अनुज के साथ अकेले मुंबई जाएगी अनुपमा, वनराज को लगा झटका

सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) और रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में इन दिनों महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में नए किरदार की एंट्री से कहानी में दिलचस्प मोड़ आया है. शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा की लाइफ पूरी तरह से बदल रही है. खबर यह आ रही है शो के अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा और अनुज के बीच रोमांटिक अंदाज देखने को मिलेगा. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि अनुज के घर पर पूरा शाह परिवार गणेश चतुर्थी सेलिब्रेट करने पहुंचता है. इस दौरान अनुज और वनराज पंजा लड़ाने का कम्पटीशन होता है. वनराज इस गेम में जीत जाता है. तो दूसरी तरफ अनुपमा, अनुज की तारीफ करती है. वनराज को जलन होती है.

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शो के आने वाले एपिसोड्स में सबसे बड़ा ट्विस्ट देखने को मिलेगा. अनुज अनुपमा को बताएगा कि  उन्हें एक दिन के लिए मुंबई में मीटिंग अटेंड करनी है. अनुपमा तैयार हो जाएगी. तो वहीं बा और वनराज मना करेंगे.  लेकिन बापूजी अनुपमा को अनुज के साथ जाने के लिए ‘हां’ कहेंगे अनुमति दे देंगे.

 

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अनुपमा सिर्फ बापूजी का आशीर्वाद लेकर अनुज के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो जाएगी. ऐसे में अनुपमा  अनुज के साथ अकेले मुंबई जाएगी तो उधर वनराज को बड़ा झटका लगेगा.

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शो में दिखाया जाएगा कि अनुज-अनुपमा अकेले में वक्त बिताएंगे. फ्लाइट उड़ने पर अनुपमा को डर लगेगा और वह अनुज का हाथ पकड़ लेगी. पर बाद में वह नहीं डरेगी. तो वहीं अनुपमा क साथ अनुज भी घबरा कर आंखें बंद कर लेगा. अनुज की ये हरकत देखकर अनुपमा हंसने लगेगी.

 

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शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा  कि इस ट्रिप के दौरान अनुज-अनुपमा की जिंदगी में क्या नया बदलाव आता है.

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Anupamaa: किंजु बेबी के साथ ‘बैड बॉय’ बना समर, देखें Video

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) के एक्टर्स सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहते हैं. शो के एक्टर्स के बीच ऑफस्क्रीन काफी अच्छी बॉन्डिंग देखने को मिलती है. अनुपमा स्टार्स आए दिन शो से जुड़े वीडियो या फनी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं. फैंस को इस सीरियल से जुड़े वीडियो का बेसब्री से इंतजार रहता है. अब किंजल और समर का एक वीडियो सामने आया है, जो अनुपमा के दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है. आइए दिखाते हैं आपको यह वीडियो.

इस सीरियल में किंजल (निधि शाह) और समर पारस कलनावत (Paras Kalnawat)  की ऑनस्क्रीन बॉन्डिंग काफी स्ट्रांग है. शो में देवर-भाभी के रिश्ते को बखूबी दिखाया गया है. दोनों का किरदार भी काफी दिलचस्प है. किंजल और समर ऑनस्क्रीन अच्छे दोस्त हैं और ऑफस्क्रीन भी दोनों की खूब जमती है. ये दोनों अक्सर एक-दूसर के साथ वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं.

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देखें किंजल और समर का वीडियो

 

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि किंजल और समर ने बादशाह के नए गाने ‘बैड बॉय बैड गर्ल’ को रीक्रिएट किया है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है. किंजल इस वीडियो में काफी stunning लग रही हैं तो वहीं समर भी रेड टीशर्ट में हैंडसम नजर आ रहे हैं.

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अनुपमा सीरियल में  अनुज के आने से अनुपमा की जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी है. शो में दिखाया जा रहा है अनुज के घर पर पूरा शाह परिवार अनुपमा  के साथ गणेश चतुर्थी मनाने पहुंचता है. इस दौरान अनुज और वनराज पंजा भी लड़ाते हैं. वनराज इस गेम में जीत जाता है. सभी साथ में एंजॉय करते हैं. अनुपमा, अनुज की तारीफ भी करती है. तो वहीं अनुज और अनुपमा की दोस्ती वनराज, बा और पारितोष को हजम नहीं होती.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुज को मुंबई से फोन कॉल आएगा. ये फोन कॉल एक होटल इनॉग्रेशन के लिए आएगा. अनुज इस बारे में अनुपमा को बताता है कि उन्हें एक दिन के लिए मुंबई में मीटिंग अटेंड करनी है. बा, पारितोष और वनराज मना करते हैं. वहीं बापूजी अनुपमा को अनुज के साथ जाने अनुमति दे देंगे.

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अनुपमा इस ट्रिप को लेकर काफी एक्साइटेड है. वह पहली बार अनुज के साथ फ्लाइट में बैठेगी. अब शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस ट्रिप के दौरान अनुज के दिल की बात अनुपमा समझ पायेगी?

Satyakatha: फरीदाबाद में मस्ती की पार्टी

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

कोरोना लौकडाउन के बाद धंधेबाजों ने देह व्यापार के तरीके जरूर बदल दिए हैं, लेकिन उन का मकसद एक ही होता है, लड़कियों के साथ एंजौय करना. कोरोना वायरस का असर कम होते ही देह कारोबार के अड्डे आबाद होने लगे. लोगों का आवागमन शुरू हुआ नहीं कि सेक्स वर्कर लड़कियां, उन के दलाल और मानव तसकरी जैसे धंधे में लगे लोगों की सक्रियता बढ़ गई. दिल्ली से सटे फरीदाबाद में ऐसे मामलों की सूचना मिलते ही पुलिस बल ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए देह के धंधेबाजों को धर दबोचा. मौके से महीने भर में दर्जनों लड़कियां भी पकड़ी गईं.

फरीदाबाद में नीलम बाटा रोड से करीब 8 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के रहने वाले 48 वर्षीय आलोक को उन के जन्मदिन के बारे मे खास दोस्त प्रदीप ने याद दिलाया. वे तो भूल ही गए थे कि 4 दिनों बाद उन का जन्मदिन आने वाला है. वह फरीदाबाद के बाटा की मार्किट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट (प्रधान) हैं.

अपना रोज का काम निपटा कर 25 जुलाई, 2021 की रात को अपनी गाड़ी में घर की ओर निकले थे. कान में इयरबड्स लगाए म्यूजिक का आनंद ले रहे थे और गाड़ी भी ड्राइव कर रहे थे. तभी उन के कान में किसी के फोन की रिंग सुनाई दी. उन्होंने सामने रखे मोबाइल पर नजर डाली. काल उन के खास दोस्त प्रदीप की थी.

‘‘हैलो भाई, कैसा है तू? 2 हफ्ते हो गए, कोई खबर नहीं मिल रही है. कहां बिजी है आजकल?’’ आलोक शिकायती लहजे में बोले.

‘‘मैं ठीक हूं. बता तू कैसा है? और सुन लौकडाउन खत्म होने के बाद लगता है बिजी मैं नहीं तू हो गया है’’ प्रदीप भी उसी अंदाज में बोले.

‘‘बस कर यार! कुछ दिनों से मार्केट में काम थोड़ा बढ़ गया था, इसीलिए फोन करने का मौका नहीं मिला. तू बता घरपरिवार में बाकि सब कैसे हैं?’’ आलोक ने पूछा.

प्रदीप जवाब देते हुए बोले, ‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं. घर पर भी सब ठीक है. तू ये बता कि 29 को क्या कर रहा है?’’

‘‘क्यों 29 को क्या है?’’ प्रदीप ने सस्पेंस के साथ कहा, ‘‘भाई, 29 को तेरा जन्मदिन है. भूल गया है क्या?’’

प्रदीप की बात सुन कर आलोक के दिमाग में अचानक बत्ती जल उठी. उसे अपने जन्मदिन की न केवल तारीख याद आ गई, बल्कि इस मौके पर दोस्तों के साथ मौजमस्ती की पुरानी यादें ताजा हो गईं.

बोला, ‘‘अरे हां! भाई सच कहूं तो अगर तू याद नहीं दिलाता तो मुझे याद ही नहीं था. पिछले साल भी कोरोना के चलते इस मौके पर कुछ ज्यादा नहीं कर पाया, लेकिन इस बार सारी कसर निकाल दूंगा. बड़ी पार्टी दूंगा, पार्टी.’’

प्रदीप और आलोक दोनों स्कूल के दिनों के दोस्त थे. वे काफी गहरे दोस्त थे. लेकिन शादी के बाद दोनों अपनीअपनी घरगृहस्थी में व्यस्त हो गए थे. हालांकि उन के बीच फोन पर बातें होती रहती थीं.

फिर भी जब कभी वे किसी विशेष मौके पर मिलते थे, तब एकदूसरे की खैरखबर लेने के साथसाथ खूब जम कर मस्ती करते थे. उस रोज भी दोनों ने फोन पर ही जन्मदिन सेलिब्रेशन के मौके को यादगार बनाने की योजना बना ली थी.

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बाटा टूल मार्केट में आलोक की तूती बोलती थी. हर दुकानदार के लिए वह बहुत ही खास और प्रिय थे. सभी उन की काफी इज्जत करते थे. मार्केट में यदि किसी को कोई भी औजार क्यों न खरीदना हो, प्रधान आलोक के रहते ही संभव हो पाता था.

इलाके के नेताओं से भी आलोक की अच्छी जानपहचान थी. एसोसिएशन का प्रधान होने की वजह से उन का अच्छा खासा पौलिटिकल कनेक्शन भी था.

अगले रोज 26 जुलाई को सुबह करीब 10 बाजे आलोक एसोसिएशन के औफिस पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले प्रदीप को फोन कर आने का समय पूछा. उस के बाद वे छोटेमोटे काम निपटाने लगे.

आधे घंटे में ही प्रदीप आ गया. आलोक ने उस की खातिरदारी चायनमकीन से की. उस के द्वारा जन्मदिन की बात छेड़ने पर कुछ अलग करने की भी योजना बताई.

‘‘रात भर में तूने कुछ और प्लानिंग कर ली क्या?’’ प्रदीप ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘हां यार, सोच रहा हूं इस बार की बर्थडे पार्टी यादगार हो, पहले के मुकाबले सब से अलग रहे.’’ आलोक बोले.

यह सुन कर प्रदीप चौंक गया. पूछा, ‘‘क्या मतलब? कैसी अलग होगी पार्टी, जरा मुझे भी तो बताओ’’

आलोक इत्मीनान से दबी आवाज में बोले, ‘‘यार सोच रहा हूं इस बार पार्टी में नाचगाने वाली कुछ लड़कियों को भी बुलाया जाए. उन से ही शराब की पैग सर्व करवाई जाए.’’

‘‘लड़कियां! क्या कह रहा है तू?’’ प्रदीप चौंकता हुआ बोला.

‘‘लड़कियों को बुलाने से पार्टी की रौनक और मजा ही कुछ और होगा. मैं ने प्लानिंग कर ली है. कोरोना के चलते जिंदगी के सारे मजे खत्म से हो गए थे.

इसलिए मैं ने सोचा है कि अपने सारे दोस्तों और जिन के साथ बिजनैस करता हूं सभी को इस पार्टी में इनवाइट करूं. इसी बहाने सब से मुलाकात भी हो जाएगी और इसी के साथ बिजनैस में हुए घाटे की भरपाई करने के लिए कुछ टाइम भी मिल जाएगा.’’

यह सुन कर प्रदीप के मन में मानो खुशी के बुलबुले फूटने लगे. वह आलोक से बोला, ‘‘अरे यार, मैं ने तो यह सोचा ही नहीं था. लेकिन पार्टी के लिए आएंगी कहां से? कोई जुगाड़ है?’’

प्रदीप के इस सवाल का जवाब आलोक ने बड़ी बेफिक्री के साथ दिया. भरे अंदाज में दिया और कहा, ‘‘अरे मैं ने सारी प्लानिंग अपने दिमाग में कर के रखी है. दिल्ली वाली निशा के बारे में याद नहीं है क्या तुझे? वही जिस के पास हम शादी के बाद अकसर जाते थे? अब वो लड़कियां सप्लाई करती है. दलाल बन गई है. अच्छी जानपहचान है उस से मेरी. मैं आज ही लड़कियों के लिए फोन कर के कह दूंगा.’’

आलोक और प्रदीप ने औफिस में घंटों बैठ कर 29 जुलाई के लिए प्लानिंग कर ली. नीलम बाटा रोड पर ऐसा कोई भी दुकानदार नहीं था, जो आलोक को नहीं जानता हो. इसी का फायदा उठाते हुए आलोक ने उसी रोड पर मौजूद ‘द अर्बन होटल’ के मालिक को फोन कर 28 और 29 जुलाई के लिए होटल बुक कर लिया.

होटल के मालिक की आलोक से अच्छी जानपहचान थी. होटल में कमरे समेत पार्टी के लिए बने खास किस्म के हौल की भी बुकिंग हो गई.

अब बारी थी खास दोस्तों के लिस्ट बनाने की, जिन्हें आलोक बुलाना चाहता था. लिस्ट बनाने में प्रदीप ने मदद की. सभी दोस्तों को फोन से 28 जुलाई के लिए मैसेज भी कर दिया. आलोक ने अपने जरुरी बिजनैस क्लाइंट्स को भी इस पार्टी में शामिल होने का न्यौता दे दिया. उस ने निशा को फोन कर के 15 लड़कियों को पार्टी में भेजने के लिए कहा. इस तैयारी के साथसाथ होटल मैनेजमेंट को ही कैटरिंग के इंतजाम की जिम्मेदारी दे दी.

प्रदीप के मन में अभी भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उस से रहा नहीं गया तो उस ने उस के कान के पास मुंह सटा कर कहा,‘‘इस का मोटा खर्चा तू अकेले कैसे उठाएगा?’

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आलोक मुसकराया, सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘तू आगेआगे देखता जा मैं क्या करता हूं. इसी पार्टी से तुम्हारी झोली भी भर दूंगा.’’

‘‘वो कैसे?’’ प्रदीप बोला.

‘‘मैं ने कमरे यूं ही नहीं बुक करवाए हैं? तुम सिर्फ मेरे इशारे पर नजर रखना.’’ आलोक ने बताया.

इस तरह से 28 जुलाई की शाम भी आ गई. जन्मदिन की पूर्व संध्या पर मेहमानों के लिए विशेष आयोजन किया गया था. पार्टी का इंतजाम था, जो आधी रात तक चलना था.

रात के 12 बजे के बाद आलोक ने जन्मदिन का केक काटने का इंतजाम किया था. आमंत्रित मेहमान धीरेधीरे कर हौल के किनारे लगे सोफों पर आ गए. सभी पूरी तैयारी के साथ आए थे, उन के चेहरे पर मास्क जरूर लगे थे, लेकिन वे पहचाने जा रहे थे.

आलोक और प्रदीप दोस्तों से मिलने में व्यस्त हो गए. वे अच्छे सजावटी कपड़े में एकदम अलग दिख रहे थे. वे कभी रिसैप्शन पर जाते तो कभी हौल में आमंत्रित दोस्तों से बातें करने लगते. दूसरी तरफ प्रदीप उन के बताए इशारे पर अपना काम करने में लगा हुआ था.

हौल में जगहजगह गोल टेबल और कुरसियां लगी थीं. दीवारों को तरहतरह के सजावटी फूलों, सामानों से सजाया गया था. मध्यम रोशनी माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए काफी था. देखते ही देखते रात के 8 बज गए.

तभी एक काल को देख कर आलोक हौल के एक कोने में चले गए. काल निशा की थी. उस ने बताया कि उस की भेजी सभी लड़कियां 2 गाडि़यों में 5 मिनट के भीतर पहुंचने वाली हैं.

आलोक ने निशा को कहा कि वे लड़कियों को पीछे के दरवाजे से आने के लिए बोले. तुरंत वे रिसैप्शन पर गए. होटल के मैनेजर से इशारे में बात की और उन के साथ प्रदीप को लगा दिया. थोडी देर में प्रदीप ने आलोक को आ कर बताया कि उस ने सभी लड़कियों को उन के कमरे में ठहरा दिया है.

उस ने वहां के इंतजाम के बारे में जानकारी देने के साथसाथ आलोक को बैग दिखाया. ‘थम्स अप’ करता हुआ जाने लगा. आलोक ने टोका, ‘‘उधर नहीं, गाड़ी के पार्क में जा. बैग वहीं गाड़ी में छोड़ कर आना.’’

निशा ने अपने साथ ले कर आई सभी लड़कियों को कुछ खास हिदायतें दीं. उन्हें उन के कमरे में भेज कर मेकअप आदि कर तैयार होने को कह दिया.

कब किसे हौल में आना है और किसे किस कमरे में ठहरना है. इस बारे में निशा ने लड़कियों को अलगअलग समझाया. उन्हें लोगों के साथ शालीनता के साथ पेश आने को भी कहा.

साढ़े 9 बजे के आसपास हौल का माहौल और भी रंगीन हो चुका था. कुछ लड़कियां हौल में आ चुकी थीं. अतिथियों में कोई भी महिला नहीं थीं.

लड़कियों को देखते ही बड़ेबड़े स्पीकर पर तेज और पार्टी वाले गाने बजने के साथ सीटियों की आवाजें भी सुनाई देने लगीं. हर टेबल पर शराब परोसने की शुरुआत हुई. कुछ लोग नशे में डांसिंग प्लेटफार्म की ओर बढ़ गए.

जल्द ही लड़कियों को जिस काम के लिए बुलाया गया था, वे काम में लग गईं. नशे में चूर अतिथियों ने जिस किसी लड़की को अपनी ओर खींचना चाहा उस ने जरा भी विरोध नहीं किया.

पसंद की लड़की का हाथ पकड़ा. जेब से 2000 वाले गुलाबी नोट निकाले और उस के लोकट कपड़े में डाल दिए.

लड़की झट से नोट निकालती, अंगुलियों में दबाती और सीढि़यों की ओर बढ़ जाती. पीछे से अतिथि महोदय झूमतेमटकते रह जाते. लड़की सीढि़यों पर बैठी निशा को अंगुलियों में फंसे नोट थमाती और अतिथि के साथ होटल के कमरे की ओर बढ़ जाती.

इस दृश्य से इतना तो साफ हो गया था कि जन्मदिन के बहाने से बुलाए गए अतिथियों का स्वागत लड़कियों के साथ यौन संतुष्टि से किया जा रहा था. इस मौके के इंतजार में न केवल ग्राहक बने अतिथि थे, बल्कि वे लड़कियां भी थीं, जिन का धंधा पिछले कुछ समय से मंदा पड़ गया था.

इस पूरी पार्टी में आलोक और प्रदीप दोनों कहां गायब हो गए थे किसी को भी कोई खबर नहीं थी.

संभवत: दोनों ने अपनी पसंद की लड़की के साथ अलगअगल कमरे में खुद को बंद कर लिया हो. यानी देह व्यापार का धंधा पूरे शबाब पर था.

इस की भनक फरीदाबाद में पुलिस को भी लग गई. अनलौक के नियमों के उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने के लिए कोतवाली पुलिस स्टेशन द्वारा फैलाए गए मुखबिरों ने इस की सूचना अधिकारियों तक पहुंचा दी थी. रात के करीब एक बजे अश्लील पार्टी के बारे में जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने एसीपी रमेशचंद्र को सूचना दे कर बिना किसी देरी के जल्द से जल्द होटल में रेड मारने की तैयारी कर दी. सभी आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए थाने में एक टीम का गठन किया.

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जल्द से जल्द प्लान के मुताबिक टीम बिना सादा कपड़ों में होटल के बाहर पहुंची. होटल के बाहर से ही तेज गानों की आवाज आ रही थी.

प्लानिंग के मुताबिक थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने हैडकांस्टेबल मनोज के साथ एक और कांस्टेबल को सादे कपड़ों में होटल के अंदर जाने को कहा. उन के अंदर जाने से पहले राठी ने अपनी जेब से 2000 का नोट निकाला और नोट के एक किनारे पर छोटे अक्षरों में अपने हस्ताक्षर कर के उन्हें दिया.

यह सारा काम प्लान के अनुसार ही था. वे दोनों पुलिस कर्मचारी बिना किसी झिझक के होटल के अंदर पहुंचे.होटल के रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति को उन पर किसी तरह का शक नहीं हुआ. वे दोनों सीधे होटल के हौल में जा पहुंचे.

सीढि़यों से उतरते हुए उन्होंने एक युवती को सीढि़यों के पास बैठे देखा. बाद में पता चला कि वह निशा थी. वह भी उस की बगल से एक खाली टेबल और कुरसियों पर जा कर बैठ गए. उस समय हौल में बहुत कम लोग थे.

हर टेबल पर शराब के ग्लास थे. प्लेटों में स्नैक्स बिखरे पडे़ थे. हौल के एक किनारे पर 2-4 लड़कियां आपस में बातें कर रही थीं, कुछ लोग डीजे पर बजते हुए गाने पर डांस कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद हैडकांस्टेबल मनोज ने प्लान के अनुसार साइन किया हुआ 2000 का नोट हवा में लहराया तो लड़कियों के झुंड में से एक लड़की पैसे लेने के लिए उन के टेबल पर पहुंच गई.

मनोज ने इशारे से लड़की को कमरे में ले जाने का इशारा किया. लड़की ने भी इशारे से उन्हें रुकने को कहा और निशा के पास चली गई. साइन किया हुआ नोट उस ने निशा के हाथों में थमा दिया, फिर लड़की ने मनोज को वहीं से आने का इशारा किया.

हेड कांस्टेबल ने कान में लगे ब्लूटूथ संचालित बड्स और बटन में छिपे मोबाइल माइक को औन कर दिया. उस के औन होते ही बाहर खड़ी पुलिस फोर्स को सूचना मिल गई. देखते ही देखते हेड कांस्टेबल के लड़की के साथ कमरे तक पहुंचने से पहले ही पुलिस की छापेमारी शुरू हो गई.

थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने होटल में रेड के दौरान सब से पहले हौल में बजने वाले तेज गानों को बंद करवाया और वहां मौजूद सभी लोगों को हिरासत में ले लिया. उसी दौरान होटल के कमरों से कई लड़कियां और अतिथि अर्धनग्नावस्था में दबोच लिए गए.

रात के 12 बजे तक चली छापेमारी की इस काररवाई में करीब 4 दरजन लोगों को हिरासत में लिया गया.

उन्हें 7 जिप्सियों में भर कर थाने लाया गया. उन से पूछताछ में ही खुलासा हुआ कि यह सैक्स रैकेट एक पार्टी में शमिल होने के नाम पर चलाया गया था.

इस में होटल के मालिक की भी मिलीभगत थी. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की रेड की बात जब तक आलोक तक पहुंची तब तक काफी देर हो चुकी थी. उसे भी एक कमरे से एक लड़की के साथ पकड़ लिया गया. उसे कमरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर निकाला गया था. प्रदीप भी उस के बगल वाले कमरे से पकड़ा गया.

पुलिस सभी आरोपियों को थाने ले गई. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह होटल में कमेटी के ड्रा का आयोजन कर रहे थे. सभी से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

इस के अलावा कोतवाली पुलिस ने 2 अगस्त को क्षेत्र के ही श्री बालाजी होटल में दबिश दे कर 13 लड़कियों सहित 37 लोगों को गिरफ्तार किया. यहां की गेट टुगेदर पार्टी के बहाने एंजौय का कार्यक्रम था.

बेटी: प्रेरणादायी जन्मोत्सव!

आज के समय में भी, जब समाज में, बेटियों को बोझ माना और समझा जाता है. कोई एक शख्स ऐसा भी हो सकता है जो बेटी के जन्म को उत्सव में बदल दे, यही नहीं, इस संदेश और  उत्सव में सभी शहर वासियों को भी शामिल कर ले तो यह एक मिसाल बन जाती है.

एक पानी पुरी बेचने वाले एक साधारण से व्यक्ति  ने एक ऐसा  काम कर दिखाया है जिसकी मिसाल दूसरी शायद ही आपने सुनी और देखी हो.

‘आइए! आज आपको हम मिलाते हैं एक ऐसे शख्स से जिसने बेटी के जन्म को एक उत्सव बना दिया और समाज को एक बड़ा संदेश दिया .   आंचल गुप्ता ने  यह  महसूस किया कि इतने लंबे समय से वह एक बेटी की कामना कर रहा था, तो क्यों न मैं इस खुशी मैं लोगों को शामिल कर लूं और उसने परिवार की सलाह पर  एक दिन के लिए अपने दुकान में पानीपुरी मुफ्त खिलाने  का निर्णय लिया.

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और विगत  सितंबर के पहले पखवाड़े में बारह तारीख को दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक अपनी दुकान पर आने वाले सभी ग्राहकों को मुफ्त में पानीपुरी खिलाते रहे.यही नहीं उन्होंने ज्यादा से ज्यादा लोग पानीपुरी खा सकें, बेटी के जन्मोत्सव में भाग लें इसके लिए 10 स्टॉल लगाए थे. पांच घंटे के दौरान उन्होंने लोगों को लगभग 50 हजार पानीपुरी खिलाई.

यह संपूर्ण प्रसंग मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के बाहर  अब देश में चर्चा का विषय बन गया है. और लोगों को प्रेरणा दे रहा है कि बेटी का जन्म भी जन्मोत्सव हो सकता है. लोगों की सोच बदलने का यह अनूठा प्रयास एक तरह से स्वमेव‌ आयोजित हो गया.

अनोखी का अनोखा जन्मोत्सव

देश का हृदय कहे जाने वाले मध्य प्रदेश के भोपाल  के कोलार रोड पर रहने वाले अंचल गुप्ता के घर जब एक बेटी ने जन्म लिया, तो परिजनों ने बेटी का नाम- ‘अनोखी’ रखा.और  अनोखी का जन्म कुछ इस अंदाज में मनाया गया जो आज देश भर में चर्चा का विषय बन गया है. उनका एक दो वर्ष का बेटा भी है. बेटे के बाद जब बेटी आई, तो पिता आंचल गुप्ता  ने परिवार और आम लोगों के साथ अपनी खुशी‌ कुछ ऐसे  बांटी की आज देश और समाज में एक अनोखा संदेश बन गई. उन्होंने  बेटी के जन्म पर लोगों को  पानीपुरी मुफ्त में खिलाई लोगों को अपनी खुशी में शामिल किया. लोग जब पूछते की क्या बात है? तो वह बड़े ही गर्व के साथ बताते कि वे एक बेटी के पिता बन गए हैं.

कोलार भोपाल में आंचल गुप्ता बीते 14 साल से पानीपुरी का व्यवसाय कर रहे हैं. सामान्य दिनों में करीब 5 हजार पानीपुरी की बिक्री करते हैं. अंचल गुप्ता ने बताया  विवाह के बाद बेटी की चाहत थी लेकिन पहले बेटे का जन्म हुआ, अब दो  साल बेटी की किलकारी भी घर में गूंज उठी.  इसलिए उन्होंने यह खुशी सभी के साथ मनाने का निर्णय लिया.

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लड़कियों के प्रति आज भी भेदभाव होता है…

समाज में लड़कियों के प्रति भी आज भी अलग नजरिया रखा जाता है.पहले जन्म ही न हो ऐसा प्रयास किया जाता है. और आगे उन्हें तमाम तरह की हिदायत दी जाती है, यहां मत जाओ, वहां मत जाओ. इतना ही नहीं बल्कि अगर कभी लड़के या लड़की दोनों में किसी एक की शिक्षा रोकनी है तो ऐसे में लड़कियों की शिक्षा रोक दी जाती है. कभी गरीबी  में कभी अभाव में मजबूरी में लड़कियों की पढ़ाई बीच में ही रोक दी जाती है.

सच यह है कि सरकार कितना भी ढिंढोरा पीट ले महिलाओं की स्थिति आज भी दोयम दर्जे की है.इस संवाददाता ने जब कुछ लड़कियों से चर्चा की तो चर्चा में शामिल सभी लड़कियों ने यह इच्छा व्यक्त की कि वे आगे बढ़ना चाहती हैं कोई डॉक्टर तो कोई इंजीनियर, वकील एवं कोई अन्य विशेष गतिविधियां में नाम पैदा करना चाहती है.

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दरअसल, जब तक हमारे देश में  महिलाओं को देखने का नजरिया नहीं बदलता तब तक किसी सुधार की गुंजाइश कम  है.

युवा सामाजिक कार्यकर्ता सोनाली मंदिर वार के मुताबिक उन्होंने लगातार युवतियों से परिचर्चा की है, यह माना है कि आमतौर पर लड़कियों को बंधनों में रहना पड़ता है और भी स्वेच्छा की उड़ान नहीं भर पाती या फिर ब्यूटी पार्लर जैसा नाम भी करने से पहले उन्हें कई समस्याएं का सामना करना पड़ता है. भोपाल के आंचल गुप्ता ने जो संदेश आज समाज को दिया है वह अनोखा तो है ही प्रेरणा प्रद भी है.

द चिकन स्टोरी- भाग 1: क्या उपहार ने नयना के लिए पिता का अपमान किया?

लेखक- अरशद हाशमी

‘‘अरे यार, यह उपकार तो बड़ा छिपारुस्तम निकला, पूरी यूनिवर्सिटी में टौप मार दिया,’’ इकबाल ने अपनी आंखें बड़ी करते हुए कहा.

‘‘हमें तो लग रहा था वंदना या रुचि ही क्लास में टौप करेंगी. इस ने तो क्लास ही नहीं, पूरी यूनिवर्सिटी को पछाड़ दिया,’’ विनोद ने अपनी राय दी.

‘‘तुम्हारा तो वह सब से अच्छा दोस्त है, वह टौप और तुम मुश्किल से बस, पास हुए हो,’’ अजहर ने मेरी तरफ देखते हुए यह कहा तो सब हंसने लगे और मैं खिसिया कर रह गया.

दोस्त अगर फेल हो जाए तो दुख होता है, लेकिन अगर दोस्त टौप कर जाए, तो ज्यादा दुख होता है. यह डायलौग भले ही अभिनेता व निर्माता आमिर खान की फिल्म ‘थ्री ईडियट्स’ में आया हो लेकिन अपना हाल भी कुछ ऐसा ही था.

उपकार बहुत कम बोलने वाला लड़का था और क्लास में उस की बातचीत ज्यादातर मु?ा से ही होती थी.  अपनी क्लास में वंदना, रुचि, नेहा, जेबा और निधि जैसी एक से बढ़ कर एक इंटैलिजैंट लड़कियां थीं तो शंकर और अतीक भी किसी से कम नहीं थे. फिर भी उपकार इन सब को पीछे छोड़ कर न सिर्फ क्लास, बल्कि पूरी यूनिवर्सिटी में टौप आया था.

‘‘बधाई हो भाई, अब चुपचाप पार्टी दे दो,’’ अगले दिन मैं ने उपकार को देखा तो उस को गले लगा लिया और आगे कहा, ‘‘तुम ने मेरा नाम रोशन कर दिया.’’ मैं ने बनावट के साथ कहा तो सब हंसने लगे.

उपकार से मेरी दोस्ती कालेज के पहले ही दिन हो गई थी. मेरी तरह वह भी कम बोलने वाला था. इस के अलावा उस का घर मेरे घर के पास ही था. हम दोनों रोजाना कालेज साथ ही जाते थे. उपकार की माताजी का देहांत कई बरस पहले हो गया था. उस के पिताजी सरकारी औफिसर थे, सेवानिवृत्ति के बाद वे गांव में रह रहे थे. शहर में उन का एक घर था जहां उपकार अकेला रहता था.

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‘‘यार, कुछ टिप्स हमें भी दे दो,’’ एक दिन कालेज जाते समय मैं ने उपकार से कहा और ठहाका लगते हुए आगे बोला, ‘‘क्लास में सब हमें देख कर हंसते हैं कि एक ऊपर से टौपर है और एक नीचे से.’’

‘‘अरे, मैं कुछ अनोखा थोड़ी पढ़ता हूं. मैं भी वही सब पढ़ता हूं जो सब पढ़ते हैं,’’ उपकार ने मुसकराते हुए कहा.

‘‘अरे यार, मैं तुम्हारी टौप पोजीशन नहीं छीन लूंगा. मेरा लैवल मैं जानता हूं और तुम भी,’’ मैं ने जोर से हंसते हुए कहा. मैं मन ही मन सम?ा रहा था, यह अपना सीक्रेट नहीं बताना चाहता.

‘‘अच्छा, तुम खुद आ कर देख लेना. आज शाम को घर आ जाओ साथ मिल कर पढ़ते हैं,’’ उस ने मु?ो अपने घर आने की दावत दी तो मैं तुरंत तैयार हो गया.

शाम को मैं उस के घर पहुंचा. वह मेज पर किताबें फैलाए बैठा था और बड़े से रजिस्टर में कुछ लिख रहा था.

‘‘आओ बैठो. देखो, मैं कैसे प्रैक्टिस करता हूं. मैं हर सवाल को 5-7 बार अच्छी तरह पढ़ लेता हूं और फिर उस को लिख कर देखता हूं. इस से मेरी प्रैक्टिस अच्छी रहती है और लिखने की वजह से मु?ो जवाब भी अच्छे से याद रहता है,’’ उपकार ने मु?ो सम?ाते हुए कहा.

‘‘बस,’’  मु?ो तो तरीका कुछ खास नहीं लगा.

‘‘चलो अच्छा, हम दोनों यह सवाल साथसाथ पढ़ते हैं, फिर इस का जवाब लिख कर देखेंगे,’’ उपकार ने मु?ो कैमिस्ट्री का एक सवाल देते हुए कहा.

मैं ने सवाल एक बार पढ़ा. दूसरी बार पढ़ने पर मु?ो तो लगा कि मु?ो सब याद हो गया लेकिन उपकार ने सवाल को 4-5 बार पढ़ा. फिर हम ने अपनेअपने रजिस्टर पर उस का जवाब लिखा और एकदूसरे के जवाब की जांच की. वाकई में उपकार ने पूरा जवाब एकदम सही लिखा था जबकि मैं ने कई चीजें छोड़ दी थीं.

‘‘देखा तुम ने. बारबार पढ़ने और लिखने से मेरी अच्छी प्रैक्टिस हो जाती है,’’ उपकार ने कहा.

मु?ो उस की बात सम?ा में आ गई. फिर तो मैं रोज ही उस के घर जाने लगा और हम साथसाथ ही पढ़ाई करते.

‘‘सुनो, तुम्हारे घर कभी चिकन नहीं बनता क्या?’’ उस दिन उपकार ने पढ़ाई करतेकरते अचानक मु?ा से पूछा.

‘‘बनता है. क्यों?’’ मैं ने पूछा.

‘‘अरे, तो कभी ला कर खिला न,’’ उस ने बोला तो मेरे हाथ से रजिस्टर गिरतेगिरते बचा.

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‘‘मजाक कर रहे हो न?’’ मैं ने संभल कर मुसकराते हुए पूछा.

‘‘इस में मजाक जैसा क्या है. किसी दिन ले कर आओ, तो साथ खाते हैं,’’ उपकार ने बड़े इत्मीनान से जवाब दिया.

‘‘अच्छा, तुम चाहते हो कि मैं एक उच्च कोटि के ब्राह्मण के घर चिकन ले कर आऊं ताकि तुम्हारे पिताजी मेरा कचूमर बना दें,’’ मैं ने हंसते हुए कहा, ‘‘और तुम यह नौनवेज कब से खाने लगे?’’ मैं ने जानना चाहा.

‘‘मैं तो स्कूलटाइम से ही खाता आ रहा हूं,’’ उपकार ने जवाब दिया.

‘‘और क्या, तुम्हारे पिताजी को पता है तुम्हारी इस उपलब्धि के बारे में,’’ मैं ने उस पर व्यंग्य कसा.

‘‘अरे, पिताजी यहां रहते कहां हैं. महीने में एकदो बार आते हैं. उन को पता कैसे चलेगा. और मैं कौन सा रोजरोज खाता हूं,’’ अपने रजिस्टर में लिखतेलिखते उपकार बोला.

‘‘नहीं भाई, नहीं. मैं यह रिस्क नहीं ले सकता. अगर अंकलजी को पता चल गया, मैं यहां चिकन लाया था, तो मेरा यहां आना तो बंद हो ही जाएगा, मेरे बापू मेरी धुलाई करेंगे सो अलग,’’ मैं ने हाथ खड़े कर दिए.

‘‘अरे, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, यार. मैं हर बार किसी होटल पर ही खाता हूं, लेकिन घर के चिकन की बात ही कुछ और होगी. तू, बस, अगली बार ले कर आ.’’

वह किसी भी तरह मान ही नहीं रहा था. अब मैं भी था तो एक टीनेजर ही, आ गया उस की बातों में परिणाम की चिंता किए बगैर.

कुछ दिनों बाद घर पर चिकन बना, तो मैं ने थोड़ा सा चिकन एक डब्बे में डाला और शाम को पहुंच गया उपकार के घर. मेरे हाथ में डब्बा देख कर वह सम?ा गया कि उस में क्या है. खुशी से उस की आंखें चमक उठीं.

‘‘यार, खुश कर दिया तू ने तो. आज तो मजा आ जाएगा. पढ़ाई कर के खाते हैं.’’ उपकार की बातों से उस की खुशी छलक रही थी.

दोनों बैठे पढ़ रहे थे कि अचानक गांव से उपकार के पिताजी आ गए. उन को देखते ही मेरी घिग्गी बंध गई, आंखों के सामने अंधेरा छा गया और जबान तालू से जा चिपकी. एक क्षण के लिए तो उपकार भी घबरा गया लेकिन फिर सामान्य सा बन कर बैठा रहा. घबराहट के मारे मैं अंकलजी को नमस्ते भी नहीं कर पाया.

‘‘कैसे हो बेटा, पढ़ाई हो रही है. बहुत अच्छे,’’ अंकलजी ने मु?ा से कहा, तो मेरी हालत और खराब हो गई.

उपकार ने मु?ो सामान्य रहने का इशारा किया.

‘‘मैं जरा पाठक साहब से मिल कर आता हूं,’’ अंकलजी ने उपकार से कहा और कपड़े बदलने अंदर कमरे में चले गए. मैं ने जल्दी से चिकन का डब्बा टेबल के नीचे छिपा दिया..

भोजपुरी सुपरस्टार अरविंद अकेला कल्लू का नया सॉन्ग ‘काला सूट पे काला चश्मा’ ने किया धमाल, देखें Viral Video

भोजपुरी के सुपरस्टार अरविंद अकेला कल्लू इन दिनों अपने एक्टिंग और गाने से दर्शकों के बीच छाये हुए हैं. अरविंद अकेला कल्लू की कई भोजपुरी गाने सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है.  उनका एक और गाना ‘काला सूट पे काला चश्मा’ हिट लिस्ट में जुड़ गया है. इस गाने को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं.

इस गाने में सोना पांडे और कल्लू के बीच शानदार केमिस्ट्री देखने के लिए मिल रही है. लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं और जमकर कमेंट्स कर रहे हैं. बता दें कि गाने को अरविंद अकेला कल्लू ने अपनी आवाज दी है. इसके लिरिक्स अजय बच्चन ने लिखे हैं.

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हाल ही में कल्लू का गाना ‘चंदा देदा’  रिलीज हुआ था.  इस गाने को भी खूब पसंद किया गया. इस गाने ने 1 मिलियन का आंकड़ा पार कर लिया है.

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इस गाने को अरविंद अकेला कल्लू और शिल्पी राज ने गाया है. इसके लिरिक्स अखिलेश कश्यप ने लिखे हैं. इसका म्यूजिक प्रियांशू सिंह ने दिया है. इस सॉन्ग के वीडियो डायरेक्टर पंकज सोनी हैं. अरविंद अकेला कल्लू के वीडियोज के साथ-साथ दर्शक उनकी फिल्मों को भी काफी अच्छा रिस्पॉन्स दे रहे हैं.

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Imlie: कॉलेज से टर्मिनेट हुई इमली तो मालिनी चलेगी नई चाल

स्‍टार प्‍लस का सीरियल इमली की कहानी में लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि मालिनी और इमली में आदित्य को पाने के लिए घमासान लड़ाई हो रही है. वह दोनों एक दूसरे को अपने रास्ते से हटाने के लिए दांव खेल रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि आदित्‍य ने मालिनी को तलाक नहीं दिया है तो ऐसे में मालिनी कानूनी तौर पर आदित्य की पत्नी है. तो वहीं मालिनी ने आदित्‍य के साथ रात बिताई तो इमली ने उस पर केस कर दिया.

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तो दूसरी तफ इमली इस मामले में खुद उलझ गई है. वह मालिनी के खिलाफ सबूत ढूढने की कोशिश कर रही है.  इमली ने मालिनी की मां से सच उगलवाना चाहा लेकिन सही समय पर मालिनी वहां पहुंच गई. और उसने बात बदल दी.

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तो दूसरी तरफ इमली को कॉलेज से निकाल दिया गया है. कॉलेज मैनेजमेंट कहता है कि इमली की वजह से हर बार कॉलेज बदनाम होता है. आदित्य की भी नौकरी चली जाएगी.

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि इन सारी स्थिति के लिए आदित्‍य इमली को दोषी ठहराएगा. तो वहीं मालिनी को भी अपना चाल चलने के मिए मौका मिल जाएगा. ऐसे में इमली को कुछ नहीं समझ आएगा कि अब वह क्या करे.  इमली मालिनी के खिलाफ अपना केस वापस नहीं लेना चाहेगी तो मालिनी कहेगी कि क्‍या तुम चाहोगी कि मैं आदित्‍य के बच्‍चे को जेल में जन्‍म दूं.

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Anupamaa: वनराज और अनुज में होगा कम्पटीशन तो काव्या मारेगी ताना

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupama) की कहानी में दिलचस्प मोड़ आया है. अनुज क आने से शो में हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि अनुपमा अपने परिवार के खिलाफ जाकर अनुज कपाड़िया से डील के लिए हाथ मिलाया है. जिससे बा काफी नाराज हैं, तो उधर काव्या भी बा की कान भर रही है जिससे अनुपमा और बा के रिश्ते में दरार पड़ जाये. तो वहीं बापू जी अनुपमा का हर कदम पर साथ दे रहे हैं. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के अपकमिंग ट्विस्ट के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि गोपी काका गणेश चतुर्थी पर शाह परिवार को अपने घर बुलाना चाहते हैं लेकिन अनुज माना कर रहा है. तो दूसरी तरफ गोपी काका की जिद की वजह से उसने हां की है. शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुपमा अपने परिवार के साथ अनुज के घर इस सेलिब्रेशन में जाएगी.

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शो में आप ये भी देखेंगे कि गणेश चतुर्थी के पूजा में बा काव्या से कहेंगी कि सभी को आरती दे. काव्या सबको आरती देगी. लेकिन जब वह अनुपमा के पास जाएगी तो वनराज उसे रोक देगा. वनराज कहेगा कि वह अनुज कपाड़िया के घर जाए. तो वहीं अनुपमा गुस्सा हो जाएगी और कहेगी कि तंज कसना बंद करे.

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शो में दिखाया जाएगा कि वनराज कहेगा कि अब कैफे में अनुपमा की स्पेशल डिश को मेन्यू में नहीं रहेगा.  काव्या इस बात पर काफी खुश होगी. इतना ही नहीं वनराज अनुपमा को कैफे से बाहर जाने के लिए भी कहेगा.

 

तो दूसरी तरफ शाह परिवार अनुज के घर जाएंगे. अनुपमा को देखकर अनुज बेहद खुश होगा. अनुज और गोपी काका आरती करेंगे. आरती के बाद गोपी काका सबको बताएंगे कि अनुज ने खुद मूर्ति बनाई है. अनुपमा अनुज की तारीफ करेगी. वह वनराज और पारितोष के बारे में पूछेगा, जिस पर काव्या कहेगी कि वो काम के कारण नहीं आ सके. ऐसे में अनुज  वनराज को पर्सनली जाकर बुलाएगा.

 

इसी बीच अनुपमा कहेगी कि अनुज कॉलेज के दिनों में पंजा लड़ाने में जीता करता था. यह बात वनराज को हजम नहीं होगी और वह अनुज से पंजा लड़ाने के लिए कहेगा. अनुज भी पंजा लड़ाने के लिए तैयार हो जाएगा. दोनों में कम्पीटशन होगा. लेकिन ये कम्पीटशन वनराज जीत जाएगा.

मेरी खातिर- भाग 2: झगड़ों से तंग आकर क्या फैसला लिया अनिका ने?

‘‘मम्मी की चमची,’’ कह पापा प्यार से उस का गाल थपथपा कर उठ गए.

उस दिन उस के जन्मदिन का जश्न मना कर सभी देर से घर लौटे थे. अनिका बेहद

खुश थी. वह 1-1 पल जी लेना चाहती थी.

‘‘मम्मा, आज मैं आप दोनों के बीच में सोऊंगी,’’ कहते हुए वह अपनी चादर और तकिया उन के कमरे में ले आई. वह अपनी जिंदगी में ऐसे पलों का ही तो इंतजार करती थी. उस की उम्र की अन्य लड़कियों का दिल नए मोबाइल, स्टाइलिश कपड़े और बौयफ्रैंड्स के लिए मचलता था, जबकि अनकि को खुशी के ऐसे क्षणों की ही तलाश रहती थी जब उस के मम्मीपापा के बीच तकरार न हो.

पापा हाथ में रिमोट लिए अधलेटे से टीवी पर न्यूज देख रहे थे. मम्मी रसोई में तीनों के लिए कौफी बना रही थी.

तभी फोन की घंटी बजने लगी. अमेरिका

से बूआ का वीडियोकौल थी. हमारे लिए दिन

का आखिरी पहर था, जबकि बूआ के लिए

दिन की शुरुआत थी उन्होंने अपनी प्यारी

भतीजी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने के

लिए फोन किया था. बोली, ‘‘हैप्पी बर्थडे माई डार्लिंग,’’

मैं ने और पापा ने कुछ औपचारिक बातों के बाद फोन मम्मी की तरफ कर दिया.

‘‘हैलो कृष्णा दीदी,’’ कह कुछ देर बात कर मम्मी ने फोन रख दिया.

‘‘दीदी ने कानों में कितने सुंदर सौलिटेयर पहन रखे थे न, दीदी की बहुत मौज है.’’

‘‘दीदी पढ़ीलिखी, आधुनिक महिला है. एक मल्टीनैशनल कंपनी में उच्च पद पर कार्यरत है. खुद कमाती है और ऐश करती है.’’

जब भी बूआ यानी पापा की बड़ी बहन की बात आती थी पापा बहुत उत्साहित हो जाते थे. बहुत फक्र था उन्हें अपनी बहन पर.

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‘‘आप मुझे ताना मार रहे हैं.’’

‘‘ताना नहीं मार रहा, कह रहा हूं.’’

‘‘पर आप के बोलने का तरीका तो ऐसा

ही है. मैं ने भी तो अनिका और आप के लिए अपनी नौकरी छोड़ अपना कैरियर दांव पर

लगाया न.’’

‘‘तुम अपनी टुच्ची नौकरी की तुलना दीदी की बिजनैस ऐडमिनिस्ट्रेशन की जौब से कर रही हो?’’ कहां गंगू तेली, कहां राजा भोज.

मम्मी कालेज के समय से पहले एक स्कूल में और बाद में कालेज में हिंदी पढ़ाती थीं. वे पापा के इस व्यंग्य से तिलमिला गईं.

‘‘बहुत गर्व है न तुम्हें अपनी दीदी और खुद पर… हम लोगों ने आप को किसी धोखे में नहीं रखा था. बायोडेटा पर साफ लिखा था पोस्टग्रैजुएशन विद हिंदी मीडियम. हम लोग नहीं आए थे आप लोगों के घर रिश्ता मांगने… आप के पिताजी ही आए थे हमारे खानदान की आनबान देख कर हमारी चौखट पर नाक रगड़ने…’’

‘‘निकिता, जुबान को लगाम दो वरना…’’

‘‘पहली बार अनिका ने पापा का ऐसा रौद्र रूप देखा था. इस से पहले पापा ने मम्मी पर कभी हाथ नहीं उठाया था.’’

‘‘पापा, आप मम्मी पर हाथ नहीं उठा सकते हैं. आप भी बाज नहीं आएंगे… मम्मी का दिल दुखाना जरूरी था?’’

‘‘तू भी अपनी मम्मी का पक्ष लेगी. तेरी मम्मी ठीक तरह से 2 शब्द इंग्लिश के नहीं

बोल पाती.’’

‘‘पापा, आप मम्मी की एक ही कमी को कब तक भुनाते रहोगे, मम्मी में बहुत से ऐसे गुण भी हैं जो मेरी किसी फ्रैंड की मम्मी में नहीं हैं.’’

क्षणभर में अनिका की खुशी काफूर हो गई. वह भरी आंखों के साथ उलटे पैर अपने कमरे में लौट गई.

पापा ने औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया था जबकि मम्मी ने सूरत के लोकल कालेज से एमए. शायद दोनों का बौद्धिक स्तर दोनों के बीच तालमेल नहीं बैठने देता था.

अनिका ने एक बात और समझी थी पापा के गुस्से के साथ मम्मी के नाम में प्रत्ययों की संख्या और सर्वनाम भी बदलते जाते थे. वैसे पापा अकसर मम्मी को निक्कु बुलाते थे. गुस्से के बढ़ने के साथसाथ मम्मी का नाम निक्की से होता हुआ निकिता, तुम से तू और उस में ‘इडियट’ और ‘डफर’ जैसे विशेषणों का समावेश भी हो जाता था. अपने बचपन के अनुभवों से पापा द्वारा मम्मी को पुकारे गए नाम से ही अनिका पापा का मूड भांप जाती थी.

इस साल मार्च महीने से ही सूरज ने अपनी प्रचंडता दिखानी शुरू कर दी थी. ऐग्जाम

की सरगर्मी ने मौसम की तपिश को और बढ़ा दिया था. वह भी दिनरात एक कर पूरे जोश के साथ अपनी 12वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा में जुटी हुई थी. सुबह घर से निकलती, स्कूल कोचिंग पूरा करते हुए शाम

8 बजे तक पहुंच पाती. मम्मीपापा के साथ बिलकुल समय नहीं बिता पा रही थी. इतवार के दिन उस की नींद थोड़ी जल्दी खुल गई थी. वह सीधे हौल की तरफ गई तो नजर डाइनिंग टेबल पर रखे थर्मामीटर की तरफ गई.

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‘‘मम्मा यह थर्मामीटर क्यों निकला है?’’ उस ने चिंतित स्वर में पूछा.

‘‘तेरे पापा को कल से तेज बुखार है. पूरी रात खांसते रहे. मुझे जरा देर को भी नींद नहीं लग पाई.’’

‘‘एकदम से गला इतना कैसे खराब हो गया? डाक्टर को दिखाया?’’

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