विदेश में नौकरी का चक्कर: 300 बेरोजगार, बने शिकार

विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर बेरोजगार नौजवानों को ठगने का सिलसिला लगातार जारी है. बिहार की राजधानी पटना समेत गांवदेहात के इलाकों तक  में ठगी करने वाले एजेंटों ने जाल फैला रखा है. जीवीएम मैन पावर नामक कंपनी पिछले कई महीनों से पटना में लोगों को विदेश भेजने के नाम पर 12,000 से 17,000 रुपए और पासपोर्ट भी जमा कर रही थी.

जांच के दौरान यह पता चला कि इस कंपनी का कहीं कोई रजिस्ट्रेशन नहीं है. इस कंपनी ने पटना के अलावा विशाखापट्टनम और गुडगांव में भी औफिस खोल रखा था. पटना के नियोजन भवन में बने इमिग्रेशन औफिस में इस कंपनी के खिलाफ 100 लोग शिकायत दर्ज करा चुके हैं. बिहार और झारखंड के तकरीबन 300 नौजवानों ने विदेश जाने के नाम पर पैसे और पासपोर्ट दिए.

औरंगाबाद जिले के मुसलिमाबाद के बाशिंदे 35 साल के मोहम्मद अरमान ने बताया, ‘‘मुझे गांव के ही एक लड़के ने इस कंपनी के बारे में बताया था. मैं ने कंपनी के औफिस जा कर बात की. उस ने 17,000 रुपए की मांग की और पासपोर्ट जमा कर लिया.  ‘‘मुझे औफिस स्टाफ द्वारा बताया गया कि अबुधाबी की एडनाक और नैशनल पैट्रोलियम कौंट्रैक्टिंग कंपनी में काम मिलेगा. मैं ने दोबारा औफिस में जा कर पैसे जमा कर दिए.  ‘‘एक महीने के अंदर उस ने वीजा आने का आश्वासन दिया.

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बोला कि और लड़के जाना चाहते हैं तो उन लोगों को भी लेते आइएगा. 20 दिनों के बाद जब औफिस गए तो मालूम हुआ कि वे लोग यहां से फरार हो गए हैं.’’ यह कंपनी बिहार और झारखंड के 300 से ज्यादा नौजवानों से पैसा और पासपोर्ट ले कर फरार हो चुकी है. एक साल के अंदर इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं. जालसाजी करने वाले लोगों को सजा नहीं मिल पा रही है. इस की वजह से उन लोगों का मनोबल बढ़ता जा रहा है.  विदेश में नौकरी के नाम पर झांसा दे कर लोगों को ठगने वालों पर नकेल कस पाना आसान काम नहीं है. ठगी के मामले दब कर रह जा रहे हैं. जो मामले सामने आ रहे हैं, उन में थाने में एफआईआर दर्ज करना मुश्किल हो रहा है.

पटना के विदेश मंत्रालय के दफ्तर के जरीए दर्ज होने वाले मामलों में अभी तक कुछ खास नहीं हो पाया है. पटना में ही ठगी के 4-5 मामले उजागर हो चुके हैं. इन में किसी भी कुसूरवार की गिरफ्तारी या दूसरी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हो पाई है. ठगी के शिकार नौजवान थाना, कोर्टकचहरी का दरवाजा लगातार खटखटा रहे हैं.  पटना में पृथ्वी इंटरनैशनल और गल्फ इंटरनैशनल के खिलाफ भी मामला दर्ज हो चुका है. इसी तरह बिहार के सिवान, गोपालगंज, मोतिहारी, झारखंड के रांची, जमशेदपुर, कोडरमा में नौकरी के लिए विदेश भेजने के  नाम पर फर्जीवाड़े के मामले दर्ज किए जा चुके हैं.

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जालसाजी करने वाले पुलिस प्रशासन की पकड़ से दूर हैं. श्रम संसाधन मंत्री जीवेश मिश्रा ने जीवीएम कंपनी द्वारा ठगी के शिकार हुए नौजवानों की पूरी डिटेल मांगी है. मंत्री ने आरोपियों पर कार्यवाही किए जाने की बात कही है. फर्जी एजेंटों का जाल बिहार और झारखंड के कई जिलों समेत गांवदेहात के इलाकों में फर्जी एजेंटों का नैटवर्क है. मामला खुले नहीं, इसलिए इश्तिहार जारी करने के बजाय गांवों में एजेंट भेजे जाते हैं. इन के जरीए बेरोजगार नौजवानों को फंसा कर उन से पैसे और पासपोर्ट ले लिया जाता है. क्यों जाते हैं लोग विदेश देश में रोजगार नहीं मिलने और विदेश में ज्यादा पैसे मिलने की वजह से यहां के बेरोजगार नौजवान विदेश में जाना चाहते हैं.

उचित सलाह और सही जानकारी नहीं मिलने की वजह से वे ठगी के शिकार हो जाते हैं.  जालसाजी करने वाले लोगों पर कार्यवाही नहीं हो पाती है, इस की वजह से वे लोग कंपनी का नाम बदल कर अलगअलग जगहों पर औफिस खोल कर बेशुमार पैसे फर्जी ढंग से कमा रहे हैं. भारतीय युवा मंच के अध्यक्ष शहबाज मिनहाज ने बताया कि इस तरह के फर्जी जालसाज गिरोहों को कड़ी से कड़ी सजा नहीं मिली तो उन का नैटवर्क और बढ़ता रहेगा और बेरोजगार नौजवान ठगी के शिकार होते रहेंगे.

बुनियादी हक: पीने का साफ पानी

हरियाणा के सोनीपत जिले का सिसाना गांव दिल्ली से ज्यादा दूर नहीं है. आज भले ही वहां घरघर सरकारी टोंटियां लग चुकी हैं, पर मेरा आंखों देखा पीने के पानी  की समस्या को भयावह कर देने वाला अनुभव रहा है. कुछ साल पहले तक वहां की औरतों और लड़कियों, यहां तक कि मर्दों की भी एक बड़ी समस्या थी, दूर से पीने का पानी ढोना.

एक घड़ा पानी लाने मेंआधा घंटा.  सोचिए कि टंकी भरने में कितने घंटे बरबाद होते होंगे. तब वहां की लड़कियों की शादी ऐसी जगह करने की सोची जाती थी कि वे भविष्य में सिर पर पानी ढोतेढोते बाकी की जिंदगी न गुजार दें. देश में अभी भी हालात नहीं बदले हैं. कितनी हैरत और दुख की बात है कि इस साल 15 अगस्त के मौके पर सरकार द्वारा ‘अमृत महोत्सव’ मनाया गया और देश की ज्यादातर जनता दो घूंट पीने के पानी को तरस रही है.

‘विश्व जल दिवस’ पर द इंस्टीट्यूशन औफ इंजीनियर्स में आयोजित गोष्ठी में निदेशक, भूगर्भ जल विभाग के प्रतीक रंजन चौरसिया ने कहा कि साल 2025 तक लोग जल संकट से जूझ रहे होंगे. पीने के पानी के लिए लोगों को भटकना पड़ेगा.  अभी भी पूरी दुनिया में तकरीबन  15 फीसदी से ज्यादा लोगों को साफ पानी पीने के लिए नहीं मिल पा रहा है. प्रदूषित पानी पीने से हर साल लोगों की मौतें सामने आती हैं.  जिस देश में कभी नदियों का बड़ा नैटवर्क रहा हो, उस देश में जल संकट बड़ी समस्या है. इस के नियंत्रण के लिए तुरंत ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत है.  इस गोष्ठी के मुख्य वक्ता प्रोफैसर जमाल नुसरत ने कहा कि पानी का संकट नहीं है. समस्या जल प्रबंधन की है.

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भूगर्भ जल के दोहन को रोकना होगा. ऐसा नहीं कर पाए तो सतह का पानी खत्म होते ही नदियां, तालाब और मौजूदा कुएं सूख जाएंगे. इस के बाद के भयावह हालात की कल्पना हम खुद कर सकते हैं. ऐसे लोगों की चिंता जायज है, तभी तो भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने भविष्य के चुनावों में जनता से जुड़ी कल्याणकारी योजनाओं पर फोकस कर के लोगों के वोट पाना चाहती है. इस में पीने के पानी की समस्या को दूर करने वाली जल संरक्षण और हर घर पेयजल जैसी योजनाओं पर फोकस किया जा रहा है.  पर क्या केवल लाल किले की प्राचीर से घोषणाओं को याद दिला देने से वे पूरी हो सकती हैं? यह सवाल पूछने की वजह यह है कि उत्तर प्रदेश के बरेली में जमीन के अंदर 80 फुट नीचे के पानी में ईकोलि बैक्टीरिया मिला है, जो कई खतरनाक बीमारियों को फैलाता है.

दिल्ली में जमीनी पानी का स्तर हर साल 2 मीटर नीचे गिर रहा है. माहिरों का कहना है कि अगर जल्द ही इस पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो आने वाले समय में हालात बद से बदतर हो जाएंगे. क्या है हर घर जल योजना जब मोदी सरकार साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दोबारा सत्ता में आई थी, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण और पेयजल आपूर्ति के लिए   3 लाख करोड़ से ज्यादा की योजना का ऐलान किया था, जिस के तहत साल 2024 तक सभी घर तक पानी की पाइपलाइन और नल से पानी पहुंचाने का टारगेट रखा गया है.  इस योजना के पीछे सोच यह है कि साल 2023 तक सरकार के जरीए  20 करोड़ आदर्श गांव बन जाएं.  पर क्या यह सब करना इतना आसान है?

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बिलकुल नहीं. वजह, गरीबी की मार झेल रहे भारत में आज भी बहुत से लोगों ने शौचालय की तरह सप्लाई का नल नहीं देखा है.  एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश की तकरीबन 20 करोड़ आबादी पानी के दूसरे स्रोत पर निर्भर है. बिहार और उत्तर प्रदेश में, जहां तरक्की के नए ढोल पीटे जा रहे हैं, वहां आज भी 5 फीसदी घरों में नल का कनैक्शन है. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 20 सालों में सूखे की वजह से भारत में 3 लाख से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की और हर साल साफ पीने के पानी की कमी के चलते 2 लाख लोगों की मौत हो रही है. मौजूदा दौर में भारत में जहां शहरों में गरीब इलाकों में रहने वाले 9.70 करोड़ लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिल पाता है, वहीं गांवदेहात के इलाकों में  70 फीसदी लोग प्रदूषित पानी पीने को मजबूर हैं.

तकरीबन 33 करोड़ लोग बहुत ज्यादा सूखे वाली जगहों पर रहने को मजबूर हैं. जल संकट की इस बदहाली से देश की जीडीपी में तकरीबन 6 फीसदी का नुकसान होने का डर है. देश के तमाम राज्यों की राजधानियां और दूसरे बड़े शहर तो इतने ज्यादा पत्थरदिल हो गए हैं कि वहां बारिश का पानी जमीन से ज्यादा गटर में चला जाता है. हरियाणा के अंबाला शहर का भूजल स्तर 10 मीटर नीचे जा चुका है. कई जगह तो हैवी मोटर तक नहीं खींच पा रही है पानी, बढ़वानी पड़ रही बोरिंग की पाइपलाइन. हरियाणा और पंजाब के किसानों को यह हिदायत दी गई है कि वे धान की खेती न कर के दूसरी फसलों पर फोकस करें, ताकि पानी की बचत हो सके.  हरियाणा में ‘फसल विविधीकरण योजना’ के तहत धान के बजाय पानी की बचत करने वाली फसलों की बिजाई करने पर प्रति एकड़ 7,000 रुपए प्रोत्साहन राशि दी जाएगी.

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जब हालात इतने खतरनाक हों, तो ऐसे में इस तरह की कल्याणकारी योजनाओं का भविष्य अधर में लटका ही नजर आता है, क्योंकि नीति आयोग  की रिपोर्ट की मानें तो देश में 60 करोड़ से ज्यादा लोग भयंकर जल संकट का सामना कर रहे हैं. अगले 10 साल में पानी की मांग दोगुना बढ़ने का अंदाजा है, जबकि इस के लिए मौजूदा स्रोत में  5 फीसदी की कमी आ जाएगी.  जमीनी पानी गर्त में जा रहा है और आसमानी पानी का कोई ठिकाना नहीं है. ऊपर से कोरोना महामारी, जिस ने देश को पंगु बना दिया है.

TMKOC की बबीता जी असल जिंदगी में टप्पू से करती हैं प्यार, पढ़ें खबर

टीवी का पॉपुलर शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) के हर किरदार को दर्शक खूब पसंद करते हैं. इस शो के एक्टर्स सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं. आए दिन इस शो से जुड़े फोटोज और वीडियो इंटरनेट पर वायरल होता है. अब बबीत जी की रीयल लाइफ को लेकर कुछ ऐसा सामने आया है, जिसे जानकर आप हैरान हो जाएंगे. आइए बताते हैं बबीता से जुड़ी इस खबर के बारे में.

शो में अक्सर लदिखाया जाता है कि जेठालाल बबीता जी से फ्लर्ट करते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं बबीता जी रीयल लाइफ में कसे पसंद करती हैं. जी हां, एक रिपोर्ट के अनुसार बबीता जी यानि मुनमुन दत्ता राज अंदकत (टप्पू) को डेट कर रही हैं. दोनों का  अफेयर काफी दिनों से चल रहा है. राज, मुनमुन दत्ता से करीब 9 साल छोटे हैं.

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सोशल मीडिया पर मुनमुन की तस्वीरों पर राज के कमेंट देखकर अंदाजा लगाया जा रहा था कि दोनों रिलेशनसिप में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक शो  की टीम का हर सदस्य जानता है कि टप्पू और बबीता जी का रिश्ता दोस्ती से बढ़कर है.

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बताया जा रहा है कि दोनों के बीच काफी लंबे वक्त से प्यार है. वो दोनों एक-दूसरे को काफी समय से डेट कर रहे हैं. आपको बता दें कि राज अंदकत 24 साल के हैं और मुनमुन दत्त उनसे 9 साल बड़ी हैं. हालांकि दोनों ने अभी तक अपनी लव लाइफ के बारे में फैंस को कोई जानकारी नहीं दी है.

 

Imlie: आदित्य-इमली को दूर करने के लिए मालिनी रचेगी साजिश, क्या खाने में मिलाएगी जहर?

स्‍टार प्‍लस का सीरियल इमली की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. कहानी में लव ट्रैंगल का ट्रैक दिखाया जा रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि मालिनी-इमली आदित्य को पाने के लिए एक-दूसरे को चैलेंज करती नजर आ रही हैं तो वहीं आदित्य की मां अपर्णा भी मालिनी का साथ दे रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. तो आइए बताते हैं कहानी के नए ट्विस्ट एंड टर्न के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि इमली को पता चल गाया है कि मालिनी आदित्‍य को वापस पाने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है. तो जन्माष्टमी पर  अपर्णा की मदद से मालिनी आदित्य के साथ स्टेज पर डांस करने लगती है. तो उधर इमली को जब पता चलता है कि मालिनी आदित्य के साथ है. वह किसी भी तरह किचन के काम को छोड़कर स्टेज पर पहुंचती है. इस दौरान उसके पैर में चोट भी लगती है. लेकिन इमली स्टेज पर पहुंचकर आदित्य के साथ डांस करती है.

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इमली को देखकर मालिनी गुस्से से लाल हो जाती है. तो वहीं आदित्य इमली से पूछता है कि ये चोट कैसे लगी है तो वह कहती है कि आप मानेंगे नहीं अगर हम सच बताएंगे तो. इसके बाद आदित्‍य मालिनी और इमली से कहता है कि वो ऐसा काम करने वाला है जिससे सारी मुश्किल आसान हो जाएगी.

 

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तभी मालिनी वहां आ जाती है. आदित्य कहता है कि मैं तलाक की कार्रवाई जल्‍द ही पूरा करने वाला हूं. आदित्‍य की ये बात सुनकर मालिनी के पैरों तले जमीन खिसक जाती है. इसके बाद वह इमली से कहती है कि तुम्हें क्या लगता है, तुमने आदित्य को जीत लिया?

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सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मालिनी बड़ा दांव खेलने वाली है. वह इमली के द्वारा बनाए गए खाने में कुछ मिलाएगी और शीशी डस्‍टबिन में फेंक देगी. तभी इमली देख लेगी और पूछेगी कि उस शीशी में क्‍या था? शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि मालिनी ने खाने में क्या मिलाया है, क्या आदित्य को मालिनी की सच्चाई पता चलेगी?

हक ही नहीं कुछ फर्ज भी- भाग 1: क्यों सुकांत की बेटियां उन्हें छोड़कर चली गई

Writer- Dr. Neerja Srivastava

‘‘पापा ऐश्वर्या डैंटल कोर्स करने के लिए चीन जा रही है. मैं भी जाना चाहती हूं. मुझे भी डैंटिस्ट ही बनना है.’’

‘‘तो बाहर जाने की क्या जरूरत है? डैंटल कोर्स भारत में भी तो होते हैं.’’

‘‘पापा, वहां डाइरैक्ट ऐडमिशन दे रहे हैं 12वीं कक्षा के मार्क्स पर… यहां कोचिंग लूं, फिर टैस्ट दूं. 1-2 साल यों ही चले जाएंगे,’’ उन्नति बोली.

‘‘पर बेटा…’’

‘‘परवर कुछ नहीं पापा. आप ऐश्वर्या के पापा से बात कर लीजिए. मैं उन का नंबर मिला देती हूं… उन्हें सब पता है… वे अपने काम के सिलसिले में अकसर वहां जाते रहते हैं.’’

सुकांत ने बात की. फीस बहुत ज्यादा थी. अत: वे सोच में पड़ गए.

‘‘ऐजुकेशन लोन भी मिलता है जी आजकल बच्चों को विदेश में पढ़ने के लिए… पढ़ने में भी ठीकठाक है… पढ़ लेगी तो दांतों की डाक्टर बन जाएगी,’’ निधि भी किचन से हाथ पोंछते हुए उन के पास आ गई थीं.

‘‘पर पहले पता करने दो ठीक से कि वह मान्यताप्राप्त है भी या नहीं.’’

‘‘है न मां. बस वापस आ कर यहां एक परीक्षा देनी पड़ती है एमसीआई की और प्रमाणपत्र मिल जाता है. पापा, अगर मेरी जगह सुरम्य होता तो आप जरूर भेज देते.’’

‘‘नहीं ऐसा बिलकुल नहीं है. तुम ने ऐसा क्यों सोचा? क्या तुम भाईबहनों में मैं ने कभी कोई फर्क किया?’’ सुकांत ने उस के गालों पर प्यार से थपकी दी.

एक युग: सुषमा और पंकज की लव मैरिज में किसने घोला जहर?

बैंक में कैशियर ही तो थे सुकांत. निधि स्कूल में टीचर थीं. दोनों के वेतन से घर बस ठीकठाक चल रहा था. कुछ ज्यादा जमा नहीं कर सके थे दोनों. सुकांत की पैतृक संपत्ति भी झगड़े में फंसी थी. बरसों से मुकदमे में पैसा अलग लग रहा था. हां, निधि को मायके से जरूर कुछ संपत्ति का अपना हिस्सा मिला था, जिस से भविष्य में बच्चों की शादी और अपना मकान बनाने की सोच रहे थे.

‘‘मकान तो बनता रहेगा निधि, शादियां भी होती रहेंगी… पहले बच्चे लायक बन जाएं तो यह सब से बड़ी बात होगी… है न?’’ कह सुकांत ने सहमति चाही थी, फिर खुद ही बोले, ‘‘हो सकता है हम मुकदमा जीत जाएं… तब तो पैसों की कोई कमी नहीं रहेगी.’’

‘‘हां, ठीक तो कह रहे हैं. आजकल बहुएं भी लोग कामकाजी ही लाना ज्यादा पसंद करने लगे हैं. बढि़या प्रोफैशनल कोर्स कर लेगी तो घरवर भी बहुत अच्छा व आसानी से मिल जाएगा,’’ निधि ने अपनी सहमति जताई.

‘‘जमा राशि आड़े वक्त के लिए पड़ी रहेगी… कोई ऐजुकेशन लोन ही ले लेते हैं. वही ठीक रहेगा… पता करता हूं डिटेल… इस के जौब में आने के बाद ही किस्तें जानी शुरू होंगी.’’

सुकांत ने पता किया और फिर सारी प्रक्रिया शुरू हो गई. उन्नति पढ़ाई के लिए विदेश चली गई. दूसरी बेटी काव्या के अंदर भी विदेश में पढ़ाई करने की चाह पैदा हो गई. 12वीं कक्षा के बाद उस ने लंदन से बीबीए करने की जिद पकड़ ली.

‘‘पापा, दीदी को तो आप ने विदेश भेज दिया मुझे भी लंदन से पढ़ाई करनी है… पापा प्लीज पता कीजिए न.’’

सुकांत और निधि ने सारी तहकीकात कर काव्या को भी पढ़ाई के लिए लंदन भेज दिया.

अब रह गया था सब से छोटा बेटा सुरम्य. पढ़ने में वह भी अच्छा था. वह भी डाक्टर बनना चाहता था. मगर घर का खर्च देख कर उस का खयाल बदलने लगा कि मातापिता कहां तक करेंगे… साल 6 महीने बाद पीएमटी परीक्षा में सफल भी हुआ तो 4 साल एमबीबीएस की पढ़ाई. फिर इंटर्नशिप. उस के बाद एमडी या एमएस उस के बिना तो डाक्टरी का कोई मतलब ही नहीं. फिर अब मम्मीपापा रिटायर भी होने वाले हैं… कब कमा पाऊंगा, कब उन की मदद कर पाऊंगा… 2 लोन पहले ही उन के सिर पर हैं.

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मुझे कुछ जल्दी पढ़ाई कर के पैसा कमाना है. फिर उस ने अपना स्ट्रीम ही कौमर्स कर लिया. 12वीं कक्षा के बाद उस ने सीए की प्रवेश परीक्षा पास कर ली. स्टूडैंट लोन ले कर उस ने अपनी सीए की पढ़ाई शुरू कर दी. दिन में पढ़ाई करना और रात में काल सैंटर में जौब करने लगा. सुकांत और निधि थोड़े परेशान अवश्य थे, पर मन में कहीं यह संतोष था कि बच्चे काबिल बन कर अपने पैरों पर खड़े हो इज्जत और शान की जिंदगी जीएंगे, इस से बड़ी और क्या बात होगी उन के लिए.

सुकांत रिटायर हो कर किराए के मकान में आ गए थे.

‘‘और क्या जी हम नहीं बनवा सके घर तो क्या बच्चे तो अपना घर बना कर ठाठ से रहेंगे,’’ एक दिन निधि बोलीं.

उन्नति का बीडीएस पूरा हो गया. वापस आ कर उस ने भारत की मान्यता के लिए परीक्षा भी उत्तीर्ण कर ली. इंटर्नशिप के बाद उसे लाइसैंस मिल गया. मांबाप का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. उन्नति ने एक पीजी डैंटिस्ट रवि को जीवनसाथी के रूप में पसंद कर लिया. रवि को दहेज नहीं चाहिए था पर घर वालों को शादी धूमधाम से चाहिए थी.

‘‘ठीक ही तो है पापा शादी रोजरोज थोड़े ही होती है. अब ये लोग दहेज तो नहीं ले रहे न,’’ उन्नति मम्मीपापा, को दलील के साथ राजी करने की कोशिश में थी.

‘‘हांहां, हो जाएगा. तू चिंता मत कर,’’ सुकांत ने उसे तसल्ली देते हुए कहा.

जैसेतैसे सुकांत और निधि ने बड़ी बेटी को फाइवस्टार होटल से विदा किया.

‘‘मम्मीपापा मुझे पढ़ने का शौक था सो पढ़ लिया… प्रैक्टिस वगैरह मेरे बस की नहीं… मुझे तो बस घूमनाफिरना और मस्ती करनी है. लोन का आप देख लेना… मेरे पास वहां बैंक का कोई लेटरवैटर नहीं आना चाहिए वरना बड़ा बुरा फील होगा ससुराल में… रवि को मैं ने लोन के बारे में कुछ नहीं बताया है,’’ उन्नति ने जातेजाते दोटूक अपना मंतव्य बता डाला.

‘‘रवि को मालूम है तू काम नहीं करेगी?’’ सुरम्य को जब मालूम हुआ तो उस ने हैरानगी से पूछा.

मजाक: जो न समझो सो वायरस

 लेखिका- दीपान्विता राय बनर्जी

‘‘अरे साधना, अब गुस्सा थूक भी दो, बहूबेटी में भेद क्या, दोनों ही हमारे भले के लिए कहती हैं. देख नहीं रही हो क्या, इस कोरोनामरोना के चक्कर में हमारी खानदानी जमींदारी तोंद मरियल होती जा रही है, तुम भी थोड़ा सब्र कर लो.’’

‘‘कैसे सब्र कर लूंगी, जिंदगीभर हम ने घीदूध में अपने बच्चों को पाला, अब कल की आई बहू हमें सिखाती है कि हमें क्या और कैसे खाना है. चलो जी, हम अपने घर चलते हैं, यहां बेकार आए थे. अब देखो, कैसे इस वायरस

के चक्कर में फंस गए. कहती है, सामान खर्च करने में काफी सोचविचार करना होगा.

पहले दोपहर के खाने में 2 सब्जियां, दाल, चावल, रोटी, दही, रायता या दहीबडे़ के साथ पापड़, सलाद सबकुछ होता था. दोनों बेटों और तुम्हें हमेशा नौनवेज भी बना कर दिया. रात को फिर अलग सब्जी बनाई, घी में चुपड़ी रोटी के साथ कोई एक हलवा भी होता था या फिर मखाने की खीर. यहां आने के बाद कुछ दिन ठीक बीते, लेकिन अब हम इन पर भारी पड़ गए. कोरोना वायरस के नाम पर खानापीना सब बंद करने पर तुली है यह.’’

‘‘अरे क्या कहा, यही न, कि अब दाल, चावल, सब्जी, दही में ही दोपहर का खाना खत्म करना होगा, तो चलो, यही सही. महीनाभर ही तो हैं यहां.’’

‘‘नहींनहीं, महीनाभर कहां. बेटा तो कह रहा था कि इस चौपट दुनिया में अब मांबाबूजी अकेले क्या रहेंगे. अब हमें इन के साथ ही रहना होगा और इस कलमुंही का और्डर मानना पड़ेगा. देखना, रात को घी वाली रोटी की जगह सूखी रोटी ही मिलेगी. फरमान सुना दिया है महारानी ने.’’

बहू अंजना से रहा नहीं जा रहा था. अभी यह उस की मां होती तो हाथ में बेलनकलछी पकड़े ही वह रसोई से दौड़ी आती और मां पर बरस पड़ती. लेकिन ठहरी सास, सांस ऊपरनीचे हो कर रह गई लेकिन जबान को काबू करते हुए इतना ही कहा, ‘‘मांजी, घर का राशन हमें ज्यादा दिनों तक चलाने लायक खर्चना है, तभी हम ज्यादा से ज्यादा घर में रह पाएंगे

और कम लोगों के संपर्क में आएंगे. घी बनाने लायक मलाईदार दूध नहीं है, तो संकटकाल में इतना सब्र तो कर सकते हैं.’’

‘‘आई बड़ी सब्र सिखाने वाली.’’

‘‘अरे मांजी, सारा देश लौकडाउन है, कर्फ्यू लगा है, कोई निकले तो संक्रमित हो सकता है, समझो न.’’

‘‘फिर झूठ, कोरोना का नाम लेले कर हमारा खानापीना बंद करने पर तुले हैं. क्यों हमारा बेटा नहीं जा रहा है औफिस?’’

‘‘वे रेलवे में हैं न, यहां मेल ट्रेन बंद हैं, सिर्फ गुड्स ट्रेनें चल रही हैं. जरूरत के सामानों की आवाजाही चलाने के लिए यह काम घर से नहीं हो सकता, मां.

‘‘लेकिन आगे आने वाले दिनों में सामानों और खानेपीने की वस्तुओं की भारी किल्लतों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए बचत और कम में गुजारा हमें अभी से सीखना होगा.’’

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‘‘हां, अब हमारा खानापीना बंद कर सब का पेट भरेगा. सुबह कहा था, ससुरजी के पसंद की मछली बना लो. बहाना निकल आया, अब रात को कहूंगी कस्टर्ड, तो वह भी नहीं बनेगा.’’

‘‘अरे मांजी, आप को कैसे समझाएं, अब पसंदनापसंद का समय गया. लाखों दिहाड़ी मजदूर अपने घर जाने को तरस गए, सड़कों पर लोगों का रोना लगा है, एक वक्त के लिए दो सूखी रोटी भी नसीब नहीं उन्हें.

‘‘अब घर में रखे सामानों को कटौती से ही खर्चना है. बाहर निकलने की मनाही है, सब को थोड़ाथोड़ा सुधरना ही होगा.’’

‘‘अच्छा हम बिगड़े हैं, जो सुधरेंगे?’’

अंजना को लगा हाथ का बेलन वह अपने ही सिर पर दे मारे, लेकिन तुरंत ‘‘मरजी है आप की,’’ जुमला याद आने से उस ने खुद को जज्ब कर लिया.

अंजना के वहां से जाते ही साधनाजी ने अपनी पुरानी सहेली और कालेज के रिटायर्ड लैक्चचर नन्दाजी को फोन लगाया.

‘‘नन्दा, यहां बेटे के घर कैद हो गई हूं, तुम्हारे घर आ कर कुछ दिन रहना चाहती हूं. यहां न अपनी मरजी से खापी सकती हूं, न आसपास किसी से मिल सकती हूं.

‘‘अरे कोरोना है तो है, हमारे आसपास थोड़े ही है. घर में न पैसे की कमी है, न बाजार दूर है, फिर भी बहू ने बचत के नाम पर हमारी नकेल कसी हुई है. पता नहीं क्यों रातदिन कोरोना का रोना ले कर बैठी है. एक तो घर में कैद, ऊपर से पसंद का खाना भी नहीं. जो भी कहती हूं बनाने को, कहती है कोरोना है.’’

‘‘ठीक ही तो कहती है तुम्हारी बहू्. पढ़ीलिखी सास हो कर भी तुम बहू का नजरिया नहीं समझ रही हो. देश जब भयंकर महामारी की चपेट में है, रोज हजारों मजदूर भूखे बिलख रहे हैं, छोटेछोटे बच्चे भूख से बेहाल सड़क पर आ गए हैं, न ठौर न ठिकाना. ऐसे में कुछ कम में चलेंगे, बचत करेंगे तो आगे यह काम आएंगे. बचत ही तो कमाई है. इस आड़े वक्त में खबरों पर नजर रखो और बहू पर भरोसा.’’

डांवांडोल मन से साधनाजी ने अभी फोन रखा ही था कि बेंगलुरु से उन के बड़े बेटे के लड़के यानी उन के बड़े पोते का फोन आ गया.

पोते से पता चला कि हफ्तेभर से वह अपने किराए के फ्लैट में कैद है.

घर से औफिस का काम तो कर रहा है, लेकिन खानेपीने के सामानों की और घर के सारे काम खुद करने की दिक्कतें बहुत हैं. औनलाइन सारे सामान नहीं पहुंच रहे हैं. काफी कटौती में गुजारा हो रहा है.

पोते पर गहरी आस्था की वजह से दादी के दिमाग का एंटिना अब कुछ सीधा हो चुका था.

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फोन रख कर वह चुपचाप मुंह फुला कर बैठ गईं.

दादा ने कहा, ‘‘तसल्ली हुई? अब मुंह फुला कर बैठे अपना गाल न बजाओ. कमरे से बाहर जा कर बहू

की काम में मदद करो, घर

के बाहर कर्फ्यू है, घर के अंदर नहीं.’’

साधनाजी जराजरा सी रोष वाली नजर पति पर डाल बहू के पास चली आईं.

कमरे में ससुरजी को सुनाई पड़ा, ‘‘लाओ दो, जो भी बना रही हो उस में हाथ बंटा दूं, तुम्हारे ससुरजी की यही इच्छा है.’’

ससुरजी को इस साधना वायरस पर हंसी आ गई, सुधरेगी नहीं. द्य

जीवन की मुसकान

मैंवाईडब्लूसीए से बिजनैस मैनेजमैंट का डिप्लोमा कर रही थी. साल समाप्त होने जा रहा था. अंत में हमें अपनी प्रोजैक्ट रिपोर्ट जमा करानी थी. आखिरी दिन हमारी एक साथी बहुत परेशान थी. किसी व्यक्तिगत समस्या के कारण उस का प्रोजैक्ट तैयार नहीं हो पाया था. वह सब से उन की प्रोजैक्ट रिपोर्ट मांग रही थी कि अगर वे उसे दे दें, तो वह भी उसी तरीके से उसे प्रिंटिंग प्रैस में ले जा कर अपनी भी रिपोर्ट तैयार कर ले. लेकिन कोई भी लड़की उसे देना तो दूर, ठीक से दिखा भी नहीं रही थी.

रोंआसी सी वह मेरे पास आ कर गिड़गिड़ाने लगी. मैं ने अपनी सालभर की मेहनत उस के हाथों में दे दी. वह भागती हुई चली गई. सारी लड़कियों ने मुझे डांटना शुरू कर दिया.

क्लास खत्म हो गई. मैं गेट पर जा कर खड़ी हो गई. धीरेधीरे पूरा कालेज खाली हो गया. आधा घंटा मेरी एक सहेली साथ में खड़ी रही, फिर बाद में मुझे नसीहतें देते हुए वह भी चली गई. अब रोंआसी होने की बारी मेरी थी. करीब और

20-25 मिनट बाद एक औटो तेजी से आ कर मेरे पास रुका. वह लड़की नीचे उतरी और मुझे प्रोजैक्ट रिपोर्ट वापस की. उस की प्रोजैक्ट रिपोर्ट तैयार हो रही है और वह वापस वहीं पर जा रही है.

अब मेरी मुसकराहट वापस लौट आई थी. अच्छाई पर अतिविश्वास और अधिक गहरा हो गया था.

मैंऔर मेरे पति हनीमून पर कुल्लू गए. शाम को घूमने निकल गए. ऊंची पहाड़ी पर एक स्मारक बना था, उसे देखने के लिए दोनों पैदल चल पड़े.

मैं ने साड़ी पहनी थी. पहाड़ी पर चलना मुश्किल हो रहा था. तभी एक जीप आ रही थी. उस में बैठे सज्जन ने हमें स्मारक तक लिफ्ट दे दी. वापसी पर भी उन्होंने हमें वापस बाजार तक छोड़ दिया.

जीप से उतरते हुए हमारा कैमरा उसी जीप में छूट गया. जीप वालों का कोई पता नहीं मालूम था. फिर भी उम्मीद में बाजार में वहां वापस गए जहां उन्होंने हमें जीप से उतारा था. अभी हमें वहां पहुंचे 5 मिनट ही हुए थे कि हमें दूर से जीप आती दिखाई दी. जीप हमारे पास रुकी और वे सज्जन बोले, ‘‘बेटे की नजर आप के कैमरे पर पड़ गई थी. आप ने अपने होटल का नाम बताया था, वहीं जा रहे थे.’’

हम ने तहे दिल से उन्हें धन्यवाद दिया.

द चिकन स्टोरी- भाग 3: क्या उपहार ने नयना के लिए पिता का अपमान किया?

लेखक- अरशद हाशमी

‘‘तुम ही चल कर एक बार पिताजी को सम?ा लो,’’ उस ने मेरी बात को अनसुनी करते हुए कहा.

‘‘अरे नहीं रे बाबा.’’ गोलगप्पा मेरे मुंह से बाहर निकलतेनिकलते बचा. मैं तो आज तक भी उन के सामने आने से घबराता हूं. याद है, कैसे तुम ने मु?ो फंसवा दिया था. अब तुम दोनों ही कुछ रास्ता निकालो, मैं ने साफ इनकार  कर दिया.

पिताजी और उपकार दोनों ही ?ाकने के लिए तैयार नहीं थे. फिर कुछ दिनों बाद उपकार को एक मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए एक हफ्ते के लिए अमेरिका जाना पड़ा. अभी वह अमेरिका पहुंचा भी नहीं था कि उस के पिताजी की तबीयत अचानक बिगड़ गई. रातभर बेचारे दर्द से तड़पते रहे. अगले दिन जब खाना बनाने वाली आंटी आईं तो उन्होंने ?ाट से अस्पताल से एंबुलैंस मंगवा कर उन को एडमिट कराया. उन्होंने उपकार को फोन कर के सूचित किया. उपकार के लिए इतनी जल्दी वापस आना लगभग असंभव था. किसी भी सूरत में वह दोतीन दिनों से पहले वापस नहीं आ सकता था. उस ने मु?ो फोन करने की कोशिश की, लेकिन मेरा फोन खराब होने की वजह से मु?ा से बात नहीं हो पाई. तब उस ने नयना को फोन किया तो वह तुरंत पिताजी के पास अस्पताल पहुंच गई.

अंकलजी की हालत में अब काफी सुधार था. नयना 2 दिनों तक उन के पास अस्पताल में ही रही. नयना ने उपकार को फोन कर के वापस आने से मना कर दिया कि अब अंकल की तबीयत बिलकुल सही है और वह अपना काम खत्म कर के ही लौटे.

फिर वह उन को अस्पताल से घर ले आई और उन की खूब सेवा की.

‘‘तुम पाठक साहब की बेटी हो न. पाठक साहब तो काशी गए हुए हैं. तुम दिल्ली से कब आईं. सौरी, तुम को मेरे लिए इतना कष्ट उठाना पड़ रहा है.’’ उपकार के पिताजी नयना को पाठक साहब की बेटी सम?ा रहे थे. शहर में पाठक साहब ही उन के एकमात्र मित्र थे, इसलिए उन को लगा शायद नयना पाठक साहब की बेटी है.

‘‘मैं आप की बेटी हूं और मु?ो आप की सेवा करने में कोई कष्ट नहीं है. और आप को डाक्टर ने ज्यादा बोलने के लिए मना किया है, इसलिए आप ज्यादा बात न करें,’’ नयना ने उन को दवाई देते हुए कहा.

‘कितनी सुशील और संस्कारी लड़की है. काश, उपकार इस से शादी के लिए तैयार हो जाए.’ नयना को अपनी सेवा करते देख अंकलजी ने मन ही मन सोचा.

उपकार रोज ही अंकलजी से फोन पर बात करता. अंकलजी ने उस को बिलकुल भी चिंता नहीं करने की बात कही.

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नयना ने मु?ो फोन कर के अंकलजी के बारे में बता दिया था, तो मैं उन से मिलने आया. नयना ने मु?ो मना किया था कि मैं उस के बारे में अंकलजी को कुछ न बताऊं. अंकलजी की तबीयत अब काफी अच्छी थी. उपकार 2 दिनों बाद वापस आने वाला था.

‘‘बेटा, तुम तो उपकार के सब से अच्छे दोस्त हो. उस को सम?ाओ कि वह इस लड़की से शादी के लिए तैयार हो जाए. इस से अच्छी लड़की उस को कहां मिलेगी. पता नहीं, वह किस लड़की से शादी करने की जिद पकड़े बैठा है.’’ अंकलजी ने यह मु?ा से धीरे से कहा.

अब मैं अंकलजी से क्या कहता. चुपचाप चाय पी कर वहां से चला आया.

फिर जिस दिन उपकार को वापस आना था, नयना वापस अपने घर आ गई. उपकार के आने से पहले ही पाठक साहब काशी से वापस आ गए थे.

‘‘अरे पंडितजी, यह क्या हाल बना लिया. मैं तो मिठाई लाया था अपनी पारुल का रिश्ता काशी में कर दिया है.  अब जल्दी से ठीक हो जाइए, शादी अगले महीने ही है,’’ पाठक साहब अंकलजी के पास बैठते हुए बोले.

‘‘अरे बिटिया की शादी तय भी कर आए इतनी जल्दी.’’ पाठक साहब की बेटी की शादी की बात सुन अंकलजी बिलकुल निराश हो गए.

‘‘जी, बस, सबकुछ जल्दी ही तय हो गया. एक छोटे से समारोह में पारुल और शैलेश की सगाई भी कर दी है,’’ पाठक साहब ने अंकलजी को बताया.

‘‘सगाई भी हो गई, लेकिन बिटिया तो यहीं थी, फिर कैसे?’’ अंकलजी हैरानी से बोले.

‘‘नहीं, पारुल तो हमारे साथ काशी में ही थी. वह दिल्ली से वहीं आ गई थी,’’ पाठक साहब ने कहा तो अंकलजी सोच में पड़ गए कि अगर पारुल काशी में थी तो उन के साथ इतने दिनों तक कौन थी.

फिर शाम तक उपकार भी वापस आ गया. अंकलजी ने उपकार से पूछा कि आखिर इतने दिनों तक उन की सेवा करने वाली लड़की कौन थी.

‘‘मेरे एक दोस्त की बहन थी,’’ उपकार ने छोटा सा जवाब दिया, ‘‘कल से आप की देखभाल के लिए एक नर्स आ रही है. आप जल्दी से अच्छे हो जाइए, तो मैं आप को प्रयाग ले कर चलूंगा,’’ उपकार ने मुसकरा कर अंकलजी से कहा.

‘‘मेरी एक बात मान ले बेटा, नर्स की जगह तू उसी लड़की को इस घर में ले आ मेरी बहू बना कर,’’ अंकलजी ने उपकार का हाथ अपने हाथों में ले कर कहा.

‘‘मैं तो कब का माना हुआ हूं, आप ही नहीं मान रहे,’’ उपकार ने हताशाभरी मुसकान से कहा, तो अंकलजी को मानो एक ?ाटका सा लगा.

‘‘तो क्या यह वही लड़की है जिस से तुम शादी करना चाहते हो,’’ अंकलजी ने बड़ी हैरत से कहा.

‘‘जी बाबूजी, लेकिन अब नहीं. मेरे लिए वह आप से बढ़ कर नहीं है. आप को यह शादी मंजूर नहीं है, तो फिर यह शादी नहीं होगी,’’ उपकार अपने आंसुओं को रोकने की कोशिश करते हुए बोला और फिर वहां से चला गया. लेकिन अंकलजी विचलित हो गए.

रातभर अंकलजी सही से सो नहीं पाए. बारबार उन्हें नयना की सेवा और उपकार की आंखों में आंसू याद आते रहे. एक तरफ उन का धर्म था, तो दूसरी तरफ बेटे की खुशियां. वे किसी भी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे. फिर सुबह होतेहोते उन्होंने एक फैसला कर लिया.

‘‘अगर तुम मु?ो इतना ही मान देते हो तो जहां मैं कहूं वहां शादी करोगे,’’ अंकलजी ने चाय पीते हुए उपकार से कहा.

‘‘जैसा आप कहें पिताजी,’’ उपकार ने हार मानते हुए कहा.

‘‘तो फिर नयना को बोलो जल्दी से मेरी बहू बन कर इस घर में आ जाए,’’ अंकलजी ने मुसकरा कर कहा तो उपकार को विश्वास ही नहीं हुआ.

‘‘पिताजी, क्या आप सच कह रहे हैं?’’ उपकार की बांछें खिल गईं.

‘‘हां, अभी के अभी उस को यहां बुलाओ. 2 दिनों से उस को नहीं देखा, तो कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा,’’ अंकलजी उपकार की खुशी देख कर खुद भी बहुत खुश थे.

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उपकार ने ?ाट से नयना को फोन कर के घर बुला लिया.

‘‘बेटी, क्या तुम इस घर की बहू बनोगी,’’ अंकलजी ने आते ही नयना से कहा, तो नयना आंखों में आंसू लिए उन के गले लग गई.

‘‘नालायक, तू ने भी मु?ा को नहीं बताया,’’ कुछ दिनों बाद दोनों की सगाई के मौके पर अंकलजी ने मेरे कान खींचते हुए कहा.

फिर उपकार और नयना दोनों ने एकदूसरे को सगाई की अंगूठी पहनाई.

‘‘आज मैं अगर तुम से कुछ मांगूं, तो दोगे,’’ नयना ने उपकार से मेरी मौजूदगी में कहा.

‘‘जी बोलिए, आज आप जो कहेंगी, मैं वह करूंगा,’’ उपकार ने हंसते हुए कहा.

‘‘तो आज से आप और मैं पूर्ण शाकाहारी होंगे. हम पिताजी के लिए इतना तो कर सकते हैं न,’’ नयना ने गंभीरता से कहा तो ह्यमु?ो अपनी बहन पर बड़ा गर्व हुआ.

‘‘जो हुक्म मल्लिका का.’’ चिकन छोड़ने के खयाल से उपकार का मुंह लटक तो गया लेकिन फिर उस ने नयना से नाटकीय अंदाज में ?ाकते हुए यह कहा, तो हम सब हंस पड़े. हम ने ध्यान भी नहीं दिया कि हमारे पीछे अंकलजी हमारी बातें सुन कर अपनी आंखों में आए पानी को साफ कर रहे थे.

Crime Story: मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा

यह इतने पेशेवर तरीके से किया जाता है कि इस की भनक सिर्फ उन्हें ही लग पाती है जो इन पार्लरों के नियमित ग्राहक होते हैं. सख्त कानून और चुस्त प्रशासन की नाक के नीचे किए जा रहे इस धंधे में पार्लर के अंदर का नजारा बड़ा ही रंगीन होता है. किसी ग्राहक को पटाने का सिलसिला पार्लर में जाने के बाद ही शुरू हो जाता है. स्पा या मसाज पार्लर में पहले तो ग्राहक को एक चार्ट दिखाया जाता है जिस में अलगअलग मसाज और उस के दाम लिखे होते हैं जिसे ग्राहक अपने मनमुताबिक चुनता है.

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उस के बाद ग्राहक के सामने स्टाफ को बुलाया जाता है यानी वहां मसाज करने वाली लड़कियां जिन की मुसकराहट और ड्रैस को देख कर ग्राहक पहली ही नजर में उन की ओर खिंच जाता है.  फिर ग्राहक अपनी पसंद की लडक़ी को चुनता है और उस के बाद शुरू होता है मसाज के नाम पर ग्राहक को पटाने का सिलसिला.  मसाज रूम के अंदर जाने से पहले आमतौर पर ग्राहक से मसाज का पैसा पहले ही जमा करा लिया जाता है. मसाज का समय तकरीबन आधा घंटे से ले कर 1 घंटे का होता है. इसी मसाज के दौरान ही ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ दी जाती है. क्या है ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ मसाज रूम के अंदर  30 मिनट के मसाज के बाद मसाज गर्ल ग्राहक से पूछती है, ‘‘सर, ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ लेंगे?’’ ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ एक ऐसा शब्द है जिस से मसाज पार्लर व स्पा सैंटरों का गुलाबी धंधा शुरू होता है. एक घंटे के मसाज में बंद कमरे में बहुतकुछ हो जाता है. दरअसल, इन लड़कियों को पहले से ही सिखाया जाता है कि ग्राहक को हर तरह से संतुष्ट करना है. इस के लिए चाहे कुछ भी करना हो.  बौडी मसाज के दौरान ये ग्राहक के कुछ ऐसे बौडी पौइंट को दबाती हैं कि ग्राहक खुद ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए मना नहीं कर पाता है. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का  रेट एक मसाज गर्ल ने बताया, ‘‘ज्यादातर मामलों में हमारा रेट इस बात पर निर्भर करता है कि ग्राहक कौन सा मसाज करवाना चाहता है.’’

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अगर आप किसी छोटे मसाज पार्लर में जाते हैं तो वहां नौर्मल मसाज का रेट 1,000 से 2,000 रुपए होता है. अगर आप किसी बड़े?स्पा में जाते हैं तो वहां शुरुआती रेट 3,000 रुपए से शुरू होता है. ज्यादातर ग्राहक ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए ही आते हैं. ऐसे में वे दिखावे के लिए सब से सस्ता वाला ही मसाज चुनते हैं.  वह मसाज गर्ल आगे बताती है कि रूम के अंदर जब ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ की बात होती है तो आमतौर पर ग्राहक को 2,000 से 5,000 रुपए तक के रेट बताए जाते हैं. कभीकभार हम उन से कम पैसे भी ले लेते हैं. इस में सौदेबाजी भी जम कर होती?है.  सौदेबाजी के बाद ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का एक रेट अलग से तय किया जाता है. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का पैसा सर्विस से पहले ही ले लिया जाता है क्योंकि कई बार सर्विस होने के बाद ग्राहक तय रकम देने से मना कर देते हैं. फंसते हैं जाल में आजजगहजगह मसाज पार्लर खोले जा रहे हैं जहां बौडी मसाज के नाम पर जिस्मफरोशी का धंधा किया जा रहा है. यहां ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ लेने वाले लोगों में सब से ज्यादा तादाद नौजवानों की होती है.  ज्यादातर नौजवान अखबारों, पत्रिकाओं या सोशल मीडिया पर इश्तिहार देख कर इन के झांसे में आते हैं. ऐसे ज्यादातर इश्तिहार तो नकली होते हैं. इन का मकसद लोगों को अपने जाल में फंसाना होता है. ये लोग ग्राहक को लूटते हैं, उन की निजी तसवीरें ले कर उन्हें ब्लैकमेल भी करते हैं. दिल्ली और उस से सटी नोएडा, गुरुग्राम वगैरह जगहों में तो इस का नैटवर्क और तेजी से फैलता जा रहा?है. एक खबर देखिए. नोएडा सैक्टर 18 में स्थित स्पा सैंटर में चल रहे देह  धंधे के रैकेट का पुलिस ने खुलासा किया है.  पुलिस के मुताबिक, यहां काम करने वाली लड़कियों को 25,000 से 30,000 रुपए के मासिक वेतन पर रखा गया था. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ करने पर ये लड़कियां महीने में 35,000 से 40,000 रुपए आसानी से कमा लेती हैं. गुरुग्राम में भी जगहजगह मसाज पार्लर खुले हुए हैं.

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समयसमय पर पुलिस ऐसे सैंटरों की तलाशी लेती रहती है, लेकिन वहां के पौश इलाकों में स्पा की आड़ में देह धंधा थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. गुरुग्राम के एमजी रोड, सोहना रोड पर स्थित स्पा सैंटरों में पुलिस ने छापा मार कर तकरीबन दर्जनभर लोगों को गिरफ्तार किया था, जिन में लड़कियां भी शामिल थीं. पुलिस का नहीं डर  साल 2018 में लाजपत नगर, अमर कालोनी में तकरीबन 10 से 12 स्पा सैंटर यानी मसाज पार्लर देह धंधे के सिलसिले में पकड़े गए थे जिन्हें पुलिस कार्यवाही के बाद सील कर दिया गया था, लेकिन अभी भी यह धंधा पूरी तरह से बंद नहीं हुआ है. दिल्ली में ही नहीं, बल्कि बाकी बड़े शहरों में भी यह धंधा काफी फलफूल  रहा है. हाल में ही मेरठ में एंटी करप्शन के एक इंस्पैक्टर की मिलीभगत से मसाज पार्लर की आड़ में देह धंधा चल रहा था. यह मसाज पार्लर हाईप्रोफाइल लोगों को औनलाइन सर्विस देता था जिस में औन डिमांड लड़कियां सप्लाई की जाती थीं.  ग्राहकों के लिए इस में सब से बड़ा जोखिम लुट जाने का होता है. कई बार ग्राहक से अलगअलग तरीके से जबरन पैसे वसूल लिए जाते हैं या पुलिस को बुलाने की धमकी दी जाती है. बीमारियों से चाहे ग्राहक कंडोम की वजह से बच जाएं, लुटने से नहीं बच पाते हैं.

महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक : मुख्यमंत्री

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां लोक भवन में ‘राष्ट्रीय पोषण माह, 2021’ का शुभारम्भ किया.

कार्यक्रम में राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने गोद भराई कार्ड ‘शगुन’ तथा आई0सी0डी0एस0 विभाग के मैस्कॉट ‘आँचल’ का विमोचन किया. राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने 05 गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की तथा 10 बच्चों को उपहार स्वरूप फलों की टोकरी वितरित की.

राज्यपाल जी एवं मुख्यमंत्री जी ने इस अवसर पर प्रदेश के 24 जनपदों में लगभग 4,142 लाख रुपये की लागत से नवनिर्मित 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों का लोकार्पण किया. कार्यक्रम के दौरान उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं एवं बाल विकास परियोजना अधिकारियों को प्रशस्ति-पत्र तथा उ0प्र0 लोक सेवा आयोग द्वारा नवचयनित 91 बाल विकास परियोजना अधिकारियों को नियुक्ति-पत्र वितरित किया गया.

राज्यपाल जी ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि देश व प्रदेश को सशक्त, सक्षम एवं समृद्ध बनाने के लिए महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है. मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा महिलाओं एवं बच्चों के पोषण के लिए उल्लेखनीय प्रयास किया गया है. राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के प्रभावी संचालन के लिए अन्तर्विभागीय समन्वय पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं एवं बच्चों में कुपोषण दूर करने सम्बन्धी कार्यक्रमों के परिणामों का अध्ययन कराकर उन्हें और बेहतर बनाया जा सकता है. कुपोषण से छुटकारा दिलाने में जनसहभागिता की उपयोगी भूमिका है.

मुख्यमंत्री जी ने कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि देश को समर्थ और सशक्त राष्ट्र के रूप में विकसित करने की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की परिकल्पना को साकार करने के लिए महिलाओं एवं बच्चों का पोषण आवश्यक है. इसके दृष्टिगत प्रधानमंत्री जी द्वारा वर्ष 2018 से देश में प्रतिवर्ष सितम्बर माह को राष्ट्रीय पोषण माह के रूप में मनाये जाने का कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया. आज चौथे राष्ट्रीय पोषण माह का शुभारम्भ किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी की मंशा है कि प्रत्येक माता एवं बच्चा स्वस्थ व सुपोषित हो. राष्ट्रीय पोषण माह के प्रभावी ढंग से संचालन तथा समाज के अन्तिम पायदान के व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचाने के लिए कार्यक्रम में जनसहभागिता आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण अभियान, 2021’ के तहत विभिन्न गतिविधियों पर विशेष बल दिया जाएगा. पोषण माह के प्रथम सप्ताह में पोषण वाटिका की स्थापना हेतु पौधरोपण अभियान संचालित किया जाएगा. इसके तहत सरकारी स्कूलों, आवासीय स्कूलों, आंगनबाड़ी केन्द्रों, ग्राम पंचायत की अतिरिक्त भूमि पर पौधरोपण किया जाए. माह के दूसरे सप्ताह में योग एवं आयुष से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा. इस दौरान किशोरियों, बालिकाओं, गर्भवती महिलाओं को केन्द्रित करते हुए योग सत्रों का आयोजन किया जाएगा. तृतीय सप्ताह के दौरान पोषण सम्बन्धी प्रचार-प्रसार सामग्री, अनुपूरक पोषाहार वितरण आदि से सम्बन्धित कार्यक्रम संचालित किये जाएंगे. चौथे सप्ताह के दौरान सैम व मैम बच्चों के चिन्हांकन का कार्य किया जाएगा. सभी से चार सप्ताह के इस विशेष अभियान से जुड़कर इसे सफल बनाने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय पोषण माह’ समाज के सशक्तीकरण का महाअभियान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं एवं बच्चों के सुपोषण के सम्बन्ध में अनेक अभिनव प्रयोग किये हैं, जिसके बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं. इसमें उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कर्मियों यथा आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, मुख्य सेविकाओं, बाल विकास परियोजना अधिकारियों को आज प्रशस्ति-पत्र प्रदान किया गया है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अस्थायी अथवा किराये के भवनों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों को अपना भवन उपलब्ध कराने के लिए मिशन मोड में कार्य कर रही है. इसके तहत आज 529 आंगनबाड़ी केन्द्रों के भवनों का लोकार्पण किया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों के साथ ही प्री-प्राइमरी के रूप में आंगनबाड़ी केन्द्रों के संचालन के कार्य को आगे बढ़ाने का प्रयास किया, जिससे बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही स्कूली शिक्षा का कार्य भी समुचित ढंग से आगे बढ़े. वर्ष 2020 में कोरोना के आगमन से यह प्रयास बाधित हुआ. वर्तमान में राज्य में कोरोना का संक्रमण नियंत्रित स्थिति में है. आज प्रदेश में कोरोना संक्रमण के 22 मामले प्रकाश में आये हैं. अधिकतर जिलों में कोरोना का संक्रमण समाप्त हो चुका है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा अब तक कोरोना की 07 करोड़ 39 लाख से अधिक जांच करायी गयी है तथा 08 करोड़ 08 लाख से अधिक वैक्सीन की डोज दी गयी है. कोरोना की जांच और वैक्सिनेशन दोनों में प्रदेश देश में प्रथम स्थान पर है. आंगनबाड़ी से सम्बन्धित गतिविधियों को आगे बढ़ाने का यह उपयुक्त समय है.

मुख्यमंत्री जी ने नवनियुक्त बाल विकास परियोजना अधिकारियों को चयन हेतु बधाई देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा विभिन्न पदों पर अभ्यर्थियों का चयन पूरी निष्पक्षता एवं पारदर्शिता के साथ मेरिट के आधार पर सम्पन्न कराया गया है. उन्होंने कहा कि नवनियुक्त अधिकारी राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप राष्ट्रीय पोषण माह अभियान से जुड़कर ईमानदारी से कार्य करें. उन्होंने कहा कि बच्चे ईश्वर की कृति हैं. शासन द्वारा इन्हें प्रदान की जा रही स्वास्थ्य एवं पोषण सम्बन्धी सभी सुविधाएं सुलभ होनी चाहिए. यह राष्ट्र की आधारशिला को सुदृढ़ करने की दिशा में किया गया कार्य है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तीकरण हेतु सार्थक प्रयास किये हैं. मिशन शक्ति-3 का संचालन किया जा रहा है. महिला आरक्षियों को बीट की जिम्मेदारी दी गयी है. यह आरक्षी महिलाओं के सम्बन्ध में जागरूकता का प्रसार का कार्य भी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों, आशा वर्कर्स तथा एएनएम द्वारा स्क्रीनिंग और मेडिसिन किट वितरण का कार्य किया गया. इससे प्रदेश में कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करने में बड़ी सहायता मिली. उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्त्रियों तथा आशा वर्कर्स के मानदेय की वृद्धि के सम्बन्ध में कार्यवाही संचालित है. इनके बकाया भुगतान के निर्देश भी दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सितम्बर माह साग-सब्जियों और फलों के पौधरोपण के लिए उचित समय है. इस दौरान बेसिक शिक्षा परिषद तथा माध्यमिक स्कूलों में किचन गार्डेन स्थापित किया जा सकता है. उन्होंने कुपोषित माँ व बच्चों में कुपोषण दूर करने के लिए दूध की उपलब्धता हेतु जिला प्रशासन को जनपद स्तर पर निराश्रित गोवंश में से गाय उपलब्ध कराये जाने पर बल देते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा निराश्रित गोवंश के पालन हेतु प्रति गोवंश 900 रुपये प्रतिमाह उपलब्ध कराये जा रहे हैं.

महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्रीमती स्वाती सिंह ने अपने स्वागत सम्बोधन में कहा कि मुख्यमंत्री जी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने बच्चों से लेकर बुजुर्गाें तक को सशक्त और स्वावलम्बी बनाने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की हैं. उन्होंने कहा कि देश व प्रदेश की सामाजिक एवं आर्थिक प्रगति के लिए कुपोषण से मुक्ति जरूरी है. प्रधानमंत्री जी ने इसके लिए वर्ष 2018 में राष्ट्रीय पोषण माह अभियान की नींव रखी. मुख्यमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश में इस अभियान का प्रभावी ढंग से संचालन किया जा रहा है.

कार्यक्रम के अन्त में प्रमुख सचिव महिला कल्याण तथा बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती वी. हेकाली झिमोमी ने अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया.

इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एमएसएमई श्री नवनीत सहगल, निदेशक बाल विकास एवं पुष्टाहार श्रीमती सारिका मोहन, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

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