जेल से बाहर आने के बाद एस आर दारापुरी का बयान, “मुझे शारीरिक नहीं मानसिक प्रताड़ना मिली”

1972 बैच के आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी 32 पुलिस की सर्विस से साल 2003 में आईजी के पद से रिटायर हुये. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरानगर कालोनी में रहते है. पुलिस से रिटायर होने के बाद एसआर दारापुरी ने सोशल एक्टिविस्ट और राजनीतिक पार्टी के जरिये जनता की सेवा का काम करना शुरू किया. उनकी पहचान दलित चिंतक के रूप में भी है.

इसके अलावा पुलिस के द्वारा एकांउटर में मारे गये निर्दोश लोगों को लेकर उनका लंबा संघर्ष चल रहा है. इस संबंध में उनकी याचिका कोर्ट में है. 76 साल उम्र के एसआर दारापुरी औल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता है. नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया था. 14 दिन जेल में रहने के बाद वह जेल से छूटकर वापस आये और कहा कि ‘सरकार के दमन हमारे उपर कोई असर नहीं है. हमने नागरिकता कानून का पहले भी विरोध किया था. आज भी कर रहे और आने वाले कल भी करेगे. हमने पहले भी हिंसा नहीं की आज भी नहीं कर रहे और आगे भी नहीं करेंगे. शांतिपूर्ण तरह से हम अपना विरोध दर्ज कराते रहेगे.’

पूरी तरह से अवैध थी घर में हिरासत:

76 साल के एसआर दारापुरी में सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ गुस्सा पूरे जोश में है. वह किसी नौजवान की तरह से आगे भी सरकार की नीतियों से लड़ने के लिये तैयार है. एसआर दारापुरी अपनी गिरफ्तारी के घटनाक्रम पर विस्तार से जानकारी देते हैं. वह कहते है ‘5 दिसम्बर 2019 को नागरिकता कानून के खिलाफ हजरतगंज पर बनी डाक्टर अम्बेडकर की प्रतिमा के नीचे धरना दिया गया था. वहां बहुत सारे सामाजिक संगठनो के लोग थे. वहां पर 19 जनवरी को नागरिकता कानून के विरोध की घोषणा हुई थी. बाद में इस अभियान में दूसरे राजनीतिक लोग भी जुड गये. 19 दिसम्बर को विरोध प्रदर्शन को देखते हुये मुझे अपने घर में पुलिस ने नजरबंद कर दिया था.‘

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वह बताते है ‘19 दिसम्बर की सुबह 7 बजे जब मैं अपने घर से टहलने के लिये सामने पार्क में गया तो गाजीपुर थाने के 2 पुलिस के सिपाही वहां बैठे मिले. इसकी हमें पहले से कोई जानकारी नहीं थी. जब हम वापस आये सिपाहियों से पूछा तो बोले हमें थाने से यहां डयूटी पर भेजा गया है. करीब 2 घंटे के बाद सीओ गाजीपुर और एसओ गाजीपुर यहां जीप से आये. उस समय हमें यह बताया कि आपको घर से बाहर नहीं जाना है. तब मैने घर से अपने हाउस अरैस्ट होने और नागरिकता कानून के विरोध का फोटो अपने फेसबुक पेज पर पोस्ट किया. करीब 5 बजे हमें नागरिकता कानून के विरोध और हिंसा की खबरे मिली तो हमने अपने कुछ साथियों से पीस कमेटी बनाकर काम करने के लिये कहा. जिसमें यह तय हुआ कि शनिवार को हम लोग प्रशासन से मिलकर इस काम को अंजाम देगे.’

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पुलिस ने बंधक बनाकर रखा…

20 दिसम्बर की सुबह 11 बजे पुलिस हमारे घर आती है. सीओ और एसओ गाजीपुर हमें थाने चलने के लिये कहते है. हमने उनके पूछा कि क्या मुझे गिरफ्तार किया जा रहा है ? तो वह बोले ‘नहीं आपको थाने चलना है.’ हम अपने साधारण कपड़ों में ही पुलिस की जीप में बैठकर थाने चले आये. मुझे लगा कि शाम तक वापस छोड़ देगे. हम दिन में भी गाजीपुर थाने में बैठे रहे. शाम 6 बजे करीब हमें हजरतगंज थाने चलने के लिये बोला गया. हम पुलिस के साथ हजरतगंज थाने आ गये. यहां हमने फिर अपनी गिरफ्तारी की बात पूछी तो इंसपेक्टर हजरतगंज ने कहा कि ’39 पहले हो चुके है आप 40 वें है. हमें बूढ़ा होने या पुलिस में रहने के कारण बैठने के लिये कुर्सी दे दी गई थी पर खाने के लिये कुछ नहीं दिया गया. रात करीब 11 बजे हमें रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने पेश होने के लिये रिवर बैंक कालोनी ले जाया गया. वहां मजिस्ट्रेट के सामने हमने पूरी बात बताई. पुलिस ने मुझ पर हिंसा की साजिश रचने की धारा 120 बी का मुकदमा कायम किया था. तथ्यों से पुलिस मजिस्ट्रेट को अपनी बात से सहमत नहीं कर पाई. ऐसे में  मजिस्ट्रेट ने रिमांड नहीं दी.

सर्दी से बचाव के लिये नहीं दिया कंबल:

रात करीब 12 बजे हमें वापस हजरतगंज थाने लाया गया. उस समय तक मुझे सर्दी लगने लगी थी. मै साधारण कपड़ों में था. मैने कंबल मांगा तो पुलिस ने नहीं दिया. मैने किसी तरह से घर फोन कर बेटे को कंबल लाने के लिये कहा तो वह डरा हुआ था. उसको यह जानकारी मिल रही थी कि जो भी ऐसे लोगों से मिलने जा रहा उसको पकड़ा जा रहा है. इस डर के बाद भी वह किसी तरह से कंबल लेकर घर से थाने आया. हमें इस दौरान खाने के लिये कुछ भी नहीं था. हमारे पास पानी की बोतल थी वही पीकर प्यास बुझा रहे थे. पुलिस ने मनगंढ़त लिखा पढ़ी कि और बताया कि रिमांड मजिस्ट्रेट मिले नहीं थे. फिर मेरी गिरफ्तारी को घर से ना दिखाकर महानगर के किसी पार्क से होना दिखाया. 21 दिसम्बर की शाम हमें जेल भेजा गया. जेल में रिमांड मजिस्ट्रेट के सामने हमें पेश किया गया. जेल में जाने के समय रात का 9 बज गया था. हम रात को भूखे ही सो गये. 22 दिसम्बर की सुबह हमें जेल में नाश्ता मिला.

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करीब 37 घंटे हमें पुलिस ने बिना किसी तरह के खाने के रखा. मेरा 161 का बयान नहीं कराया गया. मेरे साथ शारीरिक प्रताड़ना नहीं हुई. लेकिन मानसिक प्रताड़ना मिली और हमको दबाने के लिये हर प्रयास किया गया. जेल में हमें तमाम ऐसे लोग मिले जिनका लखनऊ में दंगा फैलाने के आरोप में पकड़ा गया था. ऐसे लोगों की शारीरिक प्रताड़ना की भी जानकारी मिली. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दंगा करने वालों से बदला लेने के बयान के बाद पुलिस बेहद क्रूर हो गई. हिंसा में पकडे गये लोगो को हजरतगंज थाने से अलग ले जाकर मारा गया. एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि इनको इतना मारो की पीठ डेढ़ इंच से कम सूजी नहीं होनी चाहिये. जेल में दिखे कई लोगों के चेहरे ऐसे सूजे थे कि वह पहचान में नहीं आ रहे थे.

जेल से लोवर कोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद एसआर दारापुरी को सेशन कोर्ट से जमानत मिली. इसके बाद वह जेल से रिहा हुये तो पूरे जोश में नारे लगाते हुये बाहर आये. जेल से बाहर आने के बाद भी उनको जोश पहले जैसा ही कायम है. वह कहते है कि ‘हम लोग राजनीतिक लोग है. नागरिकता कानून का विरोध करते है. हम जैसे बहुत सारे लोग इसका विरोध कर रहे है. एसआर दारापुरी जितने दिनो जेल में थे उनकी बीमार पत्नी घर पर थी. इस बीच कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी उनसे मिलने उनके घर भी गई थी.

