कुछ लोग शनिवार के दिन नए जूते पहनने या खरीदने को अच्छा नहीं मानते हैं. अब ऐसे लोगों से पूछें कि क्या जूते की दुकानें शनिवार को बंद रहती हैं या वहां कोईर् खरीदारी नहीं होती? जूते खरीदने हों तो उस के लिए कोई दिन अच्छा या बुरा नहीं होता.

इसी तरह एक अंधविश्वास यह भी है कि शनिवार को तेल नहीं खरीदना चाहिए, फिर चाहे वह मूंगफली का हो या सरसों का या फिर सोयाबीन का. समझ में नहीं आता कि इस दिन खरीदे गए तेल में क्या जहर घुल जाता है? क्या शनिवार को खरीदे गए तेल में बना भोजन स्वादिष्ठ नहीं होता?

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होटल, ढाबे और ठेले वाले क्या दिन देख कर तेल खरीदते हैं? क्या इस दिन तेल मिलें बंद रहती हैं या उन में उत्पादन नहीं होता? जब शनिवार को तेल बन सकता है, तो खरीदने में क्या दिक्कत है?

एक रिवाज यह भी है कि शनिवार को नमक नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि इस से आदमी कर्जदार होता है. कर्जदार कर्ज लेने से होता है, नमक खरीदने से नहीं. वैसे भी नमक इतना महंगा नहीं है कि एक किलो नमक खरीदने के लिए किसी को कर्ज लेना पड़े. नमक तो खाने में इस्तेमाल होने वाली एक चीज है, उसे किसी भी दिन खरीद सकते हैं.

शनिवार को लोहा या लोहे से बनी चीजें खरीदने को भी अपशकुन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन कैंची तक नहीं खरीदनी चाहिए.

लोहा खरीदने में शकुनअपशकुन का बंधन क्यों? लोहे से बनी छोटी आलपिन या कील से ले कर घर बनाने में काम आने वाले सरिए वगैरह खरीदने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

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