फूफा क्यों बनाना चाहता था भतीजी से अवैध संबंध

किसी से बात करना, उस के साथ घूमना रजनी का अधिकार था. उस के फूफा गंगासागर ने उसे और उस के प्रेमी को साथ देखा तो वह ब्लैकमेलिंग पर उतर आया. इस का नतीजा यह निकला कि गंगासागर तो जान से गया ही रजनी और उस का प्रेमी कमल भी…  

‘‘रजनी, क्या बात है आजकल तुम कुछ बदलीबदली सी लग रही हो. पहले की तरह बात भी नहीं करतीमिलने की बात करो तो बहाने बनाती हो. फोन करो तो ठीक से बात भी नहीं करतीं. कहीं हमारे बीच कोई और तो नहीं गया.’’ कमल ने अपनी प्रेमिका रजनी से शिकायती लहजे में कहा तो रजनी ने जवाब दिया, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है, मेरे जीवन में तुम्हारे अलावा कोई और भी नहीं सकता.’’

रजनी और कमल लखनऊ जिले के थाना निगोहां क्षेत्र के गांव अहिनवार के रहने वाले थे. दोनों का काफी दिनों से प्रेम संबंध चल रहा था. ‘‘रजनी, फिर भी मुझे लग रहा है कि तुम मुझ से कुछ छिपा रही हो. देखो, तुम्हें किसी से भी डरने की जरूरत नहीं है. कोई बात हो तो मुझे बताओ. हो सकता है, मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं.’’ कमल ने रजनी को भरोसा देते हुए कहा.

‘‘कमल, मैं ने तुम्हें बताया नहीं, पर एक दिन हम दोनों को हमारे फूफा गंगासागर ने देख लिया था.’’ रजनी ने बताया.

‘‘अच्छा, उन्होंने घर वालों को तो नहीं बताया?’’ कमल ने चिंतित होते हुए कहा.

‘‘अभी तो उन्होंने नहीं बताया, पर बात छिपाने की कीमत मांग रहे हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘कितने पैसे चाहिए उन्हें?’’ कमल ने पूछा.

‘‘नहीं, पैसे नहीं बल्कि एक बार मेरे साथ सोना चाहते हैं. वह धमकी दे रहे हैं कि अगर उन की बात नहीं मानी तो वह मेरे घर में पूरी बात बता कर मुझे घर से निकलवा देंगे.’’ रजनी के चेहरे पर चिंता के बादल छाए हुए थे.

‘‘तुम चिंता मत करो, बस एक बार तुम मुझ से मिलवा दो. हम उस की ऐसी हालत कर देंगे कि वह बताने लायक ही नहीं रहेगा. वह तुम्हारा सगा रिश्तेदार है तो यह बात कहते उसे शरम नहीं आई?’’ रजनी को चिंता में देख कमल गुस्से से भर गया.

‘‘अरे नहीं, मारना नहीं है. ऐसा करने पर तो हम ही फंस जाएंगे. जो बात हम छिपाना चाह रहे हैं, वही फैल जाएगी.’’ रजनी ने कमल को समझाते हुए कहा.

‘‘पर जो बात मैं तुम से नहीं कह पाया, वह उस ने तुम से कैसे कह दी. उसे कुछ तो शरम आनी चाहिए थी. आखिर वह तुम्हारे सगे फूफा हैं.’’ कमल ने कहा.

‘‘तुम्हारी बात सही है. मैं उन की बेटी की तरह हूं. वह शादीशुदा और बालबच्चेदार हैं. फिर भी वह मेरी मजबूरी का फायदा उठाना चाहते हैं.’’ रजनी बोली.

‘‘तुम चिंता मत करो, अगर वह फिर कोई बात करे तो बताना. हम उसे ठिकाने लगा देंगे.’’ कमल गुस्से में बोलाइस के बाद रजनी अपने घर गई पर रजनी को इस बात की चिंता होने लगी थी. ब्लैकमेलिंग में अवांछित मांग 38 साल के गंगासागर यादव का अपना भरापूरा परिवार था. वह लखनऊ जिले के ही सरोजनीनगर थाने के गांव रहीमाबाद में रहता था. वह ठेकेदारी करता था. रजनी उस की पत्नी रेखा के भाई की बेटी थी. उस से उम्र में 15 साल छोटी रजनी को एक दिन गंगासागर ने कमल के साथ घूमते देख लिया था. कमल के साथ ही वह मोटरसाइकिल से अपने घर आई थी. यह देख कर गंगासागर को लगा कि अगर रजनी को ब्लैकमेल किया जाए तो वह चुपचाप उस की बात मान लेगी. चूंकि वह खुद ही ऐसी है, इसलिए यह बात किसी से बताएगी भी नहीं. गंगासागर ने जब यह बात रजनी से कही तो वह सन्न रह गई. वह कुछ नहीं बोली.

गंगासागर ने रजनी से एक दिन फिर कहा, ‘‘रजनी, तुम्हें मैं सोचने का मौका दे रहा हूं. अगर तुम ने मेरी बात नहीं मानी तो घर में तुम्हारा भंडाफोड़ कर दूंगा. तुम तो जानती ही हो कि तुम्हारे मांबाप कितने गुस्से वाले हैं. मैं उन से यह बात कहूंगा तो मेरी बात पर उन्हें पक्का यकीन हो जाएगा और बिना कुछ सोचेसमझे ही वे तुम्हें घर से निकाल देंगे.’’ रजनी को धमकी दे कर गंगासागर चला गया. समस्या गंभीर होती जा रही थी. रजनी सोच रही थी कि हो सकता है उस के फूफा के मन से यह भूत उतर गया हो और दोबारा वह उस से यह बात कहेंयह सोच कर वह चुप थी, पर गंगासागर यह बात भूला नहीं था. एक दिन रजनी के घर पहुंच गया. अकेला पा कर उस ने रजनी से पूछा, ‘‘रजनी, तुम ने मेरे प्रस्ताव पर क्या विचार किया?’’

‘‘अभी तो कुछ समझ नहीं रहा कि क्या करूं. देखिए फूफाजी, आप मुझ से बहुत बड़े हैं. मैं आप के बच्चे की तरह हूं. मुझ पर दया कीजिए.’’ रजनी ने गंगासागर को समझाने की कोशिश की. ‘‘इस में बड़ेछोटे जैसी कोई बात नहीं है. मैं अपनी बात पर अडिग हूं. इतना समझ लो कि मेरी बात नहीं मानी तो भंडाफोड़ दूंगा. इसे कोरी धमकी मत समझना. आखिरी बार समझा रहा हूं.’’ गंगासागर की बात सुन कर रजनी कुछ नहीं बोली. उसे यकीन हो गया था कि वह मानने वाला नहीं है. रजनी ने यह बात कमल को बताई. कमल ने कहा, ‘‘ठीक है, किसी दिन उसे बुला लो.’’

इस के बाद रजनी और कमल ने एक योजना बना ली कि अगर वह अब भी नहीं माना तो उसे सबक सिखा देंगे. दूसरी ओर गंगासागर पर तो किशोर रजनी से संबंध बनाने का भूत सवार था. बह होते ही उस का फोन गया. फूफा का फोन देखते ही रजनी समझ गई कि अब वह मानेगा नहीं. कमल की योजना पर काम करने की सोच कर उस ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ‘‘फूफाजी, आप कल रात आइए. आप जैसा कहेंगे, मैं करने को तैयार हूं.’’

रजनी इतनी जल्दी मान जाएगी, गंगासागर को यह उम्मीद नहीं थी. अगले दिन शाम को उस ने रजनी को फोन कर पूछा कि वह कहां मिलेगी. रजनी ने उसे मिलने की जगह बता दी. अपने आप बुलाई मौत 18 जुलाई, 2018 को रात गंगासागर ने 8 बजे अपनी पत्नी को बताया कि पिपरसंड गांव में दोस्त के घर बर्थडे पार्टी है. अपने साथी ठेकेदार विपिन के साथ वह वहीं जा रहा है. गंगासागर रात 11 बजे तक भी घर नहीं लौटा तो पत्नी रेखा ने उसे फोन किया. लेकिन उस का फोन बंद था. रेखा ने सोचा कि हो सकता है ज्यादा रात होने की वजह से वह वहीं रुक गए होंगे, सुबह जाएंगे.

