लेखक- रमेश चंद्र सिंह
संध्या ने सोचा कि रजनी को वह अपने क्वार्टर से चैकबुक लाने के लिए कहेगी. चाबी नीलेश के पास ही होगी, क्योंकि उसी ने आते वक्त उस का फ्लैट लौक किया होगा.
यही सब सोचते हुए शाम हो गई. नीलेश औफिस बंद कर सीधे अस्पताल पहुंचा, तब तक रजनी भी जाग गई थी.
‘‘अब कैसी हो संध्या?’’ आते ही नीलेश ने पूछा.
‘‘ठीक हूं, सिर में थोड़ा दर्द है,’’ संध्या ने कहा, तो नीलेश बोला, ‘‘डाक्टर से नहीं कहा?’’
‘‘कहा था. वह दवा लिख कर दे गया है.’’
‘‘परचा मुझे दो. मैं दवा ला देता हूं,’’ नीलेश ने कहा, तो रजनी ने दीदी के हाथ से परचा लेते हुए कहा, ‘‘तुम क्यों परेशान होते हो? मैं ला देती हूं न.’’
‘‘तुम दवा के पैसे लेते जाओ. फार्मेसी वाले नकद भुगतान लेते?हैं,’’ नीलेश ने कहा, तो संध्या कुछ न बोली, क्योंकि उस के पास पैसे नहीं थे और रजनी तो अभी दूसरों की मुहताज थी.
‘‘रहने दो, मैं पैमेंट कर दूंगी.’’
‘‘अभी तुम्हें पैसे की बहुत जरूरत है. संभाल कर रखो,’’ कहते हुए नीलेश ने रजनी को 2,000 का एक नोट थमा दिया.
रजनी ने दवा ला कर संध्या को दी और कहा, ‘‘अगर दीदी ठीक रहती हैं, तो मैं नीलेश के घर जा कर भाभी से मिलूंगी. मैं यह जानना चाहती हूं कि वे अब तक दीदी से मिलने कभी अस्पताल क्यों नहीं आईं?’’
यह सुनते ही वहां सन्नाटा सा पसर गया. न संध्या ने कुछ कहा और न ही नीलेश ने. अब वे कहते भी क्या. उन्हें अचानक रजनी से इस तरह के प्रस्ताव की उम्मीद नहीं थी.
दोनों को चुप देख कर रजनी बोली, ‘‘दीदी, क्या मैं ने कुछ गलत कह दिया?’’
‘‘नहीं, लेकिन अभी तुम्हारा वहां जाना ठीक नहीं है. तुम मुझे देखने आई हो, इसलिए अभी अस्पताल में ही रहो. जब मैं यहां से डिस्चार्ज हो जाऊंगी, तब तुम्हें खुद साथ ले कर चलूंगी.’’
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‘‘लेकिन दीदी, मुझे वहां रहना थोड़े ही है. मैं तो मिल कर तुरंत नीलेश के साथ ही लौट आऊंगी.’’
‘‘मैं बोल रही हूं न, अभी तुम्हारा वहां जाना ठीक नहीं?है,’’ संध्या ने कुछ नाराजगी भरे लहजे में कहा, तो रजनी ने आगे कुछ नहीं कहा.
नीलेश ने इस समय कुछ भी बोलना उचित नहीं समझा और 1-2 घंटे रह कर और डाक्टर से मिल कर व फोन पर जरूरत पड़ने पर बात करने के लिए कह कर घर लौट गया.
उस रात रजनी संध्या के साथ ही रही. दूसरे दिन नीलेश आया, तो उस ने पूछने पर बताया कि उस के फ्लैट की चाबी उसी के पास?है.
संध्या नीलेश से बोली, ‘‘मेरी अलमारी की चाबी मेरे बैडरूम में बिस्तर के नीचे रखी है. तुम रजनी को साथ ले कर जाओ. उसे चाबी दे देना. वह अलमारी से मेरी चैकबुक और एटीएम निकाल कर ले आएगी. वह मेरे फ्लैट में एक बार पहले भी आ चुकी है. उसे पता है.’’
संध्या के कहने पर रजनी नीलेश के साथ चाबी लेने उस के फ्लैट में गई. वहां उस ने देखा कि फ्लैट के बैडरूम में कंडोम का एक डब्बा और शराब की
2 बोतलें फर्श पर पड़ी थीं और बैडरूम के बिस्तर पर सलवटें पड़ी हुई थीं.
रजनी यह सब देख कर हैरान होती हुई बोली, ‘‘दीदी के बैडरूम में कंडोम और शराब की बोतलें… समझ में नहीं आता, ये सब चीजें यहां कहां से आईं?’’
नीलेश चुप रहा. अब बोलता भी क्या. यह सब उस की ही कारिस्तानी थी. वह संध्या की गैरहाजिरी में अपने औफिस की एक नई लेडी असिस्टैंट को इसी फ्लैट में बुलाता था.
अचानक रजनी को संध्या ने चाबी लाने के लिए भेजा. उस ने सोचा कि रजनी संध्या की गैरहाजिरी में उस के बैडरूम में थोड़े ही जाएगी. वह उसे ड्राइंगरूम में बैठा कर चाबी लाने जाएगा. इसी बीच बैड को झाड़ कर वहां से वे चीजें हटा देगा, लेकिन रजनी ने उसे ऐसा करने का मौका ही नहीं दिया. आते ही सीधे संध्या के बैडरूम में घुस गई.
अब नीलेश चारों ओर से घिर गया था. कई सवाल उस के चारों ओर मंडराने लगे थे. खासकर यह सवाल उसे सब से ज्यादा परेशान कर रहा था कि उस का और संध्या के बीच क्या संबंध है? दूसरे सवाल भी थे, जिन का उस के पास कोई जवाब नहीं था. मसलन, वह रजनी को अपने घर ले जाने से क्यों बच रहा है, जबकि रजनी अब तक इस बारे में उस से 2 बार कह चुकी है, उस से अब तक किसी ने पूछा तो नहीं था, लेकिन यह सवाल भी उठ सकता था कि वह संध्या पर इस तरह क्यों पैसे खर्च कर रहा है, जबकि संध्या अब खुद एक कालेज में नौकरी कर रही है, लेकिन इस का उस के पास काई जवाब नहीं था. वह कह सकता था कि अचानक संध्या बीमार हुई थी, इसलिए उस ने ऐसा इनसानियत के तौर पर किया.
आज के सवाल का नीलेश के पास कोई जवाब नहीं था. फिर भी उसे अपनी चुप्पी तो तोड़नी ही थी, इसलिए वह झूठ बोला, ‘‘इस का जवाब तो तुम्हारी दीदी ही दे सकती हैं. मैं तो तुम्हारी दीदी के अस्पताल जाने के बाद पहली बार ही यहां आया हूं.’’
नीलेश ने सोचा कि अब ऐसी बातों के बारे में रजनी अपनी बहन से तो पूछेगी नहीं, इसलिए इस से बढि़या बहाना कोई दूसरा हो नहीं सकता था.
अब रजनी क्या बोलती. उस ने सोचा कि दीदी अकेली रहती हैं. हो सकता?है कि किसी से उन का संपर्क हो, लेकिन दीदी को तो उस ने कभी शराब पीते नहीं देखा.
हो सकता है कि उन का कोई बौयफ्रैंड हो, जो शराब का लती हो और यहां भी साथ में शराब की बोतलें ले कर आ गया हो. लेकिन ये बातें उसे संतुष्ट नहीं कर पा रही थीं. दीदी कभी ऐसी न थीं. अगर ऐसा होता तो भी ये चीजें वे कमरे में यों ही न छोड़तीं. वे जरूर इन्हें साफ कर देतीं.
नीलेश जरूर झूठ बोल रहा?है. यह इसी की कारिस्तानी है, लेकिन बिना किसी ठोस सुबूत के वह यह भी तो नहीं कह सकती थी कि नीलेश उस से कुछ छिपा रहा है.
नीलेश एक आशिकमिजाज आदमी था, इसलिए उस की नजर रजनी पर भी टिकी हुई थी. लेकिन संध्या बुरा न मान जाए और रजनी कोई बखेड़ा न खड़ा कर दे, यह सोच कर वह कोई ऐसा काम नहीं करना चाहता था, जिस से संध्या की नजरों में वह गिर जाए.
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संध्या नीलेश के लिए एक सौफ्ट टारगेट थी, जिस का वह मनचाहा इस्तेमाल कर रहा था और जिस से वह बिछुड़ना भी नहीं चाहता था.
रजनी ने भी कई बार महसूस किया कि नीलेश की कामुक निगाहें उस को भेद रही हैं. सच तो यह था कि वह नीलेश के साथ अकेले दीदी के फ्लैट में भी नहीं आना चाहती थी, लेकिन दीदी ने जब कह दिया तो वह उन की बात को टाल भी न सकी.
नीलेश ने बैडरूम में बिखरे सामान को फेंकना चाहा तो रजनी ने मना कर दिया और कहा, ‘‘मैं दीदी से पूछूंगी कि इतनी लापरवाह वे क्यों हैं, इसलिए इन चीजों को ऐसे ही छोड़ दो.’’
रजनी के सख्त तेवर देख कर नीलेश ने कमरे को वैसे ही छोड़ दिया. अब वह कमरे को साफ करने की जिद करता तो शक उसी के प्रति गहराता. अब रजनी फ्लैट से जल्द से जल्द निकल जाना चाहती थी.
फिर रजनी के मन में जाने क्या आया कि वह बोली, ‘‘इधर से लौटते हुए भाभी से मिल कर अस्पताल लौटना चाहती हूं, इसलिए अपने घर से हो कर अस्पताल चलो.’’
यह सुन कर नीलेश घबराया, लेकिन बात को उस ने संभाल लिया और बोला, ‘‘मेरा घर यहां से काफी दूर है, जानती ही हो कि दिल्ली में कितना ट्रैफिक है,
किसी दूसरे दिन चलेंगे.’’
असगर ने तरन्नुम का हाथ दबाया, ‘‘मेरे दोस्त अपने घर में मुझे मेहमान रखने की इजाजत नहीं देंगे.’’
‘‘पर मैं तो मेहमान नहीं, आप की बीवी हूं,’’ तरन्नुम ने मरियल आवाज में दोहराया.
‘‘उन की पहली शर्त ही कुंआरे को रखने की थी और ऐसी जल्दी भी क्या थी. मैं ने लिखा था कि घर मिलते ही बुला लूंगा,’’ असगर का दबा गुस्सा बाहर आया.
‘‘हमारी शादी को 8 महीने हो गए. तब से अभी तक अगर अपना घर नहीं मिला तो क्या किराए का भी नहीं मिल सकता था,’’ तरन्नुम ने खीज कर पूछा. उसे दिल ही दिल में बहुत बुरा लग रहा था कि शादी के चंद महीने बाद ही वह खास औरताना अंदाज में मियांबीवी वाला झगड़ा कर रही थी.
‘‘ठीक है,’’ असगर ने कहा, ‘‘अब तुम दिल्ली आ ही गई हो तो घरों की खोज भी कर लो. तुम्हें खुद ही पता लग जाएगा कि घर ढूंढ़ना कितना आसान है,’’ होटल में आ कर भी तरन्नुम महसूस कर रही थी कहीं कुछ है जो असगर को सामान्य नहीं होने दे रहा.
अगले दिन असगर जब दफ्तर चला गया तब तरन्नुम ने अपनी सहेली रीता अरोड़ा को फोन किया और अपनी घर न मिलने की मुश्किल बताई. रीता ने कहा कि वह शाम को अपने परिचितों, मित्रों से बातचीत कर के कुछ इंतजाम करेगी.
दूसरे दिन रीता अपनी कार ले कर तरन्नुम को लेने आई. रास्ते से उन्होंने एक दलाल को साथ लिया जो विभिन्न स्थानों में उन्हें मकान दिखाता रहा. शाम होने को आई लेकिन अभी तक जैसा घर तरन्नुम चाहती थी वैसा एक भी नहीं मिला. कहीं घर ठीक नहीं लगा तो कहीं पड़ोस तरीके का नहीं. अगर दोनों ठीक मिल गए तो आसपास का माहौल बेतुका. दलाल को छोड़ते हुए रीता ने घर के बारे में पूरी तरह अपनी इच्छा समझाई.
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दलाल ने कहा 2-3 दिन के अंदर ही ऐसे कुछ घर खाली होने वाले हैं तब वह खुद ही उन्हें फोन कर के सही घर दिखाएगा.
असगर तरन्नुम से पहले ही होटल आ गया था. थकी, बदहवास तरन्नुम को देख कर उसे बहुत अफसोस हुआ. फोन पर चाय का आदेश दे कर बोला, ‘‘कहां मारीमारी फिर रही हो? यह काम तुम्हारे बस का नहीं है.’’
‘‘वाह, जब शादी की है तो घर भी बसा कर दिखा देंगे. आप हमारे लिए घर नहीं खोज सके तो क्या. हम ही आप को घर ढूंढ़ कर रहने को बुला लेंगे,’’ तरन्नुम खुशी से छलकती हुई बोली.
‘‘चलो, यही सही,’’ असगर ने कहा, ‘‘चायवाय पी कर नहा कर ताजा हो लो फिर घर पर फोन कर देना. अभी अब्बू परेशान हो रहे होंगे. उस के बाद नाटक देखने चलेंगे. और हां, साड़ी की जगह सूट पहनना. तुम पर बहुत फबता है.’’
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असगर की इस बात पर तरन्नुम इठलाई, ‘‘अच्छा मियांजी.’’
रात देर से लौटे, दिन भर की थकान थी, इतना तो तरन्नुम कभी नहीं घूमी थी. पर अब रात को भी उसे नींद नहीं आ रही थी. कल देखे जाने वाले घरों के बारे में वह तरहतरह के सपने संजो रही थी. उस का अपना घर, उस का अपना खोजा घर.
नाश्ते के बाद असगर दफ्तर चला गया. तरन्नुम रीता के इंतजार में तैयार हो कर बैठी उपन्यास पढ़ रही थी. उस का मन सुबह से ही किसी भी चीज में नहीं लग रहा था. होटल भला घर हो सकता है कभी? उसे लग रहा था जैसे वह मुसाफिरखाने में अपने सामान के साथ बैठी अपनी मंजिल का इंतजार कर रही है और गाड़ी घंटों नहीं, हफ्तों की देर से आने का सिर्फ ऐलान ही कर रही है और हर पल उस की बेचैनी बढ़ती ही जा रही है.
अचानक फोन की घंटी से जैसे वह गहरी सोच से जाग उठी. रीता ने होटल की लौबी से फोन किया था. रीता की आवाज खुशी से खनक रही थी. तरन्नुम ने झटपट पर्स उठाया और लौबी में आ गई. रीता ने बाहर आतेआते कहा, ‘‘आज ही सुबह बिन्नी दी का फोन आया था. उन के पड़ोस में कोई मुसलिम परिवार है, उन्हीं की कोठी का ऊपरी हिस्सा खाली हुआ था. उस घर की मालकिन बिन्नी दी की खास सहेली हैं. उन्हीं की गारंटी पर तुम्हें घर देने के लिए तैयार हैं. जितना किराया तुम दे सकोगी उन्हें मंजूर होगा.’’
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रीता और तरन्नुम पंचशील पार्क की उस कोठी में गए. तरन्नुम को गेट खोलते ही बहुत अच्छा लगा. घर के बाहर छोटा सा लेकिन बहुत खूबसूरत लौन, इस भरी गरमी में भी हराभरा नजर आ रहा था.
फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी का वैष्णो देवी जाना एक साथ कई प्रश्न खड़े कर देता है. हाल ही में पति राज कुंद्रा पर पोर्नोग्राफी के गंभीर आरोप लगे, वह जेल में हैं.
अब शिल्पा भक्ति में लवलीन हो गई है, सवाल है ऐसा क्यों होता है कि जब भी कोई मनुष्य अपराध के आरोपों से घिर जाता है पुलिस कानून के शिकंजे में फंस जाता है तो उसे और परिजनों को भगवान याद आता है?
या फिर गलत तरीके से कमाए गए पैसों से कहीं कोई मंदिर बनवा देता है. और समझता है कि प्रायश्चित हो गया, मुझे मुक्ति मिल गई?
समाज में यह मानसिकता बेहद घातक है और एक तरफ से अपराध करने की अप्रत्यक्ष रूप से छुट देता है. अर्थात पहले तो आप खुब अपराध करिए जितना हो सके दोनों हाथों से लूटिए और जब पुलिस पकड़ ले या फिर आत्मग्लानि हो तो भगवान की शरण में चले जाओ!
यह मानसिकता जाने कब से चली आ रही है और जाने कब खत्म होगी. आज हमारे इस लेख का विषय यही है कि ऐसी मानसिकता को आपके समक्ष उद्घाटित करते हुए यह प्रयास किया जाए की समाज में चल रही यह मनोवृत्ति खत्म होनी चाहिए. क्योंकि किसी भी दृष्टि से यह उचित नहीं है समाज में इसे प्रश्रय नहीं मिलना चाहिए.यह एक ऐसा घातक मनोविकार है जिसका कोई ओर छोर भी नहीं है. मगर हम यह कह सकते हैं कि इस मनो वृत्ति को जाने कब से समाज और परिवार का एक तरह से समर्थन मिला हुआ है. जिसके कारण यह बढ़ती चली जा रही है. और एक नासूर बन चुकी है जिसका खत्म होना बहुत आवश्यक है.
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शिल्पा शेट्टी का व्यवहार
पुलिस ने शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा पर आरोप लगाया और गिरफ्तार किया तो शिल्पा शेट्टी का व्यवहार देखने लायक था वह एक पत्नी होने के नाते निसंदेह सब कुछ जानती होंगी की सच क्या है और झूठ क्या है. मगर उन्होंने सार्वजनिक रूप से यही कहा कि उनके पति श्रीमान राज कुंद्रा ऐसा कभी नहीं कर सकते उन्हें फंसाया गया है.
लाख टके का सवाल यही है कि राज कुंद्रा जैसे एक शख्स को जो एक सेलिब्रिटी का पति है जिसकी अपनी एक अहमियत है, वजूद है उसे भला कोई कैसे और क्यों फंसा सकता है?
इस मामले में जिस तरीके से बयान आए कई लड़कियों ने खुल कर के राज कुंद्रा की असलियत को बताना शुरू किया तो फिर बाकी बचा क्या रह गया.
और जैसा कि हमेशा होता रहा है अगर कोई हमारा परिजन अपराधिक कृत्य में पाया जाता है तो हम आमतौर पर उसके पक्ष में खड़े रहते हैं, यही काम शिल्पा शेट्टी ने भी किया . मगर इससे समाज में है जिस विकृति को बढ़ावा मिल रहा है वह कैसे खत्म होगी.
धन संपत्ति की लालच में लोग कानून को अपने हाथ में लेकर के किस तरह से फिल्मी दुनिया की आड़ में रुपए बनाने का खेल करते हैं यह कुछ-कुछ राज कुंद्रा मामले में देश देख रहा है.
शिल्पा शेट्टी ने अपना कथित धर्म निभाया है यह कहा जा सकता है. लेकिन समाज का और देश का धर्म क्या है क्या कोई परिजन अपराध करने लगे तो उसका बचाव करना और उसे कानून से बचा कर ले आना ही मानव धर्म है?
निसंदेह यह गलत होगा और गलत है. मगर समाज में जब हमारे आसपास यही हो रहा है जब देश दुनिया के बड़े लोग यही कर रहे हैं तो फिर कानून का राज कहां है. क्या इस तरीके से कानून को मानवता को धत्ता नहीं बताया जा रहा है.
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कोई सांई बाबा, कोई वैष्णो देवी
राज कुंद्रा के खिलाफ मुंबई क्राइम ब्रांच ने 1500 पन्नों की चार्जशीट दायर कर दी है. आरोप पत्र में अभीनेत्री शिल्पा शेट्टी के बयान को भी दर्ज किया गया है. ऐसा लग रहा है जब राज कुंद्रा बुरी तरह फंस गए हैं तो मुश्किल हालात में शिल्पा को वैष्णो देवी के दर्शन के लिए पहुंच गई. राज कुंद्रा 19 जुलाई से कथित रूप से पोर्नोग्राफी मामले जेल में बंद हैं.
अक्सर देखा गया है कि जब कोई कानून के फंदे में फंसता है तो बचने के लिए न किसी देवी देवता के शरण में पहुंच जाता है. आम तौर पर हम देखते हैं कि यही कारण होता है कि देश के बहुचर्चित मंदिरों में करोड़ों रूपए का चढ़ावा पहुंचता है मंदिर करोड़ों रुपए के ट्रस्ट बनते जा रहे हैं. और आम गरीब आदमी को दो वक्त का भोजन भी नहीं मिलता. यह एक बहुत बड़ा सच है यह मानसिकता देश, मानवता के लिए अपराध भी है और घातक भी.
नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा स्टारर सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. सीरियल में इन दिनों लव ट्रैगल दिखाया जा रहा है. हर हफ्ते शो को टीआरपी चार्ट में जगह मिल रही है. दर्शक शो की कहानी को खूब पसंद कर रहे हैं. बता दें कि इस शो ने 300 एपिसोड पूरा कर लिया है और इस खुशी में‘गुम है किसी के प्यार में’ की टीम जश्न मना रही है.
टीम मेंबर्स ने सेलिब्रेशन की फोटोज सोशल मीडिया पर शेयर की है. इन फोटोज में पाखी, सई और विराट नजर आ रहे हैं. फोटोज में तीनों की बॉन्डिंग आप देख सकते हैं. फोटो में ऑफस्क्रीन तीनों काफी क्लोज दिखाई दे रहे हैं.
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फोटो में आप देख सकते हैं कि इस सेलिब्रेशन के लिए केक मंगाए गए हैं. फोटोज से ही पता चलता है कि टीम सेलिब्रेशन के लिए काफी एक्साइटेड है.
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‘गुम है किसी के प्यार में’ के लेटेस्ट एपिसोड की बात करे तो पाखी विराट का प्यार पाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है. पाखी पूजा के दौरान विराट का अटेंशन पाने के लिए अपनी जान दांव पर लगाने वाली है. जी हां, पाखी अपना और सम्राट का गठबंधन आग में डाल देगी. ताकि विराट उसे आकर बचाये. लेकिन विराट के आने से पहले ही सम्राट जोर से चिल्लाता है जिससे पाखी डर जाती है. पाखी का बनाया हुआ खेल उसी पर भारी पड़ जाता है.
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शो में गिखाया जा रहा है कि विराट पाखी को पसंद नहीं करता है. उसे सिर्फ और सिर्फ सई से प्यार है. लेकिन खबरों के अनुसार पाखी-विराट असल जिंदगी में इस साल के अंत तक शादी के बंधन में बंध सकते हैं. आपको बता दें कि ‘गुम है किसी के प्यार में’ इस शो के शूटिंग के दौरान ही नील भट्ट और ऐश्वर्या शर्मा एक-दूसरे को अपना दिल दे बैठे.
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एक इंटरव्यू के अनुसार, नील भट्ट ने बताया था कि हमें एक-दूसरे का साथ अच्छा लगता है. हम शुरुआत से ही अपने रिलेशनशिप को लेकर सीरियस थे.एक लंबे समय तक का रिलेशन चाहते थे. यह कभी कम समय के लिए नहीं था.
भोजपुरी एक्ट्रेस अक्षरा सिंह बिग बॉस Ott से बाहर आने के बाद लगातार सुर्खियों में छाई हुई हैं. वह आए दिन फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर करती रहती हैं. एक्ट्रेस का पोस्ट सोशल मीडिया पर जमकर वायरल होता है. फैंस उनके बेबाकी अंदाज को खूब पसंद करते हैं. Bigg Boss Ott में भी अक्षरा सिंह ने शानदार गेम खेलते नजर आईं.
अब अक्षरा सिंह का एक वीडियो सामने आया है जिसमें वह एक गाने पर लिपसिंक कर रही हैं और कह रही हैं कि ‘OMG प्यार हो जाएगा’. इस वीडियो को 2 लाख से भी ज्यादा व्यूज मिल चुके हैं. साथ ही 31 हजार से ज्यादा लाइक्स मिले हैं.
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हाल ही में दिए अक्षरा सिंह ने बताया था कि उन पर एसिड फेंकने की कोशिश की गई थी. दरअसल एक्ट्रेस ने अपने एक्स ब्वॉयफ्रेंड पर आरोप लगते हुए कहा था कि उन्हें जान से मारने की धमकी और एसिड फेंकने की कोशिश की गई थी.
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इतना ही नहीं एक्ट्रेस ने ये भी बताया कि इंडस्ट्री में उन्हें काम मिलना भी बंद हो गया था. उनका करियर भी बर्बाद करने की कोशिश की गई. अक्षरा सिंह ने ये भी कहा कि ऐसा किसी के भी साथ न हो, जैसा मेरे साथ हुआ. अक्षरा का ये बयान भी काफी चर्चे में था.
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आपको बता दें कि अक्षरा सिंह के वीडियो को बिगबॉस15 लाइव के इंस्टाग्राम हैंडल ने शेयर किया था. यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. फैंस भी इस वीडियो को काफी पसंद कर रहे हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अगले 03 महीने में प्रदेश के 75 हजार कारीगरों और शिल्पियों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया है. इन तीन माह में 75 हजार शिल्पियों को प्रशिक्षित कर इन्हें विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से जोड़ते हुए स्वावलम्बन से जोड़ा जाएगा आजादी के अमृत महोत्सव पर शिल्पियों और करीगरों के लिए यह सबसे बड़ा तोहफा होगा.
मुख्यमंत्री ने यह बातें विश्वकर्मा दिवस के मौके पर शुक्रवार को ‘विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना’ के तहत 21,000 लाभार्थियों को टूलकिट और 11 हजार लाभार्थियों को ‘प्रधानमंत्री मुद्रा योजनांतर्गत ऋण वितरण करते हुए कहीं. लोकभवन में आयोजित मुख्य समारोह के साथ-साथ जिला मुख्यालयों पर भी कार्यक्रम आयोजित हुए.
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 26 दिसम्बर 2018 में हमने प्रदेश में विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना का शुभारंभ किया, तब से परंपरागत हस्तशिल्पियों, कारीगरों को सम्मान देने, उनको स्वावलंबी बनाने और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का यह सिलसिला चलता आ रहा है. हस्तशिल्पियों ने योजनाओं का लाभ लेकर एक जनपद एक उत्पाद और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना ने रोजगार उत्पन्न करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना काल में हर व्यक्ति चिंता में था कि उत्तर प्रदेश का क्या होगा. लेकिन हमारे पारंपरिक करीगरों, हस्तशिल्पियों ने मिलकर ऐसा तंत्र विकसित किया जिससे हर प्रवासी को शासन की योजनाओं से जुड़ने और प्रधानमंत्री की आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने का काम किया. आज बेरोजगारी की दर चार पांच फीसदी है. यह प्रसन्नता प्रदान करने वाला है. हमने दिसम्बर 2018 से 68412 से अधिक शिल्पियों को 100 करोड़ के उन्नत टूल किट वितरित किये हैं. सीएम ने कहा कि बहनें और माताएं यदि ठान लें तो उत्तर प्रदेश को रेडीमेड गारमेंट का हब बनाने में देरी नहीं लगेगी.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री कहते हैं कि हमें अपने परंपरागत उद्यम और कारीगरी को एक मंच देना ही होगा. उनका प्रशिक्षित कराएं. आज प्रदेश के 21,000 से अधिक कारीगरों व हस्तशिल्पियों को टूलकिट वितरित किए जा रहे हैं. प्रदेश सरकार अपने परंपरागत कारीगरों व उद्यमियों को स्वावलंबी बना रही है, जिससे वह आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में अपना योगदान दे सकें.
मुख्यमंत्री ने कहा कि गांव के मोची, नाई, बढ़ई को मंच मिलना चाहिए. उन्हें सबल बनाना है. उन्हें उच्च प्रशिक्षण देकर तकनीकी से जोड़ना है और सर्टिफिकेट देकर साथ ही ट्रेनिंग के दौरान 250 रुपये प्रतिदिन प्रशिक्षण भत्ता देते हुए मजबूत बनाना है. उन्होंने बताया कि आज तक 1 लाख हस्तशिल्पियों को इस योजना से जोड़ा गया है, प्रशिक्षित करके टूलकिट उपलब्ध करवाए हैं. उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अगले 03 महीनों में 75 हजार करीगरों और हस्तशिल्पियों को टूल किट और ऋण उपलब्ध कराने की कार्ययोजना बनाएं.
उन्होंने विभाग के मंत्रियों से कहा कि वो गांव-गांव में करीगरों, हस्तशिल्पियों के यहां पहुंचकर उनको प्रोत्साहित करने का भी काम करें. उन्होंने कहा कि हमें कारीगरों को सम्मान देना होगा वो ही हमारी धरोहर हैं. उन्होंने कहा कि आज इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए विभाग को और आपको धन्यवाद बधाई देता हूं. प्रधानमंत्री जी के जन्मदिन के दिन से और सेवा के उनके 20 वर्ष के उपलक्ष्य में अगले 20 दिनों तक अलग अलग कार्यक्रम होंगे.
मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को दी जन्मदिन की बधाई
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कार्यक्रम के दौरान कहा कि आज दो महत्वपूर्ण दिन है एक तो विश्वकर्मा जी की जयंती और दूसरा दुनिया के सबसे लोकप्रिय राजनेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का जन्मदिन. प्रधानमंत्री जी के इस वर्ष 6 अक्टूबर को सेवा के 20 वर्ष के रूप में पूरे हो रहे हैं. मैं प्रदेश की जनता की तरफ से देश में जो उनकी ओर से की गई सेवाएं हैं उनके लिए हृदय से अभिनन्दन करता हूं.
मोदी जी के प्रयास से जो खुशहाली आपके जीवन में प्रारंभ हुई है, देश-समाज को नई दिशा मिली है. उसको विकास के उत्सव में रूप में प्रदेश में 7 अक्टूबर तक मनाया जाएगा. हुनरमंदों, कारीगरों और हस्तशिल्पियों को सम्मान देने वाले कार्यक्रम से इसकी शुरुआत की जा रही है.
आयोध्या में इस बार हम साढ़े 7 लाख दिए जलाने जा रहे : सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में अयोध्या में दीपोत्सव के लिए 51 हजार दीप जुटाने के लिए हमें पूरे प्रदेश की खाक छाननी पड़ी थी. इस वर्ष हम साढ़े सात लाख दिए जलाने जा रहे हैं. हमने तकनीक से करीगरों को जोड़ा तभी यह संभव हो पाया है. हमारे कारीगर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति बनाना छोड़ दिया था. चीन जैसे नास्तिक देश मूर्तियां बनाने लगा. पिछली सरकारों ने चिंता नहीं की. आज हमारे कारीगर मूर्तियां बना रहे हैं. चीन से अच्छी, सुंदर, सस्ती और टिकाऊ. उन्हीं कारीगरों के चेहरों पर आज खुशहाली आ गयी है.
मुख्यमंत्री योगी के आर्थिक मॉडल से प्रदेश बन रहा आत्मनिर्भर: सिद्धार्थनाथ सिंह
एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आर्थिक मॉडल ने प्रदेश को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने का काम किया है. बहुत कम लोगों को इसकी समझ है. पंडित दीनदयाल जी कह गये कि आखिरी पायदान पर खड़े व्यक्ति तक लाभ पहुंचना चाहिये. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी की प्रेरणा से यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उसको प्रदेश में पूरा करने का काम किया है.
एक जनपद एक उत्पाद योजना ने उन गरीबों को जिनके पास हुनर है उनको आगे ले जाने का काम किया है. ओडीओपी और विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना ने प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने का काम किया है. उन्होंने कहा कि कोरोना के होते हुए भी प्रदेश में 68412 लोगों ने विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण लिया है.
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुख्यमंत्री की अभिनव सोच को आगे बढ़ाने का और 17 दिसम्बर को एक बड़ा आयोजन कर 75 हजार लोगों को विश्वकर्मा श्रम सम्मान योजना से प्रशिक्षण दिलाकर टूलकिट वितरित किये जाने का आश्वासन दिया.
टीवी का मशहूर सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Ye Rishta Kya Kehlata Hai) की कार्तिक-सीरत की जोड़ी को दर्शक खूब पसंद करते हैं. शो में ये एक्टर्स अपनी एक्टिंग से फैंस का दिल जीतने में कामयाब हो रहे हैं. अब यह खबर आ रही है कि कार्तिक और नायरा बहुत जल्द इस शो को अलविदा कहने वाले हैं.
जी हां, सही सुना आपने. बताया जा रहा है कि मोहसिन खान (कार्तिक) और शिवांगी जोशी (नायरा) इस शो को छोड़ने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार दोनों अपनी शूटिंग इस महीने के अंत तक पूरी कर लेंगे.
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एक रिपोर्ट के मुताबिक कार्तिक और सीरत अक्टूबर में ये शो छोड़ने वाले हैं. खबर ये भी है कि मेकर्स ने इनकी जगह दो नए चेहरों को भी कास्ट कर लिया है. और शो में लीप भी दिखाया जाएगा. मेकर्स ने ये तय कर लिया है कि अब अगले महीने शो में नए चेहरे नजर आएंगे.
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आपको बता दें कि साल 2016 में मोहसिन और शिवांगी ने ये शो शुरू किया था. इस शो में दोनों की जोड़ी दर्शकों की फेवरेट जोड़ी है. शो में दोनों की केमिस्ट्री काफी दिलचस्प दिखाई जा रही है. लेकिन अब ये दोनों इस शो को अलविदा कहने वाले हैं.
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शो में दिखाया जा रहा है कि कार्तिक और सीरत की नई जिंदगी शुरू हो गई है. कायरव के बर्थडे पर सीरत इमोशनल हो जाती है. और वह कार्तिक से कहती है कि उसने नायरा बनने की बहुत कोशिश की लेकिन नहीं बन पाई.
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देह व्यापार का एक बाजार ऐसा भी है, जहां के सैक्सवर्कर औरतें नहीं बल्कि मर्द होते हैं. जिन्हें जिगोलो कहा जाता है. उन्हें यौन पिपासा से भरी औरतों को हर तरह से खुश करना होता है. आजकल जिगोलो की मांग लगातार बढ़ती जा रही है. इस धंधे में मोटी कमाई तो होती ही है साथ ही…
भरे बदन वाली एक अधेड़ महिला कमसिन दिखने की अदाओं के साथ ड्राइंगरूम में खड़ी थी. वहीं कुछ दूसरी महिलएं सिगरेट का धुंआ उड़ाती कुछ दूरी बना कर सोफे पर क्रास टांगों के साथ बैठी थीं. सभी के बीच अपनेअपने सैक्स अपील वाले यौवन को दर्शाने की होड़ सी दिख रही थी.
इसी बीच बलिष्ठ चुस्त टीशर्ट और टाइट पाजामे में एक युवक वहां आया. वहां वह सिर्फ उसी माहिला को पहचानता था, जो खड़ी थी. वह महिला उस के पास आई और बोली, ‘‘तुम को मालूम है कि तुम कहां खड़े हो. यहां जिस्म का बाजार लगता है.’’
यह सुनते ही युवक चौंक पड़ा,‘‘क्या?’’
महिला उस की कान के पास मुंह लगा कर बोली, ‘‘यहां तुम मेरे रिश्तेदार नहीं, केवल एक मर्द हो. नीले, गुलाबी बल्बों की रोशनी में तुम्हें अपनी अदाएं बिखेरनी हैं. बैठी महिलाओं को अट्रैक्ट करना है. बदले में तुम्हें ये अमीर महिलाएं मुहमांगी कीमत देंगी. आज तुम एक बिकाऊ मर्द होे, देखती हूं तुम्हारी कौन कितनी बोली लगाती है…’’
युवक चुपचाप महिला की बातें सुनता रहा. उस ने इसी क्रम में कुछ हिदायतें भी दीं. बोली, ‘‘तुम्हें यहां सभी के चेहरे पर सैक्स के भूख की एक ललक साफ तौर पर दिख रही होगी. याद रखना ये ललक जब तक दिखती रहेगी तब तक तुम्हारी मांग बनी रहेगी.’’
‘‘जी भाभी,’’ युवक बोला.
‘‘नहींनहीं, यह नाम नहीं, यहां मैं तुम्हारी मैडम हूं, मैडम एम.’’
‘‘जी समझ गया.’’ युवक बोला.
‘‘आओ, तुम्हारा सभी से परिचय करवाती हूं. उन की तारीफ मैडम के साथ एक अक्षर जोड़ कर करना.’’ कहती हुई मैडम एम ने पास बैठी महिला की ओर इशारा किया, ‘‘ये हैं मैडम एस… और ये हुई मैडम डी, ये हैं मैडम एक्स, वाई और…’’
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इस तरह से मैडम एम ने युवक का हाथ पकड़ कर वहां बैठीं 8 महिलाओं से उस का परिचय करवा दिया. फिर सब की ओर मुखातिब हो कर बोली, ‘‘मैडमों, अब खेल शुरू किया जाए, जिसे जो ड्रिंक लेना है, प्लीज किचन से जा कर ले सकती हैं…सेल्फ सर्विस है…ग्लास खाली होने पर उसे भरने के लिए ये है ही…’’ युवक की ओर उंगली उठाती हुई बोली.
मैडम एम ने सेंटर टेबल के नीचे से रिमोट निकाला और धीमी चल रही म्यूजिक की वौल्यूम बढ़ा दी. म्यूजिक तेज होते ही कइयों के पैरों की थिरकन बढ़ गई, जबकि कुछ महिलाएं बैठेबैठे ही अपने हाथों को नृत्य की मुद्रा में लहराने लगीं. एक महिला सोफे से उठी और कमर को डांस के मोड में लचकाती हुई किचन की तरफ बढ़ गई.
इस तरह से मर्द वेश्यावृत्ति के लिए छोटी सी मंडी सज गई, जिसे अज्ञात महिला की देखरेख में आयोजित किया गया था. ऐसा वह हर सप्ताह के वीकेंड पर करती थी.
अमीर घरों की औरतें ग्राहक हुआ करती थीं. वे हर सप्ताह कुछ नया पाने की ललक लिए आती थीं और आधी रात तक मौजमजा करती थीं.
इस मंडी के लिए हर बार किसी नए मर्द की तलाश की जाती थी. उसे बदले में अच्छी रकम मिल जाती थी. उस रोज मैडम एम यानी मालती को कोई युवक नहीं मिल पाया था. वह इस के लिए शनिवार की सुबह तक बहुत बेचैन थी.
उसी दौरान पीजी में रहने वाला उस के दूर के एक रिश्तेदार ने फोन पर अपनी समस्या बताई. पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए उस ने कहीं पार्टटाइम जौब दिलवाने की रिक्वेस्ट की.
थोड़ी देर सोचने के बाद मालती ने उसे ही जिगोलो बनने के लिए राजी कर उसी शाम सजने वाली देह की मंडी में बुला लिया. साथ ही युवक से कुछ वादे भी लिए.
दिल्ली में अपने दम पर पढ़ाई का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा था. उसे कोचिंग के लिए मोटी रकम की भी जरूरत थी. मालती का प्रस्ताव सुन कर उसे लगा कि उस का जमीर मर रहा है.
फिर उस के मन में अपने परिवार का भी खयाल आया, जहां कोई सोच भी नहीं सकता कि वह ऐसा भी कर सकता है. उस ने पैसे की जरूरत पूरी करने के लिए अपना जमीर बेच डाला.
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युवक मालती से केवल इतना पूछ पाया, ‘‘मुझे कब तक रुकना होगा, पढ़ाई भी करनी है.’’
इस का जवाब मालती ने दे दिया. वह खुश हो गई उसे एक नया माल… एक नया छैला मिल गया था. अब उसे ग्राहकों की बुकिंग नहीं लौटानी पड़ेगी. इसी के साथ मालती ने उस की कुछ तसवीरें मंगवाईं.
तसवीर की मांग पर युवक सोच में पड़ गया कि कोई रिश्तेदार देख लेगा तो उस के भविष्य का क्या होगा. इस की चिंता भी मालती ने दूर कर दी. तुरंत अपने फ्लैट पर बुलाया. चेहरे की पहचान छिपा कर अपने मोबाइल से कुछ तसवीरें खींच लीं.
पहले दाईं तरफ से, फिर बाईं तरफ से और उस के बाद सामने से
तसवीर खींची गई. सभी तसवीरें अंडरगारमेंट में थीं. युवक को उस की 3 आकर्षक फोटो दिखा कर बाकी डिलीट कर दी गईं. उन में युवक को पहचानना मुश्किल था.
उस के सामने तसवीरों को वाट्सऐप पर भेज दिया गया. तसवीरों के साथ लिख दिया गया, ‘‘नया माल है, रेट ज्यादा लगेगा. कम पैसे का चाहिए तो दूसरे को भेजती हूं.’’
एक से बढ़ कर एक खूसबूरत महिलाएं युवक की बोली लगाने लगीं, जो अंत में 5 हजार रुपए में तय हुई. इस में युवक को क्लाइंट के लिए सब कुछ करना था.
इस बारे में युवक ने अपना अनुभव शेयर करते हुए नाम नहीं उजागर करने की शर्त पर बताया, ‘‘मैं जिंदगी में पहली बार ये करने जा रहा था. बिना प्यार, इमोशंस के कैसे करता. एक अंजान के साथ करना होगा, यह सोच कर मेरा दिमाग चकरा रहा था.’’
उस ने आगे बताया, ‘‘वो शायद 32-34 साल की शादीशुदा महिला थी. बातें शुरू हुईं और उस ने कहा कि वह गलत जगह फंस चुकी है. पति गे है. वह अमरीका में रहता है. तलाक दे नहीं सकती. फिर एक तलाकशुदा औरत से कौन शादी करेगा. मेरा भी अलगअलग चीजों का मन होता है, बताओ क्या करूं.’’
उस के बाद महिला ने हिंदी गाने लगवाए और डांस करने लगी. थोड़ी देर में शुरू किया. हम दोनों डाइनिंग रूम से बैडरूम गए. अब तक उस ने मुझ से प्यार से बात की थी. काम जैसे ही खत्म हुआ, पैसे दे कर बोली, ‘‘चल कट ले, निकल यहां से.’’
उस ने मुझे टिप भी दी. मैं ने उस से कहा, ‘‘मैं ये सब पैसों की मजबूरी की वजह से कर रहा हूं.’’
उस ने कहा, ‘‘तेरी मजबूरी को तेरा शौक बना दूंगी.’’
मेरी मजबूरी जो दिल्ली से सैकड़ों किलोमीटर दूर मेरे घर से शुरू हुई थी. मेरी लोअर मिडिल क्लास फैमिली को मैं अनलकी लगता था, क्योंकि मेरे जन्म के बाद ही पिता की नौकरी चली गई. वक्त के साथ ये दूरियां बढ़ती गईं.
मेरा सपना एमबीए करने का था लेकिन इंजीनियरिंग करने को मजबूर किया गया. नौकरी नहीं लगी. फिर कंपटीशन की तैयारी कर दी. उस के लिए अतिरिक्त खर्च से मैं परेशान रहने लगा.
उन्हीं दिनों डिफेंस कालोनी में रहने वाली दूर की रिश्तेदार के बारे में मालूम हुआ. उन से मिला. वह तलाकशुदा महिला निकली, लेकिन अपने दम पर छोटा सा बुटीक चला रही थी. पति अपने मातापिता के साथ बंगलुरु में शिफ्ट हो चुका था, उस से कोई बच्चा नहीं था.
हर छोटीबड़ी परेशानी में वह मेरा आत्मविश्वास बढ़ा देती थी. उस ने कई बार डिप्रेशन से बाहर निकाला था. हालांकि मुझे इंटरनेट पर मेल एस्कार्ट यानी जिगोलो के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी थी.
ऐसा फिल्मों में देखा था. कुछ वैसी वेबसाइट्स के बारे में भी जानकारी थी. जहां जिगोलो बनने के लिए प्रोफाइल बनाई जा सकती थी. संयोग कहें
या फिर मेरी किस्मत कि मैं जिस्म की बोली लगने वाली महिलाओं के बीच आ गया था.
उस रात मैं ने जिगोलो बनने की परीक्षा अच्छे नंबरों से पास कर ली. ऐसा मैडम एम ने आधी रात को मेरी पीठ थपथापते हुए कहा. मैं वहीं थका हुआ सो गया. सुबह कालबैल की आवाज से नींद खुली.
दरवाजे पर मालती को मुसकराते हुए देखा. मैं झेंप गया और फ्रैश होने के लिए बाथरूम में घुस गया.
उस के बाद मैं दुविधा से घिर गया. यह कहें मैं 2 विचारों की दहलीज पर खड़ा था. एक, दहलीज से पीछे हट कर सुसाइड कर लूं. दूसरा, दहलीज के पार जा कर जिगोलो बन जाऊं.
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अंतत: मैं ने दहलीज को लांघने का फैसला कर लिया. मैं जिन औरतों से मिला, उन में शादीशुदा तलाकशुदा, विधवा और सिंगल लड़कियां भी शामिल थीं.
इन में से ज्यादातर के लिए मैं एक इंसान नहीं माल था. जब तक उन की इच्छाएं पूरी न हो जातीं, सब अच्छे से बात करतीं. कहती कि मैं अपने पति को तलाक दे कर तुम्हारे साथ रहूंगी. लेकिन बैडरूम में बिताए कुछ वक्त के बाद सारा प्यार खत्म हो जाता.
सुनने को मिलता, ‘‘चल निकल यहां से. पैसा उठा और भाग.’’
और कई बार गालियां भी सुनने को मिलतीं. ये सोसाइटी हम से मजे भी लेती है और हम ही को प्रास्टीट्यूट कह कर गालियां भी देती है.
एक बार एक पतिपत्नी ने साथ में बुलाया. पति सोफे पर बैठा शराब पीते हुए हमें देखता रहा. मैं उसी के सामने पलंग पर उस की पत्नी के साथ था. ये काम दोनों की रजामंदी से हो रहा था. शायद दोनों की ये कोई डिजायर रही हो.
इसी बीच 50 साल से ज्यादा उम्र की महिला भी मेरी क्लाइंट बनी. वह मेरी जिंदगी का सब से अलग अनुभव था. पूरी रात वह बस मुझ से बेटाबेटा कह कर बात करती रहीं. बताती रहीं कि कैसे उन का बेटा और परिवार उन की परवाह नहीं करता. वे उन से दूर रहते हैं.
वो मुझ से भी बोलीं, ‘‘बेटा, इस धंधे से जल्दी निकल जाओ, सही नहीं है ये सब.’’
उस रात हमारे बीच सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ. सुबह उन्होंने बेटा कहते हुए मुझे तय रुपए भी दिए. मुझे वाकई उस महिला के लिए दुख हुआ.
फिर एक रोज जब मैं ने शराब पी हुई थी और जिंदगी से थकान महसूस कर रहा था, मैं ने मां को फोन किया. उन्हें गुस्से में कहा, ‘‘तुम पूछती थी न कि अचानक ज्यादा पैसे क्यों भेजने लगे. मां मैं धंधा करता हूं… धंधा.’’
वो बोलीं, ‘‘चुप कर. शराब पी कर कुछ भी बोलता है तू.’’ यह कह कर मां ने फोन रख दिया.
मैं ने मां को अपना सच बताया था लेकिन उन्होंने मेरी बात को अनसुना कर दिया. मेरे भेजे पैसे वक्त से घर पहुंच रहे थे न… मैं उस रात बहुत रोया. क्या मेरी वैल्यू बस मेरे पैसों तक ही थी? इस के बाद मैं ने मां से कभी ऐसी कोई बात नहीं की.
मैं इस धंधे में बना रहा, क्योंकि मुझे इस से पैसे मिल रहे थे. मार्केट में मेरी डिमांड थी. लगा कि जब तक कोलकाता में नौकरी करनी पड़ेगी और एमबीए में एडमिशन नहीं ले लूंगा, तब तक ये करता रहूंगा. लेकिन इस धंधे में कई बार अजीब लोग मिलते हैं. शरीर पर खरोंच छोड़ देते थे.
ये निशान शरीर पर भी होते थे और आत्मा पर भी. और इस दर्द को दूसरा जिगोलो ही समझ पाता था, सोसाइटी चाहे जैसे देखे, इस प्रोफेशन में जाने का मुझे कोई अफसोस नहीं है. हां, अतीत के बारे में सोचूं तो कई बार चुभता तो है. ये एक ऐसा चैप्टर है, जो मेरे मरने के बाद भी कभी नहीं बदलेगा.
यह एक ऐसा व्यवसाय है जिस में जोरजबरदस्ती नहीं बल्कि स्वेच्छा से लोग शामिल होते हैं और इन की खरीदफरोख्त भी स्वेच्छा से ही की
जाती है. यानी कि यह पुरुष वेश्यावृत्ति औरतों की वेश्यावृत्ति की तरह तकलीफदेह नहीं है.
यूं तो यह बेहद संभ्रांत परिवार की औरतों का महंगा शौक है जो मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और दिल्ली जैसे महानगर में तेजी से फलफूल रहा है.
इस में लड़कियों की वेश्यावृत्ति की तरह से इस पेशे में धकेला नहीं जाता, बल्कि लड़के खुद अपनी स्वेच्छा से अपने शौक को पूरा करने के लिए, कभीकभी मस्ती करने के लिए या बेरोजगार होने की हालत में इसे रोजगार की तरह अपना लेते हैं.
रात 10 बजे से सुबह 4 बजे तक जिगोलो की मंडियां सजती हैं और बड़ीबड़ी लग्जरी कारों में संभ्रांत कहे जाने वाले परिवारों से औरतें, लड़कियां और उम्रदराज औरतें भी अपने लिए जिगोलो नामक खिलौना चुनती हैं.
रात भर या फिर घंटे के हिसाब से उस से खेलती हैं और सुबह की रोशनी के पहले ही वापस अपने घर को चली जाती हैं.
कभीकभी शहर से बाहर आउटहाउस पर जाने का भी इंतजाम होता है. लेकिन इन्हें पाना सब के बस की बात नहीं है. यह 3 हजार से ले कर 8 हजार तक के मिलते हैं, एक रात में 8 हजार तक की कमाई की वजह से यह फायदेमंद सौदा बन चुका है. ऐसे लोगों की धमक छोटे शहरों तक में हो चुकी है.
गठीला शरीर ,फर्राटेदार अंगरेजी और लिंग के साइज से ही उस की कीमत तय होती है. उन के गले में खास पहचान देने वाला पट्टा लगा होता है, जो उस के सैक्सी होने के बारे में बताता है.
किसी पब में, डिस्को में और बड़े होटलों में जिगोलो अकसर मिलते हैं. इस में काम करने वाले 18 साल के लड़के से ले कर 50 साल के पुरुष भी हो सकते हैं.
यह कहें कि अब इस बारे में लोगों को बहुत जानकारी है. दिल्ली के कई पौश इलाके पुरुष वेश्यावृति के लिए कुख्यात कहे जा सकते हैं.
इस में रुचि रखने वाली रईस तबके की औरतों के अलावा गे समुदाय के लोग भी होते हैं. इन के खरीददार अथाह पैसा रखने वाली वे औरतें होती हैं, जिन की शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती हैं. उन के लिए अधिक समय तक सैक्स को दबा कर रखना आसान नहीं होता या इन में वैसी औरतें भी होती हैं, जो चेंज में विश्वास करती हैं.
यह किसी मजबूरीवश नहीं सिर्फ मजे के लिए किया जाने वाला महंगा शौक है. शराब पीना, सिगरेट पीना और फिर जिगोलो संग कामाग्नि को बुझाना, यह फैशन सा बन गया है.
हैरत की बात तो यह है कि ऐसी महिलाएं अपने निजी शौक की पूर्ति के लिए 2 हजार से 20 हजार रुपए न्यौछावर कर देती हैं.
मर्दों की मंडी में पुरुषों के जिस्म की नुमाइश होती है. औरतें इन्हें छू कर और परख कर अपने लिए पसंद करती हैं और फिर कुछ घंटे शराब सिगरेट और मदहोशी के नशे में बिता कर मुंह अंधेरे ही वापस सफेद उजाले में आने के लिए तैयार हो जाती हैं.
कुछ घंटे के लिए 3 हजार रुपए देने को तैयार हो जाती हैं. एक मर्द सेक्स वर्कर पर औसतन 12 से 15 हजार रुपए तक लुटाना आम बात मानी जाती है.
कई बार बड़ेबड़े हाई क्लास के अड्डे में जिगोलो महिलाओं के बीच अपनी नुमाइश करते हैं. वहां जो सैक्स संबंध बनाते हैं उस के पैसे मिलते हैं. यह जिगोलो पर निर्भर करता है कि वह कितना अपने क्लाइंट को संतुष्ट कर पाता है.
ऐसे में किसी महिला को कोई जिगोलो पसंद आ जाता है तो वह उस की बोली लगा कर पूरी रात के लिए अपने साथ ले जाती है.
जिगोलो को तलाशने से ले कर उस के नुमाइश के ठिकाने बनाने के काम में बिचौलिए की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है. उन की बदौलत जिगोलो से ले कर महिला ग्राहक तक की सभी जानकारी गुप्त बनी रहती है.
इस काम को करने वाले अधिकतर कम उम्र के लड़के ही होते हैं. यानी 18 से 30 वर्ष के जिन की डिमांड भी ज्यादा रहती है. जिगोलो को जो पैसा मिलता है, उस का 20 प्रतिशत कमीशन एजेंट या बिचौलिए को देना होता है.
यानी कि जिगोलो बनने के लिए 2500 से 3000 रुपए तक चुका कर बाकायदा रजिस्ट्रेशन करवाना होता है. उस के बाद ट्रेनिंग देनी होती है. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें खास किस्म के पहनावे से ले कर चलनेफिरने, उठनेबैठने के ढंग और एक सीमा तक यौनांगों के साथ अश्लील हरकत करना आदि सिखाया जाता है.
उन्हें यह भी सिखाया जाता है कि वे किस तरह से किसी महिला के सामने ज्यादा समय तक टिके रह सकते हैं.
उन्हें स्ट्रिपर की भी अच्छीखासी ट्रेनिंग दी जाती है. वे अपनी नुमाइश के दौरान जैसेजैसे कपड़े उतारते जाते हैं, वैसेवैसे सामने बैठी महिलाओं की कामाग्नि भड़कती चली जाती है.
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बताते हैं जिगोलो में हर पेशे से जुड़े लोग होते हैं. वे जिम की बदौलत तराशे हुए बदन को खूबसूरती के साथ प्रदर्शित करते हैं, जिन्हें देख कर महिला की आह निकल पड़ती है. कई बार अपने प्रोफेशन में यह अच्छे कौन्टैक्ट्स पाने के लिए भी इस काम को करते हैं.
वैसे लोग सड़क किनारे कुछ इलाके की चर्चित बाजारों के पास खड़े हो जाते हैं. लग्जरी गाडि़यां रुकती हैं और सौदा तय होने पर अपने क्लाइंट के पास पहुंच जाते हैं.
होटलों में यह काम थोड़ा आसान हो जाता है, क्योंकि वहां उन्हीं के कमरों में इस काम को अंजाम दिया जाता है. ऐसे कई लोग एक अलग से पहनावे और परफ्यूम लगाए रेस्टोरेंट में बैठ कर ग्राहक के बिचौलिए का इंतजार करते हैं.
जिगोलो के धंधे में उतरने वाले शुरू में भले ही अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए ऐसा करते हैं, लेकिन बाद में उन्हें लत लग जाती है. इस पेशे में आने वाले मनोरंजन और मौडलिंग के पेशे के लोग आसानी से घुलमिल जाते हैं.