तालिबान: नरेंद्र मोदी ने महानायक बनने का अवसर खो दिया!

अफगानिस्तान पर  लाखों करोड़ों रुपए का निवेश करने और 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद दोस्ती का  नया गठबंधन करने के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने जिस तरह अफगानिस्तान पर तालिबान का रातों-रात कब्जा हो गया और मौन देखते रहे यह देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है.

अगरचे, नरेंद्र दामोदरदास मोदी जिन्होंने अपनी छवि दुनिया में एक प्रभावशाली नेता के रूप में बनानी थी तो यह उनके पास एक सुनहरा अवसर था.

दरअसल, नरेंद्र दामोदरदास मोदी अफगानिस्तान के राष्ट्रपति से बातचीत करके उनकी मदद का हाथ बढ़ा देते तो दुनिया में मोदी और भारत की छवि कुछ अलग तरह से निखर कर सामने आ सकती थी.कहते हैं, संकट के समय ही आदमी की पहचान होती है यह एक पुरानी भी कहावत है.

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सभी जानते हैं कि भारत और अफगानिस्तान वर्षों वर्षों पुराने मित्र हैं और हाल में इस मित्रता का रिन्यूअल मोदी जी ने अफगानिस्तान को हर संभव सहयोग करके और वहां जाकर के किया था. उनके भाषण गूगल पर उपलब्ध हैं, ऐसे में  दृढ़ता का परिचय देते हुए नरेंद्र मोदी ने आगे बढ़कर के तालिबान का मुकाबला किया होता तो शायद राजीव गांधी की तरह उनकी छवि भी दुनिया में प्रभावशाली बन करके सामने आ सकती थी.

क्या आपको स्मरण हैं प्रधानमंत्री पद पर रहते राजीव गांधी ने श्रीलंका में लिट्टे के खिलाफ शांति सेना भेजी थी. जिसके परिणाम स्वरूप श्रीलंका और भारत के संबंध और भी मजबूत हुए थे और दुनिया में एक संदेश गया था कि भारत अपने आस-पड़ोस जहां भी अशांति फैलती है और मदद की आवश्यकता होती है तो आगे आ जाता है.

इसका दुनिया की राजनीति और मिजाज पर गहरा असर पड़ता यह दुनिया की महा शक्तियों के लिए भी एक सबक होता अमेरिका जब अफगानिस्तान को छोड़कर नौ दो ग्यारह हो रहा था सारी दुनिया आतंक के सामने नतमस्तक थी, ऐसे में नरेंद्र दामोदरदास मोदी का एक्शन दुनिया के लिए एक नजीर बन जाता.

आतंक का सफाया हो जाता

अफगानिस्तान पर जब तालाबानियों लड़ाकों ने आक्रमण किया, उस समय उनकी संख्या 75 हजार बताई गई है. और अफगानिस्तान के सैनिकों की थी संख्या 3 लाख.और तो और अफगानिस्तान के  पास हवा से आक्रमण करने के सैन्य साधन भी थे जो तालाबानी आतंकियों के पास नहीं थे.

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हमारा मानना है-  पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की नीति के अनुरूप श्रीलंका में जैसे उन्होंने शांति सेना भेजी थी अगर तालाबानियों के हमले के समय भारत अपनी “शांति सेना” भारत में उतार देता अथवा   बंगला देश निर्माण के समय की तरह सामने आता तो निश्चित रूप से 75 हजार तालाबानियों को आत्मसमर्पण करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. और पूरी बाजी नरेंद्र दामोदरदास मोदी और भारत के हाथों में होती.

हमारा आकलन यह है कि…

तालाबानियों के आत्मसमर्पण के लिये भारत को बड़ा बलिदान भी नहीं देना पड़ता और चीन,पाकिस्तान तथा रूस जो तालाबानियों के खैरख्वाह बने हुए हैं उनको बोलने का कोई अवसर ही नहीं मिलता. राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार  आर के पालीवाल के मुताबिक ऐसी स्थिति में  पूर्व से स्थापित राष्ट्रपति  और अफगानिस्तान सरकार जिससे भारत का मित्रवत सम्बन्ध है,उसी सरकार का अस्तित्व में रहता. अफगानिस्तान की सरकार ने भारत सरकार से मदद की गुहार न भी लगाई हो,उसके उपरांत भी भारत विश्व मंच पर बड़ी दृढ़ता के साथ अपनी बात रख सकता था कि पदस्थ सरकार पर आतंकियों के हमले को रोकने और पड़ोसी देश होने के कारण उसने ये कदम उठाया है.

अगरचे, आज भारत की जो ऊहापोह की स्थिति नहीं रहती और भारत की पूरे विश्व मे एक नई छवि भी बनती.

Sidharth Shukla Death: सिद्धार्थ शुक्ला के साथ उस रात आखिर क्या हुआ था?

पहला सवाल- एक स्वस्थ दिखने वाला सेलिब्रिटी अखिर कैसे मृत्यु का शिकार हो गया? क्या सिद्धार्थ शुक्ला नशा करता था? क्या अक्सर गुस्से में रहने, क्रोधी होने के कारण उनकी मौत हो गई? बेहतर फिगर सिक्स पैक के एक्सरसाइज अथवा अत्यधिक दवाई सेवन के कारण सिद्धार्थ शुक्ला की मृत्यु हो गई?

