बनते बिगड़ते रिश्ते : दाने-दाने को मुहताज हुआ रमेश

उन दिनों रमेश बहुत ज्यादा माली तंगी से गुजर रहा था. उसे कारोबार में बहुत ज्यादा घाटा हुआ था. मकान, दुकान, गाड़ी, पत्नी के गहने सब बिकने के बाद भी बाजार की लाखों रुपए की देनदारियां थीं. आएदिन लेनदार घर आ कर बेइज्जत करते, धमकियां देते और घर का जो भी सामान हाथ लगता, उठा कर ले जाते.

रमेश ने भी अनेक लोगों को उधार सामान दिया था और बदले में उन्होंने जो चैक दिए, वे बाउंस हो गए. वह उन के यहां चक्कर लगातेलगाते थक गया, मगर किसी ने भी न तो सामान लौटाया और न ही पैसे दिए.

थकहार कर रमेश ने उन लोगों पर केस कर दिए, मगर केस कछुए की चाल से चलते रहे और उस की हालत बद से बदतर होती चली गई.

जब दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो गया, तो रमेश को अपने पुराने दोस्तों की याद आई. बच्चों की गुल्लक तोड़ कर किराए का इंतजाम किया. कुछ पैसे पत्नी कहीं से ले आई और वह अपने शहर की ओर चल दिया.

पृथ्वी रमेश का सब से अच्छा दोस्त था. रमेश को पूरी उम्मीद थी कि वह उस की मदद जरूर करेगा.

अपने शहर बीकानेर आ कर रमेश सीधा अपनी मौसी के घर चला गया. वहां से नहाधो कर व खाना खा कर वह पृथ्वी के घर की ओर चल दिया.

शनिवार का दिन था. रमेश को पृथ्वी के घर पर मिलने की पूरी उम्मीद थी. वह मिला भी और इतना खुश हुआ, जैसे न जाने कितने सालों बाद मिले हों. इस के बाद वे पूरे दिन साथ रहे. रमेश पृथ्वी से पैसे के बारे में बात करना चाहता था, मगर झिझक की वजह से कह नहीं पा रहा था.

वे एक रैस्टोरैंट में बैठ गए. रमेश ने हिम्मत जुटाई और बोला, ‘‘यार पृथ्वी, एक बात कहनी थी.’’

‘‘हांहां, बोल न,’’ पृथ्वी ने कहा.

इस के बाद रमेश ने उसे अपनी सारी कहानी सुनाई. पृथ्वी गंभीर हो गया और बोला, ‘‘तेरी हालत तो खराब ही है. तू बता, मुझ से क्या चाहता है?’’

‘‘यार, वैसे तो मुझे लाखों रुपए की जरूरत है, मगर तू भी सरकारी नौकरी करता है, इसलिए फिलहाल अगर तू मुझे 3 हजार रुपए भी उधार दे देगा, तो मैं घर में राशन डलवा लूंगा.’’

‘‘कोई बात नहीं. सुबह ले लेना.’’

‘‘तो फिर मैं कितने बजे फोन करूं?’’

‘‘तू मत करना, मैं खुद ही कर लूंगा.’’

रमेश के सिर से एक बड़ा बोझ सा उतर गया था. उस ने चैन की सांस ली. इस के बाद उन्होंने काफी देर तक बातचीत की और बाद में वह रमेश को उस की मौसी के घर तक अपनी मोटरसाइकिल पर छोड़ गया.

रमेश ने पृथ्वी को बताया कि उस की ट्रेन दोपहर 2 बजे जाएगी. उस ने रमेश को भरोसा दिलाया कि वह सुबह ही 3 हजार रुपए पहुंचा देगा.

रमेश ऐसी गहरी नींद सोया कि आंखें 9 बजे ही खुलीं. नहाधो कर तैयार होने तक साढ़े 10 बज गए. पृथ्वी का फोन अभी तक नहीं आया था.

रमेश ने फोन किया, तो पृथ्वी का मोबाइल स्विच औफ ही मिला.

रमेश की ट्रेन आई और उस की आंखों के सामने से चली भी गई. उस का मन बुझ सा गया था. उस ने कोशिश करना छोड़ दिया. उस की सूरत ऐसी लग रही थी, जैसे किसी ने गालों पर खूब चांटे मारे हों. उस की आंखों में आंसू तो नहीं थे, मगर एक सूनापन उन में आ कर जम सा गया था. वह काफी देर तक प्लेटफार्म के एक बैंच पर बैठा रहा.

‘‘अरे, रमेश? तू रमेश ही है न?’’

रमेश ने आंखें उठा कर देखा. वह सत्यनारायण था. उस का एक पुराना दोस्त. वह एक गरीब घर से था और रमेश ने कभी भी उसे अहमियत नहीं दी थी.

‘‘हां भाई, मैं रमेश ही हूं,’’ उस ने बेमन से कहा.

‘‘रमेश, मुझे पहचाना तू ने? मैं सत्यनारायण. तुम्हारा दोस्त सत्तू…’’

‘‘क्या हालचाल है सत्तू?’’ रमेश थकीथकी सी आवाज में बोला.

‘‘मैं तो ठीक हूं, मगर तू ने यह क्या हाल बना रखा है? दाढ़ी बढ़ी हुई है और कितना दुबला हो गया है. चल, बाहर चल कर चाय पीते हैं.’’

रमेश की इच्छा तो नहीं थी, मगर सत्यनारायण का जोश देख कर वह उस के साथ हो लिया. वे एक रैस्टोरैंट में आ बैठे और चाय पीने लगे.

‘‘और सुना रमेश, कैसे हालचाल हैं?’’ सत्यनारायण ने पूछा.

‘‘हालचाल क्या होंगे? जिंदा बैठा हूं न तेरे सामने,’’ रमेश ने बेरुखी से कहा.

यह सुन कर सत्यनारायण गंभीर

हो गया, ‘‘बात क्या है रमेश? मुझे बताएगा?’’

‘‘क्या बताऊं? यह बताऊं कि वहां मेरे बच्चे भूखे बैठे हैं और सोच रहे हैं कि पापा आएंगे, तो घर में राशन आएगा. पापा आएंगे, तो वे फिर से स्कूल जाएंगे. पापा आएंगे, तो नए कपड़े सिला देंगे. क्या बताऊं तुझे?’’

सत्यनारायण हक्काबक्का सा रमेश का चेहरा देख रहा था.

‘‘मैं तुझ से कुछ नहीं पूछूंगा रमेश. कितने पैसों की जरूरत है तुझे?’’ सत्यनारायण ने पूछा.

रमेश ने सत्यनारायण को ऊपर से नीचे तक देखा. साधारण से कपड़े, साधारण सी चप्पलें, यह उस की क्या मदद करेगा?

‘‘2 लाख रुपए चाहिए, क्या तू देगा मुझे?’’ रमेश ने कहा.

‘‘रमेश, मैं ने अपना सारा पैसा कारोबार में लगा रखा है. अगर तू मुझे कुछ दिन पहले कहता, तो मैं तुझे

2 लाख रुपए भी दे देता. यह बता कि फिलहाल तेरा कितने पैसों में काम चल जाएगा?’’ सत्यनारायण ने पूछा.

‘‘3 हजार रुपए में.’’

‘‘तू 10 मिनट यहां बैठ. मैं अभी आया,’’ कह कर सत्यनारायण वहां से चला गया.

रमेश को यकीन नहीं था कि सत्यनारायण लौट कर आएगा. अब तो लगता है कि चाय के पैसे भी मुझे ही देने पड़ेंगे.

इसी उधेड़बुन में 10 मिनट निकल गए. रमेश उठ ही रहा था कि उस ने सत्यनारायण को आते देखा.

सत्यनारायण की सांसें तेज चल रही थीं. बैठते ही उस ने जेब में हाथ डाला और 50 के नोटों की एक गड्डी रमेश के सामने रख दी.