अगली सुबह किसी ने फोन कर के रेखा को बताया कि गंगासागर का शव हरिहरपुर पटसा गांव के पास फार्महाउस के नजदीक पड़ा है. यह खबर मिलते ही वह मोहल्ले के लोगों के साथ वहां पहुंची तो वहां उस के पति की चाकू से गुदी लाश पड़ी थी. सूचना मिलने पर पुलिस भी वहां पहुंच गई. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और गंगासागर के पिता श्रीकृष्ण यादव की तहरीर पर अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया. कुछ देर बाद पुलिस को सूचना मिली कि गंगासागर की लाल रंग की बाइक घटनास्थल से 22 किलोमीटर दूर असोहा थाना क्षेत्र के भावलिया गांव के पास सड़क किनारे एक गड्ढे में पड़ी है. पुलिस ने वह बरामद कर ली

जिस क्रूरता से गंगासागर की हत्या की गई थी, उसे देखते हुए सीओ (मोहनलाल गंज) बीना सिंह को लगा कि हत्यारे की मृतक से कोई गहरी खुंदक थी, इसीलिए उस ने चाकू से उस का शरीर गोद डाला था ताकि वह जीवित बच सकेपुलिस ने मृतक के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया. इस के अलावा पुलिस ने उस की सालियों, साले, पत्नी सहित कुछ साथी ठेकेदारों से भी बात की. एसएसआई रामफल मिश्रा ने काल डिटेल्स खंगालनी शुरू की तो उस में कुछ नंबर संदिग्ध लगे

लखनऊ के एसएसपी कलानिधि नैथानी ने घटना के खुलासे के लिए एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह के निर्देशन में एक टीम का गठन किया, जिस में थानाप्रभारी अजय कुमार राय के साथ अपराध शाखा के ओमवीर सिंह, सर्विलांस सेल के सुधीर कुमार त्यागी, एसएसआई रामफल मिश्रा, एसआई प्रमोद कुमार, सिपाही सरताज अहमद, वीर सिंह, अभिजीत कुमार, अनिल कुमार, राजीव कुमार, चंद्रपाल सिंह राठौर, विशाल सिंह, सूरज सिंह, राजेश पांडेय, जगसेन सोनकर और महिला सिपाही सुनीता को शामिल किया गया. काल डिटेल्स से पता चला कि घटना की रात गंगासागर की रजनी, कमल और कमल के दोस्त बबलू से बातचीत हुई थी. पुलिस ने रजनी से पूछताछ शुरू की और उसे बताया, ‘‘हमें सब पता है कि गंगासागर की हत्या किस ने की थी. तुम हमें सिर्फ यह बता दो कि आखिर उस की हत्या करने की वजह क्या थी?’’

रजनी सीधीसादी थी. वह पुलिस की घुड़की में गई और उस ने स्वीकार कर लिया कि उस की हत्या उस ने अपने प्रेमी के साथ मिल कर की थी. उस ने बताया कि उस के फूफा गंगासागर ने उस का जीना दूभर कर दिया था, जिस की वजह से उसे यह कदम उठाना पड़ा. रजनी ने पुलिस को हत्या की पूरी कहानी बता दी. गंगासागर की ब्लैकमेलिंग से परेशान रजनी ने उसे फार्महाउस के पास मिलने को बुलाया था. वहां कमल और उस का साथी बबलू पहले से मौजूद थे. गंगासागर को लगा कि रजनी उस की बात मान कर समर्पण के लिए तैयार है और वह रात साढ़े 8 बजे फार्महाउस के पीछे पहुंच गया.

रजनी उस के साथ ही थी. गंगासागर के मन में लड्डू फूट रहे थे. जैसे ही उस ने रजनी से प्यारमोहब्बत भरी बात करनी शुरू की, वहां पहले से मौजूद कमल ने अंधेरे का लाभ उठा कर उस पर लोहे की रौड से हमला बोल दिया. गंगासागर वहीं गिर गया तो चाकू से उस की गरदन पर कई वार किए. जब वह मर गया तो कमल और बबलू ने खून से सने अपने कपड़े, चाकू और रौड वहां से कुछ दूरी पर झाड़ के किनारे जमीन में दबा दिया. दोनों अपने कपड़े साथ ले कर आए थे. उन्हें पहन कर कमल गंगासागर की बाइक ले कर उन्नाव की ओर भाग गया. बबलू रजनी को अपनी बाइक पर बैठा कर गांव ले आया और उसे उस के घर छोड़ दिया. कमल ने गंगासागर की बाइक भावलिया गांव के पास सड़क किनारे गड्ढे में डाल दी, जिस से लोग गुमराह हो जाएं.

पुलिस ने बड़ी तत्परता से केस की छानबीन की और हत्या का 4 दिन में ही खुलासा कर दिया. एसएसपी कलानिधि नैथानी और एसपी (क्राइम) दिनेश कुमार सिंह ने केस का खुलासा करने वाली पुलिस टीम की तारीफ की.                        

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में रजनी परिवर्तित नाम है.

Happy Birthday: 59 के हुए शाहरुख खान, दिल दे बैठी देसी गर्ल

बौलीवुड के बादशाह कहे जाने वाले शाहरुख खान आज अपना 59वां जन्मदिन मना रहे है. जन्मदिन के इस मौके पर उनके फैंस उन्हें ढ़रो बधाईयां दे रहे है. किंग खान 2 नंवबर को 1965 को दिल्ली में पैदा हुए थे और उनके नाना शाहनवाज खान मेरठ से चार बार सांसद रह चुके थे. शाहरुख खान ने गौरी खान से शादी की. जिनसे उनके दो बच्चे हुए. तीसरा बच्चा उन्होंने सरोगेसी से किया. जिसका नाम अब्राह्म रखा.

शाहरुख खान के मन्नत की और उनकी फैमिली की खबरे तो मीडिया में छाई रहती ही है. बेटा आर्यन भी मीडिया की सुर्खियो में रहता है. आर्यन ड्रग केस में भी फंस चुके है. मुंबई क्रूज ड्रग्स केस में सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान का नाम आया था.

काफी लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आर्यन खान 27 दिन के बाद अपने घर लौटे हैं. वो 2 अक्टूबर से क्रूज ड्रग्स केस में जेल में बंद थे. 2 अक्टूबर को मुंबई से गोवा जा रहे क्रूज पर एनसीबी (NCB) ने छापेमारी करके शुरुआती चरण में 8 लोगों को हिरासत में लिया था. एनसीबी ने छापेमारी करके बताया था कि क्रूज शिप पर ड्रग्स पार्टी चल रही थी, जिसमें एनसीबी के अधिकारियों ने शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान समेत कुल आठ लोगों को हिरासत में लिया था.

आपको बता दें कि शाहरुख खान 111 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके शाहरुख खान आज दुनिया के सबसे बड़े सितारों में शामिल हैं. लेकिन शाहरुख खान के लिए फर्श से अर्श का सफर आसान नहीं रहा है. कभी ऐसा भी था कि शाहरुख खान को अपने काम के लिए दोगुना मेहनत करनी पड़ती थी. शाहरुख खान की कई फिल्में भी रही जो सेक्सफुल रही है.

शाहरुख खान के अफेयर और लव स्टोरी के भी खूब चर्चे हुए. शाहरुखान का एक समय में बौलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा के साथ अफेयर की खबरे आने लगी थी.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बौलीवुड एक्टर शाहरुख खान और प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म ‘डौन’ के दौरान डेट करना शुरू किया था. प्रियंका और शाहरुख खान अक्सर देर रात साथ में नजर आते थे. लेकिन शाहरुख खान ने प्रियंका चोपड़ा के साथ अपने अफेयर को लेकर कहा कि हम अच्छे दोस्त हैं.

बौलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा आज के समय में इंटरनेशनल सेलिब्रिटी हैं. देसी गर्ल ने निक जोनास के संग शादी कर अपना घर बसा लिया है. बता दें कि प्रियंका चोपड़ा का नाम कई एक्टर्स के साथ जुड़ चुका है, लेकिन प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख खान का अफेयर काफी चर्चा में रहा. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रियंका चोपड़ा और शाहरुख खान एक समय बेहद करीब आ गए थे.

