Bigg Boss 13: सिद्धार्थ और असीम के बीच आईं शहनाज गिल तो भड़क उठे फैंस, किए ऐसे-ऐसे ट्वीट्स

कुछ दिनों पहले कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला और असीम रियाज के बीच जमकर लड़ाई दर्शकों को देखने को मिली. लेकिन बीते वीकेंड के वौर के बाद ये दोनों फिर से गले लग कर दोस्त बन गए थे. लेकिन एक बार फिर इनकी दोस्ती में दरार पड़ती दिखाई दे रही है. दरअसल बीते एपिसोड में सिद्धार्थ और रश्मि देसाई के बीच काफी लड़ाई झगड़ा हुआ जिसमें असीम नें बीच में आ कर रश्मि के सपोर्ट में बोल कर सिद्धार्थ को लड़ाई खत्म करने के लिए कहा.

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सिद्धार्थ और रश्मि की लड़ाई के बीच आए असीम रियाज…

जब सिद्धार्थ और रश्मि की लड़ाई के बीच असीम रियाज आए तो सिद्धार्थ को ये बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और वे गुस्से में आग बबूला हो गए. इसी दोरान सिद्धार्थ और असीम के बीच लड़ाई काफी बढ़ गई और बात हाथापाई तक जा पहुंची. इसी दौरान सिद्धार्थ शुक्ला का साथ देने पहुंची पंजाब की कैटरीना कैफ यानी शहनाज गिल. शहनाज सिद्धार्थ को ही सपोर्ट करती दिखाई दीं.

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फैंस को पसंद नहीं आया शहनाज का सिद्धार्थ को सपोर्ट…

यही नहीं बल्कि ‘स्वंयवर’ टास्क के चलते भी जब सिद्धार्श शुक्ला और असीम रियाज का झगड़ा हुआ था तब भी शहनाज ने सिद्धार्थ को ही सपोर्ट किया था. पर लगता है सिद्धार्थ और असीम की लड़ाई में शहनाज का कूदना दर्शकों को बिल्कुल पसंद नहीं आ रहा है. इसी मुद्दे पर बिग बौस के फैंस नें उन्हें ट्विटर पर बुरा भला बोलना शुरू कर दिया. चलिए आपको दिखाते हैं कुछ ट्वीट्स…

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शहनाज को ही नहीं बल्कि सिद्धार्थ शुक्ला को भी मिल रहे हैं ऐसे कमेंट्स…

असीम रियाज के सपोर्ट में उतरे फैंस और किए ऐसे ट्वीट्स…

भोजपुरी फिल्‍म ‘आंख मिचौली’ की शूटिंग हुई कंप्‍लीट, ये हौट एक्ट्रेस आएंगी नजर

यश & राज इंटरटेंमेंट के बैनर तले बन रही एन आर घिमरे की भोजपुरी फिल्‍म ‘आंख मिचौली’ की शूटिंग कंप्‍लीट हो चुकी है. इस फिल्‍म की शूटिंग लखनऊ और नेपाल की खूबसूरत वादियों में की गई है. फिल्‍म को लेकर फिल्‍म की पूरी कास्‍ट उत्‍साहित है, लेकिन ‘आंख मिचौली’ में एक अहम किरदार में नजर आने वाली खूबसूरत अभिनेत्री त्रिशा खान कुछ ज्‍यादा ही एक्‍साइटेड हैं. त्रिशा खान फिल्‍म के पैक अप के बाद से ही इसकी चर्चा करते अक्‍सर नजर आ जाती हैं.

शूटिंग के दौरान की खूब मस्‍ती…

त्रिशा खान ने फिल्‍म की शूटिंग कंप्‍लीट करने के बाद कहा कि हमने एक बेहतरीन कहानी वाली फिल्‍म का यादगार शूट कंप्‍लीट कर लिया. इस दौरान हमने खूब मस्‍ती भी की. इस फिल्‍म में मेरा किरदार बेहद स्‍ट्रांग है. इसलिए मुझे पूरा यकीन है दर्शाकों को मेरा किरदार पसंद आयेगा.

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मजेदार होने वाली है ‘आंख मिचौली’…

फिल्‍म की कहानी को अभी रिवील करना उचित नहीं है, लेकिन फिल्‍म के टायटल से कुछ तो लोग अंदाजा लगा ही सकते हैं कि फिल्‍म कितनी मजेदार होने वाली है. इस फिल्‍म में मेरे साथ सभी कलाकारों ने बेहतरीन काम किया है. मैं निर्देशक एन आर घिमीरे की भी शुक्रगुजार हूं, जिनके साथ एक शानदार कंसेप्‍ट पर काम करने का मौका मिला.

लुक, टीजर और ट्रेलर भी करेंगे जल्द ही जारी…

वहीं, ‘आंख मिचौली’ को लेकर एन आर घिमरे ने कहा कि यह काफी हेल्‍दी मनोरंजन वाली फिल्‍म है. दर्शकों को यह खुद से कनेक्‍ट करने में कामयाब होगी. हमने फिल्‍म पर खूब मेहनत की है. अब शूटिंग के बाद हम फिल्‍म के पोस्‍ट प्रोडक्‍शन फेज के लिए भी तैयार हैं. जल्‍द ही हम फिल्‍म का लुक, टीजर और ट्रेलर भी जारी करेंगे. उन्‍होंने बताया कि फिल्‍म ‘आंख मिचौली’ की कहानी सूरज और एन आर ने लिखी है.

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त्रिशा खान के अलावा ये सब कलाकार भी आएंगे नजर…

फिल्‍म के गीतकार राजेश दुबे और मनोज द्विवेदी व संगीतकार ओम ओझा हैं. डीओपी दिव्‍या राज सुबेदी और एक्‍शन प्रदीप खड़का है. कोरियोग्राफी कानू मुखर्जी और कवि राज ने किया है. एडिटर संजय जायसवाल और कला रंधीर का है. फिल्‍म में त्रिशा खान के अलावा आकाश सिंह, मनोज द्विवेद्वी, समर्थ चतुर्वेदी, सुमित सिंह, संजय वर्मा, माया यादव,  संजय गुप्‍ता, नेहा दास, रूप श्री, अंजली बनर्जी और संजय  मुख्‍य भूमिका में हैं.

अंजलि इब्राहिम और लव जेहाद!

