औनलाइन ठग समयसमय पर ठगी के नएनए तरीके इस्तेमाल करते हैं. ऐसे धोखेबाज अब तक एटीएम कार्ड का क्लोन तैयार कर के या एटीएम बूथ पर किसी शख्स का पिन नंबर धोखे से पूछ कर, बैंक का मुलाजिम बन कर फोन पर बैंक डिटेल पूछ कर आम जनता को चूना लगा चुके हैं. इस के अलावा मोबाइल फोन पर अलगअलग साइट खोलते समय फर्जी लिंक मोबाइल फोन की स्क्रीन पर खुलते हैं, जिन में तरहतरह के लालच दिए जाते हैं. अनजाने में लोग उस लिंक पर क्लिक कर देते हैं तो उन के मोबाइल फोन की डिटेल ठगों के पास पहुंच जाती है. मोबाइल नंबर अगर बैंक से अटैच हो तो उस की भी डिटेल भी मिल जाती है, जिस से ठग आसानी से चूना लगा देते हैं.
औनलाइन ठगों ने अब ठगी का नया हथियार ‘कौन बनेगा करोड़पति’ यानी केबीसी को बनाया है. केबीसी में लकी ह्वाट्सएप नंबर के जरीए 25 लाख रुपए की लौटरी लगने की बात कह कर ये तथाकथित ठग ह्वाट्सएप मैसेज भेज रहे हैं. ऐसे मैसेज में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमिताभ बच्चन जैसी हस्तियों का फोटो इस्तेमाल किया जा रहा है. इस के साथ ही ह्वाट्सएप नंबर भेज कर उस पर काल करने का झांसा दिया जा रहा है.
भले ही हम विज्ञान और तकनीक के जमाने में जी रहे हैं, पर अभी भी हम बिना मेहनत के भाग्य भरोसे बैठ कर जल्द ही खूब पैसा कमाना चाहते हैं. लोगों की यही सोच उन्हें ठगों के जाल में फंसा देती है. लाटरी और इनाम के लालच में पड़ कर लोग अपने एटीम कार्ड का नंबर और ओटीपी अनजान लोगों को बता देते हैं और अपनी मेहनत से कमाई जमापूंजी गंवा देते हैं.
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टैलीविजन चैनलों पर दिखाए जाने वाले शो को देख कर करोड़पति बनने का सपना संजोए बैठे लोग बिना जांचपड़ताल किए फोन काल करने वाले ठगों के झांसे में आ जाते हैं और अपना सबकुछ लुटा देते हैं.
मध्य प्रदेश के जबलपुर के चरगवां थाना क्षेत्र में सोशल मीडिया के जरीए ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के नाम पर ठगी करने का एक ऐसा ही मामला सामने आया है. चरगवां थाना क्षेत्र के कुलोन गांव के एक आदमी से ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में 25 लाख रुपए जीतने का झांसा दे कर हजारों रुपए की ठगी की गई.
साल 2020 के दिसंबर महीने की बात है. कुलोन गांव के गुलाब पटेल के मोबाइल फोन पर ह्वाट्सएप पर एक काल आई. गुलाब पटेल ने जैसे ही काल रिसीव की तो दूसरी तरफ से आवाज आई, ‘मैं ‘कौन बनेगा करोड़पति’ से मृत्युंजय बोल रहा है. आप का चयन केबीसी के लिए हुआ है…’
यह सुन कर गुलाब पटेल की खुशी का ठिकाना न रहा, क्योंकि वह टैलीविजन पर प्रसारित होने वाले केबीसी का दीवाना था.
इस के बाद काल करने वाले आदमी ने गुलाब पटेल से कहा, ‘आप से कुछ सवाल पूछने हैं. अगर आप ने सवालों के सही जवाब दिए तो आप 25 लाख की रकम जीत सकते हैं.’
गुलाब पटेल से छोटेछोटे आसान सवाल पूछे गए, जिन के जवाब उस ने आसानी से दे दिए. सवाल के सही जवाब देने पर काल करने वाले ने 25 लाख रुपए की रकम जीतने के बारे में बताया.
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25 लाख की रकम गुलाब पटेल के खाते में जमा करने की बात कह कर उस के आधारकार्ड और बैंक खाते का अकाउंट नंबर भी ले लिया गया.
इस के बाद गुलाब पटेल से कहा गया कि यह रकम आने के लिए आप को 50,000 रुपए देने हैं, पर जब उस ने अपने पास 50,000 रुपए की रकम न होने की बात कही तो उसे 25 लाख रुपए के एक चैक का फोटो ह्वाट्सएप पर भेज दिया गया.
25 लाख रुपए की रकम का चैक देख कर गुलाब पटेल को यकीन हो गया कि उसे केबीसी की तरफ से पूछे गए सवालों के सही जवाब देने के बदले यह इनाम मिला है, लिहाजा उस ने अपने एक दोस्त की मदद से मृत्युंजय नाम के एक आदमी के खाते में रकम टांसफर करा दी, पर कुछ दिनों तक इंतजार करने के बाद जब गुलाब पटेल के बैंक अकाउंट में 25 लाख की रकम नहीं आई तो उस ने उसी नंबर पर काल किया, पर वह नंबर बंद आ रहा था.
इस से गुलाब पटेल को यह समझ आ गया कि केबीसी के नाम पर उस के साथ ठगी की गई है. उस ने चरगवां पुलिस थाने में जा कर अपने साथ हुई धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिखाई.
यों होता है ठगी का खेल
मशहूर क्विज शो केबीसी यानी ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के शुरू होते ही सोशल मीडिया पर ठगों का गिरोह एक बार फिर से सक्रिय हो गया है. वैसे तो यह शो मेनस्ट्रीम टैलीविजन पर आता है, लेकिन इस का औनलाइन सैगमैंट भी है. पुलिस के मुताबिक, ठगों के चंगुल में लोग इसलिए फंस जाते हैं, क्योंकि वे अपने भाग्य पर आंख मीच कर यकीन करते हैं. थोड़े पैसे खर्च कर, ज्यादा कमाई के लालच में वे ठगों की बातों में आ कर ठगी के शिकार हो जाते हैं.
असली धोखाधड़ी तब शुरू होती है जब धोखेबाजों द्वारा अपने शिकार को इस बात का यकीन दिला दिया जाता है कि उस ने केबीसी प्रतियोगिता जीत ली है. इस के बाद शिकार को 8,000 से 10,000 रुपए तक जमा करने के लिए कहा जाता है. यह पैसा टैक्स मनी या प्रोसैसिंग फीस के नाम पर वसूला जाता है. फोन करने वाले ठग बताते हैं कि इतने पैसे जमा करने के बाद ही 25 लाख रुपए दिए जाएंगे.
शिकार से प्रोसैसिंग फीस को बैंक ड्राफ्ट के रूप में जमा करने को कहा जाता है. ऐसे फोन 0092 से शुरू होने वाले फर्जी नंबरों से किए जाते हैं. कई बार ठग खुद को केबीसी टीम का सदस्य बताते हैं. वे अपने शिकार को अपने झांसे में ले कर आसान सवाल पूछते हैं, उस के बाद ठग लेते हैं.
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इस के अलावा कई बार वे अपने शिकार को फोन कर के बताते हैं कि आप का मोबाइल नंबर लकी ड्रा में सिलैक्ट हो गया है. फोन रिसीव करने के बाद लोग बताते हैं कि उन्होंने तो केबीसी में हिस्सा ही नहीं किया था. उस के बाद सामने से कहा जाता है कि हो सकता है कि आप के परिवार के किसी और सदस्य ने आप के नंबर से फोन कर के हिस्सा लिया हो. इस के बाद लोग उन के झांसे में आ जाते हैं.
केबीसी एक ऐसा शो है जिसे जितनी बड़ी तादाद में टैलीविजन पर देखा जाता है, उस से ज्यादा तादाद में लोग ‘सोनी लिव एप’ के जरीए औनलाइन गेम में हिस्सा लेते हैं.
लोग ‘कौन बनेगा करोड़पति’ शो को सोनी लिव मोबाइल ऐप फीचर पर गेम खेलते हैं तो उसी दौरान ठग भी सक्रिय रहते हैं. वे लोगों को इस बात का यकीन दिला कर अपनी ठगी का शिकार बनाते हैं कि वे केबीसी औनलाइन में विजेता बने हैं.
विदेशों तक जुड़े हैं तार
उत्तराखंड के देहारादून में सेना में हवलदार को साइबर ठगों ने ह्वाट्सएप पर ‘कौन बनेगा करोड़पति’ में 25 लाख रुपए की लौटरी जीतने का संदेश भेजा. यह रकम हासिल करने के लिए रजिस्ट्रेशन, बैंक फीस और इनकम टैक्स वगैरह के नाम पर ठगों ने अलगअलग बैंक खातों में धोखाधड़ी कर तकरीबन 7 लाख रुपए जमा कराए.
इस मामले की शिकायत मिलने पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और जब उत्तराखंड की एसटीएफ और साइबर क्राइम पुलिस टीम ने जांच की तो ठगों द्वारा इस्तेमाल किए गए मोबाइल नंबरों और बैंक खातों को भी खंगाला गया. पता चला कि जिन मोबाइल नंबरों से ह्वाट्सएप काल की गई थी, वे कर्नाटक और बिहार सर्किल के थे और पाकिस्तान के आईपी एड्रैस का इस्तेमाल किया गया था. इसी तरह ठगों ने तमिलनाडु, असम, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों के पंजाब नैशनल बैंक, बैंक औफ इंडिया, भारतीय स्टेट बैंक के कुल 14 बैंक खातों का इस्तेमाल करते हुए धोखाधड़ी से 7 लाख रुपए जमा कराए थे.
इन बैंक खातों की स्टेटमैंट चैक करने पर पता चला कि तिरुवेनवेली, तमिलनाडु के पंजाब नैशनल बैंक के खाते में अप्रैल से अगस्त, 2020 के दौरान तकरीबन 4 लाख रुपए, मदुरै, तमिलनाडु के भारतीय स्टेट बैंक के खाते में 3 महीने में तकरीबन एक लाख रुपए, कानपुर, उत्तर प्रदेश के पंजाब नैशनल बैंक के खाते में 3 महीने में तकरीबन 10 लाख रुपए, इलाहाबाद के भारतीय स्टेट बैंक के खाते में जनवरी से मार्च तक 11.60 लाख रुपए से ज्यादा, जौनपुर, उत्तर प्रदेश के भारतीय स्टेट बैंक के खाते में 2 लाख रुपए, गोपालगंज, बिहार के भारतीय स्टेट बैंक के खाते में 12.30 लाख रुपए से ज्यादा और एक दूसरे खाते में 12 लाख रुपए से ज्यादा, सिलीगुड़ी, असम के भारतीय स्टेट बैंक के खाते में 3.40 लाख रुपए से ज्यादा का लेनदेन पाया गया. इस तरह इन बैंक खातों में 3 महीने में ही एक करोड़ से ज्यादा की रकम का लेनदेन होना पाया गया.
इंस्पैक्टर पंकज पोखरियाल की अगुआई में एक पुलिस टीम दिल्ली, कर्नाटक और तमिलनाडु भी भेजी गई, जिस ने वल्लिन्यागम और पी. जौनसन को तिरुवेनवेली से गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में उन दोनों ने बताया कि वे एक जानीमानी कंपनी के डीलर हैं और उन का संपर्क श्रीलंका और दुबई में उस कंपनी के बड़े डीलरों से भी हैं. ये डीलर ही लौटरी जीतने का लालच दे कर धोखाधड़ी करते हैं और रकम जमा करने के लिए साइबर अपराधी व अपने देशभर में फैले दूसरे साइबर ठगों के बैंक अकाउंट डीलरों को मुहैया कराते हैं.
उन्होंने आगे बताया कि मुहैया कराए गए बैंक खातों में जब धोखाधड़ी की रकम आती है तो वे उस में से 3 फीसदी से 5 फीसदी तक कमीशन काट कर बाकी रकम श्रीलंका और दुबई के कंपनी डीलरों की आईडी पर रिचार्ज के जरीए भेज देते हैं. इस तरह ये लोग 5-6 साल से काम कर रहे थे और इस दौरान तकरीबन 10 करोड़ से 12 करोड़ रुपए की ठगी करने का अंदाजा है.
ये सावधानियां बरतें
औनलाइन ठगी से बचने के लिए जिन मामलों में कार्ड की जरूरत नहीं पड़ती और बैंकिंग के लिए आईडी, पासवर्ड वगैरह की जरूरत होती है, उन मामलों में धोखाधड़ी करने वाले लोग कार्ड डिटेल वगैरह लुभावने प्रस्ताव दे कर फोन, ईमेल से जानकारी हासिल कर लेते हैं या उन्हें लिंक भेज कर अपनी मनचाही वैबसाइट पर लेनदेन के लिए ले जाते हैं. ग्राहकों को ऐसे मैसेज खोले बिना तत्काल डिलीट करना चाहिए.
अपनी सुरक्षा के लिए आप किसी भी हालत में अपना आईडी पासवर्ड को किसी को भी न दें, बैंक के किसी अफसर या मुलाजिम को भी नहीं.
आजकल पेमेंट को आसान बनाने के लिए कई कंपनियां काम कर रही हैं. पेमेंट सेवा देने वाली कई कंपनियां अपने एप में घुसने के लिए फिंगरप्रिंट के जरीए ग्राहक को पहचानने की सुविधा देती हैं.
यह एक सुरक्षित उपाय है. लेकिन यह पासवर्ड आप के औनलाइन खाते में डकैती डालने का एक आसान रास्ता है.
बैंक और पेमेंट सुविधा देने वाली कंपनियां ग्राहकों को मोबाइल नोटिफिकेशन, एसएमएस वगैरह से लगातार पासवर्ड बदलने को आगाह करती रहती हैं, लेकिन यह पाया गया है कि ज्यादातर ग्राहक महीनों अपने पासवर्ड नहीं बदलते हैं.
औनलाइन बैंकिंग में हो रही धोखाधड़ी को ले कर भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक ग्राहकों के हितों की सुरक्षा के लिए साल 2017 में 6 जुलाई को दिशानिर्देश जारी किया है. इसे कोई भी भारतीय रिजर्व बैंक की वैबसाइट पर जा कर पढ़ सकता है.
अपने औनलाइन बैंकिंग ट्रांजैक्शन को सुरक्षित बनाने के मकसद से ग्राहक को अपने खाते में हुए किसी भी लेनदेन या पासवर्ड हासिल करने के लिए एसएमएस या ईमेल पाने के लिए मोबाइल नंबर ईमेल पता खाते में अनिवार्य रूप से दर्ज करवाना चाहिए.
जिस मोबाइल फोन में आप के बैंक की डिटेल अटैच है, मुमकिन हो तो उस में पैसा कम ही रखें.
फोन पर कोई भी बैंक किसी खाते की डिटेल नहीं मांगता है. अगर कोई फोन कर के ऐसी डिटेल मांगे तो समझो आप के साथ ठगी होने वाली है.
किसी को भी अपने बैंक संबंधी ओटीपी, डिटेल, सीवीवी नंबर वगैरह की जानकारी न दें.
मोबाइल फोन पर अपने बैंक की प्रक्रिया करते समय जब पासवर्ड भरें तो उसे किसी के सामने न भरें.
मोबाइल पर कोई भी साइट खोलते समय अगर कोई लिंक ब्लिंकिंग करे तो उस पर कभी भी क्लिक न करें.