अंधविश्वास: अजब अजूबे रंग !

अंधविश्वास चाहे जैसा भी हो हमारे विवेक शील मनुष्य होने पर एक प्रश्न चिन्ह लगाता है.यह समय और समाज पर प्रश्न चिन्ह है. इसके बावजूद अंधविश्वास की अजब गजब हरकतें देखने को मिलती है जो यह बताती है कि आज 21 वी शताब्दी में भी लोगों के जेहन में किस तरह अशिक्षा और पिछड़ापन समाया हुआ है. जिसे दूर करने की आवश्यकता है.

अंधविश्वास कुछ ऐसे होते हैं कि जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते अब आप ही सोचिए
अगर किसी शख्स की करंट (बिजली) से मौत हो जाये और अगर उसे कीचड़ से लपेट दिया तो उसका जीवन लौट आएगा? डूबने से किसी की मौत के बाद उसे उल्टा लटका दिया जाए और यह माना जाए कि यह जीवित हो जाएगा तो क्या यह मानसिक दिवालियापन और अंधविश्वास की पराकाष्ठा नहीं है.

लोगों में आज भी अंधविश्वास कुछ ऐसा कूट कूट कर भरा हुआ है कि यह देखकर आश्चर्य होता है कि दुनिया जब चांद सितारों तक पहुंच गई है जब रोबोट सब कुछ नियंत्रित करने के लिए बन कर तैयार हैं, आज भी हमारे देश में अंधविश्वास की घटनाएं घटित हो रही है जो यह बता रही हैं कि पिछड़ापन और कमजोर सोच किस तरह हमारे देश के लोगों को घुन की तरह खा रही है.

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 करंट से मौत के बाद, कीचड़

मध्यप्रदेश के धार जिले  में महू से लगे सागौर के मोतीनगर में दो व्यक्ति करंट की चपेट में आ गए. एक की मौत हो गई गई, जबकि दूसरा झुलस गया. घायल शख्स को लोग अस्पताल ले गए जबकि मृतक को कीचड़ में लपेट दिया गया. परिवार के सदस्यों का मनना था कि शायद ऐसा करने से फिर से सांसें चलने लगेंगी. इसी दौरान बात पुलिस तक पहुंची और वह आ पहुंची. पुलिस ने मृतक के साथ परिजनों का कु कृत्य देखा तो परिजनों को समझाया, कहा- यह अंधविश्वास है। इससे सांसें नहीं लौटेगी.

इस पर परिजनों ने पुलिस की बात मानने से इनकार कर दिया और गिड़गिड़ा कर के कहने लगे कि साहब आप देख लेना यह जिंदा हो जाएगा.

पुलिस के लाख समझाने के बाद भी परिजन अपनी बात पर अड़े रहे मामला मानवीय संवेदना का था इसलिए पुलिस को भी इंतजार करना पड़ा और समय सीमा समाप्त होने के बाद भी मृतक जिंदा नहीं हुआ तो परिजनों के चेहरे लटक गए.

इसके  बाद पुलिस ने मृतक को पोस्टमार्टम के लिए हॉस्पिटल भेज दिया.

पुलिस ने हमारे संवाददाता को बताया मोतीनगर में भागीरथ शंकरलाल का मकान बन रहा था उसके मकान के ऊपर से 11 केवी लाइन गुजर रही है.यहां जाकुखेड़ी निवासी मजदूर सलमान (30) पुत्र जब्बार पटेल व इरफान (30) उर्फ गट्टा पुत्र साबिर पटेल टेप से बिजली की लाइन की दूरी की नाप रहे थे. इसी दरमियान  करंट की चपेट में आकर हादसे का शिकार हो गए. करंट से सलमान की मौत हो गई, वहीं इरफान गंभीर घायल हो गया .

और शुरू हो गया अंधविश्वास

करंट से मौत के बाद मृतक के परिजन भी आ पहुंचे, किसी ने उन्हें सलाह दी कि सावन भादो का महीना है ऐसे में अगर किसी करंट या बिजली से मृत व्यक्ति को कीचड़ में कुछ समय के लिए दबा दिया जाए तो वह जिंदा हो जाता है. इस बात को मृतक के परिजनों ने मान लिया और तुरंत मृतक को कीचड़ में ले गए. आनन-फानन में मृतक सलमान को कीचड़ में रखकर  उसके ऊपर ढेर सारी कीचड़ डाल दी गई और इंतजार किया जाने लगा कि अब चमत्कार होगा सलमान फिर से जिंदा हो जाएगा.

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बीच सड़क पर अंधविश्वास का नाटक देख कर कुछ लोगों ने प्रशासन के पास इसकी शिकायत की थोड़ी ही देर बाद पुलिस पहुंची और सारा नजारा देखने के बाद भी परिजनों को समझाने का प्रयास किया गया मगर वे नहीं माने और अपनी बात पर टिके हुए थे. मामला चूंकि अनोखा और अजूबे से भरा हुआ था ऐसे में स्थानीय मीडिया भी घटनास्थल पर पहुंची और सब कुछ रिकॉर्ड में आता चला गया.

यहां उल्लेखनीय है कि आसपास के लोगों ने घायल इरफान को  इलाज के लिए अस्पताल ले गए, लेकिन सलमान को परिजन ने उसे जीवित करने के  नाम पर  कीचड़ लपेट अंधविश्वास का परिचय देते रहे. संवाददाता के अनुसार थाना प्रभारी राजेंद्रसिंह भदौरिया जब घटना स्थल पहुंचे‌ और भारी मशक्कत के बीच शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा. उन्होंने बताया मृतक सलमान के दो बच्चे हैं.

दूसरी तरफ बिजली कंपनी के  जूनियर इंजीनियर इम्तियाज खान  के मुताबिक कुछ लोग 11 केवी लाइन के नीचे मकान बना रहे हैं, जो अपने आप में अपराधिक कृत्य है लोगों को यह समझना चाहिए कि हम अपनी जान से न खेलें और अवैध निर्माण ना करें.

Crime Story: नैनीताल की घाटी में रोमांस के बहाने मिली मौत

लेखक- शाहनवाज

राजधानी दिल्ली के गोविंदपुरी में किराए पर रहने रहने वाले राजेश और बबीता के बीच लगभग हर दिन की तरह उस रोज भी झगड़ा शुरू हो गया था. उन की रोजरोज की तूतूमैंमैं के झगड़े से मकान में रहने वाले दूसरे किराएदार तंग आ चुके थे. समय सुबह के साढ़े 7 बजे का था. तारीख थी 7 जून. लौकडाउन का दौर चल रहा था, किंतु अनलौक की कुछ छूट भी मिली हुई थी.

लोगों का अपनेअपने कामधंधे पर आनेजाने का सिलसिला शुरू हो चुका था. जबकि कमरे में राजेश अपने बिस्तर पर औंधे मुंह लेट कर फोन पर फेसबुक चला रहा था. शायद वह कोई वीडियो देखने में मग्न था.

यह उस के रोज के रूटीन में शामिल हो चुका था. वह कभी वाट्सऐप मैसेज कर रहा होता या फिर यूट्यूब का वीडियो देख रहा होता था. इसी को ले कर उस की पत्नी बबीता चिढ़ती रहती थी.

उस रोज भी बबीता यह देख कर भड़क गई थी. तीखे शब्दों में गुस्से से चीखती हुई बोली, ‘‘कुछ कामधंधा भी करना है या सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े दांत निपोरते रहते हो? जब देखो तब फोन पर लगे रहते हो. कम से कम मेरे काम में तो हाथ बंटा दो.’’

बिस्तर पर पड़ेपड़े राजेश बोला, ‘‘कर लूंगा न काम, चिल्ला क्यों रही है. कौन सा भूखा रखा हुआ है मैं ने.’’

राजेश की इस बात से खीझते हुए बबीता ने कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. याद है कि नहीं? लौकडाउन में मेरी मां नहीं होती तो भूखे मर जाते. तुम से शादी कर मैं ने सच में अपनी जिंदगी बरबाद कर ली है.’’

‘‘तो नहीं करती शादी मुझ से. किसी ने जबरदस्ती थोड़े न की थी.’’ राजेश ने बबीता की बातों का जवाब देते हुए कहा.

यह सुन कर बबीता का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘जबरदस्ती? याद दिलाऊं क्या? जबरदस्ती किस ने की थी? अगर तुम से शादी नहीं की होती तो जेल में सड़ रहे होते.’’

