अकसर लड़कियों को पीरियड से पहले या पीरियड के दौरान असहनीय दर्द होता है, जिस के पीछे कई कारण हो सकते हैं. इस से निबटने के लिए जरूरी है कि पहले जान लिया जाए कि दर्द की वजह क्या है.

पीरियड के दौरान दर्द होने से कोई भी लड़की बहुत ज्यादा अनकंफर्टेबल फील कर सकती है या वह बहुत कमजोर भी हो सकती है. पीएमएस यानी प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम जैसे शब्द कभीकभी मजाक में उपयोग किए जाते हैं. पीएमएस में होने वाली सूजन, सिरदर्द, बदनदर्द, ऐंठन और थकान लड़कियों के लिए दर्दनाक स्थिति बना देती है. इस के अलावा और भी गंभीर कंडीशन, जैसे प्रीमैंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिस्और्डर यानी पीएमडीडी भी हो सकती है जो प्रीमैंस्ट्रुअल सिंड्रोम की तरह  है लेकिन पीरियड आने के एक हफ्ते या दो हफ्ते पहले गंभीर चिड़चिड़ापन, डिप्रैशन या एंग्जाइटी का कारण बन सकता है. आमतौर पर लक्षण पीरियड्स शुरू होने के 2 से 3 दिन बाद तक रहते हैं. लेकिन पहले 1-2 दिन बहुत दर्द वाले हो सकते हैं. यह प्रोस्टाग्लैंडीन नामक एक हार्मोन संबंधी पदार्थ के कारण होता है जिस से दर्द और सूजन के कारण गर्भाशय की मांसपेशियों में कौन्ट्रैक्शन होता है. ज्यादा गंभीर मैंस्ट्रुअल कै्रम्प होना प्रोस्टाग्लैंडीन के हाई लैवल का संकेत दे सकता है.

बीएमजे पब्लिशिंग ग्रुप, यूके द्वारा प्रकाशित क्लीनिकल एविडैंस हैंडबुक के अनुसार, 20 फीसदी महिलाओं में क्रैम्प, मतली, बुखार और कमजोरी जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं जबकि कई अन्य ने इमोशनल कंट्रोल और कंसन्ट्रेशन में कमी देखी. एंडोमेट्रियोसिस सोसाइटी इंडिया के आंकड़े सु?ाते हैं कि 2.5 करोड़ से अधिक महिलाएं एंडोमेट्रियोसिस से पीडि़त हैं. यह एक क्रोनिक कंडीशन होती है जिस में पीरियड के दौरान बहुत ज्यादा दर्द होता है, जिसे चिकित्सकीय रूप से डिसमेनोरिया कहा जाता है.

दिल का दौरा पड़ने के बावजूद काम करने वाले किसी व्यक्ति की कल्पना करें. पीरियड में दर्द होना उस से भी बुरा हो सकता है. कालेज औफ यूनिवर्सिटी, लंदन की रिसर्च के अनुमान के अनुसार, 68 फीसदी से अधिक महिलाएं भारत में गंभीर पीरियड से संबंधित लक्षण, जैसे ऐंठन, थकान, सूजन व ऐंठन का अनुभव करती हैं और इन में से 49 फीसदी थकावट महसूस करती हैं. लगभग 28 फीसदी महिलाओं को अपने पीरियड्स के दौरान सूजन का अनुभव होता है.

पीरियड्स में होने वाले दर्द को समझते

हार्मोन जारी करने पर गर्भाशय की ऐंठन के कारण महिलाओं को पीरियड्स के दौरान दर्द का अनुभव होता है. प्रोस्टाग्लैंडीन गर्भाशय में मांसपेशियों के कौन्ट्रैक्शन के प्रोसैस को शुरू करता है. यह दर, जिस में कौन्ट्रैक्शन होता है, उपयोग न की गई यूट्रीन लाइनिंग की शेडिंग को निर्धारित करता है कि शरीर से बाहर खून के साथ क्लौट्स भी निकलेंगे. डिसमेनोरिया कुछ बीमारियों का संकेत भी दे सकता है जैसे-

पौलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम यानी पीसीओडी मासिकधर्म में होने वाली बीमारियों में सब से आम बीमारी है. यह महिलाओं में निष्क्रिय लाइफस्टाइल के कारण बढ़ रहे हार्मोनल असंतुलन के कारण होती है. यह शरीर में पुरुष हार्मोन का प्रोडक्शन बढ़ाता है और ओव्यूलेशन की प्रक्रिया को बाधित करता है.

गर्भाशय फाइब्रौएड – हालांकि ये नेचर में सौम्य होते हैं, लेकिन ये असहनीय लक्षण पैदा कर सकते हैं, जैसे असामान्य यूट्रीन ब्लीडिंग, डिस्पेर्यूनिया, पेल्विक पेन, मूत्राशय या मलाशय पर प्रतिरोधी प्रभाव और बां?ापन की समस्या. अन्य बीमारियां जो पीरियड्स के दौरान दर्द पैदा कर सकती हैं वे पेल्विक इंफ्लेमेटरी डिजीज (पीआईडी), एंडोमेट्रियोसिस और एडिनोमायोसिस हैं.

क्या पीरियड के दर्द का इलाज किया जा सकता है?

हां, हलके मासिकधर्म के क्रैम्प का इलाज ओवर द काउंटर (ओटीसी) दवाओं के साथ किया जा सकता है, जबकि ज्यादा गंभीर क्रैम्प के लिए नौनस्टेरौइडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग्स की जरूरत होगी. यह सुनिश्चित करें कि दवा दर्द शुरू होने से पहले लें. एक्सरसाइज करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह ब्लड फ्लो और एंडोर्फिन दोनों के प्रोडक्शन को बढ़ाती है, जो प्रोस्टाग्लैंडीन और रिजल्टंट दर्द को कम कर सकता है.

मासिकधर्म के दौरान स्वच्छता बनाए रखना बहुत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि लगभग 70 फीसदी रिप्रोडक्टिव संबंधी बीमारियां खराब मासिकधर्म की स्वच्छता के कारण होती हैं. ओरल गर्भनिरोधक गोलियों के माध्यम से ट्रीटमैंट किसी भी ओवेरियन हार्मोन लैवल के असंतुलन को ठीक कर सकता है. ताजे भोजन, फलों और सब्जियों को ज्यादा खाएं, धूम्रपान, शराब और कैफीन का सेवन करने से बचें, नमक व चीनी के सेवन को भी कम करें और 30 मिनट के लिए रोज एक्सरसाइज करें.

पीरियड हौलिडे, रोज के कामों में साथ देना और हम कुछ ऐसी ही मदद कर के एक महिला को पीरियड के दिनों में राहत पहुंचा सकते हैं.

(लेखिका सीड्स औफ इनोसैंस एंड जेनेस्ंिट्रग्स लैब की फाउंडर व आईवीएफ एक्सपर्ट हैं)

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