जतिन अपनी मोटरसाइकिल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के डिलारी- मुरादाबाद मार्ग पर सरपट दौड़ाए जा रहा था. उस पर बैठी टीना जतिन की कमर को कस कर पकड़े हुए थी. इसी बीच उसे एक झटका लगा और हल्की सी चीख निकल गई.

‘‘ठीक से चलाओ, मुझे गिरा दोगे क्या?’’ टीना बोली.

‘‘अरे, तुम्हें कैसे गिरा दूंगा, तुम तो मेरी जान हो.’’ कहते हुए जतिन ने मोटरसाइकिल रोक दी.

‘‘अब मोटरसाइकिल क्यों रोक दी. तुम्हें पता नहीं कितनी खरीदारी करनी है और अंधेरा होने से पहले घर भी लौटना है.’’ टीना ने कहा.

‘‘हांहां, सब पता है, लेकिन उधर देखो पुलिस ने अचानक बेरियर गिराकर रास्ता बंद कर दिया. मैं तो तेजी से निकलना चाहता था, लेकिन...’’

‘‘लेकिन क्या? तुम्हें तो बस बहाना चाहिए.’’ टीना अब थोड़ा नाराज हो गई थी. जतिन उस की मुंडी को रास्ता बंद बैरियर की ओर घुमाते हुए बोला, ‘‘ ठीक से देखो न उधर!’’

‘‘तो अब क्या करें?’’ टीना ने सवाल किया.

‘‘करना क्या है, वापस सुरजन नगर चलते हैं. वहीं कुछ देर समय गुजारेंगे.’’

‘‘ और शौपिंग?’’

‘‘अब मुझे क्या पता था कि मुरादाबाद में भी लौकडाउन लगा होगा.’’ जतिन ने सफाई दी.

‘‘तो फिर वहीं से कुछ सामान खरीद लेते हैं.’’

‘‘हांहां, यही ठीक रहेगा. मुझे ध्यान आया मुरादाबाद का लौकडाउन वीकेंड का है, सोमवार को खुल जाएगा.’’

‘‘तो फिर मुरादाबाद सोमवार को चलते हैं. अभी तो हमारी शादी में 6 दिन बचे हैं.’’ टीना बोली.

‘‘ठीक है,’’ कहते हुए जतिन ने सुरजन नगर के लिए मोटरसाइकल

घुमा ली.

‘‘अच्छी तरह बैठ जाओ, वहां का रास्ता ठीक नहीं है.’’ जतिन के कहने पर टीना ने पहले की तरह उस की कमर को कस कर पकड़ लिया. थोड़ी देर में दोनों सुरजन नगर मार्ग पर आ गए थे.

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