बबीता की इस बात से राजेश का दिमाग झनझना गया. वह तुरंत बिस्तर पर उठ बैठा. गुस्से में एक ओर मोबाइल पटकता हुआ खड़ा हो गया.

एक पल के लिए अतीत आंखों के आगे घूम गया. अचानक गुस्से में उस ने बबीता का मुंह दबा दिया. नाराजगी जताते हुए बोला, ‘‘तुझे कितनी बार मना किया है. आइंदा अपना मुंह खोलने से पहले सोच लिया करो. याद रखना पहले क्या किया था और मैं अब क्या कर सकता हूं.’’

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बबीता भी राजेश की इस धमकी से कहां चुप रह जाने वाली थी. राजेश के हाथ से मुंह छुड़ा कर कड़ाई के साथ जवाब देते हुए बोली, ‘‘तुम्हारी इस धमकी से डरने वाली नहीं हूं मैं, बड़े आए धमकी देने वाले. अगर आगे से ऐसी धमकियां दीं तो तुम याद रखना कि मैं क्या कर सकती हूं.’’

कहते हुए बबीता ने बाथरूम में जा कर फटाफट अपने कपड़े बदले. बैड के पास रखा अपना हैंडबैग उठाया. गुस्से में कपड़े के एक थैले में अपने 3-4 जोड़ी कपड़े भरे. पैरों में सैंडल डाली और बिना राजेश को बताए घर से निकल गई.

राजेश सामने खड़ाखड़ा देखता रह गया. उस ने बबीता से यह पूछने की हिम्मत भी नहीं की कि वह कहां जा रही है. राजेश को पता था कि बबीता अपने मायके जा रही है. वह अकसर ऐसा ही करती थी.

दोनों की शादी के बाद जब कभी उन के बीच झगड़ा होता और बबीता रूठ कर या झगड़ कर अपनी मां के पास चली जाती थी. 4-5 दिनों बाद खुद ही वापस आ भी जाती थी.

दरअसल, 25 वर्षीय राजेश रोय और 29 वर्षीय बबीता दोनों एकदूसरे को साल 2020 की शुरुआत से ही जानते थे. उस समय भारत में कोरोना की वजह से लौकडाउन नहीं लगा था. राजेश तब दिल्ली में जनकपुरी के नजदीक सिटी माल में सेल्समैन का काम करता था.

नए साल के मौके पर जब बबीता अपने दोस्तों के साथ शौपिंग करने के लिए सिटी माल गई थी तो उस की जानपहचान वहां काम कर रहे राजेश से हुई थी.

राजेश के हावभाव और बातचीत करने के अंदाज पर बबीता फिदा हो गई थी. जबकि वह उस से उम्र में बड़ी थी. न जाने उसे क्या सूझी कि वह बारबार माल जाने लगी. राजेश ने भी महसूस किया कि बबीता उस से ही मिलने आती है.

जल्द ही दोनों की जानपहचान दोस्ती में बदल गई. 2 महीने के दौरान उन के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गईं. यौवनावस्था की उम्र में एक समय ऐसा भी आया, जब उन के प्रेम पर वासना हावी हो गई. दोनों खुद को रोक नहीं पाए और उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.

मांबाप की लाडली बेटी होने कारण बबीता कुछ अधिक ही आजाद खयाल की हो गई थी. मातापिता ने शादीब्याह के मामले में उस पर अपनी मरजी नहीं थोपी थी. वह केवल इतना चाहते थे कि बबीता की शादी जानपहचान में ही हो तो अच्छा है. बबीता भी यही चाहती थी.

मार्च, 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना प्रकोप के चलते लौकडाउन लग गया था. 2 प्रेमी अपनेअपने घरों में कैद हो चुके थे. मिलने के लिए उन की बचैनी और बेकरारी बढ़ती जा रही थी. वे फोन पर बातें कर अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे. इसी बीच बबीता ने पेट से होने की बात राजेश को बताई.

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राजेश यह सुनते ही नाराज  हो गया. उस ने बच्चे को अपनाने से साफ इनकार कर दिया. इस से बबीता के मन को काफी ठेस पहुंची. राजेश ने लौकडाउन के दौरान बबीता से बच्चा गिराने की भी बात कही, लेकिन वह इस के लिए हिम्मत नहीं जुटा सकी.

जून 2020 में लौकडाउन में कुछ राहत  मिलने पर एक दिन राजेश बबीता को घुमाने के बहाने गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गया. वहां उस ने गर्भपात की दवा दिलवाई. बबीता इस के तैयार तो नहीं थी, लेकिन उस ने राजेश की जिद को मान लिया और दवा खा ली. कुछ ही दिनों में बबीता का गर्भपात हो गया.

उस के बाद राजेश ने बबीता से बातचीत करना कम कर दिया. वह बबीता से अपने रिश्ते खत्म करना चाहता था. राजेश बबीता के फोन काल इग्नोर करने लगा था. उस के मैसेज का भी कोई जवाब नहीं देता था.

बबीता भी समझने लगी थी कि राजेश उस से पीछा छुड़ाना चाहता है. बबीता को यह बात अच्छी नहीं लगी. वह खुद को धोखा खाया हुआ महसूस कर रही थी.

एक दिन जब बबीता की राजेश से बात हुई तो उस ने सीधे शब्दों में पूछ ही लिया, ‘‘राजेश, हमारे बीच में जो कुछ हुआ और मुझे जो सहना पड़ा है, उस की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है. तुम आखिर चाहते क्या हो, सीधेसीधे जवाब दो.’’

बबीता का सवाल सुन कर राजेश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. घुमाफिरा कर  बोला, ‘‘देखो बबीता, हमारे बीच जो कुछ हुआ, उसे हमेशा के लिए भूल जाओ. नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो. मुझ से भी कोई उम्मीद मत रखना.’’

यह कहते हुए राजेश ने फोन काट दिया. राजेश की बात सुन कर बबीता को धक्का लगा. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि जिस इंसान के साथ उस ने गहरे संबंध बनाए, वही अब उसे भूल जाने की बात कह रहा है.

धोखा खाई बबीता ने गुस्से में 14 जुलाई, 2020 को दिल्ली के डाबड़ी मोड़ थाने में राजेश के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जिसे संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने भादंवि की धारा 376 के तहत राजेश को गिरफ्तार कर 8 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया.

राजेश के जेल जाने पर उस के घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने बबीता के घर वालों से राजेश को छुड़ाने के लिए काफी मिन्नतें कीं. केस वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन बबीता और उस के घर वालों ने इस मामले में किसी भी तरह की बात करने से इनकार कर दिया.

कुछ दिनों बाद राजेश के घर वालों ने बबीता के मांबाप से उस की शादी राजेश से करने की गुजारिश की. इस पर वे तैयार हो गए.

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कुछ शर्तों के आधार पर बबीता ने 19 अक्तूबर, 2020 को राजेश के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली. शादी का एक एफिडेविट भी जमा करवा दिया. इस तरह से कोर्टमैरिज की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर, 2020 में राजेश और बबीता की शादी डाबड़ी मोड़ के नजदीक आर्यसमाज मंदिर में हो गई, उस के बाद  दोनों दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में रहने लगे.

कहते हैं न प्रेम की डोर अगर एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ना मुश्किल होता है. यदि उसे जोड़ लिया जाए, तब भी उस में बनने वाली गांठ संबंध की मधुरता में हमेशा खलल डालती रहती है. यही कारण था कि राजेश और बबीता शादी के बाद भी मधुर संबंध नहीं बना पाए.

उन के बीच मोहब्बत की मिसाल जैसा प्रेम पनप ही नहीं पाया. छोटीछोटी खुशियां नोकझोंक में दफन होने लगीं. कारण दोनों के बीच अकसर झगड़े होते रहते थे.

बातबात पर झगड़े से नाराज हो कर बबीता अपने मायके चली जाया करती. राजेश का काम तो लौकडाउन में छूट ही चुका था, लेकिन अब उसे कहीं और काम मिल भी नहीं रहा था.

ऐसे में किराए पर रहना अब राजेश के लिए भारी पड़ने लगा था. ऊपर से घरेलू खर्चे अलग थे. राजेश की बचीखुची बचत भी अब खत्म होने वाली थी. इस बारे में जब बबीता ने अपनी मां लक्ष्मी देवी को राजेश की इस हालत के बारे में बताया तब उन्होंने राजेश को अपने इलाके में ही किराए पर एक कमरा दिलवा दिया. उस का किराया पहले से कम था. इस राहत के बावजूद राजेश तंगी से जूझ रहा था.

