Bigg Boss 13: विकास ने शहनाज के सामने खोली असीम की पोल, गर्लफ्रेंड को लेकर कही ये बात

बिग बौस सीजन 13 का फिनाले जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे शो काफी इंट्रस्टिंग होता दिखाई दे रहा है. जैसा कि हम सब जानते हैं कि बिग बौस के घर के अंदर सभी कंटेस्टेंट के घर से कोई ना कोई उनके साथ रुकने और उनका साथ देने के लिए आ रहा है फिर चाहे वे उनके घर का कोई सदस्य हो या फिर उनका नजदीकी दोस्त. पिछले एपिसोड में हमने देखा कि कंटेस्टेंट आरती सिंह की भाभी कश्मीरा शाह ने शो के अंदर एंट्री मारी और आते सार ही उन्होनें शहनाज को टारगेट करना शुरू कर दिया जिस बात पर शहनाज भी काफी दुखी दिखाई दी.

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असीम ने किया हिमांशी को शादी के लिए प्रोपोज…

इसके बाद कंटेस्टेंट माहिरा शर्मा के भाई आकाश शर्मा बिग बौस के घर के अंदर आए और उन्होनें आते ही सिद्धार्थ और पारस को उन्हें नल्ला कहने पर टारगेट किया. ऐसे ही कंटेस्टेंट असीम रियाज के लिए एक्स कंटेस्टेंट हिमांशी खुराना आईं जिनके साथ उन्होनें काफी अच्छा समय बिताया और यहां तक की असीम ने  अपने घुटनों पर बैठकर शादी के लिए भी प्रोपोज किया.

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विकास गुप्ता ने किया असीम का खुलासा…

बिग बौस के मेकर्स ने आज के एपिसोड का एक प्रोमो रिलीज किया है जिसमें मास्टरमाइंड कहे जाने वाले एक्स बिग बौस कंटेस्टेंट विकास गुप्ता एक बार फिर शो में अपने करीबी दोस्त सिद्धार्थ शुक्ला के सपोर्ट में एंट्री ले रहे हैं. प्रोमो देख ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि विकास गुप्ता पूरे फोर्म में आए हैं. विकास ने आते ही सबसे पहले सिद्धार्थ शुक्ला को गले लगाया और असीम के चेतावनी देते हुए कहा कि, ‘पहले इस घर के बाहर जो रिश्ते बनाए हैं उन्हें खत्म करो उनके बाद ही एक नया रिश्ता बनाओ.’ विकास का इशारा हिमांशी खुराना पर था.

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असीम के बारे में शहनाज से बात करते दिखे विकास…

इसके बाद विकास गुप्ता शहनाज से अकेले बात करते हुए दिखे जिस दौरान उन्होनें बताया कि असीम का बाहर भी एक रिलेशन है और उसके बावजूद असीम यहां हिमांशी को शादी के लिए प्रोपोज कर रहा है. इस दौरान शहनाज विकास से ये कहती दिखाई दीं कि, ‘ये सब हो क्या रहा है यहां, फिर तो पारस और असीम में कोई फर्क ही नहीं रह गया.’

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बोल्ड अवतार कहां तक सही

लड़कियों का इंस्टाग्राम पर अपनी बोल्ड तसवीरें पोस्ट करना कोई नई बात नहीं है. सैलिब्रिटी हो या आम लड़कियां सभी खूबसूरत दिखने की दौड़ में शामिल हैं. कोई अपनी पहचान ‘टिकटाक’ से बना रही है, तो कोई ब्लौगिंग से, मगर उन के लिए सब से अलग दिखने का तरीका है बोल्ड तसवीरें पोस्ट करना, जिन में वे अपने पैर, पीठ, कमर, पेट, क्लीवेज आदि दिखाती नजर आती हैं.

कुछ लोग इन महिलाओं, लड़कियों की तसवीरों पर तारीफों के पुल बांधते हैं, तो कुछ उन की निंदा करते हैं. तारीफ करने वाले इस बात से परिचित होते हैं कि ये बोल्ड तसवीरें उन्होंने अपने महीनों की मेहनत से बनाई फिगर के बाद खींची हैं. वहीं दूसरी ओर वे लोग जो संस्कृति और सभ्यता की दुहाई देते हैं, भारतीय महिलाओंलड़कियों के चरित्र को संजोकर रखना चाहते हैं या फिर वे जो ऐसी फिगर नहीं पा सकते उन के लिए ये तसवीरें किसी कलंक से कम नहीं.

महिलाओं का बोल्ड तसवीरें पोस्ट करना गलत है या फिर लोगों की सोच, यह एक गंभीर मुद्दा है. इस पर केवल 1-2 लोगों की राय ले कर फैसला करना गलत होगा.

हम ने अलगअलग उम्र की महिलाओं से इस सवाल का जवाब देने को कहा:

लड़की: उम्र 22 वर्ष, ‘‘मुझे नहीं लगता कि इस में कोई बुराई है किसी भी लड़की को यह अच्छी तरह पता होता है कि उसे कैसी तसवीरें पोस्ट करनी हैं. यहां लोगों की सोच ही गलत है. हां, लड़कियों को भी अपने आसपास के वातावरण का थोड़ा ध्यान रखना चाहिए. वे जैसी घर में हैं वैसी ही इमेज उन्हें सोशल मीडिया पर दिखनी चाहिए. फिर चाहे वह बोल्ड हो या नहीं.’’

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लड़की: उम्र 24 वर्ष, ‘‘मेरा मानना है कि अगर कोई लड़की अपनी बोल्ड तसवीर पोस्ट कर रही है तो वह कुछ सोचसमझ कर ही कर रही होगी. उसे अच्छे कमैंट भी मिलेंगे और बुरे भी. हर लड़की को बोल्ड और ब्यूटी में फर्क पता होना चाहिए. वैसे आजकल की लड़कियां बहुत समझदार हैं.’’

महिला: उम्र 40 वर्ष, ‘‘अगर महिलाएं अपनी टांगें या टौपलैस बैक दिखाना चाहती हैं

तो ठीक है, क्योंकि इतना तो चलता है. आजकल की जैनरेशन की सोच ठीक ही है. अगर वे इसे नहीं अपनाएंगी तो बैकवर्ड कहलाएंगी. समय के साथ इतना तो चेंज होना ही चाहिए. हां, अपना शरीर बहुत ज्यादा नहीं दिखाना चाहिए. पर थोड़ाबहुत दिखाना चलता है. स्कर्ट वाला फोटो हो या छोटे कपड़ों का सब लाइक करते ही हैं. इतना चलता है.’’

महिला: उम्र 44 वर्ष, ‘‘मुझे लगता है कि किसी भी लड़की को खास कर वह जो सैलिब्रिटी नहीं है, उसे अपनी अच्छी इमेज बनानी चाहिए. थोड़ीबहुत बोल्डनैस तो ठीक है, पर टौपलैस तसवीरें या बिकिनी वाली तसवीरें नहीं. मैं केवल उसी व्यक्ति को अपनी बोल्ड तसवीरें दिखाना पसंद करूंगी जिस से मैं तारीफ चाहती हूं, हर चलतेफिरते आदमी को मुझे अपनी बोल्ड तसवीरें दिखाने का कोई शौक नहीं है.’’

इन चारों के विचारों से साफ पता चलता है कि  बोल्डनैस एक हद तक ही होनी चाहिए. यदि बोल्डनैस हद से ज्यादा होगी तो उसे न्यूडिटी फैलाने से ज्यादा और कुछ नहीं कहा जा सकता.

क्या कहते हैं सैलिब्रिटीज

सैलिब्रिटीज और अभिनेत्रियों के विचार इन आम महिलाओं व लड़कियों से एकदम अलग हैं. टीवी अदाकारा श्रीजिता डे ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर अपनी बिकिनी में तसवीरें पोस्ट कीं, जिन्हें देख कर कई फैंस ने उन्हें ट्रोल भी किया. इस ट्रोलिंग पर सवाल किए जाने पर श्रीजिता कहा कि किसी भी अभिनेत्री के लिए बोल्ड तसवीरें खिंचवाना आम बात है. मुझे कुछ अलग करना था तो मैं भी बिकिनी पहन कर बर्फ पर चली गई. मुझे इस में कोई बुराई नहीं लगी.