सवाल कई हैं मगर इन पंक्तियों के लिखे जाने तक फाइनल पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आ पाई है. कथित रूप से सिद्धार्थ शुक्ला के साथ उस रात उसकी गर्लफ्रेंड भी थी दोनों साथ साथ थे तबीयत खराब होने के लक्षण होने के बावजूद आखिर सिद्धार्थ शुक्ला को चिकित्सकीय परामर्श के लिए क्यों नहीं ले जाया गया अथवा डॉक्टर को क्यों नहीं बुलाया गया?

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सबसे बड़ा सवाल यह है कि तबीयत खराब होने के बावजूद उसके स्वास्थ्य की अनदेखी करते हुए उसे चुपचाप सोने दिया गया और सीधा सुबह 10 बजे ही उसकी और ध्यान गया? क्या यह सब स्वभाविक है.

दरअसल, एक उदीयमान सितारा 2 सितंबर की रात में  ऐसा खो गया,कि उस  रिक्त स्थान को देख उसके चाहने वालों की आँखें मानो अपलक ही आसमान निहार रही हों कि क्या पता कब वो सितारा फिर अपनी रोशनी से उनको प्रकाशित कर उनका मन मोहता रहेगा.

जी हाँ! 2 सितंबर बुधवार  की रात टेलीविजन का नामचीन सितारा जिसका प्रगतिपथ विस्तार पर था. 40 साल की अल्पायु में हम सब के बीच मे अपनी यादें छोड़  सदैव के लिए इस फानी दुनिया से अलविदा ले गया.

निसंदेह सिद्धार्थ शुक्ला पर जिंदगी ने भी भरपूर प्यार लुटाया, क्योंकि सिद्धार्थ स्वयं को इस काबिल बना चुका था कि प्यार, शोहरत और मुकाम तीनो को संभालने की ताकत रखते थे, फ़िर क्या चूक हो गई इस बन्दे से ,क्यों  सफर  की भावी  संभावना को भाँप न सका.

परिजन दोस्त जो बता रहे हैं उसके अनुसार सिद्धार्थ की मौत एक सामान्य मौत है,लेकिन अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट फाइनल नहीं आ पाई है .

इस मामले के मनोवैज्ञानिक पहलू का विश्लेषण करें  तो निश्चित रूप से हम ये समझ सकते है कि इस सामान्य सी दिखने वाली मौत की वजह भी किसी न किसी प्रकार का अतिवाद  रहा. बहरहाल, सिक्के के दूसरे पहलू को देखने का इंतजार भले ही समझा जा सकता है,लेकिन लाखों लोगों का  दिल मानने को तैयार ही नहीं कि ऐसे एक सदा मुस्कुराता हुआ चेहरा कैसे शांत हो गया, कि अब सिर्फ छायाचित्र में ही उसको देख पाना सम्भव होगा.

इलाहाबाद में जन्में सिद्धार्थ का सफ़र उसके चेहरे की तरह सुंदर नहीं था.उसने अपने संघर्ष के दम पर अपनी काबलियत साबित की. ये बात और है कि जिस मुकाम पर वो पहुँचना चाहते थे, वहाँ तक वो अभी नहीं पहुँच पाए थे, लेकिन अपना प्रयास करना नहीं छोड़ा, इसी का नतीजा है अनेक प्रतियोगिताओं के विजेता होने के बाद अभी विगत साल दो साल से उनके पास  नए प्रोजेक्ट्स का तांता लगा हुआ था. जिस कारण एक मानसिक दबाव भी ऐसे उभरते कलाकार पर हमेशा बना रहता है.

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मौत और विवाद के सबब

कई टीवी धारावाहिक एक फिल्म के सफल स्टार बिग बॉस 13 के विजेता सिद्धार्थ शुक्ला  शोहरत की बुलंदियां हासिल करने लगा था.

यहां हम आपको यह बताना चाहते हैं कि सिद्धार्थ शुक्ला के  साथ  कई विवाद जुड़े रहे हैं. विगत न्यू ईयर की रात वक्त वे शराब पीकर गाड़ी चला रहे थे और  नशे में होने के कारण  पुलिस ने उनका  ड्राइविंग लाइसेंस जब्त कर लिया था और तो और 2,000 रुपए का फाइन वसूला था.

यही नहीं सिद्धार्थ शुक्ला का नाम कई एक्ट्रेसेज़ से भी जुड़ा. साथी  टीवी एक्ट्रेस रश्मि देसाई से सिद्धार्थ शुक्ला का रिश्ता खट्टा-मीठा रहा. दोनों के बीच काफी लड़ाई जगजाहिर थी.

बिग बॉस में सिद्धार्थ ने खुल कर कहा था – जब रश्मि को मेरे गोवा में होने का पता चला था तो वो खुद मेरे पीछे भागी-भागी चली आई थीं और यहां कह रही है कि मैं उनके पीछे पड़ा हुआ था….!

सीरियल बालिका वधू’ की सहयोगी कलाकार तोरल रासपुत्रा के साथ भी सिद्धार्थ  शुक्ला के रिश्ते सामान्य नहीं थे.