भाजपा, आरएसएस और पुलिस की मिलीभगत:

एसआर दारापुरी कहते है कि नागरिकता कानून का विरोध शांतिपूर्ण था. इसको दबाने के लिये हिंसा फैलाई गई. सदफ जफर फेसबुक पर लाइव करते पुलिस से कह रही थी कि इन लोगों को पकड़ो. पुलिस ने उनको नहीं पकड़ा. थाने में लाने के बाद भी कुछ लोगों को छोड़ दिया गया. जिनके बारे में सुना गया कि वह लोग भाजपा समर्थन के कारण छोड़ दिये गये. ऐसे में साफ है कि पुलिस की मिली भगत से भाजपा और आरएसएस के लोगों ने यह काम कराया. एसआर दारापुरी लखनऊ पुलिस को खुलेआम चुनौती देते कहते है कि अगर पुलिस ने सही लोगों को पकडा है तो 19 दिसम्बर के दंगे के सारे वीडियो फुटेज सार्वजनिक करे. यह दिखाये कि जिन लोगों को पकड़ा है यह वहीं लोग है जो दंगा फैलाने में शामिल थे. पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये. यही नहीं लखनऊ में हिंसा में मारा गया वकील नामक व्यक्ति पुलिस के रिवाल्वर की गोली से ही मरा है. यदि ऐसा नहीं है तो पुलिस वीडियो के जरिये यह क्यों नहीं दिखाती कि किसकी गोली से वह मरा है. मरने वाले का परिवार पुलिस दवाब में है. जांच होनी चाहिये.

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एसआर दारापुरी कहते हैं यह सरकार का यह दमनकारी कदम है. जो मानवाधिकार, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी पर हमला है. यह तानाशाही सरकार है. यह तो खुला दमन है. योगी राज में पुलिस पूरी तरह से क्रूर और हत्यारी हो चुकी है. इस सरकार के दौरान पुलिस के एनकांउटर में 95 फीसदी मामले झूठे है. दंगे में पकडे गये लोग भी 95 फीसदी गलत है. पुलिस जब घटना के दिन वाले वीडियो जारी करेगी तो सच खुद सामने आ जायेगा. जिन लोगो को पकड़ा गया. उनपर लगे आरोप पुलिस कोर्ट में साबित नहीं कर पाई. जिससे सभी को एक एक कर कोर्ट से जमानत मिल जा रही है. पुलिस ने ऐसे लोगों पर एनएसए यानि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मुकदमा कायम करने की धमकी भी दी थी. जब एनएसए लगाने के लायक सबूत नहीं मिले तो पुलिस को अपने कदम वापस खींचना पड़ा. पूरे मामले की जांच होने से सच सामने आ जायेगा.

VIDEO: ऐन मौके पर होगी नायरा-कार्तिक की शादी में गड़बड़, आएगा ऐसा ट्विस्ट

भले ही टीवी शो ये रिश्ता क्या कहलाता है में वेदिका (Pankhuri Awasthy), नायरा (Shivangi Joshi) और कार्तिक (Mohsin Khan) की जिंदगी से दूर चली गई हो लेकिन कायरा (kaira) की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. जी हां, शो के लेटेस्ट प्रोमो को देखकर तो यहीं लगता है कि अभी इन दोनों को एक होने के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. चलिए जानते हैं क्या होने वाला है शो में…

ऐन मौके पर फटेगी दूल्हे की ड्रेस…

मंडप में एंट्री करने से पहले ही दूल्हे की ड्रेस फट जाएगी. जिसकी वजह से उसे मंडप में पहुंचने में देर हो जाएगी. हालांकि, जैसे-तैसे कार्तिक दूसरी ड्रेस अरेंज कर लेगा लेकिन उसे शादी में पहुंचने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ेंगे, क्योंकि न तो उसके पास कार होगी और न ही कोई दूसरा साधन.

मंडप में आएगा दूसरा दूल्हा…

इसी बीच मंडप में कोई दूसरा दूल्हा पहुंच जाएगा और क्योंकि इस नए दूल्हे की ड्रेस और कार्तिक की ड्रेस बिल्कुल सेम है तो सब यही समझेंगे कि ये कार्तिक है और उसे नायरा के साथ मंडप में बैठा दिया जाएगा.

 

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Surekha chachi be like mere karan arjun ayenge, mere karan arjun zaroor ayenge🤣🤣😂😂 #yrkkh #kaira

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पहली शादी में भी बदले थे दूल्हे…

जी हां, अगर आप ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के फैन हैं तो आपको पता होगा कि कार्तिक और नायरा की पहली शादी में भी इसी तरह से दूल्हे बदल गए थे और कार्तिक ने ऐन मौके पर मंडप में एंट्री की थी.

बता दें कि वेदिका के नायरा और कार्तिक की जिंदगी से जाते ही दादी (Swati Chitnis) ने अनाउंस कर दिया था कि कार्तिक (Mohsin Khan) और नायरा (Shivangi Joshi) शादी के बंधन में बंधेंगे. सिंघानिया और गोयनका परिवार के सभी लोग इस शादी में शरीक होने के लिए काफी एक्साइटेड है, लेकिन ऐसा कैसे हो सकता है कि नायरा (Shivangi Joshi) और कार्तिक (Mohsin Khan) की शादी बिना किसी गड़बड़ या ड्रामे के आसानी से हो जाए. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस नए दूल्हे का सच जानकर नायरा की क्या हालत होगी और क्या कार्तिक टाइम पर अपनी शादी में पहुंच पाएगा.

फिर ट्रोलिंग की शिकार हुईं अनन्या पांडे, गन्ने के खेत में पहुंचीं तो ऐसे बना मजाक

धर्मा प्रोडक्शन की फिल्म ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2’ से बतौर एक्ट्रेस डेब्यू करने वाली एक्टर चंकी पाण्डेय की बेटी और एक्ट्रेस अनन्या पांडे एक बार फिर बुरी तरह ट्रोलिंग का शिकार हो गई हैं. जी हां, गन्ने के खेत में कराये गए एक फोटो शूट के चलते उनका मजाक बनाया जा रहा है. अनन्या पाण्डेय द्वारा अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किए गए इस फोटो पर यूजर तरह-तरह के कमेंट्स किये जा रहें हैं. इसके पहले भी अनन्या पाण्डेय को स्टार परिवार से जुड़े होने के चलते नेपिटिज्म का ताना झेलना पड़ा था.

क्या है फोटो में…

अनन्या नें जो फोटो शेयर की है उसमें वह गन्ने के खेत बीच में खड़ी होकर पोज दे रही हैं. अपने सोशल मीडिया के पेज पर शेयर किये गए इस फोटो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है पलट #DDLJmoment..  अनन्या की ये फोटो न सिर्फ तेजी से वायरल हुई है बल्कि इस पर यूजर ने कमेंट्स के साथ कई मीम भी बना दिए हैं.

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फैंस ने किए ऐसे कमेंट…

आकाश अग्रवाल नाम के यूजर ने लिखा है की “तेरे पलटने में भी स्ट्रगल दिख रहा है.”

रोमिंग लायन नाम के यूजर नें लिखा  “कितना स्ट्रगल करना पडता हें एक स्टार किड को यह पोज देने के लिये. गाड़ी से उतर कर कड़ी धूप में कच्ची सड़क से खेत तक पहुंचना, फिर पसीने को पोछते हुए प्यासे गले से पीछे मुड़ कर देख कर कुछ 20-30 रिटेक के बाद सही पोज देना.” एक ने तो निगेटिव कमेंट करते हुए लिखा- “खाना खाया करो, पैर मे पोलियो हो गया है.”

एक दूसरे यूजर ने ट्रोल किया और लिखा “ये दीपिका की टांग लगा कर क्यों घूम रही हो.”

अभिषेक मिश्रा नाम के यूजर ने लिखा है की कौनसा माल फूका है तुमने…..सिद्धांत भी आ रहा है…. Caption killed …..DDLJ seen…

आदित्य विशेन नाम के यूजर ने कमैंट्स किया है की कॉफी विद करण शो में न पहुंच पाने वाले एक साधारण पिता की मेहनकश लड़की भरी धूप में लाचार , अकेले , खेतों में अपने संघर्ष से सफलता की दास्तान लिखती हुई.

