मोदी को आंख दिखाते, चक्रव्यूह में फंसे भूपेश बघेल!

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सत्तासीन होने के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं. विधानसभा चुनाव के परिणाम स्वरुप मुख्यमंत्री के रूप में भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ की कमान संभाल ली और इसके साथ ही शुरू हो गया छत्तीसगढ़ सरकार का केंद्र सरकार के साथ आंख मिचौली का खेल. भूपेश बघेल बारंबार एहसास कराते हैं कि वे प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार की परवाह नहीं करते.

मौके मिलते ही  उनके सामने  सीना तान कर खड़े हो जाते हैं. और फिर जब हकीकत का एहसास होता है तो हाथ जोड़ मुस्कुराते हुए गुलाब पेश करते हैं . यही सब कुछ इन दिनों धान खरीदी की महत्वाकांक्षी योजना के संदर्भ में भी दिखाई दे रहा है. छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार यह वादा करके सत्तासीन हुई थी किसानों से 25 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदी जाएगी.

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इस बिना पर सत्ता पर कांग्रेस भाग्यवश काबिज भी हो गई. मगर इसके चलते छत्तीसगढ़ सरकार की आर्थिक हालत खस्ता हो चुकी है, अब नवंबर में धान खरीदी का आगाज होना था प्रत्येक वर्ष 1 नवंबर अथवा 15 नवंबर से धान खरीदी प्रारंभ हो जाया करती थी. मगर सरकार के संशय के कारण विपरीत स्थितियों के कारण, भूपेश सरकार ने पहली बार धान खरीदी को एक माह आगे बढ़ाते हुए 1 दिसंबर से खरीदी करने का ऐलान किया है. जिससे यह स्पष्ट हो जाता है कि सरकार की हालत कितनी पतली हो चली है.

भूपेश सरकार अब केंद्र सरकार के समक्ष अनुनय विनय  कर रही है कि प्रभु हमारी रक्षा करो…!

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मंत्री आए सामने! दिखे चिंतातुर…

धान खरीदी के मसले पर आयोजित मंत्रिमंडल की उपसमिति की बैठक में 15 नवंबर से प्रस्तावित धान खरीदी के तय समय को बदल दिया गया. अब धान खरीदी का आगाज़  1 दिसंबर से होगी. इस बार 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है.

बैठक के बाद खाद्य  मंत्री अमरजीत भगत और वन मंत्री मो. अकबर ने ने कहा कि, कांग्रेस पार्टी ने चुनाव से पहले  वादा किया था, सरकार उस वादे को पूरा करेगी. हम 2500 रुपये कीमत के साथ ही किसानों से धान खरीदेंगे. पीडीएस के लिए 25 लाख मीट्रिक टन चावल लगता है और इसके लिए 38 लाख मीट्रिक टन धान की जरूरत होती है. बाकी शेष जो धान खरीदी का लक्ष्य है उसकी खरीदी को लेकर चर्चा हुई है. केंद्र सरकार से हमने आग्रह किया है.

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हमनें केंद्र सरकार से कहा है कि हम पूरा धान खरीदना चाहते हैं, जिस तरह से पूर्व में 24 लाख मीट्रिक टन उसना चावल जमा करने की अनुमति (पूर्ववर्ती  डाक्टर रमन सिंह सरकार को)  मिली थी, उसी तरह से इस बार भी केंद्र हमें अनुमति प्रदान करे. हमें उम्मीद केंद्र सरकार अनुमति मिल जाएगी. हम अपना वादा पूरा करेंगे. खरीदी को लेकर किसी तरह से दिक्कत नहीं आएगी. छत्तीसगढ़ सरकार  के मंत्रियों ने बड़ी चतुराई से धान खरीदी कि लेट  लतीफी को, मौसम पर डाल दिया और कहा

इस बार बेमौसम बारिश से धान के पैदावारी में देरी हुई है. लिहाजा खरीदी की शुरुआती समय-सीमा को आगे बढ़ा दिया गया है. इस बार 1 दिसंबर से धान खरीदी होगी. ताकि खरीदी केंद्रों तक किसान धान लेकर व्यवस्थित रूप से पहुँच सके. खरीदी की तैयारी करने के निर्देश विभाग को दे दिए गए हैं. खरीदी और संग्रहण केंद्रों में व्यापक तैयारी रखी जाएगी. किसानों को परेशानी न हो इस बात का विशेष ध्यान रखने को कहा गया है.

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मुश्किल मे है भूपेश सरकार!

छत्तीसगढ़  सरकार ने धान खरीदी को लेकर मुश्किलों में घिरने के बाद भी किसानों को बड़ा आश्वासन  दिया है. राज्य सरकार ने कहा है कि किसी भी सूरत में राज्य सरकार किसानों के धान खऱीदने से पीछे नहीं हटेगी. खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि हर परिस्थिति में किसानों के धान खरीदी जाएगी.

कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र से अनुनय विनय करते हुए जो कहा है वह गौरतलब है -” छत्तीसगढ़ के किसान भी भारत के ही किसान हैं. लिहाज़ा केंद्र सरकार को छत्तीसगढ़ के चावल खरीदने चाहिए.” उन्होंने कहा कि “उम्मीद है कि प्रधानमंत्री छत्तीसगढ़ के किसानों को अपना किसान मानेंगे.” चौबे ने कहा कि -“जब राज्य में भाजपाई सरकार थी तब उन्होंने भी 300 रुपये बोनस दिया था.

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तब केंद्र ने चावल भी खरीदे थे.” उन्होंने कहा-”  बोनस छत्तीसगढ़ की सरकार दे रही है. लिहाज़ा उसे( केंद्र को) चावल खरीदना चाहिए.” सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि नवीन परिस्थितियों में नरेंद्र दामोदरदास मोदी की सरकार ने

बोनस देने की सूरत में छत्तीसगढ़ से चावल खरीदने से मना कर दिया है. पिछले साल सरकार ने करीब 81 लाख मीट्रिक टन चावल किसानों से खऱीदा था. जिसमें से मिलिंग के बाद 24 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्र ने अपने पूल में जमा किया था. इस बार केंद्र सरकार ने किसानों को बोनस देने की सूरत में चावल लेने से मना कर दिया है. जिसे लेकर राज्य सरकार लगातार कोशिश कर रही है.

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल तीन बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिख चुके हैं. राज्यपाल अनुसुइया उईके छत्तीसगढ़ के राजभवन में केंद्र सरकार की प्रतिनिधि है,भूपेश  सरकार ने अनुरोध कर के राज्यपाल से भी केंद्र को,भूपेश सरकार के पक्ष में धान खरीदी का पत्र लिखवा कर अपनी पीठ ठोंक ली है.

