यह उन दोनों के लिए वैलेंटाइन डे का खास दिन है. यह दिन उन्होंने अपने जवान जज्बातों की प्यास बुझाने के लिए चुना था. वे पूरी तरह से एकदूसरे के जिस्म में खो जाना चाहते थे. घर से दूर किसी होटल में ठहरना उन के लिए सुरक्षित था, इसलिए वे इस होटल में आए थे.
वे दोनों होटल के कमरे में घुसते हैं. लड़का लाइट जलाता है. यह पहली बार है, जब उन दोनों को इतना एकांत मिला है, जहां समाज की तिरछी निगाहें उन्हें नोटिस नहीं कर सकतीं.
वे दोनों एकदूसरे के करीब बढ़ते हैं. शुरुआत घबरा कर छूने से होती है, फिर धीरेधीरे चुंबन और फिर गले लगते हुए बिस्तर में वे एकदूसरे से लिपट जाते हैं, फिर उन की सिसकियां उन्हें और भी मदहोश करती हैं और वे एकदूसरे में पूरी गहराई से डूब जाते हैं.
तभी दरवाजे से गुस्सैल आवाज आती है, ‘‘क्या पंचायत चल रही है यहां… दरवाजा खोलो…’’ यह आवाज और भी कड़क होती जाती है, ‘‘खोलो दरवाजा… खोलो… तोड़ दो दरवाजा…’’
लड़का घबरा कर झट से उठता है. वह अपने कपड़े ढूंढ़ता है, लड़की सहमी सी एक चादर को अपने बदन पर ओढ़ लेती है.
वे दोनों संभल पाते, इस से पहले दरवाजा टूटता है और 4 पुलिस वाले कमरे के भीतर घुस जाते हैं.
‘‘क्या भसड़ मचा रखी है यहां, पूरा बाजार बना दिया है…’’ एक पुलिस वाला गुस्से से कहता है.
महिला कांस्टेबल झट से लड़की के बाल पकड़ लेती है और सीनियर पुलिस वीडियो बनाने लगता है.
‘‘नाम बोल… नाम…’’ इंस्पैक्टर लड़की पर जोर से चिल्लाता है.
लड़की डरीसहमी चुप रहती है. इतने में महिला कांस्टेबल उस के बाल जोर से खींच कर नाम बताने को कहती है.
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‘‘देवी…’’ लड़की आखिरकार अपना नाम कहती है.
‘‘तो देवी, तुम्हारी जिंदगी तो अब कंडम हो गई… कहां से आई है? मड़वाड़ी से या नेपाल से?’’
‘‘नहीं सर, आप गलत समझ रहे हैं…’’ देवी कहती है और रोने लगती है. उसे लगने लगा है कि अब सिर्फ बदनामी उस के आगे खड़ी है.
इस के आगे बताने की जरूरत नहीं कि पुलिस ने देवी और उस के परिवार को किस तरह ब्लैकमेल किया होगा.
साल 2015 में डायरैक्टर नीरज घेवाण की फिल्म ‘मसान’ में यह सारा घटनाक्रम शुरुआती 7 मिनट में घटता है. फिल्म कुछकुछ हकीकत के नजदीक दिखाई देती है.
आज के दौर में सभी अनब्याहे जोड़े अपनेअपने पार्टनर के साथ एकांत में समय बिताना चाहते हैं. इस के लिए उन्हें होटल ऐसी बेहतर जगह दिखाई देती है, जहां कोई पहचान का न हो और प्राइवेसी भी मिल जाए, पर वे इसे रिस्की भी मानते हैं. इस की वजह है पुलिस की जबतब पड़ने वाली रेड और इस से होने वाली बदनामी.
ऐसे जोड़े इस बात को ले कर काफी डरे रहते हैं कि होटल में ठहरने के दौरान अगर वहां पुलिस आ धमकती है तो वे क्या करेंगे? वे कैसे इस मामले से निबटेंगे? अगर बात घरपरिवार तक चली गई तो क्या होगा या वे पुलिस द्वारा ब्लैकमेल का शिकार तो नहीं हो जाएंगे?
खबरों में भी इस तरह की घटनाएं सामने आती हैं, जहां कुंआरे जोड़े पुलिस रेड के दौरान पकड़े जाते हैं और फिर किन्हीं दिक्कतों के चलते उन्हें थाने में लंबा समय बिताना पड़ जाता है. इस दौरान जिन चीजों से बचने के लिए वे होटल आए थे, वे चीजें सामने मुसीबत की तरह आ खड़ी होती हैं यानी बात घर तक पहुंच ही जाती है.
