विषबेल- भाग 4: आखिर शर्मिला हर छोटी समस्या को क्यों विकराल बना देती थी

काम करने की आदत शर्मिला को नहीं थी, ससुराल में तो नंदिनी मौसी गरमगरम पका कर थाली हाथ में पकड़ाती थीं. उस पर भी वह मीनमेख निकालती रहती थी, अब मायके में काम करना पड़ा तो पैरोंतले से जमीन खिसकने लगी. नीरा और जया खाना होटल से मंगवाने की राय देतीं. 2-4 बार उस ने मंगवाया भी, लेकिन बजट बिगड़ने लगा, तो हाथ रोकना पड़ा. फिर, नवजात गौरव के लिए दलिया और सूप तो बनाना ही पड़ता था.

शर्मिला से जितना बन पड़ता, घर का काम करती. गौरव को भी संभालती. पिता की छोटी सी दुकान थी. मुट्ठीभर कमाई से क्या खाते क्या निचोड़ते? इतना पैसा नहीं था कि एक नौकर रखा जा सके. अपने रोजमर्रा के खर्चे शर्मिला एटीएम से पैसे निकाल कर पूरे कर लेती थी. जो थोड़ीबहुत रकम बचती, उसे उस की बहनें उड़ा देतीं.

शर्मिला के न दिल को आराम था न शरीर को. एक बार उस के मन में आया कि वापस लौट जाए अपने घर, फिर अहम आड़े आ गया. खुद घर छोड़ कर आई थी, बिन बुलाए जाने का मतलब था समीर के तलवे चाटना और उसे यह कतई मंजूर नहीं था.

इधर, समीर का बुरा हाल था. शर्मिला  झगड़ालू थी, किसी की इज्जत नहीं करती थी, कोई बात ही नहीं मानती थी, फिर भी उस के रहने से घर में चहलपहल रहती थी. कोई बोलने वाला तो था. गौरव के आने के बाद तो घर की सूनी दीवारें भी बोलने लगी थीं.

पुरानी बातें याद कर समीर का सिर भारी हो गया था.

देवयानीजी अब रोज पूछतीं, ‘‘शर्मिला कब आ रही है?’’ समीर हर संभव नियंत्रण करता, लेकिन उस के भीतर का हाहाकार साफ दिखाई दे जाता. पिता सम झाते, ‘‘पतिपत्नी के बीच अहम का कोई प्रश्न ही नहीं उठता. स्नेहवश  झुकना पराजय की स्वीकृति नहीं होती, जा कर बहू को ले आ.’’

शर्मिला ऐसे ही विचारों में खोई थी, तभी उस के पिता कन्हैया लाल ने प्रवेश किया, बोले, ‘‘बेटी, समीर आया था तु झे लेने दुकान पर. अरविंद को लखनऊ से आए हुए 3 महीने हो गए हैं, अब उस की क्लीनिक का शुभारंभ होने वाला है. मैं और जया भी चलेंगे.’’

‘‘जया भी…’’

‘‘हां, सोचता हूं कि अरविंद के साथ जया का रिश्ता पक्का कर दूं, जानापहचाना परिवार है. तू भी वहीं है, तेरे सासससुर और समीर सभी सज्जन हैं. जया खुश रहेगी.’’

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‘‘कहां है समीर?’’

‘‘दुकान पर. तेरी प्रशंसा कर रहा था. उस ने तेरी कोई शिकायत नहीं की. मैं ने अरविंद के साथ जया के रिश्ते की बात की, तो बोला, ‘‘अगर शर्मिला को यह रिश्ता पसंद है तो मैं अरविंद से बात करता हूं.’’

शर्मिला मन ही मन सोच रही थी, ‘‘निहायत बदतमीज, धूर्त और समूचे घर की दुश्मन होने पर भी मेरे ऊपर इतना भरोसा?’’

‘‘मैं गंगा तर जाऊंगी बेटी,’’ शर्मिला की मां ने भी पति का पक्ष लिया.

शर्मिला सोच में पड़ गई.

‘‘यह रहा निमंत्रणपत्र,’’ कन्हैया लाल ने निमंत्रणपत्र आगे बढ़ाया तो शर्मिला निमंत्रणपत्र पढ़ कर अवाक रह गई, ‘‘क्लिनिक का उद्घाटन मेरे करकमलों द्वारा, सरकारी अस्पताल के सिविल सर्जन और मैडिकल कालेज के प्रख्यात प्रोफैसरों को छोड़ कर?

‘‘समीर से कह दीजिए, हम पहली ट्रेन से ही चलेंगे.’’

‘‘लेकिन समीर को भोजन आदि? पहली बार आए हैं.’’

‘‘आप चिंता न करें. बस, मेरी बात जा कर कह दें. हम रास्ते में ही कहीं कुछ खा लेंगे,’’ शर्मिला तैयारी में जुट गई.

सुहागशृंगार से सजी पत्नी को देख

कर समीर सुखद आश्चर्य में डूब

गया, ‘‘शर्मिला?’’

समीर को गौरव थमा कर शर्मिला बोली, ‘‘तुम ने मु झे माफ कर दिया?’’

‘‘मैं तुम से रूठा ही कब था, नाराज तो तुम थीं.’’

‘‘तभी तुम ने अरविंद के आने की मु झे कोई सूचना नहीं दी?’’ उस ने तनिक रूठ कर उलाहना दिया.

‘‘अरविंद तुम्हारा बहुत आदर करता है. वह तुम्हें सरप्राइज देना चाहता था. इसीलिए अपने क्लीनिक के रेनोवेशन में लगा हुआ था.’’

क्लीनिक के उद्घाटन समारोह के बाद एकांत पाते ही कन्हैया लाल ने शर्मिला को घेरा, ‘‘मैं जया को इसलिए साथ लाया हूं बेटी कि बात अभी पक्की हो जाए.’’

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‘‘पिताजी, आप ने देखा शहर के प्रतिठित लोगों के बीच अरविंद और उस के नौजवान साथी डाक्टरों ने मेरे पैर छू कर मु झ से आशीर्वाद मांगा. विश्वास कीजिए उन क्षणों में मेरी उम्र बढ़ गई और मैं सम झदार हो गई. पिताजी रूप, लावण्य तो कुदरत की देन है, असली सुंदरता तो गुणों और संस्कारों से आती है. अफसोस है कि मां और आप ने मु झे इस अमूल्य धरोहर से वंचित रखा,’’ शर्मिला ने गंभीर स्वर में पिता को उलाहना दिया, ‘‘पिताजी इस घर के लोग बड़े सरलसीधे और सच्चे हैं, आज की दुनियादारी और चालाकी से कोसों दूर.

