नीति आयोग की रैकिंग में यूपी के 7 जिले टॉप 10 में शामिल

नीति आयोग ने जुलाई-अगस्त 2021 के सर्वे के आधार पर देश के अतिपिछड़े 112 जिलों की डेल्टा रैंकिंग जारी कर दी है. नीति आयोग की तरफ से जारी जुलाई- अगस्त 2021 डेल्टा रिपोर्ट में देश के आकांक्षात्मक जनपदों की सूची में प्रदेश के 8 जनपदों में से 7 जनपदों ने टॉप 10 में स्थान बनाया है. यह जनपद सिद्धार्थनगर, बहराइच, सोनभद्र, श्रावस्ती, फतेहपुर, चित्रकूट, चंदौली है.

फतेहपुर ने नीति आयोग के निर्धारित मानकों पर कार्य करते हुए पूरे देश में विकास के क्षेत्र में दूसरा स्थान हासिल किया है. वहीं तीसरे स्थान पर सिद्धार्थनगर, चौथे पर सोनभद्र, पांचवें पर चित्रकूट, सातवें पर बहराइच, आठवें पर श्रावस्ती और नौवें पर चंदौली ने स्थान बनाया है.

उत्तर प्रदेश के आठ आकांक्षात्मक जिलों में चित्रकूट और चित्रकूट ने नीति आयोग के मानकों पर उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है. आयोग ने इन जिलों को विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट आवंटित किया है. नीति आयोग की ओवरआल डेल्टा रैंकिग में चित्रकूट ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण सहित अनेक मानकों पर देश में पांचवा स्थान हासिल किया है.

डेल्टा रैंकिंग द्वारा छह विकासात्मक क्षेत्र स्वास्थ्य और पोषण, शिक्षा, कृषि और जल संसाधन, वित्तीय समावेश, कौशल विकास और बुनियादी ढांचा विकास हैं, जिन्हें रैंकिंग के लिए ध्यान में रखा गया. आकांक्षी जिलों की रैंकिंग हर महीने जारी की जाती है. आकांक्षी जिला कार्यक्रम जनवरी 2018 में शुरू किया गया. इसका उद्देश्य उन जिलों को आगे बढ़ाना है जिनमें महत्वपूर्ण सामाजिक क्षेत्रों में कम प्रगति देखी गई है और कम विकसित इलाके के तौर पर सामने आये हैं.

गांव-गांव युवाओं का संबल बनी ग्राम स्वरोजगार योजना

राज्य सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने के लिए बड़े प्रयास कर रही है. खाद्य प्रसंस्करण की योजनाएं गांव-गांव में बदलाव ला रही हैं. युवा खुद का स्वरोजगार तो स्थापित कर ही रहे हैं साथ में दूसरों को भी रोजगार दे रहे हैं.

महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसकी बड़ी मिसाल बनी है. इस योजना का लाभ लेकर गांव के किसान और युवा, उद्यमी बनने के साथ आर्थिक रूप से समृद्ध हो रहे हैं.

सरकार की प्राथमिकता गांवों में स्वरोजगार के इच्छुक युवाओं को प्रशिक्षण देकर उनको आत्मनिर्भर बनाने की है. जिससे युवाओं को आर्थिक लाभ होने के साथ गांव का विकास भी संभव हो सके. महात्मा गांधी खाद्य प्रसंस्करण ग्राम स्वरोजगार योजना इसमें बड़ी सहायक बनी है.

पंचायत स्तर पर युवाओं को 03 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण जागरूकता शिविर से जोड़ा जा रहा है. योजना से जुड़े युवाओं को 01 महीने का उद्यमिता विकास प्रशिक्षण दिया जा रहा है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद किसान और युवा फल-सब्जी, मसाला, दुग्ध, अनाज प्रसंस्करण की इकाईयां स्थापित कर रहे हैं. खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवा गांव के बेरोजगार युवकों को भी अपने यहां रोजगार दे रहे हैं.

योजना के तहत खाद्य प्रसंस्करण की इकाई स्थापित करने वाले युवाओं को मशीन या उपकरण की लागत का अधिकतम 50 प्रतिशत और 01 लाख रुपये का अनुदान भी दिया जा रहा है. जिससे गांव के किसान और युवाओं को संबल मिला है और वे स्वयं का रोजगार स्थापित करने में सफल हो रहे हैं.

जानकारी: जब होटल रेड में पकड़े जाएं

यह उन दोनों के लिए वैलेंटाइन डे का खास दिन है. यह दिन उन्होंने अपने जवान जज्बातों की प्यास बुझाने के लिए चुना था. वे पूरी तरह से एकदूसरे के जिस्म में खो जाना चाहते थे. घर से दूर किसी होटल में ठहरना उन के लिए सुरक्षित था, इसलिए वे इस होटल में आए थे.

वे दोनों होटल के कमरे में घुसते हैं. लड़का लाइट जलाता है. यह पहली बार है, जब उन दोनों को इतना एकांत मिला है, जहां समाज की तिरछी निगाहें उन्हें नोटिस नहीं कर सकतीं.

वे दोनों एकदूसरे के करीब बढ़ते हैं. शुरुआत घबरा कर छूने से होती है, फिर धीरेधीरे चुंबन और फिर गले लगते हुए बिस्तर में वे एकदूसरे से लिपट जाते हैं, फिर उन की सिसकियां उन्हें और भी मदहोश करती हैं और वे एकदूसरे में पूरी गहराई से डूब जाते हैं.

तभी दरवाजे से गुस्सैल आवाज आती है, ‘‘क्या पंचायत चल रही है यहां… दरवाजा खोलो…’’ यह आवाज और भी कड़क होती जाती है, ‘‘खोलो दरवाजा… खोलो… तोड़ दो दरवाजा…’’

लड़का घबरा कर झट से उठता है. वह अपने कपड़े ढूंढ़ता है, लड़की सहमी सी एक चादर को अपने बदन पर ओढ़ लेती है.

वे दोनों संभल पाते, इस से पहले दरवाजा टूटता है और 4 पुलिस वाले कमरे के भीतर घुस जाते हैं.

‘‘क्या भसड़ मचा रखी है यहां, पूरा बाजार बना दिया है…’’ एक पुलिस वाला गुस्से से कहता है.

महिला कांस्टेबल झट से लड़की के बाल पकड़ लेती है और सीनियर पुलिस वीडियो बनाने लगता है.

‘‘नाम बोल… नाम…’’ इंस्पैक्टर लड़की पर जोर से चिल्लाता है.

लड़की डरीसहमी चुप रहती है. इतने में महिला कांस्टेबल उस के बाल जोर से खींच कर नाम बताने को कहती है.

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‘‘देवी…’’ लड़की आखिरकार अपना नाम कहती है.

‘‘तो देवी, तुम्हारी जिंदगी तो अब कंडम हो गई… कहां से आई है? मड़वाड़ी से या नेपाल से?’’

‘‘नहीं सर, आप गलत समझ रहे हैं…’’ देवी कहती है और रोने लगती है. उसे लगने लगा है कि अब सिर्फ बदनामी उस के आगे खड़ी है.

इस के आगे बताने की जरूरत नहीं कि पुलिस ने देवी और उस के परिवार को किस तरह ब्लैकमेल किया होगा.

साल 2015 में डायरैक्टर नीरज घेवाण की फिल्म ‘मसान’ में यह सारा घटनाक्रम शुरुआती 7 मिनट में घटता है. फिल्म कुछकुछ हकीकत के नजदीक दिखाई देती है.