सास को समझता था झगड़े की जड़ लक्ष्मी देवी ने कुछ समय तक अपनी बेटी की आर्थिक मदद की. वह डाबरी मोड़ के पास महिंद्रा पार्क में रहती थी. बबीता वहीं अपनी मां के घर चली जाती थी. राजेश इस बात से और ज्यादा परेशान होने लगा था कि बबीता बातबात पर झगड़ा कर के अपनी मां के घर चली जाती है.

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राजेश इस झगड़े की असली जड़ लक्ष्मी देवी को मानता था. झगड़ा होने पर उसे सबक सिखाने को ले कर धमकाता रहता था. कई बार कह भी चुका था कि वह जेल से बाहर अपने अपमान का बदला लेने के लिए आया है. इस बारे में बबीता अपनी मां को भी बताती थी.

बबीता के पिता डालीराम का निधन हो चुका था. बबीता ही लक्ष्मी देवी के जीने की सहारा थी और उस का पूरा ध्यान रखती थी.

राजेश कुछ समय तक महिंद्रा पार्क में रहा, लेकिन 3-4 महीने बाद दोनों फिर से गोविंदपूरी शिफ्ट हो गए. 7 जून, 2021 को भी झगड़े के बाद बबीता अपने मायके चली गई.

बारबार की इस समस्या से राजेश काफी परेशान हो गया था. 3-4 दिन तक बबीता की हरकतों से छुटकारा पाने के बारे में सोचता रहा. उस ने 11 जून की सुबह 10 बजे बबीता को फोन कर कहा, ‘‘बबीता, गांव में मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है. गांव चलना है.’’

बबीता ने इस की जानकारी अपनी मां को दी. लक्ष्मी देवी भी उन के बीच झगड़ों से काफी परेशान हो गई थी. वह भी सोच में पड़ गई कि क्या करे, क्या नहीं? वह समझ नहीं पर रही थी कि आखिर उन के बीच झगड़ा कैसे खत्म हो पाएगा? सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.

थोड़ी देर बाद लक्ष्मी देवी ने बबीता के हाथ से फोन ले कर राजेश को मिलाया. बोली, ‘‘सुनो राजेश, तुम्हारे कारण मेरी बेटी बारबार मायके आ जाती है. तुझे जरा भी शर्म है या नहीं. मेरी बेटी को ले जाना है तो थाने आ. यहां आ कर ले जा.’’

राजेश गुस्से का घूंट पी कर रह गया. चुपचाप गोविंदपुरी से डाबड़ी मोड़ थाने पहुंचा. थाने में उस ने बताया कि बबीता उस की पत्नी है. वह उस अपने साथ गांव ले जाना चाहता है, जहां उस की मां बीमार है.

बेटी से नहीं हुई बात

बबीता ने राजेश द्वारा धमकियां देने की शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने राजेश का पक्ष मजबूत पाया और उसे बबीता को साथ ले जाने को कह दिया.

वहीं से राजेश बबीता को ले कर आटो से दिल्ली के आनंद विहार बसअड्डा चला गया. राजेश का गांव उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के छोटे से कस्बे तिलियापुर में था.

अगले दिन 12 जून को दोपहर करीब 2 बजे लक्ष्मी देवी ने बबीता को हालचाल जानने के लिए फोन किया. लेकिन बबीता का फोन बंद था. उन्होंने सोचा कि शायद रास्ते में होंगे और फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी.

उस दिन तो जैसेतैसे लक्ष्मी देवी ने अपना मन मना लिया. उस के अगले दिन भी जब बबीता का फोन बंद पाया तब उसे अपनी बेटी को ले कर तरहतरह की शंकाए होने लगीं. इसी तरह से 14 और 15 जून को भी जब बबीता का फोन बंद मिला, तब लक्ष्मी देवी की बेचैनी और बढ़ गई.

16 जून, 2021 को लक्ष्मी देवी ने डाबड़ी मोड़ थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को बबीता के लापता होने जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने राजेश को फोन मिलाया और बबीता के बारे पूछा.

राजेश ने बबीता के साथ होने से इनकार कर दिया. राजेश ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता बबीता कहां है. 11 जून को थाने से निकलने के बाद बबीता अपनी मां के साथ ही घर चली गई थी. यह सुन कर लक्ष्मी देवी दंग रह गई. पुलिस 2 तरह के बयान से हैरत में पड़ गई. एक तरफ बबीता की मां लक्ष्मी देवी का अपने दामाद राजेश पर आरोप था कि बबीता 11 जून को उसी के साथ उत्तराखंड के लिए निकली थी. दूसरी तरफ राजेश अपनी सास लक्ष्मी देवी पर आरोप लगा रहा था

कि बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर गई थी. दोनों में से कौन सही है, इस का पता लगाने के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई.

बबीता की चिंता में मां लक्ष्मी देवी की रातों की नींद हराम होने लगी. उन्होंने एक वकील की मदद से जिला कोर्ट द्वारका में राजेश के खिलाफ सीआरपीसी धारा 97 का इस्तेमाल करते हुए अपनी बेटी को अपहरण कर बंदी बना लेने की अपील दर्ज कर दी.

मामले की गंभीरता को देखते हुए द्वारका कोर्ट ने पुलिस को जांच जल्द से जल्द निपटाने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने डाबड़ी मोड़ के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को इस केस में तुरंत काररवाई करने के निर्देश दिए.

थानाप्रभारी ने 8 जुलाई, 2021 को एसआई नरेंदर सिंह के हाथों इस केस की जिम्मेदारी सौंपी. नरेंदर सिंह ने काल डिटेल्स और टैक्निकल टीम की मदद से 11 जून से राजेश और बबीता के फोन की आखिरी लोकेशन का पता लगाया.

उन्हें पता लगा कि राजेश के फोन की आखिरी लोकेशन 11 जून को दिल्ली में थी. अगले दिन उस की लोकेशन उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में मिली. जबकि बबीता के फोन की लोकेशन लगातार बदल रही थी. जो पहले दिल्ली, फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश और अंत में उत्तराखंड के नैनीताल की मिली.

इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. उस ने पूछताछ के दौरान पहले तो एसआई नरेंदर सिंह और पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश की.

उस ने बताया कि 11 जून को बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर चली गई थी. किंतु जब उसे यह बताया गया कि बबीता के फोन की अंतिम लोकेशन नैनीताल में थी, तब यह सुन कर वह हकला और सकपका गया.

फिर क्या था, उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. गहन पूछताछ के सवालों के सामने राजेश टिक नहीं पाया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने नैनीताल ले जा कर बबीता की हत्या कर दी है और उस की लाश खाई में फेंक दी थी. उस ने सिलसिलेवार ढंग से हत्याकांड से ले कर लाश को ठिकाने लगाने की बात इस प्रकार बताई—

11 जून की शाम के करीब 6 बजे जब बसअड्डे से बस उत्तराखंड के लिए रवाना हो रही थी, तब उस ने प्लान के मुताबिक अपना फोन बंद कर लिया था. बस दिल्ली से निकल कर उत्तर प्रदेश से होते हुए अगले दिन 12 जून की सुबह करीब 9 बजे उत्तराखंड के नैनीताल पहुंचा.

राजेश और बबीता दोनों नैनीताल बसअड्डे पर उतरे. वहां थोड़ा आराम किया और पैदल ही आगे की ओर निकल गए.

नैनीताल से करीब 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिर पर दोनों ने चाय पी, थोड़ा आराम किया और फिर आगे की ओर निकल पड़े.

नैनीताल हल्द्वानी रोड पर स्थित हनुमान मंदिर पर आराम करने के बाद करीब 40-50 मीटर उसी रास्ते पर आगे चलते रहे. फिर राजेश बल्दियाखान गांव के पास रिया गांव की तरफ जाने वाली सड़क पर सुस्ताने के बहाने से रुका. वह जगह काफी सुनसान थी. उस के साथ बबीता भी रुक गई.

दोनों रास्ते के किनारे बनी पुलिया नंबर 162 पर 10-15 मिनट तक बैठे रहे. उस पुलिया के नीचे 7-8 फीट गहरा एक गड्ढा था. वह जगह दूर से नहीं दिखती थी.

