चाहे तनाव हो, मोटापा हो, वायु प्रदूषण हो या देर से शादी होना, कुछ भी वजह हो, पिछले तकरीबन 50 सालों में मर्दों के शुक्राणुओं की तादाद में 50 फीसदी तक की कमी पाई गई है. इस में बेऔलाद जोड़ों के लिए स्पर्म डोनेशन का एक नया रास्ता तैयार हुआ है.

‘चाहिए 6 फुट लंबा, गोरा, गुड लुकिंग, अच्छे परिवार से, अच्छा पढ़ालिखा, आईआईटी/एमबीए, विदेशी यूनिवर्सिटी में पढ़ा, सेहतमंद व आकर्षक होना चाहिए...’

आप को यह एक शादी का इश्तिहार लगा होगा, लेकिन यह इस से हट कर स्पर्म डोनर यानी शुक्राणु दान करने वाले की खोज के लिए है. बेऔलाद जोड़े इस सूटेबल स्पर्म के लिए कुछ भी कीमत देने को तैयार रहते हैं.

‘‘अस्पताल में आने वाले तकरीबन  40 फीसदी जोड़ों की स्पर्म डोनर से ऐसी ही मांग होती है, जबकि कुछ की कुछ खास मांगें भी होती हैं जैसे स्पर्म लंबे आदमी का होना चाहिए, क्योंकि वह जोड़ा चाहता है कि उस के बच्चे की लंबाई अमिताभ बच्चन जैसी होनी चाहिए.

‘‘कुछ जोड़े आईआईटी पास का स्पर्म चाहते हैं, क्योंकि वे अपने परिवार में एक आइंस्टाइन चाहते हैं, जबकि नवजात के गुण उस के मातापिता के मिलेजुले रूप से होते हैं, जो बाद में विकसित होते हैं,’’ यह कहना है डाक्टर अमिता शाह का, जो एक नामचीन आईवीएफ विशेषज्ञ हैं और कोलंबिया एशिया अस्पताल में प्रैक्टिस करती हैं.

ज्यादातर लोगों के दिमाग में यह घुसा हुआ है कि स्पर्म दान करना बहुत ही शर्मनाक बात है, लेकिन अब लोग धीरेधीरे इसे स्वीकार कर रहे हैं. बड़े कारोबारी, जो अपनी लक्जरी कार में स्पर्म दान के लिए आते हैं, के अलावा स्कूल व कालेज जाने वाले लड़के भी क्लिनिकों के हस्तमैथुन कमरे में अपनी मर्दानगी आजमाने आते हैं.

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