News Kahani – आदमखोर : किन जानवरों में घिरी थी बेला

शाम के साढ़े 6 बज रहे थे. रेलगाड़ी अभी प्लेटफार्म पर आ कर रुकी ही थी. रामपुर गांव की इक्कादुक्का सवारियां ही थीं. 21 साल की बेला शहर से गांव आई थी. उस के पास ज्यादा सामान नहीं था. रेलवे स्टेशन से घर की दूरी यों तो पैदल 20-25 मिनट की ही थी, पर बेला ने रिकशे से घर जाना सही समझ. लेकिन रेलवे स्टेशन के बाहर सन्नाटा पसरा था.

एक बार को बेला ने अपने बड़े भाई मनोज को फोन कर के रेलवे स्टेशन आने को कहने की सोची, पर उसे लगा कि परिवार वालों को सरप्राइज देगी, तो बड़ा मजा आएगा. फिर उसे गांव का चप्पाचप्पा पता है, अभी कच्ची सड़क से गांव की ओर हो लेगी, तो 15-20 मिनट में ही घर पहुंच जाएगी.

कच्ची सड़क पर अंधेरा रहता था और चूंकि यह गांव जंगल से घिरा था, तो रास्ता सुनसान भी था. जंगली जानवरों का भी डर बना रहता था. लेकिन बेला बेफिक्र हो कर घर के लिए चल दी.

पर, अभी बेला कुछ ही दूर गई थी कि उसे किसी की आहट हुई. पहले तो उसे लगा कि यह उस का वहम है, पर बाद में कोई साया अचानक से बेला पर झपटा और उसे घसीटता हुआ जंगल के भीतर ले गया.

इधर बेला के साथ हुई घटना से अनजान उस के परिवार वाले दीवाली की तैयारियों में लगे हुए थे.

‘‘मनोज, बेला किसी भी दिन आ सकती है. उस के आने से पहले घर में सफेदी हो जानी चाहिए. थोड़े दीए और बिजली की झलर भी सजावट के लिए ले आना. यह तेरी बहन की इस घर में शायद आखिरी दीवाली है. फिर तो अगले साल हम उस की शादी करा देंगे. कब तक बेटी को घर पर बिठा कर रखेंगे.’’

‘‘अरे मां, तुम भी कहां बेला की शादी के पीछे पड़ गई हो. अभी 21 साल की ही तो है. करा देना 2-4 साल में उस की शादी. तुम्हारा बेटा 24 साल का हो गया है, उस की कोई फिक्र नहीं,’’ मनोज ने अपनी मां शांति देवी के गले में हाथ डालते हुए चुहलबाजी की.

‘‘तुझे बड़ा शादी करने का शौक चढ़ा है. चिंता मत कर, तेरे भी हाथ जल्दी पीले कर देंगे,’’ पड़ोस की रीता भाभी ने अचानक से घर आ कर कहा, तो मनोज शरमा गया.

‘‘भाभी, यह चीटिंग है. तुम ने छिप कर हम मांबेटे की बात सुन ली,’’ मनोज ने शिकायती लहजे में कहा.

‘‘अरे, छिप कर कहां सुन रही थी. तेरी पसंद की कढ़ी बनाई थी, वही देने आई थी. अगर कल तेरे भैया बताते कि आज रात को मैं ने कढ़ी बनाई थी और तु?ो नहीं दी, तो तू मेरी नाक में दम नहीं कर देता,’’ रीता भाभी ने कढ़ी का एक कटोरा मनोज को थमाते हुए कहा.

‘‘भाभी हो तो आप जैसी. काश, बेला भी यहां होती, तो हम दोनों कढ़ी खाते,’’ मनोज ने कहा.

‘‘कब आ रही है हमारी लाड़ो?’’ रीता भाभी ने पूछा.

‘‘शायद, परसों तक वह आ जाएगी. अभी पूछ लेता हूं उस से,’’ मनोज ने कहा.

मनोज ने बेला को फोन किया, पर वह आउट औफ नैटवर्क एरिया बता रहा था. ऐसा तो कभी नहीं हुआ था. मनोज के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गईं.

पर रीता भाभी ने कहा, ‘‘कोई बात नहीं देवरजी, बाद में बेला खुद ही फोन कर लेगी,’’ इतना कह कर वह अपने घर चली गई.

पर जब देर रात तक मनोज की बेला से फोन पर बात नहीं हुई, तो उस ने बेला की सहेली प्रिया को फोन किया. प्रिया ने बताया कि बेला तो आज ही शाम की रेलगाड़ी से गांव आने वाली थी, तो मनोज के पैरों तले की जमीन खिसक गई.

मनोज ने यह बात जब अपने पिताजी सूरजभान को बताई, तो वे भी चिंतित हो गए और वे दोनों शांति देवी को बिना बताए घर से बाहर चले गए.

घर से थोड़ी ही दूरी पर सूरजभान ने गांव के 4-5 पक्के दोस्तों को अपने साथ लिया और रात को ही रेलवे स्टेशन की तरफ निकल गए. मनोज के साथ उस का जिगरी दोस्त दिनेश भी था. सब के पास लाठी और टौर्च थीं.

मोटरसाइकल से उन्हें रेलवे स्टेशन पहुंचने में ज्यादा देर नहीं लगी. वहां के चौकीदार बनवारी ने बताया कि बेला शाम की रेलगाड़ी से आई थी और शायद कच्ची सड़क से घर की तरफ गई थी.

यह सुन कर सब के कान खड़े हो गए. दरअसल, पिछले कुछ समय से उस इलाके में किसी ऐसे अनजान हिंसक जानवर का खौफ था, जो मवेशियों के साथसाथ इनसानों पर भी हमला कर सकता था. कहीं बेला भी उसी जानवर का शिकार तो नहीं हो गई है?

‘‘मनोज बेटा, एक बार फिर से बेला का मोबाइल नंबर लगा. क्या पता, इस बार घंटी बज जाए,’’ सूरजभान ने कच्ची सड़क पर आगे बढ़ते हुए कहा.

मनोज ने तुरंत ही जेब से फोन निकाला और बेला का नंबर मिला दिया. इस बार घंटी की आवाज आई, जो नजदीक ही जंगल की ओर से आ रही थी.

वे सब घंटी की आवाज की तरफ दौड़े. सड़क के बाएं ओर जंगल के कुछ भीतर बेला का बैग पड़ा मिला. फोन उसी बैग में बज रहा था.

‘‘पापा, यह तो बेला का बैग है. मैं ने जन्मदिन पर उसे दिया था. बेला भी यहीं आसपास होगी,’’ मनोज ने कहा.

इधर बेला के घर में मनोज की मां शांति देवी को भनक लग गई थी कि उन की बेटी आज गांव आ रही थी, पर घर नहीं पहुंची. उन का रोरो कर बुरा हाल था. आसपास की औरतें उन्हें दिलासा दे रही थीं और दबी जबान में आदमखोर जानवर का जिक्र भी कर रही थीं.

‘‘दिन ढले अकेले घर आने की क्या तुक थी. अपने भाई को ही फोन कर लेती. मोटरसाइकिल से तुरंत घर ले आता,’’ पड़ोस की माया ताई ने कहा.

‘‘अब तो ऐसी बातें करने का कोई मतलब नहीं है. बच्ची सहीसलामत हो,’’ पड़ोस की रीता भाभी ने कहा.

‘‘बस, एक बार मेरी बेटी घर आ जाए और मुझे कुछ नहीं चाहिए. एक बार मनोज को फोन मिला कर देखो कोई…’’ शांति देवी रोते हुए बोलीं.

वहां जंगल के कुछ भीतर जाते ही बेला बेहोशी की हालत में पड़ी मिली. उस पर किसी के द्वारा खरोंचे जाने के निशान थे. उसे बुरी तरह घसीटा गया था.

सूरजभान अपनी बेटी बेला की ऐसी हालत देख कर आंसू नहीं रोक पाए. मनोज ने पाया कि बेला की सांसें बड़ी धीमी थीं. लगता है, जानवर उसे घसीट कर जंगल के भीतर तो ले गया था, पर बिना खाए ही भाग गया.

इतने में थोड़ी दूर से दिनेश की डरी हुई सी आवाज आई, ‘‘सब लोग इधर आओ. बृजभान पहलवान के बिगड़ैल बेटे सनी की लाश यहां पड़ी है. किसी जंगली जानवर ने बड़ी बेरहमी से इस का शिकार किया है.

‘‘मुझे लगता है कि बेला को जंगली जानवर से बचाने के लिए यह उस से भिड़ गया और अपनी जान गंवा बैठा.’’

सनी की गांव में इमेज अच्छी नहीं थी. वह हर किसी से पंगा लेता था और चूंकि गांव में उस के बाप का दबदबा था, तो हर कोई उस से बचता था. पर आज तो सनी ने अपनी जान पर खेल कर बेला की इज्जत बचाई थी.

आननफानन ही वहां पुलिस बुलाई गई. सनी की लाश का पंचनामा किया गया. बेहोश बेला और सनी की लाश को जल्दी से शहर के सरकारी अस्पताल में भेजा गया.

कुछ पुलिस वालों ने गांव के लोगों के साथ आदमखोर जंगली जानवर की तलाश की, पर निराशा ही हाथ लगी. अब तो बेला के होश में आने पर ही इस कांड की हकीकत पता लग सकती थी.

अगली सुबह इस मामले को ले कर पंचायत बैठी. पूरा गांव जुटा हुआ था. बेला और सनी के साथ हुए इस कांड ने सब को चिंतित कर दिया था. बेला को किसी भी समय होश आ सकता था, पर गांव की हिफाजत के लिए पंचायत को भी कोई कठोर फैसला लेना था.

हड्डियों का ढांचा हो गए भीखू ने खड़े हो कर पंचों को नमस्कार किया और चिंता जताई, ‘‘क्या कहें भैया, हर जगह जंगली जानवरों ने आतंक मचा रखा है. उत्तर प्रदेश में भेडि़ए के हमले की खबरें आने के बाद अलगअलग राज्यों से अलगअलग जानवरों के हमले के मामले सामने आ रहे हैं.

‘‘गुजरात में तेंदुए, तो छत्तीसगढ़ में हाथी का आतंक है. ओडिशा में सियार के हमले की खबरें सामने आई हैं. गंजाम जिले के पोलासारा इलाके के 3 गांवों

में सितंबर महीने के आखिरी दिनों में सियारों के हमले में 20 से ज्यादा लोग घायल हो गए, जिस के बाद इलाके में ‘हाई अलर्ट’ जारी कर दिया गया.’’

‘‘भीखू सही कह रहा है. सरकारी अफसरों ने बताया कि ओडिशा में सियारों के हमले में हटियोटा, जेमादेईपुर और चंद्रमादेईपुर गांवों के कई बुजुर्गों के साथसाथ औरतें भी घायल हुई हैं,’’ रामदीन ने कहा.

‘‘उत्तर प्रदेश के बहराइच इलाके में जंगली भेडि़यों ने तो लोगों की नाक में दम कर रखा था, जिस ने कई बच्चों को अपना शिकार बना लिया था. वहीं, हमीरपुर जनपद में भी जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिला था.

‘‘वहां के मौदहा इलाके में लोमड़ी ने एक औरत और बच्ची को हमला कर के घायल कर दिया था, जबकि बिवांर थाना क्षेत्र के पाटनपुर गांव में लकड़बग्घों के झंडू ने पशुबाड़े में हमला कर के 25 भेड़ें मार डाली थीं,’’ एक लड़के राजवीर ने जोश में आ कर कहा.

‘‘बरेली के नगर बहेड़ी इलाके में एक भेडि़ए ने खेत में काम कर रहे 3 लोगों पर अचानक हमला कर दिया. उन में एक औरत और 2 मर्द थे. भेडि़ए ने उन्हें घायल कर दिया. औरत को जिला अस्पताल रैफर कर दिया गया.

‘‘इस से पहले एक भेडि़ए ने मंसूरपुर इलाके में 2 औरतों पर इसी तरह हमला कर दोनों को गंभीर रूप से घायल कर दिया था. मैनपुरी के जरामई गांव में

23 साल के नौजवान पर भेडि़ए ने हमला कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. बहराइच में 18 साल की लड़की पर भेडि़ए ने हमला कर दिया. लड़की खेत जा रही थी और भेडि़ए के हमले में घायल हो गई.

‘‘हरदोई में एक शाम को सियार ने 2 लोगों पर हमला कर दिया. हालांकि, गांव वालों ने उसे पीटपीट कर मार डाला,’’ सरपंच चेतराम ने भी मामले की गंभीरता को देखते हुए जंगली जानवरों के हमलों की खबरों का हवाला दिया.

‘‘अरे भाई, अब तो बाघ और तेंदुए भी आदमखोर हो रहे हैं. पीलीभीत में बाघ ने एक किसान पर हमला कर दिया. किसान की लाश गन्ने के खेत में मिली. उस की गरदन का हिस्सा गायब था. इस के अलावा मेरठ में चलती बाइक पर तेंदुए ने हमला कर दिया. वह नौजवान खेत के पास से गुजर ही रहा था कि तभी अचानक तेंदुए ने छलांग लगा दी. हालांकि, वह नौजवान बच गया.

