Satyakatha- सोनू पंजाबन: गोरी चमड़ी के धंधे की बड़ी खिलाड़ी- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- सुनील वर्मा  सोनू

दिल्ली की तिहाड़ जेल के महिला वार्ड के विशेष सेल में बंद गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन (41) जमीन पर लगे बिस्तर पर लेटी छत की तरफ देखते हुए शून्य में निहार रही थी. रहरह कर अतीत का एकएक घटनाक्रम उस की आंखों के आगे चलचित्र की तरह तैर रहा था.

दिल्ली ही नहीं, देश भर के अय्याश लोगों के दिलों में सोनू पंजाबन रानी की तरह राज करती थी. चाहे किसी पांच सितारा होटल में रात की रंगीनियां बिखेरनी हों या किसी फार्महाउस में प्राइवेट पार्टी करनी हो. अमीरजादों को दिल बहलाने वाली खूबसूरत हसीनाओं की जरूरत होती तो उन्हें एक ही नाम याद आता था सोनू पंजाबन का.

यूं कहे तो गलत न होगा कि सोनू पंजाबन दिल्ली से ले कर मुंबई तक में एक ऐसा नाम रहा है, जिसे जिस्मफरोशी की दुनिया की क्वीन यानी रानी कहा जाता था.

लेकिन प्रीति के साथ उस ने जो भी किया था, उस ने एक झटके में उस की जिंदगी बदल दी. बड़ीबड़ी गाडि़यों में घूमने वाली और नोटों की गड्डियों का बिस्तर बिछा कर सोने वाली सोनू पंजाबन इन दिनों जेल की सलाखों के पीछे पथरीली जमीन पर कंबलों का बिस्तर बिछा कर सोने के लिए मजबूर थी.

22 जुलाई, 2020 को द्वारका कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रीतम सिंह ने सोनू पंजाबन को आईपीसी की धारा 328, 342, 366ए, 372, 373 और 120बी के तहत कुल 24 सालों के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी.

इसी मामले में सोनू के साथ संदीप बेदवाल को भी कोर्ट ने 20 सालों तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी.

हालांकि गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन ने अपनी सजा को एक महीने बाद ही दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दे दी थी. जिस पर जस्टिस मनोज कुमार ओहरी की एकल पीठ ने सोनू पंजाबन की याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने के लिए कहा.

सोनू पंजाबन के वकील आर.एम. तुफैल और आस्था की सोनू के खिलाफ दिए गए ट्रायल कोर्ट का फैसले को टालने व उसे जमानत दिए जाने की याचिका पर सुनवाई टलती रही.

सोनू पंजाबन कभी दिल्ली शहर की सब से नामचीन कालगर्ल हुआ करती थी, लेकिन जल्द ही उस ने गोरी चमड़ी बेच कर पैसा कमाने की कला के सारे गुर सीख लिए तो वह बाद में खुद धंधा छोड़ कर दूसरी लड़कियों से धंधा कराने लगी और खुद बन गई कालगर्ल सरगना.

लेकिन सोनू ने आखिर ऐसा कौन सा गुनाह किया था कि जिस्मफरोशी का धंधा करने के गुनाह में अदालत को उस के खिलाफ इतनी बड़ी सजा का ऐलान करना पड़ा, जितनी सजा आज तक इस धंधे के किसी गुनाहगार को नहीं दी थी. इस के लिए सोनू पंजाबन के काले अतीत में झांकना होगा.

हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद लाखों रिफ्यूजियों की तरह ही गीता अरोड़ा उर्फ सोनू पंजाबन के दादा अपने परिवार को ले कर पाकिस्तान से भारत चले आए थे. दादा के साथ परिवार के दूसरे लोग तो रोहतक में ही बस गए.

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बाद में ओमप्रकाश अरोड़ा काम की तलाश में अपने परिवार को ले कर दिल्ली आए और यहां गीता कालोनी में किराए के मकान में रहने लगे.