शाहरुख खान की आने वाली फिल्में

शाहरुख खान जब अपनी फिल्में लाते है तो कुछ ना कुछ धमाल जरूर मचाते है. शाहरुखान ने बौलीवुड को कई सुपरहिट फिल्में दी है. शाहरुख खान की अब इन दिनों ‘किंग’, दूसरी ‘पठान 2’ और तीसरी Amar Kaushik और Dinesh Vijan के साथ उनकी बिग बजट एडवेंचर फिल्म भी बनने को तैयार है.

शादी से पहले प्रोटैक्शन है जरूरी

अगर आप भी सुगंधा और अश्विनी जैसी परेशानी से दोचार नहीं होना चाहते तो जरूरी है कि आप सुरक्षित सैक्स के बारे में सबकुछ जानें खासतौर से उस वक्त जब आप शादीशुदा नहीं हैं. लिवइन में रह रहे सुगंधा और अश्विनी दोनों नए जमाने के युवा हैं जो इन सड़ेगले सवालों और प्रवचनों में सिर नहीं खपाते कि शादी के पहले सैक्स संबंध क्यों नहीं बनाना चाहिए. वे 2 व्यस्कों के बीच सहमति से बने सैक्स संबंधों को कतई अनैतिक या पाप नहीं मानते. उन की नजर में कोई भी जरूरत जिस से किसी को कोई तकलीफ न होती हो और कानूनी अपराध न होता हो उसे पूरा करने में हिचकना नहीं चाहिए और न ही किसी और का लिहाज करना चाहिए.

लौकडाउन के दिनों में सिर्फ एक बार दोनों कंडोम का इस्तेमाल करना भूल गए थे, तब उन्हें लगा था कि कुछ गड़बड़ नहीं होगी. लेकिन गड़बड़ भी शायद उन की इसी तरह की किसी लापरवाही का इंतजार कर रही थी, सो हो ही गई. सुगंधा को समय पर पीरियड नहीं आया तो शुरू के चारपांच दिन तो उस ने यह सोच कर इस पर कोई ध्यान नहीं दिया कि ऐसा तो हर कभी हो जाता है लेकिन इस बार बात कुछ और थी और चारपांच दिनों बाद उसे खटका हुआ कि कहीं ऐसा तो नहीं कि….

ऐसा ही हुआ

…..आशंका सच निकली जब उस ने स्ट्रिप टैकस्ट किया तो लाल रंग की धारियों ने उसे टैंशन में डाल दिया. अश्विनी को बताया तो पहले तो वह भी घबराया लेकिन फिर हिम्मत बंधाते बोला, ‘ झं झट तो हो गई है यार, पर निबट लेंगे. मैं किसी लेडी डाक्टर से बात करता हूं.’ दोनों दूसरे दिन ही शहर की नामी डाक्टर से मिले और बिना कुछ छिपाए परेशानी बताई तो वे बोलीं, ‘अकसर युवाओं से असावधानी और लापरवाही में यह चूक हो जाती है, आइंदा ध्यान रखें.’ अगले दिन एबौर्शन हो गया जिस में न वक्त ज्यादा लगा और न ही पैसा. 5 हजार रुपए में दोनों आने वाली परेशानी से बच गए.

इस घटना से उन्हें जिंदगीभर के लिए सबक मिल गया कि शादी के पहले सैक्स प्रोटैक्शन बहुत जरूरी है, नहीं तो लेने के देने पड़ जाते हैं और ऐसी स्थिति में अगर समय पर एबौर्शन न कराया जाए तो फिर तरहतरह की ऐसी परेशानियां खड़ी हो जाती हैं जिन के बारे में पहले कभी सुना व सोचा नहीं होता.

डिस्चार्ज करते वक्त डाक्टर ने उन्हें मशवरा दिया था कि शुरू के दोतीन महीने तक तो अबौर्शन में कोई दिक्कत नहीं होती पर इस के बाद कई कौम्लिकेशंस आने लगते हैं- शारीरिक भी मानसिक भी, सामाजिक भी और कानूनी भी. सुगंधा को उन्होंने सलाह दी कि इस का जिक्र वह कभी किसी से न करे, यह गैरजरूरी है जो भविष्य में दिक्कतें खड़ी कर सकता है.

सुगंधा डाक्टर से यह सुन कर और बेफिक्र थी कि इस अबौर्शन से उस की हैल्थ पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा और उसे कभी इसे ले कर गिल्ट नहीं पालना चाहिए. अश्विनी ने भी बेफिक्री की सांस ली क्योंकि वह सुगंधा से बहुत प्यार करता है और शादी उस से हो न हो, इस से उस के प्यार पर कोई फर्क नहीं पड़ना. अस्पताल से आने के बाद उस ने सुगंधा को सौरी भी बोला. बड़े सदमे से बाहर आई सुगंधा ने कहा, ‘कोई बात नहीं. उस दिन मु झे भी ध्यान रखना चाहिए था कि बिना कंडोम के सैक्स करना कितना रिस्की होता है.’

और भी रिस्क हैं सैक्स में

सैक्स बिलाशक कुदरती जरूरत और मजा है लेकिन पर्याप्त जानकारियां न हों तो यह रिस्की भी हो जाता है. आज का युवा आजादी से जीना चाहता है और जी भी रहा है लेकिन आजादी का आनंद कुछ जरूरी सावधानियों को जानने व उन्हें अमल में लाने के बाद वह और भी बढ़ जाता है. शादी के पहले सैक्स इन्हीं आजादियों में से एक है. इस के खतरे पहले भांप और जांच लिए जाएं तो कोई अड़चन पेश नहीं आती. फिलौसफी की तरह सैक्स भी एक ऐसा विषय है जिस के बारे में कोई भी सबकुछ नहीं जान सकता. फिर भी इतना जान लेना तो जरूरी है कि रिस्क न के बराबर हो.

हर युवा जानता है कि बगैर कंडोम के सैक्स संबंध बनाना सैक्स के लिए सब से बड़ा रिस्क है. इसलिए सैक्स संबंध बनाने के पहले बहुतकुछ जान लेना जरूरी है खासतौर से उन युवाओं के लिए जिन की शादी नहीं हुई है. कंडोम अनचाहे गर्भ से तो बचाता ही है, साथ ही, इस के इस्तेमाल से सैक्स संबंधी सैकड़ों बीमारियों से भी बचाव होता है जिन्हें एसआईडी यानी सैक्सुअल ट्रांस्मिटेड डिजीज कहते हैं.

एचआईवी, एड्स, सिफलिस और गोनोरिया जैसी गंभीर बीमारियों के अलावा मामूली इन्फैक्शन से भी कंडोम आप को बचाता है. 62 साल के इतिहास में कंडोम के कई दिलचस्प पड़ाव देखने में आते हैं. अब तो ये कई फ्लेवर्स में भी मिलने लगे हैं जिन से ओरल सैक्स में सहूलियत रहती है.

ओरल सैक्स का चलन तेजी से युवाओं में बढ़ रहा है जो हर्ज की बात नहीं लेकिन इसे करने से पहले प्राइवेट पार्ट्स की साफसफाई और हाइजीन का खास खयाल रखा जाना चाहिए, नहीं तो इन्फैक्शन का जोखिम बढ़ जाता है. ओरल सैक्स के लिए फ्लेवर्ड कंडोम इस्तेमाल करना ज्यादा आनंददायक रहता है. किसी भी तरह के सैक्स में एक कंडोम को एक बार से ज्यादा इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.

दबाएं नहीं, सहलाएं

शादी के पहले सैक्स में युवाओं में बेताबी ज्यादा और तजरबा कम रहता है, इसलिए वे कई बार वे अपने पाटनर्स की फीलिंग्स और डिमांड को सम झ नहीं पाते. इन में से एक है प्राइवेट पार्ट्स को बेरहमी से दबाना. युवक सोचते हैं कि जोरजोर से अपनी पार्टनर के स्तन दबाएंगे तो वे ज्यादा एंजौय करेगी. लेकिन, हकीकत उलट है कि युवतियों को स्तन व निपिल सहलाए जाने में ज्यादा मजा आता है. जोर से दबाने और काटने से ये पार्ट दर्द करते हैं जिस के चलते युवतियां ऐसे युवकों से सैक्स करने में कतराने लगती हैं. इसलिए इस से बचना चाहिए. नाजुक युवकों का प्राइवेट पार्ट भी होता है, इसे भी जोर से दबाया जाए तो दर्द तो होता ही है, साथ ही, अंदरूनी नुकसान और चोट वगैरह का डर बना रहता है.

संबंधों को छिपाना सीखें

सैक्स संबंध आम होते हैं तो कई फसाद भी उठ खड़े होते हैं. इसलिए इन्हें छिपा कर रखना चाहिए जिसे सोशल प्रोटैक्शन कहा जा सकता है. आएदिन की खबरों में यह बहुत आम होती है कि चूंकि लड़का लड़की को बहलाफुसला कर सैक्स संबंध बना रहा था, इसलिए लड़की के घर वालों ने न केवल उस की मारकुटाई की, बल्कि उस के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज करा दी कि वह शोषण कर रहा था. जबकि, ज्यादातर मामलों में ऐसा होता नहीं है. सैक्स संबंध आमतौर पर दोनों की सहमति से ही बनते हैं. इसलिए सैक्स सुरक्षित जगह पर करना चाहिए जहां पकड़े जाने का डर न हो. इस के अलावा खुद भी अपने सैक्स संबंधों का ढिंढोरा नहीं पीटना चाहिए इस से, खासतौर से, लड़कियों की शादी में अड़चन पेश आती है. सोशल मीडिया पर भी अपने सैक्स संबंध की चर्चा से बचना चाहिए. शादी भले ही न हुई हो लेकिन परस्पर विश्वास दोनों को एक बेफिक्री देता है.

सैक्स पावर मैडिसिन

युवाओं को हमेशा से ही यह वहम रहा है कि सैक्स पावर की दवाएं लेने से वे अपनी पार्टनर को ज्यादा और इतना संतुष्ट कर पाएंगे कि वह बारबार उन से सैक्स करना चाहेगी. आजकल के युवा इस के लिए नीमहकीमों के चक्कर लगाने के अलावा वियाग्रा का सेवन भी बहुत कर रहे हैं. नीमहकीम तो सैक्स पावर की दवाओं के नाम पर जड़ीबूटियां बेच कर उन की जेब और सेहत पर डाका ही डालते हैं. कई बार तो यह सब जानलेवा हो जाता है.

वियाग्रा कारगर है लेकिन इस को बिना डाक्टर की सलाह के नहीं लेना चाहिए, जो मुख्यतया ईडी यानी इरैक्टाइल डिसफंक्शन के लिए दी जाती है. यह बीमारी कम, एक बड़ी गलतफहमी ज्यादा है कि वियाग्रा लेने से वे ज्यादा देर टिकेंगे.

शादी के पहले इस को लेना नुकसानदेह भी होता है क्योंकि इसे से ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. हर कभी या हर बार सैक्स में इस का सेवन डायबिटीज, दिल की बीमारी और ब्लडप्रैशर जैसी बीमारियों की वजह बन सकता है. इसलिए इसे ईडी होने पर ही, वह भी डाक्टर की सलाह पर, लेना चाहिए. रही बात ज्यादा देर सैक्स करने की तो इस से आप की पार्टनर को भी नुकसान हो सकता है. उसे दर्द की शिकायत हो सकती है और आप को भी इस से दोचार होना पड़ सकता है. सैक्स में सब से बड़ा रोल आत्मविश्वास का और इस के बाद फोरप्ले का होता है, इसलिए सैक्स पावर बढ़ाने वाली दवाइयों से बचें. इन की आदत सैक्स में कमजोर बनाती है.

नशे से भी बचें

शादी के पहले का सैक्स टेम्परेरी होता है, जल्दबाजी में होता है. इसलिए इस का लुत्फ उठाने के लिए नशे से बचें. आजकल युवतियां भी यह मानने लगी हैं कि हलका नशा करने के बाद सैक्स करना ज्यादा मजा देता है, जोकि गलत है. नशे में सैक्स संबंध बनाने से, दरअसल, आप सैक्स को कम एंजौय कर पाते हैं, नशे की धुन में ज्यादा रहते हैं. अलावा इस के, नशे के दूसरे नुकसान जगजाहिर हैं. बीती 31 दिसंबर को एक कपल भोपाल के एक अस्पताल में आया था क्योंकि युवती को शराब और ड्रग का इतना ओवरडोज हो गया था कि वह बेहोश हो गई थी.

रात को 2 बजे डाक्टरों ने उसे देखा तो बिना मांबाप की सहमति के इलाज करने तैयार नहीं हुए जिस से घबराया उस का प्रेमी अस्पताल से भाग गया. लड़की ने  झख मार कर पेरैंट्स को बुलाया जिन्होंने आ कर उस का इलाज तो कराया लेकिन बाद में उस पर कई बंदिशें लगा दीं क्योंकि बात अगर आम होती तो उन की जो बदनामी होती उसे वे बरदाश्त न कर पाते.

यह  झमेला इसलिए हुआ क्योंकि युवती शादी के पहले गलत ढंग से यानी नशे में सैक्स संबंध बना रही थी. इसलिए इस से बचना चाहिए. कई बार नशे की आदी युवतियों का लड़के अश्लील वीडियो भी बना लेते हैं और बाद में उसे वायरल करने की धमकी दे कर युवती का तरहतरह से गलत फायदा भी उठाते हैं.

सैक्सी चैट : न बाबा न

ब्लैकमेलिंग का एक बड़ा जरिया सैक्सी चैट भी है जिसे शादी से पहले करना आ बैल मुझे मार जैसी बात है. अधिकतर युवा अपने अंतरंग क्षणों की बातें तो व्हाट्सऐप पर करते ही हैं, साथ ही, फोटो और वीडियो भी एकदूसरे से शेयर करते हैं. शादी में यह चैट अड़ंगा बन जाती है.

ऋचा की शादी इसलिए रुक गई थी क्योंकि उस के प्रेमी ने ये चैट उस के होने वाले पति और ससुराल वालों को भेज दी थीं. शादी के पहले सैक्स संबंध गुनाह नहीं, गुनाह है इन संबंधों के सुबूतों को जिंदा रखना. इसलिए इन्हें वक्त रहते नष्ट कर देना चाहिए और उस से भी बेहतर है कि इन्हें बनने ही नहीं देना चाहिए.

युवतियां इन्हें आजमाएं

सुगंधा पर जो गुजरी उसे वह जिंदगीभर नहीं भूल पाएगी. उस वक्त अगर अश्विनी उस का साथ न देता तो उस का हाल क्या होता, सहज अंदाजा लगाया जा सकता है. अगर कभी कंडोम का इस्तेमाल करना भूल जाएं तो युवतियों के लिए एक बेहतर विकल्प इमरजैंसी कांट्रा सैप्टिक पिल्स हैं जिन्हें सहवास के 72 घंटे बाद तक लेने से प्रैग्नैंसी का डर काफी हद तक कम हो जाता है. बेहतर तो यह होता है कि इन गोलियों के सेवन के पहले डाक्टर से सलाह ले ली जाए.

गैंगस्‍टर की फैमिली जेल में बंद लौरेंस पर खर्च करती है 40 लाख रुपए

एक ऐसा गैंगस्टर जो पूरे देश में आजकल सुर्खियों में है, क्या आप जानते हैं कि इस गैंगस्टर के ऊपर हर साल कितने रुपए खर्च होते हैं?

लौरेंस विश्नोई एक कुख्यात गैंगस्टर, जिसे सलमान खान की हत्या की धमकी के कारण काफी चर्चाओं में देखा जा सकता है, उस का एकमात्र उद्देश्य सलमान खान की हत्या करना है. लौरेंस को इस हिमाकत का समर्थन उस के परिवार से मिलता है, जो उस पर सालाना ₹40 लाख खर्च करता है.

लौरेंस के भाई का खुलासा

यह खुलासा लौरेंस के चचेरे भाई 50 वर्षीय रमेश विश्नोई ने किया है. रमेश ने कहा है कि लौरेंस एक अमीर परिवार से आता है, जो 110 एकड़ जमीन का मालिक है और उस के पिता भी पंजाब में पुलिस कौंस्टेबल रहे हैं.

