Writer- वंदना बाजपेयी

जीवन में कुछ हासिल करना है या आगे बढ़ना है तो खुद पर भरोसा होना जरूरी है. आज प्रतियोगिता इतनी बढ़ गई है कि कई बार व्यक्ति को हताशा का सामना करना पड़ जाता है. कई बार खुद की हार से आत्महत्या करने जैसा खयाल भी आ जाता है. ऐसे में जब तक खुद को मोटिवेट न किया जाए तो चीजें सामान्य नहीं हो पातीं.

मेरे नाना अकसर एक कहानी सुनाया करते थे. कहानी इस प्रकार थी, ‘एक गांव में एक गरीब लड़का रहता था. उस का नाम मोहन था. मोहन बहुत मेहनती था. काम की तलाश में वह एक लकड़ी के व्यापारी के पास पहुंचा. उस व्यापारी ने उसे जंगल से पेड़ काटने का काम दिया. नई नौकरी से मोहन बहुत उत्साहित था. वह जंगल गया और पहले ही दिन 18 पेड़ काट डाले. व्यापारी ने मोहन को शाबाशी दी. शाबाशी सुन कर मोहन गद्गद हो गया. अगले दिन वह और ज्यादा मेहनत से काम करने लगा. इस तरह 3 सप्ताह बीत गए. वह बहुत मेहनत से काम करता, लेकिन यह क्या, अब वह केवल 15 पेड़ ही काट पाता था.

व्यापारी ने कहा, ‘कोई बात नहीं, मेहनत करते रहो.’

2-3 सप्ताह और बीत गए. ज्यादा अच्छे परिणाम पाने के लिए उस ने और ज्यादा जोर लगाया. लेकिन केवल 10 पेड़ ही ला सका. अब मोहन बड़ा दुखी हुआ. वह खुद नहीं सम झ पा रहा था क्योंकि वह रोज पहले से ज्यादा काम करता लेकिन पेड़ कम काट पाता.

हार कर उस ने व्यापारी से ही पूछा, ‘मैं सारे दिन मेहनत से काम करता हूं, लेकिन फिर भी क्यों पेड़ों की संख्या कम होती जा रही है?’

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