ताक झांक करना ऐसा लगता है एक मामूली फितरत है. मगर यह मामूली सी लगने वाली फितरत आगे चलकर समाज में एक ऐसी बीमारी का स्वरूप धारण कर सकती है जिससे जाने कितने लोग तबाह हो जाएं. ताक झांक के कारण अक्सर इतने ही अपराधिक मामले पुलिस और न्यायालय में पहुंचते हैं जिन्हें देखते हुए कहा जा सकता है कि यह एक शगल के साथ-साथ मनोवैज्ञानिक बीमारी भी है. जिसका किसी सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं हो सकता.
हाल ही में ब्रिटेन का एक मामला दुनिया के मीडिया में सुर्खियां बटोर गया. नए वर्ष के प्रथम सप्ताह में ही ताक झांक का अपराध करने वाले एक शख्स को न्यायालय ने लंबे समय तक के लिए जेल भेज दिया और गंभीर टिप्पणी की. खास बात यह है कि ब्रिटेन की एक अदालत ने भारतीय मूल के व्यक्ति को दस पांच नहीं बल्कि पुरी 574 से अधिक लड़कियों और महिलाओं के कम्प्यूटर में हैकिंग करने, धमकाने, ताक-झांक करने और साइबर अपराध का दोषी ठहराते हुए 11 साल जेल की सजा सुनाई है.
यह हैकिंग उनका उत्पीड़न करने के इरादे से की गई थी. महिला और युवतियों को अपना शिकार बनाने वाला यह शख्स मनोवैज्ञानिक रूप से एक बीमार व्यक्ति है जिसकी मनोवैज्ञानिक अपने ढंग से जांच भी कर रहे हैं.मगर आज वह जेल की हवा खा रहा है और यह संदेश दे रहा है कि ताक झांक का दुष्परिणाम क्या हो सकता है.
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होटल, दुकानें भी महफुज नहीं
कब कौन हमारे घर में तांक झांक करने लगे इसका तो खुदा ही मालिक है. वहीं यह भी सच है कि सार्वजनिक स्थान होटलें व्यवसायिक प्रतिष्ठान, बैंक और सरकारी दफ्तर भी ताक झांक के माध्यम बनकर सामने आ चुके हैं.
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