अंधविश्वास की बेडि़यों में समाज के केवल अनपढ़ या निचले और थोड़े ऊंचे तबके के लोग ही नहीं जकड़े हुए हैं, बल्कि अपनी काबिलीयत का दंभ भरने वाले पढ़ेलिखे और ऊंचे तबके के लोग भी इस की गिरफ्त में हैं.

लोगों की आदत कुछ इस तरह हो गई है कि अखबार और पत्रपत्रिकाओं को पढ़ने के बजाय वे सोशल मीडिया में आने वाली खबरों पर यकीन करने लगे हैं. लोग किसी खबर या घटना के सही या गलत होने की पड़ताल न कर के कहीसुनी बातों पर भरोसा कर के भेड़चाल चलने लगे हैं.

इसी भेड़चाल का नजारा नवरात्र के मौके पर मध्य प्रदेश के हिल स्टेशन पिपरिया, पचमढ़ी से लगे सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र में देखने को मिला. पिपरिया से तकरीबन 17 किलोमीटर दूर नयागांव ग्राम पंचायत के तहत कोड़ापड़रई गांव के जंगल में एक महुआ के पेड़ को महज छूने भर से लोगों की शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होने की खबर सोशल मीडिया पर क्या वायरल हुई, हजारों की तादाद में अंधभक्तों की भीड़ वहां जमा होने लगी.

ये भी पढ़ें- धोखाधड़ी: क्लर्क से बना कल्कि अवतार

हमारे देश में गरीबी की एक वजह यह भी है कि यहां लोग कामधंधा छोड़ कर चमत्कारों के पीछे भागने लगते हैं.

महुआ के चमत्कारिक पेड़ का राज जानने के लिए शरद पूर्णिमा के दिन मैं अपने पत्रकार दोस्त के साथ वहां पहुंचा तो वहां का नजारा देख कर हम दंग रह गए. सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच कोरनी और कुब्जा नदी को पार कर हम वहां पहुंच गए.

महुआ के पेड़ के चारों ओर हजारों की तादाद में मर्दऔरतों की भीड़ जमा थी. पेड़ के आसपास नारियल, अगरबत्ती के खाली पैकेट और प्लास्टिक की पन्नियों का ढेर लगा था. लोग अपने हाथों में जलती हुई अगरबत्ती और नारियल ले कर महुआ के पेड़ के चक्कर लगा रहे थे.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...