आज के दौर में सभी अनब्याहे जोड़े अपनेअपने पार्टनर के साथ एकांत में समय बिताना चाहते हैं. इस के लिए उन्हें होटल ऐसी बेहतर जगह दिखाई देती है, जहां कोई पहचान का न हो और प्राइवेसी भी मिल जाए, पर वे इसे रिस्की भी मानते हैं. इस की वजह है पुलिस की जबतब पड़ने वाली रेड और इस से होने वाली बदनामी.

ऐसे जोड़े इस बात को ले कर काफी डरे रहते हैं कि होटल में ठहरने के दौरान अगर वहां पुलिस आ धमकती है तो वे क्या करेंगे? वे कैसे इस मामले से निबटेंगे? अगर बात घरपरिवार तक चली गई तो क्या होगा या वे पुलिस द्वारा ब्लैकमेल का शिकार तो नहीं हो जाएंगे?

खबरों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं, जहां कुंआरे जोड़े पुलिस रेड के दौरान पकड़े जाते हैं और फिर किन्हीं दिक्कतों के चलते उन्हें थाने में लंबा समय बिताना पड़ जाता है. इस दौरान जिन चीजों से बचने के लिए वे होटल आए थे, वे चीजें सामने मुसीबत की तरह आ खड़ी होती हैं यानी बात घर तक पहुंच ही जाती है.

30 अगस्त को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में भगवतीगंज शहर के एक होटल में पुलिस ने छापेमारी कर 3 कुंआरे जोड़ों को पकड़ा था. उन जोड़ों का जुर्म था कि वे अपने लिए थोड़ी प्राइवेसी चाहते थे. पुलिस उन्हें पकड़ कर थाने ले गई. पूछताछ के बाद लड़कियों को हिदायत दे कर उन के परिवार वालों के सुपुर्द कर लड़कों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर दी गई.

इसी तरह इस साल फरवरी महीने में आगरा के होटल एआर पैलेस में 9 प्रेमी जोड़ों को पुलिस ने रेड के दौरान पकड़ा. उन में कुछ छात्राएं थीं, जो अपने प्रेमियों के साथ होटल आई थीं. इन का भी यही गुनाह था कि वे अपने प्रेमियों के साथ समय बिताने आई थीं, खुल कर कहें तो सैक्स करने आई थीं. उन लड़कियों के भी परिवार वालों को थाने बुलाया गया और फिर उन के सुपुर्द किया गया.

पकड़े जाने वाले इन ज्यादातर मामलों में जो सब से बड़ी दिक्कत होती है वह यह कि ऐसे जोड़े अपनी पहचान छिपा कर या पहचान नहीं बता कर कमरा लेते हैं. बहुत से बिना रजिस्टर्ड वाले होटलों में कमरे किराए पर लेते हैं, जिस वजह से उन्हें पुलिस स्टेशन जाने की नौबत आ जाती है या धरपकड़ में वे भी धरे जाते हैं.

भारत में शादी से पहले सैक्स करना एक तरह का पाप माना जाता है. शादी से पहले सैक्स करना घर, समाज, शासन और प्रशासन के लिए इतनी बड़ी बात बन जाती है कि इस का पता चलते ही सब की जिंदगी में मानो भूचाल आ जाता है. समाज से ले कर पुलिस प्रशासन तक इसे अनैतिक मानता है, जिस का खमियाजा प्रेमी जोड़ों को भुगतना पड़ जाता है.

हालांकि, पिछले कुछ दशकों से भारत एक देश और एक समाज के रूप में तेजी से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है, पर एक बात जो अभी भी जस की तस है वह यह कि प्यार में क्या करें व क्या न करें वाले सवाल अभी भी समाज के तथाकथित रखवालों द्वारा बनाई गई सीमाओं में ही बंधे हुए हैं.

ये वे सीमाएं हैं, जो हम ने सदियों से बनाई हैं. हाथ में हाथ डाल कर चलने वाले प्रेमी जोड़े या पार्कों में दिखने वाले जोड़े सोसाइटी को बेहद ही असहज दिखाई देते हैं. वहीं प्राइवेसी की तलाश करने के लिए अगर कोई प्रेमी जोड़ा कुछ घंटों के लिए होटल का कमरा बुक करता है, तो उसे हिकारत से देखा जाता है.

यहां तक कि सरकारी मशीनरी, जिसे इन मौकों पर समझदारी से काम लेने की जरूरत है, वह भी इन का शोषण करने वालों में शामिल होती है. यहां तक कि यह सारी सिचुएशन एक जोड़े को एहसास दिलाती है कि समाज के नजरिए से एक कुंआरे जोड़े का साथ रहना या कहीं पकड़े जाना बेहद गलत और अनैतिक है.

आज हम ऐसे जोड़ों के लिए एक बेहद जरूरी जानकारी ले कर आए हैं, जो अपने पार्टनर के साथ होटलों में जाने की इच्छा तो रखते हैं, पर वहां जाने से कतराते हैं.

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पहली बात, कुंआरे जोड़ों द्वारा कमरा किराए पर लेना भारत में अपराध नहीं है. साल 2019 के दिसंबर महीने में मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि होटल के कमरे में रहने वाले कुंआरे जोड़े को अपराधी नहीं माना जाएगा. हाईकोर्ट ने इसे इस बात के संदर्भ में देखा कि 2 बालिगों के लिवइन रिलेशनशिप को अपराध नहीं माना जाता है तो ऐसे में होटल में रूम शेयर करने को कैसे अपराध माना जा सकता है?

यह फैसला कोयंबटूर के एक होटल को सील किए जाने के बाद आया था, जब एक कुंआरे जोड़े को उसी के एक कमरे में पाया गया था.

इस का मतलब यह है कि पुलिस के पास होटल जैसी निजी संपत्ति पर छापा मारने का अधिकार तो है, पर उन के पास एक कुंआरे जोड़े को इस आधार पर गिरफ्तार करने का हक नहीं है.

सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग का कहना है कि कुंआरे जोड़े को एकसाथ होटल में रहने और आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाने का मौलिक अधिकार है. हालांकि इस के लिए दोनों का बालिग होना जरूरी है.

इस बारे में सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकार से अपनी मरजी से किसी के साथ रहने और शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार आता है. इस के लिए शादी के बंधन में बंधना जरूरी नहीं है.

इस का एक मतलब यह हुआ कि अगर कोई बालिग जोड़ा बिना शादी किए होटल में एकसाथ रहता है, तो यह अपराध में नहीं आता.

एडवोकेट विनय कुमार गर्ग का कहना है कि होटल में ठहरने के दौरान कुंआरे जोड़े को अगर पुलिस परेशान या गिरफ्तार करती है, तो पुलिस की इस कार्यवाही के खिलाफ ऐसा जोड़ा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट जा सकता है.

आमतौर पर पुलिस ऐसे मामलों में होटल में देह धंधे के शक के चलते रेड करती है. चूंकि भारत में देह धंधा अपराध है, तो यह करना पड़ता है. पर ऐसे में अगर पुलिस किसी कुंआरे जोड़े के कमरे में आती है तो ऐसे हालात में वे अपने साथ आईडी प्रूफ जरूर रखें, ताकि पहचान हो सके और नौबत पुलिस स्टेशन जाने की न आ जाए.

घबराए नहीं, क्योंकि आप कोई जुर्म नहीं कर रहे हैं. पुलिस अगर होटल में रेड मारती है तो उसे अपना काम करने दें, क्योंकि उन पर अपराधियों को पकड़ने की जिम्मेदारी होती है. पर उस के बावजूद भी अगर पुलिस ब्लैकमेल करती हो तो बेहिचक संबंधित पुलिस वाले के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.

होटल में रूम लेने से पहले सारी सावधानियां बरतें. कानूनी तरीके से या होटल के नियमों के हिसाब से होटल  में जाएं.

होटल रूम ऐसे बुक करें

भारत में कुंआरे जोड़ों के लिए ऐसे कई होटल हैं, जो बिना किसी परेशानी के उन्हें कमरे किराए पर देते हैं. आजकल औनलाइन होटल बुकिंग के कई सेफ तरीके आ चुके हैं. होटल के खुद के पोर्टलों से होटल बुकिंग आसान हो गई है. जब आप औनलाइन होटल का कमरा बुक करते हैं, तो प्रीबुक औप्शन चुन सकते हैं. ये पोर्टल आप को बिना असहज सवालों के बुकिंग एक्सैप्ट कर लेता है.

होटल बुक करने से पहले उस नीतियों को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि कुछ होटल कुंआरे जोड़ों को कमरा बुक करने की इजाजत नहीं देते हैं. यह आप को होटल का चयन करते समय सतर्क रहने में मदद करेगा.

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घबराएं नहीं. खुद पर यकीन रखें. आप कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं. होटल का कमरा बुक करते समय डरें नहीं.

अपना आईडी कार्ड अपने साथ रखें. आप से चैकइन के समय केवल एक वैलिड सरकारी आईडी कार्ड होटल के मुलाजिम द्वारा मांगी जाती है. मुमकिन है कि वे लोग आईडी की स्कैन की हुई कौपी अपने पास रखेंगे और आप को ओरिजिनल डौक्युमैंट वापस कर देंगे.

ऐसा कोई कानून नहीं है, जिस में कहा गया हो कि कुंआरे जोड़े होटल का कमरा बुक नहीं कर सकते हैं. पर आप और आप के साथी की उम्र 18 साल से कम है, तो आप भारत में होटल का कमरा बुक नहीं कर सकते हैं.

हेल्थ: 21वीं सदी का बड़ा मुद्दा है बढ़ता बांझपन

चाहे तनाव हो, मोटापा हो, वायु प्रदूषण हो या देर से शादी होना, कुछ भी वजह हो, पिछले तकरीबन 50 सालों में मर्दों के शुक्राणुओं की तादाद में 50 फीसदी तक की कमी पाई गई है. इस में बेऔलाद जोड़ों के लिए स्पर्म डोनेशन का एक नया रास्ता तैयार हुआ है.

‘चाहिए 6 फुट लंबा, गोरा, गुड लुकिंग, अच्छे परिवार से, अच्छा पढ़ालिखा, आईआईटी/एमबीए, विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ा, सेहतमंद व आकर्षक होना चाहिए…’

आप को यह एक शादी का इश्तिहार लगा होगा, लेकिन यह इस से हट कर स्पर्म डोनर यानी शुक्राणु दान करने वाले की खोज के लिए है. बेऔलाद जोड़े इस सूटेबल स्पर्म के लिए कुछ भी कीमत देने को तैयार रहते हैं.

‘‘अस्पताल में आने वाले तकरीबन  40 फीसदी जोड़ों की स्पर्म डोनर से ऐसी ही मांग होती है, जबकि कुछ की कुछ खास मांगें भी होती हैं जैसे स्पर्म लंबे आदमी का होना चाहिए, क्योंकि वह जोड़ा चाहता है कि उस के बच्चे की लंबाई अमिताभ बच्चन जैसी होनी चाहिए.

‘‘कुछ जोड़े आईआईटी पास का स्पर्म चाहते हैं, क्योंकि वे अपने परिवार में एक आइंस्टाइन चाहते हैं, जबकि नवजात के गुण उस के मातापिता के मिलेजुले रूप से होते हैं, जो बाद में विकसित होते हैं,’’ यह कहना है डाक्टर अमिता शाह का, जो एक नामचीन आईवीएफ विशेषज्ञ हैं और कोलंबिया एशिया अस्पताल में प्रैक्टिस करती हैं.

ज्यादातर लोगों के दिमाग में यह घुसा हुआ है कि स्पर्म दान करना बहुत ही शर्मनाक बात है, लेकिन अब लोग धीरेधीरे इसे स्वीकार कर रहे हैं. बड़े कारोबारी, जो अपनी लक्जरी कार में स्पर्म दान के लिए आते हैं, के अलावा स्कूल व कालेज जाने वाले लड़के भी क्लिनिकों के हस्तमैथुन कमरे में अपनी मर्दानगी आजमाने आते हैं.

इंडियन काउंसिल औफ मैडिकल साइंस के नियमों के तहत स्पर्म दान करने वाले की उम्र 21 साल से 45 साल की उम्र के बीच की होनी चाहिए, इस के बावजूद बहुत से टीनेजर भी स्पर्म दान करते हैं. यहां केवल पैसा ही आकर्षण का केंद्र नहीं है, बल्कि स्कूली लड़के एक क्लिनिक के दान कक्ष में अपना सैक्स का जोश शांत करने के लिए भी जाते हैं, क्योंकि ज्यादातर फर्टिलिटी क्लिनिकों का लुक काफी जबरदस्त होता है.

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नोएडा के मैक्स सैंटर ने तो मौडल क्लाडिया शिफर की मादक तसवीर लगाई हुई है, जिस से स्पर्म दान बढ़े. और भी बहुत से लोकल क्लिनिक हैं, जिन्होंने दान कक्ष को अच्छे से सजाया हुआ है. उदाहरण के तौर पर मयूर विहार, दिल्ली का ठकराल क्लिनिक है, जिस की दीवारों पर खूबसूरत महिलाओं की उत्तेजक तसवीरें लगी हैं और वे अपनी हथेलियों से अपने उभार दबा रही हैं. एक बार दान कक्ष में जाने के बाद आप खुद को नहीं रोक सकते.

ऐसा दान कक्ष छोटा व आरामदायक होता है. एक क्लिनिक के कमरे की दीवार पर लगे शीशे में नीली, गुलाबी बिकिनी पहने, चीनी मिट्टी से बनी मौडल मूर्तियां रखी थीं. इस के चारों तरफ की तसवीरों में भी औरतें नाममात्र के कपड़ों में थीं. कमरे के एक तरफ फोम के गद्दे वाला आरामदायक बिस्तर लगा था.

इस के पास की एक मेज पर एक विदेशी मैगजीन का ताजा अंक रखा हुआ था, बिकिनी विशेषांक था. दान करने वाले को जोश में लाने के लिए टैलीविजन व डीवीडी भी थीं, जिन पर उत्तेजक वीडियो देखी जा सकती थीं.

मैक्स सैंटर के एक मुलाजिम ने बताया कि आमतौर पर एक डोनर कक्ष में 5-15 मिनट का समय लेता है, पर हमेशा ऐसा नहीं होता कि एक परफैक्ट हैल्दी स्पर्म डोनर का वीर्य लिया ही जाए, क्योंकि अच्छी क्वालिटी के मानकों पर खरा उतरने के बाद ही उस के वीर्य को स्वीकार किया जाता है.

अभी हाल ही में एक औनलाइन इश्तिहार में चेन्नई के एक जोड़े ने साफतौर पर एक आईआईटी पास व खूबसूरत नौजवान के स्पर्म की मांग की थी, जिस के लिए वे लोग 50,000 रुपए प्रति मिलीलिटर तक देने को तैयार थे. उन की इस मांग ने इसे बहस का मुद्दा बना दिया है कि क्या सच में स्पर्म से नवजात का व्यवसाय और सामाजिक जिंदगी में जगह तय हो जाती है?

माहिरों का कहना है कि ऐसा बिलकुल नहीं है. ऐसा अनुरोध करना केवल हास्यास्पद है. लेकिन जोड़े ऐसा करते हैं, क्योंकि वे एक बेहतर वंशावली चाहते हैं.

कौंवैंट स्कूल से पढ़े दानदाताओं की सब से ज्यादा मांग है, क्योंकि आम सोच होती है कि दानकर्ता अच्छे समाज से है और वह वीर्य दान केवल पैसा कमाने के लिए नहीं करेगा.

मुंबई के डाक्टर अनीरधा मालपानी का कहना है कि यह केवल एक भरम है कि ऐसे दाताओं को सामान्य से ज्यादा मिलता है. कुछ क्लिनिकों व अस्पतालों का आरोप है कि हमारे 1,500-2,000 रुपए के भुगतान के अलावा भी जोड़े निजी तौर पर भी भुगतान करते हैं. कुछ जोड़े अपनी पेशकश औनलाइन पेश कर देते हैं.

मौलाना आजाद मैडिकल कालेज के छात्र रह चुके बालकृष्ण अय्यर ने बताया, ‘‘मैं ने छात्र जीवन में ही अपने स्पर्म दान किए थे. मैं हमेशा दूसरों की मदद करना चाहता था. मैं ने नागपुर के एक जोड़े को अपने स्पर्म दान किए थे. वे सरकारी महकमे में ऊंचे पद पर थे.

‘‘वे लोगों की नजरों में नहीं आना चाहते थे. मैं ने उन का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया. उन्होंने मेरा हवाई यात्रा का खर्चा भी उठाया और शहर के अच्छे थ्रीस्टार होटल का भी सारा खर्चा उठाया, क्योंकि इस सब में मु?ो एक हफ्ता लग गया था.

‘‘मु?ो स्पर्म दान करने के बदले 35,000 रुपए भी मिले थे. आज वह जोड़ा आगरा में 2 बच्चों के साथ रहता है. मु?ो खुशी है कि मेरा स्पर्म किसी के काम आया.’’

इस सामाजिक काम को करने के लिए बालकृष्ण अय्यर जैसे कई लोग हैं, जिन्होंने ऐसा इंटरनैट के जरीए किया है. वैसे तो स्पर्म दाताओं में 56 फीसदी शहरी होते हैं, पर अब गांवदेहात से भी ऐसे लोग आगे बढ़ने लगे हैं.

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लेकिन यह माध्यम कितना सुरक्षित है, इस पर सवालिया निशान लगा है. नकली सीमन एक बड़ा जुआ है, जिस के बारे में जोड़ों को ठीक से जागरूक होना चाहिए. इस के बारे में जोड़ों को जानकारी देने के लिए बहुत से पेशेवर संस्थान भी हैं. वे जोड़ों को सेहतमंद स्पर्म मुहैया कराते हैं व खतरा घटाते हैं.

लेकिन अभी भी 10 फीसदी बेऔलाद जोड़े ऐसे हैं, जो क्लिनिक में आने से शरमाते हैं. वे पारिवारिक डाक्टर के पास जाना पसंद करते हैं, जो प्रक्रिया को सुपरवाइज करता है. इस तरह के केसों में डाक्टरी जांच अधूरी होती है, जिस से डर बना रहता है.

डाक्टर कहते हैं कि यह अच्छी बात नहीं है, क्योंकि ज्यादातर जोड़े पढ़ेलिखे हैं और इस के लिए वे बहुतकुछ देते हैं. पर पिछले दशक से अब तक स्पर्म दाताओं के नजरिए में बहुत से बदलाव आ गए हैं, फिर भी लोगों की सोच में बहुत सी भ्रांतियां हैं.

2 दशक पहले जब हम ने मुंबई में पहला स्पर्म बैंक शुरू किया था, तो हम से पूछा जाता था कि हम सार्वजनिक रूप से इस शब्द का इस्तेमाल कैसे करेंगे. उस समय डोनर पाना भी मुश्किल था, क्योंकि 25 साल पहले मर्दों का कहना था कि वे सड़क पर अपने जैसों को घूमता नहीं देखना चाहते, पर आज हमारे क्लिनिक में रोजाना 8-9 डोनर खुद आते रहते हैं.

भारत की जानीमानी डाक्टर अंजलि मालपानी कहती हैं कि यह अलग बात है कि इन दानदाताओं में से 70 फीसदी को रिजैक्ट कर दिया जाता है, क्योंकि नियम बहुत सख्त हैं. हर हफ्ते क्लिनिक 500 शीशी सेहतमंद स्पर्म इकट्ठा करता है. हमें मुलुंड, नवी मुंबई व पश्चिमी उपनगर से भी काफी तादाद में नौजवान विद्यार्थी मिलते हैं, जो मामूली पैसों पर उपलब्ध हैं, लेकिन हम आईसीएमआर के शुक्रगुजार हैं कि उस ने डोनर के लिए निश्चित उम्र व मानक तय कर दिए हैं.

दिल्ली के डाक्टर अनूप गुप्ता मानते हैं कि हर फर्टिलिटी क्लिनिक में  रोजाना स्पर्म डोनेशन के लिए 10-15 फोन आते हैं.

दक्षिण दिल्ली की थापर डायग्नोस्टिक लैब के डायरैक्टर सुनील थापर कहते हैं कि उन्हें स्कूली बच्चों से लगातार ईमेल रिक्वैस्ट मिलती रहती हैं. वे लिखते हैं कि स्पर्म दान के लिए वे पूरी तरह फिट हैं. पैसे के अलावा सैक्स के जोश के चलते भी वे अपना स्पर्म दान करना चाहते हैं.

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के नियमों के तहत डोनर की उम्र कम से कम 21 साल होनी चाहिए, लेकिन अकसर नियमों का पालन नहीं होता, जबकि नियमों के उल्लंघन पर फर्टिलिटी क्लिनिक का लाइसैंस रद्द होना व संचालकों को जेल भेजा जाना चाहिए.

डाक्टर अंजलि मालपानी का कहना है कि जब हम ने मुंबई में पहला स्पर्म बैंक खोला, तो एक मिलीलिटर वीर्य  में आसानी से 40-60 मिलियन स्पर्म मिल जाते थे, लेकिन अब ये घट कर तकरीबन 45 फीसदी हो गया है.

प्रजनन प्रणाली के भारतीय गाइडलाइंस के सहायक डाक्टर पीएम भार्गव कहते हैं कि स्पर्म (शुक्राणुओं) के घटने को साल 1990 के बीच में पश्चिम में नोटिस किया गया. कुछ भारतीय डाक्टर भी मानते हैं कि भारतीय मर्दों में भी शुक्राणुओं की संख्या लगातार घट रही है.

पश्चिमी अध्ययन बताते हैं कि हर साल शुक्राणुओं की तादाद 2 फीसदी की दर से घट रही है. इस हिसाब से अगले 40-50 सालों में कोई भी मर्द उपजाऊ नहीं रहेगा.

हिंदी फिल्म ‘विकी डोनर’ के कलाकार आयुष्मान खुराना का कहना है कि जब आप स्पर्मदाताओं जैसे गंभीर मुद्दों पर फिल्म बनाते हैं, तो इस विषय की खोज करनी होती है.

यह बहुत ही नोबल काम था. अगर रक्तदान जीवन देता है, तो स्पर्मदान जीवन की आज्ञा देता है. शहरी मर्दों  में शुक्राणुओं की संख्या बहुत कम हो गई है, जिस से स्पर्मदान आज की जरूरत है.

इसी फिल्म में आईवीएफ विशेषज्ञ की भूमिका निभाने वाले अन्नू कपूर का कहना है कि एक आम भारतीय सैक्स के बारे में बात क्यों नहीं करना चाहता? निजी तौर पर मु?ो यह सम?ा नहीं आता कि भारत में लोग सैक्स और हस्तमैथुन को ले कर इतना हल्लागुल्ला क्यों करते हैं? यह एक सामान्य चीज है, जो जीवन देती है. मेरे लिए सैक्स पवित्र है. हम इसी से जनमे हैं.                    द्य

Crime: अठारह साल बाद शातिर अपराधी की स्वीकारोक्ति

कहते हैं- हत्या का अपराध छुपता नहीं है, यह बात एक बार पुनः सत्य हो गई हत्या करने के बाद सालों साल आत्मग्लानि से पीड़ित शख्स ने अाखिर कानून के सामने यह स्वीकार कर लिया कि उसने अपने दोस्त की हत्या 18 साल पहले की थी.

यह आत्म स्वीकारोक्ति बताती है कि हत्या जैसे संगीन अपराध इंसान की जिंदगी को किस तरह तबाह और बर्बाद कर देता है.

अपने दोस्त को मौत के घाट उतार कर उसे जंगल में दफनाने की घटना का खुलासा 18 साल बाद स्वयं आरोपी ने किया है. यह घटना छत्तीसगढ़ के जिला बालोद की है आरोपी के पुलिस के समक्ष स्वीकारोक्ति के बाद  प्रशासन और नगर में में हड़कंप मच गया है.

यह घटना हम आपको तपसील से बताते हैं – बालोद के करकभाट गांव के आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक स्थानीय प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने जंगल में खुदाई करवाई लेकिन मृतक का शव या कोई भी अवशेष नहीं मिल पाया है.

आरोपी हत्या के बाद  परिवार के साथ रोजी-रोटी की तलाश में कहीं चला गया था जब वापस आया तो गुमसुम रहने लगा था धीरे धीरे उसकी मानसिक हालत खराब होने  लगी रातों को नींद नहीं आती थी वह बैचेन रहने लगा था.

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दरअसल, यह सनसनीखेज मामला छत्तीसगढ़ के बालोद थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम करकभाट में रहने वाले टीकम कोलियार का है. उसने अचानक अपने परिवार और गांववालों को बताया कि 2003 में उसने अपने दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी. हत्या करने के बाद में उसे गांव के पास की जंगल में दफना दिया था. इस मामले की सूचना ग्रामीणों ने अंततः पुलिस को दी.और पुलिस ने आरोपी की निशानदेही पर दो दिन तक खुदाई जरूर की लेकिन हाथ कुछ नहीं लगा. पुलिस का मानना है कि घटना घटित हो सकती है क्योंकि मृतक युवक 2003 से लापता है उस दरमियान लापता युवक की रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराई गई थी. यह भी तथ्य सामने आए हैं दोनों ही अच्छे मित्र थे साथ साथ रहते थे पता पुलिसि यह मान के चल रही है घटना में सत्यता हो सकती है.मगर जब तक मृतक का कोई अवशेष बरामद नहीं होता फॉरेंसिक जांच नहीं हो जाती पुलिस मामला दर्ज करने में अपने आप को असमर्थ पा रही है.जो कानूनी रूप से सही भी है.

पुलिस के मुताबिक आरोपी का बयान है कि मृतक दोस्त अब उसे सपने में आकर सताने लगा है, इस वजह से उसने इस पूरे मामले को लोगों को बताया. वहीं इस घटना का कारण उसने बताया कि उसकी जो प्रेमिका थी और जो वर्तमान में उसकी धर्म पत्नी है उसे देखकर उसका दोस्त उससे लगातार जबरदस्ती संबंध बनाने की कोशिश करता था उसकी हरकतों से नाराज़ हो कर उसने गुस्से में आकर दोस्त छवेश्वर गोयल की हत्या कर दी थी.

शातिर अपराधी है हत्यारा

हत्या की घटना स्वीकार करने के‌ पश्चात रोते हुए उसने पुलिस को बताया कि 2003 फरवरी में छबेश्वर ने उसकी होने वाली पत्नी के साथ छेड़छाड़ की थी.  इसकी जानकारी उसे मिली उसकी छबेश्वर से अच्छी दोस्ती थी उसे समझाया मगर वह नहीं माना जिसके बाद वह गांव के खेत तरफ छबेश्वर के साथ  गया, शाम 7 बजे अचानक लोहे की रॉड से उसके सिर पर हमला कर हत्या कर दी.

गांव में किसी को इसकी जानकारी न हो, इसलिए घटना स्थल से 300 मीटर दूर देर रात गड्ढा खोदकर शव को बोरे में भरकर दफना दिया. घटना के दो साल बाद छेड़छाड़ की शिकार लड़की से टीकम ने विवाह कर लिया.

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इस घटना में सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि मृतक के पिता जगदीश व मां सरस्वती के मुताबिक  जब उनका बेटा घर नहीं आया तो इसकी सूचना थाने में भी दी.  उम्मीद थी कि उनका बेटा एक दिन वापस  आएगा. अब टीकम के द्वारा हत्या की बात बताई जाने पर उन्होंने  आरोपी को कड़ी सजा देने की मांग की है.

हमारे संवाददाता को पुलिस ने बताया  छबेश्वर के घर वाले लगातार खोजबीन कर रहे थे तो  इसलिए वह गांव के एक लैंडलाइन फोन से मित्र के पिता और मां को फोन लगाकर बात करता था . वह छबेश्वर बनकर उसके माता-पिता से बात करता था. कहता था – वह जहां भी है, खुश है,अच्छा सा काम कर रहा है. मेरी फिक्र मत करना. यह इसलिए कहता था ताकि अहसास न हो कि उनका बेटा मर गया है. यह सच  टीकम ने छबेश्वर के पिता जगदीश को भी बताई सुन कर आवाक रह गए.

मजाक: लोकसेवक सेवकराम की घरवाली और कामवाली

सेवकराम अपनी कोठी में बाहर बने बरामदे में पड़े एक सोफे पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे. अखबार पढ़तेपढ़ते उन का ध्यान घर का काम करने के लिए रखी गई नई कामवाली पर चला गया.

सेवकराम ने नईनकोर कामवाली को देख कर अखबार पढ़ना बंद कर दिया और उसे गौर से देखते हुए पूछा, “तुम कौन हो? आज से पहले तो तुम्हें मैं ने नहीं देखा?”

“मैं संतू हूं साहब.”

“तुम कब से काम करने आने लगी?” सेवकराम ने पूछा.

“बस, कल से.”

“पर मैं ने तो तुम्हें कल नहीं देखा.”

“साहब, आप कल बाहर गए थे. रात को आए होंगे. मैं तो काम खत्म कर के अंधेरा होने से पहले ही चली गई थी.

“मालकिन मायके गई हैं. एक हफ्ते बाद आएंगी. मुझ से कह गई हैं कि घर का खयाल रखना, साहब का नहीं,” संतू ने कहा.

“मतलब?”

“वह तो आप को पता होना चाहिए साहब. मालकिन घर में नहीं हैं, इसलिए आप को अकेलाअकेला लगता होगा न?”

सेवकराम ने कहा, “अरे संतू, तुम्हारी मालकिन मायके गई हैं, इसलिए मुझे लग रहा है कि हिंदुस्तान आज ही आजाद हुआ है. अकेले रहने में ऐसा मजा आता है कि पूछो मत.”

“ऐसा क्यों साहब?”

“संतू, तुम्हारी मालकिन घर में होती हैं तो मैं अखबार में क्या पढ़़ रहा हूं, इस पर भी नजर रखती हैं. सिनेमा वाला पेज तो देखने भी नहीं देती हैं. मैं किसी हीरोइन का फोटो देख रहा होता हूं तो अखबार खींच लेती हैं. मैं फोन पर बात कर रहा होता हूं तो दरवाजे पर खड़ी हो कर सुन रही होती हैं.

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“एक दिन मैं झूठ बोल कर बाहर चला गया कि शहर में दंगा हो गया है, तो मुझे शांति समिति की मीटिंग में जाना है. उस ने पुलिस को फोन कर के पता कर लिया कि शहर में दंगा कहां हो रहा है. दंगा हुआ ही नहीं था. उस रात मुझे भूखे ही सोना पड़ा था,” सेवकराम ने कहा.

संतू ने हाथ में झाड़ू लिए हुए ही पूछा, “आप कोई नेता हैं क्या साहब?”

“यह बात बाद में करेंगे, पहले मुझे यह बताओ कि तुम कहां रहती हो?”

संतू ने कहा, “मैं कहां रहती हूं साहब, इस बात को छोड़ो, पहले यह बताओ कि मैं कैसी लगती हूं?”

“मस्त लगती हो.”

“थैंक्यू साहब.”

“तुम इंगलिश बोलना भी जानती हो?”

“हां साहब, मैं 12वीं जमात तक पढ़ी हूं.”

“तुम्हारी उम्र कितनी है संतू?”

“24 साल की हूं साहब.”

“पर अभी तो तुम 20 की ही लगती हो.”

“दूसरे एक घर में काम करती थी न, वहां के साहब तो मुझे 16 साल की ही कहते थे.”

“तुम्हारी बात सच है. तुम सचमुच बहुत सुंदर हो संतू.”

कचरा निकालते हुए संतू ने पूछा, “साहब, आप का नाम क्या है?”

“सेवकराम.”

“इस तरह का गंवारू नाम क्यों रखा है साहब आप ने?”

“बात यह है संतू कि मेरा असली नाम तो विकास है, पर ‘विकास तो पागल हो गया है’. बस, मुझे भी लोग पागल कहने लगे, इसलिए 4 साल पहले मैं ने अपना नाम बदल दिया था.

“पर संतू, तुम भी तो इतनी सुंदर हो, तुम ने अपना यह गंवारू नाम क्यों रखा है?”

संतू बोली, “साहब मेरा असली नाम संतू नहीं है. मेरा असली नाम तो प्रियतमा है. मैं जहां भी काम करने जाती थी, उस घर के साहब मुझे प्रियतमा कह कर बुलाते थे. यह मालकिन लोगों को अच्छा नहीं लगता था, इसलिए मुझे बारबार काम की तलाश करनी पड़ती थी, बारबार घर बदलना पड़ता था, फिर मैं ने भी अपना नाम बदल कर संतू रख लिया.”

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“वाह संतू, तुम सुंदर ही नहीं, बल्कि होशियार भी हो.”

संतू ने पूछा, “साहब, आप का कामकाज क्या है?”

“देखो संतू, मैं नेता बनने की फिराक में हूं,” इसीलिए मैं ने अपना नाम सेवकराम रखा है. मैं पौलिटिक्स जौइन करने वाला हूं.”

“तो आप भाजपा से जुड़ जाइए.”

“संतू, तुम सचमुच मेरी घरवाली से बहुत ज्यादा होशियार लगती हो. तुम्हारी बात सच है. आजकल भाजपा का ही जमाना है, पर भाजपा की ट्रेन के डब्बे में जगह ही नहीं है. कितने लोग तो खिड़कियों में लटके हैं, कितने छत पर बैठे हैं, कितने ट्रेन के पीछे भाग रहे हैं.”

“तो फिर आप क्या करेंगे साहब?”

मैं कांग्रेस पार्टी में जौइन करूंगा. उस की ट्रेन के डब्बे में जगह ही जगह है.”

“पर वह ट्रेन न चली तो?”

“मैं आशावादी हूं. एक जमाने मेे भाजपा की लोकसभा में महज 2 सीटें थीं, पर आज 300 सौ भी ज्यादा सीटें हैं. देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के ‘चाणक्य’ माने जाने वाले अमित शाह जब तक हैं, तब तक कांग्रेस का चांस नहीं दिखाई दे रहा है, फिर भी मैं कांग्रेस में ही जाऊंगा.”

संतू ने पूछा, “ऐसा क्यों साहब?”

“सीधी सी बात है. चुनाव में कांग्रेस पार्टी से मैं टिकट मांगूंगा, भले ही हार जाऊं.”

“इस से आप को क्या फायदा होगा?”

सेवकराम ने कहा, “देखो संतू, मुझे टिकट मिलेगा तो चुनाव लड़ने के लिए चुनाव फंड भी मिलेगा. उस में से मैं आधा पैसा ही खर्च करूंगा, बाकी का आधा पैसा बचा लूंगा. बोलो, है न फायदे का सौदा?”

“आप जैसे लोगों की वजह से ही कांग्रेस हार रही है.”

“अरे संतू, मुझे तो पैसे का फायदा हो रहा है न.”

“आप की यह बात तो सही है. आप का सचमुच में फायदा होगा. ऐसा कीजिए साहब, जब आप का इतना फायदा होने वाला है तो आप मुझे एडवांस में एक बढ़िया साड़ी दे दीजिए न.”

“अरे, तुम कहो तो तुम्हारे लिए आज ही बढ़िया साड़ी ला दूं.”

“थैंक्यू साहब, मुझे अब कांग्रेस पार्टी अच्छी लगने लगी है.”

“मैं नहीं अच्छा लग रहा हूं?”

“अच्छे लग रहे हैं न साहब आप भी, पर मुझे तो साड़ी आज ही चाहिए.”

सेवकराम ने कहा, “एक काम करो संतू, मेरी घरवाली की अलमारी खोल कर तुम्हें जो साड़ी अच्छी लगे, तुम अभी ले लो.”

“हफ्तेभर बाद मालकिन आएंगी और एक साड़ी गायब पाएंगी, तब?”

“मैं कह दूंगा कि लौंड्री वाले को धोने के लिए दी थी, उस ने गायब कर दी.”

“इस का मतलब आप अपनी घरवाली से झूठ बोलेंगे?”

“तुम्हारे जैसी सुंदर कामवाली के लिए तो मैं एक नहीं, सौ झूठ बोल सकता हूं. मैं तुम्हें एक शर्त पर अभी अपनी घरवाली की साड़ी दे सकता हूं.”

“कौन सी शर्त?”

सेवकराम ने कहा, “अलमारी से कोई भी एक साड़ी तुम ले लो, पर कल सुबह तुम मेरे घर काम करने आना तो वही साड़ी पहन कर आना. तुम्हारा चेहरा न दिखाई दे, इस तरह मुंह ढक कर रखना. पड़ोसियों को लगे कि मेरी घरवाली आ रही है.

“पूरे दिन तुम्हें मेरी घरवाली की साड़ी पहन कर काम करना होगा. कल सुबह की चाय भी तुम्हें वही साड़ी पहन कर बनानी होगी. चाय बना कर मुंह ढके हुए ही शरमाते हुए मुझे सोते से उठा कर मुझे चाय देनी होगी.

“मैं तुम्हें घर की चाबी दे दूंगा. तुम खुद ही दरवाजा खोल कर अंदर आ जाना. घर की एक चाबी मालकिन के पास है और एक मेरे पास. अपनी चाबी मैं तुम्हें दे दूंगा.”

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ठीक है साहब, आप की शर्त मंजूर है.”

“पर मुंह ढक कर आना. तुम्हारा चेहरा दिखाई नहीं देना चाहिए. मुझे चेहरा ढके हुए घूंघट वाली औरतें बहुत अच्छी लगती हैं.”

“साहब, मैं तो गांव की हूं. हमारे गांव में तो साड़ी सिर से ओढ़ने का रिवाज है, इसलिए मुझे साड़ी सिर से ओढ़ना खूब अच्छी तरह आता है. सिर से साड़ी ओढ़ने के बाद तो मैं और सुंदर लगती हूं.”

“ठीक हे, तुम अंदर जाओ और अलमारी से जो साड़ी अच्छी लगे, ले लो.”

“ठीक है साहब,” कह कर संतू अंदर गई और काम खत्म कर के एक सुंदर और कीमती साड़ी ले कर चली गई.

संतू के इंतजार में सेवकराम को उस पूरी रात नींद नहीं आई. सुबह हुई. सेवकराम की आंखें लग ही रही थीं कि तभी उन्हें लगा रसोई में चाय बन रही है. जागते हुए भी उन्होंने आंखें बंद कर लीं.

थोड़ी देर बाद साड़ी बांधे शरमाते हुए एक नईनवेली की तरह हाथ में चाय की ट्रे लिए वह आई.

सेवकराम ने कहा, “आ गई डार्लिंग?”

“हां, लो यह चाय.”

सेवकराम को लगा यह आवाज तो संतू की नहीं है. वे उठ कर बैठ गए.

चाय ले कर आई औरत ने सिर से पल्लू हटाया, उस के बाद आंखें निकाल कर बोली, “मैं तुम्हारी कामवाली नहीं, घरवाली हूं. एक ही दिन में कामवाली को डार्लिंग बना लिया.”

घबराते हुए सेवकराम ने कहा, “अरे तुम, तुम तो एक हफ्ते के लिए गई थी, दूसरे ही दिन कैसे आ गई?”

“मुझे तुम्हारे लक्षण पता थे, इसलिए मैं संतू को अपना मोबाइल नंबर दे कर गई थी. मैं ने उस से कहा था कि मेरा घरवाला कोई उलटीसीधी हरकत करे तो मुझे फोन कर देना.

“कल रात को ही संतू ने फोन कर के मुझे सारी बात बता दी थी, इसलिए मैं सुबह ही आ गई और मैं ने तुम्हें रंगे हाथ पकड़ लिया. तुम्हारी जासूसी करने के लिए मैं ने संतू को एक बढ़िया साड़ी पहले ही दे दी थी. समझे?”

“सौरी, मैं तो मजाक कर रहा था.”

“घरवाली को छोड़ कर कामवाली से मजाक? तुम्हेें पता होना चाहिए कि संतू जिस वार्ड में रहती है, उस वार्ड की वह भाजपा की महिला मोरचा की अध्यक्ष है.”

“सच में…”

सेवकराम की घरवाली ने कहा, “मैं अभी फोन कर के कांग्रेस और भाजपा के जिला अध्यक्षों से कह देती हूं कि वे दोनों तुम्हें अपनी पार्टी में कतई न लें.”

“ऐसा क्यों?”

“जो आदमी अपनी घरवाली का नहीं हो सकता, वह जनता का क्या होगा.”

सेवकराम ने देखा कि संतू बाहर बरामदे में खड़ी हंस रही थी.

स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत है प्रधानमंत्री जी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि देश की सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सबको स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान कर प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को पूरा किया जा रहा है. प्रधानमंत्री जी ने 03 वर्ष पूर्व दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा कवर योजना आयुष्मान भारत प्रारम्भ की थी. आयुष्मान भारत योजना के अन्तर्गत देश में 50 करोड़ लोगों को स्वास्थ्य बीमा कवर दिया जा रहा है. इस योजना से प्रदेश में 06 करोड़ लोग प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं.

मुख्यमंत्री जी लोक भवन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत अन्त्योदय राशन कार्ड धारकों को आयुष्मान कार्ड का वितरण कर रहे थे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने 15 लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड अपने कर कमलों से प्रदान किए. उल्लेखनीय है कि आज प्रदेश के प्रत्येक जनपद में ब्लाॅक स्तर पर एक ही दिन में लगभग 01 लाख पात्र लोगों को इस योजना के अन्तर्गत आयुष्मान कार्ड का वितरण किया जा रहा है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार एस0ई0सी0सी0 की सूची में कुछ परिवार आयुष्मान भारत योजना से वंचित रह गये थे. प्रदेश सरकार द्वारा मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान से 8.45 लाख वंचित परिवारों के लगभग 45 लाख व्यक्तियों को जोड़ा गया. प्रदेश के 40 लाख से अधिक अन्त्योदय परिवार, जो आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना से आच्छादित होने से रह गये थे, उन परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत आच्छादित किया जा रहा है. इससे प्रदेश की एक बड़ी आबादी लाभान्वित होगी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के सभी प्रवासी एवं निवासी श्रमिकों, जिनका रजिस्ट्रेशन श्रम विभाग में है, उनको 02 लाख रुपये का सामाजिक सुरक्षा कवर एवं 05 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर उपलब्ध करा रही है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी इन सभी स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के प्रेरणास्रोत हैं. उन्होंने कहा कि आयुष्मान भारत योजना ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता के साथ-साथ आमजन को जीने की एक राह दिखायी है. इसके अन्तर्गत लाभार्थी आयुष्मान भारत योजना में इम्पैनल्ड किसी अस्पताल में अपना उपचार करा सकता है.

चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि लौकिक व अलौकिक जगत में जो मानवीय कार्य किये जाते हैं, वे दूसरों की जिन्दगी बनाते हैं. उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में एक करोड़ से अधिक परिवारों को स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया जा रहा है. पूर्ववर्ती सरकार में मात्र 30 हजार रुपये स्वास्थ्य बीमा का कवर प्रदान किया गया था. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में वर्तमान में 05 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा कवर प्रदान किया जा रहा है. मुख्यमंत्री जी द्वारा प्रधानमंत्री जी का अनुकरण करते हुए प्रदेश में सबसे निचले स्तर पर खड़े व्यक्ति के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए आज 40 लाख से अधिक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री जय प्रताप सिंह ने कहा कि अन्तिम पायदान के 40 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के अन्तर्गत जोड़ा जा रहा है.

इस अवसर पर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्य मंत्री श्री अतुल गर्ग, नीति आयोग के सदस्य डाॅ0 विनोद पाॅल, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, निदेशक आई0आई0टी0 कानपुर श्री अभय करंदीकर, टीम-09 के सभी सदस्य, सूचना निदेशक श्री शिशिर तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

ज्ञातव्य है कि उत्तर प्रदेश के 40.79 लाख अन्त्योदय राशन कार्डधारक परिवारों के 1.30 करोड़ सदस्यों को मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान में शामिल किया गया है. शुरुआती 10 दिनों में ही लगभग 02 लाख लोगों ने इस योजना के अन्तर्गत अपना कार्ड बनवा लिया. समय-समय पर ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के अन्तर्गत नई श्रेणियों को जोड़े जाने की भी व्यवस्था प्रदेश सरकार ने की और यह सुनिश्चित किया कि प्रदेश का कोई भी गरीब और वंचित परिवार योजना के दायरे से बाहर न रहे.

इसी क्रम में श्रम विभाग में पंजीकृत 11.65 लाख निर्माण श्रमिक परिवारों को भी योजना की पात्रता सूची में जोड़ा गया.

‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ के माध्यम से प्रदेश के लगभग 61 लाख परिवारों के 1.87 करोड़ व्यक्तियों को 05 लाख रुपए तक के निःशुल्क इलाज की सुविधा मिलना सम्भव हो सका है.

प्रारम्भ में ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ के अन्तर्गत प्रदेश की 24 प्रतिशत आबादी को स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिल रहा था, लेकिन प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री जन आरोग्य अभियान’ लागू होने से 13 प्रतिशत अतिरिक्त परिवारों को स्वास्थ्य बीमा कवर से जोड़ा गया. इसका परिणाम है कि आज प्रदेश की लगभग 37 प्रतिशत आबादी को 05 लाख रुपए तक की निःशुल्क उपचार सुविधा का लाभ मिल रहा है. इससे सतत विकास लक्ष्य के तहत गरीबी उन्मूलन और सबके लिए स्वास्थ्य के लक्ष्यों की पूर्ति में मदद मिलेगी.

त्योहारों के समय में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक: मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में सायं 06 बजे से प्रातः 07 बजे तक निरन्तर विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा है कि वर्तमान समय पर्वों एवं त्योहारों का है. प्रदेशवासी नवरात्रि का पर्व हर्षोल्लास के साथ मना रहे हैं. विभिन्न स्थलों पर रामलीला आदि का आयोजन किया जा रहा है. ऐसे समय में रात्रि में निर्बाध विद्युत आपूर्ति आवश्यक है.

मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में विद्युत व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे. सभी मण्डलायुक्त, जिलाधिकारी, ए0डी0जी0, बिजली विभाग के वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा बैठक में सम्मिलित हुए. उन्होंने यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन को प्रदेश में विद्युत संयंत्रों को कोयले की आपूर्ति के सम्बन्ध में गहन समीक्षा करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि प्रदेश के विद्युत संयंत्रों को पर्याप्त कोयला आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रत्येक उपभोक्ता बिजली के बिल का भुगतान करना चाहता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों से उपभोक्ता परेशान होता है, जिससे विद्युत बिल का कलेक्शन प्रभावित होता है. त्रुटिपूर्ण विद्युत बिलों के कारण उपभोक्ता को परेशानी नहीं होनी चाहिए. एग्रीमेण्ट के अनुसार कार्य न करने वाली विद्युत बिलिंग एजेंसियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए. ऐसी एजंेसियों की सिक्योरिटी जब्त की जाए, उनके विरुद्ध एफ0आई0आर0 कराने के साथ ही ब्लैक लिस्ट भी किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने विद्युत बिलों के सम्बन्ध में शीघ्र ही एकमुश्त समाधान योजना (ओ0टी0एस0) लागू करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि खराब ट्रांसफार्मर्स को निर्धारित व्यवस्था के अनुसार ग्रामीण इलाकों में 48 तथा शहरी क्षेत्रों में 24 घण्टों में आवश्यक रूप से बदला जाए. बदले गए ट्रांसफार्मर की गुणवत्ता भी परखी जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि ट्रांसफार्मर्स की क्षमता वृद्धि के सम्बन्ध में पूर्व में लागू व्यवस्था को पुनः क्रियान्वित किया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी के सम्बन्ध में तत्काल कार्यवाही की जाए. ट्यूबवेल के कनेक्शन समयबद्ध ढंग से प्रदान किए जाएं. जिस किसी किसान ने ट्यूबवेल के कनेक्शन के सम्बन्ध में भुगतान कर दिया है, उन्हें तत्काल विद्युत कनेक्शन प्रदान कर दिए जाएं. ऐसे मामलों को लम्बित न रखा जाए. सौभाग्य योजना सहित अन्य योजनाओं के लाभार्थियों के विद्युत बिलों में गड़बड़ी के मामलों का तत्काल समाधान कराया जाए.

मुख्यमंत्री जी ने पूर्वांचल, मध्यांचल, दक्षिणांचल, पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगमों तथा केस्को के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विद्युत व्यवस्था की विस्तृत समीक्षा की. उन्होंने सभी विद्युत वितरण निगमों को विद्युत व्यवस्था सुचारु बनाए रखने तथा लाइन लॉस को कम करने के निर्देश दिए.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बैठक में दिए गए निर्देशों के सम्बन्ध में सभी विद्युत वितरण निगमों के प्रबन्ध निदेशक फीडर स्तर पर जवाबदेही तय कर कार्य करें. यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन के स्तर पर प्रतिदिन इनकी समीक्षा विद्युत वितरण निगमवार होनी चाहिए. हर दूसरे दिन अपर मुख्य सचिव ऊर्जा द्वारा प्रगति की समीक्षा की जाए तथा रिपोर्ट ऊर्जा मंत्री को उपलब्ध करायी जाए. ऊर्जा मंत्री द्वारा प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाए.

इस अवसर पर ऊर्जा मंत्री श्री श्रीकान्त शर्मा, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, कृषि उत्पादन आयुक्त एवं अपर मुख्य सचिव ऊर्जा श्री आलोक सिन्हा, पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल, यू0पी0पी0सी0एल0 के चेयरमैन श्री एम0 देवराज, अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री श्री एस0पी0 गोयल, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री एवं सूचना श्री संजय प्रसाद, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम एवं पारेषण निगम के प्रबन्ध निदेशक श्री पी0 गुरुप्रसाद, सूचना निदेशक श्री शिशिर सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

Anupamaa: वनराज के झांसे में फंसेगी अनुपमा, आएगा ये बड़ा ट्विस्ट

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में इन दिनों इमोशनल ट्रैक दिखाया जा रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि पाखी की वजह से शाह परिवार में खुशी का माहौल बना हुआ है. अनुपमा वनराज (Vanraj) को समझाती नजर आ रही है कि उन्हें अपना झगड़ा खत्म कर लेना चाहिए. उनके झगड़े की वजह से बच्चे उनसे दूर हो जाएंगे और पूरा परिवार बिखर जाएगा तो वहीं वनराज भी अनुपमा की इन बातों को समझ रहा है. ऐसे में वो दोनो पाखी को खुशी करने के लिए सारे गिले-शिकवे दूर करते नजर आ रहे हैं. शो के अपकमिंग एपिसोड में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में…

शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा और वनराज एक साथ बैठकर एक-दूसरे से बातें कर रहे हैं. वो दोनों अपने बच्चों की खुशियों के लिए आपसी झगड़ा खत्म करने को तैयार है. अनुपमा वनराज को समझा रही है कि वह उसे कभी हराना नहीं चाहती. वह अपने जीवन में आगे बढ़ना चाहती है. अनुपमा ने ये भी कहा कि वह अपने बच्चों के पिता को कभी दुखी नहीं देख सकती है.

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अनुपमा ने वनराज से काव्या को लेकर भी बात की. उसने कहा कि काव्या एक पढ़ी-लिखी महिला है. और वह घर पर नहीं बैठ सकती. वह जॉब करना चाहती है.  तो वहीं अनुपमा के समझाने पर वनराज मानने को राजी हो गया है कि अनुज कपाड़िया के यहां काव्या का काम करना गलत नहीं है.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में आपको कई ट्विस्ट नजर आने वाले हैं. रोहन फिर से नंदिनी को धमकाने आएगा. तो वहीं नंदिनी यूएस भागने की प्लानिंग करेगी. तो दूसरी ओर अनुपमा और वनराज पाखी को खुश करने के लिए एक हैप्पी फैमिली वाला डांस करेंगे.

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इस दौरान काव्या और बा भी अनुपमा के साथ डांस करते नजर आएंगे. तो उधर किंजल अनुपमा के ऑफिस में होने जा रहे कुकिंग कॉम्पटीशन की बात कहेगी. इस दौरान बा फिर अनुपमा को ताना मारेगी लेकिन वह बा की बातों को अनसुना कर देगी.

 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वनराज पाखी का सहारा लेकर अनुपमा की राह में रोड़ा डालने की कोशिश करेगा. बताया जा रहा है कि इसी वजह से वह इन दिनों अनुपमा के साथ अच्छे से बिहेव कर रहा है. वनराज नहीं चाहता है कि अनुपमा और अनुज कपाड़िया साथ रहे, इसलिए वह पाखी का इस्तेमाल कर उन दोनों को अलग करवाएगा.

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