‘‘यह ले पैसे…’’

रमेश को यकीन नहीं आ रहा था.

‘‘मगर, मुझे तो सिर्फ 3 हजार…’’ रमेश मुश्किल से बोला.

‘‘रख ले, तेरे काम आएंगे.’’

‘‘सत्तू, मैं तेरा एहसान कभी नहीं भूलूंगा.’’

‘‘क्या बकवास कर रहा है? दोस्ती में कोई एहसान नहीं होता है.’’

‘‘लेकिन, मैं ये पैसे तुझे 3-4 महीने से पहले नहीं लौटा पाऊंगा.’’

‘‘जब तेरे पास हों, तब लौटा देना. मैं कभी मांगूंगा भी नहीं. तुझ पर मुझे पूरा भरोसा है,’’ सत्यनारायण ने कहा, तो रमेश कुछ बोल नहीं पाया.

‘‘अब मैं निकलता हूं. चाय के पैसे दे कर जा रहा हूं. तुझे 5 बजे वाली ट्रेन मिल जाएगी, तू भी निकल. बच्चे तेरा इंतजार कर रहे होंगे.’’

सत्यनारायण चला गया. रमेश उसे दूर तक जाते देखता रहा. इस वक्त ये 5 हजार रुपए उस के लिए लाखों रुपए के बराबर थे. वह जिस इनसान को हमेशा छोटा समझता रहा, आज वही उस के काम आया.

रमेश वापस अपने घर लौट गया. 2-3 महीने का तो इंतजाम हो गया था. इस के बाद उस ने फिर से काम की तलाश शुरू कर दी.

एक दिन रमेश को कपड़े की दुकान पर सेल्समैन का काम मिल गया. तनख्वाह कम थी, मगर जीने के लिए काफी थी.

इस के बाद समय अचानक बदला. 3 मुकदमों का फैसला रमेश के हक में गया. जेल जाने से बचने के लिए लोगों ने उस की रकम वापस कर दी. कुछ दूसरे लोग डर की वजह से फैसला होने से पहले ही पैसे दे गए. 6 महीने में ही पहले जैसे अच्छे दिन आ गए.

रमेश ने फिर से कारोबार शुरू कर दिया. इस वादे के साथ कि पहले जैसी गलतियां नहीं दोहराएगा.

रमेश ने सत्यनारायण के पैसे भी लौटा दिए. उस ने ब्याज देना चाहा, तो सत्यनारायण ने साफ मना कर दिया.

इन सब बातों को आज 10 साल से भी ज्यादा हो गए हैं. रमेश कारोबार के सिलसिले में अपने शहर जाता रहता है. किसी शादी या पार्टी में पृथ्वी से भी मुलाकात हो ही जाती है. पूरे समय वह अपने नए मकान या नई गाड़ी के बारे में ही बताता रहता है और रमेश सिर्फ मुसकराता रहता है.

रमेश का पूरा समय तो अब सिर्फ सत्यनारायण के साथ ही गुजरता है. वह जितने दिन वहां रहता है, उसी के घर में ही रहता है.

रमेश ने बहुत बुरा वक्त गुजारा. ये बुरे दिन हमें बहुतकुछ सिखा भी जाते हैं. हमारी आंखों पर जमी भरम की धुंध मिट जाती है और हम सबकुछ साफसाफ देखने लगते हैं.

सेक्स पावर बढ़ाने की दवाइयों से रहें दूर, हो सकते हैं ये नुकसान

आप ने ऐसे कई विज्ञापन देखे होंगे जिन में सेक्स समस्याओं को खत्म करने और सेक्स पावर बढ़ाने की दवाओं के बारे में बताया जाता है. यों तो सेक्स पावर बढ़ाने का दावा कई दवा कंपनियां करती हैं, लेकिन सवाल है कि इन पर कितना विश्वास किया जाए. इस पर विचार करें. लेकिन आंखें बंद कर के भरोसा न करें. आप को ऐसे विज्ञापनों से सावधान रहने  की जरूरत है.

1.  बौडी पर बुरा प्रभाव 

ऐसी दवाएं किसी मान्यताप्राप्त लैब में नहीं, बल्कि झोलाछाप नीमहकीमों द्वारा बनाई जाती हैं, जिन्हें दवा बनाने की कोई साइंटिफिक जानकारी नहीं होती. इधरउधर, गांव के बुजुर्गों से मिले अधकचरे ज्ञान के आधार पर वे इन्हें तैयार करते हैं. दवा में किस चीज की मात्रा कितनी होनी चाहिए और कौन सी 2 चीजें एक ही दवाई में होने पर रिएैक्ट करेंगी, इस बारे में भी इन लोगों को कोई जानकारी नहीं होती है.

ये दवाएं सरकार द्वारा मान्यताप्राप्त भी नहीं होती हैं. यही वजह है कि जब इन का सेवन किया जाता है तो ये शरीर पर गलत असर डालती हैं. कई बार तो इन के सेवन से धीरेधीरे शरीर के अंग भी काम करना बंद कर देते हैं. इसलिए वही दवाएं लें जो आप की समस्या के अनुसार मान्यताप्राप्त डाक्टर द्वारा दी गई हों.

2.  डोज का सही होना जरूरी

परेशानी चाहे तन से जुड़ी हो या मन से, उस का निवारण तभी हो सकता है जब उस की काट के लिए दवा सही मात्रा में ली जाए. इस के लिए जरूरी है कि सही डाक्टर से उचित देखरेख में ही यह काम किया जाए. लेकिन झोलाछाप, ओझा आदि पैसे बनाने के लिए और अधिक से अधिक दवा की बिक्री के लिए ज्यादा डोज लेने को कहते देते हैं. उन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं होता कि इस से मरीज की सेहत पर क्या दुष्प्रभाव पड़ेगा. इन चक्करों में पड़ने से बचें.

3. दवा के साइड इफैक्ट्स

कामोत्तेजना बढ़ाने वाली वियाग्रा जैसी कई दवाओं के भ्रामक विज्ञापन अखबारों की सुर्खियां बनते रहते हैं और युवा पीढ़ी इस ओर जल्द आकर्षित होती है और इन दवाओं का सेवन शुरू करती है. थोड़ा सा असर दिखने पर युवाओं को यह एक नशे के जैसा लगने लगता है और वे खुद ही इस की मात्रा बढ़ा देते हैं ताकि और मजे लिए जा सकें. मजे का तो पता  नहीं लेकिन इन दवाओं का साइड इफैक्ट होने लगते हैं और मरीज को थकान व कमजोरी जैसी समस्याएं महसूस होने लगती हैं. ऐसी कोई भी दवा लेने से बचें और अगर ले रहे हैं तो उन दवाओं के बारे में इंटरनैट पर पूरी जानकारी लें और फिर सोचविचार के बाद ही उन्हें खरीदने के बारे में सोचें.

4. अति हर चीज की बुरी

सेक्स पावर बढ़ाने जैसी कई दवाओं के विज्ञापन आएदिन छपते रहते हैं, लेकिन ये सभी सही नहीं होते हैं. सेक्स की हर व्यक्ति की अपनी इच्छा और क्षमता होती है. इसे किसी दूसरे से कंपैरिजन नहीं किया जा सकता है. इसलिए कहीं  पढ़ कर ऐसा न सोचें कि आप भी ये दवाएं खा कर हृष्टपुष्ट हो जाएंगे.

यदि अगर वास्तव में कोई दिक्कत है तो अपने डाक्टर से कंसल्ट करें और अपने अच्छे खानपान और पूरी नींद जैसी बातों पर ध्यान दें. इन विज्ञापनों के बारे में सोच कर ज्यादा ऐक्साइटेड न हों क्योंकि अति हर चीज की बुरी होती है. अगर आप की सेक्सलाइफ बिना कुछ किए ही अच्छी चल रही है तो फिर इन दवाओं का सेवन करना बेकार है.

