा ही नहीं. बैंकों में रखा पैसा खतरे में है. भाजपा इस मेहनतकश जमात की सुन नहीं रही है तो इस ने चपत लगाई है, अभी हलकी ही है. महाराष्ट्र, हरियाणा में काफी कम सीटें जीतीं और विधानसभा उपचुनावों में बोलबाला नहीं रहा. यहां तक कि गुजरात के 6 उपचुनावों में से 3 कांग्रेस जीत गई जबकि कांग्रेस का तो कोई नेता ही नहीं है. राहुल फिलहाल सदमे में है, सोनिया बीमार हैं. नरेंद्र मोदी और अमित शाह को अब चुनावी बिजली का शौक लगा है. अब सरकारें और लड़खड़ाएंगी.

सेना के गुणगान तो हमारे देश में बहुत किए जाते हैं पर ये दिखावा ज्यादा हैं, यह पक्का है. सैनिकों की शिकायतों को किस तरह नजरअंदाज किया जाता है, यह दिखता रहता है. यह तो साफ है यदि ऊंची जाति का ऊंचा अफसर सेना के खिलाफ अदालत में जाए तो भी उस के खिलाफ कुछ नहीं होता. हो सकता है, उसे मंत्री भी बना दिया जाए पर पिछड़ी जाति का कोई अदना सिपाही कुछ गलत कर दे तो पूरी फौज उस के पीछे हाथ धो कर पड़ जाती है.

सुरेंद्र सिंह यादव को आर्मी में सेना में सिपाही की नौकरी दी गई थी और 26 अप्रैल, 1991 में उस ने नौकरी जौइन की. कुछ दिन बाद उस के आवेदन खंगालते समय पता चला कि उस के माध्यमिक शिक्षा मंडल, ग्वालियर के दिए मैट्रिकुलेशन सर्टिफिकेट पर कुछ शक है. उसे आर्मी ऐक्ट की धारा 44 पर चार्जशीट दी गई और जब वह साबित नहीं कर पाया कि सर्टिफिकेट असली ही है तो उसे नौकरी से निकाल भी दिया गया और 3 महीने की जेल भी दे दी गई.

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यह तो पक्का है कि उस ने बाकी टैस्ट और फिजिकल जांच पूरी की होगी, क्योंकि सिर्फ मैट्रिक के सर्टिफिकेट के बल पर तो सेना में नौकरी नहीं मिलती. शायद इसीलिए रिव्यूइंग अथौरिटी ने समरी कोर्ट मार्शल का आदेश रद्द कर दिया और उसे फिर 27 नवंबर, 1992 को बहाल कर दिया. पर चूंकि वह अदना सिपाही था, गरीब था, यादव था, उस की छानबीन रिकौर्ड औफिस ने चालू रखी. उसे शो कौज नोटिस दिया गया और 10 जुलाई, 1993 को फिर निकाल दिया.

जिस देश में मंत्री, प्रधानमंत्री के सर्टिफिकेट का अतापता न हो वहां एक पिछड़े वर्ग के सिपाही के पीछे सेना हाथ धो कर पड़ गई. वह हाईकोर्ट गया जिस ने मामला आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल को सौंप दिया. सालों के बाद आर्म्ड फोर्सेस ट्रिब्यूनल ने 2016 में सिपाही के खिलाफ फैसला दिया और डिस्चार्ज को सही ठहराया.

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सुरेंद्र सिंह यादव अब सुप्रीम कोर्ट में आया कि उस पर एक ही गुनाह के लिए 2 बार कार्यवाही हुई, पहले समरी कोर्ट मार्शल और वहां से बहाल होने पर शो कौज नोटिस दे कर. उस पर किसी और गलती या गुनाह का आरोप नहीं था. अपने हक के लिए लड़ रहे आम सैनिक के लिए सुप्रीम कोर्ट में सेना ने सीनियर एडवोकेट आर. बालासुब्रमण्यम के साथ 5 और वकील खड़े किए. सिपाही सुरेंद्र सिंह यादव के साथ केवल एक वकील सुधांशु पात्रा था.

