छोटा मर्दाना अंग, चिंता की कोई बात नहीं

ऐसे तमाम लोग हैं, जो अपने अंग के आकार को ले कर तहतरह की चिंताएं और डर मन में पाले रहते हैं. कुछ लोग तो अपने अंग के आकार को ले कर हीनभावना का शिकार हो जाते हैं. यही वजह है कि लोगों द्वारा मन के समाधान के लिए सैक्सोलौजिस्ट से सब से ज्यादा पूछा जाने वाला यह सामान्य सवाल है. कभीकभी तो पिता अपने लिए ही  नही, अपने बेटे के लिए भी डाक्टर से पूछता है.

अपने अंग के आकार को ले कर चिंतित ज्यादातर लोग सैक्सोलौजिस्ट से किसी दूसरी समस्या के बहाने से मिलना पसंद करते हैं. इस बारे में चिंता करने वाले ज्यादातर लोग 20 से 40 साल की उम्र के बीच के होते हैं. छोटे अंग को ले कर चिंता होना तो वाजिब है, पर यह कोई समस्या नहीं है.

ये भी पढ़ें- जानें कैसे करें सेक्स को एंजॉय

सामान्य व असामान्य आकार

जिस तरह हर आदमी की नाक, आंखें और सिर का आकार अलग अलग होता है, उसी तरह हर आदमी के अंग की लंबाई, मोटाई और तनाव के समय उस का आकार अलग अलग होता है. किसी भी आदमी के आत्मविश्वास के लिए अंग का आकार बहुत अहमियत रखता है. ज्यादातर मर्द अपने अंग के छोटे आकार को ले कर चिंतित रहते हैं.

तकरीबन 45 फीसदी मर्द चाहते हैं कि उन का अंग बड़ा हो, जबकि एक सर्वे से पता चला है कि मर्दों से संबंध बनाने वाली 85 फीसदी औरतें अपने पार्टनर के अंग के आकार और उस से मिलने वाले शारीरिक सुख से संतुष्ट होती हैं.

तमाम लोगों को अंग के तनाव के बाद उस के आकार यानी लंबाई को ले कर चिंता सताती है, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं, जिन्हें बिना तनाव वाले अंग के आकार को देख कर चिंता होती है.

ये भी पढ़ें- वजन कम करने के लिए डाइट में नींबू का ऐसे करें इस्तेमाल

अब सवाल यह उठता है कि अंग का सामान्य आकार क्या है? अंग छोटा है या बड़ा, यह कैसे तय किया जाए?

औरत के अंग की लंबाई तकरीबन 15 सैंटीमीटर होती है, जिस में बाहर के भाग में तकरीबन 5 सैंटीमीटर ही कोई चीज महसूस करने की ग्रंथियां होती हैं, जबकि अंदर के बाकी 10 सैंटीमीटर भाग में तकरीबन कुछ महसूस नहीं होता है, इसलिए बिना तनाव वाले मर्दाना अंग के आकार को ले कर चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि उस का इस्तेमाल महज पेशाब करने के लिए ही होता है.

पूरी तरह तनाव वाला अंग ही सैक्स करने के लिए इस्तेमाल होता है. इस तरह अंग की मोटाई कोई अहमियत नहीं रखती. औरत का अंग छोटी सी उंगली से ले कर बच्चे के सिर जितना चौड़ा हो सकता है. वह अपने अंदर प्रवेश किए मर्दाना अंग की मोटाई और आकार के मुताबिक खुद में बदलाव कर लेता है.

ये भी पढ़ें- क्या आप पेनकिलर एडिक्टेड हैं, तो पढ़ें ये खबर

मर्दाना अंग का नाप जानने के लिए सब से सही तरीका एसपीएल यानी स्ट्रैच्ड पेनिस लैंथ के रूप में जाना जाता है. जिस मर्द का एसपीएल जितना लंबा उस का अंग उतना लंबा माना जाता है.

ज्यादातर जवान मर्दों के अंग की लंबाई 5.24 इंच होती है. अंग की लंबाई के बारे में ज्यादातर सर्वे में यही लंबाई बताई गई है, तो फिर बड़ा अंग किसे कहा जाएगा? महज 0.6 फीसदी मर्दों का एसपीएल 6.8 इंच या इस से ज्यादा होता है, जबकि ज्यादा लंबा अंग होने पर चिंता करने की जरूरत नहीं है.

जनता की जान बचाने के लिए डंडाधारी पुलिस होना जरूरी है?

इस देश की पुलिस पूरी तरह से कोरोना से लड़ने को तैयार है जैसे वह हर आपदा में तैयार रहती है. हर आपदा में पुलिस का पहला काम होता है कि निहत्थे, बेगुनाहों, बेचारों और गरीबों को कैसे मारापीटा जाए. चाहे नोटबंदी हो, चाहे जीएसटी हो, चाहे नागरिक कानून हों, हमारी पुलिस ने हमेशा सरकार का पूरा साथ दे कर बेगुनाह गरीबों पर जीभर के डंडे बरसाए हैं. किसान आंदोलन में भी लोगों ने देखा और उस से पहले लौकडाउन के समय सैकड़ों मील पैदल चल रहे गरीब मजदूरों की पिटाई भी देखी.

किसी भी बात पर पुलिस सरकार की हठधर्मी के लिए उस के साथ खड़ी होती है और जरूरत से ज्यादा बल दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती. पश्चिम बंगाल, बिहार, असम, तमिलनाडु में केंद्र के साथ पार्टियों की पुलिस 5 नहीं 50,000 से 5 लाख तक लोगों के गृह मंत्री या प्रधानमंत्री की चुनावी भीड़ को कोरोना के खिलाफ नहीं मान रही थी पर अब जब चुनाव खत्म हो गए हैं, हर चौथे दिन एकदो घटनाएं सामने आ ही जाती हैं, जिन में लौकडाउन को लागू कराने के लिए धड़ाधड़ डंडे बरसाए जा रहे थे.

ये भी पढ़ें- भारतीय जनता पार्टी की हार: नहीं चला धार्मिक खेल

भारत की जनता अमेरिकी जनता की तरह नहीं जो पुलिस से 2-2 हाथ भी कर सकती है. यह तो वैसे ही डरीसहमी रहती है. बस भीड़ हो तो थोड़ी हिम्मत रहती है पर इस पर जो बेरहमी बरती जाती है वह अमेरिका के जार्ज फ्लायड की हत्या की याद दिलाती है. फर्क इतना है कि अमेरिका में दोषी पुलिसमैन को लंबी जेल की सजा दी गई. यहां 5-7 दिन लाइनहाजिर कर इज्जत से बुला लिया जाएगा.