5. गर्भ निरोधक गोलियां

गर्भ रोकने वाली दवाओं को बारबार लेने के घातक परिणाम हो सकते हैं. स्त्रियों के प्रजन्न अंगों पर इन का विपरीत प्रभाव पड़ सकता है. उपयोग करने के इच्छुकों को चाहिए कि वे डाक्टर से दवाओं के साइड इफैक्ट, उन के असफल होने की आशंकाएं और गर्भाशय से बाहर गर्भधारण की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर लें. यदि अगला मासिकधर्म न आए या मासिकधर्म के समय बहुत अधिक खून बहने लगे, तो हकीमों के पास जाने के बजाय तुरंत डाक्टर से जांच करवाएं.

डाक्टर से जांच करवा कर यह सुनिश्चित कर लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार महिला इस दवा को लेने के लिए सक्षम है या नहीं. आपात गर्भनिरोधक गोलियों का विज्ञापन जिस तरह से किया जा रहा है उस से समाज में और विशेषरूप से युवावर्ग में यह भ्रांति फैल रही है कि बिना किसी डर के यौन संबंध बनाओ, गोली है न. लेकिन ऐसा नहीं है. युवाओं को इस बात का खयाल रखना चाहिए कि इन गोलियों की जरूरत ही न पड़े.

ऐसा न हो कि आपात गोली आफत की गोली बन जाए. इसलिए डाक्टर से मिलें और किसकिस तरह के प्रोटैक्शन होते हैं और आप दोनों में से कौन सा प्रोटैक्शन लेना ज्यादा बेहतर होगा, आदि के बारे में बात कर के ही कोई प्रोटैक्शन यूज करें. सिर्फ इन विज्ञापनों में दी गई गोली का नाम पढ़ कर ही लेना शुरू न करें.

6. वियाग्रा का इस्तेमाल न करें

प्रिस्क्रिप्शन पर दी गई परफौर्मेंस बढ़ाने वाली दवाओं जैसे वियाग्रा का उपयोग कभी न करें, क्योंकि इन्हें पहले से ब्लडप्रैशर जैसी कंडीशन होने पर, लेना सुरक्षित नहीं होता, साथ ही, अगर आप शुगर की बीमारी से पीडि़त हैं तो भी यह दवा लेना सही नहीं है. यह आप के डाक्टर का काम है कि आप के लिए ऐसी दवा लिखें जो आप के लिए सुरक्षित हों और आप को बताएं कि आप को कितनी डोज से इन्हें लेने की शुरुआत करनी चाहिए. विशेषरूप से जब आप पहले से आप द्वारा ली जाने वाली दवाओं के साथ इन्हें लेने का प्लान बना रहे हों.

7. हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बनी दवाओं से सावधान

आप सेक्स की इच्छा बढ़ाने का दावा करने वाली हर्ब्स और हर्बल मिश्रण से बच कर रहें. इन में से कुछ के कारण असुविधाजनक इरैक्शन हो सकता है जो घंटों तक वापस नहीं आता और योहिम्बे जैसी हर्ब आप के हृदय की गति को बढ़ा कर कार्डियक अरैस्ट  की आशंका को बढ़ा देती है. इसलिए इन्हें लेने से पहले हमेशा अपने डाक्टर की सलाह लें.

8. स्टैरौयड न लें

गैरकानूनी स्टैरौयड आप की सेक्स इच्छा बढ़ा तो सकते हैं लेकिन बाद में आप को इस की महंगी कीमत चुकानी पड़ती है. ये आप के हृदय को नुकसान पहुंचा सकते हैं और शरीर में ऐसे अपरिविर्तनीय बदलाव ला सकते हैं जिन से आप कभी भी पूरी तरह से नहीं उबर नहीं सकते. बजाय इस के ऐसे प्राकृतिक और कानूनी रूप से वैध सप्लीमैंट का उपयोग करें जो स्टैरौयड के समान ही प्रभाव रखते हैं और आप को स्थायी रूप से कोई हानि भी नहीं पहुंचाते.

सैक्स के दौरान हो सकता है हार्टअटैक, पढ़ें खबर

Sex Tips: सेक्स के कारण दिल का धड़कना बंद हो जाए, यह दुर्लभ होता है. यूएसए टुडे की संवाददाता किम पेंटर का कहना है कि एक बड़ी शोध के अनुसार यह तथ्य सामने आया है कि सेक्स के दौरान या इसके बाद आमतौर पर हृदय गति रुकना बहुत कम अवसरों पर होता है और अगर ऐसा होता भी है तो यह आम तौर पर एक पुरुष के साथ ज्यादा होता है.

1 हजार महिलाओं में से किसी एक को तकलीफ…

शोध में बताया गया है कि एकाएक दिल की धड़कन रुकने के एक सौ मामलों में मात्र एक मामला सेक्स से जुड़ा होता है और एक हजार महिलाओं में से किसी एक को यह तकलीफ होती है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वैज्ञानिक बैठक के दौरान पेश किया गया था. इस अध्ययन को जर्नल औफ द अमेरिकन कौलेज औफ कार्डियोलाजी में प्रकाशित किया गया है.

सेक्स से संबंधित खतरा बहुत कम…

सीडार्स-सिनाई हार्ट इंस्टीट्यूट, लॉस एंजिलिस के एक कार्डियोलाजिस्ट और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक सुमित चुघ का कहना है कि हृदय रोग से पीड़ित लोग इस बात को लेकर चिंतित रहते हैं कि सेक्स खतरनाक हो सकता है, लेकिन आज हम कह सकते हैं कि इससे संबंधित खतरा बहुत कम है.

इन लोगों को ज्यादा खतरा…

एकाएक हृदयगति रुक जाने का कारण एक इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी है जिसके चलते दिल धड़कना बंद हो जाता है. इसके ज्यादातर शिकार मारे जाते हैं लेकिन यह हृदयाघात से अलग स्थिति है क्योंकि इसके अंतर्गत हृदय को रक्त प्रवाह का बहाव रुक जाता है. लेकिन जिन लोगों को पहले भी हृदयाघात हो चुका है या फिर उनको हृदय संबंधी तकलीफें होती हैं, उनको हृदय गति रुकने का खतरा ज्यादा होता है.

बच्‍चों को टारगेट बनाने वाले सीरियल रेपिस्‍ट की सच्‍ची कहानी

एक ऐसा सीरियल रेपिस्ट और हवसखोर दरिंदा, जो न सिर्फ छोटेछोटे बच्चों और किशोरों के साथ यौन शोषण करता था, अश्लील वीडियो बना कर ब्लैकमेल पर भी उतारु हो जाता था…

अकसर आप ने टीवी सीरियल्स में रेपिस्ट और हवसखोर दरिंदों की कहानियां सुनी और देखी होंगी जो इंसान को शर्मसार करने के साथसाथ उस के अंदर छिपे शैतान को भी उजागर कर देती है. समाज में छिपे ऐसे भेङिए को पहचाना यों तो आसान नहीं होता मगर आज हम आप को एक ऐसे दरिंदे की कहानी बताने जा रहे हैं जो सभ्य समाज के मुंह पर एक तमाचा ही है।

जानिए, एक ऐसे दरिंदे शख्स को जो महिलाओं और लड़कियों को नहीं, बल्कि छोटे लड़के और किशोरों को अपने हवस का शिकार बनाता था. यह सनकी उन के साथ यौन संबंध बनाता और फिर उसी दौरान उन की अश्लील वीडियो भी बना लेता था. वीडियो बनाने के बाद शुरू होता था इस दरिंदे का ब्लैकमेलिंग का खेल.

सनसनीखेज वारदात

यह घटना है उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले मे बने सरुरपुर थाना की, जहां की एक सनसनीखेज वारदात सामने आई है.

जब पिछले 19 अगस्त को सोशल मीडिया पर 2-3 अश्लील वीडियो वायरल होना शुरू हुआ तो पुलिस ने अपने हाथ फैलाने शुरू कर दिए। जब इस शख्स को सूचना मिल गई कि पुलिस आने वाली है तो वह गांव से फरार हो गया. उस के बाद मेरठ पुलिस के द्वारा इस आरोपी को गिरप्तार कर लिया गया.

इस आरोपी की पहचान अजीत कुमार के तौर पर की गई है. यह आरोपी उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ के एक गांव का रहने वाला है और अपने गांव में एक दुकान चलाता है.

पुलिस की पूछताछ

पुलिस ने जब इस दरिंदे से पूछताछ की तो आरोपी ने बताया कि वहां छोटे बच्चों और किशोरों को अपने कमरे पर बुला कर उन को नशीले पदार्थ खिलाता था, फिर उन के साथ कुकर्म करता था और फिर वीडियो बना लेता था.

आरोपी ने कहा कि मैं ने अपने कमरे में सीसीटीवी कैमरा लगवा दिए थे ताकि यौन और कुकर्म की वीडियो बना कर छोटे बच्चों और किशोरों को ब्लैकमेल कर के उन से पैसे वसूल सकूं। मैं ने गांव के कई लोगों के साथ संबंध भी बनाए और उन के साथ कमरे मे अश्लील वीडियो भी बनाए.

बयान दर्ज

पीड़ित मातापिता के द्वारा जब पुलिस को अपराधी के खिलाफ बताया गया तो पुलिस ने आरोपी के खिलाफ कड़ा ऐक्शन लिया।

गांव की एक महिला ने बताया कि आरोपी बच्चों के साथ कुकर्म करता था. फिर वीड़ियो बना कर सोशल मीडिया पर वायरल कर देता था और उन से पैसे वसूलता था.

इसी गांव के एक अन्य युवक का कहना है कि मेरा बेटा आगरा में काम करता है. आरोपी ने मेरे बेटे के साथ मारपीट की थी, लेकिन उस ने घर पर नहीं बताया था बल्कि उस ने झूठ बोला था कि बाइक से मेरा ऐक्सीडैंट हो गया था.

इस पूरे मामले पर मेरठ के एसएसपी कमलेश बहादुर ने बताया कि मामला जब आया तब आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे. उन्होंने कहा कि यह अपराधी नाबालिग छोटे बच्चों के साथ यौन और कुकर्म करता था.

ऐसे आया पकङ में

आखिरकार इस आरोपी के खुलासे का परदाफाश तब हुआ जब सोशल मीडिया पर आपतिजनक अश्लील वीडियो वायरल हुआ.

पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस को आरोपी के पास एक लैपटौप भी मिला है। उस का मोबाइल भी बरामद कर लिया गया है. लैपटौप, मोबाइल दोनों को फोरैंसिक टीम को भेज दिया गया है.

आरोपी के पास 350 से ज्यादा अश्लील वीडियो थे जो उस ने पुलिस की गिरफ्तारी से पहले डिलीट कर दिए .

एसएसपी ने कहा है कि पुलिस ने जांचपड़ताल की तो इस अपराधी ने 6 लड़कों के साथ कुकर्म किया है. लेकिन गांव के लोगों का कहना है कि इस अपराधी ने 100 से ज्यादा लड़कों के साथ कुकर्म किया है. पुलिस जांच में लगी हुई कि इस ने कितने लोगों को अपना शिकार बनाया।

Varun Dhawan का ऐक्‍शन और वामिका का देह प्रदर्शन पर नया दांव ‘बेबी जौन’

‘बेबी जौन’ का ट्रैलर किसी को भी रोमांचित करने के लिए काफी है. ऐक्‍शन से भरपूर इस मूवी में वरुण धवन का पुलिस का कैरेक्‍टर और वामिका गब्‍बी का सैक्‍सी रूप युवाओं का दिल चुरा लेगा. 1 मिनट, 57 सैकंड का इस का टीजर जबरदस्‍त समां बांध रहा है. इसे देखने के बाद लग रहा है कि ऐक्‍शन के शौकीन लोगों को यह मूवी काफी पसंद आने वाली है.

‘बेबी जौन’ मूवी का यह डायलौग टीजर के रिलीज होने के बाद से चर्चा में है, “मेरे जैसे बहुत आए होंगे लेकिन मैं पहली बार आया हूं.”

मूवी में इस डायलौग को वरुण धवन बोलते हुए दिखेंगे. इस मूवी का नाम भले ही ‘बेबी जौन’ हो लेकिन इस वजह से वरुण को बेबी समझने की भूल करना बेमानी होगा. इस से पहले कुछ मूवीज में वरुण ने ऐक्‍शन हीरो का रोल निभाया है, इस में ‘बदलापुर’ और ‘भेड़िया’ अहम हैं, लेकिन इस मूवी के रिलीज होने के बाद यह वरुण की ऐक्‍शन मूवीज में सब से टौप की साबित होगी. इस का टीजर ‘सिंघम अगेन’ के साथ ही 1 नवंबर को सिनेमाघरों में दिखा दिया गया था. अब इसे सोशल मीडिया प्‍लेटफौर्म पर जारी किया है, जिस के बाद इस के वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं. शाहरुख खान की मूवी ‘जवान’ के डायरैक्‍टर एटली इस के प्रोड्यूसर हैं जबकि इसे डायरैक्‍ट किया है कलीस ने.

इस टीजर के बैकग्राउंड में एक बच्‍चे की आवाज सुनाई देती है. बच्‍चा कह रहा है, “चींटी अकेले हो, तो उसे कुचलना आसान है लेकिन अगर सारी चीटियां मिल जाएं, तो हाथी को भी हरा सकती हैं”. इस टीजर में बच्‍चे का चेहरा तो नहीं दिखता लेकिन उसके उछलनेकूदने के सीन नजर आते हैं. वहीं वरुण को पुलिस की वरदी में देख कर लगता है कि वरुण एक पुलिस वाले बने हैं. बेशक एटली की मूवी होने की वजह से इस के टीजर में ‘जवान’ का टच साफ नजर आता है.

इस मूवी में एक खूबसूरती का तड़का लगाने का करती नजर आएंगी वामिका गब्‍बी और कीर्ति सुरेश. सच कहा जाए, तो कीर्ति की ब्‍यूटी पर वामिका का देह प्रदर्शन ज्‍यादा कमाल दिखाता नजर आएगा. तेलुगु मूवीज की यह ऐक्‍ट्रैस अपनी बोल्‍डनैस के लिए जानी जाती हैं. पिछले साल साउथ में इन की 6 मूवीज आई थीं.

हीरोहीरोइन के बाद बात आती है विलेन की. आजकल ऐक्‍टर्स विलेन की भूमिकाएं करने लगे हैं, जैसे अर्जुन कपूर को ‘सिंघम अगेन’ में नैगेटिव रोल में देखा गया. इस मूवी में जैकी श्रौफ को नैगेटिव रोल में देखा जाएगा. जैकी श्रौफ बहुत ही कम देर के लिए नजर आते हैं लेकिन उतनी ही देर में वे धांसू लग रहे हैं.

यह मूवी साल के आखिर में रिलीज होगी. 25 दिसंबर 2024 को यह सिनेमा के परदे पर ढिशूमढिशूम करती दिखेगी. हालांकि दिसंबर महीने में साउथ की एक और बड़ी मूवी ‘पुष्‍पा 2’ रिलीज होने वाली है. यह 5 दिसंबर को रिलीज होगी. इस में रश्मिका मंदाना और अल्‍लू अर्जुन नजर आएंगे.

इस बात से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता है कि इन दोनों मूवीज के बीच आमनेसामने की टक्‍कर न सही, लेकिन टक्‍कर तो है ही.

जबसे मैंने गर्लफ्रैंड को नहाते देखा है तबसे उसके साथ सैक्स करना चाहता हूं.

अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें..

सवाल –

मेरी उम्र 21 साल है और मेरी एक फीमेल बैस्ट फ्रैंड है जो मेरे साथ स्कूल टाइम से है और अब हम दोनों का कालेज भी सेम ही है तो हम दोनों साथ में खूब मौजमस्ती करते हैं. हम दोनों के घर वालों को भी हमारी दोस्ती के बारे में पता है. रोज हम दोनों कालेज साथ जाते हैं और मैं उस को उस के घर से पिक करता हूं. करीब 1 हफ्ता पहले मैं उस के घर के नीचे पहुंचा और उस को कौल किया पर उस ने कौन पिक नहीं किया. उस के घर का गेट खुला हुआ था तो मैं उस के घर के अंदर चला गया. उस के मम्मीपापा दोनों वर्किंग हैं तो उस समय दोनों अपने औफिस गए हुए थे. जैसे ही मैं उस के घर पहुंचा तो वह मुझे कहीं नहीं दिखी. मैं चैक करने बाथरूम गया तो अंदर का नजारा देख कर दंग रह गया. मेरे सामने मेरी बैस्ट फ्रैंड बिना कपड़ों के खड़ी थी और मदहोश हो कर नहा रही थी. मैं ने उस का फिगर देखा और किसी तरह अपनेआप को बड़ी मुश्किल से रोका. मैं बिना कुछ कहे उस के घर के नीचे आ गया और ऐसा बिहेव किया जैसा मैं ऊपर गया ही नहीं था. फिर कुछ मिनटों बाद उस को कौल किया तब उस ने कौल उठा लिया और वह करीब 10-15 मिनट में नीचे आ गई और फिर हम कालेज चले गए. तब से ले कर अब तक मेरे दिमाग में बस उसी के खयाल आ रहे हैं और मेरा उस के साथ संबंध बनाने का मन कर रहा है. मैं क्या करूं?

जवाब –

आप ने अनजाने ही सही जो किया बिलकुल गलत किया. जब आप को पता था कि आप की फ्रैंड के पेरैंट्स वर्किंग हैं तो आप को उन के घर ऐसे नहीं जाना चाहिए था बल्कि थोड़ी देर अपनी फ्रैंड का कौल पिक करने का इंतजार करना चाहिए था. अगर आप अंदर चले भी गए तो ऐसे में आप को उस को आवाज देनी चाहिए थी और फिर उस के बाथरूम में जाना चाहिए था.

जैसाकि आप ने बताया आप दोनों की दोस्ती काफी पुरानी है तो ऐसे में आप को अपने मन में ऐसे विचार बिलकुल नहीं लाने चाहिए क्योंकि समय के साथ एक लड़की का विश्वास बढ़ता चला जाता है और अगर उसे पता चला कि आप ने उसे ऐसी अवस्था में देखा है तो वह आप को कभी माफ नहीं कर पाएगी.

आप को सोचना चाहिए कि वह आप की बैस्ट फ्रैंड है और उस के घर वाले भी आप के ऊपर भरोसा करते हैं तो ऐसे में आप को किसी का भरोसा नहीं तोड़ना चाहिए.

जो कुछ भी आपने देखा उसे भूल जाइए और इस बात का किसी को पता मत लगने दीजिएगा कि कभी आप ने ऐसा कुछ देखा भी था. अगर आप को उस लड़की से प्यार है तो आप सब से पहले अपने प्यार का इजहार कीजिए और उस लड़की को विश्वास दिलाइए कि आप उस से मोहब्बत करते हैं और उस के बाद ही किसी तरह के संबंध बनाने की कोशिश कीजिए.

हां, अगर आप सिर्फ जिस्मानी संबंध बनाने के लिए ऐसा करने वाले हैं तो आप को ऐसा बिलकुल नहीं करना चाहिए क्योंकि आप के कुछ देर के आनंद के लिए किसी की जिंदगी भी खराब हो सकती है तो अगर सच में प्यार है तभी कदम आगे बढ़ाइए वर्ना जैसा चल रहा है वैसे ही चलने दें.

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सैक्स टाइमिंग को बढ़ाने के ये उपाय जरूर आजमाएं

अकसर ऐसा देखा गया है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष सैक्स के दौरान चरमसुख तक आसानी से पहुंच जाते हैं यानी पुरुषों को और्गैज्म तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगता. ऐसे में फीमेल पार्टनर को संतुष्टि नहीं मिलती है. एक पुरुष के लिए यह बात काफी शर्मनाक बात होती है कि वह अपने पार्टनर को सैक्स में आनंद नहीं दे पा रहा. प्रीमैच्योर इजैक्यूलेशन इन दिनों काफी नौर्मल है और ज्यादातर लोग इस से जूझ रहे हैं पर वे शर्म के मारे किसी को नहीं बता पाते और इसे अपने मन में ही रखते हैं.

महिलाओं को भी इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए कि अगर अपने मेल पार्टनर से वे संतुष्ट नहीं हो पा रही हैं तो ऐसे में उन्हें कोई और रास्ता तलाश करने की बजाए अपने पार्टनर की मदद करनी चाहिए.

आज हम आप को बताएंगे कुछ ऐसे कमाल के टिप्स जिस से आप लंबे समय तक सैक्स कर अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाएंगे.

ज्यादा से ज्यादा करें फोरप्ले

लंबे समय तक सैक्स करने में फोरप्ले काफी लाभदायत साबित होता है. इस में आप को सैक्स से पहले और सैक्स के दौरान अपने पार्टनर के साथ जम कर रोमांस करना है और अपने हाथों और मुंह का इस्तेमाल कर अपने पार्टनर के हर पार्ट को इस तरह से सहलाना है कि आप का पार्टनर आप का दीवाना बन जाए.

अगर सैक्स के दौरान आप को लगता है कि आप अपना स्पर्म लूज करने वाले हैं तो ऐसे में आप को सैक्स से थोड़ा ब्रेक ले कर दोबारा से फोरप्ले करना चाहिए.

कंडोम का करें इस्तेमाल

अगर आप को लगता है कि आप समय से पहले ही अपना स्पर्म लूज कर देते हैं तो ऐसे में आप को कंडोम का इस्तेमाल करना चाहिए. बाजार में कई तरह के कंडोम्स आते हैं लेकिन आप को ध्यान रखना है कि आप को थिक कंडोम लेना है क्योंकि कंडोम जितना पतला होगा जल्दी क्लाइमैक्स तक पहुंचेंगे.

दरअसल, हमारी स्किन काफी सैंसिटिव होती है और सैक्स के दौरान इसी सैंसिटिव स्किन की वजह से यह फील होने लगता है कि हम अपना स्पर्म लूज करने वाले हैं तो ऐसे में कंडोम के जरीए लंबे समय तक सैक्स का मजा लिया जा सकता है.

सैक्स के दौरान बातचीत करें

लंबे समय तक सैक्स करने के लिए सैक्स के दौरान बीचबीच में अपने पार्टनर के साथ बात भी करनी चाहिए और उन की आंखों में आंखें डाल कर उन की तारीफ करनी चाहिए.

सैक्स करते समय सिर्फ सैक्स पर ही फोकस नहीं करना चाहिए बल्कि सैक्स की टाइमिंग बढ़ाने के लिए सैक्स के बीच में ब्रैक भी लेने चाहिए और इन ब्रैक्स में अपने पार्टनर के साथ भरपूर रोमांस का आनंद उठाना चाहिए और फिर से सैक्स करना चाहिए. ऐसा करने से पार्टनर खुद को सैटिस्फाइड फील करेगा.

फिजिकल ऐक्टिविटी है जरूरी

सैक्स के दौरान हमारा स्टैमिना काफी काम आता है. हमारा स्टैमिना जितना अच्छा होता हम उतना ज्यादा सैक्स कर पाएंगे और जल्दी थकेंगे नहीं, तो ऐसे में आप को अपनी डेली रूटीन में फिजिकल ऐक्टिविटीज पर जरूर ध्यान देना चाहिए और जितना हो सके अपना स्टैमिना बढ़ाना चाहिए.