जब सुप्रीम कोर्ट में भारीभरकम फौज के भारीभरकम वकील हों तो अदना सिपाही को हारना ही था. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि समरी कोर्ट मार्शल का फैसला दोबारा कार्यवाही करने में कोई रुकावट पैदा नहीं करता. वैसे आम कानून यही कहता है कि एक गुनाह पर 2 बार मुकदमा नहीं चल सकता और फिर यह तो पिछड़ी जाति का सीधासादा सिपाही था, उस की हिम्मत कैसे हुई कि अफसरों के खिलाफ खड़ा हो. यह कोई वीके सिंह थोड़े ही है जिस की 2-2 जन्मतिथियां रिकौर्ड में दर्ज हों, जो सेना में जनरल बना और फिर मंत्री.

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Bigg Boss 13: हिंदुस्तानी भाऊ पर भड़कीं माहिरा शर्मा की मां, गुस्से में कही ये बात

बिग बौस सीजन 13 का माहौल दिन ब दिन रोमांचक होता जा रहा है. हर कोई घर के अंदर बने रहने के लिए अपने सर से एड़ी तक को जोर लगाता दिखाई दे रहा है. बात करें अगर विकास पाठक यानी हिंदुस्तानी भाऊ की तो उन्होनें घर में आते ही सबका एंटरटेन्मेंट करना शुरू कर दिया था और उन्होनें अपने मजाक से घरवालों का ही नहीं बल्कि दर्शकों का भी खूब मनोरंजन किया. इसी के साथ उन्होनें घर वालों के कुछ निक नेम्स भी रखे जिससे कि लोग काफी हंसे थे.

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बड़े होठों वाली छिपकली…

इसी के चलते हिंदुस्तानी भाऊ का एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है जिसमें बीते एपिसोड में उन्होनें कैमरे के आगे घरवालों को खूब मजाक बनाया और यही नहीं बल्कि उन्होनें कंटेस्टेंट माहिरा शर्मा को कुछ ऐसा बोल दिया जो किसी को भी पसंद नहीं आया. जी हां, हिंदुस्तानी भाऊ नें माहिरा को बड़े होठों वाली छिपकली बताया जिसे सुनने के बाद माहिरा खूब रोती नजर आईं.

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माहिरा शर्मा की मां सानिया शर्मा नें कहा…

हिंदुस्तानी भाऊ के इस कमेंट को ले कर लोग सोशल मीडिया पर उन्हें खूब भला बुरा बोल रहे हैं. जब सबको उनका ये कमेंट पसंग नहीं आया तो आप समझ सकते हैं कि माहिरा शर्मा की मां पर क्या बीत रही होगी. एक एंटरव्यू के दौरान माहिरा शर्मा की मां सानिया शर्मा नें हिंदुस्तानी भाऊ पर जमकर भड़ास निकालते हुए कहा कि, ‘मुझे हिंदुस्तानी भाऊ का कमेंट जरा सा भी पसंद नहीं आया है. कोई भला नेशनल टेलीविजन पर एक लड़की के लिए ऐसे शब्द कैसे बोल सकता है. उसने लोगों के मनोरंजन के लिए मेरी बेटी को छिपकली बता दिया.’

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हिंदुस्तानी भाऊ को केवल लोगों की बुराईयां करना आता है…

इसके आगे माहिरा की मां नें कहा कि, ‘मुझे अच्छा लगा था जब घर में आते ही हिंदुस्तानी भाऊ ने माहिरा को अपनी बहन बुलाया था, लेकिन कोई भाई अपनी बहन के लिए इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल करता है क्या? फुटेज खाने के लिए इतना नीचे गिर जाना भी अच्छी बात नहीं है.’ इस मुद्दे पर बात करते हुए माहिरा की मां को काफी गुस्सा आ रहा था. इन्होनें इससे आगे कहा कि, ‘हिंदुस्तानी भाऊ को केवल लोगों की बुराईयां करना आता है. वह जहां भी बैठता है बस लोगों की बुराईयां ही करने लग जाता है. जैसा वो है टीवी पर वैसा नहीं दिख रहा है. उसकी सोशल मीडिया पर शेयर की गई वीडियोज इस बात का सबूत है और जो लोग मेरी लड़की पर उंगली उठा रहे हैं मैं उनको जवाब देना चाहती हूं कि, मेरी लड़की घर में सबसे खूबसूरत है. यही वजह है कि, सब लगों को उससे जलन हो रही है.