कई बार हो चुकी हैं ट्रोलिंग का शिकार…

अनन्या इधर कुछ दिनों से ट्रोलर्स के ज्यादा निशाने पर हैं. इसका एक कारण यह भी है की उन्होंने अपने नेपोटिज्म से परेशान होकर खुलकर कहा था कि “स्टार किड्स की भी अपनी स्ट्रगल होती है. मेरे पापा ने कभी धर्मा प्रोडक्शन की फिल्मों में काम नहीं किया वह कभी भी कॉफी विद करण में नहीं गए. मैं हमेशा से ही एक्टर बनना चाहती थी.” हालांकि, इसके बाद अनन्या के समर्थन में अभिनेता सिद्धांत चतुर्वेदी ने कहा था कि जहां हमारे सपने पूरे होते हैं, वहां से इनके स्ट्रगल शुरू होते हैं. बस इस इंटरव्यू के बाद से अनन्या को लगतार ट्रोल के कमेंट्स का सामना करना पड़ रहा है.

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बता दें कि अनन्या ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर 2’ के अलावा ‘पति,पत्नी और वो’ में भी प्रमुख भूमिका में नजर आ चुकी हैं. उनकी यह फिल्म 86 करोड़ से अधिक कमाकर बॉक्स ऑफ़िस पर हिट साबित हुई थी. वह जल्द ही फिल्म ‘खाली पीली’ में नजर आएंगी. इस फिल्म में वह ईशान खट्टर के साथ रोमांस करती हुईं नजर आने वाली हैं.

निरहुआ और आम्रपाली की नई भोजपुरी फिल्म का ट्रेलर लौंच, खतरनाक लुक में दिखेंगे ये विलेन

भोजपुरी सिनेमा में पहली बार बनी बायोपिक फिल्म मुकद्दर का सिकन्दर ट्रेलर लौंच हो गया है. इस फिल्म में मुख्य भूमिका में दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली दुबे, समीम खान के साथ सीपी भट्ट विलेन के रूप में खतरनाक लुक में नजर आ रहें है.

भोजपुरी फिल्मों की पहली बायोपिक…
भोजपुरी फिल्मों के इतिहास में बायोपिक के रूप में पहली फिल्म होगी. इस फिल्म का निर्माण कई सुपरहिट फ़िल्में देनें वाले निर्माता वसीम खान ने किया है. भोजपुरी सिनेमा में यह पहली बार होगा जब किसी सत्य घटना को बेहद ही मजबूती के साथ फिल्माया गया है. यह फिल्म उनकी पिछली सभी फिल्मों से काफी अलग और भव्य पैमाने पर बनाई गई है.

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हटकर होगा रोल…

फिल्म में विलेन की भूमिका निभा रहे सीपी भट्ट ने बताया की इस फिल्म में उनकी और दिनेशलाल यादव की भूमिका अब तक आई सभी फिल्मों से हटकर है. फिल्म का निर्माण बड़े स्तर पर किया गया है. इस बायोपिक में मुख्य किरदार दिनेश लाल यादव व समीम खान निभा रहें हैं जब की आम्रपाली दुबे भी दमदार भूमिका में नजर आएंगी.

फिल्म में जबरदस्त डायलॉग की भरमार…

फिल्म के सभी गाने अच्छे हैं और डायलॉग दर्शकों के दिलो दिमाग पर छा जाने वाले हैं. जैसे की- ‘यहां की मिट्टी इतनी गरम है कि सरकार ध्यान ना दें तो लोग अपनी सरकार बना लेते हैं.” एक सीन में दिनेश कहते हैं- “आप 10 साल से यहां के मंत्री हैं अभी तक गांव में बिजली नहीं पहुंचा, हम तीन साल से गुंडई कर रहे हैं और गांव के हर घर में अमेरिका का एके-47 पहुंचा दिया.” वहीँ एक दूसरे सीन में एक डायलाग “सरकार बनाने के लिए झंडे कि नहीं जनता की गुलामी करनी पड़ती है. आप हमारे खिलाफ अपना प्रत्याशी मत उतारिएगा नहीं तो आप का झंडा तो बचेगा नहीं बैठ कर झंडा हिलाते रहिएगा” भी दर्शकों को सिनेमाघर में खींचने में कामयाब रहेगा. फिल्म से जुड़े लोगों को इस फिल्म से काफी उम्मीदें हैं ट्रेलर लांच होने के बाद अब दर्शकों को फिल्म के प्रदर्शित होने का बेसब्री से इंतज़ार है.

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बता दें कि एस के फिल्म इंटरनेशनल  के बैनर तले बनी इस फिल्म का निर्देशन संतोष मिश्र ने किया है जब की फिल्म के निर्माता वसीम खान है. फिल्म की कहानी लिखी है संतोष मिश्र ने म्यूजिक दिया है लियाकत अजमेरी नें धुन दिया प्यारे लाल यादव, आजाद सिंह, सुमित चंद्रवंशी नें. फिल्म में दिनेश लाल यादव निरहुआ, आम्रपाली दूबे, समीम खान सीपी भट्ट विलेन के साथ, पूजा गांगुली, अयाज खान, संजय पाण्डेय, अनीता सहगल, नवीन शर्मा, जे.नीलम, नासीर खान, तृषा खान, गोरी नागोरी, लोटा तिवारी, रमजान शाह, संजीव मिश्रा और नागेश मिश्रा भी मुख्य भूमिका में नजर आ रहें हैं.

शादी के बाद यूं रोमांस करेंगे कार्तिक-नायरा, ऐसा होगा ‘कायरा’ का आखिरी मिलन

हाल ही में ये खबर सामने आई है कि पौपुलर शो ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के अपकमिंग एपिसोड में नायरा और कार्तिक की मौत हो जाएगी, जिससे फैंस काफी दुखी हैं. लेकिन इससे पहले नायरा (Shivangi Joshi) और कार्तिक (Mohsin Khan) की कुछ फोटोज सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, जिसे देखकर इनके फैंस के चेहरे पर मुस्कान आ जाएंगी.

वायरल हुई रोमांटिक फोटोज…

जी हां, शादी के बाद कार्तिक-नायरा की सुहागरात की कुछ तस्वीरें सामने आई हैं, जिसमें दोनों एक-दूसरे के साथ रोमांटिक अंदाज में नजर आ रहे हैं. पूरा कमरा लाल फूलों से सजा हुआ है वहीं नायरा सफेद कलर के गाउन में किसी परी से कम नहीं लग रही.

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फर्स्ट नाइट में भी होगी नोंक-झोंक…

नायरा और कार्तिक की फर्स्ट नाइट की शुरुआत काफी क्यूट होने वाली है. हमेशा की तरह इस बार भी नायरा और कार्तिक टॉम एंड जेरी की तरह लड़ेंगे. हालांकि दोनों को कुछ हिचक भी होगी. जी हां, नायरा और कार्तिक एक दूसरे के करीब आने से पहले काफी हिचकेंगे. वैसे ये कुछ आखिरी ही पल है जोकि दोनों साथ में बिताने वाले है.

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नायरा से नजर नहीं हटा पाएंगे कार्तिक

यहां कार्तिक अपनी शेरनी नायरा से नजरें ही नहीं हटा पाएगा. दोनों एक-दूसरे पर जमकर प्यार लुटाने वाले है. दोनों का ये रोमांस देखकर तो यहीं लगता है कि मरने से पहले ये अपने चाहने वालों को खूबसूरत यादें देकर जाने वाले हैं.

शादी के बाद ही हो जाएगी ‘कार्तिक-नायरा’ की मौत, फैंस को लगेगा बड़ा झटका

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai में जल्द ही कायरा विवाह होने वाला है. सारी मुश्किलों को पार करने के बाद नायरा और कार्तिक हमेशा हमेशा के लिए एक होने वाले हैं, जिससे इनके फैंस काफी खुश हैं. लेकिन अब शो को लेकर जो खबर सामने आई है उससे सभी को झटका लगने वाला है. खबरों की माने तो अब आपके चहेते कार्तिक-नायरा यानी मोहसिन खान और शिवांगी जोशी इस शो में नजर नहीं आएंगे.

शो में होगी कार्तिक-नायरा की मौत…

दरअसल, शो में जल्द ही एक लंबा लीप होने वाला है और सीरीयल की कहानी नए स्टार्स पर फोकस हो जाएगी. इसलिए कार्तिक-नायरा के किरदार को खींचने के बजाय प्रोड्यूसर राजन शाही ने इसे खत्म करने का फैसला किया है, जिसका खुलासा उन्होंने पिछले साल दिसंबर में ही कर दिया था. आने वाले दिनों में आप देखेंगे कि शादी के बाद कार्तिक और नायरा की एक एक्सीडेंट में मौत हो जाएगी, जिसके बाद इनका प्यार हमेशा के लिए अमर हो जाएगा. इसी के साथ कार्तिक-नायरा की कहानी खत्म हो जाएगी और मेकर्स नई जनरेशन के साथ शो को आगे बढ़ाएंगे.

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लीप के बाद होगी लव-कुश और इस एक्ट्रेस की एंट्री

भले ही मेकर्स ये रिश्ता में मोहसिन और शिवांगी के ट्रैक को खत्म करना चाहते हैं, लेकिन जल्द ही इस शो में तीन नई एंट्री होने वाली है. शो में ‘मैं भी अर्धांगिनी’ फेम दिक्षा धामी और जुड़वा भाई अपूर्वा और अमोल ज्योतिर की एंट्री होगी. जहां Diksha Dhami इस शो में त्रिशा का किरदार निभाती हुई नजर आने वाली है, वहीं अपूर्वा और अमोल इस शो में कार्तिक के जुड़वा कजिन लव-कुश की भूमिका में दिखेंगे. कार्तिक के कजिन लव और कुश अब बड़े हो चुके हैं. दोनों बोर्डिंग स्कूल में पढ़ते है और बहुत जल्द गोयनका हाउस में आने वाले हैं.

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फिलहाल शो में चल रहे ट्रैक की बात की जाए तो इसमें कार्तिक-नायरा शादी करने जा रहे हैं. जिससे घर के सभी सदस्य खुश हैं और कायरव सांतवे आसमान पर है क्योंकि उसके मां-बाप आखिरकार एक होने जा रहे हैं. यही उसका सपना था, जो अब पूरा होता दिख रहा है.

सपना चौधरी ने शेयर की साड़ी में Photo लेकिन फैंस ने कर दिया ट्रोल, जानें क्यों?

हरियाणा की छोरी सपना चौधरी अपने नए-नए गानों को लेकर दुनिया भर में तहलका मचा रही हैं. साथ ही उनकी ये सफलता आसमान छू रही है. हाल ही में सपना चौधरी ने नए साल पर धमाल मचाया था और आजकल उनका नया गाना ‘गज भर पानी’ भी खूब पौपुलर हो रहा है. वैसे इनदिनों ज्यादातर मौकों पर सपना अपने सूट-सलवार वाले अवतार की बजाय नए मॉडर्न लुक में नजर आती हैं. पिछले काफी वक्त से उनके एक से बढ़कर एक हॉट लुक सामने आ रहे हैं जो फैंस को काफी लुभा रहे हैं. लेकिन कई बार वो अपने वेस्टर्न अवतार की वजह से ट्रोलिंग का शिकार भी हो जाती हैं.

पहना ट्रांसपैरेट ब्लाउज तो फैंस ने कही ये बात…

हाल ही में सपना ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर की थी, जिसमें उन्होंने पिंक साड़ी और ट्रांसपेरेंट ब्लैक ब्लाउज पहन रखा है. इस हॉट लुक में उन्होंने फोटोशूट करवाया था. इन फोटोज में सपना कई तरह के पोज़ देती नज़र आ रही हैं.

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सोशल मीडिया पर उनके इस लुक की फैन्स काफी तारीफ कर रहें हैं और खूब लाइक और कमेंट भी कर रहें हैं लेकिन कुछ फैन्स ने उन्हें बहुत ही नेगेटिव कमेंट भी दिए हैं जो आप यहां पढ़ सकते हैं- एक यूज़र ने कमेंट करते हुए कहा कि ‘मोटी हो गई हो आप’ तो वहीं एक यूज़र ने लिखा ‘बेली फैट दिख रहा है’ हालांकि, सपना को इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता और वो बेधड़क अपनी फोटो शेयर कर रही हैं. बाकी अब इस साल सपना कौन सा नया जादू बिखेरेंगी ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.

 

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The word impossible is not in my dictionary. #desiqueen #positivevibes #positivevibes #workholic #life #thankgod #black

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शादी की न्यूज आई थी सामने…

एक रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणवी छोरी, सपना चौधरी की शादी तय हो गई है वो 2020 में सात फेरे लेने जा रही है वो भी एक हरियाणी छोरे के साथ लेकिन अभी तक सपना ने अपने होने वाले पति का नाम नहीं बताया है. उनकी शादी की बात सुन कर उनके फैंस के दिल टूट गए है.

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Video: हमेशा के लिए एक होंगे ‘कार्तिक-नायरा’, कायरव कराएगा मम्मी-पापा की शादी

नया साल कार्तिक-नायरा (मोहसीन खान-शिवांगी जोशी) और उनके फैंस के लिए ढेर सारी खुशियां लेकर आया है. जहां एक तरफ जल्द ही वेदिका की सच्चाई सबके सामने आने वाली है वहीं दूसरी तरफ सभी मुश्किलों को पार करते हुए कार्तिक-नायरा आखिरकार शादी के बंधन में बंध जाएंगे. जी हां, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के मेकर्स धूमधाम से कायरा विवाह करने वाले हैं, जिसका सबूत है शो का ये लेटेस्ट प्रोमो…

हो ही गया कायरा मिलन…

शो के लेटेस्ट प्रोमो में आप देखेंगे कि नायरा अपने कार्तिक के लिए दुल्हन के लाल जोड़े में तैयार हो रही है, वहीं कार्तिक बेसब्री से अपनी दुल्हनियां का इंतजार कर रहा है. दोनों का बेटा कायरव मम्मी-पापा की शादी के लिए बेहद एक्साइटेड हैं. सारा गोयनका परिवार इनके मिलने से बेहद खुश है.

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कायरव कराएगा मम्मी-पापा की शादी…

कायरव यहां खुद अपने मम्मी-पापा का गठबंधन करेगा. सात फेरे लेते हुए कार्तिक न सिर्फ नायरा का हाथ थामेगा बल्कि बेटे को भी गोद में उठा लेगा. ये एपिसोड देखने के लिए फैंस काफी बेकरार है और हो भी क्यों न. सारी मुश्किलों को पार करते हुए आखिरकार उनकी फेवरेट जोड़ी हमेशा हमेशा के लिए एक होने जा रही है.

शो को हुए 11 साल पूरे, ऐसे मनाया जश्न…

कायरा विवाह के साथ-साथ ही शो ये रिश्ता क्या कहलाता है के 11 साल भी पूरे गए हैं. जिसका जश्न इस शादी के दौरान मनाया गया. कार्तिक-नायरा ने मिलकर अपने फैंस को शुक्रिया कहा.

 

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शो में आएगा लीप…

खबरों की माने तो कायरा मिलन के बाद शो में लीप आएगा और शो में लव-कुश की एंट्री होने वाली है. कुछ महीने पहले ही सुनने में आया था कि लव-कुश नायरा और कार्तिक से नफरत करेंगे क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी मां सुरेखा और पापा के बीच उनकी वजह से ही दूरियां आई है.

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कमेलश तिवारी हत्याकांड: किस ने बुना हत्या का जाल

17 अक्तूबर, 2019 की शाम का वक्त था. हिंदूवादी नेता 50 साल के कमलेश तिवारी लखनऊ के खुर्शेदबाग स्थित अपने औफिस में बैठे थे. औफिस के ऊपर ही उन का आवास भी था, जिस में वह पत्नी किरन और बेटे ऋषि के साथ रहते थे. घर के नीचे कार्यकर्ताओं और दूसरे लोगों के बैठने की व्यवस्था थी. उसी समय उन के मोबाइल पर एक फोन आया जिस पर बात करने वाले ने कहा, ‘हम लोग आप से मिलने कल आ रहे हैं.’

इस के बाद कमलेश तिवारी ने अपनी पत्नी को बुलाया और बोले, ‘‘कल गुजरात से कुछ लोग मिलने आ रहे हैं. औफिस वाला कमरा साफ कर देना. उन लोगों को चाय के साथ खाने में ‘दही वड़ा’ तैयार कर देना. कार्यकर्ता हैं, इतनी दूर से आ रहे हैं.’’

पत्नी ने कमलेश के कहे अनुसार दूसरे दिन की पूरी तैयारी कर ली.