‘‘मैं इन्हें तिलतिल कर के मार रही थी, किंतु अब इन्हें और मरने नहीं दूंगी. मेरा अरविंद तो एकदम भोला है, हमेशा दूसरों पर निर्भर और विश्वास करने वाला. जया तो उस की जिंदगी में जहर घोल देगी. मैं उस के लिए ऐसी सुंदर, सुशिक्षित और संस्कारी लड़की लाऊंगी, जो अरविंद के जीवन को सुवासित फूलों से भर दे.’’

‘‘यह क्या कह रही है तू शर्मिला?’’

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‘‘हां पिताजी, मैं आप की बेटी हूं मगर बाद में. पहले मैं इस घर की बहू हूं और मेरे लिए जो असंदिग्ध आस्था प्रकट की गई है उस का निर्वाह मैं करूंगी. जया के लिए ऐसा मूर्ख घरबार मिलने में देर नहीं लगेगी जो कन्या के सौंदर्य और शिक्षा के सामने संस्कारों की तलाश नहीं करता. अरविंद के साथ जया की शादी हरगिज नहीं होगी.’’

और शर्मिला की बड़ीबड़ी आंखों में अडिग संकल्प के साथ पानी तैर आया. कन्हैया लाल प्रकाशहीन विद्युत स्तंभ की भांति निश्छल खड़े थे.

MMS लीक होने के बाद भोजपुरी एक्ट्रेस Trishakar Madhu ने फैंस से मांगी मदद, देखें Video

भोजपुरी इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस त्रिशाकर मधु इन दिनों अपनी वीडियो को लेकर सुर्खियों में छायी हुई है. दरअसल कुछ दिन पहले एक्ट्रेस का एमएमएस सोशल मीडिया पर लीक हो गया था. और इस वीडियो के वायरल होने के बाद उन्हें जमकर ट्रोल किया गया.

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने त्रिशाकर मधुर पर आरोप भी लगाए थे. कई लोगों ने ये भी कहा था कि ये एक्ट्रेस का कोई पब्लिसिटी स्टंट है. तो वहीं एक्ट्रेस ने इसे झूठा करार दिया था.  एक इंटरव्यू के अनुसार एक्ट्रेस ने बताया कि उन्हें बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. ये वीडियो काफी पुराना है लेकिन इस समय इसे किसने वायरल किया है, मैं खुद नहीं जानती.

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त्रिशाकर मधु एक बार फिर सोशल मीडिया पर एक्टिव हुई हैं और लगातार अपने फैंस से उन्हें सपोर्ट करने के लिए कह रही हैं. हाल ही में एक वीडियो पोस्ट करते हुए एक्ट्रेस ने लिखा है कि जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ सकते है.

 

त्रिशाकर मधु ने वीडियो शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा है कि जीत निश्चित हो तो कायर भी लड़ सकते है. बहादुर वो कहलाते है, जो हार निश्चित हो, फिर भी मैदान नहीं छोड़ते. कितना गंदा बोलना है, बोलिए सब एक्सेप्ट है सर झुका कर… क्योंकि समय आपका है.

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बता दें कि त्रिशाकर मधु कई लोकप्रिय भोजपुरी सॉन्ग्स में भी नजर आ चुकी हैं. वह भोजपुरी सुपरस्टार पवन सिंह के साथ भी काम कर चुकी हैं.

Anupamaa: सौतेले बेटे के साथ जमकर नाची काव्या, देखें Viral Video

मदालसा शर्मा, रुपाली गांगुली और सुधांशु पांडे स्टारर सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) हर हफ्ते TRP चार्ट में टॉप पर बना हुआ है. शो में इन लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. अनुज कपाड़िया की एंट्री से कहानी में नया मोड़ आ चुका है. अनुज अनुपमा की हर तरह से मदद करना चाहता है तो वहीं वनराज अनुपमा को हर वक्त ताना देते नजर आ रहा है और उसे अनुज से जलन हो रही है.

शो के आने वाले एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि अनुज अनुपमा को अपना बिजनेस पार्टनर बनाएगा तो दूसरी तरफ वनराज कहेगा कि बचपन का क्रश इस उम्र में रंग ला रहा है. इसी बीच काव्या (मदालसा शर्मा) का एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. आइए बताते हैं इस वीडियो के बारे में.

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मदालसा शर्मा यानी काव्या सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह शो में निगेटिव रोल प्ले करती हैं. वह आए दिन अपनी तस्वीरें व वीडियो शेयर करती रहती हैं. हाल ही में उन्होंने अपना एक नया वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किया है जिसमें वह अपने सौतेले बेटे समर के साथ खूब डांस कर रही हैं.

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‘राधा कैसे न जले’ इस गाने पर काव्या, अनुपमा के बेटे समर के साथ ठुमके लगा रही हैं. काव्या ने इस वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा, सबसे क्यूट कृष्ण के साथ. शो में काव्या-समर एक-दूसरे को पसंद नहीं करते हैं लेकिन रियल लाइफ में ये काफी अच्छे दोस्त हैं. बता दें कि पारस कलनावत समर का किरदार निभाते हैं. वह अनुपमा का फेवरेट बेटा है. दर्शक मां-बेटे की इस जोड़ी को खूब पसंद करते हैं.

Shehnaaz Gill की मां से मिले अभिनव-रूबिना, सिद्धार्थ के जाने के बाद ऐसी हो गई है हालत

सिद्धार्थ शुक्ला ने 2 सितम्बर को दुनिया को अलविदा कह दिया. एक्टर की मौत की वजह हार्ट अटैक बताई जा रही है. सिद्धार्थ की मौत से सेलिब्रिटी से लेकर फैंस तक सदमे में है. सिद्धार्थ शुक्ला की बेस्ट फ्रेंड और को-कंटेंस्टेंट शहनाज गिल इस घटना से पूरी तरह टूट गई हैं. इसी बीच रूबिना और अभिनव ने एक्ट्रेस का हाल बताया है. आइए बताते हैं शहनाज गिल की हालत के बारे में.

बिग बॉस ओटीटी में मौत से कुछ दिन पहले ही सिद्धार्थ और शहनाज नजर आए थे. इनकी जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते थे. सिद्धार्थ की मौत के बाद शहनाज की तबीयत ज्यादा खराब चल रही थी. वह किसी से बात भी नहीं कर रही थीं. लेकिन अब बताया जा रहा है कि एक्ट्रेस इन दिनों रिकवर कर रही हैं.

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शहनाज की मां से रुबीना दिलाइक और अभिनव शुक्ला मिलने गये थे. खबरों के अनुसार उन्होंने बताया है कि शहनाज की हालत अब ठीक है.एक्ट्रेस की मां ने उन्हें बताया कि सिद्धार्थ की मौत के बाद सब लोग घर में दुखी हैं.

 

रिपोर्ट के मुताबिक अभिनव-रुबिना ने बताया है कि शहनाज गिल अब पहले से बेहतर हैं और उनकी तबीयत में सुधार हो रहा है. अभिनव ने ये भी कहा कि वह इन दिनों रीकवर कर रही हैं.

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अभिनव शुक्ला की वर्कफ्रंट की बात करे तो वह हाल में ही खतरों के खिलाड़ी 11 से बाहर हुए हैं. उन्होंने अभिनव के साथ सना मकबूल भी सेमीफाइनल से बाहर हो गई हैं.

मालिनी के डर्टी गेम का होगा खुलासा? Imlie करेगी आदित्य को माफ!

स्टार प्लस का सीरियल इमली में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि मालिनी आदित्य की पत्नी का दर्जा पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. और वह अपने प्लान में कामयाब होती नजर आ रही है. तो दूसरी तरफ इमली पूरी तरह टूट गई है. वह आदित्य का घर छोड़ना चाहती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में जबरदस्त ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि इमली घर छोड़कर चली जाएगी. तो वहीं आदित्य काफी दुखी होगा.  वह मालिनी के साथ रात गुजारने को लेकर पछताता नजर आएगा. वह इन सबके लिए खुद को जिम्‍मेदार ठहराएगा. वह बहुत लाचार महसूस करेगा.

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तो दूसरी तरफ मालिनी इमली का जाने से काफी खुश नजर आएगी. वह अपनी मां अनु से इस बारे में बात करेगी और जीत का जश्न मनाएगी. तभी आदित्‍य वहां आ जाएगा और उसे मालिनी पर शक होगा. आदित्‍य मन ही मन फैसला लेगा कि उस रात क्या हुआ था,  उसकी सच्‍चाई का जरूर पता करेगा.

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उस रात की कुछ बातें याद आने लगेंगी मगर वह पूरी तरह से कंफर्म नहीं होगा. ऐसे में वह मालिनी से सच्‍चाई उगलवाने की कोशिश करेगा. लेकिन मालिनी उसे अपनी बातों में उलझाने की कोशिश करेगी. ऐसे में आदित्‍य भड़क जाएगा और गुस्‍से में मालिनी का हाथ मोड़ देगा.

 

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शो में आप ये भी देखेंगे कि आदित्य मालिनी से चिल्‍लाते हुए पूछेगा कि उस रात की सच्‍चाई क्या थी? शो में अब ये देखना दिलचस्प होगा कि अगर मालिनी आदित्य को डर्टी गेम का सच्चाई बताती है तो क्या इमली घर वापस आ जाएगी और आदित्य से उसका रिश्ता फिर से जुड़ जाएगा?

मेरी खातिर- भाग 3: झगड़ों से तंग आकर क्या फैसला लिया अनिका ने?

‘‘बच्चे थोड़े हैं जो हाथ पकड़ कर डाक्टर के पास ले जाऊं,’’ मम्मी के स्वर में झुंझलाहट थी.

‘‘मम्मा आप भी हद करती हैं… पापा को तेज बुखार है और आप… मानती हूं आप सारी रात परेशान हुईं. पर अपनी बात को रखने का भी एक समय होता है.’’

‘‘तू भी अपने पापा की ही तरफदारी करेगी न…’’

मेरी हालत भी पेंडुलम की तरह थी… कभी मेरी संवेदनाएं मम्मी की तरफ और कभी मम्मी से हट कर बिलकुल पापा की तरफ हो जाती थी. प्रकृति पूरा साल अपने मौसम बदलती पर हमारे घर में बारहों मास एक ही मौसम रहता था कलह और तनाव का. मैं उन दोनों के बीच की वह डोर थी जिस के सहारे उन के रिश्ते की गाड़ी डगमग करती खिंच रही थी.

उस दिन मेरा अंतिम पेपर था. मैं बहुत हलका महसूस कर रही थी. मैं अपने अच्छे परिणाम को ले कर आश्वस्त थी. आज बहुत दिनों बाद हम तीनों इकट्ठे डिनर टेबल पर थे. मम्मी ने आज सबकुछ मेरी पसंद का बनाया था.

‘‘मम्मीपापा, मैं आप दोनों से कुछ कहना चाहती हूं.’’ आज अनिका की भावभंगिता कुछ गंभीरता लिए थी, जिस के मम्मीपापा अभ्यस्त नहीं थे.

‘‘बोलो बेटे… कुछ परेशान सी लग रही हो?’’ वे दोनों एकसाथ बोल चिंतित निगाहों से उसे देखने लगे.

उस ने बहुत आहिस्ता से कहना शुरू किया जैसे कोई बहुत बड़ा रहस्य उजागर करने जा रही हो, ‘‘पापा, मैं आगे की पढ़ाई सूरत में नहीं, बल्कि अहमदाबाद से करना चाहती हूं.’’

‘‘ये कैसी बातें कर रही हो बेटा… तुम्हें तो सूरत के एनआईटी कालेज में आसानी से एडमिशन मिल जाएगा.’’

‘‘मिल तो जाएगा पापा, पर सूरत के कालेजों की रेटिंग काफी नीचे है.’’

‘‘बेटे, यह तुम्हारा ही फैसला था न कि ग्रैजुएशन सूरत से ही कर पोस्टग्रैजुएशन विदेश से कर लोगी, तुम्हारे अचानक बदले इस फैसले का कारण क्या हम जान सकते हैं?’’ पापा के माथे पर तनाव की रेखाएं साफ झलक रही थी.