बातोंबातों में राजेश उस गहरे गड्ढे में उतर गया. उस ने बबीता का हाथ पकड़ कर उसे नीचे आने का इशारा किया. जब बबीता ने पूछा कि यहां क्यों, तब उस ने नए अंदाज में प्यार का इजहार करने की बात कही. बबीता राजेश की बातों में आ गई और वह गड्ढे में उतर आई.

जैसे ही बबीता गड््ढे में उतरी, राजेश ने पहले उसे गले लगाया. एक पल के लिए बबीता शांत हो गई. राजेश ने वक्त बरबाद न करते हुए अचानक से बबीता का गला दबोच लिया.

बबीता ने गला छुड़ाने की कोशिश की लेकिन राजेश की पकड़ मजबूत थी. कुछ ही पलों में बबीता की सांसें उखड़ने लगीं. कुछ मिनटों में जब बबीता का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो निर्जीव हो चुके शरीर को राजेश ने वहीं छोड़ दिया.

उस के बाद राजेश गड्ढे से बाहर आ कर अपने गांव जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गया. थोड़ा चलने के बाद पीछे से आ रही गाड़ी पर सवार हो गया. अपने गांव पहुंचने से पहले आनंदनगर के पास शक्ति फार्म के धान के खेतों में बबीता का फोन फेंक दिया. 12 जून की दोपहर करीब 2 बजे के आसपास वह अपने गांव पहुंच गया.

राजेश के यह सब कबूलने के बाद बबीता की लाश तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम ने 2 दिनों का सर्च औपरेशन चलाया. लाश ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड की स्थानीय तल्लीताल पुलिस की मदद ली.

पुलिस की सर्च टीम ने 26 जुलाई, को बबीता की लाश पुलिया नंबर 162 से ढूंढ निकाली.

27 जुलाई को एसआई नरेंदर सिंह ने आरोपी राजेश को गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

भोजपुरी एक्ट्रेस Neelam Giri ने इस गाने पर लगाए जोरदार ठुमके, देखें Viral Video

भोजपुरी सिनेमा की मशहूर एक्ट्रेस नीलम गिरी (Neelam giri) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह अक्सर फैंस के साथ फोटोज और वीडियोज शयर करती रहती हैं. फैंस को उनके पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है. अब उन्होंने एक डांस वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसमें वह साड़ी में धमाकेदार डांस करती हुई दिखाई दे रही हैं.

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि नीलम गिरी ने ‘बदरवा’ गाना  पर जमकर ठुमके लगा रही हैं. वह ब्लू साड़ी में काफी खूबसूरत नजर आ रही हैं. फैंस इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं. यूजर्स इस पोस्ट पर जमकर तारीफ कर रहे हैं. एक्ट्रेस के वीडियो  को बहुत कम समय में 13 हजार से भी ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं.

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आपको बता दें कि इस गाने को भोजपुरी सिंगर शिल्पी राज (Shilpi Raj) ने गाया था और ट्रेंडिंग गर्ल नीलम गिरी पर फिल्माया गया था. नीलम गिरी का ये बारिश स्पेशल गाना रिलीज होते ही यूट्यूब (Youtube) पर छा गया था. गाने में नीलम गिरी का डांस फैंस को दीवाना कर रहा था.

 

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इसके अलावा नीलम गिरी की जोड़ी अंकुश राजा (Ankush Raja) के साथ नजर आ रही है. हाल ही में अंकुश और नीलम का नया गाना) ‘लईका सीधा साधा’ रिलीज हुआ है. इस वीडियो में फैंस को एक्ट्रेस का दबंग स्टाइल काफी पसंद आ रहा है.

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अनुपमा-अनुज होंगे एकसाथ? वनराज की बढ़ेंगी धड़कनें

सुधांशु पांडे और रूपाली गांगुली स्टारर सीरियल की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो की कहानी में लगातार नया ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि अनुपमा-अनुज को साथ में देखकर वनराज को जलन हो रही है. तो वहीं काव्या भी अनुज से काफी इंप्रेस है, वह वनराज के सामने अनुज की जमकर तारीफ कर रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए ट्विस्ट के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि वनराज और काव्या डील के सिलसिले में बात करने के लिए अनुज कपाड़िया के ऑफिस जाते हैं. वहां अनुज की कुर्सी पर जीके को देखकर काव्या उन्हें अपमानित करती है. ऐसे में अनुज का गुस्सा सातवें आसमान पहुंच जाता है.

 

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तो वहीं अनुपमा अनुज के साथ मीटिंग के लिए मना करती है मगर बापूजी और किंजल के कहने पर वह‌ मान जाएगी. तो दूसरी तरफ अनुज से मिलने के लिए अनुपमा को जाते देख बा गुस्सा हो जाएंगी. तभी बापूजी बा को समझाएंगे.

 

वनराज-काव्या, अनुपमा अनुज के ऑफिस जाएंगे.  डील फाइनल करने के लिए अनुपमा प्रेजेंटेशन देगी. तो उधर अनुज वनराज-काव्या से कहेगा कि उसे सोचने के लिए टाइम चाहिए. वनराज, काव्या और अनुपमा अनुज के ऑफिस से बाहर निकलेंगे तभी अनुज अनुपमा को रोक लेगा.

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अनुपमा और अनुज को साथ देखकर वनराज काफी इनसिक्योर हो जाएगा. खबरों के अनुसार शो में ये भी दिखाया जाएगा कि अनुज अनुपमा का हर कदम पर साथ देगा. वह अनुपमा के डांस एकेडमी को भी चलाने के लिए हर संभव कोशिश करेगा. अनुज के आने से अनुपमा की जिंदगी पूरी तरह बदलने वाली है.

इधर-उधर- भाग 1: अंबर को छोड़ आकाश से शादी के लिए क्यों तैयार हो गई तनु?

Writer- Rajesh Kumar Ranga

‘‘देखो तनु शादी ब्याह की एक उम्र होती है, कब तक यों टालमटोल करती रहोगी, यह घूमनाफिरना, मस्ती करना एक हद तक ठीक रहता है, उस के आगे जिंदगी की सचाइयां रास्ता देख रही होती हैं और सभी को उस रास्ते पर जाना ही होता है,’’ जयनाथजी अपनी बेटी तनु को रोज की तरह समझने का प्रयास कर रहे थे.

‘‘ठीक है पापा, बस यह आखिरी बार कालेज का ग्रुप है, अगले महीने से तो कक्षाएं खत्म हो जाएंगी. फिर इम्तिहान और फिर आगे की पढ़ाई.’’

जयनाथजी ने बेटी की बात सुन कर अनसुना कर दी. वे रोज अपना काफी वक्त तनु के लिए रिश्ता ढूंढ़ने में बिताते. जिस गति से रिश्ते ढूंढ़ढूंढ़ कर लाते उस से दोगुनी रस्तार से तनु रिश्ते ठुकरा देती.

‘‘ये 2 लिफाफे हैं, इन में 2 लड़कों के फोटो और बायोडाटा है, देख लेना और हां दोनों ही तुम से मिलने इस इतवार को आ रहे हैं, मैं ने बिना पूछे ही दोनों को घर बुला लिया है, पहला लड़का अंबर दिन में 11 बजे और दूसरा आकाश शाम को 4 बजे आएगा,’’

जयनाथजी ने 2 लिफाफे टेबल पर रख आगे कहा, ‘‘इन दोनों में से तुम्हें एक को चुनना है.’’

तनु ने अनमने ढंग से लिफाफे खोले और एक नजर डाल कर लिफाफे वहीं पटक दिए, फिर सामने भाभी को खड़ा देख बोली, ‘‘लगता है भाभी इन दोनों में से एक के चक्कर में पड़ना ही पड़ेगा… आप लोगों ने बड़ा जाल बिछाया है… अब और टालना मुश्किल लग रहा है.’’

‘‘बिलकुल सही सोच रही हो तनु… हमें बहुत जल्दी है तुम्हें यहां से भागने की… ये दोनों रिश्ते बहुत ही अच्छे  हैं, अब तुम्हें फैसला करना है कि अंबर या आकाश… पापामम्मी ने पूरी तहकीकात कर के ही तुम तक ये रिश्ते पहुंचाए हैं. आखिरी फैसला तुम्हारा ही होगा.’’

