राजाओंमहाराजाओं के पराक्रम के किस्सों से इतिहास भरा पड़ा है. लेकिन ऐसे भी तमाम राजामहाराजा हुए हैं, जिन की रंगीनमिजाजी और शौक की चर्चा कर के आज भी लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते हैं.

दरअसल देश की सत्ता जब अंगरेजों के पास आई तो इन राजाओं के पास केवल लगान वसूली का काम रह गया. लगान वसूल कर अंगरेजों का हिस्सा पहुंचा कर बाकी बची रकम से ये केवल अपने शौक पूरे करने के अलावा अय्याशी करते थे.

इन के शौक और अय्याशी भी किसी सनक की ही तरह होती थी. वैसे तो विलासिता पसंद राजाओंमहाराजाओं की हमारे यहां कमी नहीं रही, जो काफी अय्याश भी रहे थे. उन्हीं में एक नाम पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह का भी है.

पटियाला की बात चलते ही तुरंत पटियाला पैग की याद आ जाती है. जंबो पैग यानी पटियाला पैग. जंबो पैग की ही तरह पटियाला के महाराजा का परिवार भी जंबो था. सोच कर आप को हंसी भी आ जाए और कंपा भी दे, इस तरह का परिवार था पटियाला के महाराजा का.

आज एक पत्नी और एक या 2 बच्चों के साथ रहना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में रोज के हिसाब से एक रानी यानी 365 रानियों के साथ जीवन कैसे गुजरेगा, यह सोच कर दिमाग चकरा जाता है. फिर भी रंगीनमिजाज लोगों को एक की अपेक्षा कई पत्नियों को संभाल लेने की कला अच्छी तरह आती है.

पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह को भी यह कला अच्छी तरह आती थी. वह बहुत ही रंगीले इंसान थे. पावर करप्ट वाली अंगरेजों की युक्ति यहां पूरी तरह फिट बैठती थी.

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