यह इतने पेशेवर तरीके से किया जाता है कि इस की भनक सिर्फ उन्हें ही लग पाती है जो इन पार्लरों के नियमित ग्राहक होते हैं. सख्त कानून और चुस्त प्रशासन की नाक के नीचे किए जा रहे इस धंधे में पार्लर के अंदर का नजारा बड़ा ही रंगीन होता है. किसी ग्राहक को पटाने का सिलसिला पार्लर में जाने के बाद ही शुरू हो जाता है. स्पा या मसाज पार्लर में पहले तो ग्राहक को एक चार्ट दिखाया जाता है जिस में अलगअलग मसाज और उस के दाम लिखे होते हैं जिसे ग्राहक अपने मनमुताबिक चुनता है.

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उस के बाद ग्राहक के सामने स्टाफ को बुलाया जाता है यानी वहां मसाज करने वाली लड़कियां जिन की मुसकराहट और ड्रैस को देख कर ग्राहक पहली ही नजर में उन की ओर खिंच जाता है.  फिर ग्राहक अपनी पसंद की लडक़ी को चुनता है और उस के बाद शुरू होता है मसाज के नाम पर ग्राहक को पटाने का सिलसिला.  मसाज रूम के अंदर जाने से पहले आमतौर पर ग्राहक से मसाज का पैसा पहले ही जमा करा लिया जाता है. मसाज का समय तकरीबन आधा घंटे से ले कर 1 घंटे का होता है. इसी मसाज के दौरान ही ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ दी जाती है. क्या है ‘एक्स्ट्रा सर्विस’ मसाज रूम के अंदर  30 मिनट के मसाज के बाद मसाज गर्ल ग्राहक से पूछती है, ‘‘सर, ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ लेंगे?’’ ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ एक ऐसा शब्द है जिस से मसाज पार्लर व स्पा सैंटरों का गुलाबी धंधा शुरू होता है. एक घंटे के मसाज में बंद कमरे में बहुतकुछ हो जाता है. दरअसल, इन लड़कियों को पहले से ही सिखाया जाता है कि ग्राहक को हर तरह से संतुष्ट करना है. इस के लिए चाहे कुछ भी करना हो.  बौडी मसाज के दौरान ये ग्राहक के कुछ ऐसे बौडी पौइंट को दबाती हैं कि ग्राहक खुद ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ के लिए मना नहीं कर पाता है. ‘ऐक्स्ट्रा सर्विस’ का  रेट एक मसाज गर्ल ने बताया, ‘‘ज्यादातर मामलों में हमारा रेट इस बात पर निर्भर करता है कि ग्राहक कौन सा मसाज करवाना चाहता है.’’

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