18 अक्तूबर को करीब पौने 12 बजे 2 युवक हाथ में मिठाई का डिब्बा लिए कमलेश तिवारी के घर पंहुचे. वे दोनों ही भगवा रंग के कुरते और डेनिम जींस पहने हुए थे. उन के पैरों में स्पोर्ट्स शूज थे. दोनों की उम्र 25 साल के करीब रही होगी. उन लोगों ने हिंदू समाज पार्टी के कार्यकर्ता सौराष्ठ सिंह को बताया कि कमलेश तिवारी से मिलने के लिए आए हैं. सौराष्ठ ने औफिस में बैठे कमलेश तिवारी से उन्हें मिलवा दिया.

कमलेश तिवारी उस समय औफिस में ही थे. वह उन्हीं दोनों का इंतजार कर रहे थे. कमलेश तिवारी सामने कुरसी पर थे. बीच में बड़ी सी मेज थी और सामने लोगों के बैठने के लिए कुछ कुरसियां पड़ी थीं. युवकों ने आते ही कमलेश तिवारी से अयोध्या मसले पर बात करनी शुरू की और कहा, ‘‘आप को बधाई, अब जल्दी ही फैसला आ जाएगा.’’

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कमलेश ने दोनों के लिए दही वड़ा और चाय मंगवाई. इस बीच दोनों युवकों ने अपने आने का उद्देश्य बताया कि उन्हें मुसलिम लड़की और हिंदू लड़के की शादी करानी है. साथ ही यह भी साफ कर दिया कि मुसलिम लड़की को उठा कर जबरन शादी करानी है. इस पर कमलेश तिवारी ने कहा कि वह जबरन लड़की को उठाने के पक्ष में नहीं हैं. जरूरत पड़ने पर केवल मध्यस्थता करा सकते हैं.

युवकों ने बातचीत जारी रखी. कमलेश की पत्नी चाय और दही वड़ा रख गई थी. चाय वगैरह पीने के बाद कमलेश ने पार्टी कार्यकर्ता सौराष्ठ को आवाज दी. वह ऊपर आया तो उन्होंने अपने लिए पान मसाला के पाउच लाने को कहा. इसी बीच दोनों युवकों ने अपने लिए सिगरेट का पैकेट लाने को कहा. सौराष्ठ सिगरेट और पान मसाला लेने चला गया.

इतने में दोनों युवक खडे़ हुए. मिठाई का डिब्बा देने के बहाने एक युवक कमलेश तिवारी के पास पहुंच गया और उस ने उन का मुंह दबा दिया. फिर बड़ी फुरती से गले पर चाकू लगा कर रेतने लगा. सामने वाले युवक ने कमलेश को पकड़ रखा था, जिस से वह हिल न सकें.

गला रेतने के बाद उस युवक ने चाकू से कमलेश की गरदन, गले, पीठ और छाती पर बेदर्दी से वार करने शुरू कर दिए. जब कमलेश गिर गए तो दूसरे युवक ने मिठाई के डिब्बे में रखी पिस्तौल गले पर सटा कर गोली चलाई. मात्र 5 मिनट में घटना को अंजाम दे कर दोनों सीढि़यों से उतर कर फरार हो गए.

कुछ देर में सौराष्ठ जब सिगरेट और मसाला ले कर ऊपर आया तो कमलेश को खून से लथपथ पड़ा देख कर आवाज लगाई. तिवारी की पत्नी किरन और बेटा ऋषि ऊपर के कमरे से नीचे आए. पति की हालत देख कर किरन दहाड़ें मार कर रोने लगी. सौराष्ठ और ऋषि कमलेश को ले कर अस्पताल गए. डाक्टरों ने उन्हें देखते ही कहा कि सांस की नली कटने से इन की मौत हो चुकी है.

राजधानी लखनऊ में दिनदहाडे़ हिंदूवादी नेता की हत्या से सनसनी फैल गई. पुलिस नेता और अन्य लोग कमलेश तिवारी के घर की तरफ दौड़े. एसएसपी कलानिधि नैथानी से ले कर छोटेबड़े सभी अफसर वहां आ गए. घटना की सूचना कमलेश तिवारी के सीतापुर स्थित गांव पहुंची तो वहां से उन की मां कुसुमा देवी और बाकी परिजन लखनऊ आ गए.

हत्या का सब से बड़ा कारण मुसलिम मौलानाओं द्वारा कमलेश का सिर काट कर लाने की धमकी को माना गया. इसी आधार पर कमलेश की पत्नी किरन ने पुलिस को एक तहरीर दी, जिस के आधार पर थाना नाका में भादंवि धारा 302 और 120बी के तहत मुकदमा कायम हुआ.

इस में मुफ्ती नवीम काजमी और इमाम मौलाना अनवारूल हक को नामजद किया गया. पुलिस को दी गई अपनी तहरीर में किरन ने कहा कि 3 साल पहले इन दोनों ने उस के पति का सिर काट कर लाने वाले को डेढ़ करोड़ का ईनाम देने की बात कही थी. इन लोगों ने ही तिवारीजी की हत्या कराई है.

पुलिस ने इसी सूचना के आधार पर अपनी जांच आगे बढ़ाई तो गुजरात पुलिस से पता चला कि उस के यहां पकडे़ गए कुछ अपराधियों ने इस योजना पर काम किया था.

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लखनऊ पुलिस को घटनास्थल पर जो मिठाई का डिब्बा मिला, उस में एक बिल मिला, जिस में सूरत की मिठाई की दुकान का नाम लिखा था. यह मिठाई 16 अक्टूबर की रात करीब 9 बजे सूरत उद्योगनगर उधना स्थित धरती फूड प्रोडक्ट्स से खरीदी गई थी.

यूपी और गुजरात पुलिस ने जोड़ी कडि़यां

इस के बाद लखनऊ पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क किया तो साजिश की कडि़यां जुड़नी शुरू हुईं. कमलेश तिवारी की हत्या का आरोप जिन लोगों पर लगा, वे भी कमलेश को सोशल मीडिया से ही मिले थे.

अपनी जांच में पुलिस ने पाया कि कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले अशफाक ने रोहित सोलंकी ‘राजू’ के नाम से अपना फेसबुक प्रोफाइल बनाया था. उस ने खुद को एक दवा कंपनी में जौब करने वाला बताया. उस की रिहाइश मुंबई थी और सूरत में काम कर रहा था.

अशफाक ने हिंदू समाज पार्टी से जुड़ने के लिए गुजरात के प्रदेश अध्यक्ष जैमिन बापू से संपर्क किया था. जैमिन बापू कमलेश तिवारी के लिए गुजरात में पार्टी का काम देखते थे. जैमिन बापू के संपर्क में आने के बाद ही रोहित ने 2 फेसबुक प्रोफाइल बनाईं. इस के बाद वह कमलेश से जुड़ गया. वह फेसबुक पर हिंदुओं के देवीदेवताओं से जुड़ी पोस्ट शेयर करने लगा.

कमलेश तिवारी की फेसबुक पर मिली फोटो से पत्नी किरन और कार्यकर्ता सौराष्ठ सिंह ने दोनों हत्यारों की पहचान कर ली. पुलिस को अब तक दोनों का असली नाम अशफाक और मोइनुद्दीन पता चल चुका था.

जैसे ही इन दोनों के नाम खबरों में आए, तो नाका थाना क्षेत्र के ही ‘होटल खालसा इन’ के लोगों ने पुलिस को बताया कि इस तरह के 2 युवक 17 अक्तूबर को आधी रात आए थे और उन के होटल में रुके थे. सुबह होते ही वे कमरे से बाहर गए तो फिर दोपहर बाद वापस आए. उस के बाद गए तो वापस नहीं आए.

इन दोनों के बुक कराए गए कमरे को खोला गया तो वहां से खून से सने भगवा रंग के कुरते मिले. होटल में दिए गए आधार कार्ड से दोनों का एड्रैस मिल गया और पुलिस इन के पीछे लग गई.

5 दिन में ये दोनों कानपुर, शाहजहांपुर, दिल्ली होते हुए गुजरात पंहुच गए. वहां से दोनों भागने की फिराक में थे, लेकिन उस से पहले ही पुलिस ने उन्हें राजस्थान बौर्डर के शामलजी से पकड़ लिया.

पूछताछ में पता चला कि ये दोनों करीब 2 साल से कमलेश तिवारी को मारने की योजना पर काम कर रहे थे. अशफाक सूरत के ग्रीन व्यू अपार्टमेंट में रहता था और मोइनुद्दीन पठान सूरत की लो कास्ट कालोनी का रहने वाला था. अशफाक मैडिकल रिप्रजेंटेटिव और मोइनुद्दीन फूड डिलीवरी बौय का काम करता था.