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सिद्धार्थ शुक्ला ने कभी भी अपने नशे की लत के बारे में खुद बात नहीं की थी. हां, बिग बॉस 13 के घर में सहयोगी पारस छाबड़ा ने सिद्धार्थ शुक्ला के नशे की लत के बारे में चौंकावे वाला खुलासा किया था. पारस  ने दावा किया था कि सिद्धार्थ शुक्ला एक समय पूरी तरह नशे में डूब गए थे.और  सिद्धार्थ शुक्ला अपने गुस्से पर कंट्रोल खोने लगे थे. बढ़ते नशे से छुटकारे के लिए  सिद्धार्थ शुक्ला को रीहैब सेंटर में एडमिट करवाया गया था. कुछ महीने रीहैब में रहने के बाद सिद्धार्थ शुक्ला वापस आए. पारस छाबड़ा ने यह भी कहा था कि उन्हें ये बातें सिद्धार्थ शुक्ला के ड्राइवर ने बताई थी.

सिद्धार्थ शुक्ला नशे के कारण अभी कई दफा चर्चा में आए. इन सब तथ्यों के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि आखिर सिद्धार्थ के साथ उस रात क्या हुआ था.

Bigg Boss Ott: भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह हुईं घर से बेघर, फैंस ने लगाई मेकर्स की क्लास

बिग बॉस ओटीटी (Bigg Boss OTT)  दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है. शो में आए दिन कंटेस्टेंट के बीच टकराव के साथ-साथ दोस्ती भी देखने को मिल रही है. तो वहीं ‘रविवार का वार’ एपिसोड में कुछ ऐसा हुआ जिससे फैस को जबरदस्त झटका लगा. आइए बताते हैं शो के लेटेस्ट एपिसोड के बारे में.

रविवार का वार एपिसोड में एक साथ दो कंटेस्टेंट्स को शो से बाहर कर दिया गया. जी हां, इस एपिसोड में शो के होस्ट करण जौहर ने ऐलान किया कि मिलिंद गाबा और अक्षरा सिंह घर से बाहर जाएंगे.  इस शॉकिंग एलिमिनेशन के बाद फैंस हैरान रह गये.

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ऐसे में यूजर्स ने सोशल मीडिया पर बिग बॉस के मेकर्स की क्लास लगाई है. इसके साथ ही शो के होस्ट करण जौहर को भी खरी-खोटी सुनाई है. यूजर्स का कहना है कि जानबूझकर शो से अच्छे लोगों को बाहर किया जा रहा है. यूजर्स ने सोशल मीडिया पर ये भी पोस्ट किया है कि करण जौहर हर बार भेदभाव करते हैं.

 

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अक्षरा सिंह के फैंस काफी गुस्से में हैं और वे अक्षरा की शो में वापसी की मांग कर रहे हैं. फिलहाल शो में नेहा भसीन, राकेश बापत, मूस जट्टाना, दिव्या अग्रवाल,  प्रतीक सहजपाल, निशांत भट्ट और शमिता शेट्टी कुल 7 कंटेस्टेंट बचे हैं.

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मेकअप रूम में जोर से चिल्लाईं ‘अनुपमा’, देखें Video

टीआरपी चार्ट में शामिल सीरियल अनुपमा की लीड एक्ट्रेस रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) ने एक नया वीडियो शेयर किया है. यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब धमाल मचा रहा है. इस वीडियो में एक्ट्रेस अपने मेकअप रूम में बैठी हुई नजर आ रही हैं और बाद में जोर से चिल्लाने लगती हैं. आइए बताते हैं अनुपमा के इस वीडियो के बारे में.

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि अनुपमा मेकअप करवा रही है और गाना गुनगुना रही है. गाना गुनगाने के बाद अचानक से अनुपमा अगले ही पल इतना जोर से चिल्लाती हैं कि उनके आसपास खड़े लोग भी डर जाते हैं. अनुपमा का यह वीडियो उनके फैंस को काफी पसंद आ रहा है.

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अनुपमा का ये अंदाज उनके किरदार से काफी अलग है. इस वीडियो को काफी कम टाइम में 20 हजार से भी ज्यादा लाइक मिल चके हैं. रूपाली गांगुली अक्सर सोशल मीडिया पर फनी वीडियोज शेयर करती रहती हैं, जिसे फैंस काफी पसंद करते हैं. फैंस को उनके पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है.

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सीरियल अनुपमा में इन दिनों कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. सीरियल में आने वाले एपिसोड में आप देंखेंगे कि पाखी अनुपमा और उसके दोस्‍तों की पुरानी तस्‍वीरें दिखाएंगी, जिसे देख वे बीती बातों को याद करने लगेंगे.  तो उधर काव्‍या अनुपमा और अनुज को लेकर कई बातें सुनाएगी. इसी बीच अनुज और समर के एक्सिडेंट की खबर आएगी, जिसे सुनकर अनुपमा के होश उड़ जाएंगे.

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इमली करेगी मालिनी का पर्दाफाश! आदित्य करेगा भरोसा?

