सच बारबार बोला गया झूठ भी सच बन जाया करता है, कविता शायद इस बात को जानती थी इसलिए इतना बड़ा झूठ बोल गई पर उस का दर्प और झूठ महेश पुरी के जीवन का ऐसा कड़वा सच बन गया जिस से उसे मुंह छिपाना पड़ा.