अदालत में तो मामला चलाना ही बेकार है क्योंकि पुलिस वालों के अत्याचार, डंडों, मामलों में फंसा देने की धमकियों से गवाह आगे आते ही नहीं.  कोविड की तैयारी भी यहां पुलिस कर रही है, अस्पताल, डाक्टर, लैब या दवा कंपनियां नहीं. सरकार को मालूम है कि पुलिस हर मौके का पूरा नाजायज फायदा उठाएगी.  कोविड के लिए लौकडाउन में जो लोग सड़क पर चल रहे हैं या दुकान चला रहे हैं वे अपने लिए खुद जोखिम ले रहे हैं. वे नियम तोड़ रहे हैं पर दूसरों से ज्यादा नुकसान उन्हीं को है. सिर्फ इसलिए उन पर डंडे बरसाना कि आदेश को तोड़ा जा रहा है बेरहमी है. यह सिनेमाघर के आगे टिकट के लिए लगी लंबी लाइन पर आंसू गैस छोड़ने की तरह है क्योंकि इस से किसी और को नुकसान नहीं हो रहा है.

ये भी पढ़ें- क्या सरकार के खिलाफ बोलना गुनाह है ?

पुलिस असल में मौका ढूंढ़ती है कि अपनी ताकत आम जनता को दिखा सके ताकि हर समय दहशत का माहौल बना रहे. यहां आमतौर पर शिकायत करने वालों को भी शक की निगाह से देखा जाता है. सिर्फ खेलेखाए लोग ही पुलिस की मिलीभगत से शिकायतें करने की हिम्मत करते हैं. गरीब आदमी तो दूसरों की मार भी खा लेता है पुलिस की भी.  उम्मीद थी कि कोरोना में लोग बाहर न निकलें, इसे समझाने के लिए सत्ता में बैठी पार्टियों के पेशेवर ग्राहक आगे आएंगे. लेकिन उन्हें तो वोट चाहिए, मंदिर चाहिए, सत्ता चाहिए, ठेके चाहिए. जनता की जान बचानी है तो डंडाधारी पुलिस ही है उन के पास. बस, यही इस देश की हालत है.

शौचालय में रहने को मजबूर महिला की आर्थिक मदद के लिए पहुंचीं अक्षरा सिंह, पढ़ें खबर

भोजपुरी फिल्मों की चर्चित अदाकारा और गायिका ‘कोरोना महामारी के दौरान कुछ म्यूजिक वीडियो को लेकर चर्चा में रही. लोग उनके अभिनय और उनकी आवाज के दीवाने है.यही वजह है कि भोजपुरी फिल्म जगत और म्यूजिक इंडस्ट्री में अक्षरा सिंह किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं.

मगर बहुत कम लोगों केा इस बात का अहसास है कि वह बहुत कोमल हृदय वाली इंसान है. वह सदैव पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए अपने सामाथ्र्य के अनुसार तत्पर नजर आती हैं.13 जून को अक्षरा सिंह अचानक नालंदा जिले के करायपरशुराय प्रखंड में दिरीपर गाँव पहुंच गयीं, जहां एक वृद्ध महिला कौशल्या देवी अपनी 8 वर्षीय पोती धर्मशीला कुमार शौचालय में रहने को मजबूर हैं. अक्षरा ने वहां जाकर हालात का जायजा लिया और फिर उन्हें आर्थिक मदद दी.

ये भी पढ़ें- खेसारी लाल यादव जा सकते हैं जेल, अश्लील गाने को लेकर दर्ज हुई FIR

अक्षरा ने वृद्ध महिला के इस हाल को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा-‘‘यह घटना रोंगटे खड़े कर देने जैसा है.मैं शॉक्ड और आहम हूं कि इस बूढ़ी मां के पास रहने को घर नहीं.’’

अक्षरा सिंह ने आगे कहा- ‘‘मुझे इस बूढ़ी मां के बारे में सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी मिली. मुझे यह जानकर बेहद दुख हुआ कि एक बूढ़ी मां के पास घर नहीं है और वह इतनी गरीब है कि उनके पास सर छिपाने को छत नहीं है न ही उनके बुढ़ापे का कोई सहारा है.

वह तो बिना मां बाप की अपनी 8 वर्षीय पोती के साथ शौचालय में रहने को मजबूर है. इसकी जानकरी मिलते ही सर्च जानने के लिए मैं नालंदा के उस गांव गयी और मुझसे बूझ़ी मां की हालत देखी नही गयी.इसलिए मैं अपनी तरफ से उनकी आर्थिक मदद की और जरूरत पड़ी तो आगे भी मदद करूंगी.साथ ही मैं लोगों से अपील करना चाहूंगी कि वह भी ऐसे जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए आगे आएं.’’

ये भी पढ़ें- अक्षरा सिंह की ‘किट कैट जवानी’ ने चुराया फैंस का दिल, देखें Viral Video

ज्ञातब्य है कि निजी जीवन में अक्षरा सिहं बेहद संवेदनशील और सामाजिकमूल्यों के साथ जीने वाली इंसान है. उन्हें एक इंसान व कलाकार के तौर पर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का भी अहसास है.जिसका वह सदैव निर्वाह करती रहती हैं.

इसी क्रम में अब उन्होंने बिहार में नालंदा जिले की इस बूढ़ी माता की आर्थिक मदद की.पर अहम सवाल है कि हमारी सरकार व ग्राम पंचायतें ऐसे लोगों के प्रति उदासीन कैसे रहती हैं?

ये भी पढ़ें- भोजपुरी सिंगर नीतू श्री के इस ‘दहेज गीत’ को मिले 4 लाख से अधिक व्यूज, देखें Video

बच्चों के साथ जोर जुल्म, मां भी कम जालिम नहीं!

मुंशी प्रेमचंद ने कई साल पहले ‘ईदगाह’ नाम से एक कहानी लिखी थी, जिस में 4-5 साल का हामिद अपनी दादी अमीना के साथ रहता है और ईद पर वह बाजार से कोई खिलौना या मिठाई खरीदने के बजाय दुकानदार से मोलभाव कर के 3 पैसे में अपनी बूढ़ी दादी के लिए चिमटा खरीदता है, ताकि रोटी बनाते समय उन के हाथ न जलें.

