Manohar Kahaniya: जॉइनिंग से पहले DSP को जेल- भाग 2

आशुतोष ने उन की हां में हां मिलाई और निखिल से बात करते हुए बोला, ‘‘ले कर दिया तेरा जुगाड़, अब जल्दी तैयार हो जा. जो काम निपटाने हैं, निपटा ले. मैं बस एक घंटे में पहुंच जाऊंगा. पहले सौरभ को रिसीव करूंगा फिर तुझे’’ कहते हुए आशुतोष ने काल डिस्कनेक्ट कर दी.

निखिल से बात करने के एक घंटे बाद आशुतोष कार ड्राइव करता हुआ सौरभ के घर के नजदीक पहुंच गया. उस ने उसे फोन कर सड़क के मोड़ तक आने के लिए कहा.

सौरभ आ गया तो उसे गाड़ी में बिठा कर वे निखिल के घर की ओर बढ़ चले. निखिल को भी रिसीव करने के बाद आशुतोष ने गाड़ी मोड़ ली अपने ‘अड्डे’ की ओर, जहां पर वे अकसर शराब पीने और मस्ती करने के लिए जाया करते थे.

बिहार के दनियावान, बिहारशरीफ, नवादा के रास्ते दोस्तों की ये तिकड़ी झारखंड के कोडरमा, झुमरी तलैया होते हुए तिलैया बांध पर पहुंच गई. करीब 190 किलोमीटर का सफर और 5 घंटे की इस यात्रा को पूरा करने के बाद आशुतोष, निखिल और सौरभ अपने अड्डे पर आ पहुंचे थे.

वहां पहुंचने से पहले आशुतोष ने झारखंड के कोडरमा शहर में गाड़ी रोक कर वहां की सरकारी शराब की दुकान से व्हिस्की और बीयर की बोतलें खरीद ली थीं. साथ में खानेपीने के लिए कुछ और भी सामान खरीद लिया था.

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5 घंटे की इस ड्राइविंग ने तीनों दोस्तों को बुरी तरह से थका दिया था. वे वहां पर दोपहर के 2 बजे पहुंच चुके थे. गाड़ी से निकलते ही तीनों ने अंगड़ाइयां लीं.

जब उन की थकान थोड़ी हलकी हुई और उन्होंने नजर घुमा कर देखा तो तिलैया बांध के चारों ओर दिन के समय ही काफी दूरदूर तक लोग 4-5 के झुंड में शराब पीते और मस्ती करते हुए नजर आ रहे थे.

कोडरमा बन गया शराबियों का अड्डा

दरअसल इस इलाके में ऐसा होना आम बात थी. जब से बिहार में शराबबंदी हुई थी, लगभग तभी से लोगों की शराब की तलब उन्हें यहां खींच लाती थी.

बिहार में शराबबंदी के बाद बिहार की सीमा से सटा झारखंड का कोडरमा जिला शराबियों का अड्डा बन गया है. यहां पर बिहार के विभिन्न जिलों से लोग शराब पार्टी के लिए आते हैं.

यहां पर बिहार के नंबरों की तमाम गाडि़यां खड़ी मिल जाती हैं. वैसे ये इलाका है भी पिकनिक स्पौट लायक. नदी, बांध, पेड़पौधे इत्यादि की वजह से ये इलाका बेहद आकर्षक लगता है.

इसी इलाके में आशुतोष का एक और स्थानीय दोस्त, सूरज कुमार भी रहता था, जिसे उस ने यहां पहुंचने से पहले ही फोन कर के आने के लिए कह दिया था.

निखिल और सौरभ, सूरज को जानते तो थे लेकिन उस के साथ उन की उतनी घनिष्ठ दोस्ती नहीं थी जिस तरह से आशुतोष के साथ थी. सूरज खानेपीने का कुछ और सामान अपने साथ ले आया था.

दोपहर के 2 बज रहे थे लेकिन दिन बेहद हल्का था, धूप नहीं थी. यही देखते हुए आशुतोष ने सौरभ और निखिल से बीयर की बोतलें खोलने के लिए कहा.

वह बोला, ‘‘बीयर की बोतल अभी ठंडी ही है, दिन भी हल्का है. एक काम करते हैं, एकएक बीयर की बोतल यहीं पी लेते हैं और यहां से अब रात को ही जाएंगे. पास के होटल वाले से मैं ने पहले ही बात कर रखी है. वो 2 कमरे हमारे लिए खाली रखेगा. क्या कहते हो?’’

निखिल और सौरभ को आशुतोष का आइडिया बुरा नहीं लगा. उन दोनों ने तुरंत आशुतोष के सवाल का जवाब देते हुए हामी भर दी.