जल्दी थकने के कारण हम अपने स्पर्म को रोक नहीं पाते और समय से पहले ही क्लाइमैक्स तक पहुंच जाते हैं और फिर खुद को वीक फील करने लगते हैं जिस से कि हमारा पार्टनर हम से सैटिस्फाइड नहीं हो पाता.

डाइट का भी रहें खयाल

जैसे हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए अच्छा खाने की जरूरत होती है ठीक वैसे ही अच्छे सैक्स के लिए भी अच्छी डाइट की जरूरत होती है. हमें ज्यादा से ज्यादा हरी सब्जियां खानी चाहिए और अच्छी मात्रा में प्रोटीन लेना चाहिए जिस से कि हमारा शरीर स्वास्थ रहे और सैक्स के दौरान हम जल्दी न थकें.

खराब डाइट के कारण भी हमारा शरीर थका हुआ सा फील करने लगता है जिस से कि हम ठीक से सैक्स नहीं कर पाते. हमें बाहर का फास्ट फूड जितना कम हो सके उतना कम खाना चाहिए.

शराब का सेवन बिल्कुल न करें

कई बार देखा गया है कि पुरुष शराब पी कर सैक्स करते हैं जोकि बिलकुल गलत है. शराब पीने से हमारा माइंड काफी स्लो हो जाता है और कई बार हम शराब के नशे की वजह से ठीक से सैक्स नहीं कर पाते जिस से कि हमारे पार्टनर को काफी बुरा लगता है.

अधिक शराब का सेवन करने के कारण कई बार हमारा अंग ठीक से काम नहीं करता न ही हम खुद सैटिस्फाइड हो पाते हैं और न ही अपने पार्टनर को संतुष्ट कर पाते हैं. ऐसे में सैक्स के दौरान या सैक्स से पहले शराब का सेवन बिलकुल न करें.

टौयलैट की सफाई को ले कर ‘Big Boss 18’ में कटा बवाल, चाहत और विवियन में तूतूमैंमैं

विवियन डीसेना जब से ‘बिग बौस 18’ में आए हैं, तब-से चर्चा में छाए रहते हैं. आजकल वे ‘बिग बौस’ के घर में टौयलैट साफ करने को लेबकर सुर्खियां बटोर रहे हैं. ‘बिग बौस’ के सीजन 18 के करंट प्रोमो में इसे ही दिखाया गया है.

TRP के लिए बनाया जाता है झगड़े का माहौल

‘बिग बौस’ के घर में झगड़ा होना कोई नई बात नहीं है. सच कहा जाए, तो यह नोकझोंक ही हर सीजन में तड़का लगाने का काम करती है. इस की वजह से कंटैस्‍टैंट चर्चा में आते हैं और शो की टीआरपी को बढ़ाते हैं. झगड़े का विषय भी अजीब होता है. कभी खाने की चीजों को ले कर तूतूमैंमैं होती है, तो कभी आपत्ति‍जनक कमैंट करने को ले कर. ‘बिग बौस’ के सीजन 18 में हाल में जोरदार झगड़ा हुआ. झगड़े की जड़ में था टौयलैट.

दरअसल, इस सीजन के नए प्रोमो में दिख रहा है कि चाहत पांडे और विवियन डीसेना के बीच बाथरूम को ले कर कहासुनी हो गई है. वौशरूम के फर्श की सफाई नहीं करने को ले कर इन के बीच जंग छिड़ती नजर आ रही है.

क्‍या है टौयलैट का पूरा मामला

‘बिग बौस’ के मेकर्स की ओर से जो नया प्रोमो रिलीज किया गया है, उस में दिखाया जा रहा है कि ऐक्‍टर विवियन डीसेना अपने साथी कंटैस्‍टैंट चाहत के बारे में दूसरे साथी से बातें कर रहे हैं. इस बातचीत में वे कहते हैं कि वौशरूम से आखिरी में चाहत निकली थी. उन्‍होंने ही फर्श को गंदा किया है. इतना ही नहीं, चाहत ने सीट को फ्लश भी नहीं किया. सीरियल मधुबाला के ऐक्‍टर विवियन इन सारी बातों को एलिस से कह रहे हैं. जब एलिस ने चाहत से इस बारे में बात की, तो चाहत भड़क उठी. चाहत ने कहा कि वौशरूम में वे केवल शौवर ले रही थीं, उन्‍होंने टौयलैट का यूज नहीं किया.
चाहत यही पर नहीं रुकीं, उन्‍होंने विवियन को झाड़ लगाते हुए कहा कि खुद गंदगी फैला कर मेरा नाम मत लगाओ, हिम्‍मत है तो सीधे बात किया करो. चाहत ने यह तक कह दिया, “मेरे ऊपर झूठा इलजाम लगाना मत विवियन डीसेना. झूठा इंसान!”

यह एपिसोड आज रात को आने वाला है. इस प्रोमो के बाद विवियन की जगह लाेग चाहत को सपोर्ट करते दिख रहे हैं.

कौन हैं चाहत पांडेय

ऐक्‍टर सलमान खान के रिएलिटी शो ‘बिग बौस 18’ में नजर आ रही चाहत पांडेय टीवी इंडस्‍ट्री की मशहूर बहू रह चुकी हैं. चाहत पांडेय ने साल 2016 में शो ‘पवित्र बंधन’ से धारावाहिकों की दुनिया में कदम रखा. इस के बाद ‘नागिन 2’, ‘हमारी ब‍हू सिल्‍क’, ‘तेनालीराम’ जैसे सीरियलों में अहम रोल निभाया. कई सीरियलों में वे बतौर एक्‍ट्रैस काम कर चुकी हैं. इस के बाद चाहत उस समय चर्चा में आ गईं, जब उन्‍होंने राजनीति में कदम रखा. मध्‍य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में दमोह विधानसभा क्षेत्र आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव लड़ा, हालांकि वे हार गईं.

जेल भी जा चुकी है चाहत पांडेय

चाहत अपनी खूबसूरती, ऐक्टिंग के साथसाथ अपने डांस वीडियोज के लिए भी जानी जाती हैं. ‘बिग बौस’ में ज्‍यादातर कंटैस्‍टैंट उन को मासूम और दिल की साफ समझते हैं, हालांकि चाहत का नाम विवादों में भी रहा है. साल 2020 में उन पर मामा के घर में तोड़फोड़ और मारपीट करने का भी आरोप लगा था. इस घटना के बाद पुलिस ने जब उन को पकड़ना चाहा, तो वे भाग गईं. बाद में पुलिस ने उन को अरैस्‍ट कर कोर्ट में पेश किया, चाहत को जेल भी जाना पड़ा था.

वहीं चाहत की तुलना में विवियन एक मजबूत कंटैस्‍टैंट हैं, उन्‍होंने कई हिट सीरियल्‍स दिए हैं. गुड लुकिंग विवियन को पता है कि ‘बिग बौस 18’ का विनर बनने के लिए क्‍याक्‍या हथकंडे अपनाए जा सकते हैं. वे एक अच्‍छे एंटरटेनर साबित हो रहे हैं और हर ऐपिसोड के सैंटर में रहते हैं.

मेरे घरवाले नहीं चाहते कि मैं अपने हिंसक पति से तलाक लूं , क्या करूं?

सवाल
मैं विवाहित महिला हूं. विवाह को 5 वर्ष हुए हैं. मेरा 2 साल का बेटा है. समस्या यह है कि मेरे पति मुझे मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने के साथसाथ मेरे साथ मारपीट भी करते हैं. उन के इस व्यवहार से परेशान हो कर एक वर्ष पूर्व मैं अपने मायके आ गई थी. मैं अपने पति से तलाक लेना चाहती हूं पर मेरे घर वाले नहीं चाहते कि मैं पति से तलाक लूं. मैं क्या करूं?

जवाब
आप ने अपनी समस्या में न तो यह  बताया कि पति के आप के प्रति दुर्व्यवहार का कारण क्या है. क्या वे दहेज को ले कर आप को प्रताड़ित करते हैं या आप से उन को कोई शिकायत है, जिस के चलते वे आप के साथ दुर्व्यवहार करते हैं. साथ ही, आप ने यह भी नहीं बताया कि आप के परिवार वाले क्यों नहीं चाहते कि आप अपने पति से तलाक लें.

आप के परिवार वालों की मंशा आप के तलाक न लेनेदेने के पीछे अगर यह है कि वे चाहते हैं कि आप अपने पति से सुलह कर लें ताकि आप की बसीबसाई गृहस्थी में बिखराव न आए, खासकर जबकि  आप का बेटा अभी छोटा है, तो हमारी भी आप के लिए यही सलाह होगी कि आप एक बार कोई भी निर्णय लेने से पहले अपने पति से उन के आप के प्रति गलत व्यवहार का कारण जानें.

अगर आप को उन से और उन्हें आप से कोई शिकायत है तो उस का समाधान ढूंढें व रिश्ते को टूटने से बचाने का प्रयास करें, क्योंकि तलाक के परिणाम किसी भी बसेबसाए घर के लिए अच्छे नहीं होते.

वैसे भी तलाक की प्रक्रिया अत्यंत जटिल व दुरूह होती है जिस के चलते तलाक लेने वाला न केवल आर्थिक रूप से, बल्कि मानसिक व शारीरिक रूप से भी प्रभावित होता है.

उपरोक्त कोशिशों के बाद भी अगर आप को लगे कि आप अपने पति के साथ अब और नहीं निभा सकतीं तो घरेलू हिंसा कानून के अंतर्गत आप उन से तलाक ले सकती हैं और मानसिक व शारीरिक प्रताड़ना के मुआवजे की मांग भी कर सकती हैं.

चार आंखों का खेल : इश्क की लुकाछिपी

चार आंखों का खेल मेरी नजर में दुनिया का सब से रोमांचक व खूबसूरत खेल है कम से कम शुरू में तो ऐसा ही लगता है. इस खेल की सब से अच्छी बात यही है कि जो चार आंखें यह खेल खेलती हैं, इस खेलके बारे में बस उन्हीं को पता होता है. उन के आसपास रहने वालों को इस खेल का अंदाजा ही नहीं हो पाता है. मैं भी इस खेल में लगभग 1 साल पहले शामिल हुई थी. यहां मुंबई में जुलाई में बारिश का मौसम था. सोसायटी के गार्डन के ट्रैक पर फिसलने का डर था. वैसे मुझे बाहर सड़कों पर सैर करना अच्छा नहीं लगता. ट्रैफिक, स्कूलबसों के हौर्न का शोर, भीड़भाड़ से दूर मुझे अपनी सोसायटी के शांत गार्डन में सैर करना ही अच्छा लगता.

हां, तो बारिश के ही एक दिन मैं घर से 20 मिनट दूर एक दूसरे बड़े गार्डन में सैर के लिए जा रही थी. वहीं सड़क पर वह अपने बेटे को साइकिल चलाना सिखा रहा था. हम दोनों ने अचानक एकदूसरे को देखा. पहली बार आंखों से आंखें मिलते ही जो होना था, हो चुका था. यह शायद आंखों का ही दोष है. किसी की आंखों से किसी की आंखें मिल जाएं, तो फिर उस का कोई इलाज नहीं रहता. शायद इसी का नाम चार आंखों का खेल है.

हां, तो जब हम दोनों ने एकदूसरे को देखा तो कुछ हुआ. क्या, यह बताना उस पल का वर्णन करना, उस एहसास को शब्दों का रूप देना मुश्किल है. हां, इतना याद रहा कि उस पूरा दिन मैं चहकती रही, न घर आते हुए बसों के हौर्न बुरे लग रहे थे, न सड़क पर कुछ शोर सुनाई दे रहा था. सुबह के 7 बजे मैं हवा में उड़ती, चहकती घर लौट आई थी.

मेरे पति निखिल 9 बजे औफिस निकलते हैं. 22 वर्षीय बेटी कोमल कालेज के लिए 8 बजे निकलती है. मैं रोज की तरह कोमल को आवाज दे कर किचन संभालने में व्यस्त हो गई. दोनों के जाने के बाद मैं दिन भर एक अलग ही उत्साह में घिरी रही. अगले दिन भी मैं सैर करने के लिए फिर बाहर ही गई. वह फिर उसी जगह अपने बेटे को साइकिल चलाना सिखा रहा था. हमारी आंखें फिर मिलीं, तनमन एक पुलक से भरते चले गए. फिर अगले 3-4 दिन मेरे सामने यह स्पष्ट हो गया कि उसे भी मेरा इंतजार रहता है. वह बारबार मुड़ कर उसी तरफ देखता है जहां से मैं उस रोड पर आती हूं. मैं ने उसे दूर से ही बारबार देखते देख लिया था.

चार आंखों का खेल बहुत ही खूबसूरती से शुरू हो गया था. दोनों खिलाड़ी शायद हर सुबह का बेचैनी से इंतजार करने लगे थे. मैं संडे को सैर पर कभी नहीं जाती थी, ब्रेक लेती थी, पर अब मैं संडे को भी जाने लगी तो निखिल ने टोका, ‘‘अरे, संध्या कहां…?’’

‘‘सैर पर,’’ मैं ने कहा.

‘‘पर आज तो संडे है?’’

‘‘आंख खुल गई है, तो चली ही जाती हूं. तुम आराम करो, मैं अभी आई,’’ कह मैं तेज कदमों से भागी सी उस रोड पर चली जा रही थी. देखा, आज उस का बेटा नहीं था. सोचा संडे है, सो रहा होगा. आज वह अपनी पत्नी के साथ सैर कर रहा था. मैं ने गौर से उस की पत्नी को देखा. मुझे वह अच्छी लगी, काफी सुंदर व स्मार्ट थी. उस ने मुझे देखा, पत्नी की नजरें बचा कर आज पहली बार वह मुसकरा भी दिया तो मुझे लगा संडे को आना जैसे सार्थक हो गया.

अब कुछ तो जरूर था हम दोनों के बीच जिस ने मुझे काफी बदल दिया था. सुबह के इंतजार में मैं पूरा दिन, शाम, रात बिताने लगी थी. 10 दिन में ही मैं कितना बदल गई थी. पूरा दिन यह एहसास कि रोज सुबह इस उम्र में भी कोई आप का इंतजार कर रहा होगा, इतना ही बहुत है रोमांचित होने के लिए.

धीरेधीरे 1 महीना बीत गया. इस खेल के दोनों खिलाड़ी मुंह से कभी एक शब्द नहीं बोले थे. आंखें ही पूछती थीं, आंखें ही जवाब देती थीं.

एक दिन निखिल ने पूछा भी, ‘‘आजकल सोसायटी के गार्डन नहीं जा रही हो?’’

‘‘नहीं, फिसलने का डर रहता है.’’

‘‘पर तुम्हें तो सैर के समय बाहर का शोर अच्छा नहीं लगता?’’

‘‘हां, पर अब ठीक लग रहा है,’’ कहते हुए मन में थोड़ा अपराधबोध सा तो महसूस हुआ पर चूंकि इस खेल में मजा आने लगा था, इसलिए सिर झटक कर अगली सुबह का इंतजार करने लगी.