घर में अनजानी खामोशी पसर गई. यह खामोशी उस खामोशी से बिलकुल अलग थी जो मम्मीपापा की बहस के बाद घर में पसर जाती थी…बस आ रही थी तो घड़ी की टिकटिक की आवाज.

अपनी जान से प्यारे अपने मम्मीपापा को उदास देख अनिका के गले से रोटी

कैसे उतर सकती थी. वह एक रोटी खा कर वाशबेसिन पर पर हाथ धोने लगी. मुंह धोने के बहाने नल से निकलते पानी के साथ उस के आंसू भी धुल गए. वह नैपकिन से अपना मुंह पोंछ रही थी तो सामने लगे आइने में उस ने देखा मम्मीपापा की निगाहें उस पर ही टिकी हैं जिन में बेबस सी अनुनय है.

‘‘आज मुझे महसूस हो रहा है कि सच में जमाना बहुत फौरवर्ड हो गया है… आखिर हमारी बेटी भी इस जमाने के तौरतरीकों बहाव में खुद को बहने से नहीं रोक पाई,’’ पापा के रुंधे स्वर

में कहा.

‘‘ये सब आप के लाडप्यार का नतीजा है, और सुनाओ उसे अपने हौस्टल लाइफ के किस्से चटखारे ले कर… तुम तो चाहते ही थे न कि तुम्हारी बेटी तुम्हारी तरह स्मार्ट बने. तो चली हमारी बेटी आजाद पंछी बन जमाने के साथ

ताल मिलाने. उस ने एक बार भी हमारे बारे में नहीं सोचा.’’

‘‘पापामम्मी के बीच चल रही बातचीत

के कुछ अंश अनिका के कानों में भी पड़ गए

थे. मम्मी ने रोरो कर अपनी आंखें सुजा ली थीं, नाक लाल हो गई थी. पर क्या किया जा

सकता था, आखिर यह उस की पूरी जिंदगी

का सवाल था.’’

आज अनिका स्कूल गई थी. उस ने अपने सारे

कागजात निकलवा कर उन की फोटोकौपी बनवानी थी. वहां जा कर उसे ध्यान आया वह अपनी 10वीं और 11वीं कक्षा की मार्कशीट्स घर पर ही भूल गई है. उस ने तुरंत मम्मी को फोन लगाया, ‘‘मम्मा, मेरी अलमारी में दाहिनी तरफ की दराज में आप को लाल रंग की एक फाइल दिखेगी, उस में से प्लीज मेरी 10वीं और 11वीं की मार्कशीट्स के फोटो भेज दो.’’

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फोटो भेजने के बाद उस फाइल के नीचे दबी एक गुलाबी डायरी पर लिखे सुंदर शब्दों ने मम्मी का ध्यान अपनी ओर खींचा-

‘‘की थी कोशिश, पलभर में काफूर उन लमहों को पकड़ लेने की जो पलभर पहले हमारे घर के आंगन में बिखरे पड़े थे.’’

शायद मेरे चले जाने के बाद उन दोनों का अकेलापन उन्हें एकदूसरे के करीब ले आए. इसीलिए तो अपने दिल पर पत्थर रख उसे

इतना कठोर फैसला लेना पड़ा था. पेज पर

तारीख 15 जून अंकित थी यानी अनिका का जन्मदिन.

मम्मी के मस्तिष्क में उस रात हुई कलह के चित्र सजीव हो गए. एक मां हो कर मैं अपनी बच्ची की तकलीफ को नहीं समझ पाई. अपने अहम की तुष्टि के लिए वक्तबेवक्त वाक्युद्ध पर उतर जाते थे बिना यह सोचे कि उस बच्ची के दिल पर क्या गुजरती होगी.

उन की नजर एक अन्य पेज पर गई,

‘‘मुझे आज रात रोतेरोते नींद लग गई और मैं

सोने से पहले बाथरूम जाना भूल गई और मेरा बिस्तर गीला हो गया. अब मैं मम्मा को क्या जवाब दूंगी.’’

पढ़कर निकिता अवाक रह गई थी. जगहजगह पर उस के आंसुओं ने शब्दों की स्याही को फैला दिया था, जो उस के कोमल मन की पीड़ा के गवाह थे. जिस उम्र में बच्चे नर्सरी राइम्ज पढ़ते हैं उस उम्र में उन की बच्ची की ये संवेदनशीलता और जिस किशोरवय में लड़कियां रोमांटिक काव्य में रुचि रखती हैं उस उम्र में

यह गंभीरता. आज अगर यह डायरी उन के

हाथ नहीं लगी होती तो वे तो अपनी बेटी के फैसले के पीछे का कठोर सच कभी जान ही

नहीं पातीं.

‘‘आप आज अनिका के घर पहुंचने से पहले घर आ जाना, मुझे आप से बहुत जरूरी बात करनी है,’’ मम्मी ने तुरंत पापा को फोन मिलाया.

‘‘निक्की, मुझे ध्यान है नया फ्रिज खरीदना है पर मेरे पास अभी उस से भी महत्त्वपूर्ण काम है… और फिलहाल सब से जरूरी है अनिका का कालेज में एडमिशन.’’

‘‘और मैं कहूं बात उस के बारे में ही है.’’

‘‘मम्मी के इस संयमित लहजे के पापा आदी नहीं थे. अत: उन की अधीरता जायज थी,’’

‘‘सब ठीक तो है न?’’

‘‘आप घर आ जाइए, फिर शांति से बैठ कर बात करते हैं.’’

‘‘पहेलियां मत बुझाओ, साफसाफ क्यों नहीं कहती हो, जब बात अनिका से जुड़ी थी तो पापा कोई ढील नहीं छोड़ना चाहते थे. अत: काम छोड़ तुरंत घर के लिए निकल गए.’’

‘‘देखिए यह अनिका की डायरी.’’

पापा जैसेजैसे पन्ने पलटते गए, अनिका के दिल में घुटी भावनाएं परतदरपरत खुलने लगीं और पापा की आंखें अविरल बहने लगीं. मम्मी भी पहली बार पत्थर को पिघलते देख रही थी.

