स्पैशलिस्ट स्टाफिंग फर्म एक्सफीनो द्वारा किए गए सर्वे के अनुसार, प्राइवेट कंपनियों में काम करने वाले ज्यादातर लोग इस साल के अंत तक घर से ही काम करना चाहते हैं. 10 में से केवल 3 कर्मचारी औफिस जाना चाहते हैं. कंपनी ने 15 इंडस्ट्रीज के 550 संस्थानों में यह सर्वे किया.

सर्वे के तहत एक्सफीनो ने 1,800 कर्मचारियों से संपर्क किया. 70 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वे इस साल के अंत तक वर्क फ्रौम होम करना पसंद करेंगे. सर्वे में टौप भारतीय आईटी सर्विस फर्मों, एमएनसी, ईकौमर्स, औटोमोटिव कंपनियों और प्रमुख बैंकों को शामिल किया गया.

कोविड-19 में वर्क फ्रौम होम कौन्सैप्ट काफी उपयोगी साबित हुआ है. आईटी के अलावा नानआईटी सैक्टर की कंपनियों ने भी इसे अपनाया है.

देश में कई बड़ी कंपनियां मौजूदा हालात को देखते हुए वर्क फ्रौम होम को तवज्जुह दे रही हैं. काम करने का यह कल्चर आगे भी जारी रहेगा. फैलती महामारी के बीच कंपनियां केवल उन्हीं कर्मचारियों को दफ्तर बुलाएंगी जिन की मौजूदगी बहुत जरूरी है.

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बहुत से प्रोफैशनल्स अब अपने घर के एक हिस्से को औफिस का लुक दे रहे हैं ताकि उन्हें औफिस जैसा माहौल व सुविधाएं मिल सकें. कुछ लोग ऐसे भी हैं जो घर के किसी रूम, बालकनी या छत पर कुछ रुपए खर्च कर अपने वर्किंग स्पेस का सैटअप तैयार करा रहे हैं ताकि औफिस टेबल, रिवौल्ंिवग चेयर, कंप्यूटर, प्रिंटर और व्हाइट बोर्ड आदि के साथ उचित तरीके से काम कर सकें. वे बेहतर नैटवर्क के लिए हाईस्पीड डेटा कनैक्शन या वाईफाई भी लगवा रहे हैं. इस से काम करने में सुविधा होती है और डिस्टर्बैंस भी नहीं होता.

कर्मचारियों का प्रोडक्टिविटी लैवल बढ़ा

एक स्टडी के मुताबिक, दफ्तर के मुकाबले कर्मचारी घर से ज्यादा बेहतर काम करते हैं. दफ्तर में कर्मचारी ब्रेक ज्यादा लेते हैं. वहीं वर्क फ्रौम होम में महीने में 1.4 दिन ज्यादा काम कर रहे हैं. लौकडाउन के दौरान ज्यादातर कर्मचारियों का प्रोडक्टिविटी लैवल बढ़ गया है. इस से एम्प्लौयर्स भी वर्क फ्रौम होम की संभावनाओं पर गौर कर रहे हैं. उन्हें भी इस में फायदे नजर आ रहे हैं. कामकाज के इस नए तरीके से कतरा रही कंपनियां अब संभावनाएं तलाशने लगी हैं. लाभ का सौदा होने की बात भी कर रही हैं. एक तरफ कर्मचारी ज्यादा मेहनत कर रहे हैं तो दूसरी तरफ औफिसों में होने वाले बिजली, पानी, कागज, फर्नीचर और दूसरे रखरखाव के सामानों पर होने वाले खर्चे भी बच रहे हैं.

इधर कर्मचारियों का भी आनेजाने में लगने वाला समय और किराया दोनों बच रहा है. यही नहीं, आमतौर पर कर्मचारियों को वर्कलाइफ और पर्सनललाइफ के बीच तालमेल बिठाने में दिक्कतें होती हैं. लेकिन वर्क फ्रौम होम के चलते अब यह आसान हो गया है. वे घर के काम देखते हुए औफिस की जिम्मेदारियां भी सहजता से निभा पा रहे हैं. औफिस में कई बार काम करने की इच्छा होने पर भी शोरगुल या हंसीमजाक के बीच काम निबटाना संभव नहीं होता. वहां दोस्तों के बीच काम से ब्रेक भी ज्यादा ले लिए जाते हैं मगर घर में अपनी सुविधानुसार रात तक बैठ कर काम निबटाया जा सकता है .

महिलाओं के लिए वर्क फ्रौम होम अधिक सुविधाजनक है. 31 फीसदी से ज्यादा महिलाएं बच्चे के बाद कैरियर में ब्रेक लेती हैं क्योंकि उन के लिए औफिस जाना, पूरे दिन बच्चे से दूर रहना और फिर थकेहारे घर लौट कर बच्चे को संभालना आसान नहीं होता. वर्क फ्रौम होम के नतीजे में वे घर और बच्चों के साथसाथ औफिस के काम भी संभाल पा रही हैं और वर्कफोर्स में बनी रह पा रही हैं. फ्लैक्सिबल वर्क कल्चर के कारण उन की जिंदगी बदल गई है.

वर्क फ्रौम होम है आज की जरूरत

कोरोना महामारी के बीच आईटी, बीपीओ सैक्टर और अन्य सेवाप्रदाता कंपनियों के कर्मचारी अब 31 दिसंबर तक वर्क फ्रौम होम यानी घर से काम कर सकेंगे, दूरसंचार विभाग ने इस के आदेश जारी कर दिए हैं. आईटी कंपनियों में करीब 90 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं. केवल अतिमहत्त्वपूर्ण कार्य करने वाले कर्मचारी ही कार्यालय जा रहे हैं.

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नैसडैक में लिस्टेड बीपीओ और एनालिटिक्स कंपनी ईएक्सएल के 70 फीसदी कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं.

हाल ही में ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी ने कहा है कि उन के कर्मचारी जब तक चाहें वर्क फ्रौम होम कर सकते हैं. ट्विटर हेडऔफिस सैनफ्रान्सिस्को, कैलिफोर्निया में है. अटलांटा, न्यूयौर्क, लास एंजिल्स और अमेरिका के कई शहरों में भी इस के दफ्तर हैं. 20 देशों में ट्विटर के कुल 35 औफिस हैं. वहीं, फेसबुक ने कहा है कि उस के औफिस तो खुल गए हैं लेकिन कर्मचारी दिसंबर के आखिर तक वर्क फ्रौम होम करते रहेंगे.

तकनीकी क्षेत्र की दिग्गज कंपनी गूगल ने तो वर्क फ्रौम होम को अगले साल जून तक बढ़ा दिया है. यह अवधि गूगल के उन स्टाफ के लिए बढ़ाई गई है जिन्हें औफिस में रह कर काम करने की जरूरत नहीं है.

दुनियाभर में गूगल के हजारों कर्मचारी हैं. गूगल के स्टाफ की वर्क फ्रौम होम सेवा को जनवरी 2021 में खत्म किया जाना था. गूगल का ताजा निर्णय अन्य टैक फर्मों और बड़े नियोक्ताओं को कोरोना से बचाव के लिए ऐसी ही नीति अपनाने के लिए प्रेरित कर सकता है. इस बीच ट्विटर कंपनी ने कहा है

कि वह अपने सभी कर्मचारियों को अनिश्चितकाल तक रिमोट वर्क की अनुमति देने जा रही है.

हमारे देश भारत में कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. इन हालात में भारतीय कंपनियां भी किसी तरह का जोखिम नहीं उठाना चाहती हैं. वे कर्मचारियों के लिए वर्क फ्रौम होम की सुविधा को बढ़ा रही हैं.

सिटीबैंक, बोस्टन कंसल्ंिटग ग्रुप, एचयूएल, केपीएमजी, आरपीजी ग्रुप, कौग्निजैंट, फिलिप्स और पिडिलाइट इंडस्ट्रीज उन कंपनियों में शुमार हैं जो केवल जरूरी स्टाफ को ही दफ्तर आने के लिए कह रही हैं. अमेजन वर्क फ्रौम पौलिसी को अक्तूबर 2020 से बढ़ा कर जनवरी 2021 कर चुकी है.

इसी तरह केपीएमजी में करीब 5 फीसदी कर्मचारी औफिस आ रहे हैं. जब तक स्थिति में सुधार नहीं होता है, तब तक कंपनी वर्क फ्रौम होम को जारी रखेगी.

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क्या परिवर्तन हैं संभव

अभी वैक्सीन बनने की संभावना नहीं. अगले साल तक वैक्सीन आ भी जाती है तो सामान्य लोगों तक पहुंचने में समय लगेगा. वैसे भी वैक्सीन बनने और मिलने के बाद भी लोग वर्क फ्रौम होम करने के इतने आदी हो जाएंगे कि उन्हें दफ्तर जा कर काम करने की आदत ही नहीं रह जाएगी. संभव है अगले 2-3 सालों में कुछ दफ्तरों की बिल्ंिडगों में जाले लगने लगें, दफ्तर की टेबलकुरसियों पर धूलमिट्टी जम जाए, ड्रायर और अलमारियों के दरवाजे जाम हो जाएं, तसवीरों पर धूल की मोटी परत जम जाए और शीशे गंदे दिखने लगें.

संभव है कि कुछ दफ्तरों की विशालकाय बिल्ंिडगों के 1-2 फ्लोर पर तो थोड़ेबहुत कर्मचारी आ रहे हों पर बाकी फ्लोर खाली पड़े हों जिन्हें किराए पर दूसरे काम के लिए उठा दिया जाए. कोरोना के खतरे को देखते हुए अब ज्यादातर कर्मचारी घर से काम करना चाह रहे हैं और एम्प्लौयर खुद भी इस व्यवस्था से संतुष्ट हैं. वे कोरोना वायरस को देखते हुए कोई खतरा मोल लेना नहीं चाहते हैं. ऐसे में जाहिर है कि वे अपने औफिस को या तो खाली छोड़ना मंजूर करेंगे या किसी और काम के लिए किराए पर दे देंगे.

कई छोटेमोटे प्राइवेट औफिसों के मालिकों ने मौके की नजाकत को देखते हुए पूर्णरूप से औनलाइन काम करवाना शुरू कर दिया है और अब उन्होंने औफिस वाली जगह या तो बेच दी है या निश्ंिचत हो कर किसी और काम में ले लिया है. कई कंपनियां पूरी तरह बंद भी हो रही हैं. ज्यादातर कंपनियां अभी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रही हैं, इसलिए या तो कर्मचारियों के वेतन में कटौती की जा रही है या ऐसे लोगों को हटाया जा रहा है जिन के बगैर काम चल सकता है. वेतन में कटौती के कारण भी लोग वर्क फ्रौम होम को प्रैफरैंस दे रहे हैं.

आने वाले समय में औफिस के बजाय रीजनल हब बनाने पर जोर दिया जा सकता है जहां ज्यादातर एम्प्लौइज रहते हों. यानी, ऐसी जगहों पर छोटेछोटे कोवर्किंग स्पेस डैवलप किए जा सकते हैं जहां एम्पलौइज कम समय में सहूलियत से आवश्यकतानुसार पहुंच कर जरूरी काम निबटा सकें और बाकी काम घर से करते रहें.

ज्यादातर औफिस मीटिंग्स अब वीडियोकौल और जूम मीटिंग आदि के रूप में ही कराई जा रही हैं. वैसे भी अब एम्प्लौइज ज्यादा टैक्नोफ्रैंडली बन चुके हैं. जिन लोगों को औनलाइन काम करने की आदत नहीं थी उन्होंने भी इतने समय में सबकुछ सीख लिया है. वीडियो चैट द्वारा स्टाफ अब खुद को एकदूसरे के ज्यादा करीब महसूस कर पाते हैं. लंबे समय तक ईमेल, जूम और वीडियो चैटिंग के जरिए ही मीटिंग के उद्देश्य पूरे कर लिए जाएंगे और औफिस जाने की जरूरत महसूस नहीं होगी.

औफिस बिल्ंिडग एक बड़े कौन्फ्रैंस सैंटर के रूप में तब्दील हो सकती हैं. बहुत संभव है कि आने वाले समय में औफिस बिल्ंिडग का मकसद बदल जाए. भविष्य में हो सकता है कि औफिस का प्रयोग महज बड़ी मीटिंग्स या औफिशियल गैदरिंग के लिए किया जाए और बाकी काम वर्क फ्रौम होम होता रहे. यानी, औफिस का उपयोग अब मीटिंग्स, कौन्फ्रैंसिंग और कंपनी के दूसरे इवैंट्स के लिए गैदरिंग स्पेस के तौर पर अधिक हो.

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