‘‘अगर दोनों ही पसंद आ गए तो? ‘‘तनु ने हंसते हुए कहा.

भाभी भी मुसकराए बगैर नहीं रह पाई और बोली, ‘‘तो कर लेना दोनों से शादी.’’

तनु सैरसपाटे और मौजमस्ती करने में विश्वास रखती थी. मगर साथ ही वह पढ़ाईलिखाई और अन्य गतिविधियों में भी अव्वल थी. कई संजीदे मसलों पर उस ने डिबेट के जरीए अपनी आवाज सरकार तक पहुंचाई थी. घर में भी कई देशविदेश के चर्चित विषयों पर अपने भैया और पापा से बहस करती और अपनी बात मनवा कर ही दम लेती.

यह भी एक कारण था कि उस ने कई रिश्ते नामंजूर कर दिए थे. उसे लगता था कि उस के सपनों का राजकुमार किसी फिल्म के नायक से कम नहीं होना चाहिए. हैंडसम, डैशिंग, व्यक्तित्व ऐसा कि चलती हवा भी उस के दीदार के लिए रुक जाए. ऐसी ही छवि मन में लिए वह हर रात सोती, उसे यकीन था कि उस के सपनों का राजकुमार एक दिन जरूर उस के सामने होगा.

रविवार को भाभी ने जबरदस्ती उठा कर उसे 11 बजे तक तैयार कर दिया, लाख कहने के बावजूद वे उस ने न कोई मेकअप किया न कोई खास कपड़े पहने. तय समय पर ड्राइंगरूम में बैठ कर सभी मेहमानों का इंतजार करने लगे. करीब आधे घंटे के इंतजार के बाद एक गाड़ी आ कर रुकी और उस में से एक बुजुर्ग दंपती उतरे.

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तनु ने फौरन सवाल दाग दिया, ‘‘आप लोग अकेले ही आए हैं अंबर कहां है?’’

तनु के इस सवाल ने जयनाथजी एवं अन्य को सकते में डाल दिया. इस के पहले कि कोई कुछ जवाब देता एक आवाज उभरी, ‘‘मैं यहां हूं, मोटरसाइकिल यहीं लगा दूं?’’

तनु ने देखा तो उसे देखती ही रह गई, इतना खूबसूरत बांका नौजवान बिलकुल उस के तसव्वुर से मिलताजुलता, उसे लगा कहीं वह ख्वाब तो नहीं देख रही. इतना बड़ा सुखद आश्चर्य और वह भी इतनी जल्दी… तनु की तंद्रा तब भंग हुई जब युवक मोटरसाइकिल पार्क करने की इजाजत मांग रहा था.

‘‘हां बेटा जहां इच्छा हो लगा दो,’’ जयनाथजी ने कहा.

अंबर ने मोटरसाइकिल पार्क की और फिर सभी घर के अंदर प्रविष्ट हो गए.

इधरउधर के औपचारिक वार्त्तालाप के बाद तनु बोल पड़ी, ‘‘अगर आप लोग इजाजत दें तो मैं और अंबर थोड़ा बाहर घूम आएं…?’’

‘‘गाड़ी में चलना चाहेंगी या…’’ अम्बर ने पूछना चाहा.

‘‘मोटरसाइकिल पर… मेरी फैवरिट सवारी है…’’

थोड़ी ही देर में अंबर की मोटरसाइकिल हवा से बातें कर रही थी. समंदर के किनारे फर्राटे से दौड़ती मोटरसाइकिल पर बैठ कर तनु स्वयं को किसी अन्य दुनिया में महसूस कर रही थी.

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नई रोशनी की एक किरण- भाग 2: सबा की जिंदगी क्यों गुनाह बनकर रह गई थी

सबा उस मामूली से सजे कमरे में दुलहन बनी बैठी थी. उस की ननदें और उस की सहेलियां कुछ देर उस के पास बैठी बचकाने मजाक करती रहीं, फिर भाई को भेजने का कह कर उसे तनहा छोड़ गईं. काफी देर बाद उस की जिंदगी का वह लमहा आया जिस का लड़कियां बड़ी बेसब्री से इंतजार करती हैं. नईम हाथ में मोबाइल लिए अंदर दाखिल हुआ और उस के पास बैठ गया, उस का घूंघट उठा कर कोई खूबसूरत या नाजुक बात कहने के बजाय वह, उसे मोबाइल से अपने दोस्तों के बेहूदा मैसेज पढ़ कर सुनाने लगा जो खासतौर पर उस के दोस्तों ने उसे इस रात के लिए भेजे थे. सबा सिर झुकाए सुनती रही. उस का दिल भर आया. वह खूबसूरत रात बिना किसी अनोखे एहसास, प्यार के जज्बात के गुजर गई.

सुबह नाश्ते में पूरियां, हलवा, फ्राइड चिकन देख उस ने धीरे से कहा, ‘‘मैं सुबहसुबह इतना भारी नाश्ता नहीं कर सकती.’’

‘‘ठीक है, न खाओ,’’ नईम ने लापरवाही से कहा, फिर उस के लिए ब्रैडदूध मंगवा दिया, न कोई मनुहार न इसरार.

फिर जिंदगी एक इम्तिहान की तरह शुरू हो गई. सबा अभी अपनेआप को इस बदले माहौल में व्यवस्थित करती, उस से पहले ही सब के व्यवहार बदलने लगे. सास की तीखी बातें, ननदों के बातबात पर पढे़लिखे होने के ताने. जैसे उसे नीचा दिखाने की होड़ शुरू हो गई. उस का व्यवहारकुशल और पढ़ालिखा होना जैसे एक गुनाह बन गया. सबा इसे झेल नहीं पा रही थी इसलिए उस ने खामोशी ओढ़ ली. धीरेधीरे सब से कटने लगी. उन लोगों की बातों में भी या तो किसी की बुराई होती या मजाक उड़ाया जाता, वह अपने कमरे तक सीमित हो गई.

नईम का नरम और बचकाना रवैया उसे खड़े होने के लिए जमीन देता रहा. इतना भी काफी था. जब वह स्टोर से आता मांबहनों के पास एकडेढ़ घंटे बैठता, तीनों उस की शिकायतों के दफ्तर खोल देतीं. हर काम में बुराई का एक पहलू मिल जाता, खाने में कम तेल डालना, छोटी रोटियां बनाना कंजूसी गिना जाता, साफसफाई की बात पर मौडर्न होने का इलजाम, चमकदमक के रेशमी कपड़े न पहनने पर फैशन की दुहाई, ये सब सुन उस का मन कसैला हो जाता.

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नईम पर कुछ देर इन शिकायतों का असर रहता फिर वह सबा से अच्छे से बात करता. क्योंकि यह उसी की ख्वाहिश थी कि उसे पढ़ीलिखी बीवी मिले और वह अपने दोस्तों पर उस की धाक जमा सके पर सबा को एक शोपीस बन कर नईम के दोस्तों के यहां जाना जरा भी अच्छा नहीं लगता था.

नौकरी तो वह छोड़ ही चुकी थी. एक तो स्कूल ससुराल से बहुत दूर था, दूसरे, शादी की एक शर्त नौकरी छोड़ना भी थी. अपना काम पूरा कर अपने कमरे में किताबें पढ़ती रहती. कानून की डिगरी लेना उस के सपनों में से एक था पर हालात ने इजाजत न दी, न ही वक्त मिला. अब वह अपने खाली टाइम में कानून की किताबें पढ़ अपना यह शौक पूरा करती. वह एक समझदार बेटी, एक परफैक्ट टीचर, एक संपूर्ण औरत तो थी पर मनचाही बहू नहीं बन पा रही थी.

कुछ दिनों से वह महसूस कर रही थी कि नईम कुछ उलझाउलझा और परेशान है. न पहले की तरह दिनभर के हालात उसे सुनाता है न बातबेबात कहकहे लगाता है. अम्मी व बहनों की बातों का भी बस हूंहां में जवाब देता है. पहले की शोखी, वह बचपना एकदम खत्म हो गया था. उस रात सबा की आंख खुली तो देखा नईम जाग रहा है, बेचैनी से करवटें बदल रहा है. सबा ने एक फैसला कर लिया, वह उठ कर बैठ गई और बहुत प्यार से पूछा, ‘‘नईम, मैं कई दिनों से देख रही हूं, आप परेशान हैं. बात भी ठीक से नहीं करते, क्या परेशानी है?’’