स्टार प्लस का पॉपुलर सीरियल इमली में कहानी एक नया मोड़ ले रही है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि  आदित्य की इस हालत की जिम्मेदार मालिनी है. उसने ही सत्यकाम को मोहरा बनाया है. अब मालिनी चाहती है कि इमली-आदित्य हमेशा के लिए एक-दूसरे से दूर हो जाये. तो उधर इमली आदित्‍य का भरोसा जीतने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट  आने वाला हैं. आइए बताते हैं कहानी के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि मालिनी के मुंह से सच उगलवाने के लिए इमली सत्‍यकाम की भी मदद लेती हुई नजर आ रही है.  क्‍योंकि वह मालिनी की सच्चाई जानती है. अब सत्यकाम और इमली मिलकर मालिनी की पोल खोलना चाहते हैं.

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि एक तरफ इमली मालिनी की सच्‍चाई सबके सामने लाने की कोशिश करेगी तो वहीं मालिनी आदित्‍य पर अपना दांव खेलेगी. वह चाहेगी कि आदित्‍य इमली की बातों का भरोसा न करें. वह आदित्य का ब्रेनवाश करेगी.

 

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शो में आप देखेंगे कि इमली एक प्लान बनाएगी. वह मालिनी को फंसाने के लिए चाल चलेगी. इमली चाहेगी मालिनी को उसके प्‍लान पर शक न हो. इमली मालिनी को इस बात की भनक भी नहीं लगने देगी कि वह उसकी सच्‍चाई आदित्य के सामने लाने में लगी हुई है.

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मालिनी का पर्दाफाश करने के लिए इमली खुद बेवकूफ बनती रहेगी. इस तरह वह इमली के जाल में फंसती जाएगी. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि इमली मालिनी का पर्दाफाश कैसे पर्दाफाश करती है, और आदित्य का भरोसा फिर से जीतेगी?

मिसाल: रूमा देवी- झोंपड़ी से यूरोप तक

फैशन शो यानी तरहतरह के कपड़ों को नए अंदाज में पेश करने का जरीया. इसी तरह का एक फैशन शो चल रहा था, जिस में अनोखी कढ़ाई से सजे कपड़े पहन कर फैशनेबल मौडल रैंप पर आ कर सधी चाल में चल रही थीं.

आखिर में इन कपड़ों की डिजाइन तैयार करने वाली राजस्थानी अंदाज में सजीधजी मुसकराते हुए एक औरत स्टेज पर आई. यह वही औरत थी रूमा देवी, जिस ने अपनी क्षेत्रीय कला को मौडर्न रूप दे कर दुनियाभर में नाम दिलाया है.

रूमा देवी का जन्म नवंबर,1988 में राजस्थान के जिले बाड़मेर के एक छोटे से गांव रातवसर में एक सामान्य परिवार में हुआ था. उन के पिता का नाम खेतारम तो मां का नाम इमरती देवी था.

जब रूमा देवी 5 साल की थीं, तभी उन की मां की मौत हो गई थी. मां की मौत के बाद पिता ने दूसरी शादी कर ली.

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सौतेली मां के साथ रहने के बजाय रूमा देवी अपने चाचा के साथ रहने लगीं. 7 बहनों और एक भाई में रूमा देवी सब से बड़ी थीं.

राजस्थान में तब पीने के पानी की बड़ी किल्लत थी. रूमा देवी ने वे दिन भी देखे हैं, जब पीने के लिए पानी  10 किलोमीटर दूर बैलगाड़ी से लाया जाता था.

8वीं जमात पास करने के बाद रूमा देवी की पढ़ाई छुड़वा दी गई. स्कूल छूटने के बाद वे अपनी चाची के साथ घरगृहस्थी के कामकाज सीखते हुए घर के कामों में मदद करने लगीं.

17 साल की ही छोटी उम्र में रूमा देवी की शादी बाड़मेर के ही गांव बेरी के रहने वाले टिकूराम से कर के उन्हें ससुराल भेज दिया गया.

टिकूराम नशामुक्ति संस्थान, जोधपुर के साथ मिल कर काम करते हैं. उसी छोटी उम्र में रूमा देवी ने एक बेटे को जन्म दिया, पर उन का मासूम बेटा उचित इलाज न मिलने की वजह से महज 48 घंटे बाद ही काल के गाल समा गया.

इस आघात से निकलना रूमा देवी के लिए आसान नहीं था, पर उन के घर की माली हालत काफी खराब थी, इसलिए उन्होंने घर से कुछ ऐसा करने के बारे में विचार किया, जिस से वे भी चार पैसे कमा कर घर वालों की मदद कर सकें.

रूमा देवी की दादी ने उन्हें कसीदाकारी की कला सिखाई थी. अपने बेटे की मौत के शोक में दिन काट रही रूमा देवी के मन में अपनी इस कला के जरीए आजीविका चलाने का विचार आया. उन्होंने परिवार वालों को बताया. पहले तो उन्होंने विरोध किया, पर किसी तरह राजी कर के रूमा देवी ने घर में ही हाथ द्वारा सिलाई कर के एक हैंडबैग बनाना शुरू किया.

रूमा देवी द्वारा बनाए गए पहले हैंडबैग को बेच कर कुल 70 रुपए की कमाई हुई. इस 70 रुपए से उन्होंने आगे के सफर के लिए कुशन, धागा, कपड़ा और प्लास्टिक का रैपर जैसा सामान खरीदा.

उन्हीं की तरह की दूसरी औरतें भी कुछ कमाई कर सकें, यह सोच कर रूमा देवी ने इस काम के लिए आसपड़ोस की दूसरी औरतों को साथ लेने का निश्चय किया.