‘‘अमरोहा के मंडी के कुआखेड़ा गांव में तेंदुए ने बकरियों को अपना निवाला बना लिया. एक रात को 2 तेंदुए रजबपुर के भी एक गांव में देखे गए.

इस के अलावा लखीमपुर में भी एक जगह पेड़ पर बैठा तेंदुआ देखा गया.’’

‘‘इन जानवरों के बढ़ते हमलों को देखते हुए जंगल महकमे ने इस को ले कर अलर्ट जारी किया है और लोगों को सचेत करते हुए कहा है कि कोई भी खेतों में अकेले किसी भी काम के लिए न निकले. निकले तो ग्रुप के साथ निकले और खेतों में काम करते समय भी लगातार आवाज करते रहे,’’ एक पंच रमेश ने अपनी बात रखी.

इसी बीच किसी ने खबर दी कि बेला को होश आ गया है और पुलिस उस का बयान दर्ज कराने के लिए जल्दी ही अस्पताल जाने वाली है.

यह सुन कर गांव के सारे पंच और कुछ खास लोग बिना देरी किए शहर के सरकारी अस्पताल की तरफ रवाना हो गए.

अस्पताल में बेला के कमरे के बाहर भीड़ जमा थी. लोकल मीडिया वाले भी वहां आए हुए थे. पुलिस बेला के घर वालों की मौजूदगी में उस का बयान दर्ज कराना चाहती थी. सनी का परिवार भी वहां मौजूद था.

बेला सहमी हुई थी और अपने घर वालों को सामने देख कर उस की रुलाई फूट पड़ी थी. कल से आज तक जोकुछ उस की जिंदगी में घटा था, वह बड़ा ही डरावना था.

‘‘बेला, कल शाम को तुम पर किस जानवर ने हमला किया था?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने पूछा.

‘‘सर, वह कोई जानवर नहीं था, बल्कि ऐसे आदमखोर दरिंदे थे, जो मुझे अपनी हवस का शिकार बनाना चाहते थे.’’

बेला के मुंह से यह सुन कर हर कोई हैरान रह गया था. लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई थी. यह किसी इनसान का कियाधरा था. तो क्या सनी ने अपने ही गांव की लड़की की आबरू पर हाथ डाला था? पर वह खुद कैसे मारा गया?

‘‘हमें हर बात को सिरे से बताओ कि तुम्हारे साथ कल क्या हुआ था?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने बेला को पानी का गिलास देते हुए पूछा.

‘‘सर, कल शाम को जब मैं कच्ची सड़क से अपने गांव की तरफ जा रही थी, तो कुछ अनजान सायों ने मुझे दबोच लिया था और वे मुझे जंगल में घसीट कर ले गए थे. शायद, वे 4 लोग थे और शराब के नशे में चूर थे. अंधेरा हो गया था, तो मैं उन के चेहरे ठीक से नहीं देख पाई, पर शायद वे यहीं आसपास के ही थे.

‘‘वे चारों मेरा रेप करना चाहते थे और कामयाब भी हो जाते, पर इसी बीच एक और साया उन पर टूट पड़ा. वह सनी था और मेरा शोर सुन कर जंगल के भीतर चला आया था. पहलवान का बेटा था, तो कैसे अपने गांव की आबरू को यों लूटते देख सकता था.’’

इतना सुनते ही पहलवान बृजभान की आंखों में नमी आ गई. वह इतना ज्यादा भावुक हो गया कि उस के नथुने फूलने लगे. उस की छाती भारी हो गई.

‘‘आगे और क्या हुआ तुम्हारे साथ?’’ पुलिस इंस्पैक्टर राधेश्याम ने पूछा.

‘‘सनी के इस हमले से वे चारों बौखला गए और उन्होंने भी उस पर चौतरफा हमला कर दिया, पर सनी ने बड़ी हिम्मत से उन सब का मुकाबला किया और चारों की खूब धुनाई की. मैं घायल हालत में वहीं पड़ीपड़ी यह सब देखती रही.

‘‘सनी ने 2 लोगों को तो तुरंत वहां से भागने पर मजबूर कर दिया, पर बाकी बचे दोनों लोगों ने उस पर डंडों से वार किए और वह अकेला पड़ गया. बाद में एक डंडा उस के सिर पर पड़ा, तो वह वहीं ढेर हो गया.

‘‘इतने में किसी मोटरसाइकिल की आवाज आई, तो मैं पूरे दम से चिल्लाई. यह सुन कर वे दोनों दरिंदे वहां से भाग गए. इस के बाद मैं भी बेहोश हो गई,’’ इतना कह कर बेला रोने लगी.’’

न कोई जानवर निकला और न ही सनी ने यह कांड किया था, वे तो अनजान आदमखोर थे, जो एक अकेली लड़की को देख कर उस पर टूट पड़े थे. पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में यही साबित हुआ कि सनी की मौत इनसानी हमले में घायल होने से हुई थी.

मीडिया ने सनी की इस साहसिक मौत को बड़ी संवेदना से लोगों के सामने पेश किया. पुलिस उन चारों दरिंदों की तलाश में जुट गई. प्रदेश सरकार ने सनी की इस बहादुरी पर ऐलान किया कि रेलवे स्टेशन से रामपुर गांव तक जाने वाली इस कच्ची सड़क को पक्का किया जाएगा, खंभों पर लाइटें लगाई जाएंगी और उस नई सड़क को ‘बहादुर सनी मार्ग’ के नाम से जाना जाएगा.

अनुष्‍का से पहले ‘बाहुबली’ की इस एक्‍ट्रैस से था Virat Kohli का चक्‍कर, हैप्‍पी बर्थडे किंग कोहली

विराट कोहली आज पूरी तरह फैमिली मैन नजर आते हैं लेकिन एक समय इनका नामक कई लड़कियों के साथ जोड़ा गया था, जिसमें से एक एक्‍ट्रैस भी थी.

आज 5 नवंबर को विराट कोहली अपना 36 वां जन्‍मदिन मना रहे हैं. इस स्‍टार क्रिकेटर का चार्म आज भी कायम है. हालांकि समय के साथ विराट कोहली काफी मैच्‍योर हो गए हैं. एक समय उनकी इमेज एक कैसेनोवा की थी लेकिन अब उनकी जिंदगी पूरी तरह से अपनी पत्‍नी अनुष्‍का शर्मा और बच्‍चों के इर्दगिर्द घूमती है. विराट के जन्‍मदिन पर अनुष्‍का ने उनकी जो फोटो शेयर की है उसमें यह साफ नजर आ रहा है.

इस तसवीर में विराट ने अपने दोनों बच्‍चों को दोनों हाथों से थाम रखा है. अनुष्‍का से शादी के बाद विराट में काफी चेंज आया है. शादी के काफी सालों बाद भी वह न्‍यूली मैरिड कपल की तरह नजर आते हैं. आज भी सालाें बाद अनुष्‍का अपने पति विराट कोहली के हर जरूरी मैच में पवेलियन में नजर आती हैं. दोनों के बीच की कैमेस्‍ट्री किसी से छिपी नहीं है.  इसमें कोई शक नहीं कि आर्मी बैकग्राउंड से आने वाली अनुष्‍का ने विराट की जिंदगी को अनुशासित किया और उसे फैमिली मैन बनाया.

तमन्‍ना भाटिया से डेटिंग की खबर

साल 2012 की बात है जब विराट कोहली का नाम तमन्‍ना भाटिया के साथ चर्चा में आया. इस डेटिंग रूयमर की शुरुआत उस समय हुई जब तमन्‍ना भाटिया ने विराट के साथ एक विज्ञापन शूट किया था. हालांकि इस मामले में दोनों ने अपनी तरफ से कभी कुछ नहीं कहा. काफी बाद में जब तमन्‍ना भाटिया से इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्‍होंने कहा कि उस विज्ञापन के शूट के दौरान दोनों के बीच मुश्किल से चार शब्‍द की बातचीत हुई होगी.

तमन्‍ना ने यह भी कहा था कि वह कई एक्‍टर्स की तुलना में काफी अच्‍छे हैं. तब तमन्‍ना ने रूयमर्स फैलाने वालों को यह कह कर चुप करा दिया कि उस शूट के बाद दोनों के बीच दोबारा ने कभी बात हुई और न कभी मुलाकात. विरुष्‍का की शादी के दिनों में जब तमन्‍ना से विराट और अनुष्‍का की शादी के बारे में पूछा गया, तो उन्‍होंने कहा कि दोनों की तस्‍वीरें बहुत ही खूबसूरत थी. दोनों साथ में काफी अच्‍छे लग रहे थे और मैं उनको सुखी शादीशुदा जीवन की शुभकामनाएं देती हूं. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो दोनों का अफेयर एक लड़की की वजह से टूट गया. इस लड़की का नाम था इजाबेल लिइट.  तमन्‍ना भाटिया भी अपनी जिंदगी में मूव औन कर गईं. एक्‍टर विजय वर्मा  के साथ उन्‍होंने अपने रिलेश‍नशिप पर मुहर लगा दी है, दोनों अकसर पार्टियों में साथ नजर आते हैं.

कौन थी एक्‍ट्रै्स इजाबेल लिइट

इजाबेल लिइट एक ब्राज‍िलियन मौडल थी. विराट की इजाबेल से मुलाकात एक पार्टी के दौरान हुई थी. इजाबेल और विराट के इश्‍क के चर्चे कुछ दिनों तक खूब गूंजे लेकिन जल्‍दी ही दोनों के अलग होने की खबरें आई. उन दिनों इजाबेल की एक मूवी आने वाली थी और विराट की वजह से वह मुफ्त में पूरे भारत में पौपुलर हो गईं. आज वह एक बच्‍चे की मां है और उतनी ही खूबसूरत दिखती हैं.

मौमडैड के तलाक के बावजूद खुद को संभाला, जानिए उभरती स्टार अलाया एफ के बारे में

बात पुरानी नहीं है. इसी साल जनवरी में जब फिल्म अभिनेता सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान महाराष्ट्र के औरंगाबाद से 20 किलोमीटर दूर वेरुल गांव में स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पहुंची तो कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए थे. सवाल धर्म के थे, कि एक मुसलिम हो कर आखिर सारा को मंदिर दर्शन की क्या जरूरत आ पड़ी. कई तरह के ट्रौल का सामना सारा को करना पड़ा था. ट्रोल करने वाले हिंदू भी थे और मुसलिम भी. यह वो समय था जब राम मंदिर की प्राणप्रतिष्ठा की जा रही थी.

उस दौरान सारा ने जवाब देते हुए कहा था कि चूंकि उस के पिता मुसलिम हैं और मां हिंदू है तो यह उन की इच्छा है कि वे चाहे जहां भी जाएं. बात सही है. धर्म प्राइवेट सब्जेक्ट है. किसी दूसरे के कहने से उपासना और आस्था तय नहीं की जानी चाहिए. ऐसा नहीं है कि यह पहली दफा था कि वह किसी मंदिर गईं, इस से पहले भी वह केदारनाथ और उजैन के महाकालेश्वर मंदिर जाती रही थीं. बल्कि अपने हर फिल्म से पहले वह मंदिर दर्शन जरुर करती आई हैं जिस पर काफी हल्ला मचता रहा है.

29 साल की सारा अली खान का मामला उन से लगभग 3 साल छोटी खूबसूरत एक्ट्रैस अलाया फर्नीचरवाला की ही तरह सा है. जैसे अलाया की मां पूजा बेदी एक हिंदू एक्ट्रैस रहीं और पिता फरहान अब्राहिम एक मुसलिम बिसनेसमेन हैं. इन की भी शादीशुदा जिंदगी एक मोड़ पर आ कर टूट गई और वे अलग हो गए. ठीक वैसे ही जैसे सारा के मौमडैड सैफ और अमृता की टूटी.

लेकिन बात प्रोफैशनल और पर्सनल लाइफ के तालमेल की करें तो कमोबेश सारा अली से ज्यादा संजीदगी अलाया एफ ने छोटी उम्र से अपना ली. यही कारण भी है कि फिल्म से ठीक पहले जैसे सारा अली खान अपनी धार्मिक आइडेंटिटी को ले कर चाहेअनचाहे बहस में फंसती दिखाई देती हैं और खुद को धार्मिक दिखाने की असफल कोशिशें करती हैं, ऐसी शोर्टकट चर्चाएं अलाया करने से बचती हैं. यहां तक कि इन फसादों में वह न तो प्रोफेशनली पड़ती दिखाई देती है न अपनी पर्सनल लाइफ में इन्वोल्व रहती हैं. आज यदि इन्टरनेट पर मंदिरमजार के दर्शन संबंधित खबरों को टटोला जाए तो सारा टौप पर रहती है.

यह संयोग भी है कि साल 2020 में अलाया ने सैफ अली खान के साथ अपनी डेब्यू फिल्म की थी, जिस में वह सैफ की बेटी बनी थी. फिल्म कमर्शियली एवेरेज रही और अलाया एफ को फिल्म से अच्छीखासी चर्चा मिल गई. इस चर्चा ने उन्हें आने वाले सालों में फ्रेडी, श्रीकांत व यूटर्न जैसी संजीदगी भरी फिल्मों में काम करने का अवसर दिया.

