हताश जिंदगी का अंत- भाग 2: क्यों श्यामा जिंदगी से हार गई थी?

रोजरोज की कलह से आजिज आ कर रामसागर ने रामभरोसे को घर से अलग कर दिया और पड़ोस में ही एक कमरा बरामदे वाला मकान रहने को दे दिया. रामभरोसे इसी एक कमरे वाले घर में अपनी पत्नी श्यामा व 4 बेटियों के साथ रहने लगा. लड़ाई झगडे़ से नजात मिली तो श्यामा ने राहत की सांस ली. उस ने अपने विनम्र स्वभाव से पति को भी सम झाया कि वह शराब पीना छोड़ दे और अपनी बेटियों की पढ़ाईलिखाई तथा पालनपोषण पर ध्यान दे. उस ने यह भी कहा कि वह कमाई का कोई ठोस रास्ता निकाले, जिस से घरगृहस्थी सुचारु रूप से चल सके.

रामभरोसे शराबी जरूर था किंतु पत्नीबच्चों से उसे प्यार था. उस ने पत्नी की बात मान कर शराब पीनी छोड़ी तो नहीं लेकिन कम जरूर कर दी. रामभरोसे अब तक कमानी मरम्मत का हुनर सीख चुका था. उस ने पिता के साथ काम करना छोड़ दिया और शांतिनगर स्थित एक गैराज में ट्रक व ट्रैक्टर की कमानी मरम्मत का काम करने लगा. गैराज से उसे अच्छी कमाई होने लगी.

पति कमाने लगा तो श्यामा की घरगृहस्थी सुचारु रूप से चलने लगी. वह पति की कमाई से पूर्णरूप से संतुष्ट तो नहीं थी पर असंतुष्ट भी न थी. उस की बड़ी बेटी पिंकी शांतिनगर स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज में पहले से पढ़ रही थी. अब उस ने प्रियंका, वर्षा तथा रूबी का भी दाखिला इसी बालिका कालेज में करा दिया था. श्यामा अपनी बेटियों का जीवन संवारना चाहती थी. इसलिए वह उन के पालनपोषण तथा पढ़ाइलिखाई पर विशेष ध्यान देने लगी. बेटियों की पढ़ाई का खर्च पूरा करने के लिए पड़ोस के एक धनाढ्य परिवार में वह खाना बनाने (रसोइया) का काम करने लगी.

समय बीतता रहा. समय के साथ श्यामा की बेटियां भी सालदरसाल बड़ी होती गईं और वे एक क्लास पास कर दूसरे में पहुंचती रहीं. वर्ष 2015 में एक बार फिर श्यामा के जीवन में भी ग्रहण लगना शुरू हो गया. इस ग्रहण ने उस के जीवन में ही नहीं बल्कि बेटियों के जीवन में भी अंधेरा कर दिया.

ये भी पढ़ें- नजरिया बदल रहा: क्या अपर्णा का सपना पूरा हुआ?

हुआ यह कि जिस गैराज में रामभरोसे कमानी मरम्मत का काम करता था, उसी में एक युवक विपिन काम करता था. एकसाथ काम करते विपिन और रामभरोसे में दोस्ती हो गई थी. दोस्ती गहरी हुई तो दोनों साथ खानेपीने लगे. दोस्ती के नाते एक रोज रामभरोसे विपिन को अपने घर ले आया. यहीं घर पर पीनेखाने के दैरान विपिन की नजर रामभरोसे की खूबसूरत बीवी श्यामा पर पड़ी. श्यामा 4 बेटियों की मां जरूर थी लेकिन यौनाकर्षण बरकरार था. पहली ही नजर में श्यामा विपिन के दिलदिमाग पर छा गई. वह श्यामा को अपनी अंक शायिनी बनाने का सपना संजोने लगा. वह सोचने लगा,’ यह हूर की परी, इस कालेकलूटे के भाग्य में. इसे तो मेरी होना चाहिए था.

विपिन जानता था कि श्यामा के बिस्तर तक पहुंचने का रास्ता रामभरोसे से हो कर जाता है. अत: उस ने रामभरोसे से दोस्ती और गाढ़ी कर ली. साथ ही, वह उसे मुफ्त में शराब और गोश्त परोसने लगा. यही नहीं, वह गाहेबगाहे उस की आर्थिक मदद भी करने लगा. विपिन ने जब देखा कि राम भरोसे पूर्णरूप से उस के एहसान तले दब चुका है तब उस ने कहा, ‘रामभरोसे ठेके पर पीने से मजा किरकिरा हो जाता है. घर में बैठ कर पीने का मजा ही कुछ और है. भाभी के हाथ का पका गोश्त मजा और भी दूना कर देगा.’

मुफ्त की शराब और गोश्त के लालच में रामभरोसे ने विपिन की बात मान ली. इस के बाद वह एक हाथ में मीट की थैली तथा दूसरे हाथ में शराब की बोतल ले कर रामभरोसे के घर पहुंचने लगा. श्यामा मीट पकाती और वे दोनों बैठ कर शराब पीते. फिर वे दोनों साथ बैठ कर रोटीमीट खाते. विपिन इस बीच श्यामा को ललचाई नजरों से देखता और उस की खूब तारीफ करता. बच्चों को ललचाने के लिए वह उन के लिए टौफीबिस्कुट लाता. कभीकभी उन को नकद रुपए भी थमा देता. यही नहीं, वह श्यामा को आकर्षित करने के लिए उस को भी 5 सौ रुपए का नोट थमा देता.

कहते हैं औरत को मर्द की निगाह की अच्छी परख होती है. श्यामा ने भी विपिन की नजर परख ली थी. वह जान गई थी कि विपिन की नजर उस के जिस्म पर है. वह उसे ललचाई नजरों से देखता है. अपने गंदे इरादों को पूरा करने के लिए उस ने उस के पति का सहारा लिया है. उस के मन में खोट है. उस के गंदे इरादों की यदि वह भागीदार बन गई तो कल वह बेटियों को भी नहीं छोडे़गा. लेकिन वह ऐसा नहीं होने देगी. उस के कदमों को रोकना होगा.

शाम को जब विपिन और रामभरोसे आए तो श्यामा दीवार बन कर दोनों के सामने खड़ी हो गई, ‘विपिन, रोजरोज घर पर खानेपीने का तमाशा नहीं चलेगा. पीना है तो ठेके पर जाओ. घर में हमारी बेटियां हैं. उन के सामने मैं तुम्हें शराब नहीं पीने दूंगी. इसी वक्त मेरे घर से चले जाओ.

ये भी पढ़ें- बुलावा आएगा जरूर: क्या भाग्यश्री को माता-पिता का प्यार मिला?

’‘भाभीजी, आज आप को क्या हो गया जो खानेपीने को मना कर रही हो.’ विपिन असहज सा हो गया.

‘विपिन मैं कोई बच्चा नहीं हूं. सब जानती हूं कि तुम मेरे घर में पैर क्यों पसार रहे हो. क्यों मेरे पति को गुमराह कर रहे हो. क्यों मेरी आर्थिक मदद कर रहे हो. इन सब का जवाब चाहते हो तो सुनो, क्योंकि तुम्हारी निगाह मेरे जिस्म पर है.’

कड़वी सचाई सुन कर विपिन की बोलती बंद हो गई. वह वापस लौट गया. ठेके पर पीने के दौरान विपिन ने श्यामा के खिलाफ रामभरोसे के खूब कान भरे. बेइज्जत करने का इलजाम लगाया. देररात नशे में धुत हो कर राम भरोसे घर आया तो विपिन को घर से बेइज्जत कर भगाने को ले कर श्यामा से भिड़ गया. श्यामा ने पति को सम झाने का प्रयास किया, लेकिन उस की सम झ में कुछ नहीं आया. उस ने श्यामा को जम कर पीटा. बड़ी बेटी पिंकी मां को बचाने आई तो उस ने उस की भी पिटाई कर दी.

Bigg Boss Ott: घर से बाहर होने के बाद गुस्से में नजर आईं Akshara Singh, मेकर्स पर लगाये ये आरोप

बिग बॉस ओटीटी से भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह बाहर हो गई हैं. ‘संडे का वार’ में अक्षरा सिंह और सिंगर मिलिंद गाबा को शो से बाहर कर दिया गया. इस शॉकिंग एलिमिनेशन से हर कोई हैरान है. फैंस शो के मेकर्स और करण जौहर को ट्रोल भी कर रहे हैं. तो अब अक्षरा सिंह ने शो के मेकर्स पर गंभीर आरोप लगाए हैं. जी हां, आइए बताते हैं अक्षरा ने क्या कहा है.

दरअसल  अक्षरा सिंह का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में एक्ट्रेस कह रही हैं कि ‘संडे का वार’ एपिसोड में जिन लोगों ने उनसे दर्शक बनकर सवाल पूछे थे. वो लोग ‘बिग बॉस’ की टीम के ही थे. अक्षरा ने ये दावा किया कि वह उनमें से कुछ को पहचानती हैं.

 

इस वीडियो में अक्षरा कहती हैं कि  जिन लोगों को दर्शक बनाके सवाल पूछा गया. वो कुछ लोग टीम के ही लोग हैं. वो कोई ऑडियंस नहीं थी. मैं एकदम से ब्लैंक हो गई. मैंने बोला ये क्या हो रहा है? जब अचानक से आप पर कोई चढ़ने लगे तो लगता कि मैंने तो कुछ किया ही नहीं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Akshara Singh (@singhakshara)

 

अक्षरा सिंह के फैंस भी काफी गुस्से में हैं और वे अक्षरा की शो में वापसी की मांग कर रहे हैं. फिलहाल शो में नेहा भसीन, राकेश बापत, मूस जट्टाना, दिव्या अग्रवाल,  प्रतीक सहजपाल, निशांत भट्ट और शमिता शेट्टी कुल 7 कंटेस्टेंट बचे हैं.

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Akshara Singh (@singhakshara)

 

राखी सावंत ने शेयर कीं #Sidnaaz की ये फोटो, फैंस हुए इमोशनल

बिग बॉस राखी सावंत (Rakhi Sawant) अक्सर सुर्खियों में छायी रहती हैं. वह सोशल मीडिया पर फोटोज वीडियोज शेयर करती रहती हैं. अब उन्होंने कुछ ऐसा पोस्ट किया हैं जिसे देखकर आप इमोशनल हो जांएंगे. आइए बताते हैं राखी सावंत ने सोशल मीडिया पर क्या शेयर किया है.

राखी सावंत ने इंस्टाग्राम पर सिद्धार्थ शुक्ला की याद में कई पोस्ट किए हैं. उन्होंने सिडनाज की एक ऐसी फोटो शेयर की है, जिसमें वो दोनों बूढ़े नजर आ रहे हैं. आपको बता दें कि यह तस्वीर बिग बॉस के दौरान क्लिक की गई थी. इस तस्वीर को किसी फैन ने एडिट किया है, जिस कारण सिडनाज बूढ़े नजर आ रहे हैं. फैंस इस पोस्ट को देखकर काफी इमोशनल हो रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अनुपमा-अनुज की जोड़ी को लेकर ‘रूपाली गांगुली ने शेयर किया ये पोस्ट, पढ़ें खबर

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rakhi Sawant (@rakhisawant2511)

 

सिद्धार्थ शुक्ला जब बिग बॉस के घर में थे तो राखी सावंत ने उन्हें काफी सपोर्ट भी किया था. एक्टर की मौत से राखी सावंत को बड़ा झटका लगा है. सिडनाज की इस तस्वीर को देखकर फैंस काफी इमोशनल हो गये हैं. बिग बॉस ओटीटी में भी ये जोड़ी स्पेशल गेस्ट के तौर पर आई थी.

ये भी पढ़ें- Imlie: अपर्णा देगी मालिनी का साथ, क्या इमली-आदित्य होंगे दूर?

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rakhi Sawant (@rakhisawant2511)

 

एक रिपोर्ट के अनुसार, बताया गया है कि शहनाज की हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं है. वह किसी से बात भी नहीं कर रही है. रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि  इस सदमे में खुद को बाहर निकालना इतना आसान नहीं है और शहनाज कुछ समय के लिए सदमे में ही रहेंगी.

खबरों के अनुसार सिद्धार्थ की मां भी इस मुश्किल घड़ी में शहनाज का साथ नहीं छोड़ रही हैं और एक्ट्रेस को इस समय से लड़ने के लिए हिम्मत दे रही हैं.

अनुपमा-अनुज की जोड़ी को लेकर ‘रूपाली गांगुली ने शेयर किया ये पोस्ट, पढ़ें खबर

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) लगातार टीआरपी चार्ट में टॉप पर शामिल है. हाल ही में शो में गौरव खन्ना (अनुज कपाड़िया) की एंट्री हुई है. जिससे कहानी एक नई मोड़ ले रही है. अनुज कपाड़िया की एंट्री के बाद कयास लगाया जा रहा है कि मेकर्स कहानी में नया ट्विस्ट लाने वाले हैं. बताया जा रहा है कि शो के आने वाले एपिसोड में अनुज- अनुपमा की शादी होगी लेकिन ये तो शो के अपकमिंग एपिसोड में ही पता चलेगा कि अनुपमा की जिंदगी में क्या बदलाव आएगा.

अनुज-अनुपमा की केमिस्ट्री को फैंस कर रहे हैं पसंद

शो में अनुज कपाड़िया की एंट्री होने के बाद फैंस काफी खुश हैं. क्योंकि कहानी में एक नया एंगल देखने को मिल रहा है. अनुज-अनुपमा की केमिस्ट्री फैंस को खूब पसंद आ रही है. ऐसे में रूपाली गांगुली (अनुपमा) ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट कर फैंस को ‘शुक्रिया’ कहा है.

ये भी पढ़ें- बिकिनी में नजर आईं Anupamaa की काव्या तो फैंस ने दिया ये रिएक्शन

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Rups (@rupaliganguly)

 

अनुपमा ने एक इंस्टाग्राम  पर पोस्ट शेयर की है. इस पोस्ट में उन्होंने अनुज के साथ अपनी कुछ तस्वीरें शोयर की हैं. अनुपमा ने इन तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, ‘अनुज और अनुपमा को इतना बेहिसाब प्यार देने के लिए आप सभी का शुक्रिया.’

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gaurav Khanna (@gauravkhannaofficial)

 

रुपाली गांगुली ने कैप्शन में लिखा है, मैं चाहती हूं कि आप लोग मिलकर दोनों के लिए एक हैशटैग सजेस्ट करें. इन तस्वीरों में दोनों शादी के लुक में नजर आ रहे हैं. अनुज कपाड़िया ने शेरवानी पहनी है और अनुपमा भी शादी के जोड़े में दिखाई दे रही हैं.

Imlie: अपर्णा देगी मालिनी का साथ, क्या इमली-आदित्य होंगे दूर?

काव्या करेगी अनुज को इंप्रेस करने की कोशिश

 

View this post on Instagram

 

A post shared by Gaurav Khanna (@gauravkhannaofficial)

 

शो के लेटेस्ट एपिसोड में दिखाया जा रहा है कि शाह हाउस में अनुज कपाड़िया की एंट्री हो चुकी है. इसी बीच काव्या अनुज को इंप्रेस करने की पूरी कोशिश करेगी. लेकिन अनुज ध्यान नहीं देगा. ऐसे में काव्या अनुपमा का सहारा लेगी. वह कहेगी कि हमें इस समय अनुज की मदद की काफी जरूरत है. काव्या अनुपमा से कहेगी कि वह अनुज के लिए कुछ अच्छा खाना बनाएं.

तो उधर बा अनुपमा की तारीफ करेंगी और कहेंगी कि अनुपमा इन दिनों कुकिंग टीचर के तौर पर काम कर रही है. अनुज और जीके भी अनुपमा की कुकिंग से बेहद खुश हो जाएंगे. बापूजी भी अनुपमा की तारीफ करते हुए कहेंगे कि अनुपमा अन्नपूर्णा हैं. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर अनुपमा-अनुज करीब आते हैं तो वनराज का क्या रिएक्शन होगा.

Satyakatha: स्पा सेंटर की ‘एक्स्ट्रा सर्विस’- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

राजेश अभी भी घबराया हुआ था. उस के जीवन में ऐसा कुछ पहली बार हो रहा था. हालांकि घबराहट की उस घड़ी में भी राजेश मन ही मन बेहद खुश था. उस ने सभी युवतियों पर फिर से नजर दौड़ाई और उन सब में से जो सब से खूबसूरत महिला थी, उसे पसंद कर लिया. उस का नाम रीटा था. राजेश ने रीटा की तरफ इशारा करते हुए पूनम से पूछा, ‘‘पूनमजी, क्या ये स्पैशल मसाज कर सकती हैं?’’

इस से पहले कि पूनम राजेश के सवाल का जवाब देती, रीटा बोल पड़ी, ‘‘जी सर, आप मेरे साथ आइए.’’

यह सुन कर पूनम ने रीटा को राजेश के सामने कहा, ‘‘ठीक है, सर को तुम रूम में ले जाओ और हां, सर का खास ध्यान रखना. क्योंकि यह यहां पहली बार मसाज कराने आए हैं.’’

रीटा ने पूनम की बातों पर हामी भरी और वह राजेश को अपने साथ सेंटर की पहली मंजिल पर बने एक केबिन में ले गई. रीटा ने राजेश को जूते उतार कर अंदर आने को कहा.

राजेश कमरे में अंदर आते ही चुपचाप दरवाजे के पास खड़ा हो कर कमरे में मौजूद चीजों को एक नजर देखने लगा. कमरे में दुकान के रिसैप्शन से भी कम रौशनी थी, लेकिन चीजें दिखाई दे रही थीं.

उस ने देखा कि वह कमरा ज्यादा बड़ा नहीं था. कमरे के बीचोंबीच एक सिंगल बैड था, जहां वह लेटने वाला था. इस के अलावा कमरे के एक कोने में एक लंबा सा टेबल था, जहां पर मसाज के लिए सभी तरह का सामान रखा हुआ था.

रीटा ने दरवाजे के बगल में खड़े राजेश को आवाज लगाते हुए कहा, ‘‘सर, यह आप का टावल है. आप बाथरूम में जा कर नहा लीजिए और इस टावल में खुद को लपेट कर इस बिस्तर पर लेट जाइए. मैं 15 मिनट के बाद आऊंगी. तब तक आप रेडी हो जाइए.’’

राजेश ने रीटा की बातों को चुपचाप सुना और उस की बातों पर हामी भरी. राजेश बिना किसी देरी के कमरे के अंदर मौजूद बाथरूम में गया, अपने कपड़े एक तरफ टांगे, बाथरूम का झरना खोला और नहाया. 5 मिनट में नहा कर और तैयार हो कर वह रूम में वापस गया.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत- भाग 1

उस ने देखा कि रीटा अभी वापस नहीं लौटी थी. मन में उत्सुकता का समंदर ले कर राजेश कमरे में उस बिस्तर पर सीने के बल लेट गया और रीटा का इंतजार करने लगा.

करीब 10 मिनट के बाद रीटा कमरे में आई और बोली, ‘‘सर, अगर आप तैयार हैं तो क्या मैं मसाज शुरू कर सकती हूं?’’

राजेश ने रीटा के सवाल का जवाब दिया और कहा, ‘‘जी रीटाजी, मैं तैयार हूं. आप शुरू कर सकती हैं.’’

रीटा राजेश की ओर आई और टेबल के ऊपर पड़े तेल की बोतल उठा कर राजेश के पीठ पर उड़ेलने लगी. हलके गरम तेल की छुअन राजेश अपने पीठ पर महसूस कर रहा था.

तेल उड़ेलने के बाद रीटा ने जब अपने नाजुक हाथ राजेश की पीठ पर मलने शुरू किए तो राजेश के पूरे बदन में झुरझुरी सी फैल गई.

राजेश के जीवन में यह पहली बार था, जब कोई महिला उस के शरीर को छू रही थी. राजेश अपनी आंखें बंद कर के रीटा की स्पैशल मसाज का पूरा मजा लेने लगा.

उस के शरीर के कुछ हिस्सों में तनाव पैदा हो गया था, जिसे जबजब रीटा जानेअनजाने अपने हाथों से छू लेती तो राजेश के पूरे बदन में मानो करंट सा दौड़ जाता.

रीता ने अपने हाथों से राजेश के बदन के हर हिस्से पर तेल लगा दिया था. अब बारी मालिश की थी. जब रीटा ने राजेश के गरदन और कंधे पर अपने हाथ मालिश के लिए फेरने शुरू किए तो राजेश को हल्काहल्का दर्द महसूस होने लगा.

लेकिन इस दर्द का एहसास तीखा नहीं था, बल्कि मीठा था. रीटा के हाथों को महसूस करते हुए राजेश कब गहरी नींद में चला गया, उसे होश ही नहीं था.

राजेश के सो जाने के बाद रीटा ने उस के शरीर के हर हिस्से की अपने हाथों से मालिश की. मालिश के बाद रीटा ने हल्के गरम पत्थर राजेश की पीठ और गरदन पर रख दिए, जोकि इसी स्पैशल मसाज का हिस्सा थे.

जब राजेश की आंखें खुलीं और वह नींद से जागा तो उसे अपनी पीठ और गरदन पर गरमाहट महसूस हुई और रीटा उस के सामने चुपचाप बैठी थी. राजेश ने गरदन उठाई और रीटा से कहा, ‘‘अरे रीटाजी, मसाज हो गई है क्या?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देती हुए कहा, ‘‘नहीं सर, अभी एक और सेशन बाकी है. आप काफी देर से सो रहे थे तो मैं ने आप को डिस्टर्ब नहीं किया.’’

यह सुन कर राजेश ने कहा, ‘‘जी मैडम. मैं काफी गहरी नींद में सो गया था. कसम से मजा आ गया. पहली बार बौडी मसाज करवा रहा हूं. मुझे अंदाजा ही नहीं था कि इस में इतना मजा आता है.’’ कह कर राजेश चुप हो गया.

जब गरम पत्थर को हटाने का समय हो गया तो रीटा कुरसी से उठी और एकएक कर राजेश के शरीर से पत्थर हटाते हुए बोली, ‘‘सर, क्या आप एक्स्ट्रा सर्विस लेना चाहते हैं?’’

ये भी पढ़ें- Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 2

राजेश ने रीटा का सवाल सुन तो लिया था लेकिन उसे समझ नहीं आया कि ये एक्स्ट्रा सर्विस भला कौन सी बला है. तब राजेश ने रीटा से सवाल किया, ‘‘एक्स्ट्रा सर्विस मतलब? मैं ने तो स्पैशल मसाज के पैसे काउंटर पर दे दिए थे.’’

रीटा ने राजेश के सवाल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘‘नहीं सर, स्पैशल मसाज तो एक अलग चीज है, एक्स्ट्रा सर्विस में हम आप के शरीर के कुछ खास हिस्सों की खास मसाज करते हैं. जिस के पैसे आप को काउंटर पर नहीं, बल्कि हमें देने होते हैं.’’

राजेश रीटा की बातों का इशारा समझने लगा था. वह रीटा से बोला, ‘‘मुझे आप की एक्स्ट्रा सर्विस के कितने पैसे और देने होंगे?’’

रीटा ने राजेश के सवाल का जवाब देते हुए कहा, ‘‘सर ये डिपेंड करता है कि आप कैसी सर्विसेज लेना चाहते हैं.’’