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बोल्ड तसवीरों की सूची में बौलीवुड अभिनेत्री ईशा गुप्ता और दिशा पटानी भी हैं. हालांकि लोगों की ट्रोलिंग से बचने के लिए ये दोनों अकसर अपनी तसवीरों से कमैंट का औपशन हटा देती हैं. एम टीवी के शो ‘गर्ल्स औन टौप’ की ईशा यानी सलोनी चोपड़ा अकसर अपनी बोल्ड तसवीरों के बारे में खुल कर अपने विचार रखती हैं. इंस्टाग्राम की एक कैप्शन में लिखती हैं, ‘‘मुझे तब यह बड़ा दिलचस्प लगता है कि जब मीडिया महिलाओं को सैक्सुलाइज करता है तो समाज को फर्क नहीं पड़ता, जब पुरुष महिलाओं को सैक्सुलाइज करते हैं, सरकार व स्कूल उन्हें सोक्सुलाइज करते हैं तो समाज को फर्क नहीं पड़ता, मगर जब एक महिला खुद की सेक्सुऐलिटी को कंट्रोल करती है तो समाज के लिए यह गलत व घृणित हो जाता है.’’

आखिर में बात वहीं आ कर रुक जाती है कि क्या बौल्डनैस गलत है? अगर नहीं तो किस हद तक वह सही है? मुझे लगता है कि किसी भी महिला के लिए अपनी स्थिति, समय और समाज को नजर में रखते हुए खुद को प्रदर्शित करना चाहिए और यदि उन्हें किसी चीज से फर्क नहीं पड़ता तो इस बात से भी वाकिफ होना चाहिए कि लोग तो कहेंगे, उन का काम है कहना.

Bigg Boss 13: सलमान के मुंह से निकला शो के विनर का नाम, आप भी सुनकर रह जाएंगे दंग

कलर्स टीवी का सबसे ज्यादा पौपलर शो बिग बौस का सीजन 13 काफी सफल सीजन रहा. बाकी सीजन के मुकाबले 13वें सीजन ने दर्शकों को खूब एंटरटेन किया और खूब सुर्खियां बटोरी. जैसा कि हम सब जानते हैं कि बिग बौस के इस सीजन का फिनाले नजदीक आ चुका है और जैसे जैसे दिन बीत रहे हैं वैसे वैसे दर्शकों के मन में बस एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर कौन बनेगा बिग बौस सीजन 13 का विनर.

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कौन बन सकता है बिग बौस 13 का विनर…

हालांकि सभी दर्शक अपने-अपने चहीते कंटेस्टेंट्स के लिए वोट कर रहे हैं और साथ ही उन्हें जितवाने के लिए सोशल मीडियो पर भी उन्हें सपोर्ट कर रहे हैं. सीजन के शुरूआत से ही कई फैंस द्वारा बनाए गए हैशटैग्स ट्रेंड हो रहे हैं जो कि काफी फेमस भी हुए हैं. सिद्धार्थ शुक्ला, असीम रियाज, शहनाज गिल, पारस छाबड़ा, रश्मि देसाई जैसे स्ट्रौंग कंटेस्टेंट्स के बीच दर्शकों को ये समझने में काफी दिक्कत हो रही हैं कि आखिर इन सदस्यों मे से कौन बन सकता है बिग बौस 13 का विनर.

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सलमान ने खेला अपने स्टाइल में लग्जरी बजट टास्क…

बीते वीकेंड के वौर में शो के होस्ट और सबके चहिते सलमान खान ने शायद अपने मुंह से ही शो के विनर की घोषणा कर दी है. सलमान खान ने सबसे पहले तो सबके साथ उनके स्टाइल में लग्जरी बजट टास्क खेलने को कहा जिसमें उन्होनें शहनाज को अलग ले जा कर कुछ सवाल पूछे जिससे अगर उनके और घरवालों के जवाब सेम हुए तो सभी लोग वे लग्जरी आइटम जीत जाएंगे.

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शहनाज से पूछा ये सवाल…

इन सवालों के चलते पहले तो सलमान ने शहनाज से नोर्मल सवाल पूछे पर सलमान के आखिरी सवाल ने दर्शकों को हिंट दे दिया कि कौन हो सकता है बिग बौस के इस सीजन का विनर. सलमान ने शहनाज से सवाल किया कि अगर वे बिग बौस की ट्रौफी जीत जाती हैं तो वे क्या करेंगी? सलमान ने इसके बाद उन्हें 3 औप्शंस भी दिए जो कि इस प्रकार थे- 1. क्या आप उसे असीम को देंगी, 2. उसे सिद्धार्थ के साथ शेयर करेंगी या फिर 3. आप अपना दुखड़ा रश्मि के सामने रोना चाहेंगी.?

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क्या सही में ये कंटेस्टेंट बनेगा बिग बौस सीजन 13 का विनर…

शहनाज ने सलमान ने इस सवाल का जवाब हंसते हुए दिया कि वे अपनी ट्रौफी किसी को नही देंगी लेकिन अगर इनमें से एक औप्शन चुनना ही है ते वे सिद्धार्थ शुक्ला के साथ अपनी ट्रौफी शेयर करना चाहेंगी. सलमान ने टास्क के दौरान ही शायद दर्शकों को बिग बौस सीजन 13 के वीनर के नाम का हिंट दे ही दिया है.

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शराब पीते हुए पकड़े गए लव-कुश, नायरा-कार्तिक ऐसे देंगे सजा

स्टार प्लस के पौपुलर सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में जब से लव-कुश की रीएंट्री हुई है तब से शो ने एक अलग ही ट्रैक पकड़ लिया है जो कि दर्शकों को खूब पसंद भी आ रहा है. जैसा कि पहले हमने आपको बताया था कि लव-कुश की जबसे रीएंट्री हुई है तब से ही कार्तिक और नायरा की मुश्किलें बढ़ गईं हैं और इसका कारण ये है कि लव-कुश जब से बोर्डिंग स्कूल से लौटे हैं तक से ही वे काफी बिगड़ गए हैं और अपनी जिंदगी को अपने हिसाब से जीना चाहते हैं.

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बर्थ-डे पार्टी में लव-कुश करेंगे ऐसा काम…

 

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जैसा कि आप सब जानते हैं कि कार्तिक और नायरा मिलकर लव-कुश के लिए उनकी बर्थ-डे पार्टी का पूरा इंतजाम करते हैं जिससे कि पूरा गोयनका परिवार काफी खुश है. लेकिन इस बर्थ-डे पार्टी में लव-कुश कुछ ऐसा कर दिखाएंगे जिसकी किसी को भी कोई उम्मीद नहीं होगी. दरअसल, बर्थ-डे पार्टी के चलते लव-कुश अपने दोस्तो के साथ एक रूम में जाएंगे जहां जा कर वे सब शराब पीएंगे और इतना ही नहीं बल्कि दोनों कैरव और वंश को भी बहकाने की कोशिश करेंगे.

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कार्तिक उठाएगा लव-कुश पर हाथ…

जैसे तैसे इस बात का पता कार्तिक और नायरा को लग जाएगा और वे दोनो उसी रूम में पहुंचेंगे जिस रूम में लव-कुश अपने दोस्तों के साथ शराब पी रहे होंगे. अपने सामने लव-कुश और बाकी बच्चों के हाथों में शराब की बोतलें देख कर कार्तिक और नायरा का गुस्सा सांतवे आसमान पर पहुंच जाएगा. यह सब देख कार्तिक अपना आपा खो बैठेगा और सबके सामने लव-कुश पर हाथ उठा देगा.

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क्या नायरा कर पाएगी सब ठीक…

 

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लव-कुश को कार्तिक का हाश उठाना सही नहीं लगेगा और वे भी कार्तिक के थप्पड़ का जवाब देंगे. कार्तिक और लव-कुश के बीच हुई इस अनबन के बीच सुरेखा बच्चों का ही साथ देगी और यह सब देख नायरा को काफी बुरा लगेगा. इस बीच नायरा ये फैसला करेगी कि वे लव-कुश और कार्तिक के बीच सब कुछ फिर से ठीक करके रहेगी चाहे उसे इसके लिए कुछ भी करना पड़े. आने वाले एपिसोड्स में आप ये भी देखेंगे कि लव-कुश ने जो अपने बर्थ-डे गिफ्ट के तौर पर रेसिंग बाइक्स मांगी थी वो अब नायरा कार्तिक को देने से मना कर देगी.

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डर के साए में अवाम

केंद्र सरकार की मनमरजी से लागू हुई नीतियों, संशोधनों और नए कानूनों ने माली मोरचे पर सब से ज्यादा कमर कामधंधा करने वालों की तोड़ी है. अनुच्छेद 370 हो, नोटबंदी हो, जीएसटी हो, या फिर ताजा नागरिकता संशोधन कानून ने देशभर में कामधंधों को सिरे से तबाह कर दिया है.

उत्तर प्रदेश के गोसाईंगंज इलाके में नागरिकता संशोधन कानून से उपजे दंगे के बाद अघोषित कर्फ्यू ने चूड़ी उद्योग व उस से जुड़े गोदामों व ट्रांसपोर्ट कंपनियों में काम कर रहे हजारों मजदूरों के सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा कर दिया है.

तनाव के चलते शहर के अलगअलग हिस्सों में चलने वाले चूड़ी गोदाम बंद हैं. चूड़ी उद्योग से जुड़े काम ठप होने के चलते नगर के ट्रांसपोर्टर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

नगर क्षेत्र की सीमा में 50-60 चूड़ी कारखाने हैं. इन कारखानों में दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों की तादाद 40,000 से ज्यादा है. 8-8 घंटे की

3 शिफ्टों में 300 से 500 रुपए वाले दिहाड़ी मजदूरों के घरों में चूल्हे की तपिश पैसे की कमी के चलते ठंडी पड़ चुकी है.

बेनूर पर्यटन का बाजार

उत्तराखंड जैसे राज्य की माली तरक्की बहुत हद तक पर्यटन पर टिकी है. मसूरी, नैनीताल जैसे कई शहर इस समय पर्यटकों की राह देखते हैं. इस समय की आमदनी अगले कुछ महीनों के लिए राहत ले कर आती है. लेकिन इस समय नैनीताल के लोग नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं.  झील किनारे यह बैनर फहराया जा रहा है कि ‘वे तुम्हें हिंदुमुसलिम बताएंगे, लेकिन तुम भारतीय होने पर अड़े रहना’.

नैनीताल में कई संगठनों के अलावा हर धर्म और वर्ग से जुड़े शहर के आम लोगों ने मौन जुलूस निकाला. सीएए और एनआरसी के विरोध में इस जुलूस में शामिल लोगों ने मल्लीताल पंत पार्क में संविधान की शपथ ली और तल्लीताल में गांधीजी की मूर्ति के पास ‘भारत माता की जय’ के नारों के साथ जुलूस पूरा हुआ.

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इस बारे में नैनीताल होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष दिनेश शाह कहते हैं, ‘‘नए कानून से हमारे कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ा है. हमारे लिए दिसंबरजनवरी माह का महीना कारोबार के लिहाज से अमूमन काफी अच्छा रहता है. लेकिन रामपुर में लोग सड़कों पर हैं. हल्द्वानी में लोग अपनी नागरिकता बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. नैनीताल आने के सभी रास्तों पर विरोध प्रदर्शन चल रहा है, तो इस का असर बुरा पड़ रहा है.

‘‘होटलों की बुकिंग कैंसिल हो रही हैं. जो होटल इस समय 80-90 फीसदी तक बुक रहते थे, उन की 30-35 फीसदी तक ही बुकिंग है.

‘‘रामनगर में जिम कौर्बेट टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों की संख्या भी प्रभावित हुई है. हरिद्वार आने वाले पर्यटक भी इस समय ठिठके हुए हैं.’’

टे्रडर्स ऐंड वैलफेयर एसोसिएशन के प्रैसिडैंट रजत अग्रवाल कहते हैं कि क्रिसमस और नए साल को देखते हुए इस बार अब तक कारोबार में 30-35 फीसदी तक की गिरावट देखी जा रही है.

रजत अग्रवाल आगे कहते हैं कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान जैसे राज्यों से ज्यादा पर्यटक आते हैं. उत्तराखंड आने के लिए सभी को उत्तर प्रदेश से हो कर आना पड़ता है. वहां अभी कई जगह धारा 144 लगी है. माहौल शांत नहीं है. दिसंबरजनवरी माह तक आमतौर पर मसूरी में अच्छा कारोबार चलता है, लेकिन अभी लोग सफर करने में खुद को असहज महसूस कर रहे हैं.

रजत अग्रवाल बताते हैं कि साल 2013 में केदारनाथ आपदा के समय पर्यटन के लिहाज से व्यापारियों को सब से ज्यादा नुकसान हुआ था. उस के बाद नोटबंदी ने सबकुछ ठप कर दिया था. उस समय व्यापारियों का कारोबार 50 फीसदी तक प्रभावित हुआ था. अब यह नया कानून आम आदमी की रोजीरोटी को प्रभावित कर रहा है.

नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 को ले कर देशवासियों में उपजे असंतोष को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के अलावा कनाडा, यूनाइडेट किंगडम, सऊदी अरब, रूस, आस्ट्रेलिया और इजराइल ने अपने देशवासियों को सावधान किया है. खासतौर पर पूर्वोत्तर के राज्यों में जाने से बचने की सलाह दी है.

बेजार हर कारोबार

पहले नोटबंदी हुई, जीएसटी लागू हुई और फिर जम्मूकश्मीर में अनुच्छेद 370 रद्द होने के बाद बंद हुए व्यापार और अब नागरिकता संशोधन विधेयक ने उद्योगपतियों और व्यापारियों को बेजार कर दिया है. यूसीपीएम के चेयरमैन डीएस चावला कहते हैं कि इन दिनों जो नुकसान लुधियाना की इंडस्ट्री का हो रहा है, उस की भरपाई में बहुत समय लगेगा.

फोपासिया के अध्यक्ष बदिश जिंदल के मुताबिक, केंद्र की नीतियां और नएनए कानून माली रूप से हमें खोखला कर रहे हैं.

लुधियाना के कारोबारी हलकों में फैला सन्नाटा बहुतकुछ कहता है. जिन राज्यों में नागरिकता संशोधन विधेयक का पुरजोर विरोध हो रहा है, उन्हीं राज्यों के सड़क और रेल मार्ग लुधियाना के उद्योगों के लिए एक तरह से ‘कौरिडोर’ का काम करते हैं. उन राज्यों में तो माल की सप्लाई और कारोबार एकदम बंद है ही, भूटान, नेपाल और बंगलादेश वगैरह की सप्लाई भी पूरी तरह से ठप हो गई है. अमृतसर के भी लुधियाना सरीखे हालात हैं.

गौरतलब है कि पंजाब से असम, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल के रास्ते भूटान व दूसरे नजदीकी देशों को सड़क और रेल मार्ग के जरीए हौजरी, कपड़ा, साइकिल और साइकिल पार्ट, मशीनरी टूल, नटबोल्ट, खराद, सिलाई मशीनें व सिलाई मशीनों के कलपुरजे व विभिन्न दूसरी किस्म के सामान भेजे जाते हैं. नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में जारी आंदोलन का सब से ज्यादा असर इन में से कुछ राज्यों में हो रहा है. अब इन राज्यों के रास्तों से माल नहीं जा रहा.

लुधियाना के एक बड़े कारोबारी और सीसू के प्रधान उपकार सिंह आहूजा कहते हैं, ‘‘हमारे साथसाथ औद्योगिक संस्थानों में काम करने वाले मजदूर और कर्मचारी भी मुश्किल में हैं.’’

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अमृतसर के कपड़ा व्यापारी नंदलाल शर्मा भी इस बारे में ऐसा ही कुछ कहते हैं, ‘‘अमृतसर से कपड़ा, बडि़यां, अचार, मुरब्बे, पापड़ और मसाले भी दूसरे राज्यों और नेपाल, भूटान और बंगलादेश जाते हैं. सब जगह की सप्लाई फिलहाल रुकी हुई है और हम ने नया माल बनाना बंद कर दिया है. कारीगरों और ढुलाई का काम करने वाले मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही. ज्यादातर ऐसे हैं, जो दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं, लेकिन अब वे बेकार हैं.’’

एक मजदूर रोशनलाल ने बताया कि उस के घर की रोटी चलनी मुश्किल हो रही है. जून, 1984 में अमृतसर के व्यापारिक जगत में ऐसे हालात तब पैदा हुए थे, जब मजदूरों को रोटी के लाले पड़ गए थे और अब वैसा ही सबकुछ है.

लुधियाना की सिलाई मशीन डवलपमैंट क्लब के प्रधान जगबीर सिंह सोखी कहते हैं, ‘‘नागरिकता संशोधन विधेयक के बाद जिन राज्यों में तनाव है, वहां न तो हम जा पा रहे हैं और न हमारा माल. बैंक किस्तों के लिए दबाव बना रहे हैं. सम झ नहीं आ रहा कि बैंक के कर्ज की किस्त कैसे चुकाएं. नया माल जा नहीं रहा और पुराने माल की रकम की वापसी नहीं हो रही. इंटरनैट सेवाएं बंद होने से ट्रांजैक्शन भी रुक गई है.’’

अमृतसर के 80,000 से ज्यादा परिवार और व्यापारी भारतपाकिस्तान के बीच व्यापार बंद होने के चलते तगड़ी माली दिक्कतों से जूझ रहे हैं. 17 फरवरी के बाद अटारी आईसीसी के जरीए होने वाले कपड़े, सीमेंट, मसालों और मेवों का आनाजाना समूचे तौर पर बंद है.

सिर्फ आईसीपी पर ही 3,300 कुली, 2,000 सहायक, 550 क्लियरिंग एजेंट और 6,000 से ज्यादा ट्रांसपोर्टर काम करते थे. उन का धंधा अब छूट गया है. इस से बदहाली का अंदाजा लगाया जा सकता है.

सांसद गुरजीत सिंह ओंजला ने बताया कि वे भारतपाक ट्रेड ठप होने से बद से बदतर हुए हालात के मद्देनजर केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से कई बार मिले, लेकिन सबकुछ जस का तस है.

कश्मीर में हरे हैं जख्म

‘‘बीते 4-5 महीने में मेरा तकरीबन 10 लाख रुपए का नुकसान हो चुका है. अपने काम को फिर से जिंदा करने के लिए मु झे श्रीनगर छोड़ कर जम्मू आना पड़ा है.’’

फोन पर अपनी परेशानी बयां करते हुए शारिक अहमद कुछ इस तरह बात की शुरुआत करते हैं. वे कहते हैं, ‘‘काम के सिलसिले में मु झे 8,000 रुपए का एक कमरा किराए पर लेना पड़ा है. नए ब्रौडबैंड कनैक्शन के 2,000 रुपए हर महीने देने होंगे. घर से दूर बाकी खर्चे भी ज्यादा करने होंगे.’’

पिछले एकडेढ़ महीने से शारिक अहमद जम्मू में हैं. वे श्रीनगर में टूर ऐंड टै्रवल से जुड़ी एक दुकान चलाते थे. नए शहर में नए तरीके से काम जोड़ने पर खर्च बढ़ेंगे. इस से ज्यादा चिंता उन्हें अपने बीवीबच्चों की है, जिन्हें श्रीनगर में ही छोड़ कर आना पड़ा.

5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के साथ ही भारत प्रशासित जम्मूकश्मीर में इंटरनैट सेवा को बंद कर दिया गया था. इस से कश्मीर घाटी के आम शहरियों के कामधंधे तकरीबन चौपट हो चुके हैं.

श्रीनगर के सानी हुसैन एक बुक स्टोर चलाते हैं. इंटरनैट सेवा बंद होने की वजह से नई किताबों के और्डर के लिए उन्हें हाल ही में दिल्ली जाना पड़ा. वे कहते हैं, ‘‘श्रीनगर से एक बार दिल्ली जाने का मतलब है 30,000 रुपए खर्च करना. किताबों के व्यापार में इतना तो मार्जिन भी नहीं बनता. 5 अगस्त से पहले किताबें लेने के लिए मु झे कभी दिल्ली नहीं जाना पड़ा था. मैं ने हमेशा ही इंटरनैट के जरीए किताबें और्डर कीं.’’

5 अगस्त, 2019 को जब अनुच्छेद 370 हटाए जाने की घोषणा हुई थी, तब इंटरनैट और दूरसंचार सेवाएं सब से पहले प्रभावित हुई थीं. इन के अलावा कसबों और गांवों तक में कर्फ्यू लगा दिया गया था. स्कूलकालेज बंद करा दिए गए थे. साथ ही, बंद हो गए थे सब छोटे व्यापार.

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हालांकि श्रीनगर में स्थानीय बाजार अब सामान्य हालात में लौट चुके हैं. पोस्टपेड मोबाइल और लैंडलाइन फोन सेवाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन घाटी में इंटरनैट और प्रीपेड मोबाइल सेवा का शुरू होना अभी बाकी?है.

इसी मुद्दे पर उमर कहते हैं, ‘‘जब अनुच्छेद 370 पर फैसला होने वाला था तो मैं ने विदेश में रह रहे अपने रिश्तेदारों को सब से पहले सूचित किया. मैं ने उन्हें बताया कि मेरी वैबसाइट बंद होने वाली है. मेरे काम का एक बड़ा हिस्सा इंटरनैट पर आधारित है. औनलाइन और्डर वहीं से मिलते हैं.

‘‘तकरीबन डेढ़ महीने तक वैबसाइट बंद रही. बाद में हम ने दिल्ली में एक टीम रखी, जो वैबसाइट को चला सके. वैबसाइट बंद रहने के चलते इस सीजन में हमें 70 फीसदी का नुकसान हुआ है.’’

हिंदू राष्ट्र की राह पर

राम मंदिर बनाने का मामला हो या हिंदुत्व का मामला हो, अनुच्छेद 370 को हटाना हो, तीन तलाक या फिर नागरिकता संशोधन कानून, हर मामले में भाजपा का एकमात्र एजेंडा मुसलिमों के खिलाफ माहौल बना कर अपने परंपरागत हिंदू वोट बैंक को एकजुट करना रहा है. जामिया मिल्लिया इसलामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस का कहर भी इसी बात को दिखाता है.

भाजपा में अटल बिहारी वाजपेयी, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अरुण जेटली को उदारवादी हिंदुओं की श्रेणी में रख कर देखा जाता रहा है. लाल कृष्ण आडवाणी ने भाजपा में जो पौध तैयार की, वह कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलने वाली?है.

राजनीति की गहरी सम झ रखने वाले लोग तभी सम झ गए थे, जब नरेंद्र मोदी ने राजनाथ सिंह को गृह मंत्री पद से हटा कर अपने पुराने सहयोगी अमित शाह को गृह मंत्री बनाया था कि अब वे दोनों मिल कर गुजरात का एजेंडा पूरे देश में लागू करेंगे.

जब देश में बेरोजगारी, भुखमरी, महंगाई और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दे विकराल समस्या का रूप धारण कर चुके हैं, ऐसे समय में मोदी सरकार ने सारे मुद्दों को दरकिनार कर उन मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर लिया, जो सीधे मुसलिमों के खिलाफ जा कर हिंदुओं की हमदर्दी बटोरने वाले थे.

अनुच्छेद 370 हटाने के बाद गृह मंत्री अमित शाह की भाषा उन के भाषण में देखिए तो वह बारबार इस बात पर जोर दे रहे थे कि अनुच्छेद 370 के हटने पर विपक्ष कह रहा था कि देश में खून की नदियां बह जाएंगी, पर देश में तो एक पटाका भी नहीं फूटा है.

उन का मतलब साफ था कि उन्होंने विपक्ष के साथ ही देश के मुसलिमों को भी इतना डरा दिया है कि अब ये लोग कुछ भी करेंगे, तब भी कोई चूं नहीं करेगा.

दूसरी बार प्रचंड बहुमत में आने के बाद भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सब को साथ ले कर चलने की बात कही हो, पर उन के दूसरे कार्यकाल में अब तक जो कुछ भी हुआ है, वह धर्म और जाति के आधार पर हुआ है. हकीकत यह है कि मोदी सरकार में ऐसा कुछ नहीं हुआ, जिस से देश का मुसलिम अपने को सुरक्षित महसूस करता.

यदि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का थोड़ा सा भी ध्यान देश के भाईचारे पर होता तो सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर बनने का रास्ता पक्का करने के तुरंत बाद ये लोग नागरिकता संशोधन कानून न लाते.

प्रचंड बहुमत का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ भी कर सकते हैं. इन लोगों ने यह सोच लिया था कि अब उन के डर से पूरा देश सहमा हुआ है, जो मरजी आए करो. देश और संविधान की रक्षा के लिए बनाए गए तंत्रों विधायिका, कार्यपालिका, न्यायपालिका और मीडिया उन की कठपुतली की तरह काम कर रहे हैं.

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जो लोग नागरिकता संशोधन कानून के विरोध को मुसलिमों का विरोध सम झ रहे हैं, वे गलती कर रहे हैं. इस आंदोलन में मुसलिम के साथ ही दलित, पिछड़ों के अलावा सवर्ण समाज के लोग भी हैं.

दरअसल, यह वह गुस्सा है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दमनकारी नीतियों के चलते दबा रखा था. इस आंदोलन में बड़ी संख्या में बेरोजगार नौजवान हैं, जो मोदी सरकार से नाराज हैं.

पूर्वोत्तर के बाद जब यह आंदोलन दिल्ली और उत्तर प्रदेश में आया तो इस ने विकराल रूप ले लिया. उत्तर प्रदेश में 21 लोगों के मरने की खबर है.

एनआरसी के समर्थन में पूरे देश में भाजपा व कुछ चरमपंथी संगठन रैलियां कर रहे हैं और प्रधानमंत्री व गृह मंत्री कह रहे हैं कि एनआरसी पर अभी तक कोई चर्चा तक नहीं हुई है. खैर, जो भी हो,  झूठ पकड़ा गया और देश ने सच जान लिया है.

यह तानाशाहों की सोच होती?है कि भारी विरोध को देखते हैं, तो अपने फैसलों पर दोबारा सोचने के बजाय  झूठ बोलने लग जाते हैं, क्योंकि उन को हार कभी स्वीकार नहीं होती है.

जरमनी बरबाद हो रहा था, मगर हिटलर ने गलती स्वीकार नहीं की और आखिर में चाहे खुदकुशी करनी पड़ी हो, मगर हारा हुआ मानना उस को स्वीकार नहीं था.

विपक्ष में राजनीतिक दलों के बजाय इस बार नागरिक समाज है और नागरिक समाज विपक्ष की भूमिका में खड़ा होता है तो भागने की लाख कोशिश कर लो, मगर असली मुद्दे पर ला कर खड़ा कर ही दिया जाएगा.

जवान बेवा: नई जिंदगी की जद्दोजहद

उत्तर प्रदेश के एक गांव नरायनपुर का प्रताप दिल्ली में नौकरी करता था. उस का पूरा परिवार गांव में रहता था. जब से प्रताप दिल्ली में नौकरी कर रहा था, तब से घर के हालात अच्छे हो गए थे. वह हर तीसरे महीने 20,000 रुपए के आसपास घर भेजता था और हर 6 महीने में अपने गांव भी आता था.

एक बार प्रताप गांव आया था. उसी समय गांव में उस के परिवार में ही शादी थी. बरात पास के ही शहर में गई थी. प्रताप भी बरात में चला गया.

अगले दिन जब बरात वापस आ रही थी तो प्रताप की गाड़ी एक ट्रक से टकरा गई. कार और ट्रक की टक्कर इतनी जोरदार थी कि प्रताप और कार में सवार 2 दूसरे लोगों की उसी जगह पर मौत हो गई.

प्रताप की मौत की खबर जैसे ही उस के घर आई, पूरे घर में कुहराम मच गया. प्रताप की मौत ने उस के पूरे परिवार को तितरबितर कर दिया. सब से बुरा असर प्रताप की पत्नी नीलिमा पर पड़ा. 25 साल की नीलिमा ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उस के सामने ऐसा समय भी आएगा.

2 बच्चों की मां नीलिमा के सामने एक तरफ प्रताप की मौत का गम था, तो वहीं दूसरी तरफ रीतिरिवाजों के नाम पर उस का शोषण हो रहा था.

प्रताप के मरते ही नीलिमा के बदन से सुहाग का हर सामान उतार दिया गया. उस को पहनने के लिए सफेद साड़ी दे दी गई. नातेरिश्तेदार और गांव के लोग जब शोक करने आते तो उसे सब के सामने रोना पड़ता. कोई उसे शुभ काम में अपने घर नहीं बुलाता. नीलिमा को लगने लगा कि प्रताप के साथ वह भी मर गई होती तो अच्छा रहता.

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न आएं बहकावे में

36 साल की गीता का पति प्रवेश सरकारी नौकरी करता था. उस को शराब पीने की बुरी आदत थी. इस के चलते प्रवेश का लिवर कब खराब हो गया, उसे पता ही नहीं चला. वह कमजोर रहने लगा. धीरेधीरे बीमारी ने उस के पूरे शरीर को जकड़ लिया.

एक बार प्रवेश को तेज बुखार आया. बुखार ठीक होने का नाम ही नहीं ले रहा था. ऐसे में प्रवेश को मैडिकल कालेज लाया गया, जहां डाक्टरों ने जांच के बाद पाया कि प्रवेश का लिवर काम नहीं कर रहा है और वह ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाएगा.

प्रवेश की बीमारी की जानकारी उस की पत्नी को लगी तो वह बेहद परेशान हो गई. उसे सम झ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे? प्रवेश इस बात की जानकारी अपने परिवार को देना चाहता था, पर गीता ऐसा नहीं चाहती थी.

गीता ने प्रवेश की बीमारी की सूचना अपने मायके वालों को दी. मायके वालों ने गीता को सम झाया कि वह इस बारे में किसी को कुछ न बताए.

एक दिन अचानक प्रवेश की मौत हो गई. गीता ने अपने मायके वालों के कहने पर प्रवेश के परिवार को दूर ही रखा.

गीता के मायके वालों ने सोचा था कि प्रवेश के नाम बैंक में ढेर सारा पैसा होगा और गीता को सरकारी नौकरी मिल जाएगी. सबकुछ उन के कब्जे में आ जाएगा.

जब प्रवेश के औफिस में संपर्क किया गया तो पता चला कि उस के पास बैंक में पैसे के नाम पर कुछ नहीं था. प्रोविडैंट फंड जैसी रकम भी प्रवेश ने निकाल कर नशे में खर्च कर डाली थी. औफिस वालों ने यह भी बताया कि उस के परिवार में किसी को नौकरी नहीं मिलेगी, क्योंकि उन के यहां मरने वाले के परिवार के लोगों को नौकरी देने का नियम नहीं है.

गीता के मायके वालों और उस के रिश्तेदारों को जब इस बात का पता चला तो वे उस से दूर होने लगे. पति की असमय मौत ने गीता के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा कर दिया था. उस के बच्चे भी अभी इस लायक नहीं थे कि कुछ काम कर सकें.

गीता ने ससुराल वालों को पहले से ही अपने से दूर कर दिया था. उन की नाराजगी यह थी कि उन्हें प्रवेश की मौत के बारे में बताया ही नहीं गया. गीता अपने मायके वालों के बहकावे में आ गई. अब वह पूरी तरह से अकेली हो गई है.

गीता जैसी गलती रूपा ने भी की. रूपा के पति विशाल की मौत भी हादसे में हुई थी. रूपा के 2 साल की बेटी थी. जब पति की मौत हुई उस समय रूपा की उम्र 26 साल थी. उस की 2 बहनें और एक भाई हैं.पति की मौत के बाद रूपा को बीमा और औफिस से कुलमिला कर 8 लाख रुपए मिले थे. मायके वालों ने रूपा को ससुराल में रहने नहीं दिया. उन लोगों ने रूपा से कहा कि अभी तुम्हारी उम्र ही क्या है, तुम्हारी दूसरी शादी कर देंगे.

रूपा मायके वालों की बातों में आ कर उन के साथ रहने लगी. ससुराल न जाने से वहां से उस की दूरी बढ़ती गई.

मायके में कुछ दिन बाद सबकुछ नौर्मल हो गया. रूपा की शादी की बात मायके वाले भूल गए. उन के सामने 2 छोटी बहनों की शादी न हो पाने की समस्या थी. वे लोग चाहते थे कि रूपा अपना पैसा बहनों की शादी पर खर्च करे. इस बात को ले कर आपस में मनमुटाव भी बना है.

अब रूपा उन्हीं पैसों से मिलने वाले ब्याज से अपना गुजारा कर रही है. वह अपनी बेटी को पढ़ा भी रही है. अब वह ससुराल भी जाने लगी है, पर उसे इस बात का अफसोस है कि उस ने मायके वालों की बात मानी थी.

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हिम्मत से निभाएं जिम्मेदारी

30 साल की रुचि की शादी को 4 साल बीत गए थे. उस का पति फाइनैंस ले कर ठेकेदारी का काम करता था. ठेकेदारी में सतीश को कभी ज्यादा पैसा मिल जाता था तो कभी नुकसान भी उठाना पड़ जाता था. तनाव में फंस कर सतीश ने एक दिन गोली मार कर जान दे दी.

रुचि के सामने 2 रास्ते थे कि या तो वह ससुराल में सतीश की बेवा के रूप में रहे या फिर मायके चली जाए. रुचि ने अपनेआप को हालात से लड़ने के लिए तैयार किया. उस ने ससुराल वालों से अपने पैसे मांगे. ससुराल वालों ने उसे 3 लाख रुपए दिए.

रुचि अपने मायके आई. उस को डिजाइनर कपड़ों की सिलाई करने का शौक पहले से था. मायके में एक दुकान किराए पर ले कर रुचि ने बुटीक खोला. कुछ दिनों की मेहनत के बाद रुचि का बुटीक चल निकला. अब उसे किसी के सहारे की जरूरत नहीं थी.

रुचि कहती है, ‘‘दोबारा शादी करने में कोई बुराई नहीं है. अगर कोई मनपसंद साथी मिल गया तो शादी कर लूंगी. जब ऐसी मुसीबत आए तो कभी घबराना नहीं चाहिए.

‘‘पत्नी की मौत के बाद पति भी तो घर की सारी जिम्मेदारी संभाल लेता है. उसी तरह पत्नी को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए. इस के लिए पूरी हिम्मत, मेहनत और लगन से काम करना चाहिए. समाज में छुईमुई बनने से काम नहीं होता, उलटे ऐसे लोगों का शोषण ज्यादा होता है.’’

38 साल की देविका की शादी उम्र में 20 साल बड़े प्रभाकर के साथ हुई थी. प्रभाकर को दिल की बीमारी थी. देविका के 2 बेटियां और 2 बेटे थे. एक दिन अचानक प्रभाकर की हार्ट अटैक से मौत हो गई. देविका ने अपने साथसाथ बच्चों को भी संभाला. उन को पढ़नेलिखने की सुविधाएं उपलब्ध कराईं. कभी यह नहीं महसूस होने दिया कि वे बिना बाप के बच्चे हैं.

देविका कहती है, ‘‘पति की असमय मौत तमाम मुसीबत में डाल देती है. मौत ऐसा कड़वा सच है, जिस का सामना किसी को भी करना पड़ जाता है. ऐसे में आप की हिम्मत और सम झदारी ही साथ देती है. कमजोरी का फायदा उठाने वाले हर जगह होते हैं.

‘‘पति की मौत हो जाने पर अपनेआप को पूरी दुनिया से अलग नहीं कर लेना चाहिए. हालात से डट कर मुकाबला करना चाहिए.’’

दूसरी शादी अच्छी बात

नेहा का पति विनय सेना में था. दुश्मनों से लड़ाई के दौरान वह शहीद हो गया. उस समय नेहा की शादी को 8 महीने ही हुए थे. सेना की ओर से पैसा और दूसरी सुविधाएं मिलती देख विनय के घर वालों के मन में मैल आ गया.

वे यह साबित करने में जुट गए कि नेहा और विनय की शादी नहीं हुई थी.

नेहा के घर वाले यह तो चाहते थे कि उस की दूसरी शादी हो जाए, पर वे विनय की जायदाद में हक भी चाहते थे.

इस बात को ले कर दोनों परिवारों के बीच मुकदमेबाजी शुरू हुई. कुछ ही दिनों में दोनों परिवारों को यह समझ आ गया कि मुकदमेबाजी से कुछ नहीं होगा. तब दोनों परिवारों के बीच सम झौता हुआ. नेहा अपना हिस्सा ले कर चली गई.

अब नेहा ने दूसरी शादी कर ली है. वह अपने नए जीवनसाथी के साथ खुश है. वह कहती है, ‘‘पहले समाज में विधवा विवाह को सही नहीं माना जाता था, पर अब लोग इस को बुरा नहीं मानते. इस में कोई बुराई भी नहीं है. समाज का जो ढांचा बना है, उस में किसी कम उम्र की औरत को सारी जिंदगी बिना किसी साथी के गुजार पाना आसान नहीं है. ऐसे में दूसरी शादी करना अच्छा रहता है.’’

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हिम्मत और समझदारी से संवारें भविष्य

* आप के पति के नाम जो भी जायदाद है उसे बिना आप की मरजी के कोई नहीं ले सकता. किसी के बहकावे में आ कर परिवार में  झगड़ा न करें.

* ससुराल और मायके दोनों के बीच सम झदारी से बेहतर तालमेल बिठाएं.

* पैसों का हिसाब अपने पास रखें. बैंक में पैसे रखें या फिर एफडी करा दें. इस के ब्याज का इस्तेमाल अपने खर्चों में करें. भविष्य के लिए पैसे जरूर बचा कर रखें.

* सच कहा जाता है कि रखा पैसा काम नहीं देता, इसलिए अपनी दिलचस्पी और काबिलीयत के हिसाब से काम करने में संकोच न करें. इस से पैसे भी मिलेंगे और आप का मन भी लगा रहेगा.

* अगर उम्र कम हो तो दूसरी शादी करने में परहेज न करें. रूढि़यों में न फंसें. कुछ दिन बाद कोई कुछ नहीं कहता है.

* बेवा होना आप का दुर्भाग्य नहीं हादसा भर है. इस को ले कर परेशान न हों. पत्नी के मरने पर पति को तो लोग कुछ नहीं कहते, फिर औरतों के साथ ही यह बरताव क्यों?

* अपने बच्चों का खयाल रखें. पिता के न रहने पर वह अनुशासन से बाहर हो जाते हैं. ऐसे में मुसीबतें आएंगी, जिन का मुकाबला आप को ही करना पड़ेगा. इस में पैसा और सुकून दोनों जाएंगे.

* पति की मौत के बाद होने वाले कर्मकांड न करें. इस में पैसा भी खर्च होता है. इस के अलावा शारीरिक और मानसिक कष्ट अलग से होता है.

* पुनर्जन्म और भाग्य जैसा कुछ नहीं होता है. इस को संवारने के नाम पर ब्राह्मण केवल पैसा कमाने का काम करते हैं.

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* बेवा के कपड़ों में न रहें. ऐसा करने से मन में हीनभावना आती है.

* अगर कोई मर्द थोड़ा इंट्रैस्ट दिखाए तो उसे दुत्कारें नहीं. चाहे उस की चाहत केवल बदन तक हो. बेवाओं के लिए वे काम के हो सकते हैं. थोथी शराफत पर जिंदगी खराब न करें.

Bigg Boss 13: बिग बौस ने खोली इन 2 कंटेस्टेंटस की पोल, पारस-माहिरा का चढ़ा पारा

बिग बौस का सीजन 13 अब फिनाले से ज्यादा दूर नहीं है और जो कि फिनाले नजदीक आ चुका है तो घर के हर सदस्य ने अपनी गेम स्ट्रौंग कर ली है और सभी कंटेस्टेंटस् बिग बौस की ट्रौफी जीतने के लिए सर से एड़ी तक का जोर लगा रहे हैं. बात करें आने वाले एपिसोड की तो घर में रह रहे 3 कंटेस्टेंट्स ने ऐसी गलती की है जिसे देख बिग बौस को बिल्कुल अच्छा नहीं लगा और तो और बिग बौस ने खुद इनकी सच्चाई सभी घरवालों के सामने रखी.

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असीम, विशाल और रश्मि ने की ये गलती…

दरअसल, बिग बौस के नियमों के अनुसार घर के अंदर कोई भी सदस्य नोमिनेशन की बात नहीं कर सकता पर कंटेस्टेंट असीम रियाज, विशाल आदित्य सिंह और रश्मि देसाई एक साथ बैठ कर नोमिनेशन प्लैनिंग करते दिखाई दिए. इनका सच बिग बौस ने घर में लगी स्क्रीन पर इनकी वीडियो दिखाते हुए सभी को बताया. असीम रियाज और विशाल आदित्य सिंह ये प्लैनिंग करते नजर आए कि वे आने वाले नोमिनेशन प्रक्रिया में पारस छाबड़ा और माहिरा शर्मा को नोमिनेट करेंगे.

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पारस और असीम के बीच हुआ जमकर बहस…

बिग बौस द्वारा ये वीडियो क्लिप दिखाए जाने के बाद घर के अंदर खूब हंगामा देखने को मिला. इस बात की जानकारी बिग बौस के मेकर्स ने आज के एपिसोड का प्रोमो रिलीज करते हुए बताया. प्रोमो देख साफ पता चल रहा है कि पारस छाबड़ा और असीम रियाज के बीच आज जमकर बहस होने वाली है जिस बहस में पारस असीम को ये कहते दिखाई देंगे कि, ‘तू है कौन मुझे शो से बाहर निकालने वाला, तू लिख के लेले मुझसे कि मैं तूझे ये शो जीत के दिखाउंगा’.

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शेफाली जरीवाला हुईं घर से बेघर…

अब देखने वाली बात ये होगी कि असीम रियाज और पारस छाबड़ा की ये लड़ाई कहां तक पहुंच सकती है. बीते वीकेंड के वौर में कंटेस्टेंट शेफाली जरीवाला को घर से बेघर कर दिया गया जिसके बाद उन्होनें बाहर आकर असीम रियाज को खूब खरी-खोटी भी सुनाई और वहीं दूसरी तरफ सिद्धार्थ शुक्ला को सपोर्ट किया.

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कुंआरियों की शादीशुदा मर्दों के लिए चाहत

जहां तक हम, आप और सब जानते हैं कि कोई भी लड़की चाहे सबकुछ बरदाश्त कर ले, पर सौत तो हरगिज बरदाश्त नहीं कर सकती, पर यह एक अजीब बात है कि कुंआरी लड़कियां, जिन्हें शादी कर के अपना घर बसाना होता है, किसी कुंआरे के बजाय शादीशुदा के प्यार के जाल में फंस जाती हैं.

हालांकि बहुत से ऐसे मर्द किसी कुंआरी का प्यार पाने के लिए इस हकीकत को बड़ी बेशर्मी से छुपा भी जाते हैं कि वे शादीशुदा हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता कि इन कुंआरियों को अपने प्रेमी की शादी की बात पता नहीं होती. उन्हें इस बात का बहुत अच्छी तरह पता होता है कि उन का प्रेमी न सिर्फ शादीशुदा है, बल्कि बालबच्चों वाला भी है.

दरअसल, सैक्स संबंधी इस खिंचाव में जो बात काम करती है, उस का उम्र, पढ़ाईलिखाई, पद, इज्जत, पैसा या शादी होना जैसी बातों से कोई खास मतलब नहीं होता. यों कहिए कि मतलब होता ही नहीं.

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अकसर ऐसा होता है कि कोई कुंआरा लड़का किसी हसीन कुंआरी लड़की को देखदेख कर बस आहें भर रहा होता है, वह जुगाड़ भिड़ा रहा होता है कि कैसे उस के साथ अपने प्यार की पेंगें बढ़ाई जाएं और तभी कोई बड़ी उम्र का शादीशुदा, पर सुल झा हुआ आदमी उस सुंदरी को अपनी बांहों की गिरफ्त में ले लेता है. अब वह कुंआरा मन ही मन उस बड़ी उम्र के शादीशुदा आदमी पर चाहे जितनी खी झ उतारता रहे, बाजी तो उस के हाथ से जाती ही रही है और लड़की भी अपने शादीशुदा प्रेमी की बांहों में बड़े मजे से  झूला  झूलती रहती है.

ऐसा क्यों होता है

ऐसे मर्दों में कई खास गुण होते हैं, जो आमतौर पर कुंआरे लड़कों में नहीं होते. सब से पहले तो आप इस बात पर गौर कीजिए कि लड़कियां मर्दों से चाहती क्या हैं? जहां तक मेरा खयाल है, कोई भी लड़की प्रेम की गंभीरता पसंद करती है. प्रेम की यह गंभीरता ज्यादातर कुंआरे लड़कों में नहीं होती है.

ज्यादातर कुंआरे लड़के छिछोरे टाइप होते हैं और फिल्म स्टाइल में कपड़े पहन कर, बाल  झाड़ कर, गाने गा कर, फिकरे कस कर या फिर उलटीसीधी हरकतें कर के लड़कियों को रि झाना चाहते हैं, पर होता इस का बिलकुल उलटा ही है. ऐेसे सड़कछाप मजनू लड़कियों के प्रेम का तो नहीं, पर उन के सैंडलों का स्वाद बहुत जल्द चख लेते हैं.

कुछ दूसरी तरह के कुंआरे लड़के होते हैं, जिन में अपने प्यार को जाहिर करने की न तो हिम्मत होती है, न कोई उचित तरीका ही उन्हें पता होता है और ऐसे कुंआरे लड़के जब किसी लड़की का प्यार पाने के लिए उलटीसीधी कोशिश करते हैं, तो लड़की की नजर में मजाक ही बनते हैं, उस के प्रेमी नहीं.

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होते हैं सलीकेदार

हालांकि ऐसा बिलकुल नहीं है कि हर शादीशुदा मर्द कुंआरी लड़की का प्रेम पाने में कामयाब हो ही जाता है और हर कुंआरा लड़का किसी लड़की का प्रेम पाने में नाकाम ही रहता है.

हमारा कहना तो सिर्फ यह है कि शादीशुदा मर्दों में कुछ ऐसे खास गुण होते हैं, जिन की ओर लड़कियां आसानी से खिंच जाती हैं, जैसे सुल झी शख्सीयत का होना, लड़की के बारे में हर छोटीछोटी बात की बेहतर सम झ होना वगैरह. ये गुण शादी होने के बाद मर्द के अंदर आ जाते हैं, जबकि कुंआरे लड़कों में इन की कमी ही रहती है.

फिर कुंआरा लड़का अपनी हमउम्र प्रेमिका से जलन की भावना भी रख सकता है और उन की भावनाओं को चोट भी पहुंचा सकता है, जबकि बड़ी उम्र का बालबच्चों वाला शादीशुदा मर्द अपनी कुंआरी प्रेमिका के आंसू पूरी हमदर्दी और सम झदारी के साथ पोंछने की ताकत रखता है. वह अपनी प्रेमिका को पूरी सिक्योरिटी और पूरा प्यार दे सकता है. वह कुंआरे लड़कों की तरह बेवकूफी वाली हरकतें नहीं करता. उस का बरताव इतना सलीकेदार होता है कि ऐसी खासीयतें किसी कुंआरे लड़के में मुश्किल से ही मिलती हैं.

मुसीबतें नहीं खड़ी करते

हां, इस सब के अलावा शादीशुदा मर्दों की एक खास बात यह भी होती है कि जब कोई लड़की अपने शादीशुदा प्रेमी को प्रेम करने के बाद किसी तरह से उस का दिल तोड़ देती है, तो वह प्रेमी बड़ी आसानी से ऐसी बेवफा प्रेमिका को भूल जाता है और उस के लिए कोई परेशानी नहीं खड़ी करता. उस के आंसू पोंछने के लिए बेचारी बीवी होती है, जबकि ऐसे हालात में कुंआरे लड़के अपनी प्रेमिका के लिए भारी मुसीबतें खड़ी कर देते हैं, क्योंकि उन की भावनाओं को कंट्रोल करने के लिए कोई नहीं होता है.

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इसलिए यह कहा जा सकता है कि जो खासीयतें शादीशुदा मर्दों में आ जाती हैं, वे ही अगर कुंआरे लड़कों में आ जाएं तो कोई वजह नहीं कि कोई हसीना उन की बांहों में न जाए, आखिर कोई लड़की अपनी सौत तो नहीं चाहती है न.

आखिर क्यों कंगना रनौत ने विराट कोहली को कह दिया ‘पंगा किंग’, पढ़ें खबर

कंगना रनौत इन दिनों अपनी अप्कमिंग फिल्म ‘पंगा’ के प्रमोशन में बिजी हैं. हाल ही में कंगना, भारत-न्यूजीलैंड का शो जिस चैनल में प्रसारित होता है वहां अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए पहुंची. इस दौरान कंगना ने कई सारी बातें की. इतना ही नहीं कंगना ने विराट को ‘पंगा किंग’ भी बताया.

दरअसल, कंगना ने विराट की तारीफ करते हुए कहा, ‘वह काफी निडर हैं और हर चैलेंज के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. पंगा और भारत-न्यूजीलैंड का मैच भी एक ही दिन है.’ कंगना ने कहा था, ‘मैं और विराट एक ही दिन पंगा लेंगे. मैं थिएटर में और वह मैदान में.’

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वैसे कंगना की फिल्म की बात करें तो इसे दर्शकों और क्रिटिक्स से काफी अच्छा रिस्पौन्स मिला है. फिल्म में कंगना की एक्टिंग की काफी तारीफ हो रही है. वहीं ट्रेंड एनालिस्ट्स के मुताबिक फिल्म पहले दिन 5 करोड़ तक की कमाई कर सकती है. इसके साथ ही फिल्म को वर्ड औफ माउथ का काफी फायदा मिलेगा. फिल्म में कंगना के साथ जस्सी गिल लीड रोल मे हैं.

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निर्भया के हत्यारों की वकील इंदिरा जयसिंह से कंगना ने लिया पंगा…

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कंगना ने हाल ही में पंगा के प्रीमियर के दौरान मीडिया से बात करते हुए इंदिरा जयसिंह पर अपना निशाना साधा था. इंदिरा जयसिंह ने निर्भया की मां आशा देवी से अपील की थी कि उन्हें दोषियों को माफ कर देना चाहिए. इस बयान पर जब कंगना से उनका रिएक्शन मांगा तो उन्होंने कहा, ‘इंदिरा जयसिंह जैसी औरतों के कोख से ही बलात्कारी पैदा होते हैं, ऐसी औरतों को बलात्कारियों के साथ 4 दिन जेल में रखना चाहिए.’

कंगना आगे कहती हैं कि उनको पता होना चाहिए कि रेप क्या होता है और इसकी सजा क्या होती है. इतने सालों से उनकी मां और उनके पिता जी कष्ट झेल रहे हैं पूरी फैमिली की क्या हालत होगी.

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 प्रवीण सोमानी के अपहरण के “वो 300 घंटे!”

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित प्रवीण सोमानी अपहरणकांड को सुलझाने में पुलिस को 14 दिन बाद अंततः  सफलता मिली. राजधानी रायपुर पुलिस ने उद्योगपति प्रवीण सोमानी को अंतर प्रांतीय अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाकर सकुशल परिजनों के  सुपुर्द कर दिया है. सन 2020 की 8 जनवरी को प्रवीण सोमानी के अपहरण के बाद पुलिस की नींद हराम हो गई थी. पुलिस के अनुसार प्रवीण को सकुशल घर लाने के लिए रायपुर पुलिस ने 10 लाख फोन कॉल और 1500 सीसीटीवी कैमरे की पड़ताल की तब जाकर उत्तर प्रदेश से छुड़ाने में सफल हुई.

पुलिस के उच्च अधिकारियों के अनुसार  अपहरणकर्ता काफी शातिर हैं, इसलिए फूंक-फूंक कर कदम रखना पड़ रहा था. छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक  डीएम अवस्थी ने प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों को बताया कि 08 जनवरी को प्रवीण सोमानी का सिलतरा क्षेत्र से अपहरण हुआ। इस घटना से प्रदेश भर में सनसनी फैल गई थी उद्योगपतियों में भय व्याप्त हो गया था और पुलिस के ऊपर दबाव बढ़ता चला जा रहा था. मामला विधानसभा में भी उठा और छत्तीसगढ़ सरकार के समक्ष एक प्रेशर बन कर सामने था कि जल्द से जल्द उद्योगपति  प्रवीण सोमानी को ओपन खतरों से छुड़ाया जाए.

यह था घटनाक्रम

छत्तीसगढ़ पुलिस को अपहरणकर्ताओं तक पहुंचने के लिए रायपुर,छत्तीसगढ़  से उत्तर-प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के मध्य आनेवाले  वाले रास्तों के करीब डेढ़ हजार सीसीटीवी कैमरे खंगालने पड़े . रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, होटल, टोल नाके में लगे सीसीटीवी खंगाले . पांच लाख फोन कॉल को चार दिन तक लगातार खंगाला . सीसीटीवी कैमरे से पुलिस क्लू मिलता गया. उसके बाद पुलिस की एक टीम तुरंत उत्तर प्रदेश के लिए रवाना कर दी गई.अपहरणकर्ता इतने शातिर थे कि एक बार फोन करने के बाद दोबारा उस सिम का इस्तेमाल नहीं करते थे. वह सिम तोड़कर फेंक देते थे.इस कारण  पुलिस को ” क्लू” नहीं मिल पा रहा था.

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डीजीपी अवस्थी ने बताया कि 8 जनवरी को प्रवीण सोमानी को उठाने पप्पू समेत आठ लोग ईडी अधिकारी बनकर रायपुर आये थे. धरसींवा  सिलतरा के सरडा एनर्जी से करीब 200 मीटर पहले सोमानी की कार को रोका और  प्रवीण  सोमानी को अपने कब्जे में  ले लिया.

तत्पश्चात अपहरणकर्ता सोमानी को लगातार बेहोशी के इंजेक्शन लगाते रहे. अपहरणकर्ताओं ने चालाकी पूर्वक अपनी कार में फर्जी नम्बर लगा रखा था.जांच में यह नंबर एक ट्रैवल एजेंसी का पाया गया.अपहरणकर्ता प्रवीण को सिमगा, चिल्फी होते हुए कटनी और फिर इलाहाबाद ले गए.उसके बाद  उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में ही एक घर में बंद कर दिया और गैंग का सरगना पुलिस को छकाने के लिए खुद बिहार के वैशाली पहुंच गया. यहीं से  अपहरणकर्ता प्रवीण सोमानी के लिए फिरौती मांगने लगे और कथित रूप से 50  करोड़ रुपए फिरौती मांगी गई थी.

यहां बनाई थी अपहरण की योजना

छत्तीसगढ़ के डीजीपी अवस्थी ने बताया कि प्रवीण सोमानी के अपहरण की पूरी योजना सूरत, गुजरात  जेल में बनाई गई थी. पप्पू चौधरी गिरोह के सदस्यों ने आपस मे टारगेट तय करने के लिए बाकायदे “गूगल”  का सहारा लिया था. इस तरह हाईटेक तरीके से अपहरणकर्ताओं  द्वारा उद्योगपति की अपहरण की गहरी साजिश रची गई थी.

पुलिस का कहना था  अपहरणकर्ता इस कदर शातिर थे कि उन्होंने किडनैपिंग की इस पूरी वारदात में हर एक कदम, एक्शन के बाद अपने सिम कार्ड को बदल दिया  जाता . यह  गैंग अलग-अलग लेवल पर बंटा हुआ था. गाडिय़ों का बंदोबस्त करने की जिम्मेदारी, प्रवीण सोमानी को छुपाने की जिम्मेदारी और फिेरौती के लिए फोन करने की जिम्मेदारी गैंग के अलग-अलग लोग, दस्ते  को दी गई थी.

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और सबसे बड़ी बात इन ग्रुप्स का आपस में कोई संपर्क नहीं था. यहां तक कि जब प्रवीण सोमानी को एसएसपी ने छुड़ा लिया उसके बाद भी लगातार फिरौती के लिए फोन आते रहे. बुधवार 22 जनवरी की देर रात उद्योगपति प्रवीण को छत्तीसगढ़ ले करके आई पुलिस और रात को ही मीडिया के समक्ष सारे तथ्य उद्घाटित कर दिया जाए.

23 जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं प्रवीण सोमानी को अपने निवास स्थान पर आमंत्रित किया व अपहरण की संपूर्ण जानकारी ली. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने  छत्तीसगढ़ पुलिस के   अपहरण कांड के जांच दस्ते को इस बड़ी सफलता के लिए  पुरस्कृत करने की भी घोषणा की है.

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