पुलिस का कहना है कि ये दोनों पैसे के इंतजाम में अपने फोन से बातचीत करने लगे थे, जिस से गुजरात पुलिस को इन के ठिकाने का पता चल गया और इन्हें पकड़ लिया गया. पुलिस को अब यह पता करना बाकी है कि इन दोनों ने किस के कहने पर कमलेश तिवारी की हत्या की.

कट्टरवादी छवि थी कमलेश तिवारी की

कमलेश तिवारी खुद को हिंदू नेता के रूप में स्थापित करने की कोशिश में थे. वह धर्म से राजनीति की तरफ जाना चाहते थे. अपनी कट्टरवादी छवि से वह पूरे देश में प्रचारप्रसार करना चाहते थे. कमलेश तिवारी ने अपने कैरियर की शुरुआत हिंदू महासभा से की. इस के वह प्रदेश अध्यक्ष भी बने.

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उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की विधानसभा से मात्र 3 किलोमीटर दूर गुरुगोबिंद सिंह मार्ग के पास खुर्शेदबाग में हिंदू महासभा का प्रदेश कार्यालय था. खुर्शेदबाग का नाम हिंदू महासभा के कागजों पर वीर सावरकर नगर लिखा जाता है.

कमलेश तिवारी नाथूराम गोडसे को अपना आदर्श मानते थे. उन के घर पर नाथूराम गोडसे की तस्वीर लगी थी.

कमलेश तिवारी मूलरूप से सीतापुर जिले के संदना थाना क्षेत्र के गांव पारा के रहने वाले थे. साल 2014 में वह अपने गांव में नाथूराम गोडसे का मंदिर बनवाने को ले कर चर्चा में आए थे. 18 साल पहले कमलेश गांव छोड़ कर पूरे परिवार के साथ महमूदाबाद रहने चले गए थे. उन के पिता देवी प्रसाद उर्फ रामशरण महमूदाबाद कस्बे में स्थित रामजानकी मंदिर में पुजारी थे.

30 जनवरी, 2015 को तिवारी को अपने गांव पारा में गोडसे के मंदिर की नींव रखनी थी. लेकिन इसी बीच पैगंबर पर की गई टिपप्णी को ले कर वह दूसरे मामलों में उलझ गए.

महमूदाबाद में कमलेश के पिता रामशरण मां कुसुमा देवी, भाई सोनू और बड़ा बेटा सत्यम तिवारी रहते हैं. कमलेश तिवारी हिंदू महासभा के जिस प्रदेश कार्यालय से संगठन का काम देखते थे, कुछ समय के बाद वह अपने बेटे ऋषि और पत्नी किरन तिवारी और पार्टी कार्यकर्ता सौराष्ठ सिंह के साथ इसी कार्यालय के ऊपरी हिस्से में रहने लगे थे.

लखनऊ में उन के रहने का कोई दूसरा स्थान नहीं था. हिंदू महासभा से अलग हिंदू समाज पार्टी बनाने के बाद भी वह अपने पुराने संगठन के औफिस में ही रह रहे थे.

कमलेश तिवारी ने पहली दिसंबर, 2015 को हजरत पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी और अखिलेश यादव मुख्यमंत्री थे. प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द बना रहे, इस के लिए प्रशासन ने कमलेश तिवारी को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. जेल में रहते हुए कमलेश तिवारी को इस बात का मलाल था कि हिंदू महासभा के लोग उन की मदद को नहीं आए.

अब तक कमलेश तिवारी सोशल मीडिया पर कट्टरवादी हिंदुत्व का चेहरा बन कर उभर चुके थे. सोशल मीडिया पर उन के चाहने वालों की संख्या भी बढ़ चुकी थी. जेल से बाहर आने के बाद अखिलेश सरकार ने 12-13 पुलिसकर्मियों का एक सुरक्षा दस्ता कमलेश तिवारी की हिफाजत में लगा दिया था. ऐसे में अब वह खुद को बड़ा हिंदूवादी नेता मानने लगे थे. कमलेश तिवारी का कद बढने से हिंदू महासभा में उन्हें ले कर मतभेद शुरू हो गए.

खुद को बड़ा हिंदूवादी नेता मान चुके कमलेश तिवारी ने अपनी एक अलग ‘हिंदू समाज पार्टी’ का गठन कर लिया. वह हिंदू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन कर पूरे देश में अपना प्रचारप्रसार करने लगे. इस का सब से बड़ा जरिया सोशल मीडिया बना. हिंदू समाज के लिए तमाम लोग उन की पार्टी को मदद करने लगे थे.

उत्तर प्रदेश के बाहर कई प्रदेशों में हिंदू समाज पार्टी के साथ काम करने वाले लोग भी मिलने लगे. हिंदू समाज पार्टी को सब से अधिक समर्थन गुजरात से मिला. वहां पर कमलेश तिवारी ने पार्टी का गठन कर के जैमिन बापू को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया था.

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2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की हार के बाद भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार बनाई और महंत योगी आदित्यनाथ को प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया. उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ प्रदेश में हिंदुत्व का चेहरा बन कर उभरे. ऐसे में कमलेश तिवारी को लगने लगा कि हिंदुत्व की राह पर चल कर वह भी राजनीति की बड़ी पारी खेल सकते हैं.

इस के बाद कमलेश तिवारी सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयानबाजी करने लगे. कमलेश तिवारी ने खुद को राममंदिर की राजनीति से भी जोड़ लिया था. अदालत में खुद को राममंदिर का पक्षकार बनने के लिए उन्होंने प्रार्थनापत्र भी दिया था. कमलेश अब अयोध्या को अपनी राजनीति का केंद्र बनाने की तैयारी करने लगे थे. इसी राह पर चलते हुए वह राममंदिर पर भारतीय जनता पार्टी की आलोचना करते थे.

कमलेश तिवारी का लक्ष्य अपने धार्मिक संगठन से राजनीतिक पकड़ को मजबूत करने की थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह अयोध्या से लोकसभा का चुनाव भी लडे़ थे. हालांकि वह चुनाव नहीं जीत सके, लेकिन उन्हें लगता था कि 2022 के विधानसभा चुनाव में वह भाजपा का विकल्प बन सकते हैं.

एक तरफ कमलेश तिवारी राजनीति में आगे बढ़ने का प्रयास कर रहे थे तो दूसरी तरफ मुसलिम कट्टरवादी उन के कत्ल का तानाबाना बुन रहे थे. कमलेश तिवारी की सुरक्षा व्यवस्था में हुई कटौती ने मुसलिम कट्टरवादियों के मिशन को सरल कर दिया, जिस के फलस्वरूप 18 अक्तूबर को अशफाक और मोइनुद्दीन नामक 2 युवकों ने घर में घुस कर उन की गला रेत कर हत्या कर दी.

कमलेश कहते थे, ‘हिंदुओं का विरोध करने वाली समाजवादी पार्टी की सरकार ने मुझे 12-13 पुलिसकर्मियों की सुरक्षा दी थी. योगी सरकार ने सुरक्षा हटा दी और सुरक्षा में केवल एक सिपाही ही दिया. इस से जाहिर होता है कि मुझे मारने की साजिश में वर्तमान सरकार भी हिस्सेदार बन रही है.’

कमलेश तिवारी ने यह बयान सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था. सुरक्षा वापस लिए जाने के पहले भी कमलेश तिवारी भारतीय जनता पार्टी के विरोध में थे.

कमलेश तिवारी को लगता था कि भाजपा केवल हिंदुत्व का सहारा ले कर सत्ता में आ गई है. अब वह हिंदुओं के लिए कुछ नहीं कर रही. कमलेश के ऐसे विचारों का ही विरोध करते भाजपा से जुडे़ लोग कमलेश को कांग्रेसी कहते थे.

अपनी पार्टी को गति देने के लिए कमलेश तिवारी ने देश के आर्थिक हालात, पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार, बंगाल में हिंदुओं की हत्या, नए मोटर कानून में बढ़े जुरमाने का विरोध, जीएसटी जैसे मुद्दों पर भाजपा की आलोचना की. इन मुद्दों को ले कर वह राजधानी लखनऊ में प्रदर्शन भी कर चुके थे.