वह आटोरिक्शा चलाने लगे. ओमप्रकाश के परिवार में पत्नी बीना अरोड़ा, 2 बेटे व 2 बेटियां थीं. बड़ी बेटी की शादी उन्होंने दिल्ली के ही रहने वाले सतीश से कर दी.

1981 में जन्म लेने वाली गीता से छोटे उस के 2 भाई थे. गीता परिवार की आर्थिक तंगी के कारण 10वीं कक्षा से ज्यादा नहीं पढ़ सकी.

गीता महत्त्वाकांक्षी और विद्रोही स्वभाव की थी. उस के नाकनक्श अपनी उम्र की दूसरी लड़कियों से ज्यादा आकर्षक और सुंदर थे.

गीता ब्यूटी पार्लर का कोर्स कर के गीता कालोनी के ही एक बड़े पार्लर में नौकरी करने लगी. उन दिनों दिल्ली में ब्यूटीपार्लर की आड़ में चोरीछिपे जिस्मफरोशी का धंधा जोर पकड़ रहा था. गीता जिस पार्लर मे काम करती थी, वहां भी ये काम होता था.

उन्हीं दिनों गीता की जिंदगी में विजय नाम का शख्स आया, जिस के बाद उस के जीवन ने एक नई करवट ली. विजय सिंह हरियाणा के रोहतक का रहने वाला था और पेशे से अपराधी था.

हरियाणा, दिल्ली और यूपी में लूटमार और हफ्तावसूली उस का पेशा था. विजय सिंह जरायम से जुड़े अपने दोस्तों के पास दिल्ली में पनाह ले कर रहता था. यहीं उस की मुलाकात गीता से हुई.

दोनों में पहले प्रेम हुआ फिर गीता अरोड़ा ने परिवार के विरोध के बावजूद विजय से प्रेम विवाह कर लिया. विजय सिंह की कमाई से गीता परिवार की भी मदद करने लगी. गीता की जिंदगी मजे से गुजर रही थी. गीता ने एक बेटे को जन्म दिया.

गीता की हसंतीखेलती जिंदगी अचानक एक दिन तबाह हो गई. दरअसल, यूपी पुलिस की एसटीएफ ने विजय को उस के एक साथी के साथ गढ़मुक्तेश्वर के पास पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया. ये 1998 की बात है. गीता पर विजय की मौत वज्रपात बन कर गिरी.

विजय की मौत के कुछ दिन बाद ही बीमारी और सदमे के कारण गीता के पिता ओमप्रकाश अरोड़ा की भी मौत हो गई. गीता के दुखों का पहाड़ और भारी हो गया. गीता ने परिवार की गुजरबसर व पेट पालने के लिए ब्यूटीपार्लर की नौकरी कर ली.

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कुछ समय बाद निक्कू उस की जिंदगी में सहारा बन कर सामने आया जो उस के पहले पति विजय का दोस्त था और वह उस से पहले से परिचित थी.

निक्कू त्यागी भी दबंग और दिलेर होने के साथ अपराध की दुनिया का जानामाना नाम था. गीता बेटे को अपनी मां और भाइयों के पास छोड़ कर गीता कालोनी में ही निक्कू के साथ कमरा ले कर रखैल के रूप में उस के साथ रहने लगी. निक्कू ज्यादातर दिल्ली से बाहर ही रहता था.

इसी दौरान गीता को दिल्ली के बड़े होटलों और डांस बार में जाने की लत लग गई. वह डिस्को और पब में जाने की आदी हो गई थी.

खूबसूरत वह थी ही अकसर वहां रंगीनमिजाज रईसजादों के साथ रातें गुजारने लगी. बाद में धीरेधीरे जिस्म बेच कर पैसे कमाने का उस का ये शौक पेशे में बदल गया.