नईम ने टालते हुए कहा, ‘‘नहीं, ऐसा कुछ खास नहीं, स्टोर की कुछ उलझनें हैं.’’

सबा ने उस के बाल संवारते हुए कहा, ‘‘नईम, हम दोनों ‘शरीकेहयात’ हैं यानी जिंदगी के साथी. आप की परेशानी और दुख मेरे हैं, उन्हें बांटना और सुलझाना मेरा भी फर्ज है, हो सकता है कोई हल हमें, मिल कर सोचने से मिल जाए. आप खुल कर मुझे पूरी बात बताइए.’’

‘‘सबा, मैं एक मुश्किल में फंस गया हूं. एक दिन एक सेल्सटैक्स अफसर मेरे स्टोर पर आया. ढेर सारा सामान लिया. जब मैं ने पैसे लेने के लिए बिल बना कर दिया तो वह एकदम गुस्से में आ गया. कहने लगा, ‘तुम जानते हो मैं कौन हूं, क्या हूं? और तुम मुझ से पैसे मांग रहे हो?’

‘‘मैं ने विनम्र हो कर कहा, ‘साहब, काफी बड़ा बिल है, मैं खुद सामान खरीद कर लाता हूं.’

‘‘इतना सुनते ही वह बिफर उठा, ‘मैं देख लूंगा तुम्हें, स्टोर चलाने की अक्ल आ जाएगी. तुम मेरी ताकत से नावाकिफ हो. ऐसे तुम्हें फसाऊंगा कि तुम्हारी सारी अकड़ धरी की धरी रह जाएगी.’ और सामान पटक कर स्टोर से निकल गया. उस के बाद उस का एक जूनियर आ कर सारे खातों की पूछताछ कर के गया और धमकी दे गया कि जल्द ही पूरी तरह चैकिंग होगी और एक नोटिस भी पकड़ा गया. इतना लंबा नोटिस अंगरेजी में है, पता नहीं कौनकौन से नियम और धाराएं लिखी हैं. तुम तो जानती हो मेरी अंगरेजी बस कामचलाऊ है, हिसाबकिताब का ज्यादा काम तो मुंशी चाचा देखते हैं.’’

सबा ने सुकून से सारी बात सुनी और तसल्ली देते हुए कहा, ‘‘आप बिलकुल परेशान न हों, जब आप कोई गलत काम नहीं करते हैं तो आप को घबराने की जरा भी जरूरत नहीं है. अगर खातों में कुछ कमियां या लेजर्स नौर्म्स के हिसाब से नहीं हैं तो वह सब हो जाएगा. आप सारे खाते और नोटिस, नौर्म्सरूल्स सब घर ले आइए, मैं इत्मीनान से बैठ कर सब चैक कर लूंगी या आप मुझे स्टोर पर ले चलिए, पीछे के कमरे में बैठ कर मैं और मुंशी चाचा एक बार पूरे खाते और हिसाब नियमानुसार चैक कर लेंगे. अगर कहीं कोई कमी है तो उस का भी हल निकाल लेंगे, आप हौसला रखें.’’

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सबा की विश्वास से भरी बातें सुन कर नईम को राहत मिली. उस के होंठों की खोई मुसकराहट लौट आई.

दूसरे दिन एक अलग तरह की सुबह हुई. सबा भी नईम के साथ जाने को तैयार थी. यह देख अम्मी की त्योरियां चढ़ गईं, ‘‘हमारे यहां औरतें सुबहसवेरे शौहर के साथ सैर करने नहीं जाती हैं.’’

नईम अम्मी का हाथ पकड़ कर उन्हें उन के कमरे में ले गया और उस पर पड़ने वाली विपदा को इस अंदाज में समझाया कि अम्मी का दिल दहल गया. वे चुप थीं, कमरे में बैठी रहीं. सबा नईम के साथ चली गई. बात इतनी परेशान किए थी कि अम्मी का सारा तनतना झाग की तरह बैठ गया.

सबा के लिए यह कड़े इम्तिहान की घड़ी थी. यही एक मौका उसे मिला था कि अपनी तालीम का सही इस्तेमाल कर सकती थी. उस ने युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया. एक तो वह सहनशील थी दूसरे, बीएससी में उस के पास मैथ्स था, और जनरलनौलेज व कानूनी जानकारी भी अच्छीखासी थी.

पहले तो उस ने नोटिस ध्यान से पढ़ा, फिर एकएक एतराज और इलजाम का जवाब तैयार करना शुरू किया. मुंशीजी ईमानदार व मेहनती थे पर इतने ज्यादा पढ़े न थे लेकिन सबा के साथ मिल कर उन्होंने सारे सवालों के सटीक व नौर्म्स पर आधारित, सही उत्तर तैयार कर लिए. शाम तक यह काम पूरा कर उस ने नोटिस का टू द पौइंट जवाब भिजवा दिया.

एक बोझ तो सिर से उतरा. अब उन्हें बिलबुक के अनुसार सारे खाते चैक करने थे कि कहीं भी छोटी सी भूल या कमी न मिल सके. एक जगह बिलबुक में एंट्री थी पर लेजर में नहीं लिखा गया था. नईम ने उस बिल पर माल भेजने वाली पार्टी से बातचीत की तो खुलासा हुआ कि माल भेजा गया था पर मांग के मुताबिक न होने की वजह से वापस कर के दूसरे माल की डिमांड की गई थी जो जल्द ही आने वाला था. सबा ने उस के लिए जरूरी कागजात तैयार कर लिए. पार्टी कंसर्न से जरूरी कागजात पर साइन करवा के रख लिए.

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3 दिन की जीतोड़ मेहनत के बाद नईम और सबा ने चैन की सांस ली. अब कभी भी चैकिंग हो जाए, कोई परेशानी की बात नहीं थी. शाम 4 बजे जब सबा घर वापस जाने की तैयारी कर रही थी उसी वक्त सेल्सटैक्स अफसर अपने 2 बंदों के साथ आ गया. आते ही उस ने नईम और मुंशीजी से बदतमीजी से बात शुरू कर दी.

Best of Crime Story: मोहब्बत के लिए- इश्क के चक्कर में हत्या

10 मई, 2017 की सुबह कानपुर के थाना काकादेव के थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह रात में पकड़े गए 2 अपराधियों से पूछताछ कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल फोन की घंटी बजी. फोन रिसीव कर के उन्होंने कहा, ‘‘थाना काकादेव से मैं इंसपेक्टर मनोज कुमार सिंह बोल रहा हूं, आप कौन?’’

‘‘सर, मैं लोहारन भट्ठा से बोल रहा हूं. जीटी रोड पर स्थित रामरती के होटल पर एक युवक की हत्या हो गई है.’’ इतना कह कर फोन करने वाले ने फोन तो काट ही दिया, उस का स्विच भी औफ कर दिया.

सूचना हत्या की थी, इसलिए मनोज कुमार सिंह ने पहले तो इस घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी, उस के बाद खुद पुलिस बल के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. रामरती का होटल जीटी रोड पर जहां था, सिपाहियों को उस की जानकारी थी.

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इसलिए पुलिस वालों को वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. पुलिस के पहुंचने तक वहां काफी लोग इकट्ठा हो गए थे. मनोज कुमार सिंह भीड़ को हटा कर वहां पहुंचे, जहां लाश पड़ी थी. एक अधेड़ उम्र महिला लाश के पास बैठी रो रही थी.

मनोज कुमार सिंह ने महिला को सांत्वना देते हुए लाश से अलग किया. उन्होंने उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘मेरा नाम रामरती है. मैं ही यह होटल चलाती हूं. जिसे मारा गया है, उस का नाम छोटू है. यह मेरा मुंहबोला भाई है. रात में किसी ने इस का कत्ल कर दिया है.’’

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लाश की शिनाख्त हो ही गई थी. मनोज कुमार सिंह ने बारीकी से घटनास्थल का निरीक्षण किया. मृतक छोटू की लाश तख्त पर पड़ी थी. किसी भारी चीज से उस के सिर पर कई वार किए गए थे, जिस से उस का सिर फट गया था.

शायद ज्यादा खून बह जाने से उस की मौत हो गई थी. खून से तख्त पर बिछा गद्दा, चादर, कंबल और तकिया भीगा हुआ था. तख्त के पास एक बाल्टी रखी थी, जिस का पानी लाल था. इस से अंदाजा लगाया गया कि हत्या करने के बाद हत्यारे ने बाल्टी के पानी में खून सने हाथ धोए थे.