एक मुस्लिम शख्स द्वारा हिंदू लड़की से विवाह का मामला, छत्तीसगढ़ में इन दिनों कुछ इस तरह सरगर्म है की क्या शहर क्या परिवार, क्या हिंदू मुस्लिम और बौद्धिक वर्ग सहित पुलिस और न्यायालय के साथ-साथ राजनीति के धुरंधर इस मामले में इनवौल्व हो चुके हैं.

और सात माह से अंजलि नामक युवती जो 23 वर्ष की है के मानवअधिकारों को ताक में रखकर, सभी अपनी अपनी ढपली, अपना अपना राग भज रहे है  परिणाम स्वरूप अंजलि जो एक तरह से सखी सेंटर में निरुद्ध है को, अपनी आवाज दुनिया को सुनाने की खातिर महात्मा गांधी के…  उपवास, भूख हड़ताल को अपना हथियार बनाना पड़ा. छत्तीसगढ़ के गांधीवादी, डॉक्टर गुलाब राय पंजवानी कहते हैं, यह मामला एक इंसान के अधिकारों का है यह सच भी है साभार ऊपर मानूस सत्य!

शायद इसीलिए गांधी के बताए रास्ते पर चल अंजलि को गूंगे बहरी व्यवस्था को अपनी आवाज सुनाने भूख हड़ताल करनी पड़ी.

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अंजलि इब्राहिम का मामला 23 फरवरी 2018 के बाद सुर्खियां बना .आज देश दुनिया में लव जिहाद के नाम पर छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले का यह मामला एक तरह से छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन के लिए एक बवंडर बन गया है.

क्या है मामला जानिए

दरअसल, छत्तीसगढ़ के अशोक जैन की 23 वर्षीय पुत्री ने वहीं के एक मुस्लिम शख्स इब्राहिम से आर्य समाज में विवाह कर लिया .इब्राहिम ने विवाह से पूर्व आर्य समाज में अपना धर्म बदल हिंदू बन गया और उसे आर्यन आर्य नाम मिल गया. उसने और अंजलि ने विवाह कर लिया मगर इसके बाद इसे कुछ कतिपय तत्वों ने लव जिहाद का नाम दे दिया.

सनद रहे 2018 में छत्तीसगढ़ में भाजपा की हिंदू हितों की पोषक सरकार थी, तब गली गली में हिंदुत्व की ढोल पीटती संस्थाएं, लोग थे और  शासन-प्रशासन में उनकी पुछपरख भी थी. ऐसे मे अंजलि के पिता अशोक जैन के सक्रिय होते और अंजलि को मनोरोगी निरूपित करने के बाद मामला सरगर्म होने होते चला गया. इब्राहिम जेल चला गया अंजली अशोक जैन के घर पहुंच गई. मामला तब चर्चा में आया जब इब्राहिम ने उच्च न्यायालय और सुप्रीम कोर्ट तक अंजली का मामला लेकर न्याय की गुहार लगाई.

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चूंकि मामले में कई प्रतिष्ठित ताकतें अपना जोर लगा रही थी ऐसे में अंजली का यह मामला पेचीदा होता चला गया और अंततः कोर्ट के आदेश पर अंजलि को स्वतंत्र सोच की खातिर रायपुर के सखी सेंटर में रखा गया है,जहां 20 नवंबर को, उसकी भूख हड़ताल के बाद उसे छोड़ने का निश्चय किया गया है.

भूख हड़ताल से हड़कंप

अंजली बालिग है. देश में संविधान का शासन है. उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय है . यह सब होने के बाद भी एक लड़की किस तरह तमाशा बन  कर दुनिया में भारत के मानव अधिकार हनन की नजीर बन गई यह देखने लायक बात है. एक छोटी सी चीज किस तरह दबाव प्रभाव में अपनी प्राकृतिक, स्वतंत्रता, अस्तित्व को खो बैठती है यह भी अंजली इब्राहिम का विवाह की परते विहूप बन कर हमें नग्न सच दिखा रही हैं.

इस संपूर्ण मामले में अशोक जैन और उसके परिवार की अपनी कुंठा, अधिकार और प्रभाव है. उन्होंने कथित रूप से सात याचिकाएं अदालत में लगा रखी है दूसकी तरफ इब्राहिम आर्य अंजली आर्य है जो एक भारतीय नागरिक की हैसियत से अपनी कथित पत्नी अंजलि को पाना चाहता है और न्यायालय की देहरी पर मत्था टेके हुए हैं.

एक तरफ हिंदुत्व व अतिवादी संगठन है कुछ चेहरे और नाम है  जो इस साधारण से प्रकरण को अपने अपने ढंग से देखते और भूनाने की जुगत में है . तो क्या अंजलि को जीने का हक है… यह बहुत जल्द स्पष्ट होने वाला है या फिर वह भी एक चीड़, पक्षी की भांति दबोच दी जाएगी कैद रखी जाएगी.

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20 नवंबर को प्रशासन द्वारा आम सूचना के अनुसार दिन के 11:00 बजे सखी सेंटर से अंजलि को एक तरह से रिहा कर दिया जाएग . विगत लंबे अरसे से वह यहां कोर्ट के एक आदेश के अनुसार रखी गई थी ताकि स्वतंत्र रूप से सोच विचार कर वह अपने भविष्य का निर्णय स्वयं करें . पिता, परिजनों व इब्राहिम यानी आर्यन आर्य से बहुत दूर. आगे यह स्पष्ट होगा की वह कौन सी डगर जाएगी- क्या 11:00 बजे बाहर आकर वह इब्राहिम का हाथ थामेगी  या फिर अपने पिता के घर जाना पसंद करेगी.

Bigg Boss 13: आखिर कौन 5 सदस्य हुए घर से बेघर होने के लिए नोमिनेटिड, पढ़ें खबर

बिग बौस सीजन 13 का माहौल दिन ब दिन रोमांचक होता जा रहा है. हर कोई घर के अंदर बने रहने के लिए अपने सर से एड़ी तक को जोर लगाता दिखाई दे रहा है. इसी दौड़ में बीते वीकेंड के वौर में सलमान खान नें इस रेस से एक कंटेस्टेंट को घर से बेघर कर दिया और उस कंटेंस्टेंट का नाम है अरहान खान. इसी के चलते बीते एपिसोड में बिग बौस नें सभी घरवालों को एक नोमिनेशन टास्क दिया जिसमें सभी घरवालों को 2 ऐसे नाम बताने थे जिन्हें वे घर से बेघर नहीं होने देना चाहते.