उत्तर प्रदेश की राजधानी में भले ही कमलेश तिवारी को बड़ा नेता नहीं माना जाता था, लेकिन सोशल मीडिया में वह मजबूत हिंदूवादी नेता के रूप में पहचाने जाते थे. वह हिंदुत्व की अलख सोशल मीडिया के जरिए जला रहे थे. फेसबुक, वाट्सएप और ट्विटर पर वह हिंदुत्व के पक्ष में अपने विचार देते रहते थे. आपत्तिजनक टिप्पणियों के कारण फेसबुक उन की प्रोफाइल बंद कर देता था.

उत्तर प्रदेश में भले ही कांग्रेस नेताओं को कमलेश तिवारी की हत्या कानूनव्यवस्था का मसला लगती हो, पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने उन की हत्या पर सवाल उठाते कहा कि कमलेश तिवारी की हत्या सुनियोजित है या नहीं, यह उत्तर प्रदेश सरकार बताए.

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कमलेश तिवारी की हत्या करने वाले अशफाक ने फेसबुक मैसेंजर पर कमलेश तिवारी से बात करनी शुरू की थी. वह एक लड़की की शादी के सिलसिले में उन से मिलना चाहता था. कमलेश के करीबी गौरव से अशफाक ने जानपहचान बढ़ाई और उन के बारे में सारी जानकारी लेता रहा.

रोहित सोलंकी बन कर अशफाक ने जो फेसबुक प्रोफाइल बनाई थी, उस में हिंदूवादी संगठनों के 421 लोग जुडे थे. पुलिस का कहना है कि 2 साल से हत्यारोपी कमलेश तिवारी की हत्या की योजना पर काम कर रहे थे.

बलात्कार की मानसिकता के पीछे है गंदी गालियां

हैदराबाद की महिला डाक्टर के साथ सामूहिक दुष्कर्म कर उस के शव को जला दिया गया. अखबार की सुर्खियों और सोशल मीडिया पर जनआवेश से खबर लोगों तक पहुंची तो क्या सैलिब्रिटी और क्या आम आदमी, सभी ने अपना रोष जताया.

27 वर्षीया पीडि़ता पशु अस्पताल में असिस्टैंट पशु चिकित्सक थी. 27 नवंबर को वह अस्पताल से देर में घर पहुंची और शाम 5.50 के करीब दूसरे क्लीनिक जाने के लिए घर से निकल गई. उस ने टोंडुपल्ली टोल प्लाजा के पास अपनी स्कूटी खड़ी की.

पुलिस को दिए बयान में पीडि़ता की बहन ने बताया कि उसे रात 9.22 बजे उस का फोन आया जिस में उस ने कहा कि वह अभी भी टोल प्लाजा में ही है जहां उस की स्कूटी का टायर पंक्चर हो गया है. उस ने यह भी बताया कि कुछ लोग उस की मदद करने के लिए कह रहे हैं लेकिन उसे उन से डर लग रहा है. पीडि़ता की बहन ने उसे 9.44 बजे फोन किया. लेकिन फोन स्विचऔफ बता रहा था. इस के बाद घरवालों ने पुलिस से संपर्क किया.

अगले दिन चटनपल्ली हाईवे पर जला हुआ शव मिला. पीडि़ता के घरवालों ने सैंडल और कपड़ों से लाश की शिनाख्त की. आरोपी ट्रक ड्राइवर मोहम्मद आसिफ, क्लीनर जे शिवा, जे नवीन, चेन्ना केश्वुलु को साइबराबाद पुलिस ने गिरफ्त में लिया. अदालत ने चारों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. पुलिस के अनुसार, कथित 6 दिसंबर के दिन तड़के सुबह तीनों आरोपियों को घटनास्थल पर दुष्कर्म की जांच करने के सिलसिले में ले जाया गया जहां उन्होंने भागने की कोशिश की और पुलिस के साथ गोलीबारी के एनकाउंटर में चारों की मौत हो गई.

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यह अपनी तरह का पहला मामला नहीं है. आएदिन महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामले सामने आते रहते हैं. फर्क, बस, इतना है कि कुछ मामले सुर्खियों में आते हैं और लोगों की जबान पर चढ़ जाते हैं तो कुछ अखबार के एक कोने में 100 शब्दों की रिपोर्ट में सिमटे रहते हैं.

न रुकने वाले मामले

  • 27 नवंबर को केरल के कोच्चि के पास रहने वाली 42 वर्षीया महिला के साथ बलात्कार कर उस के शव को एक दुकान के सामने फेंक दिया गया. दुकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस आरोपी तक पहुंची. पुलिस के अनुसार महिला के शरीर पर कम से कम चोटों के 30 निशान थे व उस के चेहरे को इस तरह बिगाड़ दिया गया था कि पहचाना भी न जा सके.
  • दिल्ली के गुलाबी बाग थाना क्षेत्र में रहने वाली अविवाहिता 55 वर्षीया महिला का 22 वर्षीय धर्मराज ने बलात्कार किया व गला दबा कर हत्या कर दी. महिला पूजा सामग्री और चाय की छोटी सी दुकान चलाती थी. यह दुकान महिला के पैतृक घर में थी जिस में वह अकेली रहती थी. आरोपी के अनुसार, महिला ने उस से कुछ पैसे उधार लिए थे जिन्हें वह वापस नहीं दे रही थी. दोनों में कुछ देर बहस हुई और महिला ने धर्मराज के मुंह पर थूक दिया. पहले से ही नशे में धर्मराज इस बेइज्जती को  झेल नहीं पाया और बदला लेने की मंशा से उस ने इस घटना को अंजाम दिया.
  • तेलंगाना के रहने वाले 21 वर्षीय लड़के ने अपनी 19 वर्षीया गर्लफ्रैंड का रेप किया जिस के कारण उस की मौके पर ही मौत हो गई. 27 नवंबर को सुबह लड़के ने लड़की को उस के बर्थडे पर विश करने के लिए बुलाया. वह उसे अपनी कार में बैठा कर दूर सुनसान जगह ले गया जहां उस ने उस का रेप किया. रेप के दौरान ही कार्डिएक अरैस्ट या सदमे से लड़की की मौत हो गई. लड़के ने उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया व लड़की के मना करने पर वह जबरदस्ती पर उतर आया. लड़की की मौत के बाद लड़के ने उस के कपड़े बदले क्योंकि वह खून से लथपथ थे, फिर उस के शव को उस के घर के पास फेंक दिया जिस से यह लगे कि मौत प्राकृतिक है.

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  • राजस्थान के टोंक जिले में 6 वर्षीया बच्ची का रेप कर, स्कूल बैल्ट से उस का गला दबा कर मौत के घाट उतार दिया गया. पहली कक्षा में पढ़ने वाली इस बच्ची के शरीर पर चोटों को देख कर स्पष्ट था कि किस दरिंदगी से उस का बलात्कार किया गया. बच्ची की लाश अलीगढ़ शहर के एक छोटे से जिले में  झाडि़यों में पड़ी मिली जिसे गांव के कुछ लोगों ने देख कर पुलिस को खबर दी.

बलात्कार के ये वे मामले हैं जिन का घटनाक्रम हैदराबाद घटना के साथ हुए हादसे के आसपास का ही है. ये मामले जनाक्रोश का हिस्सा नहीं बने. इन मामलों पर कैंडललाइट मार्च नहीं हुए. न ही बड़े नेता, अभिनेता ने इन पर ट्वीट कर संवेदना जताई. क्यों? क्योंकि ये मामले ट्रैंड नहीं बने.

भारत में प्रतिवर्ष एक ऐसा मामला सामने आता है जिस पर जनाक्रोश उमड़ता है, ट्वीट्स, कविताएं, पोस्ट्स डाले जाते हैं, हर तरफ बातें की जाती हैं, नारे लिखे जाते हैं और फांसी की गुहार लगाई जाती है. लेकिन, क्यों लोगों को, सरकार को जागने के लिए हर साल एक ऐसे मामले की जरूरत पड़ती है? क्यों बाकी सभी मामलों के लिए एकजैसे न्याय की मांग नहीं होती? क्यों बदलाव की गूंज साल में एक बार ही सुनाई देती है और क्यों कोई बदलाव असल में होता ही नहीं?