मनोज कुमार सिंह घटनास्थल का निरीक्षण कर रहे थे कि एसएसपी सोनिया सिंह और सीओ गौरव कुमार वंशवाल भी आ गए. अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम भी बुला ली थी. उन्होंने भी घटनास्थल का निरीक्षण किया और रामरती से पूछताछ की.

फोरैंसिक टीम ने कई जगहों से फिंगरप्रिंट लिए. उस के बाद खून से सनी चादर, तकिया, कंबल, एक जोड़ी चप्पल और मृतक के बाल जांच के लिए कब्जे में ले लिए. पुलिस ने अन्य औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए लालालाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया.

मनोज कुमार सिंह ने हत्या का खुलासा करने के लिए रामरती और आसपास वालों से पूछताछ की. इस पूछताछ में पता चला कि होटल में रात को 2 लड़के और सोए थे. मनोज कुमार सिंह ने तुरंत उन दोनों लड़कों बुधराम और सलाउद्दीन को हिरासत में ले लिया.

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थाने ला कर दोनों लड़कों से सख्ती से पूछताछ की गई. तमाम सख्ती के बावजूद दोनों लड़कों ने छोटू की हत्या करने से साफ मना कर दिया. उन का कहना था कि वे रात में होटल पर सोए जरूर थे, लेकिन उन्हें हत्या के बारे में पता ही नहीं चला. काफी सख्ती के बावजूद जब दोनों ने हामी नहीं भरी तो मनोज कुमार सिंह को लगा कि ये दोनों निर्दोष हैं. उन्होंने उन्हें छोड़ दिया. इस के बाद उन्होंने हत्यारे का पता लगाने के लिए अपने मुखबिरों को लगा दिया.

12 मई, 2017 को मुखबिर से पता चला कि छोटू की हत्या नाजायज रिश्तों में रुकावट बनने की वजह से हुई है. लोहारन भट्ठा का ही रहने वाला संजय रामरती की बेटी सुनयना से प्यार करता था. दोनों के प्यार में छोटू बाधक बन रहा था, इसलिए अंदाजा है कि संजय ने ही छोटू की हत्या की है.

मुखबिर की बात पर विश्वास कर के मनोज कुमार सिंह ने रामरती की बेटी सुनयना से पूछताछ की तो उस ने स्वीकार कर लिया कि वह संजय से प्यार करती थी. उस के प्यार में छोटू मामा बाधक बन रहे थे. उन के मिलने को ले कर अकसर संजय और मामा में कहासुनी होती रहती थी. मामा की शिकायत पर उसे मां की डांट सुननी पड़ती थी.

सुनयना के इस बयान पर मनोज कुमार सिंह को पक्का यकीन हो गया कि छोटू की हत्या संजय ने ही की थी. संजय को गिरफ्तार करने के लिए उन्होंने संजय के घर छापा मारा तो वह घर पर नहीं मिला. उन्होंने उस के बारे में पता करने के लिए मुखबिरों को लगा दिया. इस के बाद मुखबिरों की सूचना पर उन्होंने उसे गोल चौराहे से गिरफ्तार कर लिया और पूछताछ के लिए स्वरूपनगर स्थित सीओ औफिस ले आए.

सीओ गौरव कुमार वंशवाल की उपस्थिति में संजय से छोटू की हत्या के बारे में पूछताछ शुरू हुई तो उस ने हत्या करने से साफ मना कर दिया. लेकिन जब उस से थोड़ी सख्ती की गई तो उस ने छोटू की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि वह सुनयना से बहुत प्यार करता था. लेकिन सुनयना का मामा छोटू दोनों को मिलने नहीं देता था. इसीलिए उस ने उसे मौत की नींद सुला दिया था. अपराध स्वीकार करने के बाद संजय ने वह हथौड़ा, जिस से उस ने छोटू की हत्या की थी और खून से सने अपने कपड़े घर से बरामद करा दिए थे.

चूंकि संजय ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था और हथियार भी बरामद करा दिया था, इसलिए थाना काकादेव पुलिस ने रामरती को वादी बना कर अपराध संख्या 337/2017 पर आईपीसी की धारा 302 के तहत संजय के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था. संजय से की गई पूछताछ में प्यार के जुनून में की गई छोटू की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

कानपुर महानगर के थाना काकादेव का एक मोहल्ला लोहारन भट्ठा है. इस के एक ओर जीटी रोड है तो दूसरी ओर चर्चित जेके मंदिर है. वैसे यह मोहल्ला गंगनहर की जमीन पर अवैध रूप से बसा है. यहां ज्यादातर गरीब और निम्मध्यवर्ग के लोग रहते हैं. इसी मोहल्ले में धर्मेंद्र अपने परिवार के साथ रहता था. उस के परिवार में पत्नी रामरती के अलावा बेटी सुनयना थी.

धर्मेंद्र का जीटी रोड पर चायपान का होटल था, जिसे उस की पत्नी रामरती चलाती थी. वह काफी व्यवहारकुशल थी, इसलिए उस का यह होटल खूब चलता था. इसी होटल की कमाई से वह अपने पूरे परिवार का खर्चा चलाती थी.

रामरती के इसी होटल पर छोटू काम करता था. वह मूलरूप से आजमगढ़ का रहने वाला था. मांबाप की मौत के बाद रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर आ गया था. कई दिनों तक भटकने के बाद उसे रामरती के होटल पर ठिकाना मिला था. उस ने अपने काम और व्यवहार से रामरती का दिल जीत लिया, जिस से रामरती ने उसे अपना मुंहबोला भाई बना लिया.

इस के बाद तो छोटू का घर में अच्छाखासा दखल हो गया. रामरती कोई भी काम उस से पूछे बिना नहीं करती थी. रामरती ने छोटू को भाई बना लिया तो उस की बेटी सुनयना उसे मामा कहने लगी थी.

सुनयना, रामरती की एकलौती बेटी थी. 16 साल की होतेहोते वह युवकों की नजरों का केंद्र बन गई. मोहल्ले के जिस गली से वह निकलती, लड़के उसे देखते रह जाते. विधाता ने उसे अद्भुत रूप दिया था. मोहल्ले के लोग कहते थे कि यह कीचड़ में कमल की तरह है.

सुनयना भी जवानी का नशा महसूस करने लगी थी. हिरनी की तरह कुलांचे भरती जब वह घर से निकलती तो मोहल्ले वाले उसे ताकते ही रह जाते. उसे लगता कि लोगों की नजरें उस की देह को भेद कर उसे सुख दे रही हैं. उस समय वह अपने अंदर सिहरन सी महसूस करती. उस की इच्छा होती कि कोई उस का हाथ थाम कर उसे कहीं एकांत में ले जाए और उस से ढेर सारी प्यार की बातें करे.

सुनयना के ही मोहल्ले के दूसरे छोर पर संजय रहता था. उस के पिता बाबूराम नगर निगम में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी थे. वह 3 भाईबहनों में सब से छोटा था. वह प्राइवेट नौकरी करता था. उस पर कोई जिम्मेदारी नहीं थी, इसलिए खूब बनसंवर कर रहता था. उसे भजन और कीर्तन सुनने का बहुत शौक था, इसलिए अकसर वह राधाकृष्ण (जेके) मंदिर जाता रहता था.

किसी दिन मंदिर में संजय की नजर सुनयना पर पड़ी तो वह उसे देखता ही रह गया. सुनयना भी खूब सजधज कर मंदिर आई थी. पहली ही नजर में संजय का दिल सुनयना पर आ गया. वह उसे तब तक ताकता रहा, जब तक वह उस की आंखों से ओझल नहीं हो गई.

सुनयना संजय के मन को भाई तो वह उस का दीवाना हो गया. अब वह उस के इंतजार में मंदिर के गेट पर खड़ा रहने लगा. सुनयना उसे दिखाई पड़ती तो वह उसे चाहतभरी नजरों से ताकता रहता. उस की इन्हीं हरकतों से सुनयना समझ गई कि यह कोई प्रेम दीवाना है, जो उसे चाहतभरी नजरों से ताकता है. लेकिन उस ने उस की ओर ज्यादा ध्यान नहीं दिया.