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माहिरा ने लिया विशाल आदित्य सिंह का नाम…

इसी टास्क के दौरान घर में कई लड़ाई-झगड़े दर्शकों को देखने को मिले. कंटेस्टेंट माहिरा शर्मा और रश्मि देसाई की दोस्ती के बीच भी नोमिनेशन की दीवार देखने को मिली. दरअसल इस टास्क में माहिरा ने कंटेस्टेंट विशाल आदित्य सिंह का नाम लिया तो रश्मि इसी बात से माहिरा से नाराज होती दिखाई दीं कि उन्होनें दो हफ्ते पहले आए कंटेंस्टेंट का नाम ले लिया और उनका नहीं लिया.

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ये 5 सदस्य हैं नोमिनेटिड…

साथ ही कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शिक्ला को बिग बौस ने सजा के तौर पर 2 हफ्ते तक नोमिनेट रहने की सजा सुनाई थी तो वे इस हफ्ते भी नोमिनेट ही रहने वाले हैं. सिद्धार्थ शुक्ला के साथ घर में 4 सदस्य और नोमिनेट हुए हैं जिनमें से रश्मि देसाई, आरती सिंह, खेसारी लाल यादव और देवोलीना भट्टाचार्या का नाम शामिल है.

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अब देखने वाली वात ये होगी कि अरहान खान के बाद आने वाले वीकेंड के वौर में इन 5 सदस्यों में से कौन होगा घर से बेघर.

महुआ के पेड़ का अंधविश्वास

अंधविश्वास की बेडि़यों में समाज के केवल अनपढ़ या निचले और थोड़े ऊंचे तबके के लोग ही नहीं जकड़े हुए हैं, बल्कि अपनी काबिलीयत का दंभ भरने वाले पढ़ेलिखे और ऊंचे तबके के लोग भी इस की गिरफ्त में हैं.

लोगों की आदत कुछ इस तरह हो गई है कि अखबार और पत्रपत्रिकाओं को पढ़ने के बजाय वे सोशल मीडिया में आने वाली खबरों पर यकीन करने लगे हैं. लोग किसी खबर या घटना के सही या गलत होने की पड़ताल न कर के कहीसुनी बातों पर भरोसा कर के भेड़चाल चलने लगे हैं.

इसी भेड़चाल का नजारा नवरात्र के मौके पर मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पिपरिया, पचमढ़ी से लगे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में देखने को मिला. पिपरिया से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर नयागांव ग्राम पंचायत के तहत कोड़ापड़रई गांव के जंगल में एक महुआ के पेड़ को महज छूने भर से लोगों की शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होने की खबर सोशल मीडिया पर क्या वायरल हुई, हजारों की तादाद में अंधभक्तों की भीड़ वहां जमा होने लगी.

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हमारे देश में गरीबी की एक वजह यह भी है कि यहां लोग कामधंधा छोड़ कर चमत्कारों के पीछे भागने लगते हैं.

महुआ के चमत्कारिक पेड़ का राज जानने के लिए शरद पूर्णिमा के दिन मैं अपने पत्रकार दोस्त के साथ वहां पहुंचा तो वहां का नजारा देख कर हम दंग रह गए. सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच कोरनी और कुब्जा नदी को पार कर हम वहां पहुंच गए.

महुआ के पेड़ के चारों ओर हजारों की तादाद में मर्दऔरतों की भीड़ जमा थी. पेड़ के आसपास नारियल, अगरबत्ती के खाली पैकेट और प्लास्टिक की पन्नियों का ढेर लगा था. लोग अपने हाथों में जलती हुई अगरबत्ती और नारियल ले कर महुआ के पेड़ के चक्कर लगा रहे थे.

उस महुआ पेड़ के पास उसे छोटेछोटे दूसरे पेड़ों की शाखाओं पर लोगों द्वारा अपनी मुराद पूरी होने के लिए धागा, कपड़ा और प्लास्टिक की पन्नी बांधने का सिलसिला चल रहा था. पास जा कर देखा तो उस पेड़ के पास देवीदेवताओं की मूर्तियां और फोटो रखे थे, जिन पर फूल, बेलपत्र और नारियल चढ़ाने के लिए लोग धक्कामुक्की कर रहे थे.

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वहां पर आसपास के पत्रकारों और टैलीविजन चैनलों के प्रतिनिधि भी जमा थे, जो महुआ पेड़ के चमत्कार को बढ़चढ़ कर पेश कर रहे थे.

हम ने वहां मौजूद लोगों से बातचीत का सिलसिला शुरू किया तो पता चला कि नवरात्र के तकरीबन एक हफ्ते पहले एक आदिवासी चरवाहा जंगल में बकरी चराने गया था, जिस को जोड़ों के दर्द के चलते चलनेफिरने में परेशानी होती थी. उस शख्स ने अनजाने ही पेड़ को छू लिया तो उस के जोड़ों की पीड़ा दूर हो गई.

जब यह बात आदिवासी इलाकों में फैली तो वहां के अनपढ़ आदिवासी सतरंगी  झंडे और औरतें कलश ले कर उस जगह पर पहुंच गए और पेड़ को पूजने लगे.

सोशल मीडिया पर जब यह घटना वायरल हुई, तो मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा, बैतूल, नरसिंहपुर, रायसेन, होशंगाबाद जिले के अंधभक्तों की भीड़ वहां जमा होने लगी. भीड़ के मनोविज्ञान का फायदा प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों ने जम कर उठाना शुरू कर दिया.

इस जगह पर ऐसी तमाम दुकानें लग रही हैं. चायनाश्ते की दुकानों पर धड़ल्ले से सिंगल यूज प्लास्टिक के डिस्पोजल का ढेर संरक्षित जंगल को प्रदूषित कर रहा है.

एक पंडित वहां आए लोगों को कुमकुम का तिलक लगा कर 10-10 रुपए दक्षिणा ले कर अपना आशीर्वाद बांट रहे थे.

कुछ पंडेपुजारी तंत्रमंत्र के नाम पर लोगों को बरगला कर महुआ के पेड़ के चमत्कार को महिमामंडित कर अपनी दानदक्षिणा बटोरने में लग गए थे.

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पूरे वन क्षेत्र में मेले जैसा नजारा देखने को मिल रहा था. 2-3 दुकानों पर बाकायदा महुआ के पेड़ पर अंकित देवीदेवताओं के चित्र वाले फोटो 50-50 रुपए में बेचे जा रहे थे और लोग उन्हें खरीद भी रहे थे.

हर दिन भीड़ के बढ़ने से आसपास की सड़कों पर जाम लगने लगा तो पुलिस प्रशासन हरकत में आया. तहसील के एसडीएम और तहसीलदार पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचे तो भीड़तंत्र के सामने वे भी मायूस हो गए.

वन्य जीवों की सिक्योरिटी के नजरिए से इस क्षेत्र को प्रतिबंधित किया गया है. लेकिन हैरानी की बात यह रही कि वन विभाग का अमला अंधभक्तों की भीड़ को रोकने में नाकाम ही रहा.

वन विभाग के रेंजर पीआर पदाम अपनी गाड़ी में लगे माइक से प्रतिबंधित क्षेत्र का हवाला देते हुए लोगों को आगे न बढ़ने की सम झाइश दे रहे थे, लेकिन भीड़ पर इस का कोई असर नहीं पड़ रहा था.

सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के एसडीओ लोकेश नैनपुरे का कहना था कि वहां पर कोई चमत्कार नहीं हो रहा है, लेकिन हम बलपूर्वक लोगों को हटा नहीं सकते हैं.

पिपरिया स्टेशन रोड थाने के प्रभारी सतीश अंधवान अपने स्टाफ के साथ सिविल ड्रैस में पहुंचे और अंधविश्वास को रोकने के बजाय वे भी भीड़तंत्र का हिस्सा बन गए.

छिंदवाड़ा जिले के तामिया के बाशिंदे सोमनाथ ठाकुर महुआ के पेड़ के इस चमत्कार की बात सुन कर अपनी मां को ले कर यहां आए थे, जो पिछले 2 सालों से लकवे के चलते बिस्तर पर पड़ी थीं. पर यहां आ कर उन्हें निराश ही होना पड़ा.

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कोड़ापड़रई गांव के इस चमत्कारिक पेड़ की अफवाह पर यकीन कर टिमरनी के रायबोर गांव का बबलू बट्टी आज जिंदगी और मौत के बीच जू झ रहा है.

13 अक्तूबर, 2019 को बबलू बट्टी ने पेड़ की परिक्रमा की और ठीक होने की मंशा से घर वापस आ गया, लेकिन उस की हालत बिगड़ गई और उसे आननफानन भोपाल के बड़े अस्पताल में भरती कराना पड़ा.

रायबोर गांव के राजू दीक्षित ने बताया कि अभी बबलू बट्टी की हालत गंभीर है और उसे आईसीयू में रखा गया है.

छिंदवाड़ा चावलपानी की 30 साला बुधिया बाई ठाकुर के मुंह में कैंसर हो गया और उस का पति रामविलास ठाकुर डाक्टरों को छोड़ उस पेड़ के पास ले कर आया.

हरदा के राजेंद्र मेहरा, बरेली के सुलतान खान, शबीना बी समेत अनेक लोग अपनी गंभीर बीमारी ठीक होने की कामना करते हुए वहां आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई भी शख्स ऐसा नहीं मिला जिस ने खुल कर कहा हो कि उसे महुआ के पेड़ को छूने से कोई राहत मिली है.

उस पेड़ को ले कर हर रोज नईनई अफवाहें चल रही हैं और रोज ही हजारों लोग उस पेड़ को देखने जा रहे हैं, जिसे लोग चमत्कारी मान रहे हैं.

आसपास के इलाकों के लोगों से बातचीत में यह पता चला कि असल में नयागांव के 30 साला रूप सिंह ठाकुर ने अफवाह उड़ाई कि उसे उस महुआ के पेड़ ने खींच कर चिपका लिया और तकरीबन 10 मिनट तक चिपकाए रखा.

इस के बाद वह रोजाना ही उस पेड़ के पास जाता रहा और ठीक हो गया, लेकिन गांव वालों ने यह नहीं बताया कि उसे कौन सी बीमारी थी.

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वन विभाग के बीट प्रभारी ने इस अफवाह उड़ाने वाले को पहचान लिया है. रूप सिंह पढ़ालिखा नहीं है और लोग उस की बातों में आ कर दर्शनों के लिए वहां आने लगे और देखते ही देखते यह तादाद हजारों में पहुंच गई.

गंभीर बीमारी में आराम लगने की चाह से बहुत दूरदूर के लोग महुआ के इस पेड़ के पास पहुंच रहे हैं. बनखेड़ी से 15 किलोमीटर दूर और पिपरिया से 17 किलोमीटर दूर इस जगह का किराया भी वाहन चालक जम कर वसूल रहे हैं. यहां आ कर यह देखने को मिला कि पढ़ेलिखे सभ्य समाज के लोग कैसे एक अनपढ़ आदमी द्वारा फैलाई गई अफवाह के चक्कर में अपना कीमती समय और पैसा खर्च कर रहे हैं.

प्रतिबंधित सतपुड़ा के जंगल में चूल्हा जला कर बाटीभरता और हलवापूरी का भंडारा चल रहा है. इस से जंगल का तापमान भी बढ़ गया है. पेड़ों के नीचे सूखे हुए पत्तों और लकडि़यों का ढेर लगा है, जो कभी किसी बड़ी अग्नि दुर्घटना की वजह भी बन सकता है. अभी तक प्रशासन की ओर से लोगों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. धर्म के नाम पर लोगों की आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है.

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दिखना चाहते हैं सबसे कूल तो जरूर ट्राय करें सत्यजीत दुबे के ये लुक्स

साल 2011 में फिल्म ‘औल्वेज कभी कभी’ से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत करने वाले बहरतीन एक्टर सत्यजीत दुबे हाल ही में फिल्म ‘प्रस्थानम’ में बौलीवुड इंडस्ट्री के बाबा यानी संजय दत्त और अली फजल के साथ दिखाई दिए थे. इस फिल्म में सत्यजीत दुबे की एक्टिंग को काफी सराहना मिली थी. सत्यजीत ना सिर्फ अच्छी एक्टिंग के लिए पौपुलर हैं बल्कि उन्के लुक्स भी काफी लोग फौलो करते हैं. तो आज हम आपको दिखाएंगे बोलीवुड एक्टर सत्यजीत दुबे के कुछ ऐसे लुक्स जिसे देख आपका मन खुद ब खुद उन्हें ट्राय करने को कर जाएगा.

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कैसुअल लुक…

सत्यजीत दुबे ने अपने कैसुअल लुक में ब्लैक कलर की प्लेन टी-शर्ट के ऊपर महरून कलर की जैकेट और साथ में ब्लू कलर की जींस पहनी हुई है. ये कैसुअल लुक आप अपनी डेली रूटीन या कौलेज में ट्राय कर सकते हैं.

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सत्यजीत इन पिंक…

इस लुक में सत्यजीत ने व्हाइट कलर की प्लेन टी-शर्ट के ऊपर पिंक कलर का ब्लेजर और साथ ही पिंक कलर का ट्राउसर कैरी किया हुआ है. सत्यजीत पर ये कलर काफी सूट कर रहा है, तो अगर आपका भी रंग गोरा है तो जरूर ट्राय करें ये स्टाइलिश पिंक कलर.

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ट्रेंडी लुक…

इस ट्रेंडी लुक में सत्यजीत दुबे ने व्हाइट कलर की टी-शर्ट के ऊपर स्टाइलिश ट्रेंडी जैकेट कैरी की हुई है और साथ ही उन्होनें ब्लैक कलर की जींस पहनी हुई है. इस लुक के साथ उन्होनें शूज ना पहन कर लौंग बूट कैरी किए हुए हैं जो काफी सूट कर रहे हैं.

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फंकी लुक…

इस फंकी लुक में सत्यजीत दुबे नें ब्लू कलर की ‘rugged’ जींस के साथ व्हाइट प्लेन टी-शर्ट और साथ ही ब्लू कलर की जैकेट पहनी हुई है. आप भी सत्यजीत जैसा फंकी लुक ट्राय कर किसी को भी आसानी से इम्प्रेस कर सकते हैं.

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एक-एक कर बिखरता जा रहा एनडीए गठबंधन, 1999 में पहली बार देश में बनाई थी सरकार

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन चल रहा है. जबकि जनता ने शिवसेना और बीजेपी के गठबंधन को पूर्ण बहुमत दिया. लेकिन सीएम पद की खींचतान के बीच महाराष्ट्र की जनता को इनाम स्वरूप राष्ट्रपति शासन मिल गया जबकि जनता का इसमे कोई दोष नहीं है. राजनीति के इतिहास में जाकर खोजना होगा कि आखिरकार गठबंधन की राजनीति का सूर्योदय कब हुआ और आखिरकार क्या ये वही एनडीए है जिसने कभी 24 दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई थी और सफलतापूर्वक पांच साल भी पूरे किए थे.

देश में गठबंधन की राजनीति 1977 में ही शुरू हो गई थी, जब इंदिरा गांधी के खिलाफ सभी पार्टियों ने मिलकर चुनाव लड़ा था और इंदिरा गांधी को सत्ता से हटा दिया था. इस गठबंधन ने इंदिरा को कुर्सी से हटा दो दिया लेकिन गठबंधन सरकार चलाने में असफल रहे और 1980 में दोबारा इंदिरा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में वापिस काबिज हो गईं.

गठबंधन को सफल राजनीति करने के मामले में सबसे पहले नाम आता है पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का. वाजपेयी ने 24 दलों को साथ लाकर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए बनाया और पांच साल तक सरकार चलाई. अटल की यह उपलब्धि इसलिए भी खास थी क्योंकि उनसे पहले कोई भी गठबंधन सरकार पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी.

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उन 24 दलों में कुछ प्रमुख पार्टियों के नाम में यहां लेना चाहूंगा. जनता दल (यूनाइटेड), शिवसेना, तेलगू देशम पार्टी, एआईडीएमके या अन्नाद्रमुक, अकाली दल. ये वो सहयोगी थे जिन्होंने बीजेपी को समर्थन दिया था और पहली बार 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में पांच साल गठबंधन हुआ था. लेकिन अब वक्त कुछ बदल गया. एनडीए के ज्यादातर सहयोगी उससे दूर होते जा रहे हैं.

इसका प्रमुख कारण है सत्ता का एकाधिकार. 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ने सभी सहयोगियों को समान अधिकार दिए और सभी की बात सुनी. 2004 में हुए चुनावों में बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा. उसके बाद सबसे बड़ा राजनीतिक बदलाव तब आया जब 2014 में बीजेपी पूर्ण बहुमत से सत्ता पर काबिज हुई. देखते ही देखते कई राज्यों में बीजेपी की सरकार बनती चली गई. नॉर्थ ईस्ट में कभी भाजपा एक-एक सीट को मोहताज रहती थी लेकिन बाद में वहां भी सरकार बनाई.

आखिरकार क्यों एनडीए लगातर बिखरता जा रहा है

मेरे अनुसार दो बातें हो सकती हैं. पहली बात बीजेपी का बढ़ता जनाधार जिसकी वजह से बीजेपी को ये लगता है कि वो बिना की सहयोगी के भी चुनाव जीत  सकती है और  सरकार बना सकती है. दूसरी बात बीजेपी को अब गठबंधन पसंद ही नहीं है. क्योंकि उसमें दूसरे दल का भी बराबर से दखल होता है. शिवसेना इसका जीता जागता उदाहरण है.

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बीजेपी-शिवसेना सबसे पक्के दोस्त माने जाते थे. लेकिन राजनीतिक लालच से दोनों को जुदा कर दिया है. शिवसेना को लग रहा था कि बीजेपी को अगर दोबारा चांस मिला था राज्य से उसकी सियासी जड़ें समाप्त हो जाएंगी. शिवसेना अपनी सियासी जमीन को किसी भी कीमत पर खोना नहीं चाहती थी इसी वजह से शिवसेना ने ऐसी मांग रख दी जो बीजेपी को नागवार गुजरी.

बिहार में जनता दल (युनाइटेड)

एनडीए में शामिल दूसरी पार्टी जद(यू) है. यहां भी बीजेपी और जदयू के बीच सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है. एकबार तो दोनों का गठबंधन टूट भी चुका था और नीतीश कुमार ने अपने धुर विरोधी लालू प्रसाद यादव से हाथ मिलाया और सरकार का गठन किया लेकिन ये बेमेल जोड़ी नहीं चल सकी और नीतीश कुमार ने बीजेपी से हाथ मिला ही लिया. लेकिन अब क्या हो रहा है. बेगूसराय से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह समय-समय पर नीतीश कुमार को घेरते रहते हैं. नीतीश की पार्टी के भी कई नेता बीजेपी पर अपना गुस्सा जाहिर करते रहते हैं. दोनों के बीच मनमुटाव चर रहा है. जनता दल बीजेपी से अपनी नाराजगी भी व्यक्त कराती रहती है.

अब यहां हम बात कर लेते हैं झारखंड की. यहां पर भाजपा आजसू के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है.  सीटों के बंटवारे के मसले पर भाजपा के बैकफुट पर न आने के बाद पार्टी से जुड़े सूत्र इस सवाल का जवाब हां में दे रहे हैं. राज्य की कुल 81 सीटों में भाजपा अब तक 71 सीटों पर उम्मीदवार उतार चुकी है. सिर्फ 10 सीटें छोड़कर भाजपा ने गेंद आजसू के पाले में डाल रखी है.

अगर इन सीटों पर आजसू ने रुख साफ नहीं किया तो भाजपा अपने दम पर सभी सीटों पर लड़ने की तैयारी में है. भाजपा को लगता है कि चुनाव पूर्व गठबंधन से ज्यादा बेहतर है जरूरत के हिसाब से चुनाव बाद गठबंधन करना.

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2014 में भाजपा को सबसे ज्यादा 37 सीटें मिलीं थीं. भाजपा ने स्थिर सरकार देकर जनता के दिल में जगह बनाई है. भाजपा मजबूत है और अकेले लक्ष्य हासिल कर सकती है.” झारखंड में सहयोगी आजसू ने कुल 19 सीटें मांगीं थीं, जबकि पिछली बार भाजपा ने उसे आठ सीटें दीं थीं, जिसमें से उसे पांच सीटों पर जीत मिली थी.

भाजपा को लगा कि महाराष्ट्र की तरह अगर झारखंड में भी उसने गठबंधन में अधिक सीटों पर समझौता किया तो फिर मुश्किल हो सकती है. चुनावी नतीजों के बाद जब शिवसेना साथ छोड़ सकती है तो फिर झारखंड में सहयोगी दल आजसू भी आंख दिखा सकती है.

इसी वजह से पार्टी ने पिछली बार से दो ज्यादा यानी अधिकतम 10 सीट ही आजसू को ऑफर की है. यही वजह है कि भाजपा ने 10 सीटें फिलहाल छोड़ी हैं. मगर आजसू ने भी सीटों के बंटवारे पर झुकने का फैसला नहीं किया. नतीजा रहा कि आजसू ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के खिलाफ भी चक्रधरपुर से अपना प्रत्याशी उतार दिया.

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्य के विधानसभा चुनाव प्रभारी ओम माथुर सीटों के बंटवारे और गठबंधन के भविष्य की गेंद फिलहाल आजसू के पाले में डाल चुके हैं. पत्रकारों से बातचीत में वह कह चुके हैं, “भाजपा ने कुछ सीटें छोड़ी हैं, अब हम आजसू के रुख का इंतजार कर रहे हैं.”

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जोया खान की फिल्‍म ‘टीन एजर्स लव स्‍टोरी’ की शूटिंग हुई शुरू, इस एक्टर के साथ आएंगी नजर

इस फिल्‍म को चर्चित निर्देशक ब्रजभूषण डायरेक्‍ट कर रहे हैं. ब्रज भूषण ने ही इस फिल्‍म की कहानी भी लिखी है. फिल्‍म में भरत गांधी और जोया खान लीड रोल में नजर आने वाले हैं, जिन्‍होंने फिल्‍म की शूटिंग का आगाज पहले दिन शानदार शौट से किया है. यह एक पारिवारिक और यूथ बेस्‍ड फिल्‍म है, जिसमें मनोरंजन का हर अक्‍स नजर आने वाला है.

वहीं, शूट के बीच से समय निकाल कर सेट पर ही भरत गांधी ने फिल्‍म ‘टीन एजर्स लव स्‍टोरी’ को लेकर अपने एक्‍साइटेमेंट का इजहार किया और कहा कि फिल्‍म ‘टीन एजर्स लव स्‍टोरी’ से मुझे बेहद उम्‍मीद है. यह फिल्‍म मेरे करियर के लिए काफी अहम है, क्‍योंकि इसकी कहानी मुझे बेहद पसंद आई है.

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साथ ही ब्रज भूषण जैसे डायरेक्‍टर के साथ काम करने का मौका मिल रहा है. उन्‍होंने कहा कि इस फिल्‍म में हमारी और जोया की केमेस्‍ट्री दर्शकों को खूब पसंद आयेगी, क्‍योंकि हम दोनों के बीच एक पॉजिटिव वेब है और अच्‍छी अंडरस्‍टेंडिंग बन रही है.

आपको बता दें कि सिद्धि विनायक आर्टिस्टिक इमेजिनेशन के बन रही भोजपुरी फिल्‍म ‘टीन एजर्स लव स्‍टोरी’ के निर्माता प्रगति धीरज सिन्‍हा हैं. गीतकार- संगीतकार विनय बिहारी हैं. सिनेमेटोग्राफर त्रिलोकी चौधरी हैं. कला अंजनी तिवारी का है.

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फिल्‍म में भरत गांधी और जोया खान के साथ संजय पांडेय, माया यादव, अनूप अरोड़ा, पुष्‍पा वर्मा, प्रेमा किरण, अयाज खान, राजेश गुप्‍ता और गोपाल राय मुख्‍य भूमिका में नजर आने वाले हैं. मुहूर्त के औसर पर अनिल काबरा ,अमरीश सिंह,संजय भूषण पटियाला ,सीबू दा उपस्थित थे !

Bigg Boss 13: बाहर होते ही अरहान ने किया ये बड़ा खुलासा, क्या होगा रश्मि का रिएक्शन

बिग बौस सीजन 13 का माहौल दिन ब दिन रोमांचक होता जा रहा है. हर कोई घर के अंदर बने रहने के लिए अपने सर से एड़ी तक को जोर लगाता दिखाई दे रहा है. इसी दौड़ में बीते वीकेंड के वौर में सलमान खान नें इस रेस से एक कंटेस्टेंट को घर से बेघर कर दिया और उस कंटेंस्टेंट का नाम है अरहान खान. जी हां, बीते एपिसोड में कंटेंस्टेंट अरहान खान शो से बेघर हो गए जिसके बाद रश्मि देसाई अपने आंसू रोक ना पाई और नेशनल टेलिविजन पर सबसे सामने फूट फूट कर रोने लगीं.

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‘मैं रश्मि देसाई से प्यार करते हूं…’

भले ही रश्मि देसाई और अरहान खान नें अपने रिलेशलशिप को लेकर शो के अंदर ज्यादा बातचीत नहीं की और सबको यही बताया कि वे दोनों काफी अच्छे दोस्त हैं लेकिन अरहान नें शो से बाहर आते ही एक ऐसा खुलासा कर दिया जिसका रश्मि को कोई अंदाजा भी नहीं होगा. एक इंटरव्यू के दौरान अरहान खान नें बताया कि वह रश्मि देसाई से बेहद प्यार करते हैं और उन्हें शादी के लिए प्रोपोज करना चाहते हैं.

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‘प्रपोज करने से पहने ही हो गया इविक्शन…’

इंटरव्यू में अरहान नें कहा कि, “मैंने आजतक कभी रश्मि और अपने रिश्ते की खबरों पर हामी नहीं भरी है. मैने हमेशा से ही रश्मि को अपना दोस्त बताया है लेकिन बिग बौस के घर में मुझको रश्मि के साथ काफी समय बिताने को मिला. इस दौरान मैं रश्मि को काफी अच्छे तरीके से समझ पाया हूं. रश्मि के साथ रहने के बाद मुझको ये बात समझ आई है कि, हम दोनों का रिश्ता दोस्ती से बढ़ कर है. तभी तो मैं बिग बौस के घर में रश्मि देसाई को प्रपोज करने का प्लैन बना रहा था, लेकिन उससे पहले ही मेरा इविक्शन हो गया.”

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‘मैं दोबारा घर में जाकर रश्मि से प्यार का इजहार करना चाहता हूं…’

इसके आगे अरहान खान नें बताया, “अगर मैं ज्यादा समय बिग बौस के घर में रहता तो दर्शकों को हमारे बारे में काफी नई चीजें जानने को मिलती. मैं दोबारा बिग बौस के घर में जाना चाहता हूं. ऐसे में अगर मेकर्स ने दोबारा मौका दिया तो मैं घर में दोबारा जा कर रश्मि देसाई से अपने प्यार का इजहार करना चाहता हूं.” अरहान खान के इस बयान से साफ पता चल रहा है कि वे रश्मि देसाई से काई प्यार करते हैं और उनसे शादी करना चाहते हैं.

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क्या बिग बौस देंगे मौका…

तो अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या बिग बौस शो के मेकर्स अरहान खान को दोबारा मौका देंगे घर के अंदर जाने का और रश्मि से अपने दिल की बात कहने का.

शादी: भाग 1

‘‘सुनो, आप को याद है न कि आज शाम को राहुल की शादी में जाना है. टाइम से घर आ जाना. फार्म हाउस में शादी है. वहां पहुंचने में कम से कम 1 घंटा तो लग ही जाएगा,’’ सुकन्या ने सुरेश को नाश्ते की टेबल पर बैठते ही कहा.

‘‘मैं तो भूल ही गया था, अच्छा हुआ जो तुम ने याद दिला दिया,’’ सुरेश ने आलू का परांठा तोड़ते हुए कहा.

‘‘आजकल आप बातों को भूलने बहुत लगे हैं, क्या बात है?’’ सुकन्या ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा.

‘‘आफिस में काम बहुत ज्यादा हो गया है और कंपनी वाले कम स्टाफ से काम चलाना चाहते हैं. दम मारने की फुरसत नहीं होती है. अच्छा सुनो, एक काम करना, 5 बजे मुझे फोन करना. मैं समय से आ जाऊंगा.’’

‘‘क्या कहते हो, 5 बजे,’’ सुकन्या ने आश्चर्य से कहा, ‘‘आफिस से घर आने में ही तुम्हें 1 घंटा लग जाता है. फिर तैयार हो कर शादी में जाना है. आप आज आफिस से जल्दी निकलना. 5 बजे तक घर आ जाना.’’

‘‘अच्छा, कोशिश करूंगा,’’ सुरेश ने आफिस जाने के लिए ब्रीफकेस उठाते हुए कहा.

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आफिस पहुंच कर सुरेश हैरान रह गया कि स्टाफ की उपस्थिति नाममात्र की थी. आफिस में हर किसी को शादी में जाना था. आधा स्टाफ छुट्टी पर था और बाकी स्टाफ हाफ डे कर के लंच के बाद छुट्टी करने की सोच रहा था. पूरे आफिस में कोई काम नहीं कर रहा था. हर किसी की जबान पर बस यही चर्चा थी कि आज शादियों का जबरदस्त मुहूर्त है, जिस की शादी का मुहूर्त नहीं निकल रहा है उस की शादी बिना मुहूर्त के आज हो सकती है. इसलिए आज शहर में 10 हजार शादियां हैं.

सुरेश अपनी कुरसी पर बैठ कर फाइलें देख रहा था तभी मैनेजर वर्मा उस के सामने कुरसी खींच कर बैठ गए और गला साफ कर के बोले, ‘‘आज तो गजब का मुहूर्त है, सुना है कि आज शहर में 10 हजार शादियां हैं, हर कोई छुट्टी मांग रहा है, लंच के बाद तो पूरा आफिस लगभग खाली हो जाएगा. छुट्टी तो घोषित कर नहीं सकते सुरेशजी, लेकिन मजबूरी है, किसी को रोक भी नहीं सकते. आप को भी किसी शादी में जाना होगा.’’

‘‘वर्माजी, आप तो जबरदस्त ज्ञानी हैं, आप को कैसे मालूम कि मुझे भी आज शादी में जाना है,’’ सुरेश ने फाइल बंद कर के एक तरफ रख दी और वर्माजी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला.

‘‘यह भी कोई पूछने की बात है, आज तो हर आदमी, बच्चे से ले कर बूढ़े तक सभी बराती बनेंगे. आखिर 10 हजार शादियां जो हैं,’’ वर्माजी ने उंगली में कार की चाबी घुमाते हुए कहा, ‘‘आखिर मैं भी तो आज एक बराती हूं.’’

‘‘वर्माजी, एक बात समझ में नहीं आ रही कि क्या वाकई में पूरे स्टाफ को शादी में जाना है या फिर 10 हजार शादियों की खबर सुन कर आफिस से छुट्टी का एक बहाना मिल गया है,’’ सुरेश ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

‘‘लगता है कि आप को आज किसी शादी का न्योता नहीं मिला है, घर पर भाभीजी के साथ कैंडल लाइट डिनर करने का इरादा है. तभी इस तरीके की बातें कर रहे हो, वरना घर जल्दी जाने की सोच रहे होते सुरेश बाबू,’’ वर्माजी ने चुटकी लेते हुए कहा.