पर बात अलाया की कि आखिर वह उस क्लब में शामिल क्यों नहीं दिखाई देती जहां स्टारकिड्स बड़ेबड़े ब्रैंड्स, पार्टीज, इवेंट्स, पीआर, कंट्रोवर्सी और शोशाबाजी में रहते हैं? जहां सारा अली खान, न्यासा देवगन, अनन्या पांडे, कपूर बहनें पहुंची रहती हैं? जहां बड़े फिल्म स्टार्स, प्रोड्यूसर्स या डायरेक्टर्स शिरकत करते हैं? और इन सब से उचित दूरी बना कर वह कब तक खुद को इंडस्ट्री में सर्वाइव रख पाएंगी, ये बड़े सवाल हैं.

यदि सही समझ और नजरिया न हो तो मौमडैड का तलाक अपनी आंखों के सामने होते देखना किसी भी बच्चे के लिए अवसाद में घिरने जैसा होता है. जिस समय अलाया के मौमडैड का तलाक हुआ उस समय उस की उम्र लगभग 6 साल की थी. यह नाजुक उम्र होती है.

हाल ही में अपने एक इंटरव्यू में अलाया ने बताया जब उन के मौमडैड का तलाक हुआ तब उन्होंने इस घटना को किसी खराब बात की तरह नहीं लिया था. अलाया ने बताया कि उन के मौमडैड एकदूसरे से दोस्तों जैसा बर्ताव करते थे और आज भी दोनों अच्छे दोस्त हैं. अलाया ने तलाक को अच्छे ढंग से संभालने के लिए अपने मौमडैड की तारीफ भी की. उन्होंने कहा कि उन के वे कभी एकदूसरे को कड़वी बातें नहीं कही न करते हैं. यहां तक कि उन की मां पूजा बेदी और सौतेली मां आपस में अच्छी दोस्त हैं.

अपनी इस बातचीत में अलाया ने जितनी बातें बताई, उन में से सब से खास बात यह थी कि तलाक के बाद पूजा बेदी अपने पूर्व पति की दूसरी शादी में भी गई थीं. अलाया ने बताया कि वो खुद भी अपनी सौतेली मां के करीब हैं. उन्होंने कहा कि वो अपने सौतेले भाई को सौतेला कहना बिल्कुल पसंद नहीं करती हैं.

यह परिपक्वता की वह निशानी है जो छोटी उम्र में अलाया ने सीख ली थी. अच्छेअच्छे लोग भी इन जगहों पर आ कर ढेर हो जाते हैं. घर, परिवार, रिश्ते, अलगाव व स्वीकार यह सब जीवन के वे हिस्से हैं जिसे उन्होंने सहजता से लिए. आमतौर पर रिश्तों में बिखराव जीवन को तोड़ देते हैं. लेकिन समझदारी भरी परवरिश ने उन्हें मजबूत बनाया.

बतौर एक्ट्रैस होने के बावजूद वे रील को रियल लाइफ को आपस में मिक्स नहीं होने देती. यही कारण भी है कि राजनीति से अलग फिल्मों में जिंदगी तलाशने वाले बाला साहेब ठाकरे के पोते ऐश्वर्य ठाकरे के साथ अलाया के रिश्तों की खबरें चर्चा में चलीं जिसे उन्होंने अपने इर्दगिर्द फटकने नहीं दिया.

आज अगर सोशल मीडिया अलाया एफ के इंस्टा की बात करें तो उन के करीब 19 लाख फोलौवर्स हैं. 800 से अधिक वह पोस्ट कर चुकी हैं. फिटनेस से खास लगाव होने के चलते उन्होंने इस से संबंधित पोस्ट की हैं. कई सारी अलगअलग ब्रैंड्स की भी पोस्ट हैं.

आज दुबलीपतली छरहरी फिगर वाली अलाया बौलीवुड की जानीपहचानी चेहरा बन चुकी हैं. इस में उन की मेहनत झलकती है. चीजों को कैसे हैंडल करना चाहिए यह उन्होंने बखूबी सीख लिया है. यही समझ शायद उन्हें पीआर, क्लब व शोशाबाजी और विवादों से भी उचित दूरी पर भी रखती है. कम उम्र में वह दिक्कतों का सामना करते यहां तक पहुंची है. इस मायने वह सेल्फ मेड की कैटेगरी में जगह बनाती दिखाई देती है.

जब बेटी बन गई नकली पुलिस

गुरुदेव सिंह असली पुलिस वाला था, जबकि परवीन नकली पुलिस वाली. इस के बावजूद परवीन ने पुलिस वरदी में थाने जा कर उस के खिलाफ रिपोर्ट ही नहीं दर्ज कराई, बल्कि उसे हवालात में बंद करा दियाशबाना परवीन सबइंसपेक्टर बनना चाहती थी, इसलिए बीए करने के बाद वह मन लगा कर सबइंसपेक्टर की परीक्षा की तैयारी करने लगी थी. पिता असलम खान भी उस की हर तरह से मदद कर रहे थे

मध्य प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर की जगह निकली तो शबाना परवीन ने आवेदन कर दिया. मेहनत कर के परवीन ने परीक्षा भी दी, लेकिन रिजल्ट आया तो शबाना परवीन का नाम नहीं था, जिस से उस का चेहरा उतर गया.

बेटी का उतरा चेहरा देख कर असलम ने उस की हौसलाअफजाई करते हुए फिर से परीक्षा की तैयारी करने को कहा. परवीन फिर से परीक्षा की तैयारी में लग गई. लेकिन अफसोस कि अगली बार भी वह सफल नहीं हुई. लगातार 2 बार असफल होने से परवीन के सब्र का बांध टूट गया. पिता ने उसे बहुत समझाया और फिर से परीक्षा की तैयारी करने को कहा. लेकिन परवीन की हिम्मत नहीं पड़ी. परवीन 20 साल से ऊपर की हो चुकी थी. आज नहीं तो कल उस की शादी करनी ही थी. नौकरी के भरोसे बैठे रहने पर उस की शादी की उम्र निकल सकती थी. रही बात नौकरी की तो शौहर के यहां रह कर भी वह तैयारी कर सकती थी

इसलिए असलम खान परवीन के लिए लड़का देखने लगे. थोड़ी भागादौड़ी के बाद उन्हें राजस्थान के कोटा शहर में एक लड़का मिल गया. अफसर खान एक शरीफ खानदान से था और अपना बिजनैस करता था. असलम को लगा कि परवीन इस के साथ सुखचैन से रहेगी. इसलिए अफसर खान के घर वालों से बातचीत कर के असलम ने शबाना परवीन की शादी उस से कर दी. शादी के बाद परवीन अपनी घरगृहस्थी में रम गई. एक साल बाद वह एक बेटे की मां भी बन गई. मां बनने के बाद उस की जिम्मेदारियां और बढ़ गईं. वह घरपरिवार में व्यस्त जरूर हो गई थी, लेकिन अभी भी पुलिस की वरदी पहनने की उस की तमन्ना खत्म नहीं हुई थी

यही वजह थी कि अकसर वह इंदौर आतीजाती रहती थी. अफसर खान कभी पूछता तो वह कहती, ‘‘तुम्हें तो पता ही है कि मैं पुलिस सबइंसपेक्टर की तैयारी कर रही हूं. उसी के चक्कर में इंदौर आतीजाती हूं.’’ परवीन का इंदौर आनाजाना कुछ ज्यादा ही हो गया तो एक दिन अफसर खान ने उसे समझाया, ‘‘तुम्हें नौकरी करने की क्या जरूरत है. अल्लाह का दिया हमारे पास क्या कुछ नहीं है. रुपएपैसे तो हैं ही, एक खूबसूरत बेटा भी है. इसी को संभालो और खुश रहो.’’ लेकिन परवीन इस में खुश नहीं थी. वह पुलिस की नौकरी के लिए अपनी जिद पर अड़ी थी. इसलिए घर में रोज किचकिच होने लगी. दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा. पति के लाख समझाने पर भी परवीन नहीं मानी. अफसर खान ज्यादा रोकटोक करने लगा तो एक दिन परवीन ने साफसाफ कह दिया, ‘‘अब हमारी और तुम्हारी कतई निभने वाली नहीं है. इसलिए तुम मुझे तलाक दे कर मुक्त कर दो.’’

अफसर खान अपनी बसीबसाई गृहस्थी बरबाद होते देख परेशान हो उठा. उसे कोई राह नहीं सूझी तो उस ने अपने ससुर को फोन किया. असलम खान ने भी कोटा जा कर बेटी को समझाया. लेकिन परवीन टस से मस नहीं हुई. मजबूर हो कर अफसर खान को तलाक देना ही पड़ा. तलाक के बाद परवीन अपने 5 साल के बेटे को ले कर अपने पिता के घर उज्जैन गई. पिता के घर आने के बाद भी परवीन का वही हाल रहा. वह पिता के घर से भी सुबह इंदौर के लिए निकल जाती तो देर रात तक लौटती. ऐसा कई दिनों तक हुआ तो एक दिन असलम खान ने पूछा, ‘‘बेटी, तुम रोज सुबह निकल जाती हो तो देर रात तक लौट कर आती हो, इस बीच तुम कहां रहती हो?’’

‘‘आप को पता नहीं,’’ परवीन ने कहा, ‘‘अब्बू, मैं ने मध्य प्रदेश पुलिस की सबइंसपेक्टर की परीक्षा दे रखी है. जल्दी ही मुझे नौकरी मिलने वाली है.’’

‘‘सच…?’’ असलम खान ने हैरानी से पूछा.

‘‘हां अब्बूअब जल्दी ही आप को मेरे सबइंसपेक्टर होने की खुशखबरी मिलने वाली है.’’ परवीन ने कहा.

और फिर कुछ दिनों बाद सचमुच परवीन ने घर वालों को खुशखबरी दी कि वह प्रदेश पुलिस की परीक्षा पास कर के सबइंसपेक्टर हो गई है. असलम खान को बेटी की बात पर भरोसा तो नहीं हुआ, फिर भी उन्होंने उस की बात मान ली. लेकिन जब एक दिन परवीन सबइंसपेक्टर की वरदी में घर पहुंची तो असलम खान परवीन को देखते ही रह गए. वह चहकते हुए अब्बू से बोली, ‘‘देखो अब्बू मैं दरोगा हो गई हूं. मेरे कंधे पर 2 सितारे चमक रहे हैं.’’

मारे खुशी के असलम खान की आंखों में आंसू गए. उन के मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे. वह कुछ कहते, उस के पहले ही साथ लाए मिठाई के डिब्बे से एक टुकड़ा मिठाई उस के मुंह में ठूंसते हुए परवीन ने कहा, ‘‘अब्बू, पुलिस वरदी में मै ंकैसी लग रही हूं?’’

असलम ने अल्लाह को सजदा करते हुए कहा, ‘‘अल्लाह ने हमारी तमन्ना पूरी कर दी. मेरी बेटी बहुत सुंदर लग रही है. तू बेटी नहीं बेटा है. लेकिन बेटा, इस समय तुम्हारी पोस्टिंग कहां है?’’

‘‘अभी तो मैं इंदौर के डीआरपी लाइन में हूं. जल्दी ही किसी थाने में पोस्टिंग हो जाएगी. एक साल तक मेरी ड्यूटी इंदौर में रहेगी. उस के बाद मेरा तबादला उज्जैन हो जाएगा. जब तक तबादला नहीं हो जाता, मुझे उज्जैन से इंदौर आनाजाना पड़ेगा. जरूरत पड़ने पर वहां रुकना भी पड़ सकता है.’’ परवीन ने कहा. इस के बाद तो असलम खान ने पूरे मोहल्ले में मिठाई बंटवाई तो सभी को पता चल गया कि परवीन सबइंसपेक्टर हो गई है. लोग उस की मिसालें देने लगे. बात थी ही मिसाल देने वाली. एक साधारण घर की बेटी का दरोगा बन जाना छोटी बात नहीं थी, वह भी शादी और एक बेटे की मां बन जाने के बाद.

परवीन रोजाना बस से इंदौर जाती और देर रात तक वापस घर जाती थी. कभीकभार आती तो फोन कर देती कि आज वह घर नहीं पाएगी. उस के सबइंसपेक्टर होते ही घर के सभी वाहनों पर पुलिस का लोगो चिपकवा दिया गया था, जिस से चैकिंग में कोई पुलिस वाला उन्हें परेशान करे. एक दिन परवीन अपने 2 साथियों के साथ सड़क पर वाहनों की चैकिंग कर रही थी, तभी एक मोटरसाइकिल पर 3 युवक आते दिखाई दिए. परवीन ने उन्हें रुकने का इशारा  किया. लेकिन उन युवकों ने मोटरसाइकिल जरा भी धीमी नहीं की. परवीन को समझते देर नहीं लगी कि इन का रुकने का इरादा नहीं है. वह तुरंत होशियार हो गई और मोटरसाइकिल जैसे ही उस के नजदीक आई, उस ने ऐसी लात मारी कि तीनों सवारियों सहित मोटरसाइकिल गिर गई

तीनों युवक उठ कर खड़े हुए तो मोटरसाइकिल चला रहे युवक का कौलर पकड़ कर परवीन ने कहा, ‘‘मैं हाथ दे रही थी तो तुझे दिखाई नहीं दे रहा था?’’