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भोजपुरी सिनेमा में क्या है खास, पढ़ें खबर

निर्माता अनिल काबरा इन दिनों सतीश जैन के निर्देशन में भोजपुरी की सर्वाधिक सफल फिल्म ‘हंस झन पगली फंस जबे’ का रीमेक बना रहे हैं जिस की शूटिंग उन्होंने रायपुर में शुरू की है. पूरे 45 दिन में शूटिंग पूरी करने का इरादा है. फिलहाल फिल्म का नाम तय नहीं है. फिल्म ‘हंस जन पगली फंस जबे’ ने 15 करोड़ रुपए से ऊपर की कमाई की थी जो उस वक्त सब से ज्यादा कमाई करने वाली फिल्म बनी थी.

अनिल काबरा कहते हैं, ‘‘हम भले ही एक सफल फिल्म का रीमेक बना रहे हैं, लेकिन इस की मेकिंग बेहद उच्च तकनीक और कौंसैप्ट से की जा रही है. हमारी कोशिश है कि हम एक ऐसी फिल्म दर्शकों को दें जिसे देखने के बाद वे फिल्म देखने के लिए और लोगों को प्रेरित कर सकें. वहीं दूसरों को बताएं कि भोजपुरी सिनेमा किसी से कम नहीं है. फिल्म की कहानी पर हम ने काफी काम किया है.’’

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क्या इस बार इतिहास दोहराएगी यह फिल्म

2004 में प्रदर्शित अजय सिन्हा निर्देशित फिल्म ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला’ ने भोजपुरी सिनेमा में नए इतिहास का सूत्रपात किया था. वर्तमान सांसद, गायक व अभिनेता मनोज तिवारी के साथ रानी चटर्जी ने इस फिल्म में अभिनय किया था. महज 80 लाख रूपए में निर्मित इस फिल्म ने तहलका मचाते हुए 9 करोड़ रुपए की कमाई की थी. इस फिल्म ने भोजपुरी सिनेमा की दशा व दिशा ही बदल दी थी. उस के बाद भोजपुरी सिनेमा में ऐसी लहर दौड़ी कि सैकड़ों फिल्में बन गईं.

यह अलग बात है कि पिछले 4-5 वर्ष से भोजपुरी सिनेमा एक बार फिर दुर्गति की ओर बढ़ रहा है. ऐसे ही दौर में अजय सिन्हा एक बार फिर अपनी 15 वर्ष पुरानी इसी फिल्म का सीक्वल ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला 2’ ले कर आ रहे हैं. इस बार इस फिल्म में अथर्व  सिंह के साथ नेहा प्रकाश की जोड़ी है. इन दोनों की कैमिस्ट्री को दर्शकों द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है.

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‘ससुरा बड़ा पईसा वाला 2‘ के टीजर की शुरुआत रोमांटिक गाने से होती है जो तकरार में बदल जाती है और फिर पारिवारिक रिश्तों के मायाजाल में बंदूक से निकली एक गोली के साथ खत्म होती है. यानी कि इस फिल्म में मनोरंजन का हर पहलू दर्शकों को देखने को मिलेगा.

साईं इंटरटैनमैंट प्रस्तुत ‘ससुरा बड़ा पईसा वाला 2’ में अथर्व सिंह और नेहा प्रकाश के साथ संतोष श्रीवास्तव, शिवम सिंह, दिवाकर श्रीवास्तव व प्रशांत रागिनी आदि प्रमुख भूमिकाओं में हैं.

गायक से अभिनेता बनने की राह पर…

prateek mishra

भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री में गायक से अभिनेता बनने की पुरानी परंपरा रही है. इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए लोकप्रिय भोजपुरी गायक प्रतीक मिश्रा भी अब अभिनेता के तौर पर सिनेमा के रुपहले परदे पर धमाल मचाने वाले हैं. वे भोजपुरी फिल्म ‘आशिक बनाया आप ने’ से अपने अभिनय करियर की शुरुआत कर रहे हैं जिस में उन की नायिका हैं फेयर लवली गर्ल ऋतु सिंह. फिल्म की शूटिंग जल्द ही मनोरम व रमणीय स्थलों पर की जाएगी. बौलीवुड अभिनेता राज प्रेमी इस फिल्म में बतौर खलनायक कहर ढाने वाले हैं. फिल्म के मुख्य कलाकार प्रतीक मिश्रा, ऋतु सिंह, राज प्रेमी, देव सिंह, गुड्डू सिंह आदि हैं.

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