मीडिया से बात करते हुए रमेश ने कहा,”लौरेंस विश्नोई ने पंजाब विश्वविद्यालय से कानून की स्नातक की पढ़ाई की थी, लेकिन किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह अपराध की दुनिया में में आ जाएगा.”

भारीभरकम खर्च

उस के चचेरे भाई के रमेश का कहना है कि उस का परिवार हर साल तकरीबन ₹35-40 लाख खर्च करता है ताकि वह जेल में भी आरामदायक जीवन जी सके. आज भी लौरेंस विश्नोई महंगे जूते और कपड़े पहनता है.

विश्नोई गैंग का नाम कई हत्याओं और आपराधिक गतिविधियों में आया है. विशेषरूप से बाबा सिद्दीकी की हत्या की साजिश के पीछे भी इस गिरोह का नाम सामने आया है. जांच में यह भी सामने आया है कि इस गिरोह ने शुरुआत में इस काम के लिए ₹50 लाख की मांग की थी. हालांकि कुछ विवादों के कारण इस योजना को वापस ले लिया गया.

लौरेंस का असली नाम

लौरेंस विश्नोई का असली नाम बालकरण बरार है और वर्तमान में वह गुजरात की साबरमती सैंट्रल जेल में बंद है. उस की गतिविधियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियां, आतंकवादी निरोधी दस्ता (ATS) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) नजर रख रही हैं.

लौरेंस के गिरोह का नेटवर्क आज काफी बड़ा हो गया है, जिस में लगभग 700 शूटर शामिल हैं, जिन में से आज भी 300 शूटर पंजाब से हैं.

जांच ऐजेंसियों का क्या है कहना

NIA के अनुसार, लौरेंस का गिरोह उसी तरह का आपराधिक नेटवर्क बना रहा है जैसा 1990 के दशक में दाऊद इब्राहिम का फैला था. एजेंसी का मानना है कि हाल के वर्षों में लौरेंस का नेटवर्क तेजी से बढ़ा है और उसे पूरे देश में अपराध फैलाने के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है.

यानि लौरेंस विश्नोई का आपराधिक साम्राज्य देशभर में फैल गया है. इस के पीछे उस की परिवार की आर्थिक मदद एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है.

‘द कपिल शर्मा शो’ की बुआ भोजपुरी सिनेमा में कर रही हैं वापसी

राइटर- कोरील राजेश कुमार

‘द कपिल शर्मा शो’ में बूआ के किरदार से लोगों को हंसाने वाली फिल्म कलाकार उपासना सिंह एक बार फिर भोजपुरी फिल्म ‘सास सरकार बहू चौकीदार’ में नजर आएंगी, जिस की शुटिंग जौनपुर में की जा रही है.

उपासना सिंह कहती हैं, “अब ‘बूआ’ का रोल बहुत हो गया है. जब इस फिल्म के प्रोड्यूसर अभय सिन्हा का फोन आया कि इस फिल्म में मुझे एक सास का रोल करना है, तो मुझे कहानी अच्छी लगी. जैसा कि सास सरकार है, तो मैं ने हां कर दी.”

इस फिल्म में बहू यामिनी सिंह हैं, जिन्होंने ‘सरस्वती’, ‘रिद्धीसिद्धी’, ‘माई बिना नईहर सूना’ जैसी फिल्में की हैं.

यशी फिल्म्स के बैनर तले बन रही मल्टीस्टारर फिल्म ‘सास सरकार बहू चौकीदार’ में जय यादव और यामिनी सिंह फिर से एकसाथ दिखेंगे, जिस का डायरैक्शन कर रहे हैं प्रवीण कुमार गुडूरी और लेखक हैं अरविंद तिवारी.

बाकी कलाकारों की बात करें तो मनोज टाइगर, सुजान सिंह, देव सिंह, राघव पांडेय, साहिल सिद्दीकी, रंभा साहिनी, दीपिका सिंह और विनोद मिश्रा इस फिल्म में अहम किरदार में दिखाई देंगे.

मैं मां बनना चाहती हूं पर मुझे लगता है कि मेरे पति में कमी है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 35 साल की शादीशुदा औरत हूं. मुझे लगता है कि मेरे पति नामर्द हैं, इसलिए मैं आज तक मां नहीं बन पाई हूं. मैं चाहती हूं कि वे डाक्टर के पास जा कर इस समस्या को बताएं, पर उन्होंने इसे अपनी इज्जत का सवाल बना लिया है, जबकि मुझे लगता है कि उन की यह कमजोरी डाक्टरी इलाज से दूर हो जाएगी. मैं क्या करूं?

जवाब

आप को यह लगना कि पति ही नामर्द हैं, इसलिए संतान नहीं हो रही, एकतरफा बात है. यह क्यों मुमकिन नहीं कि कमी आप में ही हो, इसलिए दोनों ही एकसाथ काबिल डाक्टर को दिखाएं और उस की सलाह के मुताबिक इलाज कराएं. पति को प्यार से समझाएंगी तो वे मान भी सकते हैं, लेकिन न मानें तो बच्चा गोद लेने के बारे में उन से चर्चा करें.

यह ठीक है कि हर औरत की दिली ख्वाहिश अपने बच्चे की मां बनने की होती है, लेकिन ऐसे लाखों लोग हैं जो बेऔलाद हैं. कई मामलों में तो पतिपत्नी दोनों में कोई खराबी नहीं होती, इसलिए इस मामले पर ज्यादा न सोचें, बस प्यार से पति को डाक्टर के पास चलने के लिए राजी करने की कोशिश करें.

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गर्भवती महिलाओं को निम्न आहार लेना चाहिए. इस समय कई बार आपको खाने का मन नहीं करता है, लेकिन मन को माना कर स्वाद बदल बदल कर संतुलित  आहार का सेवन करते रहना चाहिए . दस विंदुओ में समझते है  , संतुलित आहार के स्वाद अनुसार सेवन से क्या लाभ है . किन किन बातों का रखें ख्याल , आईए जानते है …

  1. रक्त की कमी न हो इसलिए महिला रोग विशेषज्ञ की सलाह से कैल्शियम एवं आयरन की गोली लेना शुरू से ही प्रारंभ कर देना चाहिए. साथ ही स्वाद अनुसार या जो आपको पसंद हो उस सब्जी का सेवन आपको करना है .
  2. आपके खाने के थाली में गोभी, पत्ता गोभी, सभी लंबी हरी पत्तेदार सब्जियां, तौरई, परवल, लौकी या पालक में से कोई एक प्रतिदिन शामिल होना चाहिए . इसका चुनाव आप अपने पसंद और स्वाद अनुसार कर सकती है .

3. जिन महिलाओं को गर्भपात की शिकायत पूर्व में रही हो , उन्हें अगर बैंगन, पपीता, प्याज, मिर्ची, अदरक, लहसुन, काली मिर्च और सरसों अगर पसंद हो भी तो नहीं खाना चाहिए. अगर आपको इन सब्जियों का स्वाद बहुत पसंद है तो आप बहुत कम मात्रा में प्रयोग करें.

4. फलों में काले अंगूर, केला, पका आम, खजूर, काजू आदि अत्यधिक लाभकारी होता है. जो आपको सुविधा अनुसार मिल जाए और जिनका स्वाद आपको पसंद है उसका आप सेवन कर सकती है .

5. चावल, पुलाव और खिचड़ी के साथ – साथ रोटी , चपाती, परांठा आदि गेहूं से बने आहार को अपने भोजन में स्वाद अनुसार  सम्मलित करें.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

क्या आप भी करते हैं मन मार कर सैक्स?

आप दिन भर के थके हुए घर लौटे हैं और आप के मन में सैक्स का खयाल दूरदूर तक नहीं हैं. लेकिन जैसे ही आप बिस्तर पर लेटते हैं, यह साफ हो जाता है कि आप के साथी के मन में आज सैक्स के अलावा कुछ भी नहीं है. उस को मना करने के बजाय आप अनमने मन से उस के साथ सैक्स कर लेते हैं. शायद आप यह उस की खुशी के लिए करते हैं या शायद इसलिए क्योंकि आप को पता है कि मना करने से उस का मूड खराब हो जाएगा.

