गोपी बहू ने दिखाया बेली डांस का तड़का, यूजर्स ने दिया ये रिएक्शन

बिग बॉस फेम और टीवी सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ एक्ट्रेस देवोलीना भट्टाचार्जी इन सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहती हैं. वह अक्सर फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं.

अब उन्होंने एक बार फिर अपने बेली डांस से फैन्स के दिलों में खलबली मचा दी है. जी हां, देवोलीना ने सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर किया है. इस वीडियो में एक्ट्रेस का हॉट अंदाज देखने को मिल रहा है.

 

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देवोलीना ने वीडियो को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा कि प्रैक्टिस, प्रैक्टिस, प्रैक्टिस, इस डांस से प्यार हो गया है. अभी मैंने इस डांस को पूरी तरह से नहीं सीखा है. अभी भी सीख रही हूं. बहुत जल्द मैं अपना डांस कोर्स पूरा करूं लूंगी, फिर आपके साथ एक और वीडियो शेयर करूंगी. तब आप लोग भी लुत्फ उठाना.

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इस वीडियो को देवोलीना के फैन्स काफी पसंद कर रहे हैं. और जमकर कमेंट भी कर रहे हैं. एक फैन यूजर ने लिखा, आप डांसर को हरा रही हैं तो  वहीं दूसरे यूजर  ने लिखा, गोपी बहू ये क्या.

 

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तो वहीं एक अन्य ने लिखा, ‘आराम से करो वरना आपका बैकबोन पेन फिर से शुरू हो जाएगा. फैन्स ने  इस डांस वीडियो की जमकर तारीफ कर रहे हैं. आपको बता दें कि ‘बिग बॉस 13’ में बैक इंजरी की वजह से देवोलीनो ने शो को बीच में ही छोड़ दिया था.

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इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती के साथ ‘अनुपमा’ कर चुकी है रोमांस, 24 साल पहले बनी थीं एक्टर की हीरोइन

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. शो के लेटेस्ट ट्रैक में किंजल घर के कामों को लेकर बा से बहस करती है, तो वहीं अनुपमा उसे समझाती है. लेकिन किंजल पर अनुपमा की बातों का कोई असर नहीं हो रहा. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. हाल ही में काव्या यानी मदालशा शर्मा के ससुर ‘बॉलीवुड के सुपरस्टार’ मिथुन चक्रवर्ती सीरियल के सेट पर पहुंचे. उन्होंने शो के कलाकारों के साथ खूब मस्ती की.

मिथुन चक्रवर्ती अपनी बहू मदालसा के अलावा शो की लीड एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) से भी मुलाकात की. जी हां, उन्होंने सभी के साथ फोटो भी क्लिक करवाई. तो वहीं अनुपमा ने मिथुन के साथ फोटो शेयर करते हुए खूबसूरत नोट लिखा है.

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रुपाली गांगुली ने बताया है कि बतौर हीरोइन वह पहली बार मिथुन चक्रवर्ती के साथ नजर आई थीं. उन्होंने बताया कि जब मैं 4 साल की थी तब मैंने पहली बार कैमरे का सामना किया था. रुपाली ने लिखा है कि फिल्म के सेट पर पापा और मिथुन से बहुत दांट पड़ती थी.

 

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आपको बता दें कि रुपाली गांगुली उम्र में मिथुन चक्रवर्ती से 27 साल छोटी हैं. मिथुन चक्रवर्ती और रुपाली गांगुली ने 1996 में आई फिल्म ‘अंगारा’ में साथ काम किया था.  इस फिल्म में रुपाली मिथुन की हीरोइन थीं. और उन्होंने गुलाबी का किरदार निभाया था.  इस फिल्म को उनके पिता यानी मशहूर डायरेक्टर अनिल गांगुली ने डायरेक्ट किया था.

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रुपाली गांगुली की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने 8 साल पहले अश्विन वर्मा से शादी की. रुपाली शादी के 12 साल पहले से अश्विन को जानती थी. अश्विन उनके बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे.

 

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एक इंटरव्यू के अनुसार रुपाली गांगुली ने  बताया था कि वो अश्विन को किसी और के साथ शादी करते नहीं देखना चाहती थीं. रुपाली के मुताबिक, हमारा रिश्ता कुछ ऐसा था कि कभी प्रपोज करने की जरूरत नहीं पड़ी.

Manohar Kahaniya: चित्रकूट जेल साजिश- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

चूंकि वारदात के समय कोरोना बीमारी के कारण 2 डिप्टी जेलर छुट्टी पर थे और जेलर व जेल अधीक्षक जेल के बाहर अपने आवास में थे, जबकि नियमत: उन में से किसी एक को जेल के भीतर होना चाहिए था.

इस से साफ हो गया कि कहीं न कहीं जानबूझ कर या अनजाने में लापरवाही हुई है. इसीलिए डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी की रिपोर्ट पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने चित्रकूट जेल हत्याकांड मामले में चित्रकूट जेल के जेलर महेंद्र पाल व और जेल अधीक्षक श्रीप्रकाश त्रिपाठी को निलंबित कर दिया और उन के खिलाफ विभागीय काररवाई के भी आदेश दिए गए. साथ ही 3 अन्य जेल कर्मचारी संजय खरे, हरिशंकर राम और अमित कुमार को भी सस्पेंड किया गया.

उन की जगह अशोक कुमार सागर को चित्रकूट का नया जेल अधीक्षक बनाया गया. वहीं सी.पी. त्रिपाठी चित्रकूट जेल के नए जेलर बनाए गए.

लेकिन सब से बड़ा सवाल यह था कि आखिर अंशुल ने मेराज व मुकीम काला की हत्या क्यों की? जेल के भीतर यह शूटआउट जिस तरह से हुआ था, उस से एक बात तो साफ थी कि किसी ने साजिश रच कर मेराज व मुकीम काला को जेल के भीतर मरवाया है और अंशुल को शूटर के तौर पर इस्तेमाल किया गया था.

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मारे गए तीनों थे कुख्यात अपराधी

जिस तरह वारदात के समय अंशुल मुख्तार अंसारी का नाम बारबार ले कर उस के गैंग को खत्म करने की बात कर रहा था, उस से भी स्पष्ट था कि मुख्तार अंसारी के किसी दुश्मन ने उसे कमजोर करने के लिए इस काम को अंजाम दिया या फिर मुख्तार गैंग ने ही इस शूटआउट को अंजाम दिलवाया है.

शासन के आदेश पर डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी के अलावा चित्रकूट जिला पुलिस की जांच टीम के सीओ (सिटी) शीतला प्रसाद पांडेय, कोतवाल वीरेंद्र त्रिपाठी, एसआई रामाश्रय सिंह को मिला कर एक जांच दल गठित किया, जिस ने धीरेधीरे इन सवालों के जवाब तलाशने शुरू कर दिए.

इन तमाम सवालों के जवाब जानने से पहले हमें चित्रकूट जेल के शूटआउट में मारे गए तीनों अपराधियों के जुर्म का इतिहास खंगालना होगा.

अंशुल सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का मूल निवासी था. पुलिस कस्टडी के दौरान अंशुल अपराध की दुनिया के सफर में अपने शामिल होने की जो कहानी सुनाता था, उस के मुताबिक सीतापुर में एक राजनैतिक पार्टी के नेता का बेटा उस की बहन से छेड़छाड़ करता था. ऐसी हरकत से मना करने पर उस नेता के बेटे ने गुंडई की. सरेआम पिटाई करने के बाद अंशुल पर गोली दाग दी.

नेता के बेटे द्वारा किए गए हमले में अंशुल के पैर में गोली लगी. जब वह शिकायत ले कर थाने गया तो थानाप्रभारी ने काररवाई करने से मना कर दिया. इस दौरान उस के पूरे परिवार का उत्पीड़न किया गया. इस उत्पीड़न की वजह से उस की भाभी को काफी तकलीफ उठानी पड़ी. इस दौरान भाभी का गर्भपात भी हो गया.

