तब मेरी उम्र 14-15 साल रही होगी. मेरी मौसी के बेटे की शादी थी. गरमी की छुट्टियां थीं तो वहां जाना कोई बड़ा मसला नहीं था. एक दिन की बात है. खेतों में गेहूं की कटाई चल रही थी. मौसी का पूरा परिवार खेत में था.

दोपहर में कोई नौजवान बाबा वहां आया और सब के हाथ देख कर भविष्य बताने लगा. मेरे बारे में उस बाबा ने 2 अहम बातें कही थीं.

पहली यह कि मैं 84 साल तक जिऊंगा और दूसरी यह कि बड़ा हो कर मैं वकील बनूंगा. बाद में मौसी ने उस बाबा को खाना और अनाज दिया था.

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अब उस बाबा की भविष्यवाणी पर आते हैं. मेरी उम्र के बारे में बाबा ने शिगूफा छोड़ा था, क्योंकि यह तो कोई नहीं बता सकता कि कोई कितना जिएगा, पर बाबा की कही दूसरी बात भी गलत ही साबित हुई. मैं वकील नहीं बना. मतलब, मेरे मन में कभी दूरदूर तक खयाल नहीं आया कि इस फील्ड में हाथ आजमाया जाए.

लेकिन उस बाबा की कही ये बातें आज भी मेरे मन में क्यों उमड़घुमड़ रही हैं? शायद उस बाबा के गेटअप का असर था. दाढ़ीमूंछ, भगवा कपड़े, हाथ में लाठी और कमंडल. उस बाबा के बात करने का तरीका भी लुभावना था और चूंकि उसे किसी के भी भविष्य को बताने या उस की मुसीबतों से छुटकारा दिलाने का धार्मिक लाइसैंस मिला हुआ था, इसलिए इधरउधर की हांक कर वह अपने 2-4 दिन के खाने का जुगाड़ कर गया था, बिना अपने शरीर या दिमाग को कष्ट दिए.

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