‘‘नहीं, वर्माजी, ऐसी बात नहीं है. शादी का न्योता तो है, लेकिन जाने का मन नहीं है, पत्नी चलने को कह रही है. लगता है जाना पड़ेगा.’’

‘‘क्यों भई…भाभीजी के मायके में शादी है,’’ वर्माजी ने आंख मारते हुए कहा.

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‘‘ऐसी कोई बात नहीं है, वर्माजी. पड़ोसी की शादी में जाना है. ऊपर वाले फ्लैट में नंदकिशोरजी रहते हैं, उन के बेटे राहुल की शादी है. मन इसलिए नहीं कर रहा कि बहुत दूर फार्म हाउस में शादी है. पहले तो 1 घंटा घर पहुंचने में लगेगा, फिर घर से कम से कम 1 घंटा फार्म हाउस पहुंचने में लगेगा. थक जाऊंगा. यदि आप कल की छुट्टी दे दें तो शादी में चला जाऊंगा.’’

‘‘अरे, सुरेश बाबू, आप डरते बहुत हैं. आज शादी में जाइए, कल की कल देखेंगे,’’ कह कर वर्माजी चले गए.

मुझे डरपोक कहता है, खुद जल्दी जाने के चक्कर में मेरे कंधे पर बंदूक रख कर चलाना चाहता है, सुरेश मन ही मन बुदबुदाया और काम में व्यस्त हो गया.

शाम को ठीक 5 बजे सुकन्या ने फोन कर के सुरेश को शादी में जाने की याद दिलाई कि सोसाइटी में लगभग सभी को नंदकिशोरजी ने शादी का न्योता दिया है और सभी शादी में जाएंगे. तभी चपरासी ने कहा, ‘‘साबजी, पूरा आफिस खाली हो गया है, मुझे भी शादी में जाना है, आप कितनी देर तक बैठेंगे?’’

चपरासी की बात सुन कर सुरेश ने काम बंद किया और धीमे से मुसकरा कर कहा, ‘‘मैं ने भी शादी में जाना है, आफिस बंद कर दो.’’

सुरेश ने कार स्टार्ट की, रास्ते में सोचने लगा कि दिल्ली एक महानगर है और 1 करोड़ से ऊपर की आबादी है, लेकिन एक दिन में 10 हजार शादियां कहां हो सकती हैं. घोड़ी, बैंड, हलवाई, वेटर, बसों के साथ होटल, पार्क, गलीमहल्ले आदि का इंतजाम मुश्किल लगता है. रास्ते में टै्रफिक भी कोई ज्यादा नहीं है, आम दिनों की तरह भीड़भाड़ है. आफिस से घर की 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में 1 से सवा घंटा लग जाता है और लगभग आधी दिल्ली का सफर हो जाता है. अगर पूरी दिल्ली में 10 हजार शादियां हैं तो आधी दिल्ली में 5 हजार तो अवश्य होनी चाहिए. लेकिन लगता है लोगों को बढ़ाचढ़ा कर बातें करने की आदत है और ऊपर से टीवी चैनल वाले खबरें इस तरह से पेश करते हैं कि लोगों को विश्वास हो जाता है. यही सब सोचतेसोचते सुरेश घर पहुंच गया.

घर पर सुकन्या ने फौरन चाय के साथ समोसे परोसते हुए कहा, ‘‘टाइम से तैयार हो जाओ, सोसाइटी से सभी शादी में जा रहे हैं, जिन को नंदकिशोरजी ने न्योता दिया है.’’

‘‘बच्चे भी चलेंगे?’’

‘‘बच्चे अब बड़े हो गए हैं, हमारे साथ कहां जाएंगे.’’

‘‘हमारा जाना क्या जरूरी है?’’

‘‘जाना बहुत जरूरी है, एक तो वह ऊपर वाले फ्लैट में रहते हैं और फिर श्रीमती नंदकिशोरजी तो हमारी किटी पार्टी की मेंबर हैं. जो नहीं जाएगा, कच्चा चबा जाएंगी.’’

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‘‘इतना डरती क्यों हो उस से? वह ऊपर वाले फ्लैट में जरूर रहते हैं, लेकिन साल 6 महीने में एकदो बार ही दुआ सलाम होती है, जाने न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है,’’ सुरेश ने चाय की चुस्कियों के बीच कहा.

‘‘डरे मेरी जूती…शादी में जाने की तमन्ना सिर्फ इसलिए है कि वह घर में बातें बड़ीबड़ी करती है, जैसे कोई अरबपति की बीवी हो. हम सोसाइटी की औरतें तो उस की शानशौकत का जायजा लेने जा रही हैं. किटी पार्टी का हर सदस्य शादी की हर गतिविधि और बारीक से बारीक पहलू पर नजर रखेगा. इसलिए जाना जरूरी है, चाहे कितना ही आंधीतूफान आ जाए.’’

सुकन्या की इस बात को उन की बेटी रोहिणी ने काटा, ‘‘पापा, आप को मालूम नहीं है, जेम्स बांड 007 की पूरी टीम साडि़यां पहन कर जासूसी करने में लग गई है. इन के वार से कोई नहीं बच सकता है…’’

सुकन्या ने बीच में बात काटते हुए कहा, ‘‘तुम लोगों के खाने का क्या हिसाब रहेगा. मुझे कम से कम बेफिक्री तो हो.’’

‘‘क्या मम्मा, अब हम बच्चे नहीं हैं, भाई पिज्जा और बर्गर ले कर आएगा. हमारा डिनर का मीनू तो छोटा सा है, आप का तो लंबाचौड़ा होगा,’’ कह कर रोहिणी खिलखिला कर हंस पड़ी. फिर चौंक कर बोली, ‘‘यह क्या मां, यह साड़ी पहनोगी…नहींनहीं, शादी में पहनने की साड़ी मैं सिलेक्ट करती हूं,’’ कहतेकहते रोहिणी ने एक साड़ी निकाली और मां के ऊपर लपेट कर बोली, ‘‘पापा, इधर देख कर बताओ कि मां कैसी लग रही हैं.’’

‘‘एक बात तो माननी पड़ेगी कि बेटी मां से अधिक सयानी हो गई है, श्रीमतीजी आज गश खा कर गिर जाएंगी.’’

तभी रोहन पिज्जा और बर्गर ले कर आ गया, ‘‘अरे, आज तो कमाल हो गया. मां तो दुलहन लग रही हैं. पूरी बरात में अलग से नजर आएंगी.’’

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