लेखक- शाहनवाज

लौकडाउन और कोविड-19 के कारण, एक लम्बे समय के बाद दिल्ली के पीतमपुरा इलाके में जहां एक तरफ बड़ी बड़ी इमारतें और दूसरी तरफ दूरदर्शन की बड़ी सी गगनचुम्बी रेडियो और टीवी टावर के बीच मौजूद दिल्ली हाट में भारत सरकार के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा हुनर हाट का आयोजन कर ही लिया गया. वैसे दिल्ली में यह हुनर हाट साल की शुरुआत (फरवरी)  में और अक्सर या तो इंडिया गेट के राजपथ पर लगा करता था या फिर प्रगति मैदान में.

हुनर हाट भारत के अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय द्वारा आयोजित मास्टर शिल्पकारों के पारंपरिक और उत्तम कौशल को प्रदर्शित करने और बढ़ावा देने के लिए एक प्रभावी मिशन बताया जाता है. हुनर हाट का लक्ष्य कारीगरों, शिल्पकारों और पारंपरिक खान-पान विशेषज्ञों को बाजार में निवेश और रोजगार के अवसर प्रदान करना है.

hunar-hat

लेकिन क्या सच में भारतीय शिल्पकारों और हस्तशिल्पियों के लिए देश भर के विभिन्न शहरों में लगने वाला हुनर हाट इन के लिए फायदे का सौदा होता है? क्या देश के दूर दराज़ वाले ग्रामीण इलाकों के शिल्पकारों और हस्तशिल्पियों को हुनर हाट मौका देता है? जो कलाकार अपने बनाए हुए सामान के साथ दिल्ली, मुंबई, इंदौर जैसे अन्य बड़े शहरों में आते हैं क्या उन के छोटे छोटे सपने इन बड़े बड़े शहरों में आ कर सच होते हैं?

इन्ही जैसे और भी महत्वपूर्ण सवालों का पता लगाने के लिए हमारी टीम ने पीतमपुरा दिल्ली हाट में लगे हुनर हाट में जा कर लोगों से बात की. हुनर हाट का आंखों देखी ब्यौरा और ग्राउंड रिपोर्ट कुछ इस प्रकार है.

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