उस के बाद से अंशुल ने ठान लिया कि वह अब बदला ले कर ही रहेगा. अंशुल को फैजाबाद के एक नेता का वरदहस्त मिला, तब उस ने स्थानीय नेता के बेटे की हत्या कर इंतकाम की आग शांत की.

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कालेज में हुआ था अपराधियों से संपर्क

अंशुल दीक्षित ने तब तक लखनऊ विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया था, जहां वह कई अपराधियों के संपर्क में आया और उसी की बदौलत उस ने अपना बदला भी लिया. लखनऊ यूनिवर्सिटी के पूर्व महामंत्री विनोद त्रिपाठी से उन दिनों उस की सब से गहरी दोस्ती थी. उसी की बदौलत अंशुल का अपराधियों के साथ नेटवर्क बना था.

लेकिन बाद में किसी विवाद में अंशुल ने ही 11 दिसंबर, 2008 को गोमतीनगर के नेहरू इनक्लेव में विनोद त्रिपाठी और उस के साथी गौरव की हत्या कर दी थी.

विनोद त्रिपाठी की हत्या के केस में छात्र नेता हेमंत सिंह, विपिन सिंह और अश्वनी उपाध्याय गवाह थे. हालांकि अंशुल के खौफ से विपिन और अश्वनी ने आधी गवाही के बाद ही पैर पीछे खींच लिए.

लेकिन हेमंत, अंशुल को सजा दिलाने पर अड़ा था. इसलिए अंशुल हेमंत को गवाही से पीछे हटाने के लिए जान से मारने की धमकी दे रहा था. इसी दौरान वह मुख्तार अंसारी के भी संपर्क में आया और उस के लिए छिटपुट काम भी किए.

सन 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध असलहों के साथ पहली बार पकड़ा गया था. लेकिन 6 साल बाद 17 अक्तूबर, 2013 को पेशी से लौटते समय वह सीतापुर रेलवे स्टेशन पर सिपाहियों को जहरीला पदार्थ खिला कर फायर करते हुए फरार हो गया था. बाद में उस पर 50 हजार का ईनाम घोषित हुआ.

पुलिस कस्टडी से फरार होने के बाद 27 सितंबर, 2014 को अंशुल की भोपाल में मौजूदगी की सूचना पर एसटीएफ लखनऊ के दारोगा संदीप मिश्र उसे भोपाल क्राइम ब्रांच के साथ गिरफ्तार करने गए थे. लेकिन यहां भी अंशुल दीक्षित पुलिस पर फायरिंग करते हुए भाग निकला.

उस की गोली से दरोगा संदीप मिश्र तथा क्राइम ब्रांच (भोपाल) के सिपाही राघवेंद्र घायल हो गए थे.

बन गया मुख्तार अंसारी का शार्प शूटर

लेकिन पुलिस पर हमला करने के बाद एसटीएफ हाथ धो कर अंशुल के पीछे पड़ गई और 4 दिसंबर, 2014 को गोरखपुर की स्पैशल टास्क फोर्स ने अंशुल दीक्षित को गिरफ्तार कर लिया था.

पुलिस की गिरफ्त में आया अंशुल तब तक कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुका था. तब तक उस की पहचान अपराध जगत में माफिया सरगना मुख्तार अंसारी का खास व उस के शार्प शूटर के रूप में बन चुकी थी.

गिरफ्तारी के बाद लखनऊ जेल से अंशुल को 30 सितंबर, 2018 को रायबरेली जेल लाया गया. अंशुल दीक्षित रायबरेली कारागार में करीब 50 दिन रहा. इतने दिनों में ही उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर जेल के भीतर अनुशासन की धज्जियां उड़ा दी थीं.

यहां उस ने शातिर बदमाश दलशृंगार सिंह और सोहराब के साथ मिल कर कई वीडियो बनाए. इन वीडियो के बल पर वह जेल के अफसरों को ब्लैकमेल करने लगा. बात जब सिर के ऊपर से गुजरी तो उसे व उस के साथियों को 20 नवंबर, 2018 को प्रतापगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया.

अंशुल ने यहां भी अपने कारनामे जारी रखे. और एक के बाद एक 6 वीडियो वायरल किए. इस के बाद उसे 9 दिसंबर 2019 को उत्तर प्रदेश की नई हाईटेक चित्रकूट जेल भेजा गया.

तब से वह इसी जेल में बंद था. अंशुल जल्द ही चित्रकूट जेल में रम गया और ठाठ से रहने लगा. बताया जाता है कि जेल में उस से मुलाकात करने वाले उसे बड़ी रकम दे कर जाते थे. जेल के सभी वार्डनों, डिप्टी  जेलर तथा उच्चाधिकारियों से उस की गहरी सांठगांठ हो गई थी.

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कुख्यात गैंगस्टर था मुकीम काला

अंशुल की तरह मुकीम काला भी कुख्यात अपराधी था. मुकीम काला शामली जिले के कैराना थाना क्षेत्र के जहानपुरा गांव का रहने वाला था. उस पर शामली, सहारनपुर, मुजफ्फरनगर के अलावा दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा में 61 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे.

इन में लूट, रंगदारी, अपहरण, फिरौती के 35 से ज्यादा मुकदमे थे. मुकीम काला के दूसरे भाई वसीम काला को सन 2017 में एसटीएफ ने मेरठ में मुठभेड़ में मार गिराया था.

अपराध की दुनिया में आने से पहले मुकीम काला करीब 12 साल पहले राजमिस्त्री का काम करता था. लेकिन बाद में अपराधियों के संपर्क में आ कर मुकीम काला पश्चिमी उत्तर प्रदेश का कुख्यात गैंगस्टर बन गया. उस पर एक लाख रुपए का ईनाम भी रखा जा चुका था.

सपा सरकार में मुकीम काला का वेस्ट यूपी में जबरदस्त आतंक था. यूपी ही नहीं, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में भी उस के खिलाफ कई मामले दर्ज थे.

मुकीम काला ने हरियाणा के पानीपत में एक मकान में डकैती डाल कर पहली वारदात को अंजाम दिया. इस मामले में जेल गया. जेल में ही उस की मुलाकात सहारनपुर जिले के थाना गंगोह के मुस्तफा उर्फ कग्गा से हुई थी, जिस के बाद मुस्तफा उर्फ कग्गा ने उसे अपने गैंग में शामिल कर लिया. मुकीम के आने के बाद कग्गा का गैंग और मजबूत हो गया. पुलिस पर हमले करने के बाद यह गैंग रडार पर आया.

दिसबंर 2011 में पुलिस एनकाउंटर में मुस्तफा उर्फ कग्गा मारा गया. मुस्तफा की मौत के बाद मुकीम काला ने कग्गा के गैंग की बागडोर संभाल कर सरगना बन गया. काला के गैंग में 20 से अधिक बदमाश शामिल रहे.

इसी दौरान मुकीम काला भी मुख्तार के संपर्क में आया जो उस के धर्म से जुड़ा बड़ा माफिया होने के साथ एक सियासी रसूख वाला व्यक्ति भी था. मुख्तार के कहने पर काला ने कई वारदातों को अंजाम दिया.

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मुकीम काला जेल में बंद रहे या बाहर रहे, लेकिन अपने क्षेत्र कैराना में उस के नाम का इतना आतंक व्याप्त हो चुका था कि वहां रहने वाले हिंदू कारोबारियों से वह खुल कर रंगदारी वसूलने लगा. जो रंगदारी नहीं देता उसे मुकीम का गिरोह मौत के घाट उतार देता था.

उस की दहशत इतनी फैल गई कि कैराना में रहने वाले हिंदू परिवार वहां से डर के कारण पलायन करने लगे, जिसे 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ा मुद्दा तक बनाया.

अगले भाग में पढ़ें2 जेलर आए शक के दायरे में

कोरोना में शादी ब्याह: इंसान से इंसान दूर, सामाजिकता हुई चूर चूर

बचपन में जब मैं गांव की शादी में जाता था, तब 2 लोगों पर मेरी नजरें जमी रहती थीं. पहला आदमी वह, जो मिठाइयों की कोठरी या कमरा संभालता था और दूसरा नाई समाज का वह आदमी, जिस के पास शादीब्याह वालों का वह नया चमचमाता संदूक होता था, जिस में शादी से जुड़ा खास और कीमती सामान होता था.

जिस आदमी पर मिठाई संभालने की जिम्मेदारी होती थी, मु झे उस से अनचाही जलन होती थी कि यह ऐसा क्या चौधरी बन गया, जो इस की इजाजत के बिना कोई बच्चा भी कमरे से 2 लड्डू नहीं ला सकता है.

दरअसल, गांवदेहात में शादी के घर में मिठाई की जिम्मेदारी उस आदमी को दी जाती थी, जो खुद साफसुथरा रहता हो, ईमानदार हो और जिस के हाथ में बरकत हो. ऐसे ही लोगों की सावधानी से बिना किसी फ्रिज के ऐसी मिठाइयां भी कईकई दिनों तक चल जाती थीं, जिन का जल्दी खराब होने का खतरा बना रहता था.

बताता चलूं कि तब के शादीब्याह में चीनी की बोरी के इस्तेमाल से लोगों की हैसियत पता चलती थी. जिन के घर शादी में मिठाई के लिए जितनी ज्यादा बोरियां खुलेंगी, वह उतना ही पैसे और रुतबे वाला. तब घराती और बराती को भी मीठा खाने से मतलब होता था.

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जहां तक संदूक वाले नाई समाज के आदमी की बात है, तो वह शादी वाले दिन सब से अहम माना जाता था. घर की औरतें जो सामान जैसे गहने, कपड़े और दूसरी चीजें उस संदूक में रखती थीं, उन्हें किस रस्म के दौरान कब और किसे देना है, यह वह आदमी बखूबी जानता था.

एक और बात तो बताना भूल ही गया. मुझे शादी के बाद की एक रस्म बहुत रिझाती थी, जिस में घर आई नई दुलहन के साथ उस का दूल्हा संटी मारने वाला खेल खेलता था. रस्में तो और भी बहुत होती थीं, पर इस रस्म का मजा अलग ही था.

हालांकि यह रस्म दूल्हादुलहन के संटी (शहतूत की पतली टहनी) मारने के खेल से शुरू होती थी, पर बाद में देवर को भी अपनी भाभी के साथ यह खेल खेलने दिया जाता था. बाकी लोग खड़े हो कर मजे लेते थे.

कहींकहीं आज भी इस रस्म को बस निभाने के लिए खेला जाता है, क्योंकि न तो शहरों में शहतूत के पेड़ मिलेंगे और न ही लोगों के पास इतना समय है कि वे शादी निबटने के बाद ऐसे खेलों का मजा ले सकें.

अब तो संदूक संभालने के लिए भी नाई समाज का सहारा नहीं लिया जाता है और न ही नातेरिश्तेदारों के पास इतना समय है कि वे किसी के घर की मिठाइयों का ब्योरा रखें. अब तो खानेपीने का काम हलवाई को ठेके पर दे दिया जाता है. दुकान से ही डब्बों में पैक हो कर मिठाइयां आ जाती हैं और संदूक ले जाने का रिवाज पुराना और बेतुका हो गया है.

पिछले डेढ़ साल में जब से कोरोना ने पूरी दुनिया पर अपना पंजा जमाया है, तब से शादीब्याह भी न के बराबर हुए हैं. अगर हुए भी हैं, तो ‘सोशल डिस्टैंसिंग’ के चलते लोगों की सीमित संख्या ने मजा किरकिरा कर दिया है.

भारत में तो बहुत से लोग इसे आपदा में अवसर मान कर सही ठहरा रहे हैं कि कम लोगों को शादी में ले जाने से बेवजह की फुजूलखर्ची नहीं होगी और बीमारी के समय लोग भी महफूज रहेंगे. पर इस का दूसरा पहलू यह भी है कि कोरोना काल में शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़ों के अरमान अधूरे रह गए हैं, जो ऐसे मौके को यादगार बनाना चाहते थे.

भारत में शादीब्याह उत्सव से कम नहीं होता है. परिवार, नातेरिश्तेदार, दोस्तयार का मिलनाजुलना होता है, हंसीमजाक होता है, खानापीना होता है, साथ ही समाज में अपना दायरा बढ़ाने का मौका होता है, जो अब नहीं हो पा रहा है. आपसी रिश्तों में मेलमिलाप तो क्या, सामाजिक दूरी बन रही है.

कोरोना काल में दिल्ली में हुई एक शादी का जिक्र छेड़ते हैं. पीरागढ़ी चौक के नजदीक एक राजसी बैंक्वैट हाल के फर्स्ट फ्लोर में इंतजाम था. हाल में घुसते ही बड़े दरवाजे से पहले जहां कभी खूबसूरत लड़कियां गुलाबजल छिड़क कर लोगों का स्वागत करती थीं, वहां एक थाल में मास्क रखे हुए थे और दूसरे थाल में हैंड सैनेटाइजर की बोतलें.

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भीतर नाममात्र के लोग इधर से उधर टहल रहे थे. दोनों पक्षों के बड़े ही नजदीकी रिश्तेदार या फिर यारदोस्त जमा हुए थे. पंडित का सारा ध्यान इसी बात पर था कि जल्दी से शादी निबटाए और दानदक्षिणा बटोर कर निकल ले.

शादियां तो देशभर में हुई थीं और बहुत सी तो अखबारों की सुर्खियां भी बनी थीं. कहीं दूल्हे की पेट से हुई भाभी बरात में नहीं जा पाई, तो कहीं दुलहन की खास सहेली को शादी में जाने की इजाजत नहीं मिली. 20 लोगों के ब्याह में किसे साथ ले जाएं और किसे हाथ जोड़ कर मना करें, यह सब से बड़ी दुविधा थी.

दिल्ली के लक्ष्मीनगर इलाके में रहने वाले एक एडवोकेट दीपक भार्गव के एकलौते बेटे हेमंत भार्गव की शादी 2 मई को तय की गई थी. दीपक भार्गव ने

30 अप्रैल को रोका और सगाई रस्म के लिए मयूर विहार में एक बैंक्वैट हाल बुक किया था और शादी के लिए मोतीनगर में इंतजाम कराया था, पर जैसा सोचा वह हो नहीं पाया.

दीपक भार्गव ने बताया, ‘‘दोबारा लौकडाउन लगने से हमारी मुश्किलें बढ़ गई थीं. लोगों का 30 अप्रैल के बाद दोबारा 2 मई को आना प्रैक्टिकल नहीं लग रहा था. लिहाजा, हम ने फैसला लिया कि 2 तारीख को मोतीनगर में ही तीनों रस्में पूरी कर लेंगे, क्योंकि वहां 350 लोगों का इंतजाम किया गया था.

‘‘पर, शादी से तकरीबन 5 दिन पहले मोतीनगर के बैंक्वैट हाल वालों का फोन आया कि वहां शादी नहीं हो सकती है, क्योंकि पूरे स्टाफ को कोरोना हो गया है. इस तरह हमारा दोनों जगह दिया गया एडवांस फंस गया.

‘‘अब मुसीबत यह थी कि नया इंतजाम क्या करें, क्योंकि अब तो ज्यादा लोग भी बुलाने की इजाजत नहीं थी. फिर हम ने आननफानन में घर के पास एक बैंक्वैट हाल बुक किया, जहां मुश्किल से 50 लोग शादी में शामिल हुए.

‘‘वैसे कई बार यह भी खयाल आया कि शादी आगे सरका देते हैं, पर चूंकि अब मेरी पत्नी इस दुनिया में नहीं हैं और मेरी माताजी भी बीमारी की वजह से घर के काम नहीं कर सकती हैं, इसलिए  घर पर एक महिला सदस्य की बहुत जरूरत थी.

‘‘सच कहूं तो यह नाम की शादी थी. मेरे आसपड़ोस के लोग नहीं आ पाए. उन के लिए शादी से पहले घर के आगे ही एक स्पैशल पार्टी रखी और अपने सर्कल के लोगों को फिर कभी किसी मौके पर पार्टी दूंगा.’’

पूर्वी दिल्ली में रहने वाले एक जानकार ने बताया, ‘‘पिछले लौकडाउन में हमारे पड़ोस में एक लड़के की शादी हुई, तो पड़ोसी ने न तो ढंग से किसी को न्योता दिया और न ही कायदे की पार्टी दी, जबकि उन के पास पैसे की कोई कमी नहीं थी. वैसे, किसी दूसरे के घर अगर कोई समारोह होता, तो वे खानेपीने में सब से आगे रहते थे.

‘‘हमें सब से ज्यादा ताज्जुब तब हुआ, जब उसी घर में उन्हीं दिनों एक नई बहू और आ गई. बाद में पता चला कि उन का दूसरे लड़के का पहले से उस लड़की के साथ अफेयर चल रहा था, तो उन्होंने मौके का सही फायदा उठाया. न बैंडबाजा और न बरात, दुलहन चोखी  आ गई.

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‘‘कुछ दिन में किन्नर अपना नेग मांगने आए, तो उन्हें भी इस बात की कानोंकान खबर नहीं हुई कि इस घर में एक नहीं, बल्कि 2-2 बहुएं आई हैं. किन्नरों को एक शादी का नेग दे कर चलता कर दिया.’’

ऐसे ही एक पड़ोसी के यहां उन के दूर के जानकार के घर से एक दिन मिठाई आई, तो पता चला कि उन के बेटे की शादी हो गई है. वे लोग हैरान रह गए कि अभी तक तो कोई जिक्र नहीं किया, फिर कब लड़की देखी और कब रिश्ता पक्का किया… बाद में पता चला कि लड़की तो लड़के ने पहले ही पसंद कर रखी थी. इंटरकास्ट शादी थी.

दिल्ली के शास्त्री नगर में रहने वाले राकेश खंडेलवाल ने बताया, ‘‘त्रिनगर में मेरे एक कजिन के बेटे की शादी  7 दिसंबर, 2020 को होनी थी, जो सौफ्टवेयर इंजीनियर है. उन के बहुत अरमान थे कि एक ही बेटा है, इसलिए धूमधाम से शादी करेंगे. उन्होंने बैंक्वैट हाल और होटल बुक करा रखा था.

‘‘लेकिन तभी उन के एक दोस्त ने बताया कि कोरोना के चलते सरकार ने फरमान जारी कर दिया कि अगर किसी शादी में 50 से ज्यादा लोग शामिल हुए, तो दूल्हे को अरैस्ट कर लिया जाएगा.

‘‘इस फरमान से मेरा कजिन बहुत डर गया. उस ने तय कर लिया कि 50 से 51 भी लोग नहीं होंगे, इसलिए उस ने हर घर से 1-1 आदमी का न्योता दिया. शादी के कपड़ों की खरीदारी भी ढंग से नहीं हो पाई. अशोक विहार की एक धर्मशाला में वर पक्ष की ओर से आयोजन किया गया, जिस में चाकभात, लेडीज संगीत का कार्यक्रम किया गया.

‘‘खैर, 20 आदमियों की बरात ले कर वे होटल सिटी पैलेस पहुंचे. कार्यक्रम में 50 के आसपास ही लोग थे, जो 2 गज की दूरी का भी पालन करते दिखे. डीजे की जो धमक होनी चाहिए थी, वह नहीं दिखी. पर शादी अच्छे से हुई.

‘‘मु झे निजी तौर पर लगता है कि अगर हर शादी इसी तरह से की जाए तो मजा आ जाए, क्योंकि यह टैंशन खत्म हो जाती है कि हम ने उन को नहीं बुलाया जो आते हैं, खाते हैं और उस के बाद भी शादी में कमियां निकाल जाते हैं.

‘‘हमारे देश में एक तबका ऐसा भी है, जो दिखावे के चलते शादीब्याह में कर्ज के बो झ तले दब जाता है. मेरे विचार से तो सरकार को एक ऐसा कानून बना देना चाहिए कि शादी में कम लोग ही हिस्सा लें. इस से गरीब बेवजह के कर्ज तले दबने से बच जाएगा.’’

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लेकिन शादीब्याह में ही तो लोग गिलेशिकवे भूल कर मजामस्ती करते हैं. बच्चे ऐसे रिश्तेदारों से मिलते हैं, जिन को उन्होंने कभी देखा ही नहीं होता है. वहीं तो पता चलता है कि कौन क्या कर रहा है, किस की बेटी ब्याहने लायक हो गई है, किस के बेटे की अच्छी नौकरी लग गई है. नेग और रस्मों का यह उत्सव कोरोना ने फीका कर दिया है.

शहरों ने गांव की शादी में मिठाई संभालने वाला ईमानदार शख्स छीन लिया, नाई समाज का संदूक वाहक कहीं गुम कर दिया, संटी खेलना भुलवा  दिया, पर कोरोना ने तो अपनों को अपनों से दूर कर दिया है. हमारी सामाजिकता  के उन उजले पहलुओं पर सवालिया निशान लगा दिया है, जो शादीब्याह में खट्टीमीठी यादें बनते हैं.

बस, जल्द ही दुनिया के इस काले सफे का अंत हो और दुनिया की रौनक लौट आए, दोगुनी ताकत से.

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सौजन्य- सत्यकथा

बात 28 मई की है. शाम के करीब पौने 5 बजे का वक्त रहा होगा. राजस्थान के भरतपुर शहर में डा. सुदीप गुप्ता अपनी पत्नी डा. सीमा गुप्ता के साथ कार से कुम्हेर गेट पर जाहरवीर मंदिर में दर्शन करने जा रहे थे. रोजाना शाम को मंदिर में जा कर दर्शन करना उन की दिनचर्या में शुमार था.

गुप्ता दंपति का शहर में काली की बगीची पर श्रीराम गुप्ता मेमोरियल हौस्पिटल है. इसी हौस्पिटल के ऊपरी हिस्से में वह अपने परिवार के साथ रहते थे. परिवार में डा. सुदीप की मां सुरेखा, पत्नी डा. सीमा और 18 साल का बेटा तथा 15 साल की बेटी थी.

डाक्टर दंपति 5 मिनट पहले ही अपने हौस्पिटल से मंदिर के लिए रवाना हुए थे. कार डा. सुदीप चला रहे थे. डा. सीमा उन के साथ आगे की सीट पर बैठी हुई थी. वह घर से करीब 750 मीटर दूर ही पहुंचे थे कि सरकुलर रोड पर नीम दा गेट के पास पीछे से आए एक मोटरसाइकिल पर सवार 2 युवकों ने साइड से ओवरटेक कर अपनी बाइक उन की कार के आगे लगा दी.

सड़क के बीच बाइक रुकने से डा. सुदीप ने फुरती से कार के ब्रेक लगाए. सुदीप कुछ समझ पाते, इस से पहले ही बाइक से उतर कर दोनों युवक कार की ड्राइविंग साइड में डा. सुदीप की तरफ आए. इन में एक युवक ने लाल कपड़े से अपना मुंह ढक रखा था और दूसरे युवक ने न तो मास्क लगाया हुआ था और न ही हेलमेट पहना हुआ था.

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इन दोनों युवकों को डा. सुदीप पहचान नहीं सके. कार के सामने बाइक लगाने की वजह जानने के लिए डा. सुदीप ने अपनी कार के गेट का शीशा नीचे किया.

डा. सुदीप उन युवकों से सवाल पूछते, इस से पहले ही मुंह पर कपड़ा बांधे युवक ने अपनी पैंट में छिपी पिस्तौल निकाली. उस ने बिना कुछ कहेसुने डा. सुदीप की कनपटी के पास 2-3 गोलियां मार दीं. डा. सुदीप के पास आगे की सीट पर ही बैठी डा. सीमा कुछ समझती, इस से पहले ही उस युवक ने उसे भी गोलियों से भून दिया.

डाक्टर दंपति पर गोलियां चलाने के बाद उस युवक ने कुछ पल रुक कर यह तसल्ली की कि दोनों की मौत हुई या नहीं. इस के बाद डा. सुदीप को एक गोली और मारी. फिर सड़क के दोनों ओर से गुजर रहे लोगों को डराने के लिए पिस्तौल से हवा में गोलियां चलाईं.

दोनों युवक बाइक पर सवार हो कर भागने लगे, लेकिन बाइक स्टार्ट नहीं हुई. इस पर गोलियां चलाने वाले युवक ने धक्का दिया. बाइक स्टार्ट होने पर दोनों उस पर सवार हो कर यूटर्न ले कर भाग गए. भागते हुए भी उन्होंने पिस्तौल से हवा में गोलियां चलाईं.

गोलियां लगने से डा. सुदीप और सीमा अपनी कार में ही लुढ़क गए. शहर के सब से प्रमुख रोड पर दिनदहाड़े हुई इस वारदात के समय सड़क के दोनों ओर वाहन लगातार आजा रहे थे, लेकिन किसी ने भी न तो बदमाशों को रोकने की हिम्मत की और न ही उन का पीछा किया. इसीलिए दोनों युवक जिस तरफ से आए थे, बाइक से उसी तरफ भाग गए. यह वारदात वहां आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद जरूर हो गई.

खास बात यह हुई कि डाक्टर दंपति को सरेआम गोलियां मारने की वारदात लौकडाउन के दौरान हुई. कोरोना संक्रमण की चेन तोड़ने के लिए पूरे राजस्थान में अप्रैल महीने के तीसरे सप्ताह से ही लौकडाउन लगा हुआ था. लौकडाउन में हालांकि आम लोगों के घर से निकलने पर रोक लगी हुई थी, लेकिन फिर भी लोग किसी न किसी बहाने घर से बाहर निकलते ही थे. हरेक चौराहों के अलावा जगहजगह पुलिस तैनात रहती थी. इतनी सख्ती होने के बावजूद दोनों युवक पिस्तौल से गोलियां चलाते हुए भाग गए और पुलिस को पता भी नहीं चला.

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दोनों युवकों के भागने के बाद आसपास के लोग मौके पर एकत्र हो गए. उन्होंने कार में लुढ़के पड़े डा. सुदीप और उस की पत्नी सीमा को पहचान लिया और पुलिस को सूचना दी. कुछ ही देर में पुलिस पहुंच गई. मौके पर एकत्र लोगों ने बताया कि ये डा. सुदीप और उस की पत्नी है. पुलिस ने लोगों की मदद से दोनों को कार से निकाला और तुरंत अस्पताल ले गए. अस्पताल में डाक्टर दंपति को मृत घोषित कर दिया.

दिनदहाड़े डाक्टर दंपति की हत्या की घटना से शहर में दहशत फैल गई. पुलिस के अफसर मौके पर पहुंच गए. शुरुआती जांचपड़ताल में ही साफ हो गया कि डाक्टर दंपति की हत्या बदला लेने के लिए की गई थी.

डाक्टर दंपति के खौफनाक अंत के पीछे की कहानी इस से भी ज्यादा खौफनाक है. उस कहानी तक ले चलने से पहले आप को बता दें कि डा. सुदीप की एक प्रेमिका थी. उस का नाम था दीपा गुर्जर. दीपा के 6 साल का बेटा शौर्य था.

अगले भाग में पढ़ें- क्या दीपा का भाई  फायरिंग की घटना में शामिल था?

मजाक: आज ‘चड्डी दिवस’, कल ‘बनियान दिवस’

लेखक- रामविलास जांगिड़

एक दिन का ‘फादर डे’ भी निबट गया और एक दिन का ‘योगा डे’ भी. फादर नाम के जीव को फिर से वृद्ध आश्रम में जमा करा दें और योगा को भोगा में बदलने का रोगा पाल लें. दोनों का इस्तेमाल कर लिया, फेसबुक पर डाल दिया, ह्वाट्सएप पर सरका दिया, सैल्फीफैल्फी भी ले ली, अब आगे और भी दिन आने वाले हैं, उन की तैयारी में लगना है.

तत्काल इन ‘डेजों’ को लात मार कर ऐसे ही भगाते रहना है. कब तक इन के पीछे पड़े रहेंगे. हमें और भी तो कई दिन मनाने हैं. ‘फादर डे’ पर सैल्फी ले ली है, अब कोई प्राण थोड़े ही देने हैं?

एक दिन का ‘योगा डे’ भी मना लिया बस. रोज योगा करते रहेंगे तो फेसबुक ह्वाट्सएप कौन चलाएगा? सब से ज्यादा जरूरी फेसबुक, ह्वाट्सएप ही हैं. इन के साथ ही हर दिन मनाने के अलगअलग रंगढंग. इन के अलावा संसार में कुछ भी नहीं है. सामने दीवार पर टंगी फादर की तसवीर से नजरें हरगिज न मिलाएं. इन की नसीहतें कौन झेलेगा?

सुबह जल्दी से 10 बजे उठ जाएं. अब बिस्तर के सामने दिखाई देने वाले शौचालय तक पैदल ही जाएं. पैदल चलने के बड़े फायदे होते हैं. नंगे पैर जाएं. इस से आप को उत्तम लाभ होगा.

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शौचालय में अपना मोबाइल फोन ले जाएं. वहीं पर जरूरी चैटिंग साधना पूरी करें. जरूरी ज्ञानबाजी मोबाइल पर फौरवर्ड करें. इस के बाद धीरेधीरे कमरे से बाहर निकलें और उत्तम स्वास्थ्य के लिए पोहा, फाफड़ा, जलेबी वगैरह के साथ बड़ा वाला कप चायकौफी का नाश्ता डकारें.

इस के बाद पेट वाली डकार हरगिज न लें. कचौरी, समोसा वगैरह ले लें. इतना कर लेंगे तो थकना लाजिमी होगा. इसी समय तुरंत ही पलंग पकड़ लें और दोनों हाथों में अपना वही मोबाइल कस लें.

मोबाइल में योग और ध्यान करने के बहुत सारे मैसेजों को इधरउधर फेंकना शुरू करें. ह्वाट्सएप यूनिवर्सिटी में ज्ञान की बातों को समूहों में सप्लाई कर दें. ऐसा करते हुए आप बुरी तरह थक जाएंगे. अब फादर की तसवीर अपने पीछे रखते हुए सीधे लंच पर टूट पड़ें. दाल, चावल, रोटी, दही, सलाद, रायता, पपड़ी, चटनी, अचार, गुलाब जामुन, रसगुल्ला जोजो भी याद आए, वह सब अपने शरीर में जमा कर लें.

शास्त्रों में कहा गया है कि खायापिया ही अंग लगता है, बिना खाए जंग लगता है, इसलिए खाइए उठिए, उठिए खाइए. उठउठ कर खा जाइए, खा कर फिर खाने के लिए उठ जाइए. अभी पोस्ट लंच, प्री डिनर, डिनर और पोस्ट डिनर में आइसक्रीम, लस्सी, कौफी, दाल मखानी, कड़ाही पनीर, परांठा, पनीर टिक्का वगैरह से मन बहलाएं.

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अब समय रात हो गई है और रात में टहलना बहुत जरूरी होता है. बिस्तर से सोफा और सोफे से टीवी तक चल पड़िए. टीवी से किचन तक टहल लीजिए. रात में नंगे पैर न घूमें. चप्पल पहन लें. हाथों में मोबाइल कस कर पकड़े रहिए. कानों पर हैडफोन चढ़ा लीजिए. चैट, सैट, मैट का आखेट कीजिए.

आज ‘बरमूडा दिवस’ है, उस की सैल्फी खींचखांच कर फेसबुक पर टांगते रहिए. दिन, महीने, साल ऐसे ही गुजारते रहिए. आज ‘चड्डी दिवस’, कल ‘बनियान दिवस’. सैल्फियाते रहिए. जब चादर ओढ़ कर सो जाएं तो मोबाइल को फिर कस कर पकड़ लीजिए. ऐसे ही धरती पर बोझ बनते हुए देर रात स्पैशल चैटिंगें करते रहिए. आज रात 2 बजे जल्दी सो गए? अच्छी आदत है.

प्रधानमंत्री मोदी ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

लखनऊ . प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने लोकप्रिय कार्यक्रम “मन की बात” में टोक्यो ओलंपिक में भाग लेने जा रहे उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों की हौसला अफजाई की.

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में खिलाडियों के जीवन संघर्ष और उससे निकल कर इस मुकाम तक पहुंचने की गाथा को सराहा. उन्होंने कहा कि टोक्यो जा रहे हमारे खिलाड़ियों ने बचपन में साधनों-संसाधनों की हर कमी का सामना किया, लेकिन वो डटे रहे, जुटे रहे . उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर की प्रियंका गोस्वामी जी का जीवन भी बहुत सीख देता है .  एक बस कंडक्टर की बेटी  प्रियंका ने बचपन से ही मेडल के प्रति आकर्षण था जिसने उन्हें रेस वाकिंग का चैंपियन बनाया.

प्रधानमंत्री ने बढ़ाया खिलाड़ियों का हौसला

इसी के क्रम में उन्होंने वाराणसी के शिवपाल सिंह का नाम लिया जो जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी हैं.  शिवपाल का तो पूरा परिवार ही इस खेल से जुड़ा हुआ है . इनके पिता, चाचा और भाई, सभी भाला फेंकने में पारंगत हैं .पीएम ने कहा कि परिवार की यही परंपरा उनके लिए टोक्यो ओलंपिक में काम आने वाली है .

मुख्यमंत्री ने दिया प्रधानमंत्री को धन्यवाद

मुख्यमंत्री योगी ने प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया और कहा कि उन्होंने हमेशा खेलों को बढ़ावा दिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि पी एम की प्रेरणा से ही उनकी सरकार ने खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन की नीति अपनाई जिससे अनेक खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि हासिल की.

दिल्ली में ऑनर किलिंग, घर में घुसकर बेरहमी से ली शादीशुदा जोड़े की जान

लेखक- रोहित

राजधानी दिल्ली के द्वारका सेक्टर 19 में ऑनर किलिंग का एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है. जहां कुछ गुंडों ने घर के भीतर घुस कर किराए पर रह रहे नवविवाहित शादीशुदा जोड़े पर धुंआधार गोलियां चला दीं. जिस में 24 वर्षीय विनय दहिया की पेट और छाती पर4 गोलियां लगने से मौत हो गई और उस की 19 वर्षीय पत्नी किरण दहिया बुरी तरह घायल हो गई. पुलिस के अनुसार किरण को मौके पर 1गोली लगी थीं. दोनों को आननफानन में द्वारका के वैंकेटेश्वर अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने विनय को मृत पाया. वहीं किरण बेहद गंभीर हालत में पाई गई. जिस के बाद किरण को आईसीयू में भरती कर उस का इलाज किया जा रहा है. किरण अभी भी गंभीर हालत में अस्पताल में भरती है.

दरअसल, यह पूरा मामला ब्रहस्पतिवार 24 जून की रात लगभग 9 बजे का है. जब घर के अंदर 3 गुंडे घुसे और फायरिंग कर वहां से फरार हो गए. इन तीनों के हाथ में पिस्तौल थी और ये शादीशुदा जोड़े को मारने के उद्देश्य से ही घर में घुसे थे.पुलिस को इस मामले की सीसीटीवी फुटेज मिली है जिसमें हत्यारे जोरदार गोलीबारी करते नजर आ रहे हैं.पुलिस की शुरूआती जांच से पता चला है कि यह मामला ऑनर किलिंग का है. पुलिस इसे ऑनर किलिंग इसलिए भी कह रही है क्योंकि लगभग 1 साल पहले 13 अगस्त को विनय और किरण ने घरवालों की इच्छा के विरुद्ध भाग कर मंदिर में शादी कर ली थी, जिस के बाद से ही दोनों के घर वाले इस शादी से नाराज चल रहे थे. खासकर किरण के परिवार से नाराजगी का आलम यह था कि लगातार उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी. दोनों परिवारों की नाराजगी का बड़ा कारण उन का ‘एक गांव एक गौत्र’ होना था.घर वालों को यह रिश्ता बिलकुल भी मंजूर नहीं था और वे इसे सामजिक रीतियों के खिलाफ मान रहे थे.

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घटनास्थल का जायजा

राजधानी दिल्ली में इस तरह का मामला हैरान करता है. गांव में ऐसी घटनाएं यहांवहां से सुनाई जरुर दी जाती हैं लेकिन अपराधियों का ऐसे दिल्ली तक खोजबीन कर भरे बाजार में गोलियां चलाना दिल दहला देने वाला है. खासकर तब जब घटनास्थल से डीसीपी औफिस महज 1 किलोमीटर की दूरी पर है. इस घटना को ले कर ‘सरस सलिल पत्रिका’ ने अपने स्तर पर तह तक मामले को खंगालने की कोशिश की.

दिल्ली के भीतर ‘अंबराही गांव’ नाम से यह इलाका द्वारका सेक्टर 19 में पड़ता है. नाम में सिर्फ गांव रह गया है बाकि भीतर से यह काफी पौश है. गांव नाम का वजूद भी शायद इसलिए हो क्योंकी यहां आधुनिकता के साधन तो लोग हासिल कर चुके हैं लेकिन गांव की जड़ व्यवस्था को कायम ही रखना चाहते हों. दिल्ली के द्वारका सेक्टर 10 मेट्रो स्टेशन से घटनास्थल की दूरी तकरीबन डेढ़ किलोमीटर से भी कम होगी. वारदात वाले इलाके में लगभग सभी मकान 4-5 मंजिला रिहाईशी हैं, जिन के बाहर कार भी खड़ी दिख जाती हैं. ब्रांडेड शोरूम की दुकानें 50 मीटर दूर चमचमाती दिखाई पड़ती हैं. इलाका योजनाबद्ध तरीके से स्थापित किया गया सा लगता है. मुख्य रोड की 20-22 फुट चौड़ाई ही काफी कुछ इलाके के बारे में बता देती है.बाहर मेन रोड के लिए निकलने का रास्ता डीसीपी के औफिस से होते ही निकलता है.इस से यह समझा जा सकता है कि किस आत्मविश्वास से भर कर यहां ये अपराधी आए थे.

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हमारी टीम जैसे ही घटनाशटल पर पहंची, तो वहां 4-5 अधेड़बुजुर्ग लोग चौपालनुमा स्टाइल में कुर्सी लगा कर बैठे थे. मानो वे इस चर्चा को अपने अनुसार बताना चाहते हों. युवाओं की पेचीदगियों से जुड़ा यह मामला इन लोगों की जुबानी सुनना अनौखा था. खासकर तब जब हमारी टीम ने वहां युवाओं से बात करने की कोशिश की और वे मुह चुराते पाए गए. खैर, घटना को ले कर हमारी बात वहां पड़ोस में रह रहे 54 वर्षीय सुखबीर सिंह पोकस से हुई. सुखवीर सिंह खुद को अंबहारी एक्सटेंशन पार्ट 2 गांवका प्रधान बताते हैं.

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वे बताते हैं कि एक हफ्ते पहले यह जोड़ा यहां किराए पर आयाथा. यहजोड़ा सोनीपत, गोपालपुर गांव से भाग कर आया था. यहां आने से पहले ये लोग अंबराही गांव में 8 महीने करीब रुके हुए थे. वे कहते हैं,“उस रात इन के ही कोई रिश्तेदार आए थे, भीतर कुछ देर रहे भी थे. फिर उन्होने तकरीबन 8.30 बजे गोली चलानी शुरू कर दी. ये जोड़ा मकान के सेकेंड फ्लोर पर रहताथा. लड़की कोगोली लगी तो वो जैसेतैसे खुद को बचाते हुए छत की तरफ भाग गई, वह पूरा मकान 5 तल्लों का है. लड़की ने देखा की छत से वह नीचे कूद नहीं सकती, कूदेगी तो मर जाएगी इसलिए वह उस छत से सटे दूसरे छत पर कूद गई. वहां जो किराएदार थे उन्होंने पुलिस को फोन किया फिर 15-20 मिनट के भीतर पुलिस और एम्बुलेंस आई और उन्हेंहौस्पिटल ले गई.”

वहां उसी गली के कोर्नर पर एक बड़ा सा मकान है जिस के दोनों कोर्नर पर 4 कैमरे लगे हुए हैं. 4 में से 2 दिल्ली सरकार के हैं जो पता चला काम नहीं करते. बाकी 2 निजी कैमरे में जो रिकौर्ड हुआ वीडियोके अनुसारजिस समय लड़की ऊपर की तरफ भागी होगी, लड़का नीचे बाहर की तरफ भागा. गुंडे उस के पीछे नीचे को भागे, तीनों के हाथ में पिस्तौल थी. करीब घर से 50 मीटर दूर उन्होंने लड़के को एक किराना कीदुकान के पास घेर लिया और उसे 3 गोली मारी.

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खैर, यह जानकारी वहां सब की जुबानी थी. नया था तो वह वाक्य जो अपना नाम ना बताने की शर्त पर एक युवक कह गया. दरअसल जिस समय गोलियां चल रही थीं उस दौरान सभी लोगों ने अपने घरों के किवाड़ और दरवाजे बंद कर लिए थे. सुने को अनसुना कर दिया था. किसी ने पटाखे का शोर बताया तो किसी ने टीन का शोर.लेकिन चीखपुकार के मचे शोर को किसी ने नहीं सुना. लड़के को जैसे ही 50 मीटर दूर गुंडों ने दुकान के पास घेरा वहां भरे बाजार में उसे कोई बचाने वाला नहीं था. विनय ने दुकानों में घुस कर मदद भी मांगी थी लेकिन उसे वहां से धकेल बाहर कर लिया था.

जिस जगह युवक घायल पड़ा था उस के ठीक सामने किराने की दुकान चलाने वाले 65 वर्षीय शेष कुमार से हमारी बात हुई. शेष कुमार विनय इस घटना के लिए विवाहित जोड़े को ही जिम्मेदार ठहराते हैं. वे औफ रिकौर्ड कहते हैं, “जैसा करोगे वैसा भुगतोगे. इन दोनों ने इस तरह से शादी कर के गलत किया था. अपने ही गौत्र में शादी करना तो पाप है. ऐसे तो ये दोनों भाईबहन ही हुए न, इन्होने अपनी मौत बुलाई थी.” जब उन से पूछा कि उन की हत्या करना क्या सही था, इस पर वे बचते हुए कहते हैं, “इस पर मैं क्या कहूं, यह तो उन के परिवार वाले ही जाने. उन्होंने जैसा समझा वैसा किया.” यह जवाब इसी समाज की हकीकत है जो सिर्फ डरपोक ही नहीं है,बल्कि उसे पता ही नहीं है क्या सही है क्या गलत.

विनय के बारे में बताया जा रहा है कि वह एअरपोर्ट में ग्राउंड स्टाफ का काम करता था. जिस मकान में यह जोड़ा किराए पर रह रहा था.विनय के पास एक स्विफ्ट गाड़ी थी जो हरियाणा से ही रजिस्टर्ड थी.

कानूनी पड़ताल

दरअसल, विनय और किरण ने पिछले साल 13 अगस्त को घर से भाग कर त्रिदेव सनातन धर्म प्राचीन मंदिर, पंचकुला हरियाणा में शादी कर ली थी. जिस के बाद उन्हें घरसमाज से अपनी जान के खतरे का अंदेशा लग गया था. इसलिए उन्होंने कानून से मदद मांगने का फैसला किया था. ऐसे में उन की मुलाकात सोनीपत में कार्यरत वकील मनोज पलवल के माध्यम से वकील अभिमन्यु कलसी से हुई. अभिमन्यु कलसी वही वकील हैं जिन्होंने पिछले वर्ष कोर्ट में प्रोटेक्शन पेटीशन दायर की थी.

इस मामले में 34 वर्षीय अभिमन्यु कलसी ने सरस सलिल को बताया कि, “हम ने 13 अगस्त को इन की रिप्रजेंटेशन भेज दी थी एसएसपी सोनीपत डिवीज़न को. वैसे तो दोनों परिवार की तरफ से इन्हें डेथ थ्रेट थी लेकिन लड़की के परिवार की तरफ से ज्यादा था. लड़के के परिवार की तरफ से विरोध तो था लेकिन यह नहीं था कि मार देंगे. इसलिए हम ने हाई कोर्ट में प्रोटेक्शन लगाई थी.

“जब प्रोटेक्शन लगाई थी उस के बाद हम ने इन की दोबारे कुएशन पेटीशन लगाई थी. सोनीपत पुलिस ने सुरक्षा तो क्या दी उलटा विनय दहिया के खिलाफ ही एफआईआर कर दी थी. यह एफआईआर लड़की की मां के कहने पर की थी. यह एफआईआर उन्होंने 13 अगस्त को पहले किसी अज्ञात आदमी के खिलाफ की थी फिर इस में विनय का नाम जोड़ दिया था. उन्होंने एफआईआर में कहा था कि लड़की नाबालिक है, वह 18 साल से कम की है. लेकिन आधार कार्ड था उस में साफ पता चल रहा था कि लड़की बालिग है. दरअसल उम्र का कोई मसला था ही नहीं. यह तो हम ने जब प्रोटेक्शन पेटीशन लगाई थी तभी साफ था क्योंकि शादी के लिए आधार कार्ड देना अनिवार्य था.

“हम ने 14 अक्टूबर को भी यह कोर्ट में सबमिशन कियाथा कि इस कपल को अब भी धमकियां आ रही हैं. इन की आजादी और जान को बहुत ज्यादा खतरा है. ये लोग उस समय भी डरे हुए थे. कोर्ट में 19 अगस्त को जस्टिस राजमोहन ने पुलिस को आर्डर किया था की वे देखें कि इन का थ्रेट परसेप्शन कितना है, उस हिसाब से उन्हें प्रोटेक्शन दिया जाए. लेकिन मुझे पता चल रहा है कि सोनीपत पुलिस कह रही है कि उन्हें कुछ नहीं पता इस मामले में क्या है. दरअसल यह पूरा मामला हम सबका फैलियर है. अगर सब कुछ ठीक से होता तो यह नौबत नहीं आती.”

“पेटीशन में हमने चचेरे भाई विक्की और उस के सगे भाई अमन का नाम डाला हुआ था, जिस का जिक्र किरण ने भी हादसे के बाद अपने स्टेटमेंट में दिया है. अब देखिए सब कुछ पता होने के बाद भी घटना घट ही गई. यह तो व्यवस्था की असफलता का मसला है.”

वे आगे कहते हैं, “इन का गौत्र एक था उस की वजह से परिवार में विरोध ज्यादा था. हैरानी की बात है ऐसे इन्हें मार दिया. जिस इलाके से वे सम्बन्ध रखते हैं उस इलाके को खाप राज के नाम से जाना जाता है. सोनीपत,झज्जर, रोहतक इन इलाकों में कुछ ज्यादा खाप वाला मामला होता है. यहां लोग इज्जत पर ले लेते हैं. लोगों की सोच पुरानी तरीके की अधिक है.जब वह जोड़ा मुझ से मिला था उन्होंने मुझे बताया था कि 4-5 पीढ़ी पहले इन की कोमन रिश्तेदारी रही होगी. कह सकते हैं, दूर के रिश्ते में रहे होंगे. लेकिन मौत के घाट उतार देना यह खतरनाक है.”

इस वारदात को ले कर हमारी टीम ने पीड़ितों के परिवार जन से उन का पक्ष लेने के लिए संपर्क साधने की कोशिश की लेकिन बात हो नहीं पाई. घटना के सम्बन्ध में हमारी बात सेक्टर 19 में डीसीपी संतोष कुमार मीना से हुई. वे कहते हैं, “हमारे पास गुरुवार रात 9 बजे की पीसीआर कौल आई थी. यह कौल इस कपल के साथ हुई घटना के सम्बन्ध में थी. हमारी टीम वहां पहुंची और तुरंत उन्हें अस्पताल में भरती कराया. जहां विनय की मौत कन्फर्म हुई और किरण का इलाज चल रहा है.”

वे इस पूरे मामले को ऑनर किलिंग के एंगल से देख रहे हैं. उन्होंने कहा, “हम सस्पेक्ट की पहचान कर रहे हैं. इस मामले पर हमारी इन्वेस्टिगेशन जारी है.” वे बताते हैं अगस्त में इन्होने पंजाब हरियाणा कोर्ट में अप्रोच किया था, जिस में पेटीशन डिस्पोस हो गई थी. लोकल पुलिस को डायरेक्शन दी गई थी.” जब उन से पूछा कि इस मामले के संबंध में क्या उन की बात हरियाणा पुलिस से हो रही है जिस पर उन्होने मना किया. हालाकि जांच में पुलिस इस वारदात के पीछे लड़की के परिवार वालों का हाथ होने का पूरा अंदेशा जता रहे हैं.सूत्रों के अनुसार लड़की के सगे भाई अमन, चचेरे भाई विकी और चाचा शक्ति सिंहके होने की बात है जिन की दबिश में पुलिस लगी भी है और अपराधियों की पहचान पुलिस को खुद किरण से अस्पताल में पूछताछ के दौरान मिली. इस पुरे वारदात में पुलिस के अनुसार 10 से 11 राउंड गोलियां बरसाईं गई थीं. पुलिस को मौके से एक बन्दूक भी मिली है. उन के अनुसार वारदात में 2 बंदूकों का इस्तेमाल हुआ था. हालाकि पुलिस ने इस पूरे वारदात में 3 से अधिक लोगों के होने की आशंका जताई है.

सुनने में आया है कि शादी होने के 20 दिन बाद विनय और किरण को पंचायत ने उन्हें गांव से जाने को कह दिया था. ऐसे में खापों की भूमिका को इस मामले में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. बहुत बार खाप के दबाव में भी इस तरह की घटनाओं को अंजाम दिया जाता है ताकि पुरे समाज के सामने एक नजीर पेश किया जा सके.

ऑनर किलिंग आज भी

हरियाणा, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इलाकों में ऐसे मामले आम हैं जहां झूठे सम्मान के खातिर प्रेमी जोड़े या शादीशुदा जोड़ों को मौत के घाट उतार दिया जाता है. पीछे समय में तो गांव के बीचोंबीच पेड़ पर फांसी पर लटकाने की भी घटनाएं दर्ज होती रही हैं.

औनर किलिंग के मामले में हरियाणा देश का सबसे बदनाम राज्य है. इसकी एक वजह यह है कि लोकतांत्रिक सरकार के बावजूद राज्य में खाप पंचायतों का समाज पर काफी असर है. किसी दूसरे धर्म, जाति या आर्थिक पृष्ठभूमि में प्रेम या प्रेम विवाह करने वाले जोड़ों को अमूमन अपने इस अपराध की कीमत जान देकर चुकानी पड़ती है. ऐसे मामलों में पंचायतों का फैसला ही सर्वोपरि होता है और सरकार व पुलिस प्रशासन भी इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर पाता. भले दंभ में भरे रिश्तेदार कातिल को “सजा” मिल जाए किन्तु जिस जगह से गांवदेहातों में इस जड़ मानसिकता को सह मिल रही है वह अपने फैसलों की चौड़ में हमेशा फूला रहता है.

यह भी देखने में आता है कि यह खाप पंचायतें सीधे सरकार को टक्कर देती हैं इसलिए इन के सह में रहने और इन के नियम मानने के लिए सरकारे बाध्य भी होती हैं, वरना अगली बार सत्ता का रास्ता दरक जाएगा. मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से लेकर हुड्डा तक इन के आगे सर झुकाते रहे हैं. खट्टर जैसे नेता आधिकारिक पद पर खुलेआम इन पंचायतों की वकालत करते हुए उनको समाज सुधार का एक अहम हथियार बता चुके हैं. जबकि यह हकीकत है कि गांव में सुखसाधनों में आधुनिकता भले आ जाए किन्तु पौराणिक और रुढ़िवादी सोच को बनाए रखने में इन्ही पंचायतों की विशेष भूमिका है. दिल्ली में घटी यह वारदात इस बात का संकेत भी था कि हमने सम्मान के खातिर ने शहर में आ कर खुलेआम गोलियां चला कर अपने इज्जत की लाज बचाई है.

आज ऐसे ही ऑनर किलिंग के मामले उत्तर भारत से दक्षिण भारत के राज्यों में पटे पड़े हैं. यह राजस्थान में भी हैं और उत्तरप्रदेश में भी, बिहार में भी है और बौधिक स्तर पर मजबूत कहे जाने वाले बंगाल में भी. स्थिति यह है किऔनर किलिंग को कम ही रिपोर्ट किया जाता है इसे न तो मीडिया द्वारा तवज्जो दिया जाता है न ही सरकार द्वारा.2018 में एनसीआरबी के आए रिपोर्ट के अनुसार 3 सालों में 300 ऑनर किलिंग के मामले आए. शीर्ष अदालत ने ऑनर किलिंग के मामलों में देखा है कि कुल मामलों में 3 प्रतिशत मामले गौत्र से सम्बंधित होते हैं. अब विनय और किरण का यह मामला इन्ही 3 प्रतिशत मामलों में शरीक हो जाएगा.

TMKOC: दिव्यांका त्रिपाठी बनेंगी ‘दयाबेन’? एक्ट्रेस ने किया खुलासा

टीवी  इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस दिव्यांका त्रिपाठी (Divyanka Tripathi) अपनी एक्टिंग के कारण चर्चे में रहती हैं. वह  कुछ दिनों  से ‘खतरों के खिलाड़ी 11’ (Khatron Ke Khiladi 11) की शूटिंग कर रही थीं. तो इब खबर आ रही है कि एक्ट्रेस जल्द ही टीवी शो में नजर आने वाली हैं.

बताया जा रहा है कि दिव्यांका त्रिपाठी को एक पौपुलर टीवी शो में काम करने ऑफर किया गया है.

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जी हां, बताया जा रहा है कि कि दिव्यांका त्रिपाठी जल्द ही सब टीवी के फेमस कॉमेडी शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) में दयाबेन का किरदार निभाने वाली हैं.

 

खबरों की माने तो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के मेकर्स ने दिव्यांका त्रिपाठी को अप्रोच किया है. तो इसी बीच दिव्यांका त्रिपाठी ने इस खबर को लेकर चौंकाने वाला बयान दिया है. एक्ट्रेन ने इस खबर को झूठा करार दिया है.

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एक रिपोर्ट के मुताबिक दिव्यांका त्रिपाठी ने कहा है कि ‘अफवाहें ऐसे ही उड़ाई जाती हैं. इन खबरों का असलियत से कोई नाता नहीं है. तारक मेहता का उल्टा चश्मा एक शानदार शो है.

 

उन्होंने आगे या कहा कि इस शो की फैन फॉलोइंग काफी जबरदस्त है लेकिन मैं इस शो का हिस्सा नहीं बनने जा रही हूं. उन्होंने ये भी कहा कि मैं एक नए कॉन्सेप्ट की तलाश में हूं.

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