GHKKPM: डेंजर मिशन पर जाएगा विराट, आएगा ये बड़ा ट्विस्ट

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो में अब तक आपने देखा कि  विराट और सई के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है. वो दोनों एक- दूसरे से लड़ाई करते नजर आ रहे हैं. सई ने चौहान हाउस छोड़ने का प्लान कर लिया है तो वहीं विराट को इस बारे में कुछ नहीं पता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि सम्राट सई को रोकने की कोशिश करता है ताकि वह अपना फैसला बदल दे. लेकिन सई अपने जिद पर अड़ी है. सम्राट पाखी को खूब सुनाता है. वह उससे कहता है कि अगर सई चली गई तो वह भी इस घर से चला जाएआ और उनके बीच कोई रिश्ता नहीं होगा.

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सम्राट की ये बात सुनकर पाखी चौंक जाती है. पाखी तो मन ही मन खुश है कि सई यह घर छोड़कर जा रही है.  पाखी चाहती है कि विराट और सम्राट सई को जाने से ना रोकें.

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शो से जुड़ी एक खबर आ रही है कि विराट भी जल्द ही एक मिशन पर जाएगा. यह मिशन काफी खतरनाक साबित होने वाला है. ये मिशन सई के लिए परेशानी का सबब बनेगा. खबरों के अनुसार विराट मिशन पर जाएगा, तो उधर सई की किडनैपिंग होगी.

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शो में ये भी दिखाया जाएगा कि सई की एक्सीडेंट होगी. इस एक्सीडेंट की वजह से सई की हालत काफी गंभिर होगी. ये भी बताया जा रहा है कि इस एक्सीडेंट की वजह से सई की मेमोरी लॉस होगी. सई, विराट को पहचानने में असफल रहेगी. रिपोर्ट के अनुसार सई का सबसे अच्छा दोस्त अनिकेत की वापसी होगी. अनिकेत के आने से सई और विराट की जिंदगी में बड़ा बदलाव आने वाला है.

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टीवी एक्ट्रेस रूपाली गांगुली यानी अनुपमा अपने किरदार की वजह से फैंस के बीच छायी हुई हैं. रूपाली गांगुली अनुपमा में अपने किरदार की वजह से फैंस के दिल पर राज कर रही हैं. शो में अनुज के आने से रूपाली गांगुली का किरदार और भी दिलचस्प हो गया है. शो में दोनों की केमेस्ट्री फैंस को खूब पसंद आ रही है.

रूपाली गांगुली सीरियल अनुपमा से पहले कई हिट शोज कर चुकी हैं. जी हां, उन्हीं में से एक है साराभाई वर्सेज साराभाई. दरअसल हाल ही में रूपाली गांगुली और साराभाई वर्सज साराभाई की स्टारकास्ट ने हाउस पार्टी की है. इस पार्टी की झलक रूपाली गांगुली (अनुपमा) ने अपने नए वीडियो में दिखाया है. इस वीडियों में साराभाई वर्सज साराभाई की स्टारकास्ट रीयूनियन को एंजॉय करते नजर आ रहे हैं. रूपाली गांगुली ने वीडियो के अलावा फोटो भी शेयर की हैं.

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रूपाली गांगुली ने वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन लिखा है कि साराभाई का रीयूनियन  #nostalgia #reunion #rupaliganguly  #blessed #sarabhaivssarabhai #jaimahakal.  इस वीडियो में सतीश शाह, जेडी मजिठिया, रत्ना पाठक सहित शो के सभी स्टार नजर आ रहे हैं. इस शो में रूपाली गांगुली का नाम मोनिशा साराभाई था.

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अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में आप ये देखेंगे कि अनुपमा की एक गलती से फ्लाइट मिस हो जाती है. जिससे अनुज कपाड़िया भड़क जाता है, तभी उसका फोन बजता है. वह फोन उठाती है तो अनुज कपाड़िया की आवाज आती है. वह चिल्लाता है कि फ्लाइट मिस हो चुकी है और तुम लेट हो.

ऐसे में अनुपमा घबड़ा जाती है और अगली फ्लाइट पकड़ने के लिए जल्दी से उठती है और गिर जाती है. तभी अनुपमा की नींद खुलती है और उसे समझ आता है, ये तो सपना था. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुज, अनुपमा के इस बिजनेस ट्रिप से क्या ट्विस्ट आता है.

नानाजी की मौत से बहुत दुखी हूं, मैं क्या करूं?

सवाल

कुछ महीने पहले मेरे नानाजी गुजर गए. वे मुझे बहुत मानते थे. उन्होंने मुझे कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी. उन के बगैर मेरा मन बहुत दुखी रहता है. मैं क्या करूं?

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जवाब

जीनामरना तो जिंदगी का दस्तूर है. आज नानाजी गए हैं, कल को और लोग भी जाएंगे. आप नानाजी की मौत को सहजता से स्वीकार करें.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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Top 10 Best Health Tips in Hindi: हेल्थ से जुड़ी टॉप 10 खबरें हिंदी में

Top 10 Best Health Tips in Hindi: भागदौड़ भरी जिंदगी में आप अपने हेल्थ का केयर करना भूल जाते है लेकिन उम्र बढ़ने के बाद किसी खतरनाक बीमारी से सामना करना पड़ता है तो आपको अपने हेल्थ की चिंता सताती है. इस आर्टिकल में हम आपको 10 Best Health Tips के बारे में बताएंगे. जिसे आप अपनाकर फिट एंड फाइन रह सकते हैं. तो यहां पढ़िए सरस सलिल की Top 10 Best Health Tips in Hindi.

  1. Piles की बीमारी से इस तरह मिलेगा छुटकारा

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गुदा के अंदर वौल्व की तरह गद्देनुमा कुशन होते हैं, जो मल को बाहर निकालने या रोकने में सहायक होते हैं. जब इन कुशनों में खराबी आ जाती है, तो इन में खून का प्रवाह बढ़ जाता है और ये मोटे व कमजोर हो जाते हैं. फलस्वरूप, शौच के दौरान खून निकलता है या मलद्वार से ये कुशन फूल कर बाहर निकल आते हैं. इस व्याधि को ही बवासीर कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि कब्ज यानी सूखा मल आने के फलस्वरूप मलद्वार पर अधिक जोर पड़ता है तथा पाइल्स फूल कर बाहर आ जाते हैं. बवासीर की संभावना के कई कारण हो सकते हैं.

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2. घर पर कैसे रहें फिट

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कोरोनाकाल में युवाओं की फिटनैस काफी प्रभावित हुई है. जिम बंद हुए तो अधिकतर का शरीर ढीला पड़ता गया. लेकिन अब चिंता की जरूरत नहीं क्योंकि यहां फिटनैस मंत्र जो उपलब्ध है जो आप को बिन जिम के भी फिट रखेगा.

कोरोनाकाल में लोगों को भीड़भाड़ वाली जगहों से दूर रहने की खास हिदायत दी गई है, क्योंकि कोविड-19 का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलता है. जिस के प्रसार का माध्यम छींकने, खांसने, पसीने और बातचीत के आम व्यवहार से हो सकता है.   यही कारण है कि समयसमय पर ऐसी जगहों पर सरकार द्वारा कड़े प्रतिबंध लगाने की नौबत आई जहां संक्रमण फैलने का अधिक खतरा बना रहता है और उन स्थानों में से एक ‘जिम’ रहा.

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3. अगर आप भी करते हैं रक्तदान तो जरूर ध्यान रखें इन बातों का

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आज के समय में ब्लड डोनेट (रक्तदान) करके आप दूसरों की मदद तो करते ही हैं साथ ही आपको भी इसके बहुत फायदे होते हैं. कई लोगों को लगता है कि रक्तदान करने के बाद शरीर में कमजोरी आ जाती है, लेकिन ऐसा नहीं है. रक्तदान करने के 21 दिन बाद यह दोबारा बन जाता है. इसलिए रक्तदान करने से पहले घबराए नहीं बल्कि रक्तदान करते समय इन बातों का खास खयाल रखें.

– कोई भी हेल्दी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है. बात करें पुरुष की तो वह 3 माह में एक बार रक्तदान कर सकते हैं वहीं महिलाएं 4 माह में एक बार ब्लड डोनेट कर सकती हैं.

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4. जोड़ों के दर्द को न करें अनदेखा

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कुछ तरह के गठिया में जोड़ों का बहुत ज्यादा नुकसान होता है. गठिया यानी जोड़ों की सूजन, जो एक या एक से ज्यादा जोड़ों पर असर डाल सकती है. डाक्टरों की मानें, तो हमारे शरीर में 10 से ज्यादा तरह का गठिया होता है.

गठिया जोड़ों के ऊतकों में जलन और टूटफूट के चलते पैदा होता है. जलन के चलते ही ऊतक लाल, गरम, सूजन और दर्द से भर जाते हैं. गठिया के लक्षण आमतौर पर बुढ़ापे में दिखते हैं, लेकिन आजकल ये लक्षण बच्चों और नौजवानों में भी देखे जा रहे हैं.

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5. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने के लिए ये हैं 9 खास टिप्स

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शरीर कई तरह की बीमारियों के जीवाणुओं का हमला झेलता रहता है और कई बार इन की चपेट में आ जाता है. इन हमलों को नाकाम तभी किया जा सकता है, जब हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत हो यानी इम्यून सिस्टम सौलिड होना जरूरी है. इसे मजबूत करना ज्यादा मुश्किल नहीं है. तो आइए, देखते हैं कि किस तरह हम अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत बना सकते हैं.

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6. पैनक्रियाटिक रोगों की बड़ी वजहें

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युवा कामकाजी प्रोफैशनल्स में अल्कोहल सेवन, धूम्रपान के बढ़ते चलन और गालस्टोन के कारण पैनक्रियाटिक रोगों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. पैनक्रियाज से जुड़ी बीमारियों में एक्यूट पैनक्रियाटाइटिस, क्रोनिक पैनक्रियाटाइटिस और पैनक्रियाटिक कैंसर के मामले ज्यादा हैं. लेकिन आधुनिक एंडोस्कोपिक पैनक्रियाटिक प्रक्रियाओं की उपलब्धता और इस बीमारी की बेहतर सम झ व अनुभव रखने वाली विशेष पैनक्रियाटिक केयर टीमों की बदौलत इस से जुड़े गंभीर रोगों पर भी अब आसानी से काबू पाया जा सकता है.

आधुनिक पैनक्रियाटिक उपचार न्यूनतम शल्यक्रिया तकनीक के सिद्धांत पर आधारित है और इसे मरीजों के लिए सुरक्षित व स्वीकार्य इलाज माना जाता है.

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7. अगर आप भी करते हैं तंबाकू का सेवन तो हो जाइए सावधान

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तंबाकू से बनी बीड़ी व सिगरेट में कार्बन मोनोऔक्साइड, थायोसाइनेट, हाइड्रोजन साइनाइड व निकोटिन जैसे खतरनाक तत्त्व पाए जाते हैं, जो न केवल कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को जन्म देते हैं, बल्कि शरीर को भी कई खतरनाक बीमारियों की तरफ धकेलते हैं. जो लोग तंबाकू या तंबाकू से बनी चीजों का सेवन नहीं करते हैं, वे भी तंबाकू का सेवन करने वाले लोगों खासकर बीड़ीसिगरेट पीने वालों की संगत में बैठ कर यह बीमारी मोल ले लेते हैं. इसे अंगरेजी भाषा में ‘पैसिव स्मोकिंग’ कहते हैं.

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8. वजन कम करने के लिए डाइट में नींबू का ऐसे करें इस्तेमाल

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नींबू  आपके हेल्द के लिए काफी फायदेमंद है. अगर आप वजन कम करना चाहते हैं तो इसके लिए भी नींबू बहुत ज्यादा लाभदायक है. यह बौडी में कौलेस्ट्राल के स्तर को भी कम करता है. तो चलिए जानते हैं, आप अपने डाइट में नींबू का कैसे इस्तेमाल करें कि आपका वजन झट से कम हो जाए.

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9. क्या आप पेनकिलर एडिक्टेड हैं तो पढ़ें ये खबर

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आज की भागतीदौड़ती जिंदगी में हमारे पास आराम करने का बिलकुल भी समय नहीं है. ऐसे में भीषण दर्द की वजह से हमें बैठना पड़े तो उस से बड़ी मुसीबत कोई नहीं लगती है. कोई भी दर्द से लड़ने के लिए न तो अपनी एनर्जी लगाना चाहता है और न ही समय. इसलिए पेनकिलर टैबलेट खाना बहुत आसान विकल्प लगता है. बाजार में हर तरह के दर्द जैसे बदनदर्द, सिरदर्द, पेटदर्द आदि के लिए कई तरह के पेनकिलर मौजूद हैं.

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10. क्या पुरुषों को भी होता है मोनोपौज?

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मेनोपोज, यानी एक उम्र के बाद शरीर में होने वाले हार्मोनल चेंज और कुछ शारीरिक क्रियाओं में आने वाली कमी. अधेड़ावस्था की शुरुआत है मेनोपोज. मेनोपोजसे उत्पन्न कुछ शारीरिक समस्याओं की चर्चा अब तक स्त्रियों के सम्बन्ध में ही की जाती रही हैं, लेकिन यह चर्चा बहुत कम होती है कि मेनोपोज की स्थिति और इससे उत्पन्न समस्याओं से पुरुष भी जूझते हैं.

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वर्क फ्रॉम होम के दौर में ऑफिस का क्या

स्पैशलिस्ट स्टाफिंग फर्म एक्सफीनो द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले ज्यादातर लोग इस साल के अंत तक घर से ही काम करना चाहते हैं. 10 में से केवल 3 कर्मचारी औफिस जाना चाहते हैं. कंपनी ने 15 इंडस्ट्रीज के 550 संस्थानों में यह सर्वे किया.

सर्वे के तहत एक्सफीनो ने 1,800 कर्मचारियों से संपर्क किया. 70 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वे इस साल के अंत तक वर्क फ्रौम होम करना पसंद करेंगे. सर्वे में टौप भारतीय आईटी सर्विस फर्मों, एमएनसी, ईकौमर्स, औटोमोटिव कंपनियों और प्रमुख बैंकों को शामिल किया गया.

कोविड-19 में वर्क फ्रौम होम कौन्सैप्ट काफी उपयोगी साबित हुआ है. आईटी के अलावा नानआईटी सैक्टर की कंपनियों ने भी इसे अपनाया है.

देश में कई बड़ी कंपनियां मौजूदा हालात को देखते हुए वर्क फ्रौम होम को तवज्जुह दे रही हैं. काम करने का यह कल्चर आगे भी जारी रहेगा. फैलती महामारी के बीच कंपनियां केवल उन्हीं कर्मचारियों को दफ्तर बुलाएंगी जिन की मौजूदगी बहुत जरूरी है.

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बहुत से प्रोफैशनल्स अब अपने घर के एक हिस्से को औफिस का लुक दे रहे हैं ताकि उन्हें औफिस जैसा माहौल व सुविधाएं मिल सकें. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो घर के किसी रूम, बालकनी या छत पर कुछ रुपए खर्च कर अपने वर्किंग स्पेस का सैटअप तैयार करा रहे हैं ताकि औफिस टेबल, रिवौल्ंिवग चेयर, कंप्यूटर, प्रिंटर और व्हाइट बोर्ड आदि के साथ उचित तरीके से काम कर सकें. वे बेहतर नैटवर्क के लिए हाईस्पीड डेटा कनैक्शन या वाईफाई भी लगवा रहे हैं. इस से काम करने में सुविधा होती है और डिस्टर्बैंस भी नहीं होता.

कर्मचारियों का प्रोडक्टिविटी लैवल बढ़ा

एक स्टडी के मुताबिक, दफ्तर के मुकाबले कर्मचारी घर से ज्यादा बेहतर काम करते हैं. दफ्तर में कर्मचारी ब्रेक ज्यादा लेते हैं. वहीं वर्क फ्रौम होम में महीने में 1.4 दिन ज्यादा काम कर रहे हैं. लौकडाउन के दौरान ज्यादातर कर्मचारियों का प्रोडक्टिविटी लैवल बढ़ गया है. इस से एम्प्लौयर्स भी वर्क फ्रौम होम की संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं. उन्हें भी इस में फायदे नजर आ रहे हैं. कामकाज के इस नए तरीके से कतरा रही कंपनियां अब संभावनाएं तलाशने लगी हैं. लाभ का सौदा होने की बात भी कर रही हैं. एक तरफ कर्मचारी ज्यादा मेहनत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ औफिसों में होने वाले बिजली, पानी, कागज, फर्नीचर और दूसरे रखरखाव के सामानों पर होने वाले खर्चे भी बच रहे हैं.

इधर कर्मचारियों का भी आनेजाने में लगने वाला समय और किराया दोनों बच रहा है. यही नहीं, आमतौर पर कर्मचारियों को वर्कलाइफ और पर्सनललाइफ के बीच तालमेल बिठाने में दिक्कतें होती हैं. लेकिन वर्क फ्रौम होम के चलते अब यह आसान हो गया है. वे घर के काम देखते हुए औफिस की जिम्मेदारियां भी सहजता से निभा पा रहे हैं. औफिस में कई बार काम करने की इच्छा होने पर भी शोरगुल या हंसीमजाक के बीच काम निबटाना संभव नहीं होता. वहां दोस्तों के बीच काम से ब्रेक भी ज्यादा ले लिए जाते हैं मगर घर में अपनी सुविधानुसार रात तक बैठ कर काम निबटाया जा सकता है .

महिलाओं के लिए वर्क फ्रौम होम अधिक सुविधाजनक है. 31 फीसदी से ज्यादा महिलाएं बच्चे के बाद कैरियर में ब्रेक लेती हैं क्योंकि उन के लिए औफिस जाना, पूरे दिन बच्चे से दूर रहना और फिर थकेहारे घर लौट कर बच्चे को संभालना आसान नहीं होता. वर्क फ्रौम होम के नतीजे में वे घर और बच्चों के साथसाथ औफिस के काम भी संभाल पा रही हैं और वर्कफोर्स में बनी रह पा रही हैं. फ्लैक्सिबल वर्क कल्चर के कारण उन की जिंदगी बदल गई है.

वर्क फ्रौम होम है आज की जरूरत

कोरोना महामारी के बीच आईटी, बीपीओ सैक्टर और अन्य सेवाप्रदाता कंपनियों के कर्मचारी अब 31 दिसंबर तक वर्क फ्रौम होम यानी घर से काम कर सकेंगे, दूरसंचार विभाग ने इस के आदेश जारी कर दिए हैं. आईटी कंपनियों में करीब 90 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं. केवल अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मचारी ही कार्यालय जा रहे हैं.

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नैसडैक में लिस्टेड बीपीओ और एनालिटिक्स कंपनी ईएक्सएल के 70 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं.

हाल ही में ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने कहा है कि उन के कर्मचारी जब तक चाहें वर्क फ्रौम होम कर सकते हैं. ट्विटर हेडऔफिस सैनफ्रान्सिस्को, कैलिफोर्निया में है. अटलांटा, न्यूयौर्क, लास एंजिल्स और अमेरिका के कई शहरों में भी इस के दफ्तर हैं. 20 देशों में ट्विटर के कुल 35 औफिस हैं. वहीं, फेसबुक ने कहा है कि उस के औफिस तो खुल गए हैं लेकिन कर्मचारी दिसंबर के आखिर तक वर्क फ्रौम होम करते रहेंगे.

तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने तो वर्क फ्रौम होम को अगले साल जून तक बढ़ा दिया है. यह अवधि गूगल के उन स्टाफ के लिए बढ़ाई गई है जिन्हें औफिस में रह कर काम करने की जरूरत नहीं है.

दुनियाभर में गूगल के हजारों कर्मचारी हैं. गूगल के स्टाफ की वर्क फ्रौम होम सेवा को जनवरी 2021 में खत्म किया जाना था. गूगल का ताजा निर्णय अन्य टैक फर्मों और बड़े नियोक्ताओं को कोरोना से बचाव के लिए ऐसी ही नीति अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है. इस बीच ट्विटर कंपनी ने कहा है

कि वह अपने सभी कर्मचारियों को अनिश्चितकाल तक रिमोट वर्क की अनुमति देने जा रही है.

हमारे देश भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इन हालात में भारतीय कंपनियां भी किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती हैं. वे कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रौम होम की सुविधा को बढ़ा रही हैं.

सिटीबैंक, बोस्टन कंसल्ंिटग ग्रुप, एचयूएल, केपीएमजी, आरपीजी ग्रुप, कौग्निजैंट, फिलिप्स और पिडिलाइट इंडस्ट्रीज उन कंपनियों में शुमार हैं जो केवल जरूरी स्टाफ को ही दफ्तर आने के लिए कह रही हैं. अमेजन वर्क फ्रौम पौलिसी को अक्तूबर 2020 से बढ़ा कर जनवरी 2021 कर चुकी है.

इसी तरह केपीएमजी में करीब 5 फीसदी कर्मचारी औफिस आ रहे हैं. जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता है, तब तक कंपनी वर्क फ्रौम होम को जारी रखेगी.

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क्या परिवर्तन हैं संभव

अभी वैक्सीन बनने की संभावना नहीं. अगले साल तक वैक्सीन आ भी जाती है तो सामान्य लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा. वैसे भी वैक्सीन बनने और मिलने के बाद भी लोग वर्क फ्रौम होम करने के इतने आदी हो जाएंगे कि उन्हें दफ्तर जा कर काम करने की आदत ही नहीं रह जाएगी. संभव है अगले 2-3 सालों में कुछ दफ्तरों की बिल्ंिडगों में जाले लगने लगें, दफ्तर की टेबलकुरसियों पर धूलमिट्टी जम जाए, ड्रायर और अलमारियों के दरवाजे जाम हो जाएं, तसवीरों पर धूल की मोटी परत जम जाए और शीशे गंदे दिखने लगें.

संभव है कि कुछ दफ्तरों की विशालकाय बिल्ंिडगों के 1-2 फ्लोर पर तो थोड़ेबहुत कर्मचारी आ रहे हों पर बाकी फ्लोर खाली पड़े हों जिन्हें किराए पर दूसरे काम के लिए उठा दिया जाए. कोरोना के खतरे को देखते हुए अब ज्यादातर कर्मचारी घर से काम करना चाह रहे हैं और एम्प्लौयर खुद भी इस व्यवस्था से संतुष्ट हैं. वे कोरोना वायरस को देखते हुए कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहते हैं. ऐसे में जाहिर है कि वे अपने औफिस को या तो खाली छोड़ना मंजूर करेंगे या किसी और काम के लिए किराए पर दे देंगे.

कई छोटेमोटे प्राइवेट औफिसों के मालिकों ने मौके की नजाकत को देखते हुए पूर्णरूप से औनलाइन काम करवाना शुरू कर दिया है और अब उन्होंने औफिस वाली जगह या तो बेच दी है या निश्ंिचत हो कर किसी और काम में ले लिया है. कई कंपनियां पूरी तरह बंद भी हो रही हैं. ज्यादातर कंपनियां अभी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं, इसलिए या तो कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जा रही है या ऐसे लोगों को हटाया जा रहा है जिन के बगैर काम चल सकता है. वेतन में कटौती के कारण भी लोग वर्क फ्रौम होम को प्रैफरैंस दे रहे हैं.

आने वाले समय में औफिस के बजाय रीजनल हब बनाने पर जोर दिया जा सकता है जहां ज्यादातर एम्प्लौइज रहते हों. यानी, ऐसी जगहों पर छोटेछोटे कोवर्किंग स्पेस डैवलप किए जा सकते हैं जहां एम्पलौइज कम समय में सहूलियत से आवश्यकतानुसार पहुंच कर जरूरी काम निबटा सकें और बाकी काम घर से करते रहें.

ज्यादातर औफिस मीटिंग्स अब वीडियोकौल और जूम मीटिंग आदि के रूप में ही कराई जा रही हैं. वैसे भी अब एम्प्लौइज ज्यादा टैक्नोफ्रैंडली बन चुके हैं. जिन लोगों को औनलाइन काम करने की आदत नहीं थी उन्होंने भी इतने समय में सबकुछ सीख लिया है. वीडियो चैट द्वारा स्टाफ अब खुद को एकदूसरे के ज्यादा करीब महसूस कर पाते हैं. लंबे समय तक ईमेल, जूम और वीडियो चैटिंग के जरिए ही मीटिंग के उद्देश्य पूरे कर लिए जाएंगे और औफिस जाने की जरूरत महसूस नहीं होगी.

औफिस बिल्ंिडग एक बड़े कौन्फ्रैंस सैंटर के रूप में तब्दील हो सकती हैं. बहुत संभव है कि आने वाले समय में औफिस बिल्ंिडग का मकसद बदल जाए. भविष्य में हो सकता है कि औफिस का प्रयोग महज बड़ी मीटिंग्स या औफिशियल गैदरिंग के लिए किया जाए और बाकी काम वर्क फ्रौम होम होता रहे. यानी, औफिस का उपयोग अब मीटिंग्स, कौन्फ्रैंसिंग और कंपनी के दूसरे इवैंट्स के लिए गैदरिंग स्पेस के तौर पर अधिक हो.

Crime Story: धोखाधड़ी- फ्रैंडशिप क्लब सैक्स और ठगी का धंधा

लेखक- बृहस्पति कुमार पांडेय

इन इश्तिहारों में बिना पता लिखे कुछ मोबाइल नंबर भी दिए होते हैं जिन में कुछ घंटों में ही हजारों रुपए कमाने के दावे भी किए जाते हैं.

मैं ने भी इस तरह के तमाम इश्तिहार कई बार अखबारों में देखे हैं, लेकिन एक दिन मेरी नजर उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रेलवे स्टेशन रोड के कुछ मकानों पर चिपके पोस्टरों पर पड़ी. उन पोस्टरों पर मेरा ध्यान इसलिए चला गया क्योंकि उन में भी अखबारों में छपने वाले फ्रैंडशिप क्लब जैसा ही कुछ लिखा था.

मैं ने जब नजदीक जा कर उन पोस्टरों को देखा तो उन में ‘सौम्या फ्रैंडशिप क्लब’ के बारे में लिखा था और उन में उन बेरोजगार नौजवानों को रिझाने वाली कुछ लाइनें भी लिखी थीं जो बिना कुछ किएधरे अमीर बनने के सपने देखते हैं.

पोस्टरों में कुछ इस तरह से लिखा था कि हाई प्रोफाइल लड़कियों के साथ दोस्ती और मीटिंग कर के कुछ ही घंटों में कमाएं 1,500 से ले कर 3,500 रुपए रोजाना.

मैं ने इस क्लब की असलियत जानने के लिए अपने मोबाइल फोन का काल रिकौर्डर औन कर उन में से एक नंबर पर फोन मिला दिया. कुछ देर घंटी बजने के बाद जब उधर से फोन उठा तो एक मर्दाना आवाज आई और बोला गया कि ‘सौम्या फ्रैंडशिप क्लब’ में आप का स्वागत है. बताइए, मैं आप की क्या सेवा कर सकता हूं?

मैं ने उस शख्स से कहा कि मैं ने उस के पोस्टर में से यह नंबर देख कर उसे फोन किया है और मैं भी हाई प्रोफाइल लड़कियों से दोस्ती गांठ कर ढेर सारे पैसे कमाना चाहता हूं तो उधर से उस शख्स ने बड़े ही खुले शब्दों में कहा कि मुझे इस के लिए 800 रुपए जमा करा कर इस क्लब की मैंबरशिप लेनी होगी. इस के बाद मुझे एक कोड दिया जाएगा और फिर मेरे पास बड़े घरों की लड़कियों और औरतों के फोन आने शुरू हो जाएंगे.

ये वे लड़कियां और औरतें होंगी जो अकेली रहती हैं या जिन के पति बिजनैस के सिलसिले में अकसर घर से बाहर टूर पर रहते हैं या फिर वे औरतें होंगी जो विधवा हैं.

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उस आदमी ने आगे कहा कि मुझे ऐसी औरतों के फोन भी आएंगे जो एक से ज्यादा मर्दों के साथ संबंध रखती हैं. उस के बाद उधर से सैक्स से जुड़ी ऐसी बातें बताई जाने लगीं कि मेरे अंगअंग में जोश आने लगा.

मैं उस शख्स की सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था और जब वह अपने क्लब के बारे में बहुतकुछ बता चुका था तो मैं ने उस से कहा कि क्या उसे फोन पर ऐसी बातें बताते हुए पुलिस में पकड़े जाने का डर नहीं है?

यह सुन कर उस शख्स ने बिना वजह पूछे कहा कि इस में जो भी नौजवान औरतें, लड़कियां या लड़के शामिल होते हैं, वे सब अपनी मरजी से आते हैं. ऐसे में पुलिस का डर किस बात का?

मैं ने उस से कहा कि उस ने इतनी सैक्सी बातें फोन पर की हैं, क्या उसे काल रिकौर्ड होने का डर नहीं है? तो उस आदमी ने जो बताया उस से मेरा चौंकना लाजिमी था, क्योंकि उस ने कहा कि उस ने ऐसा सौफ्टवेयर लगा रखा

है कि उस के मोबाइल पर होने वाली कोई भी बातचीत रिकौर्ड नहीं की जा सकती है.

इस के बाद उस आदमी ने मुझ से कहा कि वह मैंबरशिप के लिए कुछ देर में एक बैंक अकाउंट नंबर सैंड करेगा, फिर उधर से फोन कट गया.

फोन कटने के बाद मैं ने जब अपनी रिकौर्डिंग लिस्ट देखी तो सचमुच उस नंबर से हुई बातचीत का कोई भी अंश रिकौर्ड नहीं हुआ था.

मैं ने दोबारा जांचने के लिए अपने परिचित के मोबाइल पर हालचाल लेने के बहाने फोन किया और बाद में उस काल की रिकौर्डिंग चैक की, तो उस बातचीत की रिकौर्डिंग मौजूद थी.

फैल रहा कारोबार

फ्रैंडशिप के नाम पर नौजवानों को फांसने का धंधा पूरे देश में फैला हुआ है. आप किसी भी शहर में चले जाएं वहां के लोकल अखबारों से ले कर दीवारों तक पर इन के इश्तिहार मिल जाएंगे. फ्रैंडशिप क्लब का धंधा करने वालों में औरतें और मर्द दोनों शामिल हैं.

फ्रैंडशिप के नाम पर सैक्स और ठगी का धंधा करने वाले अकसर पुलिस से बचने के लिए एक शहर से दूसरे शहर में ठिकाने बदलते रहते हैं, जिस से अगर कोई शिकायत भी करे तो फंसने के चांस कम हो जाएं.

इसी तरह के एक गिरोह का परदाफाश नागपुर पुलिस ने एक आदमी की शिकायत पर तब किया था, जब उसे इस गिरोह के लोगों ने सवा लाख रुपए का चूना लगा दिया था. इस के बाद पुलिस ने इस गिरोह के लोगों को दबिश डाल कर गिरफ्तार किया था.

इन गिरफ्तार लोगों में ‘निशा फ्रैंडशिप क्लब’ चलाने वाले गिरोह में मुखिया रितेश उर्फ भैरूलाल भगवानलाल, सुवर्णा मिनेश निकम, पल्लवी, विनायक पाटिल, शिल्पा समीर साखरे और निशा सचिन साठे शामिल थे. ये लोग महाराष्ट्र के ठाणे से राजस्थान तक अपना जाल फैलाए हुए थे. ये लोग सैकड़ों सिम रखते थे और जिस सिम से ये लोग ग्राहक को फांसते थे उसे ठगी के बाद बंद कर देते थे.

पुलिस गिरफ्त में आने के बाद इन के अलगअलग बैंकों में 20 खातों की जांच की गई तो उन में हर रोज बड़ेबड़े ट्रांजैक्शन सामने आने के बाद बीसियों खातों को सीज कर दिया गया.

दोस्ती के नाम पर ठगी

जो लोग इस तरह के गिरोह के चक्कर में पड़ते हैं उन से पहले क्लब की मैंबरशिप फीस के नाम पर अमूमन 1000 रुपए से ले कर 10,000 रुपए तक ऐंठ लिए जाते हैं. फिर इन से मैडिकल जांच और एचआईवी जांच के नाम पर 10,000 रुपए तक अलग से जमा कराए जाते हैं.

इन के चक्कर में फंसे नौजवान इस भरम में पैसे जमा करा देते हैं कि उन्हें तो हाई प्रोफाइल लोगों से दोस्ती के साथ ही कुछ घंटों के मजे के एवज में मोटी रकम हर रोज मिलनी ही है, पर जैसे

ही इन अकाउंट पैसे जमा करने की जानकारी दी जाती है उस के बाद क्लब के जिस मोबाइल नंबर से बात होती है, वह स्विच औफ हो जाता है.

इन क्लबों के शिकार नौजवान शर्मिंदगी के चलते अपने ठगे जाने की बात न तो परिवार वालों को बताते हैं और न ही पुलिस के पास जाते हैं, इसलिए इन क्लबों का यह धंधा फलताफूलता रहता है.

सैक्स और ब्लैकमेलिंग

फ्रैंडशिप क्लब में मैंबरशिप लेने के बाद क्लब की तरफ से एक कोड दिया जाता है. उस के बाद कुछ मोबाइल नंबर दिए जाते हैं.

मैंबरशिप लेने वाले को यह बताया जाता है कि ये नंबर उन के हैं जो नएनए लोगों के साथ बिस्तर गरम करने की चाहत रखते हैं. कुछ मामलों में तो फ्रैंडशिप क्लब की मैंबरशिप लेने वाले लोगों को आपस में ही फ्रैंड बना कर उन्हें सैक्स करने के लिए उकसाया जाता है और फिर जब बात संबंध बनने तक पहुंचती है तो ये लोग सैक्स के लिए महफूज जगह के नाम पर कमरे भी मुहैया कराते हैं, जहां इन के जाल में फंसे लोगों के सैक्स के दौरान के वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है.

कई बार इस गिरोह की औरतें सैक्स के शौकीन लोगों से किसी अमीर घर की औरत बन कर बातें करती हैं. जब मैंबर को पूरी तरह से यकीन हो जाता है तो वह उन के साथ बिस्तर गरम करने की इच्छा रख देता है.

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गिरोह की लड़कियां इन लोगों को ऐसी जगह पर बुलाती हैं जहां इन के साथ आसानी से वीडियो बनाया जा सके. इस के बाद ऐसे वीडियो के जरीए इस गिरोह के लोग मैंबर को लूटने लगते हैं. जब तक लुटने वाले लोगों को बात समझ में आती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है.

कोड के जरीए धंधा

ये लोग अपने इश्तिहार के जरीए बड़े घरों की औरतों को फांसते हैं और फिर मैंबर बने नौजवानों को दिए गए कोड से उन औरतों से बात कराते हैं. फिर तय रकम में से 70 से 80 फीसदी कमीशन इस गिरोह वाले खुद ले लेते हैं, बाकी पैसा उस नौजवान को मिल जाता है.

लेकिन इस तरह के क्लबों के चक्कर में पड़ कर अकसर बड़े घरों की औरतें अपने पतियों की गाढ़ी कमाई तो लुटाती ही हैं साथ ही अपनी इज्जत भी गंवाती हैं. जो नौजवान

इन क्लबों के चक्कर में पड़ते हैं वे अपना कैरियर और अपने मांबाप के सपनों को दांव पर लगा देते हैं.

इन क्लबों की शिकार बड़े घरों की औरतें ज्यादा होती है, क्योंकि खुला जीवन जीने की चाहत इन्हें इस तरह से अपनी गिरफ्त में लेती है कि जल्दी ये उस से उबर नहीं पाती हैं. जो औरतें हिम्मत दिखाती हैं उन के चलते कई बार ऐसे गिरोह के लोग जेल भी गए हैं.

इस के साथसाथ आम लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा खासकर नौजवान तबके को, क्योंकि ऐसे क्लब उन की दुखती रग पर हाथ रखते हैं. वे जानते हैं कि नौजवान पीढ़ी को सैक्स के नाम पर भरमाया जा सकता है. मीठीमीठी बातों से उस से पैसे ऐंठे जा सकते हैं.

क्या कहते हैं जानकार

फ्रैंडशिप क्लबों द्वारा की जाने वाली ठगी से बचने के मामले को ले कर सामाजिक कार्यकर्ता विशाल पांडेय का कहना है कि आज के नौजवान शौर्टकट से अमीर बनने के सपने देखते हैं. साथ ही नईनई औरतों के साथ हमबिस्तरी की चाहत रखने वाले भी इस तरह के गिरोहों के जाल में आसानी से फंस जाते हैं, जिस के चलते ये नौजवान लंबे समय तक ब्लैकमेलिंग और ठगी के शिकार होते हैं.

शौर्टकट से पैसे कमाने के ऐसे सपने देखना सलाखों के पीछे पहुंचने की वजह बन जाता है, इसलिए अपनी काबिलीयत से पैसे कमाएं और अपने जीवनसाथी के प्रति ईमानदार रहें, नहीं तो इज्जत तो जाएगी ही, यह लत आप को कंगाल भी कर देगी.

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सामाजिक कार्यकर्ता और लेखिका उर्मिला वर्मा का कहना है कि अगर आप फ्रैंडशिप क्लबों के जाल में गलती से भी फंस जाएं तो हिम्मत दिखाएं और अपने परिवार वालों के साथ ही पुलिस में रिपोर्ट जरूर दर्ज कराएं. इस से दूसरे लोग ऐसे गिरोहों के चक्कर में पड़ने से बचेंगे, साथ ही इन का परदाफाश होने से लोगों में जागरूकता भी बढ़ेगी.

सजा- भाग 4: तरन्नुम ने असगर को क्यों सजा दी?

घंटी की आवाज सुनते ही हमउम्र जुड़वां 3 साल के नन्हे बच्चे, एक पमेरियन कुत्ता और नौकर चारों ही दरवाजे पर लपके. जाली के दरवाजे के अंदर से ही नौकर बोला, ‘‘आप कौन, कहां से तशरीफ ला रही हैं?’’

रीता ने कहा, ‘‘जा कर मालकिन से बोलो, बिन्नी दी ने भेजा है.’’

नौकर ने दरवाजा पूरा खोलते हुए कहा, ‘‘आइए, वे तो सुबह से आप का ही इंतजार कर रही हैं.’’

बैठक कक्ष सजाने वाले की नफासत की दाद दे रहा था जैसे हर चीज अपनी सही जगह पर थी. यहां तक कि खरगोश की तरह सफेद कुरतेपाजामे में उछलकूद मचाते बच्चे भी जैसे इस कमरे की सजावट का हिस्सा हों. उन्हें बैठे 5 मिनट ही बीते होंगे कि कमरे का परदा सरका, आने वाली को देख कर रीता झट से उठी, ‘‘हाय निकहत आपा, कितनी प्यारी दिख रही हैं आप इस फालसाई रंग में.’’

निकहत हंस दी, ‘‘आज ज्यादा ही सुंदर दिख रही हूं. गरज की मारी आ गई वरना तो बिन्नी के पास आ कर गुपचुप से चली जाती है, कभी भूले से भी यहां तशरीफ नहीं लाई.’’

‘‘क्यों बिन्नी के साथ ईद पर नहीं आई थी,’’ रीता ने सफाई देते हुए कहा.

‘‘पर अभी तो ईद भी नहीं और नया साल भी नहीं. खैर इनायत है, गरज से ही सही, आई तो,’’ निकहत ने कहा, ‘‘और सुनाओ, कैसा चल रहा है तुम्हारा कामकाज.’’

‘‘वहां से आजकल छुट्टी ले रखी है. इन से मिलिए, ये हैं मेरी सहेली तरन्नुम, रामपुर से आई हैं. इन के शौहर यहां पर हैं. अपना मकान है लेकिन किराएदार खाली नहीं कर रहे हैं. शादी को 8-10 महीने होने को आए लेकिन अब तक मियां का साथ नहीं हो पाया. किराए पर ढंग का घर मिल नहीं रहा और होटल में रहते 5-7 दिन हो गए. बिन्नी दी से बात की तो उन्होंने आप के घर का ऊपरी हिस्सा खाली होने की बात कही. सुनते ही मैं तुरंत इन्हें खींचती आप के पास ले आई.’’

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‘‘रामपुर में किस के घर से हैं आप?’’ निकहत ने पूछा.

‘‘वहां बहुत बड़ी जमींदारी है मेरे अब्बू की. क्या आप भी वहीं से हैं?’’ तरन्नुम ने पूछा.

‘‘नहीं, मैं तो कभी वहां गई नहीं. पिछले साल मेरे शौहर गए थे अपने दोस्त की शादी में. मैं ने सोचा शायद आप उन्हें जानती होंगी.’’

‘‘किस के यहां गए थे? रामपुर में हमारे खानदानी घर ही ज्यादातर हैं.’’

‘‘अब नाम तो मुझे याद नहीं होगा, क्या लेंगी आप…चाय या ठंडा? वैसे अब थोड़ी देर में ही खाना लग रहा है. आप को हमारे साथ आज खाना जरूर खाना होगा. हमारे साहब तो दौरे पर गए हैं. बच्चों के साथ 5-6 दिन से खिचड़ी, दलिया खातेखाते मुंह का स्वाद ही खराब हो गया.

‘‘रीता को तो हैदराबादी बिरयानी पसंद है, साथ में मुर्गमुसल्लम भी. मैं जरा रसोई में खानेपीने का इंतजाम देख लूं. नौकर नया है वरना मुर्गे का भरता ही बना देगा. तब तक आप यह अलबम देखिए. रीता, अपनी पसंद का रेकार्ड लगा लो,’’ कहती हुई निकहत अंदर चली गई.

तरन्नुम ने अलबम खोला और उस की आंखें असगर से मिलतेजुलते एक आदमी पर अटक गईं. अगला पन्ना पलटा. निकहत के साथ असगर जैसा चेहरा. अलगअलग जगह, अलगअलग कपड़े. पर असगर से इतना कोई मिल सकता है वह सोच भी नहीं सकती थी. उस ने रीता को फोटो दिखा कर पूछा, ‘‘ये हजरत कौन हैं?’’

‘‘क्यों, आंखों में चुभ गया है क्या?’’ रीता हंस दी, ‘‘संभल के, यह तो निकहत दीदी के पति हैं. है न व्यक्तित्व जोरदार, मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं. असल में इन के मांबाप जल्दी ही गुजर गए. निकहत अपने मांबाप की इकलौती बेटी थी तिस पर लंबीचौड़ी जमीनजायदाद, बस, समझो लाटरी ही लग गई इन साहब की. नौकरी भी निकहत के अब्बू ने दिलवाई थी.’’

तरन्नुम को अब न गजल सुनाई दे रही थी और न ही कमरे में बच्चों की खिलखिलाती हंसी का शोर, वह एकदम जमी बर्फ सी सर्द हो गई. दिल की धड़कन का एहसास ही बताता था कि सांस चल रही है.

निकहत ने जब खाने के लिए बुलाया तब वह जैसे किसी दूसरी दुनिया से लौट कर आई, ‘‘आप बेकार ही तकल्लुफ में पड़ गईं, हमें भूख नहीं थी,’’ उस ने कहा.

‘‘तो क्या हुआ, आज का खाना हमारी भूख के नाम पर ही खा लीजिए. हमें तो आप की सोहबत में ही भूख लग आई है.’’

रोशनी सा दमकता चेहरा, उजली धूप सी मुसकान, तरन्नुम ठगी सी देखती रही. फिर बोली, ‘‘आप के पति कितने खुशकिस्मत हैं, इतनी सुंदर बीवी, तिस पर इतना बढि़या खाना.’’

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‘‘अरे आप तो बेकार ही कसीदे पढ़ रही हैं. अब इतने बरसों के बाद तो बीवी एक आदत बन जाती है, जिस में कुछ समझनेबूझने को बाकी ही नहीं रहता. पढ़ी किताब सी उबाऊ वरना क्या इतनेइतने दिन मर्द दौरे पर रहते हैं? बस, उन की तरफ से घर और बच्चे संभाल रहे हैं यही बहुत है,’’ निकहत ने तश्तरी में खाना परोसते हुए कहा.

‘‘कहां काम करते हैं कुरैशी साहब?’’ तरन्नुम ने पूछा.

‘‘कटलर हैमर में, उन का दफ्तर कनाट प्लेस में है. असगर पहले इतना दौरे पर नहीं रहते थे जितना कि पिछले एक बरस से रह रहे हैं.’’

‘‘असगर,’’ तरन्नुम ने दोहराया.

‘‘हां, मेरे शौहर, आप ने बाहर तख्ती पर अ. कुरैशी देखा था. अ. से असगर ही है. हमारे बच्चे हंसते हैं, अब्बू, ‘अ’ से अनार नहीं हम अपनी अध्यापिका को बताएंगे ‘अ’ से असगर,’’ फिर प्यार से बच्चे के सिर पर धौल लगाती बोली, ‘‘मुसकराओ मत, झटपट खाना खत्म करो फिर टीवी देखेंगे.’’

‘‘अरे, तरन्नुम तुम कुछ उठा नहीं रहीं,’’ रीता ने तरन्नुम को हिलाया.

‘‘हूं, खा तो रही हूं.’’

‘‘क्यों, खाना पसंद नहीं आया?’’ निकहत ने कहा, ‘‘सच तरन्नुम, मैं भी बहुत भुलक्कड़ हूं. बस, अपनी कहने की रौ में मुझे दूसरे का ध्यान ही नहीं रहता. खाना सुहा नहीं रहा तो कुछ फल और दही ले लो.’’

‘‘न दीदी, मुझे असल में भूख थी ही नहीं, वह तो खाना बढि़या बना है सो इतना खा गई.’’

‘‘अच्छा अब खाना खत्म कर लो फिर तुम्हें ऊपर वाला हिस्सा दिखाते हैं, जिस में तुम्हें रहना है. तुम्हारे यहां आ कर रहने से मेरा भी अकेलापन खत्म हो जाएगा.’’

‘‘पर किराए पर देने से पहले आप को अपने शौहर से नहीं पूछना होगा,’’ तरन्नुम ने कहा.

‘‘वैसे कानूनन यह कोठी मेरी मिल्कियत है. पहले हमेशा ही उन से पूछ कर किराएदार रखे हैं. इस बार तुम आ रही हो तो बजाय 2 आदमियों के बीच बातचीत हो इस बार तरीका बदला जाए,’’ निकहत शरारत से हंस दी, ‘‘यानी मकान मालकिन और किराएदारनी तथा मध्यस्थ भी इस बार मैं औरत ही रख रही हूं. राजन कपूर की जगह बिन्नी कपूर वकील की हैसियत से हमारे बीच का अनुबंध बनाएंगी, क्यों?’’

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रीता जोर से हंस दी, ‘‘रहने दो निकहत दीदी, बिन्नी दी ने शादी के बाद वकालत की छुट्टी कर दी.’’

‘‘इस से क्या हुआ,’’ निकहत हंसी, ‘‘उन्होंने विश्वविद्यालय की डिगरी तो वापस नहीं कर दी है. जो काम कभी न हुआ तो वह आज हो सकता है. क्यों तरन्नुम, तुम्हारी क्या राय है? मैं आज शाम तक कागजात तैयार करवा कर होटल भेज देती हूं. तुम अपनी प्रति रख लेना, मेरी दस्तखत कर के वापस भेज देना. रही किराए के अग्रिम की बात, उस की कोई जल्दी नहीं है, जब रहोगी तब दे देना. आदमी की जबान की भी कोई कीमत होती है.’’

रीता तरन्नुम को तीसरे पहर होटल छोड़ती हुई निकल गई.

अनुज के साथ अकेले मुंबई जाएगी अनुपमा, वनराज को लगा झटका

सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) और रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly) स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में इन दिनों महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में नए किरदार की एंट्री से कहानी में दिलचस्प मोड़ आया है. शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा की लाइफ पूरी तरह से बदल रही है. खबर यह आ रही है शो के अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा और अनुज के बीच रोमांटिक अंदाज देखने को मिलेगा. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि अनुज के घर पर पूरा शाह परिवार गणेश चतुर्थी सेलिब्रेट करने पहुंचता है. इस दौरान अनुज और वनराज पंजा लड़ाने का कम्पटीशन होता है. वनराज इस गेम में जीत जाता है. तो दूसरी तरफ अनुपमा, अनुज की तारीफ करती है. वनराज को जलन होती है.

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शो के आने वाले एपिसोड्स में सबसे बड़ा ट्विस्ट देखने को मिलेगा. अनुज अनुपमा को बताएगा कि  उन्हें एक दिन के लिए मुंबई में मीटिंग अटेंड करनी है. अनुपमा तैयार हो जाएगी. तो वहीं बा और वनराज मना करेंगे.  लेकिन बापूजी अनुपमा को अनुज के साथ जाने के लिए ‘हां’ कहेंगे अनुमति दे देंगे.

 

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अनुपमा सिर्फ बापूजी का आशीर्वाद लेकर अनुज के साथ मुंबई जाने के लिए तैयार हो जाएगी. ऐसे में अनुपमा  अनुज के साथ अकेले मुंबई जाएगी तो उधर वनराज को बड़ा झटका लगेगा.

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शो में दिखाया जाएगा कि अनुज-अनुपमा अकेले में वक्त बिताएंगे. फ्लाइट उड़ने पर अनुपमा को डर लगेगा और वह अनुज का हाथ पकड़ लेगी. पर बाद में वह नहीं डरेगी. तो वहीं अनुपमा क साथ अनुज भी घबरा कर आंखें बंद कर लेगा. अनुज की ये हरकत देखकर अनुपमा हंसने लगेगी.

 

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शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा  कि इस ट्रिप के दौरान अनुज-अनुपमा की जिंदगी में क्या नया बदलाव आता है.

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Anupamaa: किंजु बेबी के साथ ‘बैड बॉय’ बना समर, देखें Video

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) के एक्टर्स सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहते हैं. शो के एक्टर्स के बीच ऑफस्क्रीन काफी अच्छी बॉन्डिंग देखने को मिलती है. अनुपमा स्टार्स आए दिन शो से जुड़े वीडियो या फनी वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करते रहते हैं. फैंस को इस सीरियल से जुड़े वीडियो का बेसब्री से इंतजार रहता है. अब किंजल और समर का एक वीडियो सामने आया है, जो अनुपमा के दर्शकों को काफी पसंद आ रहा है. आइए दिखाते हैं आपको यह वीडियो.

इस सीरियल में किंजल (निधि शाह) और समर पारस कलनावत (Paras Kalnawat)  की ऑनस्क्रीन बॉन्डिंग काफी स्ट्रांग है. शो में देवर-भाभी के रिश्ते को बखूबी दिखाया गया है. दोनों का किरदार भी काफी दिलचस्प है. किंजल और समर ऑनस्क्रीन अच्छे दोस्त हैं और ऑफस्क्रीन भी दोनों की खूब जमती है. ये दोनों अक्सर एक-दूसर के साथ वीडियो बनाते हैं और सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं.

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देखें किंजल और समर का वीडियो

 

इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि किंजल और समर ने बादशाह के नए गाने ‘बैड बॉय बैड गर्ल’ को रीक्रिएट किया है. इस वीडियो को सोशल मीडिया पर काफी पसंद किया जा रहा है. किंजल इस वीडियो में काफी stunning लग रही हैं तो वहीं समर भी रेड टीशर्ट में हैंडसम नजर आ रहे हैं.

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अनुपमा सीरियल में  अनुज के आने से अनुपमा की जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी है. शो में दिखाया जा रहा है अनुज के घर पर पूरा शाह परिवार अनुपमा  के साथ गणेश चतुर्थी मनाने पहुंचता है. इस दौरान अनुज और वनराज पंजा भी लड़ाते हैं. वनराज इस गेम में जीत जाता है. सभी साथ में एंजॉय करते हैं. अनुपमा, अनुज की तारीफ भी करती है. तो वहीं अनुज और अनुपमा की दोस्ती वनराज, बा और पारितोष को हजम नहीं होती.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुज को मुंबई से फोन कॉल आएगा. ये फोन कॉल एक होटल इनॉग्रेशन के लिए आएगा. अनुज इस बारे में अनुपमा को बताता है कि उन्हें एक दिन के लिए मुंबई में मीटिंग अटेंड करनी है. बा, पारितोष और वनराज मना करते हैं. वहीं बापूजी अनुपमा को अनुज के साथ जाने अनुमति दे देंगे.

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अनुपमा इस ट्रिप को लेकर काफी एक्साइटेड है. वह पहली बार अनुज के साथ फ्लाइट में बैठेगी. अब शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस ट्रिप के दौरान अनुज के दिल की बात अनुपमा समझ पायेगी?

Satyakatha: फरीदाबाद में मस्ती की पार्टी

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

कोरोना लौकडाउन के बाद धंधेबाजों ने देह व्यापार के तरीके जरूर बदल दिए हैं, लेकिन उन का मकसद एक ही होता है, लड़कियों के साथ एंजौय करना. कोरोना वायरस का असर कम होते ही देह कारोबार के अड्डे आबाद होने लगे. लोगों का आवागमन शुरू हुआ नहीं कि सेक्स वर्कर लड़कियां, उन के दलाल और मानव तसकरी जैसे धंधे में लगे लोगों की सक्रियता बढ़ गई. दिल्ली से सटे फरीदाबाद में ऐसे मामलों की सूचना मिलते ही पुलिस बल ने भी मुस्तैदी दिखाते हुए देह के धंधेबाजों को धर दबोचा. मौके से महीने भर में दर्जनों लड़कियां भी पकड़ी गईं.

फरीदाबाद में नीलम बाटा रोड से करीब 8 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के रहने वाले 48 वर्षीय आलोक को उन के जन्मदिन के बारे मे खास दोस्त प्रदीप ने याद दिलाया. वे तो भूल ही गए थे कि 4 दिनों बाद उन का जन्मदिन आने वाला है. वह फरीदाबाद के बाटा की मार्किट एसोसिएशन के प्रेसिडेंट (प्रधान) हैं.

अपना रोज का काम निपटा कर 25 जुलाई, 2021 की रात को अपनी गाड़ी में घर की ओर निकले थे. कान में इयरबड्स लगाए म्यूजिक का आनंद ले रहे थे और गाड़ी भी ड्राइव कर रहे थे. तभी उन के कान में किसी के फोन की रिंग सुनाई दी. उन्होंने सामने रखे मोबाइल पर नजर डाली. काल उन के खास दोस्त प्रदीप की थी.

‘‘हैलो भाई, कैसा है तू? 2 हफ्ते हो गए, कोई खबर नहीं मिल रही है. कहां बिजी है आजकल?’’ आलोक शिकायती लहजे में बोले.

‘‘मैं ठीक हूं. बता तू कैसा है? और सुन लौकडाउन खत्म होने के बाद लगता है बिजी मैं नहीं तू हो गया है’’ प्रदीप भी उसी अंदाज में बोले.

‘‘बस कर यार! कुछ दिनों से मार्केट में काम थोड़ा बढ़ गया था, इसीलिए फोन करने का मौका नहीं मिला. तू बता घरपरिवार में बाकि सब कैसे हैं?’’ आलोक ने पूछा.

प्रदीप जवाब देते हुए बोले, ‘‘मैं बिलकुल ठीक हूं. घर पर भी सब ठीक है. तू ये बता कि 29 को क्या कर रहा है?’’

‘‘क्यों 29 को क्या है?’’ प्रदीप ने सस्पेंस के साथ कहा, ‘‘भाई, 29 को तेरा जन्मदिन है. भूल गया है क्या?’’

प्रदीप की बात सुन कर आलोक के दिमाग में अचानक बत्ती जल उठी. उसे अपने जन्मदिन की न केवल तारीख याद आ गई, बल्कि इस मौके पर दोस्तों के साथ मौजमस्ती की पुरानी यादें ताजा हो गईं.

बोला, ‘‘अरे हां! भाई सच कहूं तो अगर तू याद नहीं दिलाता तो मुझे याद ही नहीं था. पिछले साल भी कोरोना के चलते इस मौके पर कुछ ज्यादा नहीं कर पाया, लेकिन इस बार सारी कसर निकाल दूंगा. बड़ी पार्टी दूंगा, पार्टी.’’

प्रदीप और आलोक दोनों स्कूल के दिनों के दोस्त थे. वे काफी गहरे दोस्त थे. लेकिन शादी के बाद दोनों अपनीअपनी घरगृहस्थी में व्यस्त हो गए थे. हालांकि उन के बीच फोन पर बातें होती रहती थीं.

फिर भी जब कभी वे किसी विशेष मौके पर मिलते थे, तब एकदूसरे की खैरखबर लेने के साथसाथ खूब जम कर मस्ती करते थे. उस रोज भी दोनों ने फोन पर ही जन्मदिन सेलिब्रेशन के मौके को यादगार बनाने की योजना बना ली थी.

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बाटा टूल मार्केट में आलोक की तूती बोलती थी. हर दुकानदार के लिए वह बहुत ही खास और प्रिय थे. सभी उन की काफी इज्जत करते थे. मार्केट में यदि किसी को कोई भी औजार क्यों न खरीदना हो, प्रधान आलोक के रहते ही संभव हो पाता था.

इलाके के नेताओं से भी आलोक की अच्छी जानपहचान थी. एसोसिएशन का प्रधान होने की वजह से उन का अच्छा खासा पौलिटिकल कनेक्शन भी था.

अगले रोज 26 जुलाई को सुबह करीब 10 बाजे आलोक एसोसिएशन के औफिस पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले प्रदीप को फोन कर आने का समय पूछा. उस के बाद वे छोटेमोटे काम निपटाने लगे.

आधे घंटे में ही प्रदीप आ गया. आलोक ने उस की खातिरदारी चायनमकीन से की. उस के द्वारा जन्मदिन की बात छेड़ने पर कुछ अलग करने की भी योजना बताई.

‘‘रात भर में तूने कुछ और प्लानिंग कर ली क्या?’’ प्रदीप ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘हां यार, सोच रहा हूं इस बार की बर्थडे पार्टी यादगार हो, पहले के मुकाबले सब से अलग रहे.’’ आलोक बोले.

यह सुन कर प्रदीप चौंक गया. पूछा, ‘‘क्या मतलब? कैसी अलग होगी पार्टी, जरा मुझे भी तो बताओ’’

आलोक इत्मीनान से दबी आवाज में बोले, ‘‘यार सोच रहा हूं इस बार पार्टी में नाचगाने वाली कुछ लड़कियों को भी बुलाया जाए. उन से ही शराब की पैग सर्व करवाई जाए.’’

‘‘लड़कियां! क्या कह रहा है तू?’’ प्रदीप चौंकता हुआ बोला.

‘‘लड़कियों को बुलाने से पार्टी की रौनक और मजा ही कुछ और होगा. मैं ने प्लानिंग कर ली है. कोरोना के चलते जिंदगी के सारे मजे खत्म से हो गए थे.

इसलिए मैं ने सोचा है कि अपने सारे दोस्तों और जिन के साथ बिजनैस करता हूं सभी को इस पार्टी में इनवाइट करूं. इसी बहाने सब से मुलाकात भी हो जाएगी और इसी के साथ बिजनैस में हुए घाटे की भरपाई करने के लिए कुछ टाइम भी मिल जाएगा.’’

यह सुन कर प्रदीप के मन में मानो खुशी के बुलबुले फूटने लगे. वह आलोक से बोला, ‘‘अरे यार, मैं ने तो यह सोचा ही नहीं था. लेकिन पार्टी के लिए आएंगी कहां से? कोई जुगाड़ है?’’

प्रदीप के इस सवाल का जवाब आलोक ने बड़ी बेफिक्री के साथ दिया. भरे अंदाज में दिया और कहा, ‘‘अरे मैं ने सारी प्लानिंग अपने दिमाग में कर के रखी है. दिल्ली वाली निशा के बारे में याद नहीं है क्या तुझे? वही जिस के पास हम शादी के बाद अकसर जाते थे? अब वो लड़कियां सप्लाई करती है. दलाल बन गई है. अच्छी जानपहचान है उस से मेरी. मैं आज ही लड़कियों के लिए फोन कर के कह दूंगा.’’

आलोक और प्रदीप ने औफिस में घंटों बैठ कर 29 जुलाई के लिए प्लानिंग कर ली. नीलम बाटा रोड पर ऐसा कोई भी दुकानदार नहीं था, जो आलोक को नहीं जानता हो. इसी का फायदा उठाते हुए आलोक ने उसी रोड पर मौजूद ‘द अर्बन होटल’ के मालिक को फोन कर 28 और 29 जुलाई के लिए होटल बुक कर लिया.

होटल के मालिक की आलोक से अच्छी जानपहचान थी. होटल में कमरे समेत पार्टी के लिए बने खास किस्म के हौल की भी बुकिंग हो गई.

अब बारी थी खास दोस्तों के लिस्ट बनाने की, जिन्हें आलोक बुलाना चाहता था. लिस्ट बनाने में प्रदीप ने मदद की. सभी दोस्तों को फोन से 28 जुलाई के लिए मैसेज भी कर दिया. आलोक ने अपने जरुरी बिजनैस क्लाइंट्स को भी इस पार्टी में शामिल होने का न्यौता दे दिया. उस ने निशा को फोन कर के 15 लड़कियों को पार्टी में भेजने के लिए कहा. इस तैयारी के साथसाथ होटल मैनेजमेंट को ही कैटरिंग के इंतजाम की जिम्मेदारी दे दी.

प्रदीप के मन में अभी भी ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी. उस से रहा नहीं गया तो उस ने उस के कान के पास मुंह सटा कर कहा,‘‘इस का मोटा खर्चा तू अकेले कैसे उठाएगा?’

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आलोक मुसकराया, सिर्फ इतना ही कहा, ‘‘तू आगेआगे देखता जा मैं क्या करता हूं. इसी पार्टी से तुम्हारी झोली भी भर दूंगा.’’

‘‘वो कैसे?’’ प्रदीप बोला.

‘‘मैं ने कमरे यूं ही नहीं बुक करवाए हैं? तुम सिर्फ मेरे इशारे पर नजर रखना.’’ आलोक ने बताया.

इस तरह से 28 जुलाई की शाम भी आ गई. जन्मदिन की पूर्व संध्या पर मेहमानों के लिए विशेष आयोजन किया गया था. पार्टी का इंतजाम था, जो आधी रात तक चलना था.

रात के 12 बजे के बाद आलोक ने जन्मदिन का केक काटने का इंतजाम किया था. आमंत्रित मेहमान धीरेधीरे कर हौल के किनारे लगे सोफों पर आ गए. सभी पूरी तैयारी के साथ आए थे, उन के चेहरे पर मास्क जरूर लगे थे, लेकिन वे पहचाने जा रहे थे.

आलोक और प्रदीप दोस्तों से मिलने में व्यस्त हो गए. वे अच्छे सजावटी कपड़े में एकदम अलग दिख रहे थे. वे कभी रिसैप्शन पर जाते तो कभी हौल में आमंत्रित दोस्तों से बातें करने लगते. दूसरी तरफ प्रदीप उन के बताए इशारे पर अपना काम करने में लगा हुआ था.

हौल में जगहजगह गोल टेबल और कुरसियां लगी थीं. दीवारों को तरहतरह के सजावटी फूलों, सामानों से सजाया गया था. मध्यम रोशनी माहौल को खुशनुमा बनाने के लिए काफी था. देखते ही देखते रात के 8 बज गए.

तभी एक काल को देख कर आलोक हौल के एक कोने में चले गए. काल निशा की थी. उस ने बताया कि उस की भेजी सभी लड़कियां 2 गाडि़यों में 5 मिनट के भीतर पहुंचने वाली हैं.

आलोक ने निशा को कहा कि वे लड़कियों को पीछे के दरवाजे से आने के लिए बोले. तुरंत वे रिसैप्शन पर गए. होटल के मैनेजर से इशारे में बात की और उन के साथ प्रदीप को लगा दिया. थोडी देर में प्रदीप ने आलोक को आ कर बताया कि उस ने सभी लड़कियों को उन के कमरे में ठहरा दिया है.

उस ने वहां के इंतजाम के बारे में जानकारी देने के साथसाथ आलोक को बैग दिखाया. ‘थम्स अप’ करता हुआ जाने लगा. आलोक ने टोका, ‘‘उधर नहीं, गाड़ी के पार्क में जा. बैग वहीं गाड़ी में छोड़ कर आना.’’

निशा ने अपने साथ ले कर आई सभी लड़कियों को कुछ खास हिदायतें दीं. उन्हें उन के कमरे में भेज कर मेकअप आदि कर तैयार होने को कह दिया.

कब किसे हौल में आना है और किसे किस कमरे में ठहरना है. इस बारे में निशा ने लड़कियों को अलगअलग समझाया. उन्हें लोगों के साथ शालीनता के साथ पेश आने को भी कहा.

साढ़े 9 बजे के आसपास हौल का माहौल और भी रंगीन हो चुका था. कुछ लड़कियां हौल में आ चुकी थीं. अतिथियों में कोई भी महिला नहीं थीं.

लड़कियों को देखते ही बड़ेबड़े स्पीकर पर तेज और पार्टी वाले गाने बजने के साथ सीटियों की आवाजें भी सुनाई देने लगीं. हर टेबल पर शराब परोसने की शुरुआत हुई. कुछ लोग नशे में डांसिंग प्लेटफार्म की ओर बढ़ गए.

जल्द ही लड़कियों को जिस काम के लिए बुलाया गया था, वे काम में लग गईं. नशे में चूर अतिथियों ने जिस किसी लड़की को अपनी ओर खींचना चाहा उस ने जरा भी विरोध नहीं किया.

पसंद की लड़की का हाथ पकड़ा. जेब से 2000 वाले गुलाबी नोट निकाले और उस के लोकट कपड़े में डाल दिए.

लड़की झट से नोट निकालती, अंगुलियों में दबाती और सीढि़यों की ओर बढ़ जाती. पीछे से अतिथि महोदय झूमतेमटकते रह जाते. लड़की सीढि़यों पर बैठी निशा को अंगुलियों में फंसे नोट थमाती और अतिथि के साथ होटल के कमरे की ओर बढ़ जाती.

इस दृश्य से इतना तो साफ हो गया था कि जन्मदिन के बहाने से बुलाए गए अतिथियों का स्वागत लड़कियों के साथ यौन संतुष्टि से किया जा रहा था. इस मौके के इंतजार में न केवल ग्राहक बने अतिथि थे, बल्कि वे लड़कियां भी थीं, जिन का धंधा पिछले कुछ समय से मंदा पड़ गया था.

इस पूरी पार्टी में आलोक और प्रदीप दोनों कहां गायब हो गए थे किसी को भी कोई खबर नहीं थी.

संभवत: दोनों ने अपनी पसंद की लड़की के साथ अलगअगल कमरे में खुद को बंद कर लिया हो. यानी देह व्यापार का धंधा पूरे शबाब पर था.

इस की भनक फरीदाबाद में पुलिस को भी लग गई. अनलौक के नियमों के उल्लंघन करने वालों पर नजर रखने के लिए कोतवाली पुलिस स्टेशन द्वारा फैलाए गए मुखबिरों ने इस की सूचना अधिकारियों तक पहुंचा दी थी. रात के करीब एक बजे अश्लील पार्टी के बारे में जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने एसीपी रमेशचंद्र को सूचना दे कर बिना किसी देरी के जल्द से जल्द होटल में रेड मारने की तैयारी कर दी. सभी आरोपियों को रंगे हाथों पकड़ने के लिए थाने में एक टीम का गठन किया.

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जल्द से जल्द प्लान के मुताबिक टीम बिना सादा कपड़ों में होटल के बाहर पहुंची. होटल के बाहर से ही तेज गानों की आवाज आ रही थी.

प्लानिंग के मुताबिक थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने हैडकांस्टेबल मनोज के साथ एक और कांस्टेबल को सादे कपड़ों में होटल के अंदर जाने को कहा. उन के अंदर जाने से पहले राठी ने अपनी जेब से 2000 का नोट निकाला और नोट के एक किनारे पर छोटे अक्षरों में अपने हस्ताक्षर कर के उन्हें दिया.

यह सारा काम प्लान के अनुसार ही था. वे दोनों पुलिस कर्मचारी बिना किसी झिझक के होटल के अंदर पहुंचे.होटल के रिसेप्शन पर बैठे व्यक्ति को उन पर किसी तरह का शक नहीं हुआ. वे दोनों सीधे होटल के हौल में जा पहुंचे.

सीढि़यों से उतरते हुए उन्होंने एक युवती को सीढि़यों के पास बैठे देखा. बाद में पता चला कि वह निशा थी. वह भी उस की बगल से एक खाली टेबल और कुरसियों पर जा कर बैठ गए. उस समय हौल में बहुत कम लोग थे.

हर टेबल पर शराब के ग्लास थे. प्लेटों में स्नैक्स बिखरे पडे़ थे. हौल के एक किनारे पर 2-4 लड़कियां आपस में बातें कर रही थीं, कुछ लोग डीजे पर बजते हुए गाने पर डांस कर रहे थे.

थोड़ी देर बाद हैडकांस्टेबल मनोज ने प्लान के अनुसार साइन किया हुआ 2000 का नोट हवा में लहराया तो लड़कियों के झुंड में से एक लड़की पैसे लेने के लिए उन के टेबल पर पहुंच गई.

मनोज ने इशारे से लड़की को कमरे में ले जाने का इशारा किया. लड़की ने भी इशारे से उन्हें रुकने को कहा और निशा के पास चली गई. साइन किया हुआ नोट उस ने निशा के हाथों में थमा दिया, फिर लड़की ने मनोज को वहीं से आने का इशारा किया.

हेड कांस्टेबल ने कान में लगे ब्लूटूथ संचालित बड्स और बटन में छिपे मोबाइल माइक को औन कर दिया. उस के औन होते ही बाहर खड़ी पुलिस फोर्स को सूचना मिल गई. देखते ही देखते हेड कांस्टेबल के लड़की के साथ कमरे तक पहुंचने से पहले ही पुलिस की छापेमारी शुरू हो गई.

थानाप्रभारी अर्जुन राठी ने होटल में रेड के दौरान सब से पहले हौल में बजने वाले तेज गानों को बंद करवाया और वहां मौजूद सभी लोगों को हिरासत में ले लिया. उसी दौरान होटल के कमरों से कई लड़कियां और अतिथि अर्धनग्नावस्था में दबोच लिए गए.

रात के 12 बजे तक चली छापेमारी की इस काररवाई में करीब 4 दरजन लोगों को हिरासत में लिया गया.

उन्हें 7 जिप्सियों में भर कर थाने लाया गया. उन से पूछताछ में ही खुलासा हुआ कि यह सैक्स रैकेट एक पार्टी में शमिल होने के नाम पर चलाया गया था.

इस में होटल के मालिक की भी मिलीभगत थी. पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस की रेड की बात जब तक आलोक तक पहुंची तब तक काफी देर हो चुकी थी. उसे भी एक कमरे से एक लड़की के साथ पकड़ लिया गया. उसे कमरे का दरवाजा तोड़ कर बाहर निकाला गया था. प्रदीप भी उस के बगल वाले कमरे से पकड़ा गया.

पुलिस सभी आरोपियों को थाने ले गई. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह होटल में कमेटी के ड्रा का आयोजन कर रहे थे. सभी से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

इस के अलावा कोतवाली पुलिस ने 2 अगस्त को क्षेत्र के ही श्री बालाजी होटल में दबिश दे कर 13 लड़कियों सहित 37 लोगों को गिरफ्तार किया. यहां की गेट टुगेदर पार्टी के बहाने एंजौय का कार्यक्रम था.

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