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आशुतोष ने अपनी गाड़ी से एक थैला निकाला, खानेपीने, चकना व बीयर की बोतलें उस में डाल कर और अपनी गाड़ी लौक कर के वे सब बांध के उस हिस्से के करीब जा पहुंचे जहां दूरदूर तक शांति थी.

तिलैया बांध के मैदान में शुरू हुई पार्टी

मैदान में एक जगह पहुंचने के बाद उन चारों ने नीचे घास पर अपनी तशरीफ टिका ली. आशुतोष ने अपने थैले से बीयर की 4 बोतलें, नमकीन के पैकेट निकाले और खानेपीने का सामान निकाला. चारों गोल घेरे में बैठ कर एकएक कर के बीयर की बोतलें खोल कर पीने लगे, और सब के बीच हंसीमजाक होने लगा.

ऐसे ही करते हुए करीब 4 बजे के आसपास नशे में धुत हर कोई अपने फोन से एक दूसरे की फोटो खींचने लगा.

इतने में नशे में अपना होश खो बैठे आशुतोष ने फोटो और अच्छे से खींचने और खिंचवाने के लिए अपनी पैंट की कमर से अपनी सर्विस पिस्तौल निकाल ली.

आशुतोष की सर्विस पिस्तौल को देखने के बाद निखिल, सूरज और सौरभ हैरान रह गए. निखिल को छोड़ कर सूरज और सौरभ ने अपने जीवन में पहली बार हकीकत में इतनी नजदीक से पिस्तौल देखी थी.

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वह उसे पकड़ कर महसूस करना चाहते थे कि आखिर इसे हाथ में पकड़ कर कैसा महसूस होता है. निखिल इसलिए हैरान हो गया था क्योंकि उसे लगा था कि आशुतोष इसे अपने घर ही छोड़ आया होगा.

उस समय वहां मौजूद चारों दोस्त नशे में धुत थे. इतने में सौरभ ने नशे में आशुतोष से उस की पिस्तौल मांगते हुए कह, ‘‘भाई, दिखा जरा. आखिर हम भी तो देखें कि कैसा लगता है इसे पकड़ कर.’’

आशुतोष अपने दोस्त को पिस्तौल थमाते हुए लड़खड़ाती जबान में बोला, ‘हां भाई, ले न. पूछ क्या रहा है. तेरी ही तो चीज है.’

अगले भाग में पढ़ें- रंज में बदल गई पार्टी

Romantic Story in Hindi: भोर- भाग 1: क्यों पति का मजाक उड़ाती थी राजवी?

Writer- Kalpana Mehta

उस दिन सवेरे ही राजवी की मम्मी की किट्टी फ्रैंड नीतू उन के घर आईं. उन की कालोनी में उन की छवि मैरिज ब्यूरो की मालकिन की थी. किसी की बेटी तो किसी के बेटे की शादी करवाना उन का मनपसंद टाइमपास था. वे कुछ फोटोग्राफ्स दिखाने के बाद एक तसवीर पर उंगली रख कर बोलीं, ‘‘देखो मीरा बहन, इस एनआरआई लड़के को सुंदर लड़की की तलाश है. इस की अमेरिका की सिटिजनशिप है और यह अकेला है, इसलिए इस पर किसी जिम्मेदारी का बोझ नहीं है. इस की सैलरी भी अच्छी है. खुद का घर है, इसलिए दूसरी चिंता भी नहीं है. बस गोरी और सुंदर लड़की की तलाश है इसे.’’

फिर तिरछी नजरों से राजवी की ओर देखते हुए बोलीं, ‘‘उस की इच्छा तो यहां हमारी राजवी को देख कर ही पूरी हो जाएगी. हमारी राजवी जैसी सुंदर लड़की तो उसे कहीं भी ढूंढ़ने से नहीं मिलेगी.’’ यह सब सुन रही राजवी का चेहरा अभिमान से चमक उठा. उसे अपने सौंदर्य का एहसास और गुमान तो शुरू से ही था. वह जानती थी कि वह दूसरी लड़कियों से कुछ हट कर है.

चमकीले साफ चेहरे पर हिरनी जैसी आंखें और गुलाबी होंठ उस के चेहरे का खास आकर्षण थे. और जब वह हंसती थी तब उस के गालों में डिंपल्स पड़ जाते थे. और उस की फिगर व उस की आकर्षक देहरचना तो किसी भी हीरोइन को चैलेंज कर सकती थी. इस से अपने सौंदर्य को ले कर उस के मन में खुशी तो थी ही, साथ में जानेअनजाने में एक गुमान भी था. मीरा ने जब उस एनआरआई लड़के की तसवीर हाथ में ली तो उसे देखते ही उन की भौंहें तन गईं. तभी नीतू बोल पड़ीं, ‘‘बस यह लड़का यानी अक्षय थोड़ा सांवला है और चश्मा लगाता है.’’

‘लग गई न सोने की थाली में लोहे की कील,’ मीरा मन में ही भुनभुनाईं. उन्हें लगा कि मेरी राजवी शायद इसे पसंद नहीं करेगी. पर प्लस पौइंट इस लड़के में यह था कि यह नीतू के दूर के किसी रिश्तेदार का लड़का था, इसलिए एनआरआई लड़के के साथ जुड़ी हुई मुसीबतें व जोखिम इस केस में नहीं था. जानापहचाना लड़का था और नीतू एक जिम्मेदार के तौर पर बीच में थीं ही.

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फिर कुछ सोच कर मीरा बोलीं, ‘‘ओह, बस इतनी सी बात है. आजकल ये सब देखता कौन है और चश्मा तो किसी को भी लग सकता है. और इंडियन है तो रंग तो सांवला होगा ही. बाकी जैसा तुम कहती हो लड़का स्मार्ट भी है, समझदार भी. फिर क्या चाहिए हमें… क्यों राजवी?’’

अपने ही खयालों में खोई, नेल पेंट कर रही राजवी ने कहा, ‘‘हूं… यह बात तो सही है.’’

तब नीतू ने कहा, ‘‘तुम भी एक बार फोटो देख लो तो कुछ बात बने.’’

‘‘बाद में देख लूंगी आंटी. अभी तो मुझे देर हो रही है,’’ पर तसवीर देखने की चाहत तो उसे भी हो गई थी.

मीरा ने नीतू को इशारे में ही समझा दिया कि आप बात आगे बढ़ाओ, बाकी बात मैं संभाल लूंगी. मीरा और राजवी के पापा दोनों की इच्छा यह थी कि राजवी जैसी आजाद खयाल और बिंदास लड़की को ऐसा पति मिले, जो उसे संभाल सके और समझ सके. साथ में उसे अपनी मनपसंद लाइफ भी जीने को मिले. उस की ये सभी इच्छाएं अक्षय के साथ पूरी हो सकती थीं.

नीतू ने जातेजाते कहा, ‘‘राजवी, तुम जल्दी बताना, क्योंकि मेरे पास ऐसी बहुत सी लड़कियों की लिस्ट है, जो परदेशी दूल्हे को झपट लेने की ख्वाहिश रखती हैं.’’

नीतू के जाने के बाद मीरा ने राजवी के हाथ में तसवीर थमा दी, ‘‘देख ले बेटा, लड़का ऐसा है कि तेरी तो जिंदगी ही बदल जाएगी. हमारी तो हां ही समझ ले, तू भी जरा अच्छे से सोच लेना.’’

पर राजवी तसवीर देखते ही सोच में डूब गई. तभी उस की सहेली कविता का फोन आया. राजवी ने अपने मन की उलझन उस से शेयर की, तो पूरे उत्साह से कविता कहने लगी, ‘‘अरे, इस में क्या है. शादी के बाद भी तो तू अपना एक ग्रुप बना सकती है और सब के साथ अपने पति को भी शामिल कर के तू और भी मजे से लाइफ ऐंजौय कर सकती है. फिर वह तो फौरेन कल्चर में पलाबढ़ा लड़का है. उस की थिंकिंग तो मौडर्न होगी ही. अब तू दूसरा कुछ सोचने के बजाय उस से शादी कर लेने के बारे में ही सोचना शुरू कर दे…’’

कविता की बात राजवी समझ गई तो उस ने हां कह दिया. इस के बाद सब कुछ जल्दीजल्दी होता गया. 2 महीने बाद नीतू का दूर का वह भतीजा लड़कियों की एक लिस्ट ले कर इंडिया पहुंच गया. उसे सुंदर लड़की तो चाहिए ही थी, पर साथ में वह भारतीय संस्कारों से रंगी भी होनी चाहिए थी. ऐसी जो उसे भारतीय भोजन बना कर प्यार से खिलाए. साथ ही वह मौडर्न सोच और लाइफस्टाइल वाली हो ताकि उस के साथ ऐडजस्ट हो सके. पर उस की लिस्ट की सभी मुलाकात के बाद एकएक कर के रिजैक्ट होती गईं. तब एक दिन सुबह राजवी के पास नीतू का फोन आया, ‘‘शाम को 7 बजे तक रेडी हो जाना. अक्षय के साथ मुलाकात करनी है. और हां, मीरा से कहना कि वे तुझे अच्छी सी साड़ी पहनाएं.’’

‘‘साड़ी, पर क्यों? मुझ पर जींस ज्यादा सूट करती है,’’ कहते हुए राजवी बेचैन हो गई.

‘‘वह तुम्हारी समझ में नहीं आएगा. तुम साड़ी यही समझ कर पहनना कि उसी में तुम ज्यादा सुंदर और अटै्रक्टिव लगती हो.’’

नीतू आंटी की बात पर गर्व से हंस पड़ी राजवी, ‘‘हां, वह तो है.’’

और उस दिन शाम को वह जब आकर्षक लाल रंग की डिजाइनर साड़ी पहन कर होटल शालिग्राम की सीढि़यां चढ़ रही थी, उस की अदा देखने लायक थी. होटल के मीटिंग हौल में राजवी को दाखिल होता देख सोफे पर बैठा अक्षय उसे देखता ही रह गया. नीतू ने जानबूझ कर उसे राजवी का फोटो नहीं भेजा था, ताकि मिलने के बाद ही अक्षय उसे ठीक से जान ले, परख ले. नीतू को वहीं छोड़ कर दोनों होटल के कौफी शौप में चले गए.

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‘‘प्लीज…’’ कह कर अक्षय ने उसे चेयर दी. राजवी उस की सोच से भी अधिक सुंदर थी. हलके से मेकअप में भी उस के चेहरे में गजब का निखार था. जैसा नाम वैसा ही रूप सोचता हुआ अक्षय मन ही मन में खुश था. फिर भी थोड़ी झिझक थी उस के मन में कि क्या उसे वह पसंद करेगी?

ऐसा भी न था कि अक्षय में कोई दमखम न था और अब तो कंपनी उसे प्रमोशन दे कर उस की आमदनी भी दोगुनी करने वाली थी. फिर भी वह सोच रहा था कि अगर राजवी उसे पसंद कर लेती है तो वह उस के साथ मैच होने के लिए अपना मेकओवर भी करवा लेगा. मन ही मन यह सब सोचते हुए अक्षय ने राजवी के सामने वाली चेयर ली. अक्षय के बोलने का स्मार्ट तरीका, उस के चेहरे पर स्वाभिमान की चमक और उस का धीरगंभीर स्वभाव राजवी को प्रभावित कर गया. उस की बातों में आत्मविश्वास भी झलकता था. कुल मिला कर राजवी को अक्षय का ऐटिट्यूड अपील कर गया.

उस मुलाकात के बाद दोनों ने एकदूसरे को दूसरे दिन जवाब देना तय किया. पर उसी दिन रात में राजवी ने अक्षय को फोन लगाया, ‘‘एक बात का डिस्कशन तो रह गया. क्या शादी के बाद मैं आगे पढ़ाई कर सकती हूं? और क्या मैं आगे जा कर जौब कर सकती हूं? अगर आप को कोई एतराज नहीं तो मेरी ओर से इस रिश्ते को हां है.’’

‘‘ओह. इस में पूछने वाली क्या बात है? मैं मौडर्न खयालात का हूं क्योंकि मौडर्न समाज में पलाबढ़ा हूं. नारी स्वतंत्रता मैं समझता हूं, इसलिए जैसी तुम्हारी मरजी होगी, वैसा तुम कर सकोगी.’’

अक्षय को भी राजवी पसंद आ गई थी, उसे इतनी सुंदर पत्नी मिलेगी, उस की कल्पना ही उस को रोमांचित कर देने के लिए काफी थी. फिर तो जल्दी ही दोनों की शादी हो गई. रिश्तेदारों की उपस्थिति में रजिस्टर्ड मैरिज कर के 4 ही दिनों के बाद अक्षय ने अमेरिका की फ्लाइट पकड़ ली और उस के 2 महीने बाद आंखों में अमेरिका के सपने संजोए और दिल में मनपसंद जिंदगी की कल्पना लिए राजवी ने ससुराल का दरवाजा खटखटाया. ये ऐसे सपने थे जिन्हें हर कुंआरी, महत्त्वाकांक्षी और उत्साही लड़की देखती है. राजवी खुश थी, लेकिन एक हकीकत उसे खटक रही थी. वह इतनी सुंदर और पति था सांवला. जोड़ी कैसे जमेगी उस के साथ उस की? पर रोमांचित कर देने वाली परदेशी धरती ने उसे ज्यादा सोचने का समय ही कहां दिया.

Anupamaa और पाखी की लड़ाई हुई खत्म! सामने आया ये Video

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में इन दिनों पाखी (Muskan Bamne) के चलते शाह हाउस घमाशान लड़ाई हो रही है. वह अपनी सौतेली मां काव्या का गुनगान करती नजर आ रही है. पाखी अपनी मां यानी अनुपमा का शक्ल भी देखना नहीं चाहती है. दर्शकों को इंतजार है कि शो में जल्द ही मां-बेटी का पैचअप हो जाए.

इसी बीच सेट से एक वीडियो सामने आया है जिसे देखकर आपको काफी खुश होंगे. दरअसल इस वीडियो में रूपाली गांगुली अपनी ऑनस्क्रीन बेटी के साथ डांस करते नजर आ रही हैं.

 

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‘अम्बरसरिया’ पर  पाखी और अनुपमा ने किया डांस

‘अम्बरसरिया’ पर  पाखी और अनुपमा जमकर डांस कर रही हैं. इस वीडियो में बा का किरदार निभाने वाली एक्ट्रेस अल्पना बुच भी नजर आ रही हैं.

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शो में इन दिनों पाखी खूब हंगामा करती नजर आ रही है. पाखी का  डांस कॉम्पटीशन होने वाला है. वह नहीं चाहती है कि अनुपमा डांस कॉम्पटीशन में  जाए.  पाखी अनुपमा से कहेगी कि अगर वो गलती से भी वहां आई तो वह स्टेज से उतर जाएगी.

 

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अनुपमा अपनी बेटी की बेरुखी से पूरी तरह से टूट जाएगी लेकिन वो खुद को संभालते हुए पाखी के लिए दुआएं मांगेंगी.  तो उधर  काव्या काफी खुश होगी  और वह भी अनुपमा को  को पूरे परिवार के सामने जलील करेगी.  इस बीच बापू जी एक चौकाने वाला फैसला लेंगे. बापू जी अनुपमा को घर से बार का रास्ता दिखाएंगे. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा शाह हाउस से कहां जाएगी.

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सीएचसी और पीएचसी पर ही मिलेगा सस्ता एवं आधुनिक इलाज

सरकार एक बार फिर मुख्यमंत्री आरोग्य मेले की शुरुआत करने जा रही हैं. विभागीय अधिकारियों को इस संबंध में कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए जा चुके हैं.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020 में योगी सरकार ने यह सुनिश्चित किया था कि प्रदेश में प्रत्येक रविवार को सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मुख्यमंत्री आरोग्य योजना के तहत आरोग्य मेलों का आयोजन हो. उस समय मात्र छह-सात आरोग्य मेले ही सम्पन्न हो पाये थे, जिसके माध्यम से 30 लाख से अधिक लोगों ने बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त कीं. उसी दौरान वैश्विक महामारी कोरोना ने दस्तक दे दी. ऐसे में सरकार को यह कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा. अब जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में मुख्यमंत्री के ट्रेस, टेस्ट, ट्रीट की प्रभावी नीति के नाते प्रदेश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर लगभग नियंत्रण में है, सरकार लोगों को सस्ते और बेहतर इलाज की सुविधा देने के लिए फिर से मुख्यमंत्री आरोग्य मेले शुरू करने जा रही है.

विभागीय अधिकारियों को इस बावत कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. उम्मीद है कि कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ व्यापक जनहित में एक बार फिर यह आयोजन शीघ्र ही शुरू होगा.

तमाम रोगों के नियंत्रण में मददगार बनेगा आयोजन

कोरोना को न्यूनतम स्तर पर लाने के बाद अन्य तमाम रोगों के नियंत्रण में यह आयोजन मददगार बनेगा. स्वास्थ्य विभाग इस विशेष अभियान की नोडल एजेंसी होगी. बाकी विभाग पहले की तरह ही इसमें सहयोग करेंगे. यह आयोजन न केवल लोगों के आरोग्य लाभ का जरिया बनेगा बल्कि उनको विभिन्न विषाणु जनित बीमारियों, खुले में शौच, गंदगी और प्रदूषित पानी से होने वाले रोगों के प्रति जागरूक करने का मंच भी बनेगा. मुख्यमंत्री आरोग्य मेले में स्वास्थ्य के साथ-साथ परिवार कल्याण, पोषण और स्वास्थ्य जागरूकता, आयुष्मान कार्ड, मिशन इंद्रधनुष, खुशहाल परिवार दिवस और मातृत्व वंदना दिवस जैसे कार्यक्रमों के बारे में भी सविस्तार जानकारी दी जाएगी.

सबका बेहतर स्वास्थ्य सीएम योगी की सर्वोच्च प्राथमिकता

आम आदमी को भी पास में ही सस्ता और आधुनिक इलाज मिले, यह योगी आदित्यनाथ की बतौर सांसद भी प्रथमिकता रही है. गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज की बेहतरी, पूर्वांचल के मासूमों के लिए करीब चार दशकों से काल बनी इंसेफेलाइटिस के टीककरण, इलाज एवं इसकी जांच के लिए इंडियन वायरोलॉजिकल सेंटर पुणे से संबद्ध रीजनल सेंटर की स्थापना तथा गोरखपुर में एम्स के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष, उनकी स्वास्थ्य के क्षेत्र में रुचि का प्रमाण है. इतना ही नहीं, अपने स्तर से उन्होंने गुरु श्रीगोरक्षनाथ अस्पताल की स्थापना कराकर पूर्वांचल की जनता को आधुनिक और सस्ती इलाज की सुविधा मुहैया कराई. इस अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सकों की सुविधा दूरदराज के गांवों में भी मिले, इसके लिए ब्लॉक स्तर पर जांच, इलाज और दवा वितरण के लिए निःशुल्क कैंप आयोजित किए गए. मुख्यमंत्री बनने के बाद भी यह सिलसिला जारी है.

वैक्‍सिनेशन में देश में यूपी बना नंबर वन

यूपी ने कोरोना टीकाकरण में दूसरे प्रदेशों को पीछे छोड़ते हुए अपने  नाम एक नया रिकार्ड हासिल किया है. महाराष्‍ट्र, दिल्‍ली, आंध्र प्रदेश, वेस्‍ट बंगाल समेत दूसरे कई राज्‍यों से आगे निकल 5 करोड़ 09 लाख से अधिक टीकाकरण की डोज दी हैं. यह आंकड़ा देश के दूसरे प्रदेशों से कहीं अधिक है. यूपी टीकाकरण के साथ ही सर्वाधिक जांच करने वाला प्रदेश है. ट्रिपल टी की रणनीति व टीकाकरण से यूपी में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर नियंत्रण में हैं. प्रदेश में वृहद टीकाकरण अभियान के तहत ‘सबका साथ, सबका विकास, सबको वैक्सीन, मुफ्त वैक्सीन’ के मूल मंत्र पर टीकाकरण किया जा रहा है.

प्रदेश में वैक्‍सीन की पहली खुराक 4 करोड़ 28 लाख से अधिक और 80 लाख से अधिक वैक्‍सीन की दूसरी डोज दी जा चुकी है. मेगा वैक्सिनेशन के दिन मंगलवार को एक दिन में सर्वाधिक टीकाकरण कर यूपी ने देश के दूसरे प्रदेशों के समक्ष नज़ीर पेश की. योगी सरकार ने मेगा वैक्सिनेशन ड्राइव के तहत एक दिन में 20 लाख लोगों को वैक्सीन लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया था जिसके सापेक्ष में यूपी ने 23.94 लाख वैक्सीन डोज दिए गए जो एक दिन में किया गया अब तक का सर्वाधिक टीकाकरण है. एक दिन में अब सबसे अधिक वैक्‍सीन की डोज लगाकर योगी सरकार ने रिकार्ड बनाया है. बता दें कि इससे पहले बीते 24 जून को नौ लाख तीन हजार लोगों को वैक्‍सीन की डोज दी गई थी.

अगस्त के अंत तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का निर्धारित किया लक्ष्‍य

यूपी में टीकाकरण अभियान को गति देते हुए शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में युद्धस्‍तर पर टीकाकरण किया जा रहा है. 31 अगस्‍त तक 10 करोड़ लोगों को टीका लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया है. मिशन जून के तहत प्रदेश सरकार ने एक करोड़ लोगों को वैक्‍सीन की डोज लगाने का लक्ष्‍य निर्धारित किया था लेकिन प्रदेश में इससे कहीं अधिक एक करोड़ 29 हजार टीके की डोज दी गई.

यूपी ऐसे रहा महाराष्ट्र, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से अव्वल

25 करोड़ के आबादी वाले उत्तर प्रदेश से देश के दूसरे प्रदेश टीकाकरण में कहीं पीछे हैं.  वेस्ट बंगाल, महाराष्ट्र, दिल्ली समेत अन्य प्रदेशों में जहां काम आबादी होने के बावजूद टीकाकरण धीमी गति से चल रहा कहीं यूपी लगातार रिकॉर्ड बना रहा है. वेस्ट बंगाल में अब तक तीन करोड़ छह लाख, केरल में दो करोड़ नौ लाख, महाराष्ट्र में चार करोड़ 52 लाख, दिल्ली में एक करोड़ दो लाख और तमिलनाडु दो करोड़ 38 लाख ही वैक्सिनेशन किया गया है.

Hina Khan के रोमांटिक गाने का भोजपुरी वर्जन हुआ वायरल, Pawan Singh ने दी आवाज

हिना खान (Hina Khan) और शाहीर शेख (Shaheer Sheikh) का रोमांटिक गाना ‘बारिश बन जाना’ (Baarish Ban Jaana) इंटरनेट पर जमकर वायरल हो रहा है.

इस गाने में हिना खान और शाहीर शेख की जोड़ी को खूब पसंद किया जा रहा है. तो वहीं अब इस गाने का भोजपुरी वर्जन वायरल हो रहा है. जी हां इस गाने को भोजपुरी सुपरस्टार Pawan Singh ने आवाज दी है.

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‘बारिश बन जाना’ का भोजपुरी वर्जन भी सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा है. गाने में पवन सिंह और पायल देव नजर आ रही हैं. यूट्यूब पर इसे 24, 986,816 बार देखा जा चुका है.

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पवन सिंह आज भोजपुरी के टॉप स्टार्स में से एक हैं. बता दें कि पवन और पायल के पिछले हिट होली सॉन्ग ‘कमरिया हिला रही है’ था, जिसे फैन्स ने खूब पसंद किया था. बताया जा रहा है कि वह जल्द ही बॉलिवुड प्रॉजेक्ट्स में नजर आएंगे.

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Honey Singh पर पत्नी ने लगाया मारपीट का गंभीर आरोप, पढ़ें खबर

मशहूर पंजाबी सिंगर और रैपर हनी सिंह (Honey Singh) के खिलाफ उनकी पत्नी शालिनी सिंह तलवार (Shalini Talwar) ने घरेलू हिंसा और मारपीट का केस दर्ज करवाया है. शालिनी सिंह तलवार ने दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में ये केस दर्ज कराया है.

इस याचिका में शालिनी सिंह ने अपने पति हनी सिंह पर घरेलू हिंसा के अलावा यौन हिंसा, उनपर मानसिक अत्याचार करने और उसके साथ वित्तीय तौर पर धोखाधड़ी करने का भी आरोप लगाया है.

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रिपोर्ट के अनुसार शालिनी सिंह की याचिका पर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने हनी सिंह के खिलाफ एक नोटिस जारी कर उन्हें 28 अगस्त तक पत्नी द्वारा लगाये गये सभी आरोपों का जवाब देने को कहा है.

 

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बता दें कि हनी सिंह ने 2011 में शालिनी तलवार से शादी की थी. वे फिल्म ‘कॉकटेल’ में ‘अंग्रेजी बीट गाने से में मशहूर हुए थे, जिसके बाद उन्होंने कई हिट गाने गाकर फैंस के बीच काफी मशहूर हुए. ‘आज ब्लू है पानी पानी’ और ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ का गाना ‘लुंगी डांस’ भी सुपरहिट साबित हुआ था.

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Imlie: अपनी बेटी मालिनी की जान लेगी अनु! अब क्या करेगा आदित्य

स्यार प्लस का सीरियल इमली (Imlie)  की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो में दिखाया जा रहा है कि आदित्य किडनैप हो चुका है. तो उधर इमली किस भी तरह आदित्य को उन गुंडो के चंगुल में छुड़ाना चाहती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में नए ट्विस्ट एंड टर्नस देखने को मिलेंगे. आइए बताते हैं, शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जाएगा कि पुलिस के रेस्क्यू ऑपरेशन के बीच आकर इमली आदित्य को गुंडों से बचा लेगी. तो दूसरी तरफ आदित्य की मां इस बात से खुश होगी कि मालिनी के कारण आदित्य की जान बच गई है.

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तो वहीं अनु अपनी आदतों से बाज नहीं आएगी और मीडिया को त्रिपाठी हाउस बुलाएगी. अनु मीडिया के सामने मालिनी की जमकर तारीफ करेगी. तो वहीं आदित्य की मां यानी अपर्णा खूब खुश होगी.

 

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शो में अपकमिंग एपिसोड में ये भी दिखाया जाएगा कि आदित्य मीडिया के सामने इमली को अपनी पत्नी बताएगा. वह ये भी कहेगा कि अगर आज वो जिंदा है तो सिर्फ इमल की वजह से.

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तो उधर मालिनी की मां आदित्य पर भड़केगी. मीडिया के सामने ही अनु आदित्य पर चिल्लाएगी और कहेगी कि तुमने और तुम्हारे परिवार ने हमेशा मालिनी का इस्तेमाल किया है

 

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खबरों के अनुसार, इमली (Imlie) के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनु अपनी ही बेटी यानी मालिनी के खाने में जहर मिलाएगी. वह ऐसा इसलिए करेगी ताकि इमली और आदित्य का जीना मुश्किल कर सके.

तेरह साल का लड़का, क्यों फांसी चढ़ गया!

आज देश का उच्चतम न्यायालय ऑनलाइन गेम्स को लेकर चिंतित है और सरकार को  निर्देश दे रहा है. दूसरी तरफ उसका भयावह रूप सामने आ गया, जब एक 13 साल के लड़के ने ऑनलाइन गेम्स में चालीस हजार रूपए की चपत लग जाने के बाद, मैं मां को कैसे मुंह दिखाऊंगा, सोच कर के दुखी होकर आत्महत्या कर ली है.

आपको ऑनलाइन के भयानक रूप का एहसास करना है तो आपको उस मां के आंसू देखने होंगे, महसूस करने होंगे जिसका एक नौनिहाल ऑनलाइन गेम्स के चक्कर में फंस कर मौत को गले लगा लेता है.

आज जिस तरीके से ऑनलाइन गेम लोगों विशेष तौर पर बच्चों के बीच प्रचलित है और जिसके कारण कितने ही लोग बर्बाद हो रहे हैं उसकी कोई गणना नहीं है. एक तरफ हम तेजी से अंजान दौड़ में भागे चले जा रहे हैं, दूसरी तरफ अपने ही युवा पीढ़ी को पुरी तरह से बर्बाद करने के लिए छोड़ रखा है. यह सब क्यों हो रहा है, और इस सब के पीछे का क्या षड्यंत्र है, इस चक्रव्यू के संदर्भ में आज हम भी रिपोर्ट में आपको आगाह करते हुए तथ्यात्मक जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं. जिसके आधार पर आप अपने घर, अपने आसपास नौनिहालों पर निगाह रखते हुए उनकी भविष्य को स्वच्छ बना सकते हैं.

यहां यह भी महत्वपूर्ण तथ्य है कि जिस तरीके से आज बच्चे ऑनलाइन गेम्स में अपना बेशकीमती समय दे रहे हैं, उसके कारण जहां उनकी शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है वहीं स्वास्थ्य भी खतरे में है. एक तरफ परिवार के अभिभावक एक तरह से कुंभकरणी निद्रा में है दूसरी तरफ सरकार भी अपने दायित्व का निर्वहन ईमानदारी से नहीं कर रही है. यही कारण है कि मामला आज देश के सर्वोच्च न्यायालय में संज्ञान में है.

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मैं चालीस हजार रुपए हार गया हूं

नाबालिक बच्चा जिसके लिए आज के समय में पचास  सौ रुपए  बहुत बड़ी वैल्यू रखता है अगर रूपए चालीस हजार हार जाता है तो उसकी मानसिक दशा क्या होगी, इसका अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है.

मध्यप्रदेश के छतरपुर में एक मां ने ऑनलाइन गेम में पैसे खर्च करने को लेकर 13 साल के इकलौते बेटे को डपट दिया, और बस इतनी सी बात पर लड़के ने फांसी लगा ली. पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है. किशोर ने अंतिम पत्र में स्वीकार करते हुए बताया  कि- फ्री फायर खेलते हुए 40 हजार रुपए गंवा बैठा हूं. साथ ही, लिखा है- आई एम सॉरी मां, डोंट क्राइ. इस संवेदनशील मामले की गूंज अनुगूंज बहुत दूर तक हो रही है.

दरअसल, मध्य प्रदेश में  छतरपुर में विवेक पांडेय अपनी पत्नी प्रीति पांडेय, बेटे कृष्णा और बेटी के साथ सुखमय जीवन व्यतीत कर रहे थे . विवेक एक पैथालॉजी संचालक हैं, जबकि प्रीति जिला अस्पताल में कार्यरत हैं.कृष्णा 6वीं स्टेंडर्ड का होनहार छात्र था.30 जुलाई 2021दिन शुक्रवार दोपहर 3 बजे पिता पैथोलॉजी पर थे, जबकि मां प्रीति अस्पताल में थीं. इसी दौरान प्रीति को को अपने बैंक अकाउंट से 1500 रुपए कटने का मैसेज मोबाइल पर मिला. प्रीति ने घर पर मौजूद बेटे को फोन लगाया और पूछा कि यह पैसे क्यों कट गए.

कृष्णा ने बताया, यह ऑनलाइन गेम के कारण कट गए हैं. इस पर प्रीति को गुस्सा आ गया  उसे डपट लगा दी. उसके बाद जो हुआ उस की कल्पना नहीं की जा सकती. 13 वर्ष के कृष्णा ने मां की नाराजगी से अवसाद में आकर के फांसी  लगा आत्महत्या कर ली.

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जब अचानक कृष्णा कमरे में चला गया.और अंदर से दरवाजा बंद कर लिया तो घर में मौजूद बड़ी बहन ने कुछ देर बाद दरवाजा खटखटाया, तो जवाब नहीं मिला.बेटी ने पिता को इस बारे में बताया.माता-पिता तुरंत घर पहुंचे. दरवाजा तोड़कर देखा, तो अंदर कृष्णा फंदे पर लटका हुआ था.और सब कुछ खत्म हो चुका था.

13 साल के कृष्णा ने  सुसाइड नोट में मां को संबोधित करते हुए लिखा है- मां आप मत रोना!
दरअसल, इस घटना से ऑनलाइन गेम्स की भयावहता का आपको एहसास हो सकता है. विगत कुछ महीनों से कृष्णा पांडेय ऑनलाइन गेम फ्री फायर का शिकार हो गया था. उसकी संवेदना की झलक पत्र में देखने को मिलेती है.

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