‘‘कितना गलत सोच रहे थे हम अपनी बेटी के बारे में इस तरह दुखी कर के तो हम उसे घर से हरगिज नहीं जाने दे सकते,’’ उन्होंने अपना फोन निकाल अनिका को मैसेज भेज दिया.

‘‘कोशिश को तेरी जाया न होने देंगे, उस कली को मुरझाने न देंगे,

जो 17 साल पहले हमारे आंगन में खिली थी.’’

‘‘शैतान का नाम लिया और शैतान हाजिर… वाह पापा आप का यह कवि रूप तो पहली बार दिखा,’’ कहती हुई अनिका घर में घुसी और मम्मीपापा को गले लगा लिया.

‘‘हमें माफ कर दे बेटा.’’

‘‘अरे, माफी तो आप लोगों से मुझे मांगनी चाहिए, मैं ने आप लोगों को बुद्धू जो बनाया.’’

‘‘मतलब?’’ मम्मीपापा आश्चर्य के साथ बोले.

‘‘मतलब यह कि घी जब सीधी उंगली से नहीं निकलता है तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है. इतनी आसानी से आप लोगों का पीछा थोड़े छोड़ने वाली हूं. हां, बस यह अफसोस है कि मुझे अपनी डायरी आप लोगों से शेयर करनी पड़ी. पर कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है न?’’

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‘‘अच्छा तो यह बाहर जा कर पढ़ने का फैसला सिर्फ नाटक था…’’

‘‘सौरी मम्मीपापा आप लोगों को करीब लाने का मुझे बस यही तरीका सूझा,’’ अनिका अपने कान पकड़ते हुए बोली.

‘‘नहीं बेटे, कान तुम्हें नहीं, हमें पकड़ने चाहिए.’’

‘‘हां, और मुझे इस ऐतिहासिक पल को कैमरे में कैद कर लेना चाहिए,’’ कह वह तीनों की सैल्फी लेने लगी.

मौत के पंजे में 8 घंटे

3 दोस्तों का सामना जब रात में बाघबाघिन के जोड़े से हुआ, तब उन का दिल दहल गया. जान बचाने के लिए एक पेड़ पर चढ़ गया, जबकि 2 दोस्त उन का निवाला बनने से नहीं बच पाए.

8 घंटे तक मौत के जबड़े में उन के रहने की रोमांच से भरी यह कहानी बहुत कुछ सीख देती है… कंधई लाल ने बड़ी मिन्नतों के बाद खास दोस्त विकास उर्फ दिक्षु को अपने साथ ससुराल चलने के लिए

तैयार किया. विकास को पता था कि उस के ससुराल जाने का मतलब था रात को वहीं ठहरना, जो वह नहीं चाहता था.

‘‘अरे किस सोच में पड़ गया. वहां 1-2 घंटे का ही काम है. जल्दी लौट आएंगे. मुझे जाना बहुत जरूरी है इसलिए कह रहा हूं.’’ कंधई ने उस की चिंता दूर की.

‘‘देखो कंधई, तुम्हारी ससुराल जाने का रास्ता बड़ा खतरनाक है, इसलिए तो चिंता करनी पड़ती है.’’ विकास बोला.

‘‘कुछ नहीं होगा मेरे दोस्त. अच्छा, एक काम कर, मेरी मोटरसाइकिल खराब हो गई है, कोई इंतजाम कर दे यार,’’ कंधई ने एक और आग्रह किया.

‘‘उस की चिंता मत कर. सोनू से कह कर अपने भाई की मोटरसाइकिल मांग लेता हूं. लेकिन हां, हमें आधे घंटे के भीतर निकलना होगा. तभी हम लोग जलालपुर समय रहते पहुंच पाएंगे और अंधेरा होने से पहले लौट भी आएंगे.’’ विकास बोला.

फिर विकास ने उसी समय सोनू को फोन कर उस की मोटरसाइकिल मांगी. यह बात 11 जुलाई की है. कुछ देर में ही सोनू अपने भाई की मोटरसाइकिल ले कर आ गया. तीनों दोस्त बाइक से शाहजहांपुर जिले के थाना पुवायां के गांव जलालपुर के लिए दिन के 11 बजे चल दिए.

तीनों दोस्तों में 35 वर्षीय कंधई लाल, 22 वर्षीय सोनू व 23 वर्षीय विकास उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले के दियोरिया के निवासी थे. वे अकसर हरियाणा और दूसरे जगहों पर एक साथ काम करने आतेजाते रहते थे.

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दियोरिया से जलालपुर करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर है. मोटरसाइकिल के लिए यह दूरी कोई अधिक नहीं थी, लेकिन रास्ता पीलीभीत टाइगर रिजर्व के जंगलों के बीच से गुजरता था, इसलिए सुनसान और खतरनाक माना जाता था.

तीनों दोस्त हंसतेबतियाते सुनसान सड़क पर चले जा रहे थे. रास्ता कब तय हो गया, इस का उन्हें पता ही नहीं चला.

कंधई के ससुराल में उन के दोनों दोस्त काफी दिनों बाद गए थे, इस कारण उन की खूब आवभगत हुई. मिलनेमिलाने और बातचीत में समय का पता ही नहीं चला. शाम ढलने लगी, तब तक वे जलालपुर में ही जमे रहे.

देखते ही देखते शाम के साढ़े 7 बज गए. विकास ने कंधई से कहा कि जल्दी चलो जंगल का रास्ता है देर करना ठीक नहीं है. उस के बाद साढ़े 7 बजे तक तीनों दोस्त बाइक से दियोरिया के लिए निकल पड़े.

उन की बाइक जब दियोरिया मार्ग पर टूटे पुल के पास पीलीभीत टाइगर रिजर्व की वन चौकी बैरियर पर पहुंची, तब तक रात के साढ़े 8 बज चुके थे.

उन्होंने वहां तैनात वनकर्मी हरिराम से बैरियर खोलने के लिए कहा. किंतु हरिराम ने जंगल के घुंघचाई-दियोरिया मार्ग से रात के समय जाने से मना कर दिया. क्योंकि अंधेरा होने पर टाइगर घने जंगल से निकल कर सड़क पर घूमते दिखते हैं, इसलिए वनकर्मी बैरियर लगा कर सड़क बंद कर देते हैं. लेकिन वे लोग हरिराम से जबरदस्ती बैरियर खुलवाने की जिद करने लगे.

हरिराम ने उसे मिले आदेश के बारे में बताया कि जंगल के रास्ते से रात को जाना मना है. उस ने उन्हें समझाया कि इस क्षेत्र में रात के समय बाघ सड़क पर आ जाते हैं. इसी कारण शाम 7 बजे से सुबह 5 बजे तक जंगल के इस रास्ते को बंद कर दिया जाता है.

कंधई ने हरिराम से विनती करते हुए कहा कि उन का घर पहुंचना जरूरी है. इस पर हरिराम ने कहा कि आप सभी यहां रुक कर थोड़ा और इंतजार करें. कुछ और राहगीरों के आ जाने पर रास्ता खोल सकता हूं. आप सभी इकट्ठे निकल जाना.

हरिराम की बात पर वे कुछ देर रुके जरूर, लेकिन किसी और के नहीं आने पर उन्होंने जबरन बैरियर को खुलवाया और निकल गए.

कुछ मिनटों में ही उन की बाइक वन चौकी से लगभग एक किलोमीटर आगे जंगल के रास्ते पर खन्नौत नदी के टूटे पुल के पास पहुंच गई थी. वहां तक तो सब कुछ ठीकठाक था, उन्होंने अपनी सुरक्षा के लिए बाइक की हेडलाइट बंद कर दी थी. सड़क के खंभों पर लगी साधारण लाइटों के सहारे रास्ते पर बगैर कोई आवाज के आगे बढ़ रहे थे.

तभी बाइक पर पीछे बैठे विकास ने रास्ते के एक साइड में 2 बाघ बैठे देखे. अचानक उस के मुंह से चीख निकल गई. बाइक सोनू चला रहा था, कंधई बीच में बैठा था. सोनू ने बाइक धीमी कर दी. इस पर कंधई चीखता हुआ बोला, ‘‘अरे बाइक तेजी से निकाल ले.’’

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उन्हें बाघ के पास से ही हो कर निकलना था. मौत को साक्षात सामने देख कर सोनू के होश उड़ गए. डर से सभी की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई थी. इसी घबराहट में सोनू बाइक नहीं संभाल पाया.

बाइक तेज आवाज के साथ गिर गई. अभी वे बचने की सोचते, इस से पहले ही एक बाघ ने बाइक पर छलांग लगा दी. उस के पंजे की खरोंच सोनू को लगी. सब से पीछे विकास हेलमेट लगाए बैठा हुआ था, वह छिटक कर दूर जा गिरा था.

तब तक दूसरा बाघ विकास पर हमला कर चुका था. सोनू और कंधई झट से उठे और जान बचा कर रोड की तरफ भागे. पहले वाला बाघ उन के पीछे दौड़ा, जबकि दूसरे बाघ ने विकास के सिर पर पंजा और मुंह से हमला कर दिया.

वह हेलमेट पहने था, इसलिए बच गया और गड्ढे में जा गिरा. इसी बीच सोनू और कंधई भागते हुए उधर ही आ गए. दोनों बाध उन के पीछे पड़ गए. तभी विकास को मौका मिल गया. वह गड्ढे से तुरंत बाहर निकला और लपक कर एक पेड़ पर चढ़ गया.

एक बाघ ने सोनू को जबड़े से पकड़ लिया था. बाघ ने उसे ऊपर की ओर उठा लिया था. उस की मौत हो गई थी. इस की विकास ने एक झलक भर देखी. वहीं दूसरा बाघ कंधई की ओर दौड़ा. अपनी जान बचाने के लिए कंधई पेड़ पर चढने लगा.

वह करीब 6 फीट ऊंचाई तक ही चढ़ पाया था कि बाघ ने जमीन से पेड़ पर चढ़ते हुए कंधई पर छलांग लगा दिया. इस झपट्टे में कंधई गिर गया. फिर वह उठ नहीं पाया. वह बेजान हो गया था. निश्चित तौर पर उस की मौत हो चुकी थी.

बाघों का खूंखार रूप बहुत करीब से देखा

कुछ पल में ही सोनू और कंधई जमीन पर बेजान गिरे हुए थे. एक बाघ कंधई को खींच कर झाडियों के बीच ले गया. जबकि सोनू वहीं पड़ा रहा, किंतु उस के शरीर में जरा भी हलचल नहीं हो रही थी. वह मर चुका था.

यह खौफनाक मंजर पेड़ पर चढ़े विकास की आंखों के सामने था. उस की घिग्घी बंध गई थी. दहशत में उस ने आंखें बंद कर लीं. उसे लगा अब उस के मरने की बारी है. वह चुपचाप पेड़ पर बैठा रहा. दोनों बाघ पूरी रात वहीं चहलकदमी करते रहे.

सुबह लगभग 4 बजे के करीब दोनों बाघ जंगल के अंदर चले गए. जब वे काफी समय तक वापस नहीं लौटे तब विकास की जान में जान आई.

थोड़ी देर बाद कुछ लोग उधर से गुजरे. विकास ने आवाज दे कर उन्हें अपने पास बुलाया. उन से रात की घटना की आपबीती बताई. उन्होंने हिम्मत बंधाई. तब विकास पेड़ से नीचे उतरा. वह भय से कांप रहा था. विकास उन्हीं के साथ अपने घर आ गया.

विकास ने जंगल में हुई इस खौफनाक घटना की बात घर वालों को बताई. सोनू और कंधई के घर में तो कोहराम मच गया. जिस ने भी घटना के बारे में सुना, वह विकास के घर की ओर दौड़ पड़ा. उधर रात में हुई इस घटना की जानकारी वनकर्मियों ने सुबह अपने अधिकारियों को दी.

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दर्दनाक मंजर

कुछ देर में ही घटनास्थल पर घुंघचाई पुलिस चौकी के इंचार्ज प्रमोद नेहवाल, पूरनपुर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक हरीश वर्धन सिंह, सीओ लल्लन सिंह तथा टाइगर रिजर्व के फील्ड डायरेक्टर जावेद अख्तर, पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल भी अपनी टीम के साथ पहुंच गए. उन के साथ मृतकों के परिजन भी थे.

वनकर्मियों के साथ ही ग्रामीणों ने जंगल में मृतकों की तलाश की. सोनू का शव घटनास्थल के पास पड़ा मिला, जबकि कंधई के शव को बाघ घटनास्थल से लगभग 400 मीटर दूर ले गया था.

कंधई की आधी खाई लाश भी मिल गई. बाघों ने कंधई के शरीर का निचला हिस्सा खा लिया था, केवल धड़ से ऊपर का हिस्सा बचा था. सोनू के गले व सिर पर बाघ के पंजों व दांतों के निशान थे. खून बह कर शर्ट पर जम गया था. उन के परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के अनुसार, चलती बाइक पर टाइगर हमला नहीं करता है. टाइगर को देख कर बाइक सवार के रुकने पर ही वह हमला करता है. जब डर से युवकों की बाइक गिर गई थी, तब बाघ ने हमला कर दिया होगा.

उन का कहना था कि उन के स्टाफ ने रात को जंगल से जाने से मना किया था, फिर भी वे जंगल की तरफ गए थे. पुलिस ने दोनों लाशों का पंचनामा तैयार कर उन्हें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

अगर कोई बाघ किसी इंसान पर हमला कर उस का मांस खा ले और बारबार ऐसी परिस्थितियां बने तो उस के आदमखोर बनने की आशंका रहती है.

बाघ स्वभाव के मुताबिक किसी इंसान पर हमला कर उसे कुछ दूर खींच ले जाता है. अपने शिकार का मांस एक बार में नहीं खाता, बल्कि कुछ मांस खाने के बाद बाघ वहीं आसपास छिप कर आराम करने लगता है.

भूख लगने पर वह अपने उसी शिकार के पास खाने के लिए जाता है. बाघ को जब दोबारा अपना शिकार नहीं मिलता है, तब वह भूख मिटाने के लिए किसी वन्यजीव का शिकार करता है.

इंसानों पर बाघ के हमले की घटना को रोकने के लिए घटना के बाद उस स्थल पर कैमरे लगाए जाते हैं, जिस से बाघ की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके.

तराई के जिले में बाघ संरक्षण के लिए दशकों से कार्य कर रही अंतरराष्ट्रीय संस्था विश्व प्रकृति निधि (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ) के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी नरेश कुमार के अनुसार एक बार किसी इंसान का मांस खा लेने से कोई बाघ आदमखोर नहीं हो जाता. किंतु बारबार इंसानों पर हमला कर के उस का मांस खाने लगे तो फिर वह आदमखोर हो जाता है.

पीलीभीत टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर नवीन खंडेलवाल के अनुसार, 2 लोगों की जान जाने के बाद घटनास्थल के आसपास 20 कैमरे लगा दिए गए. साथ ही पैदल और बाइक सवारों को जंगल के रास्ते से प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. चारपहिया वाहन के आनेजाने की छूट दी गई.

तीनों दोस्त साथ मेहनतमजदूरी करते थे. वे मजदूरी करने के लिए हरियाणा जाने की योजना बना रहे थे. इस को ले कर कंधई अपनी ससुराल वालों से मिलने गया था. बाघ के हमले का शिकार हुए सोनू अपने 3 भाइयों में दूसरे नंबर पर था. वह अविवाहित था.

घटना के अगले दिन ही उस की शादी तय होनी थी. लड़की वाले रिश्ता तय करने आने वाले थे. उस की मौत से परिवार में पिछले कई दिनों से चल रहा हंसीखुशी का माहौल गम में बदल गया. जबकि कंधई लाल 3 भाइयों में सब से बड़ा था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा 3 बेटे और 3 बेटियां हैं.

कांप उठता है घटना को याद कर के

इस घटना से कुछ देर पहले रात करीब 8 बजे कनपारा निवासी सत्यपाल अपनी पत्नी सोमवती के साथ बाइक से जंगल के इसी रास्ते से निकला था. सत्यपाल के अनुसार वह पत्नी के साथ बरेली इलाके के एक धार्मिक स्थल पर प्रसाद चढ़ा कर लौट रहे थे.

घटनास्थल के पास सड़क किनारे बैठे बाघ को नहीं देख पाए. जैसे ही बाइक बाघ के पास पहुंची, बाघ को देख उन्होंने बाइक की रफ्तार बढ़ा दी. बाघ ने उन की बाइक का कुछ दूरी तक पीछा भी किया, लेकिन वे बच गए.

विकास ने पेड़ पर चढ़ कर अपनी जान तो बचा ली. मगर उस के चेहरे पर साथियों की मौत और बाघ का खौफ साफ झलक रहा था. मौत के मंजर का आंखों देखा हाल बताते हुए वह अब भी कांप जाता है.

उस ने बताया, ‘‘बिजली सी कौंधी और धम्म की आवाज के साथ दोनों बाघ हम पर टूट पड़े. दोनों दोस्तों को बाघों ने उस की आंखों के सामने दबोच कर मार डाला. दिल दहला देने वाली घटना थी.

‘‘बाघ ने मेरे सिर पर पंजा मारा और मेरा सिर अपने मुंह में ले लिया. बाघ के जबड़े में मेरा सिर आ गया था लेकिन हेलमेट ने जान बचा ली. इस बीच बाघ मुझे छोड़ कर दोस्तों का पीछा करने लगा. दिमाग ने थोड़ा काम किया और लपक कर मैं एक पेड़ पर चढ़ गया.

‘‘करीब 8 घंटे पेड़ पर डरासहमा बैठा रहा. करीब एक घंटे बाद एक बाघ ने पेड़ पर चढ़ने की कोशिश की, लेकिन वह सफल नहीं हुआ. पूरी रात दोनों बाघ दहाड़ते रहे.

‘‘मुझे लग रहा था कि मैं बच नहीं पाऊंगा. मगर मेरी एक तरकीब काम आ गई. इस दौरान मौका पा कर मैं पेड़ पर ऊंचाई पर चढ़ गया. पूरी रात दहशत में गुजारी. इस बीच दोनों बाघ मुझे निवाला बनाने के लिए पेड़ के नीचे मंडराते रहे. यकीन नहीं हो रहा कि मैं जिंदा बच गया.

‘‘घर पहुंचने की जल्दी में हम ने वनकर्मी की बात नहीं मानी और जंगल के रास्ते पर आगे बढ़ गए.’’

विकास उस भयावह रात को याद करते हुए कहता है कि दोनों बाघ मेरी स्मृति में हमेशा जिंदा रहेंगे. इस धरती पर जब तक मैं जीवित रहूंगा, उन की दहाड़ मेरे कानों को सुनाई देती रहेगी.

Crime Story- गुड़िया रेप-मर्डर केस: भाग 1

हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के कोटखाई इलाके की बहुचर्चित गुडि़या रेप-हत्याकांड की जांच पूरी हो चुकी थी. 21 अप्रैल, 2021 को जिला सत्र न्यायालय राजीव भारद्वाज की अदालत में सुनवाई हुई.

अदालत में सीबीआई की ओर से सरकारी वकील अमित जिंदल दमदार तरीके से अपनी दलीलें पेश कर रहे थे तो वहीं बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ताल ठोक कर मजबूती से अपने पांव जमाए हुए थे.

आरोपी था अनिल उर्फ नीलू उर्फ चरानी, जो दया का पात्र बना कठघरे में खड़ा था. इस दौरान उस के चेहरे का रंग उड़ा हुआ था. उस पर नाबालिग गुडि़या के रेप और मर्डर का आरोप लगा था.

उसे घटना के करीब एक साल बाद सीबीआई ने गिरफ्तार किया था. नीलू के खिलाफ 29 मई, 2018 को अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया गया था. उस के खिलाफ चल रहे ट्रायल में कुछ बिंदुओं पर कोर्ट में बहस हुई.

बचाव पक्ष के अधिवक्ता महेंद्र एस. ठाकुर ने कहा, ‘‘माई लार्ड, मुकदमे की काररवाई शुरू करने की इजाजत चाहता हूं.

‘‘इजाजत है.’’ विद्वान न्यायाधीश राजीव भारद्वाज ने मुकदमा शुरू करने की इजाजत दी.

‘‘मी लार्ड, जैसा कि सभी जानते हैं कि नाबालिग गुडि़या रेप एंड मर्डर केस का अदालत में मुकदमा चल रहा है और यह मुकदमा अंतिम पड़ाव पर है.’’

‘‘हां, है.’’

‘‘तो मेरा मुवक्किल सीबीआई की जांच से संतुष्ट नहीं है. सीबीआई द्वारा नमूने सही नहीं लिए गए. डीएनए, सीमन (वीर्य) से ले कर अन्य जो नमूने लिए गए, वो सीबीआई ने खुद सील किए, इन सैंपल्स को डाक्टरों को सील करना चाहिए था.

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‘‘यही नहीं, सीबीआई ने जांच के दौरान 100 से ज्यादा लोगों के ब्लड सैंपल लिए लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया, जबकि मेरे मुवक्किल नीलू को गिरफ्तार करने के बाद ब्लड सैंपल लिए. दलील ये दी गई कि सीबीआई ने ठोस सबूत की बिना पर ही अनिल उर्फ नीलू को गिरफ्तार किया. उस के बाद पूरे साक्ष्य इकट्ठे किए गए.

‘‘मी लार्ड, मेरे मुवक्किल नीलू को फंसाने और अन्य किसी अपराधी को बचाने लिए सीबीआई ने सारे सबूतों का जखीरा खुद ही तैयार किया. दैट्स आल मी लार्ड.’’

‘‘अभीअभी मेरे काबिल दोस्त ने किसी फिल्म का मजेदार डायलौग बड़े ही मसालेदार ढंग से पेश किया, जो काबिलेतारीफ है.’’ सीबीआई की ओर से सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल ने खड़े होते हुए कहा, ‘‘मनगढ़ंत और मसालेदार कहानियां पेश करने में मेरे दोस्त का जवाब नहीं है. मी लार्ड, सच ये नहीं है बल्कि सच ये है कि सरकारी जांच एजेंसी सीबीआई की जांच पूरी तरह सही है और सीबीआई ने हर पहलू को ध्यान में रख कर सैंपल लिए गए हैं.’’

‘‘सच ये नहीं है.’’ बचाव पक्ष के वकील ने जोरदार तरीके से प्रतिरोध किया.

तभी सरकारी वकील ने जवाब दिया, ‘‘यही सच है. केस के मद्देनजर एकएक बिंदु पर पैनी नजर रखते हुए रिपोर्ट तैयारी की गई है तो लापरवाही का सवाल ही नहीं पैदा होता. मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि सबूतों और गवाहों के मद्देनजर आरोपी नीलू

उर्फ अनिल उर्फ चरानी को फांसी की सजा सुनाई जाए.’’

बचाव पक्ष के वकील ने अपने मुवक्किल का बचाव करते हुए कहा, ‘‘मेरे मुवक्किल का इस से पहले कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, माई लार्ड. यह उस का पहला अपराध है, इसलिए उस के पिछले जीवन को देखते हुए उसे कम से कम सजा देने की अदालत

से मेरी गुहार है श्रीमान. और मुझे कुछ नहीं कहना है.’’

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इस के बाद सम्मान के साथ न्यायाधीश के सामने सिर झुकाते हुए एडवोकेट महेंद्र एस. ठाकुर अपनी सीट पर जा कर बैठ गए तो सरकारी अधिवक्ता अमित जिंदल भी अपनी कुरसी पर जा बैठे. कोर्ट की यह सुनवाई 21 अप्रैल को दोपहर पौने 3 बजे से शुरू हो कर 4 बजे तक चली थी.

कोर्टरूम में कुछ पल के लिए ऐसा गहरा सन्नाटा पसरा था कि एक सुई गिरने की आवाज साफ सुनी जा सकती थी. खैर, जज राजीव भारद्वाज ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनी. बहस सुनने के बाद अपने निर्णय को सुरक्षित रखते हुए 28 अप्रैल, 2021 को फैसला सुनाने का ऐलान करते हुए उस दिन की कोर्ट को मुल्तवी किया.

किसी कारणवश तय तिथि 28 अप्रैल को कोर्ट नहीं बैठ सकी, जिस से यह तिथि 11 मई तक बढ़ा दी गई कि मुलजिम की किस्मत का फैसला इस दिन सुनाया जाएगा. लेकिन लौकडाउन की वजह से वह तिथि भी टाल दी गई. फिर 18 जून को फैसला सुनाए जाने की तिथि तय हुई और ऐसा हुआ भी.

अगले भाग में पढ़ें- एसआईटी ने निर्दोषों को बनाया आरोपी

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