पर, अगर कोई इसी गरम चिमटे से किसी मासूम को दाग दे, तो उसे कैसा महसूस होगा? यह कोई कहानी नहीं है, बल्कि हरियाणा के फरीदाबाद की राजीव कालोनी में इसी मार्च महीने में ऐसा हकीकत में हुआ. शर्म और दुख की बात तो यह रही कि ऐसा घटिया काम करने वाली एक औरत थी, जिस ने अपनी सौतेली बेटी को सताने में कोई कसर नहीं छोड़ी.

मामला कुछ यों था कि फरीदाबाद के सैक्टर 58 थाना के तहत आने वाली राजीव कालोनी से पुलिस को यह खबर मिली कि एक औरत अपनी सौतेली बेटी को रोजाना मारतीपीटती थी. पुलिस हरकत में आई और बताए गए घर पर दबिश दी. वहां से मिली पीडि़त लड़की का मैडिकल कराया गया. उस के बदन पर चोट और जलने के निशान मिले.

जब इस पूरे मामले की जांचपड़ताल की गई तो पता चला कि उस 16 साल की लड़की की सौतेली मां जबरन उस से घर के सारे काम कराती थी. जब कभी वह थक कर बैठ जाती थी, तब उस की सौतेली मां उसे बुरी तरह पीटती थी. कई बार तो गरम चिमटे से दाग देती थी.

ये भी पढ़ें- प्याज की खेती को दिया जाएगा बढ़ावा

यह कोई एकलौती घटना नहीं है, जब किसी बच्चे को अपनों द्वारा ही इतना ज्यादा सताया गया हो. सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो तैरते मिल जाएंगे, जिन में कोई औरत या मर्द बंद कमरे में किसी बच्चे की बेदर्दी से पिटाई कर रहे होते हैं. कोई चोरी छिपे ऐसी करतूतों को कैमरे में कैद कर लेता है और इंटरनैट की आभासी दुनिया में शेयर कर देता है. इन मामलों में मांएं भी पीछे नहीं हैं. इसी साल फरवरी महीने में दिल्ली महिला आयोग ने हरिनगर इलाके से 8 साल के एक ऐसे बच्चे को बचाया, जिस के साथ उस की सौतेली मां लंबे समय से मारपीट कर रही थी.

बच्चे ने बताया कि उस की मां उसे रोजाना पीटती थी. कई बार उसे खाना तक नहीं देती थी. उसे घर से बाहर निकाल देती थी. जब मां घर से बाहर जाती थी, तो उसे बांध कर जाती थी. बच्चे के मैडिकल टैस्ट से पता चला कि उस के हाथ, पैर, गरदन, पीठ समेत पूरे शरीर पर जख्मों के निशान थे. सही से खाना नहीं मिलने के चलते वह बच्चा कमजोर भी हो गया था.

अब एक असली मां की भी करतूत देख लो. महाराष्ट्र में मुंबई के पास ठाणे शहर के मुंबा इलाके में एक औरत हीना शेख का 2 साल पहले अपने शौहर फयाज शेख से तलाक हो गया था. 3 साल के बेटे की कस्टडी हीना शेख को मिली थी, पर वह अपने पति से मिलने वाले मुआवजे से खुश नहीं थी, इसलिए उस ने 28 फरवरी, 2021 को पैसों की डिमांड बढ़ाने के लिए अपने बेटे की जम कर पिटाई कर के उस का वीडियो बना दिया और फयाज शेख को भेज दिया.

मामला सामने आने के बाद पुलिस ने जुविनाइल जस्टिस ऐक्ट के सैक्शन 75 के तहत हीना शेख को गिरफ्तार कर लिया. उस वीडियो में वह अपने बेटे को बेरहमी से पीट रही थी. पिटाई के बाद वह उसे बिस्तर पर खड़ा कर के पूछती है, ‘तुझे तेरे बाप के पास जाना है?’

रोता हुआ बच्चा कहता है कि उसे नहीं जाना है, लेकिन मां उस के पैर, जांघों, पीठ, कंधे और मुंह पर लगातार मारती है. वह उसे यह कह कर पीटने लगती है कि उस का बाप उस के लिए केवल 6,000 रुपए देता है और 10,000 रुपए से ज्यादा का खाना यह बच्चा खाता है.

ये भी पढ़ें- “बस्तर गर्ल” की एवरेस्ट फतह !

यहां जिन खबरों का जिक्र किया गया है, वे ऐसे कांड हैं जिन को देखसुन कर किसी का भी दिल दहल जाए. अमूमन कोई मां अपने बच्चे को किसी बात पर पीट दे, यह कोई हैरानी वाली बात नहीं है. बचपन में तकरीबन हर कोई अपनी मां के हाथों पिटा होगा या डांट खाई होगी. इस में मां के मूड के साथसाथ बच्चे की गलती भी बड़ी वजह होती थी. बच्चे ने झूठ बोला, होमवर्क नहीं किया, गाली दी या किसी से मारपीट कर दी, चोरी की या कोई ऐसी बदमाशी कर दी, जो माफी के लायक नहीं थी, तो मां बेमन से पिटाई कर देती थी, फिर वह बेटा हो या बेटी.

लेकिन वहां मां का एक ही मकसद होता है, बच्चे में सुधार लाना. पर जब कोई मां नफरत या किसी लालच में अपने बच्चे को सताती है या बेरहमी से पीटती है, तो मामला फरीदाबाद जैसा संगीन हो जाता है. राजीव कालोनी में रहने वाली मां को अपनी सौतेली बेटी से प्यार नहीं था, यह बात समझ में आती है और वह उस से घर का सारा काम अपनी इसी भड़ास को निकालने के लिए कराती होगी, पर गरम चिमटे से दागना तो अपराध है. हालांकि 16 साल की लड़की से जबरदस्ती घर के काम कराना भी गैरकानूनी है.
दिल्ली के हरिनगर की औरत ने तो अपने 8 साल के सौतेले बेटे को सताने में कोई कसर ही नहीं छोड़ी. किसी मासूम को भूखा रखना कहां की इनसानियत है.

इसी तरह ठाणे की हीना शेख लालच में इतनी अंधी हो गई थी कि उस ने अपने तलाकशुदा शौहर से मुआवजे की रकम बढ़वाने के लिए अपने बेटे को ही बलि का बकरा बना डाला. उसे बेदर्दी से पीटा ही नहीं, बल्कि उस का वीडियो तक बना डाला.इस तरह के मामले बच्चों को घर से भागने की वजह बनते हैं. कौन बच्चा बिना बात रोजरोज की मार खाएगा?

ये भी पढ़ें- एटीएम: नाबालिगों को रूपए का लालच!

एक पुरानी कहावत है कि बच्चे कच्ची मिट्टी के समान होते हैं. उन्हें कुम्हार की तरह जिस आकार में ढालेंगे, वे वैसे ही बनते चले जाएंगे. मां अपने बच्चों की वही कुम्हार होती है. उस के हाथ जितने सधे होंगे, बच्चे उतने ही निखरेंगे. बच्चों के साथ एक हद तक कड़ाई करनी चाहिए, पर इतनी भी नहीं कि वे ऐसी राह पर चल पड़ें, जहां से लौटना मुश्किल हो जाए.

बच्चों को ‘ईदगाह’ कहानी के हामिद जैसा दयालु बनाएं, जिसे अपनी खुशी से ज्यादा बूढ़ी दादी की चिंता थी. अगर कहीं वही दादी भविष्य में उसे उसी चिमटे से दागती तो क्या कोई दूसरा बच्चा इस तरह का तोहफा अपनी मां या दादी के लिए लाने की सोचता? बिलकुल नहीं.

बेदर्द सरकार पेट पर पड़ी मार

आज भी बहुत से कामधंधे और कारोबार ऐसे हैं, जो सालभर न चल कर एक खास सीजन में ही चलते हैं और इन कारोबारों से जुड़े लोग इसी सीजन में कमाई कर अपने परिवार के लिए सालभर का राशनपानी जमा कर लोगों का पेट पाल लेते हैं. पर लगातार दूसरे साल कोरोना महामारी ने इन कारोबारियों पर रोजीरोटी का संकट पैदा कर दिया है.

हमारे देश में सब से ज्यादा शादीब्याह अप्रैल से जुलाई महीने तक होते हैं. इस वैवाहिक सीजन में कोरोना की मार से टैंट हाउस, डीजे, बैंडबाजा, खाना बनाने और परोसने वाले, दोनापत्तल बनाने वाले लोग सब से ज्यादा प्रभावित हुए हैं.

सरकारी ढुलमुल नीतियां भी इस के लिए कम जिम्मेदार नहीं हैं. पूरे मध्य प्रदेश में अप्रैल महीने में लौकडाउन लागू कर दिया, जबकि दमोह जिले में विधानसभा उपचुनाव के चलते सरकार बड़ी सभाओं और रैलियों में मस्त रही. सरकार की इन ढुलमुल नीतियों की वजह से लोगों का गुस्सा आखिरकार फूट ही पड़ा.

दमोह में उमा मिस्त्री की तलैया पर  चुनावी सभा संबोधित करने पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का  डीजे और टैंट हाउस वालों ने खुला विरोध कर दिया. मुख्यमंत्री को इन लोगों ने जो तख्तियां दिखाईं, उन पर बड़ेबड़े अक्षरों में लिखा था :

‘चुनाव में नहीं है कोरोना,

शादीविवाह में है रोना.

चुनाव का बहिष्कार,

पेट पर पड़ रही मार.’

आंखों पर सियासी चश्मा चढ़ाए मुख्यमंत्री को इन लोगों का दर्द समझ नहीं आया. लोगों के गुस्से की यही वजह भाजपा उम्मीदवार राहुल लोधी की हार का सबब बनी.

ये भी पढ़ें- “स्वयंभू” बाबा रामदेव की धमकी के पीछे की महाशाक्ति कौन?

पिछले साल के लौकडाउन से सरकार ने कोई सबक नहीं लिया और न ही कोरोना से लड़ने के लिए कोई माकूल इंतजाम किए. मध्य प्रदेश के गाडरवारा तहसील के सालीचौका रोड के बाशिंदे दिनेश मलैया अपनी पीड़ा बताते हुए कहते हैं, ‘‘मेरा टैंट डैकोरेशन का काम है, जिसे मैं घर से ही चलाता हूं, लेकिन इस कोरोना बीमारी के चलते पिछले साल सरकार के लगाए हुए लौकडाउन में पूरा धंधा चौपट हो गया.

‘‘पिछले साल का नुकसान तो जैसेतैसे सहन कर लिया, लेकिन इस साल फिर वही बीमारी और लौकडाउन ने तंगहाली ला दी है. इस साल शादियों के सीजन को देखते हुए कर्ज ले कर टैंट डैकोरेशन का सामान खरीद लिया था, पर लौकडाउन की वजह से धंधा चौपट हो गया.’’

साईंखेड़ा के रघुवीर और अशोक वंशकार का बैंड और ढोल आसपास के इलाकों में जाना जाता है, लेकिन पिछले 2 साल से शादियों में बैंडबाजा की इजाजत न होने से उन के सामने रोजीरोटी का संकट खड़ा हो गया है.

वे कहते हैं कि सरकार और उन के मंत्री व विधायक सभाओं और रैलियों में तो हजारों की भीड़ जमा कर सकते हैं, पर 10-15 लोगों की बैंड और ढोल बजाने वाली टीम से उन्हें कोरोना फैलने का खतरा नजर आता है.

दोनापत्तल का कारोबार करने वाले नरसिंहपुर के ओम श्रीवास बताते हैं, ‘‘मार्च के महीने में ही बड़ी तादाद में दोनापत्तल बनवा कर रख लिए थे, पर अप्रैल महीने में लौकडाउन के चलते शादियों में 20 लोगों के शामिल होने की इजाजत मिलने से दोनापत्तल का कारोबार ठप हो गया.’’

शादीब्याह में भोजन बनाने का काम करने वाले राकेश अग्रवाल बताते हैं कि उन के साथ 50 से 60 लोगों की टीम रहती है, जो खाना बनाने और परोसने का काम करती है, लेकिन इस बार इन लोगों को खुद का पेट भरने का कोई काम नहीं मिल रहा है.

शादियों में मंडप की फूलों से डैकोरेशन करने वाले चंदन कुशवाहा ने तो कर्ज ले कर फूलों की खेती शुरू की थी. चंदन को उम्मीद थी कि उन के खेतों से निकले फूलों से वे शादियों में डैकोरेशन कर खूब पैसा कमा लेंगे, पर कोरोना महामारी के चलते सरकार ने जनता कर्फ्यू लगा कर उन की उम्मीदों पर पानी फेर दिया.

हाथ ठेला पर सब्जी और फल बेचने वालों का बुरा हाल है. लौकडाउन में वे अपने परिवार के लिए भोजनपानी की तलाश में कुछ करना चाहते हैं, तो पुलिस की सख्ती उन्हे रोक देती है. हाथ ठेला लगाने वाले ये विक्रेता गांव से सब्जी खरीद कर लाते हैं और दिनभर की मेहनत से उन्हें सिर्फ 200-300 रुपए ही मिल पाते हैं.

ये भी पढ़ें- नरेंद्र दामोदरदास मोदी के “आंसू”

रायसेन जिले के सिलवानी में नगरपरिषद के सीएमओ ने जब एक फलसब्जी बेचने वाले का हाथ ठेला पलट दिया, तो उस का गुस्सा फूट पड़ा और मजबूरन उसे सीएमओ से गलत बरताव करना पड़ा.

यही समस्या दिहाड़ी मजदूरों की भी है, जिन्हें लौकडाउन की वजह से काम नहीं मिल पा रहा है और उन के बीवीबच्चे भूख से परेशान हैं. दिहाड़ी मजदूर रोज कमाते हैं और रोज राशन दुकान से सामान खरीदते हैं, पर राशन दुकान भी बंद हैं.

राजमिस्त्री का काम करने वाले रामजी ठेकेदार का कहना है कि सरकारी ढुलमुल नीतियों की वजह से गरीब मजदूर ही परेशान होता है.

सरकार अभी तक यह नहीं समझ पाई है कि कोरोना वायरस का इलाज लौकडाउन नहीं है, बल्कि सतर्क और जागरूक रह कर उस से मुकाबला किया जा सकता है. पिछले साल से अब तक सरकार अस्पतालों में कोई खास इंतजाम नहीं कर पाई है. जैसे ही अप्रैल महीने  में संक्रमण बढ़ा, तो सरकार ने अपनी नाकामी छिपाने के लिए लौकडाउन  लगा दिया.

सरकार की इस नीति से लाखों की तादाद में छोटामोटा कामधंधा करने वाले लोगों की रोजीरोटी पर जो बुरा असर पड़ा है, उस की भरपाई सालों तक पूरी नहीं हो सकती.

ये भी पढ़ें- नक्सली गलत हैं या सही

सुशांत सिंह राजपूत की 1st Death Anniversary पर फैन्स हुुए इमोशनल, लिखा ‘अभी भी है इंसाफ का इंतजार’

बॉलीवुड इंडस्ट्री ने साल 2020 में कई बड़े सितारे को खो दिया. जिनमें मशहूर एक्टर सुशांत सिंह राजपूत के निधन को आज पूरे एक साल हो गए. इस खबर से सेलिब्रिटी और फैंस पूरी तरह टूट गए. और आज सुशांत की पहली बरसी पर फैंस इमोशनल पोस्ट लिखकर याद कर रहे हैं. आइए आपको बताते हैं फैंस ने सुशांत को याद करते हुए क्या लिखा है.

दरअसल 14 जून 2020 को सुशांत का शव उनके मुंबई स्थित फ्लैट पर संदिग्ध हालत में मिला था. जिसके बाद बताया गया कि वे ड्रग्स लेते थे और डिप्रेशन का शिकार थे.

ये भी पढ़ें- ‘अनुपमा’ फेम वनराज ने Apurva Agnihotri को लेकर तोड़ी चुप्पी, जानिए क्या कहा

तो वहीं सुशांत के फैंस इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं. फैन्स को लगता है कि उनकी हत्या की गई थी और आजतक पुलिस, सीबीआई इस सच का पता नहीं लगा पाई है कि उनके मौत का करण कौन लोग थे. फैंस सोशल मीडिया पर लिख रहे हैं कि ‘अभी भी इंसाफ का इंतजार है.’

फैन्स के अलावा बॉलीवुड एक्टर्स भी सुशांत को नम आंखों से याद कर रहे हैं,  मनोज बाजपेयी ने सुशांत को याद करते हुए लिखा कि उन्हें अभी तक यकीन नहीं होता कि सुशांत अब नहीं रहे.

ये भी पढ़ें- ‘अनुपमा’ फेम रुपाली गांगुली 53 दिनों बाद लौटीं घर, शेयर की पति और बेटे संग Photos

 

ये भी पढ़ें- Tarak Mehta स्टार निधि भानुशाली झील में स्विमिंग करती आईं नजर, फ्लॉन्ट किया बिकनी लुक

‘अनुपमा’ फेम वनराज ने Apurva Agnihotri को लेकर तोड़ी चुप्पी, जानिए क्या कहा

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) दर्शकों के बीच काफी मशहूर है. शो की कहानी काफी दिलचस्प है. इस शो की एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर पर आधारित है. सीरियल में लीड एक्टर की भूमिका में फेमस अभिनेता सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) वनराज शाह की भूमिका निभा रहे हैं. वह अपनी दमदार एक्टिंग के कारण दर्शकों का दिल जीतने में कामयाब हो रहे हैं.

शो में इन दिनों महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के बिते  एपिसोड में दिखाया गया कि वनराज-काव्या ने शादी की तो उधर अनुपमा की सर्जरी भी सक्सेस हुई. और इस सर्जरी में डॉ अद्वैत यानी अपूर्वा अग्निहोत्री की बड़ी भूमिका रही.

ये भी पढ़ें- आदित्य के बर्थडे पर दो गुड न्यूज सुनाएगी मालिनी, आएगा ये इमोशनल ट्विस्ट

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sudhanshu Pandey (@sudanshu_pandey)

 

हालांकि अब डॉ अद्वैत इस शो का हिस्सा नहीं है. शो में उनका किरदार कुछ समय के लिए था. तो ऐसे में सुधांशु पांडे यानी वनराज ने ने अपने दोस्त और को-स्टार अपूर्वा अग्निहोत्री को याद करते हुए हुए कहा कि उनके शो से बाहर होने से बहुत दुखी हूं.

खबरों के अनुसार सुधांशु पांडे ने कहा कि जब मुझे पता चला कि अपूर्वा हमारे साथ शो में शामिल हो रहे है तो मैं बेहद खुश था क्योंकि मेरे दिल में उनके लिए एक खास जगह है.

ये भी पढ़ें- GHKKM: सई को मनाने के लिए विराट बनेगा लवर बॉय अब क्या करेगी पाखी

 

View this post on Instagram

 

A post shared by StarPlus (@starplus)

 

सुधांशु पांडे ने आगे कहा कि वह एक अच्छा इंसान हैं. वो शांत और रिलैक्स को-स्टार हैं. वह इतने शांत हैं कि आप उनके आस-पास बहुत अच्छा महसूस करते हैं. उनकी वाइब और उनकी एनर्जी इतनी पॉजिटिव है कि उनके साथ काम करना बहुत अच्छा था.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Sudhanshu Pandey (@sudanshu_pandey)

 

बताया जा रहा है कि सुधांशु पांडे ने बताया कि  हम पहले से दोस्त थे लेकिन हम एक आउटडोर शूट पर थे इसलिए हमें एक साथ ज्यादा समय बिताने का मौका नहीं मिला.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rups (@rupaliganguly)

 

सुधाशु पांडे ने ये भी कहा कि किसी ऐसे व्यक्ति के साथ होना हमेशा अच्छा होता है आपकी चीजों को समझे और आप दोनों के बीच खूब सारी बातचीत हो. इसलिए हमने हमेशा अपने समय को एक साथ संजोया है.

ये भी पढ़ें- Taapsee Pannu की फिल्म ‘हसीन दिलरुबा’ का टीजर हुआ वायरल, देखें Video

सुधांशु पांडे ने अपूर्वा के किरदार को लेतर भी बात की. उन्होंने कहा कि यह ट्रैक अभी समाप्त हुआ है और अगर यह लंबे समय तक जारी रहता तो मुझे अच्छा लगता. मैं उनके जाने से दुखी हूं लेकिन हम एक ही बिल्डिंग में रहते हैं इसलिए अच्छी बात यह है कि हम एक-दूसरे से कभी भी मिल सकते हैं.

शादी- भाग 1: सुरेशजी को अपनी बेटी पर क्यों गर्व हो रहा था?

‘‘सुनो, आप को याद है न कि आज शाम को राहुल की शादी में जाना है. टाइम से घर आ जाना. फार्म हाउस में शादी है. वहां पहुंचने में कम से कम 1 घंटा तो लग ही जाएगा,’’ सुकन्या ने सुरेश को नाश्ते की टेबल पर बैठते ही कहा.

‘‘मैं तो भूल ही गया था, अच्छा हुआ जो तुम ने याद दिला दिया,’’ सुरेश ने आलू का परांठा तोड़ते हुए कहा.

‘‘आजकल आप बातों को भूलने बहुत लगे हैं, क्या बात है?’’ सुकन्या ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा.

‘‘आफिस में काम बहुत ज्यादा हो गया है और कंपनी वाले कम स्टाफ से काम चलाना चाहते हैं. दम मारने की फुरसत नहीं होती है. अच्छा सुनो, एक काम करना, 5 बजे मुझे फोन करना. मैं समय से आ जाऊंगा.’’

‘‘क्या कहते हो, 5 बजे,’’ सुकन्या ने आश्चर्य से कहा, ‘‘आफिस से घर आने में ही तुम्हें 1 घंटा लग जाता है. फिर तैयार हो कर शादी में जाना है. आप आज आफिस से जल्दी निकलना. 5 बजे तक घर आ जाना.’’

‘‘अच्छा, कोशिश करूंगा,’’ सुरेश ने आफिस जाने के लिए ब्रीफकेस उठाते हुए कहा.

आफिस पहुंच कर सुरेश हैरान रह गया कि स्टाफ की उपस्थिति नाममात्र की थी. आफिस में हर किसी को शादी में जाना था. आधा स्टाफ छुट्टी पर था और बाकी स्टाफ हाफ डे कर के लंच के बाद छुट्टी करने की सोच रहा था. पूरे आफिस में कोई काम नहीं कर रहा था. हर किसी की जबान पर बस यही चर्चा थी कि आज शादियों का जबरदस्त मुहूर्त है, जिस की शादी का मुहूर्त नहीं निकल रहा है उस की शादी बिना मुहूर्त के आज हो सकती है. इसलिए आज शहर में 10 हजार शादियां हैं.

सुरेश अपनी कुरसी पर बैठ कर फाइलें देख रहा था तभी मैनेजर वर्मा उस के सामने कुरसी खींच कर बैठ गए और गला साफ कर के बोले, ‘‘आज तो गजब का मुहूर्त है, सुना है कि आज शहर में 10 हजार शादियां हैं, हर कोई छुट्टी मांग रहा है, लंच के बाद तो पूरा आफिस लगभग खाली हो जाएगा. छुट्टी तो घोषित कर नहीं सकते सुरेशजी, लेकिन मजबूरी है, किसी को रोक भी नहीं सकते. आप को भी किसी शादी में जाना होगा.’’

ये भी पढ़ें- यह कैसा प्यार: प्यार में नाकामी का परिणाम

‘‘वर्माजी, आप तो जबरदस्त ज्ञानी हैं, आप को कैसे मालूम कि मुझे भी आज शादी में जाना है,’’ सुरेश ने फाइल बंद कर के एक तरफ रख दी और वर्माजी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोला.

‘‘यह भी कोई पूछने की बात है, आज तो हर आदमी, बच्चे से ले कर बूढ़े तक सभी बराती बनेंगे. आखिर 10 हजार शादियां जो हैं,’’ वर्माजी ने उंगली में कार की चाबी घुमाते हुए कहा, ‘‘आखिर मैं भी तो आज एक बराती हूं.’’

‘‘वर्माजी, एक बात समझ में नहीं आ रही कि क्या वाकई में पूरे स्टाफ को शादी में जाना है या फिर 10 हजार शादियों की खबर सुन कर आफिस से छुट्टी का एक बहाना मिल गया है,’’ सुरेश ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

‘‘लगता है कि आप को आज किसी शादी का न्योता नहीं मिला है, घर पर भाभीजी के साथ कैंडल लाइट डिनर करने का इरादा है. तभी इस तरीके की बातें कर रहे हो, वरना घर जल्दी जाने की सोच रहे होते सुरेश बाबू,’’ वर्माजी ने चुटकी लेते हुए कहा.

‘‘नहीं, वर्माजी, ऐसी बात नहीं है. शादी का न्योता तो है, लेकिन जाने का मन नहीं है, पत्नी चलने को कह रही है. लगता है जाना पड़ेगा.’’

‘‘क्यों भई…भाभीजी के मायके में शादी है,’’ वर्माजी ने आंख मारते हुए कहा.

‘‘ऐसी कोई बात नहीं है, वर्माजी. पड़ोसी की शादी में जाना है. ऊपर वाले फ्लैट में नंदकिशोरजी रहते हैं, उन के बेटे राहुल की शादी है. मन इसलिए नहीं कर रहा कि बहुत दूर फार्म हाउस में शादी है. पहले तो 1 घंटा घर पहुंचने में लगेगा, फिर घर से कम से कम 1 घंटा फार्म हाउस पहुंचने में लगेगा. थक जाऊंगा. यदि आप कल की छुट्टी दे दें तो शादी में चला जाऊंगा.’’

‘‘अरे, सुरेश बाबू, आप डरते बहुत हैं. आज शादी में जाइए, कल की कल देखेंगे,’’ कह कर वर्माजी चले गए.

मुझे डरपोक कहता है, खुद जल्दी जाने के चक्कर में मेरे कंधे पर बंदूक रख कर चलाना चाहता है, सुरेश मन ही मन बुदबुदाया और काम में व्यस्त हो गया.

शाम को ठीक 5 बजे सुकन्या ने फोन कर के सुरेश को शादी में जाने की याद दिलाई कि सोसाइटी में लगभग सभी को नंदकिशोरजी ने शादी का न्योता दिया है और सभी शादी में जाएंगे. तभी चपरासी ने कहा, ‘‘साबजी, पूरा आफिस खाली हो गया है, मुझे भी शादी में जाना है, आप कितनी देर तक बैठेंगे?’’

चपरासी की बात सुन कर सुरेश ने काम बंद किया और धीमे से मुसकरा कर कहा, ‘‘मैं ने भी शादी में जाना है, आफिस बंद कर दो.’’

ये भी पढ़ें- रज्जो: क्या था सुरेंद्र और माधवी का प्लान

सुरेश ने कार स्टार्ट की, रास्ते में सोचने लगा कि दिल्ली एक महानगर है और 1 करोड़ से ऊपर की आबादी है, लेकिन एक दिन में 10 हजार शादियां कहां हो सकती हैं. घोड़ी, बैंड, हलवाई, वेटर, बसों के साथ होटल, पार्क, गलीमहल्ले आदि का इंतजाम मुश्किल लगता है. रास्ते में टै्रफिक भी कोई ज्यादा नहीं है, आम दिनों की तरह भीड़भाड़ है. आफिस से घर की 30 किलोमीटर की दूरी तय करने में 1 से सवा घंटा लग जाता है और लगभग आधी दिल्ली का सफर हो जाता है. अगर पूरी दिल्ली में 10 हजार शादियां हैं तो आधी दिल्ली में 5 हजार तो अवश्य होनी चाहिए. लेकिन लगता है लोगों को बढ़ाचढ़ा कर बातें करने की आदत है और ऊपर से टीवी चैनल वाले खबरें इस तरह से पेश करते हैं कि लोगों को विश्वास हो जाता है. यही सब सोचतेसोचते सुरेश घर पहुंच गया.

घर पर सुकन्या ने फौरन चाय के साथ समोसे परोसते हुए कहा, ‘‘टाइम से तैयार हो जाओ, सोसाइटी से सभी शादी में जा रहे हैं, जिन को नंदकिशोरजी ने न्योता दिया है.’’

‘‘बच्चे भी चलेंगे?’’

‘‘बच्चे अब बड़े हो गए हैं, हमारे साथ कहां जाएंगे.’’

‘‘हमारा जाना क्या जरूरी है?’’

‘‘जाना बहुत जरूरी है, एक तो वह ऊपर वाले फ्लैट में रहते हैं और फिर श्रीमती नंदकिशोरजी तो हमारी किटी पार्टी की मेंबर हैं. जो नहीं जाएगा, कच्चा चबा जाएंगी.’’

ये भी पढ़ें- Serial Story: बोया पेड़ बबूल का

‘‘इतना डरती क्यों हो उस से? वह ऊपर वाले फ्लैट में जरूर रहते हैं, लेकिन साल 6 महीने में एकदो बार ही दुआ सलाम होती है, जाने न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है,’’ सुरेश ने चाय की चुस्कियों के बीच कहा.

‘‘डरे मेरी जूती…शादी में जाने की तमन्ना सिर्फ इसलिए है कि वह घर में बातें बड़ीबड़ी करती है, जैसे कोई अरबपति की बीवी हो. हम सोसाइटी की औरतें तो उस की शानशौकत का जायजा लेने जा रही हैं. किटी पार्टी का हर सदस्य शादी की हर गतिविधि और बारीक से बारीक पहलू पर नजर रखेगा. इसलिए जाना जरूरी है, चाहे कितना ही आंधीतूफान आ जाए.’’

सुकन्या की इस बात को उन की बेटी रोहिणी ने काटा, ‘‘पापा, आप को मालूम नहीं है, जेम्स बांड 007 की पूरी टीम साडि़यां पहन कर जासूसी करने में लग गई है. इन के वार से कोई नहीं बच सकता है…’’

सुकन्या ने बीच में बात काटते हुए कहा, ‘‘तुम लोगों के खाने का क्या हिसाब रहेगा. मुझे कम से कम बेफिक्री तो हो.’’

Satyakatha- डॉक्टर दंपति केस: भरतपुर बना बदलापुर- भाग 4

सौजन्य- सत्यकथा

डा. सीमा को जब यह बात पता चली तो उसे अपना वैवाहिक जीवन हिचकोले खाता नजर आया. उसे यह भी पता चला कि दीपा डा. सुदीप पर सूर्या विला वाला बंगला अपने नाम कराने और सुदीप से औपचारिक रूप से शादी करने का दबाव डाल रही है. कहीं डा. सुदीप दीपा की यह बात भी न मान जाए, इसलिए डा. सीमा ने अपनी सास सुरेखा को यह बात बताई. सुरेखा ने बेटे डा. सुदीप से बात की. सुदीप ने अपनी चिकनीचुपड़ी बातों से मां को यह कह कर संतुष्ट कर दिया कि मां ऐसी कोई बात नहीं है.

सुरेखा ने बेटे से हुई बातें बहू डा. सीमा को बताईं तो उस ने दीपा के स्पा सेंटर का निमंत्रण पत्र उन के सामने रख दिया. सुरेखा क्या कर सकती थी, उसे अपने 44-45 साल के बेटे की करतूतों पर गुस्सा तो बहुत आया, लेकिन बुढ़ापे और असाध्य बीमारी के कारण वह मजबूर थी. वह अपने बेटेबहू का गृहस्थ जीवन बचाए रखना चाहती थी.

डा. सीमा ने अपने तरीके से पता कराया, तो मालूम हुआ कि दीपा ने स्पा सेंटर की साजसज्जा और उपकरणों पर लाखों रुपए खर्च किए थे. यह तय था कि यह सारा पैसा डा. सुदीप की जेब से ही निकला था.

अपनी अय्याशी पर एक पराई औरत पर लाखों रुपए इस तरह उड़ाने पर सीमा को बहुत गुस्सा आया. उसे यह उम्मीद नहीं थी कि उस के पति डा. सुदीप आसानी से मान जाएंगे और दीपा का पीछा छोड़ देंगे. इसलिए उस ने दीपा को ही सबक सिखाने का फैसला किया.

इसी योजना के तहत 7 नवंबर, 2019 को डा. सीमा अपनी सास सुरेखा के साथ दोपहर में दीपा के मकान पर पहुंची. उस समय दीपा का मकान बंद था. वे दोनों आसपास छिप कर इंतजार करती रहीं.

ये भी पढ़ें- Crime- लव में धोखा: कौन है दोषी?

इस बीच डा. सुदीप भी दीपा के मकान पर आया, लेकिन ताला बंद देख कर वापस चला गया. इस दौरान डा. सुदीप ने अपनी पत्नी और मां को नहीं देखा. इस से डा. सीमा को अपने पति की करतूतों पर पूरा यकीन हो गया.

बाद में दीपा का बेटा शौर्य भी स्कूल से आया. घर बंद मिलने पर वह पड़ोस में खेलने चला गया. शाम करीब 4 बजे दीपा मकान पर पहुंची. कुछ देर बाद शौर्य भी आ गया. इस के बाद डा. सीमा और सुरेखा उस मकान में गईं. वहां उन की दीपा से काफी गरमागरमी हुई.

इसी गरमागरमी के बीच डा. सीमा ने गुस्से में अपने पर्स में से स्प्रिट की बोतल निकाली और फरनीचर पर छिड़क कर आग लगा दी. इस के बाद यह कहते हुए बाहर निकल कर कुंडी लगा दी कि अब देखती हूं कि तुझे कौन बचाता है.

स्प्रिट के कारण तुरंत आग फैल गई. चारों तरफ आग की लपटों से घिरी दीपा ने डा. सुदीप और अपने भाई अनुज को बारीबारी से फोन कर बचाने की गुहार की. अनुज पहले पहुंच कर जलती लपटों के बीच मकान में घुस गया. बाद में डा. सुदीप भी पहुंच गया था, लेकिन वह अंदर नहीं घुसा. बदले की इस आग में दीपा और उस का 6 साल का बेटा शौर्य जिंदा जल गए थे.

दीपा की बहन राधा उर्फ राधिका ने इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी. बाद में पुलिस ने डा. सीमा, डा. सुदीप और उस की मां सुरेखा को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने जांच पूरी कर अदालत में तीनों के खिलाफ आरोपपत्र पेश कर दिया. अभी यह मामला अदालत में विचाराधीन है.

इसी मामले में राजीनामे की बात चल रही थी. बात सिरे नहीं चढ़ी तो बदले की आग में जल रहे अनुज ने इंसाफ मिलने से पहले ही इस मामले का फैसला करने का निश्चय किया. उस ने खुद ही डा. सुदीप और डा. सीमा की खौफनाक मौत की साजिश रच डाली.

अनुज ने इस काम में अपने दोस्त धौलपुर के महेश को साथ लिया. दौलत के मकान पर साजिश रची. इस के बाद दौलत की बाइक ले कर महेश और अनुज भरतपुर आ गए. अनुज तो भरतपुर में ही रहता था. उसे डाक्टर दंपति की हर गतिविधि की एकएक बात पता थी. फिर भी उस ने अपनी साजिश को अंजाम देने के लिए 2-4 दिन रैकी की.

जब उसे यकीन हो गया कि डाक्टर दंपति रोजाना शाम साढ़े 4-पौने 5 बजे के आसपास मंदिर के लिए जाते हैं तो उस ने 28 मई को अपने दोस्त महेश के साथ बाइक पर जा कर उन की कार रोक ली और पिस्तौल से दोनों को गोलियों से ठंडा कर अपनी बहन व भांजे की हत्या का बदला ले लिया. उस ने खून का बदला खून कर ले लिया.

पुलिस ने पहली जून को एक अभियुक्त महेश को करौली से गिरफ्तार कर लिया. महेश ही वह शख्स है जो घटना के समय मोटरसाइकिल चला रहा था. लेकिन गोली चलाने वाला अनुज कथा लिखे जाने तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया.

ये भी पढ़ें- Crime: ठगी के रंग हजार!

बहरहाल, भरतपुर उस दिन गोलियों की आवाज से बदलापुर बन गया. बदले की आग ने 2 परिवारों को खत्म कर दिया. दीपा के हंसतेखेलते जीवन को डा. सीमा ने खत्म कर दिया. डेढ़ साल बाद अनुज ने डाक्टर दंपति का परिवार उजाड़ दिया.

अब डाक्टर दंपति के 18 साल के बेटे और 15 साल की बेटी के सिर से मांबाप का साया उठ गया. डा. सुदीप की मां सुरेखा की बुढ़ापे की दोनों लाठियां टूट गईं. डाक्टर दंपति का अस्पताल चलाने वाला भी अभी फिलहाल कोई नहीं है. उन के बेटे और बेटी पर भी खतरा मंडरा रहा है.

दीपा और उस के बेटे की मौत का जिम्मेदार कौन था, यह फैसला अदालत को करना था. इस से पहले ही अनुज ने खुद फैसला कर दिया. कानूनविदों का कहना है कि डा. सुदीप और डा. सीमा की मौत होने के कारण उन के खिलाफ अदालत में केस बंद हो जाएगा. सुरेखा के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा.

दूसरी ओर, डाक्टर दंपति की हत्या करने और सहयोग करने वालों पर पुलिस की जांच पूरी होने और अदालत में चालान पेश किए जाने के बाद नया मुकदमा चलेगा.

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें