लेखक- शाहनवाज
राजधानी दिल्ली के गोविंदपुरी में किराए पर रहने रहने वाले राजेश और बबीता के बीच लगभग हर दिन की तरह उस रोज भी झगड़ा शुरू हो गया था. उन की रोजरोज की तूतूमैंमैं के झगड़े से मकान में रहने वाले दूसरे किराएदार तंग आ चुके थे. समय सुबह के साढ़े 7 बजे का था. तारीख थी 7 जून. लौकडाउन का दौर चल रहा था, किंतु अनलौक की कुछ छूट भी मिली हुई थी.
लोगों का अपनेअपने कामधंधे पर आनेजाने का सिलसिला शुरू हो चुका था. जबकि कमरे में राजेश अपने बिस्तर पर औंधे मुंह लेट कर फोन पर फेसबुक चला रहा था. शायद वह कोई वीडियो देखने में मग्न था.
यह उस के रोज के रूटीन में शामिल हो चुका था. वह कभी वाट्सऐप मैसेज कर रहा होता या फिर यूट्यूब का वीडियो देख रहा होता था. इसी को ले कर उस की पत्नी बबीता चिढ़ती रहती थी.
उस रोज भी बबीता यह देख कर भड़क गई थी. तीखे शब्दों में गुस्से से चीखती हुई बोली, ‘‘कुछ कामधंधा भी करना है या सारा दिन बिस्तर पर पड़ेपड़े दांत निपोरते रहते हो? जब देखो तब फोन पर लगे रहते हो. कम से कम मेरे काम में तो हाथ बंटा दो.’’
बिस्तर पर पड़ेपड़े राजेश बोला, ‘‘कर लूंगा न काम, चिल्ला क्यों रही है. कौन सा भूखा रखा हुआ है मैं ने.’’
राजेश की इस बात से खीझते हुए बबीता ने कहा, ‘‘हांहां, क्यों नहीं. याद है कि नहीं? लौकडाउन में मेरी मां नहीं होती तो भूखे मर जाते. तुम से शादी कर मैं ने सच में अपनी जिंदगी बरबाद कर ली है.’’
‘‘तो नहीं करती शादी मुझ से. किसी ने जबरदस्ती थोड़े न की थी.’’ राजेश ने बबीता की बातों का जवाब देते हुए कहा.
यह सुन कर बबीता का गुस्सा सातवें आसमान पर जा पहुंचा. उस ने गुस्से में कहा, ‘‘जबरदस्ती? याद दिलाऊं क्या? जबरदस्ती किस ने की थी? अगर तुम से शादी नहीं की होती तो जेल में सड़ रहे होते.’’
बबीता की इस बात से राजेश का दिमाग झनझना गया. वह तुरंत बिस्तर पर उठ बैठा. गुस्से में एक ओर मोबाइल पटकता हुआ खड़ा हो गया.
एक पल के लिए अतीत आंखों के आगे घूम गया. अचानक गुस्से में उस ने बबीता का मुंह दबा दिया. नाराजगी जताते हुए बोला, ‘‘तुझे कितनी बार मना किया है. आइंदा अपना मुंह खोलने से पहले सोच लिया करो. याद रखना पहले क्या किया था और मैं अब क्या कर सकता हूं.’’
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बबीता भी राजेश की इस धमकी से कहां चुप रह जाने वाली थी. राजेश के हाथ से मुंह छुड़ा कर कड़ाई के साथ जवाब देते हुए बोली, ‘‘तुम्हारी इस धमकी से डरने वाली नहीं हूं मैं, बड़े आए धमकी देने वाले. अगर आगे से ऐसी धमकियां दीं तो तुम याद रखना कि मैं क्या कर सकती हूं.’’
कहते हुए बबीता ने बाथरूम में जा कर फटाफट अपने कपड़े बदले. बैड के पास रखा अपना हैंडबैग उठाया. गुस्से में कपड़े के एक थैले में अपने 3-4 जोड़ी कपड़े भरे. पैरों में सैंडल डाली और बिना राजेश को बताए घर से निकल गई.
राजेश सामने खड़ाखड़ा देखता रह गया. उस ने बबीता से यह पूछने की हिम्मत भी नहीं की कि वह कहां जा रही है. राजेश को पता था कि बबीता अपने मायके जा रही है. वह अकसर ऐसा ही करती थी.
दोनों की शादी के बाद जब कभी उन के बीच झगड़ा होता और बबीता रूठ कर या झगड़ कर अपनी मां के पास चली जाती थी. 4-5 दिनों बाद खुद ही वापस आ भी जाती थी.
दरअसल, 25 वर्षीय राजेश रोय और 29 वर्षीय बबीता दोनों एकदूसरे को साल 2020 की शुरुआत से ही जानते थे. उस समय भारत में कोरोना की वजह से लौकडाउन नहीं लगा था. राजेश तब दिल्ली में जनकपुरी के नजदीक सिटी माल में सेल्समैन का काम करता था.
नए साल के मौके पर जब बबीता अपने दोस्तों के साथ शौपिंग करने के लिए सिटी माल गई थी तो उस की जानपहचान वहां काम कर रहे राजेश से हुई थी.
राजेश के हावभाव और बातचीत करने के अंदाज पर बबीता फिदा हो गई थी. जबकि वह उस से उम्र में बड़ी थी. न जाने उसे क्या सूझी कि वह बारबार माल जाने लगी. राजेश ने भी महसूस किया कि बबीता उस से ही मिलने आती है.
जल्द ही दोनों की जानपहचान दोस्ती में बदल गई. 2 महीने के दौरान उन के बीच नजदीकियां काफी बढ़ गईं. यौवनावस्था की उम्र में एक समय ऐसा भी आया, जब उन के प्रेम पर वासना हावी हो गई. दोनों खुद को रोक नहीं पाए और उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए.
मांबाप की लाडली बेटी होने कारण बबीता कुछ अधिक ही आजाद खयाल की हो गई थी. मातापिता ने शादीब्याह के मामले में उस पर अपनी मरजी नहीं थोपी थी. वह केवल इतना चाहते थे कि बबीता की शादी जानपहचान में ही हो तो अच्छा है. बबीता भी यही चाहती थी.
मार्च, 2020 के अंतिम सप्ताह में कोरोना प्रकोप के चलते लौकडाउन लग गया था. 2 प्रेमी अपनेअपने घरों में कैद हो चुके थे. मिलने के लिए उन की बचैनी और बेकरारी बढ़ती जा रही थी. वे फोन पर बातें कर अपने दिल को तसल्ली दे दिया करते थे. इसी बीच बबीता ने पेट से होने की बात राजेश को बताई.
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राजेश यह सुनते ही नाराज हो गया. उस ने बच्चे को अपनाने से साफ इनकार कर दिया. इस से बबीता के मन को काफी ठेस पहुंची. राजेश ने लौकडाउन के दौरान बबीता से बच्चा गिराने की भी बात कही, लेकिन वह इस के लिए हिम्मत नहीं जुटा सकी.
जून 2020 में लौकडाउन में कुछ राहत मिलने पर एक दिन राजेश बबीता को घुमाने के बहाने गुड़गांव के एक प्राइवेट अस्पताल में ले गया. वहां उस ने गर्भपात की दवा दिलवाई. बबीता इस के तैयार तो नहीं थी, लेकिन उस ने राजेश की जिद को मान लिया और दवा खा ली. कुछ ही दिनों में बबीता का गर्भपात हो गया.
उस के बाद राजेश ने बबीता से बातचीत करना कम कर दिया. वह बबीता से अपने रिश्ते खत्म करना चाहता था. राजेश बबीता के फोन काल इग्नोर करने लगा था. उस के मैसेज का भी कोई जवाब नहीं देता था.
बबीता भी समझने लगी थी कि राजेश उस से पीछा छुड़ाना चाहता है. बबीता को यह बात अच्छी नहीं लगी. वह खुद को धोखा खाया हुआ महसूस कर रही थी.
एक दिन जब बबीता की राजेश से बात हुई तो उस ने सीधे शब्दों में पूछ ही लिया, ‘‘राजेश, हमारे बीच में जो कुछ हुआ और मुझे जो सहना पड़ा है, उस की जिम्मेदारी तुम्हारी भी है. तुम आखिर चाहते क्या हो, सीधेसीधे जवाब दो.’’
बबीता का सवाल सुन कर राजेश ने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया. घुमाफिरा कर बोला, ‘‘देखो बबीता, हमारे बीच जो कुछ हुआ, उसे हमेशा के लिए भूल जाओ. नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू करो. मुझ से भी कोई उम्मीद मत रखना.’’
यह कहते हुए राजेश ने फोन काट दिया. राजेश की बात सुन कर बबीता को धक्का लगा. उसे विश्वास ही नहीं हुआ कि जिस इंसान के साथ उस ने गहरे संबंध बनाए, वही अब उसे भूल जाने की बात कह रहा है.
धोखा खाई बबीता ने गुस्से में 14 जुलाई, 2020 को दिल्ली के डाबड़ी मोड़ थाने में राजेश के खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करवा दी. जिसे संज्ञान में लेते हुए पुलिस ने भादंवि की धारा 376 के तहत राजेश को गिरफ्तार कर 8 अगस्त, 2021 को जेल भेज दिया.
राजेश के जेल जाने पर उस के घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने बबीता के घर वालों से राजेश को छुड़ाने के लिए काफी मिन्नतें कीं. केस वापस लेने का आग्रह किया, लेकिन बबीता और उस के घर वालों ने इस मामले में किसी भी तरह की बात करने से इनकार कर दिया.
कुछ दिनों बाद राजेश के घर वालों ने बबीता के मांबाप से उस की शादी राजेश से करने की गुजारिश की. इस पर वे तैयार हो गए.
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कुछ शर्तों के आधार पर बबीता ने 19 अक्तूबर, 2020 को राजेश के खिलाफ अपनी शिकायत वापस ले ली. शादी का एक एफिडेविट भी जमा करवा दिया. इस तरह से कोर्टमैरिज की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिसंबर, 2020 में राजेश और बबीता की शादी डाबड़ी मोड़ के नजदीक आर्यसमाज मंदिर में हो गई, उस के बाद दोनों दिल्ली के गोविंदपुरी इलाके में रहने लगे.
कहते हैं न प्रेम की डोर अगर एक बार टूट जाए तो उसे जोड़ना मुश्किल होता है. यदि उसे जोड़ लिया जाए, तब भी उस में बनने वाली गांठ संबंध की मधुरता में हमेशा खलल डालती रहती है. यही कारण था कि राजेश और बबीता शादी के बाद भी मधुर संबंध नहीं बना पाए.
उन के बीच मोहब्बत की मिसाल जैसा प्रेम पनप ही नहीं पाया. छोटीछोटी खुशियां नोकझोंक में दफन होने लगीं. कारण दोनों के बीच अकसर झगड़े होते रहते थे.
बातबात पर झगड़े से नाराज हो कर बबीता अपने मायके चली जाया करती. राजेश का काम तो लौकडाउन में छूट ही चुका था, लेकिन अब उसे कहीं और काम मिल भी नहीं रहा था.
ऐसे में किराए पर रहना अब राजेश के लिए भारी पड़ने लगा था. ऊपर से घरेलू खर्चे अलग थे. राजेश की बचीखुची बचत भी अब खत्म होने वाली थी. इस बारे में जब बबीता ने अपनी मां लक्ष्मी देवी को राजेश की इस हालत के बारे में बताया तब उन्होंने राजेश को अपने इलाके में ही किराए पर एक कमरा दिलवा दिया. उस का किराया पहले से कम था. इस राहत के बावजूद राजेश तंगी से जूझ रहा था.
सास को समझता था झगड़े की जड़ लक्ष्मी देवी ने कुछ समय तक अपनी बेटी की आर्थिक मदद की. वह डाबरी मोड़ के पास महिंद्रा पार्क में रहती थी. बबीता वहीं अपनी मां के घर चली जाती थी. राजेश इस बात से और ज्यादा परेशान होने लगा था कि बबीता बातबात पर झगड़ा कर के अपनी मां के घर चली जाती है.
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राजेश इस झगड़े की असली जड़ लक्ष्मी देवी को मानता था. झगड़ा होने पर उसे सबक सिखाने को ले कर धमकाता रहता था. कई बार कह भी चुका था कि वह जेल से बाहर अपने अपमान का बदला लेने के लिए आया है. इस बारे में बबीता अपनी मां को भी बताती थी.
बबीता के पिता डालीराम का निधन हो चुका था. बबीता ही लक्ष्मी देवी के जीने की सहारा थी और उस का पूरा ध्यान रखती थी.
राजेश कुछ समय तक महिंद्रा पार्क में रहा, लेकिन 3-4 महीने बाद दोनों फिर से गोविंदपूरी शिफ्ट हो गए. 7 जून, 2021 को भी झगड़े के बाद बबीता अपने मायके चली गई.
बारबार की इस समस्या से राजेश काफी परेशान हो गया था. 3-4 दिन तक बबीता की हरकतों से छुटकारा पाने के बारे में सोचता रहा. उस ने 11 जून की सुबह 10 बजे बबीता को फोन कर कहा, ‘‘बबीता, गांव में मेरी मां की तबीयत बहुत खराब है. गांव चलना है.’’
बबीता ने इस की जानकारी अपनी मां को दी. लक्ष्मी देवी भी उन के बीच झगड़ों से काफी परेशान हो गई थी. वह भी सोच में पड़ गई कि क्या करे, क्या नहीं? वह समझ नहीं पर रही थी कि आखिर उन के बीच झगड़ा कैसे खत्म हो पाएगा? सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.
थोड़ी देर बाद लक्ष्मी देवी ने बबीता के हाथ से फोन ले कर राजेश को मिलाया. बोली, ‘‘सुनो राजेश, तुम्हारे कारण मेरी बेटी बारबार मायके आ जाती है. तुझे जरा भी शर्म है या नहीं. मेरी बेटी को ले जाना है तो थाने आ. यहां आ कर ले जा.’’
राजेश गुस्से का घूंट पी कर रह गया. चुपचाप गोविंदपुरी से डाबड़ी मोड़ थाने पहुंचा. थाने में उस ने बताया कि बबीता उस की पत्नी है. वह उस अपने साथ गांव ले जाना चाहता है, जहां उस की मां बीमार है.
बेटी से नहीं हुई बात
बबीता ने राजेश द्वारा धमकियां देने की शिकायत भी की, लेकिन पुलिस ने राजेश का पक्ष मजबूत पाया और उसे बबीता को साथ ले जाने को कह दिया.
वहीं से राजेश बबीता को ले कर आटो से दिल्ली के आनंद विहार बसअड्डा चला गया. राजेश का गांव उत्तराखंड के जिला ऊधमसिंह नगर के छोटे से कस्बे तिलियापुर में था.
अगले दिन 12 जून को दोपहर करीब 2 बजे लक्ष्मी देवी ने बबीता को हालचाल जानने के लिए फोन किया. लेकिन बबीता का फोन बंद था. उन्होंने सोचा कि शायद रास्ते में होंगे और फोन की बैटरी खत्म हो गई होगी.
उस दिन तो जैसेतैसे लक्ष्मी देवी ने अपना मन मना लिया. उस के अगले दिन भी जब बबीता का फोन बंद पाया तब उसे अपनी बेटी को ले कर तरहतरह की शंकाए होने लगीं. इसी तरह से 14 और 15 जून को भी जब बबीता का फोन बंद मिला, तब लक्ष्मी देवी की बेचैनी और बढ़ गई.
16 जून, 2021 को लक्ष्मी देवी ने डाबड़ी मोड़ थाने के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को बबीता के लापता होने जानकारी दी और रिपोर्ट दर्ज करने का आग्रह किया. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस ने राजेश को फोन मिलाया और बबीता के बारे पूछा.
राजेश ने बबीता के साथ होने से इनकार कर दिया. राजेश ने पुलिस को बताया कि उसे नहीं पता बबीता कहां है. 11 जून को थाने से निकलने के बाद बबीता अपनी मां के साथ ही घर चली गई थी. यह सुन कर लक्ष्मी देवी दंग रह गई. पुलिस 2 तरह के बयान से हैरत में पड़ गई. एक तरफ बबीता की मां लक्ष्मी देवी का अपने दामाद राजेश पर आरोप था कि बबीता 11 जून को उसी के साथ उत्तराखंड के लिए निकली थी. दूसरी तरफ राजेश अपनी सास लक्ष्मी देवी पर आरोप लगा रहा था
कि बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर गई थी. दोनों में से कौन सही है, इस का पता लगाने के लिए पुलिस ने एक टीम बनाई.
बबीता की चिंता में मां लक्ष्मी देवी की रातों की नींद हराम होने लगी. उन्होंने एक वकील की मदद से जिला कोर्ट द्वारका में राजेश के खिलाफ सीआरपीसी धारा 97 का इस्तेमाल करते हुए अपनी बेटी को अपहरण कर बंदी बना लेने की अपील दर्ज कर दी.
मामले की गंभीरता को देखते हुए द्वारका कोर्ट ने पुलिस को जांच जल्द से जल्द निपटाने के आदेश दिए. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने डाबड़ी मोड़ के थानाप्रभारी सुरेंद्र संधू को इस केस में तुरंत काररवाई करने के निर्देश दिए.
थानाप्रभारी ने 8 जुलाई, 2021 को एसआई नरेंदर सिंह के हाथों इस केस की जिम्मेदारी सौंपी. नरेंदर सिंह ने काल डिटेल्स और टैक्निकल टीम की मदद से 11 जून से राजेश और बबीता के फोन की आखिरी लोकेशन का पता लगाया.
उन्हें पता लगा कि राजेश के फोन की आखिरी लोकेशन 11 जून को दिल्ली में थी. अगले दिन उस की लोकेशन उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर में मिली. जबकि बबीता के फोन की लोकेशन लगातार बदल रही थी. जो पहले दिल्ली, फिर पूर्वी उत्तर प्रदेश और अंत में उत्तराखंड के नैनीताल की मिली.
इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए राजेश को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया. उस ने पूछताछ के दौरान पहले तो एसआई नरेंदर सिंह और पुलिस टीम को गुमराह करने की कोशिश की.
उस ने बताया कि 11 जून को बबीता अपनी मां के साथ महिंद्रा पार्क अपने घर चली गई थी. किंतु जब उसे यह बताया गया कि बबीता के फोन की अंतिम लोकेशन नैनीताल में थी, तब यह सुन कर वह हकला और सकपका गया.
फिर क्या था, उस से सख्ती से पूछताछ की जाने लगी. गहन पूछताछ के सवालों के सामने राजेश टिक नहीं पाया. उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने नैनीताल ले जा कर बबीता की हत्या कर दी है और उस की लाश खाई में फेंक दी थी. उस ने सिलसिलेवार ढंग से हत्याकांड से ले कर लाश को ठिकाने लगाने की बात इस प्रकार बताई—
11 जून की शाम के करीब 6 बजे जब बसअड्डे से बस उत्तराखंड के लिए रवाना हो रही थी, तब उस ने प्लान के मुताबिक अपना फोन बंद कर लिया था. बस दिल्ली से निकल कर उत्तर प्रदेश से होते हुए अगले दिन 12 जून की सुबह करीब 9 बजे उत्तराखंड के नैनीताल पहुंचा.
राजेश और बबीता दोनों नैनीताल बसअड्डे पर उतरे. वहां थोड़ा आराम किया और पैदल ही आगे की ओर निकल गए.
नैनीताल से करीब 12 किलोमीटर पैदल चलने के बाद रास्ते में पड़ने वाले हनुमान मंदिर पर दोनों ने चाय पी, थोड़ा आराम किया और फिर आगे की ओर निकल पड़े.
नैनीताल हल्द्वानी रोड पर स्थित हनुमान मंदिर पर आराम करने के बाद करीब 40-50 मीटर उसी रास्ते पर आगे चलते रहे. फिर राजेश बल्दियाखान गांव के पास रिया गांव की तरफ जाने वाली सड़क पर सुस्ताने के बहाने से रुका. वह जगह काफी सुनसान थी. उस के साथ बबीता भी रुक गई.
दोनों रास्ते के किनारे बनी पुलिया नंबर 162 पर 10-15 मिनट तक बैठे रहे. उस पुलिया के नीचे 7-8 फीट गहरा एक गड्ढा था. वह जगह दूर से नहीं दिखती थी.
बातोंबातों में राजेश उस गहरे गड्ढे में उतर गया. उस ने बबीता का हाथ पकड़ कर उसे नीचे आने का इशारा किया. जब बबीता ने पूछा कि यहां क्यों, तब उस ने नए अंदाज में प्यार का इजहार करने की बात कही. बबीता राजेश की बातों में आ गई और वह गड्ढे में उतर आई.
जैसे ही बबीता गड््ढे में उतरी, राजेश ने पहले उसे गले लगाया. एक पल के लिए बबीता शांत हो गई. राजेश ने वक्त बरबाद न करते हुए अचानक से बबीता का गला दबोच लिया.
बबीता ने गला छुड़ाने की कोशिश की लेकिन राजेश की पकड़ मजबूत थी. कुछ ही पलों में बबीता की सांसें उखड़ने लगीं. कुछ मिनटों में जब बबीता का शरीर पूरी तरह से शांत हो गया तो निर्जीव हो चुके शरीर को राजेश ने वहीं छोड़ दिया.
उस के बाद राजेश गड्ढे से बाहर आ कर अपने गांव जाने वाले रास्ते की ओर बढ़ गया. थोड़ा चलने के बाद पीछे से आ रही गाड़ी पर सवार हो गया. अपने गांव पहुंचने से पहले आनंदनगर के पास शक्ति फार्म के धान के खेतों में बबीता का फोन फेंक दिया. 12 जून की दोपहर करीब 2 बजे के आसपास वह अपने गांव पहुंच गया.
राजेश के यह सब कबूलने के बाद बबीता की लाश तलाशने के लिए दिल्ली पुलिस की टीम ने 2 दिनों का सर्च औपरेशन चलाया. लाश ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस ने उत्तराखंड की स्थानीय तल्लीताल पुलिस की मदद ली.
पुलिस की सर्च टीम ने 26 जुलाई, को बबीता की लाश पुलिया नंबर 162 से ढूंढ निकाली.
27 जुलाई को एसआई नरेंदर सिंह ने आरोपी राजेश को गिरफ्तार कर लिया. फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.