आज के वक्त में जो मां- बाप ऐसा करते हैं उन्हें कलयुगी मां-बाप कहना ही ठीक होगा. बच्चें तो मां- बाप की जान होते हैं… कौन ऐसे मां-बाप होंगे जो अपने बच्चों को पैसों के लिए बेच दें लेकिन ऐसा हुआ. दरअसल ये घटना एक- दो दिन पहले की ही है और ये घटना ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर की है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, जिस महिला ने बच्चे को खरीदा है उस महिला को बच्चे को खरीदने और अवैध रूप से गोद लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के मुताबिक अब तक बच्चे के माता-पिता का कुछ पता नहीं चला है. खारवेल नगर थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर अरुण कुमार स्वैन ने कहा कि पुलिस ने एक एनजीओ के बताने पर बच्चे को रेस्क्यू किया. उन्होंने आगे बताया कि जिस माता-पिता ने अपने बच्चे को बेचा है, वे कूड़ा बीनते हैं. वहीं बच्चे को खरीदने वाली महिला सुमेदिन बीबी भी कूड़ा बीनने का काम करती हैं और बच्चे के जन्म के बारे में वो पहले से ही जानती थी. वो संतानहीन थी, इसलिए उसने उस दंपती को बच्चे को बेचने को कहा. बच्चे के पिता ने 10,000 रुपए देने को कहा,और फिर उस बच्चे का सौदा किया गया.
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एनजीओ ने बताया कि शुरु में पूछताछ के बाद उन्हें यह पता चला कि बच्चे के पिता ने अपने ड्रग्स और शराब की लत को पूरा करने के लिए ये सौदा किया और अपने बच्चे को मात्र 10,000 में बेच दिया. सोच कर रूह कांप जाए कि भला कौन अपने बच्चे के साथ ऐसा करता है.
आपको ये जानकर और भी हैरानी होगी कि वो बच्चा मात्र 10 दिन का ही था. भुवनेश्वर में पुलिस ने एक एनजीओ के सहयोग से एक बेचे गए नवजात बच्चे को रेस्क्यू किया है. साथ ही पुलिस ने 10 दिन के बच्चे को खरीदने के लिए 42 साल की एक कूड़ा बीनने वाली महिला को गिरफ्तार किया है. रेस्क्यू के बाद बच्चे को भुवनेश्वर के सुभद्रा महताब सेवा सदन भेजा गया. बच्चे को 14 जून को खरीदा गया था.बच्चे के बेचे जाने की जानकारी पुलिस को देने वाले एनजीओ बेनुधर सेनापति ऑफ चाइल्डलाइन ने बताया कि माता-पिता अपने बच्चे को बेचना चाहते थे, क्योंकि उनके पास सड़क पर गुजर-बसर करने को पैसे नहीं थे, एनजीओ ने बताया कि शुरुआती पूछताछ के बाद उन्हें यह पता चला कि बच्चे के पिता ने अपने ड्रग्स और शराब की लत को पूरा करने के लिए ये सौदा किया.
हालांकि ओडिशा में बच्चों को बेचे जाने की ये घटना कोई पहली बार नहीं है. खबरों के मुताबिक 1980 और 90 के दशक में गरीबी के कारण कई लोग बच्चों की देखभाल नहीं कर पाते थें तो वो अपने बच्चे को बेच देते थे. ये घटनाएं तब भी होती थीं और आज भी हो रही हैं. पश्चिम ओडिशा के कालाहांडी और बोलांगीर जिले बच्चों को बेचे जाने की घटनाओं से भरे पड़े हैं. एक घटना तो काफी फेमस हुई थी और उस घटना ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया था.
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सन् 1985 में 2 साल की एक आदिवासी लड़की को मात्र 40 रुपए में बेच दिया गया था और उस वक्त ये घटना राज्य की गरीबी को लेकर केंद्र में चर्चा का विषय बन गया थी. हालांकि सिर्फ ओडिशा ही नहीं बल्कि ऐसे कई राज्य हैं जहां गरीबी के कारण या पैसे के लालच के कारण बच्चों को बेच दिया जाता है या तो लावारिस छोड़ दिया जाता है. अभी कुछ दिन पहले ही एक खबर आई थी एक कुछ ही दिन की बच्ची को उसकी कुंडली के साथ एक बक्से में बंद कर के नदी में छोड़ दिया था. वो बच्ची एक नाविक परिवार को मिली और अब वो उसे गोद लेने के लिए अदालत से गुहार लगा रहे हैं.
शायद आज एक बार फिर से गरीबी और साथ ही बच्चे को बेचने का विषय केंद्र में उठाना चाहिए और सरकार को इस पर कोई कड़ा रुख अपनाना चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य खराब ना हो क्योंकि यहां पर ज्यादातर लड़कीयां ऐसी होती हैं जिन्हें लावारिस छोड़ देने पर उन्हें कोठे या विदेशों में बेच दिया जाता है. ये चिंता का विषय है आखिर क्या है उनका भविष्य ?