बलात्कार में भी फर्क है

भारत में हर बलात्कार एकजैसा नहीं है. जिस पर लोग सड़कों पर उतार आए हों वह ‘इंपोर्टेंट बलात्कार’ है. उस पर कार्रवाई जल्द होनी चाहिए, फैसले जल्दी होने चाहिए, सजा जल्द मिलनी चाहिए. लेकिन, जिस पर बात नहीं हो रही वह मामला चाहे सदियों अदालत में कागजों में बंद धूल खाता रहे, उस पर किसी को चिंता नहीं. क्या यही है हमारी मौडर्न न्यायिक शैली?

कांग्रेस नेत्री अल्का लांबा ने एक न्यूज चैनल पर वादविवाद के दौरान कहा, ‘‘एडीआर का सर्वे उठाइए, 2019 के चुनाव में 45 प्रतिशत अतिगंभीर बलात्कारियों को भाजपा ने टिकट दिए, आप ने वोट दिया, सांसद बना दिया. आज उन सांसदों से उम्मीद करते हैं. एक विधायक हैं, बेटी (पीडि़ता) का ऐक्सिडैंट करवा दिया. वह विधायक उन्नाव का है, जेल में है, बेटी ट्रौमा में है. दूसरा, चिन्मयानंद पूर्व सांसद, पूर्व मंत्री, बेटी आरोप लगाती है, बेटी जेल में है, चिन्मयानंद अस्पताल में है. लानत है ऐसे कानून पर, ऐसी पार्टी, ऐसे विधायकों पर, ऐसे सांसद, ऐसी जनता पर जिन्होंने इन को वोट दे कर हमारे सिर पर बैठा दिया.’’

क्या जो अल्का ने कहा, वह सही नहीं है? क्या इन बलात्कारियों को फांसी की सजा मुकर्रर नहीं होनी चाहिए? इन के हाथ में शासन की डोर देना क्या उस जंजीर की छोर पकड़ाना जैसा नहीं है जिस में वे लड़कियों को जकड़े रखना चाहते हैं? बात वहीं आ कर रुक जाती है कि सजा हर गुनाहगार को मिलनी ही चाहिए और वक्त पर मिलनी चाहिए. लेकिन, जिस ‘ट्रैंड’ को अपनाया जाने लगा है वह सही नहीं है.

बलात्कार तो बलात्कार ही है, एक मामले को उठा कर बाकी सभी को नीचे दबा देना, एक मामले के आगे हर उस लड़की के साथ अन्याय होते देना जिस के साथ हुआ हादसा ‘इंपोर्टेंट बलात्कार’ की श्रेणी में नहीं आता, गलत है. जब एक मामले पर लोग फांसी की गुहारें इस तरह लगाते हैं तो आसाराम, राम रहीम जैसे बलात्कारियों को इतना आश्रय क्यों?

ये कथन उन लोगों के हैं जिन से हम सभी भलीभांति परिचित हैं. यही कारण है कि समाज का बड़ा हिस्सा इन जानेमाने लोगों द्वारा कहे गए बयानों पर उन पर माफी मांगने का दबाव बनाता है. लेकिन, ये तो कुछ गिनेचुने बयान हैं, क्या ऐसे बयान हम हर दिन खुद कहतेसुनते नहीं?

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‘अरे, वह देख, माल जा रहा है,’ ‘भाई, भाभी क्या पटाखा लग रही है,’ ‘बहन… इस को तो मैं बताता हूं,’ ‘तेरी मां की….., तेरी बहन की…..’ जैसी चीजें क्या हम आएदिन नहीं सुनते? ये गालियां, ये अपशब्द निरर्थक हैं जो अधिकतर महिला व पुरुष के गुप्तांगों से जुड़े हैं. जिन में ज्यादातर गालियां महिलाओं के संदर्भ में दी जाती हैं. लोगों की जबान कैंची की तरह चलती है और हर दिन लड़कियों के पर काटती है. और जब वह किसी हादसे का शिकार हो जाती है तो यही लोग न्याय की गुहार लगाते नजर आते हैं. यहां मुद्दा स्पष्ट है कि बदलाव के लिए चीखने वाले स्वयं खुद को नहीं बदल सकते तो देश के अन्य लोगों को कैसे बदलेंगे.

बड़े कालेजों में पढ़ रहे युवाओं के मुंह पर चौबीसों घंटे गाली रहती है. उन के मुंह से खुशी में गाली, दुख में गाली, मौजमस्ती में गली, फेल हो तो गाली, पास हो तो गाली बिना आसपास देखे निकलती है. ये युवा सिर्फ लड़के नहीं हैं, इन में लड़कियां भी हैं. खुद लड़कियां एकदूसरे को मांबहन की गालियों से संबोधित करती हैं. ये युवा किसी चीज में पीछे नहीं हैं. ये पढ़ेलिखे सम झदार हैं और देश का भविष्य भी हैं.

देश में बलात्कार की घटना घटने पर सब से पहले इंस्टाग्राम पर पोस्ट और स्टोरी भी इन्हीं की अपडेट होती है. कहने का अर्थ साफ है कि संवेदनशीलता अपराध घटने के बाद ही क्यों प्रकट की जाए. जब हम अपशब्दों का सुबह से शाम तक हजार बार प्रयोग करते हैं तो क्या वह संवदेनशीलता भंग करना नहीं है?

बदलाव ऐसा हो

हैदराबाद दुष्कर्म के बाद एक और ट्रैंड ने जोर पकड़ा है. युवाओं ने अपने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर कुछ इस तरह के पोस्ट्स को शेयर करना शुरू कर दिया है जिन पर लिखा है, ‘अगर मेरी किसी भी दोस्त को कभी कोई खतरा महसूस होता है तो वह बिना  िझ झक मु झ से संपर्क कर सकती है.’ मेरी फेसबुक वाल पर भी मु झे इसी तरह का एक पोस्ट नजर आया जिसे मेरे ही कालेज के एक सीनियर ने शेयर किया था.

यह वही लड़का है जो हर दूसरी लड़की को गाली दे कर बुलाता था, जो लड़कियों को ‘देगी क्या’ वाले मैसेज करता था, जो अपनी गर्लफ्रैंड के साथ बिताए अंतरंग पलों का बखान अपने दोस्तों के सामने सीना ठोक कर करता था, जो लड़कियों को देख उन के स्तनों के आकार पर हंस कर टिप्पणी किया करता था. क्या यह लड़का खुद उस विकृत मानसिकता का शिकार नहीं है, जो लड़कियों को भोगविलास की वस्तु सम झता है? क्या यह सोच स्वीकार्य है? क्या ऐसे लोगों से माफी नहीं मंगवानी चाहिए?

जब तक लोगों की कथनी और करनी अलग रहेगी तब तक बदलाव नहीं आएगा. रेप रुक नहीं रहे, इसलिए नहीं कि सजा के प्रावधान कम हैं बल्कि इसलिए की मानसिकता में कोई बदलाव नहीं है. छोटे कपड़े पहने हुए लड़की आज भी ललचाई आंखों से देखी जाती है, उस पर कमैंट पास किए जाते हैं, उसे चालू सम झा जाता है.

रेप की घटनाओं के बाद सिर्फ नेताअभिनेता ही नहीं, बल्कि देश के लाखों लोग ऐसी बातें कहते सुने जा सकते हैं जिन में पूरा दोष लड़की का ही माना जाता है. हैदराबाद में बलात्कार के बाद मौत की शिकार हुई लड़की ने क्या भड़काऊ कपड़े पहने हुए थे? और ये भड़काऊ कपड़े होते क्या हैं? क्या इन लोगों से भी कोई माफी मंगवाने वाला है? क्या इन का इलाज माफी मंगवाना है? नहीं. इलाज है बदलाव.

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यह बदलाव सड़कों पर नारे लगाने से, न्यायिक प्रणाली पर दोषारोपण करने से नहीं आएगा. यह बदलाव खुद को बदलने से आएगा. यौनांगों पर गालियां बनाने, ठहाके लगाने से नहीं आएगा. एक समय था जब सम झा जाता था कि गरीब और निचला वर्ग ही ऐसा है जो गालीगलौज करता है जबकि बड़े लोगों की पहचान ही है शालीनता. अब समय बदल चुका है.

अब गालियों का लैवल बदल चुका है. अब प्यारमोहब्बत का सलीका बदल चुका है. लोग अपशब्द खूब एंजौय करते हैं. हां, बलात्कार होने पर दोष खुद को नहीं देते. वे होते वहां तो शायद रोक लेते यह सब. बिलकुल वैसे ही जब राह चलती लड़कियों पर कमैंट करते या बस में खड़ी महिला पर बारबार गिरते आदमी को रोक लेते हैं.

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