30 अगस्त को उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में भगवतीगंज शहर के एक होटल में पुलिस ने छापेमारी कर 3 कुंआरे जोड़ों को पकड़ा था. उन जोड़ों का जुर्म था कि वे अपने लिए थोड़ी प्राइवेसी चाहते थे. पुलिस उन्हें पकड़ कर थाने ले गई. पूछताछ के बाद लड़कियों को हिदायत दे कर उन के परिवार वालों के सुपुर्द कर लड़कों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर दी गई.
इसी तरह इस साल फरवरी महीने में आगरा के होटल एआर पैलेस में 9 प्रेमी जोड़ों को पुलिस ने रेड के दौरान पकड़ा. उन में कुछ छात्राएं थीं, जो अपने प्रेमियों के साथ होटल आई थीं. इन का भी यही गुनाह था कि वे अपने प्रेमियों के साथ समय बिताने आई थीं, खुल कर कहें तो सैक्स करने आई थीं. उन लड़कियों के भी परिवार वालों को थाने बुलाया गया और फिर उन के सुपुर्द किया गया.
पकड़े जाने वाले इन ज्यादातर मामलों में जो सब से बड़ी दिक्कत होती है वह यह कि ऐसे जोड़े अपनी पहचान छिपा कर या पहचान नहीं बता कर कमरा लेते हैं. बहुत से बिना रजिस्टर्ड वाले होटलों में कमरे किराए पर लेते हैं, जिस वजह से उन्हें पुलिस स्टेशन जाने की नौबत आ जाती है या धरपकड़ में वे भी धरे जाते हैं.
भारत में शादी से पहले सैक्स करना एक तरह का पाप माना जाता है. शादी से पहले सैक्स करना घर, समाज, शासन और प्रशासन के लिए इतनी बड़ी बात बन जाती है कि इस का पता चलते ही सब की जिंदगी में मानो भूचाल आ जाता है. समाज से ले कर पुलिस प्रशासन तक इसे अनैतिक मानता है, जिस का खमियाजा प्रेमी जोड़ों को भुगतना पड़ जाता है.
हालांकि, पिछले कुछ दशकों से भारत एक देश और एक समाज के रूप में तेजी से आधुनिकीकरण की ओर बढ़ रहा है, पर एक बात जो अभी भी जस की तस है वह यह कि प्यार में क्या करें व क्या न करें वाले सवाल अभी भी समाज के तथाकथित रखवालों द्वारा बनाई गई सीमाओं में ही बंधे हुए हैं.
ये वे सीमाएं हैं, जो हम ने सदियों से बनाई हैं. हाथ में हाथ डाल कर चलने वाले प्रेमी जोड़े या पार्कों में दिखने वाले जोड़े सोसाइटी को बेहद ही असहज दिखाई देते हैं. वहीं प्राइवेसी की तलाश करने के लिए अगर कोई प्रेमी जोड़ा कुछ घंटों के लिए होटल का कमरा बुक करता है, तो उसे हिकारत से देखा जाता है.
यहां तक कि सरकारी मशीनरी, जिसे इन मौकों पर समझदारी से काम लेने की जरूरत है, वह भी इन का शोषण करने वालों में शामिल होती है. यहां तक कि यह सारी सिचुएशन एक जोड़े को एहसास दिलाती है कि समाज के नजरिए से एक कुंआरे जोड़े का साथ रहना या कहीं पकड़े जाना बेहद गलत और अनैतिक है.
आज हम ऐसे जोड़ों के लिए एक बेहद जरूरी जानकारी ले कर आए हैं, जो अपने पार्टनर के साथ होटलों में जाने की इच्छा तो रखते हैं, पर वहां जाने से कतराते हैं.
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पहली बात, कुंआरे जोड़ों द्वारा कमरा किराए पर लेना भारत में अपराध नहीं है. साल 2019 के दिसंबर महीने में मद्रास हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि होटल के कमरे में रहने वाले कुंआरे जोड़े को अपराधी नहीं माना जाएगा. हाईकोर्ट ने इसे इस बात के संदर्भ में देखा कि 2 बालिगों के लिवइन रिलेशनशिप को अपराध नहीं माना जाता है तो ऐसे में होटल में रूम शेयर करने को कैसे अपराध माना जा सकता है?
यह फैसला कोयंबटूर के एक होटल को सील किए जाने के बाद आया था, जब एक कुंआरे जोड़े को उसी के एक कमरे में पाया गया था.
इस का मतलब यह है कि पुलिस के पास होटल जैसी निजी संपत्ति पर छापा मारने का अधिकार तो है, पर उन के पास एक कुंआरे जोड़े को इस आधार पर गिरफ्तार करने का हक नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट विनय कुमार गर्ग का कहना है कि कुंआरे जोड़े को एकसाथ होटल में रहने और आपसी रजामंदी से शारीरिक संबंध बनाने का मौलिक अधिकार है. हालांकि इस के लिए दोनों का बालिग होना जरूरी है.
इस बारे में सुप्रीम कोर्ट साफ कह चुका है कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले मौलिक अधिकार से अपनी मरजी से किसी के साथ रहने और शारीरिक संबंध बनाने का अधिकार आता है. इस के लिए शादी के बंधन में बंधना जरूरी नहीं है.
इस का एक मतलब यह हुआ कि अगर कोई बालिग जोड़ा बिना शादी किए होटल में एकसाथ रहता है, तो यह अपराध में नहीं आता.
एडवोकेट विनय कुमार गर्ग का कहना है कि होटल में ठहरने के दौरान कुंआरे जोड़े को अगर पुलिस परेशान या गिरफ्तार करती है, तो पुलिस की इस कार्यवाही के खिलाफ ऐसा जोड़ा संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट और अनुच्छेद 226 के तहत सीधे हाईकोर्ट जा सकता है.
आमतौर पर पुलिस ऐसे मामलों में होटल में देह धंधे के शक के चलते रेड करती है. चूंकि भारत में देह धंधा अपराध है, तो यह करना पड़ता है. पर ऐसे में अगर पुलिस किसी कुंआरे जोड़े के कमरे में आती है तो ऐसे हालात में वे अपने साथ आईडी प्रूफ जरूर रखें, ताकि पहचान हो सके और नौबत पुलिस स्टेशन जाने की न आ जाए.
घबराए नहीं, क्योंकि आप कोई जुर्म नहीं कर रहे हैं. पुलिस अगर होटल में रेड मारती है तो उसे अपना काम करने दें, क्योंकि उन पर अपराधियों को पकड़ने की जिम्मेदारी होती है. पर उस के बावजूद भी अगर पुलिस ब्लैकमेल करती हो तो बेहिचक संबंधित पुलिस वाले के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं.
होटल में रूम लेने से पहले सारी सावधानियां बरतें. कानूनी तरीके से या होटल के नियमों के हिसाब से होटल में जाएं.
होटल रूम ऐसे बुक करें
भारत में कुंआरे जोड़ों के लिए ऐसे कई होटल हैं, जो बिना किसी परेशानी के उन्हें कमरे किराए पर देते हैं. आजकल औनलाइन होटल बुकिंग के कई सेफ तरीके आ चुके हैं. होटल के खुद के पोर्टलों से होटल बुकिंग आसान हो गई है. जब आप औनलाइन होटल का कमरा बुक करते हैं, तो प्रीबुक औप्शन चुन सकते हैं. ये पोर्टल आप को बिना असहज सवालों के बुकिंग एक्सैप्ट कर लेता है.
होटल बुक करने से पहले उस नीतियों को ध्यान से पढ़ें, क्योंकि कुछ होटल कुंआरे जोड़ों को कमरा बुक करने की इजाजत नहीं देते हैं. यह आप को होटल का चयन करते समय सतर्क रहने में मदद करेगा.
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घबराएं नहीं. खुद पर यकीन रखें. आप कोई गैरकानूनी काम नहीं कर रहे हैं. होटल का कमरा बुक करते समय डरें नहीं.
अपना आईडी कार्ड अपने साथ रखें. आप से चैकइन के समय केवल एक वैलिड सरकारी आईडी कार्ड होटल के मुलाजिम द्वारा मांगी जाती है. मुमकिन है कि वे लोग आईडी की स्कैन की हुई कौपी अपने पास रखेंगे और आप को ओरिजिनल डौक्युमैंट वापस कर देंगे.
ऐसा कोई कानून नहीं है, जिस में कहा गया हो कि कुंआरे जोड़े होटल का कमरा बुक नहीं कर सकते हैं. पर आप और आप के साथी की उम्र 18 साल से कम है, तो आप भारत में होटल का कमरा बुक नहीं कर सकते हैं.