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रूमा देवी द्वारा तैयार किए गए स्थानीय ‘महिला बाल विकास’ की  10 औरतों ने 100-100 रुपए जमा कर के अपने काम के लिए जरूरी सामान मंगाया. एक सैकंडहैंड सिलाई मशीन खरीदी.

दसों औरतों ने अलगअलग काम बांट लिए. उन्होंने खास शैली के बाड़मेरी कढ़ाई से सजे हैंडबैग, कुशन कवर, साड़ी और परदे बना कर उन्हें बेचना शुरू किया.

बाकी सहयोगी औरतों को काम मिलता रहे, इस के लिए रूमा देवी ने साल 2008 में बनी और विक्रम सिंह द्वारा चलाई जा रही संस्था ‘ग्रामीण विकास एवं चेतना संस्थान’ से संपर्क किया. यह संस्था राजस्थान हस्तशिल्प उत्पादों द्वारा औरतों को आत्मनिर्भर बनाती है.

साल 2008 में रूमा देवी इस संस्था से जुड़ीं. इस संस्था से रूमा देवी को  3 दिनों का काम मिला. रूमा देवी और उन के साथ काम करने वाली औरतों में काम करने का इतना जोश था कि 3 दिनों का काम उन्होंने एक ही दिन में पूरा कर डाला. इस तरह उन्हें ज्यादा से ज्यादा काम मिलता गया और वे उसे समय से पहले कर के देती रहीं.

रूमा देवी ने संस्था से जुड़ कर उस के लिए हस्तशिल्प के नए डिजाइन तैयार किए. तैयार सामान की बाजार में मांग बढ़ाई, इसीलिए साल 2010 में संस्थान की कमान रूमा देवी को सौंप दी गई. उन्हें संस्था का अध्यक्ष बना दिया गया. इस संस्था का हैड औफिस बाड़मेर में ही है.

रूमा देवी के घर चार पैसे आने लगे, तो वे बाड़मेर के दूसरे गांवों में रहने वाली औरतों को अपने पैरों पर खड़ा करने का निश्चय किया. इस के लिए रूमा देवी ने खुद गाड़ी में बैठ कर दूरदूर तक गांवों  में जा कर वहां रहने वाली औरतों से मिलना शुरू किया.

राजस्थान के गांवदेहात के इलाके में लोग दूरदूर अलगअलग छोटेछोटे घर बना कर रहते हैं, इसलिए रूमा देवी पूरे दिन घूमतीं तो 4-6 परिवारों से ही मुलाकात होती.

रूमा देवी खुद औरत थीं. उन का घर से निकलना किसी को पसंद नहीं था. उन के घर से बाहर जाने पर लोग तरहतरह की बातें करते, ताने मारते, फिर भी हालात से हारे बगैर उन्होंने औरतों और उन के घर वालों को समझाते हुए  75 गांवों की तकरीबन 22,000 औरतों को अपने साथ काम करने के लिए बढ़ावा दिया.

आज रूमा देवी की कोशिशों से ये औरतें अपने परिवार की माली तौर पर मदद कर रही हैं. इन औरतों द्वारा अलगअलग तरह के कपड़ों पर खास तरह के पैचवर्क और कढ़ाई कर के दुपट्टा, कुरती और साड़ी, परदों को सजाया जाता है. उन के बिकने पर जो फायदा होता है, सीधे वह इन औरतों को मिलता है.

आज इस संस्था से जुड़ी औरतों के कामकाज का सालाना टर्नओवर करोड़ों रुपए का है. रूमा देवी द्वारा की गई कोशिशों को साल 2018 में औरतों के लिए सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से नवाजा गया.

15 व 16 फरवरी, 2020 को अमेरिका में आयोजित 2 दिवसीय हार्वर्ड इंडिया कौंफ्रैंस में भी रूमा देवी को बुलाया गया था. तब वहां उन्हें हस्तशिल्प उत्पाद प्रदर्शित करने के साथसाथ हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के बच्चों को पढ़ाने का भी मौका मिला. इस के अलावा रूमा देवी को ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में अमिताभ बच्चन के सामने हौट सीट पर बैठने का मौका मिल चुका है.

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साल 2016-17 में जरमनी में दुनिया का सब से बड़ा ट्रेड फेयर लगा था. उस में शामिल होने के लिए तकरीबन 15 लाख रुपए फीस लगती थी. पर रूमा देवी की टीम को उस ट्रेड फेयर में मुफ्त में बुलाया गया था.

साल 2019 में जब रूमा देवी को ‘फैशन डिजाइनर औफ द ईयर’ घोषित किया गया, तो उन्होंने कहा कि हर महिला में एक खास काबिलीयत होती है. अपनी खूबी की पहचान कर के उसे बाहर लाएं. रूमा देवी पर हाल में एक किताब भी लिखी गई है, जिस का नाम है ‘हौसले का हुनर’.

कोई सही रास्ता- भाग 1: स्वार्थी रज्जी क्या अपनी गृहस्थी संभाल पाई?