राजेश की उत्सुकता अब सातवें आसमान पर पहुंच चुकी थी. उस के शरीर का रोमरोम मानो खड़ा हो गया था. उस ने रीटा को धीमी आवाज में कहा, ‘‘ठीक है, आप अपनी सारी एक्स्ट्रा सर्विस मुझे दे दीजिए.’’

रीटा ने बिना वक्त बरबाद किए, राजेश को पीठ के बल लेटने को कहा. अब रीटा की हल्के गुलाबी रंग की यूनिफार्म भी ढीली हो गई थी. राजेश अपने सामने रीटा की ढीली पड़ती यूनिफार्म से उस के अंगों को साफ देख पा रहा था.

देखते ही देखते एक्स्ट्रा सर्विस के नाम पर राजेश ने वो सब हासिल कर लिया था, जिस से वह अब तक अछूता था. राजेश और रीटा दोनों के शरीर आपस में जुड़ गए थे. ऐसा लग रहा था जैसे वे दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हों.

कुछ समय बाद जब रीटा की नसें ढीली पड़तीं तो वो राजेश की पीठ में अपने नाखून गड़ा देती. उन के बीच का यह शारीरिक मेल काफी लंबा चला. अंत में जब उन दोनों के बीच सब कुछ खत्म हो गया तो राजेश फिर एक बार बाथरूम में जा कर नहाया. उस ने अपने कपड़े पहने.

अगले भाग में पढ़ें- दिल्ली सरकार के सख्त कदम

श्यामली- भाग 2: जब श्यामली ने कुछ कर गुजरने की ठानी

सोम के मित्र अतुल ने उन्हें ड्रिंक का गिलास औफर किया. श्यामलीजी ने घबरा कर कहा, ‘‘मैं ड्रिंक नहीं करती.’’

सोम ने गिलास ले कर जबरदस्ती उन के मुंह में लगा दिया, ‘‘छोड़ो भी यह बी ग्रेड देहाती मैंटेलिटी. अब तुम रईसों वाले शौक करो और ऐश की जिंदगी जीयो.’’

श्यामलीजी की आंखों से अश्रुधारा बहने लगी. वे कोने में जा कर बैठ गईं. नौनवैज खाना देख खाने के पास भी नहीं गईं.

उस दिन उन के कारण सोम को अपनी बेइजती महसूस हुई थी. वे सारे रास्ते उन्हें भलाबुरा कहने के साथसाथ गालियां भी देते रहे थे.

इतनी गालीगलौज के बाद भी वे श्यामलीजी के तन को रौंदना नहीं भूले थे. वे रातभर सिसकती रही थीं. समझ नहीं पा रही थीं कि उन्हें ऐसी स्थिति में क्या करना चाहिए. अगली सुबह सब कुछ उलटपुलट कर उन के जीवन में अघटित घट गया. पापाजी रात में सोए तो उन्होंने सुबह आंखें ही नहीं खोलीं. सब कुछ बदल चुका था. मम्मीजी श्यामलीजी को अपशगुनी कहकह कर रो रही थीं. उन की शादी को अभी मात्र 2 महीने ही हुए थे.

नातेरिश्तेदारों की भीड़ के सामने मम्मीजी का एक ही प्रलाप जारी रहता कि बिना दानदहेज की तो बहू लाए और वह भी ऐसी आई कि मेरी जड़ ही खोद दी. इस ने तो हमें बरबाद कर दिया.

यह ठीक था कि सोम दुखी थे, लेकिन वे मम्मीजी को चुप भी तो करा सकते थे, परंतु नहीं. वे उन से खिंचेखिंचे से रहते, लेकिन रात में उन के शरीर पर उन का पूरा अधिकार होता. उन की इच्छाअनिच्छा की परवाह किए बिना वे अपनी भूख मिटा कर करवट बदल कर खर्राटे भरने लगते.

श्यामलीजी उदास और परेशान रहतीं, क्योंकि वहां उन का अपना कोई न था, जिस से वे अपने मन का दर्द कह सकें.

उन्हीं दिनों उन के शरीर के अंदर नवजीवन का स्फुरण होने लगा. वे समझ नहीं पा रही थीं कि हंसे या फूटफूट कर रोए. विद्रोह करने की न ही प्रवृत्ति थी और न ही हिम्मत. वे अपनी शादी को टूटने नहीं देना चाहती थीं. वे रिश्तों को निभाने में विश्वास रखती थीं. दोनों की इज्जत का समाज में मजाक नहीं बनने देना चाहती थीं. सोम मैडिकल स्टोर में बिजी हो गए थे. वे कभी नहीं सोच पाए कि श्यामलीजी का भी कोई अरमान या इच्छा होगी. वे भी प्यार और सम्मान की चाहत रखती होंगी. वे तो स्वचालित मशीन बन गई थीं,  जिस का काम था- मम्मीजी और सोम को हर हाल में खुश रखना. कोई आएजाए जो उस का आदरसम्मान और सेवा करना.

ये भी पढ़ें- मायका: सुधा को मायके का प्यार क्यों नहीं मिला?

उन्होंने सुबह से शाम तक अपने को घर के कामों में झोंक दिया था. जो भी खाना बनातीं सोम को पसंद नहीं आता. कहते कि यह क्या खाना बनाया है? मुझे तो मटरपनीर की सब्जी खानी है. फिर वे थके कदमों से रात के 11 बजे सब्जी बनाने में जुट जातीं.

जब भी मम्मीपापा उन से मिलने को आए या घर ले जाने की बात की तो मम्मीजी ने ऐसा लाड़प्यार और उन की अनिवार्यता दिखाई कि उन लोगों को यह महसूस हुआ कि वे लोग धन्य हैं, जिन की बेटी को इतना संपन्न और प्यार करने वाला पति और परिवार मिला है.

वे अपनी मां के कंधे पर अपना सिर रख कर अपना मन हलका करना चाहती थीं, लेकिन मम्मीजी और सोम ने ऐसा जाल बिछाया कि एक पल को भी उन्हें मां के साथ अकेले नहीं बैठने दिया.

गोद में राशि के आने के सालभर बाद ही शुभ आ गया. उन की व्यस्तता जिम्मेदारियों के कारण बढ़ गई थी. वे घरगृहस्थी और बच्चों में उलझती गई थीं.

जब कभी सोम उन का अपमान करते या भलाबुरा कहते तो उन्हें अपने पर बहुत क्रोध आता कि क्यों वे ये सब सह रही हैं. क्या बच्चे केवल उन के हैं? आखिर बीज तो सोम का ही है.

सोम के लिए तो अब वे मात्र तन की भूख मिटाने की जरूरत बन कर रह गई थीं. सोम ने स्टोर पर कुछ काम बढ़ा लिया था. मैन काउंटर की डिस्ट्रीब्यूटरशिप ले ली थी. इसलिए और ज्यादा बिजी रहने लगे थे.

स्टोर पर कंप्यूटर का काम करने के लिए एक लड़की, जिस का नाम नइमा था, उसे रख लिया था. वह काफी खूबसूरत और फैशनेबल थी. जल्दी ही सोम उस के प्यार में पड़ गए. वे नइमा को साथ ले कर क्लब जाने लगे. वहां पौप म्यूजिक की धुन पर डांस और ड्रिंक के गिलास खनकते. वहां वह सोम का बखूबी साथ देती. जल्द ही नइमा सोम की जरूरत और जिंदगी बन गई.

एक दिन स्टोर के मैनेजर महेश ने मम्मीजी को अपना नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सोम बहक गए हैं. नकली दवा बेचने लगे हैं. वे कई बार ऐक्सपायरी दवा भी ग्राहकों को दे देते हैं. ड्रग्स सप्लाई का काम भी करना शुरू कर दिया है. किसी भी समय मुसीबत में पड़ सकते हैं.

अब मम्मीजी को श्यामलीजी की याद आई कि श्यामली, सोम को कंट्रोल करो. वह तो अपनी तो अपनी, हम सब की बरबादी के रास्ते पर भी चल निकला है.

मम्मीजी की हिम्मत ही नहीं थी कि वे सोम से दुकान के विषय में बात कर सकें. उन्होंने जब भी कुछ पूछताछ या टोकाटाकी की तो सोम गालीगलौच पर उतर आते.

ये भी पढ़ें- मेरा घर: क्या स्मिता ने रूद्र को माफ किया?

सोम के साथ उन का औपचारिक सा रिश्ता रह गया था. अब वे बच्चों के लिए महंगेमहंगे खिलौने लाते. उन के और मम्मीजी के लिए भी कीमती तोहफे ले कर आते. वे देर रात लौटते. उन के मुंह से रोज शराब की दुर्गंध आती. लेकिन श्यामलीजी लड़ाई से बचने के लिए चुप रहतीं.

उन्हें महंगे तोहफे, कीमती साडि़यों की चाह नहीं थी. वे तो पति के प्यार की भूखी थीं. वे उन की बांहों में झूलती हुईं प्यार भरी बातें करना चाहती थीं.

नियति ने स्त्री को इतना कमजोर क्यों बना दिया है कि वह घर न टूटने के डर से अपने वजूद की कुरबानी देती रहती है?

अब तो सोम के लाए हुए तोहफों को वे खोल कर भी नहीं देखती थीं.

एक दिन सोम चिढ़ कर बोले कि इतनी महंगी साडि़यां ला कर देता हूं, लेकिन तुम्हारा उदास और मायूस चेहरा मेरा मूड खराब कर देता है.

ये भी पढ़ें- कागज के चंद टुकड़ों का मुहताज रिश्ता

मैं तुम्हें मार रहा हूं? गाली दे रहा हूं? क्या कमी है?

श्यामलीजी हिम्मत कर के प्यार से, बच्चों का वास्ता दे कर उन से शराब पीने और क्लब जाने को मना करने लगीं तो सोम बेशर्मी से बोले कि मैं ये सब न करूं तो क्या करूं? मैं तुम से संतुष्ट नहीं हूं, न तो शारीरिक रूप से न ही मानसिक रूप से. मेरा और तुम्हारा मानसिक स्तर बिलकुल अलग है. हम दोनों कभी एक नहीं हो सकते.

Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 2

अदालत के दाईं ओर बने कटघरे में मुलजिम नीलू उर्फ अनिल उर्फ चरानी मुंह लटकाए खड़ा था और उस के चेहरे का रंग पीला पड़ा था. जज राजीव भारद्वाज अपनी न्याय की कुरसी पर विराजमान थे. अदालत कक्ष में दोनों पक्षों यानी बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस ठाकुर और सरकार की ओर से अधिवक्ता अमित जिंदल मौजूद थे.

न्यायाधीश ने सुनाई सजा

मुकदमे की काररवाई शुरू की गई. जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ताओं की दलीलें सुनी गईं. इस मामले में सीबीआई ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए. मामले के 14 में से 12 बिंदू नीलू के खिलाफ गए थे और 2 बिंदू आरोपी के पक्ष में. गौरतलब बात यह है कि आरोपी की हत्या वाली जगह पर मौजूदगी, पोस्टमार्टम रिपोर्ट, डीएनए रिपोर्ट आरोपी के खिलाफ रहीं.

‘‘मिट्टी के सैंपल, शरीर पर निशान भी नीलू के दोषी होने को साबित करते हैं. नीलू के पक्ष में यह रहा कि पुलिस या सीबीआई उस की आपराधिक पृष्ठभूमि साबित नहीं कर सकी.

‘‘इस जघन्य अपराध के आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू को भादंवि की धारा 372 (2) (आई) और 376 (ए) के तहत बलात्कार का दोषी माना जाता है. साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत उसे हत्या और धारा 4 के तहत दमनकारी यौन हमला करने की सजा का दोषी माना जाता है. चूंकि पीडि़ता नाबालिग थी इसलिए

अदालत उसे पोक्सो एक्ट का दोषी भी करार देती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने आगे कहा, ‘‘सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट के तथ्यों को आधार मानते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि दोषी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को नाबालिग से दुष्कर्म के जुर्म में मरते दम तक आजीवन कारावास और हत्या के मामले में आजीवन कारावास सहित 10 हजार रुपए जुरमाना लगाती है.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत

‘‘जुरमाना न भरने की सूरत में दोषी को एक साल का अतिरिक्त कारावास काटना होगा. आरोपी की सजा फैसले के दिन से मानी जाएगी. आरोपी अनिल कुमार उर्फ नीलू उर्फ चरानी को न्यायिक हिरासत में लेते हुए यह अदालत उसे जेल भेजने की आदेश देती है अत: आरोपी को तत्काल पुलिस कस्टडी में लिया जाए. आज के मुकदमे की काररवाई यहीं खत्म की जाती है.’’

न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने 10 मिनट में फैसला सुना कर उस दिन की अदालत की काररवाई को विराम दिया और न्याय की कुरसी से उठ कर अपने कक्ष में चले गए. इस के बाद शिमला पुलिस ने अभियुक्त अनिल कुमार को हिरासत में लिया और उसे जेलले गई.

आइए पढ़ते हैं कि गुडि़या रेप और मर्डर केस की दिल दहला देने वाली सनसनीखेज कहानी. इस दर्दनाक और शर्मनाक घटना ने देश तक को हिला कर रख दिया था, जिस में पुलिस महानिरीक्षक से ले कर कांस्टेबल सहित 9 पुलिसकर्मियों तक को जेल की हवा खानी पड़ी थी. आखिर क्या हुआ था इस कहानी में, आइए पढ़तें हैं.

16 वर्षीय गुडि़या मूलरूप से शिमला के विधानसभा चौपाल के छोग की रहने वाली थी. पिता शिवेंद्र कुमार और मां अर्पिता की 5 संतानों में वह चौथे नंबर पर बेटियों में सब से छोटी थी लेकिन बेटा अमन से बड़ी थी. बड़ी होने के नाते गुडि़या अपने मांबाप और बहनों की लाडली और भाई की दुलारी थी.

स्कूल से घर नहीं लौटी गुडि़या

नाम के अनुरूप गुडि़या थी ही गुडि़या जैसी एकदम मासूम, चपल, चंचल और बेहद खूबसूरत, शिमला की खूबसूरत वादियों की तरह जिसे हर कोई प्यार किए बिना थकता नहीं था. मांबाप की लाडली गुडि़या उतनी ही अव्वल थी पढ़ने में.

पढ़लिख कर वह जीवन में बड़ा अफसर बनने की जिजीविषा रखती थी. तो मांबाप भी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. बच्चों की बेहतर परवरिश और शिक्षा पर वह पानी की तरह पैसे बहाते थे.

शिवेंद्र कुमार एक बड़े किसान थे. उन का अपने क्षेत्र में बड़ा नाम था. नाम के साथसाथ बड़ी पहचान भी थी. उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं थी, इसीलिए बच्चों की शिक्षा पर वह खूब पैसे खर्च करते थे.

लेकिन होनी को कौन टाल सकता है, जो होना है वह तो हो कर ही रहता है. ऐसा ही कुछ शिवेंद्र के साथ भी हुआ.

उन्हें क्या मालूम था कि उन के साथ बड़ा भयानक और कड़वा मजाक होने वाला है जिस का जख्म समय के मरहम के साथ तो भर जाएगा, लेकिन उस के निशान ताउम्र नासूर की तरह सालता रहेगा.

वह तारीख थी 4 जुलाई, 2017. गुडि़या, महासू के सीनियर सैकेंडरी हायर स्कूल में 10वीं कक्षा में पढ़ती थी. उन दिनों शाम साढ़े 4 बजे उस के स्कूल की छुट्टी हुआ करती थी. उस दिन भी उस के स्कूल की नियत समय पर छुट्टी हुई थी.

छुट्टी होते ही गुडि़या स्कूल से घर के लिए निकल गई थी लेकिन देर शाम तक वह घर नहीं पहुंची थी. बेटी के घर न पहुंचने पर मां अर्पिता को चिंता हुई.

उन्होंने फोन कर के पति को बताया, ‘‘शाम होने वाली है, बेटी अभी तक घर नहीं लौटी. मुझे चिंता हो रही है, जरा स्कूल फोन कर के पता करिए, आखिर बेटी कहां रह गई.’’

पत्नी की बात सुन कर औफिस गए शिवेंद्र भी परेशान हो गए. शिवेंद्र ने पत्नी से कहा अभी स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन कर के पता करता हूं. तुम चिंता मत करो.

फिर उन्होंने फोन काट दिया और स्कूल के प्रधानाचार्य को फोन मिला कर बेटी के बारे में पूछा.

शिवेंद्र की बात सुन कर प्रधानाचार्य भी हैरान रह गए थे. उन्होंने गुडि़या के पिता को बताया कि बेटी गुडि़या स्कूल आई थी और समय से घर के लिए निकल गई थी.

ये भी पढ़ें- Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत- भाग 1

प्रधानाचार्य से बात करने के बाद शिवेंद्र की चिंता और बढ़ गई. उन्होंने नातेरिश्तेदारों के यहां फोन कर के बेटी के बारे में पूछा लेकिन वह वहां भी नहीं पहुंची थी. अब घर वाले यह सोच कर परेशान होने लगे कि गुडि़या गई तो गई कहां? मन में यह सवाल उठते ही शिवेंद्र की धड़कनें तेज हो गईं.

उन्हें ये समझते देर न लगी कि कहीं बेटी के साथ कोई अनहोनी तो न हो गई. औफिस से देर रात घर लौटे शिवेंद्र पत्नी के साथ सोफे पर बैठेबैठे बेटी के घर लौटने के इंतजार में मुख्यद्वार को टकटकी लगाए ताकते रहे और बेटी की चिंता में पूरी रात दोनों पतिपत्नी ने आंखों में काट दी थी.

जंगल में नग्नावस्था मिली थी लाश

इस बीच शिवेंद्र ने कोटखाई थाने में तहरीर दे कर बेटी की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी थी. इंसपेक्टर राजिंदर सिंह मुकदमा अपराध संख्या 97/2017 पर गुमशुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई में जुट गए थे.

अगले भाग में पढ़ें- विद्रोह और जन आंदोलन ने पकड़ी रफ्तार

Best of Manohar Kahaniya: प्यार पर प्रहार

सौजन्य- मनोहर कहानियां

प्रियंका और कृष्णा प्यार की पींगें भर रहे थे. दोनों का प्यार दोस्तों के बीच चर्चा का विषय बन गया था. कृष्णा तिवारी की उम्र जहां 25 वर्ष थी, वहीं प्रियंका श्रीवास 21 साल की थी. दोनों अकसर छत्तीसगढ़ के बिलासपुर शहर की सड़कों पर एकदूसरे का हाथ थामे घूमते हुए दिख जाते.  कृष्णा उसे अपनी बुलेट मोटरसाइकिल पर भी घुमाता था. दोनों का प्रेम परवान चढ़ रहा था.

कृष्णा तिवारी उर्फ डब्बू मूलत: कोनी, बिलासपुर का रहने वाला था और प्रियंका पास के ही बिल्हा शहर के मुढ़ीपार गांव की थी. वह बिलासपुर में अपने मौसा जोगीराम के यहां रह कर बीए फाइनल की पढ़ाई कर रही थी.

एक दिन कृष्णा ने शहर के विवेकानंद गार्डन में घूमतेघूमते प्रियंका से कहा, ‘‘प्रियंका, आज मैं तुम से एक बहुत खास बात कहने जा रहा हूं,जिस का शायद तुम्हें बहुत समय से इंतजार होगा.’’

‘‘क्या?’’ प्रियंका ने स्वाभाविक रूप से कहा.

‘‘मैं तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ कृष्णा बोला, ‘‘मैं चाहता हूं कि हम दोनों शादी कर लें या फिर घरपरिवार से कहीं दूर भाग चलें.’’

‘‘नहींनहीं, मैं भाग कर शादी नहीं कर सकती, वैसे भी अभी मैं पढ़ रही हूं. शादी होगी तो मेरे मातापिता की सहमति से ही होगी.’’

‘‘तब तो प्यार भी तुम्हें मम्मीपापा की आज्ञा ले कर करना चाहिए था.’’ कृष्णा ने उस की खिल्ली उड़ाते हुए मीठे स्वर में कहा.

‘‘देखो, प्यार और शादी में बहुत बड़ा फर्क है. तुम मुझे अच्छे लगे तो तुम से दोस्ती हो गई और फिर प्यार हो गया.’’ प्रियंका ने सफाई दी.

‘‘अच्छा, यह तो बड़ी कृपा की आप ने हुजूर.’’ कृष्णा ने विनम्र भाव से कहा, ‘‘अब कुछ और कृपा बरसाओ, मेरी यह इच्छा भी पूरी करो.’’

‘‘देखो डब्बू, तुम मेरे पापा को नहीं जानते. वह बड़े ही गुस्से वाले हैं. मैं मां को तो मना लूंगी मगर पापा के सामने तो बोल तक नहीं सकती. वो तो अरे बाप रे…’’ कहतेकहते प्रियंका की आंखें फैल गईं और चेहरा सुर्ख हो उठा.

ये भी पढ़ें- मर कर भी न होंगे जुदा

‘‘प्रियंका, तुम कहो तो मैं पापा से बात करूं या फिर उन के पास अपने पापा को भेज दूं. मुझे यकीन है कि हमारे खानदान, रुतबे को देख कर तुम्हारे पापा जरूर हां कह देंगे. बस, तुम अड़ जाना.’’ कृष्णा ने समझाया.

‘‘देखो कृष्णा, हमारे घर के हालात, माहौल बिलकुल अलग हैं. मैं किसी भी हाल में पापा से बहस या सामना नहीं कर सकती. तुम अपने पापा को भेज दो, हो सकता है बात बन जाए.’’ प्रियंका बोली.

‘‘और अगर नहीं बनी तो?’’ कृष्णा ने गंभीर होते हुए कहा.

‘‘नहीं बनी तो हमारे रास्ते अलग हो जाएंगे. इस में मैं क्या कर सकती हूं.’’ प्रियंका ने जवाब दिया.

एक दिन कृष्णा तिवारी के पिता लक्ष्मी प्रसाद तिवारी प्रियंका श्रीवास के पिता नारद श्रीवास से मिलने उन के घर पहुंच गए. नारद श्रीवास का एक बेटा और 2 बेटियां थीं. वह किराने की एक दुकान चलाते थे.

लक्ष्मी प्रसाद ने विनम्रतापूर्वक अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘भाईसाहब, मैं आप से मिलने बिलासपुर से आया हूं. आप से कुछ महत्त्वपूर्ण बातचीत करना चाहता हूं.’’

कृष्णा के पिता ने की कोशिश

नारद श्रीवास ने उन्हें ससम्मान घर में बिठाया और खुद सामने बैठ गए. लक्ष्मी प्रसाद तिवारी हाथ जोड़ कर बोले, ‘‘मैं आप के यहां आप की बड़ी बेटी प्रियंका का अपने बेटे कृष्णा के लिए हाथ मांगने आया हूं.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास आश्चर्यचकित हो कर लक्ष्मी प्रसाद की ओर ताकते रह गए. उन के मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे. तब लक्ष्मी प्रसाद बोले, ‘‘भाईसाहब, मेरे बेटे कृष्णा को आप की बिटिया पसंद है. हालांकि हम लोग जाति से ब्राह्मण हैं, मगर बेटे की इच्छा को ध्यान में रखते हुए आप के पास चले आए. आशा है आप इनकार नहीं करेंगे.’’

यह सुन कर नारद श्रीवास के चेहरे का रंग बदलने लगा. उन्होंने लक्ष्मी प्रसाद से कहा, ‘‘देखो तिवारीजी, आप मेरे घर आए हैं, ठीक है. मगर मैं अपनी बिटिया का हाथ किसी गैरजातीय लड़के को नहीं दे सकता.’’

‘‘मगर भाईसाहब, अब समय बदल गया है. मेरा आग्रह है कि आप घर में चर्चा कर लें. बच्चों की खुशी को देखते हुए अगर आप हां कर देंगे तो यह बड़ी अच्छी बात होगी.’’ लक्ष्मी प्रसाद ने सलाह दी.

‘‘देखिए पंडितजी, मैं समाज के बाहर बिलकुल नहीं जा सकता. फिर प्रियंका के लिए मेरे पास एक रिश्ता आ चुका है. वे लोग प्रियंका को पसंद कर चुके हैं. मैं हाथ जोड़ता हूं, आप जा सकते हैं.’’ नारद श्रीवास ने विनम्रता से कहा तो लक्ष्मी प्रसाद तिवारी अपने घर लौट गए.

घर लौट कर उन्होंने जब बात न बनने की जानकारी दी तो कृष्णा को गहरा धक्का लगा. अगले दिन कृष्णा ने अपनी बुलेट निकाली और नारद श्रीवास की दुकान पर पहुंच गया. उस समय नारद ग्राहकों को सामान दे रहे थे. दुकान के बाहर खड़ा कृष्णा नारद श्रीवास को घूरघूर कर देख रहा था. जब वह ग्राहकों से फारिग हुए तो उन्होंने कृष्णा की ओर मुखातिब होते हुए कहा, ‘‘हां, क्या चाहिए?’’

कृष्णा ने उन से बिना किसी डर के अपना परिचय देते हुए कहा, ‘‘कल मेरे पापा आप के पास आए थे.’’

यह सुनते ही नारद श्रीवास के दिलोदिमाग में बीते कल का सारा वाकया साकार हो उठा, जिसे लगभग वह भुला चुके थे. उन्होंने कहा, ‘‘हां, तो?’’

कृष्णा तिवारी ने कहा, ‘‘आप ने मना कर दिया. मैं इसलिए आया हूं कि एक बार आप से मिल कर अपनी बात कहूं.’’

‘‘देखो, तुम चले जाओ. मैं ने तुम्हारे पिताजी को सब कुछ बता दिया है और इस बारे में अब मैं कोई बात नहीं करूंगा.’’

कृष्णा ने अपनी आंखें घुमाते हुए अधिकारपूर्वक कहा, ‘‘आप से कह रहा हूं, आप मान जाइए नहीं तो एक दिन आप खून के आंसू रोएंगे.’’

‘‘तो क्या तुम मुझे धमकाने आए हो?’’ नारद श्रीवास का पारा चढ़ गया.

‘‘धमकाने भी और चेतावनी देने भी. आप नहीं मानोगे तो अंजाम बुरा होगा.’’ कहने के बाद कृष्णा तिवारी बुलेट से घर वापस लौट गया.

नारद श्रीवास कृष्णा के तेवर देख कर अवाक रह गए. उन्होंने सोचा कि यह लड़का एक नंबर का बदमाश जान पड़ता है. मैं ने अच्छा किया कि इस के पिता की बात नहीं मानी.

ये भी पढ़ें- लिवइन पार्टनर की मौत का राज

उन्होंने उसी दिन अपने साढ़ू भाई जोगीराम श्रीवास को फोन कर के सारी बात बता दी. उन्होंने उन से प्रियंका पर विशेष नजर रखने की बात कही, क्योंकि प्रियंका उन्हीं के घर रह कर पढ़ रही थी.

नारद की बातें सुन कर जोगीराम ने उन से कहा, ‘‘आप बिलकुल चिंता मत करो. मैं खुद प्रियंका से बात कर के देखता हूं और आप लोग भी बात करो. इस के अलावा आप धमकी देने वाले कृष्णा के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दो.’’

‘‘नहींनहीं, पुलिस में जाने से हमारी ही बदनामी होगी. मैं अब जल्द ही प्रियंका की सगाई, शादी की बात फाइनल करता हूं.’’ नारद बोले.

21 अगस्त, 2019 डब्बू उर्फ कृष्णा ने प्रियंका को सुबहसुबह लवली मौर्निंग का वाट्सऐप मैसेज भेजा और लिखा, ‘‘प्रियंका हो सके तो मुझ से मिलो, कुछ जरूरी बातें करनी हैं. जाने क्यों रात भर तुम्हारी याद आती रही, इस वजह से मुझे नींद भी नहीं आ सकी.’’

प्रियंका ने मैसेज का प्रत्युत्तर हमेशा की तरह दिया, ‘‘ठीक है, ओके.’’

मौसी ने समझाया था प्रियंका को

प्रियंका रोजाना की तरह उस दिन भी तैयार हो कर कालेज के लिए निकलने लगी तो मौसा और मौसी ने उसे बताया कि वह घरपरिवार की मर्यादा को ध्यान में रखे. कृष्णा से मेलमुलाकात उस के पापा को पसंद नहीं है. तुम्हें शायद यह पता नहीं कि कृष्णा ने मुढ़ीपार पहुंच कर धमकी तक दे डाली है. यह अच्छी बात नहीं है. अगर इस में तुम्हारी शह न होती तो क्या उस की इतनी हिम्मत हो पाती?

मौसी की बातें सुन कर प्रियंका मुसकराई. वह जल्दजल्द चाय पीते हुए बोली, ‘‘मौसी, आप जरा भी चिंता मत करना. मैं घरपरिवार की नाक नहीं कटने दूंगी. जब पापा मुझ पर भरोसा करते हैं, उन्होंने मुझे पढ़ने भेजा है, मेरी हर बात मानते हैं तो मैं भला उन की इच्छा के बगैर कोई कदम कैसे उठाऊंगी. आप एकदम निश्चिंत रहिए.’’

मौसी सीमा ने उसे बताया कि जल्द ही उस की सगाई एक इंजीनियर लड़के से होने वाली है, इसलिए वह कृष्णा से दूर ही रहे.

हंसतीबतियाती प्रियंका रोज की तरह सीपत रोड स्थित शबरी माता नवीन महाविद्यालय की ओर चली गई. वह बीए अंतिम वर्ष की पढ़ाई कर रही थी.

कालेज में पढ़ाई के बाद प्रियंका क्लास से बाहर आई तो कृष्णा का फोन आ गया. दोनों में बातचीत हुई तो प्रियंका ने कहा, ‘‘मैं कालेज से निकल रही हूं और थोड़ी देर में तुम्हारे पास पहुंच जाऊंगी.’’

प्रियंका राजस्व कालोनी स्थित कृष्णा के किराए के मकान में जाती रहती थी. वह मकान बौयज हौस्टल जैसा था. कृष्णा और प्रियंका वहां बैठ कर अपने दुखदर्द बांटा करते थे. प्रियंका ने उस से वहां पहुंचने की बात कही तो कृष्णा खुश हो गया.

कृष्णा घर का बिगड़ैल लड़का था. आवारागर्दी और घरपरिवार से बेहतर संबंध नहीं होने के कारण पिता ने एक तरह से उसे घर से निकाल दिया था. कृष्णा किराए का मकान ले कर रहता था. उस मकान में पढ़ाई करने वाले और भी लड़के रहते थे. उस के पास एक बुलेट थी. अपने खर्चे पूरे करने के लिए वह पार्टटाइम कार वाशिंग का काम करता था.

काफी समय बाद भी प्रियंका कृष्णा के कमरे पर नहीं पहुंची तो वह परेशान हो गया. वह झल्ला कर कमरे से निकला और प्रियंका को फोन किया. प्रियंका ने उसे बताया कि वह अपनी फ्रैंड के साथ है और उस के पास पहुंचने में कुछ समय लगेगा.

कृष्णा उस से मिलने के लिए उतावला था. काफी देर बाद भी जब वह नहीं पहुंची तो उस ने प्रियंका को फिर फोन किया. प्रियंका बोली, ‘‘आ रही हूं यार. मैं अशोक नगर पहुंच चुकी हूं.’’

इस पर कृष्णा ने झल्ला कर कहा, ‘‘मैं वहीं आ रहा हूं. तुम रुको, मैं पास में ही हूं’’

ये भी पढ़ें- गुनहगार पति: भाग 1

कृष्णा थोड़ी ही देर में अशोक नगर जा पहुंचा. प्रियंका वहां 2 सहेलियों के साथ खड़ी थी.

प्रियंका की बातों से कृष्णा को लगा कि आज उस का रंग कुछ बदलाबदला सा है. मगर उस ने धैर्य से काम लिया. प्रियंका को देख वह स्वाभाविक रूप से मुसकराते हुए बोला, ‘‘प्रियंका, तुम मुझे मार डालोगी क्या? तुम से मिलने के लिए सुबह से बेताब हूं और तुम कह रही हो कि आ रही हूं…आ रही हूं.’’

‘‘तो क्या कालेज भी न जाऊं? पढ़ाई छोड़ दूं, जिस के लिए मैं गांव से यहां आई हूं?’’ प्रियंका ने तल्ख स्वर में कहा.

‘‘मैं ऐसा कहां कह रहा हूं, मगर कालेज से सीधे आना था. 2 घंटे हो गए तुम्हारा इंतजार करते हुए. कम से कम मेरी हालत पर तो तरस खाना चाहिए तुम्हें.’’

‘‘और तुम्हें मेरे घर जा कर हंगामा करना चाहिए. पापा से क्या कहा है तुम ने, तुम ऐसा कैसे कह सकते हो?’’ प्रियंका ने रोष भरे स्वर में कहा.

प्रियंका को गुस्से में देख कर कृष्णा को भी गुस्सा आ गया. दोनों की अशोक नगर चौक पर ही नोकझोंक होने लगी, जिस से वहां लोगों का हुजूम जमा हो गया. तभी एक स्थानीय नेता प्रशांत तिवारी जो कृष्णा और प्रियंका से वाकिफ थे, वहां पहुंचे और उन्होंने दोनों को समझाबुझा कर शांत कराया.

कृष्णा प्रियंका को ले आया अपने कमरे पर

दोनों शांत हो गए. कृष्णा ने प्रियंका को बुलेट पर बिठाया और अपने कमरे की ओर चल दिया. रास्ते में दोनों ही सामान्य रहे. अपने कमरे पर पहुंच कर कृष्णा ने कहा, ‘‘प्रियंका, अब दिमाग शांत करो. मैं तुम्हारे लिए बढि़या चाय बनाता हूं.’’

यह सुन कर प्रियंका मुसकराई, ‘‘यार, मुझे भूख लग रही है और तुम बस चाय बना रहे हो.’’

इस के बाद कृष्णा पास के एक होटल से नाश्ता ले आया. दोनों प्रेम भाव से बातचीत करतेकरते कब फिर से तनाव में आ गए, पता ही नहीं चला. कृष्णा ने कहा, ‘‘तुम मुझ से शादी करोगी कि नहीं, आज मुझे साफसाफ बता दो.’’

प्रियंका ने स्पष्ट शब्दों में कहा, ‘‘नहीं, मैं शादी घर वालों की मरजी से ही करूंगी.’’

हत्या कर कृष्णा हो गया फरार

दोनों में बहस होने लगी. उसी दौरान बात बढ़ने पर कृष्णा ने चाकू निकाला और प्रियंका पर कई वार कर उसे गंभीर रूप से घायल कर दिया. खून से लथपथ प्रियंका को मरणासन्न छोड़ कर वह वहां से भाग खड़ा हुआ. घायल प्रियंका कराहती रही और वहीं बेहोश हो गई.

हौस्टल के राकेश वर्मा नाम के एक लड़के ने प्रियंका के कराहने की आवाज सुनी तो वह कमरे में आ गया. उस ने गंभीर रूप से घायल प्रियंका को बिस्तर पर पड़े देखा तो तुरंत स्थानीय सरकंडा थाने में फोन कर के यह जानकारी थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

जानकारी मिलते ही थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता कुछ पुलिसकर्मियों को साथ ले कर राजस्व कालोनी के हौस्टल पहुंच गए. उन्होंने कमरे के बिस्तर पर खून से लथपथ एक युवती देखी, जिस की मौत हो चुकी थी.

थानाप्रभारी ने यह जानकारी अपने उच्चाधिकारियों को भी दे दी. एडीशनल एसपी ओ.पी. शर्मा एवं एसपी (सिटी) विश्वदीपक त्रिपाठी भी मौके पर पहुंच गए. दोनों पुलिस अधिकारियों ने मौकामुआयना करने के बाद उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेजने के आदेश दिए.

अधिकारियों के जाने के बाद थानाप्रभारी ने प्रियंका की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. हौस्टल के लड़कों से पता चला कि जिस कमरे में प्रियंका की हत्या हुई थी, वह कृष्णा का है. प्रियंका के फोन से पुलिस को उस की मौसी व पिता के फोन नंबर मिल गए थे, लिहाजा पुलिस ने फोन कर के उन्हें अस्पताल में बुला लिया.

ये भी पढ़ें- 2 लोगों ने की 18 सालों मे 36 हत्याएं!

प्रियंका के मौसामौसी और मातापिता ने अस्पताल पहुंच कर लाश की शिनाख्त प्रियंका के रूप में कर दी. उन्होंने हत्या का आरोप बिलासपुर निवासी कृष्णा उर्फ डब्बू पर लगाया. पुलिस ने कृष्णा के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर उस की खोजबीन शुरू कर दी. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. पुलिस को पता चला कि वह रायपुर से नागपुर भाग गया है.

पकड़ा गया कृष्णा

थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता व महिला एसआई गायत्री सिंह की टीम आरोपी को संभावित स्थानों पर तलाशने लगी. पुलिस ने कृष्णा के फोटो नजदीकी जिलों के सभी थानों में भी भेज दिए थे.

सरकंडा से करीब 25 किलोमीटर दूर स्थित मुंगेली जिले के थाना सरगांव के एक सिपाही को 23 अगस्त, 2019 को कृष्णा तिवारी सरगांव चौक पर दिख गया. उस सिपाही का गांव आरोपी कृष्णा तिवारी के गांव के नजदीक ही था. इसलिए सिपाही को यह जानकारी थी कि कृष्णा मर्डर का आरोपी है और पुलिस से छिपा घूम रहा है.

लिहाजा वह सिपाही कृष्णा तिवारी को हिरासत में ले कर थाना सरगांव ले आया. सरगांव पुलिस ने कृष्णा तिवारी को गिरफ्तार करने की जानकारी सरकंडा के थानाप्रभारी जयप्रकाश गुप्ता को दे दी.

उसी शाम सरकंडा थानाप्रभारी कृष्णा तिवारी को सरगांव से सरकंडा ले आए. उस से पूछताछ की गई तो उस ने प्रियंका की हत्या करने का अपराध स्वीकार कर लिया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने घटनास्थल से एक चाकू भी बरामद किया, जो 3 टुकड़ों में था.

कृष्णा ने बताया कि हत्या करने के बाद वह बुलेट से सीधा रेलवे स्टेशन की तरफ गया. उस समय उस के कपड़ों पर खून के धब्बे लगे थे. उस के पास पैसे भी नहीं थे. स्टेशन के पास अनुराग मानिकपुरी नाम के दोस्त से उस ने 500 रुपए उधार लिए और रायपुर की तरफ निकल गया.

कृष्णा तिवारी उर्फ दब्बू से पूछताछ कर पुलिस ने उसे 24 अगस्त, 2019 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी, बिलासपुर के समक्ष पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें