Crime Story in Hindi: वर्चस्व का मोह- भाग 1: आखिर किसने दादजी की हत्या की?

नीना और राजन का गंभीरता से किसी मसले पर सलाहमशवरा करना ठीक वैसा ही हैरान कर देने वाला था जैसे हवा में दीपक का जलना. मगर आज दोनों बातचीत में इतने तल्लीन थे कि उन्हें देव के आने का पता भी नहीं चला.

‘‘इतना सन्नाटा क्यों है भई?’’

दोनों ने सिर उठा कर देखा. दोनों की ही आंखों में परेशानी के साथसाथ मायूसी भी थी.

‘‘खैरियत तो है न?’’ देव ने फिर पूछा.

‘‘हां भैया, घर में तो सब ठीक ही है…’’

‘‘तो फिर गड़बड़ कहां है?’’ देव ने राजन की बात काटी.

‘‘सोनिया की जिंदगी में भैया,’’ नीना बोली, ‘‘और वह भी बिना वजह… समझ नहीं आ रहा कैसे उस की मदद करें.’’

सोनिया नीना की खास सहेली थी और उस की ओर राजन का झुकाव भी देव की पैनी नजरों से छिपा नहीं था.

‘‘पूरी बात बताओ,’’ देव ने आराम से बैठते हुए कहा, ‘‘हो सकता है मैं कुछ मदद कर सकूं.’’

राजन फड़क उठा…

‘‘सुन नीना, पहले तो सब ठीक ही था, जीजी का इनकार आलोक के दादाजी की हत्या के बाद ही शुरू हुआ है न… तो भैया ठहरे हत्या विशेषज्ञ, जरूर यह मसला भी सुलझा देंगे.’’

नीना ने चिढ़ कर राजन की ओर देखा, ‘‘हत्या से सोनिया बेचारी का क्या लेनादेना? खैर, फिर भी भैया आप सोनिया के लिए कुछ न कुछ सुझाव तो दे ही सकते हैं,’’ नीना बोली, ‘‘आप जानते ही हैं कि सोनिया ने भी राजन के साथ ही आईआईएम अहमदाबाद की प्रवेश परीक्षा दी है और उसे भरोसा है कि वह सफल हो जाएगी. मगर उस के घर वाले चाहते हैं कि परीक्षा का नतीजा आने से पहले ही वह शादी कर ले, फिर अगर उस की ससुराल वाले चाहें तो वह पढ़ाई जारी रख सकती है… पैसे की बात नहीं है भैया, सोनिया के पापा शादी के बाद भी पढ़ाई का पूरा खर्च उठाने को तैयार हैं.’’

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‘‘शादी किस से हो रही है?’’ देव ने पूछा.

‘‘अभी तो सोनिया से कहा है कि उसे कोई पसंद है, तो बता दे. वे लोग उस की भी पढ़ाई का खर्चा उठाने को तैयार हैं और अगर उसे कोई पसंद नहीं है, तो वे ढूंढ़ लेंगे.’’

‘‘यानी किसी भी कीमत पर उन्हें सोनिया की शादी करनी है,’’ देव ने फिर नीना की बात काटी, ‘‘मगर क्यों?’’

नीना ने फिर गहरी सांस ली.

‘‘इस की वजह है सोनिया की जीजी किरण का अजीब व्यवहार. किरण की पड़ोस में रहने वाले आलोक से बचपन से दोस्ती थी और दोनों की सगाई की तारीख भी तय हो चुकी थी. लेकिन अचानक किरण ने शादी करने से मना कर दिया. आलोक से ही नहीं किसी से भी. उस का कहना है कि उसे शादी से इनकार नहीं है पर उसे कुछ समय दिया जाए. घर वालों ने 2 साल से ज्यादा समय दिया, मगर किरण अभी भी और समय चाहती है. घर वाले परेशान हो गए हैं. उन का खयाल है कि उन्होंने किरण को नौकरी करने की छूट दे कर गलती की है और यही गलती वे सोनिया के साथ नहीं दोहराना चाहते.’’

‘‘दूध का जला छाछ तो फूंकेगा ही. किरण के व्यवहार की वजह क्या है?’’ देव ने पूछा.

‘‘यही तो वह नहीं बतातीं. वजह पता चल जाए तो सोनिया सब को समझा तो सकती है कि उस के साथ ऐसा कुछ नहीं है. वह पढ़ाई खत्म होने पर शादी कर लेगी पर फिलहाल आईआईएम की पढ़ाई और शादी एकसाथ करना न तो मुमकिन है और न ही मुनासिब.’’

‘‘यह तो है. वह हत्या वाली बात… तुम क्या कह रहे थे राजन?’’

‘‘किरण और आलोक की सगाई से कुछ रोज पहले आलोक के दादाजी की हत्या हो गई थी. हत्या क्यों और किस ने की यह आज तक पता नहीं चल सका,’’ नीना ने बताया, ‘‘लेकिन इस से किरण के इनकार का क्या ताल्लुक?’’

‘‘हो भी सकता है. किरण और आलोक जानेपहचाने से नाम हैं,’’ देव कुछ सोचते हुए बोला, ‘‘ये लोग सुंदर नगर में पासपास की कोठियों में तो नहीं रहते?’’

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‘‘जी हां,’’ नीना बोली, ‘‘आप कैसे जानते हैं?’’

‘‘ये दोनों कालेज में मेरे से 2 साल पीछे थे और मेरे निर्देशन में दोनों ने नाटकों में अभिनय भी किया था. हमारे एक नाटक ‘चोट’ का चयन अखिल भारतीय नाटक प्रतियोगिता में होने पर हम सब दूसरे शहरों में उस के मंचन के लिए भी गए थे और तब हमारी अच्छी दोस्ती हो गई थी. मैं ने एक बार जब आलोक से पूछा था कि किरण के साथ शादीवादी करने का इरादा है तो उस ने बड़ी गंभीरता से हां कहा था.’’

‘‘शादी के लिए इनकार आलोक नहीं किरण कर रही है. हालांकि आलोक ने भी अभी शादी की बात नहीं है. काम की व्यस्तता के कारण 2-3 साल पहले उस ने आईबीएम की एजेंसी ली और मार्केट में पैर जमाने के लिए बहुत भागदौड़ कर रहा था. अब धंधा जम गया है और वह शादी कर सकता है. यह सुन कर किरण के घर वाले बेचैन हो गए हैं. भैया, आप क्या आलोक से मिल कर किरण के इनकार की वजह नहीं पूछ सकते?’’ नीना ने पूछा.

‘‘जब इनकार किरण कर रही है तो आलोक से क्यों, किरण से क्यों नहीं? मुझे किरण से मिलवा सकती हो?’’

‘‘हां, जब भी आप कहें. शादी न करने के सिवा उन्हें और किसी बात से इनकार नहीं है,’’ नीना बोली, ‘‘मेरा मतलब है किसी से मिलनेजुलने से उन्हें कोई परहेज नहीं है. क्यों न मैं कल शाम को सोनिया के घर चली जाऊं और आप मुझे लेने वहां आ जाओ.’’

Crime Story in Hindi- अधूरी मौत: भाग 3- क्यों शीतल ने अनल के साथ खतरनाक खेल खेला?

शीतल अपने बैडरूम की तरफ भागी, मगर वह बाहर से उसी प्रकार बंद था जैसे वह कर के गई थी. दरवाजा बाहर से बंद होने के बावजूद कोई अंदर कैसे जा सकता है, यह सोच कर वह गैलरी की तरफ गई. गैलरी की तरफ जाने वाला दरवाजा भी अंदर से लौक था.

शीतल ने सोचा शायद कोई चोर होगा, अत: वह सुरक्षा के नजरिए से अपने साथ बैडरूम में रखी अनल की रिवौल्वर ले कर गैलरी में गई. मगर वहां कोई नहीं था. शीतल को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था.

उस ने चौकीदार को आवाज दी. चौकीदार के आने पर उस ने पूछा, ‘‘ऊपर कौन आया था?’’

‘‘नहीं मैडम, ऊपर तो क्या आप के जाने के बाद बंगले में कोई नहीं आया.’’ चौकीदार ने जवाब दिया.

सुबह जैसे ही शीतल की नींद खुली, उसे रात की घटना याद आ गई.

शाम को शीतल पूरी तरह चौकन्नी थी. वह कल जैसी गलती दोहराना नहीं चाहती थी. बंगले से निकलते समय उस ने खुद अपने बैडरूम को लौक किया और चौकीदार को लगातार राउंड लेने की हिदायत दी.

रात को वह क्लब से घर लौटी, तभी उस के मोबाइल की घंटी बज उठी.

‘‘हैलो..’’

‘‘मेरे दिल ने जो मांगा मिल गया, मैं ने जो भी चाहा मिल गया…’’ दूसरी तरफ से किसी पुरुष के गुनगुनाने की आवाज आ रही थी.

‘‘कौन है?’’ शीतल ने तिलमिला कर पूछा.

जवाब में वह व्यक्ति वही गीत गुनगुनाता रहा. शीतल ने झुंझला कर फोन काट दिया और आए हुए नंबर की जांच करने लगी. मगर स्क्रीन पर नंबर डिसप्ले नहीं हो रहा था. उसे याद आया यह तो वही पंक्तियां थीं, जो वह उस हिल स्टेशन पर होटल में अनल के सामने बुदबुदा रही थी.

कौन हो सकता है यह व्यक्ति? मतलब होटल के कमरे में कहीं गुप्त कैमरा लगा था जो उस होटल में रुकने वाले जोड़ों की अंतरंग तसवीरें कैद कर उन्हें ब्लैकमेल करने के काम में लिया जाता होगा. लेकिन जब उन्हें उस की और अनल की ऐसी कोई तसवीर नहीं मिली तो इन पंक्तियों के माध्यम से उस का भावनात्मक शोषण कर ब्लैकमेल कर रुपए ऐंठना चाहते होंगे.

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शीतल बैडरूम में जाने के लिए सीढि़यां चढ़ ही रही थी कि एक बार फिर से मोबाइल की घंटी बज उठी. इस बार उस ने रिकौर्ड करने की दृष्टि से फोन उठा लिया. फिर वही आवाज और फिर वही पंक्तियां. उस ने फोन काट दिया. मगर फोन काटते ही फिर घंटी बजने लगी. बैडरूम का लौक खोलने तक 4-5 बार ऐसा हुआ.

झुंझला कर शीतल ने मोबाइल ही स्विच्ड औफ कर दिया. उसे डर था कि यह फोन उसे रात भर परेशान करेगा और वह चैन से नहीं सो पाएगी.

शीतल कपड़े चेंज कर के आई और लाइट्स औफ कर के लेटी ही थी कि उस के बैडरूम में लगे लैंडलाइन फोन पर आई घंटी से वह चौंक गई. यह तो प्राइवेट नंबर है और बहुत ही चुनिंदा और नजदीकी लोगों के पास थी. क्या किसी परिचित के यहां कुछ अनहोनी हो गई. यही सोचते हुए उस ने फोन उठा लिया.

फोन उठाने पर फिर वही पंक्तियां कानों में पड़ने लगीं. शीतल बुरी तरह से घबरा गई. एसी के चलते रहने के बावजूद उस के माथे पर पसीना उभर आया. कोई उसे डिस्टर्ब न करे, इसलिए उस ने लैंडलाइन फोन का भी प्लग निकाल कर डिसकनेक्ट कर दिया.

फोन डिसकनेक्ट कर के वह मुड़ी ही थी कि उस की नजर बैडरूम की खिड़की पर लगे शीशे की तरफ गई. शीशे पर किसी पुरुष की परछाई दिख रही थी, जो कल की ही तरह बाहें फैलाए उसे अपनी तरफ बुला रहा था.

वह जोरों से चीखी और बैडरूम से निकल कर नीचे की तरफ भागी. चेहरे पर पानी के छीटें पड़ने से शीतल की आंखें खुलीं.

‘‘क्या हुआ?’’ उस ने हलके से बुदबुदाते हुए पूछा.

घर के सारे नौकर और चौकीदार शीतल को घेर कर खड़े थे और उस का सिर एक महिला की गोद में था.

‘‘शायद आप ने कोई डरावना सपना देखा और चीखते हुए नीचे आ गईं और यहां गिर कर बेहोश हो गईं.’’ चौकीदार ने बताया.

‘‘सपना…? हां शायद,’’ कुछ सोचते हुए शीतल बोली, ‘‘ऐसा करो, वह नीचे वाला गेस्टरूम खोल दो, मैं वहीं आराम करूंगी.’’

सुबह उठ कर शीतल पुलिस में शिकायत करने के बारे में सोच ही रही थी कि एक नौकर ने आ कर सूचना दी.

‘‘मैडम, वीर सर आप से मिलाना चाहते हैं.’’

‘‘वीर? अचानक? इस समय?’’ शीतल मन ही मन बुदबुदाते हुई बोली.

‘‘भाभीजी जैसा कि आप ने कहा था मैं ने इंश्योरेंस कंपनी के औफिसर्स से बात की है. चूंकि यह केस कुछ पेचीदा है फिर भी वह कुछ लेदे कर केस निपटा सकते हैं.’’ वीर ने कहा.

‘‘कितना क्या और कैसे देना पड़ेगा? हमारी तरफ से कौनकौन से पेपर्स लगेंगे?’’ शीतल ने शांत भाव से पूछा.

‘‘हमें उस हिल स्टेशन वाले थाने से पिछले तीन केस की ऐसी रिपोर्ट निकलवानी होगी, जिस में लिखा होगा कि उस खाई में गिरने के बाद उन लोगों की लाशें नहीं मिलीं.

‘‘इस काम के लिए अधिकारियों को मिलने वाली राशि का 25 परसेंट मतलब ढाई करोड़ रुपए देना होगा. यह रुपए उन्हें नगद देने होंगे. कुछ पैसा अभी पेशगी देना होगा बाकी क्लेम सेटल होने के बाद. चूंकि बात मेरे माध्यम से चल रही है अत: पेमेंट भी मेरे द्वारा ही होगा.’’ वीर ने बताया.

‘‘ढाई करोड़ऽऽ..’’ शीतल की आंखें चौड़ी हो गईं, ‘‘यह कुछ ज्यादा नहीं हो जाएगा?’’ वह बोली.

‘‘देखिए भाभीजी, अगर हम वास्तविक क्लेम पर जाएंगे तो सालों का इंतजार करना होगा. शायद कम से कम 7 साल. फिर उस के बाद कोर्ट का अप्रूवल.’’ वीर ने अपना मत रखा.

‘‘आप क्या चाहते हैं, इस डील को स्वीकार कर लिया जाए?’’ शीतल ने पूछा.

‘‘जी मेरे विचार से बुद्धिमानी इसी में है.’’ वीर बोला, ‘‘अभी हमें सिर्फ 25 लाख रुपए देने हैं. ये 25 लाख लेने के बाद इंश्योरेंस औफिस एक लेटर जारी करेगा, जिस के आधार पर हम उस हिल स्टेशन वाले थाने से पिछले 3 केस की केस हिस्ट्री लेंगे.

‘‘इस हिस्ट्री के आधार पर कंपनी हमारे क्लेम को सेटल करेगी और 10 करोड़ का चैक जारी करेगी.’’ वीर ने पूरी योजना विस्तार से समझाई.

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‘‘ठीक है 1-2 दिन में सोच कर बताती हूं. 25 लाख का इंतजाम करना भी आसान नहीं होगा.’’ शीतल बोली.

‘‘अच्छा भाभीजी, मैं चलता हूं.’’ वीर उठते हुए नमस्कार की मुद्रा बना कर बोला.

शीतल की तीक्ष्ण बुद्धि यह समझ गई की वीर दोस्ती के नाम पर धोखा दे रहा है. और हो न हो, यह वही शख्स है जो उसे रातों में डरा रहा है. यह मुझे डरा कर सारा पैसा हड़पना चाहता है. मैं ऐसा नहीं होने दूंगी और इसे रंगेहाथों पुलिस को पकड़वाऊंगी.

रोजाना की तरह आज भी लगभग 8 बजे शाम को वह क्लब जाने के लिए निकली. आज शीतल बेफिक्र थी, क्योंकि उसे पता चल चुका था कि पिछले दिनों हो रही घटनाओं के पीछे किस का हाथ है. अब उस का डर निकल चुका था. उस ने वीर को सबक सिखाने की योजना पर भी काम चालू कर दिया था.

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सौजन्य- मनोहर कहानियां

25 सितंबर, 2017 को सुबह के कोई 10 बजे तिमारपुर थाने के ड्यूटी औफिसर को सूचना मिली कि वजीराबाद में गली नंबर-6 में राजकुमार के मकान में एक लड़की की हत्या हो गई है. इस सूचना पर सबइंसपेक्टर मनीष कुमार कांस्टेबल धर्मेंद्र के साथ वजीराबाद में राजकुमार के मकान पर पहुंच गए. वहां कुछ लोग खड़े आपस में बातचीत कर रहे थे.

पुलिस को आया देख सब ने उन्हें अंदर जाने का रास्ता दे दिया. सबइंसपेक्टर मनीष कुमार कांस्टेबल के साथ मकान में पहुंचे तो वहां ड्राइंगरूम के आगे लौबी में एक औरत की लाश पड़ी थी. उस के मुंह में सफेद रंग का कपड़ा ठूंसा हुआ था. गले पर धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. पास में एक चाकू भी पड़ा था. पुलिस ने अनुमान लगाया कि इसी चाकू से उसे घायल किया होगा. पास में रखी वाशिंग मशीन के ऊपर एक पेचकस भी पड़ा हुआ था, जिस पर खून लगा था.

एसआई मनीष कुमार जब घर का निरीक्षण करते हुए बाथरूम की तरफ गए तो बाथरूम में भी एक लड़की की लाश मिली. उस के गले पर भी धारदार हथियार से कई वार किए गए थे. घर में 2-2 लाशें मिलने पर वह हैरान रह गए.

मामले की गंभीरता को समझते हुए एसआई मनीष कुमार ने इस मामले की जानकारी थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा को देने के बाद सूचना क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम और एफएसएल टीम को भी दे दी.

पड़ोसियों ने पुलिस को बताया कि मरने वालों में एक मकान मालिक राजकुमार यादव की बेटी सोनी तथा दूसरी उस के भांजे मोहित की पत्नी प्रेमलता है. इसी दौरान थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा, एसआई हरेंद्र कुमार और कांस्टेबल सुनील व विनोद के साथ वहां पहुंच गए.

एसआई मनीष कुमार ने उन्हें सारे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी. इसी बीच क्राइम टीम और एफएसएल की टीम भी वहां आ गई. क्राइम टीम ने मौके के साक्ष्य उठाए और घटनास्थल की फोटोग्राफी की.

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थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा ने लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि प्रेमलता अपने पति मोहित के साथ 8-9 दिन पहले ही सोनी की देखभाल करने के लिए यहां आई थी. पता चला कि सोनी के पिता राजकुमार यादव 2 दिन पहले अपने बेटे के साथ कानपुर स्थित अपने रिश्तेदार के यहां सगाई कार्यक्रम में गए हुए हैं. घर पर केवल सोनी, प्रेमलता और प्रेमलता का पति मोहित ही थे.

सोनी और प्रेमलता की हत्या हो चुकी थी और मोहित घर से फरार था. उस का फोन नंबर मिलाया गया तो फोन भी स्विच्ड औफ मिला. इस से पुलिस को उसी पर शक होने लगा. थानाप्रभारी ने सोनी के पिता राजकुमार को भी फोन कर के घटना की जानकारी दे दी.

ड्राइंगरूम में बाईं ओर बैड के नीचे शराब की बोतल, बीयर की एक कैन और ग्रे रंग का एक बैग मिला. बैडरूम में टूटे हुए 2 मोबाइल फोन मिले, जिस में एक मोबाइल पर थोड़ा सा खून भी लगा था.

पुलिस ने सारे सबूत अपने कब्जे में ले लिए. फिर मौके की काररवाई पूरी कर के दोनों लाशें पोस्टमार्टम के लिए सब्जीमंडी मोर्चरी भेज दीं. इस के बाद पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर आगे की काररवाई शुरू कर दी. आगे की जांच इंसपेक्टर संजीव वर्मा के हवाले कर दी.

जांच हाथ में आते ही इंसपेक्टर संजीव वर्मा ने राजकुमार यादव को फोन किया तो उन्होंने बताया कि वह कानपुर से दिल्ली के लिए निकल चुके हैं. इस के बाद राजकुमार ने फरार हुए अपने भांजे का मोबाइल नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला.

मोहित के फरार होने से साफ लग रहा था कि उसी ने इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम दिया है. राजकुमार ने एसआई मनीष कुमार को मोहित का मोबाइल नंबर दे दिया तब उन्होंने उस के फोन नंबर को सर्विलांस पर लगाने के बाद उस की काल डिटेल्स निकलवा ली.

मोहित के फोन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो उस की पहली लोकेशन कश्मीरी गेट बसअड्डे की मिली. इस बीच राजकुमार यादव भी कानपुर से वजीराबाद स्थित अपने घर लौट आए. वह सीधे तिमारपुर थाने पहुंचे. बेटी और भांजे की पत्नी की हत्या पर उन्हें गहरा दुख हुआ. इंसपेक्टर संजीव वर्मा ने उन से कुछ देर बात की.

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राजकुमार ने बताया कि मोहित उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के गांव पंचलखा का रहने वाला है. उस की तलाश के लिए इंसपेक्टर संजीव वर्मा राजकुमार को साथ ले कर उस के गांव के लिए निकल गए.

वह रास्ते में ही थे कि उसी दौरान थानाप्रभारी ओमप्रकाश सिन्हा ने उन्हें फोन कर के जानकारी दी कि मोहित के फोन की लोकेशन उस के गांव की ही आ रही है. इस से स्पष्ट था कि वह पुलिस से बचने के लिए अपने गांव पहुंच गया है.

देर रात को दिल्ली पुलिस टीम स्थानीय पुलिस को साथ ले कर मोहित के गांव पंचलखा पहुंच गई. पर उस के घर पर ताला बंद मिला. तब पुलिस ने उसे और भी कई जगहों पर खोजा पर उस का पता नहीं लगा. सुबह करीब 6 बजे गांव वालों से पुलिस को पता चला कि मोहित ने अपने ताऊ के ट्यूबवैल पर आत्महत्या कर ली है. वह ट्यूबवैल वहां से 2 किलोमीटर दूर गांव सट्टी के खेतों में था.

दिल्ली पुलिस वहां पहुंची तो वह ट्यूबवैल की कोठरी के भीतर लटका हुआ मिला. वह अपनी पैंट गले में बांध कर लटक गया था. उस के कपड़ों पर खून लगा हुआ था और एक हाथ की नस भी कटी हुई थी. वहीं पर एक ब्लेड भी पड़ा मिला.

आत्महत्या की बात सुन कर मोहित के घर वाले भी वहां पहुंच गए. स्थानीय पुलिस ने जरूरी काररवाई कर उस की लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. दिल्ली पुलिस की टीम जिस मकसद से वहां गई थी, वह पूरा नहीं हो सका.

दिल्ली पुलिस ने मोहित के घर वालों से बात की और दिल्ली लौट आई. राजकुमार और मोहित के घर वालों से बात करने के बाद इस मामले की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली.

उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद में राजकुमार यादव का एक 5 मंजिला मकान है, जिस में वह अपने परिवार के साथ रहते हैं. कुछ साल पहले राजकुमार की पत्नी की बीमारी के चलते मौत हो गई थी. अब उन के परिवार में एक बेटी सोनी और बेटा साहिल ही थे. वह अपने बच्चों के साथ ग्राउंड फ्लोर पर रहते थे. उन्होंने ऊपर की मंजिलें किराए पर उठा रखी थीं. किराए से उन्हें अच्छीखासी रकम मिल जाती थी, जिस से घर का गुजारा बड़े आराम से चल जाता था.

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घटना से करीब 10 दिन पहले सोनी का पथरी का औपरेशन हुआ था. चूंकि ऐसे समय में उस की देखभाल के लिए घर में कोई महिला नहीं थी, इसलिए राजकुमार ने अपने भांजे मोहित तथा उस की पत्नी प्रेमलता को सोनी की देखभाल के लिए दिल्ली बुला लिया. मोहित उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात के गांव पंचलखा में रहता था.

घटना से 2 दिन पहले राजकुमार अपने बेटे साहिल के साथ कानपुर स्थित अपने एक रिश्तेदार के यहां सगाई कार्यक्रम में शामिल होने गए थे. घर पर सोनिया, मोहित और उस की पत्नी प्रेमलता ही रह गए थे.

12वीं पास मोहित की शादी साढ़े 3 महीने पहले एमए पास प्रेमलता के साथ सामाजिक रीतिरिवाज से हुई थी. प्रेमलता उस से ज्यादा पढ़ीलिखी थी इसलिए वह उसे ज्यादा अहमियत नहीं देती थी. पत्नी के इसी व्यवहार की वजह से उस की उस से कहासुनी होती रहती थी. वह अपना पत्नीधर्म भी नहीं निभा रही थी. पति की इच्छा को दरकिनार कर वह कभी सिरदर्द का बहाना बना देती तो कभी कुछ और. मोहित को उस की हरकतें नागवार लगतीं.

पत्नी के चालचलन को देख कर मोहित को उस पर शक होने लगा. वह किसी से फोन पर भी काफी देर तक बातें करती रहती थी. जब वह पूछता कि किस से बात करती है तो वह कोई न कोई बहाना बना देती थी. इस से मोहित को विश्वास हो गया कि जरूर किसी न किसी के साथ इस का चक्कर चल रहा है.

जब किसी इंसान के दिमाग में कोई शक बैठ जाता है तो वह आसानी से दूर नहीं हो पाता बल्कि बढ़ता ही जाता है. मोहित अब यह पता लगाने में जुट गया कि आखिर वह कौन है, जिस की वजह से उस के घर में कलह होती है.

एक दिन उस ने पत्नी का फोन चैक किया तो उस ने वह नंबर हासिल कर लिया, जिस पर वह घंटों तक बातें करती थी. वह नंबर आगरा के किसी व्यक्ति का था. किसी तरह से मोहित ने आखिर पता लगा ही लिया कि उस व्यक्ति से प्रेमलता का आज से नहीं बल्कि करीब 4 साल पहले से अफेयर चल रहा है.

मोहित को अब पता चला कि इसी वजह से पत्नी उसे नहीं चाहती. मोहित ने ये बातें अपने घर वालों तक को बता दीं. मोहित पत्नी को समझाने की बहुत कोशिश करता लेकिन वह उस की बातों को एक तरह से अनसुना कर देती थी. जिस से उन के संबंध असामान्य बनते चले गए. इसी बीच उन के दिल्ली के वजीराबाद में रहने वाले मामा राजकुमार ने सोनी की देखभाल के लिए उस की पत्नी प्रेमलता को बुलाया तो वह पत्नी को ले कर मामा के यहां दिल्ली आ गया.

सोनी और प्रेमलता में गहरी छनती थी, इसलिए प्रेमलता के आने पर वह बहुत खुश हुई. दोनों ननदभाभी खाली समय में हंसीठिठोली करते रहते. लेकिन मोहित पत्नी की बेवफाई से इतना आहत था कि यहां आ कर भी उस के दिलोदिमाग पर प्रेमलता की बदचलनी की बात हावी रहती. जिस की वजह से वह अधिकतर समय शराब के नशे में डूबा रहने लगा.

दिल्ली में भी मौका मिलने पर प्रेमलता अपने प्रेमी से बात करती रहती. और तो और उस ने दिल्ली में भी पति को लिफ्ट नहीं दी. वह उसे अपने पास तक नहीं फटकने देती.

पुलिस के अनुसार घटना वाले दिन भी रात को मोहित ने पहले शराब पी होगी. संभव है कि इसी दौरान प्रेमलता मोबाइल पर अपने प्रेमी से बातें कर रही हो. पत्नी को फोन पर बातें करते देख कर मोहित को गुस्सा आ गया होगा. इस के बाद उस ने किचन के चाकू और पेचकस से उस पर हमला कर दिया होगा.

शोर सुन कर उस समय सोनी वहां आई होगी तो उस ने उस की भी हत्या कर डाली. क्योंकि कभीकभी परिस्थितियां ऐसी बन जाती हैं कि व्यक्ति एक हत्या के चक्कर में कई हत्याएं कर बैठता है.

पुलिस ने प्रेमलता के मोबाइल नंबर की भी काल डिटेल्स निकलवा कर अध्ययन किया तो उस में एक नंबर ऐसा मिला जिस पर वह ज्यादा देर तक बातें करती थी. यह नंबर आगरा के उस के प्रेमी का ही निकला.

बहरहाल, मोहित की आत्महत्या और 2 हत्याओं का अध्याय बंद हो गया, जिस से 3 परिवारों की जिंदगियां प्रभावित हो गईं.

-कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दूरियां- भाग 2: क्यों अपने बेटे को दोषी मानता था उमाशंकर

‘‘ये लीजिए पापाजी,’’ अनुभा ने जैसे ही उन की आवाज सुनी, मैगजीन ले कर तुरंत उन के कमरे में उपस्थित हो गई.

‘‘पापाजी, और कुछ चाहिए…?’’ उस ने बहुत ही शालीनता से पूछा.

‘‘नहीं. कुछ चाहिए होगा तो खुद ले लूंगा. भूल गया था पलभर को कि नेहा नहीं है,’’ तिरस्कार, कटुता, क्रोध मिश्रित तीक्ष्ण स्वर और चेहरे पर फैली कठोरता… इस तरह की प्रतिक्रिया और व्यवहार की अनुभा को आदत हो गई है अब. पापा उस से सीधे मुंह बात नहीं करते… कोई बात नहीं, पर वह अपना फर्ज निभाने में कभी पीछे नहीं हटती.

अनुभा समझती है कि नेहा की कमी उन्हें खलती है, इसलिए बहुत खिन्न रहने लगे हैं. आखिर बरसों से नेहा पर निर्भर रहे हैं, वह उन की हर आदत से परिचित है, जानती है कि उन्हें कब क्या चाहिए.

रिटायर होने के बाद से तो वे छोटीछोटी बातों पर ज्यादा ही उखड़ने लगे हैं. शुरुआत में अनुभा को बुरा लगता था, पर अब नहीं.

शादी हुए डेढ़ साल ही हुए हैं, और एक साल से नेहा यहां नहीं है. पता नहीं, क्यों दूसरे शहर की नौकरी को उस ने प्राथमिकता दी, जबकि यहां भी औफर थे उस के पास नौकरी के. कुछकुछ तो वह इस की वजह समझती थी, नेहा कोई भी फैसला बिना सोचेसमझे नहीं करती थी.

अनुभा ने तब मन ही मन उसे सराहा भी था, पर उस के जाने की बात वह सहम भी गई थी. कैसे संभालेगी वह घर को…पितापुत्र के बीच पसरे ठंडेपन को… कितने कम शब्दों में संवाद होता है, बाप रे, वह तो अपने पापा से इतनी बातें करती थी कि सब उसे चैटरबौक्स कहते हैं. उस का भाई भी तो पापा से ही चिपका रहता है और मां दिखावटी गुस्सा करती हैं कि मां से तो तुम दोनों को कोई लगाव ही नहीं है… पर भीतर ही भीतर बहुत खुशी महसूस करती है.

बच्चों का पिता से लगाव होना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि मां से प्यार और आत्मीयता का संबंध सहज और स्वाभाविक ही होता है, उस के लिए प्रयत्न नहीं करने पड़ते.

उस पर ठहरी वह एक विजातीय लड़की. बेटे ने लवमैरिज की, यह बात भी पापा को बहुत खटकती है, अनुभा जानती है.

वह तो नेहा ने स्थिति को संभाल लिया था, वरना तरुण उसे ले कर अलग हो जाने पर आमादा हो गया था. दोनों के बीच सेतु बन रिश्तों पर किसी तरह पैबंद लगा दिया था.

अनुभा भी शादी के बाद नेहा पर बिलकुल निर्भर थी. ननदभाभी से ज्यादा उन के बीच दोस्त का रिश्ता अधिक था. जब उस ने तरुण से शादी करने का फैसला लिया था तो मां के मन में आशंकाएं थीं, ‘इतने समय से नेहा ही घर संभालती आ रही है. पूरा राज है उस का. कहीं वह तुम्हें तुम्हारे अधिकारों से वंचित न कर दे. तरुण भी तो उस की कोई बात नहीं टालता है, जबकि है उस से छोटी. कहीं सास बनने की कोशिश न करे, संभल कर रहना और अपने अधिकार न छोड़ना. कुंआरी ननद वैसे भी जी का जंजाल होती है.’

अनुभा को न तो अपने अधिकार पाने के लिए लड़ना पड़ा और न ही उसे लगा कि नेहा निरंकुश शासन करना चाहती है.

हनीमून से जब वे लौट कर आए थे और सहमे कदमों से जब अनुभा ने रसोई में कदम रखा था तो घर की चाबियों का गुच्छा उसे थमाते हुए नेहा ने कहा था, ‘‘भाभी संभालो अपना घर. बहुत निभा लीं मैं ने जिम्मेदारियां. थोड़ा मैं भी जी लूं.

“अरुण को, पापा को जैसे चाहे संभालो, पर मुझे मुक्ति दे दो. आप की सहायता करने को हमेशा तत्पर रहूंगी. ऐसे टिप्स भी दूंगी, जिन से आप इन 2 मिसाइलों से निबट भी लेंगी. बचपन से बड़े पैतरे अपनाने पड़े हैं तो सब दिमाग में रजिस्टर्ड हो चुके हैं. सब आप को दे दूंगी, ताकि मेरा दिमाग खाली हो और उस में कुछ नई और फ्रेश चीजें भरें,’’ मुसकराते हुए जिस अंदाज से नेहा ने कहा था, उस से अनुभा को जहां हंसी आ गई थी, वहीं सारा भय भी दूर हो गया था. नाहक ही कुंआरी ननदों को बदनाम किया जाता है… उन से अच्छी सहेली और कौन हो सकती है ससुराल में.

उस के बाद नेहा ने जैसे एक बैक सीट ले ली थी और अनुभा ने मोरचा संभाल लिया था.

पापा को अनुभा को दिल से स्वीकारने और बेटी जैसा सम्मान व स्नेह मिलने के लिए नेहा को यही सही लगा था कि वह एक दूरी बना ले. इस से नेहा पर पापा की निर्भरता कम होगी, साथ ही अनुभा को वह समझ पाएंगे और तरुण को भी. सेतु नहीं होगा तो खुद ही संवाद स्थापित करना होगा उन दोनों को.

‘‘भाभी, आप उन दोनों के बीच सेतु बनने की गलती मत करना. आप को बहुतकुछ नजरअंदाज करना होगा. बेशक इन लोगों को लगे कि आप उन की उपेक्षा कर रही हैं,’’ नेहा ने कहा था तो अनुभा ने उस का माथा चूम लिया था.

2-3 साल ही तो छोटी है उस से, पर एक ठोस संबल उसे भी चाहिए होता ही होगा.

‘‘लाओ, तुम्हारे बालों में तेल लगा देती हूं,’’ अनुभा ने कहा था, तो नेहा झट से अपने लंबे बालों को खोल कर फर्श पर बैठ गई थी.

‘‘कोई पैम्पर करे तो कितना अच्छा लगता है,’’ तब अनुभा ने उसे अपनी गोदी में लिटा लिया था.

‘‘भाभी, लगता है मानो मां की गोद में लेटी हूं. तरस गई थी इस लाड़ के लिए. लोगों को लगता है कि घर की सत्ता मेरे हाथ में है, इसलिए मैं खुशनसीब हूं, किसी की हिम्मत नहीं कि रोकेटोके, पर उन्हें कौन समझाए कि रोकनाटोकना, प्रतिबंध लगाना या डांट सुनना कितना अच्छा लगता है, तब यह नहीं लगता कि हम किसी जिम्मेदारी के नीचे दबे हैं.’’

दूरियां कभीकभी कितनी अच्छी हो सकती हैं, अनुभा को एहसास हो रहा था. नेहा के जाने के बाद उसे बहुत दिक्कतें आईं.

पितापुत्र के बीच अकसर छाया रहने वाला मौन और बातबात पर पापा का उसे अपमानित करना, उस की गलतियां निकालना और विजातीय होने के कारण उस की सही बात को भी गलत ठहराना.

अनुभा ने भी ठान लिया था कि वह कभी पापा की बात को नहीं काटेगी, अपमान का घूंट पीना उस के लिए कोई आसान नहीं था, पर तरुण और नेहा के सहयोग से उस ने धैर्य की कुछ घुट्टी यहां पी ली थी और कुछ वह अपने साथ सहनशीलता को एक तरह से दहेज में ही ले कर आई थी.

मां ने यह पाठ बचपन से पढ़ाया था, क्योंकि वह इतना तो जानती थी कि चाहे आप कितना ही क्यों न पढ़लिख जाएं, कितने ही पुरुषों से आगे क्यों न निकल जाएं, सहनशीलता की आवश्यकता हर मोड़ पर पड़ती है गृहस्थी चलाने के लिए. शायद इसे वह परंपरा ही मानती थी.

वह चुपचाप पापा के सारे काम करती, समय पर उन को खाना देती, दवा देती और सुबहशाम सैर करने के लिए जिद कर के भेजती.

मॉडल ताशा हयात ने केआरके पर लगाया छेड़छाड़ का आरोप, पढ़ें खबर

अपने बेबाक बयानों और बौलीवुड के हर शख्स के खिलाफ बयानबाजी करने के साथ ही हर फिल्म के कटु आलोचक, अभिनेता,  निर्माता व निर्देशक केआरके यानी कि कमाल आर खान के सितारे इन दिनों गर्दिश में चल रहे हैं.

सलमान खान की फिल्म ‘‘राधे’’ के प्रदर्शन के बाद केआरके ने अपने यूट्यूब पर फिल्म‘‘राधे’’की जमकर आलोचना करने के साथ ही सलमान खान के एनजीओ ‘‘बीइंग ह्यूमन’’को लेकर भी काफी कुछ कहा था. जिसके चलते सलमान खान ने केआरके को अदालत में घसीट लिया है. अभी तक केआरके इस मामले में अदालत के चक्कर में फंसे हुए हैं.कुछ दिन पहले वह गायक मीका सिंह से भी उलझ पड़े थे.

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तो वहीं अब मॉडल व गायिका ताशा हयात ने केआरके पर छेड़छाड़ का गंभीर आरोप लगाते हुए मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन में शिकायत करते हुए एफआईआर दर्ज करायी है. वैसे कमाल आर खान सदैव किसी न किसी से पंगा लेते रहते हैं. वह अब तक अजय देवगन, मीका सिंह, विंदू दारा सिंह, शारीब तोशी, अली कुली मिर्जा सहित कईयों के साथ दुव्र्यवहार कर चुके हैं. अब तक लोग चुप रहते थे या ट्वीटर पर केआरके को जवाब देकर बैठ जाते थे.

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पर अब मामला ज्यादा बिगड़ता जा रहा है. गायिका ताशा ने मुंबई के वर्सोवा पुलिस स्टेशन में केआरके के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाते हुए उन पर छेड़छाड़ के साथ ही यौन संबंधों के लिए जबरदस्ती करने की कोशिश का भी आरोप लगाया है. ताशा हयात ने मीडिया से खास बातचीत में कहा- ‘‘जब मेरा गाना ‘जरिया’रिलीज हुआ था, तब केआरके ने मेरे गाने के वीडियो पर अच्छी रिव्यू दी थी.उनका यह नजरिया मुझे बहुत अच्छा लगा. उसके बाद वह अक्सर मुझसे बात करने लगे और मिलने के लिए कहने लगे.

उनके कई बार आग्रह करने पर मैंने उनसे मिलने के लिए हामी भरी तो केआरके ने मुझे अपने बंगले पर मिलने के लिए बुलाया. मैं उनके घर पहुंची तो उन्होने मुझे पूछा कि क्या मैं उनके रूम में उनसे मिलने आ सकती हूं.’’

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ताशा हयात आगे बताती हैं-‘ ‘मैने केआरके को एक अच्छा इंसान मानते हुए उनके रूम में चली गयी. तब केआरके ने मुझसे पूछा कि मैं उनके लिए क्या कर सकती हूं? मैंने कहा कि मैं आपके लिए शो कर सकती और और आपके किसी शो के लिए मुफ्त में गा सकती हूं.

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उसके बाद उन्होंने मुझसे फिल्म इंडस्ट्री के लोगों के बारे में काफी कुछ कहा.और फिर उन्होने मुझे समझौता करने के लिए कहा. मैं उनकी बात समझकर उनके कमरे से जैसे ही बाहर आने लगी, उन्होंने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया और मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की. उसके बाद केआरके ने कहा कि वह मेरे लिए कुछ भी करेंगे और उसके बाद मुझे कोई किसी चीज के लिए मना नहीं करेगा. उनकी बात न मानने पर उन्होंने मेरे खिलाफ वीडियो बनाने की धमकी भी दी.लेकिन किसी न किसी तरह मैं वहां से खुद को छुड़ाकर सही सलामत आ गयी.

उसके बाद उन्होंने मुझे गाली देकर मेरे खिलाफ वीडियो बनाने की धमकी दी.उनका गाली गलौज का सिलसिला रूक नही रहा था.तब मैंने उनके खिलाफ वर्सोवा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई. मेरी खुद की इज्जत है और मैं हर बात मीडिया के सामने नहीं कह सकती. मैंने वर्सोवा में अपनी शिकायत दर्ज करवाई है.पर अभी तक मैंने इस संबंध में अपने परिवार से बातचीत नहीं की है.

क्योंकि मैं एक परंपरागत रूढ़िवादी परिवार से हूं. मुझे अपनी सीमाएं पता है और मुझे पता है मैं क्या कर सकती हूं.’’

ताशा हयात ने आगे कहा- ‘‘केआरके ने उसके बाद भी मुझे फोन करके ब्लैकमेल किया. कमाल आर खान ने मुझे अपने दुबई के नंबर से फोन किया और मिलने के लिए कहा. मुंबई में कई लड़कियां ऐसी हैं, जो इस तरह की हरकतों का सामना करती हैं. मैं उन सभी से यही कहना चाहती हूं कि आप मजबूत बनो और किसी की धमकियों से मत डरो. उन्होंने ऐसा सिर्फ मेरे साथ नहीं बल्कि कई और लड़कियों के साथ भी किया है. लेकिन मुझे देश की न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है.’’

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ताशा हयात यही पर नही रूकी. ताशा ने आगे कहा- ‘‘मुझे अपने देश की न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है. हर किसी को यह हक है कि वह अपनी पसंद का काम करके जिंदगी में कुछ हासिल करे. जब केआरके जैसे शैतान लोग ऐसी हरकत करते हैं, तो भोली भाली लड़कियां इससे लोग टूट जाती हैं. उन्होंने कईयों के साथ ऐसा किया है.

मनोरंजन जगत में कुछ लोग अच्छे भी हैं. हमारा फर्ज है कि हम गंदगी को साफ करें. मैं हर लड़की को उम्मीद देना चाहती हूं कि आप अपनी मेहनत करते रहें और इस तरह के लोगों से न डरें.

आपको सिर्फ अपनी प्रतिभा और मेहनत पर यकीन होना चाहिए. अगर वह चीज आपके लिए है तो आपके पास आएगी.’’

GHKKPM: विराट को माफ कर देगी सई, क्या हार मान लेगी पाखी?

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में अब तक आपने देखा कि सई हॉस्पीटल से चौहान हाउस आती है. विराट सई से हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करता है कि घर छोड़कर कहीं मत जाओ. तो उधर घरवाले भी सई को पुलकित के घर जाने से रोकते हैं. शो के नए एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के आगे की कहानी.

शो में दिखाया जा रहा है कि सई अपना सामान पैक कर रही है. और वह अपने पापा की फोटो भी निकाल रही है, ऐसे में विराट सई के पापा को देखकर इमोशनल हो जाता है. वह सई से हाथ जोड़कर रिक्वेस्ट करता है कि वो कहीं ना जाए.

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सई विराट की ये हालत देखकर इमोशनल हो जाती है. तो वहीं विराट के आंखों में आंसू आ जाते है. वह सई को उसके पापा की कसम देता है कि वह ये घर छोड़कर ना जाए.

विराट सई के माथे पर करेगा किस 

विराट की इतनी मिन्नतों के बाद सई मान जाती है. विराट सई को गले से लगा लेता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी  देखेंगे कि सई विराट को माफ कर देगी जिसके बाद दोनों गले लग जाएंगे. विराट सई के माथे पर किस भी करेगा. यह सब पाखी कमरे के बाहर खड़ी होकर देख रही होती है. उसे अहसास होगा कि विराट की लाइफ में अब उसके लिए जगह नहीं है और उसे भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाना चाहिए.

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पुलकित, विराट को सुनाएगा खरी-खोटी

तो दूसरी सई विराट से कहेगी कि वह पुलकित से बात करके मना कर दें कि अब वह उनके साथ नहीं जाएगी. विराट पुलकित से कहता है कि वो सई को लेने के लिए ना आए,  इस बात पर पुलकित भड़क जाएगा और कहेगा कि वह सई के साथ कोई जबरदस्ती ना करे.

 

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शो में आप ये भी देखेंगे कि सई पुलकित से कहेगी कि उसने दिल से विराट को माफ कर दिया है. यह सुनकर पुलकित खुश हो जाएगा है और विराट से सई का ख्याल रखने का वादा लेगा है. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या सई-विराट की जिंदगी से पाखी दूर चली जाएगी या फिर कोई नई चाल चलेगी?

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“सुशासन बाबू” नीतीश के रंग!

यही कारण है कि लोकतंत्र में हमारे देश में अनेक राजनीतिक पार्टियां हैं और उनके नेता रंग रंग की राजनीतिक उछल कूद से जहां अनायास देश का भला करते हैं, वहीं देशवासियों का मनोरंजन भी.

बात अगर हम आज बिहार की करें, तो आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार “सुशासन बाबू” के रूप में अपनी ही पीठ थपथपाते जाते हैं. यह सारा देश जानता है कि बिहार में सुशासन नाम की चीज आपको कहीं नहीं मिलेगी. अब उन्होंने एक नया अंदाज बयां दिखाया है जिसे राजनीति के बड़े पर्दे पर बड़े ही उत्सुकता के साथ देखा जा रहा है . यह है अपने ही एनडीए गठबंधन के खिलाफ सुर बुलंद करना.

नीतीश कुमार ने इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी की दुखती हुई रग को पकड़ लिया है और कहा है कि पेगासस मुद्दे पर तो जांच होनी ही चाहिए.

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राजनीति के जानकार हर आम-ओ-खास जानता है कि पेगासस जासूसी कांड पर नरेंद्र दामोदरदास मोदी और उनके दाएं बाएं रहस्यमय रूप से खामोश हैं. कोई कुछ कहता और न ही जांच की बात पर सहमति है. ऐसे में अपने ही गठबंधन के एक शीर्षस्थ नेता नीतीश कुमार द्वारा पेगासस जासूसी कांड के चीथड़े को खींचकर पूरी चलती संसद के बीच उधाड़ देना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके दाएं बाएं को नागवार गुजर सकता है.

सबसे अहम सवाल यह है कि जिस एनडीए गठबंधन के संरक्षण में नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनकर कुर्सी पर बैठे हुए हैं यहां उन्हें ऐसी कोई बात करनी चाहिए जो गठबंधन के नीति और सिद्धांतों के खिलाफ है? क्या एनडीए गठबंधन का कोई माई बाप नहीं है जो उसे अपने हिसाब से देश के हित में और पार्टियों के हित में संचालित कर सके?

आखिरकार नीतीश कुमार के इन रंग बदलते बोलो के पीछे की राजनीति क्या है?
आइए! आज हम इस पर दृष्टिपात करते हैं.

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नीतीश कुमार की निगाह!

आपको हम बताते चलें कि नीतीश कुमार देश के एक बड़े कद के नेता माने जाते रहे हैं. और उन्हें प्रधानमंत्री पद का एक महत्वपूर्ण दावेदार भी लंबे समय से माना गया है. ऐसे में नीतीश कुमार ने सोची समझी राजनीतिक चाल चलनी शुरू कर दी है. पहले भी चल रहे किसान आंदोलन का आप समर्थन कर चुके हैं. यही नहीं राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का मुख्य घटक दल जनता दल (यूनाइटेड) केंद्र सरकार की राय के विपरीत जाति जनगणना कराने पर भी जोर दे रहा है. नीतीश कुमार ने पेगासस जासूसी कांड की भी जांच की मांग कर दी है है ऐसे में सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार केंद्र सरकार की नीतियों का इस तरह विरोध क्यों कर रहे हैं.

नीतीश कुमार, जैसा कि सभी जानते हैं एक के वरिष्ठ राजनेता हैं वह वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले प्रधानमंत्री पद के दावेदार रहे हैं. और मोदी को कई दफा घात प्रतिघात दे चुके हैं.

यही कारण है कि जब प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी ने देश की बागडोर संभाली तो उन्होंने नीतीश कुमार को दबाने का प्रयास शुरू कर दिया और लालू नीतीश कुमार के गठबंधन को अपने अदृश्य हाथों से छिन्न-भिन्न करके भाजपा के साथ नीतीश कुमार को लाने में सफलता प्राप्त की. जब नीतीश कुमार ने लालू के साथ को छोड़ा तो उनकी बड़ी आलोचना हुई थी. मगर नीतीश कुमार मौन हो आंखें बंद कर मुख्यमंत्री पद की कुर्सी पर विराजमान हो गए और एनडीए के साथ गलबहियों में खोये रहे. इधर नरेंद्र दामोदरदास मोदी उन्हें झटके पे झटका देते रहे 2019 में जब केंद्र सरकार में उन्होंने नीतीश कुमार के चार मंत्रियों के कोटे को कटौती करके एक मंत्री पद देने की बात कही तो नीतीश कुमार ने गुस्से में एक भी मंत्री पद लेने से इनकार कर दिया था. मगर उनकी नाराजगी पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया .

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नीतीश कुमार एक बेचारे मुख्यमंत्री बन करके रह गए. मगर जैसा कि होता है राजनीति में घाट घाट का पानी तो पीना ही पड़ता है ऐसे में नीतीश कुमार ने जैसे ही तीन विधेयकों का मामला जोर पकड़ने लगा वे किसानों के पक्ष में खड़े होकर के उन्होंने यह बता दिया कि वे मोदी की नीति के कितने खिलाफ हैं और अब पेगासस जासूसी मामले में उन्होंने नरेंद्र दामोदरदास मोदी को जिस तरह से घेर दिया है वह विपक्ष को एक ताकत दे गया है.

भोजपुरी एक्ट्रेस Neelam Giri ने पवन सिंह के गाने पर दिखाईं कातिल अदाएं तो फैंस ने किया ये कमेंट

भोजपुरी इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस एक नीलम गिरी (Neelam giri) अपनी अदाओं से फैंस के दिल पर राज करती हैं. वह आए दिन सोशल मीडिया पर अपनी हॉट फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. फैंस को भी उनकी लेटेस्ट फोटोज और वीडियो का बेसब्री से इंतजार रहता है.

एक्ट्रेस का वीडियो और फोटोज काफी कम समय में सोशल मीडिया पर वायरल हो जाता है. अब एक्ट्रेस ने पवन सिंह (Pawan Singh) का गाना ‘ए हो करेजा’ का वीडियो शेयर किया है.

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इस वीडियो में उनकी अदाएं फैंस को दीवाना बना रही हैं. इस गाने में नीलम गिरी शानदार एक्सप्रेसन दे रही हैं. गाने के लास्ट में ‘आंख मारकर यूं शरमा जाना’ ये अदा फैंस को खूब पसंद आ रहा है. इस वीडियो (Neelam giri video) को 13 हजार से भी ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं. यह वीडियो खूब वायरल हो रहा है. फैंस उनकी जमकर तारीफ कर रहे हैं.

 

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एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा है कि ‘आपके लिए तो करेजा क्या किडनी, फेफड़ा सब निकाल फेकें.’ इसी तरह से एक्ट्रेस के एक्सप्रेशन को देख लोग खूब कमेंट्स कर रहे हैं.

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आपको बता दें कि यह गाना पवन सिंह की फिल्म (Pawan Singh Films) ‘पवन पुत्र’ (Pawan Putra) का है. ये फिल्म पिछले साल ही रिलीज की गई थी.

 

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गृहमंत्री ने की यूपी सरकार की जमकर तारीफ

राजधानी लखनऊ में  यूपी स्‍टेट फॉरेंसिक साइंस इंस्‍टीट्यूट के शिलान्‍यास के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने यूपी को माफिया राज से मुक्ति दिलाने और महिलाओं की सुरक्षा व स्‍वावलंबन पर योगी सरकार की जमकर तारीफ की. अमित शाह ने कहा कि पहले का यूपी मुझे ठीक तरह से याद है. महिलाएं असुरिक्षत थी, दिन दहाड़े गोलियों चलती थी, यूपी में माफियाओं का राज था. आज यूपी में खड़ा हूं तो मुझे गर्व होता है कि मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने यूपी से माफियाराज खत्‍म कर दिया. महिलाएं अकेले बेफिक्र होकर कहीं भी जा सकती है. यूपी अपराधमुक्‍त है. योगी सरकार ने उत्‍तर प्रदेश का आगे ले जाने का काम किया है. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी भी कई मंचों से योगी सरकार की तारीफ कर चुके हैं.

अमित शाह ने कहा कि कोरोना काल के कारण लम्बे समय बाद मैं यूपी आया हूं. उन्‍होंने कहा आजादी मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, इस नारे से अंग्रेजी शासन की नींव हिला देने वाले स्‍व बाल गंगाधर तिलक की आज पुण्‍यतिथि भी है. देश की युवा पी‍ढ़ी को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर देश का मान बढ़ाना चाहिए. यूपी 2022 में फिर से भाजपा की सरकार बनने जा रही है. जिनको इस तरह के सपने आ रहे हैं, वह ‘भारत माता की जय’ नारे से स्‍वागत करें.

कोरोना प्रबंधन व वैक्‍सीनेशन में यूपी अव्‍वल

अमित शाह ने कहा कि यूपी में अपराधियों और भ्रष्‍टाचारियों के मन में योगी सरकार का भय है. अपराधी यह तो उत्‍तर प्रदेश छोड़ चुके हैं या फिर जेल की सलाखों के पीछे हैं. मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के नेतृत्‍व में उत्‍तर प्रदेश तेजी से विकास की ओर बढ़ रहा है. कोरोना काल के दौरान बेहतरीन प्रबंधन हो या फिर रोजगार सबमें यूपी अव्‍वल रहा है. वैक्‍सीनेशन में यूपी पूरे देश में सबसे आगे हैं. भारतीय जनता पार्टी देश के विकास के लिए काम करती है. हमने कहा था कि शासन एक जाति के लिए नहीं बल्कि सबके लिए होगा. प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी जब गुजरात के मुख्‍यमंत्री थे तो गांधीनगर में राष्‍ट्रीय फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी बनाने का काम किया. उन्‍होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार जातियों और परिवार के आधार पर नहीं चलती हैं.

यूपी में आज महिलाएं व जनता सुरक्षित है

कार्यक्रम के दौरान मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने कहा कि 2017 से पहले उत्‍तर प्रदेश को दंगों का प्रदेश माना जाता था. चारों तरफ माफियाओं का राज था. चार सालों में माफियाओं पर नकेल कसी गई. पुलिसिंग को बेहतर किया गया. चार सालों में पेशेवर माफियाओं और गैंगस्‍टरों की 1584 करोड़ रुपए की सम्‍पत्ति को जब्‍त किया गया. आज यूपी में महिलाएं व जनता आज अपने को सुराक्षित महसूस कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में जो परिवर्तन हुआ है वो किसी से छिपा नहीं है. यूपी के इस परिवर्तन में सबसे अहम रोल गृहमंत्री अमित शाह का है.

50 एकड़ में बन रहा यूपी फॉरेंसिक इंस्‍टीट्यूट

प्रदेश सरकार का आपराधिक मामलों के जल्‍द निस्तारण के लिए सरोजनीनगर में 50 एकड़ की भूमि में यूपी स्‍टेट फॅारेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट का निर्माण करा रही है. जो डीएनए के क्षेत्र में स्थापित किए जाने वाला या सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अपने आप में देश में अनूठा संस्थान होगा. यह संस्‍थान प्रदेश के युवाओं को शिक्षा व रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्‍ध कराएगा. इस संस्‍थान में विज्ञान व आईटी वर्ग के छात्र विभिन्‍न विषयों में कोर्स कर सकेंगे. जहां पर विशेषज्ञों द्वारा उनको फारेंसिक साइंस, डीएनएन आदि के बारे में पढ़ाएंगे. 50 एकड़ में बनने वाले यूपी स्‍टेट फॉरेंसिक साइंस इंस्‍टीट्यूट सबसे खास बात यह है कि यहां पर गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय न्यायालय विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के सहयोग से सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर डीएनए की स्थापना की जाएगी. डीएनए के क्षेत्र में स्थापित किए जाने वाला यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस अपने आप में देश का सबसे अनूठा संस्थान होगा .

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