बारिश का मौसम खत्म हो गया था, पर मैं अब भी बाहर ही जा रही थी. अक्तूबर शुरू हो गया था. चार आंखों का खेल अब और भी रोमांचक हो चुका था. मैं उसे सिर्फ देखने के लिए बाहर का शोरगुल पसंद न होते हुए भी बाहर भागी चली जाती थी, पहले से ज्यादा तैयार, संजसंवर कर. नईनई टीशर्ट्स, ट्रैक पैंट में, स्टाइलिश शूज में, अपने शोल्डरकट बालों को कभी खुला छोड़ कर, कभी पोनीटेल बना कर, बढि़या परफ्यूम लगा कर षोडशी सी महसूस करती हुई भागी चली जाती थी. सैर तो हमेशा करती आई थी पर इतनी दिलकश सैर पहले कभी नहीं थी.

उस से आंखें मिलते ही कितने सवाल होते थे, आंखें ही जवाब देती थीं. कभी छुट्टी वाले दिन देर से जाने पर कभी अस्वस्थता के कारण नागा होता था, तो उस की आंखें एक शिकायत करती थीं, जिस का जवाब मैं आंखों में ही मुसकरा कर दे देती थी. कभी वह नहीं देखता था तो मैं उसे घूरती थी, वह भी मुसकरा देता था फिर. अजीब सा खेल था, बात करने की जरूरत ही नहीं थी. सुबह से देखने के बाद एक जादुई एहसास से घिरी रहती थी मैं. दिन भर न किसी बात पर गुस्सा आता था, न किसी बात से चिढ़ होती थी. शांत, खुश, मुसकराते हुए अपने घर के  काम निबटाती रहती थी.

निखिल हैरान थे. एक दिन कहने लगे, ‘‘अब तो बारिश भी गई, अब भी बाहर सैर करोगी?’’

‘‘हां, ज्यादा अच्छी और लंबी सैर हो जाती है, सालों से गार्डन में ही सैर कर के ऊब गई हूं.’’

‘‘ठीक है, जहां तुम्हें अच्छा लगे,’’ निखिल भी सैर पर जाते थे, पर जब मैं आ जाती थी, तब.

फिर कमरदर्द से संबंधित शारीरिक अस्वस्थता के कारण मुझे परेशानी होने लगी थी. सुबह 20 मिनट जाना, 20 मिनट आना, फिर आते ही नाश्ता, दोनों के टिफिन, मेरी परेशानी बढ़ रही थी. पहले मैं आधे घंटे में घर आ जाती थी. डाक्टर ने कुछ दिन सैर करने का समय कम करने के लिए कहा तो मैं बेचैन हो गई. मेरे तो रातदिन आजकल उसे सुबह देखने से जुड़े थे. उसे देखने का मतलब था सुबह उठ कर 20 मिनट चल कर जाना, 20 मिनट आना, 40 मिनट तो लगने ही थे. अपनी अस्वस्थता से मैं थकने लगी थी.

अब वहां जाने का नागा होने लगा था, क्योंकि आते ही किचन में मुझे 1 घंटा लगता ही था. मैं अब इतनी देर एकसाथ काम करती तो पूरा दिन मेरी तकलीफ बढ़ी रहती. अब क्या करूं? इतने दिनों से जो एक षोडशी की तरह उत्साहित, रोमांचित महसूस कर रही हूं, अब क्या होगा? सब छूट जाएगा?

निखिल परेशान थे, मुझे समझा रहे थे, ‘‘इतने सालों से यहीं सैर कर रही हो न. अब सुबह सैर पर मत जाओ, तुम्हें और भी काम होते हैं. शाम को फ्री रहती हो, आराम से उस समय सैर पर चली जाया करो. सुबह सब एकसाथ करती हो तो तुम्हारी तकलीफ बढ़ जाती है.’’

डाक्टर ने भी निखिल की बात पर सहमति जताई थी. पर मैं नहीं मानी. एक अजीब सी मनोदशा थी मेरी. शारीरिक रूप से आराम की जरूरत थी पर दिल को आराम उसे देखने से ही मिलता था. मैं उसे देखने के लिए बाहर जाती रही. पर अब नागे बहुत होते थे.

उस का बेटा अब तक साइकिल सीख चुका था. अब वह अकेला ही वहां दिखता था. चार आंखों का खेल जारी था. अपनी हैल्थ की चिंता न करते हुए मैं बाहर ही जाती रही.

पहली जनवरी की सुबह पहली बार उस ने मेरे पास से गुजरते हुए ‘हैप्पी न्यू ईयर’ बोला. मैं ने भी अपने कदम धीरे करते हुए ‘थैंक्स, सेम टू यू’ कहा, इतने दिनों के खेल में शब्दों ने पहली बार भाग लिया था. मन मयूर प्रफुल्लित हो कर नाच उठा.

अब मेरी तबीयत खराब भी रहती तो मैं निखिल और कोमल से छिपा लेती. दोनों के जाने के बाद दर्द से बेहाल हो कर घंटो बैड पर लेटी रहती. कोमल बेटी है, बिना बताए भी चेहरा देख कर मेरे दर्द का अंदाजा उसे हो जाता था, तो कहती थी, ‘‘मौम, आप को स्ट्रैस लेने से मना किया है डाक्टर ने. आप मौर्निंग वाक पर नहीं जाएंगी, अब आप शाम की सैर पर ही जाना.’’

पर मैं नहीं मानी, क्योंकि मैं तो दुनिया के सब से दिलकश खेल की खिलाड़ी थी.

मई का महीना आया तो मेरे मन की उथलपुथल बढ़ गई. मई में मैं ने हमेशा शाम की ही सैर की थी. मुझे जरा भी गरमी बरदाश्त नहीं है. 8-10 दिन तो मैं गई. मुंबई की चिपचिपी गरमी से सुबह ही बेहाल, पसीनेपसीने लौटती. आ कर कभी नीबू पानी पीती, तो कभी आते ही एसी में बैठ जाती पर कितनी देर बैठ सकती थी. किचन के काम तो सब से जरूरी थे सुबह.

इस गरमी ने तो मेरे मन के भाव ही बदल दिए. इस बार की गरमी तो इस चार आंखों के खेल का सब से महत्त्वपूर्ण पड़ाव बन कर सामने आई. बहुत कोशिश करने पर भी मैं गरमी में सुबह सैर पर रोज नहीं जा पाई. छुट्टी वाले दिन चली जाती, क्योंकि जब आते ही किचन में नहीं जाना पड़ता था. उसे देखने के मोह पर गरमी की तपिश भारी पड़ने लगी थी. पसीना पोंछती जाती. उसे देख कर जब वापस आती, तब यह सोचती कि नहीं, अब नहीं जाऊंगी. बहुत गरमी है. मैं कोई षोडशी थोड़े ही हूं कि अपने किसी आशिक को देखने सुबहसुबह भागी जाऊं. अरे, मैं एक मैच्योर औरत हूं, पति है, बेटी है और इतने महीनों से हासिल क्या हुआ? न मुझे उस से कोई अफेयर चलाना है, न मतलब रखना है किसी तरह का. जो हुआ, बस हो गया. इस का कोई महत्त्व थोड़े ही है. जैसेजैसे गरमी बढ़ रही थी, मेरी अक्ल ठिकाने आ रही थी.

सारा उत्साह, रोमांच हवा हो रहा था. गरमी, कमरदर्द और सुबह के कामों ने मिल कर मुझे इस खेल में धराशायी कर दिया था. दिल तो अब भी वहीं उसी पार्क के रोड पर जाने के लिए उकसाता था पर दिमाग अब दिल पर हावी होने लगा था.

मन में कहीं कुछ टूटा तो था पर खुद को समझा लिया था कि ठीक है, लाइफ है, होता है ऐसा कभीकभी. यह उम्र, यह समय, ये जिम्मेदारियां शायद इस खेल के लिए नहीं हैं.

चार आंखों के इस खेल में मैं ने अपनी हार स्वीकार ली थी और पहले की तरह अपनी सोसायटी के गार्डन में ही शाम की सैर पर जाना शुरू कर दिया था.

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