अपना मन मारना

मन ना होने पर भी सैक्स करने को शोधकर्ताओं ने ‘अनुवर्ती सैक्स’ का नाम दिया है. अध्ययन से पता चला है कि पुरुषों की तुलना में ऐसा महिलाएं ज्यादा करती हैं. अनुवर्ती सैक्स और जबरदस्ती करे जाने वाले सैक्स में फर्क है. इस में आप इसलिए यौन संबंध नहीं बनाते क्योंकि आप का साथी आप के साथ जोरजबरदस्ती करता है, बल्कि यहां तो आप के साथी को यह पता ही नहीं चलता कि आप सैक्स नहीं करना चाहते और केवल उस का मन रखने के लिए कर रहे हैं, चाहे अपना मन मार कर ही सही.

तो ऐसा महिलाएं क्यों करती हैं? यह जानने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं के एक समूह ने विश्विद्यालय में पढ़ने वाली 250 लड़कियों से संपर्क किया. उन्हें औनलाइन एक सर्वे भरने को कहा गया जिस में उन्हें अपने उस समय के अनुभव के बारे में बताना था जब उन्होंने अपना मन मार कर सैक्स किया. यहां सैक्स का मतलब था प्रवेशित सैक्स, गुदा और मुख मैथुन. शोधकर्ता यह भी जानना चाहते थे कि सैक्स करते हुए उन का व्यक्तित्व कैसा रहता है और अपने रिश्ते में वो अपने साथी से किस तरह से पेश आती हैं.

परिणाम आने के बाद शोधकर्ताओं को पता चल चुका था कि लगभग आधी महिलाओं ने कभी ना कभी मन मार कर सैक्स किया है. 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने यह अपने वर्तमान साथी के साथ किया था या फिर उस साथी के साथ जिस के साथ उन का रिश्ता सब से लंबा चला था.

60 प्रतिशत महिलाओं का कहना था कि उन्होंने यह किया तो है लेकिन उन का मानना था कि ऐसा बहुत कम होता है. लेकिन 4 में से एक महिला ऐसी भी थी जिन्होंने लगभग 75 प्रतिशत से ज्यादा बार अपना मन मार कर सैक्स किया था.

तो यह लोग ऐसा क्यों कर रहे थे? इसका एक कारण तो यह था कि उन की नजर में ऐसा करने से उन का रिश्ता बेहतर और मजबूत होगा. एक महिला अपने साथी के साथ केवल इसलिए सैक्स के लिए तैयार हो जाती है क्योंकि उसे पता है कि उसे लगे ना लगे उस के साथी को यह अच्छा लगेगा. एक और कारण जो इतना सामान्य नहीं है, वो यह है कि महिलाओं को लगता है कि सैक्स करने से उन का रिश्ता चलता रहेगा – उन्हें यह डर रहता है कि कहीं उन के मना करने से उन का साथी उन्हें छोड़ कर ना चला जाए.

सैक्स को ले कर बातचीत

अध्ययन से यह भी पता चला कि जो महिलाएं अपने साथी को अपनी कामुक पसंद और नापसंद के बारे में बता कर रखती थी, उन के ‘अनुवर्ती सैक्स’ करने की संभावना कम थी क्योंकि जब उन का सैक्स करने का मूड नहीं होता था तब भी वो मन मारने के बजाय, वो बात अपने साथी को बता देती थीं.

अगर यह सब आप को जाना पहचाना लग रहा है तो शायद आप को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि कैसे आप अपनी यौन इच्छाओं को अपने साथी को बता सकें और उस बारे में भी, जब आप सैक्स नहीं करना चाहते हों. इस से आप को बेहद फायदा होगा.

पुरुष भी इस का खयाल रख सकते हैं. अगली बार सैक्स करते हुए ध्यान दें कि क्या आप का साथी पूर्ण रूप से कामोत्तेजक है और क्या उसे सच में मजा आ रहा या फिर वो केवल आप का मन रखने के लिए यौन क्रिया में लिप्त हो रही है. यह जानने का सब से आसान तरीका जानते हैं क्या है? सीधा ही उस से पूछ न लो मेरे भाई. शानदार सैक्स की ओर यह आप का पहला कदम होगा.

पुरुषों में तनाव बढ़ने के क्या हैं कारण, जानें यहां

तेजी से बदलती दिनचर्या और इस भागदौड़ भरी लाइफ में पुरुषों में तनाव एक आम समस्या बन गई है.
अपने रोजमर्रा के जीवन में पुरुष अकसर छोटीछोटी बातों पर तनाव ले लेते हैं. जो उन की हैल्थ के लिए हानिकारक तो है ही साथ ही उन के वैवाहिक जीवन के लिए चिंता का सबब बन सकता है. पुरुषों के बीच तनाव की समस्या, इस के लक्षणों की पहचान और इस से कैसा बचा जाए, ये हम आप को बताते हैं.

इन बातों का रखें ध्यान

तनाव पुरुषों के जीवन के लगभग सभी क्षेत्र को प्रभावित करता है, इसलिए जीवनशैली में बदलाव तनाव की समस्या को कम करने में मदद करता है. तनाव के कारण पुरुषों के स्वास्थ्य में कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं.

1. ब्लड प्रैशर का बढ़ना

बढ़ते तनाव के चलते पुरुषों में ब्लड प्रैशर की समस्या आम बात है. हाईपर टैंशन के चलते भी ब्लड प्रैशर में बदलाव आता है, जिस के चलते पुरुष ज्यादा गुस्सा और चिड़चिड़े हो जाते हैं.

2. थका हुआ महसूस करना 

तनाव पुरुषों को शारिरीक रूप से तो कमजोर करता ही है पर मानसिक रूप से भी नुकसान पहुंचाता है. जिस के चलते पुरुष थका हुआ महसूस करने लगते हैं.

3. दिल तेजी से धड़कना

तनाव में घबराहट होना एक आम बात है, जिस के चलते आप की दिल की धड़कन तेजी से बढ़ने लगती है.

4. इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर होना

तनाव, घबराहट होना, हाईपर टैंशन और दिल की धड़कन तेजी से बढ़ना इन सभी कारणों से इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हो जाता है.

लाइफस्टाइल में बदलाव ही बचाव 

-योग और मैडिटेशन का प्रयोग करें, इस से मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार के तनाव दूर करने में मदद मिलती है.

-तनाव से बचाव के लिए पर्याप्त नींद लें.

-अपनी परेशानियों को दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें.

-तनाव को कम करने के लिए आप अपनी पसंद का गाना सुनें. लाफ्टर थैरेपी का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

पहले की छेड़छाड़, फिर जिंदा जलाया

बांग्लादेश की राजधानी से तकरीबन 160 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे फेनी में रहने वाली 19 साल की नुसरत जहां रफी को उस के ही स्कूल में जिंदा जला कर मार दिया गया.  मामला कुछ यों था कि नुसरत जहां ने इस वारदात से तकरीबन 2 हफ्ते पहले ही अपने मदरसे के हैडमास्टर के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी. नुसरत की शिकायत के मुताबिक, 27 मार्च 2019 को उस के हैडमास्टर ने उसे अपने केबिन में बुलाया और गलत ढंग से यहां-वहां छुआ. इस बेहयाई से घबराई नुसरत वहां से भाग गई.

लेकिन बाद में नुसरत जहां ने अपने साथ हुए इस अपराध के खिलाफ आवाज उठाने की ठानी और परिवार के साथ जा कर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई.

वीडियो हुआ लीक

एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब नुसरत जहां पुलिस को अपना बयान दे रही थी तो वहां का औफिसर इंचार्ज यह सब अपने मोबाइल फोन में रिकौर्ड कर रहा था. यह देख कर घबराई नुसरत ने अपने हाथ से चेहरा ढकने की कोशिश पर पुलिस वाला उसे हाथ हटाने को कहता रहा. बाद में यह वीडियो लोकल मीडिया में लीक हो गया.

नुसरत जहां रफी की शिकायत पर पुलिस ने मदरसे के उस हैडमास्टर को गिरफ्तार कर लिया. लेकिन जब कुछ लोग इकट्ठा हो कर हैडमास्टर की रिहाई की मांग करने लगे तो नुसरत के लिए काफी मुश्किलें खड़ी हो गईं. इतना ही नहीं, उन्होंने नुसरत को ही बुराभला कहना शुरू कर दिया. तब लगा कि धीरेधीरे बात आईगई हो जाएगी, पर 6 अप्रैल 2019 को जब नुसरत जहां अपने फाइनल इम्तिहान देने के लिए स्कूल गई तो मामला बिगड़ गया.

नुसरत जहां के भाई महमुदुल हसन नोमान ने बताया, ‘मैं अपनी बहन को स्कूल ले कर गया और जब मैं ने स्कूल के भीतर जाने की कोशिश की तो मुझे रोक लिया गया. अगर मुझे रोका न गया होता तो मेरी बहन के साथ ऐसा न हुआ होता.’

ऐसा क्या हुआ था नुसरत जहां के साथ? नुसरत के बयान के मुताबिक, उस के साथ पढ़ने वाली एक छात्रा यह कह कर उसे अपने साथ छत पर ले गई कि उस की एक दोस्त की पिटाई की गई है. जब नुसरत छत पर पहुंची तो 4-5 बुरका पहने हुए लोगों ने उसे घेर लिया और हैडमास्टर के खिलाफ शिकायत वापस लेने को कहा. जब नुसरत ने ऐसा करने से मना कर दिया तो उन्होंने उसे आग के हवाले कर दिया.

पुलिस ब्यूरो औफ इन्वेस्टिगेशन के प्रमुख बनाज कुमार मजूमदार ने कहा कि हत्यारे चाहते थे कि यह सब-कुछ एक खुदकुशी जैसा लगे पर उन की योजना उस समय फेल हो गई, जब आग लगने के बाद नुसरत को अस्पताल लाया गया और मरने से पहले उस ने हत्यारों के खिलाफ बयान दे दिया.

10 अप्रैल को नुसरत जहां की मौत हो गई. पुलिस ने उस की हत्या के आरोप में 15 लोगों को गिरफ्तार किया. बाद में हैडमास्टर को भी गिरफ्तार कर लिया गया. थाने में नुसरत जहां की शिकायत की रेकौर्डिंग करने वाले पुलिस वाले को उस के पद से हटा कर दूसरे महकमे में भेज दिया गया.

खौफ के साए : जब साहब को मिली देख लेने की धमकी

मैं  अपने चैंबर में जैसे ही दाखिल हुआ, तो वहां 2 अजनबी लोगों को इंतजार करते पाया. उन में से एक खद्दर के कपड़े और दूसरा पैंटशर्ट पहने हुए था.

मैं ने अर्दली से आंखों ही आंखों में सवाल किया कि ये कौन हैं?

‘‘सर, ये आप से मिलने आए हैं. इन्हें आप से कुछ जरूरी काम है,’’ अर्दली ने बताया.

‘‘मगर, मेरा तो आज इस समय किसी से मिलने का कोई कार्यक्रम तय नहीं था,’’ मैं ने नाराज होते हुए कहा.

‘‘साहब, हमें मुलाकात करने के लिए किसी से समय लेने की जरूरत नहीं पड़ती. आप जल्दी से हमारी बात सुन लें और हमारा काम कर दें,’’ खद्दर के कपड़े वाले आदमी ने रोब से कहा.

‘‘मगर, अभी मेरे पास समय नहीं है. अच्छा हो कि आप कल दोपहर 12 बजे का समय मेरे सैक्रेटरी से ले लें.’’

‘‘पर, हमारे लिए तो आप को समय निकालना ही होगा,’’ दूसरा आदमी जोर से बोला.

‘‘आप कौन हैं?’’ मैं ने सवाल किया. ‘‘मैं अपनी पार्टी का मंत्री हूं. जनता की सेवा करना मेरा फर्ज है,’’ खद्दर वाले आदमी ने कहा.

‘‘और मैं इन का साथी हूं. समाज सेवा मेरा भी शौक है,’’ दूसरा बोला.

मैं ने उन्हें गौर से देखा और सोचने लगा, ‘अजीब लोग हैं… मान न मान, मैं तेरा मेहमान की तरह बिना इजाजत लिए दफ्तर में घुस आए और अब मुझ पर रोब झड़ रहे हैं. इन के तेवर काफी खतरनाक लग रहे हैं. ये आसानी से टलने वाले नहीं लग रहे हैं. क्या मुझे इन की बात सुन लेनी चाहिए?’

मुझ चुप देख कर पैंटशर्ट वाले आदमी ने कहा, ‘‘साहबजी, परेशान न हों. हमें आप से एक सर्टिफिकेट चाहिए. मेरी बहन को इस की सख्त जरूरत है. एक खाली जगह के लिए अर्जी देनी है. इस सर्टिफिकेट से उस की नौकरी पक्की हो जाएगी.’’

‘‘यह तो मुमकिन नहीं है. जब उस ने हमारे यहां काम ही नहीं किया है, तो मैं उसे सर्टिफिकेट कैसे दे सकता हूं? यह गलत काम मु?ा से नहीं हो सकेगा,’’ मैं ने कहा.

‘‘सर, आजकल कोई काम न तो गलत है और न सही. समाज में रह कर एकदूसरे की मदद तो करनी ही पड़ती है. कीमत ले कर सब मुमकिन हो जाता है. आप को जो चाहिए, वह हम हाजिर कर देंगे.

‘‘यह देखिए, टाइप किया हुआ सर्टिफिकेट हमारे पास है. बस, इस पर आप के दस्तखत और मुहर चाहिए,’’ नेता टाइप आदमी ने कहा.

‘‘मैं ने कभी किसी को इस तरह का झठा सर्टिफिकेट नहीं दिया है. आप किसी और से ले लो,’’ मैं ने साफ इनकार कर दिया.

‘‘मगर, हमें तो आप से ही यह सर्टिफिकेट लेना है और अभी लेना है. बुलाइए अपने सैक्रेटरी को.’’

‘‘यह कैसी जोरजबरदस्ती है. आप लोग मेरे दफ्तर में आ कर मुझे ही धमका रहे हैं. आप को यहां आने के लिए किस ने कहा.

‘‘बेहतर होगा, अगर आप यहां से चले जाएं और मुझे मेरा काम करने दें. अभी यहां एक जरूरी मीटिंग होने वाली है,’’ यह बोलते हुए मैं कांप रहा था.

‘‘सोच लो साहब, एक लड़की के कैरियर का सवाल है. हम भी कभी तुम्हारे काम आ सकते हैं. आजकल हर बड़े आदमी को सियासी लोगों के सहारे की जरूरत पड़ती है.

‘‘अगर तुम ने हमारी बात न मानी, तो फिर हम तुम्हें चैन से बैठने नहीं देंगे. हमें तुम्हारे घर से आनेजाने का समय मालूम है और बच्चों के स्कूल जाने के समय से भी हम अच्छी तरह वाकिफ हैं,’’ उन की ये धमकी भरी बातें मेरे कानों पर हथौड़े मार रही थीं.

मेरा सिर बोझिल हो गया. बदतमीजी की हद हो गई. ये तो अब आप से तुम पर आ गए. क्या किया जाए? क्या पुलिस को खबर कर दूं, पर उस के आने में तो देर लगेगी.

फिर कुछ देर बाद हिम्मत कर के मैं ने कहा, ‘‘तुम लोग मुझे धमका कर गैरकानूनी काम कराना चाहते हो. मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट कर दूंगा,’’ मैं ने घंटी बजा कर सैक्रेटरी को बुलाना चाहा.

इस पर उन में से एक गरजा, ‘‘शौक से कराओ रिपोर्ट, लेकिन तुम हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते. थानेचौकी में तो हमारी रोज ही हाजिरी होती है.’’

इन लोगों की ऊंची आवाजों से दफ्तर में भी खलबली मच गई थी.

‘‘सर, क्या सौ नंबर डायल कर के पुलिस को बुलवा लूं?’’ सैक्रेटरी ने आ कर धीमे से पूछा.

‘‘नहीं, अभी इस की जरूरत नहीं है. तुम मीटिंग की तैयारी करो. मैं इन्हें अभी टालता हूं.’’

मैं फिर पानी पी कर और अपनी सांस को काबू में कर के उन की तरफ मुड़ा. अब मु?ा पर भी एक अनजाना खौफ हावी था कि क्या होगा?

कमरे के बाहर मेरा अर्दली सारी बातें सुन कर मुसकरा रहा था. उस के मुंह से निकला, ‘अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे. सिट्टीपिट्टी गुम हो गई साहब की.

2 गुंडों ने सारा रोब हवा कर दिया.’

फिर वे दोनों उठ कर खड़े हो गए और जोरजोर से चिल्लाने लगे, ‘अगर हमारा काम नहीं किया, तो पछताओगे. यहां से घर जाना मुश्किल हो जाएगा तुम्हारे लिए. निशान तक नहीं मिलेगा, सम?ो.’

‘‘तुम लोग जो चाहे कर लेना, मगर मैं गलत काम नहीं करूंगा,’’ मैं ने भी आखिरी बार हिम्मत कर के यह वाक्य कह ही दिया.

‘अच्छा तो ठीक है. अब हम तुम्हारे घर शाम के 6 बजे आएंगे. सर्टिफिकेट टाइप करा कर लेते आना और मुहर भी साथ में लेते आना, वरना अंजाम के तुम खुद जिम्मेदार होगे,’ वे जाते हुए जोर से बोले.

मेरे मुंह से मुश्किल से निकला, ‘‘देखा जाएगा.’’

वे कमरे से बाहर चले गए थे, मगर मैं अपनी कुरसी पर बैठा खौफ से कांप रहा था कि अब क्या होगा? बाहर मेरा स्टाफ हंसीमजाक में मस्त था.

‘‘कल साहब दफ्तर नहीं आएंगे. घर पर रह कर उन गुंडों से बचने की तरकीबें सोचेंगे और हम मौजमस्ती करेंगे,’’ एक क्लर्क ने कहा.

तभी अर्दली ने अंदर आ कर पानी का गिलास रखते हुए पूछा, ‘‘चाय लाऊं, साहब?’’

‘‘नहीं… अभी नहीं.’’

मैं ने घड़ी देखी, तो दोपहर का डेढ़ बजने वाला था यानी लंच का समय हो गया था.

मैं ने सैक्रेटरी को बुला कर मीटिंग टलवा दी और अपनी हिफाजत की तरकीबें सोचने लगा, ‘जब तक बड़े साहब से बात न कर लूं, पुलिस में रिपोर्ट कैसे कराऊं. वे दौरे पर बाहर गए हैं,

2 दिन बाद आएंगे, तभी कोई कार्यवाही की जा सकती है.

‘अब सरकारी दफ्तरों में भी गुंडागर्दी फैलनी शुरू हो गई है. डराधमका कर गलत काम कराने, अफसरों को फंसाने और ब्लैकमेल करने की साजिशें हो रही हैं. हम जैसे उसूलपसंद लोगों के लिए तो अब काम करना मुश्किल हो गया है,’ सोचते हुए मेरी उंगलियां घर के फोन का नंबर डायल करने लगीं.

मैं ने बीवी से कहा, ‘‘सतर्क रहना और बच्चों को घर से बाहर न जाने देना. हो सकता है कि शाम को मेरे घर पहुंचने से पहले कोई घर पर आए. कह देना, साहब घर पर नहीं हैं.’’

‘‘पर, बात क्या है, बताइए तो सही?’’ बीवी ने मेरी आवाज में घबराहट महसूस कर के पूछा.

‘‘कुछ नहीं, तुम परेशान न हो. मैं समय पर घर आ जाऊंगा. गेट अंदर से बंद रखना.’’

फिर मैं ने अपने दोस्त धीर को फोन कर के सारी घटना उसे बता दी और उसे घर पर पूरी तैयारी से आने को कहा.

ठीक साढ़े 5 बजे मैं दफ्तर से घर के लिए अपनी गाड़ी से चल दिया. मेरे साथ अर्दली और क्लर्क भी थे.

वे लोग जिद कर के साथ हो लिए थे कि मुझे घर तक छोड़ कर आएंगे. उन की इच्छा को मैं टाल भी न सका.

सच तो यह है कि उन की मौजूदगी ने ही मेरी हिम्मत बढ़ा दी. रास्ते भर मेरी नजरें इधरउधर उन बदमाशों को ही तलाशती रहीं कि कहीं किसी तरफ से वे निकल न आएं और मेरी गाड़ी रोक कर मेरे ऊपर हमला न कर दें.

मैं ठीक 6 बजे घर पहुंच गया. वहां सन्नाटा छाया था. मैं ने दरवाजे की घंटी बजाई.

अंदर से सहमी सी आवाज आई, ‘‘कौन है?’’

‘‘दरवाजा खोलो. मैं हूं,’’ मैं ने जवाब दिया.

कुछ देर बाद मेरी आवाज पहचान कर बीवी ने दरवाजा खोला.

‘‘तुम इतनी घबराई हुई क्यों हो?’’ मैं ने पूछा.

‘‘आप के फोन ने मु?ो चिंता में डाल दिया था. फिर 2 फोन और आए. कोई आप को पूछ रहा था कि क्या साहब दफ्तर से आ गए? आखिर माजरा क्या है?’’ बीवी ने पूछा.

‘‘कुछ भी नहीं.’’

‘‘अगर कुछ नहीं है, तो आप के चेहरे पर खौफ क्यों नजर आ रहा है और आवाज क्यों बैठी हुई है?’’

मैं ने कोई जवाब नहीं दिया और बैग मेज पर रख कर अंदर सोफे पर लेट गया.

कुछ ही देर में धीर भी आ गया. उस ने मेरा हौसला बढ़ाते हुए कहा, ‘‘यार, घबराओ नहीं. मैं ने सब बंदोबस्त कर दिया है. अब वे तुम्हारे पास कभी नहीं आएंगे. हमारे होते हुए किस की हिम्मत है कि तुम्हारा कोई कुछ बिगाड़ सके.

‘‘रात में यहां 2 लोगों की ड्यूटी निगरानी के लिए लगा दी है. वे यहां का थोड़ीथोड़ी देर बाद जायजा लेते रहेंगे.’’

‘‘जरा तफसील से बताओ कि तुम ने क्या इंतजाम किया है?’’ मैं ने धीर से कान में फुसफुसा कर पूछा.

धीर ने बताना शुरू किया, ‘‘मैं उस खद्दरधारी बाबूलाल के ठिकाने पर हो कर आ रहा हूं. उसी के इलाके का एक दादा रमेश भी मेरे साथ था.

‘‘रमेश ने बाबूलाल को देखते ही कहा, ‘हम तो साहब के घर पर तुम्हारा इंतजार कर रहे थे और तुम यहां मौजूद हो.’

‘‘बाबूलाल रमेश को देख कर ढेर हो गया और हाथ जोड़ कर खड़ा हो गया. फिर माफी मांगते हुए वह बोला, ‘साहबजी, मुझ से गलती हो गई, जो मैं आप के दोस्त के दफ्तर चला गया और उन को धमका आया. उमेश ने मुझ पर ऐसा काम करने का दबाव डाला था. मैं उस की बातों में आ गया था. अब कभी ऐसी गलती नहीं होगी.’

‘‘आज के जमाने में सेर पर सवा सेर न हो, तो कोई दबता ही नहीं है. जब उसे मेरी ताकत का अंदाजा हो गया, तो वह खुद डर गया, इसलिए वह अब कभी तुम्हारे पास नहीं आएगा.

‘‘तुम बेफिक्र रहो और कल से ही रोज की तरह दफ्तर जा कर अपना काम करो. कोई बात हो, तो मुझे फोन कर देना.’’

धीर की तसल्ली भरी बातों ने मेरा सारा खौफ मिटा दिया. अब मैं अपनेआप को पहले जैसा रोबदार अफसर महसूस कर रहा था.

मेरी बीवी और बच्चों के चेहरे भी खिल उठे थे.

दूसरे दिन जब मैं घर से दफ्तर के लिए निकला, तो हर चीज हमेशा की तरह ही थी. डर की कोई परछाईं भी नजर नहीं आ रही थी.

आज अपने चैंबर में बैठा हुआ मैं महसूस कर रहा था कि खौफ तो आदमी के अंदर ही पनपता है, बाहर तो केवल उस की परछाइयां ही फैलती हुई लगती हैं.

 

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