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जबकि संजय सुनयना के लिए तड़प रहा था. हर पल उस के मन में सुनयना ही छाई रहती थी. उस का काम में भी मन नहीं लग रहा था. एक तरह सुनयना के बगैर उसे चैन नहीं मिल रहा था. उसे पाने की तड़प जब संजय के लिए बरदाश्त से बाहर हो गई तो उस ने सुनयना के बारे में पता किया. पता चला कि वह उस रामरती की बेटी है, जिस का जीटी रोड पर चायपान का होटल है.

संजय रामरती के होटल पर चाय पीने जाने लगा. अपनी लच्छेदार बातों से जल्दी ही उस ने रामरती से नजदीकी बना ली. यही नहीं, उस ने उस के मुंहबोले भाई छोटू से भी दोस्ती गांठ ली. दोनों में खूब पटने लगी.

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रामरती और छोटू से मधुर संबंध बना कर संजय रामरती के घर भी जाने लगा. वहां वह बातें भले ही किसी से करता था, लेकिन उस की नजरें सुनयना पर ही टिकी रहती थीं. सुनयना ने जल्दी ही इस बात को ताड़ लिया. संजय की नजरों में अपने लिए चाहत देख कर सुनयना भी उस के प्रति आकर्षित होने लगी. अब वह भी संजय के आने का इंतजार करने लगी.

दोनों ही एकदूसरे की नजदीकी पाने के लिए बेचैन रहने लगे. लेकिन यह सब अभी नजरों ही नजरों में था. संजय को भी सुनयना के इरादे का पता चल गया था. जब भी उस की चाहत भरी नजरें सुनयना के मुखड़े पर पड़तीं, सुनयना मुसकराए बिना नहीं रह पाती. वह भी उसे तिरछी नजरों से ताकते हुए उस के आगेपीछे घूमती रहती.

सुनयना की कातिल नजरों और मुसकान का मतलब संजय अच्छी तरह समझ रहा था. लेकिन उसे अपनी बात कहने का मौका नहीं मिल रहा था. जबकि सुनयना अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहती थी.

संजय अब ऐसे मौके की तलाश में रहने लगा, जब वह अपने दिल की बात सुनयना से कह सके. चाह को राह मिल ही जाती है. एक दिन संजय को मौका मिल गया. उस ने अपने दिल की बात सुनयना से कह दी. सुनयना तो कब से उस के मुंह से यही सुनने का इंतजार कर रही थी.

उस दिन के बाद संजय और सुनयना का प्यार दिन दूना रात चौगुना बढ़ने लगा. सुनयना कोई न कोई बहाना बना कर घर से निकलती और संजय से जा कर मिलती. संजय उसे साथ ले कर सैरसपाटे के लिए निकल जाता. वह अकसर सुनयना को मोतीरेव ले जाता और वहां दोनों साथसाथ सिनेमा देखते. कभी मोतीझील के रमणीक उद्यान में बैठ कर प्यार भरी बातें करते और साथ जीनेमरने की कसमें खाते.

कहते हैं, बैर, प्रीति, खांसी और खुशी कभी छिपाए नहीं छिपती. यही हाल संजय और सुनयना के प्यार का भी यही हुआ. एक दिन कारगिल पार्क में मोहल्ले के एक युवक ने संजय और सुनयना को आपस में हंसतेबतियाते देख लिया. उस ने यह बात होटल पर जा कर सुनयना के मामा छोटू को बता दी. छोटू तुरंत घर गया. घर से सुनयना गायब थी, जिस से छोटू को विश्वास को गया कि सुनयना संजय के साथ है. उस ने सारी बात रामरती को बताई, जिसे सुन कर रामरती सन्न रह गई.

शाम को सुनयना घर लौटी तो मां का तमतमाया चेहरा देख कर वह समझ गई कि कुछ गड़बड़ जरूर है. वह रसोई की तरफ बढ़ी तो रामरती ने उसे टोका, ‘‘पहले मेरे पास आ कर बैठ और सचसच बता कि तू कहां गई थी?’’

मां की बात सुन कर सुनयना का हलक सूख गया. उस ने धीरे से कहा, ‘‘मां, मैं साईं मंदिर गई थी.’’

‘‘झूठ, तू साईं मंदिर नहीं, बल्कि संजय के साथ पार्क में बैठ कर प्यार की बातें कर रही थी.’’

‘‘नहीं मां, यह सच नहीं है. किसी ने तुम्हारे कान भरे हैं.’’

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‘‘फिर झूठ.’’ गुस्से में रामरती ने सुनयना के गाल पर 2 तमाचे जड़ दिए. वह गाल सहलाती हुई कमरे में चली गई.

दूसरी ओर छोटू ने संजय को आड़े हाथों लिया, ‘‘देख संजय, सुनयना मेरी भांजी है. उस की तरफ आंख उठा कर भी तूने देखा तो तेरी आंखें निकाल लूंगा. आज के बाद मेरीतेरी दोस्ती खत्म. तू मेरे घर के आसपास भी दिखा तो तेरे हाथपैर तोड़ डालूंगा.’’

रामरती ने भी संजय को खूब खरीखोटी सुनाई. इस के बाद संजय और सुनयना का मिलना बंद हो गया. रामरती और छोटू सुनयना पर कड़ी नजर रखने लगे. सुनयना जब कभी घर से बाहर जाती, उस के साथ रामरती या छोटू होता. छोटू ने अपने कुछ खास लोगों को भी संजय और सुनयना की निगरानी में लगा दिया था. छोटू किसी भी तरह संजय को सुनयना से मिलने नहीं दे रहा था.

4 मई, 2017 को किसी तरह सुनयना को मौका मिल गया तो वह शास्त्रीनगर के सिंधी कालोनी पार्क पहुंच गई. फोन कर के उस ने संजय को वहीं बुला लिया. संजय और सुनयना पार्क में बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी पीछा करता हुआ छोटू वहां पहुंच गया. उस ने पार्क में ही संजय को पीटना शुरू कर दिया. संजय किसी तरह खुद को छुड़ा कर भागा. सुनयना को पकड़ कर छोटू घर ले आया और रामरती से शिकायत कर के उसे भी पिटवाया. यही नहीं, उस ने आननफानन में दूसरे दिन ही सुनयना का रिश्ता तय कर दिया.

संजय और सुनयना की पिटाई ने आग में घी का काम किया. संजय समझ गया कि जब तक सुनयना का मामा छोटू जिंदा है, तब तक वह अपना प्यार नहीं पा सकता. वह यह भी जान गया था कि छोटू ने सुनयना का रिश्ता इसलिए तय कर दिया है, ताकि वह उस से दूर चली जाए. छोटू उस के प्यार में दीवार बन कर खड़ा था, इसलिए छोटू को ठिकाने लगाने का निश्चय कर वह उचित मौके की तलाश में लग गया.

10 मई, 2017 की रात 10 बजे छोटू होटल बंद कर के सोने की तैयारी कर रहा था, तभी उधर से संजय निकला. छोटू को देख कर उस का खून खौल उठा. रात 12 बजे तक वह शराब के नशे में धुत हो कर जेके मंदिर के बाहर टहलता रहा. उस के बाद घर गया और लोहे का हथौड़ा ले कर छोटू के होटल पर जा पहुंचा.

छोटू गहरी नींद में सो रहा था. संजय ने उसे दबोच लिया और छाती पर सवार हो कर हथौड़े से उस के सिर पर वार पर वार करने लगा. हथौड़े के वार से छोटू का सिर फट गया और खून का फव्वारा फूट पड़ा. कुछ देर तड़प कर छोटू ने दम तोड़ दिया. हत्या करने के बाद संजय ने बाल्टी में रखे पानी में हाथ धोए और घर जा कर कपडे़ बदल लिए. खून से सना हथौड़ा और कपड़े उस ने बड़े बक्से के पीछे छिपा दिए.

रामरती सुबह होटल पर पहुंची तो छोटू तख्त पर मृत मिला. वह चीखने लगी. थोड़ी ही देर में तमाम लोग वहां जमा हो गए. उसी भीड़ में से किसी ने पुलिस को घटना की सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी मनोज कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने जांच शुरू की तो मोहब्बत के जुनून में की गई हत्या का खुलासा हो गया.

13 मई, 2017 को थाना काकादेव पुलिस ने अभियुक्त संजय को कानपुर की अदालत में रिमांड मजिस्ट्रैट के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जिला कारागार जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक उस की जमानत नहीं हुई थी

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

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