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ये घर बहुत हसीन है- भाग 4: उस फोन कॉल ने आन्या के मन को क्यों अशांत कर दिया

लेखक- मधु शर्मा कटिहा

अगले दिन सुबह से ही प्रेमा को हिदायतें देते हुए वह सारे बंगले में घूम रही थी. आर्यन मोबाइल में लगा हुआ था. दोस्तों के बधाई संदेशों का जवाब देते हुए कुछ की मांग पर विवाह के फोटो भी भेज रहा था. वान्या को प्रेमा के साथ घुलतामिलता देख उसे एक सुखद एहसास हो रहा था.

इतना विशाल बंगला वान्या ने पहले कभी नहीं देखा था. जब 2 दिन पहले उस ने बंगले में इधरउधर खड़े हो कर खींची अपनी कुछ तसवीरें सहेलियों को भेजी थीं तो वे आश्चर्यचकित रह गईं थीं. उसे ‘किले की महारानी’ संबोधित करते हुए मैसेजेस कर वे रश्क कर रहीं थी. इतने बड़े बंगले का मालिक आर्यन आखिर उस जैसी मध्यवर्गीय से संबंध जोड़ने को क्यों राजी हो गया? और तो और कोरोना के बहाने शादी की जल्दबाजी भी की उस ने.

वान्या का मन बेहद अशांत था. प्रेमा के साथसाथ घर में घूमते हुए लगभग 2 घंटे हो चुके थे. रहस्यमयी निगाहों से वह घर को टटोल रही थी. बैडरूम के पास वाले एक कमरे में चंबा की सुप्रसिद्ध कशीदाकारी ‘नीडल पेंटिंग’ से कढ़ी हुई हीररांका की खूबसूरत वौल हैंगिंग में उसे आर्यन और अपनी सौतन दिख रही थी. पहली बार लौबी में घुसते ही दीवार पर टंगी मौडर्न आर्ट की जिस पेंटिंग के लाल, नारंगी रंग उसे रोमांटिक लग रहे थे, वही अब शंका के फनों में बदल उसे डंक मार रहे थे. बैडरूम में सजी कामिलिप्त युगल की प्रतिमा, जिसे देख परसों वह आर्यन से लिपट गई थी आज आंखों में खटक रही थी. ‘क्या कोई अविवाहित ऐसा सामान सजाने की बात सोच सकता है? शादी तो यों हुई कि चट मंगनी पट ब्याह, ऐसे में भी आर्यन को ऐसी पेंटिंग खरीद कर सजाने के लिए समय मिल गया… हैरत है.’ घर की एकएक वस्तु आज उसे काटने को दौड़ रही थी. ‘कैसा बेकार सा है यह मनहूस घर’ वह बुदबुदा उठी.

लगभग सारे घर की सफाई हो चुकी थी. केवल एक ही कमरा बचा था, जो अन्य कमरों से थोड़ा अलग, ऊंचाई पर बना था. पहाड़ के उस भाग को मकान बनाते समय शायद जानबूझ कर समतल नहीं किया गया होगा. बाहर से ही छत से थोड़ा नीचे और बाकी मकान से ऊपर उस कमरे को देख वान्या बहुत प्रभावित हुई थी. प्रेमा का कहना था कि उस बंद कमरे में कोई आताजाता नहीं इसलिए साफसफाई की कोई आवश्यकता नहीं है, लेकिन वान्या तो आज पूरा घर छान मारना चाहती थी. उस के जोर देने पर प्रेमा झाड़ू, डस्टर और चाबी ले कर कमे की ओर चल दी. लकड़ी की कलात्मक चौड़ी लेकिन कम ऊंचाई वाली सीढ़ी पर चढ़ते हुए वे कमरे तक पहुंच गए. प्रेमा ने दरवाजे पर लटके पीतल के ताले को खोला और दोनों अंदर आ गए.

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कमरे में अखरोट की लकड़ी से बनी एक टेबल और लैदर की कुरसी रखी थी. काले रंग की वह कुरसी किसी भी दिशा में घूम सकती थी. पास ही ऊंचे पुराने ढंग के लकड़ी के पलंग पर बादामी रंग की याक के फर से बनी बहुत मुलायम चादर बिछी थी. कुछ फासले पर रखी एक आराम कुरसी और कपड़े से ढके प्यानों को देख वान्या को वह कमरा रहस्य से भरा हुआ लगने लगा. दीवार पर घने जंगल की खूबसूरत पेंटिंग लगी थी. वान्या पेंटिंग को देख ही रही थी कि दीवार के रंग का एक दरवाजा दिखाई दिया. ‘कमरे के अंदर एक और कमरा’ उस का दिमाग चकरा गया. तेजी से आगे बढ़ कर उस ने दरवाजे को धक्का दे दिया. चर्र की आवाज करता हुआ दरवाजा खुल गया.

छोटा सा वह कमरा खिलौनों से भरा हुआ था, उन में अधिकतर सौफ्ट टौयज थे.

पास ही आबनूस का बना एक वार्डरोब था, वान्या ने अचंभित हो कर वार्डरोब खोलने का प्रयास किया, लेकिन वह खुल नहीं रहा था. पीतल के हैंडल को कस कर पकड़ जब उस ने अपना पूरा दम लगाया तो वार्डरोब झटके से खुल गया और तेज धक्का लगने के कारण अंदर से कुछ तसवीरें निकल कर गिर गईं. वान्या ने झुक कर एक फोटो उठाया तो सन्न रह गई. आर्यन एक विदेशी लड़की के साथ हाथों में दस्ताने पहने बेहद खुश दिख रहा था. बदहवास सी वह अन्य तसवीरें उठा ही रही थी कि प्रेमा की आवाज सुनाई दी, ‘‘मेम साब, इस कमरे में क्या कर रहीं हैं आप?’’

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वान्या ने झटपट सारी तसवीरें वार्डरोब में वापस रख दीं.

‘‘यहां की सफाई करनी होगी. मोबाइल के जमाने में यहां कौन सी फोटो रखी हैं? सामान को निकाल कर इस रैक को साफ कर लेते हैं.’’ अपने को संयत कर वान्या ने वार्डरोब की ओर इशारा कर दिया.

‘‘नहीं, ऐसा मत कीजिए. आप जल्दीजल्दी मेरे साथ अब नीचे चलिए. साहब आ गए तो…’’

‘‘साहब आ गए तो क्या हो जाएगा? घर साफ करना है या नहीं?’’ वान्या बेचैनी और गुस्से से कांपने लगी.

Film Review-‘‘निर्मल आनंद की पप्पी”: कमजोर लेखन व निर्देशन

रेटिंग: डेढ़ स्टार

निर्माताः गिजू जाॅन व संदीप मोहन

लेखक व निर्देशकः संदीप मोहन

कलाकार: करनवीर खुल्लर,गिलियन पिंटो,खुशबू,सलमिन शेरिफ,विपिन हीरो,सफून फारुकी,अविनाश कुरी, ज्योति सिंह, अमन शुक्ला,अश्वनी कुमार, नैना सरीन व अन्य

अवधि: एक घंटा चालिस मिनट

मुंबई जैसे शहरों में एकरसता का जीवन जीने वाले परिवारों और आधुनिक  रिश्तों पर फिल्म ‘‘निर्मल आनंद की पप्पी’ लेकर आए हैं. फिल्मकार संदीप मोहन, जो कि सत्रह सितंबर को सिनेमाघरों में प्रदर्शित होगी.

कहानीः

एक मधुमेह विरोधी दवा कंपनी में कार्यरत एम आर निर्मल आनंद (करनवीर खुल्लर) और उसकी ईसाई पत्नी सारा (गिलियन पिंटो) के जीवन के इर्द-गिर्द घूमती है.दंपति अपनी बेटी ईषा व पालतू कुत्ते परी के साथ मुंबई में एक आरामदायक जिंदगी जीते हुए जल्द ही अपने दूसरे बच्चे की उम्मीद कर रहे हैं.माता-पिता के समर्थन के अभाव में उनका पारिवारिक नेटवर्क उनके प्यारे कुत्ते परी तक ही सीमित है.निर्मल को यह पसंद नहीं कि उनकी बेटी ईषा हमेशा इमारत में अन्य लड़कियों की बजाय एक लड़के दीपू के साथ ही खेले.

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बेटी की देखभाल करने के लिए वह पत्नी को पूर्णकालिक नौकरी करने नही देता. लेकिन एक के बाद एक होने वाली दो घटनाओं से निर्मल को पता चलता है कि उसे मधुमेह/ डायबिटीज है.वह कुछ दिन मधुमेह से छुटकारा पाने के लिए उपाय करने लगता है और काम करने में उसका मन नहीं लगता.यह एक बड़ी विडंबना को चिह्नित करता है,जो उसके अहंकार के लिए एक बड़ा झटका बन जाता है.

इसी बीच परी का भी निधन हो जाता है. दोनों घटनाओं का योग इस घनिष्ठ रूप से बंधे परिवार पर काफी असर डालता है.तभी निर्मल आनंद को अचानक एक फिल्म में अभिनय करने का अवसर मिलता है. जिसमें वह टैक्सी ड्रायवर का किरदार निभाता है.यहीं से उसकी पत्नी के साथ उसके संबंधों में तनाव आता है. जैसे ही निर्मल अपनी पहली फिल्म की शूटिंग शुरू करते हैं, दंपति की जिंदगी में दूरियां बढ़ने लगती है.फिल्म में निर्मल का चुंबन दृश्य करना सारा को रास नही आता.

लेखन व निर्देशनः

फिल्म की पटकथा बहुत धीमी गति से चलती है.फिल्म में कई दृश्यों को दोहराव है.खासकर जब निर्मल एक अभिनेता बनने की इच्छा रखते हैं और एक टैक्सी चालक के जीवन के बारे में अपनी समझ को सुधारने के लिए विधि अभिनय तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं. अपने पालतू कुत्ते (परी) के प्रति दंपति के लगाव को विकसित करने में बेवजह फिल्म खींची गयी.फिर भी उसे केवल एक सहारा के रूप में उपयोग किया गया है.

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जबकि कुत्ते परी के माध्यम से कहानी में बहुत कुछ रोचक तत्व पिरोए जा सकते थे,पर लेखक व निर्देषक मात खा गए.संवाद प्रभावशाली नही बन पाए हैं.फिर भी यह फिल्म एक सामान्य व्यक्ति के जीवन को काफी सरल तरीके से चित्रित करने में सफल है.फिल्म का क्लायमेक्स बहुत साधारण है.फिल्म की कहानी में जितने भी मोड़ हैं,उनका अहसास पहले से ही हो जाता है.यह लेखक व निर्देशक दोनों की विफ लता हैं. फिल्म के कैमरामैन ने बहुत निराश किया है.

अभिनयः

निर्मल के किरदार में अभिनेता करनवीर खुल्लर ने अच्छा अभिनय किया है. कुछ दृश्यों में उनके चेहरे के भाव उन्हे बेहतरीन कलाकार के रूप में उभारते हैं.उनके हाव-भाव से पता चलता है कि वह किस दौर से गुजर रहे हैं. गिलियन पिंटो को ऑन-स्क्रीन देखना एक खुशी की बात है.वह सहजता से एक मां,एक जिम्मेदार पत्नी और एक कामकाजी महिला की भावनाओं को व्यक्त करती है.पर एक उत्कृष्ट अदाकारा बनने के लिए उन्हें अभी मेहनत करने की जरुरत है. अन्य कलाकारों का अभिनय ठीक ठाक है.

Yeh Rishta kya Kehlata Hai: शिवांगी जोशी ने शादी को लेकर दिया ये इंटरेस्टिंग जवाब, पढ़ें खबर

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’  फेम शिवांगी जोशी (सीरत) फैंस के बीच काफी पॉपुलर हैं. वह शो में अपनी बेहतरीन एक्टिंग और दिलकश अदाओं से फैंस का दिल जीतने में कामयाब हो रही हैं. हाल ही में सीरत ने अपने फैंस के साथ सोशल मीडिया पर सेशन रखा था. जिसमें उन्होंने फैंस के कई सवालों का जवाब दिया. एक्ट्रेस ने पर्सनल लाइफ से भी जुड़ी बातें शेयर की. आइए बताते हैं क्या कहा एक्ट्रेस ने.

इस सेशन के दौरान शिवांगी जोशी से एक यूजर ने कि वह शादी कब करेंगी. एक्ट्रेस ने काफी दिलचस्प अंदाज में जवाब देते हुए कहा, देखूंगी, सोचूंगी, कल परसो कहूंगी. शिवांगी जोशी ने अपने फैंस ये भी शेयर किया कि उन्हें खाना बनाना काफी अच्छा लगता है. और इस महामारी के दौरान उन्होंने बहुत कुछ बनाना सीखा है. एक्ट्रेस ने ये भी बताया कि इस महामारी ने उन्हें अपने परिवार के साथ समय बिताना सिखाया है.

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सेशन के दौरान एक अन्य यूजर ने पूछा कि वह कभी प्यार के चक्कर में पड़ी हैं?  शिवांगी जोशी ने इसका जवाब भी फिल्मी डायलॉग में देते हुए कहा कि हे! तुमने कभी किसी से प्यार किया? कभी किसी को दिल दिया? मैंने भी दिया.

 

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’  में इन दिनों कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. सीरियल में दिखाया जा रहा है कि सीरत-कार्तिक की जिंदगी में  फिर से खुशियां आने वाली हैं. सीरत जल्द ही मां बनने वाली है और शो में एक लम्बा लीप लिया जाएगा.

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क्या अनुपमा छोड़ेगी शाह हाउस? अनुज देगा नया घर!

सुधांशु पांडे और रूपाली गांगुली स्टारर सीरियल अनुपमा में अब तक आपने देखा कि अनुज कपाड़िया ने अनुपमा को डील ऑफर किया है. जिससे शाह हाउस में सबके होश उड़ गये हैं. वनराज-काव्या, पारितोष और बा बिल्कुल नहीं चाहते हैं कि अनुपमा इस डील को एक्सेप्ट करे. बा ने तो सामने से मना कर दिया है कि अनुपमा को यह ऑफर एक्सेप्ट नहीं करना है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि वनराज नहीं चाहता कि अनुपमा अनुज कपाड़िया के साथ काम करे और वह इसके लिए पारितोष को मोहरा बना रहा है ताकि अनुपमा अपने बेटे के कहने से अनुज का डील एक्सेप्ट करने से मना कर दे. तो दूसरी तरफ देविका ने अनुपमा को समझाया है कि जो चाहे वह कर सकती है. अब वनराज उसका पति नहीं है और उसका कोई हक नहीं है कि वह अनुपमा के जीवन में दखलअंदाजी करें.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुपमा वनराज और बा के खिलाफ जाकर यह डील एक्सेप्ट करेगी. इस खुशी में अनुपमा-अनुज मिठाईयां बांट रहे हैं तभी वनराज पूछता है कि यह मिठाई किस खुशी में बांटी जा रही है. अनुपमा बताती है कि उसने डील एक्सेप्ट कर लिया है, यह सुनकर वनराज के होश उड़ जाते है.

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खबरों के अनुसार, अनुज कपाड़िया अनुपमा को घर भी ऑफर करेगा. जी हां खबर यह आ रही है कि अनुज, अनुपमा के नए अपार्टमेंट में रहने की व्यवस्था करेगा. रिपोर्ट के अनुसार नई बिजनेस पार्टनरशिप होने के नाते अनुज अनुपमा के लिए एक नए घर की व्यवस्था करेगा, जो अनुपमा का असली घर होगा.

 

अब देखना ये दिलचस्प होगा कि अगर अनुपमा की शाह हाउस से विदाई हो जाती है तो वनराज और काव्या अनुपमा को आगे बढ़ने से कैसे रोकेंगे. यह भी बताया जा रहा है कि इस बार बापूजी अनुपमा को घर से जाने के लिए आशीर्वाद देंगे और उससे यह भी कहेंगे कि वह अपनी मर्जी मुताबिक अपने जीवन में आगे बढ़ सकती है.

यूपी चुनाव से पहले “आप” की मुफ्त बिजली के वादे पर कृषि मंत्री ने कसा तंज

घरेलू बिजली उपभोक्ता को मुफ्त बिजली देने का वादा कर यूपी विधानसभा चुनाव जोर-आजमाइश कर रही आम आदमी पार्टी को  कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने आड़े हाथों लिया है. शाही ने कहा कि ‘केजरीवाल प्राइवेट लिमिटेड’ को यह तो मालूम ही है कि गरीबों, गांव में रहने वालों और किसानों का योगी सरकार ने कितना ध्यान रखा है.

योगी सरकार बिजली का मीटर रखने वाले  ग्रामीण उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 2.80 रुपए के और बगैर मीटर वालों को 4.07 रुपए की छूट शुरू से ही दे रही है. इसके अलावा एक किलोवाट लोड तक और 100 यूनिट की खपत तक के शहरी और ग्रामीण उपभोक्ताओं को भी चार रुपए से अधिक प्रति यूनिट छूट मिलती है.

यही नहीं गांव में मीटर और बिना मीटर वाले कृषि उपभोक्ताओं  को तो छूट क्रमशः पांच रुपए और 6.32 रूपए है. इस तरह सरकार ग्यारह हजार करोड़ की सब्सिडी तो सिर्फ गरीब और किसानों के लिए देती है.

कृषि मंत्री ने तंज किया कि केजरीवाल के पास यूपी की जनता के लिए विकास का कोई मॉडल नहीं है. दिल्ली में अब तक यह पार्टी ने कोई ऐसा काम नहीं कर सकी जिसे वह अपना बता सके. ऐसे में “मुफ्तखोरी के लालच” को उसने चुनावी हथियार बनाया है.

उन्होंने कहा कि यूपी की योगी सरकार ने जिला मुख्यालयों पर 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों पर 20 घंटे और गांवों में 18 घंटे बिजली देने का वादा किया था और उसे पूरा किया.  यही नहीं, साढ़े चार साल  में यूपी के हर कोने को बिजली से रोशन कर दिया गया है. सौभाग्य योजना से 01 करोड़ 40 लाख घरों में बिजली आई है. चार साल पहले तक यूपी में बिजली आना अखबारों की सुर्खियां बनती थीं, आज अगर कभी बिजली कट जाए तो लोग हैरान होते हैं. यह होता है विकास, लेकिन ऐसे विकास के लिए जिस विजन की जरूरत होती है, वह न अरविंद केजरीवाल के पास है न मनीष सिसौदिया के पास. ऐसे में ले देकर मुफ्त बिजली देने का लालच ही उनके पास बचा है.

सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि लोकतंत्र में इस तरह की बेतुकी एवं घोषणाएं राजनीति को दूषित करते हैं, जो न केवल घातक है बल्कि एक बड़ी विसंगति भी है.

सेक्सुअल पावर पर असर डालता खानपान और रहन-सहन

रेखा ने अपनी भाभी को समझाते हुए कहा. ‘‘मुझे डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं है. अगर तुम यही सलाह अपने भाई को दो तो ठीक रहेगा. मुझे लगता है कि परेशानी उन के अंदर ही है,’’ दीपा ने जिस तरह रेखा से यह बात कही, तो रेखा सन्न रह गई. दीपा ने अपनी ननद रेखा को बताया कि उस का पति रमेश सैक्स करने में फिट नहीं है.

रेखा को अपनी भाभी की बात सच नहीं लगी. उस को लगा कि अच्छे डीलडौल वाला उस का भाई सैक्स करने में अनफिट कैसे हो सकता है? लेकिन रेखा अपने भाई से यह बात पता भी तो नहीं कर सकती थी. रेखा ने यह बात अपने पति प्रदीप को बताई और सचाई जानने के लिए मदद मांगी. रेखा के पति प्रदीप ने रमेश से बात की, तो सचाई सामने आ गई. रमेश ने बताया कि जब भी वह दीपा के साथ सैक्स करने की कोशिश करता है तो पहले ही घबरा जाता है. सच बात तो यह है कि अभी उस के और दीपा के बीच इस तरह के संबंध ही नहीं बने हैं जिस से बच्चा पैदा हो सके.

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अब तो उसे शर्म आने लगी है कि पता नहीं दीपा उस के बारे में क्या सोचती होगी. रमेश ने अपना इलाज शुरू कराया तो डाक्टर ने बताया, ‘‘तुम्हारे पास समय की कमी है और काम की जिम्मेदारियां भी ज्यादा हैं.’’ रमेश की ही तरह एक बड़ी कंपनी में काम करने वाले रूपेश की अलग किस्म की परेशानी है. शादी के कुछ दिन बाद तक तो सबकुछ ठीक चला, इस के बाद जब भी वह अपनी पत्नी के पास जाता तो उस का जिस्मानी संबंध बनाने का मन ही नहीं करता था. रूपेश को अपने अंग में तनाव ही नहीं महसूस होता था. यह बात और है कि दिन में जब वह कभी अपनी किसी सहयोगी को उस नजर से देखता था तो उस को कोई परेशानी नहीं होती थी. अंग में पूरा तनाव आता था. घर में पत्नी के साथ आने वाली परेशानी के चलते रूपेश का अब घर जाने का मन नहीं करता है. वह बैडरूम में जाने से कतराता रहता है. रूपेश ने भी कई तरह का इलाज कराया, लेकिन उस का कोई हल नहीं निकला.

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लखनऊ के मक्कड़ मैडिकल के डाक्टर जीसी मक्कड़ कहते हैं, ‘‘अंग में तनाव न होना और ऐसी ही दूसरी किस्म की कई परेशानियां ले कर तमाम लोग हमारे पास आते हैं. इन में से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो बड़ी कंपनियों में 15 से 16 घंटे काम करते हैं. जब वे घर पहुंचते हैं तो उन्हें इतनी थकान लगती है कि बैडरूम का काम आधाअधूरा ही होता है. ‘‘केवल समय का ही नहीं, बल्कि खानपान का भी असर सैक्स लाइफ पर पड़ता है. कई बार हम ऐसा खाना खाते हैं जो हमारी शारीरिक ताकत को प्रभावित करता?है. इस से सैक्स करने का मन नहीं करता है. यही वजह है कि खाने के बाद सैक्स को मना किया जाता है. ‘‘अच्छे खानपान और ऐक्सरसाइज से सैक्स की ताकत बढ़ती है.

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साथ ही, सैक्स की सही टैक्निक भी बहुत जरूरी है. अगर किसी शादीशुदा के सामने ऐसे हालात आते हैं तो उन्हें अपने डाक्टर से बात कर समस्या का समाधान खोजना चाहिए. ‘‘वैसे, आज के समय में लोगों ने सैक्स पर खुल कर बात करना शुरू कर दिया है.’’

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