‘‘मैं बहुत परेशान हूं, सोम. कोई मुझ से प्यार नहीं करता. मैं कभी किसी का बुरा नहीं करती, फिर भी मेरे साथ सदा बुरा ही होता है. मैं किसी का कभी अनिष्ट नहीं चाहती, सदा अपने काम से काम रखती हूं, फिर भी समय आने पर कोई मेरा साथ नहीं देता. कोई मुझ से यह नहीं पूछता कि मुझे क्या चाहिए, मुझे कोई तकलीफ तो नहीं. मैं पूरा दिन उदास रहूं, तब चुप रहूं, तब भी मुझ से कोई नहीं पूछता कि मैं चुप क्यों हूं.’’

आज रज्जी अपनी हालत पर रो रही है तो जरा सा अच्छा भी लग रहा है मुझे. कुछ महसूस होगा तभी तो बदल पाएगी स्वयं को. अपने पांव में कांटा चुभेगा तभी तो किसी दूसरे का दर्द समझ में आएगा.

मेरी छोटी बहन रज्जी. बड़ी प्यारी, बड़ी लाड़ली. बचपन से आज तक लाड़प्यार में पलीबढ़ी. कभी किसी ने कुछ नहीं कहा, स्याह करे या सफेद करे. अकसर बेटी की गलती किसी और के सिर पर डाल कर मांबाप उसे बचा लिया करते थे. कभी शीशे का कीमती गिलास टूट जाता या अचार का मर्तबान, मां मुझे जिम्मेदार ठहरा कर सारा गुस्सा निकाल लिया करतीं. एक बार तो मैं 4 दिन से घर पर भी नहीं था, टूर पर गया था. पीछे रज्जी ने टेपरिकौर्डर तोड़ दिया. जैसे ही मैं वापस आया, रज्जी ने चीखनाचिल्लाना शुरू कर दिया. तब पहली बार मेरे पिता भी हैरान रह गए थे.

‘‘यह लड़का तो 4 दिन से घर पर भी नहीं था. अभी 2 घंटे पहले आया और मैं इसे अपने साथ ले गया. बेचारे का बैग भी बरामदे में पड़ा है. यह कब आया और कब इस ने टेपरिकौर्डर तोड़ा. 4 दिन से मैं ने तो तेरे टेपरिकौर्डर की आवाज तक नहीं सुनी. तू क्या इंतजार कर रही थी कि कब सोम आए और कब तू इस पर इलजाम लगाए.’’

बीए फाइनल में थी तब रज्जी. इतनी भी बच्ची नहीं थी कि सहीगलत का ज्ञान तक न हो. कोई नई बात नहीं थी यह मेरे लिए, फिर भी पहली बार पिता का सहारा सुखद लगा था. मुझे कोई सजा-ए-मौत नहीं मिल जाती, फिर भी सवाल सत्यअसत्य का था. बिना कुछ किए इतने साल मैं ने रज्जी की करनी की सजा भोगी थी. उस दफा जब पिताजी ने मेरी वकालत की तब आंखें भर आई थीं मेरी. हैरानपरेशान रह गए थे पिताजी.

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‘‘यह बेटी को कैसे पाल रही हो, कृष्णा. कल क्या होगा इस का जब यह पराए घर जाएगी?’’

स्तब्ध रह गया था मैं. अकसर मां को बेटा अधिक प्रिय होता है लेकिन मेरी मां ने हाथ ही झाड़ दिए थे.

‘‘चले ही तो जाना है इसे पराए घर. क्यों कोस रहे हो?’’

‘‘सवाल कोसने का नहीं है. सवाल इस बात का है कि जराजरा सी बात का दोष किसी दूसरे पर डाल देना कहां तक उचित है. अगर कुछ टूटफूट गया भी है तो उस की जिम्मेदारी लेने में कैसा डर? यहां क्या फांसी का फंदा लटका है जिस में रज्जी को कोई लटका डालेगा. कोई गलती हो जाए तो उसे मानने की आदत होनी चाहिए इंसान में. किसी और में भी आक्रोश पनपता है जब उसे बिना बात अपमान सहना पड़ता है.’’

‘‘कोई बात नहीं. भाई है सोम रज्जी का. गाली सुन कर कमजोर नहीं हो जाएगा.’’

‘‘खबरदार, आइंदा ऐसा नहीं होगा. मेरा बच्चा तुम्हारी बेटी की वजह से बेइज्जती नहीं कराएगा.’’

पुरानी बात है यह. तब इसी बात पर हमारा परिवार बंट सा गया था. तेरी बच्ची, मेरा बच्चा. पिताजी देर तक आहत रहे थे. नाराज रहे थे मां पर. क्योंकि मां का लाड़प्यार रज्जी को पहले दरजे की स्वार्थी और ढीठ बना रहा था.

‘‘समझ में नहीं आता सुकेश भी क्यों मेरी जराजरा सी बात पर तुनके से रहते हैं.’’

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रज्जी अपने पति की बेरुखी का गिला मुझ से कर रही है. वह इंसान जो बेहद ईमानदार और सच्चा है. मैं अकसर मां से कहता भी रहता हूं. रज्जी को 24 कैरेट सोना मिला है. शुद्ध पासा सोना. और यह भी सच है कि मेरी बहन उस इंसान के लायक ही नहीं है जो निरंतर उस पासे सोने में खोट मिलाने का असफल प्रयास करती रहती है. लगता है उस इंसान की हिम्मत अब जवाब दे गई होगी जो उस ने रज्जी को वापस हमारे घर भेज दिया है.

‘‘इतना झूठ और इतनी दोगली बातें मेरी समझ से भी परे हैं. हैरान हूं मैं कि यह लड़की इतना झूठ बोल कैसे लेती है. दम नहीं घुटता इस का.’’

शर्म आ रही थी मुझे. कैसे उस सज्जन पुरुष से यह कहूं कि मुझ से क्या आशा करते हो. मैं तो खुद अपनी मां और बहन की दोगली नीतियों का भुक्तभोगी हूं.

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सौजन्य- मनोहर कहानियां

अभी तक की पूछताछ में हर अधिकारी के सामने इस मामले के 3 मुख्य संदिग्ध कमल सिंगला, शकुंतला, उस का भाई राजू एक ही कहानी सुना रहे थे. अगर वे झूठ बोल रहे थे तो सच्चाई बाहर लाने का अब एक ही रास्ता बचा था कि उन का लाई डिटेक्टर टेस्ट करा लिया जाए.

वैसे भी रजनीकांत को लगा कि इस मामले में शकुंतला और कमल की मिलीभगत की आशंका ज्यादा हो सकती है. इसलिए तीनों संदिग्धों से लंबी पूछताछ के बाद रजनीकांत ने अदालत से आदेश ले कर 2 मार्च, 2012 को शकुंतला, उस के भाई राजू और कमल का पौलीग्राफ टेस्ट कराया.

लेकिन पौलीग्राफ परीक्षण की रिपोर्ट आने के बाद जांच अधिकारी रजनीकांत की उम्मीदों पर पानी फिर गया, क्योंकि तीनों ही संदिग्ध परीक्षण में खरे उतरे थे.

लेकिन न जाने क्यों रजनीकांत इन नतीजों से संतुष्ट नहीं थे. पर उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी और दूसरे पहलुओं को टटोलते हुए जांच को आगे बढ़ाते रहे.

रवि के परिवार की तरफ से शकुंतला और उस के परिवार पर आरोप लगाए जाने के बाद उन्होंने जयभगवान के घर आना भी बंद कर दिया.

संयोग से जांच अधिकारी रजनीकांत का भी तबादला हो गया तो उस के बाद एसआई सूरजभान आए. कुछ महीनों के बाद उन का भी तबादला हो गया तो एसआई धीरज के हाथ में जांच आई,

कुछ महीनों तक जांच उन के हाथ में रही फिर उन के तबादले के बाद एसआई पलविंदर को जांच का काम सौंपा गया. फिर 2017 के शुरू होते ही उन का भी तबादला हो गया. इस के बाद जांच की जिम्मेदारी मिली एसआई जोगेंद्र सिंह को.

इस दौरान मार्च, 2017 में इस केस की स्टेटस रिपोर्ट देख कर हाईकोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया कि तीनों संदिग्धों की ब्रेनमैपिंग (नारको टेस्ट) कराया जाए.

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टीम ने अलवर में डाला डेरा

एसआई जोगेंद्र ऐसे ही किसी मौके का इंतजार कर रहे थे. उन्होंने तीनों के इस टेस्ट  की प्रक्रिया शुरू कर दी. अदालत में तीनों आरोपियों को पेश कर जोगेंद्र सिंह ने ब्रेनमैपिंग के लिए उन की हामी भी हासिल कर ली.

जिस के बाद तीनों का 2 नवंबर, 2017 से 6 नवंबर, 2017 के बीच गुजरात के गांधी नगर में ब्रेनमैपिंग टेस्ट कराया. वहां जा कर कमल और राजू ने तो टेस्ट करा लिया, मगर शकुंतला ने तबीयत बिगड़ने की बात कह कर ब्रेन मैपिंग कराने से इनकार कर दिया.

लेकिन बे्रनमैंपिग के जो परिणाम पुलिस के सामने आए, उस ने जोगेंद्र सिंह को सोचने पर मजबूर कर दिया. हालांकि राजू ब्रेनमैपिंग टेस्ट में सत्य पाया गया. लेकिन ऐसे कई सवाल थे, जिन के कारण कमल सिंगला पर अब इस मामले में शामिल होने का शक शुरू हो गया था.

एसआई जोगेंद्र सिंह समझ गए कि इस जांच को आगे ले जाने के लिए उन्हें अलवर में डेरा डालना पड़ेगा.

वे आगे की काररवाई कर ही रहे थे कि मार्च 2018 में अचानक उन का भी तबादला हो गया. जोगेंद्र सिंह की जांच से कम से कम अनुसंधान का काम एक कदम आगे तो बढ़ गया था और जांच के लिए एक टारगेट भी तय हो गया था.

इसी बीच जांच के नए अधिकारी के रूप में एसआई करमवीर मलिक को रवि के अपहरण केस की फाइल सौंपी गई. उन्होंने जांच का काम हाथ में लेते ही पहले पूरी फाइल का अध्ययन किया.

केस की बारीकियों को गौर से समझने के बाद उन्होंने अपने 2 सब से खास एएसआई जयवीर और नरेश के साथ कांस्टेबल हरेंद्र की टीम बनाई. इस के बाद टीम को उन तीनों संदिग्धों को लाने के लिए अलवर रवाना किया, जिन का नाम बारबार इस केस में सामने आ रहा था.

जयवीर और नरेश जब अलवर के टपूकड़ा गए तो वहां संयोग से उन्हें राजू मिल गया. राजू ने पूछताछ में जो कुछ बताया, उस के बाद एक अलग ही कहानी सामने आई.

पता चला कि ब्रेन मैपिंग टेस्ट होने के बाद जब शकुंतला और कमल गुजरात से वापस लौटे तो कुछ रोज बाद ही अचानक शकुंतला घर से भाग गई.

पिछले कुछ समय से कमल जिस तरह शकुंतला के करीब आ रहा था और शकुंतला भी ज्यादा वक्त उस के ही साथ बिताने लगी थी, उसे देख कर घर वालों को लगा कि शकुंतला के भागने में कमल का हाथ है.  इसीलिए उन्होंने कमल से शकुंतला के बारे में पूछा. लेकिन वह साफ मुकर गया कि उसे शकुंतला के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

लिहाजा परिवार वालों ने कमल सिंगला के खिलाफ शकुंतला के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. लेकिन कमल पुलिस के हाथ आने से पहले ही फरार हो गया.

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अलवर पुलिस कमल को तलाश कर ही रही थी कि इसी बीच कमल के एक ड्राइवर बबली ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दिया कि उस ने शकुंतला से शादी कर ली है और पुलिस बिना वजह उस के मालिक को परेशान कर रही है.

जांच में आया नया मोड़

बबली ने साथ में आर्यसमाज मंदिर में हुई शकुंतला से अपनी शादी का प्रमाण पत्र भी दिया था. उसी के साथ में शकुंतला की तरफ से भी एक शपथ पत्र संलग्न था, जिस में उस ने बबली से शादी करने की पुष्टि की थी.

हाईकोर्ट ने अलवर पुलिस को कमल के खिलाफ दर्ज अपहरण के मामले को खत्म करने का आदेश दे दिया. जिस के बाद उस के खिलाफ एफआईआर रद्द हो गई.

शकुंतला के भाई राजू ने जो कुछ बताया था, उसे जानने के बाद एएसआई जयवीर की मामले में दिलचस्पी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई.

कमल से मिलने की उन की बेताबी बढ़ गई. लेकिन इस से पहले बबली से मिलना जरूरी था. क्योंकि उस ने शकुंतला से शादी की थी, जिस कारण अब संदेह के  दायरे में सब से पहले वही आ रहा था.

पुलिस टीम ने टपूकड़ा थाने जा कर जब कमल के खिलाफ दर्ज हुई एफआईआर के बारे में जानकारी हासिल की तो उस केस की फाइल में बबली नाम के उस के ड्राइवर के घर का पता मिल गया.

एएसआई जयवीर ने बबली के घर का पता हासिल किया और उस के गांव बाघोर पहुंच गए.

बबली के घर उस के मातापिता के अलावा पत्नी और 3 बच्चे भी मिले. बबली की पत्नी से मिलने के बाद तो एएसआई जयवीर का सिर ही चकरा गया. क्योंकि उस की पत्नी शकुंतला नहीं बल्कि कोई अन्य महिला थी और वह भी 3 बच्चों की मां.

कहानी में अब दिलचस्प मोड़ आ गया था. पुलिस टीम ने जब परिजनों से बबली के बारे में पूछा तो पता चला कि लूटपाट के एक मामले में बबली कोटा जेल में बंद है. अब तो बबली से मिलना क्राइम ब्रांच के लिए बेहद जरूरी हो गया था.

जयवीर और नरेश ने परिजनों से बबली के बारे में तमाम जानकारी ले कर कोटा की अदालत में उस से जेल में मुलाकात कर के पूछताछ करने की अनुमति मांगी.

पुलिस टीम को पूछताछ की इजाजत मिल गई और जयवीर सिंह अपनी टीम के साथ कोटा जेल में जब बबली से मिले तो रवि के अपहरण केस की तसवीर पूरी तरह साफ हो गई.

बबली ने बताया कि वह तो पहले से ही शादीशुदा है. उस के 3 बच्चे भी हैं. वह डेढ़ साल से कमल सिंगला के पास ड्राइवर की नौकरी कर रहा है.

कुछ महीने पहले अचानक जब शकुंतला के घर से भागने के बाद उस के घर वालों ने कमल के खिलाफ शकुंतला के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई तो कमल ने बबली को कुछ रुपए दे कर दबाव डाला कि वह हाईकोर्ट में एक शपथ पत्र दाखिल कर दे कि उस ने शकुंतला से शादी कर ली है.

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बबली ने खुलासा किया कि वकील कराने से ले कर शकुंतला का शपथ पत्र और शकुंतला से उस की शादी का आर्यसमाज मंदिर का प्रमाण पत्र कमल ने ही उसे उपलब्ध कराया था.

चूंकि वह नौकरी और पैसे के लालच में मजबूर था, इसलिए उस ने कमल के कहने पर ये काम कर दिया था. इसी के कारण कमल के खिलाफ दर्ज शकुंतला के अपहरण का मामला खत्म हो गया था.

पुलिस जिस कमल को मासूम मान रही थी, उस का शातिर चेहरा सामने आ चुका था. पुलिस को यकीन हो गया कि रवि के अपहरण और उस की हत्या में भी कमल का ही हाथ होगा.

अगले भाग में पढ़ें- इश्क में अंधा हुआ कमल

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