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ना खाते बन रहा ना उगलते!

हालात छत्तीसगढ़ में निरंतर विषम बनते जा रहे हैं, एक तरफ भूपेश सरकार केंद्र सरकार को आंख दिखाने से नहीं चूकती,  दूसरी तरफ भरपूर मदद भी चाहती है. परिणाम स्वरूप केंद्र की मोदी सरकार ने छत्तीसगढ़ को तवज्जो देना बंद कर दिया है. इन्हीं परिस्थितियों के कारण छत्तीसगढ़ के विकास को मानो  ब्रेक लग गया है. हालात निरंतर शोचनीय होते चले जा रहे हैं. एक डौक्टर रमन का छत्तीसगढ़ था, जहां हर विभाग में विकास तीव्र  गति से दौड़ रहा था.

रुपए पैसों की कभी कमी नहीं हुआ करती थी मगर भूपेश सरकार में जहां सड़कें गड्ढों में बदल गई हैं वही गोठान शुभारंभ और छुट्टी वाला बाबा बनकर भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ की गली कूचे में भटक कर रह गए हैं.अब धान खरीदी का ही मसला लें, भूपेश सरकार मानो एक चक्रव्यू में फंस चुकी है. धान खरीदी के मसले पर सत्ता में वापसी के बाद केंद्र सरकार की मदद नहीं मिलने से भूपेश सरकार पसीना पसीना है. केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और प्रधानमंत्री मोदी तक धान खरीदी के लिए सहयोग की कामना के साथ भूपेश बघेल सरकार सरेंडर है. मगर जिस मिट्टी के बने हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,उससे यह प्रतीत होता है कि वह छत्तीसगढ़ सरकार की कोई मदद करने के मूड में नहीं है.

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Bigg Boss 13: इस वाइल्डकार्ड एंट्री नें उडाए पंजाब की कैटरीना के होश, खोल डाली पोल

कलर्स टी.वी का सबसे बड़े रीएलिटी शो बिग बौस के सीजन 13 में अब मामला सचमुच गंभीर होता दिखाई दे रहा है. जहां एक तरफ घर में वाइल्डकार्ड एंट्रीज की एंट्री नें दर्शकों को काफी खुश कर दिया है तो वही दूसरी तरफ घर में रह रहे कंटेस्टेंट को इस बात का डर लगा हुआ है कि कब कौन उनकी असलीयत सबके सामने ले आए जो कि अभी तक सब ने सबसे छुपा के रखी हुई है.

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हिमांशी खुराना को देख शहनाज गिल के उड़े होश…

इस बात का सीधा असर हमें बीते एपिसोड में देखने को मिला जब पंजाब इंडस्ट्री की जानी मानी मौडल और एक्ट्रेस हिमांशी खुराना की घर में एंट्री हुई. हिमांशी की एंट्री होती ही पंजाब की कैटरीना कैफ कहे जाने वाली कंटेस्टेंट शहनाज गिल के तो जैसे होश ही उड़ गए. हिमांशी के आते ही शहनाज नें घर के अंदर काफी बवाल मचा दिया और तो और घर छोड़ कर जाने की बात भी कह डाली.

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शहनाज गिल से बात करने से किया साफ इंकार…

जैसे तैसे कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला और आरती सिंह के समझाने पर शहनाज गिल शांत हुई और शहनाज नें जब हिमांशी से बात करने की कोशिश की तो हिमांशी नें उनसे बात करने को साफ इंकार कर दिया और कहा कि उनकी मां नें उनहें कसम दी है कि वे शहनाज गिल से बात नहीं करेंगी. खबरों का मानें तो इन दोनों का आपस में वैर काफी समय से चल रहा है और इसका कारण है शहनाज ने हिमांशी की बौडी शेमिंग की थी तो वहीं दूसरी तरफ हिमांशी नें भी उन्हें मुंह तोड़ जवाब दिया था.

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हिमांशी खोलेंगी सारी पोल…

 

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Ab hoga asli Tedha game shuru, TUNE IN NOW! Anytime on @voot. @Vivo_India @BeingSalmanKhan #BiggBoss13 #BiggBoss #BB13 #SalmanKhan

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घर के अंदर रह रहे कंटेस्टेंट अभी तक इस बात से बेखबर हैं कि आखिर इन दोनों के बीच ऐसा क्या हुआ था जो इन दोनो नें ऐसा रिएक्ट किया. इसी के चलते बिग बौस के मेकर्स नें एक प्रोमो रिलीज किया जिसमें हिमांशी खुरानी एक एक बात सबको बताती दिखाई दे रही हैं. अब देखने वाली बात ये होगी कि जब घरवालों को इन दोनो की लड़ाई का कारण पता चलेगा तो वे सब कैसा रिएक्ट करेंगे.

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हिमांशी खुराना की शर्त…

बता दें, हिमांशी खुराना नें सबके सामने अपनी एक और शर्ट रखी है कि आगर शहनाज गिल नैशनल टेलिविजन पर उनकी मां से साफी मांग लेती हैं तो वे शहनाज से बात करने को तैयार हो सकती हैं.

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सेट पर जख्मी हुए ये बौलीवुड एक्टर, दर्द भुला कर दुबारा की शूटिंग

आठ नवंबर को प्रदर्शित हो रही नमन नितिन मुकेश प्रदर्शित फिल्म ‘‘बायपास रोड’’ में नील नितिन मुकेश ने व्हीलचेअर पर बैठे रहने वाले अपाहिज इंसान विक्रम के किरदार में नजर आने वाले हैं. इसकी शूटिंग के दौरान निर्देशक के विजन पर खरा उतरने के लिए नील नितिन मुकेश ने ऐसा जोश दिखाया कि उनके एक हाथ के अंगूंठे की हड्डी ही टूट गयी. आखिर यह माजरा क्या था.

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नील नितिन मुकेश ने कहा…

इस संबंध में जब नील नितिन मुकेश से हमने बात की, तो नील नितिन मुकेश ने कहा- ‘‘व्हीलचेअर पर बैठकर शूटिंग करना बहुत कठिन रहा. दो बार अंगूठा टूटा है. मेरा एक सिक्वेंस था, जहां मास्कमैन मेरे पीछे पड़ा है. वह मुझे चाकू से मारना चाह रहा है. मैं अपने आप को बचाने की कोशिश में व्हीलचेअर आगे घसीटते हुए ले जाता हूं. अब जब सेट पर एक माहौल ऐसा बन जाता है. एक्शन डायरेक्टर बोल देते हैं, तब हम तेज गति से जा रहे हैं. जैसे ही मैने गति पकड़ी, कैमरा ज्यादा तेज गति से भागने लगा. मुझे लगा कि यह तो ज्यादा तेज दौड़ हो गयी.

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पहिए में फंसकर टूट गया अंगूठा…

तो मैने अपने भाई व फिल्म के निर्देशक नमन से कहा- ‘प्लीज भाई साहब, इतना तेज मत दौड़. क्योंकि मैं व्हीलचेयर पर हूं. मुझे तो टायर खिसकाना पड़ेगा. ‘मगर दूसरे टेक में भी जोश में सभी में एक्शन और फिर वही जोश मुझमें भी आया. उस जोश में मैं भी तेज गति से चला. पर जैसे ही टर्निंग प्वौइंट पर मैंने व्हील चेयर घुमाया, मेरे हाथ का अंगूठा पहिए में फंसकर टूट गया, नाखून भी टूट गया.

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This halloween there will be only tricks, no treats. Unmask the killer in #BypassRoad on 8th November 2019.

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बैंडेज करके दुबारा दिया शौट…

अंगूठा काफी फ्रैक्चर हो गया था. खून बह रहा था. यह देख नमन टेंशन मेें आ गया. भागकर मेरे पास पहुंचा और पूछा कि मैं ठीक हूं. पर हम सीन से खुश नही थे. उसने कहा कि हम इस सीन को दूसरे दिन फिल्मा लेगें. मैने कहा कि नही..अभी करता हूं. पूरी टीम ने पट्टी बांधी. हड्डियां टूट गई थी. रात का समय था. किसी तरह डंडी लगाकर बैंडेज करके खून साफ किया.

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“शौट मिल गया…”

बैंडेज कर ही लिया था. अंगूठा थोड़ा ध्यान में रखकर वह शौट दिया. इस बार दर्द को भूलकर पूरा जोर लगाकर सीन किया. नमन के लिए मैंने यह शौट जोश में दिया था. नमन ने भी जोश में कहा कि भाई, शौट मिल गया.’’

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वेलेंसिया की भूल: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- वेलेंसिया की भूल: भाग 1

जब नशा उतर जाने के बाद थाने में उस से पूछताछ की गई तो पहले तो वह पुलिस अधिकारियों को गुमराह करने की कोशिश करते हुए वेलेंसिया हत्याकांड से खुद को अनभिज्ञ और बेगुनाह बताता रहा. लेकिन जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपना गुनाह स्वीकार करते हुए हत्याकांड में शामिल रहे अपने सहयोगी देवीदास गावकर का भी नाम बता दिया. शैलेश वलीप की निशानदेही पर पुलिस टीम ने देवीदास गांवकर को भी गिरफ्तार कर लिया.

इन दोनों से पूछताछ करने के बाद वेलेंसिया फर्नांडीस की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली-

30 वर्षीया वेलेंसिया फर्नांडीस दक्षिणी गोवा के मडगांव के थाना कुडतरी गांव मायना की रहने वाली थी. वह अपनी चारों बहनों में तीसरे नंबर की थी. उस के पिता जोसेफ फर्नांडीस एक सीधेसादे और सरल स्वभाव के थे. वह अपनी बेटियों में कोई भेदभाव नहीं रखते थे.

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वेलेंसिया फर्नांडीस की दोनों बड़ी बहनों की शादी हो चुकी थी. वे अपने परिवार के साथ अपनी ससुराल में खुश थीं. वेलेंसिया अपनी छोटी बहन जूलिया फर्नांडीस के साथ रहती थी. उस की सारी जिम्मेदारी वेलेंसिया पर थी. वेलेंसिया ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद जब नौकरी की कोशिश की तो उसे बिना किसी परेशानी के गोवा मडगांव के एक जानेमाने बड़े मैडिकल शौप में सेल्सगर्ल की नौकरी मिल गई.

वेलेंसिया देखने में जितनी सुंदर थी, उतनी ही वह महत्त्वाकांक्षी भी थी. जिस मैडिकल शौप में वह काम करती थी, वहां रीमा वलीप नाम की लड़की भी काम करती थी. वह वेलेंसिया की अच्छी दोस्त बन गई थी.

रीमा वलीप अपने बड़े भाई शैलेश वलीप के साथ गोवा के मडगांव के संगम तालुका में रहती थी. परिवार के नाम पर वह सिर्फ बहनभाई ही थे. रीमा का भाई शैलेश वलीप भी उसी शौप में सिक्योरिटी गार्ड था. लेकिन वह आपराधिक प्रवृत्ति का था.

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यह बात जब शौप मालिक को पता चली तो उस ने शैलेश को नौकरी से निकाल दिया. इस के बाद वह घर पर ही रहने लगा. उस का सारा खर्च रीमा पर ही था. वह बहन से पैसे लेता और सारा दिन अपने आवारा दोस्तों के साथ इधरउधर मटरगश्ती करता था. कभीकभी वह बहन रीमा से मिलने मैडिकल शौप पर भी जाता था.

शैलेश वलीप ने बहन के माध्यम से दोस्ती की थी वेलेंसिया से

वहीं पर उस की मुलाकात वेलेंसिया फर्नांडीस से हुई थी. पहली ही नजर में वह उस पर फिदा हो गया था. चूंकि उस की बहन रीमा वलीप की दोस्ती वेलेंसिया से थी, इसलिए उसे वेलेंसिया के करीब आने में अधिक समय नहीं लगा.

अब वह जब भी अपनी बहन से मिलने मैडिकल स्टोर आता तो वेलेंसिया से भी मीठीमीठी बातें कर लिया करता था. सहेली का भाई होने के नाते वह शैलेश से बात कर लेती थी.

कुछ ही दिनों में शैलेश वेलेंसिया के दिल में अपनी एक खास जगह बनाने में कामयाब हो गया था. वेलेंसिया जब उस के करीब आई तो शैलेश की तो जैसे लौटरी लग गई थी. क्योंकि वेलेंसिया के पैसों पर शैलेश मौज करने लगा था. इस के अलावा जब भी उसे पैसों की जरूरत पड़ती तो वह उधार के बहाने उस से मांग लिया करता था.

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वेलेंसिया उस के भुलावे में आ जाती थी और उसे पैसे दे दिया करती थी. इस तरह वह वेलेंसिया से लगभग एक लाख रुपए ले चुका था. वेलेंसिया उसे अपना जीवनसाथी बनाने का सपना सजा रही थी, इसलिए वह शैलेश को दिए गए पैसे नहीं मांगती थी.

अगर वेलेंसिया के सामने शैलेश की हकीकत नहीं आती तो पता नहीं वह वेलेंसिया के पैसों पर कब तक ऐश करता रहता. सच्चाई जान कर वेलेंसिया का अस्तित्व हिल गया था. वह जिस शख्स को अपना जीवनसाथी बनाने का ख्वाब देख रही थी, स्थानीय थाने में उस के खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे.

यह जानकारी मिलने के बाद वेलेंसिया को अपनी गलती पर पछतावा होने लगा. उसे शैलेश से नफरत होने लगी और वह उस से दूरियां बनाने लगी.

इसी बीच नवंबर, 2018 में एक दिन वेलेंसिया का रिश्ता कहीं और तय हो गया. शादी की तारीख सितंबर 2019 तय हो गई. शादी तय हो जाने के बाद वेलेंसिया ने शैलेश वलीप से अपनी दोस्ती खत्म कर दी और उस से अपने पैसों की मांग करने लगी.

एक कहावत है कि चोट खाया सांप और धोखा खाया प्रेमी दोनों खतरनाक होते हैं. वेलेंसिया को अपने से दूर जाते हुए देख शैलेश वलीप का खून खौल उठा. एक तो वेलेंसिया ने उसे उस के प्यार से वंचित कर दिया था, दूसरे वह उस से उधार दिए पैसे की मांग कर रही थी.

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पैसे लौटाने में वह सक्षम नहीं था. इसलिए आजकल कर के वह वेलेंसिया को टाल देता था. शैलेश अब वेलेंसिया से निजात पाने का उपाय खोजने लगा. इसी दौरान योजना बनाने के बाद उस योजना को अमलीजामा पहनाने का सही मौका मिला 6 जून, 2019 को.

6 जून को जब उसे यह जानकारी मिली कि वेलेंसिया आज अपनी ड्यूटी के बाद मौल से शौपिंग करेगी. इस के लिए उस ने एटीएम से पैसे भी निकाल लिए हैं. इस के बाद शैलेश का दिमाग तेजी से काम करने लगा.

अपनी योजना को साकार करने के लिए शैलेश अपने दोस्त देवीदास गावकर के पास गया और उस से यह कह कर उस की स्कूटी मांग लाया कि उसे एक जरूरी काम से गोवा सिटी जाना है. स्कूटी की डिक्की में उस ने वेलेंसिया की मौत का सारा सामान, नायलौन की रस्सी और प्लास्टिक की एक बड़ी थैली रख ली थी.

स्कूटी से वह वेलेंसिया के मैडिकल शौप के सामने पहुंच कर उस का इंतजार करने लगा. उस ने वहीं से वेलेंसिया को फोन मिलाया तो न चाहते हुए भी उस ने शैलेश की काल रिसीव कर ली. शाम 8 बजे वेलेंसिया अपनी ड्यूटी पूरी कर शौप से बाहर निकली तो वह स्कूटी ले कर उस के पास पहुंच गया और उस का पैसा लौटाने के बहाने उसे अपनी स्कूटी पर बैठा लिया.

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दोस्त की मदद से लगाया ठिकाने

पैसे मिलने की खुशी में वेलेंसिया अपने जन्मदिन की शौपिंग करना भूल गई. अपनी स्कूटी पर बैठा कर वह उसे एक सुनसान जगह पर ले गया. रास्ते में उस ने वेलेंसिया को जूस में नींद की गोलियों का पाउडर डाल कर पिला दिया, जिस के कारण वेलेंसिया जल्द ही बेहोशी की हालत में आ गई थी.

वेलेंसिया के बेहोश होने के बाद शैलेश ने उस के हाथपैर अपने साथ लाई नायलौन की रस्सी से कस कर बांध दिए और उस के गले में उस का ही दुपट्टा डालकर उसे मौत की नींद सुला दिया.

वेलेंसिया को मौत के घाट उतारने के बाद शैलेश वलीप ने उस के पर्स में रखे रुपए निकाल कर उस का मोबाइल फोन कुछ दूर जा कर झाडि़यों में फेंक दिया था.

शैलेश वलीप अपनी योजना में कामयाब तो हो गया था लेकिन अब उस के सामने सब से बड़ी समस्या थी, शव को ठिकाने लगाने की. शव गांव के करीब पड़ा होने के कारण उस के पकड़े जाने की संभावना ज्यादा थी और बिना किसी की मदद के अकेले उसे ठिकाने लगाना उस के लिए संभव नहीं था.

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ऐसे में उसे अपने दोस्त देवीदास गावकर की याद आई. वह तुरंत गांव वापस गया. देवीदास को पूरी बात बताते हुए जब उस ने शव ठिकाने लगाने में उससे मदद मांगी तो देवीदास गावकर के चेहरे का रंग उड़ गया. पहले तो देवीदास इस के लिए तैयार नहीं हुआ, लेकिन जब शैलेश ने उसे 2 हजार रुपए शराब पीने के लिए दिए तो वह फौरन तैयार हो गया.

उस ने अपने घर से एक सफेद चादर ली और घटनास्थल पर पहुंच कर वेलेंसिया का चेहरा बिगाड़ कर उस के शव को पौलीथिन में डाला. फिर वह थैली चादर में लपेट ली और उसे स्कूटी पर रख कर घटनास्थल से करीब 10 किलोमीटर दूर ले जा कर केपे पुलिस थाने की सीमा में फातिमा हाईस्कूल के जंगलों में डाल दिया.

शैलेश वलीप और देवीदास गावकर से पूछताछ कर उन के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें मडगांव कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

-कथा के कुछ नाम काल्पनिक हैं

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

एक था पहलू खान

14 अगस्त, 2019 को अदालत का फैसला आया, जिस में सभी आरोपी बरी हो गए.

मतलब साफ है कि सिस्टम ठीक से पैरवी नहीं करता और अदालतें इंसाफ नहीं करती हैं. यह सिर्फ एक मामला नहीं है, बल्कि देश में खुली आजादी के लाखों फैसले ऐसे आए हैं जिन की बदौलत सिस्टम के प्रति नागरिकों में नफरत पैदा हुई है. देश की व्यवस्था से विश्वास डगमगाया है और अलगाववादी सोच पनपी है.

इस देश का सिस्टम और अदालतें बगावत के बीज बोती हैं. अराजकता की बुनियाद ही देश का सिस्टम है. ऐसे फैसलों के चलते ही देश आतंकवाद का शिकार है.

जोधपुर की सैशन कोर्ट ने काले हिरण के शिकार के मामले में फंसे सलमान खान को ले कर भी इसी तरह का फैसला दिया था और देशभर में अदालत के फैसले को ले कर मजाक का माहौल बना था.

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ये मामले देखने और सुनने में तो सरसरीतौर पर मजाक लगते हैं, मगर इंसाफ की उम्मीदों को अंदर तक नोच डालते हैं. सत्ता, सिस्टम व अदालतों को नागरिकों के खिलाफ खड़ा कर देते हैं.

पहलू खान पर आए फैसले को हिंदूमुसलिम नजरिए से मत देखिए. भारत का एक नागरिक सड़क पर मारा गया. वीडियो के जरीए सब ने देखा भी. काश, पुलिस और अदालत उस वीडियो को देख कर अनजान न बनतीं.

अगर एक नागरिक की मौत पर यही इंसाफ है तो यह मान लेना चाहिए कि आंखों पर पट्टी बांधे हाथ में इंसाफ का तराजू ले कर खड़ी इंसाफ की देवी ही आतंकवाद, नक्सलवाद, अलगाववाद, देशद्रोह और गद्दारी की सरगना है.

हमें यह मानने में बिलकुल गुरेज नहीं करना चाहिए कि पहलू खान की मौत सिर्फ एक इनसान की मौत नहीं, बल्कि इस देश के सिस्टम, सत्ता, सियासत और अदालत को बेमौत मार गई.

‘एक था पहलू खान’ नाम से फिल्में बनेंगी. देश में नए सिरे से चर्चाओं का दौर चलेगा और एक मरा हुआ इनसान इस देश की व्यवस्था को नंगा करेगा, जिस से लोगों का इंसाफ के तराजू से भरोसा उठेगा.

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पहलू खान की हत्या

पहलू खान की हत्या के मामले में अलवर जिला अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. अदालत ने मामले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया है.

बता दें कि साल 2017 में इस भीड़ ने गौतस्करी के शक में पहलू खान की पीटपीट कर हत्या कर दी थी. कोर्ट ने इस मामले में सभी आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है.

1 अप्रैल, 2017 को हरियाणा के मेवात जिले के बाशिंदे पहलू खान जयपुर से 2 गाय खरीद कर अपने घर ले जा रहे थे. शाम के तकरीबन 7 बजे बहरोड़ पुलिया से आगे निकलने पर भीड़ ने उन की पिकअप गाड़ी को रुकवा कर पहलू खान और उस के बेटों के साथ मारपीट की थी. इलाज के दौरान पहलू खान की अस्पताल में मौत हो गई थी.

पहलू खान की हत्या के मामले में 8 आरोपी पकड़े गए थे, जिन में 2 नाबालिग थे. अलवर कोर्ट में 6 आरोपियों पर फैसला सुनाया गया, 2 नाबालिग आरोपियों की सुनवाई जुवैनाइल कोर्ट में हो रही है.

होगी एसआईटी जांच

राजस्थान सरकार ने पहलू खान की पीटपीट कर हत्या किए जाने के मामले की जांच एसआईटी से कराने का फैसला लिया है.

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सरकार ने यह फैसला तब लिया, जब कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अलवर की निचली अदालत के फैसले को चौंकाने वाला बताया. कांग्रेस सरकार मामले की जांच फिर से कराने के लिए एसआईटी गठित करेगी.

लिंचिंग संरक्षण विधेयक

राज्य विधानसभा में 30 जुलाई को राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक 2019 और प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा के लिए लाया गया विधेयक पास हो गया.

प्रेमी जोड़ों की सुरक्षा के लिए लाए गए विधेयक को ‘राजस्थान सम्मान और परंपरा के नाम पर वैवाहिक संबंधों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रतिषेध विधेयक 2019’ का नाम दिया गया है. 30 जुलाई को इन दोनों विधेयकों को सदन में पेश किया गया था.

इन दोनों विधेयकों के कानून का रूप लेने के बाद राज्य सरकार जहां एक ओर प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा दे सकेगी, वहीं दूसरी ओर लिंचिंग से जुड़े अपराधों की रोकथाम के लिए भी सख्त कदम उठा सकेगी.

क्या है मौब लिंचिंग

नए विधेयक में धर्म, जाति, भाषा, राजनीतिक विचारधारा, समुदाय और जन्मस्थान के नाम पर भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को मौब लिंचिंग माना है. इस में 2 या 2 से ज्यादा लोगों को मौब की परिभाषा में शामिल किया गया है.

लिंचिंग की घटना में पीडि़त की मौत हो जाने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास के साथ 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाने का प्रावधान है, वहीं गंभीर रूप से घायल होने पर कुसूरवारों पर 10 साल का कठोर कारावास और 3 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है. मारपीट पर 7 साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है.

अगर कोई शख्स इलैक्ट्रौनिक माध्यम से समाज में नफरत बढ़ाने वाले संदेश भेजता है, तो ऐसे मामले में भी 5 साल तक का कारावास भुगतना पड़ेगा और एक लाख रुपए का जुर्माना भी देना होगा.

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इंस्पैक्टर रैंक का अफसर ही लिंचिंग से जुड़े मामलों की जांच करेगा. प्रदेश में आईजी रैंक व जिलों में डीएसपी रैंक का अफसर ही इस की मौनिटरिंग करेगा. तुरंत सुनवाई के लिए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की सलाह पर स्पैशल जज नियुक्त कर सकेंगे. सैशन लैवल के जज ही ऐसे मामलों की सुनवाई कर सकेंगे.

इस बिल में प्रावधान किया गया है कि पीडि़त को राजस्थान विक्टिम कंपनसैशन स्कीम के तहत मदद दी जाएगी और दोषियों से जो जुर्माना वसूला जाएगा, उसे पीडि़त को दिया जाएगा.

औनर किलिंग

जाति, समुदाय और परिवार के नाम पर वैवाहिक या प्रेमी जोड़े में से किसी को भी जान से मारने पर आरोपियों को फांसी या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकेगी. ऐसे मामले गैरजमानती होंगे.

5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगेगा.

वैवाहिक जोड़े पर प्राणघातक हमला करने वालों को 10 साल से ले कर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान है. अगर हमला प्राणघातक

नहीं है, तब भी आरोपियों की 3 साल से 5 साल तक की कठोर सजा का प्रावधान है, जो साजिश में शामिल होगा, उस के लिए भी सजा के यही प्रावधान होंगे.

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शादी से रोके जाने पर पीडि़त जोड़े एसडीएम और डीएम के यहां अपील कर सकेंगे. इस में एसडीएम और मजिस्ट्रेट संबंधित लोगों को पाबंद कर सकेंगे. जो भी मामले दर्ज होंगे, उन का ट्रायल सैशन कोर्ट में होगा.

अनुष्का का गुस्सा जायज है! खिलाड़ियों के बेडरूम तक सीमित हो चुकी है खेल पत्रकारिता

“मनगढ़ंत और फर्जी खबरो-किस्सों से कैसे निपटा जाए, इस बारे में मेरी हमेशा यही राय रही कि आप चुप रहें और आलोचकों को बोलने दें. इस बात में विश्वास रखते हुए ही मैंने अपने करियर के 11 साल पूरे किए हैं. मैंने हमेशा अपनी चुप्पी की परछाई में अपने आत्मसम्मान और सत्य को मजबूती से खड़े पाया”.

“लेकिन वो कहावत है ना कि बार-बार एक झूठ को दोहराया जाए तो वो सच लगने लगता है, मेरे साथ वही हो रहा है. मेरी चुप्पी की वजह से मेरे खिलाफ बोए गए झूठ सच लगने लगे हैं लेकिन आज इसका अंत होगा. मैं उस वक़्त चुप रही जब कहा गया कि मेरी वजह से मेरे पति विराट कोहली का प्रदर्शन बिगड़ा. मैं उस बेबुनियाद के आरोप पर भी चुप रही जब कहा गया कि मैं भारतीय क्रिकेट से जुड़ी चीज़ों में शामिल हूं.”

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“मेरा नाम उन मनगढ़ंत किस्सों में भी शामिल किया गया जिनमें कहा गया कि मैं बंद कमरों में होने वाली क्रिकेट टीम की बैठकों में शामिल होती हूं और टीम की सलेक्शन प्रक्रिया को प्रभावित करती रही हूं. मैं चुप रही. मेरे नाम को गलत तरीके से उन दावों में भी इस्तेमाल किया गया जिनके अनुसार इंडियन टीम के विदेशी दौरे पर मैं अपने पति के साथ तय वक्त से ज्यादा समय के लिए रुकी. जबकि मैंने हमेशा सारे प्रोटोकॉल फॉलो किये. लोग कहते रहे, पर मैं चुप रही.”

“जब मुझसे एक हाई कमिश्नर की पत्नी ने ग्रुप फ़ोटो में आने की गुज़ारिश की और बड़े संकोच के साथ मैं उस तस्वीर के लिए तैयार हुई, तो भी बवाल खड़ा किया गया और कहा गया कि मैं उस इवेंट में ज़बरन शामिल हुई थी, जबकि मुझे आमंत्रित किया गया था. लेकिन क्रिकेट बोर्ड को इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा और मैं चुप रही. इस कड़ी में जो सबसे नया झूठ फ़ैलाया जा रहा है वो ये है कि वर्ल्ड कप मुक़ाबलों के दौरान क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं ने मुझे चाय परोसी थी!”

“अगर आपको चयनकर्ताओं और उनकी योग्यता पर ही कोई टिप्पणी करनी है तो शौक से करें, पर अपने फ़र्ज़ी दावों में दम भरने के लिए और सनसनी पैदा करने के लिए मेरे नाम का इस्तेमाल ना करें. मैं ये नहीं होने दूंगी कि आप ऐसी घटिया कहानियों में मेरे नाम को घसीटें. ऐसा नहीं है कि इस अंतिम ‘ख़बर’ से ही मुझे सबसे अधिक तकलीफ़ हुई है और मैंने चुप्पी तोड़ी. हर बार मुझे उतना ही ख़राब लगता है, गुस्सा आता है.”

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“इसलिए मेरी इस चिट्ठी को उस एक कथित ख़बर का जवाब ना समझा जाए. मैंने आज बोलने का फ़ैसला किया क्योंकि मुझे लगा कि किसी के चुप रहने को उसकी कमज़ोरी ना समझ लिया जाए. आपको अपना एजेंडा चलाना है, किसी की आलोचना करनी है, भले ही मेरे पति की आलोचना क्यों ना करनी हो, वो आप तथ्यों और सबूतों के साथ करें. पर मेरे नाम को बख़्श दें.”

“मैंने सारी गरिमाओं का ध्यान रखते हुए अपने दम पर अपना करियर बनाया है. मैं इसे लेकर कोई समझौता नहीं कर सकती. कुछ लोगों को शायद ये बात हज़म नहीं होती होगी कि मैं अपनी मेहनत के दम पर सफ़ल होने वाली स्वतंत्र महिला हूँ जो एक क्रिकेटर की बीवी भी है….और रिकॉर्ड के लिए, मैं (चाय नहीं) कॉफी पीती हूँ.”

ये बात अनुष्का शर्मा ने कही. अनुष्का शर्मा ने केवल फारूक इंजीनियर को ही जवाब नहीं दिया बल्कि खिलाड़ियों के बेडरूम की बातें लिखकर फेमस होने वाले लोगों के ऊपर एक करारा तमाचा  है. हमेशा से ही मै इस बात का तरफदार रहा हूं कि खेल पत्रकारिता का स्तर ऐसा नहीं होना चाहिए जैसा कि हो रहा है. पहले खेल की बारीकियों, पर खिलाड़ियों के आंकड़ों और उनके प्रदर्शन पर चर्चाएं होती थी  लेकिन अब इन सब के अलावा सब पर चर्चा हो रही है. रोहित शर्मा की पत्नी ने अनुष्का की तरफ क्यों नहीं देखा. विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा प्रेग्नेंट है कि नहीं. विराट कोहली अनुष्का को क्या गिफ्ट दे रहे हैं. दिनेक कार्तिक की पत्नी और मुरली विजय के बीच क्या चर रहा है.

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बार-बार ऐसी चीजों से खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है. तभी हम देखते हैं कि किसी भी टूर्नामेंट के पहले खिलाड़ी मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं. क्योंकि उनको पता होता है कि कुछ न कुछ उनको ऐसा दिख जाएगा जिसकी वजह से उनके खेल पर इफेक्ट हो जाएगा. अनुष्का को लेकर काफी मीम्स बनें और विराट कोहली के प्रदर्शन पर जब भी बात होती है तो उसमें बेवजह अनुष्का को घसीट लिया जाता है.

फारूक इंजीनियर के बयान से साफ था कि उनके निशाने पर सेलेक्टर्स थे लेकिन उन्होंने इसके लिए अनुष्का का सहारा लिया. अनुष्का ने भी इस बात का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि अगर आप को सेलेक्टर्स को कुछ कहना है कि आप मेरा सहारा मत लीजिए.

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लाजवंती: भाग 1

लेखक- रतनलाल शर्मा ‘मेनारिया’

नींद में ही बड़बड़ाते हुए राधेश्याम ने फोन उठाया और कहा, ‘‘कौन बोल रहा है?’’

उधर से रोने की आवाज आने लगी. बहुत दर्दभरी व धीमी आवाज में कहा, ‘पापा, मैं लाजो बोल रही हूं… उदयपुर से.’

राधेश्याम घबराता हुआ बोला, ‘‘बेटी लाजो क्या हुआ? तुम्हारी तबीयत तो ठीक है न? तुम इतना धीरेधीरे क्यों बोल रही हो? सब ठीक है न?’’

लाजवंती ने रोते हुए कहा, ‘पापा, कुछ भी ठीक नहीं है. आप जल्दी से मु झे लेने आ जाओ. अगर आप नहीं आए, तो मैं मर जाऊंगी.’

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राधेश्याम घबरा कर बोला, ‘‘बेटी लाजो, ऐसी बात क्यों कह रही है? दामाद ने कुछ कहा क्या?’’

लाजवंती बोली, ‘पापा, आप जल्दी आ जाना. अब मैं यहां रहना नहीं चाहती. मैं रेलवे स्टेशन पर आप का इंतजार करूंगी.’

फोन कट गया. दोनों पतिपत्नी बहुत परेशान हो गए.

तुलसी ने रोते हुए कहा, ‘‘मैं आप को हमेशा से कहती रही हूं कि एक बार लाजो से मिल कर आ जाते हैं, लेकिन आप को फुरसत कहां है.’’

राधेश्याम ने कहा, ‘‘मु झे लगता है, दामाद ने ही लाजो को बहुत परेशान किया होगा.’’

तुलसी ने रोते हुए कहा, ‘‘अब मैं कुछ सुनना नहीं चाहती हूं. आप जल्दी उदयपुर जा कर बेटी को ले आओ. न जाने वह किस हाल में होगी.’’

‘‘अरे लाजो की मां, अब रोना बंद कर. वह मेरी भी तो बेटी है. जितना दुख तु झे हो रहा है, उतना ही दुख मु झे भी है. तुम औरतें दुनिया के सामने अपना दुख दिखा देती हो, हम मर्द दुख को मन में दबा देते हैं, दुनिया के सामने नहीं कर रख पाते हैं.’’

राधेश्याम उसी समय उदयपुर के लिए रेल से निकल गया. उस के मन में बुरे विचार आने लगे थे. वह पुरानी यादों में खो गया.

लाजवंती राधेश्याम और तुलसी की एकलौती संतान थी. दोनों पतिपत्नी लाजवंती को प्यार से लाजो कह कर पुकारते थे. उन्होंने उस की हर ख्वाहिश पूरी की थी.

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लाजवंती की उम्र शादी के लायक हो चुकी थी, इसीलिए राधेश्याम को थोड़ी चिंता हुई. वह दौड़भाग कर लाजवंती के लिए अच्छा वर तलाश करने लगा, पर जहां वर अच्छा मिलता और वहां खानदान अच्छा नहीं मिलता. जहां खानदान अच्छा मिलता, वहां वर अच्छा नहीं मिलता.

बहुत दौड़भाग के बाद राधेश्याम ने चित्तौड़गढ़ शहर में लाजवंती का रिश्ता तय कर दिया.

लाजवंती का ससुर भूरालाल वन विभाग से कुछ महीने पहले रिटायर हुआ था. उस के 2 बेटे थे. बड़ा बेटा मनोज चित्तौड़गढ़ में ही बैंक में कैशियर के पद पर काम करता था, जबकि छोटा बेटा दीपक उदयपुर में एक प्राइवेट कंपनी में काम करता था. उसी से लाजवंती का रिश्ता तय हुआ था.

भूरालाल की पत्नी की मौत हो चुकी थी. वह दीपक की कुछ गलत आदतों से चिंतित था. जब लाजवंती जैसी होनहार व पढ़ीलिखी लड़की के साथ शादी

हो जाएगी तो दीपक सभी बुरी आदतों को भूल जाएगा, इसलिए भूरालाल चिंता से कुछ मुक्त हुआ.

राधेश्याम ने धूमधाम से लाजवंती की शादी की. दहेज भी खूब दिया. विदाई के बाद वे दोनों घर में अकेले रह गए.

जब लाजवंती पहली बार ससुराल आई तो उसे ससुराल में जितना प्यार मिलना चाहिए था, नहीं मिला. वह मायूस हो गई. लाजवंती की जेठानी का बरताव उस के प्रति अच्छा नहीं था, न ही उस के पति का बरताव अच्छा था.

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शादी होते ही दीपक उदयपुर में नौकरी पर चला गया. वह लाजवंती को साथ में नहीं ले गया था.

जब लाजवंती दोबारा ससुराल आई, तो ससुर भूरालाल का विचार था कि बहू दीपक के साथ रहे, लेकिन दीपक उसे अपने साथ नहीं रखना चाहता था.

जब भूरालाल ने दीपक को सम झाया व उस को भलाबुरा कहा, तब जा कर मजबूरी में वह लाजवंती को अपने साथ ले गया.

उदयपुर में वे किराए के मकान में रहने लगे. दीपक की सब से बुरी आदत थी जुआ खेलना व शराब पीना, जिस से वह घर पर हमेशा देर रात तक पहुंचता था. इस बात से लाजवंती बहुत परेशान थी. दीपक की तनख्वाह भी जुए व शराब में खर्च होने लगी थी, इसलिए महीने के अंत में कुछ नहीं बच पाता था.

एक दिन ससुर भूरालाल अचानक उदयपुर दीपक के घर पहुंच गया. उस समय लाजवंती पेट से थी.

बहू लाजवंती की ऐसी दयनीय हालत देख कर भूरालाल ने रोते हुए कहा, ‘बेटी, मैं तेरा गुनाहगार हूं. मेरी वजह से तेरी यह हालत हुई है. मु झे माफ कर देना.’

लाजवंती ने अपने ससुर को सम झाते हुए कहा, ‘इस में आप का कोई कुसूर नहीं है, आप मत रोइए. मैं आप के बेटे को सुधार नहीं सकी. मैं ने पूरी कोशिश की, लेकिन नाकाम रही.’

भूरालाल बेमन से चित्तौड़गढ़ लौट गया. लाजवंती की ऐसी हालत देख वह दुखी था. इसी गहरी चिंता की वजह से एक दिन भूरालाल को अचानक हार्टअटैक आ गया और उस की मौत हो गई.पर भूरालाल की मौत से दीपक की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया.

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समय पंख लगा कर उड़ने लगा. लाजवंती के एक बेटा हो गया, जो अब 5 साल का हो गया था. लाजवंती सिलाई कर के अपना घरखर्च चला रही थी.

कुछ महीने बाद दीपक की नौकरी छूट गई, क्योंकि वह हमेशा शराब पी कर औफिस जाने लगा था, इसलिए कंपनी वालों ने उसे नौकरी से निकाल दिया. उस को घर बैठे एक महीना बीत गया.

एक दिन दीपक ने लाजवंती के सोने के कंगन चुरा कर बाजार में बेच दिए. जब लाजवंती को पता चला तो दोनों के बीच लड़ाई झगड़ा हुआ. उस ने लाजवंती को मारापीटा.

एक दिन दीपक घर देरी से पहुंचा. उस समय लाजवंती दीपक के आने का इंतजार कर रही थी. दीपक ने बहुत ज्यादा शराब पी रखी थी. आज वह जुए में 10,000 रुपए हार गया था. आज उस का लाजवंती से कुछ और चीज छीनने का इरादा था.

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जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

Bigg Boss 13: एक्स गर्लफ्रेंड शेफाली को देख सिद्धार्थ ने दिया ऐसा रिएक्शन, कह डाली ये बात

टेलीविजन इंडस्ट्री का सबसे ज्यादा टी.आर.पी गेन करने वाला कलर्स टी.वी का रीएलिटी शो बिग बौस के सीजन 13 में अब मामला गंभीर होता दिखाई दे रहा है. बिग बौस में रह रहे घरवालों को एक के बाद एक झटकों का सामना करना पड़ रहा है. बीते वीकेड के वौर में घर के अंगर 6 सदस्यों की वाइल्डकार्ड एंट्री हुई जिसमें से एक थीं शेफाली जरीवाला जो कि कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला की एक्स गर्लफ्रेंड रह चुकी हैं.

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शेफाली जरीवाला की बिग बौस के घर में एंट्री…

दर्शकों के मन में सिर्फ एक ही बात चल रही थी कि शेफाली जरीवाला को देख सिद्धार्थ शुक्ला का किस तरह का रिएक्शन होगा. खबरों के अनुसार शेफाली नें अपनी शादी से पहले सिद्धार्थ शुक्ला के साथ अपने सारे संबंधों को खत्म कर दिया था.

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सिद्धार्थ नें की शेफाली जरीवाला की जमकर तारीफ…

शेफाली जरीवाला नें जैसे ही मेन गेट से घर के अंदर एंट्री ली और कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला से मीलीं तो सिद्धार्थ ने ऐसा रिएक्शन दिया जिसका किसी को कोई अंदाजा भी नहीं होगा. उन्होनें शेफाली जरीवाला को देखते ही उनकी तारीफ करना शुरू कर दिया और वो कहा जो हर लड़की सुनने को बेताब रहती है और सुनते ही काफी खुश हो जाती है. सिद्धार्थ शुक्ला नें शेफाली जरीवाला की तारीफ करते हुए कहा कि, ‘तुम पहले से ज्यादा पतली हो गई हो’.

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शेफाली जरीवाला और सिद्धार्थ शुक्ला कर चुके हैं मूव औन…

सिद्धार्थ शुक्ला के कोम्पलीमेंट से शेफाली जरीवाला काफी खुश नजर आईं और बदले में उन्होनें सिद्धार्थ को थैंक्स बोला. इसके बाद शेफाली घर के हर कंटेस्टेट से मिलीं और सबको हाल चाल पूछा. इस दौरान जब उन्होनें सिद्धार्थ से उनके बारे में पूछा को उन दोनों के बीच काफी अच्छी बातचीत हुई और दोनों को देख ऐसा लग रहा था कि दोनों नें सारी पुरानी बातों को छोड़कर अपनी अपनी लाइफ में मूव औन कर लिया है.

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आरती सिंह बनीं घर की पहली कैप्टन…

बता दें, बीते वीकेंड को वौर में कंटेस्टेंट आरती सिंह को घर की कैप्टन बनाया गया और उन्हें एक आलीशान कमरा दिया गया जो वाकई काफी खूबसूरत था. अब देखने वाली बात ये होगी की ये वाइल्डकार्ड एंट्रीड से घर के माहौल में क्या उतार चड़ाव दर्शकों को देखने को मिलेंगे.

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इस भोजपुरी एक्ट्रेस के साथ रोमांस करते नजर आए सुनील जागेटिया, फोटोज वायरल

‘‘सारा फिल्म्स एंड एंटरटेमेंट हाउस’’ के बैनर तले एक साथ बनने वाली तीन फिल्मों के निर्माता सुनील जागेटिया की कुछ फोटो इन दिनों सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रही हैं. इन वायरल तस्वीरों में उनके साथ भोजपुरी की खूबसूरत अभिनेत्री संगीता तिवारी भी हैं, जिसके बाद फिल्म इंडस्ट्री में चर्चाओं का माहौल गर्म है.

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इन वायरल तस्वीरों में संगीता तिवारी और सुनील जागेटिया का अंदाज बेहद रोमांटिक है. यही वजह है उनकी तस्वीरें तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रही है. संगीता तिवारी तो भोजपुरी में कई फिल्मे कर चुकी पर सुनील जागेटिया की यह पहली तस्वीर है जो दर्शक बहुत पसंद कर रहे हैं.

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वास्तव में सुनील जागेटिया तीनों फिल्मों के निर्माण के साथ इन फिल्मों में अभिनय करते भी नजर आयेंगे. यही वजह है कि वायरल फोटो उनकी एक फिल्म के सेट पर खींची गयी है. सुनील जागेटिया अपनी फिल्मों के गाने की शूटिंग इन दिनों भीलवाड़ा, चित्तौरगढ़, मेनाल, मांडलगढ़ फोर्ट कर रहे हैं.

सुनील जगोटिया कहते हैं- ‘‘बचपन से ही अभिनय के प्रति मेरा रूझान रहा है. यही वजह है कि मैं इन तीनों फिल्म में अभिनय करते हुए नजर आने वाला हूं. फिल्म में मेरे किरदार भी बेहद खास हैं. एक फिल्म में मेरे अपोजिट संगीता तिवारी हैं. संगीता बेहद मेहनती और प्रतिभाशाली कलाकार है. उनके साथ मेरी केमेस्ट्री खूब भा रही है.’’

ज्ञातब्य है कि फिल्म ‘ओम जय जगदीश’, ‘बड़े मिया व छोटे मियां’ और ‘गुमराह’ इन तीनों फिल्मों में सुनील जागेटिया, संगीता तिवारी के अलावा रवि किशन, राजू सिंह माही, सोनालिका प्रसाद, प्रीती ध्यानी, अमित शुक्ला, सूर्या दुबे, अजय सूर्यवंशी, महेश आचार्य, अशोक गुप्ता, बबलू खान और जे.पी. सिंह भी मुख्य भूमिका में नजर आएंगे.

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फिल्म में संगीत अविनाश झा घुंघरू,ओम झा और अनुज का है. एक्शन दिनेश यादव और श्रवण कुमार, कैमरामैन माहि शेरला, कोरियोग्राफी ज्ञान जी, संजय कोर्वे और प्रसून यादव, प्रोडक्शन कंट्रोलर महेश उपाध्याय और फिल्म के लेखक एस. इंद्रजीत कुमार और ए.बी.मोहन हैं.

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