‘‘मैडम, मैं थाना महू का सिपाही हूं. विश्वास हो तो आप फोन कर के पूछ लें. मेरा नाम गुरुदेव सिंह चहल है. आज मैं छुट्टी पर था, इसलिए दोस्तों के साथ घूमने निकला था. यहां मैं डीआरपी लाइन में रहता हूं.’’ गुरुदेव सिंह ने सफाई देते हुए कहा. युवक ने बताया कि वह सिपाही है तो परवीन ने उसे छोड़ने के बजाए तड़ातड़ 2 तमाचे लगा कर कहा, ‘‘पुलिस वाला हो कर भी कानून तोड़ता है. याद रखना, आज के बाद फिर कभी कानून से खिलवाड़ करते दिखाई दिए तो सीधे हवालात में डाल दूंगी.’’

अपने गालों को सहलाते हुए गुरुदेव सिंह बोला, ‘‘मैडम, आप को पता चल गया कि मैं पुलिस वाला हूं, फिर भी आप ने मुझे मारा. यह आप ने अच्छा नहीं किया.’’

‘‘एक तो कानून तोड़ता है, ऊपर से आंख दिखाता है. अब चुपचाप चला जा, वरना थाने ले चलूंगी. तब पता चलेगा, कानून तोड़ने का नतीजा क्या होता है?’’ परवीन गुस्से में बोली. गुरुदेव सिंह ने मोटरसाइकिल उठाई और साथियों के साथ चला गया. लेकिन इस के बाद जब भी परवीन से उस का सामना होता, वह गुस्से से उसे इस तरह घूरता, मानो मौका मिलने पर बदला जरूर लेगा. परवीन भी उसे खा जाने वाली निगाहों से घूरती. ऐसे में ही 27 मार्च, 2014 को एक बार फिर गुरुदेव सिंह और परवीन का आमनासामना हो गया

परवीन बेसबौल का बल्ला ले कर गुरुदेव सिंह को मारने के लिए आगे बढ़ी तो खुद के बचाव के लिए गुरुदेव सिंह भागा. लेकिन वह कुछ कदम ही भागा था कि ठोकर लगने से गिर पड़ा, जिस से उस की कलाई में मोच गई. परवीन पीछे लगी थी, इसलिए चोटमोच की परवाह किए बगैर वह जल्दी से उठ कर फिर भागा. परवीन उस के पीछे लगी रहीगुरुदेव भाग कर डीआरपी लाइन स्थित अपने क्वार्टर में घुस गया. परवीन ने उस के क्वार्टर के सामने खूब हंगामा किया. लेकिन वहां वह उस का कुछ कर नहीं सकी, क्योंकि शोर सुन कर वहां तमाम पुलिस वाले गए थे, जो बीचबचाव के लिए गए थे.

29 मार्च की रात करीब 12 बजे इंदौर रेलवे स्टेशन पर एक बार फिर गुरुदेव का आमनासामना परवीन से हो गया. उस समय गुरुदेव के घर वाले भी उस के साथ थे. उन्होंने परवीन को समझाना चाहा कि एक ही विभाग में नौकरी करते हुए उन्हें आपस में लड़ना नहीं चाहिएपहले तो परवीन चुपचाप उन की बातें सुनती रही. लेकिन जैसे ही गुरुदेव की मां ने कहा कि वह उन के बेटे को बेकार में परेशान कर रही है तो परवीन भड़क उठी. उस ने चीखते हुए कहा, ‘‘मैं तुम्हारे बेटे को परेशान कर रही हूं? अभी तक तो कुछ नहीं किया. अब देखो इसे किस तरह परेशान करती हूं.’’ 

इतना कह कर परवीन ने अपने साथियों से कहा, ‘‘इसे थाने ले चलो. आज इसे इस की औकात बता ही देती हूं.’’

परवीन के साथियों ने गुरुदेव को पकड़ कर कार में बैठाया और थाना ग्वालटोली की ओर चल पड़े. कार के पीछेपीछे परवीन भी अपनी एक्टिवा स्कूटर से चल पड़ी थी. थाने पहुंच कर परवीन गुरुदेव सिंह को धकियाते हुए अंदर ले गई और ड्यूटी पर तैनात मुंशी से बोली, ‘‘इस के खिलाफ रिपोर्ट लिखो. यह मेरे साथ छेड़छाड़ करता है. जब भी मुझे देखता है, सीटी मारता है.’’

परवीन सबइंसपेक्टर की वरदी में थी, इसलिए उसे परिचय देने की जरूरत नहीं थी. गुरुदेव सिंह ने अपने बारे में बताया भी कि वह सिपाही है, फिर भी उस के खिलाफ छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिख कर मुंशी ने इस बात की जानकारी ड्यूटी पर तैनात एएसआई श्री मेढा को दी. चूंकि नए कानून के हिसाब से मामला गंभीर था, इसलिए उन्होंने गुरुदेव सिंह को महिला सबइंसपेक्टर से छेड़छाड़ के आरोप में लौकअप में डाल दियाजबकि गुरुदेव सिंह का कहना था कि पहले इस महिला सबइंसपेक्टर के बारे मे ंपता लगाएं. क्योंकि इस का कहना है कि यह डीआरपी लाइन में रहती है

वहीं वह भी रहता है. लेकिन उस ने इसे वहां कभी देखा नहीं है. गुरुदेव परवीन के बारे में पता लगाने को लाख कहता रहा, लेकिन एएसआई मेढा ने उस की बात पर ध्यान नहीं दिया, क्योंकि यह एक महिला सबइंसपेक्टर से छेड़छाड़ का मामला था. फिर उस ने एक अन्य सबइंसपेक्टर कुशवाह से मेढा की बात भी कराई थी, जबकि मेढा को पता नहीं था कि सबइंसपेक्टर कुशवाह कौन हैं और किस थाने में तैनात हैं. गुरुदेव सिंह को लौकअप में डलवा कर परवीन अपने साथियों के साथ कार से चली गई. उस ने अपना स्कूटर थाने में ही यह कह कर छोड़ दिया था कि इसे वह सुबह किसी से मंगवा लेगी

अगले दिन यानी 30 मार्च को सुबह उस ने थाना ग्वालटोली पुलिस को फोन किया कि वह अपने साथी इमरान कुरैशी को भेज रही है. उसे उस का स्कूटर दे दिया जाए. इमरान कुरैशी के थाने पहुंचने तक थानाप्रभारी आर.एन. शर्मा थाने गए थे. पुलिस वालों ने रात की घटना के बारे में उन से कहा कि सबइंसपेक्टर शबाना परवीन का साथी इमरान कुरैशी उन का एक्टिवा स्कूटर लेने आया है तो उन्होंने उसे औफिस में भेजने को कहा. इमरान उन के सामने पहुंचा तो उस का हुलिया देख कर उन्होंने पूछा, ‘‘तुम पुलिस वाले हो?’’

‘‘नहीं साहब, मैं पुलिस वाला नहीं हूं. मैं तो चाट का ठेला लगाता हूं. चूंकि मैं परवीनजी का परिचित हूं इसलिए अपना स्कूटर लेने के लिए भेज दिया है.’’

इस के बाद वहां खड़े सिपाही से थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘परवीन को बुला लो कि वह कर अपना स्कूटर खुद ले जाए. उस का स्कूटर किसी दूसरे को नहीं दिया जाएगा.’’

इमरान के पास परवीन का नंबर था, उस ने उसे फोन कर दिया. थोड़ी देर में परवीन थाना ग्वालटोली पहुंची. उस समय भी वह पुलिस सबइंसपेक्टर की वरदी में थी. उस ने थानाप्रभारी आर.एन. शर्मा के सामने जा कर दोनों हाथ जोड़ करनमस्तेकिया तो वह उसे हैरानी से देखते रह गए. वह पुलिस की वरदी में थी. उस के कंधे पर सबइंसपेक्टर के 2 स्टार चमक रहे थे. उन्होंने बड़े प्यार से पूछा, ‘‘मैडम, तुम किस थाने में तैनात हो?’’

‘‘फिलहाल तो मैं डीआरपी लाइन में हूं.’’ परवीन बड़ी ही शिष्टता से बोली

‘‘आरआई कौन है?’’ थानाप्रभारी श्री शर्मा ने पूछा तो परवीन बगले झांकने लगी. साफ था, उसे पता नहीं था कि आरआई कौन है. जब वह आरआई का नाम नहीं बता सकी तो थानाप्रभारी ने कहा, ‘‘अपना आईकार्ड दिखाओ.’’

परवीन के पास आईकार्ड होता तब तो दिखाती. उस ने जैसे ही कहा, ‘‘सर, आईकार्ड तो नहीं है.’’ थानाप्रभारी ने थोड़ी तेज आवाज में कहा, ‘‘सचसच बताओ, तुम कौन हो? तुम नकली पुलिस वाली हो ?’’

परवीन ने सिर झुका लिया. थानाप्रभारी आर.एन. शर्मा ने कहा, ‘‘मैं तो उसी समय समझ गया था कि तुम नकली पुलिस वाली हो, जब तुम ने दोनों हाथ जोड़ कर मुझ से नमस्ते किया था. तुम्हें पता होना चाहिए कि पुलिस विभाग में अपने सीयिर अफसर को हाथ जोड़ करनमस्तेकरने के बजाय सैल्यूट किया जाता हैतुम्हारे कंधे पर लगे स्टार भी बता रहे हैं कि स्टार लगाना भी नहीं आता. क्योंकि तुम ने कहीं टे्रनिंग तो ली नहीं है. तुम्हारे कंधे पर जो स्टार लगे हैं, उन की नोक से नोक मिल रही है, जबकि कोई भी पुलिस वाला स्टार लगाता है तो उस की स्टार की नोक दूसरे स्टार की 2 नोक के बीच होती है.’’

परवीन ने देखा कि उस की पोल खुल गई है तो वह जोरजोर से रोने लगी. रोते हुए ही उस ने स्वीकार कर लिया कि वह नकली पुलिस वाली है. इस के बाद थानाप्रभारी ने लौकअप में बंद गुरुदेव सिंह को बाहर निकलवाया. पूछताछ में उस ने बताया कि वह भी सिपाही है और थाना महू में तैनात है. यहां वह डीआरपी लाइन में रहता है. रोजाना बस से महू अपनी ड्यूटी पर जाता हैइस के बाद थानाप्रभारी आर.एन. शर्मा ने थाना महू फोन कर के गुरुदेव सिंह के बारे में जानकारी ली तो वहां से बताया गया कि वह उन के यहां सिपाही के रूप में तैनात है. फिर डीआरपी लाइन फोन कर के आरआई से भी उस के बारे में पूछा गया. आरआई ने भी बताया कि वह लाइन में रहता है.

पूछताछ में परवीन ने मान लिया कि उस ने गुरुदेव के खिलाफ फरजी मामला दर्ज कराया था तो थानाप्रभारी ने उसे छोड़ दिया. अब परवीन रोते हुए अपने किए की माफी मांग रही थी. पूछताछ में उस ने कहा, ‘‘मैं यह वरदी इसलिए पहनती हूं कि कोई मुझ से छेड़छाड़ करे. इस के अलावा मेरे पिता चाहते थे कि मैं पुलिस अफसर बनूं. मैं ने कोशिश भी की, लेकिन सफल नहीं हुई. पिता का सपना पूरा करने के लिए मैं नकली दरोगा बन गई. मेरे नकली दरोगा होने की जानकारी मेरे अब्बूअम्मी को नहीं है. अगर उन्हें असलियत पता चल गई तो वे जीते जी मर जाएंगे. इसलिए साहब आप उन्हें यह बात मत बताइएगा.’’

पूछताछ के बाद थानाप्रभारी आर.एन. शर्मा ने लोक सेवक प्रतिरूपण अधिनियम की धारा 177 के तहत परवीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा गिरफ्तार कर लिया. इस के बाद उस की गिरफ्तारी की सूचना उस के पिता असलम खान को दी गईउज्जैन से इंदौर 53 किलोमीटर दूर है. थाना ग्वालटोली पहुंचने पर जब उसे पता चला कि परवीन नकली दरोगा बन कर सब को धोखा दे रही थी तो वह सन्न रह गया. वह सिर थाम कर बैठ गया. असलम खान बेटी की नादानी से बहुत दुखी हुआ. वह थानाप्रभारी से उस की गलती की माफी मांग कर उसे छोड़ने की विनती करने लगा.

चूंकि परवीन के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं था, इसलिए थानाप्रभारी ने उसे थाने से ही जमानत दे दी. सिपाही गुरुदेव सिंह ने भी उस के खिलाफ मामला दर्ज नहीं कराया था. क्योंकि वह खुद ही छेड़छाड़ के मामले में फंस रहा था. लेकिन अगले दिन परवीन के बारे में अखबार में छपा तो लोग पुलिस पर अंगुली उठाने लगे. लोगों का कहना था कि पहले पुलिस को परवीन के बारे में जांच करनी चाहिए थीक्योंकि इंदौर में आए दिन नकली पुलिस बन कर उन महिलाओं को ठगा जा रहा है, जो गहने पहन कर घर से निकलती हैं.

मौका देख कर नकली पुलिस के गिरोह के सदस्य महिला को रोक कर कहते हैं कि आजकल शहर में लूटपाट की घटनाएं बहुत हो रही हैं. इसलिए आप अपने गहने उतार कर पर्स या रूमाल में रख लीजिए. इस के बाद एक पुलिस वाला महिला के गहने उतरवाता है. उसी दौरान उस का साथी महिला को बातों में उलझा लेता है तो गहने उतरवाने वाला सिपाही महिला की नजर बचा कर गहने की जगह कंकड़ पत्थर बांध कर महिला को पकड़ा देता हैअब तक पुलिस ऐसे किसी भी नकली पुलिस के गिरोह को नहीं पकड़ सकी थी. इस के बावजूद पुलिस ने हाथ आई उस नकली दरोगा के बारे में जांच किए बगैर छोड़ दिया, इसलिए लोगों में गुस्सा था.

होहल्ला हुआ तो थाना ग्वालटोली पुलिस ने परवीन के बारे में थोड़ीबहुत जांच की. परवीन ने पुलिस को बताया था कि वह एक महीने से सबइंसपेक्टर की वरदी पहन रही है. लेकिन उस की वरदी तैयार करने वाले दरजी का कहना है कि वह एक साल से उस के यहां वरदी सिलवा रही है. वहीं चिकन की दुकान चलाने वाले नियाज ने पुलिस को बताया कि परवीन उस के यहां से चिकन ले जाती थी. पुलिस का रौब दिखाते हुए वह उस के पूरे पैसे नहीं देती थी. पुलिस की वरदी में होने की वजह से वह बस वालों का किराया नहीं देती थी. कथा लिखे जाने तक पुलिस को कहीं से ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली थी कि उस ने किसी को ठगा हो या जबरन वसूली की हो.

शायद यही वजह है कि पुलिस कह रही है कि परवीन के खिलाफ कोई रिपोर्ट दर्ज है, उस का कोई पुराना आपराधिक रिकौर्ड है. किसी ने यह भी नहीं कहा है कि उस ने जबरदस्ती वसूली की है. इसलिए उसे थाने से जमानत दे दी गई है. बहरहाल पुलिस अभी उस के बारे में पता कर रही है. जांच पूरी होने के बाद ही उस के खिलाफ आरोपपत्र अदालत में पेश किया जाएगा.

  —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

पुलिसवाले ने अपने ही बेटे की प्रेमिका को उतारा मौत के घाट

उत्तर प्रदेश पुलिस में दरोगा बच्चू सिंह के बेटे तरुण की दोस्ती प्रियंका से हो गई थी. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन जब पिता के कहने पर तरुण ने शादी से इनकार कर दिया तो प्रियंका ने अपने हक की लड़ाई लड़ने की सोची. उसे क्या पता था कि इस लड़ाई में…   

प्रियंका को जल्दीजल्दी तैयार होता देख उस की मां चित्रा ने पूछा, ‘‘क्या बात है, आज कहीं जल्दी जाना है क्या, जो इतनी जल्दी उठ कर तैयार हो गई?’’

‘‘हां मम्मी, परसों जो मैडम आई थीं, जिन्हें मैं ने अपने फोटो, आई कार्ड और सीवी दिया था, उन्होंने बुलाया है. कह रही थीं कि उन्होंने अपने अखबार में मेरी नौकरी की बात कर रखी है. इसलिए मुझे टाइम से पहुंचना है.’’ प्रियंका ने कहा तो चित्रा ने टिफिन में खाना पैक कर के उसे दे दिया. प्रियंका ने टिफिन अपने बैग में रखा और शाम को जल्दी लौट आने की बात कह कर बाहर निकल गई. कुछ देर बाद प्रियंका के पापा जगवीर भी अपने क्लीनिक पर चले गए तो चित्रा घर के कामों में व्यस्त हो गई. उस दिन शाम को करीब साढ़े 5 बजे जगवीर सिंह के मोबाइल पर उन के साले ओमदत्त का फोन आया

ओमदत्त ने उन्हें बताया, ‘‘जीजाजी, मेरे फोन पर कुछ देर पहले प्रियंका का फोन आया था. वह कह रही थी कि बच्चू सिंह ने अपने बेटे राहुल और कुछ बदमाशों की मदद से उस का अपहरण करवा लिया है और वह अलीगढ़ के पास खैर इलाके के वरौला गांव में है.’’ ओमदत्त की बात सुन कर जगवीर सिंह की आंखों के आगे अंधेरा छा गया. उन्होंने जैसेतैसे अपने आप को संभाला और क्लीनिक बंद कर के घर गए. तब तक उन का साला ओमदत्त भी उन के घर पहुंच गया था. मामला गंभीर था. विचारविमर्श के बाद दोनों गाजियाबाद के थाना कविनगर पहुंचे और लिखित तहरीर दे कर 25 वर्षीया प्रियंका के अपहरण की नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

जगवीर सिंह सपरिवार गोविंदपुरम गाजियाबाद में किराए के मकान में रहते थे. उन के परिवार में पत्नी चित्रा के अलावा 3 बच्चे थेबेटी प्रियंका और 2 बेटे पंकज तितेंद्र. उन का बड़ा बेटा पंकज एक टूर ऐंड ट्रैवल कंपनी की गाड़ी चलाता था, जबकि छोटा तितेंद्र सरकारी स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा थाजगवीर सिंह ने 7 साल पहले प्रियंका की शादी गुलावठी के धर्मेंद्र चौधरी के साथ कर दी थी. धर्मेंद्र एक ट्रैवल एजेंसी में काम करता था. शादी के 1 साल बाद प्रियंका एक बेटे की मां बन गई थी, जो अब 6 साल का है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से जगवीर अपने बच्चों को अधिक पढ़ालिखा नहीं सके. उन का छोटा सा क्लीनिक था, जहां वह बतौर आरएमपी प्रैक्टिस करते थे. यही क्लीनिक उन की आय का एकमात्र साधन था

प्रियंका शहर में पलीबढ़ी महत्त्वाकांक्षी लड़की थी. शादी के बाद गांव उसे कभी भी अच्छा नहीं लगा. इसी को ले कर जब पतिपत्नी में अनबन रहने लगी तो प्रियंका ने पति से अलग रहने का निर्णय ले लिया और बेटे सहित धर्मेंद्र का घर छोड़ कर मातापिता के पास गाजियाबाद गई. जगवीर सिंह की आर्थिक स्थिति पहले से ही खराब थी. बेटे सहित प्रियंका के मायके जाने से उन के पारिवारिक खर्चे और भी बढ़ गएकिसी भी मांबाप के लिए यह किसी विडंबना से कम नहीं होता कि उन की बेटी शादी के बाद भी उन के साथ रहे. इस बात को प्रियंका अच्छी तरह समझती थी. इसलिए वह अपने स्तर पर नौकरी की तलाश में लग गई. काफी खोजबीन के बाद भी जब उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उस ने एक मोबाइल शौप पर सेल्सगर्ल की नौकरी कर ली.

मोबाइल शौप पर काम करते हुए प्रियंका की मुलाकात तरुण से हुई. तरुण चढ़ती उम्र का अच्छे परिवार का लड़का था. पहली ही मुलाकात में तरुण आंखों के रास्ते प्रियंका के दिल में उतर गया. बातचीत हुई तो दोनों ने अपनाअपना मोबाइल नंबर एकदूसरे को दे दिया. इस के बाद दोनों प्राय: रोज ही एकदूसरे से फोन पर बातें करने लगेजल्दी ही मिलनेमिलाने का सिलसिला भी शुरू हो गया. दोनों एकदूसरे को दिन में कई बार फोन और एसएमएस करने लगे. जब समय मिलता तो दोनों साथसाथ घूमते और रेस्टोरेंट वगैरह में जाते. धीरेधीरे दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती गईंतरुण के पिता बच्चू सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में सबइंसपेक्टर थे और गाजियाबाद के थाना मसूरी में तैनात थे. जब तरुण और प्रियंका के संबंध गहराए तो उन दोनों की प्रेम कहानी का पता बच्चू सिंह को भी लग गया.  

उन्होंने जब इस बारे में तरुण से पूछा तो उस ने बेहिचक सारी बातें पिता को बता दीं. प्रियंका के बारे में भी सब कुछ और यह भी कि वह उस से शादी की इच्छा रखता है. उधर प्रियंका भी तरुण से शादी का सपना देखने लगी थी. बेटे की प्रेमकहानी सुन कर बच्चू सिंह बहुत नाराज हुए. उन्होंने तरुण से साफसाफ कह दिया कि वह प्रियंका से दूर रहे, क्योंकि एक तलाकशुदा और एक बच्चे की मां कभी भी उन के परिवार की बहू नहीं बन सकती. इतना ही नहीं, उन्होंने प्रियंका को भी आगे बढ़ने की सख्त चेतावनी दी. प्रियंका और अपने बेटे की प्रेम कहानी को ले कर वह तनाव में रहने लगे. बच्चू सिंह ने प्रियंका और तरुण को चेतावनी भले ही दे दी थी, पर वे जानते थे कि ऐसी स्थिति में लड़का समझेगा लड़की. इसी वजह से उन्हें इस समस्या का कोई आसान हल नहीं सूझ रहा था. आखिर काफी सोचविचार कर उन्होंने प्रियंका को समझाने का फैसला किया.

बच्चू सिंह ने प्रियंका को समझाया भी, लेकिन वह शादी की जिद पर अड़ी रही. इतना ही नहीं, ऐसा होने पर उस ने बच्चू सिंह को परिवार सहित अंजाम भुगतने की धमकी तक दे डाली. अपनी इस धमकी को उस ने सच भी कर दिखाया1 मार्च, 2013 को उस ने थाना कविनगर में बच्चू सिंह, उन की पत्नी, बेटे राहुल, नरेंद्र, प्रशांत और रोबिन के खिलाफ धारा 376, 452, 323, 506 406 के तहत मुकदमा दर्ज करा दिया, जिस में उस ने घर में घुस कर मारपीट, बलात्कार और 70 हजार रुपए लूटने का आरोप लगायाबलात्कार का आरोप लगने से बच्चू सिंह के परिवार की बड़ी बदनामी हुई. इस मामले में बच्चू सिंह का नाम आने पर उन का तबादला मेरठ के जिला बागपत कर दिया गया. मामला चूंकि एक पुलिसकर्मी से संबंधित था, सो इस सिलसिले में गंभीर जांच करने के बजाय विभागीय जांच के नाम पर इसे लंबे समय तक लटकाए रखा गया

जबकि दूसरे आरोपियों के खिलाफ कानूनी काररवाई की गई. उधर बच्चू सिंह के खिलाफ कोई विशेष काररवाई होते देख प्रियंका ने उन के बड़े बेटे राहुल और उस के दोस्त के खिलाफ 17 जून, 2013 को छेड़खानी मारपीट का एक और मुकदमा दर्ज करा दिया. इस से बच्चू सिंह का परिवार काफी दबाव में गया. 2-2 मुकदमों में फंसने से बच्चू सिंह और उन के परिवार को रोजरोज कोर्ट के चक्कर लगाने पड़ रहे थे. इसी सब के चलते 31 नवंबर, 2013 को प्रियंका घर से गायब हो गई. प्रियंका के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होने पर थानाप्रभारी कविनगर ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सबइंसपेक्टर शिवराज सिंह को सौंप दी. शिवराज सिंह प्रियंका द्वारा दर्ज कराए गए पिछले 2 केसों की भी जांच कर रहे थे. उन्होंने पिछले दोनों केसों की तरह इस मामले में भी कोई विशेष दिलचस्पी नहीं ली

दूसरी ओर प्रियंका के मातापिता लगातार थाने के चक्कर लगाते रहे. उन्होंने डीआईजी, आईजी और गाजियाबाद के एसपी, एसएसपी तक सभी अधिकारियों को अपनी परेशानी बताई . लेकिन किसी भी स्तर पर उन की कोई सुनवाई नहीं हुई. इसी बीच अचानक थानाप्रभारी कविनगर का तबादला हो गया. उन की जगह नए थानाप्रभारी आए अरुण कुमार सिंह. अरुण कुमार सिंह ने प्रियंका के अपहरण के मामले में विशेष दिलचस्पी लेते हुए इस की जांच का जिम्मा बरेली से तबादला हो कर आए तेजतर्रार एसएसआई पवन चौधरी को सौंप कर कड़ी जांच के आदेश दिएपवन चौधरी ने जांच में तेजी लाते हुए इस मामले में उस अज्ञात नामजद महिला पत्रकार के बारे में पता किया, जिस ने लापता होने वाले दिन प्रियंका को नौकरी दिलाने के लिए बुलाया था. छानबीन में यह भी पता चला कि उस महिला का नाम रश्मि है और वह अपने पति के साथ केशवपुरम में किराए के मकान में रहती है. यह भी पता चला कि वह खुद को किसी अखबार की पत्रकार बताती है.

पवन चौधरी ने रश्मि का मोबाइल नंबर हासिल कर के उस की काल डिटेल्स निकलवाई. काल डिटेल्स से यह बात साफ हो गई कि 31 नवंबर को उसी ने प्रियंका को फोन किया था. यह जानकारी मिलते ही पुलिस ने 18 फरवरी, 2014 को रात साढ़े 12 बजे रश्मि और उस के पति अमरपाल को उन के घर से गिरफ्तार कर लिया. थाने पर जब दोनों से पूछताछ की गई तो पहले तो पतिपत्नी ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, लेकिन जब उन के साथ थोड़ी सख्ती की गई तो वे टूट गए. मजबूर हो कर उन दोनों ने सारा राज खोल दिया. पता चला कि प्रियंका की हत्या हो चुकी है. रश्मि और उस के पति अमरपाल के बयानों के आधार पर 19 फरवरी को सब से पहले सिपाही विनेश कुमार को गाजियाबाद पुलिस लाइन से गिरफ्तार किया गया. इस के बाद उसी दिन इस हत्याकांड के मास्टरमाइंड बच्चू सिंह को टटीरी पुलिस चौकी, बागपत से गिरफ्तार कर गाजियाबाद लाया गया.

थाने पर जब सब से पूछताछ की गई तो पता चला कि बच्चू सिंह प्रियंका द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमों से बहुत परेशान रहने लगे थे. इसी चक्कर में उन का तबादला भी बागपत कर दिया गया था. यहीं पर बच्चू सिंह की मुलाकात उन के साथ काम करने वाले सिपाही राहुल से हुईराहुल अलीगढ़ का रहने वाला था. बच्चू सिंह ने अपनी समस्या के बारे में उसे बताया. राहुल पर भी अलीगढ़ में एक मुकदमा चल रहा था, जिस के सिलसिले में वह पेशी पर अलीगढ़ आताजाता रहता था. राहुल का एक दोस्त विनेश कुमार भी पुलिस में था और गाजियाबाद में तैनात था. विनेश जब एक मामले में अलीगढ़ जेल में था तो उस की मुलाकात एक बदमाश अमरपाल से हुई थी. विनेश ने अमरपाल की जमानत में मदद की थी. इस के लिए वह विनेश का एहसान मानता था. बच्चू सिंह ने राहुल और विनेश कुमार के माध्यम से अमरपाल से प्रियंका की हत्या का सौदा 2 लाख रुपए में तय कर लिया.

योजना के अनुसार अमरपाल ने इस काम के लिए अपनी पत्नी रश्मि की मदद ली. उस ने रश्मि को प्रियंका से दोस्ती करने को कहाउस ने प्रियंका से दोस्ती गांठ कर उसे विश्वास में ले लियारश्मि को जब यह पता चला कि प्रियंका को नौकरी की जरूरत है तो उस ने खुद को एक अखबार की पत्रकार बता कर प्रियंका को 30 नवंबर, 2013 की सुबह फोन कर के घर से बाहर बुलाया और बसअड्डे ले जा कर उसे अमरपाल को यह कह कर सौंप दिया कि वह अखबार का सीनियर रिपोर्टर है और अब आगे उस की मदद वही करेगा. अमरपाल प्रियंका को बस से लालकुआं तक लाया, जहां पर रितेश नाम का एक और व्यक्ति मोटरसाइकिल लिए उस का इंतजार कर रहा था. तीनों उसी बाइक से ले कर देर शाम अलीगढ़ पहुंचे

वहां से वे लोग खैर के पास गांव बरौला गए. तब तक प्रियंका को शक हो गया था कि वह गलत हाथों में पहुंच गई है. जब एक जगह बाइक रुकी तो प्रियंका ने बाथरूम जाने के बहाने अलग जा कर अपने मामा को फोन कर के अपनी स्थिति बता दी. बाद में जब इन लोगों ने एक नहर के पास बाइक रोकी तो प्रियंका ने भागने की कोशिश भी की. लेकिन वह गिर पड़ी. यह देख अमरपाल और रितेश ने उसे पकड़ लिया और उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. हत्या के बाद इन लोगों ने प्रियंका की लाश नहर में फेंक दी और अलीगढ़ स्थित अपने घर चले गए. इस हत्याकांड में बच्चू सिंह के बेटे राहुल की भी संलिप्तता पाए जाने पर पुलिस ने अगले दिन उसे भी गिरफ्तार कर लिया

इस हत्याकांड में नाम आने पर सिपाही राहुल फरार हो गया था, जिसे पुलिस गिरफ्तार करने की कोशिश कर रही थी. पूछताछ के बाद सभी गिरफ्तार अभियुक्तों को अगले दिन गाजियाबाद अदालत में पेश किया गया, जहां से रश्मि, बच्चू सिंह, विनेश कुमार और तरुण को जेल भेज दिया गया. जबकि अमरपाल को रिमांड पर ले कर प्रियंका की लाश की तलाश में खैर इलाके का चक्कर लगाया गया

लेकिन वहां पर लाश का कोई अवशेष नहीं मिला. पुलिस ने उस इलाके की पूरी नहर छान मारी, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला. रिमांड अवधि पूरी होने पर अमरपाल को भी डासना जेल भेज दिया गया. फिलहाल सभी अभियुक्त डासना जेल में बंद हैं.

   —कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित                                             

तीन बीवियों के बावजूद डोनाल्‍ड ट्रंप ने कई लड़कियों से चलाए चक्‍कर

इन दिनों अमेरिका में चुनाव चल रहे है. इस रेस में डोनाल्ड ट्रंप दिख रहे है. राष्ट्रपति पद के लिए वोटों की गिनती चल रही है. डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए 900 से ज्यादा रैलियों में हिस्सा लिया. कई बार भाषणों से लोगों का दिल जीता. डोनाल्ड ट्रंप की पर्सनल लाइफ में नजर डाले तो वे काफी रसिया मिजाज के है. इन्होंने एक से ज्यादा महिलाओं से संबंध रखें है. इनकी कई गर्लफ्रेंड्स रही है. इतना ही नहीं, इन्होंने बीवीयां भी कई बनाई और सभी से इनकी एक अलग ही लव स्टोरी बनीं है.

डोनाल्ड की पहली पत्नी और प्यार

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने अबतक के जीवन में तीन शादियां की जिनसे उनके पांच बच्चे हैं. उनके बड़े बच्चों के भी बच्चे हैं, यानी मौजूदा समय में ट्रंप परिवार में तीन पीढ़ियां हैं. उनके पहले प्यार की बात करें तो वाइफ का नाम इवाना था. जिनसे उनका मिलना सन 1976 में हुआ. पहली बार वे दोनों किसी होटल मिले. इवाना पहले से शादीशुदा थी. वे काफी खुबसूरत महिला रही. इवाना पूर्व चेकोस्लोसवाकिया में कम्युलनिस्टथ शासन में पली-बढ़ीं थीं. इवाना ने साम्यडवाद को छोड़कर अमेरिका को अपनाया था. डोनाल्ड ट्रंप और इवाना की शादी 14 साल तक चली. डोनाल्ड ट्रंप और इवाना के तीन बच्चेा हुए डोनाल्डक जूनियर, इवांका और एरिक.

ट्रंप का दूसरा प्यार कैसे पहुंचा तलाक तक

इसके बाद ट्रंप की लाइफ में एक और लड़की आई. जो कि पेशे से एक्ट्रेस थी. मार्ला मेपल्स नाम की एक्ट्रेस से ट्रंप का रोमांस दोगुना होने लगा. लेकिन, जब दोनों की फोटो टैबलौयड्स में छपी तो सनसनी फैल गई. मार्ला मेपल्स से इश्क के चलते डोनाल्ड ट्रंप की ही पहली शादी टूट गई थी. इसके बाद ट्रंप ने 1993 में दूसरी शादी रचाई, लेकिन ये शादी भी चार साल तक चली. शादी टूटने की वजह एक सिक्योरिटी गार्ड था. क्योंकि मार्ला मेपल्स को सुरक्षा गार्ड अच्छा लगने लगा था. मार्ला की बेवफाई के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने इस रिश्ते को खत्म करने में कोई देर नहीं लगाई. हालांकि दोनों का कानूनी रूप से तलाक 1999 में हो पाया.

ट्रंप की तीसरी शादी

अपनी पहली दों बीवियों को तलाक दें चुके डोनाल्ड ट्रंप ज्यादा दिनों तक सिंगल नहीं रहे. छह फुट लंबी, छरहरी मेलानिया पेरिस और मिलान के मशहूर फैशन जगत में मौडल के तौर पर धूम मचा रही थीं. उसी दौरान न्यूयोर्क फैशन वीक की एक पार्टी में डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात मेलानिया से हुई. पांच मिनट की बातचीत में ही दोनों में प्यार हो गया. डोनाल्ड ट्रंप ने उनका टेलीफोन नंबर मांग लिया. उस दिन डोनाल्ड ट्रंप ने मेलानिया को एक शानदार मौडलिंग करियर का सपना दिखाया. उस समय डोनाल्ड ट्रंप की कंपनी इवेंट मैनेजमेंट से लेकर रियल एस्टेट में एक बड़ा नाम हुआ करती थी. दोनों में काम के जरिए पहले प्यार हुआ, लेकिन बाद तलाक हो गया है.

गर्लफ्रेड्स की भी रही है लंबी लिस्ट

डोनाल्ड ट्रंप ने यू तीन शादियां की. लेकिन उनके अफेयर्स भी कम नहीं रहे है. गर्लफ्रेंड की लिस्ट छोटी नहीं रही है. ट्रंप हमेशा से ही लड़कियों को लेकर और सुर्खियों में रहे है. पत्नियों के अलावा उन्होंने अपनी कई लव स्टोरी भी बनाई. जिनसे उन्होंने शादी तो नहीं कि लेकिन संबंध बहुत बनाएं है. ट्रंप ने 1995 में मॉडल कायली बैक्स को डेट किया था. इनके बीच कई साल तक दोस्ताना रिश्ते रहे.

ट्रंप की लाइफ में एक मौडल एलिसन जियानिनी भी आईं. दोनों की उम्र में लंबा अंतर रहा. उस समय ट्रंप 50 साल के और एलिसन जियानिनी 27 साल की थीं. साल 2001 में दोनों एक-दूसरे को डेट करने लगे. लेकिन ज्यादा समय ट्रंप ने जियानिनी के साथ भी नहीं बिताया कि. उनकी जिंदगी में रोवेन ब्रेवर लेन नाम की एक मौडल आ गई. ब्रेवर केवल 26 साल की थीं तब वह ट्रंप के साथ रिलेशनशिप में आई. यह रिश्ता काफी कम समय तक चला. लेकिन लड़कियों का सिलसिला यही खत्म नहीं हुआ है.

ट्रंप की लाइफ में फिर से एक मौडल एक्ट्रेस अन्ना निकोल स्मिथ आई जो उनकी गर्लफ्रेंड रही. इतना ही नहीं, आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि अपने समय की मशहूर टेनिस खिलाड़ी अर्जेंटीना की ग्रैबिएला सबातिनी भी ट्रंप की गर्लफ्रेंड रही चुकी हैं. वो ट्रंप पर अपना दिल हार चुकी थी. उनकी यह दोस्ती 1989 में शुरू हुई थी, लेकिन इनकी मुलाकात बेहद छोटी रही. इसके अलावा ट्रंप ने कैंडिस बर्जन नाम की महिला को भी डेट किया. तो कहा जा सकता है कि पत्नियों से ज्यादा लंबी टाइम गर्लफ्रेंड्स को दिया है.

कशिश कपूर ने अविनाश को कहा ‘गंवार’, बिग बौस 18 में मचा घमासान

सलमान खान के धमाकेदार शो ‘बिग बॉस 18’ इन दिनों खूब धमाके हो रहे हैं. शो में एक से बढ़कर एक कंटेस्टेंट नजर आ रहे हैं. शो में बारबार कंटेस्‍टेंट भिड़ रहे हैं. फैंस को शायद बिग बौस में कंटेस्टेंट की भिड़ते देखने में ही मजा आता है. इन दिनों कशिश कपूर ऐसे ही हंगामे के केंद्र में हैं. सोशल मीडिया पर कशिश से जुड़ी ऐसी कई वीडियोज वायरल हो रही है.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sarassalil (@sarassalil_magazine)

कशिश क्‍यों अविनाश से भिड़ी

कशिश कपूर ने घर में आते ही आतंक मचा दिया है उनकी भिड़त अविनाश से हो गई है. कशिश कपूर ने इससे पहले ईशा सिंह को तो आईना दिखाया ही था. अब अविनाश मिश्रा को मुंह पर ‘चोमू’ कहा. सोशल मीडिया पर कशिश की फैन फौलोइंग इसी बात के लिए बढ़ रही है कि लोगों को लग रहा है, ‘ बंदी लड़ भी लेती है और चिल्लाना भी नहीं पड़ता’. कशिश कपूर घर में एक एक करके सबकी बोलती बंद करती दिख रही है. बाकी फीमेल कंटेस्टेंट से इनका कोई खास झगड़ा या लफड़ा देखने को नहीं मिल रहा है, कशिश केवल ‘मेल’ कंटेस्टेंट को टक्कर दे रही है. कशिश का ये अंदाज लोगों को काफी पसंद आ रहा है.

कैसे करती है बोलती बंद

हाल में जो कशिश कपूर और अविनाश का क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें दोनों आपस में एक दूसरे की बोलती बंद करते दिख रहे हैं. इसमें कशिश ने अविनाश को मुंहतोड़ जवाब दिए हैं. दरअसल, हुआ यूं कि ईशा सिंह और कशिश कपूर की बात चल रही थी. इस दौरान अविनाश मिश्रा बीच में कूद पड़े. इसपर कशिश कपूर ने मुहावरा कहा, “चोर की दाढ़ी में तिनका.” अविनाश मिश्रा ने कशिश कपूर की बातों पर जवाब दिया, कि “मेरी दाढ़ी में बहुत रुचि है आपको?” वहीं कशिश कपूर ने इसके जवाब में उन्हें चोमू कहा और बोला, “अबे चोमू कहावत है ये. कहावत नहीं आती आपको? पढ़े लिखे गंवार हो क्या?” ‘बिग बौस 18’ में कशिश कपूर का ये बेबाक अंदाज लोगों को खूब पसंद आया है.
कशिश कपूर कौन है.

आपको बता दें कि बिग बौस 18 में एक महीने में ही वाइल्ड कार्ड कंटेस्टेंट की एंट्री करा दी गई है. जिसमें पहला नाम कशिश कपूर का ही है और दूसरा नाम दिग्विजय सिंह राठी का है. राठी तो अभी अपना सोफ्ट कोर्नर पकड़े हुए दिख रहे हैं लेकिन केशिश कपूर ने अलग ही घमासान मचा दिया है. वाइल्ड कार्ड एंट्री लेने वाली कशिश कपूर पेशे से डिजिटल क्रिएटर हैं. ये मौडल ‘एमटीवी स्प्लिट्सविला X5’ में नजर आईं थी और वही से पौपुलर भी हुई. इन्होंने एक ब्यूटी पेजेंट कौम्पीटिशन में ‘मिस फैशन आइकन’ का खिताब अपने नाम किया था. अपने करियर को लेकर इतनी सीरियस रही हैं कि कौलेज के दौरान इन्होंने फ्रीलांस होस्ट और ट्यूशन टीचर के तौर पर भी काम किया. इनका यही नौलेज और टैलेंट उन्हे बिग बौस में खींच लाया है.

बता दें कि इंस्टाग्राम पर कशिश कपूर काफी एक्टिव रही हैं और इनके 690 हजार फौलोअर्स हैं. फिलहाल सिंगल हैं और करियर पर ध्यान दे रही हैं. शो में भी फैंस इनकी तारीफ कर रहे हैं सोशल मीडिया पर तो जबरदस्त ट्रेंड कर रही हैं.

इतना ही नहीं, अविनाश मिश्रा और कशिश कपूर को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर मीम्स वायरल हो रहा हैं. दोनों के जबरदस्त वीडियो और कोमेडी पोस्टर बना कर अपलोड किए जा रहे हैं. जिन पर ढेरों लाइक्स और कमेंट्स की बौछार हो रही है. एक यूजर ने लिखा, “अविनाश को उसी की जुबान में जवाब देने वाली आ गई है. मजा आएगा.” दूसरे यूजर ने लिखा, “यार ये बंदी ने तो मुंह बंद कर दिया थोड़ी देर में, क्या बैंड बजाई है.” तीसरे यूजर ने लिखा, “इसी तरह जवाब दिया जाता है. उसकी फालतू की बातों पर नाराज होने की जगह उसे उसी की भाषा में जवाब दो. उसका घमंड ये झेल नहीं पाएगा.”
इनदोनाें का झगड़ा आगे क्‍या रंग लाता है, यह तो आने वाला वक्‍त बताएगा.

मेरा आशिक अकेले में मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छेड़ता है. क्या मुझे उसे रोकना चाहिए?

सवाल –

मेरी उम्र 22 साल है. मेरा एक बौयफ्रैंड है जिस से मेरा रिलेशन 1 साल से चल रहा है. वह मुझ से बहुत प्यार करता है और मेरा अच्छे से खयाल भी रखता है. लेकिन मेरा बौयफ्रैंड जब भी मुझ से अकेले में मिलता है तो वह मेरे प्राइवेट पार्ट्स को छूने की कोशिश करता है. मैं हर बार उसे ऐसा कुछ करने से मना करती हूं लेकिन वह फिर भी नहीं मानता और कहता है कि गर्लफ्रैंड और बौयफ्रेंड में यह सब चलता है. मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या मुझे उसे यह सब करने देना चाहिए?

जवाब –

आजकल रिलेशनशिप में आना काफी सामान्य सी बात है और कई लोग रिलेशनशिप में न सिर्फ रोमांस बल्कि सैक्स भी कर लेते हैं. हर इंसान को रोमांस करना पसंद होता है. जैसाकि आप ने बताया कि आप का बौयफ्रैंड अकेले में आप के प्राइवेट पार्ट्स को छूता है तो ऐसे में आप खुद सोचिए कि क्या आप को अच्छा लगता है जब वह यह सब करता है?

अगर आप को यह सब अच्छा लगता है और आप का बौयफ्रैंड का टच करना पसंद आता है तो बेशक आप को उसशका साथ देना चाहिए और इसे एक ऐंजौय की तरह लेना चाहिए.

रिलेशनशिप में किसिंग, स्मूचिंग या फिर सैक्स संबंध बनाना आम बात है मगर यह जबरन नहीं, रजामंदी से हो तभी ठीक है.

अलबत्ता, आप दोनों पिछले 1 साल से रिलेशनशिप में हैं लेकिन आप हर बार अपने बौयफ्रैंड को रोमांस के लिए मना कर देती हैं पर वह फिर भी आप से प्यार करता है तो ऐसे में उस का प्यार आप के लिए सच्चा है और जिस्मानी नहीं है तो आप को उस के साथ रोमांस जरूर करना चाहिए और उसे भी थोड़ी लिबर्टी लेने दीजिए.

आप को एक अच्छा लड़का मिला हुआ है तो उसे थोड़ी छूट देने में कोई बुराई नहीं है. कहीं ऐसा न हो कि आप के इस स्वभाव की वजह से आप एक अच्छे लड़के से हाथ धो बैठें.

अगर आप श्योर नहीं हैं कि भविष्य में आप की उस के साथ शादी होगी या नहीं तो ऐसे में सैक्स को ले कर आप सोचसमझ कर कदम उठाएं लेकिन रोमांस का मजा आप खुल कर उठा सकती हैं.

अगर आप को कभी भी ऐसा फील हो कि आप सैक्स करने के लिए भी तैयार हैं तो यह करना भी कोई गुनाह नहीं है बल्कि रोमांस और सैक्स एक ऐसा अनुभव है जिसे हर कोई ऐंजौय करता है.

मगर ध्यान रहे, सैक्स के लिए दोनों की रजामंदी जरूरी है और चूंकि अभी आप दोनों को ही पहले कैरियर बनानी है, तो ऐहतियात जरूर बरतें और बौयफ्रैंड से कहें कि वह सैक्स के दौरान कंडोम का प्रयोग करे. इस दौरान यह चैक भी करें कि कंडोम फट तो नहीं गया. वैसे, अच्छी क्वालिटी का कंडोम जल्द फटता नहीं और सैक्स को मजेदार बनाता है.

आप एक बात का ध्यान रखना कि आप को अपने बौयफ्रेंड को उतनी ही छूट देनी है जहां तक आप का मन मानता हो या जहां तक आप कंफर्टेबल फील करें. जहां भी आप को लगे कि आप असहज फील कर रही हैं तो उसी समय अपने बौयफ्रैंड को रोक दें.

व्हाट्सऐप मैसेज या व्हाट्सऐप औडियो से अपनी समस्या इस नम्बर पर 8588843415 भेजें.

युवाओं के लिए बेहद जरूरी है सेक्स एजुकेशन

आज जिस तेजी से युवाओं की सोच बदल रही है, उन में जो खुलापन आया है वह मानसिक विकास के लिए तो जरूरी है, लेकिन खुलापन शारीरिक स्तर तक बढ़ जाए, यह गलत है. गलत इसलिए है क्योंकि हर कार्य को करने का समय होता है. किसी काम को समय से पहले ही अंजाम दिया जाए, तो उस का परिणाम भी गलत ही होता है. आज युवाओं में सेक्स के प्रति बढ़ती रुचि का ही नतीजा है कि युवतियां प्रैग्नैंट हो जाती हैं और अपनी जान तक गंवा देती हैं.

किशोरों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ विकास के लिए सब से जरूरी है, उन्हें सेक्स से संबंधित हर तरह की जानकारी से अवगत कराया जाए. खासकर पेरैंट्स को अपने जवान होते बच्चों को सेक्स से संबंधित जानकारी देने में जरा भी संकोच नहीं करना चाहिए, लेकिन अपने देश में बहुत कम ऐसे पेरैंट्स होते होंगे, जो अपने बच्चों को इस बारे में जागरूक और सचेत करने की पहल करते हों. यही कारण है कि हमारे देश में अधिकतर बच्चे सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित जानकारी दोस्तों, किताबों, पत्रिकाओं, पौर्नोग्राफिक वैबसाइट्स और अन्य कई साधनों के जरिए चोरीछिपे हासिल करते हैं. उन्हें यह नहीं मालूम कि सेक्स से संबंधित ऐसी अधकचरी जानकारी मिलने से नुकसान भी होता है.

दरअसल, किशोर या युवा इन स्रोतों के जरिए सेक्स के प्रति अपने मन में गलत धारणाएं विकसित कर लेते हैं. उन्हें लगता है कि सेक्स मात्र ऐंजौय करने की चीज है, जिस से उन्हें कोई नुकसान नहीं होगा.

एशिया के तमाम देशों जैसे भारत में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम में शामिल करने के सफल प्रयास किए गए हैं, लेकिन यह आज भी एक बहस का मुद्दा बना हुआ है. यदि ऐसा संभव हुआ तो सेक्स ऐजुकेशन के जरिए बच्चों को इस की पूरी जानकारी दी जा सकेगी, जिस से किशोरों का विकास सही रूप में हो सकेगा.

1. सेक्स ऐजुकेशन क्यों जरूरी

सेक्स के प्रति युवाओं की अधूरी जानकारी न केवल सेक्स के प्रति धारणाओं को बदल रही है बल्कि इन पर शारीरिक और मानसिक रूप से नकारात्मक असर को भी उन्हें झेलना पड़ता है.

साइकोलौजिस्ट अरुणा ब्रूटा कहती हैं, ‘‘सेक्स ऐजुकेशन किशोरों को सब से पहले घर से ही मिलनी चाहिए, लेकिन पेरैंट्स आज भी इस विषय पर बात करना पसंद नहीं करते. उन्हें इस बारे में बात करने पर शर्म महसूस होती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि युवाओं को सेक्स की पूरी जानकारी न होने से उन का भविष्य खराब भी हो सकता है.

‘‘आज बच्चे लैपटौप, टैलीफोन, कंप्यूटर आदि पर निर्भर हो गए हैं और इस का कहीं न कहीं वे गलत इस्तेमाल भी कर रहे हैं. मुझे याद है कि एक बार मेरे पास एक 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले लड़के का केस आया था. वह लड़का प्रौस्टीट्यूट एरिया में पकड़ा गया था.

‘‘जब मैं ने उस से पूछताछ की कि तुम वहां कैसे पहुंचे, तो उस का कहना था कि वह 11वीं क्लास के एक छात्र के कहने पर वहां चला गया था. उस बच्चे का कहना था कि वह औरत का शरीर देखना चाहता था. इस तरह की जिज्ञासा किशोर में तभी संभव है, जब वह दोस्तों की गलत संगत में रह कर चोरीछिपे उन की बातें सुनता है.

‘‘यदि किशोर ऐसा करता है, तो युवा होतेहोते सेक्स के प्रति उस का ऐटीट्यूड वल्गर होता चला जाएगा. हालांकि सेक्स कोई वल्गर चीज नहीं है. यह एक नैचुरल प्रोसैस है, जो स्त्रीपुरुष के जीवन का एक अहम हिस्सा है.

‘‘यह सिर्फ मीडिया का ही नतीजा है कि बच्चे सेक्स को गलत रूप में लेते हैं. ऐसे में पेरैंट्स को चाहिए कि वे युवा होते बच्चों को सही और पूरी जानकारी दें. किशोरों को भी ऐसी वर्कशौप अटैंड करनी चाहिए, जिस में 10-15 किशोरों का समूह हो और जहां खुल कर सेक्स से संबंधित मुद्दों पर चर्चा होती हो. इस से बच्चे भी शांत माहौल में सब कुछ समझ सकेंगे.’’

‘‘किशोरावस्था के दौरान खासकर यौनांगों का विकास होता है और साथ ही शरीर में हारमोनल बदलाव भी होते हैं, जो किशोरों को यह जानने के लिए उत्तेजित करते हैं कि वे इन बदलावों को ऐक्सप्लोर कर सकें. जो उन्होंने मीडिया के जरिए ऐक्सपीरियंस किया है, उसे वे सही में ट्राई कर बैठते हैं. ऐसे किशोरों के बीच ‘सैक्सुअल ऐरेना’ हौट टौपिक होता है. सही जानकारी न होने से इस से किशोरों को शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान पहुंचता है.’’

2. पेरैंट्स की भूमिका

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सेक्स ऐजुकेशन उन सभी बच्चों को देनी चाहिए, जो 12 वर्ष और इस से ऊपर के हैं. खासकर जिस तरह से देश में टीनएज प्रैग्नैंसी और एचआईवी के मामले सामने आ रहे हैं, ऐसे में यह काफी गंभीर विषय बनता जा रहा है.

लगातार स्कूलों या आसपास के इलाकों में बलात्कार, यौन शोषण, स्कूली छात्रछात्राओं को डराधमका कर उन के साथ जबरदस्ती करना, उन्हें अश्लील वीडियो, पिक्चर्स देखने पर मजबूर किया जाता है. इसलिए पेरैंट्स की भूमिका काफी बढ़ जाती है कि वे अपनी युवा होती बेटी को उस के शरीर के बदलावों के बारे में समय रहते ही जानकारी दें ताकि वह खुद को सुरक्षित रख सके, अच्छेबुरे लोगों की पहचान कर सके, सेक्स और प्यार में फर्क समझ सके.

यह बताना भी जरूरी है कि सेक्स जैसे विषय पर शर्म नहीं बल्कि खुल कर बात करें. इस तरह की शर्म और भय को अपने मन से निकाल दें कि कहीं आप का युवा होता बच्चा असमय ही इस ज्ञान का अनुचित लाभ न उठा ले.

ऐसी स्थिति को पैदा ही न होने दें कि जब उस की शादी हो तो उसे अपने हसबैंड के पास जाने में घबराहट हो. मां की सही भूमिका निभाते हुए आप बेटेबेटियों को शरीर से संबंधित ज्ञान, विकास, काम से संबंधित थोड़ीबहुत जानकारी, प्रैग्नैंसी, कौंट्रासैप्टिव पिल्स, ऐबौर्शन आदि के नकारात्मक असर के बारे में जरूर बता दें. इस से वे जिंदगी में कई तरह की परेशानियों से बच सकते हैं. वह अपनी शारीरिक सुरक्षा और जीवन के सभी सुखों को प्राप्त कर सकते हैं.

3. स्कूलों में शामिल हो सेक्स ऐजुकेशन

कई अध्ययनों से पता चला है कि प्रभावकारी ढंग से जब किशोरों को सेक्स ऐजुकेशन के बारे में जानकारी दी गई, तो उन्होंने सही उम्र में ही सेक्स का आनंद लेना ठीक समझा. हालांकि देश में आज भी स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन को पाठ्यक्रम के रूप में स्वीकार नहीं किया गया है. आज भी हमारी शिक्षा प्रणाली स्कूलों में सेक्स ऐजुकेशन से संबंधित वर्कशौप और प्रोग्राम्स आयोजित करने में असहमति दिखाती है. इस की मुख्य वजह पेरैंट्स, समाज के कुछ रूढि़वादी तत्त्वों और स्कूल के शिक्षकों का मानना है कि सेक्स ऐजुकेशन से किशोर लड़केलड़कियां और भी ज्यादा आजाद खयालों के हो जाएंगे, जिस से वे सैक्सुअल इंटरकोर्स में ज्यादा फ्री हो कर लिप्त होंगे.

4. सेक्स ऐजुकेशन का फायदा

द्य इस से टीनएज प्रैग्नैंसी में बहुत हद तक कमी आएगी. युवतियां हैल्थ, शिक्षा, भविष्य यहां तक कि गर्भ में पलने वाले भू्रण पर होने वाले अप्रत्यक्ष परिणामों से भी बच सकती हैं. उन में सेक्स के प्रति जागरूकता आएगी.

समय पर सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी होने से आगे चल कर बहुत हद तक तनाव से बचा जा सकता है.

यहां तक कि यदि कोई किशोर सैक्सुअल इंटरकोर्स में शामिल होता है, तो भी कौंट्रासैप्टिव मैथड्स जैसे कंडोम का इस्तेमाल, कौंट्रासैप्टिव पिल्स की जानकारी होने पर सैक्सुअल ट्रांसमिटेड डिसीज और टीनएज प्रैग्नैंसी से बचा जा सकता है.

सैक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज जैसे गौनोरिया, पैल्विक इंफ्लैमैटरी डिसीज और सिफिलिस से बचाव होता है.

युवाओं और किशोरों में सेक्स ऐजुकेशन की जानकारी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उन्हें गर्भनिरोधक और मौर्निंग पिल्स, कंडोम और ऐबौर्शन के बारे में जानकारी मिल सकती है.

सबक : कैसा था सरकारी बाबू

सरकारी बाबू अपने नीचे काम करने वाले मुलाजिमों से अपने घरेलू काम कराने में शान समझते हैं. सरकारी बाबू जनता का काम बगैर घूस लिए नहीं करते और औफिस के सामान को अपनी निजी जागीर समझते हैं. झांसी के रेलवे वैगन मरम्मत कारखाने में तो यह बीमारी खतरनाक लैवल तक पहुंच चुकी थी. कारखाने के डायरैक्टर, रामसेवक (आरएस) उर्फ पांडेयजी, कहने को एक कर्मकांडी ब्राह्मण थे और जो गीता और उपनिषदों की बातें करते थे, लेकिन गरीब मुलाजिमों का खून पीने में उन का धर्म भ्रष्ट नहीं होता था. वैगन मरम्मत कारखाने में वैगनों को आगेपीछे करने (शंटिंग) के दौरान हुए हादसे में मनिपाल नाम के एक दलित मुलाजिम की मौत हो गई. जिस तरह किसी जानवर की मौत से गिद्धों को भोज मिलता है, वे जश्न मनाते हैं, उसी तरह कारखाने के बाबुओं की खुशी का ठिकाना नहीं था.

बीमा के पैसे और फंड निकलवाने के बदले उन्होंने मनिपाल की विधवा पत्नी राजश्री से तगड़ी रिश्वत वसूल की.  इस घटना के 2 साल बाद, 18 साल का होते ही, मनिपाल के बेटे मोहित को अपने पिताजी की जगह चपरासी की नौकरी मिल गई. पांडेयजी को मानो इसी दिन का इंतजार था.

किसी को कानोंकान खबर नहीं हुई और उन्होंने मोहित को औफिस में जौइन कराने के साथ ही उसे अपने बंगले पर हमेशा के लिए बंधुआ मजदूर की तरह अपनी पत्नी और बच्चों की खुशामद में लगा दिया. वैसे, पांडेयजी ‘मनुस्मृति’ में विश्वास करते थे, वे दलित को अपने पैर की जूती समझते थे, लेकिन घरेलू काम कराने की मजबूरी में उन्होंने मोहित का उपनयन संस्कार कर, अपने मतलब भर के लिए उसे अछूत से सामान्य बना लिया. पांडेयजी की बड़ी बेटी श्वेता बहुत ही अक्खड़ थी और मोहित से गुलामों की तरह बरताव करने में उसे जातीय मजा आता था.

मोहित बेचारा हाथ जोड़े श्वेता की सेवा में खड़ा रहता था. जरा भी गड़बड़ हो जाए तो वह उस बेचारे की बहुत डांट लगाती थी. कभीकभार छड़ी से पिटाई कर देती थी. एक बार तो श्वेता ने अपने सभी दोस्तों के सामने मोहित को चांटा जड़ दिया था. पांडेयजी को अपनी परी जैसी बेटी की ऐसी हरकतें बहुत ही नादान और नटखट लगती थीं. उन्हें श्वेता के राजकुमारियों जैसे बरताव पर बहुत गर्व होता था. श्वेता के उकसाने पर पांडेयजी भी मोहित के कान तान देते थे.

मोहित के साथ श्वेता के गैरइनसानी बरताव के चलते किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि श्वेता एक दिन इसी गरीब, निचली जाति के गंवार लड़के से प्यार कर बैठेगी. मोहित भी केवल इसलिए श्वेता की गुस्ताखियों को सह रहा था, क्योंकि उसे श्वेता के निजी काम करने में अलग सा मजा आने लगा था. कोई नहीं समझ सका कि मोहित और श्वेता दोनों ही जवानी की दहलीज पर खड़े हैं, उन्हें एकदूसरे की खुशबू खींच सकती है. मोहित बगैर कहे श्वेता के कपड़ों को साफ करता, उन को प्रैस करता, उस के जूते साफ कर देता और अपने हाथों से पहना देता.

एक दिन मोहित ने किसी बात पर श्वेता को जवाब दे दिया. इस बात पर नाराज हो कर श्वेता ने अपने बड़ेबड़े नाखूनों से मोहित को लहूलुहान कर दिया. पर कहते हैं न कि नफरत बहुत जल्दी प्यार में भी बदल जाती है, लिहाजा मोहित की मालकिन भक्ति और बगैर जवाब दिए, हंसते हुए सब सह जाने के चलते श्वेता का दिल पहले ही मोहित के प्रति नरम पड़ चुका था. जब श्वेता ने मोहित का खून निकलते देखा तो उसे भी रोना आ गया. अपने हाथों से उस ने मोहित के जख्मों पर दवा लगाई. श्वेता अब मोहित को अपने दोस्त की तरह रखने लगी थी.

वह मोहित से सिर्फ 2 साल छोटी थी और कच्ची उम्र का प्यार बहुत ही मजबूत फीलिंग पैदा कर देता है. एक सर्द दोपहर को श्वेता कंबल लपेटे हुए टैलीविजन देख रही थी. श्वेता के लिए मैगी बनाने के बाद मोहित भी उस के पास बैठ कर टैलीविजन देखने लगा. ठंड से ठिठुर रहे मोहित को श्वेता ने कंबल के अंदर बुला लिया. मोहित की पहली छुअन उसे दिल की गहराइयों तक हिला गई. श्वेता ने मोहित से उस के हाथपैरों की मालिश करने को कहा और अपने सारे कपड़े उस के सामने ढीले कर दिए.

श्वेता, जो अपनी मां के सामने कपड़े बदलने में भी हिचकिचाती थी, उसे अपने गुलाम मोहित के आगे कपड़े उतारने में जरा भी शर्म नहीं आई. श्वेता की इस अनकही हां पर मोहित उस के शरीर के नाजुक हिस्सों को सहलाने लगा. इस से श्वेता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. श्वेता को मस्ती में देख कर मोहित ने उस की ब्रा के हुक खोल दिए और उस के उभारों को सहलाता हुआ उन्हें चूमना शुरू कर दिया. अपने स्वभाव के उलट श्वेता ने इस बार मोहित को परे नहीं धकेला और न ही उस की इस हिम्मत के लिए उसे कोई सजा दी. जोश में आए मोहित को अपने पास खींच कर श्वेता ने उस पर चुमनों की बरसात कर दी. उस दिन के बाद से मोहित पांडेयजी के बंगले पर उन का सरकारी दामाद बन कर ठाठ से रहने लगा था और उधर पांडेयजी औफिस में मोहित की नौकरी की चिंता कर रहे थे.

मोहित के खाते में महीने के पहले दिन उस की सैलरी भी आ जाती थी. मोहित ने आज श्वेता बेबी की पसंद का पास्ता बनाया था. बेबी को मोबाइल फोन पर वीडियो गेम खेलने में दिक्कत न हो, इसलिए वह अपने हाथों से उसे खिला रहा था. पास्ता खत्म कर श्वेता ने अपना सिर मोहित की गोद में रख लिया, तो मोहित ने धीरे से श्वेता के उभारों को सहलाना शुरू कर दिया. आईने में अपने उभारों की गोलाइयों को देख कर इतराते हुए श्वेता सोच रही थी कि कालेज में आने के बाद उस की सहेलियां जहां अभी तक एक अदद बौयफ्रैंड नहीं ढूंढ़ पाईं, वहीं उस ने मोहित की बदौलत सैक्स में पीएचडी करना शुरू कर दी थी. श्वेता ने मोहित को ब्यूटीपार्लर का कोर्स सिखा दिया था.

मोहित घर पर ही श्वेता की वैक्सिंग, पैडीक्योर, थ्रैडिंग कर देता था. मौका मिलने पर मोहित बाथटब में श्वेता की पीठ साफ करने की नौकरी भी कर देता था. प्यारमुहब्बत से रहतेरहते बहुत जल्दी वे सारी मर्यादा तोड़ चुके थे. श्वेता को जब एक महीने का पेट ठहर गया, तब उसे गलती का अहसास हुआ. उस ने डरतेडरते मोहित को जब यह बात बताई, तब तक 2 महीने हो गए थे. परिवार वालों को जब तक पता लगा, तीसरा महीना पूरा हो गया था.  अब किसी भी तरह पेट गिराना मुमकिन नहीं था.

पांडेयजी को यकीन नहीं हो रहा था कि उन की इंगलिश स्कूल में पढ़ीलिखी बेटी को निचली जाति के गरीब लड़के से प्यार हो गया था. पांडेयजी को मनुस्मृति का मंत्र याद आ गया : अर्थनाशं मनस्तापं गृहे दुश्चरितानि च, वंचनं चापमानं च मतिमान्न प्रकाशयेत. यानी अपने अपमान, आर्थिक नुकसान के साथ ही साथ घर के दुश्चरित्र की बाहर चर्चा करने से कोई लाभ नहीं होता, व्यक्ति का मजाक ही बनता है. इस मंत्र को दोहराते हुए पांडेयजी ने खून का घूंट पी कर मजबूरी के चलते इस बात को छिपा दिया और श्वेता और मोहित की शादी कराने का फैसला किया. मोहित आज उन के बंगले पर कानूनी दामाद बन कर रह रहा है. समाजवादियों ने पांडेयजी को उन के इस क्रांतिकारी फैसले के चलते दलित समाज के आदमी को गले लगाने की वजह से उन्हें सम्मानित किया. मंच से दलितों की बदहाली पर बोलते हुए पांडेयजी की आंखों में आंसू आ गए.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें